#ओमेगा-3 की कमी के लक्षण
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Finding Best Sexologist Patna, Bihar for Vaginal Dryness Treatment | Dr. Sunil Dubey
महिलाओं में होने वाले योनि की सूखापन या शोष के संबंध में:
महिलाओं में योनि का सूखापन, जिसे योनि शोष या एट्रोफिक योनिशोथ के रूप में भी जाना जाता है, यह एक सामान्य स्थिति है जिसकी विशेषता निम्नलिखित है: -
योनि की नमी में कमी,
योनि के ऊतकों का पतला, नाजुक या भंगुर होना,
दर्दनाक संभोग (डिस्पेरुनिया)
खुजली, जलन या चिड़चिड़ापन
डॉ. सुनील दुबे, विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य (आयुर्वेद में पीएचडी), जो पटना में सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर भी हैं, कहते हैं कि भारत में महिलाओ में योनि का सूखापन की व्यापकता अध्ययन, जनसंख्या और उपयोग किए गए मानदंडों के आधार पर भिन्न-भिन्न होती है। विभिन्न आयु वर्ग की महिलाएँ इस यौन समस्या से प्रभावित होते हैं। भारत में, 20 से 50 वर्ष की आयु की महिलाएँ योनि के सूखापन यौन समस्या से प्रभावित हैं। उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत जैसे सभी क्षेत्रों की महिलाएँ इस आम यौन समस्याओं से पीड़ित हैं।
40 वर्ष की आयु के बाद महिलाओं में योनि का सूखापन यौन समस्या होने की सबसे अधिक संभावना होती है और लगभग 40% महिलाएँ इस यौन विकार से पीड़ित होती हैं। हालांकि, 20 से 24 वर्ष की आयु की महिलाएं भी इस यौन समस्या का होना सामान्य घटना हैं और भारत के महिलाओं में इनका प्रतिशत 20% से अधिक है। उनका कहना है कि इस यौन समस्या का मुख्य रूप से जुड़े कारक रजोनिवृत्ति, हार्मोनल असंतुलन, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, धूम्रपान, शारीरिक गतिविधि की कमी और असंतुलित आहार संबंधी आदतें होती हैं।
महिलाओं में योनि के सूखेपन के सामान्य कारणों के बारे में:
हार्मोनल परिवर्तन: रजोनिवृत्ति (एस्ट्रोजन में कमी), रजोनिवृत्ति के बाद और अन्य कारक।
उम्र बढ़ने: 40 वर्ष की आयु के बाद, जब यौन हार्मोन का स्तर हर साल 1% कम होते जाता है, तब।
चिकित्सा स्थितियां: मधुमेह, थायरॉयड विकार और ऑटोइम्यून विकार होने पर।
दवा: एंटीहिस्टामाइन, डिकॉन्गेस्टेंट और कुछ एंटीडिप्रेसेंट की दवाएं।
जीवनशैली कारक: तनाव, अपर्याप्त जलयोजन, धूम्रपान और एस्ट्रोजन थेरेपी की कमी।
डॉ. सुनील दुबे जो भारत के सबसे सीनियर और अग्रणी क्लिनिकल सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टरों में से एक हैं दुबे क्लिनिक में नित्य दिन अभ्यास करते हैं। दरअसल, वे बिहार के शीर्ष रैंक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर हैं, जहां पुरुष और महिलाएं दोनों अपने-अपने गुप्त व यौन समस्याओं के इलाज के लिए हमेशा दुबे क्लिनिक आते हैं। उनका कहना है कि किसी भी गुप्त या यौन समस्या के लक्षणों को जानना उपचार, दवा और रोकथाम की कुंजी है। इसलिए; हमें हमेशा समस्या के शुरुआती चरण को जानना चाहिए, जहां समस्या व्यक्ति को परेशान करना शुरू करती है। ��क्षणों को जानना ही समस्या की रोकथाम के लिए शुरुवाती कदम है।
महिलाओं में होने वाले योनि के सूखेपन के लक्षण: -
संभोग दर्दनाक व असहनीय होगा।
योनि क्षेत्र में खुजली या जलन होना।
योनि क्षेत्र में सूजन या जलन होना।
संभोग सुख प्राप्त करने में कठिनाई होना।
मूत्र बार-बार आना या असंयम होना।
महिलाओं में योनि के सूखेपन का निदान और आयुर्वेदिक उपचार: -
महिलाओं में होने वाले यौन समस्या योनि के सूखेपन का निदान, रोगी के चिकित्सा इतिहास, शारीरिक परीक्षण, श्रोणि परीक्षा, योनि पीएच परीक्षण और हार्मोनल स्तर परीक्षण पर आधारित होता है। जहां तक उपचार का सवाल है तो महिलाओं में यौन हार्मोन के स्तर को बनाए रखने के लिए एस्ट्रोजन सपोसिटरी, योनि एस्ट्रोजन रिंग, सिस्टम एस्ट्रोजन थेरेपी फायदेमंद होता हैं। गैर-हार्मोनल उपचार के मामले में, योनि मॉइस्चराइज़र इसे नमीयुक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं।
योनि के सूखेपन की इस स्थिति में स्वस्थ यौन जीवन जीने में जीवनशैली में बदलाव करना हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक महिला यौन रोगी को हाइड्रेटेड रहने, विश्राम तकनीकों का अभ्यास करने, नियमित रूप से व्यायाम करने और परेशान करने वाले उत्पादों से बचने की आवश्यकता होती है। आयुर्वेदिक उपचार, चिकित्सा, भस्म, और घरेलु उपाय बिना किसी दुष्प्रभाव के समस्या को जड़ से ठीक कर देते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन ई, एलोवेरा, नारियल तेल और प्रोबायोटिक्स जैसे कुछ प्राकृतिक उपचार है, जो महिला को स्वस्थ यौन जीवन बनाए रखने में मदद करते हैं।
यौन समस्याओं से पूर्ण-कालिक राहत पाने के लिए दुबे क्लिनिक में अपॉइंटमेंट:
दुबे क्लिनिक के निदेशक और भारत के गोल्ड मेडलिस्ट व भारत गौरव अवार्ड से सम्मानित क्लिनिकल सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. सुनील दुबे कहते हैं कि यौन समस्याओं के मामले में, जोड़े (शादी-शुदा लोग) को हमेशा अतिरिक्त सुझावों का भी पालन करना चाहिए। ये अतिरिक्त सुझाव हैं साथी के साथ खुलकर संवाद करना, कामुक गतिविधियों की खोज करना, विश्राम का अभ्यास, युगल चिकित्सा और आत्म-देखभाल को प्राथमिकता देना। ये सभी सुझाव एक-दूसरे की भावनाओं और समस्या को समझने में मदद करते है।
अगर आप योनि के सूखेपन से संबंधित यौन समस्या का सामना कर रहे हैं, तो अपने साथी के साथ व्यक्तिगत मार्गदर्शन, सहायता, उपचार, चिकित्सा और रोकथाम के लिए दुबे क्लिनिक से संपर्क करें। डॉ सुनील दुबे भारत के सबसे अधिक मांग वाले पेशेवर गुप्त व यौन स्वास्थ्य चिकित्सक हैं जो आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान के विशेषज्ञ हैं। उन्होंने अब तक भारत में 4.57 लाख से अधिक गुप्त व यौन रोगियों (पुरुष और महिला) का सफलतापूर्वक इलाज किया है। उनके समर्पित और प्रभावी चिकित्सा -उपचार व सेवाओं के लिए, उन्हें बहुत सारे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शीर्ष-स्तरीय अवार्ड्स से सम्मानित किया गया है। बस दुबे क्लिनिक के साथ अपॉइंटमेंट बुक करें जो सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक फोन पर उपलब्ध है और अपने सबसे भरोसेमंद और अनुभवी सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर से मिलें। एक सही निर्णय और आप रहे हमेशा निरोगी।
सौजन्य सहित:
दुबे क्लिनिक
भारत का प्रमाणित आयुर्वेदा व सेक्सोलोजी क्लिनिक
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350-92586
स्थल: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना-04
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आँखें, जो हमारे जीवन में दुनिया का हर एक रंग भरती है इस लिए उनकी देखभाल बेहद जरूरी है। आजकल हम देखते है की छोटी उम्र से ही बच्चों में आँखों की कमजोरी देखने मिलती है। उसकी सबसे बड़ी वजह है हमारा स्क्रीन टाइम का बढ़ना। आजकाल बच्चे और युवाओं में फोन का ज्यादा इस्तेमाल देखा जाता है और हाल ही में कोविड के बाद वर्क फ्रॉम होम के कारण लैपटॉप का ज्यादा इस्तेमाल करने से आँखें कमजोर हो रही है। इसके अलावा जीवनशैली में परिवर्तन, हमारे खानें में पोषक तत्वों की कमी और आनुवांशिक कारणों से भी आँखें कमजोर हो जाती है। अब सवाल यह है की हम कैसे जान सकते है की हमारी आँखें कमजोर हो रही है और आँखों की रौशनी को तेज करने के उपाय क्या है ?
आँखों की रोशनी कम होने के लक्षण
आँखों में दर्द होना और पानी निकलना
दूर की चीज़े धुंधली दिखाई देना
पढ़ने में दिक्कत होना
कलर – कंट्रास्ट का अंतर समझ न आना
सिरदर्द होना
आँखें लाल होना
किसी भी चीज पर ध्यान केन्द्रित न कर पाना
ज्यादा रोशनी होने पर रंग बिरंगी रोशनी दिखाई देन
आँखों की रोशनी तेज करने के कुछ उपाय
अगर आप ऊपर के किसी लक्षणों का सामना कर रहे है तो यह बेहद जरूरी है की आप आपनी आँखों का ख़ास ख्याल रखें, नीचे लिखें हुए उपायों को अपनाएं और अपने डॉक्टर का संपर्क जरूर करें।
कम से कम दो बार आँखों को ठंडे पानी से धोएं
पढ़ते समय रोशनी का ध्यान अवश्य रखें क्योंकि कम रोशनी में पढ़ने से आँखें ख़राब होती है।
लंबे समय तक कंप्यूटर या फोन की स्क्रीन पर काम न करें। थोड़े थोड़े अंतराल पर आँखें बंध करके उसे आराम दें।
धूल, प्रदूषण, तेज धूप और सूरज की यूवी किरणों से आँखों को बेहद नुकसान होता है, इसलिए जब भी बाहर निकलें अच्छी गुणवत्ता वाले चश्मों का प्रयोग करें।
खाने में विटामिन ए, सी और ओमेगा – 3 फैटी एसिड समेत पोषण युक्त आहार खाईए।
इसके अलावा भी आर्युवेद में कुछ खास नुस़्खें है जिससे आप अपनी आँखों की रोशनी तेज कर सकते है ।
आँखों को तेज करने वाले आर्युवेदिक नुस्खे
आंवले का रस
सर्दियों में मिलने वाला आंवला हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। आंवले में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट पर्याप्त मात्रा में होता है। इसके प्रतिदिन सेवन करने से आँखें तेज होती है और रेटिना अच्छे से काम करती है । इसलिए आप को हर रोज़ सुबह आंवले का रस पीना चाहिए।
गाय का धी
अगर आपको लगता है कि आपकी आँखें कमजोर हो रही है और आप घरेलू नुस्खे अपनाने के बारे में सोच रहे हो तो गाय का घी अक्सीर इलाज है। गाय का घी विटामिन और मिनरल्स से भरपूर है। इसलिए हर रोज़ आपको अपनी आँखों पर घी से हल्की मालिश करनी चाहिए।
भिगोए हुए बादाम
रात भर पानी में भिगो कर रखे हुए बादाम स्वास्थ्य के लिए कई तरह से लाभदायक है ही पर आँखों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। इस लिए अगर आप अपनी आँखों को स्वस्थ रखना चाहते है तो रात को भिगोए हुए बादाम को सुबह पीसकर पानी में मिलाकर पी जाएं। इस के साथ अगर आप किशमिश और अंजीर भी भीगोकर खाइए क्योंकि वह आंखो की रोशनी तेज करने वाले खाद्यपदार्थ माने जाते है।
इसके अलावा सौंफ और मिश्री हमारे शरीर के लिए बेहद ठंडी होती है इसलिए अगर आप बादाम के साथ सौंफ और मिश्री को मिलाकर उसका पाउडर बना लें और उसे हर रोज़ रात को गरम दूध में मिलाकर पीएंगे तो आँखों की रोशनी तेज करने में मदद मिलेगी।
सौंफ
सौंफ हमारे शरीर को ठंडक तो देती ही है, साथ ही उसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट हमारी आँखों की रोशनी को बरकरार रखने में मदद करते है। इस लिए आप सौंफ का शरबत पी सकते है या फिर दूध में एक चम्मच सौंफ पाउडर मिलाकर पीने से आँखों को काफी फायदा होता है।
नियमित व्यायाम करें
जैसे विविध शारीरिक व्यायाम करने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है वैसे ही आँखों के कुछ व्यायाम है जिससे करने से आँखें ज्यादा लचीली बनती है और उनमें रक्तप्रवाह बढ़ता है। जिसके कारण आपकी एकाग्रता भी बढ़ती है। इस लिए दिन में दो बार आँखों का व्यायाम करें। जिसमें अपनी आँखों को बंद करें फिर आँखों को क्लाकवाइज और एन्टीक्लोकवाइज धुमाएं। उसके बाद आँखों को थोड़ा आराम दें और फिर थोड़ी देर आँखें खोले ��र बंद करें क्योंकि इससे आपकी आँखों को आराम मिलेगा।
त्रिफला
आँखों की रोशनी बढ़ाने का आर्युवेद में एक सटीक इलाज है, “त्रिफला”। त्रिफला का नियमित सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए तो अच्छा है ही पर सबसे ज़्यादा वो हमारी आँखों के लिए फायदेमंद है। हर रोज़ सुबह दूध में त्रिफला मिलाकर पीने से हमारी आँखें स्वस्थ रहती है साथ ही आँखों की रोशनी और तेज होती है।
गुलाब जल
गुलाब जल हमारी आँखों को ठंडा रखता है और आँखों को स्वस्थ रखने का बेहद अच्छा आयुर्वेदिक उपाय है। कोटन को गुलाब जल में भिगों कर आँख पर रखने से आँखों में ठंडक रहती है साथ ही अगर आप गुलाब जलनी कुछ बूंदे आँखों में डालते है तो आँखों का कचरा तो साफ हो जाता है साथ ही आँखों की रोशनी भी तेज होती है।
उपसंहार
निंबा नेचर क्योर विलेज, जहॉं आँखों की रोशनी तेज करने के लिए कई होलिस्टिक थेरेपीझ और नेचरोपेथी ट्रीटमेन्ट उपलब्ध हो। हमारें यहॉं कई अनुभवी एक्सपर्ट्स है जो आपको आँखों की रोशनी तेज करने के कई बेहतर उपाय बता सकते है। तो अगर आप आँखों के साथ अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाना चाहते है तो आप निंबा नेचर क्योर विलेज में आएं। जहॉं प्रकृति की गोद में आपको मानसिक शांति मिलेगी और आपको कई शारीरिक तकलीफों से भी मुक्ति मिलेगी ।
Read More:- आँखों की रौशनी तेज करने के लिए आयुर्वेदिक तरीके अपनाए
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पीरियड के दर्द को कम करने का उपाय
हमारे जीवन में कई प्रकार की समस्याएं देखी जा सकती हैं शारीरिक हो या मानसिक। जीवन का एक दौर ऐसा होता है, जब इन समस्याओं से दो-चार कभी ना कभी होना ही पड़ता है। महिलाओं की बात करें,तो उनको भगवान ने एक असीम शक्ति दी है जिसके बलबूते सारे दर्द, गम मे भी मुस्कुरा देती है लेकिन कुछ दर्द ऐसे भी हैं, जो अंदर से तोड़ने का काम करते हैं। उनमें से एक दर्द है पीरियड का दर्द।
क्या है पीरियड | kya hai period
इसे सामान्यतः मासिक धर्म या महावारी के नाम से भी जाना जाता है। यह प्रत्येक महीने होने वाली शारीरिक प्रक्रिया है, जो 10 से 15 साल की लड़कियों में शुरू होती है। पीरियड के दौरान हर महीने अंडाशय से अंडा निकलता है। ऐसे समय में महिला के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन देखे गए हैं यह प्रक्रिया ओव्यूलेशन कहलाती है।
इस समय में अंडा का निषेचन ना हो पाए तो गर्भाशय की परत बाहर की ओर आ जाती है जिसे ही पीरियड कहा जाता है। शुरुआत में इसकी अवधि लंबी हो सकती है लेकिन धीरे-धीरे अपने सामान्य समय चार-पांच दिनों का ही रह जाता है। प्रत्येक महिला की शारीरिक संरचना अलग-अलग होती है, जो प्रायः 21 से 35 दिनों बाद पीरियड होने लगते हैं।
पीरियड के लक्षण | period ke lakshan in hindi
पीरियड के आने पर महिलाओं में कई प्रकार के लक्षण देखे गए हैं
1) पेट के निचले भाग में दर्द होना।
2) कमर दर्द होना।
3) मूड बदलना।
4) खाने का मन ना होना।
5) उल्टी होना।
6) बेचैनी होना।
7) किसी भी काम में मन ना लगना।
पीरियड के दर्द को कैसे किया जा सकता है दूर
कई बार महिलाएं पीरियड के दर्द को बर्दाश्त नहीं कर पाती उन्हें लगातार दर्द की शिकायत रहत�� है। यह दर्द कम या ज्यादा होते रहता है। ऐसे समय में कुछ उपायों के माध्यम से भी दर्द से दूर रहा जा सकता है।
1) अदरक — अदरक कई प्रकार की बीमारियों से लड़ने में मददगार है। ऐसे में अदरक का उपयोग पीरियड के दर्द को कम करने में कर सकते हैं। इसके लिए अदरक को बारीक कूटकर पानी में उबाल लें। जब पानी उबालकर आधा हो जाए तो इसका उपयोग पीने में करें। ऐसा करने पर इस दर्द को दूर किया जा सकता है।
2) अजवाइन — इस दर्द को दूर करने के लिए अजवाइन के पानी को उबालकर पीने से भी दर्द से छुटकारा मिल सकता है।
3) पपीता — ऐसा माना जाता है कि इस दर्द को दूर करने में पपीता भी महत्वपूर्ण होता है। पपीते में पाया जाने वाला एंजाइम पेपेन पेट दर्द से राहत दिलाता है।
4) ��रम पानी की थैली — यह ऐसा दर्द है, जो बार-बार होता रहता है कभी कम कभी ज्यादा। ऐसे में कुछ भी करने का मन नहीं होता तो ऐसे में आप गर्म पानी की थैली बाजार से अवश्य लाए। उस थैली से सिकाई करने पर आपको फायदा होने लगेगा।
5) दूध — ऐसे दर्द से बचने के लिए आपको दूध जरूर पीना चाहिए। दूध में कैल्शियम है, जो इम्यूनिटी को मजबूत कर दर्द से राहत दिलाता है।
6) एलोवेरा — एलोवेरा के औषधीय गुणों की जानकारी हमें हैं। ऐसे में अगर आप एलोवेरा का जूस बनाकर पिए तो निश्चित रूप से इससे फायदा होगा।
7) जैस्मीन — ऐसा भी माना गया है कि जैस्मीन युक्त चाय पी लेने से भी इस दर्द से छुटकारा मिल सकता है।
8) गर्म पानी से नहाना — ऐसे समय में अगर आप गर्म पानी से नहाती हैं, तो आपको अच्छा महसूस होगा और आप इस दर्द को भूल जाएगी।
पीरियड के दर्द को दूर करने के कुछ गुणकारी टिप्स | period ko dur karne ke liye helpful tips
इसके अलावा आप अगर बहुत ही ज्यादा दर्द से बेहाल रहती हैं, तो आप इन टिप्स से भी फायदा ले सकती हैं। अगर हो सके तो आप इन्हें कुछ दिनों पहले से ही शुरू करें।
1) इस दर्द से निपटने के लिए वॉकिंग पर जाएं इससे आपका शरीर एक्टिव होगा। आपने देखा होगा कि आप जितना एक्टिव रहते हैं दर्द उतना ही कम होता है।
2) ऐसे समय में आप ज्यादा भारी खाना ना खाएं हल्का खाना ही बेहतर होगा।
3) अगर आप थोड़ा व्यायाम कर ले इससे भी फायदा होगा। ज्यादा नहीं तो आधा घंटा व्यायाम करना ही सही रहता है।
4) बिस्तर पर लेटने के बजाय खुद को एक्टिव बनाए रखें। कुकिंग करना, पुस्तकें पढ़ना, पेड़ पौधों में पानी देना, घर के छोटे-छोटे काम कर सकती हैं।
5) उस दिन अपने काम जैसे स्कूल, कॉलेज, ऑफिस से छुट्टी नहीं ले। आप अपने काम में जाएंगी तो आपका दर्द कम होगा और शरीर भी गतिशील बना रहेगा।
6) दर्द को कम करने के लिए अपना पसंदीदा म्यूजिक सुन सकती हैं यह आपको नई ताजगी और ऊर्जा देगा।
दही का सेवन भी हो सकता है फायदेमंद
पेट का दर्द असहनीय भी हो जाता है। ऐसे में बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता। ऐसे दर्द में आप दही का सेवन जरूर करें। दही में कई प्रकार के पोषक तत्व कैल्शियम, प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है। दही में लैक्टोबैसिलस लेसिली नामक बैक्टीरिया पाया जाता है, जो किसी भी पेट संबंधी विकार को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में आप भी पीरियड के दर्द को दूर करने के लिए ठंडी दही का उपयोग करें। इससे जरूर आपको फायदा होगा।
इन आहारो से दूर रहे पीरियड के समय
अगर आप पीरियड के दर्द से बेहाल रहती हैं,तो इन आहारो से दूर रहने में आपको फायदा होगा और दर्द से भी छुटकारा मिल सकता है।
1). चीनी –– ऐसा माना जाता है कि महिलाओं और लड़कियों को मीठा खाना पसंद होता है। लेकिन जब आपको पीरियड का दर्द ज्यादा हो रहा हो, तो चीनी युक्त आहारों का सेवन बिलकुल बंद कर दें। ऐसे हार्मोन के साथ साथ चीनी का लेवल बढ़ता घटता रहता है और ज्यादा चीनी लेने से मीठे का स्तर बढ़कर परेशानी कर सकता है ऐसे में कुछ दिन चीनी से दूर ही रहे।
2) वसायुक्त आहार — ऐसे समय में ऐसे आहारो से दूर रहे जिनमें वसा अधिक मात्रा में स्थित हो। वसायुक्त पदार्थ में प्रोस्टाग्लैंडइन पाए जाते हैं, जो मुमकिन है कि इसमें गर्भाशय की दीवारें संकुचित होकर दर्द उत्पन्न करें। ऐसे में आप पौष्टिक आहार लें तो ही बेहतर होगा।
3) नमक — महिलाएं इस बात का अंदाजा नहीं लगा पाती हैं कि ऐसे में नमक का सेवन बहुत ही हानिकारक होता है। नमक में सोडियम ज्यादा मात्रा में होता है जो कहीं ना कहीं नुकसान करता है ऐसे में कोशिश करें कि नमक ,पापड़, चिप्स से दूर ही रहा जाए।
4) काँफी –– अगर आप कॉफी पीने के शौकीन हैं, तो ऐसे में कुछ दिनों के लिए कॉफी पीना छोड़ दे तो फायदेमंद होगा। कॉफी में कैफीन होती है, जो गर्भाशय की दीवारों को संकुचित करके दर्द को बढ़ा देती है। ऐसे में यह पेय पदार्थ नुकसानदायक हो सकता है। ऐसे में पेट में ऐठन की भी समस्या बनी रहती है।
5) प्रोसैस्ड फूड — अगर आप ऐसे समय में प्रोसैस्ड फूड का त्याग कर दें तो आपके लिए सही रहेगा। यह फूड तेल व वसा युक्त होता है, जो परेशानी को बढ़ाने का भी काम करता है।
प्रेगनेंसी टेस्ट कैसे चेक करें
पीरियड में इन आहारो को लेने से होगा फायदा–
1) हरी पत्तेदार सब्जियां — ऐसे समय में कई महिलाएं बहुत हेवी फ्लो का शिकार हो जाती हैं। ऐसे में पूरी संभावना होती है कि शरीर में आयरन और विटामिन की कमी हो जाएं। बहुत अच्छा होगा कि आप हरी पत्तेदार सब्जियां ले जिससे किसी भी प्रकार की कमी शरीर को ना होने पाए।
2) नॉन वेज खाना — अगर आप नॉनवेज खाना पसंद करती हैं, तो यह आपके लिए अच्छा हो सकता है। ऐसे में अगर आप चिकन और मछली का सेवन करें तो फायदेमंद होगा। इसमें भरपूर मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड हैं, जो पीरियड में फायदेमंद है।
3) मेवे — अगर आप ऐसे समय में मेवे जैसे — काजू, बादाम ,अखरोट का सेवन करें तो उसमें उपस्थित मैग्नीशियम, आयरन दर्द को सहने की ताकत देता है।
4) गर्म पानी का सेवन — ऐसे समय में गर्म पानी का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद होगा। गरम पानी संकुचित दीवारों को सही करने का काम करती हैं।
5) केला — केला खाना सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। इससे उर्जा भी प्राप्त की जा सकती है, जो मूड को सही रखने का काम करता है। जब भी आपको पीरियड का दर्द सताए तो केले का सेवन अवश्य रूप से करें।
गर्भावस्था के दौरान बवासीर का घरेलू इलाज
पहली बार पीरियड होने में ले सावधानी
जब भी कोई लड़की 12 वर्ष या उससे ऊपर होती है तो पीरियड आने शुरू हो जाते हैं। शुरु शुरु में तो उन्हें कुछ समझ नहीं ��ता। ऐसे में घर की महिलाओं को भी पूरी सावधानी रखनी चाहिए। इससे संबंधित थोड़ी जानकारी पीरियड के पहले से ही दे दिया जाए तो बेहतर होगा। पहली बार पीरियड होने पर खास ध्यान रखें। ऐसा आहार दें जिससे परेशानी से बचा जा सके। पीरियड से संबंधित किसी भी बात को लड़कियों से ना ही छिपाएं।
समय के हिसाब से आया है बदलाव
अगर प्राचीन समय की बात की जाए तो उस समय महिलाओं के साथ पीरियड के समय बहुत ही भेदभाव किया जाता था। उन्हें जमीन में सोना पड़ता था, किचन में जाने की अनुमति नहीं थी, कोई भी खाद्य सामग्री को छूने की मनाही होती थी, उनके कपड़े बर्तन अलग ही रखा रहता था लेकिन आज के समय में बदलाव देखा गया है। इन सारी दकियानूसी बातों को पीछे कर ���हिलाएं कहीं आगे निकल चुकी हैं। वे हर दर्द को झेलते हुए निरंतर आगे बढ़ रही हैं और प्रगति कर रही हैं।
निष्कर्ष
इस प्रकार से हमने देखा कि पीरियड का दर्द असहनीय है, जो मुश्किलों भरा समय है। हर महीने इस समस्या को झेलना आसान नहीं है। ऐसे में अपना ध्यान रखें और सही दिशा में आहार ले ताकि आप स्वस्थ रह सकें। ऐसे समय में इन उपायों से खुद का ध्यान रखें और आगे बढ़े।
Source : https://www.ghareluayurvedicupay.com/period-ke-dard-ko-kam-karne-ke-gharelu-upay/
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Cow Milk Benefits: गाय का दूध पीने से होते है ये फायदे, सुनकर हैरान हो जाएंगे आप
दूध पीना हमारे सेहत के लिए कितना फायदेमंद है यह तो आप जानते ही हैं। आमतौर पर लोग डेयरी का दूध पीते हैं। दूध पौषण का एक अच्छा स्रोत माना जाता है। साथ ही इसमें कैल्शियम होने से इसको हड्डियों के लिए भी लाभदायक माना जाता है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने घर के आस-पास की पशुशाला या फिर दूध बेचने वाले व्यक्ति से दूध खरीदते हैं। यह दूध गाय का होता है या फिर भैंस का भी हो सकता है। ज्यादातर लोग गाय का दूध पीना ही ��संद करते हैं। गाय के दूध के फायदे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे। गाय के दूध का सेवन करने से स्किन के साथ-साथ पाचन, आंख, टीबी, कैंसर जैसे घतक रोगों से भी लड़ा जा सकता है। माना जाता है कि सुबह अगर एक गिलास दूध पी लिया तो वह आपके शरीर को पूरे दिनभर एनर्जी से भरकर रखता है। गाय के दूध के फायदे अक्सर सभी लोग गिनाते हैं। गाय का दूध नवजात के लिए भी अच्छा आहार माना जाता है। गाय के दूध में विटामिन की मात्रा काफी ज्यादा होती है ऐसा कहा जाता है। इसलिए बच्चे के लिए मां के दूध के बाद गाय का दूध सबसे अच्छा माना गया है। भैंस, बकरी या पैकेट का दूध पीने के बजाए अगर गाय का दूध पिया जाए तो आपको कई फायदे हो सकते हैं-
किसी बच्चे या व्यक्ति के बौद्धिक विकास के लिए गाय का दूध बेहद लाभदायक है, दिमाग के लिए और और दूध इतना फायदेमंद नहीं है जितना गाय का दूध।
गाय का दूध पाचन के लिए बेहतरीन होता है और इसे पचाने में तंत्र को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। यह पाचन तंत्र की समस्याओं में काफी लाभदायक है।
चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए गाय के दूध का प्रयोग किया जा सकता है गाय के कच्चे दूध की चेहरे पर मसाज करने से त्वचा गोरी, चमकदार और बेदाग हो सकती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए भी गाय का दूध काफी फायदेमंद माना जाता है। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार गाय के दूध में प्रोबायोटिक्स पाए जाते हैं। यह ऐसे प्रोबायोटिक्स होते हैं जो इम्यून सेल्स को मजबूत बनाने का कार्य करते हैं जिससे हमारी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो सकती है। इसलिए किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचे रहने के लिए आप गाय के दूध का सेवन कर सकते हैं।
जिन लोगों को बाल झड़ने की समस्या है उनके लिए गाय का दूध काफी फायदेमंद साबित होगा। बाल झड़ने की समस्या तब उत्पन्न होती है जब व्यक्ति के शरीर में विटामिन-डी और जिंक जैसे पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इन पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा गाय के दूध में पाई जाती है। इसलिए गाय के दूध के जरिए उन पोषक तत्वों का सेवन करके बालों को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी और बालों का झड़ना भी काफी हद तक कम हो सकता है।
डिस्लेक्सिया एक ऐसी बीमारी है जो एकाग्रता की कमी कर देती है। इसके लक्षण को इस तरह भी समझा जा सकता है कि इससे ग्रसित लोग किसी भी चीज को पढ़ने में काफी परेशानी का सामना करते हैं। यह एक प्रकार का मेंटल डिसऑर्डर कहा जाता है। गाय के दूध पीने वाले लोग इसकी चपेट में आने से बचे रह सकते हैं। इसका कारण यह है कि इस मस्तिष्क विकार से बचे रहने के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड की जरूरत होती है जो गाय के दूध में पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है।
यह बात तो हम सभी जानते हैं कि हड्डियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए बॉडी में कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए। इस दौरान हमें इस बात का भी खास ख्याल रखना होता है कि कहीं हम तो नहीं कर रहे हैं। वहीं, गाय के दूध में कैल्शियम की सामान्य मात्रा पाई जाती है। इसलिए गाय का दूध अगर नियमित रूप से पीया जाए तो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद मिल सकती है।
गाय का दूध ब्लड सेल्स को बढ़ाने में भी मददगार साबित हो सकता है। बच्चों में रिकेट्स या सूखा रोग हो जाने पर गाय के दूध का इस्तेमाल बादाम के साथ किया जाता है इससे रोग को ठीक करने में फायदा मिलता है।
गाय के दूध में पाया जाने वाला पीला पदार्थ कैरोटीन होता है, जो आंखों की रौशनी बढ़ाता है और आंखों की खूबसूरती को बढ़ाने में भी मदद करता है।
पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी होने पर गाय कर दूध पीना बेहद कारगर उपाय हो सकता है। गाय का दूध वीर्य को गाढ़ा का शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि कर सकता है।
रोजाना गाय के दूध का सेवन करना, टीबी के मरीजों के लिए लाभकारी है। वहीं बुजुर्गों के लिए भी नियमित रात को गाय के दूध का सेवन अच्छा ऑप्शन हो सकता है।
गाय का दूध आपके दिमाग पर काफी असर डालता है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार इस बात की पुष्टि भी की गई है। गाय के दूध में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। यह एक ऐसा पोषक तत्व है जो मानव शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है। इसका सेवन करने से दिमाग की कार्य क्षमता में सुधार होता है और आप दिमाग संबंधित कई प्रकार के विकार से भी बचे रहते हैं। इसलिए आप अपने बच्चों को भी नियमित रूप से गाय का दूध पीने की सलाह दे सकते हैं।
दवाओं और हानिकारक केमिकल्स के कारण शरीर में बनने वाले जहर एवं उसके असर को कम करने में गाय का दूध प्रभावकारी है।
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दिल की बीमारी से बचने के लिए मदद करेंगे ये सुपरफूड, जान लें इनके फायदें
चैतन्य भारत न्यूज दिल से ही तो हमारी धड़कनें चलती हैं और उसी से हम जिंदा हैं इसलिए दिल की देखरेख बहुत जरूरी है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे सुपरफूड जिन्हें खाने के माध्यम से धमनियों को स्वस्थ्य रख सकते हैं और दिल की बीमारी से बच सकते हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); ओट्स- ओट्स शरीर के लिए बहुत अच्छा होता है। ओट्स की उच्च फाइबर सामग्री के कारण, रोजाना ओटमील खाने से आप खून के कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं। बाजरा- बाजरा खराब केलोस्ट्रोल में कटौती करता और उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है। साबुत अनाज- साबुत अनाज में फाइबर होता है जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की अधिकता कम करता है। इसमें मैग्नीशियम भी होता है जो रक्तचाप को अच्छे स्तर तक पहुंचाता है। पालक- पालक में कई गुण होते हैं जो शरीर को स्वस्थ्य रखती है। पालक पोटेशियम, फोलेट और फाइबर से भरपूर होती है जो निम्न रक्तचाप में मदद करती है और धमनी की रूकावट रोकती है। ब्रोकली- इसमें विटामिन K होता है जो धमनी को बंद होने से रोकता है। यह तनाव भी कम करता है। ब्रोकली में सल्फोराफेन भी होता है जो शरीर को प्रोटीन का उपयोग करने में मदद करता है। नट्स- नट्स धमनियों को साफ करने में मदद करते हैं। इनमें अखरोट और बादाम सबसे अच्छे होते हैं। अखरोट ओमेगा-3 फैटी एसिड का अच्छा स्त्रोत है जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। जैतून का तेल- जैतून के तेल में मोनोअनसैचुरेटेड ओलिक एसिड, फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट हैं जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। हल्दी- हल्दी में विटामिन B6 होता है जो होमोसिस्टीन का स्वस्थ स्तर बनाए रखता है। हल्दी धमनियों की परत के नुकसान को भी कम कर देती है। विशेष ध्यानार्थः यह आलेख केवल पाठकों की अति सामान्य जागरुकता के लिए है। चैतन्य भारत न्यूज का सुझाव है कि इस आलेख को केवल जानकारी के दृष्टिकोण से लें। इनके आधार पर किसी बीमारी के बारे में धारणा न बनाएं या उसके इलाज का प्रयास न करें। यह भी याद रखें कि स्वास्थ्य से संबंधित उचित सलाह, सुझाव और इलाज ��्रशिक्षित डॉक्टर ही कर सकते हैं। ये भी पढ़े... आखिर क्या है हार्ट अटैक आने का कारण? जानें इसके लक्षण और बचाव जानिए कैसे होती है शरीर में मिनरल्स की कमी और क्या हैं इसके लक्षण आखिर क्यों मच्छर के काटने से होती है खुजली? आप भी जानिए Read the full article
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Corona Virus Treatment in Hindi
Corona Virus or nCov / कोरोना वायरस की शुरूआत चीन के वुहान शहर से हुई है। कोरोना वायरस एक तरह का संक्रमण है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति पर बड़े आसानी से फैल जाती है। कोरोना वायरस धीरे-धीरे पूरे विश्व में फैल रहा है। कोरोना वायरस क्या है? / What is Corona Virus ? कोरोना वायरस का सम्बन्ध सी.ओ.वी. वायरस केटेगरी से है। जिसे सीवियर एक्यूट रेस्पिरेपरी सिंड्रोम भी कहा जाता है। अकसर मनुष्य शरीर पर 7 तरह के वायरस संक्रमित होते हैं, जिसमें से यह सातवां वायरस है। जिसमें व्यक्ति को सांस ले��े में परेशानी, छाती में जकड़न, जुकाम और बुखार अनियंत्रित रहना है। कोरोना वायरस के एक तरह से निमोनिया जैसा लगता हैं। परन्तु यह शरीर से प्लेटलेटस् कम कर देता। और फेफड़ों को संक्रमित कर रहा है। और सक्रमित व्यक्ति की रोगप्रतिरोधक क्षीण हो जाती है। और कोरोना वायरस में एंटीबायोटिकस दवाईयां काम नहीं कर रही हैं। कोरोना वायरस खासतौर पर जानवरों के सड़न गलन के द्धारा उत्पन्न घातक वायरस है। जोकि इंसानों के लिए घातक है। और यह वायरस इंसानों के अलावा चमगादड, बिल्ली, ऊंट, सूअर जानवरों में भी फैल रहा है। कोरोना वायरस के खास लक्षण / Corona Virus Symptoms
सांस लेने में परेशानी
छाती में जकड़न
फेफड़े संक्रमित होना
तीब्र जुकाम
सूखी खांसी
छींक
नांक बहते रहना
बुखार नियत्रंण में नहीं रहना
शरीर टूटना
चक्कर आना
सरदर्द
उल्टी आना
चलने फिरने जल्दी थकान महसूस होना
इस तरह के लक्षण होने पर पर तुरन्त स्वास्य जांच करवायें। कोरोना वायरस के सावधानियां एवं सुझाव / Corona Virus Prevention Tips
नित्य गर्म पानी पीयें। ठंड़ा पानी सेवन से बचें। गर्म पानी कोरोना वायरस को शुरूआती लक्षण में रोकने में सहायक है।
नाॅनवेज सेवन से बचें। मांसाहारी व्यक्तियों में कोरोना वायरस तेजी से फैलता है।
आपने आस पास स्वच्छ बनाने रखें। गंदगी नहीं फैलने दें।
आईसक्रीम, बंद डिब्बे की खाद्यसामग्री सेवन से बचें। खासकर पैक्ड नाॅनवेज, पुराना अचार आदि।
सड़ी गली चीजें नहीं खायें।
मेडिकल मास्क पहन कर भीड़भाड़ जगहों पर जायें।
हमेशा खाने से पहले हाथों को साबुन से धोएं।
अनावश्यक हाथ मिलाने से बचें।
सामने वाले व्यक्ति से कुछ मीटर की दूरी बनाकर रखें।
छींकने, खांसनें पर रूमाल आदि का इस्तेमाल करें।
साबुन, तौलिया, ब्रश, कपड़े, विस्तर, इलेट्रोनिक गेजेटस आदि दूसरे व्यक्ति के इस्तेमाल करने से बचें।
जानवरों, मर्गी-फार्म हाउस विभिन्न तरह के जन्तुओं की गंद दुर्गंध से बचें।
7-8 घण्टे से ज्यादा फ्रीजर में खाने पीने की चीजें नहीं रखें।
किचंन में अदरक, लहसुन, ईलायची, गर्ममसालों का नित्य इस्तेमाल करें। यह चीजें एक तरह से प्राकृतिक एंटीबायोंटिक, एंटीसेपटिक और एंटीफंगल का काम करती है। शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत बनाये रखी हैं।
बासी भोजन सेवन से बचें।
भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
सर्दी जुकाम खांस�� लक्षण होने पर तुरन्त जांच करवायें।
कोरोना वायरस होने पर क्या करें? / Coronavirus / nCov आंकड़ों अनुसार कोरोना वायरस ग्रसित व्यक्ति पर दवाईयां असर नहीं के बराबर करती हैं। और एंटीबायोटिक दवाईयों भी जल्दी असर नहीं करती है। कोरोना वायरस में चिकित्सकों के लिए ग्रसित व्यक्ति की प्लेटलेटस् कम होने से बचाना और फेफड़ों से संक्रमण कम करना किसी चुनौंती से कम नहीं है। इम्यून सिस्टम में सुधार होने पर समय 30 से 40 दिन तक लग सकते हैं। कोरोना वायरस में प्राकृतिक एंटीबायोटिक लेना अधिक फायदेमेंद है। जोकि ग्रसित व्यक्ति को जल्दी स्वस्थ करने में सहायक है। कोरोना वायरस ग्रसित व्यक्ति के लिए खान पान और घरेलू उपचार / Best Foods for Corona Virus Patients & Home Remedies गर्म पानी पीना पानी उबाल कर पीयें। गर्म पानी पीने से धीरे-धीरे कोरोना वायरस संक्रमंण कम होता है। खूब पानी पीयें। शरीर में पानी कमी नहीं होने दें। पापीता प्लेटलेटस् को नियंत्रण में रखने के लिए पका पपीता खायें। दिन में एक बार पपीते पत्तों का रस पीना फायदेमंद है। गिलोया कोरोना वायरस संक्रमंण को मात देने में गिलाये जूस पीना फायदेमंद है। गिलोया वायरस को कम करने और प्लेटलेटस् को बढ़ाने का अच्छा माध्यम है। गिलोय एक तरह से प्राकृतिक एंटीबोयाटिक है। मूंगदाल कोरोना वायरस में मूंगदाल तरल बनाकर पीना फायदेमंद है। मूंगदाल में 13 तरह के विटामिनस मिनरस मौजूद होते हैं। और मूंगदाल को मरीज आसानी से पाचन भी हो जाती है। अनार और मौसमी जूस कोरोना वायरस होने पर मरीज के अनार और मौसमी का मिक्स जूस पीना काफी फायदेमंद है। यह मिक्स जूस पीने से शरीर को विटामिन ए, बी 5-6, सी, इ, फालिक एसिड, ओमेगा 3-5, राइबोफलेबिन, आयरन इत्यादि तरह के जरूरी पौषक तत्वों की पूर्ति आसानी से हो जाती है। लाल गाजर सलाद और कच्च पपीता सलाद गाजर और कच्चा पपीता सलाद में सेंधा नमक, नीबूं निचैड़कर चबाबचा कर खाना फायदेमंद है। यह मिक्स सलाद सेवन एक तरह से प्लेटलेटस् को नियंत्रण करने और शरीर में रक्त साफ करने का कार्य भी करती है। दवाईयां कोरोना वायरस में Immunodeficiency, Antibiotics & Fever Formulations तरह की दवाईयां इस्तेमाल की जा सकती है। जोकि वायरस असर को धीरे-धीरे कम करती है। वायरस ग्रसिता केे फेफड़े, किड़नी और लिवर फंक्शन को दुरूस्त करेगी और प्लेटलेटस् गिरने से बचाती है। नोट: कोरोना वायरस लक्षण महसूस होने पर तुरन्त चिकित्सक से सम्पर्क करें। समय पर स्वास्थ्य जांच करवायें। जीवन अनमोल है। Corona Virus तेजी से दुनिया को चपेट में ले रहा है। Summary : Corona Virus Treatment in Hindi, कोरोना वायरस, Corona Virus Kya Hai, Hindi Tips for Corona Virus, Corona Virus Jankari, What is Corona Virus, Corona Virus Symptoms, कोरोना वायरस लक्षण, कोरोना वायरस सावधानियां सुझाव / Corona-Virus-Prevention-Tips, कोरोना वायरस व्यक्ति के लिए खान पान, कोरोना वायरस घरेलू उपचार, Corona Virus Home Remedies, Corona Virus rog ke lakshan
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जिलेटिन के फायदे, उपयोग और नुकसान – Gelatin Benefits and Side Effects in Hindi
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जिलेटिन के फायदे, उपयोग और नुकसान – Gelatin Benefits and Side Effects in Hindi
जिलेटिन के फायदे, उपयोग और नुकसान – Gelatin Benefits and Side Effects in Hindi Saral Jain Hyderabd040-395603080 December 24, 2019
जानवरों पर शोध करके उनसे कई प्रकार के फायदेमंद कंपाउंड प्राप्त किए जाते हैं। उन्हीं में से एक जिलेटिन है। आमतौर पर जिलेटिन का उपयोग जेली और गम कैंडी बनाने के लिए किया जाता है। साथ ही इसमें पाए जाने वाले गुणों और पोषक तत्वों की वजह से इसका उपयोग कई बीमारियों को दूर करने के लिए भी किया जाता रहा है। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम जिलेटिन के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। साथ ही हम लेख में जिलेटिन पाउडर के फायदे, उपयोग और नुकसान के बारे में भी जानेंगे। जिलेटिन स्वास्थ्यवर्धक है और यह बीमारियों के कुछ लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। वहीं, संपूर्ण इलाज के लिए डॉक्टर से चेकअप करवाना जरूरी है।
आइए, सबसे पहले जिलेटिन के बारे में जान लेते हैं कि इसे कहां से प्राप्त किया जाता है।
विषय सूची
जिलेटिन क्या है? – What is Gelatin in Hindi
जिलेटिन एक प्रकार का प्रोटीन है, जिसे जानवरों के मांस, हड्डियों व कनेक्टिव टिशू से निकले कोलेजन अर्क से प्राप्त किया जाता है (1)। यह पारदर्शी, स्वादहीन और रंगहीन पदार्थ होता है। जिलेटिन का उपयोग त्वचा की समस्याओं और जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, यह ऑस्टियोअर्थराइटिस (जोड़ों के बीच के तरल का खत्म होना), गठिया, एनीमिया (रेड ब्लड सेल्स की कमी), ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होना) और कमजोर नाखून जैसी कई समस्याओं के लक्षणों को कम करने में कारगर हो सकता है। साथ ही हम बता दें कि इसके इन उपयोगों का कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है। फिर भी जिलेटिन का उपयोग उपरोक्त समस्याओं को दूर करने के साथ ही खाद्य पदार्थों, सौंदर्य प्रसाधनों और दवाइयां बनाने में किया जाता है (2)।
जिलेटिन को जानने के बाद इससे होने वाले फायदों के बारे में चर्चा कर लेते हैं।
जिलेटिन के फायदे – Benefits of Gelatin in Hindi
जिलेटिन में पाए जाने वाले औषधीय गुणों के कारण इसका उपयोग खाद्य पदार्थ के अलावा कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए भी किया जा सकता है। यहां हम स्वास्थ्य के लिए जिलेटिन के कुछ प्रमुख फायदों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
1. वजन कम करने के लिए जिलेटिन के फायदे
जिलेटिन का सेवन वजन को कम करने के लिए मददगार हो सकता है। दरअसल, इसमें प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है। ब्राजील के एक शोध केंद्र के अनुसार, प्रोटीन आसानी से नहीं पचता और इसके सेवन से भूख भी कम लगती है। इससे हर समय कुछ भी खाने-पीने की इच्छा कम होती है, जिससे वजन बढ़ने की प्रक्रिया थम जाती है और धीरे-धीरे वजन कम होने लगता है (3)। जिलेटिन के सेवन से न सिर्फ वजन को नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि इसकी मदद से वजन को कम करने में भी मदद मिल सकती है।
2. जोड़ों के दर्द के लिए (Osteoarthritis)
क्या आप मान सकते हैं कि जेली और अन्य खाद्य पदार्थ में उपयोग होने वाला जिलेटिन जोड़ों के दर्द को दूर करने लिए भी कारगर है? संभवत नहीं, लेकिन यह सच है। एनीसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफार्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध के अनुसार, जिलेटिन में पाया जाने वाला कोलेजन ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार के साथ ही जोड़ों के दर्द में भी मददगार साबित हो सकता है (4)।
3. डायबिटीज को कम करने के लिए जिलेटिन के फायदे
मधुमेह की समस्या बहुत आम हो गई है और लोग इसके उपचार के लिए कई प्रकार के उपाय भी करते रहते हैं। बता दें कि एनआईएच (नेशनल इंस्टिटयूट ऑफ हेल्थ) में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, मछली से प्राप्त होने वाले जिलेटिन में ओमेगा-3 पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड पाया जाता है। यह कई समस्याओं के साथ ही इंसुलिन की सक्रियता को बढ़ाकर टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित करने में कुछ हद तक फायदेमंद हो सकता है (5)। साथ ही ध्यान रहे कि अगर कोई डायबिटीज से पीड़ित है, तो वह डॉक्टर की सलाह पर ही घरेलू उपचार का इस्तेमाल करे और दवा का सेवन करना न छोड़े।
4. नाखूनों के विकास के लिए
अगर नाखूनों का पतलापन, उनका कमजोर और ब��जान होना जैसी नाखूनों की विकास संबंधी समस्या है, तो इन समस्याओं से छुटकारा दिलाने में जिलेटिन फायदेमंद हाे सकता है। जर्नल ऑफ द सोसाइटी ऑफ कॉस्मेटिक केमिस्ट द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार, इसमें पाया जाने वाला अमीनो एसिड न सिर्फ नाखूनों के विकास में सहायक हो सकता है, बल्कि यह नाखूनों की कई समस्या को दूर करने में भी आपकी मदद कर सकता है (6)।
5. दांतों के लिए जिलेटिन के फायदे
स्वस्थ दांतों के साथ ही कैविटी जैसी दांतों की समस्या से बचाए रखने में भी जिलेटिन फायदेमंद हो सकता है। यूएसडीए (यूनाइटेड स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर) के अनुसार, जिलेटिन में प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है (7)। वहीं, एनसीबीआई में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, प्रोटीन को दांतों की कई बीमारियां दूर करने के लिए फायदेमंद माना गया है। यह न सिर्फ कैविटी से दांतों की रक्षा करता है, बल्कि सड़न और बैक्टीरिया की वजह से दांतों के इनेमल को क्षतिग्रस्त होने से भी रोक सकता है (8)। इस कारण यह कहा जा सकता है कि जिलेटिन का उपयोग दांतों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है।
6. अच्छी नींद के लिए
अनिद्रा की समस्या को दूर करने और नींद के समय को बढ़ाने में जिलेटिन लाभदायक साबित हो सकता है। एनसीबीआई में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, इसमें ग्लाइसिन नामक घटक पाया जाता है (9)। वहीं, एक अन्य शोध में जिक्र मिलता है कि ग्लाइसिन का उपयोग चिकित्सकीय विकल्प के रूप में नींद की समस्या को दूर करने के साथ ही नींद की गुणवत्ता में सुधार के लिए भी किया जा सकता है। यह न सिर्फ अनिद्रा की समस्या को दूर कर सकता है, बल्कि नींद को लम्बे समय तक बरकरार रखने में भी मदद कर सकता है (10)।
7. अच्छे पाचन के लिए
पाचन की समस्या को दूर करने के लिए जिलेटिन एक अच्छा खाद्य पदार्थ हो सकता है। एनसीबीआई में प्रकाशित शोध के अनुसार, इसमें पाया जाने वाला टैनिक एसिड न सिर्फ दस्त को दूर करने में मदद कर सकता है, बल्कि उल्टी और आंतों की कई समस्याओं से राहत दिला पाचन में सुधार करने में भी मदद कर सकता है (11)।
8. त्वचा के लिए जिलेटिन के फायदे
स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने के साथ ही जिलेटिन त्वचा संबंधी कई समस्याओं को ठीक करने में भी मदद कर सकता है। यूएसडीए के अनुसार, यह विटामिन-सी और प्रोटीन का अच्छा स्रोत होता है (7)। फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार, स्वस्थ त्वचा और उसके सेल्स को बनाए रखने के लिए प्रोटीन की प्रमुख भूमिका हो सकती है (12)। वहीं, एनसीबीआई की ओर से प्रकाशित शोध के अनुसार, विटामिन-सी त्वचा को संक्रमण से बचाने के साथ ही इसे पर्याप्त पोषण प्रदान कर सकता है (13)।
9. बालों के लिए
बालों के विकास और उनकी सुरक्षा के लिए जिलेटिन फायदेमंद हो सकता है। इसमें प्रोटीन और विटामिन-सी की मात्रा पाई जाती है (7)। प्रोटीन बालों के सूखेपन को दूर करने के साथ ही उन्हें टूटने से रोकता है। वहीं, विटामिन-सी बालों को झड़ने से रोकता है और उन्हें लंबा व घना बनाने में मदद कर सकता है (14)।
जिलेटिन के फायदों को जानने के बाद आगे हम इसके पोषक तत्वों के बारे में बता रहे हैं।
जिलेटिन के पौष्टिक तत्व – Gelatin Nutritional Value in Hindi
जिलेटिन में पाए जाने वाले पोषक तत्व सेहत के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। नीचे तालिका के जरिए जानते हैं इसके पोषक तत्वों के बारे में (7):
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम कैलोरी 381 kcal प्रोटीन 9.52 ग्राम कार्बोहाइड्रेट 0.09 ग्राम शुगर 85.71 ग्राम मिनरल्स सोडियम 357 मिलीग्राम विटामिन विटामिन सी 42.9 मिलीग्राम
पाेषक तत्वों को जानने के बाद अब हम बात करते हैं इसके उपयोग के बारे में।
जिलेटिन का उपयोग – How to Use Gelatin in Hindi
चिकित्सा के क्षेत्र में जिलेटिन पाउडर का उपयोग कैप्सूल को कोटिंग करने और कॉस्मेटिक्स के निर्माण के लिए किया जाता है (2)। इसके अलावा, जिलेटिन को कुछ अन्य तरीकों से भी उपयोग किया जा सकता है, जो इस प्रकार हैं (15):
जिलेटिन पाउडर का उपयोग बाजार में पाई जाने वाली कैंडीज को बनाने के लिए भी किया जाता है।
मार्शमैलो (शुगर की मीठी कैंडी) बनाने में इसका उपयोग किया जाता है।
जिलेटिन के उपयोग से केक को सजाया जा सकता है।
आईसक्रीम बनाने के लिए भी जिलेटिन का उपयोग किया जा सकता है।
कब खा सकते हैं: चूंकि, जिलेटिन रंगहीन और स्वादहीन होता है, इसलिए अगर आप ऐसे ही खाएंगे, तो यह आपके मुंह का स्वाद खराब कर सकता है। इसका उपयोग ऊपर दिए हुए खाद्य पदार्थों के रूप में कभी कर सकते हैं।
कितनी मात्रा में करें उपयोग: इसका उपयोग 10 ग्राम तक प्रतिदिन किया जा सकता है (2)। फिर भी इसकी मात्रा के बारे में एक बार आहार विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है।
जिलेटिन के उपयाेग के बाद जानते हैं इससे होने वाले नुकसान के बारे में।
जिलेटिन के नुकसान – Side Effects of Gelatin in Hindi
जरूरी नहीं कि जिलेटिन फायदेमंद ही रहे। कई बार इसके नुकसान भी देखने में आ सकते हैं। इससे होने वाले नुकसान कुछ इस प्रकार हैं।
जिन लोगों को जिलेटिन से एलर्जी हो उन्हें इससे दूर ही रहना चाहिए। नहीं तो इसके कुछ दुष्परिणाम हो सकते हैं (16)।
दस्त के दौरान जिलेटिन से बने पदार्थों से बचना चाहिए, क्योंकि यह दस्त की स्थिति को बिगाड़ सकता है (17)।
एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, इसका अधिक सेवन लिवर और किडनी से संबंधित समस्याएं पैदा कर सकता है (18)।
इस आर्टिकल के माध्यम से आपने जिलेटिन के उपयोग, फायदे और नुकसान के बारे में जाना। आपने पढ़ा कि क��स प्रकार से जिलेटिन को प्राप्त किया जाता है। साथ ही किस प्रकार से इसका उपयोग खाद्य पदार्थों के साथ-साथ इसमें पाए जाने वाले औषधीय गुणों की वजह से सेहत और त्वचा के लिए भी किया जा सकता है। अगर आपने आर्टिकल को पढ़ कर इसे अपनी डाइट में शामिल करने का मन बना लिया है, तो पहले आपको अपने डॉक्टर से परामर्श कर लेना चाहिए। जिलेटिन की जानकारी बताता यह आर्टिकल आपके लिए किस प्रकार से उपयोगी रहा नीचे दिए कमेंट बॉक्स के जरिए हमें जरूर बताएं। साथ ही अगर आप जिलेटिन के संबंध में कुछ और पूछना चाहते हैं, तो अपने सवान हमारे साथ शेयर कर सकते हैं। हम प्रमाण सहित जवाब देने का प्रयास करेंगे।
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Saral Jain
सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ से पत्रकारिता में बीए किया है। सरल को इलेक्ट्रानिक मीडिया का लगभग 8 वर्षों का एवं प्रिंट मीडिया का एक साल का अनुभव है। इन्होंने 3 साल तक टीवी चैनल के कई कार्यक्रमों में एंकर की भूमिका भी निभाई है। इन्हें फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, एडवंचर व वाइल्ड लाइफ शूट, कैंपिंग व घूमना पसंद है। सरल जैन संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी व कन्नड़ भाषाओं के जानकार हैं।
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आटिज्म के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Autism Causes, Symptoms and Home Remedies in Hindi
बातों को अक्सर भूल जाना, बातों को दोहराना या किसी भी विषय में रुचि न दिखाना, ��े सब आटिज्म की वजह से हो सकते हैं। यह दिमागी विकार है, जिसकी शुरुआत बचपन में ही हो जाती है।
उल्टी रोकने के 12 आसान घरेलू उपाय – Home Remedies to Stop Vomiting in Hindi
जानिए उल्टी रोकने के आसान घरेलू उपायों के बारे में। उल्टी होने के कई कारण हो सकते हैं। इस लेख में हमारे साथ जानिए उल्टी के कारणों को और अदरक, नींबू, सौंफ जैसे कई और घरेलु उपायों के बारे में जो आपको इस समस्या से छुटकारा दिला सकता है…
Source: https://www.stylecraze.com/hindi/gelatin-ke-fayde-upyog-aur-nuksan-in-hindi/
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Best Sexologist Patna, Bihar for FSDD Treatment | Dr. Sunil Dubey
महिला यौन इच्छा विकार (एफएसडीडी) के बारे में:
महिलाओं में होने वाला यौन इच्छा विकार, जिसे महिला यौन रुचि या उत्तेजना विकार (FSIAD) के रूप में भी जाना जाता है, यौन गतिविधि में लगातार रुचि की कमी, आनंद या उत्तेजना का अनुभव करने में कठिनाईयों का सामना और अपर्याप्त नमी या योनि की संवेदनशीलता से जुडी समस्या है। वास्तव में, महिलाओं में होने वाले यह यौन विकार दुनिया भर में किसी भी उम्र की औसतन 25% महिलाओं को उनके यौन जीवन में प्रभावित करता है।
विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य और गुप्त व यौन रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील दुबे, जो पटना में सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट के रूप में कार्यरत हैं, कहते हैं कि महिलाओं में यौन इच्छा विकार (कामेक्षा में कमी व उत्तेजना में दिक्कत) को जन्म देने में कई कारक जैसे यौन शिक्षा का निम्न स्तर, निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति, शादी की अधिक उम्र, अधिक बच्चे और अधिक घरेलू हिंसा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर हम भारत में इस यौन इच्छा विकार के क्षेत्रीय भिन्नता की बात करें, तो ज्यादातर उत्तर और पश्चिम भारतीय महिलाएं इस यौन समस्या से पीड़ित रही हैं। 35 वर्ष से अधिक उम्र की 10 में से तीन महिलाएं इस समस्या से पीड़ित हैं, जबकि 35 वर्ष से कम उम्र की 10 में से 2 महिलाएं इस समस्या से जूझ रही हैं।
महिलाओं में होने वाले यौन इच्छा विकार के सामान्य कारण:
आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान के विशेषज्ञ डॉ. सुनील दुबे ने विभिन्न गुप्त व यौन समस्याओं पर अपना शोध किया है। उन्होंने अपने दैनिक अभ्यास, अध्ययन, शोध, अनुभव और रोगियों के व्यवहार के आधार पर महिलाओं में होने वाले इस यौन इच्छा विकार पर भी अपना शोध किया है। अपने शोध के आधार पर, उन्होंने उनके लिए सबसे प्रभावी आयुर्वेदिक ��िकित्सा-उपचार और दवा की सफलतापूर्वक खोज की है। उनका कहना है कि महिलाओं के यौन जीवन में इस इच्छा विकार के कई कारण होते हैं।
हार्मोनल परिवर्तन: रजोनिवृत्ति और थायरॉयड विकार की स्थिति।
मनोवैज्ञानिक कारक: तनाव, चिंता और अवसाद की स्थिति।
रिश्ते की समस्याएं: संचार और अंतरंगता में कमी।
पिछले अनुभव और आघात: भयानक यौन अनुभव का होना।
चिकित्सा स्थितियां: मधुमेह और उच्च रक्तचाप।
दवा: अवसादरोधी और हार्मोन प्रभावित दवा का इस्तेमाल।
नींद संबंधी विकार: एपनिया या अनिद्रा की स्थिति।
जीवनशैली संबंधी कारक: अत्यधिक धूम्रपान, शराब का सेवन और व्यायाम।
डॉ. सुनील दुबे जो बिहार के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर भी है, कहते हैं कि यौन इच्छा विकार लगभग दैनिक जीवन, मानव व्यवहार और मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है। इस यौन समस्या के कारण, यौन रोगी अपने यौन जीवन में असहज महसूस करता है। यहाँ, इस यौन इच्छा विकार के बहुत सारे लक्षण हैं; इन लक्षणों को जानने और अनुभव करने के बाद रोगी व्यक्तिगत मार्गदर्शन, उपचार, दवा और सहायता के लिए एक नैदानिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर से परामर्श करने का निर्णय आसानी से ले सकता है।
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महिलाओं में होने वाले यौन इच्छा विकार के लक्षण: -
कामेच्छा में कमी का होना।
संभोग सुख प्राप्त करने में कठिनाई होना।
संभोग के दौरान दर्द का अनुभव।
योनि में सूखापन की स्थिति।
योनि की संवेदनशीलता में कमी।
यौन क्रियाकलापों से बचना।
यौन इच्छा विकार के रोगी के लिए निदान और आयुर्वेदिक उपचार: -
मुख्य रूप से, यौन रोग का निदान रोगी के चिकित्सा इतिहास, शारीरिक परीक्षण, मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन, हार्मोन स्तर परीक्षण और नींद के अध्ययन पर आधारित है। डॉ. सुनील दुबे कहते हैं कि यह एक इलाज योग्य यौन समस्या है और आयुर्वेद में सभी प्रकार के यौन रोगियों के लिए 100% सटीक समाधान और उपचार उपलब्ध है। वह दुबे क्लिनिक में अभ्यास करते हैं जो एक प्रमाणित आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी मेडिकल साइंस क्लिनिक है। विवाहित और अविवाहित पुरुष और महिला गुप्त व यौन रोगी अपने-अपने समस्याओं को ठीक करने के लिए इस क्लिनिक में आते हैं। वह उन्हें उनकी समस्याओं का सही कारण जानने में मदद करते है और उपचार और दवा प्रदान करते है।
इच्छा विकार वाले यौन रोगियों के लिए, वह अपना व्यापक आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार प्रदान करते है जो हार्मोन थेरेपी, आयुर्वेदिक दवा, संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी, यौन चिकित्सा, युगल चिकित्सा और कुछ आवश्यक जीवनशैली परिवर्तन सुझावों (व्यायाम, तनाव प्रबंधन तकनीक और आत्म-देखभाल) पर आधारित है। उनका कहना है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन डी, जिनसेंग, मैका और आर्जिनिन अच्छे प्राकृतिक स्रोत हैं और ये सभी प्राकृतिक उपचार इस प्रकार के यौन रोगियों को उनकी समस्याओं को सुधारने में मदद करते हैं।
यदि आप यौन इच्छा विकार के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो व्यक्तिगत मार्गदर्शन, उपचार, दवा और सहायता के लिए किसी अनुभवी यौन स्वास्थ्य देखभाल चिकित्सक या नैदानिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर से परामर्श लें। दुबे क्लिनिक में अपॉइंटमेंट बुक करें जहाँ आपको एक ही बेंच के नीचे संपूर्ण यौन चिकित्सा व उपचार मिलता है। अपॉइंटमेंट फ़ोन पर उपलब्ध है जहाँ पूरे भारत से यौन रोगी फोन पर दुबे क्लिनिक से संपर्क करते हैं और पटना में इस क्लिनिक में जाने के लिए अपनी अपॉइंटमेंट लेते हैं।
अधिक जानकारी:
दुबे क्लिनिक
भारत का प्रमाणित आयुर्वेदा व सेक्सोलोजी क्लिनिक
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350-92586
स्थल: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना-04
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सनस्क्रीन, धूप में बाहर निकलने, हैट पहनने और सनग्लास लगाकर आंखों और त्वचा को धूप के हानिकारक प्रभाव से बचाया जा सकता है। लेकिन इसके अलावा सही आहार लेकर भी आप यूवी किरणों से बच सकते हैं। खाने और पोषण से त्वचा को सूर्य की हानिकारक किरणों से लड़ने में मदद मिलती है इसलिए आपको ऐसे आहार का सेवन करना चाहिए जो सूर्य से त्वचा की रक्षा करे और हमारे शरीर को फायदा पहुंचाए।
धूप में बाहर निकलने से शरीर को विटामिन डी मिलता है जोकि मेटाबोलिक क्रिया और नाखूनों एवं हड्डी के लिए बहुत जरूरी होता है। हालांकि, धूप में बिना किसी सुरक्षा के निकलने की वजह से त्वचा का कैंसर, एजिंग और कई तरह के त्वचा विकारों का खतरा रहता है।
सनस्क्रीन के साथ-साथ अपने आहार में कुछ ऐसी चीज़ों को भी शामिल करें जो आपको धूप और सूर्य की हानिकारक किरणों से बचा सके। तो चलिए जानते हैं उन चीज़ों के बारे में जो आपकी त्वचा को सूर्य की हानिकारक किरणों से बचा सकती हैं।
बीटा कैरोटीन फूड
नारंगी और पीले रंग की सब्जियां और फल इस कैटिगरी में आते हैं। इनमें बीटा कैरोटीन और एंटीऑक्सीडेंट और विटामिंस प्रचुर मात्रा में होते हैं जोकि आंखों और त्वचा को सूर्य से बचाते हैं। बीटा कैरोटीन युक्त फूड जैसे आम, खरबूजा और शकरकंद आदि से सूर्य की किरणों से सुरक्षा पाई जा सकती है। अपनी पसंदीदा प्रोटीन और वैजीज़ में खरबूजे और आम के कुछ स्लाइस डालकर खा सकते हैं।
टमाटर
टमाटर में लाइकोपीन और फ्लेवेनॉल्स प्रचुर मात्रा में होते हैं और इस वजह से टमाटर सूर्य से सुरक्षा प्रदान करता है। बैंगन, ब्लैक बींस और टमाटर फ्लेवेनॉल्स से युक्त होते हैं जोकि सूर्य से त्वचा को बचाने में मदद करते हैं। आप टमाटर का रस या इसे सैंडविच या सलाद में लगाकर अपनी त्वचा को सुरक्षित और खूबसूरत रख सकते हैं।
ऑलिव ऑयल
ऑलिव ऑयल में कई तरह के हैल्दी फैट होते हैं जो त्वचा को क्षतिग्रस्त होने और जलन से बचाते हैं। इसमें हैल्दी ओमेगा 3 भी होता है और विटामिन ई से युक्त ऑलिव ऑयल त्वचा को सुरक्षित रखता है। ऑलिव ऑयल में साबुत अनाज और व्हीट ब्रेड को डिप करके खाएं। होलव्हीट में विटामिन ई की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। होलव्हीट और ऑलिव ऑयल में 100 प्रतिशत विटामिन ई होता है जिसका संबंध सूर्य से त्वचा की रक्षा से होता है। आप ताजी ऑलिव भी खा सकते हैं, इससे भी एक समान ही लाभ मिलता है।
सोया
सोया उत्पादों जैसे टोफू, एदामेम, सोया मिल्क और ��ेंपेह आदि में आइसोफ्लेवोंस होते हैं जोकि त्वचा में कोलाजन के उत्पादन को बढ़ाते हैं और झुर्रियों को कम करते हैं और त्वचा कैंसर से बचने में मदद करते हैं। सोया से प्रचुर उत्पादों को खाने पर कैंसर और अन्य रोगों का खतरा कम हो जाता है जोकि त्वचा कैंसर से बचाने और कोशिकाओं को स्वस्थ रखने में फायदेमंद रहता है।
चॉकलेट
डार्क चॉकलेट ना केवल त्वचा को सूर्य की किरणों से बचाती है बल्कि ये एंटीऑक्सीडेंट्स से युक्त होती है जो दिमाग की शक्ति को बढ़ाकर तनाव को कम करने में मदद करती है। चॉकलेट में फ्लेवेनॉएड्स जैसे एपिकाटेचिन, कैटेचिन, प्रोसियांदिंस होते हैं। ये फ्लेवेनॉएड्स एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करते हैं और सूर्य से त्वचा की रक्षा करने में मददगार साबित होते हैं।
हरी सब्जियां
हरी सब्जियां जैसे पालक, केल और स्विस चार्ड में ऐसे यौगिक मौजूद होते हैं जो सूर्य से रक्षा करते हैं। सब्जी का रंग जितना ज्यादा गहरा हरा होगा उसका फायदा आपको उतना ही ज्यादा मिलेगा क्योंकि इनमें फ्री रेडिकल एंटीऑक्सीडेंट उतने ही ज्यादा होंगें। गर्मी के मौसम में आप हरी सब्जियों का सलाद बनाकर उस पर नीबू निचोड़कर कर और ऑलिव ऑयल की ड्रेसिंग कर अपनी त्वचा को खूबसूरत और चमकदार बना सकते हैं। साथ ही इससे सूर्य की हानिकारक किरणों से बचने में भी मदद मिलती है।
उच्च विटामिन सी युक्त आहार
स्टडी में खुलासा हुआ है कि विटामिन सी शरीर में बनने वाली कैंसर कोशिकाओं को रोकता है और त्वचा में कोलाजन के उत्पादन को बढ़ाता है। इससे एजिंग के लक्षण भी कम हो जाते हैं। स्ट्रॉबेरी, स���तरा और कीवी में विटामिन सी सबसे ज्यादा होता है। एक आउंस कीवी में किसी भी अन्य फल के मुकाबले सबसे ज्यादा विटामिन सी होता है।
ग्रीन टी
ग्रीन टी और ब्लैक टी में उच्च मात्रा में पॉलीफेनॉल्स होते हैं जो यूवी रेडिएशन से त्वचा की रक्षा करते हैं। एक कप ग्रीन टी या सिट्रस और फलों के साथ आईस टी पीने से कैंसर से लड़ने में मददगार एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जा सकते हैं और ये त्वचा को एजिंग से भी बचाते हैं और उसे स्वस्थ और खूबसूरत बनाए रखने में मदद करते हैं। रोजाना दो या इससे ज्यादा कप ग्रीन टी पीने से त्वचा कैंसर का खतरा 30 प्रतिशत तक कम हो सकता है।
ब्रोकली
ब्रोकली और इसके जैसी अन्य सब्जियों जैसे बंदगोभी, ब्रूसेल्स स्प्राउट्स, फूलगोभी और गोक चोय आदि में सल्फोरोफेन मौजूद होता है और ये बात सामने आई है कि ये सभी चीज़ें कैंसर से बचाने में मददगार साबित होती हैं और त्वचा की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल बनाती हैं और सूर्य से होने वाली क्षति से सुरक्षा प्रदान करती हैं। नाश्ते में मछली या ऑमलेट के साथ ब्रोकली खा सकते हैं।
ओमेगा 3 युक्त आहार
त्वचा को ओमेगा 3 फैटी एसिड के बहुत फायदे होते हैं। ये त्वचा में कसाव लाने के साथ-साथ उसे चमकदार और एक्ने मुक्त बनाता है। साथ ही ये सूर्य से भी त्वचा की रक्षा करता है। स्टडी में सामने आया है कि ओमेगा 3 का सेवन करने से खासतौर पर फिश ऑयल सप्लीमेंट के ��ूप में इसे लेने से त्वचा कैंसर का खतरा कम होता है और त्वचा सूर्य से सुरक्षित रहती है। साल्मन, अखरोट, हेंप, फ्लैक्स और चिया के बीजों में ओमेगा 3 प्रचुर मात्रा में होता है।
लाल सेब
रोज़ एक सेब खाने से त्वचा को स्वस्थ और सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाकर रखा जा सकता है। हालांकि, आपको सेब छिलके के साथ खाना होगा। रिसर्च में सामने आया है कि सेब में ऐसे यौगिक मौजूद होते हैं जो त्वचा में कैंसर कोशिकाओं को ब्लॉक कर देते हैं और इस बीमारी को बढ़ने से रोकते हैं। लाल साबुत सेब खा सकते हैं या फिर इसे स्मूदी भी में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
तरबूज
गर्मी में तरबूज ना केवल शरीर में पानी की कमी को दूर करता है बल्कि ये विटामिन सी और ए से भी युक्त होता है और इसमें लाइकोपिन भी होता है। तरबूज का सेवन करने से यूवी रेडिएशन से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। एक कप तरबूज खाने से आपको प्रचुर मात्रा में विटामिन सी और विटामिन ए मिलता है। इसके अलावा तरबूज में लाइकोपिन नामक एंटीऑक्सीडेंट भी होता है जोकि कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है।
बादाम
नट्स और बीजों जैसे बादाम, सूरजमुखी के बीज और पिस्ता आदि में विटामिन ई प्रचुर मात्रा में होता है जोकि सूर्य की किरणों से कोशिकाओं को बचाता है और त्वचा को मुलायम, साफ बनाता है और दाग-धब्बों से दूर रखता है। बादाम में हैल्दी मोनोअनसैचुरेटेड फैट भी पाया जाता है जोकि त्वचा में जलन नहीं होने देता और त्वचा पर पड़ने वाली बारीक रेखाओं और झुर्रियों को दूर करता है। मुट्ठीभर बादाम खाने से एजिंग की प्रक्रिया को काफी हद तक धीमा किया जा सकता है।
ऐसा नहीं है कि आप इन चीज़ों को अपने आहार में शामिल करने के बाद बाहर धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन ना लगाएं। इन खाद्य पदार्थों से त्वचा सुंदर दिखती है और कोशिकाएं स्वस्थ और मजबूत रहती हैं। त्वचा को सूर्य से होने वाली क्षति को कम कर त्वचा कैंसर से भी बचा जा सकता है।
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Tulsi ke Fayde | तुलसी के 29 बेहतरीन फायदे हिंदी में | Holy Basil
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Tulsi ke Fayde | तुलसी के 29 बेहतरीन फायदे हिंदी में | Holy Basil
Holy Basil / Tulsi ke Fayde – आज इस लेख में तुलसी के गुण और उसके फायदे के बारे में जानेंगे। आयुर्वेद में इसे बेहतरीन औषधि के रूप में जाना जाता है। तुलसी का शाब्दिक अर्थ “अतुलनीय पौधा” होता है। भारत में इसका उपयोग प्राचीन काल से होता आ रहा है। भारत में तुलसी की पूजा भी की जाती है। यह कई प्रकार के रोगों से बचाता है। रोजाना नियमित रूप से इसका सेवन किया जाये। जीवनभर रोग मुक्त रहेंगे।
Tulsi ke fayde – तुलसी का पौधा झड़ी के रूप में उगता है। इसकी ऊंचाई लगभग 1 से लेकर 3 फूट तक होता है। इसका वैज्ञानिक नाम “ऑसिमम सैक्टम” है। इसके पत्तियों का आकार आयताकार या अंडाकार दोनों तरह की होती है। इसकी पत्तियां लगभग 1 से 2 इंच लम्बी होती है। साथ ही साथ सुगंधित भी होती है। तुलसी निम्न प्रजाति पाई जाती है। जो इस प्रकार है –
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1 ऑसिमम वेसिलिकम मिनिमम। 2 ऑसिमम वेसिलिकम (मरुआ तुलसी) । 3 ऑसिमम अमेरिकन (काली तुलसी) । 4 ऑसिमम किलिमंडचेरिकम (कर्पुर तुलसी) । 5 ऑसिमम ग्रेटीसीकम (वन / राम तुलसी) । 6 ऑसिमम विरिडी। 7 ऑसिमम सैक्टम।
Tulsi ke Fayde | तुलसी के बेहतरीन फायदे हिंदी में | Holy Basil
Tulsi ke fayde in Hindi – भारत में ऑसिमम सैक्टम को पवित्र माना जाता है। ऑसिमम सैक्टम की 2 मुख्य प्रजाति होती है। पहला कृष्णा तुलसी और दूसरा श्री तुलसी। अगर गुण के दृष्टी से देखा जाये। तो काली तुलसी श्रेष्ट होती है। तुलसी इतना लाभकारी होता है। इसका उपयोग किसी न किसी रूप में होमियोपैथी, यूनानी और ऐलोपैथी इत्यादि में किया जाता है।यह वातावरण को शुद्ध करने का भी काम करता है। ज्यदातर हिन्दू परिवारों के घरों के आँगन में या मुख्य द्वार पर तुलसी का पौधा लगाया जाता है। क्यूंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है।
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Holy Basil Benefits in Hindi – यह विश्व का बेहतरीन एंटी-ऑक्सीडेंट है। साथ ही साथ इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी जैसे तत्व पाए जाते है। इसे संजीवनी बूटी के समान बोलना गलत नहीं होगा। सिर्फ तुलसी का पत्ता ही फायदेमंद नहीं होता है। बल्कि तुलसी की शाखाए, जड़ और बीज भी फायदेमंद होता है। यह विभिन्न बिमारियों का रामबाण इलाज है। यह कम कैलोरी वाली जड़ी-बूटी है।
Basil Nutrition in Hindi – इसमें कई सारे पोषक पाए जाते है। जैसे – आयरन, ओमेगा-3 फैट्स, कैल्शियम, मैग्नीशियम, कॉपर, विटामिन ऐ, विटामिन सी और विटामिन के इत्यादि। तो चलिए जानते है – “Holy Basil ke fayde“
Basil Benefits in Hindi | तुलसी के फायदे | Tulsi ke Fayde
1. Tulsi ke Fayde | Holy Basil Benefits
त्वचा के लिए फायदेमंद – तुलसी का सेवन नियमित रूप से करें। उसके साथ-साथ इसका लेप चेहरे पर लगाये। आप चाहे तो निम्बू का रस भी मिला सकते है। इससे त्वचा का रंग निखरेगा और झाइयां की समय दूर हो जाएगी। क्यूंकि इसमें थाईमोल तत्व होता है, जो त्वचा की समस्या से छुटकारा दिलाता है।
2. Holy Basil Benefits | Tulsi ke Fayde
शीघ्रपतन की समस्या में फायदेमंद – शारीरिक कुछ कमी के कारण जब पुरुषों में शीघ्रपतन की समस्या होने लगती है। शीघ्रपतन से पीड़ित लोग तनाव के शिकार हो जाते है। हालाँकि मानसिक कमजोरी के कारन भी शीघ्रपतन की समस्या होती है। ऐसे में तुलसी आपके बहुत काम का साबित हो सकता है। गाय के गुनगुने दूध के साथ तुलसी के बीज का सेवन करें। आपको अत्यंत फायदा होगा।
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यह भी अवश्य पढ़े: शीघ्रपतन का घरेलू उपचार हिंदी में।
3. Tulsi ke Fayde | Holy Basil Benefits
यौन समस्या में लाभकारी – तुलसी न सिर्फ सेक्स क्षमता में वृद्धि करता है। उसके साथ-साथ नपुंसकता की समस्या को भी दूर करता है। इसीलिए नियमित रूप से तुलसी के बीज (Tulsi Seeds) का रोजाना सेवन करें। यौन समस्या से छुटकारा मिलेगा।
इसे भी अवश्य पढ़े : सेक्स क्षमता बढ़ाने वाले फ़ूड की जानकारी हिंदी में।
Basil Benefits in Hindi / तुलसी के फयदे / Tulsi ke fayde
4. Holy Basil Benefits | Tulsi ke Fayde
गर्भधारण की समस्या का उपचार – जिन महिला��ं को गर्भधारण करने में परेशानी होती है। उनके लिए तुलसी बहुत ही फायदेमंद होता है। जब मासिक चक्र आ जाये। तब तुलसी के बीज लगभग 5 ग्राम पानी के साथ सेवन करें। ऐसा सुबह और शाम करें और जबतक पीरियड्स रहे, तबतक करें। जब पीरियड्स ख़त्म हो जाये। तब लगभग 10 ग्राम माजूफल का चूर्ण पानी के साथ सेवन करें। ऐसा 3 तक करें, आपको फायदा होगा।
इसे भी जरुर पढ़े : जल्दी गर्भधारण करने के घरेलु उपाय हिंदी में।
5. Tulsi ke Fayde | Holy Basil Benefits
अनियमित माहवारी की समस्या का इलाज – हर्मोंन्स में गड़बड़ी होना की वजह से अनियमित माहवारी की समस्या होने लगती है। इस परेशानी में तुलसी का बीज फायदेमंद होता है। इससे आपकी मासिक चक्र की अनियमितता दूर हो जाएगी।
6. Holy Basil Benefits | Tulsi ke Fayde
आँखों की परेशानी का उपचार – आँखों की कई समस्या के लिए तुलसी फायदेमंद होता है। जिन्हें रतोंधी की शिकायत है। उन लोगो लगातार 2 सप्ताह तक 2-2 बूंद तुलसी के पत्ते का रस डालने से लाभ मिलता है। ऐसा करने से रतोंधी की समस्या दूर हो जाएगी। साथ ही साथ आँखों का लालपन और पीलापन भी दूर हो जाता है। आप चाहे तो तुलसी के पत्ते का रस का बना काजल तैयार कर लें। इस काजल को लगाने से आँखों की रौशनी में इजाफा होगा।
Benefits of Tulsi in Hindi – Holy Basil ke fayde
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7. Tulsi ke Fayde | Holy Basil Benefits
हृदय की समस्या का इलाज – दिल को हेल्थी रखना चाहते है। तब नियमित रूप से तुलसी का सेवन करें। सबसे पहले लगभग 10 तुलसी के पत्ते लीजिये। अब उसमे 4 बादाम और 5 काली मिर्च मिलाकर पीस लीजिये। फिर उसमें शहद मिला लें। अब पानी के साथ सेवन करें। आपको फायदा होगा।
यह भी जरुर पढ़े : दिल को स्वस्थ्य रखने के कुछ बेहतरीन उपाय।
8. Holy Basil Benefits | Tulsi ke Fayde
टीबी और दमा की समस्या का उपचार – जो लोग रोजाना सही रूप से तुलसी के पत्ते का सेवन करते है। उन लोगो दमा और टीबी की शिकायत नहीं होता है। यह उन जीवाणु को बढ़ने से रोकता है, जो दमा और टीबी को बढ़ाता है। सबसे पहले अदरक, तुलसी का पत्ता और शुद्ध शहद मिलाकर काढ़ा तैयार कर लें। अब रोगी को यह काढ़ा पिलाये। इससे दमा और टीबी की समस्या से राहत मिलेगी।
इसे भी अवश्य पढ़े : दमा से बचने के घरेलु उपचार हिंदी में। यह भी अवश्य पढ़े : टी.बी. रोग का अयुर्बेदिक उपचार हिंदी में।
9. Tulsi ke Fayde | Holy Basil Benefits
उच्च रक्तचाप की समस्या का इलाज – हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) के रोगियों की संख्या दिन बी दिन बढ़ते जा रही है। तुलसी का सेवन आपके लिए लाभकारी होगा। सबसे पहले 4 तुलसी का पत्ता और 2 नीम का पत्ता लीजिये। अब इन पत्तों का रस निकाल लीजिये। अब लगभग 3 से 4 चम्मच पानी के साथ रस का सेवन करें। ऐसा सुबह खली पेट करें, फायदा मिलेगा।
इसे भी जरुर पढ़े : उच्च रक्तचाप की समस्या का घरेलु समाधान हिंदी में।
Basil Benefits in Hindi | तुलसी के अनोखे फायदे | Tulsi ke Fayde
10. Holy Basil Benefits | Tulsi ke Fayde
मलेरिया की बीमारी का उपचार – मलेरिया से हर साल हजारो लोगो की जान चली जाती है। बरसात के मौसम यह समस्या ज्यादा उत्पन्न होती है। तुलसी के प्रयोग से मलेरिया जैसे रोग से बचा जा सकता है। लगभग 4 खड़ी काली मिर्च और 11 तुलसी के पत्ते के साथ मिलाकर सेवन करें। आपको अत्यंत लाभ मिलेगा।
यह भी अवश्य पढ़े : मलेरिया के लक्षण और उपचार की जानकारी हिंदी में।
11. Tulsi ke Fayde | Holy Basil Benefits
कुष्ठ रोग की समस्या का इलाज – कुष्ठ रोग की समस्या में तुलसी का प्रयोग लाभकारी होता है। रोगी को तुलसी के पत्ते का रस पिलाये। इसके अलावा सौंठ और तुलसी के पौधे के जड़ को मिलाकर पीस लें। अब इस मिश्रण को प्रतिदिन कुष्ठ रोगी को पिलाए। घरों के आस-पास तुलसी का पौधा जरुर लगाये। इससे आस-पास के लोगों में कुष्ठ रोग होने की सं���ावना कम हो जाती है।
12. Holy Basil Benefits | Tulsi ke Fayde
किडनी की पथरी का उपचार – तुलसी उन लोगो के लिए लाभकारी होता है। जो किडनी में पथरी की समस्या से जूझ रहे है। सबसे पहले तुलसी के पत्ते को पानी में डालकर अच्छे से उबाले। फिर छानकर ठंडा करके, उसमें शुद्ध शहद मिलाकर रोगी को पिलाये। ऐसा रोजाना लगभग 6 महीने तक करें। इससे आपको फायदा होगा।
यह भी जरुर पढ़े : किडनी की पथरी (Kidney Stone) का आयुर्वेदिक इलाज हिंदी में।
Tulsi ke Fayde | तुलसी के 29 बेहतरीन फायदे हिंदी में | Holy Basil
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13. Tulsi ke Fayde | Holy Basil Benefits
माइग्रेन की समस्या का इलाज – Tulsi सिर के पुराने से पुराने दर्द को भी ठीक कर सकता है। जिन लोगो हमेशा सिर में दर्द रहता है। उन्हें तुलसी का काढ़ा पिलाना चाहिए। इसके अलावा 1 चम्मच शहद में ¼ तुलसी के पत्ते का रस मिलाकर पीने से लाभ मिलेगा। इससे साइनस और माइग्रेन जैसे रोग में आराम मिलता है।
14. Holy Basil Benefits | Tulsi ke Fayde
बुखार का उपचार – तुलसी सभी तरह के बुखार में लाभकारी होता है। बुखार रहने पर यह उपाय जरुर अपनाये, लाभ मिलेगा। सबसे पहले 10 काली मिर्च और 20 तुलसी के पत्ते लीजिये। अब मिलाकर इसका काढ़ा तैयार कर लीजिये। इससे आपको बुखार की समस्या से राहत मिलेगी।
15. Tulsi ke Fayde | Holy Basil Benefits
गठिया अथवा जोड़ों के दर्द का इलाज – जोड़ो के दर्द और गठिया की समस्या में तुलसी का प्रयोग करना लाभकारी होता है। तुलसी की पत्ती, जड़, फल, डंठल और बीज इत्यादि इन सभी को समान मात्रा में मिलाकर इसका चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण में पुराना गुड़ मिला लें। अब इस मिश्रण गोली तैयार कर लें। 1-1 गोली का वजन 10 से 12 ग्राम की होनी चाहिए। अब बकरी के दूध के साथ सुबह और शाम सेवन करें। इससे गठिया की परेशानी दूर हो जाएगी। जोड़ो के दर्द से भी आराम मिलेगा।
यह भी अवश्य पढ़े : गठिया की बीमारी का आयुर्वेदिक उपचार हिंदी में।
Tulsi Benefits in Hindi | तुलसी के फायदे | Basil ke Fayde
16. Holy Basil Benefits | Tulsi ke Fayde
सांप के काटने का उपचार – अगर किसी व्यक्ति को सांप ने काट लिया है। तब उस व्यक्ति जल्दी तुलसी का सेवन कारन चाहिए। और जिस जगह पर सांप ने काटा है। तुलसी के जड़ का बना लेप लगाये। लेप बनाने के लिए तुलसी के जड़ को पीसकर उसमें शुद्ध घी मिलाये। यह जहर खीचने का काम करता है।
17. Tulsi ke Fayde | Holy Basil Benefits
जुकाम और खांसी का इलाज – खांसी अथवा जुकाम होने पर तुलसी का उपयोग करें। तुलसी का काढ़ा बना लें। अब उस काढ़े को चाय की तरह पीजिये। आपको तुरंत फायदा मिलेगा। इसके अलावा प्रतिदिन सुबह-सुबह खली पेट 4 से 5 पत्ते खाने से मौसमी रोग न के बराबर होते है। आप चाहे तो तुलसी के साथ अदरक को भी चबाये। गले की खराश दूर करने के लिए चाय के पत्तियों के साथ तुलसी के पत्ते को उबालकर पिए, फायदा होगा।
इसे भी अवश्य पढ़े : खांसी का घरेलु इलाज की जानकारी हिंदी में।
18. Holy Basil Benefits | Tulsi ke Fayde
कमर दर्द का उपचार – अक्सर माहवारी के समय महिलाओं में कमर दर्द की शिकायत रहती है। प्रतिदिन तुलसी का रस 1 चम्मच पीने से यह शिकायत दूर हो जाएगी। जो महिलाए रोजाना तुलसी का सेवन करती है। उन्हें पीरियड्स के दौरान कमर दर्द की शिकायत नहीं होती है।
यह भी अवश्य पढ़े : कमर दर्द का आयुर्वेदिक इलाज की जानकारी हिंदी में।
Basil Benefits in Hindi – तुलसी (Tulsi) के 29 अनोखे फायदे की जानकारी हिंदी में
19. Tulsi ke Fayde | Holy Basil Benefits
मुंह के अल्सर का इलाज – Tulsi मुंह के अल्सर के लिए रामबाण इलाज है। तुलसी के पत्ते के सेवन से मुंह के अल्सर की समस्या नहीं होती है। इसके अलावा छाले पर रस लगाये। इससे आपको लाभ मिलेगा।
यह भी अवश्य पढ़े : मुंह के अल्सर का आयुर्वेदिक उपचार हिंदी में।
20. Holy Basil Benefits | Tulsi ke Fayde
खुजली और त्वचा के संक्रमण का उपचार – दाद, खुजली और अन्य त्वचा के संक्रमण में तुलसी का उपयोग फायदेमंद होता है। प्रतिदिन सही रूप से तुलसी का सेवन करें। इसके अलावा त्वचा के प्रभावित भाग में तुलसी का अर्क लगाये। आपको फायदा होगा।
इसे भी जरुर पढ़े : खुजली की समस्या का उपचार हिंदी में।
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21. Tulsi ke Fayde | Holy Basil Benefits
चोट का घरेलु इलाज – यह एक तरह का बेहतरीन एंटी-बैक्टीरियल होता है। इसके सेवन से यह शरीर को रोग से लड़ने की ताकत देता है। इसके रोजाना नियमित रूप से सेवन करने से रक्त साफ़ होगा। जिससे जख्म इत्यादि नहीं होंगे। इसके लेप को घाव पर लगाने से, घाव जल्द भरने लगता है।
22. Holy Basil Benefits | Tulsi ke Fayde
जली त्वचा का उपचार – Holy Basil त्वचा की जलन को कम करने का काम करता है। इसे जली हुई त्वचा के लिए रामबाण इलाज कह सकते है। नारियल का तेल और तुलसी का रस मिलाकर जली हुई त्वचा पर लगाये। इससे जलन तो कम होगी। साथ ही साथ निशान भी हल्का पड़ने लगेगा।
तुलसी के 29 बेहतरीन फायदे और लाभ की जानकारी हिंदी में
23. Tulsi ke Fayde | Holy Basil Benefits
मुंहासे की परेशानी का इलाज – रोजाना तुलसी का सेवन करे। यह रक्त मौजूद अशुद्धियों को दूर करता है। जिससे खून साफ़ हो जाता है। और मुंहासे यानी पिम्पल की समस्या नहीं होगी। यह त्वचा की रंगत को भी निखरता है। इसीलिए प्रतिदिन तुलसी का सेवन करें।
इसे भी अवश्य पढ़े : मुहांसे का घरेलु इलाज हिंदी में।
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24. Holy Basil Benefits | Tulsi ke Fayde
मुंह के कैंसर का उपचार – अगर आप तुलसी का सेवन रोजाना नियमित रूप से करते है। तब मुंह का कैंसर होने की संभावना न के बराबर होती है। इसीलिए जो लोग गुटका और तम्बाकू को नहीं छोड़ पा रहे है। उन्हें प्रतिदिन तुसली के पत्ते का सेवन करना चाहिए।
25. Tulsi ke Fayde | Holy Basil Benefits
उल्टी की समस्या का इलाज – Basil के प्रयोग से उल्टी की समस्या से छुटकारा मिलेगा। सबसे पहले तुलसी के पत्ते का रस, छोटी इलायची और अदरक का रस बराबर मात्रा में मिला लें। अब इस मिश्रण का सेवन करें। इससे उल्टी की परेशानी दूर हो जाएगी।
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26. Holy Basil Benefits | Tulsi ke Fayde
मुंह की दुर्गन्ध का उपचार – सांसों से दुर्गन्ध का निकलना, शर्मिंदगी का कारण बन सकता है। लोग आपसे बात करने नहीं चाहेंगे। इसका आपके व्यक्तित्व पर बुरा असर पड़ेगा। तुलसी मुंह की बदबू को दूर करने का उत्तम उपाय है। रोजाना तुलसी के पत्ते को चबाये। यह मुंह के संक्रमण को दूर करता है। इसके अलावा सरसों के तेल में तुलसी की सुखी पत्ती को मिलाकर, दांत को साफ़ करें। इससे मुंह से दुर्गन्ध की परेशानी दूर हो जाएगी।
इसे भी अवश्य पढ़े : मुंह की बदबू दूर करने का बेहतरीन घरेलु नुस्खा हिंदी में।
29 Tulsi ke fayde | तुलसी के अनोखे फायदे | Holy Basil Benefits in Hindi
27 Tulsi ke Fayde | Holy Basil Benefits
दस्त की परेशानी का इलाज – दस्त की समस्या में तुलसी का उपयोग लाभकारी होता है। दस्त होने पर आपको बार-बार टॉयलेट जाना पड़ता है। इस समस्या से को दूर करने के लिए शहद के साथ भुने जीरे और तुलसी के पत्ते का सेवन करें। ऐसा दिन में 2 से 3 बार करें, फायदा होगा।
यह भी अवश्य पढ़े : दस्त की समस्या का घरेलु उपचार की जानकरी हिंदी में।
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28. Holy Basil Benefits | Tulsi ke Fayde
तनाव की समस्या का उपचार – तनाव होने का मुख्य कारन है, आज के समय की लाइफस्टाइल। लोग छोटी-छोटी बातों में तनाव में आ जाते है। तुलसी में तनावरोधी गुण होता है। तुलसी के पत्ते का सेवन प्रतिदिन करें। यह मानसिक मजबूती देता है।
इसे भी जरुर पढ़े : तनाव को दूर करने का कुछ सरल उपचार हिंदी में।
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|धन्यवाद|
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आखिर क्या होती है वीगन डाइट? जिसे फॉलो करने का चल रहा है ट्रेंड, जानें इसके फायदे और नुकसान
चैतन्य भारत न्यूज दुनियाभर में पिछले काफी समय से 'वीगन डाइट ट्रेंड' चल रहा है। भारत में भी कई लोग वीगन डाइट के समर्थन में हैं और इसे अपना रहे हैं। बता दें वीगन डाइट वेजिटेरियन डाइट से भी एक कदम आगे है। यह एक ऐसी शाकाहारी डाइट है जिसमें लोग पशु या उनके उत्पाद को नहीं खाते हैं। वीगन डाइट को फॉलो करने वाले लोग दूध या उससे बने उत्पाद, अंडे, मांस जैसी किसी भी चीज को अपने भोजन में शामिल नहीं करते। यहां तक कि कई लोग शहद का भी सेवन नहीं करते। वीगन डाइट वाले लोग सिर्फ सब्जियां, फल, ड्राय फ्रूट्स और अनाज को ही अपने भोजन में शामिल करते हैं। वीगन डाइट में कहां से मिलता है प्रोटीन? वीगन डाइट फॉलो करने से पहले अक्सर मन में यह सवाल उठता है कि इसमें प्रोटीन कहां से मिलता है? खासतौर से इस डाइट को फॉलो करने वाले लोग अपने शरीर में कैल्शियम और प्रोटीन की कमी कैसे पूरी करते हैं? बता दें वीगन डाइट फॉलो करने वाले लोग प्रोटीन के लिए सोया, टोफू, सोया मिल्क, दालों, पीनट बटर, बादाम आदि पर निर्भर रहते हैं। इसके अलावा इन्हें कैल्शियम हरी पत्तेदार सब्जियों, टोफू और रागी के आटे इत्यादि से मिलता है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); वीगन डाइट से होने वाले फायदे स्वस्थ बनता है दिल रिपोर्ट्स के मुताबिक, वीगन डाइट से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होता है। दरअसल इसमें अधिकांश फैट हेल्दी सोर्स जैसे नारियल, फलियों, एवोकैडो आदि से हासिल होता है। जानवर और डेयरी प्रोडक्ट से मिलने वाला अधिकांश फैट बैड कोलेस्ट्रॉल उत्पन्न करता है। ऐसे में वीगन डाइट को फॉलो करने वाले लोग बैड कोलेस्ट्रॉल से बचे रहते हैं और उनका दिल भी स्वस्थ बना रहता है। बीपी का खतरा कम वीगन डाइट पर हुई एक रिसर्च के मुताबिक, इस डाइट को फॉलो करने वाले लोगों में कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम हो जाता है जिससे ब्लड प्रेशर की समस्या भी कम होती है। इसके अलावा टाइप-2 डायबिटीज और किडनी के मरीजों के लिए भी इस डाइट को फॉलो करना बेहतर माना जाता है। वजन घटाने में असरकारक वजन घटाने के लिए वीगन डाइट को फॉलो करना अच्छा विकल्प है। दरअसल वीगन डाइट में आपको ऐसी कई खाने की चीजें अपनी लाइफस्टाइल से हटानी पड़ती हैं जो वजन बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। जैसे कि प्रोसेस्ड फूड, हाई-फैट डेयरी प्रोडक्ट, हाई-फैट प्रोटीन आदि। कैंसर से बचाव अन्य डाइट के मुकाबले वीगन डाइट में एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा कहीं ज्यादा होती है। बता दें एंटीऑक्सीडेंट्स पर्यावरण में प्रदूषण और गलत खानपान के कारण हमारे शरीर में पैदा होने वाले फ्री-रेडिकल्स से हमारे सेल्स की रक्षा करते हैं। ऐसे में वीगन डाइट फॉलो करने वाले लोगों में प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और कोलोन कैंसर जैसे और भी कई तरह के कैंसर होने की आशंका बहुत कम हो जाती है। वीगन डाइट से होने वाले नुकसान वीगन डाइट फॉलो करने वाले लोगों के लिए सबसे बड़ा नुकसान यह है कि अगर इसे ठीक तरह से फॉलो नहीं जाए तो इससे शरीर को पर्याप्त पोषण मिलने में दिक्कत हो सकती है। इससे खासकर शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है, क्योंकि इस डाइट में एनिमल बेस्ड फूड का सेवन नहीं किया जाता है। शरीर को विटामिन-B 12 और विटामिन-D भी नहीं मिल पाता है। इसके अलावा वीगन डाइट फॉलो करने वाले लोगों के शरीर में कई बार आयरन और ओमेगा 3 फैटी एसिड की भी कमी पाई जाती है। (विशेष ध्यानार्थः यह आलेख केवल पाठकों की अति सामान्य जागरुकता के लिए है। चैतन्य भारत न्यूज का सुझाव है कि इस आलेख को केवल जानकारी के दृष्टिकोण से लें। इनके आधार पर किसी बीमारी के बारे में धारणा न बनाएं या उसके इलाज का प्रयास न करें। यह भी याद रखें कि स्वास्थ्य से संबंधित उचित सलाह, सुझाव और इलाज प्रशिक्षित डॉक्टर ही कर सकते हैं।) ये भी पढ़े... जानिए कैसे होती है शरीर में मिनरल्स की कमी और क्या हैं इसके लक्षण रोजाना चाय पीने से होता है दिमाग तेज, चाय का सेवन न करने वालों को होते हैं ये नुकसान वजन घटाने के लिए बहुत फायदेमंद है पनीर, जानिए क्या है इसे खाने के फायदे Read the full article
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Corona Virus Treatment in Hindi
Corona Virus or nCov / कोरोना वायरस की शुरूआत चीन के वुहान शहर से हुई है। कोरोना वायरस एक तरह का संक्रमण है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति पर बड़े आसानी से फैल जाती है। कोरोना वायरस धीरे-धीरे पूरे विश्व में फैल रहा है। कोरोना वायरस क्या है? / What is Corona Virus ? कोरोना वायरस का सम्बन्ध सी.ओ.वी. वायरस केटेगरी से है। जिसे सीवियर एक्यूट रेस्पिरेपरी सिंड्रोम भी कहा जाता है। अकसर मनुष्य शरीर पर 7 तरह के वायरस संक्रमित होते हैं, जिसमें से यह सातवां वायरस है। जिसमें व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी, छाती में जकड़न, जुकाम और बुखार अनियंत्रित रहना है। कोरोना वायरस के एक तरह से निमोनिया जैसा लगता हैं। परन्तु यह शरीर से प्लेटलेटस् कम कर देता। और फेफड़ों को संक्रमित कर रहा है। और सक्रमित व्यक्ति की रोगप्रतिरोधक क्षीण हो जाती है। और कोरोना वायरस में एंटीबायोटिकस दवाईयां काम नहीं कर रही हैं। कोरोना वायरस खासतौर पर जानवरों के सड़न गलन के द्धारा उत्पन्न घातक वायरस है। जोकि इंसानों के लिए घातक है। और यह वायरस इंसानों के अलावा चमगादड, बिल्ली, ऊंट, सूअर जानवरों में भी फैल रहा है। कोरोना वायरस के खास लक्षण / Corona Virus Symptoms
सांस लेने में परेशानी
छाती में जकड़न
फेफड़े संक्रमित होना
तीब्र जुकाम
सूखी खांसी
छींक
नांक बहते रहना
बुखार नियत्रंण में नहीं रहना
शरीर टूटना
चक्कर आना
सरदर्द
उल्टी आना
चलने फिरने जल्दी थकान महसूस होना
इस तरह के लक्षण होने पर पर तुरन्त स्वास्य जांच करवायें। कोरोना वायरस के सावधानियां एवं सुझाव / Corona Virus Prevention Tips
नित्य गर्म पानी पीयें। ठंड़ा पानी सेवन से बचें। गर्म पानी कोरोना वायरस को शुरूआती लक्षण में रोकने में सहायक है।
नाॅनवेज सेवन से बचें। मांसाहारी व्यक्तियों में कोरोना वायरस तेजी से फैलता है।
आपने आस पास स्वच्छ बनाने रखें। गंदगी नहीं फैलने दें।
आईसक्रीम, बंद डिब���बे की खाद्यसामग्री सेवन से बचें। खासकर पैक्ड नाॅनवेज, पुराना अचार आदि।
सड़ी गली चीजें नहीं खायें।
मेडिकल मास्क पहन कर भीड़भाड़ जगहों पर जायें।
हमेशा खाने से पहले हाथों को साबुन से धोएं।
अनावश्यक हाथ मिलाने से बचें।
सामने वाले व्यक्ति से कुछ मीटर की दूरी बनाकर रखें।
छींकने, खांसनें पर रूमाल आदि का इस्तेमाल करें।
साबुन, तौलिया, ब्रश, कपड़े, विस्तर, इलेट्रोनिक गेजेटस आदि दूसरे व्यक्ति के इस्तेमाल करने से बचें।
जानवरों, मर्गी-फार्म हाउस विभिन्न तरह के जन्तुओं की गंद दुर्गंध से बचें।
7-8 घण्टे से ज्यादा फ्रीजर में खाने पीने की चीजें नहीं रखें।
किचंन में अदरक, लहसुन, ईलायची, गर्ममसालों का नित्य इस्तेमाल करें। यह चीजें एक तरह से प्राकृतिक एंटीबायोंटिक, एंटीसेपटिक और एंटीफंगल का काम करती है। शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत बनाये रखी हैं।
बासी भोजन सेवन से बचें।
भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
सर्दी जुकाम खांसी लक्षण होने पर तुरन्त जांच करवायें।
कोरोना वायरस होने पर क्या करें? / Coronavirus / nCov आंकड़ों अनुसार कोरोना वायरस ग्रसित व्यक्ति पर दवाईयां असर नहीं के बराबर करती हैं। और एंटीबायोटिक दवाईयों भी जल्दी असर नहीं करती है। कोरोना वायरस में चिकित्सकों के लिए ग्रसित व्यक्ति की प्लेटलेटस् कम होने से बचाना और फेफड़ों से संक्रमण कम करना किसी चुनौंती से कम नहीं है। इम्यून सिस्टम में सुधार होने पर समय 30 से 40 दिन तक लग सकते हैं। कोरोना वायरस में प्राकृतिक एंटीबायोटिक लेना अधिक फायदेमेंद है। जोकि ग्रसित व्यक्ति को जल्दी स्वस्थ करने में सहायक है। कोरोना वायरस ग्रसित व्यक्ति के लिए खान पान और घरेलू उपचार / Best Foods for Corona Virus Patients & Home Remedies गर्म पानी पीना पानी उबाल कर पीयें। गर्म पानी पीने से धीरे-धीरे कोरोना वायरस संक्रमंण कम होता है। खूब पानी पीयें। शरीर में पानी कमी नहीं होने दें। पापीता प्लेटलेटस् को नियंत्रण में रखने के लिए पका पपीता खायें। दिन में एक बार पपीते पत्तों का रस पीना फायदेमंद है। गिलोया कोरोना वायरस संक्रमंण को मात देने में गिलाये जूस पीना फायदेमंद है। गिलोया वायरस को कम करने और प्लेटलेटस् को बढ़ाने का अच्छा माध्यम है। गिलोय एक तरह से प्राकृतिक एंटीबोयाटिक है। मूंगदाल कोरोना वायरस में मूंगदाल तरल बनाकर पीना फायदेमंद है। मूंगदाल में 13 तरह के विटामिनस मिनरस मौजूद होते हैं। और मूंगदाल को मरीज आसानी से पाचन भी हो जाती है। अनार और मौसमी जूस कोरोना वायरस होने पर मरीज के अनार और मौसमी का मिक्स जूस पीना काफी फायदेमंद है। यह मिक्स जूस पीने से शरीर को विटामिन ए, बी 5-6, सी, इ, फालिक एसिड, ओमेगा 3-5, राइबोफलेबिन, आयरन इत्यादि तरह के जरूरी पौषक तत्वों की पूर्ति आसानी से हो जाती है। लाल गाजर सलाद और कच्च पपीता सलाद गाजर और कच्चा पपीता सलाद में सेंधा नमक, नीबूं निचैड़कर चबाबचा कर खाना फायदेमंद है। यह मिक्स सलाद सेवन एक तरह से प्लेटलेटस् को नियंत्रण करने और शरीर में रक्त साफ करने का कार्य भी करती है। दवाईयां कोरोना वायरस में Immunodeficiency, Antibiotics & Fever Formulations तरह की दवाईयां इस्तेमाल की जा सकती है। जोकि वायरस असर को धीरे-धीरे कम करती है। वायरस ग्रसिता केे फेफड़े, किड़नी और लिवर फंक्शन को दुरूस्त करेगी और प्लेटलेटस् गिरने से बचाती है। नोट: कोरोना वायरस लक्षण महसूस होने पर तुरन्त चिकित्सक से सम्पर्क करें। समय पर स्वास्थ्य जांच करवायें। जीवन अनमोल है। Corona Virus तेजी से दुनिया को चपेट में ले रहा है।
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Corona Virus Treatment in Hindi
Corona Virus or nCov / कोरोना वायरस की शुरूआत चीन के वुहान शहर से हुई है। कोरोना वायरस एक तरह का संक्रमण है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति पर बड़े आसानी से फैल जाती है। कोरोना वायरस धीरे-धीरे पूरे विश्व में फैल रहा है। कोरोना वायरस क्या है? / What is Corona Virus ? कोरोना वायरस का सम्बन्ध सी.ओ.वी. वायरस केटेगरी से है। जिसे सीवियर एक्यूट रेस्पिरेपरी सिंड्रोम भी कहा जाता है। अकसर मनुष्य शरीर पर 7 तरह के वायरस संक्रमित होते हैं, जिसमें से यह सातवां वायरस है। जिसमें व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी, छाती में जकड़न, जुकाम और बुखार अनियंत्रित रहना है। कोरोना वायरस के एक तरह से निमोनिया जैसा लगता हैं। परन्तु यह शरीर से प्लेटलेटस् कम कर देता। और फेफड़ों को संक्रमित कर रहा है। और सक्रमित व्यक्ति की रोगप्रतिरोधक क्षीण हो जाती है। और कोरोना वायरस में एंटीबायोटिकस दवाईयां काम नहीं कर रही हैं। कोरोना वायरस खासतौर पर जानवरों के सड़न गलन के द्धारा उत्पन्न घातक वायरस है। जोकि इंसानों के लिए घातक है। और यह वायरस इंसानों के अलावा चमगादड, बिल्ली, ऊंट, सूअर जानवरों में भी फैल रहा है। कोरोना वायरस के खास लक्षण / Corona Virus Symptoms
सांस लेने में परेशानी
छाती में जकड़न
फेफड़े संक्रमित होना
तीब्र जुकाम
सूखी खांसी
छींक
नांक बहते रहना
बुखार नियत्रंण में नहीं रहना
शरीर टूटना
चक्कर आना
सरदर्द
उल्टी आना
चलने फिरने जल्दी थकान महसूस होना
इस तरह के लक्षण होने पर पर तुरन्त स्वास्य जांच करवायें। कोरोना वायरस के सावधानियां एवं सुझाव / Corona Virus Prevention Tips
नित्य गर्म पानी पीयें। ठंड़ा पानी सेवन से बचें। गर्म पानी कोरोना वायरस को शुरूआती लक्षण में रोकने में सहायक है।
नाॅनवेज सेवन से बचें। मा���साहारी व्यक्तियों में कोरोना वायरस तेजी से फैलता है।
आपने आस पास स्वच्छ बनाने रखें। गंदगी नहीं फैलने दें।
आईसक्रीम, बंद डिब्बे की खाद्यसामग्री सेवन से बचें। खासकर पैक्ड नाॅनवेज, पुराना अचार आदि।
सड़ी गली चीजें नहीं खायें।
मेडिकल मास्क पहन कर भीड़भाड़ जगहों पर जायें।
हमेशा खाने से पहले हाथों को साबुन से धोएं।
अनावश्यक हाथ मिलाने से बचें।
सामने वाले व्यक्ति से कुछ मीटर की दूरी बनाकर रखें।
छींकने, खांसनें पर रूमाल आदि का इस्तेमाल करें।
साबुन, तौलिया, ब्रश, कपड़े, विस्तर, इलेट्रोनिक गेजेटस आदि दूसरे व्यक्ति के इस्तेमाल करने से बचें।
जानवरों, मर्गी-फार्म हाउस विभिन्न तरह के जन्तुओं की गंद दुर्गंध से बचें।
7-8 घण्टे से ज्यादा फ्रीजर में खाने पीने की चीजें नहीं रखें।
किचंन में अदरक, लहसुन, ईलायची, गर्ममसालों का नित्य इस्तेमाल करें। यह चीजें एक तरह से प्राकृतिक एंटीबायोंटिक, एंटीसेपटिक और एंटीफंगल का काम करती है। शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत बनाये रखी हैं।
बासी भोजन सेवन से बचें।
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कोरोना वायरस होने पर क्या करें? / Coronavirus / nCov आंकड़ों अनुसार कोरोना वायरस ग्रसित व्यक्ति पर दवाईयां असर नहीं के बराबर करती हैं। और एंटीबायोटिक दवाईयों भी जल्दी असर नहीं करती है। कोरोना वायरस में चिकित्सकों के लिए ग्रसित व्यक्ति की प्लेटलेटस् कम होने से बचाना और फेफड़ों से संक्रमण कम करना किसी चुनौंती से कम नहीं है। इम्यून सिस्टम में सुधार होने पर समय 30 से 40 दिन तक लग सकते हैं। कोरोना वायरस में प्राकृतिक एंटीबायोटिक लेना अधिक फायदेमेंद है। जोकि ग्रसित व्यक्ति को जल्दी स्वस्थ करने में सहायक है। कोरोना वायरस ग्रसित व्यक्ति के लिए खान पान और घरेलू उपचार / Best Foods for Corona Virus Patients & Home Remedies गर्म पानी पीना पानी उबाल कर पीयें। गर्म पानी पीने से धीरे-धीरे कोरोना वायरस संक्रमंण कम होता है। खूब पानी पीयें। शरीर में पानी कमी नहीं होने दें। पापीता प्लेटलेटस् को नियंत्रण में रखने के लिए पका पपीता खायें। दिन में एक बार पपीते पत्तों का रस पीना फायदेमंद है। गिलोया कोरोना वायरस संक्रमंण को मात देने में गिलाये जूस पीना फायदेमंद है। गिलोया वायरस को कम करने और प्लेटलेटस् को बढ़ाने का अच्छा माध्यम है। गिलोय एक तरह से प्राकृतिक एंटीबोयाटिक है। मूंगदाल कोरोना वायरस में मूंगदाल तरल बनाकर पीना फायदेमंद है। मूंगदाल में 13 तरह के विटामिनस मिनरस मौजूद होते हैं। और मूंगदाल को मरीज आसानी से पाचन भी हो जाती है। अनार और मौसमी जूस कोरोना वायरस होने पर मरीज के अनार और मौसमी का मिक्स जूस पीना काफी फायदेमंद है। यह मिक्स जूस पीने से शरीर को विटामिन ए, बी 5-6, सी, इ, फालिक एसिड, ओमेगा 3-5, राइबोफलेबिन, आयरन इत्यादि तरह के जरूरी पौषक तत्वों की पूर्ति आसानी से हो जाती है। लाल गाजर सलाद और कच्च पपीता सलाद गाजर और कच्चा पपीता सलाद में सेंधा नमक, नीबूं निचैड़कर चबाबचा कर खाना फायदेमंद है। यह मिक्स सलाद सेवन एक तरह से प्लेटलेटस् को नियंत्रण करने और शरीर में रक्त साफ करने का कार्य भी करती है। दवाईयां कोरोना वायरस में Immunodeficiency, Antibiotics & Fever Formulations तरह की दवाईयां इस्तेमाल की जा सकती है। जोकि वायरस असर को धीरे-धीरे कम करती है। वायरस ग्रसिता केे फेफड़े, किड़नी और लिवर फंक्शन को दुरूस्त करेगी और प्लेटलेटस् गिरने से बचाती है। नोट: कोरोना वायरस लक्षण महसूस होने पर तुरन्त चिकित्सक से सम्पर्क करें। समय पर स्वास्थ्य जांच करवायें। जीवन अनमोल है। Corona Virus तेजी से दुनिया को चपेट में ले रहा है।
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टूना मछली के फायदे और नुकसान – Tuna Fish Benefits and Side Effects in Hindi
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टूना मछली के फायदे और नुकसान – Tuna Fish Benefits and Side Effects in Hindi
टूना मछली के फायदे और नुकसान – Tuna Fish Benefits and Side Effects in Hindi Bhupendra Verma Hyderabd040-395603080 December 23, 2019
शरीर को रोग मुक्त रखने के लिए सही पोषण का होना जरूरी है। इन पोषक तत्वों की पूर्ति शाकाहारी और मांसाहारी, दोनों तरह के खाद्य पदार्थों से की जा सकती है। अगर बात करें नॉन वेज डाइट की, तो इसमें मछली की एक अहम भूमिका देखी जा सकती है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम एक खास प्रकार की मछली ‘टूना’ के शारीरिक फायदों के बारे में बता रहे हैं। जानिए स्वास्थ्य के लिए टूना मछली के फायदे और इसके सेवन के विभिन्न तरीकों के बारे में। साथ ही आपको इस लेख में टूना मछली के नुकसान के विषय में भी जानकारी दी जाएगी। इस बात का ध्यान रखें कि टूना मछली लेख में बताई जाने वाली शारीरिक समस्याओं के प्रभाव व उनके लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है, लेकिन यह किसी भी बीमारी का सटीक इलाज नहीं है। गंभीर स्वास्थ्य समस्या में मेडिकल ट्रीटमेंट को प्राथमिकता जरूर दें।
आइए, लेख में सबसे पहले जान लेते हैं कि टूना मछली क्या है।
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टूना मछली क्या है? – What is Tuna Fish in Hindi
टूना एक विशेष प्रकार की मछली है, जिसे टन्नी (Tunny) के नाम से भी जाना जाता है। यह मछली ‘थुन्निनी’ नामक मछलियों की प्रजाति से संबंध रखती है। विश्व भर में इसकी कई प्रजातियां मौजूद हैं। माना जाता है कि इसकी कुछ प्रजातियां 40 से 50 वर्ष तक जीवित रह सकती हैं। इसके अलावा, इसने आकार में भी भिन्नता पाई जाती है। टूना मछली ज्यादातर ��ारे पानी में रहती हैं। वहीं, अगर इसके स्वाद की बात करें, तो यह खाने में लजीज होती हैं। स्वास्थ्य लाभ के मामले में भी यह किसी से कम नहीं है। आगे लेख में बताया गया है कि इस मछली का सेवन कौन-कौन सी शारीरिक समस्याओं के लिए लाभकारी हो सकता है।
टूना मछली से होने वाले फायदे को जानने के लिए पढ़ते रहें यह लेख।
टूना मछली के फायदे – Benefits of Tuna Fish in Hindi
टूना मछली को आहार में शामिल करना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है। यह कई शारीरिक समस्याओं को दूर रखने में मदद कर सकती है। टूना मछली के फायदे इस तरह से हो सकते हैं।
1. वजन घटाने के लिए
एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, फिश ऑयल का सेवन कमर व नितंब के अनुपात (Waist-Hip Ratio) को कम करने में मदद कर सकता है। हालांकि, यह पूरी तरह से शरीर के वजन को कम करने में कितना लाभकारी हो सकता है, इस पर और शोध की आवश्यकता है (1)। वेस्ट-हीप के अनुपात को कम करने के लिए डॉक्टरी परामर्श पर टूना फिश ऑयल की खुराक ली जा सकती है। साथ ही व्यायाम भी जरूरी है।
2. हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए
एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, हड्डियों को स्वस्थ रखने में कैल्शियम और विटामिन डी की अहम भूमिका होती है। कैल्शियम हड्डियों के निर्माण में मदद करता है और विटामिन डी हड्डियों को मजबूत करने में मदद करता है। इससे हड्डियों का स्वास्थ्य बरकरार रहता है। साथ ही ऑस्टियोपोरोसिस जैसे हड्डी रोग और फ्रैक्चर के जोखिम कम करने में कैल्शियम और विटामिन डी के सप्लीमेंट कारगर साबित हो सकते हैं। यहां टूना मछली फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि यह बताए गए दोनों पोषक तत्वों से समृद्ध होती है (2) (3)।
3. गर्भवती महिलाओं के लिए लाभकारी
गर्भवती महिला के लिए खान-पान का ध्यान रखना जरूरी होता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक, टूना मछली का सेवन गर्भवती और शिशु के लिए लाभदायक हो सकता है। टूना मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है, जो गर्भवती को हृदय रोग के जोखिम से बचाने में मदद कर सकता है। साथ ही भ्रूण के मस्तिष्क और सेंट्रल नवर्स सिस्टम के विकास में भी सहायक हो सकता है। इसके अलावा, टूना मछली का सेवन जन्म के समय नवजात के वजन और गर्भावस्था के समय पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है (4)।
4. प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा
शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अगर मजबूत है, तो रोग उत्पन्न होने का डर कम हो जाता है। शरीर की प्रतिरक्षा को बनाए रखने में टूना मछली का सेवन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। टूना मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है, जो शरीर में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (Immunomodulatory) की तरह काम कर सकता है, जिसे इम्यून स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है (5)। इसलिए, टूना के फायदे प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए भी माने जा सकते हैं।
5. आंखों के लिए फायदेमंद
आंखों को स्वस्थ रखने के लिए मछली का सेवन फायदेमंद माना जाता है। उन मछलियों की सूची में टूना का भी नाम शामिल है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध के अनुसार मछलियों में खासकर टूना का सेवन, बढ़ती उम्र के साथ होने वाले नेत्र रोग जैसे एज रिलेटेड मैक्युलर डीजेनेरेशन (Age-related macular degeneration) पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है (6)। हालांकि, इस विषय पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
6. हृदय के लिए लाभकारी
एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, टूना मछली के फायदे हृदय स्वास्थ्य के लिए भी हो सकते हैं। जैसा कि हमने बताया कि टूना मछली ओमेगा-3 फैटी एसिड से समृद्ध होती है और यह फैटी हृदय रोग के जोखिम को कम करने के साथ-साथ कार्डियक डेथ (हृदय रोग से होने वाली मृत्यु) के जोखिम को भी कम कर सकता है (7)।
7. स्तन कैंसर को दूर रखने के लिए
एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, विटामिन डी की कमी स्तन कैंसर का कारण बन सकती है। जैसा कि हमने ऊपर बताया कि टूना अन्य पोषक तत्वों के साथ विटामिन-डी से भी समृद्ध होती है और विटामिन-डी का पर्याप्त मात्रा में सेवन स्तन कैंसर से बचाव का काम कर सकता है (8) (9) (3)। हालांकि, टूना मछली सीधे तौर पर स्तन कैंसर के लिए कितनी फायदेमंद होगी, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है। इसलिए, हमारी सलाह यह है कि अगर कोई कैंसर जैसी घातक बीमारी से ग्रस्त है, तो उसे डॉक्टर से उपचार जरूर करवाना चाहिए। सिर्फ घरेलू उपचार के सहारे रहना सही निर्णय नहीं है।
टूना मछली के फायदे जानने के बाद आगे जानिए इसके पौष्टिक तत्वों के बारे में।
टूना मछली के पौष्टिक तत्व – Tuna Fish Nutritional Value in Hindi
टूना मछली में मौजूद पौष्टिक तत्वों को जानने के लिए नीचे हम एक तालिका साझा कर रहे हैं (3)।
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 g पानी 74.03 g ऊर्जा 109 kcal प्रोटीन 24.4 g टोटल लिपिड (फैट) 0.49 g मिनरल कैल्शियम ,Ca 4 gm आयरन ,Fe 0.77 mg मैग्नीशियम , Mg 35 mg फास्फोरस,P 278 mg पोटैशियम ,K 441 mg सोडियम ,Na 45 mg जिंक ,Zn 0.37 mg विटामिन थियामिन 0.118 mg राइबोफ्लेविन 0.115 mg नियासिन 18.475 mg विटामिन बी -6 0.933 mg फोलेट, DFE 2 µg विटामिन बी-12 2.08 µg विटामिन ए, RAE 18 µg विटामिन ए, IU 60 IU विटामिन ई (अल्फा टोकोफेरॉल) 0.24 mg विटामिन डी 69 IU लिपिड फैटी एसिड, टोटल सैचुरेटेड 0.172 g फैटी एसिड, टोटल मोनोसैचुरेटेड 0.116 g फैटी एसिड, टोटल पॉलीअनसैचुरेटेड 0.147 g
लेख के आगे के भाग में जानिए टूना मछली का उपयोग कैसे किया जा सकता है।
टूना मछली का उपयोग – How to Use Tuna Fish in Hindi
नीचे जानिए टूना मछली के सेवन के विभिन्न तरीकों के बारे में –
कैसे खाएं :
इसे फिश करी की तरह खाया जा सकता है।
इसे भूनकर खाया जा सकता है।
इसका सूप बनाकर सेवन किया जा सकता है।
इसे स्टीम करके भी खाया जा सकता है।
कब खाएं :
फिटनेस के शौकीन सुबह या शाम स्टीम फिश खा सकते हैं।
दोपहर या रात के खाने के साथ फिश करी का आनंद लिया जा सकता है।
शाम में भुनी हुई मछली खाई जा सकती है।
कितना खाएं :
टूना मछली को हफ्ते में लगभग 226 ग्राम तक खाया जा सकता है, जो शरीर के लिए लाभदायक हो सकता है (10)। फिर भी इसके सेवन से पहले एक बार आहार विशेषज्ञ से उचित मात्रा की जानकारी ले सकते हैं।
आगे जानिए इससे होने वाले नुकसान के बारे में।
टूना मछली के नुकसान – Side Effects of Tuna Fish in Hindi
जिस तरह टूना मछली लाभ पहुंचाने का काम कर सकती है। वैसे ही कई बार इससे नुकसान भी देखे जा सकते हैं –
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक छोटी मछलियों की तुलना में बड़ी मछलियों में मरकरी की मात्रा अधिक होती है, जिसमें टूना भी शामिल है। यहां मरकरी युक्त मछली गर्भावस्था के दौरान और जन्म के बाद शिशु के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास को बाधित कर सकती है (11)।
जिन्हें मछली खाने की ज्यादा आदत नहीं है, उन्हें पाचन क्रिया से संबंधित परेशानी हो सकती है, लेकिन इसके लिए अभी कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है।
अगर मछली को पकाने से पहले ठीक से साफ न किया जाए, तो संक्रमण का खतरा हो सकता है (12)।
अब तो आप समझ गए होंगे कि स्वास्थ्य के लिए टूना मछली किस प्रकार फायदेमंद हो सकती है। साथ ही कौन-कौन सी बीमारियों के प्रभाव को कम करने के लिए इसका सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा, लेख में इसके सेवन करने के विभिन्न तरीकों के बारे में भी बताया गया है। ऐसे में इसके शारीरिक फायदे पाने के लिए इसे दैनिक आहार में शामिल किया जा सकता है। यहां एक बार फिर से बता दें कि टूना मछली लेख में बताई गई किसी भी बीमारी का उपचार नहीं कर सकती है, लेकिन उनके लक्षणों को कम करने में सहायक भूमिका जरूर निभा सकती है। उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए लाभकारी साबित होगा। लेख से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स की मदद ले सकते हैं।
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Bhupendra Verma
भूपेंद्र वर्मा ने सेंट थॉमस कॉलेज से बीजेएमसी और एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी से एमजेएमसी किया है। भूपेंद्र को लेखक के तौर पर फ्रीलांसिंग में काम करते 2 साल हो गए हैं। इनकी लिखी हुई कविताएं, गाने और रैप हर किसी को पसंद आते हैं। यह अपने लेखन और रैप करने के अनोखे स्टाइल की वजह से जाने जाते हैं। इन्होंने कुछ डॉक्यूमेंट्री फिल्म की स्टोरी और डायलॉग्स भी लिखे हैं। इन्हें संगीत सुनना, फिल्में देखना और घूमना पसंद है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/tuna-fish-ke-fayde-aur-nuksan-in-hindi/
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अल्जाइमर रोग के कारण, लक्षण और इलाज – Alzheimer’s Causes, Symptoms and Treatment in Hindi
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अल्जाइमर रोग के कारण, लक्षण और इलाज – Alzheimer’s Causes, Symptoms and Treatment in Hindi
अल्जाइमर रोग के कारण, लक्षण और इलाज – Alzheimer’s Causes, Symptoms and Treatment in Hindi vinita pangeni Hyderabd040-395603080 December 17, 2019
रोजमर्रा के कामकाज के दौरान छोटी-छोटी बातों को भूल जाना आम है। हां, अगर कोई अहम बातों को भी भूलने लगे, तो अल्जाइमर का लक्षण हो सकता है। दुनियाभर में कई लोग इस रोग की चपेट में हैं। अल्जाइमर से पीड़ित मरीज अपनों के साथ होते हुए भी नहीं होते, क्योंकि उनके दिमाग में मौजूद तमाम बातें व यादें मिटने लगती हैं। अफसोस, इस भूलने की बीमारी यानी अल्जाइमर रोग का कोई इलाज नहीं है (1)। यह समय के साथ और गंभीर होती चली जाती है, लेकिन डॉक्टर की दवा और अल्जाइमर के लिए घरेलू उपाय का इस्तेमाल कर इसके लक्षण को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम अल्जाइमर रोग, इसके विभिन्न स्टेज और इस भूलने की बीमारी का इलाज न होने के बावजूद, इससे बचने के लिए क्या किया जा सकता है, इस बारे में विस्तार से बताएंगे।
लेख में सबसे पहले हम आपको बता रहे हैं कि अल्जाइमर रोग आखिर क्या होता है।
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अल्जाइमर रोग क्या है? – What is Alzheimer’s in Hindi
अल्जाइमर रोग (AD) न्यूरोलॉजिकल (दिमाग से संबंधित) विकार है। इसके कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं खत्म व नष्ट होने लगती हैं, जिससे याददाश्त और दैनिक गतिविधियों की क्षमता प्रभावित होती है। अल्जाइमर डिमेंशिया (मनोभ्रंश) का सबसे आम प्रकार है। शुरुआती दौर में अल्जाइमर के लक्षण कम होते हैं, लेकिन समय के साथ यह समस्या काफी गंभीर होती जाती है। इस बीमारी से प्रभावित लोगों को भूलने की बीमारी लग जाती है, जिस कारण वह परिवार के सदस्यों को पहचान नहीं पाते। कई बार बोलने, पढ़ने और लिखने में भी समस्या होने लगती है। कई बार तो मरीज दांत ब्रश करना और बालों को कंघी करना तक भूल जाते हैं। बाद में बीमारी से ग्रसित लोग, चिंतित और आक्रामक व गुस्सैल हो जाते हैं। आमतौर पर अल्जाइमर रोग 60 साल के बाद होना शुरू होता है और उम्र बढ़ने के साथ-साथ गंभीर होता जाता है (1)।
माना जाता है कि युवा लोगों को भी अल्जाइमर रोग हो सकता है, लेकिन यह आम नहीं है। हालांकि, अभी भी अल्जाइमर डिजीज का कारण स्पष्ट नहीं हुआ है, इसलिए वैज्ञानिक इस मामले में काफी शोध कर रहे हैं (2)। एक शोध में यह भी सामने आया था कि अल्जाइमर रोग भी एक तरह की ऑटोइम्यून बीमारी हो सकती है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ही न्यूरोन्स को खत्म करने लगती है (3)।
इस विकार से प्रभावित लोगों को देखभाल की काफी जरूरत होती है। ऐसा करने के लिए अल्जाइमर रोग के विभिन्न चरणों को समझने भी जरूरी है, जिसे हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं।
अल्जाइमर रोग के चरण – Stages of Alzheimer’s in Hindi
व्यापक रूप से अल्जाइमर को 7 चरणों में विभाजित किया गया। इन सभी सात स्टेज के बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं (4)।
स्टेज 1: नो कॉग्निटिव इंपेयरमेंट (No cognitive impairment)
इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति अगर कमजोर नहीं हैं, तो इस दौरान स्मृति से संबंधित किसी तरह की समस्याओं का अनुभव नहीं होता। साथ ही डॉक्टर भी इस स्टेज का पता नहीं लगा पाते, क्योंकि इस चरण के दौरान एक प्रभावित व्यक्ति में आमतौर पर कोई लक्षण नजर नहीं आते।
स्टेज 2: मामूली गिरावट (Very mild decline)
इस स्टेज में अल्जाइमर प्रभावित व्यक्ति को लगता है कि उसकी याददाश्त कम हो रही है और वह परिचित शब्दों, जगह और लोगों के नाम को भूल रहा है। जैसे चाबियां, चश्मा और अन्य रोजमर्रा की चीजों को रखने की जगह को भूलना।
स्टेज 3: माइल्ड कॉग्निटिव डिकलाइन (Mild cognitive decline)
इस स्टेज पर रोगी के मानसिक (संज्ञानात्मक) व्यवहार में बदलाव दिखने लगते हैं। इनकी याददाश्त और एकाग्रता में कमी आने लगती है। इस स्टेज के लोगों का निदान संभव होता है। डॉक्टर परीक्षण के दौरान इसका पता लगा सकता है। ऐसे मरीज परिवार व करीबी लोगों के नाम भूल जाते हैं और नए लोगों से मिलने पर उनका नाम याद नहीं रख पाते। साथ ही किसी भी प्लान को बनाने और उसे याद रखने की क्षमता में कमी आने लगती है। कुछ भी पढ़ने के बाद उसे याद न रख पाना, सामान खोना या किसी गलत जगह पर रख देना।
स्टेज- 4: माडरेट कॉग्निटिव डिकलाइन (Moderate cognitive decline)
इस दौरान हाल ही में हुई घटनाओं को भूलना व इससे संबंधित कुछ ही बातों का याद होना। किसी भी तरह का बिल भरना, पैसों से संबंधित कामों को करना व खुद से जुड़ी हुई बीती बातों को भूलना।
स्टेज-5: मॉडेरटली सीवियर कॉग्निटिव डिक्लाइन (Moderately severe cognitive decline)
इस चरण में अल्जाइमर के लक्षण काफी ज्यादा दिखने लगते हैं। कई नई समस्याएं होने लगती हैं, जैसे खुद से संबंधित बातों को भूलना, मोबाइल नंबर, घर का पता, तारीख, महीने और मौसम को याद रखने में समस्या व गिनती भूलना आदि। इस स्टेज में व्यक्ति को अपना नाम और अपने घर परिवार वालों का नाम याद रहता है। साथ ही खाना खाने और शौचालय इस्तेमाल करने में कोई समस्या नहीं होती।
स्टेज -6: गंभीर गिरावट (Severe cognitive decline)
इस अवस्था में स्मृति से संबंधित समस्याएं इतनी ज्यादा गंभीर हो जाती हैं कि व्यक्ति कई तरह की महत्वपूर्ण बातों को भूलने लगता है। प्रभावित व्यक्तियों को दैनिक गतिविधियों जैसे कपड़े पहने और बाथरूम इस्तेमाल करने में भी समस्या होने लगती है। सामान्य तौर पर इस दौरान व्यक्ति अपने घरवालों का नाम भूल जाता है, लेकिन अपना नाम याद रखता है और परिचितों को भी पहचान लेता है। इस स्टेज में नींद आने में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
स्टेज – 7: लेट स्टेज (Very severe cognitive decline)
अल्जाइमर डिजीज का यह अंतिम चरण होता है। इसमें व्यक्ति प्रतिक्रिया करने, बोलने और शरीर को नियंत्रित करने की क्षमता खो देता है। हालांकि, कभी-कभी पीड़ित शब्द या छोटे-छोटे वाक्य बोल लेता है। इस दौरान व्यक्ति को खाने और शौचालय जाने में सहायता की जरूरत पड़ती है। साथ ही सहायता के बिना चलने, उठने व बैठने की क्षमता भी लगभग खत्म हो जाती है। इसके अलावा, मांसपेशियां भी कठोर होने लग जाती हैं। खाना निगलने में भी समस्या होने लगती है।
चलिए, अब अल्जाइमर रोग के कारण के बारे में जान लेते हैं।
अल्जाइमर रोग के कारण – Causes of Alzheimer’s in Hindi
अल्जाइमर रोग का वैसे तो कोई सटीक कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन शोध से पता चलता है कि मस्तिष्क में कुछ परिवर्तन होने की वजह से ही अल्जाइमर रोग होता है (5)। इसके कुछ संभावित कारण हम नीचे बता रहे हैं :
मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम के नर्व सेल्स (तंत्रिका कोशिकाओं) का काम न करना व नष्ट होना (6)।
माना जाता है कि पूरी नींद न लेना भी आगे चलकर अल्जाइमर रोग का कारण बन सकता है (7)।
ताउ प्रोटीन (Tau protein) का जमा होना (7)।
न्यूरोपिल थ्रेड (असामान्य न्यूरोनल प्रक्रियाएं) (9) ।
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस भी कारण हो सकता है (10)।
भूलने की बीमारी का इलाज भले ही न हो, लेकिन अल्जाइमर रोग के लक्षण दिखते ही इन्हें कम करने के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए। इसलिए, नीचे हम विस्तार से अल्जाइमर के लक्षण के बारे में बता रहे हैं।
अल्जाइमर रोग के लक्षण – Symptoms of Alzheimer’s in Hindi
भूलने की बीमारी जिसकी वजह से हर दिन प्रभावित हो, वह सामान्य रूप से बढ़ती उम्र का हिस्सा नहीं है। यह डिमेंशिया के एक प्रकार एल्जाइमर का लक्षण हो सकता है। ऐसे में भूलने की बीमारी से घर में कोई भी जूझ रहा हो, तो सतर्क होना जरूरी है। नीचे हम 10 संकेत व लक्षण बता रहे हैं। इन लक्षणों से यह साफ हो जाएगा कि इस भूलने की बीमारी का इलाज करना जरूरी है, क्योंकि यह बुढ़ापे का संकेत नहीं, बल्कि उसे कहीं बढ़कर है (4)।
स्मर्ण शक्ति का कम होना।
घर से संबंधित कार्य करने में परेशानी होना।
कुछ भी बोलने व समझने में समस्या होना।
समय और स्थान को लेकर भ्रम होना व पहचान न पाना।
निर्णय लेने की क्षमता का कम व खत्म होना।
सोचने में परेशानी व क्षमता में कमी।
चीजों का खो जाना।
बर्ताव और मन की स्थिति में बदलाव होना।
व्यक्तित्व में परिवर्तन।
आत्मबल में कमी।
अल्जाइमर रोग के लक्षण तो आप जान ही चुके हैं, अब हम अल्जाइमर रोग के लिए घरेलू उपाय के बारे में बता रहे हैं। यह घरेलू उपाय अल्जाइमर रोग के उपचार तो नहीं हैं, लेकिन इनके जरिए लक्षण कम करने में मदद जरूर मिल सकती है।
अल्जाइमर रोग के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Alzheimer’s in Hindi
1. गिंको बाइलोबा (जिन्कगो)
सामग्री:
जिन्कगो बाइलोबा की पत्तियां या सप्लीमेंट
उपयोग का तरीका:
जिन्कगो बाइलोबा की पत्तियां को महीन पीस लें।
अब इसमें से आधा कप जूस निकालकर पी लें।
डॉक्टर की सलाह पर इसके सप्लीमेंट का भी सेवन किया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:
जिन्कगो बाइलोबा मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में सुधार करने में मदद कर सकता है। इसलिए, माना जाता है कि यह अल्जाइमर रोग से संबंधित कुछ लक्षणों को कम कर सकता है। अल्जाइमर रोग के इलाज में जिन्कगो बाइलोबा की गुणवत्ता और प्रभावशिलता को परखने के लिए अभी और शोध किए जाने जरूरी हैं (11) (12)।
2. विटामिन-ई Vitamin E
सामग्री:
विटामिन-ई युक्त खाद्य पदार्थ या सप्लीमेंट
उपयोग का तरीका:
सीधे विटामिन-ई से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है।
विटामिन-ई युक्त खाद्य पदार्थों में बादाम, सूरजमुखी के बीज, पालक, कीवी और हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल हैं।
विटामिन-ई के अतिरिक्त सप्लीमेंट डॉक्टर की सलाह पर लिए जा सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
एनसीबीआई (नेशनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी फॉर इंफोर्मेशन) में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, अल्जाइमर होने का मुख्य कारण ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को भी माना गया है। ऐसे में अल्जाइमर के इलाज और इसके लक्षण को ठीक करने में विटामिन-ई अहम भूमिका निभा सकता है। अल्जाइमर को लेकर की गई स्टडी के मुताबिक, विटामिन-ई न केवल ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को दूर करने में सक्षम है, बल्कि यह याददाश्त और मस्तिष्क स्वास्थ्य पर भी अच्छा असर डाल सकता है (10)। विटामिन-ई युक्त खाद्य पदार्थों के अलावा विटामिन-ई 15mg तक के सप्लीमेंट्स भी लिए जा सकते हैं (13)।
3. हल्दी
सामग्री:
1 चम्मच हल्दी पाउडर
1 गिलास गर्म दूध
उपयोग का तरीका:
एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी पाउडर मिक्स कर लें।
इसे अच्छी तरह से मिलाएं और फिर पी लें।
इस मिश्रण का रोजाना एक बार सेवन किया सकता है।
कैसे लाभदायक है:
हल्दी में करक्यूमिन पाया जाता है, जो एक प्रकार का पॉलीफेनोल कंपाउंड है। माना जाता है कि यह कंपाउंड अल्जाइमर के उपचार और रोकथाम में भूमिका निभा सकता है। दरअसल, करक्यूमिन में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी व लिपोफिलिक गुण होता है, जो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में सुधार करने में मदद कर सकता है। शोध के मुताबिक, करक्यूमिन में कई गुण होते हैं, जो न्यूरोन्स को नष्ट होने से रोककर अल्जाइमर के रोगियों की स्मृति में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। इसलिए, माना जाता है कि हल्दी के प्रयोग से अल्जाइमर रोग के लक्षण को कम करने में मदद मिल सकती है (14)।
4. ओमेगा-3 (Omega-3)
सामग्री:
ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ व सप्लीमेंट
उपयोग का तरीका:
रोजाना ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त भोजन का सेवन करें।
ओमेगा-3 से भरपूर खाद्य पदार्थों में वसा युक्त मछली, अलसी, अखरोट, सोया और चिया बीज शामिल हैं।
डॉक्टर की सलाह पर ही सप्लीमेंट ले सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
ओमेगा-3 फैटी एसिड मस्तिष्क संबंधी कार्यों व गतिविधियों को बढ़ाने में मदद कर सकता है। जानवरों पर किए गए शोध के मुताबिक, यह फैटी एसिड बीटा-एमिलॉइड (न्यूरोन में जमने वाला अमिनो एसिड) को कम करने के साथ ही अल्जाइमर रोग की वजह से न्यूरोन्स को पहुंचने वाले नुकसान को भी रोकने में मदद कर सकता है। इसलिए, माना जाता है कि अल्जाइमर रोग के हल्के लक्षण नजर आने पर ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है (15)।
अल्जाइमर रोग के घरेलू उपाय के बाद हम इसके जोखिम कारक के बारे में बता रहे हैं।
अल्जाइमर रोग के जोखिम कारक – Risk Factors of Alzheimer’s in Hindi
अल्जाइमर का जोखिम कारक सेरेब्रोवास्कुलर (Cerebrovascular) रोग भी है। यह रोग मरीज के मस्तिष्क और रक्त वाहिकाओं में रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ती को रोकता है। इसके अलावा, रक्त वाहिका से संबंध���त वास्कुलोपैथी (Vasculopathies) नामक विकार होने पर भी अल्जाइमर होने का खतरा बढ़ जाता है। इन बीमारियों के साथ ही अल्जाइमर के अन्य जोखिम कारक कुछ इस प्रकार हैं (5) (16):
उम्र का बढ़ना अल्जाइमर का जोखिम कारक हो सकता है।
परिवार या करीबी रिश्तेदार में किसी का अल्जाइमर रोग से पीड़ित होना।
शरीर में अल्जाइमर रोग से जुड़े कुछ जीन का होना।
महिलाओं को अल्जाइमर होना का ज्यादा खतरा होता है।
उच्च कोलेस्ट्रॉल की वजह से हृदय और रक्त वाहिकाओं से संबंधित समस्याओं का होना।
सिर में किसी तरह की चोट का लगना।
पर्यावरण का प्रभाव भी एक जोखिम कारक है।
मधुमेह।
उच्च रक्तचाप।
धूम्रपान।
मोटापा।
अल्जाइमर रोग के उपचार के साथ ही इससे बचने के कुछ टिप्स को भी अपनाया जा सकता है, जिससे भूलने की बीमारी के इलाज में मदद मिल सकती है।
अल्जाइमर रोग से बचने के उपाय – Prevention Tips for Alzheimer’s in Hindi
भूलने की बीमारी का इलाज करवाना तो जरूरी है ही, लेकिन दिनचर्या में कुछ बदलाव भी अल्जाइमर रोगियों के लिए जरूरी होते हैं। यह बदलाव शुरुआती स्टेज के अल्जाइमर रोग के लक्षण को कम करने के साथ ही स्वस्थ लोगों को इस बीमारी से बचा सकते हैं (17)।
नियमित रूप से व्यायाम और अन्य शारीरिक गतिविधियों को करना।
ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम रखना।
संतुलित और स्वस्थ आहार का सेवन करना। खासकर मेडिटेरेनियन डाइट।
खाली समय में साइकलिंग, घुड़सवारी व स्विमिंग आदि करना।
दिमाग से संबंधित गतिविधियों में हिस्सा लेना।
सिर को चोट लगने से बचाएं रखना।
सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा लेना।
डिप्रेशन व तनाव से बचना।
धूम्रपान को छोड़ना।
वजन को नियंत्रित रखना।
अच्छी नींद लेना।
अल्जाइमर से निपटना और इससे प्रभावित व्यक्ति को संभालना काफी मुश्किल हो सकता है, लेकिन इस लेख में दी गई जानकारी की मदद से अल्जाइमर ग्रसित व्यक्ति को संभालने और इस रोग को समझने में मदद मिल सकती है। हम समझ सकते हैं कि अपने प्रियजनों में अल्जाइमर रोग से संबंधित बदलाव को स्वीकार करना आसान नहीं, लेकिन इस मुश्किल की घड़ी में हार नहीं माननी चाहिए। आर्टिकल में दी गई जानकारी की सहायता से आप अल्जाइमर रोगी को भावनात्मक और मानसिक सहायता देकर उनके साथ खड़े रहे सकते हैं। अल्जाइमर रोग के लक्षण को कम करने के लिए दवाओं के साथ ही घरेलू उपचार का भी डॉक्टर की सलाह पर इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर आप अल्जाइमर रोग से संबंधित कोई अन्य सवाल पूछना चाहते हैं, तो कमेंट बॉक्स के माध्यम से आप उसे हम तक पहुंचा सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
अल्जाइमर के लिए डॉक्टर से कब संपर्क करें?
लेख में ऊपर बताए गए अल्जाइमर रोग के लक्षण नजर आते ही, तुरंत डॉक्टर से संपर्क किया जाना चाहिए। जितनी जल्दी अल्जाइमर रोग का पता चलता है, उतनी जल्दी इस रोग का निदान करके स्थिति को काबू करने में मदद मिल सकती है।
क्या अल्जाइमर के नए लक्षण अन्य स्वास्थ्य स्थितियों को संभालने में परेशानी पैदा कर सकते हैं?
हां, अचानक सामने आने वाले अल्जाइमर डिजीज के नए लक्षण – जैसे नाम को भूलना, निर्णय लेने में परेशानी, टूथब्रथ करना भूलना अन्य स्वास्थ्य स्थितियों का इलाज करने में मुश्किल पैदा कर सकते हैं।
समय के साथ अल्जाइमर रोग कितना बढ़ेगा?
समय के साथ अल्जाइमर रोग और गंभीर हो सकता है, क्योंकि नए-नए लक्षण नजर आने लगते हैं। साथ ही ऐसा समय भी आ जाता है कि व्यक्ति कुछ भी बोलने और समझने की क्षमता को खो देता है। इस स्थिति के गंभीर होने की दर प्रत्येक रोगी पर निर्भर करती है। यह हर किसी में अलग-अलग हो सकती है।
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vinita pangeni
विनिता पंगेनी ने एनएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में बीए ऑनर्स और एमए किया है। टेलीविजन और डिजिटल मीडिया में काम करते हुए इन्हें करीब चार साल हो गए हैं। इन्हें उत्तराखंड के कई पॉलिटिकल लीडर और लोकल कलाकारों के इंटरव्यू लेना और लेखन का अनुभव है। विशेष कर इन्हें आम लोगों से जुड़ी रिपोर्ट्स करना और उस पर लेख लिखना पसंद है। इसके अलावा, इन्हें बाइक चलाना, नई जगह घूमना और नए लोगों से मिलकर उनके जीवन के अनुभव जानना अच्छा लगता है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/alzheimer-rog-ke-karan-lakshan-aur-ilaj-in-hindi/
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