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गोदान उपन्यास: मुंशी प्रेमचंद की अमर कृति
गोदान उपन्यास, मुंशी प्रेमचंद की एक महत्वपूर्ण और अविस्मरणीय रचना, जो भारतीय साहित्य के इतिहास में एक चमकता सितारा है। यह उपन्यास भारतीय ग्रामीण जीवन की विभिन्न परतों को उजागर करता है, जहां अभाव, संघर्ष, और आशा की एक अद्भुत तस्वीर प्रस्तुत की गई है।
प्रेमचंद ने गोदान में ग्रामीण भारत के जीवन को बड़े ही सजीव और यथार्थवादी ढंग से चित्रित किया है। उन्होंने ग्रामीण भारत की समस्याओं, संघर्षों, और उनके सपनों को बहुत ही मार्मिकता और संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया है। होरी की कहानी ��में उस समय के भारतीय समाज के आर्थिक और सामाजिक ढांचे की गहराई में ले जाती है और साथ ही, यह हमें जीवन के सार्वभौमिक सत्यों से भी परिचित कराती है।
गोदान केवल एक उपन्यास नहीं है; यह एक अनुभव है, जो पाठकों को गहराई से छू लेता है। यह प्रेमचंद की लेखनी का जादू है जो हमें एक ऐसे समाज में ले जाता है, जहां हर संघर्ष, हर खुशी, हर दुख हमें अपने आसपास की दुनिया को और अधिक मानवीयता के साथ देखने के लिए प्रेरित करता है।
आइए, हम प्रेमचंद के इस अमूल्य खजाने "गोदान उपन्यास" को पढ़ें।
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पुस्तक समीक्षा: विरोधाभास और द्वैतता के साथ न्याय करते हैं भगवती चरण वर्मा के 'चित्रलेखा' के पात्र व कथानक
भगवती चरण वर्मा जी जब हमें चित्रलेखा से मिलाते हैं तो हमें बताते हैं कि कभी उसमें वैधव्य का संयम था जो कृष्णादित्य के रुप से डगमगाया। कृष्णादित्य नाम के विरोधाभास को और प्रखर रुप से उद्भासित करते हुए वर्मा जी रेखांकित करते हैं कि कृष्णादित्य, क्षत्रिय और शूद्र की वर्णसंकर संतान थी। कृष्णादित्य चित्रलेखा के जीवन में आया और चला गया किंतु उसका जन्मजात विरोधाभास चित्रलेखा के जीवनका सत्य बन…
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Jhutha Sach Novel by Yashpal : विभाजन का यथार्थ और झूठा सच
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BOOK REVIEW #8 Ek Pret Lekhan – Yogesh Mittal
If you are interested in popular Hindi fiction this “behind the scenes” book will surely interest you. Yogesh Mittal has written hundreds of books, magazine articles, and poems and edited & proofread hundreds more. But so far his name has not been popular or well-known. As the author himself says, it is because he wrote primarily as a ghostwriter. The book gives a ring-side view of the 60s, 70s…
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जब तक तुम कोई कविता जैसी लड़की से नही मिलोगे, तुम्हे विश्वास होगा भी नही की कई खंडों में बटा यह उपन्यास जैसा जीवन दो चार पंक्तियों में भी समेटा जा सकता है - मनमीत ♡
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जब टूटा गुरूर by Kanchan Shukla
किताब के बारे में... इस उपन्यास में औरत के अहंकार से होने वाली पारिवारिक तबाही को दर्शाने की कोशिश की है। औरत अहंकार में आकर दूसरों के साथ साथ अपना भी जीवन बर्बाद कर लेती है, पर इसका अहसास उसे बहुत बाद में होता है तब कुछ नहीं किया जा सकता सिवाय पश्चाताप के...
यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
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31.07.2023, लखनऊ | उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की 143वीं जन्म जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा, रामायण पार्क, सेक्टर-25, इंदिरा नगर, लखनऊ में श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने मुंशी प्रेमचंद जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सादर नमन किया |
इस अवसर पर हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, "मुंशी प्रेमचंद जी एक महान साहित्यकार थे, जिनकी लेखनी से हमारे समाज को अनेकों मूल्यवान संदेश मिले । उन्होंने अपनी कहानियों और उपन्यासों के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाई और आम जनता के दर्द को समझने का प्रयास किया । उन्होंने जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूने वाली कई कहानियां लिखीं जैसे "गोदान", "गबन", "निर्मला", "कफ़न", और "शतरंज के खिलाड़ी" आदि । मुंशी जी के लेखन की विशेषता यह थी कि उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को साहित्य में प्रस्तुत किया, जो समाज को सोचने पर मजबूर करता था । प्रेमचंद जी के उपन्यासों और कहानियों ने समाज की अनेक समस्याओं जैसे गरीबी, अन्याय, भ्रष्टाचार पर गहरा कटाक्ष किया व उसके खिलाफ आवाज उठाई| मुंशी जी के साहित्यिक योगदान को याद रखते हुए, हमें अपने जीवन में भी समाज की सेवा के प्रति समर्पित रहना चाहिए । प्रेमचंद जी एक समाज सुधारक भी थे और उन्होंने शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए अपनी लेखनी का प्रयोग किया। उनके उपन्यासों और कहानियों के माध्यम से हमें अपने समाज के परिप्रेक्ष्य में सुधार की दिशा में एक ��्रेरणा मिलती है| ऐसे महान साहित्यकार को हमारा कोटि-कोटि नमन |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डा० रूपल अग्रवाल तथा स्वयंसेवकों की उपस्थिति रही |
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To @epiphaniiii , here to 3 years lovely 💗
"तुम हो मेरे आशना
मैं हूँ यही तेरे पास
मगर छू न सखी तेरे हाथ
मानती नहीं मैं अगर बोलो की हैं ये ठंडी रात
जिसके नीचे हसरत नफ़्स हैं हमारे जो करते रहे बात
था वह सूरज का त्याग
बल्कि उपन्यास नहीं हमारी कहानी
रांझन हैं हम बीना मोहब्बत के
रूह का हैं जो तेरी आकृति
जो खींच लेती तेरे पास
हैं यह फतेह चाँद का
जिसके छाया के स्वर्ग में मिले थे अग्नि से जले हमारे सार
परन्तु क़ुरबानी था सूरज का"
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"You are my companion
I am right there with you
But that's where your hands can't touch
I won't believe when said this is a cold night
Under which our unfulfilled souls that keep talking
Which was sacrificed by the sun
But our story is no fiction
We are lovers with no romance
It's the figure of your soul
That drags me towards you
It is the victory of the moon
Whose sheltered paradise is where our burning souls have met
But it was the sacrifice of the sun"
From euphoria to epiphaniii 💗
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'चंद्रकांता' जैसे कालजयी उपन्यास के रचयिता एवं हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध उपन्यासकार देवकी नन्दन खत्री जी की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन ।
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'चंद्रकांता' जैसे कालजयी उपन्यास के रचयिता एवं हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध उपन्यासकार देवकी नन्दन खत्री जी की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन ।
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'चंद्रकांता' जैसे कालजयी उपन्यास के रचयिता एवं हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध उपन्यासकार देवकी नन्दन खत्री जी की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन ।
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'चंद्रकांता' जैसे कालजयी उपन्यास के रचयिता एवं हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध उपन्यासकार देवकी नन्दन खत्री जी की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन ।
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1388.
ड्रामे के शक्ल में
-© कामिनी मोहन।
ड्रामे के शक्ल में एक कविता
विचारों के मंच पर मंचित है।
कहानी से उपन्यास में बदलते
किरदार फ़र्ज़ी हैं पर संचित है।
कोई अपनी मर्ज़ी से
दरवाज़ा खटखटाता है
और अंदर चला आता है।
फिर तो सब घटनाओं का
सिलसिला बदलता चला जाता है।
तहफ़्फ़ुज़ की चाहत में
क़दीम तक चर्चा बे-शुमार हो तो हो
रुख़्सत कौन हुआ कौन नहीं
डूबता अन्धकार
समझ कहाँ पाता है।
जो ज़ियादा दूर तक जाता है
वह फिर वापस
कभी-कभार ही सही
गुज़रे ज़माने में
लौट कहाँ पाता है।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
तहफ़्फ़ुज़ : संरक्षण, हिफ़ाज़त, रक्षा
क़दीम: प्राचीन
रुख़्सत : रवानगी, विदा होना
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कौन थे राजा सल्हेश ?
राजा सल्हेश को मधुबनी जनपदों में सर्वजातीय श्रद्धा एवं प्रतिष्ठा प्राप्त है| इनके शौर्य एवं राज्य प्रशासन की इनकी अदभुत क्षमता से पूर्ण इनकी गाथाएं , उपन्यास, नाटक, रेडियो नाटक, टेलीफिल्म , लोकचित्रों या नृत्य आदि साहित्यिक ���ांस्कृतिक माध्यम से अधिक स्पंद
कौन थे राजा सल्हेश ? -राजा सल्हेश को मधुबनी जनपदों में सर्वजातीय श्रद्धा एवं प्रतिष्ठा प्राप्त है| इनके शौर्य एवं राज्य प्रशासन की इनकी अदभुत क्षमता से पूर्ण इनकी गाथाएं , उपन्यास, नाटक, रेडियो नाटक, टेलीफिल्म , लोकचित्रों या नृत्य आदि साहित्यिक सांस्कृतिक माध्यम से अधिक स्पंदित नहीं हो पाई है | महाराज सल्हेश का जन्म मधुबनी जिले से सटे नेपाल के महिसौथा में हुआ था |उनके पिता का नाम सोमदेव और माँ…
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Maxim Gorky or Unaki Kaaljayi Kirti Maan
मां उपन्यास की शुरूआत तत्कालीन रूस के मजदूर वर्ग और आमजनता की नारकीय स्थिति के वर्णन से शुरू होती है- ''मजदूरों की बस्ती के धुएं और बदबूदार हवा में हर रोज फैक्टरी के भोंपू का कांपता हुआ कर्कश स्वर गंूज उठता या और उसके आह्वान पर छोटे-छोटे मटमैले घरों से उदास लोग सहमे हुए तिलचटों की तरह निकलकर भाग खड़े होते हैं
यह वर्ष सोवियत साहित्य के पितामह महान लेखक मैक्सिम गोर्की के जन्म की सार्ध शताब्दी (150 वर्ष) का वर्ष है। यह वर्ष उनके द्वारा लिखित कालजयी 'मां' उपन्यास के 112 वर्ष पूरे होने के कारण भी उल्लेखनीय है।
Click to read more: https://www.deshbandhu.co.in/parishist/maxim-gorky-and-his-classical-masterpiece-70029-2
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बच्चों में पढ़ने की आदत को प्रोत्साहित करने वाली 9 आदतें
विविधता प्रदान करें पढ़ने के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार की सामग्री प्रदान करें, जिसमें चित्र पुस्तकें, ग्राफिक उपन्यास या पत्रिकाएँ शामिल हैं। वे वर्तमान में जिस भी चीज़ में रुचि रखते हैं, उसमें उनकी विविध रुचि के कारण, उन्हें पढ़ने में रुचि बनाए रखना अपेक्षाकृत आसान है।
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