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उच्च जोखिम वाले कोविड -19 मामलों के इलाज में योग, आयुर्वेद कारगर हो सकता है, आईआईटी-दिल्ली के शोध का दावा है
उच्च जोखिम वाले कोविड -19 मामलों के इलाज में योग, आयुर्वेद कारगर हो सकता है, आईआईटी-दिल्ली के शोध का दावा है
योग और आयुर्वेद कोविड -19 के उच्च जोखिम वाले मामलों के इलाज में प्रभावी हो सकते हैं, एक शोध अध्ययन से पता चलता है आईआईटी दिल्ली 30 उच्च जोखिम वाले COVID-19 रोगियों के सफल उपचार पर। यह अध्ययन IIT दिल्ली और देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार के शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किया गया था। शोधकर्ताओं ने दावा किया कि उच्च जोखिम वाले COVID-19 रोगियों को गंभीर चिंता का अनुभव होता है, जिससे उनकी स्थिति और…
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आयुर्वेद के अनुसार रात में नहीं करना चाहिए इन चीजों का सेवन आयुर्वेद में खाने-पीने से जुड़ी कई बातें बताई गई हैं जिन्हें फॉलो करने से सेहत से जुड़ी कोई परेशानी सामने नहीं आती। साथ ही हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। आयुर्वेद में रात के खाने से जुड़ी कुछ... Source link
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कोविद -19 उपचार के लिए आयुर्वेद? अमेरिका, भारत ने संयुक्त नैदानिक परीक्षण शुरू करने की योजना बनाई है
कोविद -19 उपचार के लिए आयुर्वेद? अमेरिका, भारत ने संयुक्त नैदानिक परीक्षण शुरू करने की योजना बनाई है
प्रतिनिधित्व के लिए छवि।
बुधवार को प्रख्यात भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और ��ॉक्टरों के एक समूह के साथ एक आभासी बातचीत में, अमेरिकी राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने कहा कि संस्थागत व्यस्तताओं के विशाल नेटवर्क ने दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक समुदायों को COVID के खिलाफ लड़ाई में एक साथ ला दिया है। -19।
PTI
आखरी अपडेट: 9 जुलाई, 2020, 11:32 AM IST
भारत और अमेरिका में आयुर्वेदिक चिकित्सकों…
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feroze khan bhu: BHU: आयुर्वेद फैकल्टी के संस्कृत विभाग में भी फिरोज खान ने किया था आवेदन, होगा इंटरव्यू - doctor feroze khan selected for assistant professor in ayurveda faculty at bhu
feroze khan bhu: BHU: आयुर्वेद फैकल्टी के संस्कृत विभाग में भी फिरोज खान ने किया था आवेदन, होगा इंटरव्यू – doctor feroze khan selected for assistant professor in ayurveda faculty at bhu
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नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 23 Nov 2019, 01:25:11 PM IST
फिरोज खान (फाइल फोटो) हाइलाइट्स
बीएचयू में असिस्टेंट प्रफेसर डॉक्टर फिरोज खान की नियुक्ति पर विवाद
आयुर्वेद फैकल्टी के संस्कृत विभाग में भी फिरोज ने किया था आवेदन
29 नवंबर को इंटरव्यू, साक्षात्कार के लिए फिरोज का भी हुआ है चयन
पहले संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान में बतौर असिस्टेंट प्रफेसर हुई थी नियुक्ति
वाराणसी बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी…
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लोकसभा में पेश किया गया आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान संस्थान बिल
लोकसभा में पेश किया गया आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान संस्थान बिल
खास बातें
आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान संस्थान बिल लोकसभा में पेश किया गया।
बिल को आयुष मंत्री श्रीपद यशो नायक ने पेश किया।
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने इस बिल का विरोध किया।
नई दिल्ली:
टिप्पणियां
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के विरोध के बीच सरकार ने सोमवार को लोकसभा में आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान संस्थान बिल 2020 (इंस्टीट्यूट ऑफ टीचिंग एंड रिसर्च इन आयुर्वेद बिल) पेश किया जिसमें…
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आयुर्वेद अस्पताल निर्माण अलपत्र धनगढी, १२ फागुन- अत्तरिया नगरपालिकाको राजपुर गाउँमा आयुर्वेद अस्पताल निर्माण गर्ने कार्य अलपत्र परेको छ । वन विभागले अस्पताल निर्माण गर्ने भनी छुट्याइएको जग्गाको भोगाधिकार दिन नमानेका कारण निर्माण कार्य अलपत्र परेको हो । उक्त ठाउँमा सुदूरपश्चिम क्षेत्रलाई लक्षित गरी सुविधा सम्पन्न ५० श्ययाको अस्पताल बनाउने लक्ष्य रहेको अस्पताल निर्माणका लागि गठित समितिका उपाध्यक्ष छत्रराज जोशीले बताउनुभयो । उहाँले जग्गाको भोगाधिकार नदिएकै कारण हरेक वर्ष अस्पताल निर्माणका लागि आउने ठूलो रकम ख��्च हुन नसकेर ‘फ्रिज’ हँुदै गएको छ भन्नुभयो । सरकारसँग जग्गासम्बन्धी स्वामित्व विवाद टुङ्ग्याएर अस्पताल निर्माणमा सहयोग गर्न आग्रह गरिएकोमा अहिलेसम्म कुनै सुनुवाइ नभएको स्थानीयवासीको गुनासो छ । “इलाका वन कार्यालय गेटाले भोगाधिकारका लागि सिफारिस गरेको लामो समय बितिसक्दा पनि विभागले स्वीकृति नदिँदा अस्पताल निर्माण अघि बढ्न सकेको छैन”, जोशीले भन्नुभयो – “ निर्माण कार्य अघि बढ्न नसक्दा बर्सेनि आउने बजेट पनि फ्रिज हुँदै गएको छ ।” सरकारले आफैँ अस्पताल निर्माणको निर्णय गर्ने तर काम हुन नदिने प्रवृत्ति देखिएको स्थानीयवासीको गुनासो छ । उक्त ठाउँमा आयुर्वेद अस्पताल निर्माणका लागि आवश्यक सर्भे र अनुगमन गर्न आयुर्वेद विभागका महानिर्देशकको नेतृत्वको टोलीले हालै स्थलगत रुपमा अध्ययन गरी यसै वर्षदेखि निर्माण सुरु गर्न पहल गर्ने प्रतिबद्धता जनाएको थियो । स्वास्थ्यमन्त्री गगन थापा र वन राज्यमन्त्री दीर्घराज भाटले हालै निर्माणस्थलको अनुगमन निरीक्षण गरी अस्पतालको काम छिट्टै सुरु गरिने आश्वासन दिए पनि काम अगाडि बढ्न सकेको छैन् । अस्पताल भवन निर्माणका लागि त्यहाँ केही वर्षअघि शिलान्याससमेत गरिसकेको छ ।
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एक सरल 'इनहेलिंग' चाल COVID-19 को खाड़ी में रखेगी; आयुर्वेद विशेषज्ञ का दावा https://tinyurl.com/yk5eq6ne #39इनहलग39 #ayurvedic_treatment_for_corona_virus #coronavirus #coronavirus_india #covid #covid_19 #covid_hacks #covid_second_wave_india #covid19 #fighting_coronavirus #water_steam_inhaling_exrercise #आयरवद #एक #क #खड #चल #दव #म #रखग #वशषजञ #सरल
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दही के साथ ये 5 चीजें खाने से हो सकता हैं नुकसान
दही खाना सबको पसंद होता हैं पर क्या आप जानते है कि दही को खाने के जितने फायदे है, उतने ही नुकसान अगर उसको गलत खाद्य पदार्थ के साथ खाया जाए. आयुर्वेद की माने तो दही कभी भी खासतौर पर इन 5 खाद्य पदार्थ के साथ नहीं खानी चाहिए.
इन पांच चीजों में मिलाकर खाते हैं दही तो संभल जाएं, हो सकता है नुकसान प्याज़– दही में प्याज़ डाल कर या रायता बना कर अगर खाते हो तो आपको ये आदत अपनी बदलनी होगी. वो इसलिए क्योंकि दही अंदर से ठंडी होती है. वहीं प्याज़ शरीर में गर्मी पैदा करता है. जब दोनों को मिलाकर खाया जाता है तो शरीर के लिए नुकसानदायक साबित होता है. स्किन एलर्जी, रैशेज जैसी समस्यायें देखने को मिलती है.
मछली– दही और मछली साथ खाना नुकसानदायक है. अकसर सुझाव दिया जाता है कि दो तरह के प्रोटीन स्रोत को एक साथ नहीं खाना चाहिए. वहीं दूसरी वजह ये भी है कि दही गाय के दूध से बनती है, और मछली मसाहारी स्रोत है. जो साथ में खाने से पेट से जुड़ी समस्याओं को पैदा करती है.
आम– दही में आम के छोटे-छोटे तुकड़े डाल कर खाना मिठाई खाने जैसा लगता है. पर ये उतना ही शरीर के हानीकारक साबित होता है. ये शरीर में ठंड और गर्मी का भाव पैदा कर देता है. जो फिर बाद में शरीर में स्किन से जुड़ी समस्याओं को झेलना करता है.
उड़द दाल– दही के साथ इस दाल को खाना आर्युर्वेद स्पष्ट तौर पर मना करता है. आर्युर्वेद की माने तो उड़द दाल को दही के साथ खाना आपको लंबे समय के लिए पेट से जुड़ी समस्या पैदा कर सकता है.
दूध– दही और दूध को मिलाकर कभी भी नहीं खाना चाहिए. ऐसा करना आपको एसीडिटी और गैस जैसी समस्यायें झलनी पड़ सकती है.
तैलीय खाना– पराठों के साथ दही को खाना लोगों का शौक है. पर क्या आप जानते है कि तेल से भरा खाना और दही शरीर के लिए बेहद नकुसानदायक साबित करती है. आपको आलसी बना देता है. शायद यहीं एक वजह है कि एक ग्लास लस्सी को गरम छोले भटूरों के साथ खाने के बाद तुरंत नींद आ जाती है.
https://kisansatta.com/these-5-things-with-yogurt-can-cause-harm/ #Yogurt, #Food, #आयरवद, #दह #yogurt, food, आयुर्वेद, दही Life, Trending #Life, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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गुजरात आयुर्वेद अकादमिक और शोध संस्थान परिसर को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली
गुजरात आयुर्वेद अकादमिक और शोध संस्थान परिसर को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली
नई दिल्ली:
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गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय: केंद्रीय मंत्री ने बुधवार को जामनगर स्थित गुजरात आयुर्वेद शैक्षणिक और शोध संस्थान परिसर को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (पीएम नरेंद्र मोदी) के नेतृत्व में हुई केंद्रीय बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (प्रकाश…
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पञ्चकर्म आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति लोकप्रिय बन्दै कञ्चनपुर, ८ माघ- महाकाली अञ्चल आयुर्वेद औषधालय महेन्द्रनगरले सञ्चालनमा ल्याएको निःशुल्क पञ्चकर्म आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति लोकप्रिय हुँदै गएका छन् । बाथ, नसा, हाडजोर्नीको दुखाइ, अनिन्द्रा, टाउको दुखाइ, कम्मर दुखाइ, मानसिक समस्या र डिपे्रसनका बिरामीका लागि पञ्चकर्म आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति उपयोगी साबित भएका हुन् । पञ्चकर्म चिकित्साअनुसार स्नेहनअन्तर्गत रोगनाशक अश्वगन्धा, तिल, ब्राम्ही तेलको सहायताले बिरामीलाई मालिस गरेर शरीरलाई सुगठित पारी पीडाबाट मुक्ति दिलाएर शरीरलाई स्फुर्ति गराउने कार्य गरिँदै आएको औषधालयका आयुर्वेद चिकित्सक डा सूर्य उपाध्यायले बताउनुभयो । “रोगको अवस्थाका आधारमा तेलको छनोट गरी दैनिक एक घन्टाका दरले सातदेखि १४ दिनसम्म यो पद्धतिबाट उपचार गरिन्छ” उहाँले भन्नुभयो । स्नेहन पछि रोगीलाई नाडी स्वेदनअन्र्तगत रबर पाइपको प्रयोग गरी औषधिको द्रव्ययुक्त वाष्पलाई शरीरका विभिन्न आवश्यक अङ्गमा पु¥याउने गरिन्छ । औषध द्रव्य र जललाई नाडी स्वेदयन्त्रमा राखी आगोमा उमालेपछि निस्कने वाष्प स्वेदन यन्त्र (वाष्प वाकस) मा बिरामीको टाउको बाहिर राखी मुनिबाट औषधियुक्त वाष्प प्रवेश गराई उपचार गरिँदै आएको उपचारमा संलग्न औषधालयका कर्मचारीले बताउँछन् । पहिलो पटक औषधालयले प्रयोगमा ल्याएको यस विधिको प्रयोग गर्ने रोगीको सङ्ख्या दैनिक सातदेखि दश जनासम्म हुने गरेका छन् । भीमदत्तनगरपालिका सुकासालका हेमन्तसिंह थापाले स्वेदन यन्त्रको सहायताले उपचार गराउँदा तीन दिनमै आफ्नो हाडजोर्नी दुखाइको समस्याको हटेको बताउनुभयो । “विभिन्न अस्पतालमा दुई वर्षदेखि उपचार गराउँदासमेत निको नभएको हाडजोर्नीको समस्या आयुर्वेद पद्धतिको उपचारले निको भएको छ”–उहाँले भन्नुभयो । यन्त्रको सहायताले उपचार गराउँदा जोर्नीको समस्यासँगै पक्षाघात, दम, खोकी, मुख बाङ्गिने, गर्धन कडा हुने, ढाडको दुखाइ, शारीरिक तथा मानसिक थकान दूर गर्न सहायक हुने डा उपाध्यायले बताउनुभयो । यससँगै शिरोवस्ती, ग्रीवावस्ती, कटीवस्ती, जानवस्ती, चक्षुवस्तीलगायत उपचार पद्धतिबाट समेत औषधालयमा उपचार गरिँदै आएका छन् । टाउकाको सम्पूर्ण रोगका लागि शिरोधारा उपयु्क्त औषधालयले आयुर्वेदीय पञ्चकर्म पद्धतिअन्तर्गत महत्वपूर्ण शिरोधारा उपचार विधि पनि सुरु गरेको छ । यसअन्तर्गत लगातार निश्चित उचाइबाट औषधयुक्त तेल निरन्तर रुपमा निधारको बीचमा धारा दिई उपचार गरिन्छ । शिरोधारा लगातार एउटै बिन्दु, दायाँदेखि बायाँ गरेर वा गोलोकार रुपमा दिइने गरिन्छ । टाउकोमा हुने सम्पूर्ण रोगका लागि यो विधि उत्तम मानिन्छ । शिरोधारा ४५ मिनेट देखि ७० मिनटसम्म गरिन्छ । यो सातदेखि १४ दिनसम्म लगातार रुपमा गरिन्छ । “बिरामीको अबस्था हेरेर दिनहरु घटाउने वा बढाउन सकिन्छ”–डा उपाध्यायले भन्नुभयो, “यसले बुद्धि विवेक जागृत गर्न, मानसिक स्फूर्ति कायम गर्न, चिन्ता दूर गर्न, छारेरोग, टाउको दुखाइ, उच्च रक्तचाप र पक्षाघात हटाउन, स्नायु प्रणा��ीलाई सबल बनाउन, आँखाको ज्योति बढाउन तथा स्मरणशक्ति बढाउन मद्धत गर्छ ।” पन्ध्रदेखि २५ मिनेटसम्म गरिने यस उपचार पद्धति बिरामीको अवस्था हेरी एकदेखि दुई हप्तासम्म गरिन्छ । औषधालयमा पञ्चकर्म चिकित्साबाट गत साउनदेखि हालसम्म निःशुल्क रुपमा ५२० जना बिरामीले सेवा लिइसकेका छन् । उपचारका लागि औषधालयमा १५ वर्ष देखि ७० वर्ष उमेरका नागरिक पुग्ने गरेका छन् । औषधालयमा दक्ष जनशक्ति नहुँदा कार्यालय सहयोगीलाईसमेत आवश्यक तालिम दिई काममा लगाइएको छ, डा उपाध्यायले भन्नुभयो –“उपचार गर्ने छुट्टै कोठासमेत नहुँदा सेवाग्राहीलाई सास्ती हुने गरेका छन् ।” यसका अतिरिक्त औषधालयले श्वासप्रश्वास, ज्वरो, चर्मरोग, ग्यास्ट्रिक र पेटसम्बन्धी समस्या भएका बिरामीको उपचार र आयुर्वेदीक औषधि निःशुल्क रुपमा उपलव्ध गराउँदै आएको पनि छ । यो औषधालय विसं २०४३ सालमा स्थापना भएको हो ।
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क्या भोजन के साथ पानी पीना ठीक है? यहाँ आयुर्वेद की सिफारिश है - टाइम्स ऑफ इंडिया https://tinyurl.com/y9jtb2zs #drinking_water #water #water_before_dinner #water_between_meals #water_for_weight_loss #आयरवद #इडय #ऑफ #क #कय #टइमस #ठक #पन #भजन #यह #सथ #सफरश #ह
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आयुर्वेद के अनुसार समय पर भोजन करने से शरीर को मिलते हैं पूरे पोषक तत्व
आयुर्वेद में खानपान के साथ इसका समय भी जरुरी है। खाने-पीने का उचित आपकी सही सेहत में एक मुख्य भूमिका निभाता है। गलत समय पर खाना खाने से आपके शरीर को पौष्टिक तत्व का फायदा होने की जगह हानि पंहुचा सकता है। सही समय पर हेल्दी खान- पान आपके अच्छे सेहत के लिए बहुत जरूरी है। हमारा शरीर सुबह के समय सरलता से खाना पचा पाता है, सूर्यास्त होने के बाद पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है, इसलिए हमें अपना खाने पीने के अनुसार बनाना चाहिए-
सुबह 7 बजे से 8 बजे तक नाश्ते का सबसे सही समय होता है। इस बात पर जरूर ध्यान दें कि उठने के आधे घंटे के अंदर कुछ जरूर खा लें। अधिक समय तक भूखे रहने से गैस की समस्या हो सकती है। सुबह उठते ही एक काम जरूर करे एक ग्लास गुनगुना पानी भी जरूर पीये। इससे आपका पेट भी साफ रहता है और चेहरे पर चमक भी बनी रहती है।
लंच 12 बजे से 2 बजे के बीच करे । नाश्ते और दोपहर के खाने के बीच कम-से-कम 4 घंटे का गैप होना चाहिए।
डिनर 7 से 9 बजे के खाना जरूर खा लें। रात में थोड़ा हल्का खाना खाए। रात को हमारा शरीर तेजी से खाना पचा नहीं पाता है। इसके साथ ही इस बात का जरूर ख्याल रखे रात का खाना सोने से 3 घंटे पहले ही खा लें।
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