Ordinary Human But Unique | MBA.| Love to write Poetry | Photography | Nation Lover | Eternal Optimist | Patriotic by Heart | I am not an IAS / IPS or any politician but an aware citizen. One day people will know me, by my work. I Want to know people's views for society. Want to work for society. I am deeply attached to life and know the value of life.
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वर्ष नव, हर्ष नव जीवन उत्कर्ष नव।
- हरिवंशराय बच्चन
#happynewyear2023 💐🙏
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"मैं जी भर जिया मैं मन से मरूं, लौट कर आऊंगा कूच से क्यूँ डरूं" ये साल था 1996 जब हमारे अटल जी पहली बार भारत के प्रधानमंत्री बने थे। बहुत खुशी थी उस दिन। हम बच्चे थे लेकिन भारत की राजनीति की थोड़ी समझ आ रही थी। अटल जी को सुनना अच्छा लगता था। पार्टी की नीव की ईट वहीं थे। 🚩🚩
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"सरकार" केवल सत्ता और सियासत की कहानी नहीं बल्कि उन घटनाओं और उन शख्सियत की कहानी है जो सियासत की दिशा को निर्धारित करते हैं ।
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सियासत में कभी कोई न मरता है न खतम होता हैं,जिंदा रहता है ।
गरिमा पाण्डेय
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“भूल गयी सब बचन विदा के, खो गयी मैं ससुराल में आके”
वाह.. सुरों की किताब के शब्दों का अध्यात्म से मिलन..।। मन्ना डे 🙏
https://youtu.be/uD5Pe4k3myI
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देवि पूजि पद कमल तुम्हारे, सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे । सिया राम ।।🌺🙏
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२० /११/२०२१ जीवन का एक सफल दिन बीता। पनकी हनुमान बाबा के दर्शन किये । ये एक आस्था की यात्रा थी ।
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जीवन रहते जीना आता, कुछ गुन होते तो तर जाता ।
गरिमा पाण्डेय
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जीवन में जो होना तय है, सुनिशचित है। सही कर्म से वो बदल जाता है। और वो ऐसे ही नहीं बदलता। चल-अचल, मौन,संवाद, प्रकृति और शून्य से उस इच्छा का जब संपर्क होता है।
गरिमा पाण्डेय
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विजयदशमी
एक महान पण्डित, कुशल राजनीतिज्ञ, वास्तुकला का ज्ञाता, ब्रह्मज्ञान��,एक विद्वान ज्योतिष, तंत्र विद्या का जानकार, भगवान शिव का परम भक्त “रावण” जिसने शिव ��ांडव स्रोत और शिव संहिता की रचना की थी वो विष्णु के अवतार को जानता था। रावण, रामायण का नकारात्मक पात्र तब बना जब एक स्त्री को छल से उसने हाथ लगाय��। जनक सुता कमज़ोर न थी, वो शक्तिपुंज थी लेकिन रावण को राम के हाथों मोक्ष लेना था। ये बुरायी पर अच्छाई का विजयी दिवस था जो सदियों तक मनाया जाएगा और याद दिलाएगा कि अच्छाई हर कालखंड में विजयी रहेगी अनंत काल तक।
१५.१०.२०२१, शुक्रवार, ७:४५ पी.एम.
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जब जब महिषासुर उपजा है, रणचंडी खेली है । रक्तपान किया है ।
माँ कालरात्रि
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गांधी एक विचारधारा..!
मेरे कुछ मित्र मोहन दास करमचंद गांधी की कितनी भी आलोचना कर लें लेकिन भारत में उनके योगदान को पृथक नहीं माना जा सकता। उस वक़्त हिंसा का रास्ता पकड़ लेना अपने को अग्निकुंड में स्वाहा कर देना था। गांधी का रास्ता अलग था। ३० करोड़ का देश गांधी को अभिभावक के रूप में देख रहा था।
गांधी के एक अहवाहन से सैकड़ों प्राण चल उठते थे हर कोई अपनी अलग अलग नीति के आधार पर अंग्रेजो से लोहा ले रहा था। गांधी चाहकर भी भगत सिंह का पक्ष नहीं ले सकते थे। ये उनकी अपनी योजना में बाधक था। महात्मा गांधी का प्रभाव इतना था कि जब वो पूना के अस्पता�� में अस्वस्थ अवस्था में थे तो उनकी ख़ैरियत पूछने बाहर का मीडिया भी आता था। एक अंग्रेज़ पत्रकार ने महात्मा गांधी के विषय में लिखा है - “यहाँ भारत का राजा लेटा है जिसका प्रभाव किसी सम्राट की शक्ति से कहीं अधिक है, आज से हज़ारों वर्ष बाद भी भारत की माताएँ अपने बच्चों को उनके बारे में बताएँगी।”
आपको जानकार हैरानी होगी कि महात्मा गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए पांच बार नामांकित किया गया था। इन्हें लगातार 1937, 1938 और 1939 में नामांकित किया गया था. इसके बाद 1947 में भी उनका नामांकन हुआ.फिर आख़िरी बार इन्हें 1948 में उन्हें नामांकित किया गया लेकिन महज़ चार दिनों के बाद उनकी हत्या कर दी गई.अब इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि जब मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला जैसे लोगों को शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया तो उन्होंने स्वीकार किया कि वे गांधी से प्रभावित हैं और उन्होंने अहिंसक संघर्ष का सबक़ गांधी से सीखा है, किन्तु गांधी जी को यह पुरस्कार नहीं दिया गया.ऐसा माना जाता है कि यदि 1948 में गांधी जी की हत्या नहीं हुई होती तो उस वर्ष का शांति के लिए नोबेल उनको ही मिलता. गांधी जी की हत्या हो जाने के कारण उस वर्ष का शांति के लिए नोबेल पुरस्कार किसी को भी नहीं दिया गया क्योंकि उस समय तक मरणोपरांत पुरस्कार नहीं दिया जाता था.
गांधी जी ये कहा करते थे जिस दिन से एक महिला रात में सड़कों पर स्वतंत्र रूप से चलने लगेगी, उस दिन से हम कह सकते हैं कि भारत ने स्वतंत्रता हासिल कर ली है। महात्मा गांधी जी द्वारा देखा गया ये सपना दशकों बाद भी पूरा नहीं हो पाया। आज भी भारत परतंत्र है और भारत की बेटियाँ आज़ाद नहीं।
आइए, हम अपने राष्ट्र के निर्माता बने। इस विशाल, गौरवशाली भारत का भविष्य हम स्वयं तय करें। गांधी की विचारधारा को आत्मसात करें। अहिंसा ये एक ऐसा शस्त्र था जिसने अंग्रेजी सल्तनत की नीव भारत से उखाड़ दी । गांधी को बस तारीखों में न याद कर के उनके चिंतन को भी याद करें। सदा याद रखें हिंसा किसी भी समस्या का कभी समाधान नहीं हो सकता। धरती पर बहता लहू अपना ही है, अपने लोगों का है, ऐसे मत बहाइए। इंसान बनिए। आशा है कि इस बात को लोग समझें।
जय हिन्द !
गरिमा पाण्डेय
०२/१०/२०२१ - शनिवार -११ :०० पी.एम.
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मेरी हिंदी एच से नहीं ह से रहेगी अ से अनंत तक ।
गरिमा पाण्डेय
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पंथ रहने दो अपरिचित प्राण रहने दो अकेला। - महादेवी वर्मा 🌺🙏
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अँजनेय, मारुति नंदन । जय बाबा हनुमान। सिया राम ।
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भारत संतों की भूमि रही है। एक ऐसे संत के बारे में जानना ही सौभाग्य की बात है जो अनंत काल तक हमारे बीच रहे "देवराहा बाबा " इनका जन्म कहाँ हुआ कब हुआ ये रहस्य ही है। कोई तुलसीदास जी के कालखंड से जोड़ता है तो कोई महाभारत काल से। ये नर की काया में कोई नारायण थे। नमन ।
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