#अमेरिकी लोग पहले
Explore tagged Tumblr posts
globalnewsnetworkhindi · 16 hours ago
Text
Tumblr media
'दुनिया कुछ भी कर ले, लेकिन भारत के बिना AI अधूरा', पॉडकास्ट में ऐसा क्यों बोले PM मोदी Our Channel: https://www.youtube.com/@globalnewsnetworkofficial?sub_confirmation=1 PM Modi Podcast: अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न��� तीन घंटे से भी अधिक समय तक विभिन्न मुद्दों पर बात की. उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), शिक्षा, लर्निंग एंड फोकस, मंत्र और मेडिटेशन जैसे विषयों पर खुलकर बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया एआई के लिए कुछ भी कर ले, लेकिन भारत के बिना एआई अधूरा है. पीएम मोदी ने कुछ सप्ताह पहले फ्रांस शिखर सम्मेलन में एआई पर भाषण दिया था. इस दौरान उन्होंने भारत में एआई इंजीनियरों की बड़ी संख्या के बारे में बताया था. भारत के बिना एआई अधूराः पीएम मोदी एआई के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व को लेकर पॉडकास्ट में पूछे गए सवाल पर पीएम मोदी ने कहा, "दुनिया एआई के लिए कुछ भी कर ले, लेकिन भारत के बिना एआई अधूरा है. यह बहुत ही जिम्मेदारी से दिया गया बयान है. एआई डेवलपमेंट एक कोलैबोरेशन है, यहां हर कोई एक-दूसरे को अपने अनुभव और लर्निंग से सपोर्ट कर सकता है.  भारत केवल एआई मॉडल ही नहीं एप भी विकसित कर रहा पीएम मोदी ने आगे कहा कि इंडिया सिर्फ एआई का मॉडल नहीं बना रहा, बल्कि इसके विशेष उपयोग के मामलों के हिसाब से एआई आधारित एप्लिकेशन को भी विकसित कर रहा है. जीपीयू को समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाने के लिए हमारे पास एक यूनिक मार्केटप्लेस आधारित मॉडल पहले से मौजूद है. भारत की सोच में बदलाव आ रहा है. जब 5जी आया तो दुनिया को लगता था कि हम काफी पीछे हैं, लेकिन एक बार जब हमने शुरू किया तो दुनिया में सबसे तेज 5जी पहुंचाने वाले देश बन गए." एक वाक्या याद करते हुए पीएम मोदी ने बताया, "हाल ही में, एक अमेरिकी कंपनी के कार्यकारी ने मुझसे मुलाकात की और इस तथ्य के बारे में अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने मुझे बताया कि अगर वह इंजीनियरों के लिए अमेरिका में विज्ञापन दें, तो उन्हें केवल एक कमरे को भरने तक के पर्याप्त आवेदन मिलेंगे. लेकिन अगर वह भारत में भी विज्ञापन दें, तो उन्हें रखने के लिए एक फुटबॉल मैदान भी छोटा पड़ेगा.  यह दर्शाता है कि भारत के पास असाधारण रूप से विशाल प्रतिभाओं तक पहुंच है, और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है. आखिरकार, एआई मूल रूप से मानव बुद्धिमत्ता द्वारा संचालित और ��िर्देशित होती है. वास्तविक मानवीय बुद्धिमत्ता के बिना, एआई न तो पनप सकता है और न ही स्थायी रूप से प्रगति कर सकता है, और वह वास्तविक बुद्धिमत्ता भारत के युवाओं और प्रतिभाओं में प्रचुर मात्रा में मौजूद है, और मेरा मानना है कि यह हमारी सबसे बड़ी संपत्ति है." अमेरिका में शीर्ष टेक कंपनियों का नेतृत्व भारतीय मूल के लोग कर रहे हैं, जिनमें सुंदर पिचाई, सत्य नडेला, और अरविंद श्रीनिवासन हैं. यह पूछे जाने पर कि भारतीय मूल की ऐसी कौन सी भावना है, जो इन्हें सफल बनाती है. पीएम मोदी ने बताया, "भारतीय संस्कृति इस बात पर जोर देती है कि जिस स्थान पर आप पैदा हुए हैं और जिस स्थान पर आप काम करते हैं, उसके लिए समान सम्मान होना चाहिए. कोई अंतर नहीं होना चाहिए. जितना समर्पण जन्मभूमि के प्रति है, उतना ही समर्पण कर्मभूमि के प्रति भी होना चाहिए.  आप जहां भी हों, आपको हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए. इन समृद्ध सांस्कृतिक मूल्यों के कारण, प्रत्येक भारतीय अपनी भूमिका या पद की परवाह किए बिना अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने का प्रयत्न करता है. वे तब तक इंतजार नहीं करते जब तक कि वे वरिष्ठ पदों पर न आ जाएं, यहां तक कि छोटी भूमिकाओं में भी नहीं."
0 notes
livetimesnewschannel · 10 days ago
Text
America’s Double Game: Why Is It Believed That Its Friendship and Enmity Are Both Questionable?
Tumblr media
Introduction Of Betrayal of America
Betrayal of America: अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर ने एक बार कहा था कि अमेरिका का दुश्मन होना खतरनाक है, लेकिन दोस्त होना घातक है. अब बड़ा सवाल यह है कि क्या अमेरिका ने यूक्रेन समेत यूरोपीय देशों को बीच मझधार में ला खड़ा कर दिया. क्या अमेरिका ने यूक्रेन को धोखा दिया है.
दरअसल, साल 2022 में जब रूस और यूक्रेन क�� बीच युद्ध की शुरुआत हुई, तब अमेरिका ने जमकर सहायता दी. युद्ध में अब यूक्रेन पूरी तरह से अमेरिकी सैन्य, फंड और खुफिया सहायता पर निर्भर हो चुका है. अब हालात तेजी से बदलते जा रहे हैं. जो बाइडेन की सत्ता खत्म होते ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूरी तरह से खेल बदल दिया है. माना जा रहा है कि जल्द ही अमेरिका यूक्रेन को दी जाने वाली सभी तरह की सहायता रोक सकता है.
अब यूक्रेन वर्तमान में उस स्थिति से जूझ रहा है जिसे अमेरिकी वापसी सिंड्रोम कहा जाता है. डोनाल्ड ट्रंप के नए प्रशासन में यूक्रेन समेत यूरोपीय देशों को यह साफ कर दिया है कि यूक्रेन की सुरक्षा के लिए अमेरिका की जगह यूरोपीय साझेदारों को बोझ का बड़ा हिस्सा उठाना चाहिए. वहीं, व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ हुई तीखी नोकझोंक ने भी मामले को बिगाड़ दिया है.
इसके साथ ही यूक्रेन समेत यूरोपीय देश खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. ऐसे में बता दें कि अमेरिका की ओर से अपने सहयोगियों को छोड़ने या विश्वासघात करने की यह घटना पहली नहीं है. इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जब अमेरिका ने अपने सहयोगियों को मदद की आस दी फिर उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया. इसमें वियतनाम, इराक और अफगानिस्तान जैसे देश शामिल हैं.
Table Of Content
सबसे पहले ही दोस्त फ्रांस को दिया धोखा
स्पेन-अमेरिका में भी मारे गए लाखों लोग
स्वेज संकट में दिखा असली रूप
वियतनाम में दिया सबसे बड़ा धोखा
अमेरिकी मंदी में जापान को लगी चपत
इराक-सद्दाम हुसैन को कैसे मिला धोखा
दोस्त से दुश्मन बना गद्दाफी
सीरिया में कुर्द बलों को धोखा
अफगानिस्तान भी है उदाहरण
Betrayal of America: सबसे पहले ही दोस्त फ्रांस को दिया धोखा
साथ ही अमेरिका को बड़े पैमाने पर सैन्य और आर्थिक सहायता भी दी. कई इतिहासकारों का मानना है कि ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ फ्रांस की सहायता ने सैन्य शक्ति को अमेरिका के पक्ष में झुका दिया था. ऐसे में जॉर्ज वाशिंगटन के नेतृत्व में महाद्वीपीय सेना की जीत का मार्ग प्रशस्त हुआ. लुई सोलहवें ने दिल खोलकर अमेरिका की मदद की. लुई 16वें ने अमेरिकी क्रांति का समर्थन करने के लिए बड़े पैमाने पर जहाज और सेना भी भेजी.
हालांकि, इससे फ्रांस में लोन बढ़ गया और हालात बद से बदतर हो गए. इससे फ्रांस में राजशाही शासन के खिलाफ लोगों का आक्रोश और ज्यादा भड़क गया. इसी के साथ साल 1789 में फ्रांसीसी क्रांति भड़क उठी. फ्रांसीसी क्रांति के कारण उत्पन्न यूरोपीय देशों में भी तनाव बढ़ने लगा. इससे बचने के लिए अमेरिका ने तटस्थ होने की की स्पष्ट नीति अपनाई. फिर भी साल 1793 में फ्रांसीसी राजा लुई सोलहवें पर मुकदमा चलाया गया और उन्हें फांसी दे दी गई.
Betrayal of America: स्पेन-अमेरिका में भी मारे गए लाखों लोग
अमेरिका के अनुकूल शर्तों वाली संधि में स्पेन ने क्यूबा पर अपना सारा दावा त्याग दिया. इसके साथ ही गुआम और प्यूर्टो रिको पर अमेरिका का कब्जा हो गया. वहीं, स्पेन ने फिलीपींस की संप्रभुता को 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर में अमेरिका के हवाले कर दिया. स्पेन के औपनिवेशिक शासन से आजादी की चाहत रखने वाले कई फिलिपींस के नागरिकों ने स्पेनिश सेना को हराने में अमेरिकी सैनिकों की मदद की थी. इसके बदले में स्पेन की तरह ही अमेरिका ने भी द्वीपों पर उपनिवेश बनाना जारी रखने का इरादा किया.
इससे फिलिपींस में आक्रोश पैदा हो गया. आक्रोश ने साल 1899 में युद्ध का रूप ले लिया. यह संघर्ष करीब तीन साल तक चला. बाद में अमेरिका ने फिलीपींस पर औपनिवेशिक शासन शुरू कर दिया. ऐतिहासिक अभिलेखों के मुताबिक अमेरिकी सेना ने कई बार फिलीपींस के गांवों को जला दिया. नागरिकों के लिए डिटेंशन सेंटर बनाए. इस बीच फिलीपींस में हिंसा, अकाल और बीमारी से 2 लाख से ज्यादा फिलिपिनो नागरिक मारे गए.
यह भी पढ़ें: Tariff War में सिर्फ अमेरिका का नुकसान, भारत के पास हैं कई विकल्प, जानें क्या पड़ेगा असर
Betrayal of America: स्वेज संकट में दिखा असली रूप
ऐसे में अमेरिका ने इस युद्ध में शामिल होने से मना कर दिया. फिर अमेरिका ने मित्र राष्ट्रों का अपमान करते हुए सार्वजनिक रूप से निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के लिए मतदान भी किया. साथ ही अमेरिका ने तीनों देशों को धमकी जारी करते हुए कहा कि अगर अभियान जारी रहा, तो वह कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करेंगे. बता दें कि उस समय ही अमेरिका ने ब्रिटिश पाउंड की भारी बिक्री शुरू की थी. इससे ब्रिटिश पाउंड डॉलर के मुकाबले काफी कमजोर हो गया था.
इसी बीच अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पर भी दबाव डाला कि वह ब्रिटेन की वित्तीय मदद न करे. अमेरिका के इन कदमों से ब्रिटेन और फ्रांस की सेनाएं पीछे हट गई. फिर इजराइल ने भी अमेरिकी दबाव के आगे झुकते हुए नहर का पूरा नियंत्रण मिस्र को सौंप दिया. स्वेज संकट से ब्रिटेन ��ी गिरती हुई स्थिति दुनिया का सामने आ गई और इसका फायदा उठाते हुए अमेरिका ने विश्व मामलों में अधिक शक्तिशाली भूमिका निभाई.
यह भी पढ़ें: अमेरिका की बादशाहत खत्म! यूक्रेन के लिए यूरोप ने दिखाई ताकत, जानें कैसे रूस को घेरेंगे देश
Betrayal of America: वियतनाम में दिया सबसे बड़ा धोखा
अमेरिका और उत्तरी वियतनाम के बीच गुप्त रूप से हुए समझौते को दक्षिण वियतनाम की ओर से स्वीकार कराने के लिए अमेरिका ने दक्षिण वियतनामी पक्ष को भारी मात्रा मे��� सैन्य सहायता देने का वादा किया, लेकिन यह वादे कभी पूरे ही नहीं हुए. दक्षिण वियतनाम के अमेरिकी समर्थित राष्ट्रपति न्गो दीन्ह दीम की अपनी सेना ने ही उनकी हत्या कर दी थी. इस मामले में दक्षिण वियतनामी पक्ष के पूर्व नेता गुयेन वान थीयू ने बहुत बड़ी बात कही थी. उन्होंने कहा था कि अमेरिका का दुश्मन बनना बहुत आसान है, लेकिन मित्र बनना बहुत कठिन है.
Betrayal of America: अमेरिकी मंदी में जापान को लगी चपत
यह भी पढ़ें: जिहाद के आका पाकिस्तान में ‘धर्म के दुश्मनों’ की एंट्री, एक झटके में ISIS ने उड़ा दी सबकी नींद
सीधे तौर पर अमेरिकी डॉलर को बढ़ावा, अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करना और वैश्विक असंतुलन को ठीक करना समझौते के मुख्य उद्देश्य थे. समझौते के बाद जापानी मुद्रा येन की कीमत में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई, जिससे जापान के मजबूत निर्यात बड़ा नुकसान हुआ. जापान उस समय दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था मानी जाती थी. इससे पूरे पूर्वी एशियाई देश में जापान के अर्थव्यवस्था का पतन हो गया और अमेरिका का प्रभाव फिर से बढ़ गया.
Betrayal of America: इराक-सद्दाम हुसैन को कैसे मिला धोखा
जब सद्दाम हुसैन ने विद्रोह को कुचला तो अमेरिका चुपचाप खड़ा देखता रहा. अमेरिका की ओर से कुवैत से इराकी सेना को बाहर निकालने के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज हर्बर्ट वॉकर बुश का सद्दाम हुसैन को उखाड़ फेंकने के लिए बगदाद में अमेरिकी सेना को भेजने का कोई इरादा नहीं था. उन्होंने युद्ध गठबंधन में अरबों से वादा किया था कि वह सद्दाम हुसैन की सेना को बस इराक में वापस धकेल देंगे. लाखों लोगों की मौत के बाद बाद में अमेरिका ने ही सद्दाम हुसैन को फांसी के फंदे पर लटका दिया था.
यह भी पढ़ें: अगर US ने छोड़ा यूक्रेन का साथ, तो क्या रूस से टकरा पाएगा यूरोप, कौन पड़ेगा किस पर भारी?
Betrayal of America: गद्दाफी दोस्त से बना दुश्मन
तेल के भंडार के कारण लीबिया अमेरिका खास बना हुआ था. जैसे-जैसे विद्रोह फैलता गया और उसके शासन के लिए खतरे की गंभीरता स्पष्ट होती गई. विद्रोहियों के पक्ष में NATO के हस्तक्षेप से मामला उल्टा पड़ गया और मुअम्मर गद्दाफी का पतन हो गया. वह NATO हवाई हमले से बचने के लिए एक सुरंग में छिप गया. बाद में लीबिया के लोगों ने उसे पीट-पीटकर मार डाला और सड़कों पर उसकी लाश को घसीटा भी.
Betrayal of America: सीरिया में कुर्द बलों को धोखा
यह भी पढ़ें: ‘गनीमत रही जेलेंस्की को नहीं पड़ा मुक्का’; ट्रंप के भड़कने पर रूस ने ली चुटकी; देखें नोक-झोंक का Video
साल 2019 में अमेरिका ने कहा कि तुर्की जल्द ही उत्तरी सीरिया में अपने ऑपरेशन के साथ आगे बढ़ेगा. अमेरिकी सेना ऑपरेशन का समर्थन या इसमें शामिल नहीं होगी. साथ ही उन्होंने उस क्षेत्र से सेना को निकाल लिया. उत्तरी सीरिया से अपने सैनिकों को वापस बुलाने के अमेरिकी फैसले के बाद तुर्की ने बड़ा हमला किया. हमले में बड़ी संख्या में कुर्द सैनिक मारे गए. कुर्दों के कई बड़े लीडर ने कहा कि अमेरिका ने उनके साथ विश्वासघात किया है.
Betrayal of America: अफगानिस्तान भी है उदाहरण
यह भी पढ़ें: जिस मदरसे से मुल्ला उमर-हक्कानी ने की पढ़ाई, जानें उस ‘यूनिवर्सिटी ऑफ जिहाद’ की कहानी
तत्कालीन जो बाइडेन प्रशासन ने डोनाल्ड ट्रंप के पिछले प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह अफगान सरकार पर दोष मढ़ने की कोशिश करते हुए अव्यवस्था को पीछे छोड़ गया. अमेरिका के व्हाइट हाउस में तत्कालीन अफगान राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी से मुलाकात के दौरान जो बाइडेन ने पुराना दोस्त बताया था. साथ ही उनकी सरकार को कूटनीतिक और राजनीतिक सहायता देने का वादा किया था, लेकिन अमेरिका सेना के भागने के बाद मोहम्मद अशरफ गनी तक को भी देश छोड़कर भागना पड़ा.
Conclusion Of Betrayal of America:
इस साल की शुरुआत में सत्ता संभालने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने NATO यानि उत्तरी अटलांटिक संधि सैन्य गठबंधन से भी धीरे-धीरे बाहर आने की बात कही है. उन्होंने बार-बार NATO सहयोगियों पर सैन्य खर्च बढ़ाने के लिए दबाव डाला है. इसके अलावा अमेरिका की सत्ता संभालते हुए अपने यूरोपीय देशों, कनाडा और मैक्सिको को धोखा देते हुए टैरिफ वॉर भी छेड़ दिया है.
डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय संघ को अपना दुश्मन बताया है. अमेरिका और ब्रिटेन ने साल 2022-23 में त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी के तहत परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियां हासिल करने में ऑस्ट्रेलिया का समर्थन करने का फैसल��� किया था. इससे फ्रांस को बड़ा झटका लगा था. फ्रांस ने इस सौदे को पीठ में छुरा घोंपना बताते हुए अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया दोनों में अपने राजदूतों को वापस बुला लिया था.
कनाडा के साथ कीस्टोन पाइपलाइन प्रोजेक्ट में भी अमेरिका ने कई बार धोखा दिया. साल 2015 में TPP यानि ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप के तहत मुक्त व्यापार समझौते में भी 12 देश शामिल थे. डोनाल्ड ट्रंप ने साल 2017 में सत्ता संभालते ही TPP से वापस हटने का फैसला कर लिया. अमेरिका भारत की पीठ में भी छुरा घोंप चुका है. साल 1999 में अमेरिका ने GPS यानि ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम को ब्लॉक कर खुफिया जानकारी भारत को देने से इन्कार कर दिया था. अब यूक्रेन का भी यही हाल देखने को मिल सकता है, क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की से पद छोड़ने तक की बात कह चुके हैं.
यह भी पढ़ें: ‘अब भारत-पाक के लिए जगह नहीं’, बांग्लादेश में छात्रों ने बनाई नई पार्टी, फिर झूठ हुआ बेनकाब
Follow Us On: Facebook | X | LinkedIn | YouTube | Instagram
0 notes
rightnewshindi · 1 month ago
Text
कैमरे के सामने मुंह छुपाती नजर आई अमेरिका से निर्वासित युवतियां, सच्चाई जानकर परिवार भी हुए हैरान
#News कैमरे के सामने मुंह छुपाती नजर आई अमेरिका से निर्वासित युवतियां, सच्चाई जानकर परिवार भी हुए हैरान
Families of Gujaratis deported from America are shocked: ‘हम हैरान हैं… हमें बिल्कुल भी पता नहीं था कि ये लोग अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे हैं…’ यह कहना है अमेरिका से भारत निर्वासित 33 गुजरातियों के परिवार का। इन 33 गुजरातियों के परिवार ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अवैध प्रवासियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के दौरान उनके रिश्तेदारों की गिरफ्तारी और निर्वासन से पहले उन्हें…
0 notes
solmeme · 4 months ago
Text
9 एमईएमई देशी सोलाना ट्रेडिंग बॉट प्रतियोगिता
कौन सा बॉट उपयोग करना सर्वोत्तम है? हैंडलिंग शुल्क, सुरक्षा, उपयोग अनुभव, कार्यात्मक लाभ/सुविधाओं आदि के आयामों से, यह लेख वर्तमान मुख्यधारा सोलाना ट्रेडिंग बॉट्स की विस्तृत तुलना और परिचय प्रदान करता है।
1 मिनट में 150,000 जमा करने के साथ, अर्थ डॉग के खिलाफ जाना मौजूदा बाजार में पैसा कमाने का सबसे फैशनेबल तरीका बन गया है। जिसे हम अक्सर "तुगौ" परियोजनाएँ कहते हैं, वह प्रारंभिक चरण की परियोजनाओं को संदर्भित करती है जिनमें आम तौर पर कोई श्वेत पत्र नहीं होता है और टोकन लेनदेन में बहुत कम गहराई होती है। इनमें से अधिकांश परियोजनाएं अल्पकालिक होती हैं, जिनका जीवन चक्र 1-3 दिनों का होता है। ऐसी बहुत कम परियोजनाएं होती हैं जो बाजार मूल्य से सैकड़ों गुना अधिक कीमत प्राप्त कर सकती हैं, या यहां तक ​​कि एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध हो सकती हैं और "गोल्डन डॉग" बन सकती हैं। बोम, एसएलईआरएफ, पंट, और एक्ट। भले ही वे संभाव्यता का खेल खेल रहे हों, फिर भी कई लोग हैं जो सौ गुना मौके का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। स्थानीय कुत्ते की खोज करने से लेकर उसे खरीदने तक का समय नेटवर्क स्पीड और जीएएस सेटिंग्स जैसे विभिन्न कारकों के आधार पर दसियों सेकंड से लेकर कई मिनट तक अलग-अलग होगा। ट्रेडिंग बॉट, यानी ट्रेडिंग रोबोट के जन्म ने आम उपयोगकर्ताओं के लिए गेम में आगे बढ़ने की सीमा को बहुत कम कर दिया है, उन्हें केवल खरीद सेटिंग्स पहले से तैयार करने, अनुबंध पते की प्रतिलिपि बनाने और खरीद राशि दर्ज करने की आवश्यकता है। वर्तमान में, बॉट ट्रैक अपेक्षाकृत परिपक्व है, ड्यून डेटा के अनुसार, ट्रेडिंग वॉल्यूम में शीर्ष पांच बॉट हैं: बोनकबॉट, मेस्ट्रो, बनाना गन, ट्रोजन और सोल ट्रेडिंग बॉट।
इस लेख में, हम वर्तमान मुख्यधारा के सोलाना ट्रेडिंग बॉट की हैंडलिंग फीस, सुरक्षा, उपयोगकर्ता अनुभव, कार्यात्मक लाभ/सुविधाओं आदि के पहलुओं से विस्तार से तुलना करे��गे और पारंपरिक DEX के साथ इसकी तुलना करेंगे। विस्तृत परिचय के लिए कृपया पूरा लेख पढ़ें।
बोनकबॉट: BONKbot एक ट्रेडिंग रोबोट है जिसे सोलाना टेलीग्राम के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका मुख्य आकर्षण गति और उपयोग में आसानी है, जो जल्दी से खरीदारी पर ध्यान केंद्रित करता है। सोलाना के विभिन्न DEX में टोकन के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध मूल्य खोजने के लिए BONKbot कस्टम रूटिंग लॉजिक के साथ सोलाना-आधारित विकेन्द्रीकृत एक्सचेंज (DEX) ज्यूपिटर का लाभ उठाता है। वर्तमान में सोलाना टीजी ट्रेडिंग बॉट सबसे बड़ी ट्रेडिंग वॉल्यूम वाला बॉट है, जिसका एक दिन का ट्रेडिंग वॉल्यूम लगभग 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।
टीजी लिंक: https://t.me/Bot_bonks_bot टीजी बैकअप: https://t.me/Bot_bonk_backup_bot हैंडलिंग शुल्क: 1% सुरक्षा: बोनकबॉट, बोन्क समुदाय द्वारा बनाया गया था और इसे अच्छा सामुदायिक समर्थन प्राप्त है। बोनकबॉट के पास उपयोगकर्ता की निजी कुंजी तक पहुंच नहीं है और वह AES256 एन्क्रिप्शन (अस्तित्व में सबसे मजबूत एन्क्रिप्शन मानकों में से एक) को नियोजित करके उपयोगकर्ता सुरक्षा को प्राथमिकता देता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि उपयोगकर्ता और बॉट के बीच आदान-प्रदान किया गया कोई भी डेटा गोपनीय रहता है और संभावित लीक को रोकता है। उपयोग का अनुभव: 1. अनुकूल उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस, नौसिखिए आसानी से शुरुआत कर सकते हैं; 2. लेनदेन की सफलता दर में सुधार के लिए गैस शुल्क को समायोजित किया जा सकता है। 3. एमईवी सुरक्षा फ़ंक्शन उपयोगकर्ताओं को लूटने से बचने में मदद कर सकता है; "एमईवी टर्बो" मोड जहां भी संभव हो, फ्रंट-रनिंग सुरक्षा प्रदान करते हुए लेनदेन की गति को अधिकतम करता है, जबकि "एमईवी सिक्योर" मोड उन उपयोगकर्ताओं के लिए गारंटीकृत एमईवी सुरक्षा प्रदान करता है जो हर कीमत पर गति से अधिक एमईवी निकासी सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। ऑटो स्निपिंग: समर्थित नहीं ऑटो ट्रेडिंग: समर्थन कॉपी ट्रेडिंग: समर्थित नहीं लाभ/विशेषताएं: सरल और उपयोग में आसान, एमईवी सुरक्षा फ़ंक्शन
उस्ताद: एक अनुभवी ट्रेडिंग बॉट के रूप में, मेस्ट्रो के पास अधिक व्यापक कार्य होंगे और वर्तमान में ट्रेडिंग वॉल्यूम के मामले में यह दूसरा सबसे बड़ा बॉट है। मेस्ट्रो बॉट्स को चार श्रेणियों में विभाजित करता है, प्रत्येक श्रेणी एक स्वतंत्र बॉट है, जिसमें स्नाइपर बॉट, वॉलेट बॉट, व्हेल मॉनिटरिंग बॉट और लेनदेन मॉनिटरिंग बॉट शामिल हैं। ट्रेडिंग के लिए जो आमतौर पर अधिक उपयोग किया जाता है वह स्नाइपर बॉट है।
टीजी लिंक: https://t.me/MaestroSniperPlusoBot टीजी बैकअप: https://t.me/MaestroSniperBackup_Bot हैंडलिंग शुल्क: 1% सुरक्षा: सर्वर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी निजी कुंजियाँ AES एन्क्रिप्टेड हैं। इस���े अतिरिक्त, टेलीग्राम लेनदेन एंटी-रग और सक्रिय धोखाधड़ी का पता लगाने वाले तंत्र के साथ निर्बाध और सुरक्षित हैं। उपयोग का अनुभव: 1. मेस्ट्रो के विशिष्ट कार्यों में खरीदारी और बिक्री/क्लिप/एंटी-रग/कॉपी ट्रेड/मल्टी-वॉलेट खरीदारी स्थापित करना आदि शामिल हैं। 2. इंटरफ़ेस अपेक्षाकृत जटिल है, समग्र इंटरैक्शन बोझिल है, और सीखने की लागत अपेक्षाकृत अधिक होगी। ऑटो स्निपिंग: समर्थित ऑटो ट्रेडिंग: समर्थन कॉपी ट्रेडिंग:समर्थित लाभ/विशेषताएँ: व्यापक कार्यक्षमता
केले का गन: ट्रेडिंग वॉल्यूम के मामले में बनाना गन सोलाना टीजी ट्रेडिंग बॉट में तीसरे स्थान पर है। यह बाजार में एक लोकप्रिय टीजी ट्रेडिंग बॉट है। इसके मुख्य रूप से दो प्रमुख कार्य हैं: ट्रेडिंग और स्निपिंग, और सोलाना, बेस और की तीन सार्वजनिक श्रृंखलाओं का समर्थन करता है एथेरियम।
टीजी लिंक: https://t.me/BananaGunSolanaOfficial_bot टीजी बैकअप: https://t.me/BananaGun_Backup_bot हैंडलिंग शुल्क: मैन्युअल खरीदें (मैन्युअल खरीद लेनदेन) 0.5%, स्नाइपर खरीदें (स्वचालित स्नाइपर) 1% सुरक्षा: 85% की सिद्ध सफलता दर के साथ, सुरक्षित लेनदेन सुनिश्चित करने के लिए प्रथम श्रेणी की चोरी-रोधी प्रणाली के साथ एंटी रग और पुनर्गठन सुरक्षा कार्य। हनीपोट प्रोटेक्शन टोकन धोखाधड़ी को शुरू से ही रोकने के लिए बाजार-अग्रणी अंतर्निहित सिमुलेशन का उपयोग करता है। यदि सिम्युलेटर एक सफल बिक्री का अनुकरण करने में असमर्थ है, तो व्यापार सफल नहीं होगा। उपयोग का अनुभव: 1. इंटरफ़ेस सरल और कार्यात्मक है, नौसिखियों और नौसिखियों के लिए उपयुक्त है इसमें बुनियादी ट्रेडिंग/कॉपी ट्रेडिंग/स्निपिंग ट्रेडिंग और अन्य कार्य हैं। 2. लिमिट ऑर्डर के साथ ट्रेडिंग को आसानी से स्वचालित किया जा सकता है। सर्वोत्तम निष्पादन के साथ गिरावट पर स्वचालित रूप से खरीदने के लिए ऑर्डर सेट करने के लिए स्टॉप-लॉस या ट्रेलिंग-स्टॉप लिमिट ऑर्डर का उपयोग करें। 3. ओपनिंग को स्निप करने में विशेषज्ञ, उपयोगकर्ताओं को लॉन्च होने वाले टोकन को स्निप करने या जारी किए गए टोकन का व्यापार करने की अनुमति देता है। ऑटो स्निपिंग: समर्थित ऑटो ट्रेडिंग: समर्थन कॉपी ट्रेडिंग:समर्थित लाभ/विशेषताएं: कम हैंडलिंग शुल्क, कटाक्ष में विशेषज्ञता
ट्रोजन: ट्रोजन को पहले सोलाना पर यूनीबोट के नाम से जाना जाता था, इसका निर्माण यूनीबोट समुदाय संचालन के पूर्व प्रमुख रीथमोस के नेतृत्व में किया गया था। यह यूनीबोट का व्युत्पन्न है। ट्रेडिंग इंटरफ़ेस यूनिबोट की शैली के समान है, जो सोलाना श्रृंखला पर चौथा सबसे बड़ा ट्रेडिंग वॉल्यूम वाला टीजी ट्रेडिंग बॉट है।
टीजी लिंक: https://t.me/solana_tro_jan_bot टीजी बैकअप: https://t.me/solana_trojanbackbot हैंडलिंग शुल्क: 1%, रेफरल के माध्यम से 0.9% सुरक्षा: साइबर सुरक्षा फर्म ट्रेल ऑफ बिट्स द्वारा निरंतर सुरक्षा ऑडिट किए जाते हैं। अधिकारियों का कहना है कि यह चल रही समीक्षा प्रक्रिया उन्हें सेवा के विकास और विस्तार के साथ-साथ सुरक्षा उपायों को लगातार मजबूत करने की अनुमति देती है। उपयोग का अनुभव: 1. इसमें ��ॉपी ट्रेडिंग और डीसीए फिक्स्ड इन्वेस्टमेंट ट्रेडिंग जैसे अधिक जटिल ऑर्डर फॉर्म हैं, जो शुरुआती और स्वचालन चाहने वाले व्यापारियों के लिए उपयुक्त है। 2. सीमा ऑर्डर फ़ंक्शन विशिष्ट मूल्य बिंदुओं पर ट्रेडों को ट्रिगर करके सटीकता प्रदान करता है, और डीसीए (डॉलर लागत औसत) फ़ंक्शन समय के साथ ऑर्डर फैलाकर जोखिम का प्रबंधन करता है। 3. ट्रोजन एक क्रॉस-चेन ब्रिज के माध्यम से एथेरियम और सोलाना के बीच संपत्ति के निर्बाध हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करता है। ऑटो स्निपिंग: समर्थित ऑटो ट्रेडिंग: समर्थन कॉपी ट्रेडिंग:समर्थित लाभ/विशेषताएं: अंतर्निर्मित क्रॉस-चेन ब्रिज
सोल ट्रेडिंग बॉट: सोल ट्रेडिंग बॉट सोलाना पर तीन सबसे बड़े विकेन्द्रीकृत एक्सचेंजों (डीईएक्स) को एकीकृत करता है: जुपिटर, ओर्का और रेडियम। यह सर्वोत्तम मूल्य प्रदान करने और डीईएक्स प्लेटफॉर्म पर लेनदेन को कुशलतापूर्वक निष्पादित करने के लिए डीईएक्स के व्यापक तरलता पूल का उपयोग कर सकता है मल्टी-DEX रणनीतियाँ, प्रत्येक एक्सचेंज की विशिष्ट विशेषताओं और विशेषताओं के आधार पर ट्रेडों को अनुकूलित करती हैं। ट्रेडिंग वॉल्यूम के हिसाब से वर्तमान में सोलाना टीजी ट्रेडिंग बॉट पांचवें स्थान पर है। स्रोत: आधिकारिक वेबसाइट https://soltradingbot.com/
टीजी लिंक: https://t.me/SolTradingPlusBot टीजी बैकअप: https://t.me/SolanaTradingPlusBot हैंडलिंग शुल्क: 1% सुरक्षा: अत्याधुनिक सुरक्षा कुंजी प्रबंधन प्रथाओं को नियोजित करते हुए, बहु-कारक प्रमाणीकरण (एमएफए) लागू किया जाता है। सत्यापन की इस अतिरिक्त परत में आम तौर पर पासवर्ड और वन-टाइम कोड का संयोजन शामिल होता है, जो अनधिकृत के खिलाफ सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत जोड़ता है पहुँच। । उपयोग का अनुभव: 1. ट्रेडिंग, स्निपिंग, कॉपी ट्रेडिंग, ट्रैकिंग, स्वचालित खरीद/बिक्री और सीमा/डीसीए ऑर्डर, साथ ही नई मुद्रा और नए पूल मॉनिटरिंग आदि सहित विविध कार्य। 2. इसमें बाजार डेटा विश्लेषण कार्य हैं विभिन्न स्रोतों से वास्तविक समय डेटा स्ट्रीम सुनिश्चित करती है कि उपयोगकर्ताओं को नवीनतम, सटीक बाज़ार जानकारी तक पहुंच प्राप्त हो। व्यापारियों को गहन विश्लेषण करने के लिए आवश्यक उपकरण प्रदान करने के लिए विभिन्न प्रकार के तकनीकी संकेतकों का उपयोग करता है। उपयोगकर्ता चलती औसत से लेकर आरएसआई तक विभिन्न संकेतकों के आधार पर अपनी रणनीतियों को अनुकूलित कर सकते हैं। ऑटो स्निपिंग: समर्थित ऑटो ट्रेडिंग: समर्थन कॉपी ट्रेडिंग:समर्थित लाभ/सुविधाएँ: बाज़ार डेटा विश्लेषण फ़ंक्शन
बुलएक्स: बुलक्स एक डेटा एकत्रीकरण और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है जो उपयोगकर्ताओं को मेम सिक्कों का व्यापार करने के शुरुआती अवसर प्रदान करता है और एथेरियम मेननेट, बीएनबी, बेस, आर्बिट्रम, ब्लास्ट और सोलाना पर लेनदेन के साथ संगत है। बुलएक्स ट्रेडिंग बॉट एक ट्रेडिंग बॉट है जो प्लेटफॉर्म पर चलता है।
टीजी लिंक: https://t.me/BullXReleaseBot टीजी बैकअप: https://t.me/BullXBackupBot हैंडलिंग शुल्क: 1% सुरक्षा: यह ट्रेडिंग बॉट टेलीग्राम और वेब का एक मिश्रण है, जिससे वॉलेट चोरों के लिए उपयोगकर्ता फंड तक पहुंचना और न��कालना अधिक कठिन हो जाता है। उपयोग का अनुभव: 1. वास्तविक समय डेटा और बाजार प्रवृत्ति विश्लेषण प्रदान करने के लिए एक टीजी खाते को बाध्य करके वेबसाइट से कनेक्ट करें, और बिनेंस, कॉइनबेस प्रो और एमईएक्ससी जैसे एक्सचेंजों के साथ सहजता से एकीकृत करें। 2. पंप फन टोकन श्रेणी के साथ, आप अभी लॉन्च किए गए ��िसी भी पंप टोकन को तुरंत खरीद सकते हैं। 3. संकेतक और तकनीकी विश्लेषण के आधार पर मेम सिक्कों के लिए पूर्वनिर्धारित व्यापारिक रणनीतियाँ प्रदान करें, और उपयोगकर्ता बाज़ार की स्थितियों के आधार पर अपनी स्वयं की रणनीतियों को भी अनुकूलित कर सकते हैं। 4. लंबित आदेशों का समर्थन करें, उपयोगकर्ताओं को खरीदारी सीमा, बिक्री सीमा आदि निर्धारित करने की अनुमति दें। ऑटो स्निपिंग: समर्थित नहीं ऑटो ट्रेडिंग: समर्थन कॉपी ट्रेडिंग: समर्थित नहीं लाभ/विशेषताएं: पहला बॉट जो टेलीग्राम+वेब को जोड़ता है, और इसके एयरड्रॉप होने की उम्मीद है
पेपेबूस्ट: पेपे बूस्ट इंटरफ़ेस चीनी का समर्थन करता है और मुख्य रूप से चीनी समुदाय पर लक्षित है। अधिकारी ट्विटर का उपयोग करने में भी बहुत अच्छा है, और उसने एक समुदाय-आधारित मुद्रा सट्टेबाजी मॉडल भी विकसित किया है, जिसकी सामुदायिक प्रतिष्ठा अच्छी है।
टीजी लिंक: https://t.me/pepeboost_sol_09_bot टीजी बैकअप: https://t.me/pepeboost_sol099_bot हैंडलिंग शुल्क: 1% सुरक्षा: विकास टीम के पास डेटा सुरक्षा विकास में कई वर्षों का अनुभव है, मल्टी-लेयर एन्क्रिप्शन तकनीक के माध्यम से, यह सर्वर, डेटाबेस, लेनदेन जानकारी भेजने और अन्य पहलुओं से उपयोगकर्ता की निजी कुंजी और फंड की सुरक्षा करता है। उपयोग का अनुभव: 1. कार्य मूल रूप से व्यापक हैं, जिसमें त्वरित स्निपिंग, एक-क्लिक खरीद और बिक्री, एंटी-पिंच ट्रेडिंग, एकाधिक वॉलेट इत्यादि शामिल हैं, और यह रेडियम और ज्यूपिटर डेक्स दोनों का समर्थन करता है। 2. सरल ऑपरेशन, तेज़ लेनदेन गति, श्रृंखला पर स्मार्ट वॉलेट गतिशीलता की स्वचालित निगरानी, ​​और जैसे ही वास्तविक लेनदेन पैक किया जाता है और श्रृंखला पर अपलोड किया जाता है, सूचनाएं ट्रिगर हो जाती हैं। 3. आधिकारिक संचालन क्षमता मजबूत है, और वह व्यक्तिगत रूप से बाजार से "ऑर्डर ले सकता है" समग्र उपयोगकर्ता चिपचिपाहट और रूपांतरण दर अपेक्षाकृत अधिक है। ऑटो स्निपिंग: समर्थित ऑटो ट्रेडिंग: समर्थन कॉपी ट्रेडिंग:समर्थित लाभ/विशेषताएं: सक्रिय चीनी उपयोगकर्ता समूह और मजबूत सामुदायिक संचालन क्षमताएं
जीएमजीएन: जीएमजीएन एक मेम टोकन ट्रैकिंग और विश्लेषण प्लेटफ़ॉर्म है जो कैनलाइन वेबसाइट और ऑन-चेन एसेट डैशबोर्ड के दो कार्यों को एकीकृत करता है। मुख्य विशेषताएं स्मार्ट मनी एड्रेस को ट्रैक करना और टोकन फंड प्रवाह विश्लेषण की निगरानी करना है। यह जानकारी उपयोगकर्ताओं को खरीद और बिक्री को ट्रैक करने की अनुमति देती है और व्यापारियों को ट्रेडिंग सिग्नल प्रदान करती है। जीएमजीएन ने दर्जनों टीजी चैनल विकसित किए हैं, जिनमें जीएमजीएन स्नाइपर बॉट भी शामिल है, जिसका नीचे विश्लेषण किया गया बॉट है।
टीजी लिंक: https://t.me/GMGN_sol_bots_bot टीजी बैकअप: https://t.me/GMGN_sol_backup_bot हैंडलिंग शुल्क: 1% सुरक्षा: अत्याधुनिक सुरक्षा कुंजी प्रबंधन प्रथाओं का उपयोग करते हुए, हम बहु-कारक प्रमाणीकरण (एमएफए) लागू करते हैं, सत्यापन की एक अतिरिक्त परत जिसमें अनधिकृत पहुंच को रोकने के लिए आम तौर पर पासवर्ड और वन-टाइम कोड का संयोजन शामिल होता है। उपयोग का अनुभव: 1. ऑपरेशन अपेक्षाकृत सरल है, और टोकन जोखिमों का आकलन करने के लिए एक सुरक्षा निगरानी बटन है। यह श्रृंखला पर स्मार्ट मनी की गतिशीलता की निगरानी कर सकता है, स्वचालित खरीद + सीमित मूल्य पर बेचने के लिए लंबित ऑर्डर (स्वचालित स्टॉप-प्रॉफिट और स्टॉप-लॉस) सेट कर सकता है, और इसमें एंटी-पिंच फ़ंक्शन भी है। 2. उपयोगकर्ताओं को स्वचालित स्क्रिप्ट बनाने में सहायता करें। ऑटो स्निपिंग: समर्थित नहीं ऑटो ट्रेडिंग: समर्थन कॉपी ट्रेडिंग: समर्थित नहीं लाभ/विशेषताएं: ऑन-चेन ट्रैकिंग आर्टिफैक्ट पर भरोसा करते हुए स्वचालित स्क्रिप्ट निर्माण का समर्थन करता है
एवस्निपरबॉट AveSniperBot एक वन-स्टॉप Web3 इंटरैक्टिव टर्मिनल है जो श्रृंखला पर Dex, DeFi, टोकन और NFT जैसे प्रोटोकॉल को एकत्रित करता है, और सुरक्षित फंड, अधिक पेशेवर डेटा और अधिक सुविधाजनक अनुभव के साथ Web3 इंटरैक्टिव प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
टीजी लिंक: https://t.me/AveSniperbots_Bot टीजी बैकअप: https://t.me/AveSniperBackup_Bot हैंडलिंग शुल्क: 1% सुरक्षा: चीन में हेनान मन्युन टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड द्वारा विकसित। कंपनी युआनवर्स सिस्टम विकास और संबंधित सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करती है, और इसने समृद्ध परियोजना अनुभव और तकनीकी भंडार जमा किया है। प्लेटफ़ॉर्म के पास एक मजबूत तकनीकी टीम और ब्लॉकचेन और वित्तीय उद्योग का कई वर्षों का अनुभव है, जो ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म के कुशल संचालन और उपयोगकर्ता फंड की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। उपयोगकर्ता अनुभव: उपयोगकर्ता आम तौर पर एवेन्यू का अच्छा मूल्यांकन करते हैं, यह मानते हुए कि इसका व्यापारिक वातावरण सुरक्षित, सुरक्षित, तेज़ और सुविधाजनक है, और यह विभिन्न प्रकार के मुद्रा विकल्प और पेशेवर ग्राहक सेवा प्रदान करता है। प्लेटफ़ॉर्म को संचालित करना आसान है। उपयोगकर्ता एक सरल संचालन प्रक्रिया के माध्यम से एनएफटी अवतार उत्पन्न और जारी कर सकते हैं, और विभिन्न डिजिटल एसेट ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म तक आसानी से पहुंच सकते हैं ऑटो स्निपिंग: समर्थित ऑटो ट्रेडिंग: समर्थन कॉपी ट्रेडिंग:समर्थित लाभ/विशेषताएं: श्रृंखला पर तेजी से खरीदारी और बिक्री (बैचों में की जा सकती है), स्थानांतरण और अन्य कार्य
1 note · View note
dainiksamachar · 11 months ago
Text
भारत-चीन बाहरी लोगों से नफरत करने वाले इसीलिए पिछड़ रहे... बाइडेन ने अप्रवासियों के मुद्दे पर दिया जहरीला बयान, घ‍िरे
वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारत, चीन, रूस, और जापान को जेनोफोबिक देश कहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि चीन, जापान और भारत में जेनोफोबिया उनके विकास को रोक रहा है। उन्होंने तर्क दिया कि माइग्रेशन अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा रहा है लेकिन ये देश जेनोफोबिया की भावना की वजह से माइग्रेशन के नाम से डरते हैं। चीन, जापान और भारत के साथ रूस का नाम भी बाइडेन ने उन देशों में लिया, जेनोफोबिक हैं। जेनोफोबिया से ग्रसित उनको कहा जाता है, जो अजनबियों स�� डरते या बाहरी अपरिचित व्यक्तियों से नफरत रखते हैं। यानी बाइडेन ने भारत को एक ऐसा देश कहा है, जो दूसरे देशों के लोगों से नफरत करता है।बाइडेन ने बुधवार को इस साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए अभियान के दौरान एशियाई और दूसरे गैर अमेरिकी मूल से लोगों को संबोधित करते हुए कहा, 'हमारी अर्थव्यवस्था के बढ़ने का एक कारण आप जैसे अनेक लोग हैं। इसकी वजह ये है कि हम आप्रवासियों का स्वागत करते हैं। लेकिन कई देश प्रवासियों को बोझ की तरह देखते हैं। आज आखिर चीन आर्थिक रूप से इतनी बुरी तरह क्यों रुक रहा है, जापान को परेशानी क्यों हो रही है, रूस को क्यों दिक्कत है, भारत क्यों नहीं बढ़ रहा है? इसलिए क्योंकि वे जेनोफोबिक हैं। वे आप्रवासियों को नहीं चाहते हैं लेकिन सच ये है कि आप्रवासी ही हमें मजबूत बनाते हैं। अमेरिकी चुनाव में माइग्रेशन बन रहा मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पिछले महीने अनुमान लगाया था कि 2024 में प्रत्येक देश की वृद्धि पिछले वर्ष की तुलना में धीमी हो जाएगी। ये जापान में 0.9% से लेकर भारत में 6.8% तक होगी। मुद्रा कोष का अनुमान है कि अमेरिका 2.7% की दर से बढ़ेगा, जो पिछले साल की 2.5% दर से थोड़ा तेज है। कई अर्थशास्त्री उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन का श्रेय आंशिक रूप से देश की श्रम शक्ति में विस्तार करने वाले प्रवासियों को देते हैं। इसी बात को बाइडेन ने भी अपने प्रचार के दौरान उठाया है। अमेरिका में इस साल नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले माइग्रेशन एक मुद्दा बन रहा है। अमेरिकी मतदाताओं के लिए अनियमित प्रवासन की चिंता एक शीर्ष मुद्दा बन गई है। रिपब्लिक पार्टी इसको उठा रही है तो डेमोक्रेटिक बाइडेन भी इस पर बात कर रहे हैं। बाइडेन ने अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप की आप्रवासी विरोधी बयानबाजी की निंदा की है। बाइडेन का कहना है कि प्रवासी परेशानी का सबब नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा हैं। http://dlvr.it/T6J9ZD
0 notes
seowali · 2 years ago
Text
अंतर‍िक्ष से सूरज को डूबते हुए देख‍िए, Sunset होते ही अंधेरे में डूब गई धरती, देखें-अद्भुत वीडियो
सूर्योदय और सूर्यास्‍त प्रकृत‍ि के सबसे खूबसूरत नजारों में से एक है. इसे देखने के लिए लोग कई बार तो हजारों किलोमीटर तक चले जाते हैं. धरती पर हम सबने इस नजारे को देखा है और हर बार यह हमें मोह‍ित कर देता है. लेकिन ट्विटर पर एक वीडियो इन दिनों वायरल हो रहा है, जिसमें अंतर‍िक्ष से सूर्यास्‍त का नजारा दिख रहा है. यह दृश्‍य और भी ज्‍यादा खूबसूरत है. इससे पहले भी धरती के कई टाइम लैप्स अमेरिकी अंतर‍िक्ष…
View On WordPress
0 notes
dailykhabhar · 2 years ago
Text
यूएस के 4 जुलाई अवकाश से पहले तीन मास सूचना में दस मरे, 38 घायल | 10 dead, 38 wounded in three mass shootings ahead of US July 4 holiday
फिलाडेल्फिया, बाल्टीमोर और फोर्ट वर्थ में हुई तीन मास सूचना में हमलों में दस लोगों की मौत हुई है और 38 लोग घायल हुए हैं, अधिकारियों ने बताया, जिसने राष्ट्रपति जो बाइडेन को बंदूक नियंत्रण कानून पास करने के लिए एक नई आवाज दी। फोर्ट वर्थ में, पुलिस ने मंगलवार को अमेरिकी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर स्थानीय त्योहार के बाद हुई एक मास सूचना में तीन लोगों की मौत हुई और आठ घायल हुए, यह पुलिस ने…
View On WordPress
0 notes
deepinsideheartsblog · 2 years ago
Text
*#रसोई में भोजन बनाना छोड़ने का दुष्परिणाम : ज़रूर समझें
अमेरिका में क्या हुआ जब घर में खाना बनाना बंद हो गया ?
1980 के दशक के प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्रियों ने अमेरिकी लोगों को चेतावनी कि यदि वे परिवार में आर्डर देकर बाहर से भोजन मंगवाऐंगे तो देश मे परिवार व्यवस्था धीरे धीरे समाप्त हो जाएगी। साथ ही दूसरी चेतावनी दी कि यदि उन्होंने बच्चों का पालन पोषण घर के सदस्यो के स्थान पर बाहर से पालन पोषण की व्यवस्था की तो यह भी बच्चो के मानसिक विकास व परिवार के लिए घातक होगा।
लेकिन बहुत कम लोगों ने उनकी सलाह मानी। घर में खाना बनाना लगभग बंद हो गया है, और बाहर से खाना मंगवाने की आदत (यह अब नॉर्मल है), अमेरिकी परिवारों के विलुप्त होने का कारण बनी है जैसा कि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी।
घर मे खाना बनाना मतलब परिवार के सदस्यों के साथ प्यार से जुड़ना।
*पाक कला मात्र अकेले खाना बनाना नहीं है। बल्कि केंद्र बिंदु है, पारिवारिक संस्कृति का।*
घर मे अगर कोई किचन नहीं है , बस एक बेडरूम है, तो यह घर नहीं है, यह एक हॉस्टल है।
*अब उन अमेरिकी परिवारों के बारे में जाने जिन्होंने अपनी रसोई बंद कर दी और सोचा कि अकेले बेडरूम ही काफी है?*
1-1971 में, लगभग 72% अमेरिकी परिवारों में एक पति और पत्नी थे, जो अपने बच्चों के साथ रह रहे थे।
2020 तक, यह आंकडा 22% पर आ गया है।
2-पहले साथ रहने वाले परिवार अब नर्सिंग होम (वृद्धाश्रम) में रहने लगे हैं।
3-अमेरिका में, 15% महिलाएं एकल महिला परिवार के रुप में रहती हैं।
4-12% पुरुष भी एकल परिवार के रूप में रहते हैं।
5-अमेरिका में 19% घर या तो अकेले रहने वाले पिता या माता के स्वामित्व में हैं।
6-अमेरिका में आज पैदा होने वाले सभी बच्चों में से 38% अविवाहित महिलाओं से पैदा होते हैं।उनमें से आधी लड़कियां हैं, जो बिना परिवारिक संरक्षण के अबोध उम्र मे ही शारीरिक शोषण का शिकार हो जाती है ।
7-संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 52% पहली शादियां तलाक में परिवर्तित होती हैं।
8- 67% दूसरी शादियां भी समस्याग्रस्त हैं।
अगर किचन नहीं है और सिर्फ बेडरूम है तो वह पूरा घर नहीं है।
संयुक्त राज्य अमेरिका विवाह की संस्था के टूटने का एक उदाहरण है।
*हमारे आधुनिकतावादी भी अमेरिका की तरह दुकानों से या आनलाईन भोजन ख़रीदने की वकालत कर रहे हैं और खुश हो रहे हैं कि भोजन बनाने की समस्या से हम मुक्त हो गए हैं। इस कारण भारत में भी परिवार धीरे-धीरे अमेरिकी परिवारों की तरह नष्ट हो रहे हैं।*
जब परिवार नष्ट होते हैं तो मानसिक और शारीरिक दोनों ही स्वास्थ्य बिगड़ते हैं। बाहर का खाना खाने से अनावश्यक खर्च के अलावा शरीर मोटा और संक्रमण के प्रति संवेदनशील और बिमारीयों का घर हो जाता है।
शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है।
*इसलिए हमारे घर के बड़े-बूढ़े लोग, हमें बाहर के खाने से बचने की सलाह देते थे*
लेकिन आज हम अपने परिवार के साथ रेस्टोरेंट में खाना खाते हैं...",
स्विगी और ज़ोमैटो के माध्यम से अजनबियों द्वारा पकाए गए( विभिन्न कैमिकल युक्त) भोजन को ऑनलाइन ऑर्डर करना और खाना, उच्च शिक्षित, मध्यवर्गीय लोगों के बीच भी फैशन बनता जा रहा है।
दीर्घकालिक आपदा होगी ये आदत...
*आज हमारा खाना हम तय नही कर रहे उलटे ऑनलाइन कंपनियां विज्ञापन के माध्यम से मनोवैज्ञानिक रूप से तय करती हैं कि हमें क्या खाना चाहिए...*
हमारे पूर्वज निरोगी और दिर्घायु इस लिए थे कि वो घर क्या ...यात्रा पर जाने से पहले भी घर का बना ताजा खाना बनाकर ही ले जाते थे ।
*इसलिए घर में ही बनाएं और मिल-जुलकर खाएं । पौष्टिक भोजन के अलावा, इसमें प्रेम और स्नेह न��हित है।*
#भारतीयरसोई #देशीखानपान #अन्नदेवोभव:
#राष्ट्रभक्ति
0 notes
24gnewshindi · 4 years ago
Text
बिडेन एडमिनिस्ट्रेशन वैक्सीन कच्चे माल के निर्यात पर प्रतिबंध का कहना है 'अमेरिकियों पहले'
��िडेन एडमिनिस्ट्रेशन वैक्सीन कच्चे माल के निर्यात पर प्रतिबंध का कहना है ‘अमेरिकियों पहले’
नई दिल्ली: COVID-19 वैक्सीन के निर्माण के लिए कच्चे माल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने के अनुरोध का जवाब देते हुए, जो भारत के टीकाकरण अभियान को धीमा करने की धमकी देता है, एक राज्य विभाग के अधिकारी ने कहा कि बिडेन प्रशासन को अमेरिकी की जरूरतों को पूरा करना होगा। पहले लोग। विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा: “… संयुक्त राज्य अमेरिका और सबसे पहले एक महत्वाकांक्षी और प्रभावी और अमेरिकी लोगों को…
View On WordPress
0 notes
tvhealth1 · 3 years ago
Text
क्या आप जानते है भारत की पहला कोराना पॉजिटीज मरीज कौन थी
क्या आप जानते है भारत की पहला कोराना पॉजिटीज मरीज कौन थी… और कहां से थी… तो बता दें कि… भारत की पहली कोरोना पॉजिटीज मरीज... दक्षिण भारतीय राज्य केरल में मेडिकल की पढ़ाई करने वाली 20 साल की एक लड़की थी जो भारत में कोरोनावायरस से पॉजिटीव पाई गई थी। और वे 30 जनवरी 2020 को चीन के वुहान से लौटी थी… दोस्तों ये वहीं वुहान शहर है जहां कोरोना का पहला केस सामने आया था।  
क्या आप भारत की सबसे youngest अंग दान करने वाली लड़की के बारे में जानते हैं… अगर नहीं तो आपको बता दें कि, धनिष्ठा नाम की लड़की जो सिर्फ 20 महीने की थी… जो दिल्ली के रोहिणी स्थित अपने घर से खेलते-खेलते बालकनी से नीचे गिर गई थी तब दो दिन बाद डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। तब धनिष्ठा के माता-पिता ने जरूरतमंदो को अंगदान करने का फैसला किया। जिसमें से दिल्ली के ही इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में धनिष्ठा के ह्रदय को बच्चे के शरीर में सफलतापूर्वक प्रतिरोपण कर दिया गया। इसी तरह धनिष्ठा के कलेजे को एक नौ महीने के बच्चे के शरीर में प्रतिरोपित किया गया, उसकी किडनी को एक 34-वर्षीय व्यक्ति के शरीर में प्रतिरोपित किया गया और उसकी आंखों के कॉर्निया के टिशू को भी भविष्य में इस्तेमाल के लिए संभाल कर रख लिया गया है।
किसिंग किसी भी रिश्ते का प्यार भरा पहलू होता है लेकिन क्या आपने सोचा है... एक प्यारभरी किसिंग से कितने फायदे हो सकते हैं… खासकर, पार्टनर को जब आप प्यार से किस करते हैं, तो शारीरिक और मानसिक रूप से कई फायदे होते हैं… 
इसके अलावा शरीर का रक्त संचार ठीक होता है। 
सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और खुशी मिलती है।
एक अच्छी किस से शरीर में 2-10 कैलोरी कम होती है, जो वजन कम करने के लिए काफी है।
कई अध्ययन में यह बात भी कही गई है कि किस करने से चेहरे, गर्दन, जॉलाइन की मसल्स टोन होती है। किस करते समय कई मांसपेशियां काम करती हैं, जिससे चेहरा शेप में आता है।
आपने ऐसे बहुत से लोगों को कहते सुना होगा कि, चेहरे पर चमक लानी है तो बर्फ लगाएं… लेकिन कम ही लोगों को पता होगा कि, चेहरे पर बर्फ लगाने से डार्क सर्कल दूर होते हैं, ग्लोइंग स्किन करने में मदद करता है, मुहांसे दूर करने के लिए, बेदा�� त्वचा के लिए भी बर्फ का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि बर्फ को सीधा फेस पर नहीं लगाएं, उसे एक कपड़े में लपेटकर अपने फेस पर लगाएं… नहीं तो आपका फेस लाल पड़ सकता है।
सर्दियों में कुछ चीजों का सेवन करना किसी जड़ी-बूटी के सेवन करने से कम नहीं है। जिसमें से एक है तिल… तिल हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है। कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि, तिल में पाया जाने वाला तेल हाई ब्लड प्रेशर को कम करता है…. और दिल पर ज्यादा भार नहीं पड़ने देता यानी दिल की बीमारी दूर करने में भी तिल मददगार है… इसके अलावा… शरीर में खून की मात्रा को सही बनाए रखता है। -बाल और त्वचा को मजबूत और सेहतमंद रखने के लिए रोजाना तिल का सेवन बहुत ही लाभकारी माना जाता है। -तिल में मौजूद प्रोटीन पूरे शरीर को भरपूर ताकत और एनर्जी से भर देता है। इससे मेटाबोलिज्म भी अच्छी तरह काम करता है। लेकिन तिल को ज्यादा नहीं खाना चाहिए क्योंकि यह गर्म होते हैं इसलिए आपको तिल का सेवन करने में सावधानी रखनी चाहिए। खासतौर पर महिलाओं और छोटे बच्चों को…
साउथ दिल्ली के अरबिंदो मार्ग पर एक तरफ एम्स है, तो दूसरी तरफ देश का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र का अस्पताल सफदरजंग है। आजादी से पहले इस अस्पताल का निर्माण किया गया और द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सफदरजंग एयरपोर्ट के पास एक मिलिट्री बेस अस्पताल बनाया गया था, जिसे अमेरिकन हॉस्पिटल भी कहा जाता था। सफदरजंग में एयरपोर्ट होने की वजह से यहां पर अमेरिकी सेना के इलाज के ये अस्पताल बनाया गया था। यह दिल्ली के सबसे पुराने अस्पतालों में से एक है। 1954 में इसे भारत सरकार ने स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन किया। 204 बेड्स की क्षमता के साथ शुरू हुए इस अस्पताल में अब 3000 से भी अधिक बेड्स हैं।आजादी के 75 साल बाद ये अस्पताल देशभर के गरीब मरीजों के लिए सबसे बड़ी उम्मीद बन चुका है।
क्या आपने कभी पिंक झील के बारे में सुना है… अगर नहीं तो बता दें कि… 
पिंक झील पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में समुंदर के किनारे पर स्थित है और ये झील इसलिए फेमस है क्योंकि इसका पानी गुलाबी दिखाई देता है और कहा जाता है कि उसके अंदर सूक्ष्म जीवाणु है जिससे वे पानी को गुलाबी बनाते हैं और लोग ऊपर से हेलीकॉप्टर के द्वारा झील का नजारा लेते हैं। इस झील का पानी बिल्कुल खारा है... लेकिन जहरीला नहीं है जिसे लोग यहां इसके अंदर तैरते भी है और इसे देखने बहुत सारे पर्यटक आते हैं यह भी एक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है|
1 note · View note
globalnewsnetworkhindi · 19 hours ago
Text
Tumblr media
"...यही वजह है कि हमारी जोड़ी जम जाती है": प्रेसीडेंट ट्रंप के साथ संबंधों पर पॉडकास्ट में पीएम मोदी Our Channel: https://www.youtube.com/@globalnewsnetworkofficial?sub_confirmation=1 PM Modi President Trump Relation: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके बीच परस्पर विश्वास का रिश्ता है और वे बेहतर तरीके से एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं, क्योंकि वे हर चीज से ऊपर अपने राष्ट्रीय हितों को रखने में विश्वास करते हैं. लेक्स फ्रिडमैन के साथ एक पॉडकास्ट में मोदी ने ट्रंप की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक साहसी व्यक्ति बताया, जिसने अपने फैसले खुद किए और जो अमेरिका के प्रति अटूट रूप से समर्पित रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनका यह समर्पण उस वक्त भी दिखा, जब पिछले साल चुनाव प्रचार के दौरान एक बंदूकधारी ने उन्हें गोली मार दी थी. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में पहले की तुलना में कहीं अधिक तैयार दिखाई दे रहे हैं. मोदी ने राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के बारे में कहा, ‘‘उनके दिमाग में सुपरिभाषित कदमों के साथ स्पष्ट रोडमैप है, हर रोडमैप उन्हें उनके लक्ष्यों की ओर ले जाने के लिए तैयार किया गया है.'' हाल के दौरे का किया जिक्र प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान उन्हें ट्रंप की टीम के सदस्यों से मिलने का अवसर मिला. उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि उन्होंने मजबूत और सक्षम टीम बनाई है. और इतनी मजबूत टीम के साथ, मुझे लगता है कि वे राष्ट्रपति ट्रंप के दृष्टिकोण को लागू करने में पूरी तरह सक्षम हैं.'' इस दौरान, उन्होंने उपराष्ट्रपति जे डी वेंस, राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड, विवेक रामास्वामी और एलन मस्क के साथ अपनी बैठकों को भी याद किया. ‘हाउडी मोदी' को याद किया प्रधानमंत्री ने सितंबर 2019 में ह्यूस्टन में खचाखच भरे एनआरजी स्टेडियम में आयोजित ‘हाउडी मोदी' सामुदायिक कार्यक्रम को याद किया और बताया कि किस तरह ट्रंप ने दर्शकों के बीच बैठकर उनका भाषण सुना था. उन्होंने कहा, ‘‘यह उनका बड़प्पन है. जब मैं मंच से बोल रहा था तब अमेरिका के राष्ट्रपति श्रोताओं में बैठे थे. यह उनका बड़प्पन था.'' प्रधानमंत्री ने यह भी याद किया कि कैसे अमेरिकी सुरक्षा व्यवस्था में उस समय खलबली मच गई थी, जब उन्होंने राष्ट्रपति ��्रंप से दर्शकों का अभिवादन करने के लिए खचाखच भरे स्टेडियम का दौरा करने को कहा था और वह बिना किसी हिचकिचाहट के सहमत हो गए थे.  पीएम मोदी ने कहा, ‘‘उनकी पूरी सुरक्षा सकते में आ गई थी. लेकिन मेरे लिए वह क्षण वास्तव में दिल को छू लेने वाला था. इससे पता चला कि इस आदमी में हिम्मत है. वह अपने फैसले खुद करते हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने उस पल में मुझ पर और मेरे नेतृत्व पर भरोसा किया कि वह मेरे साथ भीड़ के बीच चले गए.'' प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘यह आपसी विश्वास की भावना थी, हमारे बीच एक मजबूत बंधन था, जो मैंने उस दिन वास्तव में देखा. और जिस तरह से मैंने उस दिन राष्ट्रपति ट्रंप को सुरक्षा के बिना हजारों की भीड़ में चलते देखा, वह वास्तव में अद्भुत था.'' क्यों जम जाती है जोड़ी? प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने उसी लचीले और दृढ़ राष्ट्रपति ट्रंप को देखा जब अमेरिकी चुनाव अभियान के दौरान उन पर गोली चलाई गई थी. उन्होंने कहा, ‘‘गोली लगने के बाद भी वह अमेरिका के लिए अटूट रूप से समर्पित रहे. उनका जीवन अपने राष्ट्र के लिए है. इसने उनकी अमेरिका फर्स्ट भावना को दिखाया, जैसे मैं राष्ट्र प्रथम में विश्वास करता हूं', भारत पहले. मेरे लिए भारत पहले है. यही वजह है कि हमारी जोड़ी जम जाती है. ये ऐसी चीजें हैं जो वास्तव में प्रतिध्वनित होती हैं." प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनियाभर में नेताओं को मीडिया में इतना अधिक कवरेज मिलता है कि लोग उन्हें ज्यादातर मीडिया के चश्मे से देखते हैं.
0 notes
livetimesnewschannel · 2 months ago
Text
ISIS's Return: How the Terror Group is Expanding Once More
Tumblr media
Introduction Of ISIS Resurgence
ISIS Resurgence: 1 जनवरी 2025 यानी नए साल के पहले दिन ही अमेरिका बेहद बुरी तरह से दहल उठा. अमेरिका के न्यू ऑरलियन्स की बॉर्बन स्ट्रीट पर मौज-मस्ती कर रहे लोगों को एक पिकअप ट्रक ने कुचल दिया. पहले इसे सामान्य हमला माना जा रहा था. बाद में जब पिकअप ट्रक की तलाशी ली गई, तो पता चला कि यह दुर्घटना सामान्य नहीं थी. यह एक आतंकी हमला था, जिसे ISIS यानी इस्लामिक स्टेट से प्रभावित एक शख्स ने अंजाम दिया था. शख्स की पहचान शम्सुद्दीन जब्बार के रूप में की गई है. ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या ISIS कुचले जाने के बाद फिर से जिंदा हो रहा है. इस बीच अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप भी सत्ता संभालने वाले हैं. ऐसे में ISIS को पहले कुचलने का दावा करने वाले डोनाल्ड ट्रंप के लिए भी यह सबसे बड़ी चुनौती है.
Table Of Content
अमेरिका में हुआ ताजा हमला
ISIS ने सीरिया के गृहयुद्ध का कैसे उठाया फायदा
ISIS-खुरासान ने संभाली कमान
UN ने ISIS को लेकर क्यों ��ी चेतावनी
दुनिया में ISIS के अब तक के घातक हमले
सीरिया और इराक में ISIS के ताजा हालात
अमेरिका में हुआ ताजा हमला
गौरतलब है कि ISIS के नाम से मशहूर इस आतंकी संगठन ने दुनिया भर में मौत और विनाश की क्रूर विरासत छोड़ी है. मीडिल-ईस्ट में ISIS का अब कोई खास प्रभाव वाला इलाका बचा नहीं है, लेकिन इस क्रूर संगठन ने दुनिया भर में आतंकी हमले करना जारी रखा. इसके साथ ही वह चरमपंथी विचारधारा के जरिए युवाओं को भड़काता रहता है. ISIS एक सुन्नी मुस्लिम विद्रोही गुट है, जिसे माना जाता है कि इराक में अलकायदा से जन्म हुआ. इराक में साल 2013 से लेकर 2017 तक चले गृहयुद्ध के लिए भी इस संगठन को ही जिम्मेदार माना जाता है. बाद में स्थानीय मिलिशिया और अमेरिकी सैनिकों ने इन विद्रोहियों को कुचल दिया.
यह भी पढ़ें: 19 पाकिस्तानी सैनिकों को मारा, 2 चौकियों पर किया कब्जा; सीमा पर कहर बनकर टूटा तालिबान
ISIS ने सीरिया के गृहयुद्ध का कैसे उठाया फायदा
Tumblr media
यह भी पढ़ें: Indian Foreign Policy In 2025: नए साल में कैसी होगी भारत की ‘पड़ोसी प्रथम नीति’?
ISIS-खुरासान ने संभाली कमान
कुछ महीनों बाद 22 मार्च रूस की राजधानी मास्को स्थित एक कॉन्सर्ट हॉल में घातक हमला किया था, जिसे अमेरिकी अधिकारियों ISIS-K(खुरासान) को दोषी ठहराया था. इस हमले में कम से कम 137 लोग मारे गए थे . 16 ज���लाई को ISIS-K के आतंकियों ने ओमान के मस्जिद में गोलीबारी की, जिसमें 6 लोग मारे गए थे. इसमें ISIS ने शिया मुसलमानों को निशाना बनाया था. इन हमलों के अलावा भी इराक और सीरिया समेत कई देशों में हमले किए गए हैं.
UN ने ISIS को लेकर क्यों दी चेतावनी?
यह भी पढ़ें: बांग्लादेश और सीरिया में तख्तापलट! इस साल की चर्चित घटनाओं में रही शुमार
दुनिया में ISIS के अब तक के घातक हमले
इसके बाद 22 मार्च 2016 को सुबह ब्रुसेल्स में एक एयरपोर्ट और मेट्रो स्टेशन को ISIS के आतंकियों ने उड़ा दिया था. इसमें 32 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. साल 2016 में 14 जुलाई को फ्रांस के नीस में बैस्टिल दिवस के दिन एक व्यक्ति ने आतिशबाजी देख रही भीड़ को 19 टन वजनी ट्रक से कुचल दिया. ISIS ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन ड्राइवर के सीधे तौर पर आतंकी समूह से जुड़े होने का कोई सबूत नहीं मिले. साल 2015 में ISIS के आतंकियों ने इसी तरह जॉर्डन के सैन्य पायलट मोआज अल कसासबेह को जिंदा जलाया और इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर जारी किया. वहीं, 2015 में 15-16 फरवरी को ISIS से संबंधित लीबियाई आतंकियों ने एक वीडियो जारी कर 21 मिस्र के ईसाइयों का सिर कर दिया.
यह भी पढ़ें: Syrian Civil War: सीरिया में गृह युद्ध की क्या है वजह और पूरी कहानी?
सीरिया और इराक में ISIS के ताजा हालात
सीरिया में बशर अल असद के सत्ता से बेदखल होने और सेनाओं के पतन के बाद से विदेशी मामलों के जानकारों का मानना है कि ISIS इन इलाकों में फिर से अपने पैर जमा सकता है. पिछले साल जुलाई के महीने में अमेरिकी विदेश मंत्रालय पेंटागन के प्रवक्ता ने चेतावनी जारी करते हुए बताया था कि इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के हमले पिछले साल की तुलना में दोगुने होने के कगार पर हैं.
बशर अल असद के हटते ही अमेरिका समर्थित कुर्द बलों और तुर्की समर्थित विद्रोहियों के बीच संघर्ष उग्र रूप लेता जा रहा है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि ISIS फिर से अपने पैर जमा सकता है. इराक में भी उनका प्रभाव बढ़ सकता है. अमेरिकी सेना की मीडिल-ईस्ट में तैनात अमेरिकी सेंट्रल कमांड के मुताबिक सीरिया में ISIS के 20 से अधिक ठिकाने मौज��द हैं. इसमे कुल 9 हजार से अधिक लड़ाके शामिल हैं. वहीं, सीरिया में 2 हजार और इराक में 2.5 हजार अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. सीरिया में उथल-पुथल जारी है और अमेरिकी सैनिकों ने हवाई हमले जारी रखे हैं. इससे वह ISIS के लड़ाकों और शिविरों क�� निशाना बना रहे हैं.
Conclusion
ISIS फिलहाल सीरिया में है, लेकिन समूह का अफगान सहयोगी ISIS-K ने हाल के हमलों से यह सिद्ध कर चुका है कि वह दुनिया के किसी भी हिस्से में बड़े हमले को अंजाम दे सकता है. ISIS-K दुनिया के अलावा यह संगठन अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से भी लड़ रहा है. अमेरिकी अधिकारी मीडिल-ईस्ट के अलावा अफ्रीकी साहेल इलाके में भी नजर रख रहे हैं, क्योंकि अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि ISIS (जिसे ISIL या अपमानजनक Daesh भी कहा जाता है) साहेल में तेजी से प्रगति कर रहा है.
बता दें कि ISIS ने ही पिछले साल मार्च में नाइजर की सेना पर हमला कर 30 जवानों को मार दिया था. ऐसे में अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि ISIS को नाइजीरिया, कांगो जैसे अफ्रीकी देशों से 60 फीसदी तक मदद मिल रही है. ISIS के लड़ाके फिलहाल हिट-एंड-रन हमले कर रहे हैं. वहीं, ISIS-K का अफगान लीडर सनाउल्लाह गफारी इसे वैश्विक संगठन बनाने की तैयारी कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र को भी डर है कि ISIS के लड़ाके अफगानिस्तान के साथ ही गृहयुद्ध की चपेट में सूडान में राजनीतिक अस्थिरता का फायदा उठा सकते हैं.
यह भी पढ़ें: करोड़ों का इनाम, ISIS ने किया मौत की सजा देने का एलान, कौन है सीरियाई विद्रोह का चेहरा जोलानी?
वहीं, साल 2019 में अबू बकर अल-बगदादी के मारे जाने के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका ने दुनिया के नंबर एक आतंकी को न्याय के कटघरे में खड़ा किया. अबू बकर अल-बगदादी मर चुका है, जो ISIS का संस्थापक और नेता था. उन्होंने दावा किया था कि अबू बकर अल-बगदादी को पकड़ना या मारना उनके प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता थी. उन्होंने जोर देकर कहा कि उसने दूसरों को डराने की बहुत कोशिश की थी, लेकिन अपने अंतिम समय में घबराहट और खौफ में बिताए थे.
उन्होंने दावा किया था कि अमेरिकी सैनिकों की पहुंच बहुत लंबी है, जिन्होंने ओसामा बिन लादेन के बहुत ही हिंसक बेटे हमजा बिन लादेन को मार गिराया था. अबू बकर अल-बगदादी के बाद हमने ISIS की खिलाफत को 100 प्रतिशत खत्म कर दिया है. साथ ही ISIS आतंकियों को उनके क्रूर अंत तक पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास करते रहेंगे. ऐसे में माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप सत्ता संभालने के बाद बड़े पैमाने पर ISIS के आतंकियों के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं. यह बात अन्य आतंकी संगठनों पर भी लागू होती है.
बता दें कि मीडिल-ईस्ट में तैनात अमेरिकी सेंट्रल कमांड के मुताबिक जनवरी से जून 2024 तक ISIS के खिलाफ 196 मिशन चलाए गए हैं. इसमें इराक में कुल 44 ISIS ऑपरेटिव मारे गए है. वहीं, सीरिया में 59 ऑपरेशनों में 14 ISIS ऑपरेटिव मारे गए. इस दौरान इराक और सीरिया में आठ वरि��्ठ ISIS लीडर मारे गए और 32 पकड़े गए हैं. यह लीडर सीरिया और इराक के बाहर अभियानों की ��ोजना बनाने, भर्ती करने, प्रशिक्षण देने और हथियारों की तस्करी करने के लिए जिम्मेदार थे. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि ISIS का अगला प्लान क्या होगा और डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में आने के बाद इससे कैसे निपटे हैं.
Follow Us On: Facebook | X | LinkedIn | YouTube | Instagram
0 notes
rightnewshindi · 3 months ago
Text
स्पेस स्टेशन कमांडर सुनीता विलियम्स की नई फोटो आई सामने, हेल्थ को लेकर उठे सवाल; जानें क्या बोले लोग
Sunita Williams Health: भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और अंतरिक्ष में उनके साथी विल्मोर बुच कई महीनों से स्पेस में ‘फंसे’ हुए हैं। दोनों की वापसी अब मार्च के आखिरी या फिर अप्रैल महीने से पहले नहीं हो सकेगी। वापसी में लगातार समय बढ़ता जा रहा है। अब सुनीता की एक नई तस्वीर सामने आई है, जिसमें एक बार फिर से उनके हेल्थ को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। तस्वीर पर कमेंट करके लोग सुनीता…
0 notes
allgyan · 4 years ago
Photo
Tumblr media
पाद या fart -
पाद या fart ये शब्द सुनके अजीब लग रहा होगा। लेकिन जो आज हम आपको बताने जा रहा है वो और भी अजीब है। पहले लोग कहा करते थे की कमाने वाले कुछ भी बेच कर कमा लेते है। और उदहारण देते थे की जैसे लोग हवा को बेचकर भी कमा लेते है जैसे -गुब्बारा देख लो। चलो यहाँ तक तो ठीक था। लेकिन इतना पैसा कमा लेते है और कमाते ही जा रहे है। बहुत अजीब लगा। लेकिन ये सच है। Lush बॉटनिस्ट की एक महिला है जो इससे पैसे कमा रही है।पसीना बहाकर तो कोई भी पैसा कमा ले, मगर बदबू फैलाकर मालामाल होने का हुनर सिर्फ़ Lush Botanist को आता है।ये महिला ऑनलाइन अपनी पाद (fart ) बेचकर लाखों रुपये छापे पड़ी है। लोग इस महिला को Fart करता देखने के लिए अच्छी-खासी रकम चुकाते हैं। कहते हैं न, इस Lush Botanist है, बस बेचने वाला चाहिए।
लश बोटानिका कैसी महिला और क्या करती है -
एक अमेरिकी महिला लश बोटानिका, जो एक YouTuber और एडल्ट स्टार भी हैं, ने खुलासा किया कि उन्होंने अपने पाद ( फ़ार्ट्स) को ऑनलाइन बेचकर 25,000 डॉलर या 18 लाख रुपये से अधिक कमाए हैं। चैनल 4 के एक साक्षात्कार में, उसने कहा कि यह सब तब शुरू हुआ जब एक व्यक्ति ने उससे संपर्क किया, जिसने उसे एक कस्टम पाद वीडियो बनाने के लिए कहा।लेकिन उन्होंने बताया की पहले वो कैमरे  क��� सामने अपना पादने और खुद को दिखाने के लिए तैयार नहीं थी। लेकिन बिना मन से उन्होंने ये कर लिया और लोगों की इसपे प्रतिक्रिया बहुत ही पॉजिटिव देखकर वो आश्चर्य में पड़ गयी।जल्द ही उसे अन्य लोगों द्वारा कैमरे पर पादने के लिए पैसे की पेशकश करने का अनुरोध मिलने लगा।
एक दिन सबसे अधिक कमाई -
लश बोटानिका ने इंटरव्यू देते वक़्त अपने एक दिन के कमाए गए रूपए का भी खुलासा किया। वो थे 4000 अमेरिकन डॉलर भारत की मुद्रा में ये 3 लाख के आस -पास है।यही कारण है कि वह एक पाद वीडियो के लिए $175 डॉलर या 12,000 रुपये तक चार्ज कर सकती हैं।Lush Botanist ख़ुद को 'इंटरनेट की फ़ार्ट क्वीन' मानती हैं। उनसे बार-बार कैमरे पर Fart करने का अनुरोध करते हैं उन्हें Fart करते हुए देखने के लिए पैसा भी देते हैं।ऐसे में वो ये काम तीन साल से कर रही हैं।इतना ही नहीं, वो अपनी Fart की आवाज़ को बेहतरीन बनाने के लिए माइक्रोफ़ोन का भी इस्तेमाल करती हैं।
किन चीजें का ध्यान देती है -लश अच्छा पादने के लिए -
कोई भी काम आसान नहीं है और पैसे के लिए पादना तो और मुश्किल है। इतनी बार पादना भी आसान काम नहीं है। उन्हें कई तरह के  कुछ खाद्य पदार्थ जैसे पनीर, डेयरी खाने की जरूरत पड़ती  है,भले ही वह लैक्टोज असहिष्णु है।लैक्टोज असहिष्णु से मतलब ये है की शरीर में लैक्टेज एंजाइम की कमी होती है तो लैक्टोज टूट नहीं पाता और दूध पचता नहीं है।Lush अपनी पाद ( fart ) की क्वालिटी मेनटेन करने के लिए डाइट पर भी बहुत ध्यान देती हैं।परमेसन चीज़ अक्सर उसके फ़ार्ट्स को ‘सल्फ्यूरी’ बनाती है और मोज़ेरेला चीज़ उसे ‘चुलबुली’ ध्वनि देती है।
लोगो के अजीबो ग़रीब रिक्वेस्ट -
वह फ़ार्ट्स के जार और उन वस्तुओं को भी भेजती है जिन पर फ़ार्ट किया गया है। उसने याद किया कि एक बार उसने एक ग्राहक के लिए फ्लेवर्ड लॉलीपॉप पर पाद किया था।सबसे अजीब अनुरोध के बारे में बात करते हुए,उसने खुलासा किया कि एक ग्राहक ने एक बार उसे एक मॉडल ट्रेन के सेट से एक छोटी मूर्ति पर पादने के लिए कहा।यही दुनिया है लोगों के अज़ब गज़ब शौक है।ये लेख मनोरंजन के लिखा गया है। अगरआप को हमारे आर्टिकल पसंद आ रहे है तो हमे अपना प्यार दे।
2 notes · View notes
dainiksamachar · 1 year ago
Text
2024 में इतिहास रचने को तैयार अमेरिका, 54 साल में पहली बार चंद्रमा पर करेगा सॉफ्ट लैंडिंग?
वॉशिंगटन: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) अपोलो मिशन को दोहराने को तैयार है। इस मिशन को अगले साल यानी जनवरी 2024 में चंद्रमा पर उतारने की उम्मीद है। अंतर सिर्फ इतना होगा कि यह मिशन इस बार पूरी तरह से निजी होगा और इसमें इंसानों की जगह मशीनरी को भेजा जाएगा। अगर यह मिशन सफल साबित हुआ तो अमेरिका की निजी कंपनी इतिहास रच सकती है। नासा ने आखिरी अपोलो मिशन को 1969 में भेजा गया था। इसी दौरान अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग चंद्रमा पर उतरने वाले पहले व्यक्ति बने थे। नासा ने इस मून मिशन को अंजाम देने के लिए निजी अमेरिकी कंपनी एस्ट्रोबोटिक का चुनाव किया है। 24 दिसंबर को लॉन्च होगा रोवर नासा के अनुसार, एस्ट्रोबोटिक का लैंडर पेरेग्रीन का प्रक्षेपण 24 दिसंबर को स्थानीय समयानुसार 1:50 बजे तय किया गया है। इसके फ्लोरिडा से यूनाइटेड लॉन्च एलायंस (यूएलए) वल्कन सेंटौर रॉकेट पर उड़ान भरने की उम्मीद है। इसके बाद लैंडर के 25 जनवरी, 2024 को चंद्रमा पर पहुंचने की उम्मीद है। चंद्रमा पर अभी तक कुल 12 लोग उतरे हैं। हालांकि, दुनिया के सिर्फ चार देशों ने चंद्रमा पर सफल लैंडिंग की है। इसमें अमेरिका, रूस, चीन और भारत शामिल हैं। भारत के चंद्रयान-3 ने इसी साल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रचा था। इस क्षेत्र में भारत को छोड़कर अब तक किसी भी देश को सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता नहीं मिली है। रोवर में नहीं होगा कोई इंसान नासा ने बताया है कि एस्ट्रोबोटिक का छह फुट ऊंचे लैंडर पेरेग्रीन में कोई भी नहीं होगा। बल्कि, वह नासा के उपकरणों को लेकर जाएगा, जिनका इस्तेमाल चंद्रमा के पर्यावरण के अध्ययन के लिए किया जाएगा। अभी तक कोई भी निजी कंपनी चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर सकी है। ऐसे में एस्ट्रोबोटिक के इस अभियान को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस कंपनी का चुनाव नासा के कॉमर्शियल लूनर प्राइवेट सर्विस (सीएलपीएस) पहल का हिस्सा है। इसके तहत नासा विभिन्न अमेरिकी कंपनियों के साथ चंद्रमा की सतह पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी पहुंचाने के लिए काम करता है। प्राइवेट कंपनियों को बढ़ावा दे रहा नासा नासा की वेबसाइट के अनुसार, कंपनियां नासा के लिए पेलोड पहुंचाने पर बोली लगाती हैं, और सीएलपीएस अनुबंध "अनिश्चित डिलीवरी और अनिश्चित मात्रा वाला अनुबंध हैं, जिनका अधिकतम कॉन्ट्रैक्ट मूल्य 2028 तक 2.6 बिलियन डॉलर है। अंतरिक्ष के क्षेत्र के कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, इन निश्चित मूल्य अनुबंधों का उद्देश्य एक लूनर इकॉनमी बनाने में मदद करेगा जो अंतरिक्ष यात्रा के लिए कम कीमतें प्रदान करेगी। सीएलपीएस कार्यक्रम के मैनेजर क्रिस कल्बर्ट ने कहा, "नासा नेतृत्व जोखिमों से अवगत है और उसने स्वीकार किया है कि इनमें से कुछ मिशन सफल नहीं हो सकते हैं।" "लेकिन भले ही हर लैंडिंग सफल न हो, सीएलपीएस का लूनर इकॉनमी स्थापित करने के लिए आवश्यक वाणिज्यिक बुनियादी ढांचे पर पहले से ही प्रभाव पड़ा है।" http://dlvr.it/SzcRQT
0 notes
pratsy59 · 5 years ago
Text
मित्रों, यह सम्भव है कि आपने पहले ही इस संदेश को पढा हो। परन्तु इसे ध्यान से पुनः पढें और सम्पूर्ण परिवार, बच्चों और मित्रों में गम्भीरता से चर्चा करें। भविष्य में किसी भी इस तरह की साजिश से बचने के लिए, अत्यंत सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसे सभी निर्माताओं और कलाकारों का पूर्ण बहिष्कार करना अति आवश्यक है।
👇🏾👇🏾👇🏾👇🏾👇🏾👇🏾🙄🙄
#Serious_Post
*हिंदुओं के खिलाफ ज़हर फैला रहा है बॉलीवुड,....IIM के प्रोफेसर धीरज शर्मा की अहमदाबाद से आयी सनसनीखेज रिपोर्ट*...
*अक्सर कहा जाता है कि बॉलीवुड की फिल्में हिंदू और सिख धर्म के खिलाफ लोगों के दिमाग में धीमा ज़हर भर रही हैं। इस शिकायत की सच्चाई जानने के लिए अहमदाबाद में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) के एक प्रोफेसर ने एक अध्ययन किया है*
*जिसके नतीजे चौंकाने वाले हैं। आईआईएम के प्रोफेसर धीरज शर्मा ने बीते छह दशक की 50 बड़ी फिल्मों की कहानी को अपने अध्ययन में शामिल किया और पाया कि बॉलीवुड एक सोची-समझी रणनीति के तहत बीते करीब 50 साल से लोगों के दिमाग में यह बात भर रहा है कि हिंदू और सिख दकियानूसी होते हैं।*
*उनकी धार्मिक परंपराएं बेतुकी होती हैं। मुसलमान हमेशा नेक और उसूलों पर चलने वाले होते हैं। जबकि ईसाई नाम वाली लड़कियां बदचलन होती हैं। हिंदुओं में कथित ऊंची जातियां ही नहीं, पिछड़ी जातियों के लिए भी रवैया नकारात्मक ही है। यह पहली बार है जब बॉलीवुड फिल्मों की कहानियों और उनके असर पर इतने बड़े पैमाने पर अध्ययन किया गया है।*
*ब्राह्मण नेता भ्रष्ट , वैश्य बेइमान कारोबारी!*
*आईआईएम के इस अध्ययन के अनुसार फिल्मों में 58 फीसदी भ्रष्ट नेताओं को ब्राह्मण दिखाया गया है। 62 फीसदी फिल्मों में बेइमान कारोबारी को वैश्य सरनेम वाला दिखाया गया है। फिल्मों में 74 फीसदी सिख किरदार मज़ाक का पात्र बनाया गया। जब किसी महिला को बदचलन दिखाने की बात आती है तो 78 फीसदी बार उनके नाम ईसाई वाले होते हैं। 84 प्रतिशत फिल्मों में मुस्लिम किरदारों को मजहब में पक्का यकीन रखने वाला, बेहद ईमानदार दिखाया गया है। यहां तक कि अगर कोई मुसलमान खलनायक हो तो वो भी उसूलों का पक्का होता है।*
*हैरानी इस बात की है कि यह लंबे समय से चल रहा हैऔरअलग-अलग समय की फिल्मों में इस मैसेज को बड़ी सफाई से फिल्मी कहानियों के साथ बुना जाता है। अध्ययन के तहत रैंडम तरीके से 1960 से हर दशक की 50-50 फिल्में चुनी गईं। इनमें A से लेकर Z तक हर शब्द की 2 से 3 फिल्में चुनी गईं। ताकि फिल्मों के चुनाव में किसी तरह पूर्वाग्रह न रहे। अध्ययन के नतीजों से साफ झलकता है कि फिल्म इंडस्ट्री किसी एजेंडे पर काम कर रही है।*
*बजंरगी_भाईजान देखने के बाद अध्ययन*
*प्रोफेसर धीरज शर्मा कहते हैं कि “मैं बहुत कम फिल्में देखता हूं। लेकिन कुछ दिन पहले किसी के साथ मैंने बजरंगी भाईजान फिल्म देखी। मैं हैरान था कि भारत में बनी इस फिल्म में ज्यादातर भारतीयों को तंग सोच वाला, दकियानूसी और भेदभाव करने वाला दिखाया गया है। जबकि आम तौर पर ज्यादातर पाकिस्तानी खुले दिमाग के और इंसान के बीच में फर्क नहीं करने वाले दिखाए गए हैं।” यही देखकर उन्होंने एक तथ्यात्मक अध्ययन करने का फैसला किया।*
*वो यह जानना चाहते थे कि फिल्मों के जरिए लोगों के दिमाग में गलत सोच भरने के जो आरोप लगते हैं क्या वाकई वो सही हैं? यह अध्ययन काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि फिल्में नौजवान लोगों के दिमाग, व्यवहार, भावनाओं और उनके सोचने के तरीके को प्रभावित करती हैं। यह देखा गया है कि फिल्मों की कहानी और चरित्रों के बर्ताव की लोग निजी जीवन में नकल करने की कोशिश करते हैं।*
*पाकिस्तान_और_इस्लाम का महिमामंडन*......
*प्रोफेसर धीरज और उनकी टीम ने 20 ऐसी फिल्मों को भी अध्ययन में शामिल किया जो पिछले कुछ साल में पाकिस्तान में भी रिलीज की गईं। उनके अनुसार ‘इन���ें से 18 में पाकिस्तानी लोगों को खुले दिल और दिमाग वाला, बहुत सलीके से बात करने वाला और हिम्मतवाला दिखाया गया है। सिर्फ पाकिस्तान की सरकार को इसमें कट्टरपंथी और तंग नजरिए वाला दिखाया जाता है।*
*ऐसे में सवाल आता है कि हर फिल्म भारतीय लोगों को पाकिस्तानियों के मुकाबले कम ओपन-माइंडेड और कट्टरपंथी सोच वाला क्यों दिखा रही है? इतना ही नहीं इन फिल्मों में भारत की सरकार को भी बुरा दिखाया जाता है।*
*पाकिस्तान में रिलीज़ हुई ज्यादातर फिल्मों में भारतीय अधिकारी अड़ंगेबाजी करने वाले और जनता की भावनाओं को नहीं समझने वाले दिखाए जाते हैं।’ फिल्मों के जरिए इमेज बनाने-बिगाड़ने का ये खेल 1970 के दशक के बाद से तेजी से बढ़ा है। जबकि पिछले एक दशक में यह काम सबसे ज्यादा किया गया है। 1970 के दशक के बाद ही फिल्मों में सलीम-जावेद जैसे लेखकों का असर बढ़ा, जबकि मौजूदा दशक में सलमान, आमिर और शाहरुख जैसे खान हीरो सक्रिय रूप से अपनी फिल्मों में पाकिस्तान और इस्लाम के लिए सहानुभूति पैदा करने वाली बातें डलवा रहे हैं।*
*बच्चों के दिमाग पर बहुत बुरा असर अध्ययन के तहत फिल्मों के असर को जानने के लिए इन्हें 150 स्कूली बच्चों के एक सैंपल को दिखाया गया।* *प्रोफेसर धीरज शर्मा के अनुसार 94 प्रतिशत बच्चों ने इन फिल्मों को सच्ची घटना के तौर पर स्वीकार किया।’ यह माना जा सकता है* *कि फिल्म वाले पाकिस्तान, अरब देशों, यूरोप और अमेरिका में फैले भारतीय और पाकिस्तानी समुदाय को खुश करने की नीयत से ऐसी फिल्में बना रहे हों। लेकिन यह कहां तक उचित है कि इसके लिए हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों को गलत रौशनी में दिखाया जाए?*
*वैसे भी इस्लाम को हिंदी फिल्मों में जिस सकारात्मक रूप से दिखाया जाता है, वास्तविक दुनिया में उनकी इमेज इससे बिल्कुल अलग है। आतंकवाद की ज्यादातर घटनाओं में मुसलमान शामिल होते हैं, लेकिन फिल्मों में ज्यादातर आतंकवादी के तौर पर हिंदुओं को दिखाया जाता है। जैसे कि शाहरुख खान की ‘मैं हूं ना’ में सुनील शेट्टी एक आतंकी संगठन का मुखिया बना है जो नाम से हिंदू है।*
*सलीम जावेद सबसे बड़े जिहादी सलीम जावेद* *की लिखी फिल्मों में हिंदू धर्म को अपमानित करने की कोशिश सबसे ज्यादा दिखाई देती है।* *इसमें अक्सर अपराधियों का महिमामंडन किया जाता है। पंडित को धूर्त, ठाकुर को जालिम, बनिए को सूदखोर, सरदार को मूर्ख कॉमेडियन आदि ही दिखाया जाता है। ज्यादातर हिंदू किरदारों की जातीय पहचान पर अच्छा खासा जोर दिया जाता था।* *इनमें अक्सर बहुत चालाकी से हिंदू परंपराओं को दकियानूसी बताया जाता था। इस जोड़ी की लिखी तकरीबन हर फिल्म में एक मुसलमान किरदार जरूर होता था जो बेहद नेकदिल इंसान और अल्ला का बंदा होता था। इसी तरह ईसाई धर्म के लोग भी ज्यादातर अच्छे लोग होते थे।*
*सलीम-जावेद की फिल्मों में मंदिर और भगवान का मज़ाक आम बात थी। मंदिर का पुजारी ज्यादातर लालची, ठग और बलात्कारी किस्म का ही होता था। फिल्म “शोले” में धर्मेंद्र भगवान शिव की आड़ लेकर हेमा मालिनी को अपने प्रेमजाल में फँसाना चाहता है, जो यह साबित करता है कि मंदिर में लोग लड़कियाँ छेड़ने जाते हैं। इसी फिल्म में एके हंगल इतना पक्का नमाजी है कि बेटे की लाश को छोड़कर, यह कहकर नमाज पढ़ने चल देता है कि उसने और बेटे क्यों नहीं दिए कुर्बान होने के लिए।*
*दीवार फिल्म का अमिताभ बच्चन नास्तिक है और वो भगवान का प्रसाद तक नहीं खाना चाहता है, लेकिन 786 लिखे हुए बिल्ले को हमेशा अपनी जेब में रखता है और वो बिल्ला ही बार-बार अमिताभ बच्चन की जान बचाता है। फिल्म “जंजीर” में भी अमिताभ बच्चन नास्तिक हैं और जया, भगवान से नाराज होकर गाना गाती है, लेकिन शेरखान एक सच्चा मुसलमान है। फिल्म ‘शान” में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर साधु के वेश में जनता को ठगते हैं, लेकिन इसी फिल्म में “अब्दुल”* *ऐसा सच्चा इंसान है जो सच्चाई के लिए जान दे देता है। फिल्म “क्रान्ति”* *में माता का भजन करने वाला राजा (प्रदीप कुमार) गद्दार है और करीम खान (शत्रुघ्न सिन्हा) एक महान देशभक्त, जो देश के लिए अपनी जान दे देता है।*
*अमर-अकबर-एंथोनी में तीनों बच्चों का बाप किशनलाल एक खूनी स्मगलर है लेकिन उनके बच्चों (अकबर और एंथोनी) को पालने वाले मुस्लिम और ईसाई बेहद नेकदिल इंसान है। कुल मिलाकर आपको सलीम-जावेद की फिल्मों में हिंदू नास्तिक मिलेगा या फिर धर्म का उपहास करने वाला। जबकि मुसलमान शेर खान पठान, डीएसपी डिसूजा, अब्दुल, पादरी, माइकल, डेविड जैसे आदर्श चरित्र देखने को मिलेंगे।*
*हो सकता है आपने पहले कभी इस पर ध्यान न दिया हो, लेकिन अबकी बार ज़रा गौर से देखिएगा केवल "सलीम-जावेद" की ही नहीं, बल्कि "कादर खान, कैफ़ी आजमी, महेश भट्ट" जैसे ढेरों कलाकारों की कहानियों का भी यही हाल है। "सलीम-जावेद"* *के दौर में फिल्म इंडस्ट्री पर दाऊद इब्राहिम का नियंत्रण काफी मजबूत हो चुका था। हम आपको बता दें कि सलीम खान सलमान खान के पिता हैं, जबकि जावेद अख्तर आजकल सबसे बड़े सेकुलर का चोला ओढ़े हुए हैं।*
*अब तीनों खान ने संभाली जिम्मेदारी,*
*मौजूदा समय में तीनों खान एक्टर फिल्मों में हिंदू किरदार करते हुए हिंदुओं के खिलाफ माहौल बनाने में जुटे हैं। इनमें सबसे खतरनाक कोई है तो वो है आमिर खान*। *आमिर खान की पिछली कई* *फिल्मों को गौर से देखें तो आप पाएंगे कि सभी का मैसेज यही है कि भगवान की पूजा करने वाले धार्मिक लोग हास्यास्पद होते हैं। इन सभी में एक मुस्लिम कैरेक्टर जरूर होता है जो बहुत ही भला इंसान होता है। “पीके” में उन्होंने सभी हिंदू देवी-देवताओं को रॉन्ग नंबर बता दिया। लेकिन अल्लाह पर वो चुप रहे।*
*पहलवानों की जिंदगी पर बनी “दंगल” में हनुमान की तस्वीर तक नहीं मिलेगी। जबकि इसमें पहलवानों को मांस खाने और एक कसाई का दिया प्रसाद खाने पर ही जीतते दिखाया गया है। सलमान खान भी इसी मिशन पर हैं, उन्होंने “बजरंगी भाईजान” में हिंदुओं को दकियानूसी और पाकिस्तानियों को बड़े दिलवाला बताया। शाहरुख खान तो “माई नेम इज़ खान” जैसी फिल्मों से काफी समय से इस्लामी जिहाद का काम जारी रखे हुए हैं।*
*संस्कृति को नुकसान की कोशिश*
*हॉलीवुड की फिल्में पूरी दुनिया में अमेरिकी संस्कृति*, *हावभाव और* *लाइफस्टाइल को पहुंचा रही हैं। जबकि बॉलीवुड की फिल्में भारतीय संस्कृति से कोसों दूर हैं। इनमें संस्कृति की कुछ बातों जैसे कि त्यौहार वगैरह को लिया तो जाता है लेकिन उनका इस्तेमाल भी गानों में किया जाता है। लगान जैसी कुछ फिल्मों में भजन वगैरह भी डाले जाते हैं लेकिन उनके साथ ही धर्म का एक ऐसा मैसेज भी जोड़ दिया जाता है कि कुल मिलाकर नतीजा नकारात्मक ही होता है।*
*फिल्मों के बहाने हिंदू धर्म और भारतीय परंपराओं को अपमानित करने का खेल बहुत पुराना है। सिनेमा के शुरुआती दौर में ये होता था लेकिन खुलकर नहीं। लेकिन 70 के दशक के दौरान ज्यादातर फिल्में यही बताने के लिए बनाई जाने लगीं कि मुसलमान रहमदिल और नेक इंसान होते हैं, जबकि हिंदुओं के पाखंडी और कट्टरपंथी होने की गुंजाइश अधिक होती है।*
*आईआईएम के प्रोफेसर धीरज शर्मा की इस स्टडी में होने वाले खुलासों ने सारे देश को झकझोर कर रख दिया है और साथ ही बीजेपी के कद्दावर नेता डॉक्टर सुब्रमणियम स्वामी के उस दावे को भी सही साबित कर दिया, जिसमे उन्होंने कहा है कि बॉलीवुड में दाऊद का कालाधन लगता है और दाऊद के इशारों पर ही बॉलीवुड का इस्लामीकरण किया जा रहा है।*
*स्वामी समेत कई हिन्दू संगठन भी इस बात का दावा कर चुके हैं कि एक साजिश के तहत मोटी कमाई का जरिया बन चुके बॉलीवुड में "हिन्दू" कलाकारों को "किनारे" किया जा रहा है और मुस्लिम हीरो, गायक आदि को ज्यादा से ज्यादा काम दिया जा रहा है.पाकिस्तानी कलाकारों को काम देने के लिए भी दाऊद गैंग बॉलीवुड पर दबाव बनाता है।* 😓😓
साभार..
2 notes · View notes