#आरंभ है प्रचंड
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आरंभ है प्रचंड लिरिक्स » Aarambh Hai Prachand lyrics
आरंभ है प्रचंड लिरिक्स » Aarambh Hai Prachand lyrics Aarambh Hai Prachand lyrics आरंभ है प्रचंड लिरिक्स » Aarambh Hai Prachand lyrics आरंभ है प्रचंड लिरिक्स आरंभ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुंड“आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो” आरंभ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुंड“आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो”आन, बान, शान या कि जान का हो दानआज एक धनुष के बाण पे उतार दो आरंभ है प्रचंड, बोले मस्तकों के…
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क्या ममता बनर्जी के अंत की शुरूवात हो चुकी है? अंत का आरंभ प्रचंड क्यों?
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पीडब्ल्यू विद्याापीठ ने नये सत्र में सफलता की तैयारी के लिये किया- आरंभ
आरंभ - फिजिक्स वाला विद्यापीठ के कोटा में मेगा ओरियेंटेशन सेशन में अभिभावकों के साथ पहुंचे 5 हजार से अधिक विद्यार्थी अरविंद न्यूजवेव @ कोटा शिक्षा नगरी कोटा में नये शैक्षणिक सत्र 2023-24 का आगाज प्रचंड उत्साह के साथ हुआ। सोमवार को ब्रांड कोचिंग संस्थान फिजिक्स वाला विद्यापीठ ने तलवंडी के श्यामप्रसाद मुखर्जी स्टेडियम में मेगा ओरियेंटेशन सेशन आयोजित किया। देश के विभिन्न राज्यों से कक्षा-10 बोर्ड परीक्षा के बाद हजारों विद्यार्थियों ने जेईई-मेन, एडवांस्ड एवं नीट की सर्वश्रेष्ठ क्लासरूम कोचिंग के लिये ब्रांड कोचिंग संस्थान पीडब्ल्यू विद्यापीठ में एडमिशन लिया है।
नये सत्र के प्रथम मेगा ओरियेंटेशन सत्र में मुख्य अतिथि कोटा जिला कलक्टर आईएएस ओपी बुनकर ने कहा कि बाहरी राज्यों से इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थी पहली बार कोचिंग के लिये कोटा आये ��ैं। देशभर में कहा जाता है कोटा मतलब सक्सेस। यहां के कोचिंग संस्थान, फैकल्टी, विद्यार्थी मिलकर बहुत मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने बच्चों से कहा कि वे हर समय अपने माता-पिता के सपनों का ध्यान रखें। अपनी प्लानिंग को कभी कमजोर नहीं होने दें। जो चीज हाथ में नहीं है, उसकी परवाह न करें। कडी मेहनत करेंगे तो सफलता आपके पीछे खडी होगी। कोचिंग को एक यात्रा समझें जिला कलक्टर ने स्टूडेंट्स से कहा कि वे प्रवेश परीक्षाओं की कोचिंग को एक यात्रा समझें। आईआईटी-जेईई में चयनित होना ही एकमात्र सफलता नहीं है, आपकी मेहनत या संघर्ष फैल्योर नही है। इसी मेहनत के दम पर आप किसी दूसरे फील्ड में ज्यादा अच्छा कर सकते हैं। चूंकि जेईई या नीट प्रवेश परीक्षायें बोर्ड की तरह पासिंग मार्क्स का खेल नहीं है। आईआईटी, एनआईटी, एम्स या मेडिकल कॉलेजों में सीटें सीमित हैं। इसलिये कुछ मार्क्स कम रहने पर अपनी परसेंटाइल से बिल्कुल विचलित न हों। मन से मजबूत बने रहें। जब भी समय मिले कुछ देर रिलेक्स रहें। कोटा में चंबल रिवर फ्रंट, वर्ल्ड क्लास सिटी पार्क आदि घूमने की कई जगह हैं, वहां घूमें। जिंदगी में अभी बहुत आगे जाना है। ई-पोर्टल ‘कोटा कोचिंग स्टूडेंट’ से जुडें बुनकर ने कहा कि राज्य सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने कोचिंग विद्यार्थियों की प्रॉब्लम को 7 दिन में दूर करने के लिये ई-पोर्टल ‘कोटा कोचिंग स्टूडेंट’ शुरू किया है। वे खुद को अकेला महसूस नहीं करें। नेगेटिव बातें पेरेंट्स को अवश्य बतायें। एक अच्छा दोस्त बनायें। अपने पेरेंट्स का फोटो साथ रखें, जब भी कोई प्रॉब्लम हो, उनसे बातें करें। कोटा में कोचिंग इंस्टीट्यूट वैकल्पिक कॅरिअर काउंसलिंग भी कर रहे हैं। उसका लाभ उठायें। आप तपने के लिये तैयार रहें- एसपी
समारोह के विशिष्ट अतिथि कोटा सिटी एसपी शरद चौधरी ने कहा कि जिस तरह चमकने के लिये सोना आग में तपता है, हीरा भी तराशने के लिये तपता है। ��प अपनी क्षमतायें लेकर कोटा आयें हैं। अपने टारगेट तक पहुंचने के लिये तपने के लिये तैयार रहें। आप में उर्जा भरी है। अर्जुन की तरह तीर मारने के लिये नियमित प्रेक्टिस करें। उन्होंनें स्टूडेंट्स से रूबरू होकर पूछा,पीडब्ल्यू ने आपको शाहरूख खान की तरह ब्लेक यूनिफार्म क्यों दी। आप सब ब्लेक बॉडी बनकर घूम रहे हो। वरिष्ठ फैकल्टी कुंदन कुमार ने कहा कि यह ब्लेक कलर स्टूडेंट में नेगेटिविटी खत्म कर देता है। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि जिंदगी में तमाम कमजोरियों के बावजूद धारा विपरीत तैरने में आनंद आता है। इसलिये कोचिंग करते हुये हर चुनौती का हंसते हुये सामना करो। एक दिन कोहिनूर बनकर निकलोगे। उन्होंने कहा कि कोटा में हाईकोर्ट की मॉनिटरिंग पर आपका पूरा ध्यान रखा जा रहा है। सबकी अपनी खूबियां हैं, क्षमतायें हैं। रिजल्ट चाहे जो आये, तुरंत सत्य को स्वीकार कर आगे की तैयारी शुरू कर दें। पेरेंट्स अपनी इच्छायें नहीं थोपें। जिम्मेदारी के साथ बच्चों को नोबल गाइडेंस दें। इसलिये सबसे खास है- पीडब्ल्यू विद्यापीठ
फिजिक्स वाला विद्यापीठ के संस्थापक निदेशक अलख पांडे के अनुसार, पीडब्ल्यू विद्यापीठ देश के लाखों विद्यार्थियों की पहली पसंद बन चुका है। यू-ट्यूब पर पीडब्ल्यू के 26 चैनल हैं। जेईई-मेन, एडवांस्ड, नीट-यूजी, यूपीएससी, क्लेट, कैट, सीए, सीयूआईटी, एडीए सहित कई राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं की ऑनलाइन कोचिंग कराते हुये देश-विदेश के 2 करोड़ से अधिक स्टूडेंट्स इससे जुडे हुये हैं। गत वर्ष से रियायती दरों पर क्वालिटी ऑफलाइन कोचिंग आरंभ कर संस्थान ने लाखों विद्यार्थियों एवं अभिभावकों का विश्वास जीता है। पीडब्लू विद्यापीठ के देश में 32 से अधिक शहरों में क्लासरूम कोचिंग के लिये स्टडी सेंटर हैं। रोज 12 लाख से अधिक स्टूडेंट्स 90 मिनट की क्लास में पढाई कर रहे हैं। अब तक 12 हजार से अधिक स्टूडेंट्स आईआईटी-जेईई, नीट व एनडीए में सलेक्ट हो चुके हैं। कोचिंग ब्रांड पर भरोसा करें-कुंदन कुमार
20 वर्षों से कोचिंग स्टूडेंट्स में लोकप्रिय मैथ्स के सीनियर फैकल्टी कुंदन कुमार ने कहा कि 10वीं के बाद जेईई या नीट की तैयारी के लिये दो साल का समय पर्याप्त है। 9वीं तक 90 प्रतिशत मार्क्स मिल जाते थे, अब पढाई का लेवल डिफरेंट होगा। आपने कोटा से अपनी यात्रा आरंभ की है, इसलिये जो कोचिंग ब्रांड चुना है, उस पर पूरा भरोसा करें। एक या दो टेस्ट से खुद को कमजोर नहीं समझें। स्टूडेंट्स, पेरेंट्स व टीचर्स तीनों टीम भावना से सपोर्ट करें। सक्सेस मिलकर रहेगी। ‘कम फीस पर क्वालिटी कोचिंग’- राजीव रस्तोगी
जेईई-मेन डिविजन के हेड राजीव रस्तोगी ने कहा कि वे 23 साल में हजारों विद्यार्थियों को आईआईटी में भेज चुके हैं। 2021 में पीडब्ल्यू से जुडकर गर्व महसूस हु���। पीडब्ल्यू का उद्देश्य है-‘कम फीस पर क्वालिटी कोचिंग देना’ गरीब बच्चों के सपने भी हकीकत में बदल रहे हैं। कोचिंग में रिवाल्यूशन आ चुका है। आप समय से आगे चलो, कामयाबी पीछे खडी है। रोज का होमवर्क रोज करने की निरंतरता आपकी सबसे बडी ताकत है। हमें आज का सपना, कल हकीकत में बदलना है। कुछ बातों का ध्यान रखें- नये फ्रेंड सर्किंल से बचें, टीचर्स को बेस्ट फ्रेंड बना लें। हॉस्टल में अपनी टेबल के सामने आईआईटी या एम्स का पोस्टर लगा दें। पेरेंट्स का संघर्ष याद रखें, उनसे बात करते रहें। सातों दिन रोज शैडयूल से 7-8 घंटे पढना है। आपकी जिद की जीत दिलायेगी- हितेश शर्मा नीट डिविजन के हेड हितेश शर्मा ने कहा कि एक-दो साल आप विज्ञान के ज्ञान में डूब जायें। सब्जेक्ट गुरू तो ज्ञान के सागर है, हमें तो थोडा सा पानी ही पीना है। एक विद्यार्थी को काक चेष्टा, बको ध्यानी, अल्पाहारी और गृह त्यागी ��नकर सफलता की सीढियां चढना है। रोज खुद से पूछें, क्या मैं अपने लक्ष्य के लिये पूरी पढाई कर रहा हंू। यही जिद आपको जीत अवश्य दिलायेगी। Read the full article
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तेरा रूप है प्रचंड तू ही आरंभ तू ही अंत भजन लिरिक्स | Tera Roop Hai Prachand Bhajan Lyrics
तेरा रूप है प्रचंड तू ही आरंभ तू ही अंत भजन लिरिक्स | Tera Roop Hai Prachand Bhajan Lyrics
तेरा रूप है प्रचंड तू ही आरंभ तू ही अंत भजन लिरिक्स, Tera Roop Hai Prachand Bhajan Lyrics ।। दोहा ।। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् || ~ तेरा रूप है प्रचण्ड ~ गले में जिसके नाग , सर पे गंगे का निवास। जो नाथो का है नाथ , भोलेनाथ जी। करता पापो का विनाश , कैलाश पे निवास। डमरू वाला वो सन्यास , भोलेनाथ जी। मोह माया से परे , तेरी छाया के…
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ट्विटर हैंडल कांग्रेस, आरंभ है प्रचंड
ट्विटर हैंडल कांग्रेस, #आरंभहैप्रचंड #Aarambh Hai Prachand
ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया गया, आरंभ है प्रचंड, इस वीडियो में राहुल गांधी को ”जीत के नायक” के रूप में दिखाया गया| तारीख- ११ दिसंबर २०१८, वक्त- शाम ६:३९ मिनट. पर कांग्रेस के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया गया आरंभ है प्रचंड|
इस वीडियो में राहुल गांधी को ”जीत के नायक” के रूप में दिखाया गया| छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस जीत रही है| राहुल गांधी के मंदिर जाने पर भी सवाल…
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नया LCH भारतीय वायुसेना में शामिल; आरंभ है 'प्रचंड'..., चीन को कैसे ऊंचाई पर भी देगा मात
नया LCH भारतीय वायुसेना में शामिल; आरंभ है ‘प्रचंड’…, चीन को कैसे ऊंचाई पर भी देगा मात
भारत की सेना में कभी आयातित विमानों, हथियारों और फाइटर जेट्स की भरमार थी, लेकिन अब तीनों सेनाएं आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं। इसी कड़ी में अब स्वदेश में निर्मित हल्के लड़ाकू विमान ‘प्रचंड’ को भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया है। इन लड़ाकू विमानों से मिसाइलों और अन्य हथियारों की फायरिंग की जा सकती है। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इन हेलिकॉप्टर्स से रक्षा उत्पादन में…
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आरंभ है प्रचंड है !! सत्य और साहस की प्रतीक सोनिया गांधी ! https://www.instagram.com/p/CgRbevaMqFG/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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आरंभ है प्रचंड #NariShaktiDeshKiShakti #modiji #bjpindia #devlopment #groth #india #delhi #utterpardesh #politics #power #growingindia #airportup #mumbai #mession2024#modi #madeinindia #madeinindia🇮🇳 #onlymodi #onlybjp✌️🔥🔥🙏🏻 #indianpolitics (at Greater Noida) https://www.instagram.com/praveensainbjp/p/CXvNAthvG6O/?utm_medium=tumblr
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आरंभ है प्रचंड लिरिक्स » Aarambh Hai Prachand lyrics
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बिगुल!
आ��ादी,,एक जरा से अंतर से आगे है गुलामी से ! जाने कितनी महान आत्माओ के बलिदान के बाद मिली। कैसी पीड़ा रही होगी उनकी । एक ही सपना आजाद हिंदुस्तान। एक विशाल भारत का साम्राज्य कब गुलामी की बेड़ियों में जकड़ गया पता नहीं चला। पहले मुग़ल फिर ब्रिटिश हुकूमत की प्रचंड यातनाओ का युग रहा । हमारा युग तो स्वर्णिम था वो कब मलिन हो गया इसके लिए बहुत पीछे जाना पड़ेगा । भारत ने अपनी स्वतंत्रता कैसे खोई इस पर बात करने के लिए पहुंचते है उस युग में जब हम धन धान्य से परिपूर्ण थे ।
एक हिन्दू राजा की यहाँ बात करते है जी हाँ चंद्रगुप्त मौर्य, जिन्होंने मौर्य वंश की स्थापना की और लगभग पूरे भारत पर शासन किया, भारत के पहले हिंदू राजा थे। हालांकि,महाकाव्यों की माने तो प्राचीन संस्कृत महाकाव्य महाभारत के अनुसार, राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत भारत के पहले हिंदू राजा थे।
भारत के अंतिम हिन्दू राजा की बात करे तो बारहवीं शताब्दी के भारतीय शासक पृथ्वीराज चौहान उस समय के परिवर्तन की दहलीज पर खड़े थे उन्हें अक्सर "अंतिम हिंदू सम्राट" के रूप में जाना जाता रहा है क्योंकि मध्य एशियाई या अफ़गान मूल के मुस्लिम राजवंश पृथ्वी राज चौहान की मृत्यु के बाद सिंहासन पर बैठे ।
चन्द्रगुप्त मौर्य से पृथ्वीराज चौहान तक का सफर एक स्वतंत्र भारत का था । उसके बाद एक लंबा अध्याय लिखा जाना शेष था भारत की अस्मिता मुग़लों के पंजों से बच न सकी। कई बार भारत माँ की श्वेत सारी लाल रक्त से रंजित की गई। एक घायल पंछी की तरह भारत फड़फड़ा रहा था। मुग़लों के असीम अत्याचार आत्मा को छलनी करने वाले थे। गुलामी किसे कहते हैं ये हम धीरे धीरे समझ रहे थे।
२४ अगस्त १६०८ ये तारीख एक और दमनकारी इतिहास लिखने के लिए कलम को स्याही पिला रही थी। ये वही तारीख थी जब अंग्रेजों नें भारत में दस्तक दी और भारत के एक समृद्ध और दर्ज इतिहास को मिटाने के लिए खड़ी थी। अंग्रेज धीर-धीरे भारतवर्ष में अपनी स्थिति मजबूत कर रहे थे। वो समझ गए थे की कैसे मुग़लों की नीव को खदेड़ कर अपना सिक्का जमाना है। एक सम��द्ध देश भारत पर अंग्रेजों की गिद्ध नज़र ने इसको कंगाल करने की योजना बना ली ��ी और सुनियोजित तरीके से व्यापार करने के इरादे से भारत का दरवाजा खटखटाया।
एक समय ऐसा भी आया जब मुग़लों की पकड़ भारत से छूटती दिखी। अंग्रेजों की फुट डालो और राज्य करो की मंशा बिल्कुल काम कर रही थी। इसका नतीजा ये हुआ की मुग़ल अपना सिंहासन बचा नहीं पाए और अंग्रेजी सल्तनत के आगे घुटने टेक दिए। अंतिम मुग़ल शासक बहादुर शाह जफ़र तक अंग्रेजी हुकूमत अपना साम्राज्य स्थापित कर चुकी थी।
१८५७ ये वो तारीख है जो इतिहास के कहीं गुमनाम हुए पन्नों में दर्ज है। यही वो वर्ष था जब आजादी का बिगुल बजा मंगल पांडे एक ऐसा नायक था जिसके बलिदान ने करोड़ों भारतवासियों के रक्त में उबाल भर दिया। अब ये आजादी की ज्वाला यहीं नहीं रुकने वाली थी। ये एक प्रचंड आरंभ था। हजारों नरमुंड रक्त में स्नान कर रहे थे। इस समर में कुछ ऐसी वीरांगनाए भी थी जिनकी वीरता की गाथा स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।
यद्यपि इस विद्रोह नें भारत में ब्रिटिश उद्दम को हिला कर रख दिया था लेकिन इसने इसे पटरी से नहीं उतार था। युद्ध के बाद अंग्रेज अधिक चौकस हो गए और विद्रोह के कारणों पर विचार करने लगे। लेकिन तब तक भारत की चेतना जाग चुकी थी।
१८६९ ये वो साल था जिसका इंतजार भारत का भाग्य कर रहा था, जिसका इंतजार अंधेरी कालकोठरियों से आने वाली सिसकियाँ कर रही थी और जिसका इंतजार जुल्म की बेड़ियों में जकड़ी भारत माँ कर रही थी। ये वो वर्ष था जब एक ऐसे मानव ने जन्म लिया जो असाधारण था। जो आगे चलकर महात्मा कहलाया। जिसकी एक आवाज में हजारों प्राण चल देते थे। ‘मोहन दास करमचंद गांधी’ ये एक आशा की किरण थी जो आगे चलकर भारत के ललाट पर चमकने वाली थी।
स्वाधीनता एक ऐसा शब्द था जो अब हर भारतवासी के दिमाग में था और गरम दल नरम दल साथ मिल कर काम कर रहा था। अब बिगुल बज चुका था। आजादी से कम कुछ भी नहीं चाहिए था। हर घर में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु बन रहे थे। उस समय की मताएं भी वंदनीय थी जो अपनी संतान को गोद से उतारकर शाखा में भेजती थीं। एक ही जुनून था बस आजादी। हम कर्जदार हैं उन माताओं के उन बहनों भाइयों के जो इस समर में उतरे। इस कर्ज को इस जीवन में कभी उतार सके और भारत के काम आ सके तो सौभाग्यशाली होंगे।
स्वतंत्रता आंदोलन गांधी की छत्रछाया में गति ले रहा था। विदेशी सामान का बहिष्कार किया जा रहा था। गांधी हमेशा अहिंसा की बात करते थे। गांधी ��ानते थे की ये भारत की आजादी का सूत्रधार बनेगा। एक हाड़ मास का आदमी जो एक लंगोटी में रहता है वो बहुत शक्तिशाली हो रहा था और अंग्रेजों की जड़े हिला रहा था। १९४२ ये वो साल था जब गांधी को ये समझ में आ गया था की अब केवल अहिंसा से ही काम नहीं चलेगा तो उन्होंने भारतवासियों को आहवाहन किया कि ‘ करो या मरो’ इस आंदोलन ने ब्रिटिश हुकूमत को ये सोचने पर मजबूर कर दिया की अब भारतवर्ष में उनके दिन कुछ सालों के ही बचे हैं। और अब समय आ गया है जब ये सोचा जाय भारत को किस स्थिति में छोड़कर जाना उनके लिए ठीक होगा
भारत की आजादी में हर कोई अपना अपना योगदान दे रहा था। जब जब हम भारत की आजादी की बात करेंगे तब तब सुभाष चंद्र बोस का नाम आएगा। सुभाष बहुत अलग सोंच के थे। गांधी से बिल्कुल अलग। भारत की आजादी के लिए उन्होंने ‘आजाद हिन्द फौज’ का गठन किया। साल १९४२ ये एक ऐसा साल था जब सुभाष की लोकप्रियता गांधी से कहीं ज्यादा थी। लोग स्वतंत्रता आंदोलन को सुस्त रफ्तार नहीं देना चाहते थे। सुभाष के लिए उनका प्रेम उनकी आँखों से बहता था अश्रु के रूप में। अपना सब कुछ त्याग कर भारत की आजादी का सपना देखने वाले सुभाष आजाद भारत न देख सके। ऐसे कितने सर्वोच्च बलिदान है जिसने भारत की धरा को सींच कर एक ऐसा वृक्ष तैयार किया जिसकी जड़ को कोई हिला नहीं पाया।
भारत की आजादी में हर वर्ग ने अपना योगदान दिया जिससे जो कुछ हो सका उसने किया हर बच्चा, युवा, वृद्ध अपने अपने तरीके से आजादी की मशाल थामे था। हम अपने क्रांतिकारियों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहते थे। हर घर से आवाज बुलंद हो रही थी आजादी की। हर कवि, लेखक के साहित्य में स्वाधीनता की खुशबू आ रही थी।
ग़ुलाम भारत अब एक नई करवट ले रहा था। साथ ही एक ऐसा परिवर्तन उसका इंतजार कर रहा था जिसके लिए वो तैयार नहीं था। १४ अगस्त १९४७ की काली तारीख भारत के अञ्चल में एक धब्बा बनकर आई। भारत जो आजादी का सूर्य देखने ही वाला था की देश दो भागों में बँट गया। विभाजन की विभीषिका इतनी गहरी थी कि लाखों लोग काल का ग्रास बन गए। दो सर्वोच्च नेता जो किसी भी कीमत पर हिंदुस्तान का मुस्तकबिल बनने से कम कुछ चाह नहीं रहे थे उन्होंने अपने निहित स्वार्थ के लिए देश को बांटना उचित समझा। धर्म के आधार पर देश दो भागों में बँटा। लाखों लोग इस विभीषिका के शिकार हुए।
१५ अगस्त १९४७ ये वो तारीख थी जब हमने आजादी के प्रकाश को स्पर्श किया। हम आजाद तो हुए लेकिन बहुत कुछ खोकर। इसकी कीमत उन लोगों से पूछिए जिन्होंने अपना सब कुछ खोया जिनका ��क ही सपना था आजादी। आज की पीढ़ी को ये जानना होगा की ये आजादी हमें ऐसे ही नहीं मिल गई । रक्त की नदियाँ बही हैं इसके लिए। कितने घर के चिराग बुझ गए कितनी वेदना से गुजरा होगा वो कालखंड।
आज भारत जब अपना ७५वाँ स्वतंत्रता दिवस मना रहा है तो एक संकल्प लें कि इस आजादी की कीमत का हमेशा अहसास रहे अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर राष्ट्र के लिए कुछ करें। कुछ नहीं भी कर सकते तो खुद के प्रति ईमानदार रहें। यही सच्ची राष्ट्रभक्ति है। लाखों प्राणों का कर्ज है हमारे ऊपर जो स्वतंत्रता संग्राम में धरती की गोद में समा गए। अपने बच्चों को हमारे वीरों के बलिदानों की वीर गाथा सुनाएं। राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दें। सब जन शिक्षित हों। शिक्षा एक ऐसा हथियार है जो किसी भी राष्ट्र की प्रगति में अपनी बहुआयामी भूमिका निभाता है। एक दूसरे के धर्म का आदर हो। हम जब तक एक है तब तक कोई भी बाहरी आक्रमण हमको बेड़ियाँ नहीं पहना सकता।
हमेशा ये याद रहे कि आजादी एक जरा से अंतर से आगे है गुलामी से ।
गरिमा पाण्डेय
१४ अगस्त २०२१,६:३५ पी.एम.,शनिवार
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आरंभ है प्रचंड Aarambh Hai Prachand Lyrics In Hindi - Piyush Mishra |
आरंभ है प्रचंड Aarambh Hai Prachand Lyrics In Hindi – Piyush Mishra |
Aarambh Hai Prachand Lyrics in Hindi from “Gulaal (2009)”. Sung by Piyush Mishra. Music by Piyush Mishra. The song lyrics were written by Piyush Mishra. A Patriotic Song. Aarambh Hai Prachand Song Details Song – Aarambh Hai Prachand LyricsFilm – Gulaal (2009)Singer – Piyush MishraLyricist – Piyush MishraMusic Director – Piyush MishraMusic Label – T-series Aarambh Hai Prachand Lyrics in…
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🚩 अंग्रेजों के विरुद्ध सबसे पहले युद्ध का आरंभ करने वाले वाली रानी चेन्नम्मा-22 फरवरी 2021
🚩देश में वामपंथियों ने जो इतिहास लिखा है उसमें से अधिकतर असली इतिहास गायब कर दिया है और क्रूर आक्रमणकारी, लुटेरे, बलात्कारी मुगलों का और देश की संपत्ति लूट ले जाने वाले अंग्रेजो का महिमामण्डन किया है लेकिन देश की आज़ादी में उनके खिलाफ लड़कर अपने प्राणों का बलिदान देने वालों का इतिहास लिखा ही नहीं गया ।
🚩रानी चेन्नम्मा भारत की स्वतंत्रता हेतु सक्रिय होने वाली पहली महिला थी । सर्वथा अकेली होते हुए भी उसने ��्रिटिश साम्राज्य पर कड़ा धाक जमाए रखा । अंग्रेंजों को भगाने में रानी चेन्नम्मा को सफलता तो नहीं मिली, किंतु ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध खड़ा होने हेतु रानी चेन्नम्मा ने अनेक स्त्रियों को प्रेरित किया । कर्नाटक के कित्तूर संस्थान की वह चेन्नम्मा रानी थी । आज वह कित्तूर की रानी चेन्नम्मा के नाम से जानी जाती है । आइए, इतिहास में थोड़ा झांककर उनके विषय में अधिक जान लेते हैं ।
🚩रानी चेन्नम्मा का बचपन
🚩रानी चेन्नम्मा का जन्म ककती गांव में (कर्नाटक के उत्तर बेलगांव के एक देहात में ) 1778 में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से लगभग 56 वर्ष पूर्व हुआ । बचपन से ही उसे घोडे पर बैठना, तलवार चलाना तथा तीर चलाना इत्यादि का प्रशिक्षण प्राप्त हुआ । पूरे गांव में अपने वीरतापूर्ण कृत्यों के कारण से वह परिचित थी ।
🚩रानी चेन्नम्मा का विवाह कित्तूर के शासक मल्लसारजा देसाई से 15 वर्ष की आयु में हुआ । उनका विवाहोत्तर जीवन 1816 में उनके पति की मृत्यु के पश्चात एक दुखभरी कहानी बनकर रह गया । उनका एक पुत्र था, किंतु दुर्भाग्य उनका पीछा कर रहा था । 1824 में उनके पुत्र ने अंतिम सांस ली, तथा उस अकेली को ब्रिटिश सत्ता से लडने हेतु छोडकर चला गया ।
🚩रानी चेन्नम्मा एवं ब्रिटिश सत्ता
🚩ब्रिटिशों ने स्थानिक संस्थानों पर ‘व्यय समाप्ति का नियम’ (डॉक्ट्रीन ऑफ लैप्स) लगाया । इस घोषणानुसार, स्थानिक शासनकर्ताओं को यदि अपनी संतान न हो तो, बच्चा गोद लेने की अनुमति नहीं थी । इससे उनका संस्थान ब्रिटिश साम्राज्य में अपने आप समाविष्ट हो जाता था ।
🚩अब कित्तूर संस्थान धारवाड जिलाधिकारी श्री. ठाकरे के प्रशासन में आ गया । श्री. चॅपलीन उस क्षेत्र के कमिश्नर थे । दोनों ने नए शासनकर्ता को नहीं माना, तथा सूचित किया कि कित्तूर को ब्रिटिशों का शासन स्वीकार करना होगा ।
🚩ब्रिटिशों के विरुद्ध युद्ध
🚩ब्रिटिशों के मनमाने व्यवहार का रानी चेन्नम्मा तथा स्थानीय लोगों ने कड़ा विरोध किया । ठाकरे ने कित्तूर पर आक्रमण किया । इस युद्ध में सैंकडों ब्रिटिश सैनिकों के साथ ठाकरे मारा गया । एक छोटे शासक के हाथों अवमानजनक हार स्वीकार करना ब्रिटिशों के लिए बडा कठिन था । मैसूर तथा सोलापुर से प्रचंड सेना लाकर उन्होंने कित्तूर को घेर लिया ।
🚩रानी चेन्नम्मा ने युद्ध टालने का अंत तक प्रयास किया, उसने चॅपलीन तथा बॉम्बे प्रेसिडेन्सी के गवर्नर से बातचीत की, जिनके प्रशासन में कित्तूर था । उसका कुछ परिणाम नहीं निकला । युद्ध घोषित करना चेन्नम्मा को अनिवार्य किया गया । 12 दिनों तक पराक्रमी रानी तथा उनके सैनिकों ने उनके किले की रक्षा की, किंतु अपनी आद�� के अनुसार इस बार भी देशद्रोहियों ने तोपों ���े बारुद में कीचड एवं गोबर भर दिया । 1824 में रानी की हार हुई ।
🚩उन्हे बंदी बनाकर जीवनभर के लिए बैलहोंगल के किले में रखा गया । रानी चेन्नम्मा ने अपने बचे हुए दिन पवित्र ग्रंथ पढने में तथा पूजा-पाठ करने में बिताए । 1829 में उनकी मृत्यु हुई ।
🚩कित्तूर की रानी चेन्नम्मा ब्रिटिशों के विरुद्ध युद्ध भले ही न जीत सकी, किंतु विश्व के इतिहास में कई शताब्दियों तक उसका नाम अजरामर हो गया । ओंके ओबवा, अब्बक्का रानी तथा केलदी चेन्नम्मा के साथ कर्नाटक में उसका नाम शौर्य की देवी के रुप में बडे आदरपूर्वक लिया जाता है ।
🚩रानी चेन्नम्मा एक दिव्य चरित्र बन गई है । स्वतंत्रता आंदोलन में, जिस धैर्य से उसने ब्रिटिशों का विरोध किया, वह कई नाटक, लंबी कहानियां तथा गानों के लिए एक विषय बन गया । लोकगीत एवं लावनी गान वाले कवि, शाहीर जो पूरे क्षेत्र में घूमते थे, स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में जोश भर देते थे ।
🚩एक आनंद की बात है कि, कित्तूर की चेन्नम्मा का पुतला नई देहली के संसद भवन के परिसर में 11 सितंबर 2007 को स्थापित किया गया । एक पराक्रमी रानी को यही खरी श्रद्धांजलि है । भारत में ब्रिटिशों के विरुद्ध सबसे पहले युद्ध का आरंभ करने वाले शासकों में से वह एक थी । स्तोत्र : हिन्दू जन जागृति
🚩आपने पराक्रमी हिन्दू रानी चेन्नम्मा के बारे में पढ़ा, पति और पुत्र का स्वर्गवास हो गया, सामने अंग्रेजो की बड़ी सेना थी उसके बाद भी वो अंग्रेजो से लडी भले किसी ने गद्दारी की और वो हार गई लेकिन वे मन से कभी नहीं हारी आखिरी समय जेल में बिताना पड़ा फिर भी दुःखी नही हुई और सनातन हिन्दू धर्मग्रंथों का पठन करती रही । यही भारतीय संस्कृति है कि सामने कितनी भी विकट परिस्थिति आ जाये लेकिन हारना नहीं है धैर्य पूर्वक सामना करते रहना चाहिए ।
🚩रानी चेन्नम्मा से हर भारतवासी को प्रेरणा लेनी चाहिए "अत्याचार करना तो पाप है लेकिन अत्याचार सहन करना दुगना पाप है" इस सूत्र को ध्यान में लेकर जहां भी देश, संस्कृति के खिलाफ कोई कार्य हो रहा है उसका विरोध करना चाहिए। और महिलाओं को अपने आप को अबला नहीं मानना चाहिए और पाश्चात्य संस्कृति की ओर नही जाना चाहिए भारतीय नारी में अथाह सामर्थ्य है वे अपने आपको पहचाने भारतीय संस्कृति का अनुसरण करके।
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वचन देह में प्रकट होता है
भाग एक
आरंभ में मसीह के कथन और गवाहियाँ
—कलीसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन
(11 फरवरी, 1991 से 20 नवम्बर, 1991)
अध्याय 35
सिंहासन से सात गर्जनें निकलती हैं, वे ब्रह्मांड को हिला देती हैं, स्वर्ग और पृथ्वी को उलट-पुलट कर ��ेती हैं, और आकाश में गूँजती हैं! यह आवाज़ इतनी भेदक है कि लोग न तो इससे बचकर भाग सकते हैं, और न ही इससे छिप सकते हैं। बिजली की चमक और गरज की गूँजें भेजी जाती हैं, जो एक क्षण में स्वर्ग और पृथ्वी को उलट देती हैं, और लोग मृत्यु की कगार पर हैं। फिर, आकाश से बरसता एक प्रचंड तूफ़ान बिजली की रफ़्तार से समस्त ब्रह्माण्ड को अपनी लपेट में ले लेता है! धरती के सुदूर कोनों तक, जैसे कि सब कोनों और दरारों में बहती कोई मूसलाधार वर्षा हो, कहीं एक दाग़ तक बाक़ी नहीं रहता है, और जब यह तूफ़ान हर किसी को सिर से पैर तक धो डालता है, उससे तब कुछ भी छिपा नहीं रहता है और न ही कोई व्यक्ति इससे बचाया जा सकता है। बिजली की सर्द चकाचौंध की तरह ही, उसके गर्जन की गड़गड़ाहट, मनुष्यों को भय से थरथरा देती है। तेज दुधारी तलवार विद्रोह के पुत्रों को मार गिराती है, और शत्रुओं को घोर विपत्ति का सामना करना पड़ता है, ऐसा कोई भी कोई आश्रय नहीं बचता है जहाँ वे भाग कर जा सकें, उनके सिर तूफ़ान की उग्रता में चकराते हैं, और वे तुरंत बेहोश होकर बहते पानी में गिर जाते हैं और बहा लिए जाते हैं। वे बस मर जाते हैं, उनके पास बचाए जाने का कोई रास्ता नहीं होता है। सात गर्जनें मुझसे निकलती हैं, और मिस्र के ज्येष्ठ पुत्रों को मार गिराने, दुष्टों को दंडित करने और मेरी कलीसियाओं को शुद्ध करने के मेरे इरादे को व्यक्त करती हैं, ताकि सभी कलीसियाएँ एक-दूसरे से निकटता से जुड़ी रहें, वे एक ही तरह सोचें और काम करें, और वे मेरे साथ एक ही दिल की हों, और ब्रह्मांड की सभी कलीसियाओं को एक ही सूत्र में बाँधा जा सके। यह मेरा उद्देश्य है।
जब गर्जन होती है, रोने-चीखने की आवाज़ें फूट निकलती हैं। कुछ अपनी नींद से जगा दिए जाते हैं, और, बहुत घबड़ा कर, वे अपने आत्माओं में गहरी खोज करते हैं और सिंहासन के सामने वापस भाग आते हैं। वे चालाकी, धोखेबाज़ी और अपराध करना रोक देते हैं, और ऐसे लोगों के जाग जाने में अभी देर नहीं हुई है। मैं सिंहासन से देखता हूँ। मैं लोगों के दिलों में गहराई से झाँकता हूँ। मैं उन लोगों को बचाता हूँ जो मुझे नेकी और उत्कंठा से चाहते हैं, और मैं उन पर दया करता हूँ। मैं अनंत काल तक उन लोगों को बचाऊँगा जो अपने दिलों में मुझे सब से अधिक प्यार करते हैं, जो मेरी इच्छा को समझते हैं, और जो मार्ग के अंत तक मेरा अनुसरण करते हैं। मेरा हाथ उन्हें सुरक्षित रखेगा ताकि वे इस परिस्थिति का सामना न करें और उन्हें कोई भी नुकसान न पहुँचे। जब कुछ लोग चमकती बिजली के इस दृश्य को ��ेखते हैं, तो उनके दिल में एक ऐसा क्लेश होता है जिसे व्यक्त करना उनके लिए बहुत कठिन होता है, और उन्हें अफ़सोस बहुत देर से हुआ है। अगर वे इस तरह के व्यवहार में बन��� रहते हैं, तो उनके लिए बहुत देर हो चुकी है। ओह, सब कुछ, सब कुछ! यह सब कुछ किया जाएगा। यह उद्धार के मेरे साधनों में से एक है। मैं उन लोगों को बचाता हूँ जो मुझसे प्यार करते हैं और मैं दुष्टों को मार गिराता हूँ। तो मेरा राज्य पृथ्वी पर सधा हुआ और सुस्थिर रहेगा और पूरे विश्व में हर देश के सभी लोगों को पता चलेगा कि मैं प्रताप हूँ, मैं भड़कती आग हूँ, मैं वो परमेश्वर हूँ जो हर व्यक्ति के अंतरतम हृदय की तलाशी लेता है। इस समय से, महान श्वेत सिंहासन का न्याय लोगों के सामने सार्वजनिक रूप से प्रकट किया जाता है और सभी लोगों के सामने यह घोषणा की जाती है कि न्याय शुरू हो गया है! यह बात संदेह से परे है कि जो लोग अपने दिल की बात नहीं कहते हैं, वे जो अनिश्चित महसूस करते हैं और निश्चित होने की हिम्मत नहीं रखते हैं, जो अपने समय को आलस में बर्बाद करते हैं, जो मेरी इच्छाओं को समझते तो हैं लेकिन उन्हें अभ्यास में लाने के इच्छुक नहीं हैं, उनका न्याय किया जाना चाहिए। तुम लोगों को अपने इरादों और उद्देश्यों की सावधानी से जाँच करनी चाहिए, और अपना उचित स्थान लेने चाहिए, जो कुछ भी मैं कहता हूँ, उसका पूरी तरह से अभ्यास करना चाहिए, अपने जीवन के अनुभवों को महत्व देना चाहिए, बाहर से ही जोश के साथ कार्य मत करो, बल्कि अपने जीवन का विकास करो, उसे परिपक्व, स्थिर और अनुभवी बनाओ, और केवल तब ही तुम मेरे दिल के अनुसार होगे।
शैतान के अनुचरों को और उन दुष्ट आत्माओं को जो मेरे निर्माण को बाधित और नष्ट करते हैं, चीज़ों को अपने हित में शोषित करने का कोई भी मौका न दो। उन्हें गंभीर रूप से सीमित और नियंत्रित किया जाना चाहिए और उनके साथ केवल तेज़ तलवारों से निपटा जा सकता है। उनमें जो सबसे बुरे हैं, उन लोगों को तत्काल जड़ से उखाड़ देना चाहिए ताकि वे भविष्य में कोई खतरा पैदा न करें। और कलीसिया को पूर्ण किया जाएगा, वहाँ कोई निर्बलता न होगी, और वह स्वास्थ्य, जीवनशक्ति और ऊर्जा से भरपूर होगी। चमकती बिजली के बाद, गड़गड़ाहटें गूँज उठती हैं। तुम लोगों को उपेक्षा नहीं करनी चाहिए, और हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि जो छूट गया है उसे पकड़ने का अपना पूरा प्रयास करना चाहिए, और तुम सब निश्चित रूप से देख सकोगे कि मेरा हाथ क्या करता है, मैं क्या हासिल करता हूँ, कि��े हटा देता हूँ, किसे सिद्ध करता हूँ, किसे जड़ से उखाड़ फेंकता हूँ, और किसे मार गिराता हूँ। यह सब तुम लोगों की आँखों के सामने घटित होगा ताकि तुम सब स्पष्ट रूप से मेरी सर्वशक्तिमत्ता को देख सको।
सिंहासन से लेकर पूरे ब्रह्मांड के सिरों तक, सात गर्जनें गूँज उठती हैं। लोगों का एक बड़ा समूह बचाया जाएगा और मेरे सिंहासन के सामने समर्पित होगा। जीवन के इस प्रकाश के बाद, लोग जीवित रहने के साधनों को तलाशते हैं और वे स्वयं को मेरे पास आने से सम्मान में घुटने टेकने से रोक नहीं पाते हैं, उनके मुंह सर्वशक्तिमान सच्चे परमेश्वर के नाम को पुकारते हैं, और अपनी प्रार्थनाओं को व्यक्त करते हैं। लेकिन जो लोग मेरा विरोध करते हैं, जो अपने दिल को कठोर कर लेते हैं, उनके कानों में गर्जन गूँजती है और बिना किसी संदेह के, उन्हें मरना ही होगा। उनके लिए केवल यही अंतिम परिणाम है। मेरे प्यारे पुत्र जो विजयी हैं, सिय्योन में रहेंगे और सभी लोग देखेंगे कि वे क्या प्राप्त करेंगे, और तुम सब के सामने विशाल महिमा प्रकट होगी। यह सचमुच एक विशेष रूप से महान आशीर्वाद है, जिसकी मधुरता को शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है।
जब सात गर्जनों की गड़गड़ाहट गूँजती है, तो जो मुझसे प्यार करते हैं, जो मुझे सच्चे दिल से चाहते हैं, उन लोगों का उद्धार होता है। जो मेरे हैं और जिन्हें मैंने पूर्वनिर्धारित किया और चुना है, वे सभी मेरे नाम की शरण में आ पाते हैं। वे मेरी आवाज़ सुन सकते हैं, जो परमेश्वर की पुकार है। पृथ्वी के सिरों पर रहने वालों को देखने दो कि मैं धर्मी हूँ, मैं वफ़ादार हूँ, मैं प्रेम हूँ, मैं करुणा हूँ, मैं प्रताप हूँ, मैं प्रचंड अग्नि हूँ, और अंततः मैं निर्मम न्याय हूँ।
दुनिया में सभी को देखने दो कि मैं खुद ही वास्तविक और पूर्ण परमेश्वर हूँ। सभी मनुष्य ईमानदारी से आश्वस्त हैं और फिर से कोई भी मेरा विरोध, मेरी आलोचना करने की, या मेरी निंदा करने की हिम्मत नहीं करता है। अन्यथा, उन्हें तुरंत शाप मिलेगा और उन पर विपत्ति आएगी। वे केवल रोएंगे और अपने दांत पीसेंगे और वे खुद अपना विनाश ले आएँगे।
सभी लोगों को जान लेने दो, और ब्रह्मांड के सिरों तक ज्ञात करा दो, ताकि प्रत्येक व्यक्ति को पता चल सके। सर्वशक्तिमान परमेश्वर एकमात्र सच्चा परमेश्वर है, सभी लोग एक के बाद एक घुटने टेक कर उसकी आराधना करेंगे और यहाँ तक कि वे बच्चे भी जिन्होंने अभी बात करना सीखा ही है, वे भी "सर्वशक्तिमान परमेश्वर" बोल उठेंगे! सत्ता को सम्भालने वाले अधिकारी अपनी ही आँखों के सामने सच्चे परमेश्वर को प्रकट होते देखेंगे और वे उपासना ��ें साष्टांग करेंगे, दया और क्षमा की भीख माँगेंगे, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है क्योंकि उनकी मृत्यु का समय हो चुका है; उनके लिए यह किया ही जाना चाहिए: उन्हें असीम रसातल की सज़ा देनी ही होगी। मैं पूरे युग को समाप्त कर दूँगा, और अपने राज्य को और भी मजबूत करूँगा। सभी राष्ट्र और समस्त लोग अनंत काल के लिए मेरे सामने समर्पण कर देंगे!
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मैं चली मैं चली Main Chali Main Chali Lyrics – Lata Mangeshkar
Main Chali Main Chali lyrics (मैं चली मैं चली ) is an old song from movie Padosan. The song is sung by Asha Bhosale & Lata Mangeshkar. Lyrics of the song is written by Rajinder Krishan and music of the song is composed by R D Burman.
Main Chali Main Chali Song Details
Song: Main Chali Main Chali (मैं चली मैं चली)
Movie: Padosan (पडोसन)
Singer: Asha Bhosale & Lata Mangeshkar
Lyrics: Rajinder Krishan
Music: R D Burman
Main Chali Main Chali Lyrics – मैं चली मैं चली
मैं चली ���ैं चली, देखो प्यार की गली मुझे रोके ना कोई, मैं चली मैं चली मैं चली मैं चली, देखो प्यार की गली मुझे रोके ना कोई, मैं चली मैं चली ना ना ना मेरी जां, देखो जाना ना वहाँ कोई प्यार का लुटेरा, लूटे ना मेरी जां हाँ हाँ हाँ मेरी जां, देखो जाना ना वहाँ कोई प्यार का लुटेरा, लूटे ना मेरी जां
ये फ़िज़ा, ये हवा, ये नज़ारे ये समा अब प्यार ना हुआ तो फिर कब होगा कोई खेल तो नहीं, ये है प्यार मेरी जां तुझे पता भी ना चलेगा ये जब होगा मैं चली मैं चली, देखो प्यार की गली मुझे रोके ना कोई, मैं चली मैं चली
है दीवानी ये जवानी कोई समझाये क्या कब रोकने से रुकते हैं दीवाने है दीवानी ये जवानी कोई समझाये क्या कब रोकने से रुकते हैं दीवाने तू है अभी नादां जरा सोच मेरी जां रोज आते नहीं दिन ऐसे मस्ताने हो ना ना ना मेरी जां, देखो जाना ना वहाँ कोई प्यार का लुटेरा, लूटे ना मेरी जां हाँ हाँ हाँ मेरी जां, देखो जाना ना वहाँ कोई प्यार का लुटेरा, लूटे ना मेरी जां
कहीं आँख ना मिली, कहीं दिल ना लगा तो प्यार का ज़माना किस काम आया हो ये रुत ये घटा बोलो सोचेगी क्या जो किसीका ना होठों पे नाम आया मैं चली मैं चली, देखो प्यार की गली मुझे रोके ना कोई, मैं चली मैं चली हो ना ना ना मेरी जां, देखो जाना ना वहाँ कोई प्यार का लुटेरा, लूटे ना मेरी जां
Lyrics of Main Chali Main Chali in English
Mai Chali Mai Chali Dekho Pyaar Ki Gali Muje Roke Naa Koyi Mai Chali Mai Chali Mai Chali Mai Chali Dekho Pyaar Ki Gali Muje Roke Naa Koyi Mai Chali Mai Chali Naa Naa Naa Meri Jaan Dekho Jaana Naa Vaha Koyi Pyaar Kaa Lutera Lute Naa Meri Jaan Naa Naa Naa Meri Jaan Dekho Jaana Naa Vaha Koyi Pyaar Kaa Lutera Lute Naa Meri Jaan
Yeh Fija Yeh Hava Yeh Najaare Yeh Sama Abb Pyaar Naa Hua Toh Phir Kab Hoga Yeh Fija Yeh Hava Yeh Najaare Yeh Sama Abb Pyaar Naa Hua Toh Phir Kab Hoga Koyi Khel Toh Nahi Yeh Hai Pyaar Meri Jaan Tujhe Pata Bhi Naa Chalega Yeh Jab Hoga Mai Chali Mai Chali Dekho Pyaar Ki Gali Muje Roke Naa Koyi Mai Chali Mai Chali
He Diwani Ye Jawani Koi Samjaye Kya Kab Rokne Se Rokate Hai Diwane He Diwani Ye Jawani Koi Samjaye Kya Kab Rokne Se Rokate Hai Diwane Tu Hai Abhi Nadan Zara Socha Meri Jaan Roj Aate Nahi Ye Din Mastane Naa Naa Naa Meri Jaan Dekho Jaana Naa Vaha Koyi Pyaar Kaa Lutera Lute Naa Meri Jaan Naa Naa Naa Meri Jaan Dekho Jaana Naa Vaha Koyi Pyaar Kaa Lutera Lute Naa Meri Jaan
Kahi Aankh Naa Mili Kahi Dil Naa Laga Toh Pyaar Kaa Zamana Kis Kaam Aaya Toh Yeh Rut Yeh Ghata Bolo Sochegi Kya Jo Kisika Hodho Penaam Aaya Mai Chali Mai Chali Dekho Pyaar Ki Gali Muje Roke Naa Koyi Mai Chali Mai Chali Naa Naa Naa Meri Jaan Dekho Jaana Naa Vaha Koyi Pyaar Kaa Lutera Lute Naa Meri Jaan
Main Chali Main Chali Song
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Main Chali Main Chali Song
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Major Cause Of Industrial Revolution Impacts And Important Facts In Hindi
औद्योगिक क्रांति क्या है ?
ब्रिटेन और बाद में यूरोप में वर्ष 1780 से 1820 के बीच हुए प्रचंड औद्योगिक प्रगति के फलस���वरूप सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक तथा वैचारिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। इसका प्रभाव इंग्लैण्ड तक ही सिमित नहीं रहकर यूरोप के अन्य देशों पर भी पड़ा। इस तरह विश्व में एक नए युग का प्राम्भ हुआ और वर्ष 1882 ई. में अर्नाल्ड टायनबी ने इसे ‘औद्योगिक क्रान्ति’ की संज्ञा दी।इस युग में जल तथा वाष्प के इंजन की शक्ति से चलित यंत्रों का आविष्कार हुआ जिसके कारण कारखानों की स्थापना होने लगी। कारखानों का निर्माण होने के कारण वस्तु -निर्माण का घरेलू तरीका शिथिल और कमजोर हो गया। इन कारखानों में मजदूरों को मजदूरी पर रखा जाता था। कारखानों की स्थापना और मजदूरों की बहुलता के कारण नए नए नगर बसने लगे। गाँव और शहरों से लोग पैसे कमाने के लिए शहरों के कारखानों में मजदूरी करने आने लगे। अधिक संख्या में कारखाने और मजदूरों की अधिक संख्यां के कारण खपत योग्य वस्तुओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन होने लगा।
औद्योगिक क्रांति के प्रमुख कारण:
कृषि क्रांति
जनसंख्या विस्फोट
व्यापार प्रतिबंधों की समाप्ति
उपनिवेशों का कच्चा माल तथा बाजार
औद्योगिक क्रांति के दौरान हुए प्रमुख आविष्कार एवं महत्वपूर्ण तथ्य:-
औद्योगिक क्रांति की शुरुआत इंग्लैंड में हुई।
इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत सूती कपड़ा उद्योग से हुआ।
मैनचेस्टर से वर्सले तक ब्रिंटले नामक इंजीनियर ने (1761 ई. में) नहर बनाई।
रेल के जरिए खानों से बंदरगाहों तक कोयला ले जाने के लिए भाप इंजन का इस्तेमाल जार्ज स्टीफेंसन ने किया।
औद्योगिक क्रांति की दौर में इंग्लैंड का प्रतिद्वंदी जर्मनी था।
लौह अयस्क से इस्पात बनाने की प्रक्रिया का दूसरा चरण इस्पात निर्माण है, इस्पात निर्माण का उदय का औद्योगिक क्रांति के दौरान हुआ है।
औद्योगिक क्रांति के प्रभाव:
औद्योगिक क्रांति का मानव समाज पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा। मानव समाज के इतिहास में दो प्रसिद्ध क्रांतियां हुई जिन्होंने मानव इतिहास को सर्वाधिक प्रभावित किया। एक क्रांति उस समय हुई जब उत्तर पाषाण युग में मानव ने शिकार छोड़कर पशुपालन एवं कृषि का पेशा अपनाया तो दूसरी क्रांति वह है जब आधुनिक युग में कृषि छोड़कर व्यवसाय को प्रधानता दी गई। इ��� औद्योगिक क्रांति से उत्पादन पद्धति गहरे रूप से प्रभावित हुई। श्रम के क्षेत्र में मानव का स्थान मशीन ने ले लिया। उत्पादन में मात्रात्मक व गुणात्मक परिवर्तन आया। धन सम्पदा में भारी वृद्धि ��ुई।
आर्थिक परिणाम:
उत्पादन में असाधारण वृद्धि: कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन शीघ्र एवं अधिक कुशलता से भारी मात्रा में होने लगा। इन औद्योगिक उत्पादों को आंतरिक और विदेशी बाजारों में पहुंचाने के लिए व्यापारिक गतिविधियां तेज हुई जिससे औद्योगिक देश धनी बनने लगे। इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था उद्योग प्रधान हो गई। वहां औद्योगिक पूंजीवाद का जन्म हुआ।
शहरीकरण: बदलते आर्थिक परिदृश्य के कारण गांवों के कुटीर उद्योगों का पतन हुआ। फलतः रोजगार का तलाश में लोग शहरों की ओर भागने लगे क्योंकि अब बड़े-बड़े उद्योग जहां स्थापित हुए थे, वहीं रोजगार की संभावनाएं थी। स्वाभाविक तौर पर शहरीकरण की प्रक्रिया तीव्र हो गई। नए शहर अधिकतर उन औद्योगिक केन्द्रों के आप-पास विकसित हुए जो लोहे कोयले और पानी की व्यापक उपलब्धता वाले स्थानों के निकट थे।
आर्थिक असंतुलन: औद्योगिक क्रांति से आर्थिक असंतुलन राष्ट्रीय समस्या के रूप में सामने आया। विकसित और पिछड़े देशों के मध्य आर्थिक असमानता की खाई गहरी होती चली गई। औद्योगीकृत राष्ट्र अविकसित राष्ट्रों का खुलकर शोषण करने लगे। आर्थिक साम्राज्यवाद का युग आरंभ हुआ। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर औपनिवेशिक साम्राज्यवादी व्यवस्था मजबूत हुई।
सामाजिक परिणाम:
जनसंख्या में वृद्धि: औद्योगिक क्रांति ने जनसंख्या वृद्धि को संभव बनाया। वस्तुतः कृषि क्षेत्र में तकनीकी प्रयोग ने खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाकर भोजन आवश्यकता की पूर्ति की। दूसरी तरफ यातायात के उन्नत साधनों के माध्यम से मांग के क्षेत्रों में खाद्यान्न उत्पादन बढ़कार भोजन आवश्यकता की पूर्ति की। दूसरी तरफ यातायात के उन्नत साधनों के माध्यम से मांग के क्षेत्रों में खाद्यान्न की पूर्ति करना संभव हुआ।
नए सामाजिक वर्गों का उदय: औद्योकिग क्रांति ने मुख्य रूप से तीन नए वर्गों का जन्म दिया। प्रथम पूंजीवादी वर्ग, जिसमें व्यापारी और पूंजीपति सम्मिलित थे। द्वितीय मध्यम वर्ग, कारखानों के निरीक्षक, दलाल, ठेकेदार, इंजीनियर, वैज्ञानिक आदि शामिल थे।
मानवीय संबंधों में गिरावट: परम्परागत, भावानात्मक मानवीय संबंधों का स्थान आर्थिक संबंधों ने ले लिया। जिन श्रमिकों के बल पर उद्योगपति समृद्ध हो रहे थे उनसे मालिन न तो परिचित था और न ही परिचित होना चाहता था। उद्योगों में प्रयुक्त होने वाली मशीन और तकनीकी ने मानव को भी मशीन का एक हिस्सा बना दिया।
नैतिक मूल्यों में गिरावट: नए औद्योगिक समाज में नैतिक मूल्यों में गिरावट आई। भौतिक प्रगति से शराब और जुए का प्र��ार बढ़ा। अधिक समय तक काम करने के बाद थकावट मिटाने के लिए श्रमिकों में नशे का चलन बढ़ा। इतना ही नहीं औद्योगिक केन्द्रों पर वेश्यावृति फैलने लगी।
शहरी जीवन में गिरावट: शहरों में जनसंख्या के अत्यधिक वृद्धि के कारण निचले तबके को आवास, भोजन, पेयजल आदि का अभाव भुगतान पड़ता था।
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