#आलू खाने के बाद क्या नहीं खाना चाहिए
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बवासीर का घरेलू उपचार
रोजमर्रा के जीवन में हमें कोई ना कोई शारीरिक परेशानी घेरे रहती है। कभी-कभी तो हमारी परेशानी दवाइयों से ठीक हो जाती है तो कभी लंबे इलाज का सहारा लेना पड़ता है। इन शारीरिक परेशानियों से मानसिक अवचेतन, चिड़चिड़ापन आसानी से देखा जा सकता है। आपने आज तक बहुत सारे ऐसे रोगों के बारे में सुना होगा जो हमें मानसिक परेशानी के साथ साथ शारिरीक परेशानी भी देते हैं। आज हम ऐसे रोगों की बात करेंगे जिन्हे घरेलू उपाय से ही आप ठीक हो सकते हैं और वह रोग है बवासीर का। आप आसानी से बवासीर को अलविदा कह सकते हैं। यहाँ बवासीर के लिए घरेलू उपचार की सूची दी गई है जिससे आप अपने पाइल्स का इलाज कर सकते हैं।
बवासीर क्या है | Bawasir Kya Hai
यह बहुत ही दर्द युक्त रोग है, जो शुरुआत में ही पहचान लिया जाए तो इलाज करने में बेहतरीन होती है। इस रोग में मलाशय या गुदा में कुछ छोटे-छोटे मस्से होने लगते हैं। यह मस्से दर्द युक्त और चुभन युक्त होते हैं। यदि इसका सही इलाज नहीं किया जाए तो यह बड़े होकर मटर या चने के आकार या उससे भी बड़े हो जाते हैं जिनमें दर्द और भी बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में मल विसर्जन करने में बहुत ज्यादा पीड़ा होने लगती है क्योंकि बढ़े हुए मस्से मल विसर्जन में अवरोध उत्पन्न करने लगते हैं।
बवासीर के प्रकार |Bawasir ke prakar
बवासीर चार प्रकार के होते हैं1) अंदरूनी बवासीर
यह सामान्य प्रकार का बवासीर है, जो सामान्यतः मलाशय के अंदरूनी भागों में होता है। अगर इस बवासीर के होने का पता लग जाए तो दवाइयों के माध्यम से भी ठीक किया जा सकता है।
2) बाह��ी बवासीर
यह ठीक उसी जगह पर होता है जहां पर मल त्याग का द्वार होता है। शुरुआत में तो इसके बारे में सही पहचान नहीं की जा सकती पर समस्या बढ़ने पर बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
3) खूनी बवासीर
यह बवासीर का सबसे खतरनाक रूप कहा जा सकता है जिसमें मल त्याग के समय रक्तस्राव होने लगता है और बहुत ही पीड़ा होने लगती है। इस बवासीर के होने से व्यक्ति कमजोर होने लगता है और उसे उठने बैठने व दैनिक क्रिया करने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
4) प्रोलेप्सड बवासीर
जब अंदरूनी भाग में सूजन आने लगे और गुदा द्वार के बाहर की ओर निकलने लगे ऐसे में यह बवासीर प्रोलेप्सड बवासीर कहलाता है। इस बवासीर में एक गांठ भी दिखाई देती है, जो बहुत पीड़ादायक हो जाती है।
कैसे होता है बवासीर | Bawasir Kya Hota Hai
बवासीर होने के कई प्रकार के कारण देखे गए हैं। जिनमें व्यायाम न करना, लंबे समय तक खड़े होना, लगातार काम करना, कब्ज की शिकायत बने रहना, मोटापा, नियमित रूप से शौच न होना इसके मुख्य कारण है। समय रहते यदि समस्या का समाधान किया जाए तो बेहतर होता है।
बवासीर का घरेलू उपचार | bawaseer ka gharelu upchar
बवासीर का नाम सुनते ही मन में डर सताने लगता है और लोग परेशान होने लगते हैं। ऐसे में अगर आप घरेलू उपचार अपनाएं तो आपको फायदा हो सकता है
1) एलोवेरा जेल
बवासीर का मुख्य कारण कब्ज का होना है। ऐसे में अगर आप एलोवेरा का उपयोग खाने में करें तो यह बवासीर को कम करता है। अगर आप एलोवेरा जेल को गुदाद्वार में लगाएं तो इससे भी आपको निश्चित रूप से आराम मिलेगा।
2) सेब का सिरका
बवासीर में रक्त वाहिनी का आकार बढ़ जाता है जिसके कारण भी बहुत दिक्कत होती है। ऐसे में अगर आप सेव के सिरके को पानी में डालकर उसका सेवन करें तो उससे आपको आराम ही मिलेगा।
3) जैतून का तेल
अगर आप जैतून के तेल को अपने दर्द वाले मस्सों में लगाएं तो कुछ ही दिनों में आपको आराम होने लगेगा।
4) नारियल का तेल
अगर आप बवासीर से कुछ ज्यादा ही परेशान हो गए हो तो नारियल की जटाओं को जला ले। जब वह जलकर राख बन जाए तो उसे ताजे मट्ठे में डालकर पिए तो पेट में ठंडक मिलेगी और बवासीर में भी लाभ होगा।
5) अंजीर
बवासीर में मेवों का खास योगदान है। खासतौर से अंजीर का। अगर आप अंजीर को रोजाना पानी में भिगोकर रखें और सुबह उसको खाली पेट खाएं तो इससे भी बवासीर को खत्म करने में फायदा होगा
6) पपीता
पपीता हमारे लिए बहुत ही गुणकारी है। अगर आप पपीते का सेवन रात के भोजन के रूप में करें तो इससे सुबह आपको कब्ज की शिकायत नहीं रहेगी और धीरे-धीरे कुछ दिनों में बवासीर में भी राहत महसूस होगी।
7) अजवाइन और मट्ठा
अगर आप रोजाना ठंडे-ठंडे मट्ठे में अजवाइन पाउडर और काला नमक डालकर पिए तो निश्चित रूप से आप को राहत मिलेगी।
8) जामुन
बवासीर को ठीक करने में जामुन का भी महत्वपूर्ण योगदान है। अगर आप जामुन की गुठली को धूप में सुखाकर रख लें। जब यह अच्छे से सूख जाए तो उसका पाउडर बना लें। इस पाउडर को रोज गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से निश्चित रूप से बवासीर में राहत महसूस होगी। खूनी बवासीर के लिए बहुत ही कारगर उपाय है।
9) मूली
बवासीर के इलाज है मूली का भी योगदान है। अगर मूली के रस में एक चुटकी नमक डालें और इसका सेवन रोजाना दो बार किया जाए तो इससे भी बहुत ही फायदा होता है। अगर इसमें ऊपर से शहद मिलाया जाए तो इससे भी बहुत ही फायदा होता है।
10) हल्दी
हल्दी में ऐसे गुण होते हैं जिससे किसी सूजन या घाव को भरने में आसानी होती है। हल्दी को एलोवेरा, देसी घी के साथ मिलाकर पेस्ट बनाया जाए और उसे गुदाद्वार के आसपास लगाया जाए तो इससे भी आपको बहुत ही जल्द फायदा होगा।
11) गरम पानी
बवासीर का दर्द कभी भी असहनीय हो जाता है। ऐसे में अगर आप गर्म पानी को टब में रखें और उसमें कुछ देर बैठे रहे तो आपको इससे भी फायदा होगा। इससे बवासीर के सूजन में भी राहत महसूस होती है।
गर्भवती महिलाओं को हो सकती है बवासीर की समस्या
मां बनना भगवान का दिया हुआ तोहफा माना जाता है। इस दौरान कई सारी समस्याएं भी देखी जाती हैं जिनमें से एक समस्या बवासीर की है। ऐसा देखा जाता है कि गर्भवती महिलाओं में बवासीर की शिकायत होती है। ऐसे समय में महिलाओं में हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, तो कई बार ऐसे में महिलाओं को आयरन की गोलियां भी दी जाती हैं इस कारण भी बवासीर की समस्या उत्पन्न होती है। ऐसे समय में डाइजेशन सही नहीं रहता और यह भी मुख्य कारण हैं जब बवासीर की समस्या उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को अपना खान-पान सही रखने की सलाह दी जाती है ताकि इस समस्या से बचा जा सके। समानता ऐसा भी होता है कि बच्चे के जन्म के समय स्वतः ही यह समस्या समाप्त हो जाती है।
कैसा आहार ले बवा��ीर के मरीज | Kaise Ahar Le Bawasir Ke Mareez
अगर आप बवासीर से ग्रसित हैं, तो ऐसे में आपको अपने खान-पान और आहार पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। हम आपको बताएंगे कि बवासीर से बचाव के लिए कैसा आहार लेना उचित होगा।
1) इस रोग से बचाव के लिए आप अनाज के रूप में के रूप में गेंहू, जौ और थोड़ी मात्रा में चावल लेना उचित है।
2) सब्जी के रूप में आप टिंडा, परवल, लहसुन, आंवला, पपीता, मूली, गाजर, बींस ले सकते हैं।
3) ज्यादा पानी पिए एवं हल्का खाना खाए।
4) इसके अलावा जीरा, अजवाइन, सौंफ, पुदीना, हींग का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें।
गर्भावस्था के दौरान बवासीर का घरेलू इलाज
कैसा आहार ना ले बवासीर के मरीज | Kaise Ahar Na Le Bawasir Ke Mareez
1) अगर आप लगातार बवासीर से परेशान हैं, तो मैदा, छोले, मटर, चना, उड़द दाल का सेवन नहीं करें।
2) सब्जियों में आप भिंडी, बैंगन, अरबी, आलू ,शिमला, मिर्च एवं फलों के रूप में कच्चा आम, आडू का उपयोग नहीं करें तो बेहतर है।
3) इसके अलावा बहुत ज्यादा तेल एवं मसाले वाला व्यंजन लेने से बचें।
4) जंक फूड एवं डिब्बाबंद भोजन से दूर ही रहे।
बवासीर के मरीजों के लिए जीवन शैली में बदलाव है अनिवार्य
अगर आप बवासीर में जल्द से जल्द राहत चाहते हैं तो इसके लिए आपको अपने जीवन शैली में बदलाव लाना होगा।
1) ज्यादा से ज्यादा पानी पिए।
2) जंक फूड से दूर रहें।
3) तला हुआ और ज्यादा मिर्च मसाले युक्त भोजन का उपयोग ना करें।
4) नियमित रूप से योग या व्यायाम करें।
बवासीर के उपचार के लिए घरेलू आसान | Bawasir Ke Upchar Ke Liya Gharelu Upay
कई बार ऐसा होता है कि लाख कोशिश के बाद भी बवासीर में आराम नहीं मिल पाता है। ऐसे में कुछ घरेलू आसन के माध्यम से भी आराम प्राप्त किया जा सकता है।
आप चाहे तो कपालभाति, अनुलोम विलोम ,प्रणव जप, गोमुखासन, मर्कटासन, सर्वांगासन, ब्राह्मणी प्राणायाम के माध्यम से बवासीर से छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं। शुरुआत में आपको थोड़ा समय लगेगा पर धीरे-धीरे आपको राहत महसूस होने लगेगी।
बवासीर के लिए आवश्यक नहीं है सर्जरी
लोगों का ऐसा मानना रहता है कि बवासीर के लिए सर्जरी की आखिरी रास्ता है जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। आप अगर बवासीर से परेशान है, तो घरेलू उपायों के माध्यम से भी अपने इस रोगों को ठीक कर सकते हैं। आपको इन उपायों को नियमित रूप से करना होगा तभी आपके लिए फायदेमंद होगा। आप इन उपायों को आजमाएं और फिर से खुद को इस रोग से दूर रखें।
बवासीर के मस्सों को सुखाने के प्रमुख उपाय | Bawasir Ke Masse Ko Sukhane Ki Pramukh Upay
बवासीर के मस्से दर्द वाले होते हैं, जो कभी-कभी यह असहनीय दर्द भी देते हैं। बवासीर के मस्सों को सुखाया जाए तो इससे परेशानी कम हो जाती है।
1) अगर लौकी को पीसकर गुड़ के साथ लेप बनाकर उसे मस्सों में लगाया जाए तो इससे मस्से जल्द ही ठीक हो जाते हैं।
2) नीम के पत्तों को अगर आप घी में भुने और उसमे कपूर मिला ले। ऐसा रोजाना करने पर बवासीर के मस्सों में फायदा होगा और आपको जल्द ही राहत मिलेगी।
3) अगर आपने घर के आसपास आक का पेड़ हो, तो उसके पत्तों का लेप बनाकर भी मस्सों में लगाना फायदेमंद होता है।
4) इसके अलावा तोरई के रस में हल्दी का लेप बनाकर मस्सों में लगाने तो इससे भी दर्द से छुटकारा मिल सकता है।
5) इसके अलावा आप मस्सों में एलोवेरा जेल को लगाएं तो इससे भी आपको बहुत जल्दी ही फायदा मिलेगा।
सतर्क रहें बवासीर के रोग से
कभी-भी बवासीर रोग को छिपाने की कोशिश ना करें। जब इस रोग की शुरूआत हो तो उसी समय उपायों के माध्यम से बवासीर को बढ़ने से रोका जा सकता है। हमेशा अपने स्वास्थ्य के लिए सचेत रहना चाहिए ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की दिक्कतों का सामना ना करना पड़े। उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा ��ुझाए गए उपाय आपको पसंद आएंगे और आपके लिए फायदेमंद होंगे
Source : बवासीर का घरेलू उपचार
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ये लोग भूलकर भी आलू का सेवन न करें, हो जायेगी ये बीमारी
ये लोग भूलकर भी आलू का सेवन न करें, हो जायेगी ये बीमारी #health #dangerous #disease #diabetes #gas
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है और आलू हमें कई प्रकार से फायदा भी देता है आलू एक ऐसा सब्जी है जो कि पूरे साल उपलब्ध होती है हर घर में आलू जरूर बनता है आलू के अपने अलग फायदे होते हैं यदि किसी को वजन बढ़ाना हो तो वह दुबला आलू खाना शुरू कर दे उसका वजन बढ़ जाएगा लेकिन आज हम तीन ऐसे रोगियों के बारे में बता रहे हैं जिन रोगियों को आलू का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए तो…
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Weight Loss Tips:- वजन घटाने के लिए डाइट चार्ट - Diet Chart For Weight Loss in Hindi
मोटापा किसी के लिए भी परेशानी और शर्मिंदगी का सबब बन जाता है। कोई भी नहीं चाहता की उसका थुलथुल ढीला, भारी भरकम शरीर हो। यह आपके पूरी पर्सनालिटी की रौनक को खत्म कर देता है । ज्यादा मोटापा सिर्फ सुंदरता ही कम नहीं करता बल्कि शरीर को बीमारियों का घर बना देता है। एक ��च्छी पर्सनैलिटी की पहचान स्वस्थ शरीर से होती है।
बिज़ी लाइफस्टाइल के चलते, आजकल सभी अपनी फिटनेस का ख़ास ख़्याल नहीं रख पाते। पर आप अपने काम में तभी परफेक्ट हो पाएंगे, जब आपका स्वास्थ्य अच्छा और आप फिट होंगे। ऐसे में लोग वजन घटाने करने के लिए घंटो जिम में पसीना बहाते हैं, डाइटिंग करते हैं, कई बार दवाइयां भी लेते हैं. जबकि
मोटापा कम
करने के लिए इतना कुछ करने की जरुरत नहीं होती है. अपने पेट को कम करने के लिए सबसे जरुरी है की आप सही डाइट चार्ट फॉलो करें।
सब्ज़ियों का सूप
डाइट चार्ट में इस बात का ख्याल रखा गया है कि आपको जरूरी
विटामिन्स
और
मिनरल्स
मिलते रहें। वैसे जरूरी नहीं कि हर शख्स पर यह पूरी तरह से लागू होगा। हालाँकि, आप इसमें थोड़ा फेरबदल भी कर सकते हैं।जब आप वजन कम करना शुरू करते हैं तो शुरू में आमतौर पर सभी लोगों का वजन दो चार किलो कम हो जाता है, मगर बाद में फैट कम नहीं होता। इसलिए हर बार आपको अपना
डाइट चार्ट
पहले के मुकाबले ज्यादा हार्ड बनाना होता है।
वजन घटाने
के लिए इस डाइट चार्ट को आप आजमाकर देखें फर्क जरूर पड़ेगा।
वैसे तो हर व्यक्ति की शारीरिक संरचना और उसके द्वारा की जाने वाली मेहनत के हिसाब से खान-पान की आवश्यकता अलग-अलग होत��� है। इसके लिए बेहतर होगा बीएमआर निकाला जाए जो यह बताएगा कि शरीर को कम से कम कितनी कैलोरी की आवश्यकता है।
शरीर का वजन कम करने के लिए कम कैलोरी लेनी चाहिए और इसके लिए बैलेंस्ड डाइट चार्ट बनाया जाना जरूरी होता है। दिमाग सुचारू रूप से कम करे और शरीर थके नहीं, इन बातों को ध्यान में रखते हुए 1200 से 1800 कैलोरी की आवश्यकता होती है। इतनी कैलोरी ऊर्जा के रूप में शरीर में बेहतर ढंग से संचरित हो जाती है जो कि फैट के रूप में नहीं जमती।
तीन मुख्य भोजन, जैसे नाश्ता, दोपहर का खाना और रात का खाना 300 से 350 कैलोरी का रखें।
बाकी बचे 300 कैलोरी में स्नेक्स तथा अन्य चीजों को रखें।
बेवरेज के तौर पर ग्रीन टी अपनाएं। ग्रीन टी वजन कम करने में सहायक है।
जो भी खाना खाएं, सभी गेहूं से बना हो या ब्राउन चावल हो। मैदा या सफेद चावल न खाएं।
वजन घटाने के लिए डाइट चार्ट - Diet Chart For Weight Loss in Hindiआपको नाश्ते, दोपहर के भोजन और रात के खाने को ऐसे डिवाइड करें।
सुबह उठते ही : पानी पिएं, हो सके तो कम से कम दो गिलास और ज्यादा से ज्यादा एक लीटर। पानी हल्का गुनगुना होगा तो अच्छी बात है वरना जैसा आपको ठीक लगे।
अगर हो सके तो कुंज्जल करें : यह एक यौगिग क्रिया है जिसे वमन धौती भी कहा जाता है। इसमें तकरीबन दो लीटर हल्का गर्म पानी पीकर उल्टी की जाती है। अगर बीपी की प्रॉबलम नहीं है तो पानी में हल्का नमक भी मिला लें। यह वैसे तो बहुत आसान है मगर बेहतर होगा शुरू में आप किसी जानकार के सामने यह करें उसके बाद आप खुद कर सकती हैं।
नाश्ता : ओट्स बनायें मगर ये इंस्टेंट ओट्स न हों। सादे ओट्स का पैकेट लाएं और उसमें प्याज, लहसुन, दालचीनी, जरा सी मंगरैल उर्फ कलौंजी डालें, बाकी नमक वगैरा तो डालना ही है। इसमें मौसम के हिसाब से सब्जियां डाल सकती हैं। हो सके तो ब्रोकली जरूर डालें या कॉर्नफ्लेक्स और डबल टोंड दूध या अगर आप नॉन वेजिटेरियन हैं तो तीन या चार उबले अंडे का सफेद हिस्सा। चाहें तो बिना चीनी वाली नींबू की शिकंजी। शिकंजी पहले पियें बाद में अंडे खाएं या कभी कभी आप नाश्ते में दही के साथ उबला आलू भी ले सकती हैं। इसमें हरा धनिया भी डाल लिया करें।
ब्रंच : पांच से दस बादाम, साथ में कॉफी या ग्रीन टी या अदरक, तुलसी, दालचीनी, इलाइची वगैरा की चाय बस इसमें चीनी की बजाए शुगर फ्री हो।
लंच: एक कटोरी ब्राउन राइस, सलाद, दाल, मल्टी ग्रेन आंटे की एक या दो रोटी।
��ाम की चाय-शाय: कोई वेज सूप या भुने चने के साथ चाय या कॉफी या ग्रीन टी। चाहें तो स्प्राउट भी ले सकती हैं।
रात का खाना एक कटोरा वेज सूप, एक कटोरा सलाद, या एक बड़ा कटोरा पपीता या एक कटोरा भरकर सब्जियां इसमें लहसुन, प्याज जरूर हो या नॉन वेजेटेरियन हैं तो तीन एग व्हाइट या 150 ग्राम चिकन ब्रेस्ट, या दो लेग पीस।
जरूरी नहीं है कि आप इन्हीं चीजों का सेवन करें। जरूरी ये है कि आप कैलोरी की सही मात्रा लें। इसके साथ ही तरल पदार्थों का अधिक सेवन और व्यायाम को भी अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा।
मोटापे से बचने के लिए क्या खाएं और कैसे खाएं? – Weight Loss Foods in Hindi
मोटापे से खुद को बचाने के लिए निम्नलिखित चीजें खा सकते हैं और मोटापे से छुटकारा पा सकते हैं:
सलाद खाएं
लो कैलोरी फूड लें
मोटे अनाज शामिल करें
चबाकर खांए
शहद और नींबू
डेयरी उत्पाद, जैसे – दही व मक्खन आदि।
नट्स जैसे – मूंगफली व बादाम आदि।
खट्टे फल
सूप पींए
पालक
सेब
दाल
दलिया
अंडा
विनेगर
एवोकैडो
मोटापा से बचने के लिए क्या ना खाएं? – Foods to Avoid in Weight Loss in Hindi
मोटापे से बचने के लिए, आपको नीचे बताई गईं चीज़ों का सेवन नहीं करना चाहिए :
ज़्यादा चीनी वाले खाद्य पदार्थ, जैसे – मिठाई व खीर ।
ज़्यादा चीनी वाले पेय, जैसे – कोल्ड ड्रिंक व शर्बत।
ज़्यादा तेल वाले खाद्य पदार्थ, जैसे – फ़्रेंच फ्राई व चिप्स।
वजन घटाने वाले कुछ व्यायाम और योगासन – Some Exercise and Yoga for Weight Loss in Hindi
वज़न घटाने के लिए हमारे डाइट चार्ट को अपनाने के साथ-साथ आपको नीचे बताए गए
एक्सरसाइज
को भी अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए:
सुबह-शाम टहलें।
रस्सी फांदने का अभ्यास करें।
स्विमिंग करें।
साइकल का प्रयोग करें।
ज़ुम्बा या डांस क्लास से भी वज़न घटा सकते हैं।
व्यायाम के अलावा योगासन से भी वज़न घटाया जा सकता है, योगासन करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें: वजन घटाने के लिए योगासन निम्नलिखित है:
चक्रासन
भुजंगासन
वीर भद्रासन
नवासना
सूर्य नमस्कार
वजन घटाने के लिए कुछ और उपाय – Other Tips for Weight Loss in Hindi
समय पर नास्ता करें - नाश्ता पूरे दिन का सबसे महत्वपूर्णडाइट होता है। बतादें कि, सुबह का नाश्ता हमारे शरीर के मेटाबॉलिज़्म प्रक्रिया को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।
डिप्रेशन से बचें - मोटापे का एक कारण डिप्रेशन भी हो सकता है, इससे बचने के लिए आपको टहलना या घूमना भी चाहिए। ऐसे काम करें जिससे आपको खुशी मिलती है।
पूरी नींद लें - शो�� में वैज्ञानिकों ने पाया है कि नींद पूरी ना होने से वज़न बढ़ सकता है, क्योंकि नींद की कमी से शरीर की इंसुलीन संवेदनशीलता और ग्लूकोज़ सहिष्णुता में कमी आती है। इससे शरीर में लेप्टिन का स्तर घटता है, और हमारी भूख बढ़ती है।
वजन घटाने के लिए डाइट रेसिपी – Diet Food Recipes for Weight Loss in Hindi
वजन घटाने के लिए डाइट रेसिपी का इस्तेमाल करके आप अपने मोटापा को कम कर सकते हैं और कई तरह की बिमारियों से बच सकते हैं। यहां हम आपको कुछ आसान रेसिपी के बारे में बता रहें हैं जो निम्नलिखित है:-
1.फलों का सलाद - सामग्री जैसे - आधा पपीता, एक केला, आधे से थोड़ा कम तरबूज़, एक सेब, पांच से छह अंगूर, नींबू, चुटकी भर नमक, चुटकी भर काली मिर्च
कैसे बनाएं
बाउल में सारे फलों के छोटे-छोटे टुकड़े करें। अंत में इन टुकड़ों के साथ अंगूर, नींबू के रस, चुटकी भर नमक और काली मिर्च को भी मिला लें। अब आपके फलों का सलाद तैयार है। सर्व करें।
2.सब्ज़ियों का सूप - सामग्री जैसे - एक पत्तागोभी का थोड़ा-सा भाग, आधा या एक गाजर, पांच बीन्स, नींबू, चुटकी भर काली मिर्च, नमक, थोड़ी-सी अजवाइन या उसके डंठल, एक चुकंदर
कैसे बनाएं
पत्तागोभी, चुकंदर और गाजर के लंबे-लंबे टुकड़े काटें फिर,अजवाइन के डंठल को छोटे टुकड़ों में काटें। उसके बाद बीन्स को भी छोटे टुकड़ों में काट लें। फिर एक पतीले में पानी उबालें और सारी सब्ज़ियों को उसमें डालें। सब्ज़ियों को थोड़ी देर तक पकने दें और फिर उन्हें पानी के साथ कटोरे में निकाल लें। लास्ट में कटोरे में नींबू का रस, नमक और काली मिर्च डालें और अच्छी तरह से सब्ज़ियों को मिला लें।
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दूध के साथ भूल कर भी न खाएं ये चीजें, पड़ सकते हैं लेने के देने
कहा जाता है कि हमारे शरीर के लिए दूध सबसे फायदेमंद रहता है। दूध में सारे मिनरल्स और विटामिन्स होते है। इसी वजह से आयुर्वेद से लेकर साइंस तक में दूध को संपूर्ण आहार कहा गया है।आयुर्वेद में दूध को अमृत समान माना जाता है। प्राचीन काल से दूध अपने आप में पूर्ण पोषक तत्व में आता है यानी कि इसे शरीर के लिए सबसे ज्यादा हेल्दी माना जाता है, दूध को हल्दी के अलावा अलग-अलग चीजों के साथ मिलाकर भी पिया जाता है।लेकिन इसके बाद भी क्या आपको पता है दूध पीते वक्त भी कई चीजों का ध्यान रखा जाता है ऐसी कई चीजे है जिसे हम दूध के साथ नहीं खा सकता। आयुर्वेद में भी ऐसी कई चीजों के बारे में बताया गया है।
जिसको दूध के साथ खाने के लिए सख्त मना किया गया है। इतना ही नहीं, इस दौरान इसके नुकसान भी बताए गए है। जो काफी खतरनाक है।दूध पीने के अनगिनत फायदे हैं लेकिन दूध पीने के बाद कुछ चीजों के सेवन से आपको नुकसान हो भी सकता है। बेशक दूध में सभी आवश्यक पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन बी-2, बी-12, एवं डी होते हैं। शाकाहारी लोगों के लिए दूध प्रोटीन का सबसे अच्छा स्त्रोत है। यह पौष्टिक होने के साथ-साथ पाचन-तंत्र को भी ठीक करता है। आयुर्वेद के अनुसार दूधको हर समय नहीं पिया जा सकता। इसे पीने का भी एक निश्चित समय होता है। उस समय पर दूध पीने से आप उसका सबसे अधिक लाभ उठा पाएंगे।आयुर्वेद के अनुसार दूध को इन चीजों के साथ कभी नहीं खाना,पीना चाहिए नहीं तो ये हत की खतरनाक हो सकता है।
1. दूध के साथ कभी भी नींबू और नमक से बनी चीजों को नहीं खाना चाहिए। इसमें सब्जिया सबसे अहम है। सब्जियों में नींबू होता है इसमें सब्जिया सबसे अहम है। सब्जियों में नमक होता है।जो शरीर के लिए काफी नुकसानदायक है। इससे आपके शरीर को काफी परेशानी हो सकती है। दूध के साथ नींबू और नमक खाने से स्किन इंफेक्शैन होने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। देखा गया है कि ऐसे लोगों में दाद, खाज, खुजली, एग्जिमा आदि की शिकायत ज्यादा होती है।
2. वैसे तो आज के समय में दूध में फ्रूट्स ब्लेंड करके स्मूदीज बनाने का फैशन छा गया है। अधिकतर लोग दूध के साथ फ्रूट्स मिलाकर शेक पीते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, केला, स्ट्रॉबेरी, पाइनएप्पल, संतरे जैसे फल पाचन के समय पेट में गर्मी बढ़ाते हैं। वहीं, दूध की तासीर ठंडी होती है। दूध और फलों की प्रकृति पूरी तरह से उलटी होने पर पाचन-तंत्र पर इसका बुरा असर पड़ता है। इससे सर्दी, खांसी, जुखाम और एलर्जी जैसी कई परेशानियां हो सकती हैं।
3. दूध के साथ कभी भी ��ूंग दाल नहीं खानी चाहिए। इसके अलावा और भी कई चीजे है। जिसे दूध के साथ नहीं खाना चाहिए।जिसमें गाजर, शकरकंद, आलू, तेल, दही, नारियल, लहसुन आदि चीजे शामिल है। इन चीजों को दूध के साथ खाने के लिए दो घंटे के समय का अंतर होना चाहिए। उड़द की दाल दूध के साथ खाने से हार्टअटैक का खतरा बढ़ता है।
4. दूध और मांस-मछली कभी भी साथ में या एकदम आगे-पीछे नहीं लेना चाहिए। ऐसी कई चीजें हैं जिसे बनाते समय दूध का इस्तेमाल किया जाता है जैसे कि व्हाइट सॉस पास्ता दूध की मदद से बनता है। इसी पास्ता में चिकन/मीट भी होता है। दूध अपने आप में पूर्ण है। शरीर को दूध को पचने के लिए समय की जरूरत होती है क्योंकि इसमें कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसे किसी भी अन्य तरह के प्रोटीन जैसे कि मीट या मछली के साथ मिक्स करने पर पाचन-तंत्र पर काफी दबाव पड़ता है। इससे शरीर में कई तरह की परेशोनियां हो सकती हैं।
5. दूध पीने के बाद कटहल का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा दूध के बाद नींबू या नमक जैसे चीजें भी ना खाएं। इससे आपको त्वचा से जुड़ी कई समस्याएं जैसे दाद, खाज और खुजली हो सकती है।
6. दूध पीने के बाद आपको मूली और अन्य नमकीन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा मूली से बनी कोई अन्य डिश भी खाने से बचना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से आपकी तबीयत खराब हो सकती है और आपको त्वचा रोगों का खतरा हो सकता है। इसलिए मूली खाने के कम से कम दो घंटे बाद ही दूध पियें।
7. गर्मियों का मौसम शुरू हो गया है। इस मौसम में पानी वाले फलों का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे। तरबूज दिन में किसी भी समय खा सकते हैं। शरीर को हाइड्रेट रखने के साथ-साथ तरबूज के कई और फायदें हैं। 96 प्रतिशत पानी वाला यह फल गर्मियों के लिए परफेक्ट माना जाता है। तरबूज में पोटेशियम, फाइबर समेत कई पोषक तत्व होते हैं। समर डाइट में इसे सबसे हेल्दी फ्रूट कहा जा सकता है, लेकिन इसे दूध के साथ लेना खतरे से खाली नहीं है। तरबूज को अकेला खाएं। इसे किसी के भी साथ खाना सही नहीं है।
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शरीर के हर दर्द के इलाज के बारे में जानिए
शरीर के हर दर्द के इलाज के बारे में जानिए सबकुछ : कोई गर्दन दर्द से परेशान है तो कोई कमर दर्द से तो कोई घुटने के दर्द से। एक्सपर्ट्स से पूछकर अलग-अलग तरह के दर्द के कारण, बचाव और उनके इलाज के बारे में पूरी जानकारी दे रही हैं प्रियंका सिंह और पूजा मेहरोत्रा ! दर्द कितनी तरह का दर्द चार तरह का होता हैः फिजियोलॉजिकल (चोट लगने या किसी बाहरी द���क्कत की वजह से), न्यूरोपैथिक (नसों में दर्द), इनफ्लेमेटरी (सूजन वाला जैसे कि कमर दर्द, घुटने का दर्द आदि) और डिसफंक्शनल पेन (जिसकी वजह समझ नहीं आती लेकिन दर्द बना रहता है)। डिसफंक्शनल पेन शरीर के किसी भी हिस्से में अचानक उठता है और बहुत तेज होता है। मरीज दर्द की शिकायत करता है लेकिन डॉक्टर को दर्द की वजह का पता नहीं लग पाता। जहां तक मौसम की बात है तो सर्दियों के मौसम में सबसे ज्यादा जोड़ों का दर्द परेशान करता है। जोड़ों के दर्द की वजह - चोट लगना - एक्सरसाइज न करना - वजन बढ़ जाना - विटामिन डी और कैल्शियम की कमी हो जाना - सेडंटरी लाइफस्टाइल यानी दिन भर ज्यादातर वक्त एक ही जगह बैठे रहना - घंटों कंप्यूटर पर काम करना - गलत पॉश्चर यानी झुककर बैठना, गलत तरीके से लेटना या चलना - घंटों ड्राइव करना - बेहद कम तापमान में लंबे समय तक रहना - जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक का ज्यादा सेवन - बहुत ज्यादा तनाव लेना, हमेशा हड़बड़ी में रहना - गर्दन और कान के बीच फोन लगाकर लंबी बात करना - मोटा या सख्त तकिया इस्तेमाल करना - बेहद नर्म गद्दे पर सोना इन्हे भी पढ़े :- भूलकर भी अखबार में न लपेटें खाना समझें दर्द के साइकल को शुरू में दर्द हल्का होता है और हम उसे नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन ऐसा करने से आगे जाकर दर्द क्रॉनिक हो जाता है और धीरे-धीरे उसे सहने की क्षमता भी कम हो जाती है। दर्द आमतौर पर जोड़ों से शुरू होता है यानी शरीर का जो भी अंग आसानी से मुड़ता है या जिसमें अकड़न होती है जैसे कि कोहनी, कलाई, घुटना, गर्दन, कमर, उंगलियां, टखने आदि में दर्द जल्दी होता है। सर्वाइकल यानी गर्दन का दर्द युवाओं में दर्द का बड़ा कारण सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइसिस है। इसमें दर्द सबसे ज्यादा गर्दन को प्रभावित करता है और समय पर इलाज न कराने पर यह दर्द बढ़ता हुआ हाथ और कमर तक पहुंच जाता है। इससे रीढ़ की हड्डी में धीरे-धीरे सूजन आ जाती है या वह अकड़ जाती है। इसे इनक्लोसिंग स्पॉन्डिलाइसिस कहते हैं। कुछ युवाओं की गर्दन पीछे थोड़ी उठी-सी दिखती है। वे डिस्क बल्ज से पीड़ित होते हैं। इनमें गलत पॉश्चर या लगातार बैठने से हड्डी शेप बदलकर नया आकार लेती है। ऐसे लोगों को गर्दन में समय-समय पर तेज दर्द होता है। अगर आप इससे पीड़ित हैं तो गर्दन को आगे की ओर झुकाने से बचें। कमर का दर्द कमर में दर्द दो तरह का होता है - पहला : अचानक हुआ तेज दर्द (एक्यूट पेन) और दूसरा : लंबे वक्त से हो रहा दर्द (क्रॉनिक पेन)। एक्यूट पेन अक्सर ज्यादा वजन उठाने या किसी नस के खिंचने से होता है। इसमें कमर में एक चुभन-सी महसूस होती है। कई बार यह आराम ��रने, सिकाई करने और बाम आदि लगाने से दो-चार दिन में अपने आप ठीक हो जाता है। क्रॉनिक पेन लंबे समय तक रहता है और उसका पूरा और सही इलाज जरूरी है। कमर दर्द के साथ साइटिका का दर्द भी जुड़ा है। साइटिका सबसे बड़ी नर्व है जोकि कमर से लेकर पंजे तक जाती है। अगर यह कहीं दब जाती है तो तेज दर्द शुरू हो जाता है। हां, दर्द होने के फौरन बाद कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं, मसलन वजन न उठाएं, आगे की ओर न झुकें। झुकना ही हो तो घुटनों के बल बैठें। फिर सामान उठाएं। बिस्तर से उठते हुए पहले करवट लें और फिर उठें। घुटने का दर्द पहले घुटने में दर्द की शिकायत 50 पार के लोग करते थे लेकिन अब 30-35 साल की उम्र में ही लोगों के घुटने जवाब देने लगे हैं। वजन बढ़ने के अलावा ऑटोइम्यून बीमारी भी घुटने के दर्द की वजह बनती हैं। घुटने में दर्द हो जाए तो डॉक्टर की बताई एक्सरसाइज जरूर करें क्योंकि घुटना कमजोर होने से पैरों की मसल्स भी कमजोर होने लग जाती हैं। धीरे-धीरे दर्द कमर तक और फिर स्पाइन तक भी पहुंच सकता है। घुटनों में घिसावट है तो कुछ महीने ग्लूकोसामाइन और कोंड्रोटिन सल्फेट के कैप्सूल ले सकते हैं। यह डाइट सप्लिमेंट है। कब और कितना लेना है, इसके लिए डॉक्टर की सलाह लें। घुटने का दर्द ज्यादा होने पर घुटने में चिकनाई बढ़ाने के लिए इंजेक्शन भी दिए जाते हैं। इंजेक्शन दो तरह के होते हैं: एक स्टेरॉयड वाले और दूसरे प्रोटीन (विस्कस) वाले। स्टेरॉयड वाले इंजेक्शन के साइड इफेक्ट्स होते हैं इसलिए इन्हें लेने से बचना चाहिए। विस्कस वाला एक इंजेक्शन करीब 10-15 हजार रुपये का होता है, जिसका असर कुछ महीने से लेकर कुछ साल तक रह सकता है। इससे भी फायदा न होने पर नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी की जाती है। दर्द के फौरन बाद क्या करें दर्द होने पर डॉक्टर RICE का फॉर्म्युला अपनाने की सलाह देते हैं। राइस यानी रेस्ट, आइस, कंप्रेसन और एलिवेशन। रेस्टः कोई भी दर्द हो, आराम करें। घुटने के दर्द में घुटने को मोड़े नहीं। कमर दर्द में आगे को न झुकें। आइसः जहां दर्द है, वहां बर्फ से सिकाई करें। कंप्रेसनः दर्द वाली जगह को बैंडेज से बांध लें। ज्यादातर घुटने, कोहनी आदि में दर्द के लिए यह इस्तेमाल किया जाता है। ध्यान रखें कि बैंडेज न बहुत टाइट हो और न ही ढीला। एलिवेशनः पैर दर्द में एलिवेशन बहुत कारगर इलाज है। लेटते वक्त पैर के नीचे तकिया रखें जिससे पैर और घुटना थोड़ा ऊंचा रहे। नोट: सूजन है, दर्द है तो कुछ दिन के लिए एक्सरसाइज बंद कर दें। जब दर्द ठीक हो जाए तो एक्सरसाइज फिर से शुरू करें और कमर व घुटने को फिर से पहले की तरह की मोड़ना शुरू करें क्योंकि अगर हम अपने शरीर के किसी अंग को पूरा इस्तेमाल नहीं करते तो उसमें अकड़न आ जाती है और फिर वह मुड़ नहीं पात���। दर्द है तो सावधानी बरतें - विशेषज्ञ की देखरेख में ही एक्सरसाइज और योग करें। - घुटनों को मोड़ने से बचें। लिफ्ट का इस्तेमाल करें। - पालथी मारकर न बैठें। - जमीन पर बैठने से बचें। जमीन पर बैठने के दौरान घुटनों पर दबाव बढ़ता है। - 15-20 मिनट से ज्यादा एक ही पोजिशन में बैठने से बचें। एक जगह पर खड़े तो 5-10 मिनट से ज्यादा बिल्कुल न हों। - ऑफिस में हर आधे घंटे या एक घंटे में सीट छोड़कर 5-7 मिनट के लिए घूमे-फिरें। बॉडी को स्ट्रेच करें। - महिलाएं ऊंची हील की सैंडिल पहनने से बचें। इससे एड़ी़, घुटने और पिंडलियों के साथ कमर पर भी असर पड़ता है। - जिन्हें सर्दियों में दर्द परेशान करता हो, वे सर्दियों में या ठंडी जगहों पर खुद को अच्छी तरह ढककर रखें। पेनकिलर लें या नहीं आमतौर पर किसी भी दर्द को खत्म करने के लिए हम पेनिकलर ले लेते हैं लेकिन यह सही तरीका नहीं है। ऐसा करने से दर्द सिर्फ दब जाता है, खत्म नहीं होता। बहुत दर्द हो तो पैरासिटामॉल 500 एमजी (क्रोसिन, पैरासिटामोल आदि) ले सकते हैं क्योंकि यह सेफ है। जरूरत लगने पर छह घंटे में दोबारा ले सकते हैं। एक दिन में 2 ग्राम तक लेना सेफ है लेकिन 2-3 दिन तक आराम न आए तो डॉक्टर को दिखाएं। दूसरी कोई पेनकिलर लेने से बचें क्योंकि उनका साइड इफेक्ट होता है। वैसे साल में 12 से ज्यादा पेनकिलर न लें, वरना किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है। पेन-किलर क्रीम या जेल: कितने असरदार पेन-किलर क्रीम: ये ऑयल बेस्ड होती हैं और ज्यादा सफेद रंग में आती हैं। ये ज्यादा जज्ब नहीं होती इसलिए इन्हें लगाकर हल्का रगड़ना होता है। पेन-किलर जेल: ये वॉटर बेस्ड होते हैं और ट्रांसपैरंट होते हैं। ये आसानी से जज्ब हो जाते हैं और इन्हें लगाकर ज्यादा रगड़ना नहीं होता। पेन-किलर स्प्रे: ये स्प्रे के रूप में होते हैं और इन्हें लगाकर मसाज नहीं करनी होती। ये फौरन राहत के लिए होते हैं। दर्दनाशक तेल: ये ज्यादा आयुर्वेदिक होते हैं। आयुर्वेद के एक्सपर्ट दावा करते हैं कि इनमें कई तरह की जड़ी-बूटियां होती हैं, जोकि दर्द में राहत देती हैं। कितने फायदेमंद: जानकारों का मानना है कि फौरी राहत के लिए पेनकिलर जेल (वॉलिनी, मूव, डीएफओ आदि) लगाकर हल्की मसाज कर सकते हैं। ज्यादा नहीं रगड़ें, वरना जलन बढ़ जाएगी। जेल या क्रीम लगाकर किसी कपड़े से ढक दें ताकि गर्मी मिले। इनसे फौरी राहत जरूर महसूस होती है लेकिन ये परमानेंट इलाज के लिए नहीं हैं। वैसे भी मसाज करने से उस हिस्से की नसें रिलैक्स होती हैं। ऐसे में किसी भी आम तेल से हल्के हाथ से मालिश कर सकते हैं। कब करें ठंडी सिकाई, कब गर्म ठंडी सिकाई: दर्द में सिकाई से राहत मिलती है। अगर चोट ताजा है, प्रभावित जगह लाल और सूजी हुई है तो बर्फ से सिकाई करें। गर्म सिकाई: अगर चोट पुरानी है, चोटिल जगह में अकड़न है तो गर्म पानी से सिकाईं करें। वह जगह नरम पड़ जाएगी और आराम मिलेगा। गर्म-ठंडी, दोनों सिकाई: अगर किसी जगह पर ब्लड सप्लाई बढ़ाने की जरूरत है तो गर्म और ठंडी सिकाई बारी-बारी से करने की सलाह दी जाती है। आमतौर पर सुबह उठकर एड़ी में होने वाले दर्द में यह सिकाई की जाती है। गर्म से शुरू करें और गर्म पर ही खत्म करें। कुल 6 बार गर्म और 5 बार ठंडा करें। हर बार 30 सेकंड के लिए सिकाई करें। कितनी बार, कितनी देर: सिकाई दिन में दो बार, करीब 15-15 मिनट के लिए करें। किससे करें: सिकाई वॉटर बॉटल, कपड़ा या सिंपल हॉट जेल पैक से कर सकते हैं। हॉट जेल पैक केमिस्ट के पास मिल जाएंगे। बिजली से चलनेवाले हॉट पैक न यूज करें। इनसे जल जाने का खतरा है। कब दिखाएं ऑर्थोपीडिक डॉक्टर को अगर दर्द फ्रेक्चर की वजह से है या दर्द के साथ सूजन है, लालिमा है या गर्माहट है, या फिर दर्द के साथ बुखार है और वजन कम हो रहा है या रात में तेज दर्द होता है तो फौरन ऑर्थोपीडिक डॉक्टर को दिखाएं। फिजियोथेरपिस्ट के पास कब जाएं अगर कोई भी दर्द मूवमेंट यानी चलने-फिरने या हिलने-डुलने पर बढ़े, सॉफ्ट टिश्यू इंजरी जैसे कि चलते हुए पैर मुड़ जाना, सोते हुए कमर या गर्दन मुड़ जाना आदि हो तो फिजियोथेरपिस्ट के पास जाना चाहिए। फिजियोथेरपिस्ट जितने दिन की थेरपी और एक्सरसाइज बताए, जरूर करें। बीच में थेरपी बंद न करें क्योंकि दर्द जल्दी चला जाता है लेकिन बीमारी को पूरी तरह ठीक होने में महीनों लग जाते हैं। आयुर्वेद में दर्द का इलाज आयुर्वेद में दर्द के इलाज में खान-पान पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। खाने में कोई भी गरिष्ठ चीज जैसे कि बैंगन, आलू, उड़द दाल सहित सभी साबुत दालें, ठंडी चीजें मना होती हैं। दर्द के हिसाब से पंचकर्म, पोटली मसाज आदि दी जाती है। अगर मरीज सर्वाइकल से पीड़ित है तो उसे ग्रीवा वस्ती थेरपी से ठीक किया जाता है जिसमें उड़द और गेहूं के आटे को गूंथ कर गर्दन में पीछे गोल कर रखा जाता है औऱ फिर गोल घेरे के अंदर दर्दनिवारक गुनगुने तेल से थेरपी दी जाती है। यह काम पूरा एक घंटे का होता है। हर सात दिन पर यह थेरपी दी जाती है। - घुटने और कमर के दर्द के लिए जानू वस्ती और कटि वस्ती थेरपी का इस्तेमाल किया जाता है। लीफ डिटॉक्स थेरपी भी इन दर्द में कारगर साबित होती है। - हर थेरपी के लिए 2000 से 3000 रुपये तक का खर्च आता है। -आयुर्वेद में दवा, मालिश और लेप को मिलाकर विटामिन डी की कमी से होनेवाले दर्द का इलाज किया जाता है। आमतौर पर इलाज का नतीजा सामने आने में 3 महीने लग जाते हैं। - पूरे शरीर पर तेल की धारा डालते हैं। इसके लिए क्षीरबला तेल, धनवंतरम तेल आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इसे 40 मिनट रोजाना और 5 दिन लगातार करते हैं। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं। - महिलाएं सुबह और शाम शताव���ी की एक-एक टैब्लेट लें। वैसे तो किसी भी उम्र में ले सकते हैं लेकिन मिनोपॉज के बाद जरूर लें। - रोजाना एक चम्मच मेथी दाना भिगोकर खाएं। मेथी दर्दनिवारक है और हड्डियों के लिए अच्छी है। - एक कप गुनगुने दूध में एक चम्मच हल्दी डालकर पिएं। - रोजाना एक चम्मच बादाम का तेल (बादाम रोगन) एक कप दूध में डालकर पिएं। दर्द भगाए योग - गर्दन, साइटिका और कमर दर्द के लिए भुजंगासन, चक्रासन, शलभासन, धनुरासन कारगर हैं, वहीं ऑफिस में काम के दौरान चलित ताड़ासन यानी हर घंटे बाद 10 कदम आगे और 10 कदम पीछे चलने से बहुत आराम मिलता है। घुटने के दर्द वाले याद रखें कि वज्रासन बिलकुल नहीं करना है। -अनुलोम-विलोम और कपालभाति काफी फायदेमंद हैं। सोने से पहले शवासन भी कई तरह के दर्द से आराम दिलाता है। इन्हे भी पढ़े :- गद्दारो के जाने से पार्टी में जुड़ने लगे सामाजिक और राजनीतिक लोग : अभय घरेलू नुस्खे अपनाएं - किसी भी तरह के दर्द से निपटने के लिए एक गिलास गाय के गुनगुने दूध में एक छोटी चम्मच हल्दी और गाय के घी की पांच बूंदे रात में नियमित पीने से फायदा होता है। - सोयाबीन, अंडे का पीला हिस्सा, फ्लैक्स सीड्स, सफेद तिल और आवंले का सेवन लाभकारी है। - रात में खाना खाने के करीब आधे घंटे बाद करीब आधा गिलास गुनगुना पानी पीने से भी लाभ होता है। - माइग्रेन में गाय के घी को गुनगुना कर दो-दो बूंदें नाक में डालने से बहुत आराम मिलता है। यह सर्वाइकल के दर्द में भी मदद करता है। - गाय के घी में सेंधा नमक डाल कर दर्द वाली जगह पर मसाज करने से भी काफी फायदा होता है। दर्द से ऐसे बचें 1. ऐक्टिव रहें, एक्सरसाइज करें - हमारा शरीर इस तरह से बना है कि सारे जोड़ चलते रहें। जरूरी है कि हम नियमित एक्सरसाइज करें और जितना मुमकिन हो, चलें। एक्सरसाइज में कार्डियोवस्क्युलर, स्ट्रेंथनिंग और स्ट्रेचिंग को मिलाकर करें। कार्डियो के लिए साइकलिंग, स्वीमिंग या डांस, स्ट्रेंथनिंग के लिए वेट लिफ्टिंग और स्ट्रेचिंग के लिए योग करें। वैसे, वॉक अपनेआप में संपूर्ण एक्सरसाइज है। - अगर घुटने की समस्या नहीं है तो ब्रिस्क वॉक करें। ब्रिस्क वॉक में मोटेतौर पर 1 मिनट में 40-50 कदम चलते हैं। वैसे नॉर्मल वॉक (1 मिनट में लगभग 80 कदम) करना सबसे सेफ है। इससे घुटनों पर असर नहीं पड़ता। रोजाना कम-से-कम 3 किमी जरूर चलें। - बीच-बीच में कलाइयों, घुटनों आदि को स्ट्रेच करते रहें। कमर को भी घुमाएं। साथ ही, जितना मुमकिन हो, अपना काम खुद करें और वजन कंट्रोल में रखें। - जिन्हें पुराने दर्द परेशान करते हैं या सर्दियों में दर्द बढ़ जाता है, उन्हें तो एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए। कसरत से हमारे शरीर में मसल्स ऐक्टिव होती हैं, खून का दौरा बढ़ता है और इससे शरीर कुदरती तौर पर गर्म रहता है। ये लोग खासतौर पर पीटी जैसी एक्सरसाइज करें। ठंड की वजह से सुबह बाहर नहीं निकलना चाहते तो शाम को घूमने जाएं। शरीर के हर दर्द के इलाज के बारे में जानिए सबकुछ स्त्रोत : navbharattimes छायाचित्र भिन्न हो सकता है Read the full article
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शादी की दावतों में बिहार में महाभारत Divya Sandesh
#Divyasandesh
शादी की दावतों में बिहार में महाभारत
आर.के. सिन्हा
बिहार अपने बहुलतावादी समाज, समृद्ध संस्कृति, गौरवशाली इतिहास वगैरह के चलते अति विशिष्ट है। इस राज्य को एक अन्य वजह भी खास बनाती है। वह है बिहारियों की अपने खानपान को लेकर अदभुत निष्ठा। बिहारी भोजन की मात्रा और गुणवत्ता के सवाल पर कभी समझौता करना पसंद नहीं करते। यह एक इस तरह का ऐसा बिन्दु है जिस पर बिहार में जाति, धर्म, वर्ग के बंधन टूट जाते हैं। बिहारी को उसका पसंदीदा सुस्वादु भोजन मिल जाए तो वह परम आनंद की स्थिति में होता है। अन्यथा वह सख्त नाराज भी हो जाता है। फिर बात सिरे से बिगड़ भी सकती है। इस बात की पुष्टि हाल ही में देखने-सुनने को मिली।
बिहार में विवाह और दूसरे समारोहों में अतिथियों को मछली या मिष्ठान पर्याप्त मात्रा में न मिलने के कारण महाभारत हो गया। जब सारे भारत में कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क और सोशल डिस्टेनसिंग जैसे नियमों का पालन करने का हर स्तर पर आहवान किया जा रहा है, तब बिहार एक अन्य अहम मसले से जूझ रहा है। अब देखें कि बिहार के गोपालगंज में एक शादी समारोह के दौरान खाने में मछली परोसने को लेकर तगड़ा विवाद हो गया । जिसमें दो पक्षों के बीच जमकर मारपीट भी हुई। मालूम चला है कि मछली के मुड़े यानी उसके सिर का हिस्सा खाने को लेकर दो पक्षों में खूनी झड़प हुई। इसमें दोनों ही ओर से 11 लोग घायल हुए हैं।
स्वादिष्ट भोजन करने का आकर्षण सारे भारतीयों में रहता है। वे लजीज भोजन पर टूट पड़ते हैं। मौका चाहें विवाह समारोह का हो या कोई अन्य। सबसे पहले और अधिक से अधिक भोजन अपनी प्लेट में भर लेने की कवायद में अच्छे-भले लोग भी कई बार बहुत टुच्ची हरकतें करने लगते हैं। ये सब देखना-सुनना कदापि सुखद नहीं लगता। बिहार के मिथलांचल क्षेत्र में दावत में मछली या मांस का न परोसा जाना मेहमानों को ��हुत बुरा लग सकता है। इधर तो भोजन का मतलब ही होता है कि सामिष भोजन तो मिलेगा ही। मिथलांचल का तो ब्राहमण भी सामिष भोजन ही करना पसंद करता है। मिथलांचल में दरभंगा, मधुबनी, मुंगेर, कोसी, पूर्णिया और भागलपुर प्रमंडल तथा झारखंड के संथाल परगना प्रमंडल के साथ साथ नेपाल के तराई क्षेत्र के कुछ भाग भी शामिल हैं।
बिहारी समाज के स्वादिष्ट व्यजनों के प्रेम पर किसी को क्या आपत्ति हो सकती है। दिक्कत सिर्फ इतनी है कि बिहारी समाज का कम से कम एक हिस्सा लजीज भोजन न मिलने पर नाराज भी हो जाता है। फिर वह लड़ने–झगड़ने तक लग जाता है। बेशक बिहारी समाज को अपने में बदलाव तो लाना ही होगा। वहां की शादियों में धन की फिजूलखर्ची को रोका जाना चाहिए। वहां पर विस्तृत भोजन परोसने के क्रम में वधू पक्ष को लाखों रुपए की चपत लग जाती है। इसके बावजूद मेहमान नाखुश ही बने रहते हैं। सुनकर भी कितना कष्ट होता है कि गोपालगंज में आई बारात में खाने के लिए बैठे लोगों को पहले राउंड में दो-दो पीस मछली दी गई। जिसके बाद मछली के मुड़े की फरमाइश की गई, जिसे नहीं दिए जाने पर हंगामा बढ़ा। बस इसके बाद ही जमकर मारपीट शुरू हो गई।
कुछ मीडिया खबरों पर यकीन करें तो पिछले ही दिनों राज्य में आई एक बारात में सब्जी को लेकर विवाद में गोलीबारी तक हो गई थी। जिसमें गोली मारकर एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। पहले तो यह सवाल स्थानीय प्रशासन से पूछा जाना चाहिए कि जब कोरोना की दूसरी लहर से राज्य और देश हांफ रहा था तब उन्होंने इतने बड़े स्तर पर शादी के आयोजन की अनुमति कैसे दे दी या वहां पर इतने बड़े स्तर पर विवाह का आयोजन कैसे हो गया?
मूलतः महाराष्ट्र से संबंध रखने वाले लेकिन कई बार बिहार से भी लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए समाजवादी नेता और चिंतक मधु लिमये कहते थे कि उन्होंने बिहारियों से बढ़कर कोई भोजन भट्ट नहीं देखा। वहां पर तो अगर आप किसी को पूरी-हलवा की दावत के लिए आमंत्रित करे तो वह उफनती कोसी नदी को पार करके आ जाएगा। एक बार बिहारी जब भोजन करने लगता है तो फिर वह भोजन के साथ कायदे से न्याय करता है। बिहारी भोजन करने में पर्याप्त समय भी लेता है। वह चपाती, सब्जी, चावल, मांस, मछली, दही वगैरह की बार-बार मांग करेगा। वह आमतौर पर अल्पाहारी तो बिलकुल ही नहीं होता। भोजन को बर्बाद नहीं करेगा। ये उसे बचपन से ही घर में सिखाया जाता है कि भोजन को बर्बाद करने से ईश्वर भी नाराज होता है। बिहारी को भोजन के पश्चात मीठा खाना भी पसंद है। अगर उसे भोजन के बाद क���ई मनपसंद मिठाई मिल जाए तो वह अपने मेजबान का बहुत कृतज्ञ हो जाता है। उसे लगता है कि मेजबान ने उसका दिल से सम्मान किया है। यहां तक तो सब ठीक है। आखिर स्वादिष्ट भोजन और उसके बाद कौन मिष्ठान नहीं पाना चाहता। सभी तो चाहते हैं कि उन्हें भोजन के बाद कुछ मिठाई मिल जाए। पर यह उचित नहीं माना जा सकता है कि बिहारी शादी समारोह में मछली कम मिलने पर झगड़ा कर लिया जाए।
औसत बिहारी परिवारों की गृहणियों के दिन का बहुत सारा वक्त तो भोजन पकाने और उसकी योजना बनाने में ही गुजर जाता है। मतलब साफ है कि बिहारी अपने घर में भी स्वादिष्ट भोजन करना पसंद करता है। वह घर से बाहर ही स्वादिष्ट भोजन करने की फिराक में नहीं रहता। वह घर में लिट्टी-चोखा बार-बार खाता है। लिट्टी सत्तू और मसाले के मिश्रण से बनती है। जहां तक चोखा की बात है तो आलू और् बैंगन (जिसका चोखा बनाना है) को आग में पका लिया जाता है। इसके बाद इसके छिलके को हटा कर उसे नमक, तेल, हरी मिर्च, प्याज, लहसुन इत्यादि के साथ गूंथ लिया जाता है। लिट्टी- चोखा का स्वाद अतुलनीय होता है। इसे तो बिहारी रोज ही खाते या खाना पसंद करते हैं।
यह याद रखें कि बिह���री आम के भी रसिया होते हैं। चंपारण जिले (अब तो पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण दो जिले हो गये हैं) की जब भी बात होती है, तब महात्मा गांधी के वहां के नील की खेती करने वाले किसानों के पक्ष में निलहा आन्दोलन का ख्याल तुरंत जेहन में आ जाता है। उस असाधारण आंदोलन के संबंध में आज भी सारा देश पढ़ता रहता है। वहां के जर्दालु आम का स्वाद और खुशबू अद्वितीय होती है। इसे खाने के बाद इंसान एक बार तो कह देता है कि ‘इससे बेहतर आम कभी नहीं चखा।’ जहां दशहरी, लंगड़ा, मालदह, चौसा, मलिहाबादी, सहारनपुरी, बादामी, तोतापरी, केसर आदि आमों की प्रजातियों से सारा देश परिचित है, जर्दालु आम के बारे में बिहार से बाहर के लोगों को लगभग कोई जानकारी नहीं है। बिहारी इन्हें खूब खाते हैं और इसके कम मिलने पर किसी से लड़ते भी नहीं हैं। कम से कम इस तरह की कोई खबर तो नहीं सुनी। उम्मीद है कि बिहारी स्वादिष्ट भोजन, मिठाई और फलों का स्वाद बिना किसी विवाद के लेते रहेंगे।
मेहमान नवाज पसंद बिहारी खाते भी रहेंगें और खिलाते भी रहेंगें I पर झगड़ने से जरूर बचेंगें I
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तभकार और पूर्व सांसद हैं)
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यूरिक एसिड के कारण लक्षण और उपाय …
यूरिक एसिड के कारण लक्षण और उपाय
यूरिक एसिड होता क्या है?
पहले हमें यह जानना बहुत जरूरी है कि यूरिक एसिड होता क्या है यूरिक एसिड शरीर में बनने वाला एक ऐसा रसायन होता है जो हमारी पाचन क्रिया के मध्य प्रोटीन के टूटने से बनता है मूसली यूरिक एसिड खून में घोलकर किडनी तक पहुंचता है और वह वहां जाकर वहां की सफाई करता है तथा टॉयलेट के जरिए शरीर से बाहर निकल जाता है बहुत बार ऐसा भी होता है ��ि यूरिक एसिड ज्यादा बनने लगता है तथा वह फिल्टर होकर के शरीर से बाहर नहीं निकल पाता है तथा वह सही के अंदर ही जमा होता रहता है यह किसी के जमा होने की स्थिति में यह शरीर में किडनी में पथरी की तरह बढ़ता रहता है यह कई बार आंशिक शारीरिक सक्रियता अधिक मात्रा में नॉनवेज खाने तथा शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने की आशंका से होते हैं ऐसे में शुरुआती वक्त में तो पहचान हो जाने पर इस को रोका जा सकता है अगर नहीं रुकते तो इससे शरीर को नुकसान भी होने लगता है इसके लिए हम इसकी जांच भी करवा सकते हैं जांच करवाने से हमें पता चलता है कि हमारे शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा कैसी है
यूरिक एसिड के कारण
हमारे शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ाना मोटापा तथा उच्च रक्तचाप को बढ़ाने के साथ-साथ शुगर और हृदय रोगों की भी बढ़ा देता है मूर्ति रिसर्च कहती है कि सामान्य लोगों की अपेक्षा जिन लोगों का यूरिक एसिड अधिक बनता है उनमें टाइप में डायबिटीज होने की ज्यादा आशंका होती है और उन्हें गठिया जोड़ों के दर्द सूजन आ जाती है आमतौर पर रखने में सूजन व दर्द का कारण मुश्किल से चलकर पाना यह सब इसी के कारण ही होता है इसमें जोड़ों में लालिमा आ जाती है गर्माहट वह दर्द होने लगता है त्वचा पर काले धब्बे भी कई बार देखने को मिलते हैं जवान लोगों में इसका मुख्य कारण अधिक मात्रा में नॉनवेज का खाना तथा शरीर में प्रोटीन की मात्रा का बढ़ना और ज्यादा शराब का या अल्कोहल का सेवन कर लेने से होता है यूरिक एसिड बहुत अधिक बढ़ने पर बड़ा बुरा असर दिखाई देने लगता है किडनी पर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ता है कई बार इसके नुकसान से बहुत ज्यादा तकलीफ होती है यूरिक एसिड से हाइपरटेंशन भी बढ़ता है यूरिक एसिड बढ़ने पर यह जरूरी हो जाता है कि हम अपने वजन को नियंत्रण में रखें मोटापे की स्थिति में जो हमारे शरीर में उत्पन्न वसा ऊतक होते हैं उनको यूरिक एसिड का निर्माण बढ़ा देते हैं रेडमी पोल्ट्री प्रोडक्ट्स तथा मछली का सेवन सीमित ही करें बहुत ज्यादा ना करें सागर शाकाहारी भोजन का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें दूध से बने डेहरी प्रोडक्ट आप ले सकते हैं लो फैट दूध लेना ज्यादा अच्छा रहेगा मशरूम पालक तथा हर शहर की दाल का सेवन कम करें क्योंकि इन सब चीजों में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है अल्कोहल का इस्तेमाल बिल्कुल भी ना करें अधिक फाइबर वाली चीजें खाएं फाइबर युक्त चीजों में यूरिक एसिड को अवशोषित कर लेता है तथा ऐसे शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है और ब्रोकली आदि खा सकते हैं विटामिन सी युक्त प्रोडक्ट से भी इनको फायदा होता है पेशाब के रास्ते इसमें से यूरिक एसिड को निकालने की क्षमता अधिक होती है वनस्पति घी की बजाय खाना पकाने में जैतून के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं जैतून के तेल में शरीर में अतिरिक्त यूरिक एसिड के निर्माण को ��ोकने की ताकत होती है एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर फल व सब्जियां खाएं लाल शिमला मिर्च टमाटर जो विटामिन से भरपूर होते हैं|
यूरिक एसिड के लक्षण
जब शरीर में उठने बैठने में परेशानी हो हर समय थकान बनी रहे यह यूरिक एसिड के बढ़ने के लक्षण हो सकते हैं इसमें हाथों तथा पैरों की उंगलियों में चुभने वाला दर्द होता है जो कभी कभी बहुत असहनीय हो जाता है तो समझ लेना चाहिए कि शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो गई है इसका पता हम जांच के द्वारा भी लगा सकते हैं यूरिक एसिड को कम करने के उपाय है यूरिक एसिड को कम करने के लिए हम इन अपना उपायों को अपना करके इसे कम कर सकते हैं इसके लिए सबसे पहले हम एक चम्मच सेब के सिरके को एक गिलास पानी में डाल लें अब इस मिश्रण को पूरे दिन में दो से तीन बार पिएं इसका सेवन तब तक करें जब तक इस समस्या से आपको छुटकारा ना मिल जाए इसके अलावा आप नींबू के जूस को एक गिलास गर्म पानी में निचोड़ लें फिर इसे सुबह सुबह खाली पेट पी है इस उपाय से कुछ हफ्ते तक जारी रखें इससे आपको आराम मिलेगा इसके अलावा आफ विटामिन सी की सप्लीमेंट्री की ले सकते हैं लेकिन सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें|
यूरिक एसिड को कम करने के उपाय
इसके बाद आप चेरी चेरी में केमिकल्स होते हैं जो यूरिक एसिड को कम करने की मदद करते हैं साथ ही साथ बैंगनी और नीले रंग की बेरी नाम में लोगों ने नामक तत्व होता है जो यूरिक एसिड को कम करता है साथ ही साथ अकड़न और सूजन को भी कंट्रोल करता है कुछ हफ्तों तक एक या आधा कप चेरी रोजाना खाएं इससे भी आपको आराम मिलेगा तथा इसके अलावा आप एक या दो कप सीरीज उसको भी चार हफ्तों तक पी सकते हैं साथ ही साथ आफ स्ट्रौबरी टमाटर वेलपेपर ब्लूबेरी विटामिन सी एंटी ऑक्सीडेंट फल सब्जियों को भी अपने आहार में शामिल कर सकते हैं तीसरा उपाय है बेकिंग सोडा बेकिंग सोडा को बायको नाइट सोडा भी कहा जाता है यह एक यूरिक एसिड को कम स्तर पर करने के लिए रामबाण उपाय है इसमें गाउट में दर्द भी दूर होता है|
बेकिंग सोडा में प्राकृतिक स्तर को बनाए रखने और यूरिक एसिड को भी घुलनशील बना देता है जिससे यूरिक एसिड किडनी द्वारा आसानी से शरीर के बाहर निकल जाता है सबसे पहले एक या आधा चम्मच सोडा को एक गिलास पानी में मिला लें अब इस मिश्रण को रोज हर 2 से 4 घंटे बाद पी सकते हैं इसे लगातार दो हफ्तों तक पिए आपको आराम मिलेगा जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तथा जिनकी उम्र 60 साल से अधिक है वह इनमें चरणों का से 1 दिन में 3 बार से अधिक ना करें सब्जियों को पकाते समय सब्जियों में तेल बटर के इस्तेमाल की बजाय आप कोल्डप्रेस्ड जैतून के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं जैतून के तेल में सोशल फैट होता है जो गर्म करने के बाद भी वैसा वैसा का वैसा ही रहता है जैतून के तेल के ��्रयोग करने से आपके शरीर को भोजन में कोई नुकसान नहीं पहुंचता है
इसके साथ ही साथ आप रोजाना ज्यादा से ज्यादा पानी पिए जिससे यूरिक एसिड को शरीर से बाहर निकलने में मदद मिलेगी पानी यूरिक एसिड को पतला करता है और किडनी को उत्तेजित करता है जिसके कारण शरीर से यूरिक एसिड मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाता है इसलिए जितना हो सके ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं और यूरिक एसिड को अपने शरीर से बाहर निकालने में मदद करें पूरे दिन में आठ से 10 गिलास पानी जरूर पिएं साथ ही साथ कई तरल पदार्थों का भी अपने आहार में शामिल करें जैसे फलों और सब्जियों का जूस इससे आपके शरीर में से यूरिक एसिड को बाहर निकलने में आसानी होगी खाद्य पदार्थों में जैसे फाइबर से युक्त पदार्थ यूरिक एसिड के स्तर को के अवशेषों को करके शरीर से उन्हें निकालने में मदद करते हैं
आप स्टार्ट वाले कार्बोहाइड्रेट से समृद्ध आहार भी खा सकते हैं इसमें पूरींस की मात्रा भी अधिक होती है साबुत अनाज सेब संतरे चौधरी जैसे आया है जो फाइबर से भरपूर हैं स्टार ची कार्बोहाइड्रेट वाले पदार्थों के सेवन जैसे चावल साबुत अनाज वाला पास्ता साबूदाना आलू और और केला भी आप खा सकते हैं डेरी प्रोडक्ट मैं आप रोजाना एक से पांच कप मलाईदार दूध पी सकते हैं तथा आप कम वसा वाली दही और अन्य डेयरी प्रोडक्ट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं शराब के सेवन को आप नियंत्रित करें क्योंकि इससे यूरिक एसिड कम करने में दिक्कत होती है रोजाना व्यायाम करें और स्वस्थ वजन बनाए रखें यूरिक एसिड की समस्याओं में संतुलित आहार खाएं जो कार्बोहाइड्रेट में उच्च हो और प्रोटीन में कम हो इरफान कार्बोहाइड्रेट बने हाथ ना खाएं जैसे व्हाइट ब्रेड केक और कैंडी यह सब सावधानियां बरतने से आपको जो शरीर में यूरिक एसिड की बढ़ी हुई मात्रा से दूर होने में आसानी होगी |
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खरगोश क्या खाते हैं? खरगोशों के लिए आहार
क्या आपने खरगोश पाल रखा है और उसके भोजन और आहार सूची की खोज कर रहे हैं? जानिएहाउस का आहार कौन सा होता है, जिसे आप उन्हें स्वस्थ और स्वस्थ रख सकते हैं। भारत में यह सभी खाने आसन से उपलब्ध हो जाता है, और उनके पसंदीदा भी होते हैं। खरगोशों के लिए आहार खरगोश कुछ लोग इसे प्यार से बनी के नाम से भी बुलाते है। इसे हमलोग भी कहते हैं। जो देखने में बहुत ही प्यारा लगता है और छूने में एकदम सॉफ्ट होता है। ज्यादातर खरगोश सफेद रंग के होते हैं, लेकिन कुछ खरगोश का रंग ग्रे और सफेद दोनों रंग मिश्रण रहता है। बहुत सारे लोग इसको अपने घर में पालतू बनाकर रखते हैं। खरगोशों को रखना और उनके सही तरीके से ध्यान रखना बहुत ही जरुरी होता है फिर चाहे वह हो और पाल रहा हो या कक्षा पालन का / व्यवसाय कर रहा हो। खासकर उनके खान पान के मामले में। क्योंकिपोर्ट का पाचन तंत्र जो होता है वह बहुत नाजुक रहता है। एटीएम कार्ड से मोबाइल रिचार्ज करना है? डेबिट कार्ड से रिचार्ज करें फेसबुक अकाउंट और पेज को वेरीफाई कैसे करें? तो इसलिए इनको पालने में थोड़ी सतर्��ता और जरुरी होती है। खरगोश को खाना थोड़े से थोड़े मात्रा में देना चाहिए ताकि भोजन सही तरीके से हो सके।
खरगोश की खाद्य सूची और आहार हिंदी में
अब बात करते हैं उनकी डाइट की, की हमें क्या क्या शामिल करना चाहिए उनके आहार में। चूँकिपोर्ट जो होते हैं वह शाकाहारी रहती है, इसीलिए उन्हें ऐसा डाइट देना चाहिए जिससे उन्हें सही मात्रा में सभी न्यूट्रिएंट मिल सके। खरगोश बहुत प्यारे जीव है, अगर आप खरगोश पालन करते है तो आपको जानकारी होना चाहिए की खरगोश क्या खाते हैं? खरगोश को क्या खिलाना चाहिए? यहाँ पर हमने खरगोश के खाने आहार की सूचि को आपके साथ साँझा किया है। 1. खरगोश के लिए दूध खरगोश के खाने में दूध का इस्तेमाल करना जरुरी होता है, जैसा कि पहले भी बताया गया है की ग्राफ जो होता है वह शाकाहारी होते हैं। इसलिए उन्हें दूध जरूर देना चाहिए, लेकिन फिर भी मिल्क के बारे में आपको पूरा करना चाहिए। खरगोश के लिए संपूर्ण रोटी भी सही आहार है, लेकिन अगर ब्रेड को उल्ल में बेक कर दिया जाए तो खरगोश इसे ज्यादा पसंद करेंगे क्योंकि क्रिस्पी चीजें ज्यादा पसंद करती हैं। यदि आप और कोई व्यवसाय कर रहे हैं जैसे बतख पालन या फिर मुर्गी पालन तो इस लेख को जरुर पढ़े। 2. हिमपात बन्नों को पेल���लेट्स भी खिला सकते हैं, लेकिन अगर आप उनके जन्म के समय के इसका इस्तेमाल करेंगे तो उनके लिए काफी सेहतमंद हो सकता है। पेलेट्स के ब्लाने सेहाउस का ग्रोथ सही रहता है। और ऐसा देखा गया है कीपत्र को भी यह खाना ज्यादा पसंद है, क्योंकि इस खाने से वह बोर नहीं होते। 3. सब्जियां जरूरी हैं खरगोशों के खाने में सब्जियों का उपयोग बहुत अच्छा माना जाता है। कुछ चिंताओं को जिनसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है हैस्प के खिलने में वह इस तरह है - ब्रसेल्स स्प्राउट्स, गोभी, शलजम, गाजर, फली पालक, मटर इन सभी सब्जियों का प्रयोग हाफ उबला कर के देना चाहिए। या ये सबका मिक्सचर बना कर के भी उपयोग कर सकते है। भारत का सबसे बड़ा मंदिर कहां पर है? भारत में कितने गाँव हैं? गांवों की सूची आलू को उबाल और मैश कर के देना भी सही रहता है, जिससे करने से खरगोश को कार्बोहाइड्रेट का खुराक मिलता है, लेकिन एक बात का ध्यान रखें की इस खाने का ज्यादा इस्तेमाल न करे। इससे होने वाले कष्ट की समस्या आ सकती है। 4. खरगोशों के लिए फल खरगोश के आहार में फल भी डाल सकते हैं। वैसे तो ये ज्यादा फल पसंद नहीं आते हैं। इनका पसंदीदा फल जो होता है वह सेब है। उन्हें सेब काफी पसंद होता है, सेहत के नज़रिए से भी यह सही होता है, क्योंकि यह सॉफ्ट होता है अच्छे से डाइजेस्ट भी हो जाता है। इसलिए आप फल में सेब को थोडा दे सकते हैं। 5. घास खिलाएं बनी वन हर्बीवोरस जानवर है, इसके वज़ह से इसके खाने में हरी हरी घास का इस्तेमाल भी कर सकते है। अगर आप किसी बागीचे में ले जाते हैं तो, ग्रीन ग्रास पर टूट पड़ते हैं। इसके बाद इनको नियंत्रण करना काफी मुश्किल हो जाता है। इस तरह खाने से इनको दांतों का व्यायाम भी हो जाता है। यह एग्रीमनी, कोल्टसफूट, कॉम्फ्रे, काउ पार्सनीप, गूज ग्रास इस तरह के ग्रास को खाना ज्यादा पसंद करती है। 6. अनाज खिलाएं ये सभी के अलावे आप मक्का, ओट्स, कॉर्न का उपयोगपत्र के भोजन में शामिल कर सकते है, जो की उनके लिए स्वस्थ भी रहता है और आसानी से बाजार में मिल भी जाता है। नोट - सूप के खाने में जंक आइटम का प्रयोग नहीं करना चाहिए, जैसे चॉकलेट, चिप्स इस तरह की चीजें हानिकारक साबित हो सकती हैं। यह सभी खरगोश के लिए खतरनाक भोजन हैं, इसलिए इसे उन्हे खाने में नहीं देना चाहिए। खरगोश एक शाकाहारी जीव है और घास इसका महत्वपूर्ण भोजन है। ये सूखी हरी घास और हरी पत्तियां जैसे बैल, कैरी, टिम्बल, पौधों की पत्तियों को पसंद करते हैं आदि। घास, लुसर्न, कलेवर, बरसीम, पालक इत्यादि को शलजम, गाजर, चुकंदर के अलावा बड़े चाव से खाते हैं। , फूलगोभी, पत्तागोभी आदि इसके पसंदीदा खाद्य पदार्थ हैं। खरगोशों के लिए आहार: यदि आप हमारी वेबसाइट के नवीनतम अपडेट पाना चाहते है उसके लिए Sahu4You.com को Visit करते रहे साथ ही हमसे Facebook, Twitter और Instagram पर जरूर जुड़े। Read the full article
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पेट साफ करने के घरेलू उपाय
हम अपने दिनचर्या में बहुत सी बातों का ध्यान रखते हैं। अपने घर, ऑफिस, परिवार, स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी होता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि ना चाहते हुए भी कुछ शारीरिक परेशानी हो सकती है जिसमें सिर दर्द, बदन दर्द, पेट की समस्या, बुखार, खांसी सामान्य से होने वाली परेशानी है पर कभी-कभी यह समस्याएं बढ़ती ही प्रतीत होती हैं।
जहां तक पेट की बात की जाए तो यह माना जाता है कि पेट का साफ होना बहुत जरूरी है क्योंकि बहुत सी बीमारियों की शुरुआत पेट से ही होती है। पेट हमारे शरीर का मुख्य अंग है ऐसे में खास सावधानी रखते हुए कार्य करें।
पेट साफ ना होने के कारण | Pet Saaf NA Hone KE Karan
ऐसा माना जाता है कि पेट का साफ होना तभी समझा जाता है जब पाचन की क्रिया सही तरह से कार्य करें पर कई बार कुछ दूसरे कारणों से भी पेट साफ नहीं हो पाता है।
1) अगर ज्यादा पानी का सेवन ना किया जाए तो इससे पेट साफ नहीं हो पाता है। पानी, पेट में उपस्थित सभी अपशिष्ट ��दार्थों का शरीर से बाहर निकालने का काम करता है ऐसे में ज्यादा पानी पीना फायदेमंद है।
2). ज्यादा मात्रा में अल्कोहल लेने से भी पेट संबंधी विकार उत्पन्न हो जाते हैं।
3) कुछ लोगों को दूध या उस से बनी चीजों से पाचन सही से नहीं हो पाता और पेट साफ ना होने की समस्या बनी ही रहती है।
4) कई बार अत्यधिक मात्रा में दवाइयों के सेवन से भी पेट साफ नहीं हो पाता है।
5). ऐसा भी देखा गया है कि रात में कैल्शियम और आयरन की दवाइयां को रात मे लेने से भी अपच होती है। ऐसे में इन दवाइयों को दिन मे हीं लेना बेहतर होगा।
पेट साफ करने का घरेलू उपाय | Pet Saaf Karne Ke Gharelu Upay
अगर आपका पेट साफ ना हो रहा हो, तो आप कुछ घरेलू उपाय ( Pet Saaf Karne Ka Gharelu Nuskha In Hindi) करके भी पेट को आराम दे सकते हैं और स्वस्थ हो सकते हैं।
1). सौंफ और जीरा — यह दोनों ही चीजें पेट के लिए बहुत ही फायदेमंद है। अगर आप जीरा और सौंफ को हल्का सा भून लें और उसे बारीक पीस लें। उस मिश्रण को आप खाली पेट एक चम्मच, गरम पानी के साथ पिए तो यह आपके पेट को साफ करने में मददगार होगा।
2). शहद और नींबू –– अगर आपको पेट दर्द का वास्तविक कारण ना भी पता हो, तो ऐसे में आप खाली पेट एक गिलास गर्म पानी में नींबू और शहद डालकर पिए, तो इससे भी आपको फायदा ही होगा और पेट साफ हो जाएगा।
3). गरम पानी –– अगर लगातार पेट साफ ना होने की समस्या से परेशान हैं, तो गर्म पानी का सेवन जरूर करें। इससे पाचन सही से होता है और अपशिष्ट पदार्थ आसानी से शरीर के बाहर आ जाते हैं तो जब भी पिए गर्म पानी ही पिए।
4). हींग — अगर आप एक चुटकी हींग को गर्म पानी के साथ लें तो इससे भी आपको बहुत ही फायदा होने वाला है।
5).सेब –– अगर आपको ���ोजाना पेट साफ ना होने की समस्या से परेशान हैं, तो सेब का सेवन जरूर करें। सेब में उपस्थित फाइबर आपको पेट की किसी भी समस्या से दूर ही रखेगा।
6). अजवाईन — अगर आप अजवाइन को बारीक पीस लें और उसे रोजाना गर्म पानी में डालकर सेवन करें तो यह फायदेमंद होगा। इसके अलावा अजवाइन को बिना पीसे भी उपयोग कर सकते हैं।
7). एलोवेरा — अब तक हम एलोवेरा के कई उपायों के बारे में जानते हैं ऐसे में यह पेट के लिए भी फायदेमंद होगा। अगर आप एलोवेरा को निकालकर उसका जूस बना ले या फिर उसके गूदे को पानी में डालकर पिया जाए तो यह भी पेट के लिए बहुत ही फायदेमंद होगा।
8). अरंडी का तेल — पेट के मामले में अरंडी का तेल भी बहुत ही फायदेमंद है। ऐसे में आप सोते समय गर्म दूध में अरंडी के तेल को डालकर पिए तो इससे भी बहुत ही फायदा होगा और पेट की समस्या दूर हो जाएगी।
9). नारियल पानी — नारियल पानी को भी पेट के लिए फायदेमंद कहा जाता है। ऐसे में अगर आप नारियल पानी का रोजाना सेवन करें तो इस से भी आपको फायदा मिलेगा।
10). त्रिफला चूर्ण — त्रिफला चूर्ण के गुणों से हम सभी वाकिफ हैं। ऐसे में अगर आप 5 से 6 ग्राम त्रिफला चूर्ण को 200 ग्राम हल्के गर्म दूध के साथ पीते हैं, इससे आपको बहुत ही फायदा होगा इसे जरूर अपनाएं।
11). पुदीना –– पेट को साफ करने में पुदीने की पत्तियों का भी योगदान है। आप चाहे तो इस का शरबत पी सकते हैं या फिर इसे पीसकर भी खाया जा सकता है।
12). अलसी के बीज –– पेट साफ करने में अलसी के बीजों का भी महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। अगर अलसी के बीजों को पीसकर उसे दूध में डालकर सेवन करें तो फायदेमंद होगा। इनका उपयोग बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं करना चाहिए। इसे आप चाहे तो शहद के साथ भी ले सकते हैं।
13). दही — दही में उपस्थित प्रोबायोटिक पेट को साफ करने में भी मददगार है इसे आप शरबत के रूप में भी ले सकते हैं।
कच्ची सब्जियों का सूप भी है फायदेमंद–
अगर आप लगातार पेट की समस्या से परेशान हैं, तो ऐसे में अगर आप कच्ची सब्जियों का सूप बनाकर भी पीते हैं तो यह फायदेमंद होगा। इसके साथ ही दूसरे समस्या भी ठीक हो सकती है। इन सब्जियों में आप गाजर, चुकंदर, पालक, गोभी, करेला, लौकी का उपयोग कर सकते हैं। सारी सब्जियों को बारीक पीसकर थोड़े पानी के साथ मिक्सर में पीस लें और उसका सूप तैयार कर लें। सब्जियों में सभी प्रकार के पोषक तत्व होते हैं, जो पेट साफ करने के साथ-साथ इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाकर रखते हैं। इनमें नमक कम मात्रा में इस्तेमाल करें।
पेट साफ ना होने पर ना खाए इन आहारों को
पेट साफ ना होने पर हमें समझ नहीं आता कि आखिर यह हो क्या रहा है? ऐसे में अगर कुछ आहार को अपने भोजन में शामिल ना करें तो फायदा ही होगा।
1). डेयरी प्रोडक्ट — पेट साफ ना होने पर डेयरी प्रोडक्ट से दूर ही रहे। दूध या दूध से बनी चीजें पाचन करने में ज्यादा समय लगाती हैं और यह गरिष्ठ भोजन की श्रेणी में आता है। ऐसे में अगर आपका पेट साफ ना होने की समस्या है, तो कुछ दिनों के लिए डेयरी प्रोडक्ट से दूरी बना ले।
2). बिस्किट और कुकिज –– ऐसे समय में मैदे से बनी चीजें का सेवन करने से मना किया जाता है क्योंकि इनके पचने में बहुत समय लगता है। ऐसे में बिस्किट और कुकीज़ से दूरी बना लें इससे भी पेट को समस्या हो सकती है।
3).कच्चे केले — पेट को साफ रखना चाहते हैं, तो कच्चे केले का सेवन नहीं करें। अगर आप चाहें तो पका केला खा सकते हैं।
4). चिप्स — पेट को साफ रखना हो तो चिप्स खाना सही नहीं है, जो भी आलू से बने होते हैं उनमें कार्बोहाइड्रेट, वसा, मसाले अधिक मात्रा में होते हैं, जो कहीं ना कहीं पेट को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में इन रेडिमेड चिप्स से दूर ही रहे।
5). मसालेदार भोजन — पेट साफ करने के लिए मसालेदार और गरिष्ठ भोजन से दूर ही रहे। ऐसे में पाचन में दिक्कत आती है।
6). जंक फूड और मैदा युक्त भोजन से दूरी बनाना सही है।
पेट साफ करने के कुछ अचूक नुस्खे | Pet Saaf Karne Ke kuch achuk nuskhe
पेट साफ करने के लिए कुछ अचूक नुस्खे अपनाकर स्वस्थ रहा जा सकता है।
1). रात को खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ जरूर खाएं इससे आपका पेट साफ रहेगा।
2). जब भी दाल का सेवन करें तो उसके छिलके को ना ही निकाले तो बेहतर होगा।
3). अगर खाने के सोडे को पानी में डालकर पिए तो इससे भी फायदा होता है।
4) खाने के बाद थोड़ी सी सौंफ और मिश्री को चबा लिया जाए तो बेहतर होगा।
5). सब्जियों में अगर आप परवल, टमाटर, बैंगन ,लौकी, तोरई का सेवन करें तो अच्छा रहेगा।
6). पेट साफ करने में फलों का भी महत्वपूर्ण योगदान है इसमें आप केला, अंगूर, अंजीर, बेर, अमरूद का सेवन करें तो बेहतर होगा।
7). ��पने खानपान का भी विशेष ध्यान रखें।
8). पानी में भिगोकर किशमिश मुनक्का खाने से फायदा होगा।
बुजुर्गों का रखना होगा खास खयाल–
अगर घर में बुजुर्ग हो, तो ऐसे में उनके खान-पान का विशेष ध्यान रखें। बुजुर्गों की इम्युनिटी कमजोर होती है और पाचन संबंधी दिक्कतें भी देखी जा सकती है। अगर बुजुर्गों को हल्का खाना दिया जाए तो बेहतर होगा। इसके अलावा मसालेदार और तला हुआ खाना बिल्कुल ना दे। गर्म पानी और नींबू पानी का सेवन फायदेमंद है। इसे आप दिन में तीन या चार बार अवश्य दें।
त्रिफला का चूर्ण भी है फायदेमंद–
पेट साफ करने के लिए त्रिफला चूर्ण को भी फायदेमंद माना गया है। यह आपके पेट की समस्याओं को भी दूर कर देता है। त्रिफला देखा जाए तो आंवला, हरण और बहरा का मिश्रण है, जो बराबर मात्रा में कूटकर बनाया जाता है। ऐसे में इसमें वह सारे गुण मौजूद होते हैं, जो आंतरिक रूप से परेशानी को दूर कर देते हैं। ऐसे में पेट को साफ करने के लिए यह चूर्ण महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसे गर्म पानी के साथ ले सकते हैं और स्वस्थ रहा जा सकता है।
निष्कर्ष
हमने देखा कि पेट का साफ होना बहुत ही जरूरी है नहीं तो कई प्रकार की बीमारियां और समस्याएं आ सकती हैं। अपने उचित खान-पान और जीवनशैली से खुद को स्वस्थ बनाते हुए पेट साफ रखा जा सकता है। इसके लिए शुरुआत खुद को ही करना होगा। इन उपायों को अपनाकर आप अपनी समस्या को दूर कर सकते हैं। हमेशा स्वस्थ रहिए, मस्त रहिए और खुश रहिए।
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Source : http://www.ghareluayurvedicupay.com/pet-saaf-karne-ke-gharelu-upay/
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क्या पैलियो डाइट बढ़ते वजन को कम करने में मदद करता है?- Paleo Diet For Weight Loss in Hindi
क्या पैलियो डाइट बढ़ते वजन को कम करने में मदद करता है?- Paleo Diet For Weight Loss in Hindi Arpita Biswas Hyderabd040-395603080 December 16, 2019
बढ़ता वजन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, कुछ लोग योग, व्यायाम और अन्य तरीकों के साथ-साथ कई तरह की डाइट प्लान ( Keto, Intermittent Fasting etc) का भी सहारा लेते हैं। इन्हीं में से एक है पैलियो डाइट। हो सकता है कि इस डाइट प्लान का नाम आपके लिए नया हो। इसलिए, स्टाइलक्रेज के इस लेख से हम पैलियो डाइट क्या है व पैलियो डाइट के फायदे के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने की कोशिश करेंगे। इतना ही नहीं अगर पैलियो डाइट के नुकसान हैं, तो हम उसके बारे में भी आपको बताएंगे। अगर मन में यह सवाल चल रहा है कि क्या पैलियो डाइट बढ़ते वजन को कम करने में मदद कर सकती है, तो इस लेख को जरूर पढ़ें।
आइए, सबसे पहले जानते हैं कि पैलियो डाइट क्या है।
विषय सूची
पैलियो डाइट प्लान क्या है? – What Is A Paleo Diet In Hindi
पैलियो एक खास प्रकार का डाइट प्लान है, जिसे केवमैन या स्टोन-एज डाइट भी कहा जाता है। इसमें फल, सब्जी, लीन मीट, मछली, अंडा व नट्स आदि को शामिल किया जाता है (1) (2)। वहीं, इसमें अनाज, डेयरी उत्पाद, नमक, प्रोसेस्ड फैट और चीनी जैसे खाद्य पदार्थों से दूरी बनाने के लिए कहा जाता है (3)।
लेख के आगे के भाग में हम पैलियो डाइट प्लान के फायदे के बारे में जानकारी देने की कोशिश करेंगे। इसके बाद आपको पैलियो डाइट चार्ट और वजन कम करने में पैलियो डाइट प्लान के फायदे के बारे में बताया जाएगा।
पैलिया डाइट प्लान के फायदे – Paleo Diet Plan Benefits In Hindi
नीचे हम पैलियो डाइट के फायदे के बारे में बता रहे हैं। यहां हम स्पष्ट कर दें कि इस डाइट के फायदे बीमारियों के जोखिम को कम कर सकते हैं, जो इस प्रकार हैं (4):
हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome) कम हो सकता है।
कैंसर का जोखिम कम हो सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम हो सकता है।
कील-मुंहासों से बचाव।
मायोपिया (myopia) एक तरह की नेत्र संबंधी समस्या से बचाव कर सकता है।
पैलियो डाइट के फायदे जानने के बाद कई लोग इसके मील प्लान के बारे में जानना चाहते होंगे। इसलिए, लेख के आगे के भाग में जानिए पैलियो डाइट का मील प्लान क्या हो सकता है।
पैलियो डाइट में सात दिन का मील प्लान – Sample 7 Days Paleo Diet Plan In Hindi
नीचे हम पैलियो डाइट की एक सूची साझा कर रहे हैं। ध्यान रहे कि यह सूची एक नमूने के तौर पर दी जा रही है। इसमें बताए गए खाद्य पदार्थ और उसकी मात्रा में व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य, जरूरत और पसंद के अनुसार बदलाव किया जा सकता है। इसके लिए आप एक बार किसी आहार विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं।
दिन क्या खाएं सोमवार नाश्ता – एक या दो अंडे, ऑलिव ऑयल में हल्की तली हुई सब्जियां, कोई भी एक फल और पांच भीगे बादाम।
दोपहर का खाना – मुट्ठी भर नट्स के साथ चिकन सलाद।
रात का खाना – हल्की तली सब्जियों के साथ उबली हुई या ग्रिल्ड मछली।
मंगलवार नाश्ता- बहुत सारी सब्जियों के साथ अंडे की भुर्जी।
दोपहर का खाना – फिश सलाद/चिकन सलाद।
रात का खाना – भुना हुआ चिकन और सब्जियों के साथ घर का बना मशरूम सूप।
बुधवार नाश्ता – एक या दो अंडे का ऑमलेट, 1 कटोरी तरबूज और आधा चम्मच अलसी के बीज।
दोपहर का खाना – हरे बीन्स के सलाद के साथ ग्रिल्ड चिकन।
रात का खाना – 1 कटोरी गोभी के सूप के साथ बेक्ड मछली।
गुरुवार नाश्ता – एक या दो बेक्ड अंडे और ब्रोकली।
दोपहर का खाना – मछली एवोकैडो लेट्यूस रैप।
रात का खाना – तला हुआ मीट और सब्जियां।
शुक्रवार नाश्ता: शिमला मिर्च के साथ अंडे की ऑमलेट।
दोपहर का खाना – मसालेदार काली मिर्च में भुना हुआ चिकन।
रात का खाना – चिकन चेट्टीनाड (दक्षिण भारतीय व्यंजन) साथ में हल्की तली सब्जियां।
शनिवार नाश्ता – शकरकंद के साथ अंडे की भुर्जी।
दोपहर का खाना – सिट्रस और हर्ब चिकन।
रात का खाना – नींबू और थाइम के साथ बेक्ड मछली।
रविवार नाश्ता – टमाटर और प्याज के साथ उबला हुआ अंडा
दोपहर का खाना – भुने हुए टमाटर के साथ चिकन
रात का खाना – ग्रिल्ड मछली या चिकन के साथ हरी सब्जियों का सलाद।
आगे जानिए पैलियो डाइट में क्या-क्या खाद्य पदार्थ खाए जा सकते हैं।
पैलियो डाइट में खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ – Foods to Eat on the Paleo Diet In Hindi
अगर कोई ऊपर दिए गए चार्ट को फॉलो नहीं कर सकता, तो कम से कम इन खाद्य पदार्थों को तो अपनी पैलियो डाइट में जरूर शामिल किया जाना चाहिए (5)।
अंडा
लीन मीट जैसे – चिकन
नट्स
हरी सब्जियां
फल
मछली
जैतून का तेल
नारियल का तेल
अब बारी आती है जानने की कि पैलियो डाइट में क्या न खाएं।
पैलियो डाइट में इन खाद्य पदार्थों को खाने से बचें – Foods to Avoid on the Paleo Diet In Hindi
नीचे जानिए पैलियो डाइट में किन खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए (5)।
साबुत अनाज (Whole Grains)
अनाज (Cereals)
शुगर
डेयरी उत्पाद
सफेद आलू
फलियां (मूंगफली, सेम, मसूर)
अल्कोहल
कॉफी
नमक
कैनोला जैसे रिफाइंड वनस्पति तेल
क्या पैलियो डाइट बढ़ते वजन को कम करने में मददगार है या नहीं?
��ब बात करते हैं कि यह डाइट प्लान किस प्रकार वजन को कम कर सकता है। इसी संबंध में वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च की है। रिसर्च में वैज्ञानिकों ने रजोनिवृत्ति के बाद (Post Menopausal) मोटापे से ग्रस्त 70 महिलाओं को शामिल किया। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित इस रिसर्च के अनुसार, इन महिलाओं को दो तरह की डाइट पर रखा गया, जिनमें से एक पैलियो डाइट थी। शोध में पैलियो डाइट का पालन करने वाली महिलाओं में काफी मात्रा में फैट कम होता हुआ पाया गया। दूसरी डाइट की तुलना में पैलियो डाइट करने वाली महिलाओं में ट्राइग्लिसराइड (Triglyceride-एक प्रकार का फैट) का स्तर काफी कम हुआ (1) (2)। यह अभी शुरुआती रिसर्च है। इस संबंध में और शोध किया जाना बाकी है।
अगर ऊपर बताए गए शोध को देखा जाए, तो पैलियो डाइट से कुछ हद तक वजन कम हो सकता है, लेकिन यह व्यक्ति के स्वास्थ्य और वजन पर निर्भर करता है। हर किसी की शारीरिक स्थिति एक जैसी नहीं होती है। ऐसे में यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है कि पैलियो डाइट सभी के लिए कारगर है या नहीं। हां, इतना जरूर कहा जा सकता है कि पैलियो डाइट से वजन पूरी तरह कम हो या न हो, लेकिन कुछ बीमारियों का जोखिम जरूर कम हो सकता है।
लेख के आगे के भाग में जानिए पैलियो डाइट के नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं।
पैलियो डाइट प्लान के नुकसान – Paleo Diet Plan Side Effect In Hindi
हर चीज का फायदा और नुकसान दोनों होते हैं। वैसे ही अगर पैलियो डाइट के फायदे हैं, तो उसके कुछ नुकसान भी हैं। उन्हीं के बारे में हम लेख के इस भाग में जानकारी दे रहे हैं (5)।
पैलियो डाइट प्लान में कई चीजों का ध्यान रखना जरूरी होता है। यह डाइट ताजे खाद्य पदार्थों पर निर्भर करती है। ऐसे में इस व्यस्त जीवनशैली में भोजन को तैयार करने और पकाने के लिए वक्त निकालना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
इस डाइट में साबुत अनाज और डेयरी उत्पादों का सेवन नहीं किया जाता है। ऐसे में यह डाइट पोषक तत्व जैसे – कैल्शियम, विटामिन-बी व डी की कमी का कारण बन सकता है। इस स्थिति में जरूरी है कि कुछ नॉन डेयरी प्रोडक्ट का सेवन किया जाए, जिससे शरीर को कैल्शियम मिले। इसके अलावा, साबुत अनाज का सेवन न करने से फाइबर जैसे लाभकारी पोषक तत्व की कमी भी हो सकती है, जिससे मधुमेह और हृदय र���ग का जोखिम बढ़ सकता है।
साथ ही इसमें मौजूद किसी विशेष खाद्य पदार्थ का सेवन अगर व्यक्ति पहली बार कर रहा है, तो उसे फूड एलर्जी जैसी समस्या भी हो सकती है।
उम्मीद करते हैं कि इस लेख के जरिए पैलियो डाइट से संबंधित जानकारी से कई लोगों को इसके बारे में थोड़ा-बहुत अंदाजा हो गया होगा। पैलियो डाइट प्लान के फायदे जानने के बाद इसे कई लोग अपनाने का सोच रहे होंगे। इसे फॉलो करने में कोई बुराई नहीं है। अगर सही तरीके से इस डाइट का पालन किया जाए, तो पैलियो डाइट के फायदे जरूर दिखेंगे। ��िर भी बेहतर है कि एक बार डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय जरूर ली जाए। अंत में अगर पैलियो डाइट से संबंधित कोई भी सवाल या सुझाव आपके पास हो, तो आप उसे हमारे साथ साझा कर सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या चावल पैलियो आहार का हिस्सा है?
नहीं, पैलियो फूड लिस्ट में चावल नहीं है, क्योंकि यह एक अनाज है। हालांकि, कई पैलियो डाइटर्स कभी-कभी चावल खाते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि इसे आदत न बनाएं। हालांकि, अगर कोई व्यक्ति पैलिओ डाइट की शुरुआत कर रहा है, तो बेहतर है की वो चावल का सेवन न करें। अधिक जानकारी के लिए आहार विशेषज्ञ से सलाह ली जा सकती है।
क्या पैलियो डाइट में चीज़ का सेवन किया जा सकता है ?
पैलियो डाइट में डेयरी प्रोडक्ट के सेवन से बचना चाहिए। इसलिए, बेहतर है कि चीज़ को डाइट में शामिल न करें। इसके अलावा और बेहतर जानकारी के लिए आहार विशेषज्ञ से भी राय जरूर लें (5)।
पैलियो डाइट में वजन कितनी तेजी से कम हो सकता है ?
डाइट के पहले सप्ताह में शरीर में पानी का वजन कम हो सकता है। इसलिए, पहले हफ्ते में बहुत अधिक वजन कम करने की संभावना हो सकती है। वहीं, दूसरे हफ्ते में शरीर से फैट कम हो सकता है, जो पैलियो डाइट का मुख्य लक्ष्य होता है। हालांकि, वजन कितनी तेजी से कम हो सकता है, यह व्यक्ति के शुरुआती वजन और डाइट को फॉलो करने पर निर्भर है। डाइट को सही तरीके से फॉलो करने से परिणाम धीरे-धीरे दिख सकते हैं।
क्या शाकाहारी व्यक्ति पैलियो डाइट कर सकता है?
हां, शाकाहारी व्यक्ति भी पैलियो डाइट कर सकता है।
क्या पैलियो डाइट में कॉर्न टॉर्टिला (Corn Tortillas) का सेवन किया जा सकता है?
नहीं, जब आप पैलियो डाइट पर हों, तो कॉर्न टॉर्टिला (Corn Tortilla) खाने से बचें, क्योंकि यह अनाज होता है और पैलियो डाइट में अनाज का सेवन करना मना है (6)।
पैलियो डाइट में कौन से स्नैक्स खा सकते हैं?
पैलियो डाइट में खाए जाने वाले स्नैक्स कुछ इस प्रकार हैं –
खीरा
गाजर
मटर और अन्य सब्जियों की सलाद
फलों की सलाद
पिस्ता
क्या पैलियो डाइट के दौरान कुछ पी सकते हैं?
पैलियो डाइट के दौरान नीचे बताए गए पेय-पदार्थों का सेवन कर सकते हैं –
भरपूर मात्रा में पानी
ग्रीन टी
फलों का जूस
सूप
यह व्यक्ति की डाइट और शरीर पर निर्भर करता है, इसलिए इस बारे में एक बार डॉक्टर से सलाह लेना अच्छा हो सकता है।
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Arpita Biswas
अर्पिता ने पटना विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में स्नातक किया है। इन्होंने 2014 से अपने लेखन करियर की शुरुआत की थी। इनके अभी तक 1000 से भी ज्यादा आर्टिकल पब्लिश हो चुके हैं। अर्पिता को विभिन्न विषयों पर लिखना पसंद है, लेकिन उनकी विशेष रूचि हेल्थ और घरेलू उपचारों पर लिखना है। उन्हें अपने काम के साथ एक्सपेरिमेंट करना और मल्टी-टास्किंग काम करना पसंद है। इन्हें लेखन के अलावा डांसिंग का भी शौक है। इन्हें खाली समय में मूवी व कार्टून देखना और गाने सुनना पसंद है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/kya-paleo-diet-weight-loss-me-madad-karta-hai-in-hindi/
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गर्मियों में स्वस्थ रहने के सटीक तरीके Summer Health Tips in Hindi
गर्मियां आते ही शरीर में नाना प्रकार के विकार होना शुरू हो जाते हैं, जैसे कि घमोरिया, त्वचा खाज- खुजली, घबराहट, लू लगना, संक्रामण, बुखार, पेटदर्द, नकसीर आना, उल्टी, दस्त लगना पेट खराब होना, जैसी शारीरिक समस्याऐं शुरू हो जाती हैं। गर्मियों में शरीर का सही ठंग से ख्याल रखने के लिए खान पान, धूप, गर्मी, धूल मिट्टी, संक्रामण से शरीर को बचाना आवश्यक हो जाता है।
सुबह उठने से लेकर रात सोते सोते तक दिनचर्या कैसा हो, और क्या खाने पीने में सही है और क्या नहीं। ये सब जरूरी बाते गर्मियों में होने वाली बीमारियों व समस्याओं से बचाने के कुछ खास तरीके हैं। गर्मी मौसम में सावधानियां से रहें, तो शरीर स्वस्थ रहता है और गर्मिंयों का पूरा मजा अराम से आनन्द के साथ बिता सकते हैं।
गर्मियों में स्वस्थ रहने के सटीक तरीके / Summer Health Tips in Hindi / Garmiyo me Swasth rahne ke Tarike
पर्याप्त पानी पीना गर्मी मौंसम में प्र्याप्त मात्रा में खूब पानी पीयें। पर्याप्त पानी शरीर के तापमान को नियंत्रण में रखने में सहायक है। पानी शरीर में गर्मी लू के दुष्प्रभाव नहीं पड़ने देता है। गर्मियों में खूब पानी पीयें और खाना सीमित मात्रा में खायें। ज्यादा खाने से बचें। पर्याप्त पानी पीने से पाचन व त्वचा दोनों स्वस्थ निरोग रहती है। स्वास्थ्यवर्धक नींबू पानी गर्मियों में सुबह उठकर 1 गिलास नींबू पानी रोज पीयें। जोकि सारे दिन तरोताजा रखने में मदद् करता है। और आने वाले संक्रामण वायरल से शरीर को बचाता है। ���ींबू एन्टीबायोटिक है। जोकि गर्मियों में दवा का काम भी करता है। नींबू पानी पेट साफ रखने में सक्षम है। चाय काॅफी कम मात्रा में सेवन करें। अकसर चाय काॅफी गर्मियों में गैस ऐसिडिटी पाचन में गड़बड पैदा कर सकती है। शीतल पेय नींबू पानी, जलजीरा, पुदीना पानी, फल रस, फलों का सेक शेक, तरबूज, खरबूजा, ककड़ी, खीरा और स्वास्थ्यवर्धक शीतल पदार्थ गर्मी लू से शरीर को बचाने में सहायक है।
प्याज गर्मी - लू से बचाये
रोज खूब प्याज सलाद रूप में खायें। प्याज शरीर को गर्मी लू से बचाने में सहायक है। प्राचनीकाल से ही गर्मियों में यात्रा के दौरा लोग प्याज साथ में ले कर जाते थे। प्याज खाने से प्यास बुझती है। और साथ में गर्मी लू का प्रकोप नहीं के बराबर रहता है। गर्मी मौसम में प्याज सेवन अवश्य करना चाहिए। व्यायाम योगा रोज सुबह शाम 20-25 मिनट योगा, व्यायाम, सैर जरूर करें। गर्मियों में योगा, व्यायाम, सैर शरीर के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है। जो लोग वजन कम करना चाहते हैं या मोटापा से परेशान हैं, उन के लिए गर्मियों में व्यायाम बहुत लाभदायक है। थोड़ी से एक्ससाईज से शरीर में नियत्रण से ज्यादा बनी चर्बी व मोटी त्वचा मेल्ट पिघलती जल्दी है। व्यायाम हर व्यक्ति के उतना जरूरी है जितना जरूरी अन्य दैनिक कार्य। रस्सीकूद, शितली, श्वासन, शीतकरी, चन्द्रभेद, अनुलोम विलोम प्राणायाम शरीर को शीतलता और स्वस्थ रखने में सहायक है। सुबह नाश्ता सुबह नाश्ता लाइट हल्का ले, पराठे, आलू पकवाल, तले पकवानों से दूरी बनायें रखें। ज्यादा तेल वाला व सख्त खाने से बचें। हल्के नाश्ते के साथ फल, सलाद, दूध, तरल पदार्थों का सेवन करें। गर्मिंयों में सबसे ज्यादा शरीर को पानी की जरूरत होती है। दिन का खाना गर्मियों में दोपहर को सर्दियों के मुकाबले कम व नियत्रण में खाना ज्यादा फायदेमंद हैं। संतुलित व पौष्टिक भोजन ही ग्रहण करें। ज्यादा मसालेदार, फास्ट फूड, जंकफूड, बाजार के पेय पदार्थों से दूरी बनाना अच्छा है। अकसर देखा गया है, कार्यालय में काम करने वाले व्यक्ति, विद्यार्थी, माॅल वर्कस आदि फास्ट फूड जंक फूड खाना ज्यादा पसंद करते हैं। गर्मियों में पाचन तंत्र उतना सक्रीय नहीं होता जितना कि सर्दियों में। जंकफूड एवं फास्ट फूड पूर्ण रूप से नहीं पच पाता जोकि पेट में गैस, पेट भारी होना, भूख रूटीन को प्रभावित करता है। फलों जूस, सलाद गर्मियों में स्वस्थ रहने में सक्षम है।
रात का खाना गर्मियों में रात का खाना सर्दियों के मुकाबले आधा होना चाहिए। शरीर को पानी पयाप्त मात्रा की जरूरत अकसर गर्मियों में ज्यादा होती है। खाने के 30 मिनट के अन्तराल में पानी पीना फायदेमंद है। कई लोग खाने के साथ साथ पानी पीने के आदत होती है। जोकि भोजन के सम्पूर्ण पोष्टक तत्व शरीर को नहीं मिल पाते और खाते वक्त पानी पीना पाचन के लिए अच्छा नहीं होता। कई बार देखा गया है। गर्मियों में गर्म खाने के साथ व्यक्ति ठंड़ा पानी पीता है जोकि आराम से पेट में गडबडी पैदा कर सकता है। रात को कम खाये और खाने के 20-30 मिनट बाद ही पानी पीयें। सोने से 5 मिनट पहले 1-2 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। इससे नींद भी अच्छी आती है और पाचन तंत्र ठीक दुरूस्त रहता है। धूप, शरीर के तापमान को समझें गर्मियों में धूप में घूमने से बचें, ज्यादा देर तक धूप में न रहें, धूप सीधे शरीर के तापमान को प्रभावित करती है। छाता इस्तेमाल जरूर करें। धूप में चेहरे, सिर को सूती कपड़े रूमाल से ढंक कर रखना फायदेमंद है। अचानक धूप से आकर ए.सी., कूलर के नीचे न बैठें, या फिर फ्रीज का ठंडा पानी तुरन्त न पीयें। तेज धूप से आने पर तुरन्त ठंड राहत सामग्री ना लें। बाहर का तापमान शरीर के तापमान से अलग होता है। ऐ.सी के नीचे बैठने पर त्वचा सम्बन्धित समस्या हो सकती है, धूप से अपने पर तुरन्त ज्यादा ठंडा पानी पीने से जुकाम, इन्फेक्शन, गला पकड़ सकता है। और धूप से आने पर तुरन्त नहाने से बुखार व सर्द-गर्म की समस्या हो सकती है। गर्मियों में बच्चे बड़े ज्यादा देर तक स्वीमिंग करते हैं, चाहे वह नदी, तालाब, स्वीमिंग-पूल आदि जगहों पर व्यक्ति अपने पंसद स्वीमिंग करता है और साथ-साथ धूप सेकते हैं। सन बास्किंग से तपेदिक बुखार को निमंत्रण करता है। याद रखें अपने आनन्द मजे के चक्कर में बीमार न पड़ जायें। याद रखे शरीर का तापमान बाहर धूप के तापमान से अलग भिन्न होता है। जोकि बदलने पर नुकसान देय है। गर्मियों में पहनाव गर्मी लू से बचने के लिए सूती और ढीले कपड़े पहने। तंग टाईट सिंथेटिक कपड़े नहीं पहने चाहिए। गर्मी मौंसम में टाईट तंग सिंथेटिक कपड़े पहनने से त्वचा, शरीर में कई तरह की समस्याऐं होती हैं। अन-हेल्दी खाना गर्मी मौंसम में बासी खाना, सख्त खाना, तेज गर्म मसाले, गर्म खाना, ज्यादा चाय काॅफी, ज्यादा खाना, शराब, आदि अनहेल्दी खाने से बचें। सख्त और अनहेन्दी खाना गर्मी मौंसम में समस्याऐं पैदा करने का एक कारण है। अनहेल्दी भोजन करना शरीर के लिए हानिकारक है। गर्मी मौंसम में अपने खान पान दिनचर्या पर विशेष ध्यान दें, सख्त खाने, तले भुने चीजे, फास्टफूड - जंकफूड खाने, धूप से बचें। ज्यादा से ज्यादा तरल पेय पोष्टिक संतुलित भोजन करें। सुबह शाम सैर करें।
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लव जिहाद पर सियासत के बाद रसगुल्ला चांप रहे हैं बीजेपी नेता, कम्युनल केक के चक्कर में कांग्रेस नई दिल्ली: हिन्दू मुस्लिम शादी को लव जिहाद बताकर सियासत के बाद अब इन शादियों में रसगुल्ला चांप रहे हैं बीजेपी नेता, कम्युनल केक के चक्कर में कांग्रेस. पिछले साल मई में रिपब्लिक चैनल पर हैदराबाद से एक स्टिंग चला था. आप यू ट्यूब पर इसकी डिबेट निकाल कर देखिए, सर फट जाएगा. स्टिंग में तीन लड़कों को ISI के लिए काम करने वाला बताया गया था. जब पुलिस ने देशद्रोह का केस दर्ज किया था तब इसे चैनल ने अपनी कामयाबी के रूप में पेश किया ही होगा. लेकिन इंडियन एक्सप्रेस के पेज नंबर 8 पर ख़बर है कि चैनल ने स्टिंग के ओरिजिनल टेप नहीं दिए. इसलिए पुलिस केस बंद करने जा रही है. बच्ची से रेप और हत्या का मामला हिंदू-मुस्लिम कैसे हो गया? जबकि एक्सप्रेस के अनुसार उस स्टिंग में तीनों लड़के कथित रूप से सीरिया न जाने पर यहीं कुछ करने की बात कर रहे हैं. राष्ट्रवाद का इतना फर्ज़ीवाड़ा करने के बाद आख़िर चैनल ने टेप क्यों नहीं दिया ताकि इन्हें सज़ा मिल सके? मगर स्टोरी के अंत में रिपब्लिक टीवी का बयान छपा है जिसमें चैनल ने इस बात से इंकार किया है कि उसकी तरफ से बिना संपादित टेप नहीं दिए गए. रिपब्लिक टीवी तो खम ठोंक कर बोल रहा है कि सारा टेप पुलिस को दे दिया गया था. पुलिस प्रमुख मोहंती का बयान छपा है कि चैनल की तरफ से संपादित फुटेज दिए गए हैं. अब किसी को तो फैसला करना चाहिए कि दोनों में से कौन सही बोल रहा है. क��या इसमें प्रेस काउंसिल आफ इंडिया की कोई भूमिका बनती है? ग्लोबल चुनाव आयुक्त ज़करबर्ग का शुक्रिया... पूरी दुनिया के सामने अब्दुल्ला बासित, अब्दुल हन्नान क़ुरैशी और सलमान को आतंकवादी के रूप में पेश किया गया. इन तीनों के परिवार पर क्या बीती होगी और आप ये डिबेट देखते हुए कितने ख़ूनी और सांप्रदायिक हुए होंगे कि मुसलमान ऐसे होते हैं, वैसे होते हैं. एसआईटी ने रिपब्लिक चैनल के इस स्टिंग पर इन तीनों को पूछताछ के लिए बुलाया था और केस किया था. आप आज के इंडियन एक्सप्रेस में पूरी स्टोरी पढ़ सकते हैं. कूड़ा हिन्दी अख़बारों को ख़रीदने में आप जैसे दानी ही पैसे बर्बाद कर सकते हैं, जबकि उनमें इस तरह की स्टोरी होती भी नहीं और होगी भी नहीं. हिन्दुस्तान में हत्यारों की भीड़ रैपिड एक्शन फोर्स की तरह तैयार खड़ी है 2015 बैच की आईएस टॉपर डाबी और अख़्तर आमिर ख़ान को बधाई. इस दौर में इस हिन्दू मुस्लिम विवाह की तस्वीर मिसाल से कम नहीं है. दिल्ली में दोनों ने प्रीतिभोज का आयोजन किया जिसमें उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी आए और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी. लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन भी थीं. कभी रविशंकर प्रसाद के पुराने बयान निकालिए, वो कहा करते थे कि लव जिहाद के नाम पर आतंकी गतिविधियां चल रही हैं. संघ के प्रवक्ता लव जिहाद को लेकर एक से एक थ्योरी पेश करते थे. टीवी चैनलों ने इस पर लगातार बहस कर आम जनता को ख़ूनी और सांप्रदायिक मानसिकता में बदला और अब उनके नेता हिन्दू-मुस्लिम शादी में घूम-घूम पर आलू दम और पूड़ी खा रहे हैं. समाज को ज़हर देकर, खुद रसगुल्ला चांप रहे हैं. हम नफ़रत फैलाने वालों के शिकार क्यों बन रहे हैं? हादिया पर क्या बीती होगी? अकेली लड़की नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी से लेकर गोदी मीडिया की सांप्रदायिकता से लड़ गई. हादिया इस वक्त प्रेम की सबसे बड़ी प्रतीक है. उसका कद लैला-मजनू से भी ऊपर है. उस हादिया को लेकर मुद्दा गरमाने में किसका हित सधा. आप जानते हैं. ग़रीब हादिया ख़ुद से लड़ गई. संभ्रांत आमिर और डाबी ने इन लोगों को बुलाकर खाना खिलाया. फोटो खिंचाया. लव जिहाद एक फोकट मुद्दा था आपको चंद हत्याओं के समर्थन में खड़ा करने के लिए. क्या सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट को कमजोर नहीं किया है? इस प्रक्रिया में लव जिहाद के नाम पर आप दर्शक उल्लू बने हैं. 2014 से 2018 तक टीवी पर हिन्दू-मुस्लिम डिबेट चला है. अब धीरे धीरे वो फुस्स होता जा रहा है. बीजेपी के बड़े नेता अब अच्छी छवि बना रहे हैं. हिन्दू-मुस्लिम शादी को मान्यता दे रहे हैं. इसके लिए उन्हें बधाई. इस लव जिहाद के कारण लाखों दर्शकों में एक समुदाय के प्रति भय का विस्तार किया गया और आप भी हत्यारी होती राजनीति के साथ खड़े हो गए. उन चार सालों में आप विपक्ष की भूमिका देखिए. लगता था काठ मार गया है. कभी खुलकर सामने नहीं आया. विपक्ष भी हिन्दू सांप्रदायिकता के इस बड़े से केक से छोटा टुकड़ा उठा कर खाने की फिराक़ में था. कांग्रेस की तो बोलती बंद हो गई थी. अभी भी कांग्रेस ने कठुआ बलात्कार पीड़िता के आरोपियों को बचाने वालों को पार्टी से नहीं निकाला है. कांग्रेस ने कभी सांप्रदायिकता से ईमानदारी से नहीं लड़ा. न बाहर न अपने भीतर. हर बात की सज़ा छात्रों को ही क्यों? सांप्रदायिकता से इसलिए मत लड़िए कि कांग्रेस बीजेपी करना है. इनके आने-जाने से यह लड़ाई कभी अंजाम पर नहीं पहुंचती है. भारत इस फटीचर मसले पर और कितना चुनाव बर्बाद करेगा. आपकी आंखों के सामने आपके ही नागरिकों के एक धार्मिक समुदाय का राजनीतिक प्रतिनिधित्व समाप्त कर दिया गया. मुसलमानों को टिकट देना गुनाह हो गया है. ऐसे में आप इस लड़ाई के लिए क्यों और किस पर भरोसा कर रहे हैं? रवीश कुमार की अपील, 'इस राज्य को बचा लीजिए...' टिप्पणियां
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दस्त उपचार Dast Upchar
Home Remedies to Cure Loose Motion : मौंसम बदलते ही स्वास्थ्य समस्याएं होने आरम्भ हो जाती हैं। जिसका प्रभाव सर्वप्रथम पाचन तंत्र पर पड़ता है। जिससे अपचन और दस्त लगना आम समस्या है। जिसे डायरिया भी कहा जाता है। कई बार अन्य वजहों जैसेकि बैक्टीरिया - संक्रमण फैलने या फिर पेट इंफेक्शन, अपचन, गलत खान-पान से भी दस्त - लूस मोशन समस्या होती है।
लूस मोशन समस्या में तुरन्त चिकित्सकीय उपचार नहीं होने पर घरेलू नुस्खों से भी काफी हद तुरन्त आराम पा सकते हैं। लूस मोशन रोकने के अजमाये तरीके और लूस मोशन ठीक होने पर क्या खायें पीयें सम्बन्धित विस्तृत जानकारी निम्नलिखित प्रकार से है।
लूजमोशन रोकने के लिए घरेलू उपचार (Home Remedies for Loose Motion in Hindi / Loose Motion Prevention Best Tips) Dast Upchar
आधा चम्मच जीरा और एक चम्मच सौंफ को बारीक पीसकर पाउडर बनायें। और 1 गिलास गुनुने पानी के मिलाकर पीयें। यह तरीका दस्त (Diarrhea) को रोकने में सहायक है।
दस्त लगने पर सूखी अदरक (सौंठ) पाउडर गर्म पानी के साथ उबलें। ठंड़ा होने पर पीयें। अदरक सौंठ पानी पेट मरोड़े - दस्त रोकने अच्छा तरीक माना जाता है।
पेट फूलने पर गले में उगली डालकर उल्टी करें। कई बार भोजन अचन के कारण भी पेट फूलता है। इस स्थिति में गले में उगली डालकर उल्टी करें। उल्टी करने से अपचित विषाक्त भोजन उल्टी के माध्यम से बाहर आ जाता है। और दस्त समस्या भी कम हो जाती है।
दस्त लगने पर सूखे अनार छिलकों का काढ़ा सेवन तुरन्त आराम दिलाने में सहायक है। अनार छिलका दस्त - डायरिया पुराना घरेलू उपचार है।
एक गिलास पानी में 5-6 ईलायची पीसकर अच्छे से मिलायें, फिर हल्की आंच में पकायें। गुनगुना होने पर पीयें। ईलायची पानी दस्त रोकने में सहायक है।
एमोडियम कैप्सूल शीघ��र दस्त - लूस मोशन रोकने में सक्षम है। 2 एमोडियम कैप्सूल एक साथ सादे पानी के साथ सेवन करें। एमोडियम कैप्सूल और पैरासीटामोल टैबलेटस लगभग सभी घरों में आपात काल के लिए रखे जाते हैं।
सूखें जामुन पत्तों को पीसकर उबालकर पीने से दस्त समस्या से जल्दी आराम मिलता है।
1 कप चायपत्ती गर्म पानी में आधा कप से कम ठंड़ा पानी मिलाकर पीयें। इस से भी दस्त समस्या से तुरन्त आराम मिलता है।
1 चम्मच भुने मेथी दानों का फंक दही के साथ खाने से दस्त समस्या में आराम मिलता है। परन्तु मेथीदाना दही 8 साल से छोटे बच्चों को नहीं दें।
पेचिश दस्त समस्या में बबूल की ताजी पत्तियां या छाल रस उबालकर दिन में 2-3 पीयें। बूूबूल डायरिया - दस्त में काफी प्रभावशाली औषधि है। यह पेट इंफेक्शन से भी बचाने में सहायक है।
दस्त समस्या अर्जुन की छाल या पत्तियां का काढ़ा पीना फायदेमंद है। अर्जुन काढ़ा पेट मरोड़े - दर्द में आराम और दस्त से होने वाले इंफेक्शन से बचाने में सहायक है।
दस्त लगने पर कच्चे सिंघाड़े खायें। और 30 मिनट बाद बिना चीने के लस्सी पीयें। सिंघाड़े और लस्सी दस्त रोकने में सहायक है।
लूस मोशन में कैमोमाइल चाय दस्त रोकने में सहायक है। 2 चम्मच कैमोमाइल फूल और 6-7 पुदीना पत्तों 1 लीटर पानी में उबाल कर रखें। फिर दिन में 2-3 बार पीयें। कैमोमाइल पुदीना से बनी चाय और काढ़ा दस्त में खास घरेलू उपाय है।
दस्त लगने पर सहजन (ड्रमस्टिक) की पत्तियां रस शहद के साथ खाना फायदेमंद है। सहजन पत्तियां दस्त रोकने में सहायक है। सहजन पत्तियां 20 वर्ष से कम आयुवर्ग के लिए मना है। सहजन सीमित मात्रा में सेवन करना चाहिए। सहजन रक्त संचार तीब्र सकता है।
दस्त समस्या से इंफेक्शन से बचने के लिए आधा चम्मच कच्ची हल्दी रस 1 गिलास पानी के साथ दिन में एक बार सेवन करें। कच्ची हल्दी रस पेट इंफेक्शन बैक्टीरिया फैलने से बचाये रखने में सहायक है। और रक्त को साफ भी करता है।
दस्त (लूस मोशन) लगने पर क्या खायें पीयें ?
दस्त (लूस मोशन) समस्या में बार-बार प्सास लगने पर पुदीना पत्तों को उबाल कर खूब पीयें। शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें।
दस्त लगने पर दही में ईसबगोल मिलाकर कर सेवन करें। चीनी, नमक आदि से परहेज करें।
दस्त लगने पर अनार का जूस पीयें। अनार जूस में कुछ नहीं मिलायें। अनार जूस दस्त में डिहाइड्रेशन से बनाने का अच्छा माध्यम है।
दस्त लगने पर दही खायें। दही बैक्टीरिया दस्त को रोकने का अच्छा माध्यम है। और दही के साथ चीनी नमक आदि नहीं मिलायें। दही काफी हद तक पेट इंफेक्शन, दर्द कम करता है। दही के साथ चावल खा सकते हैं।
दस्त लगने पर पका केला खायें। केले में पोटेशियम, पेक्टिन और फाइबर काफी होता है। जोकि दस्त लगने से बचाता है। और पाचनतंत्र को पुनः सुचारू करता है।
दस्त लगने पर बेल शरबत पीयें। बेल बीज सेवन नहीं करें। पके बेल गुदा और शरबत दोनों मरीज के लिए फायदेमंद है।
दस्त समस्या के बाद जल्दी पचने वाली चीजों में गाजर जूस, सूप या फिर उबली गाजर लें। गाजर जल्दी पाचन होता है। और पेट के इंफेक्शन को भी जल्दी ठीक करने में सहायक है।
डायरिया दस्त समस्या उबले आलू खाना फायदेमंद है। आलू में काफी मात्रा में स्टार्च होता है। लूस मोशन जल्दी रोकने में उबले आलू खाना फायदेमंद है।
दस्त लगने पर 2 चममच दालचीनी 1 लीटर पानी में उबालकर रखें। दिन में 2-2 बार पीयें। दस्त समस्या में दालचीनी पानी पीना फायदेमंद है।
दस्त समस्या कम होने पर मूंगदाल की खिचड़ी खायें। मूंगदाल खिचड़ी जल्दी पाचन होती है। परन्तु मूंगदाल खिचड़ी भी सीमित मात्रा में खायें।
दस्त समस्या में नारियल पानी पीयें। कच्चा नारियल पानी दस्त लगने से पेट में होने वाले दर्द और इंफेक्शन से बचाने में सहायक है।
दस्त समस्या में 2 चम्मच सेब सिरका 1 गिलास सादे पानी में घोलकर पीना फायदेमंद है। सेब सिरका दस्त के दौरान एंटीमाइक्रोबायल और एंटी इंफलामेंटरी पाने का अच्छा माध्यम है। सेब सिरका पेट संक्रमण इंफेक्शन सूजन से बचाने में सहायक है।
दस्त - लूस मोशन रूकने के तुरन्त बाद सख्त चीजें नहीं खायें। लस्सी, दही, नारियल पानी, छाछ़, मूंगदाल खिचड़ी सेवन करें। बार-बार पानी पीयें। शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें।
लूजमोशन (दस्त) के दौरान सावधानियां
काढ़ा तैयार होने पर छान के ही सेवन करें। अधिक गर्म पेय नहीं पीयें। गुनगुना ठंड़ा होने पर ही सेवन करें।
एक ही समय में सभी नुस्खें नहीं अजमायें। 3 घण्टे बाद अगला उपाय लें। जल्दी ठीक होने के चक्कर में लूस मोशन ठीक होने बाद पेट सूख भी सकता है।
उपरोक्त सुझाव आपातकालीन हैं।
अगर मरीज की हालत गम्भीर है तो तुरन्त उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल ले जायें।
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