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प्रेमिका के लिए फांसी के फंदे पर लटका प्रेमी: दीवार पर लिखा…जाओ मेरी जान, अब कभी नहीं लौट के आऊंगा… बस तुम खुश रहना
सरगुजा जिले में एक युवक ने दीवार पर अपनी प्रेमिका के लिए मैसेज लिखा और फिर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उसने दीवार पर लिखा- ‘जाओ मेरी जान अब लौट कर नहीं आऊंगा, तुम खुश रहना।’ पुलिस दीवार पर लिखे सुसाइड नोट की जांच में जुट गई है। पुलिस ने कहा कि मामला प्रेम प्रसंग में सुसाइड का है। मृतक का नाम पंकज टोप्पो (23 वर्ष) है। घटना गांधीनगर थाना क्षेत्र की है। जानकारी के मुताबिक, जशपुर जिले के बगीचा थाना…
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#….छत्तीसगढ़#अपराध#अब#अब कभी नहीं लौट के आऊंगा… बस तुम खुश रहना#आऊंगा…#एक्सक्लूसिव#कभी#के#खुश#छत्तीसगढ़#जाओ मेरी जान#जान#तुम#दीवार#नहीं#न्यूज़#पर#प्रेमिका#प्रेमिका के लिए फांसी के फंदे पर लटका प्रेमी: दीवार पर लिखा…जाओ मेरी जान#प्रेमी:#फंदे#फांसी#बस#ब्रेकिंग#मेरी#रहना#राज्य#लटका#लिए#लिखा…जाओ
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"दोस्तो, मेरा नाम युग है और मैं मध्यप्रदेश राज्य के भोपाल शहर में रहता हूँ.
मैं अक्सर चूत चुदाई की कहानी पढ़ता रहता हूं और दिन में दो बार हिला लेता हूँ.
यह सेक्स कहानी मेरी और मेरी छोटी बहन वर्षा की चुदाई की कहानी है.
इसमें आप पढ़ेंगे कि कैसे मैंने अपनी ही सगी बहन को चोदकर अपनी रंडी बना लिया.
यह Xxx सिस फक कहानी आज से एक साल पहले की उस समय की है जब मैंने 12 वीं के बोर्ड के इम्तिहान दिए थे.
एग्जाम के बाद से स्कूल की छुट्टी चल रही थीं.
मैं अपने परिवार के बारे में बता दूं.
मेरे घर में पाँच सदस्य हैं. मम्मी-पापा, दीदी और एक छोटी बहन.
मेरे पापा का नाम सुदेश है. उनकी उम्र 44 साल है.
मेरी मम्मी का नाम अदिति है. उनकी उम्र 42 साल है. लेकिन वे 30 से ज्यादा की नहीं लगती हैं.
उनका फिगर 32-28-36 का है. वे पारदर्शी साड़ी पहनती हैं और नाभि से नीचे साड़ी को बांधती हैं.
पारदर्शी साड़ी के साथ टू बाय टू की रुबिया के झीने ब्लाउज में से उनकी ब्रा साफ दिखाई देती है.
उनकी थिरकती चूचियों और मटकती गांड को देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए.
मेरी एक बड़ी बहन है, जिसका का नाम दीपाली है.
वह मुझसे एक साल बड़ी है और वह भी बहुत सेक्सी दिखती है.
दीपाली के बाद मैं हूँ और मुझसे छोटी बहन है.
उसका नाम वर्षा है.
वह मुझसे एक साल छोटी ��ै.
उसकी उम्र 18 साल की है. उसने अभी जवानी की दहलीज पर अपना पहला कदम रखा ही है.
उसके दूध मस्त गोरे हैं और बहुत ही कांटा आइटम है.
उसकी फूली हुई गांड के बीच की दरार को देखकर मेरा उसे चोदने का मन करता है.
मैंने कई बार उसकी ब्रा पैंटी को सूंघकर लंड हिलाया है.
उन दिनों मैं उसकी चूत और गांड में लंड डालने की प्लानिंग कर रहा था.
वैसे सपनों में तो मैं उसे कई बार चोद चुका था पर हकीकत में उसे चोदने में डर लगता था कि कहीं उसने शोर मचा दिया तो सारी इज्जत की मां चुद जाएगी.
यों तो हम दोनों काफी खुले हुए हैं और हमें एक दूसरे के सारे सीक्रेट पता हैं.
कभी कभी वह मुझे गले लगाती है, तो उसके दूध मेरे सीने से लग कर एक मीठी रगड़ दे जाते हैं.
मैं उसके चूतड़ भी सहला देता था.
उस वक्त मन ही मन मैं उसे चोदने का सोचने लगता था.
ऐसा लगता था कि इसे यहीं घोड़ी बना कर इसकी गांड मार दूं.
एक रात को हम सब मिलकर टीवी देख रहे थे और वह हमेशा की तरह मेरी बगल में बैठी टीवी देख रही थी.
मैं भी हमेशा की तरह उसकी टांग से टांग रगड़ कर मस्त हो गया था. मेरा हाथ भी उसकी टांग पर घूम रहा था.
उस दिन काफी रात हो गई थी तो हम सब सोने के लिए जाने लगे.
वर्षा मेरे साथ सोती थी.
मैं भी उसके सो जाने के बाद उसके दूध दबाता, गांड में लंड रगड़ता … लेकिन कभी चोद नहीं सका था.
एक दिन मम्मी और दीदी मौसी के घर निकल गईं वे दो दिन के लिए गई थीं.
कुछ देर बाद पापा भी ऑफिस के लिए निकल गए थे.
पापा को दारू पीने की आदत है और आज मम्मी के न होने से उनके लिए यह किसी त्यौहार के जैसा दिन था.
मैं जानता था कि पक्के में आज पापा दोस्तों के साथ अपनी महफ़िल जमाएंगे.
मुझे पूरी उम्मीद थी कि वे मुझे फोन करके घर आने से मना करेंगे.
वही हुआ भी … एक घंटा बाद उनका फोन आ गया कि वे ऑफिस के काम से बाहर जा रहे हैं और कल शाम तक या परसों वापस आ जाएंगे.
उनके फोन से मुझे बेहद खुशी हुई कि अब बहन की चूत चोदी जा सकती है.
अब घर मैं और वर्षा अकेले थे.
आज चुदाई का सही समय था.
मैं हॉल में टीवी देख रहा था और वर्षा कमरे में थी.
मैंने सोचा कि चल कर देखूँ कि वर्षा क्या कर रही है.
मैं कमरे में गया तो वर्षा तौलिया में मेरे सामने थी. वह नहा कर निकली थी.
उसकी तौलिया छोटी थी, जिससे उसके दूध दिख रहे थे.
उसने गुस्से से मुझे बाहर जाने को कहा, मैं बाहर आ गया.
लेकिन अब उसे चोदने का मन कर रह�� था.
शाम हो गई, मैं छत पर बैठा था कि तभी वह आई.
वर्षा- सॉरी भैया, मैं आज आप पर चिल्लायी.
मैं- कोई बात नहीं. वैसे तुम बहुत खूबसूरत हो!
वर्षा- आपको कैसे पता कि मैं खूबसूरत हूं?
मैं- आज तुम्हें बिना कपड़ों के देखा, तब से जाना कि तुम बेहद खूबसूरत हो … आई लव यू वर्षा. सच में मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं.
मैंने न जाने किस आवेश में उससे यह कह तो दिया लेकिन मुझे डर लग रहा था कि अब वह क्या कहती है.
वह मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दी और फिर एकदम से आगे बढ़ कर मुझे किस करने लगी.
मैं भी उसका साथ देने लगा और उसके मम्मों को दबाने लगा.
हम दोनों की 5 मिनट के किस के बाद वह हट गई और शर्माने लगी.
मैंने उसकी तरफ देख कर उसे वापस अपनी गोदी में लेने के लिए हाथ बढ़ाया.
तो वह कहने लगी- आज रात को आपके लिए मेरे पास कुछ बहुत खास है.
मैं समझ गया कि आज मैं इसकी चूत का रस ले सकूँगा.
मैंने कहा- आज खाना मत बनाना, मैं बाहर से ले आऊंगा.
उसने पूछा- क्या पापा का खाना भी लेकर आओगे?
मैंने उसे आंख मारते हुए बताया- नहीं, आज पापा अपनी दारू के प्रोग्राम में व्यस्त रहेंगे शायद … उनका फोन आया था कि वे कल शाम तक वापस आएंगे या हो सकता है कि परसों ही घर आ पाएं!
यह सुनकर मेरी छोटी बहन मुस्कुरा दी और बोली- ओके, इस खबर के लिए अब आपको और भी बढ़िया उपहार मिलेगा.
मैं समझ गया कि शायद अब यह और ज्यादा कामुक होकर चुदना चाहती है.
कुछ देर बाद मैं बाजार गया और वहां से खाना पैक करवा कर मेडिकल स्टोर से सेक्स की गोली लेता हुआ घर के लिए निकल पड़ा.
घर वापस आया तो 8 बज गए थे.
मैं घर पहुंचा तो मैंने देखा कि वर्षा ने लाल रंग की शॉर्ट नाइटी पहन रखी थी.
उसने मुझे देख कर आंख मारी और पूछा- मैं कैसी लग रही हूं?
मैं- बहुत सेक्सी लग रही हो मेरी जान!
यह कह कर मैं उस पर झपटने को हुआ.
वर्षा- चलो, पहले खाना खाना खाते हैं. आज की रात मैं तुम्हारी हूं, जो करना है … कर लेना.
फिर हम दोनों ने खाना खाया और मैं कमरे में गया.
मैंने देखा कि कमरा तो एकदम करीने से सजा हुआ था. उसने तकियों और कुशन से बेड सजाया था.
मैं मन ही मन खुश हुआ.
वर्षा- सजावट कैसी लग रही है?
मैं- अच्छी है, पर क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो!
वर्षा- मैं तो आपसे कबसे प्यार करती हूं, बस आप ही देर कर रहे थे.
मैं उसकी तरफ मादक भाव से देखने लगा.
मैं वर्षा को किस करने लगा.
वह भी मेरा साथ देने लगी.
कुछ देर बाद मैंने उसकी नाइटी उतार कर फेंक दी. उसने नाइटी के नीचे कुछ नहीं पहना था, शायद वह पूरी तरह नंगी होकर चुदवाना चाहती थी.
उसने भी मेरे सारे ��पड़े उतार दिए और मेरा लंड चूसने लगी.
वह एकदम पेशेवर रंडी की तरह मेरा लंड चूस रही थी.
उसका लंड चूसना देख कर मुझे संदेह हुआ कि कहीं इसकी चूत पहले से ही तो खुली हुई नहीं है!
पर अगले ही पल मैं शांत हो गया कि कमसिन लड़की की चूत को सीलबंद चूत समझ कर ही चोदना चाहिए.
मैंने उसके सर पर अपना हाथ रख कर उसे अपने लौड़े पर दबाते हुए कहा- मेरी रानी, इतना अच्छा लंड चूसना कहां से सीखा?
वर्षा- मैंने बहुत सारी पोर्न फिल्में देखी हैं. भैया मैं जानबूझ कर अपनी पैंटी और ब्रा बाथरूम में छोड़ देती थी ताकि आप उसे सूंघकर अपना लंड हिला सकें.
मैं- तुम मुझसे कबसे प्यार करती हो?
वर्षा- जब से मैंने आपका 7 इन्च लम्बा लंड देखा है, बस तभी से आपसे चुदवाना चाहती हूं.
यह कहते हुए उसने खड़े होकर अपनी सफ़ाचट चूत मुझे दिखाई.
मैंने उसकी चूत की महक को अपने नथुनों में भरा और कामोन्मत्त हो गया.
फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में हो गए.
वह मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसकी चूत चाटने लगा.
कुछ मिनट बाद उसने मुझसे कहा- भाई, अब रहा नहीं जा रहा है, जल्दी से अपना लंड डाल दो.
मैंने चुदाई की स्थिति बनाई और उसकी चूत की तरफ देखने लगा कि इतनी संकरी चूत में मेरा मूसल कैसे घुस सकता है.
तभी उसने मेरा लंड अपने हाथ से अपनी चूत पर सैट कर दिया.
मेरा सुपारा उसकी चूत की बंद लकीर पर मुँह मारने लगा.
वह भी सुपारे की गर्मी पाकर अपनी गांड हिलाती हुई मेरे लंड को अन्दर बुलाने लगी थी.
मुझसे रहा न गया और मैंने एक जोरदार धक्का लगा दिया.
शॉट एकदम सही समय पर और सही जगह पर लगा था तो करीब ढाई इंच लंड चूत को फाड़ कर अन्दर घुस गया था.
लंड क्या घुसा, उसकी तो चीख ही निकल गई.
उसकी चीख बता रही थी कि पक्का यह उसका पहली बार वाला हमला था.
मैं सजग हो गया और अन्दर ही अन्दर बेहद खुश भी हो गया था कि आज चूत फाड़ने का पहला मौका मिला है.
अब मैं उसे किस करने लगा और उसे सहलाने लगा, उसका एक दूध अपने मुँह में भर कर चूसने लगा.
अपने चूचे चुसवाने से उसे अच्छा लगने लगा.
थोड़ी देर बाद वह खुद अपनी कमर उठा कर लंड लेने लगी.
उसका दर्द कम हो गया था.
मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया और अपना पूरा लंड उसकी चूत की जड़ तक उतार दिया.
उसकी दर्द भरी चीख निकल गई पर इस बार मेरे होंठ चूसने की वजह से आवाज नहीं निकल पाई.
इस बार मैंने बिना रुके धक्कों की स्पीड तेज कर दी.
उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे.
फिर 5 मिनट तक चुदाई के बाद उसे भी मजा आने लगा और वह मादक आवाजें निकालने लगी- आह हहह हहह आज मेरी चूत फ़ाड़ कर इसका भोसड़ा बना दो … बड़ा मजा आ रहा है भैया … आहह आज मेरी चूत की माँ चुद गईई ईई आ���.
मुझे अपनी बहन की चूत रगड़ने में बेहद सुकून मिल रहा था.
मैं भी सांड की तरह अपनी छोटी बहन को बकरी समझ कर चोदने में लगा हुआ था.
काफी देर की जोरदार चुदाई के बाद मैंने चूत से लंड निकाल कर उसके मुँह में डाल दिया.
वह अच्छी तरह से लंड चूसने लगी.
मैंने उसके मुँह में ही जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए और 5 मिनट बाद उसके मुँह में ही झड़ गया.
उस रात मैंने उसे 3 बार चोदा, दो बार उसकी चूत और एक बार गांड बजाई.
Xxx सिस फक के बाद हम दोनों ऐसे ही नंगे सो गए.
अगली सुबह मैं 12 बजे उठा.
तब तक वर्षा नहाकर तैयार हो गई थी.
उसने मुझे जगाया और एक किस किया.
मैं जागा तो उसने मुझसे फ्रेश होने को कहा.
उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता, हम दोनों दबा कर चुदाई करते.
मैंने वर्षा की मदद से अपनी मम्मी को भी चोदा.
यह सब कैसे हुआ था, उसे मैं अपनी अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा.
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मौत से ठन गई l
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यूं लगा जिंदगी से बड़ी हो गई।
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं।
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?
तू दबे पांव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आजमा।
मौत से बेखबर, जिंदगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।
आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भंवरों की बांहों में मेहमान है।
पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ां का, तेवरी तन गई।
मौत से ठन गई!
- shree Atal Bihari Vajpayee
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एक दिन आऊंगा तेरे शहर, तुझमें बसने के लिए//
सुबह रात शाम दोपहर तुझमें हसने के लिए//
उठेंगी कुछ लहरे तुझपर बरसने के लिए//
तब तक के लिए थोड़ा ठहरना//
एक दिन आऊंगा मैं, तेरे उन सुलझे बालो में उलझने के लिए //
- अय्यारी
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में ही सिर्फ में ही आऊंगा तुझे वापिस ढूंढने
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कबीर परमेश्वर जी ने धर्मदास जी को कहा कि मेरे नाम से काल कलियुग में 12 पंथ चलाएगा। 12 पंथ वाले सब मेरी महिमा गाएंगे परंतु सतलोक नहीं जा पाएंगे क्योंकि उनके पास में सत मंत्र नहीं होंगे। सत मंत्र देने के लिए कलियुग 5505 वर्ष बीतेगा तब मैं आऊंगा धर्मदास, इन सब पंथों को मिटाकर एक यथार्थ पंथ चलाऊंगा जो मेरे भेजे संत से मेरा नाम लेगा उसका जन्म मरण छुड़ाऊंगा। वर्तमान में 13वें पंथ को चलाने वाले अधिकारी संत रामपाल जी महाराज हैं जो मूल ज्ञान और सत मंत्र प्रदान कर रहे हैं।
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#परमात्मा_का_पृथ्वी_पर_आगमन
कबीर सागर अध्याय 'कबीर बानी पृष्ठ 136, 137 पर कहा है की मैं (परमेश्वर कबीर जी) उस गरीबदास वाले पंथ में आऊंगा जब कलयुग में 5505 वर्ष पूरे होने पर यथार्थ कबीर पंथ चलाया जाएगा। तत्वज्ञान को समझकर संसार के मनुष्य कबीर साहेब की भक्ति करेंगे। इससे सिद्ध है कि तेरहवाँ पंथ जो यथार्थ कबीर पंथ है वह संत रामपाल जी महाराज द्वारा चलाया जा रहा है।
उनकी शरण ग्रहण कीजिए और अपना कल्याण कराइए।
2Days Left Kabir Prakat Diwas
#परमात्मा का पृथ्वी पर आगमन#sant rampal ji maharaj#saintrampalji#kabir is god#godkabir#chennai#delhi#bengaluru#my post#कबीर परमेश्वर प्रकट दिवस
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कबीर परमेश्वर जी ने धर्मदास जी को कहा कि मेरे नाम से काल कलियुग में 12 पंथ चलाएगा। 12 पंथ वाले सब मेरी महिमा गाएंगे परंतु सतलोक नहीं जा ���ाएंगे क्योंकि उनके पास में सत मंत्र नहीं होंगे। सत मंत्र देने के लिए कलियुग 5505 वर्ष बीतेगा तब मैं आऊंगा धर्मदास, इन सब पंथों को मिटाकर एक यथार्थ पंथ चलाऊंगा जो मेरे भेजे संत से मेरा नाम लेगा उसका जन्म मरण छुड़ाऊंगा। वर्तमान में 13वें पंथ को चलाने वाले अधिकारी संत रामपाल जी महाराज हैं जो मूल ज्ञान और सत मंत्र प्रदान कर रहे हैं।
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एक शांत समंदर मैं
दबे पाओ
उन लेहरो के शिकन का इंतज़ार कर रहा हु
कब मेरे चेरे की उन सलवटों को चूमे वह
मेरे कंडे पर सर रख कर गुनगुनाये वो
मेरी हथेली पकड़ ले और बोले मुझसे
के फिर तू वो कलम उठा
और टूटे हुए उस ��ोज़
फिर सम्नदर को जमे से मिलाने की कोशिश कर
…
लौट कर आऊंगा वही
जहा सुकून है मेरा
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कबीर परमेश्वर जी ने धर्मदास जी को कहा कि मेरे नाम से काल कलियुग में 12 पंथ चलाएगा। 12 पंथ वाले सब मेरी महिमा गाएंगे परंतु सतलोक नहीं जा पाएंगे क्योंकि उनके पास में सत मंत्र नहीं होंगे। सत मंत्र देने के लिए कलियुग 5505 वर्ष बीतेगा तब मैं आऊंगा धर्मदास, इन सब पंथों को मिटाकर एक यथार्थ पंथ चलाऊंगा जो मेरे भेजे संत से मेरा नाम लेगा उसका जन्म मरण छुड़ाऊंगा। वर्तमान में 13वें पंथ को चलाने वाले अधिकारी संत रामपाल जी महाराज हैं जो मूल ज्ञान और सत मंत्र प्रदान कर रहे6 हैं।
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#कबीर परमात्मा ने कहा था कि मैं 12वें पंथ में आऊंगा। और सभी पंथो को मिटा कर एक पंथ चलाऊँगा। आज संत र
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"किसी रागिनी में ग़ज़ल की शकल में आऊंगा मैं तुमसे मिलने हज़ूर"
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अपना हाता
मेरे आसपास आजकल बहुत कुछ घट रहा है
और बहुत तेजी से
कुछ दोस्तों ने मुखौटे बदल लिए हैं
कुछ दुश्मनों ने चेहरे।
एक बस है जो लगता है छूटने वाली है
एक और बस है ठसाठस भरी हुई
उसका खलासी गायब है
चलने का वक़्त भी नहीं पता
लोग भाग रहे हैं बेतहाशा
इधर से उधर
उधर से इधर
कुछ खड़े हैं जो असमंजस में
छूट जाने के डर से अकेले
दांव तौल रहे हैं
इधर जाएं
या उधर
किसी को मिल गए हैं बारहमासा टिकाऊ जूते
किसी ने तान ली है छतरी धूप में।
मुझसे कहता है पकी दाढ़ी वाला घुटा हुआ एक आदमी
बेटा जी लो अपनी ज़िन्दगी, कमा लो पैसे
फिर नहीं आने का सुनहरा मौका
क्यों जी रहे हो जैसे तैसे
वह अभी अभी चढ़ा है एक बस में
और पुकार रहा है मुझे सीढ़ी से ही
वो छूटने वाली बस का है मुसाफिर
उसकी दौड़ ज़्यादा लंबी नहीं, जानते हुए भी
दे रहा है मुझे आखिरी आवाज़
दिस इज़ द लास्ट कॉल फॉर पैसेंजर नंबर फलां फलां
मैं असमंजस में हूं
पैरों के नीचे की धरती कर सकता हूं महसूस
थोड़ा और शिद्दत के साथ
वह मुझे गुब्बारे दिखाता है
गुब्बारे रंग बिरंगे उसकी छतरी हैं गोया उल्टा पैराशूट
आकाश की ओर उतान जिनमें भरी है
निष्प्राण, निरर्थक, नीरस गैस
मेरे सिर के ठीक ऊपर चमकाता है वह
अपने बारहमासा जूते
जिनसे अगले पांच माह वह काट लेगा कम से कम
ऐसा दा��ा करता है।
मेरे साथी कह रहे हैं चढ़ जाओ
मेरी संगिन कहती है तोड़ दो दीवारें जो
बना रखी हैं तुमने अपने चारों ओर।
एक देश है जहां उत्तेजना ऐसी है गोया
सोलह मई को नेहरू जी संसद से करेंगे
ट्रिस्ट विद डेस्टिनी का भाषण
और आज़ाद हो जाएंगे सवा अरब लोग
चौक चौराहों और ट्रेनों में बैठे लोग किसी को
देख रहे हैं आता हुए सवार सफेद घोड़े पर
उसके पीछे उड़ती हुई एक चादर है और उसके
हाथों में जादू की एक छड़ी
बिल्कुल ऐसा ही हुआ था पांच साल पहले
लेकिन कोई याद नहीं करना चाहता उस घोड़े को
जिसकी टाप ने कर दिया था हमें बहरा
जिसके खुरों से उड़ने वाली धूल का कण अब भी
गड़ता है हमारी आंखों में और घुड़सवार के उतरते ही
हुई थी आकाशवाणी
हार कर जीतने वाले को बाज़ीगर कहते हैं
उसने हवा में जो रुमाल लहराया था उसमें लगी इत्र
की मादकता अब भी सिर चढ़ कर बोलती है
आदमी पागल
औरत पागल
बच्चे पागल
पागल बुज़ुर्ग
भीतर से दरकता हुआ एक दुर्ग
बाहर सवारियों को समेटती खचाखच भरी बस
कोई छूटने न पाए
सबका साथ ही सबका विकास है।
मेरे आसपास आजकल बहुत कुछ घट रहा है
और बहुत तेजी से
और मैं असमंजस में हूं और यह कोई नई बात नहीं है
क्योंकि शादियों में उदास हो जाना अचानक बचपन से मेरी फितरत रही है
कोई मर जाए तो निस्संग हो कर मलंग हो जाना पुरानी
अदा रही है अपनी
एकाध बार पूछते हैं, कहते हैं लोग हाथ बढ़ाकर-
चढ़ जाओ
फिर प्रेरणा के दो शब्द कह कर हो लेते हैं फरार
अबकी बार मजबूत सरकार।
मैंने पिछले एक हफ्ते में दर्जनों लोगों से पूछा है कि प्रियंका गांधी के आने से कांग्रेस का वोट कैसे बढ़ेगा
सबके मन में केवल विश्वास है
पूरा है विश्वास हम होंगे कामयाब वाला
विश्वास पर दुनिया कायम है तो कांग्रेस क्यों नहीं?
एक बस में अंधविश्वास का भरा है पेट्रोल
दूसरे में विश्वास का
संदेह वर्जित है
विरासत में मिला जो कुछ भी है वही अर्जित है
हाउ इज़ द जोश
सब महामिलावट का है दोष।
मेरे आसपास आजकल बहुत कुछ घट रहा है
और बहुत तेजी से
इसीलिए
मैंने किया है निश्चय बहुत धीरे धीरे
ऐन चुनाव के बीच बच्चों को गणित पढ़ाऊंगा
तेजी से घटती हुई दुनिया में उन्हें जोड़ना सिखाऊंगा
न इस बस से आऊंगा
न उस बस से जाऊंगा
अपनी हदों में रहूंगा
पकी दाढ़ी वाले घुटे हुए आदमी की बातों में
नहीं आऊंगा
न पहनूंगा जूता न तानूंगा छाता
किसी के बाप का क्या जाता
अपना खेल
अपना हाता।
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✴️संत गरीबदास जी महाराज जी के बाहरवें पंथ तथा तेहरवें पंथ की यथार्थ जानकारी✴️
कबीर सागर "कबीर बानी‘‘ नामक अध्याय (बोध सागर) पृष्ठ 134 से 138 पर लिखा है कि
बारहवां (12वां) पंथ संत गरीबदास जी द्वारा चलाया जाएगा। जिसमे काल के वंश अपनी चतुराई दिखायेंगे।
लेकिन संवत 1775 में प्रभु प्रेम प्रकट होगा तथा ��मारी बानी प्रकट होगी (पृष्ठ नं . 136-137)
कबीर सागर के "कबीर वाणी" अध्याय के पृष्ठ 137 पर वाणी लिखी है कि,
बारहवें पंथ हम ही चलि आवैं। सब पंथ मिटा एक पंथ चलावैं।।
कबीर परमेश्वर ने स्पष्ट किया है कि, 12वें गरीबदास पंथ तक के अनुयाई मेरी महिमा की साखी जो मैंने कबीर सागर, कबीर बीजक, कबीर साखी तथा कबीर शब्दावली आदि में ग्रंथों में लिखी है उनके गूढ़ रहस्यों को ठीक से न समझकर स्वयं ग़लत निर्णय करके अपने अनुयायियों को समझाया करेंगे, परंतु सत्य से परिचित न होकर असंख्यों जन्म स्थाई घर अर्थात सनातन परम धाम (सत्यलोक) नहीं जा सकेंगे। फिर मैं उस गरीब दास वाले पंथ में आऊंगा, कलयुग 5505 वर्ष बीत जाने पर यथार्थ कबीर पंथ चलाया जाएगा। उस समय तत्वज्ञान तथा सतनाम की चर्चा चला करेंगी। सब शांति से बुराईयों से मुक्त होकर रहा करेंगे।
वर्तमान में तेरहवां पंथ "यथार्थ कबीर पंथ" है जो कि संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा चलाया जा रहा है।
जिनके बारे प्रमाण देते हुए स्वयं संत गरीबदास जी ने अपनी अमरवाणी में "असुर निकंदन रमैणी" में कहा है कि
‘‘सतगुरू दिल्ली मंडल आयसी। सूती धऱती सूम जगायसी।।
अर्थात सतगुरु (तत्वदर्शी संत परमेश्वर कबीर जी का भेजा हुआ) दिल्ली मण्डल में आएगा।
पुराना रोहतक जिला (वर्तमान में सोनीपत जिला, झज्जर जिला, रोहतक जिला) दिल्ली मण्डल कहलाता है। जो कि पहले अग्रेंजों के शासन काल में केन्द्र के आधीन था।
इससे सिद्ध है कि तेरहवां पंथ जो यथार्थ कबीर पंथ है, वह संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा चलाया जा रहा है जिनके बारे में स्वयं परमेश्वर कबीर साहेब जी ने अपनी वाणी के माध्य्म से स्पष्ट कर दिया है।
#BodhDiwas_Of_SantGaribdasJi
#SantRampalJiMaharaj
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
⬇️⬇️
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क्या MP-राजस्थान की तरह महाराष्ट्र में भी सरप्राइज देगी बीजेपी? CM फेस को लेकर उठे सवाल
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी की शानदार जीत का पूरा श्रेय देवेंद्र फडणवीस को दिया जा रहा है. चुनाव में देवेंद्र फडणवीस का ‘मैं फिर आऊंगा’ कहते हुए वीडियो काफी वायरल भी हुआ था. 2014 से 2019 तक पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद फडणवीस 2019 में एक बार फ��र से सीएम पद के करीब पहुंचे थे, लेकिन शिवसेना ने गठबंधन तोड़ दिया इसलिए विपक्ष में बैठना पड़ा. इसके बाद सियासी तस्वीर ऐसे बदली की उन्हें…
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