#2021 तक चुनाव
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livetimesnewschannel · 24 days ago
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Bihar Election 2025: Tejashwi Follows Nitish's Path, Political Shift
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Introduction
Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा का कार्यकाल नवंबर महीने में खत्म होने वाला है. इससे पहले ही सियासी हलचल तेज हो गई है. RJD यानी राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने 5 जनवरी को एक बार फिर से एलान किया है कि चुनाव के बाद अगर सत्ता में उनकी सरकार आती है, तो उनकी पार्टी बिहार में ‘माई बहन मान योजना’ लाएगी. इसके तहत महिलाओं के खाते में सीधे 2.5 हजार रुपये ट्रांसफर किए जाएंगे. तेजस्वी यादव ने कहा था कि चुनाव के बाद महागठबंधन की सरकार बनने के एक महीने के भीतर इस योजना की शुरुआत हो जाएगी.
Table Of Content
क्यों पड़ी तेजस्वी यादव को जरूरत?
क्या कहते हैं पिछले चुनाव के आंकड़े?
किन-किन राज्यों में लागू है इस तरह क�� योजना?
क्या है नीतीश कुमार का ब्रह्मास्त्र?
क्यों पड़ी तेजस्वी यादव को जरूरत?
बिहार में जैसे ही तेजस्वी यादव ने इस बात का एलान किया, वैसे सियासी हलचल तेज हो गई. बिहार में सत्ता पक्ष के नेताओं ने तेजस्वी यादव के इस एलान को झूठा बताते हुए दावा किया कि महिलाएं उनके वादों पर यकीन नहीं करेंगी. वहीं, सियासी जानकारों का भी दावा है कि साल 2005 में नीतीश कुमार महिला सशक्तिकरण के वादे पर बिहार (Bihar Election 2025) की सत्ता पर काबिज हुए थे. इसके बाद से खुद नीतीश कुमार और उनकी पार्टी JDU यानी जनता दल यूनाइटेड के नेता भी इस बात को दोहराते रहते हैं कि बिहार में महिलाओं के लिए जितना काम नीतीश कुमार ने किया उतना अभी तक किसी ने भी नहीं किया था.
ऐसे में माई-बहन मान योजना के एलान के बाद से यह समझा जा रहा है कि तेजस्वी यादव की रणनीति में कहीं न कहीं महिला वोटर्स को साधने की जरुरत पड़ गई है. बेरोजगारी, अपराध और नौकरी के मुद्दे पर तेजस्वी यादव ने सरकार को खूब घेरा है और कई तरह के वादे भी कर चुके हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि RJD और तेजस्वी यादव के लिए यह रणनीति साल 2025 के चुनावों के लिए एक बहुत बड़ा दांव है. गौरतलब है कि बिहार की आधी आबादी यानी महिला वोटर्स का दबदबा सबसे अधिक है. इस बात के गवाह खुद पिछले कुछ चुनाव में मतदान के आंकड़े हैं. हालांकि, यह प्रयोग बिहार से बाहर कुछ राज्यों में पहले किया जा चुका है, जिसका लाभ भी राजनीतिक पार्टियों को मिलते हुए देखा गया है.
क्या कहते हैं पिछले चुनाव के आंकड़े?
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निर्वाचन आयोग के मुताबिक बिहार में साल 2020 में कुल मतदाताओं की संख्या 7 करोड़ 79 लाख थी. इसमें महिलाओं की संख्या 3 करोड़ 39 लाख थी. वहीं , पुरुष वोटर्स की संख्या 3 करोड़ 79 लाख थी. फिर भी महिलाओं ने 59.7 फीसदी वोट किया था. वहीं, पुरुषों ने 54.7 प्रतिशत मतदान किया था. साल 2015 के चुनाव में 56.66 फीसदी मतदान पूरे बिहार में देखने को मिला थी. इसमें भी अकेले महिलाओं ने 54.49 फीसदी वोट कास्ट किया था और पुरुषों का वोट प्रतिशत 51.12 प्रतिशत ही था. इसी तरह साल 2015 के चुनावों में 56.66 फीसदी मतदान हुआ और इसमें महिलाओं का वोट प्रतिशत जहां 60.48 फीसदी रहा. वहीं, पुरुष का वोट प्रतिशत 53.32 फीसदी था. आंकड़ों के आधार पर यह पूरी तरह से साफ है कि महिला वोटर्स जिसे चाहें उसे बिहार के सत्ता की चाबी सौंप सकती हैं.
किन-किन राज्यों में लागू है इस तरह की योजना?
बता दें कि देश के किसी राज्य में यह प्रयोग पहली बार नहीं होगा. इससे पहले पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक और हिमाचल में भी इस तरह की योजनाओं का एलान किया जा चुका है. हिमाचल प्रदेश में इस समय इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना लागू की गई है. इसके तहत कांग्रेस की सरकार महिलाओं को 1500 रुपये की आर्थिक मदद दे रही है. कांग्रेस शासित कर्नाटक में भी गृह लक्ष्मी योजना शुरू की गई है. इसके योजना में कर्नाटक सरकार 2,000 रुपये महिलाओं को दे रही है. यह कांग्रेस के चुनावी वादे का हिस्सा था.
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साल 2021 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ��क्ष्मी भंडार योजना को शुरू किया था. इस योजना के तहत महिलाओं को 1200 रुपये तक की मदद दे रही है और इसका असर भी चुनाव में देखने को मिला था. मध्य प्रदेश की लाडली बहन योजना भी इस लिस्ट में शामिल है. साल 2023 में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने चुनाव से ठीक पहले इस योजना का एलान किया था, जिसके तहत हर महीने 1250 रुपया उनके खाते में भेजा जा रहा है. इसके बल पर ही एंटीकबेंसी के बावजूद राज्य में BJP यानी भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई. झारखंड में मईंया सम्मान योजना की शुरुआत हेमंत सोरेन की ओर से की गई है. इसके तहत एक हजार रुपये की मदद दी जा रही है. पिछले साल हुए चुनाव में इस राशि को बढ़ाकर 2.5 हजार करने का एलान किया गया. इसका असर चुनाव में दिखा और हेमंत सोरेन एक बार फिर से सत्ता पर काबिज हो गए.
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क्या है नीतीश कुमार का ब्रह्मास्त्र?
दूसरी ओर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी साल 2005 की तरह बिहार की आधी आबादी को साधने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं. आधी आबादी के लिए उन्होंने भी कई तरह की योजनाएं चला रखी हैं. इसके तहत स्कूल जाने वाली बच्चियों को साइकिल खरीदने के लिए मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना, गर्भवती महिलाओं को 3 हजार तक की वित्तीय मदद, पति की मौत या तलाकशुदा महिलाओं के 2 बच्चों के लिए 4 हजार रुपये, मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना, बेटी पैदा होने पर अभिभावकों को 5 हजार रुपये की मदद की जाती है. इन सभी योजनाओं का मकसद भी आधी-आबादी का वोट हासिल करना है.
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Conclusion
गौरतलब है कि साल 2016 में जीविका दीदी की मांग पर ही बड़ा फैसला लेते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूरे राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू की थी. शराबबंदी के फैसले ने उन्हें बिहार की महिलाओं के बीच हीरो बनाया है. ऐसे में कई फैसलों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि नीतीश कुमार को सत्ता में आने के बाद शुरू से ही आधी आबादी का भरपूर सहयोग मिलता रहा है. इसके साथ ही नीतीश कुमार भी राज्य की आधी आबादी को अपने पक्ष में रखने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं. साथ ही साल 2005 से ही वह कई योजनाओं के सहारे उनको साधने की जुगत में रहते हैं.
दूसरी ओर विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तेजस्वी यादव ने बहुत बड़ा एलान करते हुए नीतीश कुमार की चिंता बढ़ा दी है. तेजस्वी यादव ने बिहार की महिलाओं से वादा किया कि सत्ता में आने के एक महीने के भीतर इस योजना को अमली जामा पहना दिया जाएगा. इससे बिहार की हर माता, बहन को स्वांलबी, सुखी, समृद्ध, सम्पन्न, स्वस्थ और उनके जीवन को सुगम बनाने का काम किया जाएगा. बिहार की महिला वोटर्स को भरोसा दिलाने में जुटे हुए हैं कि महिला सशक्तिकरण में की दिशा में एक सीधा और प्रभावशाली कदम होगा. उनका कहना है कि घर की महिला अगर सुख-समृद्ध होगी, तभी परिवार भी तरक्की करेगा और जब हर घर तरक्की करेगा तो पूरा गांव भी तरक्की करेगा. और पूरे गांव के तरक्की में बिहार कि तरक्की होगी.
ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि तेजस्वी यादव की इस योजना के काट के लिए नीतीश कुमार राज्य की 2 करोड़ महिलाओं से संवाद कर रहे हैं. बता दें कि बिहार में नवंबर तक विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं और इस बीच नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव कई तरह की अन्य योजनाओं का भी एलान कर सकते हैं. ऐसे में यह चुनाव बेहद दिलचस्प हो सकते हैं और देखना यह भी होगा कि महिलाएं इस बार किसे बिहार के सत्ता की चाबी सौंपती हैं.
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latestnewsandjokes · 4 months ago
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अमेरिकी शिक्षा का भविष्य: अगर कमला हैरिस अगली राष्ट्रपति बनीं तो क्या होगा?
अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस दुनिया हाल के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण चुनावों में से एक का गवाह बनने के कगार पर है। क्या यह रिपब्लिकन उम्मीदवार होगा? डोनाल्ड ट्रंपजिन्होंने 2017 से 2021 तक राष्ट्रपति या डेमोक्रेटिक उम्मीदवार के रूप में कार्य किया कमला हैरिससंयुक्त राज्य अमेरिका के वर्तमान उपराष्ट्रपति? इसका उत्तर 5 नवंबर, 2024 को सामने आएगा। परिणाम चाहे जो भी हो, चुनाव शिक्षा सहित विभिन्न…
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manvadhikarabhivyakti · 5 months ago
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मिशेल बार्नियर बने फ्रांस के नए प्रधानमंत्री, सरकार और यूरोपीय संघ में संभाल चुके कई महत्वपूर्ण पद
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के कार्यालय ने बृहस्पतिवार को मिशेल बार्नियर को नया प्रधानमंत्री नामित किया है। बार्नियर यूरोपीय संघ के पूर्व ब्रेग्जिट वार्ताकार रहे हैं। उन्होंने 2016 से 2021 तक यूरोपीय संघ (ईयू) और ब्रिटेन के बीच ब्रेग्जिट पर वार्ता की थी। यह नियुक्ति दो महीने पहले हुए चुनाव के बाद की गई है। बार्नियर ने पहले भी देश की सरकारों में विभिन्न पदों पर काम किया है। वह पहले…
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sharpbharat · 6 months ago
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Tata steel tmh medical supply : टीएमएच फार्मेसी की लचर व्यवस्था को लेकर टाटा वर्कर्स यूनियन में घमासान, 1 एमजी को दवा सप्लाई देने पर विरोध, टीएमएच की जेडीसी चेयरपर्सन ने तो हद कर दी, अध्यक्ष के तारीफ में पुल बांधे तो शुरू हो गया विरोध, जानें क्या है यह मामला
जमशेदपुर : टाटा स्टील की अधीकृत यूनियन टाटा वर्कर्स यूनियन के पिछले सत्र 2021 – 24 में ही टीएमएच फार्मेसी को 1 एमजी को सुपुर्द किए जाने को लेकर बातचीत चल रही थी और फैसला भी ले लिया गया था, लेकिन चीफ फार्मासिस्ट पद पर रहे टाटा वर्कर्स यूनियन के तत्कालीन उपाध्यक्ष, शत्रुघन कुमार राय के रिटायरमेंट तक और यूनियन के पिछले चुनाव तक यूनियन के ही अनुरोध पर इसे रोका गया था, जिसे अब पूरी तौर पर लागू कर दिया…
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khabarsuvidha · 10 months ago
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केन्द्रीय कर्मचारियों के 18 महीने के डीए एरियर का मिलने वाला है लाभ,जल्द डाले जाएंगे पैसे : DA Arrear
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News Desk | DA Arrear : काफी समय से ��ेन्द्रीय कर्मचारियों के डीए एरियर का पैसा रुका हुआ है जिसके चलते कर्मचारियों के पूरे 18 महीने के पैसे का लाभ उन्हे अभी तक नहीं दिया गया है जिसमे सरकार कर्मचारियों के का वन टाइम सेटलमेंट करेगी जिसमे उनके बचे हुए पूरे डीए एरियर का लाभ दिया जाएगा उपलब्ध जानकारी के मुताबिक कर्मचारियों को चुनाव के बाद उनके डीए एरियर का लाभ दिया जाएगा ।
डीए एरियर मिलने से कर्मचारियों को मिलेगी खुशी
केन्द्रीय कर्मचारियों को जनवरी 2020 से लेकर जून 2021 तक का डीए एरियर नहीं दिया गया है जिसमें अगर कैलकुलेशन किया जाए तो लगभग कर्मचारियों को 2 लाख रूपय तक के डीए एरियर का लाभ दिया जाएगा जिससे मिलने वाली रकम से सभी कर्मचारियों को खुशी होगी क्युकी काफी लंबे सम से उनका पैसा रुका हुआ है । क्या है एरियर समझिए केंदीय कर्मचारियों के जब सैलेरी में बढ़ोतरी की जाती है और साथ में उनके महंगाई भत्ते में भी बढ़ोतरी की जाती है लेकिन उस राशि का लाभ उन्हे तुरंत नहीं दिया जाता है उस राशि को बकाया रखा जाता है तो उसे एरियर कहते है जिसमे कर्मचारियों को 18 महीने के डीए एरियर का लाभ नहीं दिया गया है । 18 महीने के डीए एरियर का दिया जाएगा लाभ सरकार ने कर्मचारियों को डीए एरियर का लाभ देने के लिए अभी कोई सूचना जारी नहीं की है लेकिन मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह अनुमान लगाया जा रहा है की केन्द्रीय कर्मचारियों को जल्द ही 18 महीने के डीए एरियर का लाभ दिया जाएगा जिसमे चुनाव के बाद कर्मचारियों के खाते में डीए एरियर का पैसा डाला जा सकता है । बढ़ाया गया था महंगाई भत्ता सरकार ने हाल ही में केन्द्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते यानि डीए में बढ़ोतरी की थी जिसमे पहले कर्मचारियों को 46 फीसदी महंगाई भत्ते का लाभ दिया जाता था लेकिन अब उन्हे 50 फीसदी डीए का लाभ दिया जाता है इसके साथ ही सरकार जल्द ही अन्य भत्तों में भी बढ़ोतरी कर सकती है जिसका लाभ कर्मचारियों को दिया जाता है । Read the full article
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rightnewshindi · 11 months ago
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नए सरकार्यवाह बने दत्तात्रेय होसबोले, 2027 तक संभालेंगे दायित्व
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नए सरकार्यवाह बने दत्तात्रेय होसबोले, 2027 तक संभालेंगे दायित्व
Rashtriya Swayamsevak Sangh: दत्तात्रेय होसबोले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नए सरकार्यवाह होंगे। सरकार्यवाह के लिए हुए चुनाव में दत्तात्रेय होसबोले के नाम पर मुहर लगी है। 2024 से 2027 तक के लिए दत्तात्रेय होसबोले का दायित्व बढ़ाया गया है। पिछली बार 2021 में भी दत्तात्रेय होसबोले (Dattatreya Hosabale) ही सरकार्यवाह चुने गए थे। बता दें, हर तीन साल में सरकार्यवाह का चुनाव होता है। राष्ट्रीय…
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dainiksamachar · 1 year ago
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56 मिनट और फिर... बजट इतिहास में सबसे लंबा भाषण देने वाली सीतारमण ने कैसे कही 1 घंटे से कम में अपनी बात
नई दिल्ली: वित्त मंत्री ने गुरुवार को संसद में अपना लगातार छठा बजट पेश किया। उन्‍होंने सिर्फ 56 मिनट में अपना बजट भाषण समाप्त कर दिया। यह उनका अब तक का था। फिरोजी रंग की कढ़ाई वाली कांथा ��िल्क साड़ी पहनकर सीतारमण संसद पहुंची थीं। भाषण के दौरान लोकसभा में सत्ता पक्ष के सदस्य उनकी घोषणाओं और टिप्पणियों पर बीच-बीच में मेजें थपथपाते देखे गए। जब उन्होंने कहा कि ‘हमारी सरकार जुलाई में पूर्ण बजट पेश करेगी’ तो सत्ता पक्ष के सदस्यों ने सबसे ज्यादा देर तक मेजें थपथपाईं। विपक्षी सदस्यों ने भी वित्त मंत्री का बजट भाषण पूरे ध्यान से सुना। हालांकि, लोकसभा चुनाव के बाद उनकी सरकार के सत्ता में लौटने संबंधी कथन पर विपक्ष की ओर से कुछ विरोध के सुर सुनाई दिए। इससे पहले आज 11 बजे बजट भाषण शुरू होने से पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा कक्ष में पहुंचे तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सदस्यों ने ‘भारत माता की जय’, ‘जय श्रीराम’ और ‘जय सियाराम’ के नारे लगाए।सीतारमण का सबसे छोटा बजट भाषण सीतारमण का 56 मिनट का आज का बजट भाषण उनका अब तक का सबसे छोटा बजट भाषण है। सदन में सबसे लंबा बजट भाषण देने का श्रेय भी सीतारमण को जाता है। उन्होंने साल 2020 में दो घंटे 40 मिनट तक भाषण पढ़ा था।भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री के रूप में 2019 में सीतारमण का बजट भाषण दो घंटे 17 मिनट तक चला था। साल 2021 में उन्होंने एक घंटा 50 मिनट तक बजट भाषण दिया। 2022 में उनका यह भाषण 92 मिनट का और 2023 में 87 मिनट का रहा।सीतारमण के आज के बजट भाषण में पहले की तरह तमिल कवियों और विचारकों के उद्धरण नहीं थे। हालांकि, उन्होंने कम से कम आठ बार प्रधानमंत्री मोदी का उल्लेख किया और उनके भाषणों के अंश पढ़े।लोकसभा की दर्शक दीर्घाओं में अधिक संख्या में लोग नहीं थे। दीर्घा-2 में राज्यसभा के कुछ सदस्य बैठे थे। वहीं, वित्त मंत्री के रिश्तेदार कृष्णमूर्ति लक्ष्मीनारायणन और विद्या लक्ष्मीनारायणन और उनकी बेटी वांग्मयी पराकला को दीर्घा-3 की पहली कतार में बैठे हुए देखा गया।बजट पेश करने से पहले सीतारमण ने वित्त राज्य मंत्रियों- पंकज चौधरी और भागवत कराड और वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।राष्‍ट्रपति ने ख‍िलाया चम्‍मच से दही-शक्‍कर राष्ट्रपति ने सीतारमण को चम्मच से दही-शक्कर खिलाया। केंद्रीय बजट प्रस्तुत करने के लिए शुभकामनाएं दीं। सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कुछ शब्द-संक्षेपों की नई व्याख्या की। मसलन, उन्होंने एफडीआई को ‘फर्स्ट डेवलप इंडिया’ (पहले भारत का विकास) और जीडीपी को ‘गवर्नेंस, डेवलपमेंट एंड परफॉर्मेंस’ (शासन, विकास और कार्य प्रदर्शन) कहा।उन्होंने कहा, ‘सकल घरे��ू उत्पाद (जीडीपी) के रूप में बढ़ोतरी के अलावा सरकार अधिक समावेशी जीडीपी (शासन, विकास और कार्य प्रदर्शन) पर भी समान रूप से ध्यान दे रही है।’वित्त मंत्री सीतारमण ने 2019 में बजट दस्तावेजों को परंपरागत ब्रीफकेस में लाने के बजाय बही-खाते के रूप में लाना शुरू किया था। इस पर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चिह्न होता है। इस बार उन्होंने इस परिपाटी को कायम रखा।जनता दल (यूनाइटेड) के नेता राजीव रंजन सिंह ‘ललन’ को बजट भाषण के दौरान अनेक बार मेज थपथपाते हुए देखा गया। उनकी पार्टी गत सप्ताह ही दोबारा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हुई है। सीतारमण के बजट भाषण की समाप्ति पर प्रधानमंत्री मोदी उनके पास पहुंचे। अंतरिम बजट प्रस्तुत करने के लिए उन्हें बधाई दी। कई मंत्रियों को भी सीतारमण को बजट प्रस्तुत करने के बाद बधाई देते हुए देखा गया। http://dlvr.it/T29v2q
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sapandas · 1 year ago
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तीसरे विष्वयुद्ध का समय सन् 2015 से शुरू होगा।
सन् 2016 से 2018 तक बुरी ताकतों का उत्थान होगा। सन् 2019 से 2021 तक अच्छे-बुरे व्यक्तियों में समान ताकत होंगी।
होगी। सन् 2022-2023 में अच्छी ताकतों के तहत धर्म के लोगों की जीत
विचार से) सन् 2023 में ही आगे राम राज्य की स्थापना की जाएगी। (डॉ. अठावले के
तीसरे विष्वयुद्ध में भारत की भूमिका 6.2 बुरी ताकतें भारत को युद्ध करने के लिए भड़काएँगी और पड़ौसी राज्यों से युद्ध होगा जिसमें भारत की 50: आबादी नष्ट हो जाएगी।
"इस विनाष से बचा जा सकत�� है।"
यदि व्यक्ति धार्मिकता तथा ईमानदारी को बढ़ावा देकर तबाही से बचा सकते हैं।
एक संत की विचारधारा उभरेंगी। मानव समाज एक हजार वर्ष पीछे
जाएगा। तब सत्युग जैसा वातावरण होगा। इस युग में देवताओं का साम्राज्य होगा। यह सत्युग के समान होगा। यह परमेष्वर द्वारा मानव जाति के लिए आध्यात्मिक नवीनीकरण करने के लिए होगा। लोगों के जीने का उद्देश्य भगवान की भक्ति ही रह जाएगा। उस दौरान धन वद्धि को विकास नहीं माना जाएगा। धन के विषय में मानव की विचारधारा बदल जाएगी और मोक्ष उद्देष्य शेष रह जाएगा।
एक संत के नेतृत्व में सरकार बनेगी और सर्व राजकाज धर्म के तरीके यानि धार्मिकता को लेकर किया जाएगा। चुनाव कराने की आवष्यकता नहीं रहेगी। सर्व नेताओं का कार्य पारदर्षी होगा।
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karanaram · 2 years ago
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अगर काम में ही “राजनीति” दिखाई देगी तो जस्टिस चंद्रचूड़ की ट्रोलिंग होगी ही। मणिपुर पर एक बयान में मोदी के लिए एलर्जी की पराकाष्ठा दिखाई दे गई, फिर पब्लिक प्रतिकार तो होगा ही।
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अभी 2 दिन पहले एक दैनिक अख़बार के यूट्यूब चैनल पर उसका पत्रकार तड़प तड़प कर चीख रहा था कि CJI चंद्रचूड़ को सोशल मीडिया में ट्रोल किया जा रहा है और बता रहा था कि लोग उनके लिए कैसी कैसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। वो पत्रकार चीख रहा था कि चंद्रचूड़ ने तो जरूरत के अनुसार हमेशा सख्त कदम उठाए हैं और बंगाल में केंद्रीय बलों को भी पंचायत चुनाव में निगरानी के लिए भेजा।
उस पत्रकार को सबसे बड़ी आपत्ति थी कि किसी ने ट्विटर पर कोर्ट के लिए “सुप्रीम कोठा” लिख दिया जबकि उस पत्रकार को यह नहीं पता ऐसा कहने वाले एक नहीं सैंकड़ों है। अजीत भारती खुलेआम सुप्रीम कोर्ट को “कोठा” कहता है परंतु सितंबर, 2021 में उस पर अवमानना कार्रवाई शुरू करने को AG द्वारा अनुमति देने के बाद भी उस पर सुप्रीम कोर्ट अवमानना की कार्रवाई शुरू नहीं कर रहा।
सोशल मीडिया पर आखिर चंद्रचूड़ की ट्रोलिंग क्यों हो रही है, इस पर स्वयं चंद्रचूड़, उनके साथी जजों और विधिक समुदाय को सोचना होगा। केवल मणिपुर के लिए चंद्रचूड़ ने बयान देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधा निशाने पर लिया जिससे उनकी नरेंद्र मोदी के प्रति एलर्जी की पराकाष्ठा साफ़ नज़र आ रही थी क्योंकि अन्य किसी राज्य के लिए चंद्रचूड़ ने कभी स्वतः संज्ञान नहीं लिया चाहे वहां कैसी भी आग लगती रही हो और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हुआ हो।
राजस्थान बंगाल में हमेशा चंद्रचूड़ शांत रहे। मणिपुर पर बयान देने के बाद बंगाल के पंचायत चुनाव में महिला प्रत्याशी के साथ घिनौना काम किया ममता की पार्टी के लोगों ने। लेकिन चंद्रचूड़ को “गुस्सा” केवल मणिपुर के लिए आया।
चंद्रचूड़ की ट्रोलिंग का एक बड़ा कारण उनकी कश्मीरी हिन्दुओं पर हुई बर्बरता पर खामोश रहना ��ा। जो लोग जांच की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट गए, उन्हें चंद्रचूड़ ने विज्ञापन के लिए काम करने वाले बता दिया और जांच की मांग यह कह कर ठुकरा दी कि 25 साल बाद क्या सबूत मिल सकते हैं। 5 लाख हिन्दुओं और उनकी महिलाओं की पीड़ा के लिए चंद्रचूड़ के दिल में कोई दर्द नहीं था।
आपको मणिपुर पर “गुस्सा” आए तो ठीक है लेकिन लोगों को भी तो आप और आपकी हरकतों पर “गुस्सा” आ सकता है और इसलिए ही आपकी ट्रोलिंग हुई है। आप लखनऊ में दंगा कर सरकार की संपत्ति राख करने वालों का साथ देंगे तो लोग क्या आप पर “गुस्सा” नहीं करेंगे।
“गुस्सा” तो आम जनमानस को उस दिन आया था जो “असहनीय” था जब आपकी कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित समेत 3 जजों की बेंच ने (जिसमें एक महिला भी थी) एक 4 साल की बच्ची के बलात्कारी और हत्यारे की फांसी की सजा 20 वर्ष के कारावास में बदल दी यह कह कर कि “हर पापी का एक भविष्य है”। कोई कल्पना नहीं कर सकता कि लोग इस फैसले पर कितने “गुस्से” में थे वह भी तब, जब फैसला लिखने वाली महिला जज थी।
“गुस्सा” तो चंद्रचूड़ जी उस दिन भी लोगों को बहुत आया था जब आपकी कोर्ट के 2 जजों ने नूपुर शर्मा की आबरू भरी अदालत में तार तार कर दी थी। क्या मिला उन बेशर्म निर्लज्ज जजों को ऐसा करके जो मजे से कोर्ट जाते हैं लेकिन नूपुर को घर में बिठा दिया मगर भगवान शंकर का अपमान करने वाले मौलाना को दोनों जजों ने छुआ तक नहीं।
अभी कुछ दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस नजमी वजीरी ने रिटायर होने के बाद कहा है कि सोशल मीडिया पर लोगों के बोलने से जजों को कोई फर्क नहीं पड़ता। एक बार अपने साथी जजों से पूछ कर देखिए कि क्या अंदर तक हिल नहीं जाते निंदा सुन कर।
इसलिए यदि जजों के बयानों से राजनीति छलकती दिखाई देगी तो ट्रोलिंग तो होगी और उसे जजों को सहना भी होगा।
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abhinews1 · 2 years ago
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पैसे और राजनीतिक जुनून से उमेश पाल बना टैंकर क्लीनर से करोड़पति, 18 साल में प्रॉपर्टी से बनाया करोड़ो का कारोबार
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पैसे और राजनीतिक जुनून से उमेश पाल बना टैंकर क्लीनर से करोड़पति, 18 साल में प्रॉपर्टी से बनाया करोड़ो का कारोबार
प्रयागराज -- एक टैंकर क्लीनर का कार्य करने वाले कृष्ण कुमार पाल उर्फ उमेश पाल, अपने राजनीतिक जुनून और पैसे कमाने की चाहत से मौजूदा समय में करोड़ों के मालिक थे। उमेश के पास सफारी, क्रेटा, इनोवा जैसी कई लग्जरी गाड़ियां होने के साथ  करोड़ो की सम्पत्ति के मालिक थे। दौलत आने के बाद उमेश पाल का कदम की राजनैतिक की ओर ��ढ़ने लगा था। वह भी विधायकी चुनाव लड़ने की तैयारी में थे | चुनाव को लेकर उनकी चचेरी बहन विधायक पूजा पाल (राजू पाल की पत्नी) से उनकी नाराजगी भी थी। बता दें कि धूमनगंज थाना क्षेत्र के जयंतीपुर में रहने वाले उमेश पाल तीन भाइयों में दूसरे नंबर के थे। बड़े भाई पप्पू पाल छोटे भाई रमेश पाल हैं। परिवार में उनकी बूढ़ी मां पत्नी और दो बेटे एवं दो बेटियां हैं। चायल विधायक पूजा पाल के चचेरे भाई उमेश पाल को बसपा विधायक राजू पाल की हत्या से पहले तक शायद मोहल्ले वाले भी ठीक से नहीं पहचानते थे। तंगहाली और गरीबी में अपने परिवार को चलाने वाले उमेश पाल बचपन में प्रीतम नगर में रहने वाले टैंकर चालक सरदार के साथ क्लीनर का काम करते थे। आईएमएस में स्कूल ऑफ इंग्लिश लैंग्वेज की शुरुआत उमेश की कई लोगों से चल रही थी अंदरूनी खुन्नस राजू पाल हत्याकांड का मुख्य गवाह बनने और अपहरण में अतीक अहमद एंड गैंग पर नामजद एफआईआर दर्ज कराकर चर्चा में आए उमेश पाल ने उसी समय से अपना रसूख बढ़ाना शुरू कर दिया। वह जमीन के कारोबार में उतर गए |पहले पार्टनरशिप में प्लाटिंग शुरू की, फिर धीरे-धीरे अकेले प्रॉपर्टी का कारोबार करने लगे। कुछ लोगों का कहना है कि प्रॉपर्टी का कारोबार इस समय उमेश पाल का धूमनगंज क्षेत्र में बड़े पैमाने पर चल रहा था। इसकी वजह से उनका कई लोगों से तनातनी चल रही थी। सत्ता पक्ष से जुड़े होने की वजह से सीधे उनसे कोई टकरा नहीं रहा था। लेकिन कहीं ना कहीं जमीन का विवाद भी सुलग रहा था। उनके जानने वालों का कहना है कि उमेश पाल ने अपहरण के मामले को खूब भुनाया। उसी के बूते उन्होंने जमीन के कारोबार का बड़ा साम्राज्य स्थापित कर लिया था |जो कहीं ना कहीं व्यवसाय दुश्मनी में भी तब्दील हो रहा था। विधायक पूजा पाल और उमेश के रिश्ते में आ चुकी थी दरार पैसा आने के बाद उनकी राजनैतिक महत्वाकांक्षा भी बढ़ने लगी। जिसकी वजह से उनकी चचेरी बहन और चायल से सपा विधायक पूजा पाल के बीच रिश्ते में दूरी भी आ गई।नवाबगंज से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। बसपा विधायक रहे राजू पाल की 2005 में हत्या की गई थी इलाहाबाद पश्चिमी के बसपा विधायक रहे राजू पाल की 25 जनवरी 2005 को सुलेमसराय में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। उनकी पत्नी पूजा पाल कौशांबी की चायल सीट से सपा की विधायक हैं। राजू पाल हत्याकांड में पूर्व सांसद अतीक अहमद व उनके छोटे भाई पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ समेत अन्य लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी। उमेश ��ाल घटना का मुख्य गवाह था। वह राजू पाल की पत्नी पूजा पाल की सगी बुआ का लड़का था। राजू पाल हत्याकांड की जांच CBI ने की थी। इसमें उमेश पाल मुख्य गवाह थे। यही कारण है कि उन्हें कई बार जान से मारने की धमकी मिली थी। राजू पाल की पत्नी विधायक पूजा पाल ने भी कई बार आशंका जताई थी कि गवाही को प्रभावित करने के लिए उमेश पाल की हत्या हो सकती है। उमेश पाल ने भी अपनी जान को खतरा बताया था। हत्याकांड का गवाह बनने के बाद  2006 में हुआ उनका अपहरण शुरू से ही उमेश पाल की आगे पढ़ने की बहुत तमन्ना थी। पैसे कमाने की उनके अंदर जुनून सवार थी। उमेश पाल के जीवन में बदलाव विधायक और उनके चचेरे बहनोई राजू पाल हत्याकांड के बाद आया। हत्याकांड के मुख्य गवाह बने उमेश पाल का साल 2006 में धूमनगंज के झलवा इलाके से अपहरण कर लिया गया था। उमेश पाल ने पूर्व सांसद बाहुबली अतीक अहमद, उसके भाई पूर्व विधायक मोहम्मद अशरफ और अन्य पर अपहरण कर चकिया स��थित अपनी कोठी पर ले जाकर पीटने और गवाही न देने का दबाव बनाने का आरोप लगाया था। 24 फरवरी 2023 को इसी प्रकरण की गवाही के लिए उमेश पाल एमपी एमएलए कोर्ट गए थे। वहां से वापस घर पहुंचे थे, तभी उन्हें गोली मार दी गई। इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत करने वाले उमेश पाल का बचपन भले ही मुफलिसी में बीता हो, लेकिन इस समय वह क्षेत्र के चर्चित शख्सियत में गिने जाते थे। वह फाफामऊ विधानसभा से खुद चुनाव लड़ना चाहते थे। चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने सपा ज्वॉइन की थी। साल 2022 में सपा छोड़ थामा था बीजेपी का दामन साल 2017 से 2021 तक खूब प्रचार भी किया था, लेकिन 2022 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का सिराथू में सभा हुआ। इसमें उमेश पाल बीजेपी में शामिल हो गए थे। उनके जानने वालों का कहना है कि चचेरी बहन सपा में और ये बीजेपी में थे। इस वजह से भाई-बहन में रार आ गई थी। पूजा पाल जहां निवर्तमान विधायक हैं। वहीं, उमेश पाल भविष्य में विधायक की लड़ने की तैयारी कर रहे थे। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि वह राजू पाल हत्याकांड में गवाही देने से भी कतराने लगे थे। सिर्फ अपहरण के मामले में अतीक और अशरफ के खिलाफ मुकदमा लड़ रहे थे। Read the full article
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marketingstrategy1 · 2 years ago
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Uttarakhand Budget 2023:गैरसैंण में 13 से 18 मार्च तक होगा बजट सत्र, कैबिनेट की बैठक में हुआ फैसला - Uttarakhand Budget 2023 In Gairsain From March 13 To 18 Cabinet Meeting Decision Cm Pushkar Singh Dhami
सीएम पुष्कर सिंह धामी – फोटो : अमर उजाला विस्तार ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा में 13 से 18 मार्च तक बजट सत्र होगा। यह फैसला कैबिनेट में लिया गया। कोविड काल के बाद सरकार ने मार्च 2021 में गैरसैंण में बजट सत्र कराया था। 2022 में विधानसभा चुनाव के कारण वहां बजट सत्र नहीं हो पाया था।   नई सरकार के गठन के बाद जून 2022 में बजट सत्र देहरादून विधानसभा में आयोजित किया गया।…
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lok-shakti · 3 years ago
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उपचुनाव 2021 के नतीजे लाइव अपडेट: 3 लोकसभा, 29 विधानसभा सीटों पर वोटों की गिनती आज
उपचुनाव 2021 के नतीजे लाइव अपडेट: 3 लोकसभा, 29 विधानसभा सीटों पर वोटों की गिनती आज
उपचुनाव 2021 के परिणाम लाइव समाचार अपडेट: 30 अक्टूबर को आयोजित 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली में कुल 32 सीटों पर उपचुनाव के लिए वोटों की गिनती मंगलवार को होगी। चुनावी लड़ाई के नतीजे, जिसमें कई राजनीतिक दिग्गजों के बीच करीबी लड़ाई देखी गई, इनेलो नेता अभय चौटाला जैसे प्रमुख उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे, जिन्होंने तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में हरियाणा…
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mrdevsu · 4 years ago
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UP Zila Panchayat Election: आज जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन, जानिए पूरी जानकारी
UP Zila Panchayat Election: आज जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन, जानिए पूरी जानकारी
यूपी जिला पंचायत चुनाव: उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत चुनाव आज, अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए सदस्यता |  सुबह 11:00 बजे से 3:00 बजे तक सदस्यता लें और दोपहर 3:00 बजे के बाद सदस्यता की शुरुआत हो जाएगी, सदस्य की सदस्यता मंत्री | >। Source link
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fastnewshindi · 4 years ago
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Assembly Election Results 2021 Live: चुनावी जीत जश्न पर चुनाव आयोग नाराज
Assembly Election Results 2021 Live: चुनावी जीत जश्न पर चुनाव आयोग नाराज
Assembly Election Results 2021 Live: नई पांच राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव पैटर्न के बीच, कार्यकर्ताओं के बीच उत्सव का माहौल है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस अपनी बढ़त बनाए हुए है। टीएमसी समर्थक सड़कों पर, ढोल नगाड़ों के साथ नाचते गाते हुए अपनी जीत का जश्न मना रहे हैं। कोरोना संकट के बीच, चुनाव आयोग ने पार्टी समारोहों और समारोहों में मजबूत विरोध व्यक्त किया है। भारतीय चुनाव आयोग के अनुसार,…
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24daynews · 4 years ago
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प्रथम चरण में पंचायत चुनाव 2021 71 प्रतिशत मतदान
प्रथम चरण में पंचायत चुनाव 2021 71 प्रतिशत मतदान
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ द्वारा प्रकाशित: विकास कुमार अपडेटेड शुक्र, 16 अप्रैल 2021 12:22 AM IST सार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण में 18 जिलों में गुरुवार को लगभग 71 प्रतिशत मतदान हुआ। कास्टिंग करने के लिए लाइन में खड़े लोग – फोटो: अमर उजाला ख़बर सुनना ख़बर सुनना उत्तर प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के बावजूद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में मतदाताओं ने गांव की सरकार चुनने…
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dainiksamachar · 1 year ago
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भारत के लिए खजाना खोल रहा यह मुस्लिम देश, चुनाव से पहले पीएम मोदी को 'तोहफा' देंगे शेख
दुबई: खाड़ी में करीब 35 लाख भारतीय���ं के दूसरे घर कहे जाने वाले संयुक्‍त अरब अमीरात की सरकार भारत में 50 अरब डॉलर का निवेश करने पर व‍िचार कर रही है। यूएई न केवल लाखों भारतीयों का दूसरा ठिकाना है बल्कि भारत इस मुस्लिम देश का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर भी है। यूएई दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था पर दांव लगाना चाहता है। माना जा रहा है कि यूएई अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारत में 50 अरब डॉलर के निवेश का ऐलान कर सकता है। साल 2014 में पीएम मोदी सत्‍ता संभालने के बाद यूएई के राष्‍ट्रपति शेख मोहम्‍मद बिन जायद के बुलावे पर अब तक 5 बार अबूधाबी की यात्रा पर जा चुके हैं। दरअसल, भारत की सत्‍ता संभालने के बाद पीएम मोदी ने खाड़ी के मुस्लिम देशों के साथ दोस्‍ती को मजबूत करना शुरू किया था। पीएम मोदी की व‍िदेश नीति में यूएई, सऊदी अरब समेत खाड़ी के मुस्लिम देश प्रमुख से शामिल थे। पीएम मोदी के इस कदम के महत्‍व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साल 1981 में इंदिरा गांधी के बाद यूएई जाने वाले वह पहले प्रधानमंत्री थे। आज भारत और यूएई की दोस्‍ती अपने सबसे अच्‍छे दौर में चल रही है और दोनों देश गैर तेल द्विपक्षीय व्‍यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाना चाहते हैं। लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी को तोहफा ! यूएई भारत के इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर प्रॉजेक्‍ट, सरकारी संपत्तियों में 50 अरब डॉलर का निवेश करना चाहता है। माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यूएई भारत में इस भारी भरकम निवेश का ऐलान करेगा। हालांकि अभी कुल निवेश और उसके समय के बारे में कोई फैसला नहीं हुआ है। विश्‍लेषकों के मुताबिक यूएई की नजर भारत में तेजी से बढ़ते मिडिल क्‍लास पर है। यूएई के अलावा सऊदी अरब और कतर से भी भारी भरकम निवेश भारत में किया जा सकता है। दुनिया में जब अमेरिका बनाम चीन को लेकर तनाव बढ़ रहा है, यूएई ने भारत की ओर अपने कदम बढ़ाए हैं और किसी एक देश का पक्ष लेने से इंकार कर दिया है। आज यूएई भारत का एक प्रमुख सहयोगी देश बन गया है। भारत, यूएई, इजरायल के बीच समझौते हुए ताकि व्‍यापार को और बढ़ाया जा सके। यूएई न केवल व्‍यापार और निवेश बल्कि भारत के लिए विदेशी मुद्रा का भी बड़ा स्रोत है। यूएई में साल 2021 में 35 लाख भारतीय रहते थे। यह यूएई की कुल आबादी का करीब 30 फीसदी है। ये भारतीय अरबों रुपये की व‍िदेशी मुद्रा हर साल भारत भेजते हैं। इससे भारत का विदेश मुद्रा भंडार मजबूत रहता है। यूएई में केरल के लोग सबसे ज्‍यादा रहते हैं। भारत के लोग यूएई में हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ रहे हैं। http://dlvr.it/SyHTQX
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