Tumgik
#उम्र से संबंधित लक्षण
bestsexologistdoctor · 2 months
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Best Sexologist in Patna, Bihar for Complete SHI Treatment | Dr. Sunil Dubey
नमस्कार दोस्तों, एक बार फिर आपसे मिलकर खुशी हुई…
हेलो फ्रेंड्स, आप सभी के निवेदन पर हम आपके साथ पुनः पुरुषो में होने पाए जाने वाले यौन हॉर्मोन के एक महत्वपूर्ण टॉपिक के साथ पुनः हाजिर है। सबसे पहले आप
निम्नलिखित संकेतों या लक्षणों पर ध्यान देंगे जो आपके यौन हार्मोन “टेस्टोस्टेरोन” से के असंतुलन से संबंधित हैं और आपके यौन जीवन का अभिन्न हिस्सा है।
क्या आपकी यौन इच्छा दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है?
क्या आपका इरेक्शन या इरेक्टाइल फंक्शन कमजोर हो रहा है?
क्या आपके शरीर के बाल झड़ रहे हैं या कम हो रहे हैं?
क्या आपकी दाढ़ी का विकास सामान्य या नाममात्र का है?
क्या आपकी मांसपेशियों का द्रव्यमान दुबली या कम हो रहा है?
क्या आपका वजन बढ़ रहा है और आप मोटे होते जा रहे हैं?
क्या आप हमेशा उदास रहते हैं और नए लोगो से मिलने में रूचि नहीं रखते?
क्या आप ज्यादातर समय थका हुआ महसूस करते हैं?
क्या आपका ऊर्जा का स्तर कम है या सामान्य से भी कम होते जा रहा है?
क्या आपकी हड्डियाँ या मांसपेशियाँ कमज़ोर या खोई हुई प्रतीत हो रही हैं?
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आशा है कि आप उपयुक्त सभी संकेतो व लक्षणों पर गौर किया होगा, अगर इन में से कोई भी लक्षण आपमें मौजूद है तो आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि आपका यौन हार्मोन “टेस्टोस्टेरोन” असंतुलित है या हो रहा है।
टेस्टोस्टेरोन को कैसे संतुलित करें:
विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे जो कि पटना में शीर्ष-रेटेड सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर भी है, उनका कहना है कि आम तौर पर, प्राकृतिक के साथ ताल-मेल बिठाकर व अच्छी आदतो को अपनाकर साथ-ही-साथ आयुर्वेदिक दवाएँ हमारे स्वास्थ्य को संतुलित करने में संपूर्ण समाधान प्रदान करती हैं। आम तौर पर, यह टेस्टोस्टेरोन के स्तर को संतुलित बनाये रखने का प्राकृतिक तरीका है, जहाँ किसी भी उम्र का व्यक्ति कुछ दिशा-निर्देशों का पालन करके इसे बेहतर बना सकता है:-
पुरुषों का स्वास्थ्य फिटनेस
आदर्श शरीर का वजन
मधुमेह से दूर
हर दिन व्यायाम
अच्छी नींद
शराब और धूम्रपान का त्याग
दर्द निवारक दवाओं का त्याग
आयुर्वेदिक चिकित्सा-पद्धति का उपयोग
क्या आयुर्वेदिक दवा यौन समस्याओं के लिए सुरक्षित पद्धति है?
डॉ. सुनील दुबे, बिहार के बेस्ट सेक्सोलॉजिस्ट कहते हैं कि आयुर्वेदिक चिकत्सा हमेशा किसी भी गुप्त व यौन समस्या के इलाज के लिए सबसे अच्छी व प्राकृतिक होती पद्धति है। वास्तव में, यह एक पारंपरिक दवा है जहाँ शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। यह प्राकृतिक तरीके से समस्या को ठीक करता है और व्यक्ति को समस्याओं से पूरी तरह से राहत दिलाता है। वे आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा के बहुत बड़े विशेषज्ञ हैं, जहाँ उन्होंने पुरुषों और महिलाओं के निम्नलिखित यौन रोगों पर शोध कर आयुर्वेदिक दवा की खोज भी की है:-
स्तंभन दोष
शीघ्रपतन
स्वप्नदोष
धातु रोग
कामेच्छा में कमी
हार्मोनल असंतुलन
यौन उत्तेजना विकार
असामान्य ल्यूकोरिया
यौन संचारित रोग
अन्य यौन विकार
अपने पाँच वर्षों के कठिन शोध के बाद, उन्होंने सभी गुप्त व यौन रोगियों के लिए प्राकृतिक उपचारों की सफलतापूर्वक खोज की। अपने चिकित्सा-उपचार में, वे जड़ी-बूटियों, प्राकृतिक रसायन, प्राकृतिक गोलियाँ, प्राकृतिक तेल, प्रभावी व गुणवत्तपूर्ण भस्म और घरेलू उपचार जैसे प्राकृतिक पूरक की पूरी संरचना प्रदान करते हैं। सभी आयुर्वेदिक दवाएँ डॉ. सुनील दुबे के निर्देशन में दुबे लैब में तैयार की जाती हैं। आयुर्वेदा व सेक्सोलोजी मेडिकल साइंस के एक्सपर्ट लोग इन सभी आयुर्वदिक दवाओं को तैयार करती है।
प्रत्येक गुप्त व यौन रोगियों के लिए सही गंतव्य: दुबे क्लिनिक
दुबे क्लिनिक भारत का शीर्ष-स्तरीय आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान क्लिनिक है जो लंगर टोली, चौराहा, पटना-04 में स्थित है। यह बिहार का पहला आयुर्वेदिक क्लिनिक भी है जिसकी स्थापना 1965 में की गयी थी। वर्त्तमान समय में, विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे इस क्लिनिक के निदेशक हैं जो साढ़े तीन दशकों (35 वर्ष) से भी अधिक समय से अपने क्लिनिकल सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर पेशे से जुड़े हुए हैं। यह भारत का प्रमाणित आयुर्वेदिक क्लिनिक है जो पूर्णतः गुणवत्ता-सिद्ध चिकित्सा और उपचार प्रदान करता है। यह क्लिनिक चिकित्सा उपकरणों के पूरे सेट से सुसज्जित है जहाँ गुप्त व यौन रोगी अपनी चिकित्सीय जाँच करवाते हैं। क्लिनिक का अंदरूनी वातावण एक सकारात्मक आभा का निरूपण करती है।
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यह प्रामाणिक क्लिनिक पुरुष और महिला दोनों को अपना उपचार और दवा की सुविधाएँ प्रदान करता है। इस क्लिनिक में हर दिन तीस से चालीस गुप्त व यौन रोगी आते हैं जहाँ डॉ. सुनील दुबे उन सभी की समस्याओं का कारण जानने और उन्हें दवा प्रदान करने में मदद करते हैं।
यदि आप एक गुप्त या यौन रोगी हैं, और सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर क्लिनिक या अस्पताल की तलाश कर रहे हैं; तो दुबे क्लिनिक हमेशा आपके लिए सबसे अच्छा विकल्पों में से एक है। यह क्लिनिक आपको सबसे सुरक्षित चिकित्सा उपचार प्रदान करता है जहाँ आप अपनी समस्याओं का पूर्णकालिक समाधान कर सकते है। साढ़े सात लाख से अधिक लोगो ने दुबे क्लिनिक के उपचार व चिकित्सा से अभी तक लाभान्वित हुए है।
अधिक जानकारी के लिए, जरूरतमंद व्यक्ति हमें +91 98350 92586 पर कॉल कर सकते हैं।
हार्दिक सम्मान के साथ
डॉ. सुनील दुबे, सीनियर सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर
बी.ए.एम.एस. (रांची) | एम.आर.एस.एच. (लंदन) | आयुर्वेद में पी.एच.डी. (यू.एस.ए.)
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350 925486
वेन्यू: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना, बिहार
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drsandeepjain · 5 months
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बढ़ती उम्र में आजकल पित्ताशय की पथरी की समस्या आम हो गई है।
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परिचय जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारे शरीर में विभिन्न परिवर्तन होते हैं, और दुर्भाग्य से, एक आम समस्या जो उत्पन्न होती है वह है पित्त पथरी का विकास। ये छोटे, कठोर जमाव महत्वपूर्ण असुविधा पैदा कर सकते हैं और यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो अधिक गंभीर जटिलताएँ हो सकती हैं। पित्ताशय की पथरी से जुड़े लक्षणों को पहचानना समय पर हस्तक्षेप और स्थिति के प्रभावी प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है। यहां वह है जो आपको जानना आवश्यक है:
लक्षणों की पहचान:
असहनीय पेट दर्द: पित्ताशय की पथरी के कारण पेट के ऊपरी हिस्से में तीव्र, असहनीय दर्द हो सकता है, जो अक्सर पीठ या कंधे के ब्लेड तक फैल जाता है। यह दर्द लहरों के रूप में आ और जा सकता है, और इसकी गंभीरता हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकती है।
बुखार और ठंड लगना: कुछ मामलों में, पित्ताशय की पथरी पित्ताशय में सूजन या संक्रमण पैदा कर सकती है, जिससे बुखार और ठंड लग सकती है। ये लक्षण आम तौर पर लगातार पेट की परेशानी के साथ होते हैं और इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
त्वचा और आंखों का पीला पड़ना: पीलिया, जो त्वचा और आंखों के पीलेपन की विशेषता है, तब हो सकता है जब पित्त पथरी पित्त नलिकाओं में बाधा डालती है, जिससे उचित पित्त प्रवाह नहीं होता है। यदि आप इस मलिनकिरण को नोटिस करते हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेना आवश्यक है।
गहरे रंग का मूत्र: पित्त पथरी से संबंधित रुकावटें पित्त के सामान्य प्रवाह को प्रभावित कर सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप गहरे रंग का मूत्र आता है। मूत्र के रंग में यह परिवर्तन, अन्य लक्षणों के साथ, ��ित्ताशय की समस्या का संकेत दे सकता है। की जा रहा कार्रवाई:
यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं या आपको संदेह है कि आपको पित्त पथरी हो सकती है, तो मदद के लिए पहुंचने में संकोच न करें। डॉ. संदीप जैन, एक प्रतिष्ठित लेप्रोस्कोपिक, पाचन और बेरिएट्रिक सर्जन, विशेषज्ञ मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करने के लिए यहां हैं।
डॉ. संदीप जैन के बारे में:
एम.बी.बी.एस., एम.एस., और एम.सीएच सहित व्यापक योग्यता के साथ। (मिनिमल एक्सेस सर्जरी) एम्स, नई दिल्ली से, डॉ. संदीप जैन अपने अभ्यास में ज्ञान और अनुभव का खजाना लेकर आते हैं। रोगी देखभाल के प्रति उनका दयालु दृष्टिकोण और उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता उन्हें एक विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवा प्रदाता बनाती है।
संपर्क जानकारी:
पित्ताशय की पथरी और उपलब्ध उपचार विकल्पों के बारे में अधिक जानने या परामर्श निर्धारित करने के लिए, डॉ. संदीप जैन से संपर्क करें:
📞 फ़ोन: 8770881068 ✉ ईमेल: [email protected] 📍 पता: MIG-16, पुराना विधायक निवास, जवाहर चौक, भोपाल, मध्य प्रदेश 462003
अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें:
आपका स्वास्थ्य अमूल्य है, और आपकी भलाई को बनाए रखने के लिए किसी भी चिंता का तुरंत समाधान करना आवश्यक है। पित्त पथरी के चेतावनी संकेतों को नज़रअंदाज़ न करें- आज ही डॉ. संदीप जैन से परामर्श लेकर बेहतर स्वास्थ्य की दिशा में सक्रिय कदम उठाएँ। सर्वोत्तम स्वास्थ्य की ओर आपकी यात्रा एक साधारण फ़ोन कॉल या ईमेल से शुरू होती है—संपर्क करने में संकोच न करें!
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felixhealthservice · 6 months
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ग्लूकोमा रोग (Glaucoma Disease In Hindi) - लक्षण, कारण और उपचार
हमारे शरीर के सबसे खास और नाजुक अंगों में से एक होती हैं आंखें। अगर हम इनका ख्‍याल नहीं रखें, तो यह छोटी-सी परेशानी बड़ी तकलीफ में बदल सकती है। लेकिन बहुत कम लोगों को अपनी आंखों की सेहत के प्रति ध्यान देने की जरूरत का एहसास होता है। इसीलिए, बहुत से लोग अपनी आंखों की सेहत के बारे में सचेत नहीं होते हैं, और इस अनसुचित ध्यान के कारण, 40 साल की उम्र के बाद कई लोग आंखों की गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें से काला मोतियाबिंद (कैटरैक्ट) भी एक है।
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एक अनुमान के अनुसार, भारत में 40 साल से अधिक आयु के लगभग 1 करोड़ या उससे अधिक लोग काले मोतियाबिंद से पीड़ित होते हैं। अगर उन्हें सही समय पर उपचार नहीं मिला तो उनकी आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली जाती है। इसके अलावा, लगभग तीन करोड़ लोगों को प्राथमिक (क्रॉनिक) ओपन एंगल ग्लूकोमा होता है या होने का खतरा है(glaucoma disease in hindi)।
इस समस्या से बचने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी आंखों का नियमित रूप से जांच कराएं, सही उपचार कराएं, पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें और अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं।क्या आप आपके नजदीकी में हॉस्पिटल में ग्लूकोमा की जाँच चाहते है , फेलिक्स हॉस्पिटल आपकी सहायता के लिए तैयार है। आज ही हमसे संपर्क करें और हमारी सेवाओं के बारे में अधिक जानें और देखें कि हम आपके परिवार को सर्वोत्तम देखभाल कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं। हम आपके परिवार के स्वास्थ्य सफ़र में हिस्सा बनने के लिए उत्साहित हैं। अभी फेलिक्स हॉस्पिटल से संपर्क करें और हमारे ऑप्थॉलॉजी टीम के साथ एक परामर्श की तारीख तय करें। हमें कॉल करें - +91 9667064100।
ग्लूकोमा या मोतियाबिंद क्या होता है(Glaucoma Kya Hota Hai)?
आंखें, हमारे लिए कुदरत का तोहफा मानी जाती हैं, जिनकी मदद से हम दुनिया के खूबसूरत नजारे ले पाते हैं। हालांकि समय के साथ आंखों से संबंधित कई प्रकार की बीमारियों का जोखिम बढ़ता जा रहा है। यहां तक कि कम उम्र के लोग भी रोशनी की कमजोरी, कम दिखाई देने के शिकार हो रहे हैं जिस वजह से उन्हें चश्मे की जरूरत हो सकती है। पिछले कुछ वर्षों में आंखों से संबंधित कई बीमारियों को भी बढ़ते देखा जा रहा है, ग्लूकोमा (glaucoma) उनमें से एक है। ग्लूकोमा या काला मोतियाबिंद (black cataract) को 'दृष्टि चोर sight thief' भी कहा जाता है, क्योंकि अधिकांश समय तक इसके कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखते और धीरे-धीरे दिखना बंद हो जाता है।
काला मोतिया और सफेद मोतिया दोनों में ही दृष्टि धीरे-धीरे कम होती है, लेकिन दोनों में एक अंतर है, सफेद मोतिया में ऑपरेशन के बाद दृष्टि वापस आ जाती है, लेकिन काला मोतिया के कारण जो नजर जाती है, वह लौटती नहीं है। इसका बड़ा कारण है काला मोतिया में आंखों की भीतरी नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं यानी जो नसें आंखों को दिमाग से जोड़ती हैं, जिससे इंसान देख पाता है, वे पूरी तरह खराब हो जाती हैं। हर साल 12 मार्च को दुनियाभर में विश्व ग्लूकोमा दिवस World Glaucoma Day मनाया जाता है, ताकि इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके।ग्लूकोमा की कई श्रेणियां होती हैं। पहली श्रेणी को प्राइमरी ओपन एंगल या क्रोनिक ग्लूकोमा कहते हैं, दूसरी श्रेणी क्लोज्ड एंगल या एक्यूट ग्लूकोमा और तीसरी श्रेणी कानजेनियल या सेकेंडरी ग्लूकोमा होती है।
प्रारंभिक अवस्था में ग्लूकोमा सामान्य तौर पर कोई गौर करने लायक लक्षण नहीं प्रकट करता। क्रोनिक ग्लूकोमा इतनी धीमी गति से विकसित होता है क��� कुछ पता ही नहीं चलता। ऐसे में आपको समय-समय पर अपनी आंखों की जांच कराते रहना चाहिए, ताकि लक्षणों का पता लगते ही इससे बचा जा सके। एक्यूट ग्लूकोमा की स्थिति जो की इंट्रोक्युलर प्रेशर (आंखों के अंदर दबाव) में वृद्धि की वजह से आती है। इसके लक्षण यह है(Glaucoma Symptoms In Hindi), जैसे आंखों में अंध क्षेत्रों का एहसास, प्रकाश के चारों तरफ इंद्रधनुषी रंगों का प्रभामंडल नज़र आना, आंखों में तेज दर्द, चेहरे में दर्द, लाल आंखे, रोशनी के चारों तरफ प्रभामंडल के साथ धुंधली दृष्टि और मतली आना। जिन लोगों को ग्लूकोमा होने का अधिक खतरा रहता है उनमे यदि किसी के परिवार में ग्लूकोमा रहा है, मधुमेह की पृष्ठभूमि, ऊंचे माइनस या प्लस पावर का चश्मा पहनने वाले या हाइपरटेंशन से पीड़ित लोग।
आंखें ईश्वर का वरदान हैं, इन्हीं की मदद से हम दुनिया के खूबसूरत नजारे ले पाते हैं। हालांकि दुर्भाग्यवश भारत में अनुमानित 4.95 मिलियन (49.5 लाख) से अधिक लोग अंधेपन का शिकार हैं, इनमें बच्चे भी शामिल हैं। दिनचर्या-आहार में गड़बड़ी के कारण समय के साथ इसका खतरा और भी बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को आंखों की गंभीरता से देखभाल करनी चाहिए। इसके लिए पौष्टिक आहार का सेवन, आंखों को चोट से बचाने के साथ दिनचर्या में कुछ बदलाव भी आवश्यक हैं। अगर आपको भी इस तरह की दिक्कतें हो रही हैं तो सावधान हो जाइए।(Glaucoma Symptoms In Hindi) धीरे-धीरे आपकी दृष्टि में हर जगह धब्बे दिखाई देने लगते हैं। चीजों को देखने में कठिनाई होती है, अधिक जोर लगाने की जरूरत हो सकती है। अक्सर सिरदर्द- आंखों में तेज दर्द रहना। दर्द के साथ मतली या उल्टी जैसा लगना।
धुंधली दृष्टि। रोशनी के चारों रंगीन छल्ले नजर आना। आंखों का अक्सर लाल रहना लक्षण है। दुनियाभर में बढ़ती आंखों की समस्या और अंधेपन का एक कारण ग्लूकोमा को माना जाता है। ग्लूकोमा (glaucoma in hindi), आंखों की बीमारियों का एक समूह है जो ऑप्टिक नर्व नामक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाकर दृष्टि हानि और अंधापन का कारण बन सकती है।
ग्लूकोमा से बचने के लिए आपको कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत होती है। जैसे कि आंखों में कोई भी ड्रॉप डालने से पहले अपने हाथों में अच्छी तरह धो लें। दवाई को ठंडी और ड्राई जगह पर रखें। एक बार में एक ही ड्रॉप डालें और दो दवाइयों के बीच में आधा घंटे का गैप जरूर करें। अगर आप अपने आई स्पेशलिस्ट से लगातार मिलते रहते हैं और समय से दवाइयां लेते हैं , तो आप अपने ग्लूकोमा को समय से कंट्रोल करके एक नॉर्मल लाइफ जी सकते हैं।विश्व ग्लूकोमा दिवस World Glaucoma Day जागरूकता के लिए मनाया जाता है ताकि इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके |
क्यों होता है काला मोतिया Why Does Glaucoma Occur ?
काला मोतिया होने का सबसे बड़ा कारण (Causes of Glaucoma In Hindi ) है आंखों का दबाव बढ़ना। जिस तरह रक्तचाप बढ़ने से शरीर को नुकसान होता है, उसी तरह दबाव बढ़ने से आंखों को भी नुकसान होता है। इसे समय रहते नियंत्रित करना जरूरी है। दबाव के कारण आंखों के पीछे की नसें सूखने लगती हैं और उनके कार्य करने की क्षमता खत्म हो जाती है। एक बार इन नसों के नष्ट होने के बाद उसे वापस नहीं लाया जा सकता। ग्लूकोमा आंखों में होने वाली बीमारी है जो ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाती है। ऑप्टिक नर्व्स आपकी आंख से मस्तिष्क तक दृश्यों की जानकारी भेजती हैं। आंख में किसी कारण से उच्च दबाव की स्थिति इन तंत्रिकाओं को क्षति पहुंचाने वाली हो सकती है। ये ग्लूकोमा का कारण बन सकती है। ग्लूकोमा किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन वृद्ध लोगों में यह अधिक आम है। 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में अंधेपन के लिए इसे प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है। अगर आप नियमित रूप से आंखों की जांच कराते रहते हैं तो आंखों पर पड़ने वाले दबाव का पता लगाने और समय रहते ग्लूकोमा का निदान करने में मदद मिल सकती है।
सफेद मोतिया व काला मोतिया में अंतर (Difference Between Cataract and Glaucoma Disease In Hindi)
दोनों में काफी अंतर है। काला मोतिया (ग्लूकोमा) में यदि रोशनी चली जाए तो वह फिर वापस नहीं आ सकती। इसका कोई भी इलाज उपलब्ध नहीं है, जबकि सफेद मोतिया (मोतियाबिंद) में रोशनी वापस आ सकती है। इसका आसान सा इलाज मौजूद है। यह मर्ज उम्र बढ़ने के साथ होता है। 60 वर्ष के बाद अक्सर लोगों में होता है।
ग्लूकोमा कितने प्रकार के होते है (Types Of Glaucoma In Hindi)
ओपन-एंगल (क्रोनिक) ग्लूकोमा (Open-angle (chronic) glaucoma):- नेशनल आई इंस्टीट्यूट के अनुसार यह एक सबसे आम प्रकार का ग्लूकोमा है जिससे ज्यादातर लोग प्रभावित होते हैं। यह समस्या का विषय इसलिए भी है क्योंकि इसमें आंखों की रोशनी धीमे-धीमे कम होने के अलावा कोई भी लक्षण देखने को नहीं मिलता। ऐसे में आंखों की रोशनी कम होने के पीछे के कारण का पता लगाना मुश्किल हो जाता है हालांकि चिकित्सा परामर्श लेने के बाद इस चीज का पता लगाया जा सकता है।
एक्यूट एंगल क्लोजर ग्लूकोमा acute angle closure glaucoma :- यह एक इमरजेंसी सिचुएशन है। जिसमें aqueous humor fluid अचानक रुक जाता है। जिसके बाद आंखों में तेज दर्द की समस्या होती है। इसमें आंखों के सामने धुंधलापन सबसे आम लक्षण हैं ऐसे में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर फौरन डॉक्टर के पास जाना सबसे बेहतर विकल्प है। यदि वक्त पर इसका पता लग जाए तो इसका इलाज सर्जरी के माध्यम से संभव होता है।
नॉर्मल टेंशन ग्लूकोमा (normal tension glaucoma) :- ग्लूकोमा क्या होता है ?(Glaucoma kya hota hai )कुछ मामलों में बिना दबाव के ऑप्टिक तंत्रिका पर नुकसान पहुंच जाता है। इस प्रकार के पीछे का कारण क्या है यह अभी तक पता नहीं चल पाया है हालांकि अत्याधिक संवेदनशीलता या आपके ऑप्टिक तंत्रिका में रक्त के प्रभाव में कमी इस प्रकार के ग्लूकोमा का कारण बन के सामने आ सकता है।
सेकेंडरी ग्लूकोमा (secondary glaucoma) :- ग्लूकोमा का यह प्रकार अक्सर आंखों की स्थिति यह किसी अन्य चोट के कारण हो सकता है। मोतियाबिंद आंखों में ट्यूमर का दुष्प्रभाव भी ग्लूकोमा के इस प्रकार का कारण बन सकता है। कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स जैसी दवाएं भी इस प्रकार के ग्लूकोमा का कारण बन सकती हैं।  
जन्मजात ग्लूकोमा (congenital glaucoma) :- जैसे कि इसके नाम से पता चलता है कि यह जन्म के साथ ही खो जाता है। यह शिशु की आंखों में दोष के कारण होता है। जो सामान्य द्रव निकासी को धीमा कर देता है। आमतौर पर इसके लक्षण देखने को मिलते हैं। जिसमें आंखों से पानी आना, ज्यादा रोशनी ना बर्दाश्त कर पाना सबसे आम लक्षण है।
ग्लूकोमा के लक्षण क्या होते हैं (Glaucoma Symptoms In Hindi) :
ग्लूकोमा के लक्षण रोग की स्थिति और इसके प्रकारों पर निर्भर करती है। शुरुआती चरणों में इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं पर समय के साथ ये कम दिखाई देने या अंधेपन का कारण बन सकती है। इसके अलावा ग्लूकोमा बढ़ने के कारण आपको अक्सर सिरदर्द होने, आंखों में तेज दर्द, मतली या उल्टी, धुंधला दिखाई देने, आंखों के लाल होने की समस्या हो सकती है। ग्लूकोमा वाले रोगियों में जिस लक्षण को सबसे प्रमुखता से देखा जाता है वह है किसी बल्ब या रोशनी की तरफ देखने पर इंद्रधनुषी घेरा दिखाई देना। अगर आपको भी कुछ समय से बल्ब देखते समय उसके आसपास किसी तरह का घेरा दिखाई देता है तो इसे ग्लूकोमा का संकेत माना जा सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं सभी लोगों को इसके जोखिमों को लेकर अलर्ट रहने की आवश्यकता होती है।आइये जानते है ग्लूकोमा के लक्षण व ग्लूकोमा क्या होता है (Glaucoma kya hota hai)? 
रोशनी के चारों तरफ इंद्रधनुष दिखने लगता है।
धीरे-धीरे देखने में भी परेशानी बढ़ने लगती है।
दबाव बढ़ने पर आंखों के चारों तरफ और सिर में दर्द महसूस होता है।
अक्सर मरीज जब डॉक्टर के पास पहुंचता है, तो पता चलता है कि नजर जा चुकी होती है।
यदि कभी आंखों में बहुत तेज दर्द महसूस होता है तो उसका मतलब है कि आंखों पर प्रेशर अचानक काफी बढ़ गया है।
फेलिक्स हॉस्पिटल आपकी सहायता के लिए तैयार है। आज ही हमसे संपर्क करें और हमारी सेवाओं के बारे में अधिक जानें और देखें कि हम आपके परिवार को सर्वोत्तम देखभाल कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं। हम आपके परिवार के स्वास्थ्य सफ़र में हिस्सा बनने के लिए उत्साहित हैं। अभी फेलिक्स हॉस्पिटल से संपर्क करें और हमारे ऑप्थॉलॉजी टीम के साथ एक परामर्श की तारीख तय करें। हमें कॉल करें - +91 9667064100।
ग्लूकोमा से बचने के उपाय (Glaucoma Treatment In Hindi) :
 घर में अगर किसी को ग्लूकोमा है तो बच्चे को होने की ज्यादा संभावना होती है क्योंकि यह एक आनुवांशिक बीमारी है। ऐसे में बच्चे की आंखों की जांच करवा लीजिए।
आंखों की एलर्जी, अस्थमा, चर्म रोग या किसी अन्य रोग के लिए स्टेरॉइड दवाओं का प्रयोग करने से आंखों में दिक्कत आ जाती है। ऐसी दवाईयों के सेवन से बचे।
आंखों में दर्द हो या आंखें लाल हो जाएं तो स्पेशलिस्ट डॉक्टर से सलाह लेकर ही दवा का प्रयोग करें।
खेलने के दौरान (टेनिस या क्रिकेट बॉल से) अगर आंखों में चोट लग जाए तो इसका इलाज कराएं।
आंखों में कभी किसी प्रकार की कोई सर्जरी हुई हो या कोई घाव हो गया हो तो उसकी जांच समय-समय पर करवाते रहें, क्योंकि सर्जरी से ग्लूकोमा होने का खतरा बढ़ जाता है।
हर दो साल में आंखों की नियमित जांच करवाते रहिए। चेकअप करवाने से आंखों की रोशनी का पता लगाया जा सकता है।
अगर आपके चश्मे का नंबर बदल रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कीजिए।
जब आप सीधे देख रहें हों तो आंखों के किनारे से न दिखाई दे रहा हो तब आंखों की जांच करवाएं।
आंखों में दर्द हो, सिर और पेट में दर्द हो तो इसको नजरअंदाज मत कीजिए, तुरंत चिकित्सक से संपर्क कीजिए।
आंखों को पोषण देने वाले तत्वों  जैसे बादाम, दूध, संतरे का जूस, खरबूजे, अंडा, सोयाबीन का दूध, मूंगफली आदि का ज्यादा मात्रा में सेवन कीजिए।
ग्लोकोमा (काला मोतिया) के लिए निदान, स्क्रीनिंग और परीक्षण (Glaucoma Treatment In Hindi) :
नियमित नेत्र परीक्षा के दौरान, एक टोनोमीटर का उपयोग आपके इंट्रा ऑक्युलर दबाव, या IOP को मापने के लिए किया जाता है । आपकी आंख आमतौर पर टोपिकल (सामयिक) आई ड्रॉप के साथ सुन्न कर दी जाती है, और एक छोटा सा प्रोब , धीरे-धीरे आँखों की सतह पर आकर टिकता है । अन्य टोनोमीटर आपकी आंख की सतह पर हवा का एक झोंका जैसा छोड़ते हैं ।
एक असामान्य रूप से उच्च IOP रीडिंग आंख में तरल पदार्थ की मात्रा के साथ एक समस्या को इंगित करता है । या तो आंख बहुत अधिक तरल पदार्थ का उत्पादन कर रही होती है, या यह ठीक से  बाहर  नहीं निकल पा रही है ।
आम तौर पर, IOP 21 mmHg (मिलीमीटर पारा के) से नीचे होना चाहिए - माप की एक इकाई जो एक निश्चित परिभाषित क्षेत्र के भीतर कितना बल है, इस पर आधारित होती है ।
यदि आपका IOP 30 mmHg से अधिक है, तो ग्लोकोमा (काला मोतिया) से दृष्टि की हानि का जोखिम 15 mmHg या उससे कम इंट्राओक्यूलर दबाव वाले किसी व्यक्ति की तुलना में 40 गुना अधिक है । यही कारण है कि ग्लोकोमा (काला मोतिया) के उपचार जैसे आई ड्रॉपस IOP को कम रखने के लिए  डिज़ाइन किए गए हैं ।
ग्लोकोमा (काला मोतिया) की निगरानी के अन्य तरीकों में आधारभूत चित्र और आंख के ऑप्टिक नर्व  और आंतरिक संरचनाओं के माप को बनाने के लिए परिष्कृत इमेजिंग तकनीक का उपयोग शामिल है ।
फिर, निर्दिष्ट अंतराल पर, यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त चित्र और माप लिया जाता है कि कोई परिवर्तन तो नहीं हुआ है जो प्रगतिशील ग्लोकोमा (काला मोतिया) से होने वाले क्षति का संकेत दे सकता है ।
उपयोगी सुझाव (Glaucoma Treatment In Hindi)
आंखों में ड्राइनेस बढ़ जाने पर जलन, खुजलाहट महसूस होती है।
लगातार स्क्रीन पर समय बिताने के बजाय ब्रेक लेना आवश्यक है।
हर आधे घंटे में पांच मिनट का ब्रेक लेकर दूर देखें, आंखों को थोड़ी राहत दें।
40 वर्ष की उम्र के बाद हर वर्ष कम से कम एक बार आंखों की जांच जरूरी है।
आंखों को ब्लिंक करते रहें यानी पलकों को झपकाते रहें, अन्यथा आंखों में ड्राइनेस बढ़ती है।
अगर में आंखों में तकलीफ महसूस हो रही है, तो तुरंत नेत्र चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
स्मार्टफोन या लैपटाप पर काम करते समय आसपास पर्याप्त रोशनी रखें, अंधेरे में काम न करें।
हमारी आंखें नजदीक नहीं, दूर देखने के लिए बनी हैं। लगातार नजदीक में देखते रहने से आंखों पर जोर पड़ता है
Resource: https://www.felixhospital.com/blogs/glaucoma-disease-In-hindi
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bhoomikakalam · 10 months
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सूर्यास्त के समय ये गलती भी न करें-Bhoomika kalamwww.astrobhoomi.com
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माना जाता है कि सूर्यास्त के बाद देवी-देवता सोने चले जाते हैं और शंख या घंटी की आवाज से उनके आराम में खलल पड़ता है. शास्त्रों में सुबह-सुबह सूर्य देव की पूजा करने और उन्हें जल चढ़ाने का विधान है लेकिन सूर्यास्त के बाद कभी भी सूर्य देव की पूजा नहीं करनी चाहिए. सूर्यास्त के बाद सूर्य देव की पूजा ये शुभ नहीं माना जाता है. हिंदू धर्म,ज्योतिष शास्त्र में सूर्योदय के समय कौन से कार्य करने चाहिए और सूर्यास्त के समय किन कार्यों को नहीं करना चाहिए। इस बारे में विस्तार से बताया गया है। अपने बड़े बुजुर्गों से इस बात को हमेशा सुनते चले आ रहे हैं कि शाम के समय झाड़ू न लगाएं, चौखट पर न बैठे, नाखून न काटे जैसी कई चीजों नहीं करनी चाहिए। बड़े बुजुर्गों की बात को अधिकतर अनसुना कर देते हैं कि ऐसा कुछ नहीं होता है। वहीं शास्त्रों के अनुसार बात करें, तो सूर्यास्त के बाद वातावरण में सबसे ज्यादा नकारात्मक ऊर्जा फैली होती है। ऐसे में सूर्यास्त के बाद बिल्कुल भी कुछ कामों को नहीं करना चाहिए। इससे तरक्की के साथ सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है।
सूर्यास्त के बाद बिल्कुल न करें ये काम बाल, नाखून आदि काटना
सूर्यास्त के बाद बिल्कुल भी नाखून, बाल, दाढ़ी आदि नहीं काटनी चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण व्यक्ति कभी भी कर्ज से छुटकारा नहीं पा पाता है।
पेड़ पौधों को छूना
इस बात को अधिकतर हर कोई सुनता चला रहा है कि सूर्यास्त के बाद पेड़ पौधों को न छूना चाहिए और न ही पानी देना चाहिए। क्योंकि वह सो जाते हैं। ऐसे में उन्हें छूना या पत्तियां तोड़ने से वह नाराज हो जाते हैं।
कपड़े धोना या सूखना
शास्त्रों के अनुसार, सूर्यास्त के बाद कपड़ों को न धो चाहिए और न ही सुखाना चाहिए। क्योंकि सूर्यास्त के बाद वातावरण में सबसे अधिक सकारात्मक ऊर्जा होती है। ऐसे में वह कपड़ों में प्रवेश कर जाती है। इससे व्यक्ति के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
अंतिम संस्कार करना
गरुण पुराण के अनुसार, सूर्यास्त के बाद कभी भी अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से वह व्यक्ति परलोक में कई कष्टों का सामना करना है। इसके साथ ही अगले जन्म में उसके अंगों में खराबी आ सकती है।
दही का सेवन
सूर्यास्त के बाद दही का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि उसकी तासीर ठंडी होती है। इसके अलावा दही का संबंध शुक्र ग्रह से हैं। वहीं शुक्र ग्रह को धन-वैभव, आकर्षण आदि का कारक माना जाता है। सूर्य और शुक्र के बीच मित्रता का भाव नहीं है। ऐसे में सूर्यास्त के बाद इसका सेवन करने से कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कई ऐसे काम (Work) हैं जिनको करने का समय तय होता है. दादी-नानी के जमाने से ही उन कामों को खास समय पर करने की सलाह दी जाती रही है. हिन्दू धर्म और वास्‍तु (Vastu) शास्‍त्र में भी कई ऐसे काम हैं जिनको समय से जोड़ कर देखा जाता है. मसलन कुछ काम सूर्योदय (Sunrise) के बाद तो कुछ काम सूर्यास्‍त (After Sun Set) से पहले करने की सलाह दी जाती है. तो आज हम आपको बताते हैं कि कौन से काम आपको सूरज ढलने के बाद यानी सूर्यास्‍त के बाद नहीं करनी चाहिए.
मान्यता के अनुसार अगर ऐसा किया जाता है तो घर में रोग, शोक और संकट (Problem) पैदा हो सकते हैं. यही नहीं, ज्‍योतिष के मुताबिक ऐसा करने से देवी लक्ष्मी भी रूठ जाती हैं. तो आइए जानते हैं कि किन कामों को सूरज ढलने के बाद नहीं करना चाहिए (Things to avoid after sunset)
नाखून और बाल काटना
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सूरज ढलने के बाद नाखून और बाल नहीं काटना चाहिए. यही नहीं, शेविंग करने से भी बचना चाहिए. ऐसा करने से घर में निगेटिव एनर्जी का वास होता है. यह भी माना जाता है कि ऐसा करने से घर पर कर्ज बढ़ता है.
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पेड़ पौधों को छूना या पानी देना
मान्‍यता है कि कभी भी सूर्यास्त के बाद पेड़ पौधों को छूना या उनके पत्ते तोड़ना नहीं चाहिए. यह भी माना जाता है कि उन्‍हें पानी भी रात के समय नहीं देना चाहिए. कहा जाता है कि सूर्यास्त के बाद पेड़ पौधे भी सो जाते हैं.
कपड़े धोना और सुखाना
सूर्यास्त के बाद कपड़े धोने से भी मनाही होती है. यही नहीं, शाम के बाद कपड़ा सूखाना भी गलत माना जाता है. मान्‍यता है कि ऐसा करने से आकाश की सारी निगेटिव एनर्जी कपड़ों में प्रवेश करती है और इंसान इन्‍हें पहनकर बीमार हो सकता है.
भोजन को खुला रखना
सूर्यास्त के बाद भोजन या पानी को खुला नहीं रखना चाहिए. इन्‍हें हमेशा ढककर ही रखना चाहिए अगर छोड़ दिया जाए तो इसमें निगेटिव एनर्जी का वास हो जाता है जिसे खाने से बीमार हो सकते हैं.
अंतिम संस्कार
पुराणों में कहा गया है कि सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से मरने वाले को परलोक में कष्ट भोगना पड़ता है और अगले जन्म में वह अपंग पैदा हो सकता है.
दही या चावल का सेवन
पुराणों में सूर्यास्त के बाद दही का सेवन वर्जित माना गया है. इसी तरह सूर्यास्त के बाद चावल का सेवन भी नहीं किया जाता है.
undefined ये भी पढ़ें: रविवार को सूर्यदेव की पूजा के बाद जरूर पढ़ें ये आरती, बढ़ेगी उम्र
दही का दान
दही का संबंध शुक्र ग्रह से है और शुक्र को धन वैभव का प्रदाता माना गया है. ऐसे में सूर्यास्त के समय या सूर्यास्त के बाद दही का दान करने से सुख-समृद्धि चली जाती है.
झाड़ू-पोछा
मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू-पोछा या साफ-सफाई नहीं करनी चाहिए. ऐसा करने से धन की हानि हो सकती है.
गोधुली बेला में सोना
सूर्यास्त के ठीक बाद यानी कि गोधुली बेला में नहीं सोना चाहिए. इस समय संभोग भी वर्जित माना जाता है. ऐसा करने से पति-पत्‍नी की सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. इस समय पूजा पाठ करने की बात की गई है. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
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Uterine Fibroids in Hindi | गर्भाशय में रसौली: कारण, लक्षण, तथा उपचार
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गर्भाशय में रसौली क्या है?
गर्भाशय में रसौली, जिसे रहितीयोमा (Fibroid) भी कहा जाता है, महिलाओं के गर्भाशय में पायी जाने वाली एक सामान्य स्थिति है, जिसमें उनके गर्भाशय के भीतर या उसके आस-पास उपस्थित गांठ अकस्मात् बढ़ती हैं। यह  गांठे अवश्यक रूप से गर्भाशय के बाहरी दीवार प�� नहीं बढ़ती, बल्कि इन रसौलियों का विकास गर्भाशय की भीतरी लाइनिंग पर होता है। इस ब्लॉग में, हम गर्भाशय में रसौली के कारण, लक्षण, उपचार और जांच से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं को विस्तार से देखेंगे।
गर्भाशय में रसौली के कारण: (Uterine Fibroids Causes in Hindi)
गर्भाशय में रसौली के कई कारण हो सकते हैं। आमतौर पर, इनका मुख्य कारण है हॉर्मोनल असंतुलन, जिसका मतलब है कि शरीर के हॉर्मोन्स में अनियमितता, जिनसे रसौलियों का विकास हो सकता है। अन्य कारणों में बढ़ती उम्र, विशेष रूप से 30 साल की उम्र के बाद, शरीर में अधिक फैट जमा होना, शरीर में विटामिन डी की कमी, हानिकारक दिनचर्या जैसे सिगरेट एवं मादक पदार्थो का सेवन, genetic pravrati ka shamil hona.
और जेनेटिक प्रवृत्ति शामिल हो सकती है।
गर्भाशय में रसौली के लक्षण: (Uterine Fibroids Symptoms in Hindi)
गर्भाशय में रसौली के लक्षण आमतौर पर बहुत नार्मल होते हैं और उन्हें अनदेखा किया जा सकता है। कुछ महिलाएं यह समझती हैं कि ये लक्षण पीरियड्स के आसपास के समय में होने वाले आम दर्दों का हिस्सा हैं। इसलिए इस अवस्था को समझने में महिलाये अक्सर देर कर देती है. कुछ लक्षण जो इस स्तिथि को पुख्ता करते है वो निम्न हैं:
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medtalksblog · 2 years
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medtalks01 · 2 years
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मधुमेह और स्ट्रोक के बीच क्या संबंध है? What is the connection between diabetes and stroke?
मधुमेह स्ट्रोक सहित कई स्वास्थ्य स्थितियों के लिए आपके जोखिम को बढ़ा सकता है। 
अमेरिकन स्ट्रोक एसोसिएशन (American Stroke Association) के अनुसार, मधुमेह वाले लोगों में मधुमेह के बिना लोगों की तुलना में स्ट्रोक होने की संभावना दोगुनी होती है। उन्हें पहले की उम्र में स्ट्रोक होने की अधिक संभावना होती है, और इसका परिणाम और भी खराब हो सकता है। यदि आपको प्रीडायबिटीज है, तो आपको पहले से ही बिना डायबिटीज (diabetes) वाले लोगों की तुलना में हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा अधिक है। 
स्ट्रोक क्या है? What is stroke?
स्ट्रोक एक जानलेवा स्थिति है जो तब होती है जब आपके मस्तिष्क के हिस्से में पर्याप्त रक्त प्रवाह नहीं होता। यह आमतौर पर मस्तिष्क में अवरुद्ध धमनी के कारण बाधित हुए रक्त प्रवाह (blood flow) और ऑक्सीजन के कारण या मस्तिष्क में रक्त धमनी फटने (नस फटने) की वजह से हुए रक्तस्राव के कारण होता है। रक्त की निरंतर आपूर्ति के बिना, उस क्षेत्र में मस्तिष्क की कोशिकाएं ऑक्सीजन की कमी से मरने लगती हैं जो कि स्ट्रोक (stroke) का रूप लेता है, जिसे ब्रेन डैमेज भी कहा जाता है। दोनों ही सूरतों में मस्तिष्क तक उचित मात्रा में रक्त और ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाता जिसकी वजह से स्ट्रोक होता है। स्ट्रोक आने पर निम्न समस्याएँ हो सकती है :-
बोलने या समझने में कठिनाई।
स्मृति लोप।
स्तब्ध हो जाना या पक्षाघात (चलने में असमर्थता)।
दर्द।
भावनाओं को नियंत्रित करने या व्यक्त करने में समस्या, या अवसाद।
सोचने, ध्यान देने, सीखने या निर्णय लेने में परेशानी।
स्ट्रोक आने पर जान जाने का भी खतरा बना रहता है। 
मधुमेह कैसे स्ट्रोक का कारण बनता है? How does diabetes cause stroke?
मधुमेह आपके शरीर को भोजन को ठीक से संसाधित करने से रोकता है। आपका शरीर इंसुलिन नहीं बना सकता है या इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग नहीं कर सकता है, जिससे आपके रक्त में ग्लूकोज (शर्करा) का निर्माण होता है।
समय के साथ, उच्च ग्लूकोज का स्तर (high glucose levels) शरीर की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है। मधुमेह वाले कई वयस्कों में अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी होती हैं जो स्ट्रोक का कारण बन सकती हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं :-
शरीर का अतिरिक्त वजन।
दिल की बीमारी।
उच्च रक्तचाप (hypertension)।
उच्च कोलेस्ट्रॉल (High cholesterol)। 
मधुमेह से संबंधित स्ट्रोक के लक्षण क्या हैं? What are the symptoms of diabetes-related stroke?
मधुमेह से संबंधित स्ट्रोक के लक्षण किसी भी स्ट्रोक के लक्षणों के समान ही होते हैं जो कि निम्नलिखित है :-
बात करने में कोई परेशानी।
चक्कर आना, संतुलन की समस्या या चलने में परेशानी।
गंभीर, अचानक सिरदर्द।
अचानक भ्रम।
देखने में परेशानी या दोहरी दृष्टि।
शरीर के एक तरफ कमजोरी या सुन्नता (उदाहरण के लिए, चेहरे का एक हिस्सा, एक हाथ या एक पैर)।
स्ट्रोक आना एक आपातकाल स्थिति है। स्ट्रोक का कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें और रोगी को जल्द से जल्द अस्पताल में दाखिल करवाया जाना चाहिए।
स्ट्रोक का निदान कैसे किया जाता है? How is stroke diagnosed?
स्ट्रोक आने पर उसकी पहचान लक्षणों से की जाती है जिसके आधार पर डॉक्टर निदान के लिए निम्न कुछ जांच के लिए निर्देशित कर सकते हैं ;-
सीटी स्कैन।
संभावित संक्र��ण की जांच। 
हृदय क्षति के संकेतों की तलाश।
रक्त वाहिकाओं में रक्त थक्के की जांच, जिसमें रक्त थक्के की क्षमता का भी आकलन किया जायगा।
रक्त शर्करा के स्तर की जांच।
किडनी और लीवर के कार्य की जांच करना।
संक्षिप्त ईसीजी या ईकेजी (abbreviated ECG or EKG) जांच।
एमआरआई स्कैन।
ईईजी (EEG), हालांकि कम आम है।
इस दौरान डॉक्टर आपको कुछ कार्य करने या प्रश्नों के उत्तर देने के लिए कहेगा। जैसे ही आप इन कार्यों को करते हैं या इन सवालों के जवाब देते हैं, तो डॉक्टर उन संकेतों की तलाश करेगा जो आपके मस्तिष्क के काम के तरीके के साथ एक समस्या दिखाते हैं।
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aec-aligarh · 2 years
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मोतियाबिंद
मोतियाबिंद एक ऐसी स्थिति है जहां प्राकृतिक स्पष्ट लेंस अपारदर्शी होने लगता है और प्रकाश के मार्ग को अवरुद्ध कर देता है जो अक्सर दृष्टि में हस्तक्षेप करता है।
 प्रकाश के विवर्तन के कारण अक्सर विभिन्न रंगों में होने वाली प्रत्येक प्रकाश-आधारित वस्तु के चारों ओर प्रकाश की एक और शास्त्रीय समस्या का सामना करना पड़ता है। ये हेलो (जैसा कि वे जानते हैं) कार हेडलाइट्स और स्ट्रीट लाइट में भी देखे जा सकते हैं। कभी-कभी प्रकाश का प्रकीर्णन चकाचौंध का कारण बन सकता है जो विशेष रूप से प्रकाश में गाड़ी चलाते समय खतरनाक होता है।
 आपके चश्मे की शक्ति को बार-बार बदलने की प्रवृत्ति होती है और किसी भी कांच की शक्ति से दृष्टि पूरी तरह से सही नहीं हो सकती है जिसे आप कोशिश कर सकते हैं। मोतियाबिंद बनने से वस्तुओं के कंट्रास्ट और रंगों में भी बदलाव आता है जिससे आसपास की सामान्य धारणा फीकी पड़ जाती है।
 उपरोक्त में से कोई भी लक्षण बताता है कि मोतियाबिंद है। इस स्थिति का सबसे अच्छा हिस्सा यह है कि यह जीवन के लिए खतरा नहीं है और एक मामूली दर्द रहित सर्जरी द्वारा पूरी तरह से इलाज योग्य है।
 मिथक: मोतियाबिंद केवल वृद्ध लोगों में होता है और कम उम्र के लोगों को नहीं होता है।
 मोतियाबिंद के प्रकार:
 मोतियाबिंद कई प्रकार के होते हैं और आपकी दृष्टि पर अलग-अलग प्रभाव डालते हैं। प्रभाव ही नहीं कारण भी भिन्न होगा। सामान्य मोतियाबिंद हैं न्यूक्लियर, कॉर्टिकल, पोस्टीरियर सबकैप्सुलर, जन्मजात, दर्दनाक, विकिरण आदि।
 निदान के लिए सर्जन मोतियाबिंद के प्रकार को निर्धारित करने के लिए रेटिनल विजुअल एक्यूइटी टेस्ट, स्लिट लैंप परीक्षा और रेटिनल परीक्षा का उपयोग कर सकता है।
 सर्जरी के प्रकारों में पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी (टांके के साथ बड़ा चीरा), मैनुअल स्मॉल-चीरा सर्जरी, माइक्रो चीरा मोतियाबिंद सर्जरी या रोबोटिक फेमटोसेकंड लेजर सर्जरी शामिल हैं।
 नवजात:
 कुछ नवजात शिशुओं को मोतियाबिंद भी होता है क्योंकि उनका लेंस उस तरह से नहीं बना होता जैसा उन्हें होना चाहिए था। इसे जन्मजात मोतियाबिंद के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा कुछ मोतियाबिंद संक्रमण / बीमारी के कारण विकसित होते हैं जब बच्चा गर्भ में होता है या जन्म के बाद, इन्हें विकासात्मक मोतियाबिंद के रूप में जाना जाता है, लेकिन इसका जल्द निदान करना और दीर्घकालिक दृष्टि सुधार के लिए इसका इलाज करना महत्वपूर्ण है। आपका बाल रोग विशेषज्ञ उन स्थितियों में आपकी मदद करने में सक्षम होना चाहिए। एक बच्चा अपने माता-पिता को कठिनाई की व्याख्या नहीं कर सकता क्योंकि वे नहीं जानते कि एक सही दृष्टि क्या है, लेकिन डॉक्टर द्वारा एक परीक्षा आपको बता सकती है कि क्या कोई समस्या है। जब बच्चे 4 महीने के हो जाते हैं, तब तक उन्हें कमरे के चारों ओर देखने और कुछ वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम होना चाहिए। यदि आप पाते हैं कि आपका शिशु ऐसा करने में असमर्थ है तो यह जांच का समय है।
 सर्जरी के बारे में:
 जब धुंधली दृष्टि आपके जीवन को प्रभावित करना शुरू कर देती है, तो यह आपके नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास जाने का समय है और वह सर्जरी की सिफारिश कर सकता है। शल्य चिकित्सा लगभग दस मिनट की एक छोटी प्रक्रिया है और आमतौर पर स्थानीय/सामयिक संज्ञाहरण के साथ आयोजित की जाती है जो एक सुन्न आंखों की बूंदों के उपयोग से होती है।
 सर्जरी के दौरान मोतियाबिंद के लेंस को हटा दिया जाता है और एक कृत्रिम लेंस से बदल दिया जाता है जो प्रकाश की मात्रा बढ़ाने के अलावा चश्मे पर आपकी निर्भरता को भी कम कर सकता है।
 विभिन्न प्रकार के इंट्रा ओकुलर लेंस
 निवारण:
 चूंकि मोतियाबिंद का सबसे आम रूप और उम्र से संबंधित मोतियाबिंद है, इसलिए इसे दवाओं, चश्मे, व्यायाम या योग से रोकने का कोई तरीका नहीं है। इस स्थिति को ठीक करने के लिए सर्जरी ही एकमात्र विकल्प है जो आधुनिक तकनीक से पूरी तरह से सुरक्षित हो गया है और पूरी तरह से चश्मा मुक्त होने की संभावना के अतिरिक्त लाभ के साथ बिना अस्पताल में रहने के वाकआउट प्रक्रिया।
 किसी भी अध्ययन ने यह साबित नहीं किया है कि मोतियाबिंद को कैसे रोका जाए या मोतियाबिंद की प्रगति को धीमा किया जाए। लेकिन डॉक्टरों को लगता है कि कई रणनीतियाँ मददगार हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:
 आंखों की नियमित जांच कराएं। आंखों की जांच से मोतियाबिंद और आंखों की अन्य समस्याओं का जल्द से जल्द पता लगाने में मदद मिल सकती है। अपने डॉक्टर से पूछें कि आपको कितनी बार आंखों की जांच करवानी चाहिए।
 धूम्रपान छोड़ने। धूम्रपान रोकने के तरीके के बारे में सुझाव के लिए अपने डॉक्टर से पूछें। आपकी सहायता के लिए दवाएं, परामर्श और अन्य रणनीतियां उपलब्ध हैं।
 अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का प्रबंधन करें। यदि आपको मधुमेह या अन्य चिकित्सीय स्थितियां हैं जो मोतियाबिंद के आपके जोखिम को बढ़ा सकती हैं, तो अपनी उपचार योजना का पालन करें।
 एक स्वस्थ आहार चुनें जिसमें बहुत सारे फल औ�� सब्जियां शामिल हों। अपने आहार में विभिन्न प्रकार के रंगीन फलों और सब्जियों को शामिल करने से यह सुनिश्चित होता है कि आपको कई विटामिन और पोषक तत्व मिल रहे हैं। फलों और सब्जियों में कई एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो आपकी आंखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं।
 अध्ययनों ने यह साबित नहीं किया है कि गोली के रूप में एंटीऑक्सिडेंट मोतियाबिंद को रोक सकते हैं। लेकिन हाल ही में एक बड़े जनसंख्या अध्ययन से प���ा चला है कि विटामिन और खनिजों से भरपूर एक स्वस्थ आहार मोतियाबिंद के विकास के कम जोखिम से जुड़ा था। फलों और सब्जियों के कई सिद्ध स्वास्थ्य लाभ हैं और यह आपके आहार में खनिजों और विटामिनों की मात्रा बढ़ाने का एक सुरक्षित तरीका है।
 धूप के चश्मे पहने। सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणें मोतियाबिंद के विकास में योगदान कर सकती हैं। जब आप बाहर हों तो धूप का चश्मा पहनें जो पराबैंगनी बी (यूवीबी) किरणों को रोकते हैं।
 शराब का सेवन कम करें। अत्यधिक शराब के सेवन से मोतियाबिंद का खतरा बढ़ सकता है।
अधिक जानकारी के लिए देखें www.anandeyecentre.com
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asianneurocentre · 2 years
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अटैक्सिआ तेलंगिएक्टेसिअ इनहेरिटेंस क्या है?, कारण, लक्षण, इलाज
अटैक्सिआ तेलंगिएक्टेसिअ एक दुर्लभ बीमारी है जो की मस्तिष्क के अंगो को प्राभावित करती है। यह बीमारी मुख्या रूप से छोटी उम्र के बच्चो में पायी जाती है। ऐसा ज़रूरी नहीं की यह बीमारी बस मस्तिष्क तक ही सीमित रहे, कई मामले ऐसे भी है जिनमे यह बीमारी शरीर के विभिन्न अंगो पर भी असर करती है।
अटैक्सिआ में हाथ पैर के चलन और संगठन बनाये रखने में बेहद ही कठिनाई होती है। यदि कोई व्यक्ति अटैक्सिआ से जूझ रहा हो तो उसे चलने फिरने व् अन्य रोजमर्रा के काम करने में कठिनाई होने की अत्यधिक सम्भावना होती है। अटैक्सिआ तेलंगिएक्टेसिअ का मरीज़ो को विरासत में मिलती या आसान भाषा में कहे तो यह बीमारी जेनेटिक होती है।
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अटैक्सिआ तेलंगिएक्टेसिअ के कारण
अटैक्सिआ तेलंगिएक्टेसिअ का एक मात्र कारण जेनेटिक्स है। मतलब की यह बीमारी मरीज़ को अपने माँ बाप से विरासत में मिलती है ।
यह एक जेनेटिक बीमारी है जो की इन्हेरिटेंस से आती है । यह बीमारी मनुष्य की एक विशेष प्रकार की जीन्स के गड़बड़ी से होती है जिसका नाम अटैक्सिआ तेलंगिएक्टेसिअ म्यूटेट है।
अटैक्सिआ तेलंगिएक्टेसिअ के लक्षण
अटैक्सिआ तेलंगिएक्टेसिअ के लक्षण कुछ इस प्रकार है:
छोटे बच्चे या जिनकी उम्र 10 से 12 साल के बीच है उनका सही तरीके से मानसिक विकास न हो पाना।
आँखों के सफ़ेद हिस्से में लाल रेखाएं जो की ब्लड की रेखाएं होती है उनका बोहोत ज़्यादा बढ़ना।
सांस सम्बन्धी बीमारियों की बार बार होना। सांस लेने में अदिकतर दिक्कत महसूस करन।
अधिक जानकारी प्राप्त करें"अटैक्सिआ" से संबंधित,
और संपर्क करें 9111234529
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trendswire · 2 years
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दाढ़ी वाली महिला: महिला या पुरुष
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न्यूज नेशन ब्यूरो | द्वारा संपादित: शिवानी कोटनाला | अपडेट किया गया: 11 अक्टूबर 2022, 08:57:31 AM दाढ़ी वाली महिला लौरा पर्किन्स (फोटो क्रेडिट: सोशल मीडिया) हाइलाइट - 12 साल की उम्र में कई तरह के लक्षण दिखने लगे। - ट्रोल होने के बावजूद मैं अपनी दाढ़ी और मूंछ नहीं काटना चाहता। नई दिल्ली: दाढ़ी के साथ लारे पर्किन्स महिला: मनुष्य आमतौर पर किसी पुरुष या महिला का शरीर जमीन पर पाता है। हालांकि प्रकृति ने केवल दो लिंग बनाए हैं, तीसरा लिंग भी प्रकृति की देन है। जिसे न तो महिला रखा जाता है और न ही डाक में रखा जाता है। ऐसे में समाज उन्हें थर्ड जेंडर के रूप में स्वीकार करता है। तीसरा लिंग दिखने में हमारे जैसा ही है, लेकिन अक्सर वे पुरुष के शरीर में महिलाएं या महिला के शरीर में पुरुष होते हैं। लेकिन क्या होगा अगर एक महिला जो पुरुष की तरह दिखती है लेकिन वास्तव में एक महिला है, अगर आप सोच रहे हैं कि महिला शरीर कोई नई बात नहीं है, तो मैं आपको कुछ और बता दूं। आपने शायद ही पुरुषों जैसी दाढ़ी और मूंछ वाली महिला की कल्पना की होगी। जी हां, कैलिफोर्निया की रहने वाली लॉयर पर्किन्स एक ऐसी महिला हैं, जिनका चेहरा आप दाढ़ी और मूंछों से देख सकते हैं। एक महिला एक चेहरे से धोखा देती है। लॉर पर्किन्स के चेहरे को देखकर आसानी से मूर्ख बनाया जा सकता है। महिला के लंबे बाल और चेहरे पर दाढ़ी और मूंछ है। एक पल के लिए तो ऐसा लगता है जैसे पुरुष ने महिला की तरह लंबे बालों वाला विग पहना हुआ है लेकिन पूरी तस्वीर देखते ही दिमाग चला जाता है। आपको बता दें कि अमेरिकी महिला लॉर पर्किन्स दाढ़ी वाली महिला हैं। जो अपने अनोखे व्यक्तित्व के लिए मशहूर है। यह भी पढ़ें: आदमी जीपीएस का अनुसरण करता है और जीवन खो देता है: इससे पुरुषों में बालों का विकास होता है। दरअसल लैरी पर्किन्स ने बचपन में ही दाढ़ी और मूंछें बढ़ाना शुरू कर दिया था। जब वह 12 साल की थीं, तब उनमें कई तरह के बदलाव दिखने लगे थे। जिसके बाद उसे पता चला कि वह किसी तरह के सिंड्रोम (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) से पीड़ित है। जिसके कारण वे सामान्य से अधिक पुरुष सेक्स हार्मोन का उत्पादन कर रहे थे। हालांकि समय बीतने के साथ अमेरिकी महिला लॉर पर्किन्स ने खुद को वैसे ही स्वीकार कर लिया, लेकिन आज भी उन्हें ट्रोल किया जा रहा है। उन्हें अपनी दाढ़ी और मूंछ काटने का निर्देश दिया जाता है लेकिन अब उन्होंने इसे अपने व्यक्तित्व के हिस्से के रूप में स्वीकार कर लिया है।
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पहली बार प्रकाशित: 11 अक्टूबर 2022, 08:57:31 AM सभी नवीनतम के लिए ऑफबीट न्यूज, डाउनलोड न्यूज नेशन एंड्रॉयड और आईओएस मोबाइल क्षुधा। Source Read the full article
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threequbes · 3 years
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COVID-19 early symptoms vary with age, gender: UK study
COVID-19 early symptoms vary with age, gender: UK study
द्वारा पीटीआई लंदन: COVID-19 संक्रमण का संकेत देने वाले शुरुआती लक्षण आयु समूहों और पुरुषों और महिलाओं के बीच भी भिन्न होते हैं, यूके के नए शोध में पाया गया है। अध्ययन, जो गुरुवार को ‘द लैंसेट डिजिटल हेल्थ’ जर्नल में प्रकाशित हुआ था, लंदन के किंग्स कॉलेज के शोधकर्ताओं द्वारा स्व-रिपोर्ट किए गए ZOE COVID लक्षण अध्ययन ऐप के डेटा का उपयोग करके किया गया था। उन्होंने 19 लक्षणों का अध्ययन किया, जिनमें…
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कोरोनोवायरस के बारे में क्या जानना है?
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कोरोनाविरस वायरस के प्रकार हैं जो आमतौर पर मनुष्यों सहित पक्षियों और स्तनधारियों के श्वसन पथ को प्रभावित करते हैं। डॉक्टर उन्हें सामान्य सर्दी, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (SARS) और COVID-19 से जोड़ते हैं। वे आंत को भी प्रभावित कर सकते हैं। ये वायरस आमतौर पर गंभीर बीमारियों से अधिक सामान्य सर्दी के लिए जिम्मेदार हैं। हालाँकि, कुछ अधिक गंभीर प्रकोपों के पीछे कोरोनवीरस भी हैं। पिछले 70 वर्षों में, वैज्ञानिकों ने पाया है कि कोरोनाविरस चूहों, चूहों, कुत्तों, बिल्लियों, टर्की, घोड़ों, सूअरों और मवेशियों को संक्रमित कर सकते हैं। कभी-कभी, ये जानवर कोरोनवीरस को मनुष्यों में पहुंचा सकते हैं।
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हाल ही में, अधिकारियों ने चीन में एक नए कोरोनोवायरस प्रकोप की पहचान की जो अब अन्य देशों में पहुंच गया है। इसे कोरोनावायरस बीमारी 2019, या COVID-19 नाम दिया गया है। इस लेख में, हम विभिन्न प्रकार के मानव कोरोनविर्यूज़, उनके लक्षणों और लोगों को उन्हें कैसे प्रसारित करते हैं, के बारे में बताते हैं। हम तीन विशेष रूप से खतरनाक बीमारियों पर भी ध्यान केंद्रित करते हैं जो कोरोनाविरस के कारण फैलते हैं: COVID-19, SARS और MERS।शोधकर्ताओं ने पहली बार 1937 में एक कोरोनावायरस को अलग कर दिया। उन्होंने पक्षियों में एक संक्रामक ब्रोंकाइटिस वायरस के लिए एक कोरोनोवायरस को जिम्मेदार पाया, जो पोल्ट्री स्टॉक को नष्ट करने की क्षमता रखते थे। वैज्ञानिकों ने पहली बार 1960 के दशक में आम सर्दी के साथ लोगों की नाक में मानव कोरोनवीरस (HCoV) के सबूत पाए। आम सर्दी के एक बड़े अनुपात के लिए दो मानव कोरोनविर्यूज़ जिम्मेदार हैं: OC43 और 229E। "कोरोनावायरस" नाम उनके सतहों पर मुकुट जैसे अनुमानों से आता है। लैटिन में "कोरोना" का अर्थ है "हेलो" या "क्राउन"। मनुष्यों में, कोरोनोवायरस संक्रमण अक्सर सर्दियों के महीनों और शुरुआती वसंत के दौरान होता है। कोरोनवायरस के कारण लोग नियमित रूप से ठंड से बीमार हो जाते हैं और लगभग 4 महीने बाद उसी को पकड़ सकते हैं। COVID -19 2019 में, रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने एक नए कोरोनावायरस, SARS-CoV-2 के प्रकोप की निगरानी शुरू कर दी, जिससे श्वसन संबंधी बीमारी अब COVID-19 के रूप में जानी जाती है। अधिकारियों ने सबसे पहले चीन के वुहान में वायरस की पहचान की। तब से, वायरस एशिया के भीतर और बाहर, दोनों देशों में फैल गया है, जिसने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को एक महामारी के रूप में घोषित किया है। 23 मार्च तक, दुनिया भर में 340,000 से अधिक लोगों ने वायरस का अनुबंध किया है, जिससे 14,000 से अधिक मौतें हुई हैं। अमेरिका में, वायरस ने 35,000 से अधिक लोगों को प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप 450 से अधिक मौतें हुई हैं। COVID-19 वाले पहले लोगों का एक पशु और समुद्री भोजन बाजार से संबंध था। इस तथ्य ने सुझाव दिया कि जानवरों ने शुरू में वायरस को मनुष्यों में प्रसारित किया। हालांकि, अधिक हाल के निदान वाले लोगों का बाजार के साथ या संपर्क में कोई संबंध नहीं था, यह पुष्टि करते हुए कि मनुष्य एक दूसरे को वायरस पारित कर सकते हैं वायरस की जानकारी वर्तमान में दुर्लभ है। अतीत में, श्वसन स्थितियां जो कोरोनविरस, जैसे कि एसएआरएस और एमईआरएस से विकसित होती हैं, निकट संपर्क के माध्यम से फैल गई हैं। 17 फरवरी, 2020 को, WHO के महानिदेशक ने एक मीडिया में प्रस्तुत किया कि COVID-19 के लक्षण कितनी बार गंभीर या घातक हैं, इसकी पुष्टि निदान के सा�� 44,000 लोगों के डेटा का उपयोग करके की। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट है कि दो समूह जो कि SARS-CoV-2 संक्रमण के कारण गंभीर बीमारी का सामना करने का सबसे अधिक जोखिम रखते हैं, वे बड़े वयस्क होते हैं, जिन्हें "60 वर्ष से अधिक उम्र" के रूप में परिभाषित किया गया है, और जिन व्यक्तियों में अन्य स्वास्थ्य स्थितियां हैं जो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली से समझौता करती हैं। सीडीसी के अनुसार, बच्चों को वयस्कों की तुलना में COVID-19 के लिए अधिक जोखिम नहीं है। जबकि वर्तमान में गर्भवती महिलाओं क�� संवेदनशीलता के बारे में कोई प्रकाशित वैज्ञानिक रिपोर्ट नहीं है, सीडीसी नोट करता है कि: "गर्भवती महिलाओं को इम्यूनोलॉजिकल और फिजियोलॉजिकल परिवर्तनों का अनुभव होता है, जो उन्हें वायरल श्वसन संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है, जिसमें COVID-19 शामिल है।" सीडीसी यह भी सिफारिश करता है कि संदिग्ध या पुष्टि किए गए सीओवीआईडी -19 के साथ माताओं से पैदा होने वाले शिशुओं को "जांच के तहत व्यक्ति" के रूप में अलगाव में रखा जाता है।COVID-19 के लक्षण लक्षण COVID-19 वाले व्यक्ति-से-व्यक्ति से भिन्न होते हैं। यह कुछ या कोई लक्षण नहीं पैदा कर सकता है। हालांकि, यह गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है और घातक हो सकता है। सामान्य लक्षणों में शामिल हैं: बुखार, सांस फूलना, खांसी, स्वाद या गंध का संभावित नुकसान,किसी व्यक्ति को संक्रमण के बाद लक्षणों को नोटिस करने में 2-14 दिन लग सकते हैं। वर्तमान में COVID-19 के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने अब वायरस को दोहराया है। यह उन लोगों में जल्दी पता लगाने और इलाज की अनुमति दे सकता है जिनके पास वायरस है लेकिन अभी तक लक्षण नहीं दिख रहे हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) का सुझाव है कि COVID-19 के कारण लोगों के कई समूहों में जटिलताओं के विकास का खतरा सबसे अधिक है। इन समूहों में शामिल हैं: छोटे बच्चे,65 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोग,जो महिलाएं गर्भवती हैं। सीडीसी सलाह देता है कि हालांकि छोटे बच्चों में जटिलताओं की रिपोर्टें आई हैं, ये दुर्लभ हैं। COVID-19 सबसे अधिक बच्चों में हल्के लक्षण पैदा करता है। प्रकार कोरोनविर्यूज़ परिवार के कोरोनैविरिडे में सबमिली कोरोनवीरिना से संबंधित हैं। विभिन्न प्रकार के मानव कोरोनविर्यूज़ भिन्न होते हैं कि परिणामी बीमारी कितनी गंभीर हो जाती है, और वे कितनी दूर तक फैल सकती हैं।डॉक्टर वर्तमान में सात प्रकार के कोरोनावायरस को पहचानते हैं जो मनुष्यों को संक्रमित कर सकते हैं। सामान्य प्रकारों में शामिल हैं: 1-229E (अल्फा कोरोनावायरस) 2- NL63 (अल्फा कोरोनावायरस) 3- OC43 (बीटा कोरोनावायरस) 4- HKU1 (बीटा कोरोनावायरस) अधिक गंभीर जटिलताओं का कारण बनने वाले दुर्लभ उपभेदों में MERS-CoV शामिल है, जो मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम (MERS), और SARS-CoV, गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (SARS) के लिए जिम्मेदार वायरस का कारण बनता है। 2019 में, SARS-CoV-2 नामक एक नया तनाव फैलने लगा, जिससे रोग COVID-19 हो गया।हस्तांतरण सीमित शोध इस बात पर उपलब्ध है कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में HCoV कैसे फैलता है। हालांकि, शोधकर्ताओं का मानना है कि वायरस श्वसन प्रणाली में तरल पदार्थ के माध्यम से संचारित होते हैं, जैसे कि बलगम। कोरोनवीरस निम्नलिखित तरीकों से फैल सकता है: मुंह ढके बिना खांसना और छींकना बूंदों को हवा में फैला सकता है।जिस व्यक्ति के पास वायरस है, उससे हाथ मिलाना या हिलाना व्यक्तियों के बीच वायरस को पारित कर सकता है। सतह या वस्तु से संपर्क बनाना जिसमें वायरस है और फिर नाक, आंख या मुंह को छूना।कुछ पशु कोरोनविर्यूज़, जैसे कि फेलिन कोरोनवायरस (FCoV), मल के संपर्क में आने से फैल सकता है। हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं है कि क्या यह मानव कोरोनवीयरस पर भी लागू होता है। कोरोनवायरस अपने जीवनकाल के दौरान कुछ समय में अधिकांश लोगों को संक्रमित करेंगे। कोरोनावीरस प्रभावी ढंग से उत्परिवर्तित कर सकते हैं, जो उन्हें इतना संक्रामक बनाता है। संचरण को रोकने के लिए, लोगों को घर पर रहना चाहिए और लक्षण सक्रिय होने पर आराम करना चाहिए। उन्हें अन्य लोगों के साथ निकट संपर्क से भी बचना चाहिए। खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को टिश्यू या रूमाल से ढंकना भी संचरण को रोकने में मदद कर सकता है। घर के आसपास स्वच्छता के उपयोग और रखरखाव के बाद किसी भी ऊतक का निपटान करना महत्वपूर्ण है। Read the full article
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narmada11 · 2 years
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उच्च रक्तचाप से सावधान रहें- साइलेंट किलर
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असामान्य रूप से उच्च रक्तचाप को हाइपरटेंशन कहा जाता है और 140 से अधिक 90 (एम एम एच जी) से अधिक रक्तचाप वाले व्यक्ति को उच्च रक्तचाप से पीड़ित माना जाता है।
दुनिया भर में लगभग 1.13 मिलियन लोगों को उच्च रक्तचाप का पता चला है। यह सबसे आम लेकिन भयभीत स्थितियों में से एक है, जिसका आपके शरीर और दिमाग पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है। यदि कोई रोगी हृदय की धमनी की दीवारों पर रक्त के स्थायी दबाव का सामना करता है, तो यह हृदय रोग जैसी कई अन्य समस्याएं पैदा कर सकता है।
17 मई विश्व ���च्च रक्तचाप दिवस है, जिसका उद्देश्य बीमारी की स्थिति के बारे में जागरूकता फैलाना है। इसके बारे में एकमात्र विचार लोगों को उच्च रक्तचाप के खतरों के बारे में बताना है।
उच्च रक्तचाप क्या है?
उच्च रक्तचाप एक ऐसी स्थिति है जिसमें, आपकी धमनी के विरुद्ध रक्त प्रवाह का बल अधिक होता है और इससे स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। रक्तचाप, हृदय द्वारा पंप किए जाने वाले रक्त की मात्रा और आपकी धमनियों में इसके प्रतिरोध की मात्रा दोनों से पता लगाया जाता है। जब आपके हृदय में अधिक रक्त पंप होता है और आपकी धमनियां संकरी होती हैं, तो आप उच्च रक्तचाप से पीड़ित होते हैं। अनियंत्रित उच्च रक्तचाप गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों के आपके जोखिम को बढ़ाता है जिसमें ब्लड फेलियर और माइट्रल वाल्व शामिल हैं।
उच्च रक्तचाप ट्रिगर क्या हैं?
खराब जीवनशैली या अस्वास्थ्यकर आहार, लगातार तनाव या दबाव, एचबीपी का पारिवारिक इतिहास या अधिक वजन, कुछ ऐसे कारक हैं जो हाई बीपी को ट्रिगर करते हैं।
अस्वास्थ्यकर जीवनशैली में शामिल हैं:
• वसायुक्त भोजन • अतिरिक्त नमक • धूम्रपान • अत्यधिक शराब पीना • लगातार तनाव
रक्तचाप कैसे मापा जाता है?
बीपी को पारा के मिलीमीटर (मिमी एचजी) में मापा जाता है और दो रीडिंग दिखाता है, सिस्टोलिक दबाव और डायस्टोलिक दबाव।
• सिस्टोलिक दबाव: दिल की धड़कन के दौरान अधिकतम दबाव • डी ​​एसियास्टोलिक दबाव: दिल की धड़कन के बीच सबसे कम दबाव।
रीडिंग को डायस्टोलिक के ऊपर सिस्टोलिक के रूप में लिखा जाता है, उदाहरण के लिए, 120/80 मिमी एचजी। 120/80 मिमी एचजी से ऊपर कुछ भी उच्च रक्तचाप माना जाता है और उससे नीचे सामान्य रक्तचाप होता है। उच्च रक्तचाप को व्यक्ति की उम्र के अनुसार भी परिभाषित किया जाता है। 60 साल से ऊपर वालों के लिए 150/90 को हाई बीपी माना जाता है।
आइए उच्च रक्तचाप के बारे विस्तार से जानते है।
रक्तचाप के सम्बन्ध में हृदय कितना रक्त पंप करता है और कितना रक्त आपके कोर्सेस में चक्कर लगाता है। उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति में एक आश्चर्यजनक प्रकार का रक्त प्रवाह होता है, जहां हृदय उच्च रक्तचाप वाले रोगी का निदान करते हुए नसों में अनावश्यक रक्त पंप करता है। बिना किसी दुष्प्रभाव के, एक व्यक्ति लंबे समय तक उच्च रक्तचाप से पीड़ित हो सकता है। वास्तव में, साइड इफेक्ट के बिना भी, आमतौर पर हृदय वाहिकाओं के लिए खतरा होता है, जो स्ट्रोक या हृदय की फेलियर जैसी वास्तविक चिकित्सा स्थिति पैदा कर सकता है।
आपके क्लीनिकली प्रोफेसनल के पास जाकर उच्च रक्तचाप को प्रभावी ढंग से पहचाना जा सकता है। जब भी आप इसे प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित होते हैं, तो आपको और अधिक अवधि के लिए उपचार दिया जाएगा।
उच्च रक्तचाप को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारकों में से एक जीवनशैली की समस्या है। व्यक्ति आराम, आहार, व्यायाम, तनाव और काम सहित जीवन के हर हिस्से के साथ बहुत अधिक खेल रहे हैं। हमारी नाड़ी हर चीज का जवाब देती है और यह अंततः उच्च रक्तचाप का संकेत दे सकती है।
उच्च रक्तचाप के प्रकार
उच्च रक्तचाप दो प्रकार का होता है:
प्राथमिक उच्च रक्तचाप-
कई लोगों के लिए, ज्यादातर वयस्कों के लिए, उच्च रक्तचाप का कोई पहचान योग्य कारण नहीं होता है। इस प्रकार को प्राथमिक उच्च रक्तचाप कहा जाता है, जो कई वर्षों में धीरे-धीरे विकसित होता है।
माध्यमिक उच्च रक्तचाप-
कुछ के लिए, उच्च रक्तचाप एक अंतर्निहित स्थिति के कारण होता है। इस प्रकार को माध्यमिक उच्च रक्तचाप कहा जाता है। माध्यमिक उच्च रक्तचाप अचानक प्रकट होता है और प्राथमिक उच्च रक्तचाप की तुलना में उच्च रक्तचाप का कारण बनता है। कई स्थितियों और दवाओं के कारण माध्यमिक उच्च रक्तचाप हो सकता है, जैसे
गुर्दे से संबंधित समस्याएं थायरॉयड समस्याएं बाधक निंद्रा अश्वसन अधिवृक्क ग्रंथि ट्यूमर कुछ रक्त वाहिकाओं के दोष जो आप जन्मजात हृदय रोग के साथ पैदा होते हैं एम्फ़ैटेमिन और कोकीन जैसी अवैध दवाएं।
उच्च रक्तचाप के संभावित लक्षण-
• गंभीर सिरदर्द • साँस लेने में कठिनाई • दिल की अनियमित धड़कन • पाऊंडिंग चेस्ट • थकान • असामान्य छाती • पसीने से तर गर्दन और आंखें
डॉक्टर से कब सलाह लें?
जब आप किसी विशेष उम्र में पहुंचते हैं, तो आप आस-पास के सबसे अच्छे डॉक्टर होते हैं या आप आमतौर पर एक गहन कसरत करते हैं, जिसमें एक परिसंचरण तनाव परीक्षण शामिल होता है, जो उच्च रक्तचाप का अनुभव करने की आपकी संभावनाओं का आकलन करता है। हालांकि, कुछ रोगियों का समय पर विश्लेषण नहीं किया जाता है, इसलिए यह मानते हुए कि आप अप्रत्याशित अस्थिरता, गंभीर मस्तिष्क दर्द, बंद छाती, या अप्रत्याशित दर्द का सामना कर रहे हैं, तो आप वास्तव में भारत के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर के पास जल्दी जाना चाहते हैं।
नर्मदा हेल्थ ग्रुप - भोपाल में सबसे अच्छा आपातकालीन और ट्रॉमा केयर सेंटर निरामया हेल्थ चेक-अप के साथ आपके परिवार की देखभाल करना सुनिश्चित करता है, जिसमें सीबीसी, लिपिड प्रोफाइल, किडनी फंक्शन टेस्ट, लीवर फंक्शन टेस्ट और थायराइड टेस्ट जैसे परीक्षण शामिल हैं।
एक सुरक्षित और स्वस्थ जीवन शैली के लिए शहर के सबसे अच्छे डॉक्टर या भारत में सबसे अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए संपर्क करें।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे - https://www.narmadahealthgroup.com/blog/blog-details/blog-post.php?id=256
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drashishbadika · 2 years
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माइयसोटिस क्या है एवं इलाज | What is Myositis and its Treatment
मायोसिटिस एक प्रकार का रूयमेंटीक रोग है। इसमें मांसपेशियों में सूजन एवं कमजोरी आती है। यह बच्चों सहित कि��ी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। इस बीमारी में मरीज़ को ज़मीन या बिस्तर से अपने आप उठने में दिक़्क़त आती है। छाती की मांसपेशीयो पे असर होने पे ये गंभीर सिद्ध हो सकती है ।
अगर बात की जाये माइयसोटिस के प्रकारो की तो कुछ इस प्रकार है:
डर्माटोमायोसिटिस: डर्माटोमायोसिटिस (डी एम) एक दीर्घकालिक सूजन संबंधी विकार है जो त्वचा और मांसपेशियों को प्रभावित करता है। इसके लक्षण आम तौर पर त्वचा पर लाल चकत्ते और समय के साथ मांसपेशियों की कमजोरी पड़ना है। ये अचानक हो सकते हैं या महीनों में विकसित हो सकते हैं।
जुवेनाइल डर्माटोमायोजिटिस: जुवेनाइल डर्माटोमायोजिटिस (जेडीएम) बच्चों में होनी वाली बीमारी है|
पॉलीमायोसिटिस (पीएम): पॉलीमायोसिटिस एक साथ शरीर की अनेक मांसपेशियों पे असर करती है।
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मायोसिटिस का इलाज | Treatment of Myositis
1.चिकित्सा उपचार
कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स: कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और अन्य दवाएं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाती हैं । इनको इम्यूनोसप्रेसेंट्स के नाम से जाना जाता है।
ऐंटाई इन्फ़्लैमटॉरी दवाएं आप को दर्द से राहत के लिए इस्तेमाल की जाती है। उदाहरण-एस्पिरिन या इबुप्रोफेन
अधिक जानकारी प्राप्त करें मायोसिटिस का इलाज से संबंधित, और संपर्क करें 9111234529,+91- 6261824727, 0731–4971114
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liajayeger1 · 3 years
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इस राशि के बच्चे काफी कॉन्फिडेंट होते हैं
इस राशि के बच्चे काफी कॉन्फिडेंट होते हैं
आत्मविश्वास जैसे लक्षण कम उम्र में ही हासिल किए जा सकते हैं ताकि वे लंबे समय तक बने रहें। यह आंशिक रूप से किसी के स्वभाव और उसके परिवेश पर भी निर्भर करता है कि उसका आत्मविश्वास किस स्तर पर है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुछ राशियों में दूसरों की तुलना में बेहतर आत्मविश्वास होने की संभावना होती है और यहां पांच राशियों के बारे में बताया गया है, जिनसे संबंधित बच्चे दूसरों की तुलना में अधिक…
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medtalksblog · 2 years
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