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अहंकार: परिवार और जीवन पर इसके विनाशकारी प्रभाव
आपको और आपके परिवार को कैसे तोड़ता है : अहंकार
सूचना प्रौद्धयोगिकी का समय है, तेज रफ्तार जीवनशैली, संसार में तेजी से हो रहे बदलाव, सबकुछ इतनी तेजी से बदल रहा है, तो इन सबका प्रभाव भी स्वाभाविक रूप से मनुष्य के जीवन पर भी पड़ ही रहा है, या फिर यह कहें कि बहुत हद तक कुप्रभाव पड़ रहा है, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । इससे साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति स्वभाव से अहंकारी हो तो और भी मुश्किल है !
मित्रो ! असल बात तो यह है, कि अधिकतम लोग किताबों में, अपने सामान्य अध्ययन में, अपनी शिक्षा के समय, बहुत हद तक गूगल, इंटरनेट आदि के माध्यम से अर्थात डिजिटल माध्यम से मनुष्य जानकारियाँ एवं सूचनाएं बड़े पैमाने पर प्राप्त कर रहा है । व्यक्ति के पास जानकारियों का अंबार लगा हुआ है । गहराई में जाएंगे तो समझ में आएगा, कि यह भी मनुष्य के अभिमान बढ़ाने का बहुत बड़ा कारण बनता जा रहा है , इससे आगे देखेंगे तो समझ में आएगा लोग इन्हीं सब जानकारियों को ज्ञान अपना समझ लेते हैं । उनको सबकुछ पता है, जानकारी है, मैं सबकुछ जानता हूँ, मैं परम ज्ञानी हूँ, ऐसे ही वहम से आज दुनियाँ ग्रसित होती जा है । न किसी के प्रति आत्मानुभूति है, न ही मनुष्य अपने कर्म और विचार को विवेक की तुला पर तोलने का श्रम कर पाता है, बस लकीर के फकीर बनने की प्रतिस्पर्धा में दुनियाँ अवसाद के मायाजाल में फंसी जा रही है । नई पीड़ी का तो बुरा हाल है, उनमें संवेदनाओं का अभाव, लोक व्यवहार की कमी, सामाजिक सद्भाव का अभाव, एक दूसरे के साथ सामंजस्य बैठाने का धैर्य कहाँ बचा है । बस भाग रहे हैं, दुनियाँ की इस अंधी दौड़ में, लक्ष्य विहीन, सुविधाओं और विकास की अंतहीन दौड़ में !
जानकारी, सूचनाओं, अनुभवों, ज्ञान का अभिमान आदमी को तोड़े दे रहा है, क्योंकि जीवन में सामंजस्य बैठाने का लोगों के लिए आपके पास समय नहीं है, न किसी में सहन करने की शक्ति शेष है । कंटेन्ट और डेटा के युग में लोगों की स्मरण शक्ति लोप होती जा रही है, अतः भावनात्मक शून्यता की ओर यह युग बढ़ता जा रहा है । इन सभी परिस्तिथियों का दुष्प्रभाव समाज पर तो जो पड़ रहा है, पड़ ही रहा है, उससे भी कहीं ज्यादा स्वयं मनुष्य के जीवन पर भी इन सबका बहुत अधिक दुष्प्रभाव पड़ रहा है । इसलिए आज युवावस्था में ही युवक युवतियाँ मानसिक अवसाद से, अनसुने दबाव से, भय और असुरक्षा की भावना से ग्रसित होते जा रहे हैं । वैश्विक स्तर पर बढ़ती आत्महत्याएं, मानसिक अवसादों के जद आता मानव जीवन, जिसके परिणामतः कोई क्रूर होता जा रहा है तो कोई अलगाव की ओर बढ़ रहा है । इन सबका जन्मदाता आपका अहंकार ह�� तो है, क्योंकि आपका अहंकार, आपको किसी को स्वीकार करने नहीं देता, आप किसी का मान-सम्मान करना नहीं चाहते और न किसी को अपने जीवन में स्थान देना चाहते ।
जब से भारत में एकाँकी परिवार का प्रचलन चला है, तभी से देखने में आया है, कि लोग स्वयं केंद्रित होते जा रहे हैं, इसलिए उनके हृदय भी छोटे हो रहे हैं । संकुचन के कारण उनके मन और हृदय में मलीनता बढ़ती जा रही है और उनका अहंकार उफान मारता जा रहा है । इन सभी परिस्थितियों के कुप्रभाव मनुष्य जीवन पर साफ दिखाई दे रहे हैं । इसकी पीड़ा भी स्वयं मनुष्य को ही होती है, आपका अहंकार आपको ही तोड़ता है। यह एक बहुत ही गंभीर और अदृश्य(स्वयं के लिए) बीमारी है । आपने समय रहते इसे नहीं पहचाना तो आपका जीवन जीते जी नरक के ही समान है, समाज में आपके अपयश का कारण भी अहंकार ही है । क्योंकि यह जब आपके व्यवहार और व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाएगी तो आपको अंदर से तो तोड़ेगी ही, यह आपको समाज से भी तोड़ देगी, और एक दिन ऐसा आएगा जब यह आपको आपके परिवार से भी तोड़ देगी, आपको आपके अपनों से भी तोड़ देगी । तब आप जीवन के उत्तरार्ध में होंगे, जब आपको अपने अपनों की सबसे ज्यादा जरूरत होगी, तब आप अकेले खड़े होंगे । इसलिए अहंकार मुक्त जीवन को स्वीकार करें ।
अब आते हैं, आपके पारिवारिक रिश्तों की ओर विशेष तौर पर आपके दाम्पत्य जीवन की ओर दृष्टि डालें तो समझ आएगा, कि वैवाहिक संबंध विच्छेदन का बहुत बड़ा, या ऐसे कहें कि प्रमुख कारण ही EGO है, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी । सामाजिक रूप से स्वीकारोक्ति के उपरांत भी, भविष्य में आजन्म साथ चलने के संकल्प करने के बाद भी, अधिकतम दम्पत्ति एक दूसरे के प्रति समर्पित भाव से नहीं रह पाते, एक दूसरे के स्वभाव, अपनी अच्छी-बुरी आदतें, रहन-सहन और व्यवहार की आदतें आदि विपरीत होने पर सामंजस्य की वृति का अभाव है, क्योंकि प्रेम और समर्पण का आभाव है । पारिवारिक एवं सामाजिक रूप से स्वीकार करने उपरांत भी साथी से थोड़ी सी भी प्रतिकूलता हुई तो मनुष्य सहन नहीं करना चाहता । यहीं से मामला प्रारंभ होता है, जिंदगी वार देने का दावा करने वाले, एक दिन एक दूसरे का साथ तो छोड़िए, एक दूसरे का चेहरा तक देखना नहीं चाहते और बाद अलगाव तक चली जाती है । क्या है ? यह सब .. यही है अहंकार का दंश !
जब व्यक्ति का समय आगे बढ़ता है, उसको उसके जीवन के आगामी अनुभव और संयोग से उसके विवेक जागृत होने के उपरांत उसे समझ आता है ? अरे .. ! छोटी सी ही तो बात थी, थोड़ा गुस्सा और मेरी परिस्थिति व सामने का न झुकना, यही तो था, मैं इसे नजरंदाज कर देता तो मेरी जिंदगी में भूचाल न ��या होता आदि आदि । यह तो तय है, सभी के विचार, स्वभाव, जीवन दृष्टि एक जैसी नहीं हो सकती तो एक दूसरे के अनुकूल व्यवहार की अपेक्षा ही बेमानी है । किन्तु फिर भी हम करते हैं, और इसका भारी खामियाजा भी भुगतते हैं । इसलिए किसी भी संबंध में, न केवल पति-पत्नी अपितु हर प्रकार के संबंध में हम प्रेम, समर्पण, दैन्यता का ��ाव रखेंगे और कुछ विषयों/ बातों को समय छोड़ने के स्वभाव, अनदेखी, सहनशीलता, धैर्य और सामंजस्य बैठाने का उपक्रम करेंगे तो न कोई विवाद होगा और न ही मतभेद होंगे और न ही कोई बाहरी आपके मध्य कुछ गलत कर सकेगा । आपसी प्रतिबद्धता ही आपके संबंधों को मधुर रखने के लिए पर्याप्त है । यह संसार के संबंध हैं । इनका अनुसरण सांसारिक भाव से करने के साथ-साथ, विरक्त भाव से व्यवहार में लाएंगे, सामने वाले को अपने जीवन में जितना स्थान देंगे । सामने वाले को जितना स्वीकार करेंगे, उनका व उनकी प्राथमिकताओं का जितना ख्याल रखेंगे । सामने वाले के अच्छे कार्यों, अच्छी आदतों, उनके रूप और योग्यता की मुखर रूप से प्रशंसा करेंगे तो संबंध विच्छेदन कभी होगा ही नहीं । आपके संबंधों में मधुरता रहेगी, आप मिलकर जीवन को भी आगे बढ़ाएंगे, अपनी संतान को भी मजबूती से जीवन दे सकेंगे । यही संसार आपको एक सुंदर उपवन, स्वर्ग के समान प्रतीत होगा । आपको जीवन जीने में सुखद अनुभूति भी होगी और एक उद्देश्य परक जीवन जीने का सौभाग्य प्राप्त कर सकेंगे, मात्र एक “अहंकार” जैसे दुर्गुण को त्यागने के उपरांत एक सुंदर और सार्थक जीवन आपकी प्रतीक्षा कर रहा है, उसका आलिंगन करें ।
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अहंकार
सौजन्य गूगल बस इतनी सी बात समंदर को बेचैन कर गई एक मामूली कागज की नाव मुझे तैर कर निकल गई । मेरे आगोश में बड़े बड़े जहाज डूब जाते हैं हीरे मोती जवाहरात मेरे आगोश में समा जाते है वहां एक मामूली सी कागज की नाव तैर कर पार निकल जाती है ।।
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कुंडलिनी योग के लिए दूरदर्शन फिल्म व सिनेमा मूवी देखना जरूरी है
दोस्तों, इंद्रियों के भ्रम को हम एक और उदाहरण से समझ सकते हैं। जब हम दूर रखे टेलीविजन की आवाज ब्लूटूथ इयरबड्स से सुनते हैं, तो हमें लगता है कि वह आवाज टेलीविजन में पैदा हो रही है, जबकि वह हमारे कानों में पैदा हो रही होती है। हम टेलीविजन के जिस दृष्य के प्रति जितना ज्यादा आसक्त होते हैं, वह दृष्य हमें उतना ही ज्यादा टेलीविजन के अंदर महसूस करते हैं। जब हम अनासक्त होकर देखने लगते हैं या ऊब जाते हैं,…
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मनुष्य क्यों करता है पाप
मनुष्य कई बार पाप करता है क्योंकि वह अपने अहंकार, लालच, और अज्ञान में उलझा होता है। अहंकार उसे अपने स्वार्थ को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित करता है, जबकि लालच उसे अन्य लोगों की संपत्ति, स्थिति या सत्ता पर आक्रामक बनाता है। अज्ञान उसे सही और गलत के बीच अंतर को समझने से वंचित करता है,
For more details visit - गीता के श्लोकों को सरल भाषा में समझाने का प्रयास करते हैं। Geeta gyan - Geeta param rahasyam ये श्लोक गीता के महत्वपूर्ण भाग हैं जो मार्गदर्शन के रूप में सेवन किए जा सकते हैं।
जिससे वह गलत कर्मों में प्रवृत्त हो जाता है। इन गुणों के प्रभाव से, मनुष्य अधर्मिक और हानिकारक क्रियाओं की ओर खिंचा जाता है, जो उसके और दूसरों के लिए क्षति का कारण बनते हैं। समाज में उचित दिशा में बदलाव लाने के लिए, हमें इन अधार्मिक गुणों को अपने जीवन से निकालने का प्रयास करना चाहिए।
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#GodMorningSunday जगत_उद्धारक_संत_रामपालजीउल्टी-सीधी बोली#हंसी-मजाक#खेल-कूद#अहंकार#माया और स्त्री-संग ये सब संतों के काम नहीं हैं#इन
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🇨🇳 2️⃣1️⃣ 21 Chino - 中文 - Chinese 要求#孩子們 沒有缺陷,成為#完美 的的人性是 #自大 和不公正 🇭🇺 2️⃣2️⃣ 22 Húngaro - magyar - Hungarian arrogância és igazságtalanság a #gyerekektől azt követelni, hogy #mentesek legyenek a hibáktól és legyenek az emberiség #tökéletessége 🇮🇸 2️⃣3️⃣ 23 Islandés - íslenska - Icelandic Að krefjast #börn um að vera laus við galla og vera #fullkomnun mannkyns er #hroki og óréttlæti 🇮🇳 2️⃣4️⃣ 24 Hindú - हिन्दी - Hindi #बच्चों को दोषों से मुक्त और मानवता की #पूर्ण होने की मांग करना #अहंकार और अन्याय है 🇮🇩 2️⃣5️⃣ 25 Indonesio - bahasa Indonesia - Indonesian menuntut #anak agar bebas dari cacat dan menjadi #kesempurnaan kemanusiaan adalah #kesombongan dan ketidakadilan 🇮🇱 2️⃣6️⃣ 26 Hebreo - עִבְרִית, Ivrit - Hebrew לדרוש #ילדים להשתחרר מפגמים ולהיות #שלמות האנושות היא #יהירות וחוסר צדקת 🇮🇹 2️⃣7️⃣ 27 Italiano - italiano - Italian pretendere che i #bambini siano liberi da difetti e che siano la #perfezione dell'umanità è #arroganza e ingiustizia 🇯🇵 2️⃣8️⃣ 28 Japones - 日本語, Nihongo - Japanese #子供たち に欠陥がなく、#完全 な人類であることを要求するのは #傲慢 であり不正です 🇰🇿 2️⃣9️⃣ 29 Kazajo - қазақ - Kazakh #Балалардан кемшіліктен ада болуды,адамзаттың #кемелдігі болуды талап ету #менмендік пен әділетсіздік 🇰🇪 🇹🇿 🇺🇬 3️⃣0️⃣ 30 Suajili - Kiswahili - Swahili kuwataka #watoto wasiwe na kasoro na wawe #ukamilifu wa ubinadamu ni #kiburi na dhuluma. (en Tutonchany, Evenkiyskiy Avtonomnyy Okrug, Russia) https://www.instagram.com/p/CossVZQPeQA/?igshid=NGJjMDIxMWI=
#孩子們#完美#自大#gyerekektől#mentesek#tökéletessége#börn#fullkomnun#hroki#बच्चों#पूर्ण#अहंकार#anak#kesempurnaan#kesombongan#ילדים#שלמות#יהירות#bambini#perfezione#arroganza#子供たち#完全#傲慢#балалардан#кемелдігі#менмендік#watoto#ukamilifu#kiburi
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#जाति_मनुष्यकी_अशांति_का_कारणcasteism hinduism atheismजाति#कुल#धन सम्पत्ति का अहंकार त्यागकर नम्रता और आधीनी के साथ प्रभु भक्ति करने
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#जाति_मनुष्यकी_अशांति_का_कारणLiving Being Is Our Race#🌿जाति#कुल#धन सम्पत्ति का अहंकार त्यागकर नम्रता और आधीनी के साथ प्रभु भक्ति करने से ही परमात्मा प्रसन्न ह#🌾🌾🌾🧚
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#GodMorningFridayबाख़बर का संदेश!यदि हलाल करने का शौक है तो अपने काम#क्रोध#लोभ#मोह#अहंकार आदि बुराइयों को हलाल कर#खत्म कर। अल्लाह के
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#व्रत_कैसे_करें
आइए इन नवरात्रों पर अन्न का त्याग करने की बजाए क्रोध और अहंकार का त्याग करें।
पवित्र गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में व्रत रखने को मना किया गया है।
👉अधिक जानकारी के लिए पढ़ें पवित्र पुस्तक ,,ज्ञान गग��,,
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अहंकार
इंसान है जीता हुआ फिर मौन क्यों मुर्दा हुआ हर कोई जुल्म का हिस्सेदार ना बन इंसानियत के हैवानियत का किरदार ना बन । तुम तुम्हारी दौलत शोहरत का गुरूर है जिंदगी आज है कल नहीं होगी जरूर है एक हिचकी की हैसियत तेरी सांस टूटते ही ना कोई वजूद की शोहरत तेरी फिर क्यों इतना अहंकार अपने आप से चंद सांसों की हैसियत जनाब की ।। फिर सब कुछ यहीं रह जायेगी दौलत तेरी ।
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कुंडलिनी तंत्र ही अहंकार से बचा कर रखता है
दोस्तों, जागृति के बाद आदमी की बुद्धि का नाश सा हो जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बुद्धि अहंकार से पैदा होती है। पर जागृति के तुरंत बाद अहंकार खत्म सा हो जाता है। आदमी में हर समय एक समान प्रकाश सा छाया रहता है। नींद की बात नहीं कर रहा। नींद में तो सब को अंधेरा ही महसूस होता है, पर फिर भी जागते हुए एक जैसा प्रकाश रहने के कारण नींद का अंधेरा भी नहीं अखरता। वह भी आनंददायक सा हो जाता है। अहंकार अंधेरे का…
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कौन है मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन
मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन उसका अपना अहंकार और अज्ञान होता है। अहंकार उसे अन्य लोगों के साथ सहयोग करने से रोकता है और उसकी सोच को अपने स्वार्थ में बाधित करता है। अज्ञान उसे समझने और सहयोग करने की शक्ति से वंचित रखता है, जिससे वह दूसरों के साथ सहयोग करने के अवसरों को खो देता है।
For more details visit - गीता के श्लोकों को सरल भाषा में समझाने का प्रयास करते हैं। Geeta gyan - Geeta param rahasyam ये श्लोक गीता के महत्वपूर्ण भाग हैं जो मार्गदर्शन के रूप में सेवन किए जा सकते हैं।
इन दोनों के अत्यधिक प्रयोग से, मनुष्य खुद को अलग और दूर महसूस करता है, जिससे समाज में दूरी और विभाजन का संदेश मिलता है। इसलिए, समाज के लिए और अपने स्वयं के लिए, हमें अपने अहंकार और अज्ञान को पराजित करने का प्रयास करना चाहिए।
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#GodMorningSunday जगत_उद्धारक_संत_रामपालजीउल्टी-सीधी बोली#हंसी-मजाक#खेल-कूद#अहंकार#माया और स्त्री-संग ये सब संतों के काम नहीं हैं#इन
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श्री राम ने तोड़ दिया हनुमान जी का अहंकार
पवनपुत्र हनुमान भगवान राम के सबसे बड़े भक्त हैं। श्रीराम ने हनुमान जी को अनादिकाल तक पृथ्वी पर रहने का आदेश दिया था और हनुमानी जी भगवान राम के कथानुसार आज भी संसार में विचरण करते हैं। माता सीता ने हनुमान जी को कभी बूढ़ा ना होने और कभी न मरने का वरदान देकर अजर-अमर बना दिया है। जिस बजह से हनुमान जी हमेशा एक ही अवस्था में रहते हैं।
आनंदरामायण में एक जिक्र आता है कि एक बार हनुमान जी को अपनी वीरता और श्रीराम भक्ति पर घमंड हो गया था और श्री राम ने तोड़ दिया हनुमान जी का अहंकार क्योंकि भगवान राम हनुमान जी को अपना सबसे बड़ा भक्त मानते थे और भगवान ने उनका घमंड तोड़कर उन्हे एक शिक्षा दी की कभी घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि घमंड केवल टूटने के लिए ��ोता है।
आनंद रामायण की कथा के अनुसार जब श्री राम श्रीलंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र पर पुल बंधवा रहे थे, उस वक्त श्रीराम ने सभी वानरों से कहा कि मैं सागर के संगम पर शिवलिंग स्थापित करूंगा। और हनुमान जी से कहा कि तुम काशी जाकर शिवलिंग ले आओ। और काशी पहुंचकर हनुमान जी ने भगवान शिव को प्रणाम करते हुए राम कार्य के बारे में बताया। भगवान शंकर ने भी प्रसन्नता पूर्वक पवनपुत्र को दो उत्तम शिवलिंग दे दिए। इसके बाद बजरंगबली आकाश मार्ग से श्रीराम के पास चल दिए। उस समय वीर हनुमान जी के मन में कुछ अभिमान उत्पन्न हो गया। उन्हें लगा कि मैंने तो शिव से दो लिंग प्राप्त कर लिए अब राम जी का कार्य निश्चय पूरा हो ही जाएगा। और श्रीराम को इस बात का ज्ञान हो गया कि हनुमान को अभिमान हो गया है तो श्रीराम ने रेत का ही शिवलिंग बनाकर उसकी स्थापना कर दी। ये देखते ही हनुमान जी के मन में क्रोध उत्पन्न हो गया। और हनुमान जी ने दी श्री राम को चुनौती वे श्रीराम के पास जा पहुंचे और गुस्से से बोले कि मैं इतनी दूर जाकर आपके लिए शिवलिंग लाया हूं और आपने मेरे आने से पूर्व ही रेत का शिवलिंग स्थापित कर दिया। आप ही बताइये मैं इस शिवलिंग का क्या करूं। तो भगवान राम ने कहा कि अगर तुम मेरे द्वारा स्थापित शिवलिंग को उखाड़ दो तो मैं तुम्हारे द्वारा लाए गए शिवलिंग को स्थापित कर दूंगा। फिर हनुमान जी ने अपनी पूंछ से उस शिवलिंग को उखाड़ने का बहुत प्रयास किया लेकिन इस बीच उनकी पूछ ही टूट गई और वह मूर्छित हो गए फिर हनुमान जी को समझ आया तो हनुमान जी ने भगवान राम से क्षमा मांगी और अपने अहंकार का त्याग किया।
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