#आंध्र का मौसम
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भारत के दक्षिण राज्यों में जल्द बनेगा कम दवाब का क्षेत्र, जल्द होगी होगी भारी बारिश; चेतावनी जारी
Rain Alert: एक बार फिर से कम दबाव का क्षेत्र बनने जा रहा है, जिसकी वजह से दक्षिण भारत के राज्यों में बहुत भारी बारिश होने जा रही है। मौसम विभाग ने शुक्रवार को बताया कि कम दबाव के क्षेत्र की वजह से साउथ तमिलनाडु, केरल में 13 दिसंबर को बहुत भारी बारिश होगी। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश, अंडमान और निकोबार, पुडुचेरी, रायलसीमा आदि जगह पर भी बारिश बारिश की चेतावनी जारी की गई है। वहीं, उत्तर भारत और मध्य…
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Heavy Rain Alert: 2 दिसंबर तक भारी बारिश का अलर्ट, जानिए किन राज्यों में रहेगा मौसम का हाल
नई दिल्ली: भारत के कई हिस्सों में अगले कुछ दिनों तक मौसम विभाग ने भारी से भयंकर भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। खासतौर पर दक्षिणी राज्यों में भारी बारिश की संभावना है। तमिलनाडु, पुडुचेरी, कोस्टल आंध्र प्रदेश, केरल और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में मौसम के बिगड़ने के संकेत मिल रहे हैं। आइए जानते हैं, कहां-कहां और कैसा रहेगा मौसम। तमिलनाडु और पुडुचेरी में भारी बारिश का अलर्ट मौसम विभाग के अनुसार,…
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मानसून सीजन सामान्य से 7.6 प्रतिशत अधिक वर्षा के साथ हुआ खत्म : आईएमडी
सबसे ज्यादा बारिश राजस्थान, गुजरात, पश्चिम -मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में दर्ज नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (हि.स.)। इस साल का मानसून सीजन सामान्य से 7.6 प्रतिशत अधिक वर्षा के साथ समाप्त हो गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने मंगलवार को प्रेसवार्ता में बताया कि 2024 का मानसून सीजन सामान्य से 7.6 फीसदी अधिक बारिश के साथ समाप्त हो गया है। सबसे ज्यादा बारिश राजस्थान, गुजरात, पश्चिम…
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बाढ़ से ग्रस्त आंध्र प्रदेश, तेलंगाना को केंद्र ने दिया भरोसा, जानें क्या बोले गृहमंत्री अमित शाह
नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों से बात की और दोनों राज्यों में बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया। शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बारिश तथा बाढ़ से निपटने के लिए केंद्र की तरफ से से हरसंभव मदद का आश्वासन दिया केंद्र सरकार के अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्रालय बाढ़ प्रभावित राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के संपर्क में है। साथ ही राज्यों में नुकसान का आकलन करने के लिए केंद्रीय टीम तैनात की जाएंगी इस संबंध में गृह मंत्रालय ने गुजरात में बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए अंतर-मंत्रालयी टीम गठित की। केंद्र सरकार ने भेजी टीम केंद्र सरकार ने गुजरात में बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए केंद्रीय दल (आईएमसीटी) का गठन किया है। यह दल राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) के कार्यकारी निदेशक के नेतृत्व में गुजरात के बाढ़ प्रभावित जिलों का दौरा करेगी। इस साल आईएमसीटी ने असम, केरल, मिजोरम और त्रिपुरा जैसे बाढ़ या लैंडस्लाइड प्रभावित राज्यों का दौरा किया। 25 से 30 अगस्त के बीच, राजस्थान और गुजरात के ऊपर बने गहरे दबाव के कारण गुजरात बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुआ। गुजरात के अलावा, हिमाचल प्रदेश भी भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन से प्रभावित हुआ है। आंध्र प्रदेश में जारी है भारी बारिश आंध्र प्रदेश की गृह मंत्री वंगलापुड़ी अनिता ने रविवार को बताया कि राज्य में पिछले दो दिनों में मूसलाधार बारिश के कारण पांच जिलों के 294 गांवों से 13,227 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने बताया कि उत्तरी आंध्र प्रदेश और दक्षिणी ओडिशा के तटों पर बना अवदाब ��विवार तड़के उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़कर कलिंगपट्टनम के पास दक्षिणी राज्य के तट को पार कर गया। इसी के कारण राज्य में पिछले दो दिनों से भारी बारिश हो रही थी। तेलंगाना में भारी बारिश के कई ट्रेनें रद्द तेलंगाना में हैदराबाद सहित राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश जारी है। राज्य में भारी बारिश के बाद कुछ जिलों में छोटी नदियां उफान पर हैं और बाढ़ के पानी के कारण गांवों का सड़क संपर्क बाधित हो गया। हैदराबाद में भी भारी बारिश हुई और रातभर बारिश जारी रहने के कारण राजधानी के कई हिस्सों में जलभराव हो गया। भारी बारिश और कई स्थानों पर पटरियों पर जलभराव के कारण कई ट्रेन या तो रद्द कर दी गई हैं या आंशिक रूप से रद्द कर दी गई हैं। वहीं, कुछ ट्रेन के मार्ग में भी परिवर्तन किया गया है। रेलवे अधिकारियों ने रविवार को बताया कि विजयवाड़ा-काजीपेट मार्ग पर लगभग 24 ट्रेनों को रोका गया है। ट्रैक पर काफी मात्रा में जलभराव हो गया है। वहीं, विजयवाड़ा मंडल में 30 ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं। दक्षिण मध्य रेलवे ने कहा कि आंध्र प्रदेश में भारी बारिश के कारण एहतियात के तौर पर कई ट्रेनों को डायवर्ट और रद्द किया जा रहा है। गुजरात में भारी बारिश से जनजीवन प्रभावित गुजरात में भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति ने जीवन को काफी प्रभावित कर दिया है, और केंद्र सरकार द्वारा आश्वासन मिलने से राहत कार्यों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में बाढ़ के हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए पीड़ितों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है। पीएम मोदी ने नागरिकों के जीवन और पशुधन की सुरक्षा पर मार्गदर्शन भी किया। साथ ही, गुजरात को केंद्र सरकार की ओर से सभी आवश्यक समर्थन और सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया गया। http://dlvr.it/TCgMnC
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Michong Syclone: चक्रवात ने बदला मौसम का मिज़ाज़, देश भर में बारिश और बर्फ़बारी
DELHI: स्काईमेट वेदर की रिपोर्ट के मुताबिक आज छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, दक्षिण बिहार और गंगीय पश्चिम बंगाल में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है. बंगाल की खाड़ी में चक्रवात मिचौंग बना और कल आंध्र तट को पार कर गया. इसके साथ ही आंध्र तट के साथ-साथ तमिलनाडु के कुछ हिस्सों और यहां तक कि तेलंगाना के कई इलाकों में बारिश तेज हो गई. कश्मीर में घाटी के ज्यादातर हिस्सों में…
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Small Business Idea News In Hindi: इस मसाले की खेती कुछ ही सालों में बना देगी करोड़पति, विदेशों में है इतनी डिमांड की पलभर में हो जायेंगे मालामाल
इस मसाले की खेती कुछ ही सालों में बना देगी करोड़पति, विदेशों में है इतनी डिमांड की पलभर में हो जायेंगे मालामाल लोगों को आज कल नौकरी की अपेक्षा अपना व्यवसाय करना ही ज्यादा अच्छा लगता है इसलिए लोग अपना व्यवसाय करने की ओर अग्रसर हो रहे हैं इसलिए आज हम आपके लिए लाये हैं एक ऐसा बिज़नेस आईडिया जिसे कर आप कुछ ही सालो में बहुत सारा पैसा कमा सकते हैं और बन सकते हैं करोड़पति आज हम आपको बताने जा रहे हैं इलायची की खेती के बारे में इलायची एक ऐसा मसाला है जिसका उपयोग अलग-अलग व्यंजनों में किया जाता है इलायची का उपयोग मुख्य रूप से भोजन, मिठाई बनाने और मिठाइयों में अच्छी सुगंध देने के लिए किया जाता है। इलायची में कई औषद्धीय गुण भी होते हैं जिस कारण लोग देश से लेकर विदेशों तक इसकी डिमांड करते हैं। विदेशों में लोग इसकी काफी ज्यादा कीमत चूकते हैं जिस कारण इस मसाले की खेती से भरपूर मुनाफा मिलता है। इसे विदेशों में बेचकर भी बहुत ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है।
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खेती के लिए उचित मिट्टी का चुनाव है जरुरी
इलायची की खेती मोटा मुनाफा दिलाने वाली खेती में से एक मानी जाती है जिस कारण लोग इसकी खेती करना बहुत पसंद करते हैं इसकी की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है इसके अलावा लेटराइट मिट्टी, दोमट मिट्टी, काली मिट्टी में भी इलायची की खेती आसानी से कर सकते हैं। इसके लिए आपको खेतों में जल निकासी की पूरी व्यवस्था करनी होती है जिससे की इसकी पैदावार अच्छी हो सके। रेतीली मिट्टी में इलायची की खेती ��हीं की जा सकती है क्योंकि इसे आपका बहुत नुकसान हो सकता है। रेतीली मिटटी में इसकी अच्छी उपज नहीं मिलती है जिस कारण मुनाफे में कमी आ जाती है इलायची की खेती बरसात के मौसम में आसानी से की जा सकती है जून जुलाई के महीने में इलायची का पौधा काफी तेजी से पनपता है और आप इसे आसानी से लगा सकते हैं बारिश के मौसम में इसमें सिंचाई की आवश्यकता भी कम होती है जिस कारण आपको पानी की चिंता नहीं करनी होती इसका पौधा बारिश का पानी ग्रहण करके ही अच्छी उपज दे देता है। इलायची के पौधों को गर्मी में नहीं लगाया जा सकता इसे ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है। इलायची के पौधे को खेतों में 2 फीट की दूरी पर लगाना चाहिए। जिससे ये आसानी से बढ़ सकते हैं और इनकी पैदावार काफी अच्छी हो सकती है।
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जानिए कैसे करें खेती
इलायची के पौधों की खेती करने के लिए आपको उचित मिटटी और उचित जलवायु की आवश्यकता होती है इलायची के पौधे में फल लगने क��� बाद हर 20 से 25 दिनों में इसकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए। ताकि उस पौधे पर फलों को आने की जगह मिल सके। इलायची की तुड़ाई करने के बाद इसे बिजली के ड्रायर में या धूप में सुखाया जाता है। इलायची के रंग को बरकरार रखने के लिए इसे 2 से 3 प्रतिशत वाशिंग सोडा के घोल में 10 से 15 मिनट तक भिंगोने के बाद सुखाने की विधि की शुरुआत की जाती है। जिससे इसका हरा रंग बरक़रार रहता है और इसमें किसी तरह की कोई अन्य सुगंध नहीं आ पाती। भारत में इलायची की खेती बड़े पैमाने पर होती है। जिससे किसान भाई इससे काफी अच्छा फायदा कमा लेते हैं और मालामाल हो जाते हैं आज के समय में हर कोई इसकी खेती को अपनी पहली पसंद बना रहा है क्योंकि इसमें बहुत ही कम मेहनत की जरूरत होती है। इसकी खेती तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश में की जाती है। इस राज्यों में इसकी पैदावार काफी अच्छी होती है क्योंकि यहाँ बारिश काफी अच्छी होती है।
खेती से होगा लाखों का ��ुनाफा
इलायची जब सुख जाती है तब इसे हाथों या तार की जाली परअच्छी तरह से रगड़ा जाता है। जिससे की इससे सारा सोडा निकल जाये और इसमें किसी भी तरह की गंदगी न रहे फिर जांच लिया जाता है इसके बाद उसके रेट तय किये जाते हैं जिससे जो इलायची बड़ी होती है उसकी कीमत भी काफी ज्यादा मिलती है एक एकड़ खेत में 150 से 170 kg तक की पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। देशीय बाजार में इसकी कीमत 5 से 6 हजार प्रति kg रहती है जबकि विदेशों में इसकी काफी अच्छी कीमत मिल जाती है जिससे आपको बहुत ज्यादा फायदा मिल सकता है और आप कुछ ही महीनों में करोड़पति बन सकते हैं।
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Rains Update : 22 राज्यों में तीन दिन भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी
Rains Update : बुधवार को मौसम विभाग ने अगले तीन दिन 22 से ज्यादा राज्यों में भारी बारिश की संभावना जताई है। इनमें हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड समेत पूरे उत्तर पश्चिम भारत से लेकर पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत के राज्य शामिल हैं। मध्य महाराष्ट्र, पूर्वी गुजरात, कोंकण, गोवा, तेलंगाना, रॉयलसीमा और आंध्र प्रदेश के तटवर्ती इलाकों में भारी बारिश और आंधी-तूफान को लेकर रेड अलर्ट जारी किया गया है। कुल्लू में बादल…
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कम उपजाऊ भूमि में सरगुजा की खेती कैसे करें? जानिए किन बातों का रखें ध्यान
सरगुजा की खेती बरसात के मौसम में ही की जाती है
मूंगफली, तिल, असली की तरह ही सरगुजा भी एक तिलहनी फसल है, जो मुख्य रूप से झारखंड के आदिवासी किसानों द्वारा उगाई जाती है। इसका तेल बहुत फ़ायदेमंदहोता है जिसे खाने से लेकर दवा बनाने तक में इस्तेमाल किया जाता है। जानिए सरगुजा की खेती से जुड़ी अहम बातें।
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सरगुजा की खेती: मूंगफली, तिल, सूरजमुखी, सोयाबीन, सरसों और असली के तेल के बारे में तो आपने सुना ही होगा और खाते भी होंगे, लेकिन क्या आपने कभी सरगुजा के बारे में सुना है? दरअसल, ये झारखंड के आदिवासी समुदाय की प्रमुख तिलहनी फसल है, जिसका इस्तेमाल वो खाद्य तेल के रूप में करते हैं।
सरगुजा का तेल ओमेगा-3 फैटी एसिड और लिनेलोइक एसिड से भरपूर होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है। खाने के अलावा, इस तेल का इस्तेमाल दवा बनाने के लिए भी किया जाता है। मगर इतना फ़ायदेमंद होने के बाद भी इसका तेल बाकी तेल की तरह लोकप्रिय नहीं है। भारत के तिलहन उत्पादन में सरगुजा तेल का योगदान सिर्फ़ 3 प्रतिशत ही है और इसकी वजह है जानकारी का अभाव।
सरगुजा के बारे में जागरुकता फैलाकर और किसानों को सरगुजा की खेती के लिए प्रेरित करके उनकी आमदनी में इज़ाफ़ा किया जा सकता है, क्योंकि सरगुजा कीखेती विपरित परिस्थितियों में भी की जा सकती है। इसलिए कम उपजाऊ और पानी वाले इलाकों के लिए भी ये फसल उपयुक्त है।
कहां होती है सरगुजा की खेती
सरगुजा की खेती झारखंड के साथ ही राजस्थान, महाराष्ट्रस मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू, कर्नाटक, गुजरात, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और पूर्वोत्तर राज्यों में की जाती है। इसकी खेती मुख्य रूप से झारखंड के जनजातीय समुदाय द्वारा की जाती है। वो इसे आमतौर पर कम उपजाऊ भूमि में लगाते हैं और खाद व उर्वरकों का भी सही तरीके से इस्तेमाल नहीं करते हैं जिससे उपज कम होती है। अगर वैज्ञानिक पद्धति से इसकी खेती की जाए, तो किसानों को अच्छी उपज प्राप्त हो सकती है।
जलवायु और मिट्टी
सरगुजा की खेती 13 से 23 डिग्री तापमान में की जा सकती है। सरगुजा के लिए हल्की बलुई मिट्टी से लेकर भारी काली मिट्टी जिसका पी.एच. मान 5.2 से 7.3 तक हो अच्छी मानी जाती है। इसकी खेती लवणीय मिट्टी में भी की जा सकती है, इसमें पौधों का विकास अच्छी तरह होता है।
खेत की तैयारी
इसकी खेती के लिए पहले देसी हल से खेत में दो बार गहरी जुताई कर पाटा लगा दें। अंतिम जुताई के समय 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 5% एल्ड्रिन धूल या 10% बी.एच.सी. मिट्टी में मिला दें। इससे दीमक का असर कम हो जाता है।
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Chane Ka Bhav | Mandi Rate
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हमारे देश मे चने का सर्वाधिक उत्पादन भारत के कुछ राज्यों में होता है जैसे की महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और आंध्र प्रदेश। इस बार मौसम अच्छा रहने के कारण किसान भाई चने को अच्छे भाव में बेचने के इच्छुक हैं यदि हम चने के भाव की बात करे तो अभी चना न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लगभग के भाव में ही चल रहा है।
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Dussehra 2024; दशहरे पर कई राज्यों होगी भारी बारिश, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट; 55kmph की रफ्तार से चलेगी हवाएं
#Dussehra #Weather Dussehra 2024; दशहरे पर कई राज्यों होगी भारी बारिश, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट; 55kmph की रफ्तार से चलेगी हवाएं
Dussehra Weather Update: देशभर में कल यानी 12 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा। बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए रावण दहन किया जाएगा। इस बीच मौसम विभाग ने दशहरे पर कई राज्यों में बारिश का अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग के मुताबिक, 12 से 16 के बीच केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात और कर्नाटक में बारिश हो सकती है। मौसम विभाग ने बताया कि तमिलनाडु में अलग-अलग जिलों, तटीय आंध्र प्रदेश, यनम और दक्षिण आंतरिक…
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दक्षिण भारत में भारी बारिश, उत्तर भारत में घना कोहरा: IMD ने जारी किया अलर्ट
नई दिल्ली: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने आगामी दिनों में देश के विभिन्न हिस्सों में मौसम के बदलते मिजाज को लेकर चेतावनी जारी की है। दक्षिण भारत के तटीय इलाकों में भारी बारिश की संभावना है, जबकि उत्तर भारत में घने कोहरे का प्रकोप बढ़ने वाला है। दक्षिण भारत में भारी बारिश का अलर्ट IMD के अनुसार, 26 से 29 नवंबर के बीच दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश और रायलसीमा में हल्की से मध्यम बारिश के साथ बिजली…
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चक्रवात गुलाब लाइव अपडेट: ओडिशा, आंध्र रविवार शाम को लैंडफॉल बनाने के लिए चक्रवात के रूप में अलर्ट पर; 28 ट्रेनें रद्द
चक्रवात गुलाब लाइव अपडेट: ओडिशा, आंध्र रविवार शाम को लैंडफॉल बनाने के लिए चक्रवात के रूप में अलर्ट पर; 28 ट्रेनें रद्द
चक्रवात गुलाब लाइव समाचार अपडेट: भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने शनिवार शाम को कहा कि चक्रवात गुलाब बंगाल की खाड़ी में बना है। 28 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है और कुछ अन्य को चक्रवात गुलाब के कारण थोड़े समय के लिए डायवर्ट, पुनर्निर्धारित, विनियमित और समाप्त कर दिया गया है। उपग्रह अवलोकन के अनुसार, दिन में शाम 5.30 बजे, चक्रवात बंगाल की उत्तर-पश्चिम खाड़ी के ऊपर स्थित था और गोपालपुर, ओडिशा से 370 किमी…
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मई में 'लू' से होगा जीना बेहाल, डरा रही 'हीटवेव' को लेकर IMD की ये भविष्यवाणी
नई दिल्ली: दिल्ली हो या यूपी अप्रैल के महीने से ही जो गर्मी पड़नी शुरु हुई उसका असर मई में भी दिख रहा है। भले ही मई का पहला सप्ताह दिल्ली उत्तर प्रदेश के कई शहरों के लिए राहत भरा रहने वाला हो लेकिन आने वाले दिनों में ये गर्मी आपके होश उड़ाने वाली है। हाल ही में IMD ने मई महीने में लू को लेकर ऐसी भविष्यवाणी की है जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। मौसम विभाग के अनुसार इस महीने देश के उत्तर- पश्चिम और पूर्वी क्षेत्रों में इस बार दोगुनी लू चलने की संभावना है।IMD के अनुसार हर साल मई में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पूर्वी मध्य प्रदेश, गंगीय पश्चिम बंगाल, बिहार और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों में तीन दिन लू चलती थी लेकिन इस साल पांच से सात दिनों तक लू चलने का अनुमान है। आईएमडी के महानिदेशक एम महापात्र ने कहा बताया कि मई में आमतौर पर औसतन तीन हीटवेव वाले दिन होने की उम्मीद होती है लेकिन इस साल हीटवेव के दिनों की संख्या अधिक हो सकती है। यहां चलेगी 11 दिन लू मौसम विभाग के अनुसार दक्षिण राजस्थान, पश्चिम मध्य प्रदेश, विदर्भ, मराठवाड़ा और गुजरात क्षेत्र में लगभग आठ से 11 दिन लू चलने की संभावना है। आईएमडी ने आगे कहा कि उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के कुछ हिस्सों और पूर्वोत्तर प्रायद्वीपीय भारत के आसपास के क्षेत्रों को छोड़कर भारत के अधिकांश हिस्सों में सामान्य अधिकतम तापमान होने की संभावना है। इन राज्यों में बारिश की भविष्यवाणी मौसम विभाग ने लू के साथ ही कुछ राज्यों में अधिक बारिश की भी संभावना जारी की है। आईएमडी ने आज नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में भारी से बहुत भारी बारिश की भविष्यवाणी की है। आईएमडी प्रमुख मृत्युजंय महापात्र ने बताया कि ओडिशा के कई हिस्से, उत्तर छत्तीसगढ़, झारखंड, दक्षिणी पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर के कुछ हिस्से, आंध्र प्रदेश के रायलसीमा और केरल में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है। http://dlvr.it/T6Jt9Y
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‘मन की बात’ एक ऐसा माध्यम है जहां सकारात्मकता और संवेदनशीलता है, इसका कैरेक्टर कलेक्टिव है: पीएम मोदी
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मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार !
दो दिन पहले की कुछ अद्भुत तस्वीरें, कुछ यादगार पल, अब भी मेरी आँखों के सामने हैं, इसलिए, इस बार ‘मन की बात’ की शुरुआत उन्ही पलों से करते हैं | Tokyo Olympics में भारतीय खिलाड़ियों को तिरंगा लेकर चलते देखकर मैं ही नहीं पूरा देश रोमांचित हो उठा | पूरे देश ने, जैसे, एक होकर अपने इन योद्धाओं से कहा – विजयी भव ! विजयी भव !
जब ये खिलाड़ी भारत से गए थे, तो, मुझे इनसे गप-शप करने का, उनके बारे में जानने और देश को बताने का अवसर मिला था | ये खिलाड़ी, जीवन की अनेक चुनौतियों को पार करते हुए यहाँ पहुंचे हैं | आज उनके पास, आपके प्यार और support की ताकत है - इसलिए, आइए मिलकर अपने सभी खिलाड़ियों को अपनी शुभकामनाएँ, उनका हौसला बढ़ाएँ | Social Media पर Olympics खिलाड़ियों के support के लिए हमारा Victory Punch Campaign अब शुरू हो चुका है | आप भी अपनी टीम के साथ अपना Victory Punch share करिए India के लिए cheer करिए |
साथियो, जो देश के लिए तिरंगा उठाता है उसके सम्मान में, भावनाओं से भर जाना, स्वाभाविक ही है | देशभक्ति की ये भावना, हम सबको जोड़ती है | कल, यानि, 26 जुलाई को ‘कारगिल विजय दिवस’ भी है | कारगिल का युद्ध, भारत की सेनाओं के शौर्य और संयम का ऐसा प्रतीक है, जिसे, पूरी दुनिया ने देखा है | इस बार ये गौरवशाली दिवस भी ‘अमृत महोत्सव’ के बीच में मनाया जाएगा | इसलिए, ये, और भी खास हो जाता है | मैं चाहूँगा कि आप कारगिल की रोमांचित कर देने वाली गाथा जरुर पढ़ें, कारगिल के वीरों को हम सब नमन करें |
साथियो, इस बार 15 अगस्त को देश अपनी आज़ादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहा है | ये हमारा बहुत बड़ा सौभाग्य है कि जिस आज़ादी के लिए देश ने सदियों का इंतजार किया, उसके 75 वर्ष होने के हम साक्षी बन रहे हैं | आपको याद होगा, आज़ादी के 75 साल मनाने के लिए, 12 मार्च को बापू के साबरमती आश्रम स��� ‘अमृत महोत्सव’ की शुरुआत हुई थी | इसी दिन बापू की दांडी यात्रा को भी पुनर्जीवित किया गया था, तब से, जम्मू-कश्मीर से लेकर पुडुचेरी तक, गुजरात से लेकर पूर्वोत्तर तक, देश भर में ‘अमृत महोत्सव’ से जुड़े कार्यक्रम चल रहे हैं | कई ऐसी घटनाएँ, ऐसे स्वाधीनता सेनानी, जिनका योगदान तो बहुत बड़ा है, लेकिन उतनी चर्चा नहीं हो पाई - आज लोग, उनके बारें में भी जान पा रहे हैं | अब, जैसे, मोइरांग डे को ही लीजिये ! मणिपुर का छोटा सा क़स्बा मोइरांग, कभी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की Indian National Army यानि INA का एक प्रमुख ठिकाना था | यहाँ, आज़ादी के पहले ही, INA के कर्नल शौकत मलिक जी ने झंडा फहराया था | ‘अमृत महोत्सव’ के दौरान 14 अप्रैल को उसी मोइरांग में एक बार फिर तिरंगा फहराया गया | ऐसे कितने ही स्वाधीनता सेनानी और महापुरुष हैं, जिन्हें ‘अमृत महोत्सव’ में देश याद कर रहा है | सरकार और सामाजिक संगठनों की तरफ से भी लगातार इससे जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं | ऐसा ही एक आयोजन इस बार 15 अगस्त को होने जा रहा है, ये एक प्रयास है - राष्ट्रगान से जुड़ा हुआ | सांस्कृतिक मंत्रालय की कोशिश है कि इस दिन ज्यादा-से-ज्यादा भारतवासी मिलकर राष्ट्रगान गाएँ, इसके लिए एक website भी बनाई गई है – राष्ट्रगानडॉटइन | इस website की मदद से आप राष्ट्रगान गाकर, उसे record कर पाएंगे, इस अभियान से जुड़ पाएंगे | मुझे उम्मीद है, आप, इस अनोखी पहल से जरूर जुड़ेंगे | इसी तरह के बहुत सारे अभियान, बहुत सारे प्रयास, आपको, आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे | ‘अमृत महोत्सव’ किसी सरकार का कार्यक्रम नहीं, किसी राजनीतिक दल का कार्यक्रम नहीं, यह कोटि-कोटि भारतवासियों का कार्यक्रम है | हर स्वतंत्र और कृतज्ञ भारतीय का अपने स्वतंत्रता सेनानियों को नमन है और इस महोत्सव की मूल भावना का विस्तार तो बहुत विशाल है - ये भावना है, अपने स्वाधीनता सेनानियों के मार्ग पर चलना, उनके सपनों का देश बनाना | जैसे, देश की आजादी के मतवाले, स्वतंत्रता के लिए एकजुट हो गए थे, वैसे ही, हमें, देश के विकास के लिए एकजुट होना है | हमें देश के लिए जीना है, देश के लिए काम करना है, और इसमें, छोटे- छोटे प्रयास भी बड़े नतीजे ला देते हैं | रोज के कामकाज करते हुए भी हम राष्ट्र निर्माण कर सकते हैं, जैसे, Vocal for Local | हमारे देश के स्थानीय उद्यमियों, आर्टिस्टों, शिल्पकारों, बुनकरों को support करना, हमारे सहज स्वभाव में होना चाहिए | 7 अगस्त को आने वाला National Handloom Day, एक ऐसा अवसर है जब हम प्रयास पूर्वक भी ये काम कर सकते हैं | National Handloom Day के साथ बहुत ऐतिहासि�� पृष्ठभूमि जुड़ी हुई है | इसी दिन, 1905 में, स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी |
साथियो, हमारे देश के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में, Handloom, कमाई का बहुत बड़ा साधन है | ये ऐसा क्षेत्र है जिससे लाखों महिलाएं, लाखों बुनकर, लाखों शिल्पी जुड़े हुए हैं | आपके छोटे-छोटे प्रयास, बुनकरों में एक नई उम्मीद जगाएँगे | आप, स्वयं कुछ-न-कुछ खरीदें, और अपनी बात दूसरों को भी बताएं, और, जब हम आज़ादी के 75 साल मना रहे हैं, तब तो, इतना करना हमारी ज़िम्मेवारी बनती ही है भाइयो | आपने देखा होगा, साल 2014 के बाद से ही ‘मन की बात’ में हम अक्सर खादी की बात करते हैं | ये आपका ही प्रयास है, कि, आज देश में खादी की बिक्री कई गुना बढ़ गई है | क्या कोई सोच सकता था कि खादी के किसी स्टोर से एक दिन में एक करोड़ रुपए से अधिक की बिक्री हो सकती है! लेकिन, आपने, ये भी कर दिखाया है | आप जब भी कहीं पर खादी का कुछ खरीदते हैं, तो इसका लाभ, हमारे गरीब बुनकर भाइयो- बहनों को ही होता है | इसलिए, खादी खरीदना एक तरह से जन-सेवा भी है, देश-सेवा भी है | मेरा आपसे आग्रह है कि आप सभी मेरे प्यारे भाइयो-बहनों ग्रामीण इलाकों में बन रहे Handloom Products जरूर खरीदें और उसे #MyHandloomMyPride के साथ शेयर करें |
साथियो, बात जब आज़ादी के आंदोलन और खादी की हो तो पूज्य बापू का स्मरण होना स्वाभाविक है – जैसे, बापू के नेतृत्व में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ चला था, वैसे ही, आज हर देशवासी को ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ का नेतृत्व करना है | ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपना काम ऐसे करें जो विविधताओं से हमारे भारत को जोड़ने में मददगार हो | तो आइए, हम ‘अमृत महोत्सव’ को, ये अमृत संकल्प लें, कि, देश ही हमारी सबसे बड़ी आस्था, सबसे बड़ी प्राथमिकता बना रहेगा | “Nation First, Always First”, के मंत्र के साथ ही हमें आगे बढ़ना है |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज, मैं, ‘मन की बात’ सुन रहे मेरे युवा साथियों का विशेष आभार व्यक्त करना चाहता हूँ | अभी कुछ दिन पहले ही, MyGov की ओर से ‘मन की बात’ के श्रोताओं को लेकर एक study की गई थी | इस study में ये देखा गया कि ‘मन की बात’ के लिए सन्देश और सुझाव भेजने वालों में प्रमुखत: कौन लोग हैं | Study के बाद ये जानकारी सामने आई कि संदेश और सुझाव भेजने वालों में से करीब-करीब 75 प्रतिशत लोग, 35 वर्ष की आयु से कम के होते हैं यानि भारत की युवा शक्ति के सुझाव ‘मन की बात’ को दिशा दे रहे हैं | मैं इसे बहुत अच्छे संकेत के रूप में देखता हूँ | ‘मन की बात’ एक ऐसा माध्यम है जहाँ सकारात्मकता है – संवेदनशीलता है | ‘मन की बात’ में हम positive बातें करते हैं, इसका Character collective है | सकारात्मक विचारों और सुझावों के लिए भारत के युवाओं की ये सक्रियता मुझे आनंदित करती है | मुझे इस बात की भी खुशी है कि ‘मन की बात’ के माध्यम से मुझे युवाओं के मन को भी जानने का अवसर मिलता है |
साथियो, आप लोगों से मिले सुझाव ही ‘मन की बात’ की असली ताकत हैं | आपके सुझाव ही ‘मन की बात’ के माध्यम से भारत की विविधता को प्रकट करते हैं, भारतवासियों के सेवा और त्याग की ख़ुशबू को चारों दिशाओं में फैलाते हैं, हमारे मेहनतकश युवाओं के innovation से सब को प्रेरित करते हैं | ‘मन की बात’ में आप कई तरह के Ideas भेजते हैं | हम सभी पर तो नहीं चर्चा कर पाते हैं, लेकिन उनमें से बहुत से Ideas को मैं सम्बंधित विभागों को जरुर भेजता हूँ ताकि उन पर आगे काम किया जा सके |
साथियो, में आपको साई प्रनीथ जी के प्रयासों के बारे में बताना चाहता हूँ | साई प्रनीथ जी, एक Software Engineer हैं, आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं | पिछले वर्ष उन्होंने देखा कि उनके यहाँ मौसम की मार की वजह से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था | मौसम विज्ञान में उनकी दिलचस्पी बरसों से थी | इसलिए उन्होंने अपनी दिलचस्पी और अपने talent को किसानों की भलाई के लिये इस्तेमाल करने का फैसला किया | अब वे अलग-अलग Data Sources से Weather Data खरीदते हैं, उसका विश्लेषण करते हैं और स्थानीय भाषा में अलग-अलग माध्यमों से किसानों के पास जरुरी जानकारी पहुंचाते हैं | Weather updates के अलावा, प्रनीथ जी, अलग-अलग Climate conditions में लोगों को क्या करना चाहिए, guidance भी देते हैं | खासकर बाढ़ से बचने के लिए या फिर तूफ़ान या बिजली गिरने पर कैसे बचा जाए, इस बारे में भी वो लोगों को बताते हैं |
साथियो, एक ओर इस नौजवान software engineer का यह प्रयास दिल को छूने वाला है तो दूसरी ओर हमारे एक साथी के द्वारा किया जा रहा technology का उपयोग भी आपको अचंभित कर देगा | ये साथी हैं ओडिशा के संबलपुर जिले के एक गाँव में रहने वाले श्रीमान् ईसाक मुंडा जी | ईसाक जी कभी एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे लेकिन अब वे एक internet sensation बन गए हैं | अपने YouTube Channel से वो काफ़ी रुपये कमा रहे हैं | वे अपने videos में स्थानीय व्यंजन, पारंपरिक खाना बनाने के तरीके, अपने गाँव, अपनी lifestyle, परिवार और खान-पान की आदतों को प्रमुखता से दिखाते हैं | एक YouTuber के रूप में उनकी यात्रा मार्च, 2020 में शुरू हुई थी, जब उन्होंने ओडिशा के मशहूर स्थानीय व्यंजन पखाल से जुड़ा एक video post किया था | तब से वे सैकड़ों video post कर चुके हैं | उनका यह प्रयास कई कारणों से सबसे अलग है | खासकर इसलिए कि इससे शहरों में रहने वाले लोगों को वो जीवनशैली देखने का अवसर मिलता है जिसके बारे में वे बहुत कुछ नहीं जानते | ईसाक मुंडा जी culture और cuisine दोनों को बराबर मिलाकर के celebrate कर रहे हैं और ��म सब को प्रेरणा भी दे रहे हैं |
साथियो, जब हम technology क�� चर्चा कर रहे हैं तो मैं एक और interesting विषय की चर्चा करना चाहता हूँ | आपने हाल-फिलहाल में पढ़ा होगा, देखा होगा कि IIT Madras के alumni द्वारा स्थापित एक start-up ने एक 3D printed house बनाया है | 3D printing करके घर का निर्माण, आखिर ये हुआ कैसे ? दरअसल इस start-up ने सबसे पहले 3D printer में एक, 3 Dimensional design को feed किया और फिर एक विशेष प्रकार के concrete के माध्यम से layer by layer एक 3D structure fabricate कर दिया | आपको यह जानकार खुशी होगी कि देशभर में इस प्रकार के कई प्रयोग हो रहे हैं | एक समय था जब छोटे-छोटे construction के काम में भी वर्षों लग जाते थे | लेकिन आज technology की वजह से भारत में स्थिति बदल रही है | कुछ समय पहले हमने दुनियाभर की ऐसी innovative companies को आमंत्रित करने के लिए एक Global Housing Technology Challenge launch किया था | ये देश में अपनी तरह का अलग तरह का अनोखा प्रयास है, इसलिए हमने इन्हें Light House Projects का नाम दिया | फिलहाल देश में 6 अलग-अलग जगहों पर Light House Projects पर तेजी से काम चल रहा है | इन Light House Projects में Modern Technology और Innovative तौर-तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है | इससे constructions का time कम हो जाता है | साथ ही, जो घर बनते हैं वो अधिक टिकाऊ, किफायती और आरामदायक होते हैं | मैंने हाल ही में drones के जरिए इन projects की समीक्षा भी की और कार्य की प्रगति को live देखा | इंदौर के project में Brick और Mortar Walls की जगह Pre-Fabricated Sandwich Panel System का इस्तेमाल किया जा रहा है | राजकोट में Light House, French Technology से बनाए जा रहे हैं, जिनमें Tunnel के जरिए Monolithic Concrete construction technology का इस्तेमाल हो रहा है | इस technology से बने घर आपदाओं का सामना करने में कहीं अधिक सक्षम होंगे | Chennai में, America और Finland की technologies, Pre-Cast Concrete System का उपयोग किया जा रहा है | इससे मकान जल्दी भी बनेंगे और लागत भी कम आएगी | Ranchi में Germany के 3D Construction System का प्रयोग करके घर बनाए जाएंगे | इसमें हर कमरे को अलग से बनाया जाएगा, फिर पूरे structure को उसी तरह जोड़ा जाएगा, जैसे block toys को जोड़ा जाता है | अगरतला में New Zealand की technology का उपयोग कर steel frame के साथ मकान बनाए जा रहे हैं, जो बड़े भूकंप को झेल सकते हैं | वहीं लखनऊ में Canada की technology का इस्तेमाल किया जा रहा है | इसमें plaster और paint की जरुरत नहीं होगी और तेजी से घर बनाने के लिए पहले से ही तैयार दीवारों का प्रयोग किया जाएगा |
साथियो, आज देश में ये प्रयास हो रहा है कि ये project Incubation Centres की तरह काम करें | इससे हमारे Planners, Architects, Engineers और Students नई technology को जान सकेंगे और उसका Experiment भी कर पायेंगे | मैं इन बातों को खास तौर पर अपने युवाओं के लिए सा��ा कर रहा हूँ ताकि हमारे युवा राष्ट्रहित में technology के नए-नए क्षेत्रों की ओर प्रोत्साहित हो सकें |
मेरे प्यारे देशवासियो, आपने अंग्रेजी की एक कहावत सुनी होगी – “To Learn is to Grow” यानि सीखना ही आगे बढ़ना है | जब हम कुछ नया सीखते हैं, तो हमारे लिए प्रगति के नए-नए रास्ते खुद-ब-खुद खुल जाते हैं | जब भी कहीं League से हटकर कुछ नया करने का प्रयास हुआ है, मानवता के लिए नए द्वार खुले हैं, एक नए युग का आरंभ हुआ है | और आपने देखा होगा जब कहीं कुछ नया होता है तो उसका परिणाम हर किसी को आश्चर्यचकित कर देता है | अब जैसे कि अगर मैं आपसे पूछूँ कि वो कौन से राज्य हैं, जिन्हें आप सेब, Apple के साथ जोडेंगे ? तो जाहिर है कि आपके मन में सबसे पहले हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड का नाम आएगा | पर अगर मैं कहूँ कि इस list में आप मणिपुर को भी जोड़ दीजिये तो शायद आप आश्चर्य से भर जाएंगे | कुछ नया करने के जज़्बे से भरे युवाओं ने मणिपुर में ये कारनामा कर दिखाया है | आजकल मणिपुर के उखरुल जिले में, सेब की खेती जोर पकड़ रही है | यहाँ के किसान अपने बागानों में सेब उगा रहे हैं | सेब उगाने के लिए इन लोगों ने बाकायदा हिमाचल जाकर training भी ली है | इन्हीं में से एक हैं टी एस रिंगफामी योंग (T.S. Ringphami Young) | ये पेशे से एक Aeronautical Engineer हैं | उन्होंने अपनी पत्नी श्रीमती टी.एस. एंजेल (T.S. Angel) के साथ मिलकर सेब की पैदावार की है | इसी तरह, अवुन्गशी शिमरे ऑगस्टीना (Avungshee Shimre Augasteena) ने भी अपने बागान में सेब का उत्पादन किया है | अवुन्गशी दिल्ली में job करती थीं | ये छोड़ कर वो अपने गाँव लौट गईं और सेब की खेती शुरू की | मणिपुर में आज ऐसे कई Apple Growers हैं, जिन्होंने कुछ अलग और नया करके दिखाया है |
साथियो, हमारे आदिवासी समुदाय में, बेर बहुत लोकप्रिय रहा है | आदिवासी समुदायोँ के लोग हमेशा से बेर की खेती करते रहे हैं | लेकिन COVID-19 महामारी के बाद इसकी खेती विशेष रूप से बढ़ती जा रही है | त्रिपुरा के उनाकोटी (Unakoti) के ऐसे ही 32 साल के मेरे युवा साथी हैं बिक्रमजीत चकमा | उन्होंने बेर की खेती की शुरुआत कर काफ़ी मुनाफ़ा भी कमाया है और अब वो लोगों को बेर की खेती करने के लिए प्रेरित भी कर रहे है | राज्य सरकार भी ऐसे लोगों की मदद के लिए आगे आई है | सरकार द्वारा इसके लिए कई विशेष nursery बनाई गई हैं ताकि बेर की खेती से जुड़े लोगों की माँग पूरी की जा सके | खेती में innovation हो रहे हैं तो खेती के by products में भी creativity देखने को मिल रही है |
साथियो, मुझे उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किए गए एक प्रयास के बारे में भी पता चला है | COVID के दौरान ही लखीमपुर खीरी में एक अनोखी पहल हुई है | वहाँ महिलाओं को केले के बेकार तनों से fibre बनाने की training देने का काम शुरू किया गया | Waste में से best करने का मार्ग | केले के तने को काटकर मशीन की मदद से banana fibre तैयार किया जाता है जो जूट या सन की तरह होता है | इस fibre से handbag, चटाई, दरी, कितनी ही चीजें बनाई जाती हैं | इससे एक तो फसल के कचरे का इस्तेमाल शुरू हो गया, वहीँ दूसरी तरफ गाँव में रहने वाली हमारी बहनों-बेटियों को आय का एक और साधन मिल गया | Banana fibre के इस काम से एक स्थानीय महिला को चार सौ से छह सौ रुपये प्रतिदिन की कमाई हो जाती है | लखीमपुर खीरी में सैकड़ों एकड़ जमीन पर केले की खेती होती है | केले की फसल के बाद आम तौर पर किसानों को इसके तने को फेंकने के लिए अलग से खर्च करना पड़ता था | अब उनके ये पैसे भी बच जाते है यानि आम के आम, गुठलियों के दाम ये कहावत यहाँ बिल्कुल सटीक बैठती है | साथियो, एक ओर banana fibre से products बनाये जा रहे हैं वहीँ दूसरी तरफ केले के आटे से डोसा और गुलाब जामुन जैसे स्वादिष्ट व्यंजन भी बन रहे हैं | कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ और दक्षिण कन्नड़ जिलों में महिलाएं यह अनूठा कार्य कर रही हैं | ये शुरुआत भी कोरोना काल में ही हुई है | इन महिलाओं ने न सिर्फ केले के आटे से डोसा, गुलाब जामुन जैसी चीजें बनाई बल्कि इनकी तस्वीरों को social media पर share भी किया है | जब ज्यादा लोगों को केले के आटे के बारे में पता चला तो उसकी demand भी बढ़ी और इन महिलाओं की आमदनी भी | लखीमपुर खीरी की तरह यहाँ भी इस innovative idea को महिलाएं ही lead कर रही हैं | साथियो, ऐसे उदाहरण जीवन में कुछ नया करने की प्रेरणा बन जाते हैं | आप के आस-पास भी ऐसे अनेक लोग होंगे | जब आपका परिवार मन की बातें कर रहा हो तो आप इन्हें भी अपनी गप-शप का हिस्सा बनाइये | कभी समय निकलकर बच्चों के साथ ऐसे प्रयासों को देखने भी जाइए और अवसर मिल जाये तो खुद भी ऐसा कुछ कर दिखाइए | और हाँ, यह सब आप मेरे साथ NamoApp या MyGov पर साझा करेंगे तो मुझे और अच्छा लगेगा | मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे संस्कृत ग्रंथों में एक श्लोक है – आत्मार्थम् जीव लोके अस्मिन्, को न जीवति मानवः | परम् परोपकारार्थम्, यो जीवति स जीवति ||
अर्थात् अपने लिए तो संसार में हर कोई जीता है | लेकिन वास्तव में वही व्यक्ति जीता है जो परोपकार के लिए जीता है | भारत माँ के बेटे-बेटियों के परोपकारिक प्रयासों की बातें – यही तो ‘मन की बात’ है | ��ज भी ऐसे ही कुछ और साथियों के बारे में हम बात करते हैं | एक साथी चंडीगढ़ शहर के हैं | चंडीगढ़ में, मैं भी, कुछ वर्षों तक रह चुका हूँ | यह बहुत खुशमिजाज और खुबसूरत शहर है | यहाँ रहने वाले लोग भी दिलदार हैं और हाँ, अगर आप खाने के शौक़ीन हो, तो यहाँ आपको और आनंद आएगा | इसी चंडीगढ़ के सेक्टर 29 में संजय राणा जी, Food Stall चलाते हैं और साईकिल पर छोले-भटूरे बेचते हैं | एक दिन उनकी बेटी रिद्धिमा और भतीजी रिया एक idea के साथ उनके पास आई | दोनों ने उनसे COVID Vaccine लगवाने वालों को free में छोले–भटूरे खिलाने को कहा | वे इसके लिए खुशी-खुशी तैयार हो गए, उन्होंने, तुरंत ये अच्छा और नेक प्रयास शुरू भी कर दिया | संजय राणा जी के छोले-भटूरे मुफ़्त में खाने के लिए आपको दिखाना पड़ेगा कि आपने उसी दिन vaccine लगवाई है | Vaccine का message दिखाते ही वे आपको स्वादिष्ट छोले–भटूरे दे देंगे | कहते हैं, समाज की भलाई के काम के लिए पैसे से ज्यादा, सेवा भाव, कर्तव्य भाव की ज्यादा आवश्यकता होती है | हमारे संजय भाई, इसी को सही साबित कर रहे हैं | साथियो, ऐसे ही एक और काम कि चर्चा आज करना चाहूँगा | ये काम हो रहा है तमिलनाडु के नीलगिरी में | वहाँ राधिका शास्त्री जी ने AmbuRx (एम्बुरेक्स) Project की शुरुआत की है | इस project का मकसद है, पहाड़ी इलाकों में मरीजों को इलाज के लिए आसान transport उपलब्ध कराना | राधिका कून्नूर में एक Cafe चलाती हैं | उन्होंने अपने Cafe के साथियों से AmbuRx के लिए fund जुटाया | नीलगिरी पहाड़ियों पर आज 6 AmbuRx सेवारत हैं और दूरदराज़ के हिस्सों में emergency के समय मरीजों के काम आ रही हैं | एम्बुरेक्स में Stretcher, Oxygen Cylinder, First Aid Box जैसी कई चीजों की व्यवस्था है |
साथियो, संजय जी हों या राधिका जी इनके उदाहरणों से पता चलता है कि हम अपना कार्य, अपना व्यवसाय, नौकरी करते-करते भी सेवा के कार्य कर सकते हैं |
साथियो, कुछ दिन पहले एक बहुत ही interesting और बहुत ही emotional event हुआ, जिससे भारत-जॉर्जिया मैत्री को नई मजबूती मिली | इस समारोह में भारत ने सेंट क्वीन केटेवान (Saint Queen Ketevan) के होली रेलिक (Holy Relic) यानि उनके पवित्र स्मृति चिन्ह जॉर्जिया की सरकार और वहाँ की जनता को सौंपा, इसके लिए हमारे विदेश मंत्री स्वयं वहाँ गए थे | बहुत ही भावुक माहौल में हुए इस समारोह में, जॉर्जिया के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अनेक धर्म गुरु, और बड़ी संख्या में जॉर्जिया के लोग, उपस्थित थे | इस कार्यकम में भारत की प्रशंसा में जो शब्द कहे गए, ��ो बहुत ही यादगार हैं | इस एक समारोह ने दोनों देशों के साथ ही, गोवा और जॉर्जिया के बीच के संबंधों को भी और प्रगाढ़ कर दिया है | ऐसा इसलिए, क्योंकि सेंट क्वीन केटेवान (Saint Queen Ketevan) के ये पवित्र अवशेष 2005 में गोवा के Saint Augustine Church से मिले थे |
साथियो, आपके मन में सवाल होगा कि ये सब क्या है, ये कब और कैसे हुआ ? दरअसल, ये आज से चार सौ- पांच सौ साल पहले की बात है | क्वीन केटेवान जॉर्जिया के राजपरिवार की बेटी थीं | दस साल के कारावास के बाद 1624 में वो शहीद हो गई थीं | एक प्राचीन पुर्तगाली दस्तावेज के मुताबिक Saint Queen Ketevan की अस्थियों को Old Goa के Saint Augustine Convent में रखा गया था | लेकिन, लंबे समय तक यह माना जाता रहा कि गोवा में दफनाए गए उनके अवशेष 1930 के भूकंप में गायब हो गए थे |
भारत सरकार और जॉर्जिया के इतिहासकारों, Researchers, Archaeologists और जॉर्जियन चर्च के दशकों के अथक प्रयासों के बाद 2005 में उन पवित्र अवशेषों को खोजने में सफलता मिली थी | यह विषय जॉर्जिया के लोगों के लिए बहुत ही भावनात्मक है | इसीलिए उनके Historical, Religious और Spiritual sentiments को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने इन अवशेषों का एक अंश जॉर्जिया के लोगों को भेंट में देने का निर्णय लिया | भारत और जॉर्जिया के साझे इतिहास के इस अनूठे पक्ष को संजोए रखने के लिए मैं आज गोवा के लोगों को हृदय से धन्यवाद देना चाहूँगा | गोवा कई महान आध्यात्मिक धरोहरों की भूमि रही है | Saint Augustine Church, UNESCO की World Heritage Site – Churches and Convents of Goa का एक हिस्सा है |
मेरे प्यारे देशवासियो, जॉर्जिया से अब मैं आपको सीधे सिंगापुर लेकर चलता हूँ, जहाँ इस महीने की शुरुआत में एक और गौरवशाली अवसर सामने आया | सिंगापुर के प्रधानमंत्री और मेरे मित्र, ली सेन लुंग (Lee Hsien Loong) ने हाल ही में Renovate किए गए सिलाट रोड गुरुद्वारा का उद्घाटन किया | उन्होंने पारंपरिक सिख पगड़ी भी पहनी थी | यह गुरुद्वारा लगभग सौ साल पहले बना था और यहाँ भाई महाराज सिंह को समर्पित एक स्मारक भी है | भाई महाराज सिंह जी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी थी और ये पल आज़ादी के 75 साल मना रहे हैं तब और अधिक प्रेरक बन जाता है | दो देशों के बीच, People to People Connect, उसे, मजबूती, ऐसी ही बातों, ऐसे ही प्रयासों से, मिलती है | इनसे यह भी पता चलता है कि सौहार्दपूर्ण माहौल में रहने और एक-दूसरे की संस्कृति को समझने का कितना महत्व है |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज ‘मन की बात’ में हमने अनेक विषयों की चर्चा की | एक और विषय है जो मेरे दिल के बहुत करीब है | ये विषय है, जल संरक्षण का | मेरा बचपन जहाँ गुजरा, वहाँ पानी की हमेशा से किल्लत ��हती थी | हम लोग बारिश के लिए तरसते थे और इसलिए पानी की एक-एक बूँद बचाना हमारे संस्कारों का हिस्सा रहा है | अब “जन भागीदारी से जल संरक्षण” इस मंत्र ने वहाँ की तस्वीर बदल दी है | पानी की एक-एक बूँद को बचाना, पानी की किसी भी प्रकार की बर्बादी को रोकना यह हमारी जीवन शैली का एक सहज हिस्सा बन जाना चाहिए | हमारे परिवारों की ऐसी परंपरा बन जानी चाहिए, जिससे हर एक सदस्य को गर्व हो |
साथियो, प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा भारत के सांस्कृतिक जीवन में, हमारे दैनिक जीवन में, रचा बसा हुआ है | वहीं, बारिश और मानसून हमेशा से हमारे विचारों, हमारी philosophy और हमारी सभ्यता को आकार देते आए हैं | ऋतुसंहार और मेघदूत में महाकवि कालिदास ने वर्षा को लेकर बहुत ही सुंदर वर्णन किया है | साहित्य प्रेमियों के बीच ये कवितायें आज भी बेहद लोकप्रिय हैं | ऋग्वेद के पर्जन्य सुक्तम में भी वर्षा के सौन्दर्य का खूबसूरती से वर्णन है | इसी तरह, श्रीमद् भागवत में भी काव्यात्मक रूप से पृथ्वी, सूर्य और वर्षा के बीच के संबंधों को विस्तार दिया गया है |
अष्टौ मासान् निपीतं यद्, भूम्याः च, ओद-मयम् वसु |
स्वगोभिः मोक्तुम् आरेभे, पर्जन्यः काल आगते ||
अर्थात- सूर्य ने आठ महीने तक जल के रूप में पृथ्वी की संपदा का दोहन किया था, अब मानसून के मौसम में, सूर्य, इस संचित संपदा को पृथ्वी को वापिस लौटा रहा है | वाकई, मानसून और बारिश का मौसम सिर्फ खूबसूरत और सुहाना ही नहीं होता बल्कि यह पोषण देने वाला, जीवन देने वाला भी होता है | वर्षा का पानी जो हमें मिल रहा है वो हमारी भावी पीढ़ियों के लिए है, ये हमें कभी भूलना नहीं चाहिए |
आज मेरे मन में ये विचार आया कि क्यों न इन रोचक सन्दर्भों के साथ ही मैं अपनी बात समाप्त करूँ | आप सभी को आने वाले पर्वों की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | पर्व और उत्सवों के समय, ये जरुर याद रखिएगा कि कोरोना अभी हमारे बीच से गया नहीं है | कोरोना से जुड़े protocols आपको भूलने नहीं है | आप स्वस्थ और प्रसन्न रहें|
बहुत-बहुत धन्यवाद!
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भारत अपने 74 वें गणतंत्र दिवस का जश्न मनाने के लिए
राफेल जेट और Su-30 MKI लड़ाकू विमानों द्वारा युद्धाभ्यास के साथ IAF का प्रदर्शन नौसेना के विमान और सेना के हेलीकॉप्टर उड़ान योजना को पूरा करते हैं मोटरसाइकिल स्टंट, बैंड, मार्चिंग टुकड़ियों ने भीड़ का मनोरंजन किया वीआईपी निमंत्रण में कटौती के साथ बैठने की क्षमता लगभग 45,000 तक कम हो गई।
भारत की कहानी:
(बाएं से दक्षिणावर्त) नरम शक्ति, सैन्य शक्ति और महिला नेतृत्व का प्रदर्शन तब हुआ जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस समारोह में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी का स्वागत किया; लेफ्टिनेंट कमांडर। दिशा अमृत ने नौसेना दल का नेतृत्व किया; ऊंट पर सवार बीएसएफ दल में महिला कर्मी; गर्वित सीआरपीएफ महिलाएं; और स्वदेशी नेत्रा एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम और एक राफेल के साथ आकाश में एक संगीत कार्यक्रम।
जैसे ही भारत अपने 74 वें गणतंत्र दिवस का जश्न मनाने के लिए जागा, गुरुवार को गणतंत्र दिवस की परेड देखने के लिए हजारों लोग नई दिल्ली में नए पुनर्निर्मित और नए नाम वाले कर्तव्य पथ पर आए।
इस परेड में हर किसी के लिए हमेशा कुछ न कुछ होता है, इस साल की सभा, पुरुषों और महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों, छात्रों और कामकाजी पेशेवरों, और विक्रेताओं और दैनिक ग्रामीणों के मिश्रण को निराश नहीं किया।
जबकि परेड ने अधिकांश आगंतुकों के लिए मोटरसाइकिल स्टंट, विभिन्न बैंड और मार्चिंग दल, झांकी और सांस्कृतिक प्रदर्शन सहित कई आकर्षण पेश किए, यह भव्य कार्यक्रम को लाइव देखने का अनुभव था जो यादगार था। वशिष्ठ सिंह, 90, रांची के एक सेवानिवृत्त सहायक अभियंता, जिन्होंने सालों तक टीवी पर परेड देखी थी, ने कहा कि पहली बार कर्तव्य पथ पर बैठकर इसका अनुभव करना 'अवास्तविक' लगा।
उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा से इसका अनुभव करना चाहता था, गणतंत्र दिवस परेड से बहुत सारी यादें जुड़ी हुई हैं।'
बादल मूंदना
हालांकि परेड 1.30 बजे शुरू हुई। एम। , लोगों ने पहली रोशनी से पहले ही आना शुरू कर दिया था क्योंकि वे सबसे अच्छी सीटें हड़पना चाहते थे। एक विशेष घटना जिसके बारे में वे उत्साहित थे, वह थी भारतीय वायु सेना के 45 विमानों, भारतीय नौसेना का एक और भारतीय सेना के चार हेलीकाप्टरों द्वारा फ्लाई पास्ट।
हालांकि, भीड़ निराश हो गई क्योंकि वे राफेल, मिग-29 और सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों द्वारा कर्तव्य पथ के ऊपर आकाश में विभिन्न युद्धाभ्यास नहीं देख पाए।
गाजियाबाद की रहने वाली 36 साल की विभा राफेल लड़ाकू विमानों को देखकर काफी उत्साहित थीं. 'हमने इसके बारे में केवल समाचारों में सुना है। मेरे बच्चे फाइटर जेट्स को देखने के लिए वास्तव में उत्साहित थे, लेकिन मौसम की स्थिति के कारण हम नहीं कर सके,' उसने कहा। देहरादून में राष्ट्रीय मिलिट्री कॉलेज के दो छात्रों, तेलुरी सृजन, 16, और सुनंद कुमार, 17, दोनों आंध्र प्रदेश के निवासी हैं, ने कहा कि मार्चिंग दल उनके लिए मुख्य आकर्षण थे।
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प्याज का भाव | मंडी रेट
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हमारे देश में सबसे अधिक प्याज करनें के मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे है | महाराष्ट्र में प्याज की बुवाई लगभग 5.08 लाख हेक्टेयर में की जाती है। सबसे खास बात यह है, कि यहाँ तीन मौसम में प्याज की फसल ली जाती है। महाराष्ट्र के अलावा प्याज की पैदावार करने वाले राज्यों में मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात, बिहार और कर्नाटक शामिल है|
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