#आलस
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#मात पिता सुत इस्त्री#आलस बन्धू कानि । साधु दरश को जब चलै#ये अटकावै आनि ।।GodMorningSaturday Mere_Aziz_Hinduon_Swayam Padho Apne Grant
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कबीर, गुरू के शिष्य की जगदीश करै सहाय। नाम जपै अरू दान धर्म में कबहू न अलसाय।। गुरू जी के उपदेशी शिष्य की परमेश्वर सहायता करता है। शिष्य को गुरू जी के बताए नाम जाप तथा दान-धर्म करने में कभी आलस नहीं करना चाहिए।
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#GodMoringMonday
कबीर दर्शन साधु के, करत न कीजै कानि। ज्यों उद्यम से लक्ष्मी, आलस मन से हानि ।।
कबीर साहेब जी कहते हैं कि साधु के दर्शन करने में कोई भी बहाना नहीं बनाना चाहिए। अपने अभिमान को त्यागकर अविलंब साधु के दर्शन करने जाना चाहिए�� जिस प्रकार परिश्रम से लक्ष्मी (दौलत) मिलती है और मन में आलस लाने से हानि होती है, ठीक उसी प्रकार साधु-दर्शन से लाभ प्राप्त होता है।
#noidagbnup16
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#GodMorningMonday
संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि धर्म के कार्य में सदा तैयार रहे कभी आलस ना करें।
जानने के लिए देखिए संत रामपाल जी महाराज युटुब चैनल।
#noidagbnup16
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धर्म के कार्य में आलस नहीं करे
कबीर सागर, धर्म बोध अध्याय, पृष्ठ 177
सांझ सकार मध्याह सन्ध्या तीनों काल।
धर्म कर्म तत्पर सदा कीजै सुरति सम्भाल ।।
भावार्थ-
भक्तजनों को चाहिए कि तीनों काल (समय) की संध्या करे। सांझ यानि शाम को सकार यानि सुबह तथा मध्याहन् यानि दोपहर (दिन के मध्य) में संध्या करते समय सुरति यानि ध्यान आरती में बोली गई वाणी में रहे और धर्म के कार्य में सदा तैयार रहे, आलस नहीं करे।
- संत रामपाल जी महाराज
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भायँ कुभायँ अनख आलस हूँ नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ
अच्छे भाव (प्रेम) से बुरे भाव (बैर) से क्रोध से या आलस्य से किसी तरह से भी नाम जपने से दसों दिशाओं में कल्याण होता है Rām Rām🚩🙏🧘♂️
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✒️🏵️👇🏻 *कम से कम दो बार आवश्य पढ़ें। शब्दों की गहराई समझने की कोशिश करें।* *पैर की मोच* *और* *छोटी सोच ,* *हमें आगे* *बढ़ने नहीं देती ।* *टूटी कलम* *और* *औरो से जलन ,* *खुद का भाग्य* *लिखने नहीं देती ।* *काम का आलस* *और* *पैसो का लालच ,* *हमें महान* *बनने नहीं देता ।* *दुनिया में सब चीज* *मिल जाती है,......* *केवल अपनी गलती* *नहीं मिलती..* *" जितनी भीड़ ,* *बढ़ रही* *ज़माने में........।* *लोग उतनें ही ,* *अकेले होते* *जा रहे हैं......।।* *इस दुनिया के* *लोग भी कितने* *अजीब है * ना ;* *सारे खिलौने* *छोड़ कर* *जज़बातों से* *खेलते हैं........* *याद रखिये* *यदि माता पिता, और सगे भाई बहन से बोलचाल बंद है* *तो ये भी तय मानो कि *भगवान*ने आपको सुनना बंद कर दिया है* *किनारे पर तैरने वाली* *लाश को देखकर* *ये समझ आया........* *बोझ शरीर का नहीं* *साँसों का था.....* *तो फिर घमंड़ शरीर पर कैसा?* *"सफर का मजा लेना हो तो साथ में सामान कम रखिए, और* *जिंदगी का मजा लेना हैं तो दिल में अरमान कम रखिए !!* *तज़ुर्बा है मेरा.... मिट्टी की पकड़ मजबुत होती है,* *संगमरमर पर तो हमने .....पाँव फिसलते देखे हैं...!* *जिंदगी को इतना सिरियस लेने की जरूरत नहीं,* *यहाँ से जिन्दा बचकर कोई नहीं जायेगा!* *जिनके पास सिर्फ सिक्के थे वो मज़े से भीगते रहे बारिश में ....* *जिनके जेब में नोट थे वो छत तलाशते रह गए...* *पैसा इन्सान को ऊपर ले जा सकता है;* *लेकिन इन्सान पैसा ऊपर नहीं ले जा सकता......* *कमाई छोटी या बड़ी हो सकती है....* *पर रोटी की साईज़ लगभग सब घर में एक जैसी ही होती है।* *शानदार बात* *इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर (पंख) मिले,* *और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले...* *🫵🏻आप सदा ख़ुश, मस्त, व्यस्थ व स्वस्थ रहे,* ♥️💜🏵️👍🏻
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कबीर, गुरू के शिष्य की जगदीश करै सहाय।
नाम जपै अरू दान धर्म में कबहू न अलसाय।।
गुरू जी के उपदेशी शिष्य की परमेश्वर सहायता करता है। शिष्य को गुरू जी के बताए नाम जाप तथा दान-धर्म करने में कभी आलस नहीं करना चाहिए।
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वो पढ़ाना भूल जाते है, की बड़ा होना कितना मुश्किल होता है।
पानी बॉटल अपने आप नही भरती, चलना पड़ता है, उसे कूलर से भरना पड़ता है, शाम को मच्छर आते है, याद करके खिड़की को बंद करना पड़ता है।
चाहे सोमवार हो, रविवार हो, उठना पड़ता है, खाना टाइम पे लगता है, टाइम पे खाना पड़ता है।
की घर अब घर न रहा, ऊंची आवाज में घर को समझना पड़ता है, नया घर बना लिया है तुमने, कुछ झूठ बोल दिल को सहलाना पड़ता है।
"मेरे कमरे" के सुकून को भूलाना पड़ता है, नए कमरे को अपनाना पड़ता है, एक बड़ी जंग है - पर, देर लेकर ही सही, उसे भी सुकून बनाना पड़ता है।
खुद ही को लोरी गाना पड़ता है, गीली आंखों को सुलाना पड़ता है, सफेद कपड़ों को अलग से धोना पड़ता है, निचोड़ना पड़ता है, उन्हें सुखाना पड़ता है।
कपड़ो को समेटना पड़ता है, कुर्सी से बेड, बेड से कुर्सी और किसी दिन अलमारी में रखना पड़ता है, मां पापा नही आते उठाने, चाहे दस अलार्म बंद कर दो, पर आखिर में, खुद ही खुद को जगाना पड़ता है।
आंसू पीना एक कला है, आंसुओ को पीना पड़ता है, किसी रात चिल्लाकर रोने का मन करे भी तो, बगल वाली बेड पे सोए इंसान की नींद का खयाल करना पड़ता है, तकिए का सहारा लेना पड़ता है, बिना आवाज किए आंसुओ को बहाना पड़ता है।
तुम आंसू पीने के लिए रुक नही सकते, यहां दौड़ना पड़ता है, दौड़ते रहना पड़ता है, कब चलना है, कब रुकना है, कब रेंगना है, कब सोना है, सब कुछ फीर से सीखना पड़ता है।
बेडशीट को भी धोना पड़ता है, मोजों को ठीक से रखना पड़ता है, अलमारी पे, दरवाजे पे, आलस पे, जज्बातों पे, ताला लगाना पड़ता है, चाबी को संभालना पड़ता है।
मोबाइल चार्ज रखना पड़ता है, तस्वीरों से मन भरना पड़ता है, घरपे बात करना पड़ता है, मनगढ़ी रटी दिनचर्या को सुनना पड़ता है, मुस्कुराना पड़ता है, मुस्कुराना सीखना पड़ता है।
लोग बहुत है आस पास, उन्ही लोगो में एक तुम भी हो, ढूंढना पड़ता है, टटोलना पड़ता है, उस भीड़ में खुद ही खुदको खोजना पड़ता है।
शायद सिलेबस कंप्लीट कर नही पाते है, वो पढाना भूल जाते है, की बड़ा होना कितना मुश्किल होता है।
~संस्कृति
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#सत_भक्ति_सन्देश
गुरूजी के उपदेशी शिष्य की परमेश्वर सहायता करता है।
शिष्य को गुरूजी के बताए नाम जाप तथा दान-धर्म करने में कभी आलस नहीं करना चाहिए।
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#feeloftheday मैं आज भी वही हूँ जहाँ हँसी के ठहाके से भरा आपका कमरा हैं मैं आज भी वही हूँ जहाँ आलस से भरा आपका सिरहाना हैं मैं आज भी वही हूँ जहाँ सोच में डूबी हुई आपकी कुर्सी हैं मैं आज भी वही हूँ जहाँ अनगिनत कपडो से भरी आपकी अलमारी हैं मैं आज भी वही हूँ जहाँ बड़े ध्यान से आपने छिपाई मिठाई हैं मैं आज भी वही हूँ जहाँ आप हो और आपके सजाए हुए मंसूबे हैं #missingyou #poetsofinstagram #shayarimood #poetryoftheday #shayari #papalove (at Mumbai, Maharashtra) https://www.instagram.com/p/CoTM2C_KsHZ/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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वेदों में प्रमाण है कि जो जगत का तारणहार होगा, वह तीन बार की संध्या करता तथा करवाता है। सुबह और शाम पूर्ण परमात्मा की स्तुति-आरती तथा मध्यदिन में विश्व के सब देवताओं की स्तुति करने को कहता है। प्रमाण:- ऋग्वेद मण्डल नं. 8 सूक्त 1 मंत्र 29 में तथा यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 26 में है। कबीर सागर में धर्म बोध अध्याय में पृष्ठ 177 पर भी यही प्रमाण है। सांझ सकार मध्याह सन्ध्या तीनों काल। धर्म कर्म तत्पर सदा कीजै सुरति सम्भाल।। भावार्थ:- भक्तजनों को चाहिए कि तीनों काल (समय) की संध्या करे। सांझ यानि शाम को सकार यानि सुबह तथा मध्याहन् यानि दोपहर (दिन के मध्य) में संध्या करते समय सुरति यानि ध्यान आरती में बोली गई वाणी में रहे और धर्म के कार्य में सदा तैयार रहे, आलस नहीं करे।
#spirituality#saintrampalji#god#writing#science#nonprofit#satlokashram#funny#santrampalji is trueguru#fashion
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भक्तजनों को चाहिए कि
#GodMorningWednesday
तीनों काल (समय) की संध्या करे। सांझ यानी शाम को सकार यानी सुबह तथा मध्यान्ह यानी दोपहर (दिन के मध्य ) में संध्या करते समय सुरति यानी ध्यान आरती में बोली गई वाणी में रहे और धर्म के कार्य में सदा तैयार रहे, आलस नहीं करे।
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भक्तजनों को चाहिए कि तीनों काल (समय) की संध्या करे। सांझ यानि शाम को सकार यानि सुबह तथा मध्याहन् यानि दोपहर (दिन के मध्य) में संध्या करते समय सुरति यानि ध्यान आरती में बोली गई वाणी में रहे और धर्म के कार्य में सदा तैयार रहे, आलस नहीं करे।
- संत रामपाल जी महाराज
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भायँ कुभायँ अनख आलस हूँ नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ
सुमिरि सो नाम राम गुन गाथा करउँ नाइ रघुनाथहि माथा
अच्छे भाव (प्रेम) से बुरे भाव (बैर) से क्रोध से या आलस्य से किसी तरह से भी नाम जपने से दसों दिशाओं में कल्याण होता है उसी राम नाम का स्मरण करके और रघुनाथजी को मस्तक नवाकर मैं रामजी के गुणों का वर्णन करता हूँ राम ��ाम जय श्री राम🏹🚩🙏
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