#इलाज के दौरान मरीज की मौत
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पीजीआई में महिला पर पर लगे मारपीट के आरोप, डॉक्टरों ने बंद की इमरजेंसी सेवा; एक मरीज की हुई मौत
पीजीआई में महिला पर पर लगे मारपीट के आरोप, डॉक्टरों ने बंद की इमरजेंसी सेवा; एक मरीज की हुई मौत #News
Chandigarh News: चंडीगढ़ पीजीआई में एक मरीज के साथ आई महिला ने महिला डॉक्टर के साथ मारपीट कर दी। इमरजेंसी में ड्यूटी के दौरान महिला डॉक्टर के साथ हुई मारपीट से बवाल हो गया और इमरजेंसी के डॉक्टरों ने काम ठप कर दिया। मामला इतना बढ़ गया है कि डॉक्टरों ने मरीजों का इलाज करने से साफ मना कर दिया है। रात आठ बजे के बाद से इमरजेंसी में भर्ती मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है और न ही यहां मरीजों को भर्ती…
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बिल के चक्कर में नहीं रुकेगा मृतक का शव, कलेक्टर का निजी अस्पतालों को आदेश, मरीज के साथ आने वालों पर भी निर्देश, जानें
भोपाल: शहर के जिला ने शनिवार को निजी अस्पतालों को निर्देश दिया कि वे चिकित्सा बिलों का भुगता�� न होने के कारण शव को न रोकें। राजधानी के निजी अस्पतालों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए सिंह ने निर्देश दिया कि लंबित बिलों के मुद्दे को मृतक व्यक्ति के शव को परिवार या परिचारक को सौंपने के बाद हल किया जाना चाहिए। इस घटना के बाद लिया निर्णय यह कदम एक निजी अस्पताल द्वारा शुक्रवार देर रात सड़क दुर्घटना में मारे गए 20 वर्षीय युवक का शव सौंपने से कथित तौर पर इनकार करने के बाद उठाया गया है। भोपाल के गोविंदपुरा इलाके में तेज रफ्तार कार की चपेट में आए युवक को इलाज के लिए सिटी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। अस्पताल पर हमले से जुड़ा मामला युवक के परिवार के सदस्यों और दोस्तों को शव नहीं सौंपे जाने पर उन्होंने अस्पताल में हंगामा किया था। इस घटना में कथित तौर पर सुरक्षाकर्मियों और कुछ अन्य चिकित्सा कर्मचारियों की पिटाई की गई। जान बचाने के लिए डॉक्टर और अन्य चिकित्सा कर्मचारी पर अस्पताल से भागे। मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा पर सवाल स्थानीय पुलिस के मौके पर पहुंचने और शुक्रवार देर रात शव को मृतक के परिजनों को सौंपने के बाद स्थिति पर काबू पाया जा सका। घटना के बाद शहर के निजी अस्पतालों के प्रतिनिधियों ने मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं। इसके बाद कलेक्टर ने इस मुद्दे पर एक बैठक की अध्यक्षता की। मरीज के साथ आने वालों पर जारी होंगे दिशा निर्देश बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन कार्यस्थल पर डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि मरीजों के साथ आने वाले लोगों की संख्या का उल्लेख करते हुए दिशा-निर्देश तैयार किए जाएंगे। मध्य प्रदेश भर के निजी और सरकारी अस्पतालों से जुड़े डॉक्टरों ने अपनी सुरक्षा संबंधी चिंता जताई है। http://dlvr.it/TCfCtx
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सिरदर्द को नजरअंदाज न करें, यह मस्तिष्क ट्यूमर का संकेत हो सकता है।

ब्रेन ट्यूमर का नाम सुनते ही लोगों के मन में एक गहरा डर उत्पन्न हो जाता है। कभी इसे मौत का दूत माना जाता था, लेकिन आज रेडियोसर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, और कंप्यूटर-आधारित स्टीरियोटैक्टिक ब्रेन सर्जरी एवं रोबोटिक सर्जरी जैसी आधुनिक तकनीकों के कारण ब्रेन ट्यूमर का इलाज बेहद प्रभावी, सुरक्षित और कम दर्दनाक हो गया है। ब्रेन ट्यूमर की जितनी जल्दी पहचान हो जाए, इलाज उतना ही आसान हो जाता है।
ब्रेन ट्यूमर के खतरेमस्तिष्क में किसी भी प्रकार की असामान्य वृद्धि खतरनाक मानी जाती है, और यही बात ब्रेन ट्यूमर के लिए भी सही है। ब्रेन ट्यूमर विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिन्हें मुख्य रूप से कैंसरजन्य और गैर-कैंसरजन्य ट्यूमर के रूप में विभाजित किया जा सकता है। 20 से 40 साल के लोगों में अक्सर गैर-कैंसरजन्य ट्यूमर और 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में कैंसरजन्य ट्यूमर होने की संभावना अधिक रहती है। गैर-कैंसरजन्य ट्यूमर कैंसरजन्य ट्यूमर की तुलना में धीमी गति से बढ़ता है।
यह भी पढ़ें: न्यूरोसर्जन और न्यूरोलॉजिस्ट के बीच अंतर समझना है महत्वपूर्ण।
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण अक्सर उस स्थान पर निर्भर करते हैं जहां ट्यूमर मस्तिष्क में स्थित है। उदाहरण के लिए, मस्तिष्क के पिछले हिस्से में ट्यूमर होने पर दृष्टि संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जबकि मस्तिष्क के बाहरी भाग में ट्यूमर से बोलने में रुकावट जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ट्यूमर के बढ़ने से मस्तिष्क पर दबाव बढ़ता है, जिससे सिरदर्द, उल्टी, जी मिचलाना, दृष्टि में समस्याएं, चलने में कठिनाई, और बोलने में समस्या जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
ब्रेन ट्यूमर के अन्य लक्षण
सिरदर्द: ब्रेन ट्यूमर के प्रारंभिक लक्षणों में से एक है सिरदर्द। यह अक्सर सुबह उठते ही भयंकर हो सकता है, जो दिन के दौरान धीरे-धीरे कम हो जाता है। झुकने या व्यायाम करने पर सिरदर्द और भी बढ़ सकता है।
मानसिक और व्यक्तित्व में बदलाव: ट्यूमर के कारण मरीज के स्वभाव और व्यक्तित्व में बदलाव आ सकता है। बोलने में कठिनाई, स्मरण शक्ति में कमी, और व्यवहार में परिवर्तन देखा जा सकता है।
मास इफेक्ट: यह इंट्राक्रेनियल दबाव बढ़ने के कारण होता है, जिसके लक्षणों में उल्टी, जी मिचलाना, चक्कर आना, धुंधला दिखाई देना, और आंखों की नसों (पापिलेडेमा) में सूजन शामिल हैं। यह लक्षण छोटे बच्चों, बुजुर्गों, और धीरे-धीरे बढ़ते ट्यूमर के मामलों में अधिक पाए जाते हैं।
फोकल लक्षण: ट्यूमर के कारण कुछ विशेष लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे सुनने में समस्या, कानों में बजने की आवाज, कमजोरी, बोलने और चलने में दर्द, मांसपेशियों पर घटता नियंत्रण, दोहरा दिखाई देना, और संवेदनाओं में कमी।
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ब्रेन ट्यूमर के कारण
कभी-कभी ट्यूमर के कारण मस्तिष्क में पानी जमा होने लगता है, जिसे चिकित्सकीय भाषा में 'हाइड्रोसिफेलस' कहा जाता है। यह स्थिति मरीज के लिए खतरनाक हो सकती है। ब्रेन ट्यूमर का निदान करना अक्सर चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि इसके लक्षण दूसरी समस्याओं के संकेत भी हो सकते हैं। जैसे कि बोलते समय अटकना, दवाइयों, नशीले पदार्थों या शराब का सेवन भी इन लक्षणों का कारण हो सकते हैं। जब ये लक्षण अधिक गंभीर हो जाते हैं, तो वे ब्रेन ट्यूमर का संकेत हो सकते हैं। चिकित्सा विज्ञान अब तक ब्रेन ट्यूमर के प्रमुख कारणों का पूरी तरह से पता नहीं लगा सका है, और आनुवंशिक संबंधों को लेकर दुनियाभर में शोध जारी है।
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ब्रेन ट्यूमर का उपचार
ब्रेन ट्यूमर के प्रकार, स्थान और आकार के आधार पर विभिन्न उपचार विधियों का चयन किया जाता है। यदि ऑपरेशन सुरक्षित है, तो ट्यूमर को पूरी तरह से हटाने के लिए सर्जरी को प्राथमिक उपचार के रूप में अपनाया जाता है। यह सर्जरी एंडोस्कोपी प्रक्रिया से की जाती है, अन्यथा स्टीरियोटैक्टिक बायोप्सी का सहारा लिया जाता है। यदि ट्यूमर ऑपरेशन योग्य ह��ता है, तो डॉक्टर सर्जरी के लाभ और जोखिम का आकलन करते हैं। सर्जरी के बाद यदि कोई ट्यूमर शेष रह जाता है, तो उसे रेडियेशन या कीमोथैरेपी से उपचारित किया जाता है। कई मामलों में ट्यूमर को पोस्ट-ऑपरेटिव ट्रीटमेंट की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन कुछ मामलों में इसे पोस्ट-ऑपरेटिव उपचार की जरूरत पड़ती है।
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दिल्ली एनसीआर क��� शीर्ष न्यूरोसर्जन से मिलें
डॉ. (ब्रिगेडियर) यादवेन्द्र सिंह सिरोही डॉ. सिरोही, जिनके पास 33 वर्षों से अधिक का अनुभव है, एक अत्यंत कुशल और प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट हैं। उन्होंने देश के प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों में अपनी सेवाएं दी हैं। वर्तमान में, वे यशोदा हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, नेहरू नगर, गाजियाबाद के न्यूरोसाइंसेज विभाग में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं।
डॉ.पुनीत मलिक दिल्ली के प्रमुख न्यूरोसर्जनों में शामिल, वह न्यूरोसर्जरी में 10 से अधिक वर्षों का अनुभव रखते हैं। वर्तमान में, वे यशोदा हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, नेहरू नगर, गाजियाबाद में सलाहकार न्यूरोसर्जन (मस्तिष्क, रीढ़ और तंत्रिका विशेषज्ञ) के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने जटिल मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की सर्जरी की एक बड़ी संख्या की है। वे लगातार सिरदर्द, गर्दन और पीठ में दर्द, ऊपरी और निचले अंगों में संवेदनाएं, मिर्गी या दौरे, धुंधली दृष्टि, अंगों में पक्षाघात या सुन्नता, चेहरे की विकृति, और मतिभ्रम जैसी समस्याओं के इलाज में विशेष दक्षता रखते हैं।
डॉ. अतुल गुप्ता यशोदा हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के वरिष्ठ चिकित्सक विशेषज्ञों में से एक, वे चिकित्सा पेशे में 29 वर्षों का समृद्ध अनुभव रखते हैं। उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि भी उत्कृष्ट है, उन्होंने एमबीबीएस से लेकर लखनऊ के प्रतिष्ठित किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज से एम.सी.एच. तक न्यूरोसर्जरी में अपनी सभी मेडिकल डिग्रियां प्राप्त की हैं।
डॉ.नीरज अग्रवाल डॉ. अग्रवाल एक प्रशिक्षित न्यूरोलॉजिस्ट हैं, जिन्होंने भारत के विभिन्न प्रमुख सरकारी कॉलेजों और अस्पतालों से शिक्षा प्राप्त की है। उन्होंने प्रख्यात प्रोफेसरों और शिक्षकों से प्रशिक्षण प्राप्त किया है। डॉ. अग्रवाल के पास न्यूरोलॉजी में 12 वर्षों का अनुभव है और कुल मिलाकर चिकित्सा क्षेत्र में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव है।
डॉ. राक���श कुमार गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में न्यूरोलॉजिस्ट के रूप में कार्यरत हैं और दिल्ली के प्रमुख न्यूरोलॉजिस्टों में उनकी गिनती होती है। उनके पास चिकित्सा क्षेत्र में 14 वर्षों से अधिक का अनुभव है। डॉ. कुमार इंडियन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के सदस्य भी हैं। वे स्ट्रोक, सिरदर्द, पार्किंसंस रोग, चक्कर, मनोभ्रंश, सेरेब्रोवास्कुलर विकार, थ्रोम्बोलिसिस (स्ट्रोक बोटोक्स उपचार में), और स्मृति हानि जैसी समस्याओं के इलाज में विशेषज्ञता प्रदान करते हैं।
Source: https://www.yashodahealthcare.com/blogs/hi/do-not-ignore-the-case-of-menorrhagia/
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Uttar Pradesh: लखनऊ में KGMU के पूर्व प्रोफेसर डॉ रवि देव को जमकर पीटा गया
Uttar Pradesh: ये खबर लखनऊ की बताई जा रही है जहाँ पर KGMU के पूर्व प्रोफेसर डॉ रवि देव को जमकर पीटा गया. इन्ग्निस हॉस्पिटल (गुमती नगर) में बुधवार की सुबह इलाज के दौरान मरीज की मौत हो गयी जिस कारणवश परिजनों भड़क उठे, जिसके बाद डॉक्टर और हॉस्पिटल के स्टाफ की मिल कर पिटाई की गयी. इतना ही नहीं, डॉक्टर के सर पर कुर्सी फेक कर हमला किया गया. हालांकि डॉक्टर बचने की पूरी कोशिश कर रहा था लेकिन फिर भी परिजन उन्हें बिना रुके थप्पड़ों की बौछार करते रहे.

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Jamshepdur mgm hospital - एमजीएम अस्पताल के मोक्ष वाहन के कर्मी पर पैसे मांगने का आरोप, हरा कार्ड होने के बावजूद की जा रही पैसे की डिमांड
जमशेदपुर : जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल के मोक्ष वाहन के कर्मी पर पैसे मांगने का आरोप लगाया है. मुसाबनी के मरीज विजय पूर्ति की मौत के बाद उसके शव को मुसाबनी ले जाना था. उसके परिजनों ने बताया कि उनके मरीज के इलाज के दौरान एमजीएम अस्पताल में मौत हो गई है. शव को घर ले जाने के लिए मोक्ष वाहन केंद्र में गए, लेकिन वहां मौजूद कर्मी ने बताया कि मुसाबनी जाने का 3200 रुपये लगेगा. मरीज का हरा कार्ड धारी था.…

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इलाज के दौरान मरीज की मौत, परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप
इलाज के दौरान मरीज की मौत, परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप
Bihar: मधेपुरा जिले के सदर थाना क्षेत्र अंतर्गत सदर अस्पताल के इमरजेंसी वॉर्ड में गुरुवार क�� ढेर रात एक 60 वर्षीय वृद्ध की इलाज के दौरान मौत हो गई, जिसके बाद अस्पताल परिसर में परिजनों ने जमकर हंगामा किया, परिजनों ने स्वास्थ्य कर्मियों पर इलाज में लापरवाही एवं जांच के बिना इलाज करने का आरोप लगाया है परिजनों के हंगामे पर अस्पताल प्रबंधन ने सदर थाने को सूचना दी जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने…
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Kanpur:सर्दी हो रही जानलेवा, भीषण ठंड में हार्ट अटैक से 18 की मौत - Kanpur: 18 Died Due To Heart Attack In Extreme Cold
Kanpur:सर्दी हो रही जानलेवा, भीषण ठंड में हार्ट अटैक से 18 की मौत – Kanpur: 18 Died Due To Heart Attack In Extreme Cold
सांकेतिक तस्वीर – फोटो : istock ख़बर सुनें ख़बर सुनें कानपुर में ठंड की वजह से हार्ट अटैक पड़ने से 18 लोगों की मौत हो गई। 10 तो अस्पताल ही नहीं पहुंच पाए, जबकि आठ ने कार्डियोलॉजी में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। वहीं हैलट में ब्रेन अटैक के छह मरीज भर्ती हुए हैं। इनमें दो की हालत नाजुक बताई जा रही है। ठंड बढ़ने के साथ ही हृदय, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर आदि के मरीजों की समस्या बढ़ती जा रही…

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देहरादून के अस्पताल पर मरीज की किडनी निकालने का लगा आरोप, पैर के इलाज के लिए आई मरीज की मौत के बाद परिजनों का हंगामा
देहरादून के अस्पताल पर मरीज की किडनी निकालने का लगा आरोप, पैर के इलाज के लिए आई मरीज की मौत के बाद परिजनों का हंगामा
Dehradun : उत्तराखंड के प्राइवेट अस्पताल आए दिन चर्चाओं का केंद्र बने रहते हैं, कभी इलाज में लापरवाही तो कभी इलाज के नाम पर लोगों की जेब काटने के नाम पर आए दिन अस्पतालों में बवाल देखे जाते हैं। ताजा मामला राजधानी देहरादून के एक बड़े अस्पताल का है। जहां अस्पताल पर इलाज के बहाने मरीज की किडनी निकालने का गंभीर आरोप लगा है। उपचार के दौरान इस महिला की मौत हो गई। महिला को एक्सीडेंट के बाद यहां पैर के…

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देहरादून के अस्पताल पर मरीज की किडनी निकालने का लगा आरोप, पैर के इलाज के लिए आई मरीज की मौत के बाद परिजनों का हंगामा
देहरादून के अस्पताल पर मरीज की किडनी निकालने का लगा आरोप, पैर के इलाज के लिए आई मरीज की मौत के बाद परिजनों का हंगामा
Dehradun : उत्तराखंड के प्राइवेट अस्पताल आए दिन चर्चाओं का केंद्र बने रहते हैं, कभी इलाज में लापरवाही तो कभी इलाज के नाम पर लोगों की जेब काटने के नाम पर आए दिन अस्पतालों में बवाल देखे जाते हैं। ताजा मामला राजधानी देहरादून के एक बड़े अस्पताल का है। जहां अस्पताल पर इलाज के बहाने मरीज की किडनी निकालने का गंभीर आरोप लगा है। उपचार के दौरान इस महिला की मौत हो गई। महिला को एक्सीडेंट के बाद यहां पैर के…

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देहरादून के अस्पताल पर मरीज की किडनी निकालने का लगा आरोप, पैर के इलाज के लिए आई मरीज की मौत के बाद परिजनों का हंगामा
देहरादून के अस्पताल पर मरीज की किडनी निकालने का लगा आरोप, पैर के इलाज के लिए आई मरीज की मौत के बाद परिजनों का हंगामा
Dehradun : उत्तराखंड के प्राइवेट अस्पताल आए दिन चर्चाओं का केंद्र बने रहते हैं, कभी इलाज में लापरवाही तो कभी इलाज के नाम पर लोगों की जेब काटने के नाम पर आए दिन अस्पतालों में बवाल देखे जाते हैं। ताजा मामला राजधानी देहरादून के एक बड़े अस्पताल का है। जहां अस्पताल पर इलाज के बहाने मरीज की किडनी निका���ने का गंभीर आरोप लगा है। उपचार के दौरान इस महिला की मौत हो गई। महिला को एक्सीडेंट के बाद यहां पैर के…

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देहरादून के अस्पताल पर मरीज की किडनी निकालने का लगा आरोप, पैर के इलाज के लिए आई मरीज की मौत के बाद परिजनों का हंगामा
देहरादून के अस्पताल पर मरीज की किडनी निकालने का लगा आरोप, पैर के इलाज के लिए आई मरीज की मौत के बाद परिजनों का हंगामा
Dehradun : उत्तराखंड के प्राइवेट अस्पताल आए दिन चर्चाओं का केंद्र बने रहते हैं, कभी इलाज में लापरवाही तो कभी इलाज के नाम पर लोगों की जेब काटने के नाम पर आए दिन अस्पतालों में बवाल देखे जाते हैं। ताजा मामला राजधानी देहरादून के एक बड़े अस्पताल का है। जहां अस्पताल पर इलाज के बहाने मरीज की किडनी निकालने का गंभीर आरोप लगा है। उपचार के दौरान इस महिला की मौत हो गई। महिला को एक्सीडेंट के बाद यहां पैर के…

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दिल्ली-NCR में फिर बढ़ने लगा कोरोना, स्कूलों में फिर से ऑनलाइन क्लास लगेंगी? जानें क्या कह रहे एक्सपर्ट
नई दिल्ली : दिल्ली में कोरोना के मामलों फिर से बढ़ने लगे हैं। दूसरी तरफ स्कूलों में नए सेशन की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में पैरंट्स के मन में अपने बच्चों के लेकर फिर से डर पैदा होना शुरू हो गया है। वे बच्चों की पढ़ाई के साथ ही उनके हेल्थ को लेकर टेंशन में हैं। पैरंट्स सोच रहे हैं कि यदि कोरोना के मामले इसी तेजी से बढ़े तो क्या फिर से ऑनलाइन क्लासेज शुरू होंगी या स्कूलो में मास्क को फिर से अनिवार्य बनाया जाएगा। वहीं, दिल्ली-एनसीआर में स्कूलों कुछ स्कूलों में नया सेशन शुरू हो गया है तो कुछ स्कूलों में तो नया सेशन शुरू होने वाला है। क्या कह रहे एक्सपर्ट स्कूलों के फिर से खुलने पर बच्चों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की चिंताओं के बीच हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं है। डॉक्टरों के अनुसार मौसम बदलने के कारण बच्चों में खांसी, जुकाम और बुखार जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में सामान्य इलाज से वे जल्द ही ठीक हो जा रहे हैं। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि जो बच्चे कोविड के खिलाफ टीका लगवाने के योग्य हैं, उन्हें टीका अवश्य लगवाना चाहिए। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोविड उपयुक्त व्यवहार जिसमें मास्क लगाना, हाथ धोते रहना, सैनिटाइजर का यूज करना शामिल हैं, का पालन करना जरूरी है। सभी जरूरी सावंधानियां बरत रहे माउंट आबू स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा का कहना है कि कोरोना या फ्लू से बचने के लिए जो भी मानक साव��ानियां हैं उनका हम पूरा ध्यान रख रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल में मेडिकल रूम है, जिसमें किसी भी परेशानी में बच्चे को तुरंत ट्रीटमेंट दिया जाता है। इसके अलावा डॉक्टर्स ऑन विजिट भी रहेंगे, जो समय-समय पर बच्चे की हेल्थ चेकअप करते रहेंगे। वहीं, एमआरजी स्कूल रोहिणी की प्रिंसिपल अंशु मित्तल का कहना है कि हम सभी जानते हैं कि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में हमें अतिरिक्त सावधानी रखने की जरूरत है। बच्चों के स्वास्थ्य से किसी भी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। दिल्ली में 7 महीने बाद रेकॉर्ड केस दिल्ली में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 416 नए मामले सामने आए हैं। राजधानी में 7 महीने बाद कोरोना के रेकॉर्ड 400 से अधिक केस दर्ज किए गए हैं। पिछले साल 31 अगस्त के बाद पहली बार बुधवार को 300 मामले दर्ज किए गए थे। पिछले 24 घंटे में 14.35 पर्सेंट संक्रमण दर से 416 नए मरीज की पुष्टि की गई। इस दौरान 144 मरीज रिकवर हुए तो एक मरीज की मौत की पुष्टि की गई है। हालांकि रिपोर्ट में पहली बार यह भी बताया गया है कि मरीज की मौत की प्राथमिक वजह कोरोना नहीं है। अब दिल्ली में कोविड के एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 1216 तक पहुंच गई है। http://dlvr.it/Sls955
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Jamshedpur mgm death hungama : एमजीएम अस्पताल की लापरवाही से मरीज की मौत को लेकर परिजनों का हंगामा, अस्पताल गेट पर धरना देकर रास्ता रोका, एसडीओ पीयूष गोयल ने दिये मामले की जांच के आदेश, देखें video
जमशेदपुर : सीतारामडेरा थानांतर्गत न्यू सीतारामडेरा निवासी महावीर पाड़ेया की मंगलवार को एमजीएम अस्पताल में इलाज के दौरान हुई मौत को लेकर उसके परिजनों ने बुधवार को अस्पताल परिसर में जम कर हंगामा किया. बाद में एसडीओ पीयूष सिन्हा द्वारा मामले की जांच के आदेश देने के बाद परिजन शांत हुए. इलाज में लापरवाही के दोषी डॉक्टर एवं नर्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किये जाने की मांग एवं मृतक के एक परिजन को सरकारी…

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Himachal Pradesh: शिविर में ऑपरेशन करवाने पहुंची महिला मरीज की संदिग्ध मौत Himachal Pradesh। सिविल अस्पताल हरोली म...
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