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महाबलेश्वर शिवलिंग सभी लिंगों का स्वामी माना जाता है। भोलेनाथ इस मन्दिर के नीचे तपस्या करते हैं और हर दिन इस मन्दिर का शिवलिंग थोड़ा-थोड़ा बढ़ता रहता है। इस शिवलिंग को भोलनाथ का आत्मलिंग भी कहा जाता है।
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पार्वती देवी ने तपस्या कर शंकर को प्रसन्न किया और जल्द ही माँ पार्वती और भोलेशंकर का विवाह भी धूम धाम से हो गया। लेकिन एक दिन त्रिकालदर्शी भगवान शिव ने माँ पार्वती का मजाक उड़ाते हुए उन्हें काली कह दिया और कहा कि तुम अपने इस काले रंग की वजह से मेरे कर्पूर जैसे गोरे शरीर के पास आने लायक नहीं हो। इस बात से शिव पार्वती का झगड़ा हो गया।
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महाभारत में करोड़ो सैनिकों और योद्धाओं ने भाग लिया था और सभी एक दूसरे को मारने के लिए तत्पर थे वहीं भगवान शिव ने अपना कार्य भी शुरु कर दिया था। सृष्टि के आदि से ही भोलेनाथ को संहार का कार्य सौंपा गया था, तो भगवान शिव ने अपने कार्य को अंजाम दिया और कौरव पाण्डव पक्ष के वीरों का वध शिव जी ने किया।
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सबसे बड़ा धनुर्धर कौन था यह बता पाना बहुत गंभीर है,सनातन धर्म में धनुर्धरों का एक अपना अलग ही इतिहास रहा है। एक बाण मात्र से सृष्टि का विनाश कर देने वाले अनेक धनुर्धर इस पृथ्वी पर हुए हैं और उनमें से किसी को श्रेष्ठ कह पाना बड़ा मुश्किल है लेकिन उनकी युद्ध कुशलता के अनुसार उनको इस तरह से बांटा गया ��ै।
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हनुमान ने जलाई लंका दरअसल महाबली हनुमान ने माता सीता की खोज में लंका पहुंचकर सम्पूर्ण लंका को जलाकर भस्म कर दिया लेकिन लंका में हनुमान जी ने दो स्थानों को नहीं जलाया, पहला था जहां माता सीता को रखा गया था अशोक वाटिका और दूसरा था जहां रावण के भाई विभीषण का महल था।
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आपके आस पास भूत का पता कैसे लगाएं दरअसल भूत के होने का दावा कुछ लोग करते हैं लेकिन कुछ लोग इस बात पर भी अटल हैं कि भूत नहीं होते हैं लेकिन वैज्ञानिकों की इस थ्योरी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्या आपके आस-पास भूत है और अगर भूत है तो दिखाई क्यों नहीं देता।
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भगवान विष्णु का वैज्ञानिक महत्व इस तरह है कि भगवान विष्णु के अवतारों का मुख्य उद्देश्य न केवल धर्म की स्थापना था बल्कि सृष्टि को वैज्ञानिकता का पाठ पढ़ाने का भी था। विज्ञान के अनुसार सृष्टि के प्रथम जीव का जनन जल से हुआ वहीं भगवान विष्णु का प्रथम अवतार मत्स्य अवतार भी जल में ही हुआ। वैज्ञानिकता के सभी स्रोतों को सनातन ग्रंथों से खंगाला जा सकता है।
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भगवान शिव की सेना में भूत, पिशाच, राक्षस, यक्ष और गण रहते हैं जो देखने में बड़े भयानक होते हैं। किसी की तीन आँखे हैं तो किसी के पेट में ही मुँह है तो किसी के हजारों हाथ हैं तो किसी के हजारों पैर हैं। भगवान शिव की सेना में ऐसा ही एक गण है जिसका नाम कीर्तिमुख है। ये भगवान शिव का इतना बड़ा भक्त है कि इसने अपने प्रभु महादेव के आदेश पर कीर्तिमुख ने अपने सारे शरीर को खा लिया और बस इसका ये मुंह ही बच गया था।
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कुलदेवता की पहचान के लिए सनातन धर्म की परंपराओं के अनुसार 11 मंगलवार का एक विशेष व्रत है जिसे करने से स्वयं आपके कुलदेवता या कुलदेवी आपको दर्शन दे सकते हैं और इसके बाद आप उनसे कोई भी वरदान प्राप्त कर सकते हैं
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पाताल लोक से जुड़ी पौराणिक कथा
पुराणों और सनातन हिन्दू धर्म के दूसरे ग्रंथों में अनेक पाताल लोक से जुड़ी पौराणिक कथा और घटनाओं का जिक्र हुआ है आपको कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में बताते हैं एक बार माता पार्वती के कान की बाली या मणि पानी में गिर कर खो गई इसे खूब खोजा गया लेकिन नहीं मिली बाद में पता चला कि वह मणि पाताल लोक का राजा शेषनाग के पास पहुंच गई है जब शेषनाग को इसकी जानकारी हुई तो उसने पाताल लोक से ही जोरदार फुफकार मारी और धरती के अंदर से गरम जल फूट पड़ा गरम जल के साथ ही मणि भी निकल आई।
अब बात करते हैं कि पाताल लोक का रहस्य दरअसल रामायण की कथाओं के अनुसार पाताल लोक ठीक धरती के नीचे है वहां तक पहुंचने के लिए 70 हजार योजन की गहराई पर जाना पड़ता है यानि करीब 8 लाख 84 हजार किलोमीटर गहराई में पाताल लोक है पाताल लोक में दैत्य, दानव, यक्ष और बड़े-बड़े नागों और मत्स्य कन्याओं की जातियां निवास करती हैं वहां हिमालय की तरह ही एक पर्वत भी है।
पाताल लोक जाने का रास्ता क्या है, अब आपको पृथ्वी के नीचे स्थित सात पाताल लोकों के बारे में एक-एक कर बताते हैं विष्णु पुराण के अनुसार भू-लोक यानी पृथ्वी के नीचे 7 प्रकार के लोक हैं जिनमें पाताल लोक अंतिम है। 7 पाताल लोकों के नाम हैं- अतल, वितल, सुतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल। अतल में मय दानव का पुत्र असुर बल रहता है जिसने 96 तरह की माया रची हैं। उसके नीचे वितल लोक में भगवान हाटकेश्वर नाम के महादेवजी अपने गणों भूतों के साथ रहते हैं। वहां वे सृष्टि वृद्धि के लिए मां भवानी के साथ विहार करते रहते हैं उन दोनों के प्रभाव से वहां हाट नाम की एक सुंदर नदी बहती है। वितल के नीचे सुतल लोक है उसमें यशस्वी राजा विरोचन के पुत्र बलि रहते हैं इन्हीं बलि से भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर तीनों लोक छीन लिया था लोक कथाओं के अनुसार सुतल के राजा बलि को चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है,वो आज भी जिंदा है और हर साल ओणम त्योहार के दिन पाताल लोक से पृथ्वी पर आते हैं और अपनी प्रजा से मिलते हैं। सुतल लोक से नीचे तलातल है यहां का राजा दानवराज मय है। उसके नीचे महातल में कश्यप की पत्नी कद्रू से उत्पन्न हुए अनेक सिरों वाले सर्पों का समुदाय रहता है उनमें कहुक, तक्षक, कालिया और सुषेण आदि प्रधान नाग हैं उनके बड़ेबड़े फन हैं। उनके नीचे रसातल में पणि नाम के दैत्य और दानव रहते हैं ये देवताओं का विरोध करते रहते हैं रसातल के नीचे पाताल है वहां शंड्ड, कुलिक, महाशंड्ड, श्वेत, धनंजय, धृतराष्ट्र, शंखचूड़, कम्बल, अक्षतर और देवदत्त जैसे क्रोधी और बड़े-बड़े फनों वाले नाग रहते हैं इनमें वासुकि प्रधान है। उनमें किसी के 5, किसी के 7, किसी के 10, किसी के 100 और किसी के 1000 सिर हैं उनके फनों की दमकती हुई मणियां अपने प्रकाश से पाताल लोक का सारा अंधकार नष्ट कर देती हैं।
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व्यास जी बताते हैं कि महाभारत के नायक भगवान शिव दरअसल कौरवों और पाण्डवों के युदध में महादेव ने ही समस्त कौरव सेना का संहार किया था। भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है और महाभारत के युद्ध में करोड़ों लोगों का संहार महाकाल ने ही किया था।
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कुत्ता पालना शुभ या अशुभ यह तो अलग संकेत है पर कुत्ते को हिन्दू धर्म में यम का दूत कहा गया है और हिन्दू देवता भैरव महाराज का सेवक माना जाता है। कुत्ते को भोजन देने से भैरव महाराज प्रसन्न होते हैं और हर तरह के संकटों से वे भक्त की रक्षा करते हैं।
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आप तो जानते ही हैं कि भगवान शिव की सेना में भूत, पिशाच, राक्षस, यक्ष और गण रहते हैं। भोलेनाथ के गण कीर्तिमुख की कहानी इस तरह है कि अगर इस शिव गण कीर्तिमुख को आप अपने घर में रखते हैं तो आप और आपके परिवार में किसी को भी किसी कि नजर नहीं लगेगी। भगवान शिव का यह भयानक गण घर में रहकर बुरी नजर से बचाता है।
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5000 सालकेजिंदायोगी महावतार बाबा ने भविष्यवाणी की थी कि भगवान को पाने के लिए केवल पूजा पाठ ही नहीं करना है बल्कि क्रियायोग करके भी ईश्वर की अनुभूति की जा सकती है। इस क्रिया योग से भगवान और मनुष्य में एक अंतर्संबंध बनेगा।
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हनुमान जी ने दी श्री राम को चुनौती वे श्रीराम के पास जा पहुंचे और गुस्से से बोले कि मैं इतनी दूर जाकर आपके लिए शिवलिंग लाया हूं और आपने मेरे आने से पूर्व ही रेत का शिवलिंग स्थापित कर दिया। आप ही बताइये मैं इस शिवलिंग का क्या करूं।
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श्रीराम कथा पर आधारित वाल्मीकिरामायण और रामचरितमानस से कुछ तथ्यों को निकालकर माता सीता और भगवान श्रीराम की आयु का निर्धारण किया गया है श्रीराम की आयु 15 वर्ष और 6 वर्ष माता सीता की बताई गई है।
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