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14 मार्च 2024, लखनऊ | एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ के आशा क्लब व हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2024 के उपलक्ष्य में "आराध्या" कार्यक्रम का आयोजन एमिटी यूनिवर्सिटी, लखनऊ कैंपस, मल्हौर में हुआ | "आराध्या" कार्यक्रम के अंतर्गत महिला सम्मान, पैनल चर्चा, आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित हुई | आराध्या कार्यक्रम का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण, अधिकारों तथा महिला के जीवन मे आने वाली चुनौतियों को उजागर करना था | मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमती बी. चंद्रकला (आई.ए.एस), सचिव, महिला कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार की गरिमापूर्ण उपस्थिति रही | कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं गणेश वंदना से हुआ | मुख्य अतिथि, वूमेन अचीवर अवार्ड से सम्मानित समस्त महिला विभूतियों, पैनल चर्चा के विद्वान वक्तागण, महिला सम्मान चयन समिति के सदस्य, एमिटी यूनिवर्सिटी के उप कुलपति, डीन, स्वयंसेवकों आदि को प्रतीक चिन्न और प्रमाण पत्र प्रदान करके सम्मानित किया गया |
इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्रीमती बी. चन्द्रकला ने कहा कि, “मैं आराध्या कार्यक्रम से बहुत प्रभावित हूं और मुझे जो सम्मान मिला है उसके लिए मैं बहुत आभारी हूं | मैं डॉ रूपल अग्रवाल को अपनी बहन समान मानते हुए अपना आभार व्यक्त करती हूं जिन्होंने मुझे इस कार्यक्रम में आमंत्रित कर सहभागिता का अवसर दिया | आज हमारे बीच समाज के विभिन्न क्षेत्रों से महिला सशक्तिकरण की अभूतपूर्व मिसाल सशक्त महिलाएं उपस्थित है, जिन्होंने अपनी मेहनत और अथक प्रयासों से समाज में अपनी अलग पहचान बनाई है | आज उन सबको सम्मानित करना हम सबके लिए अत्यंत गर्व की बात है और मैं महिला सशक्तिकरण को समर्पित कार्यक्रम आराध्या का हिस्सा बनकर बहुत खुश हूँ | आज महिलाएं समाज में डबल रोल निभा रही है तथा घर के साथ-साथ अपने कार्य स्थल पर भी कामयाबी का परचम लहरा रही है | मैं आप सभी को हार्दिक बधाई देती हूँ तथा आप सभी के उज्जवल भविष्य की कामना करती हूँ |”
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने मुख्य अतिथि श्रीमती बी. चंद्रकला जी को हार्दिक धन्यवाद देते हुए कहा कि “मैं हमारी मुख्य अतिथि श्रीमती बी. चन्द्रकला दीदी की हार्दिक आभारी हूँ कि उन्होंने अपने व्यस्त कार्यक्रम एवं बैठकों के बीच भी हमारे लिए समय निकाला और अपनी उपस्थिति से हम सभी का मनोबल बढ़ाया | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट निरंतर महिला सशक्तिकरण हेतु कार्य कर रहा है जिसमें ट्रस्ट द्वारा समय-समय पर नुक्कड़ नाटकों, रैली, परिचर्चा, सम्मान समारोह का आयोजन किया जा रहा है | समाज के गरीब तबके की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु ट्रस्ट द्वारा विगत 2 वर्षों से निरंतर सिलाई कौशल प्रशिक्षण कार्यशाला, पाक कला प्रशिक्षण कार्यशाला, आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है जिनसे लाभान्वित होकर महिलाओं के आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है तथा वे आत्मनिर्भर बनी हैं | भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी कहते हैं कि “जब महिलाएं समृद्ध होती हैं, तो दुनिया समृद्ध होती है ।“ समाज को एक साथ लाने और उसे आगे बढ़ाने के लिए, हमें महिलाओं को अधिक से अधिक शिक्षा, करियर और नेतृत्व के अवसर प्रदान करने चाहिए । आज के पैनल चर्चा का जो परिणाम निकलेगा उस पर हम हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से परम आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी तथा परम आदरणीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी को उचित कार्यवाही करने के लिए अवगत करवाएँगे | यहाँ उपस्थित सभी नारी शक्ति से तथा जहां तक मेरी बात पहुंचे मैं आपको गारंटी देती हूँ कि जीवन मे कभी निराश मत होना चाहे कुछ भी हो जाए, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट हमेशा आपके साथ है | कभी भी कोई भी समस्या हो, एक बार बात कर लीजिएगा, हम मिलकर समाधान अवश्य निकाल लेंगे |
आराध्या कार्यक्रम में 30 सशक्त महिलाओं को उनके उत्कृष्ट और प्रेरणादायक कार्यों हेतु सम्मानित किया गया जिनमे डॉ. दया दीक्षित, श्रीमती दिव्या रावत, श्रीमती अंजली ताज, डॉ. ज्योत्सना सिंह, डॉ. ज्ञानवती दीक्षित, डॉ. रिंकी रविकांत, श्रीमती मंजू श्रीवास्तव, श्रीमती नीमा पंत, डॉ. प्रभा श्रीवास्तव, श्रीमती रजनी गुप्ता, श्रीमती गुंजन वर्मा, श्रीमती लता कादम्बरी गोयल, श्रीमती नीलिमा कपूर, श्रीमती रोली शंकर श्रीवास्तव, श्रीमती मंजू श्रीवास्तव (पत्रकार), श्रीमती त्रिप्ती कौर पाहवा, श्रीमती पल्लवी आशीष, श्रीमती रचना मिश्रा, श्रीमती राज स्मृति, श्रीमती वैष्णवी अवस्थी, सुश्री पंखुड़ी गिडवानी, सुश्री मिथिका द्विवेदी, डॉ. (श्रीमती) अनिता भटनागर जैन (IAS), प्रोफेसर (डॉ.) निधि बाला, डॉ. रंजना बाजपेई, श्रीमती संध्या सिंह, डॉ. अंकिता सिंह, डॉ. राधा बिष्ट और डॉ. स्मिता रस्तोगी शामिल है |
वूमेन अचीवर अवार्ड 2024 की चयन समिति सदस्य डॉ. सत्या सिंह, श्री विनय त्रिपाठी, श्री ए.के. जयसवाल, डॉ. प्राची श्रीवास्तव और डॉ. नेहा माथुर को भी प्रतीक चिन्ह एवं आभार पत्र से सम्मानित किया गया |
कार्यक्रम के अंतर्गत पैनल परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसका विषय "Empowering Women: Breaking Barriers, Creating Opportunities" था | परिचर्चा में विंग कमांडर, डॉ. अनिल कुमार तिवारी, डॉ मनुका खन्ना, श्रीमती अनीता अग्रवाल, डॉ पियाली भट्टाचार्य, सी. ए. प्रियंका गर्ग, श्री प्रत्यूश श्रीवास्तव, सुश्री पंखुडी गिडवानी, डॉ रूपल अग्रवाल एवं प्रो. मंजू अग्रवाल (DSW) ने भाग लिया | परिचर्चा में सभी ने अपने विचारों को व्यक्त किया जिसका सारांश था कि लैंगिक समानता की पहल माता-पिता को करनी होगी, महिलाओं को अपने अधिकार जानने होंगे और उन्हे मनवाने के लिए प्रयास करने होंगे, सशक्त महिलाओं को अन्य शोषित एवं वंचित महिलाओं को भी आगे बढ़ाना होगा तथा अपने कौशल में निरंतर वृद्धि करनी होगी तथा स्वस्थ रहने के साथ साथ जीवन को संतुलित भी करना होगा |
एमिटी यूनिवर्सिटी के Dy. Pro. VC, विंग कमांडर डॉ. अनिल कुमार तिवारी ने मुख्य अतिथि का अभिनंदन करते हुए कहा कि, “यदि महिलाओं को उनके 50 फीसदी अधिकार भी मिले होते तो आज यह संसार कहीं अत्यधिक शांतिपूर्ण, सुंदर और प्रसन्नतापूर्ण होता | इस अवसर पर डॉ तिवारी ने लैगिक समानता और महिला सशक्तिकरण हेतु आयोजित इस कार्यक्रम की सराहना की और कहा कि इस कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से विशेष उपलब्धियां हासिल करने वाली महिलाओं का सम्मान करके स्वयं गर्व की अनुभूति कर रहा हूँ | उन्होंने कहा कि आज की महिलाएं अपने घर की जिम्मेदारी निभाते हुए भी अलग-अलग क्षेत्रों में कामयाबी की बुलंदी छू रही हैं भले ही उन्हें इसके लिए कोई विशेष सहयोग न भी मिला हो, वह आज सफल बन रही हैं | ऐसी महिलाओं का सम्मान करना खुद का सम्मान हैं |”
कार्यक्रम में 6 मेधावी छात्रों को Young Achiever's Award से पुरस्कृत किया गया जिसमें कार्तिक दुबे, संजना मिश्रा, श्रुति माथुर, अनम वकार , प्रेक्षी गर्ग तथा वेयाज नकवी शामिल है |
कार्यक्रम मे आशा क्लब, एमिटी विश्वविद्यालय, लखनऊ कैम्पस के न्यूज़ लेटर का विमोचन भी किया गया । महिला सशक्तिकरण से प्रभावित नाट्य मंचन व गायन प्रस्तुत किया गया । डॉ रूपल अग्रवाल एवं डॉ प्राची श्रीवास्तव द्वारा इस कार्यक्रम की रूपरेखा का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया । आशा क्लब के सलाहकारों एवं मुख्य कार्यकर्ताओं को हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा सम्मानित किया गया । डॉ प्राची श्रीवास्तव ने कार्यक्रम के अंत में सभी का धन्यवाद किया व सभी ने राष्ट्रगान गाकर कार्यक्रम का समापन किया |
कार्यक्रम की अगली श्रृंखला में आत्मरक्षा के प्रशिक्षण हेतु कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें एमिटी यूनिवर्सिटी की 81 छात्राओं ने भाग लिया |
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्रीमती बी चंद्रकला (IAS), विंग कमांडर डॉ॰ अनिल कुमार तिवारी, Dy. Pro. VC, एमिटी यूनिवर्सिटी, प्रो॰ (डॉ) मंजू अग्रवाल, अध्यक्ष, (छात्र कल्याण) एमिटी यूनिवर्सिटी, प्रो॰ डॉ॰ राजेश कुमार तिवारी, अध्यक्ष, (Academics), एमिटी यूनिवर्सिटी, डॉ॰ प्राची श्रीवास्तव, एसोशिएट प्रोफेसर, Bioinformatics, एमिटी यूनिवर्सिटी तथा डॉ॰ रुपल अग्रवाल, न्यासी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के साथ विशिष्ट महिलाओं, सम्मानित वक्ताओं, महिला सम्मान चयन समिति के सदस्यगण, शिक्षकों, आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला के प्रशिक्षक, आशा क्लब तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयं-सेवकों और छात्र-छात्राओं की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 363-364
कबीर परमेश्वर जी ने धर्मदास जी को गीता से ही प्रश्न तथा उत्तर देकर सत्य ज्ञान समझाया। उपरोक्त वाणी सँख्या 1 में गीता अध्याय 4 श्लोक 5, अध्याय 2 श्लोक 12 वाला वर्णन बताया जिसमें गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि अर्जुन! तेरे और मेरे बहुत जन्म हो चुके हैं। तू नहीं जानता, मैं जानता हूँ। वाणी सँख्या 2 में गीता अध्याय 15 श्लोक 17 वाला वर्णन बताया है। वाणी सँख्या 3 में गीता अध्याय 4 श्लोक 34 वाला ज्ञान बताया है। वाणी सँख्या 4 में गीता अध्याय 18 श्लोक 62ए 66 तथा अध्याय 15 श्लोक 4 वाला वर्णन बताया है। वाणी सँख्या 5 में गीता अध्याय 18 श्लोक 64 का वर्णन है जिसमें काल कहता है कि मेरा ईष्ट देव भी वही है। वाणी सँख्या 6 में गीता अध्याय 8 श्लोक 13 तथा अध्याय 17 श्लोक 23 वाला ज्ञान है। आगे की वाणियों में कबीर परमेश्वर जी ने अपने आपको छुपाकर अपने ही
विषय में बताया है।
◆ धर्मदास वचन
विष्णु पूर्ण परमात्मा हम जाना।
जिन्द निन्दा कर हो नादाना।।
पाप शीश तोहे लागे भारी।
देवी देवतन को देत हो गारि।।
◆ जिन्दा (कबीर जी) वचन
जे यह निन्दा है भाई।
यह तो तोर गीता बतलाई।।
गीता लिखा तुम मानो साचा।
अमर विष्णु है कहा लिख राखा।।
तुम पत्थर को राम बताओ।
लडूवन का भोग लगाओ।।
कबहु लड्डू खाया पत्थर देवा।
या काजू किशमिश पिस्ता मेवा।।
पत्थर प��ज पत्थर हो गए भाई।
आखें देख भी मानत नाहीं।।
ऐसे गुरू मिले अन्याई।
जिन मूर्ति पूजा रीत चलाई।।
इतना कह जिन्द हुए अदेखा।
धर्मदास मन किया विवेका।।
◆ धर्मदास वचन
यह क्या चेटक बिता भगवन।
कैसे मिटे आवा गमन।।
गीता फिर देखन लागा।
वही वृतान्त आगे आगा।।
एक एक श्लोक पढ़ै और रौवै।
सिर चक्रावै जागै न सोवै।।
रात पड़ी तब न आरती कीन्हा।
झूठी भक्ति में मन दीन्हा।।
ना मारा ना जीवित छोड़ा।
अधपका बना जस फोड़ा।।
यह साधु जे फिर मिल जावै।
सब मानू जो कछु बतावै।।
भूल के विवाद करूं नहीं कोई। आधीनी से सब जानु सोई।।
उठ सवेरे भोजन लगा बनाने।
लकड़ी चुल्हा बीच जलाने।।
जब लकड़ी जलकर छोटी होई। पाछलो भाग में देखा अनर्थ जोई।।
चटक-चटक कर चींटी मरि हैं।
अण्डन सहित अग्न में जर हैं।।
तुरंत आग बुझाई धर्मदासा।
पाप देख भए उदासा।।
ना अन्न खाऊँ न पानी पीऊँ।
इतना पाप कर कैसे जीऊँ।।
कराऊँ भोजन संत कोई पावै।
अपना पाप उतर सब जावै।।
लेकर थार चले धर्मनि नागर।
वृक्ष तले बैठे सुख सागर।।
साधु भेष कोई और बनाया।
धर्मदास साधु नेड़े आया।।
रूप और पहचान न पाया।
थाल रखकर अर्ज लगाया।।
भोजन करो संत भोग लगाओ।
मेरी इच्छा पूर्ण कराओ।।
संत कह आओ धर्मदासा।
भूख लगी है मोहे खासा।।
जल का छींटा भोजन पे मारा।
चींटी जीवित हुई थाली कारा।।
तब ही रूप बनाया वाही।
धर्मदास देखत लज्जाई।।
कहै जिन्दा तुम महा अपराधी।
मारे चीटी भोजन में रांधी।।
चरण पकड़ धर्मनि रोया।
भूल में जीवन जिन्दा मैं खोया।।
जो तुम कहो मैं मानूं सबही।
वाद विवाद अब नहीं करही।।
और कुछ ज्ञान अगम सुनाओ।
कहां वह संत वाका भेद बताओ।।
◆ जिन्द (कबीर) वचन
तुम पिण्ड भरो और श्राद्ध कराओ। गीता पाठ सदा चित लाओ।।
भूत पूजो बनोगे भूता।
पितर पूजै पितर हुता।।
देव पूज देव लोक जाओ।
मम पूजा से मोकूं पाओ।।
यह गीता में काल बतावै।
जाकूं तुम आपन इष्ट बतावै।।
(गीता अ. 9 व 25)
इष्ट कह करै नहीं जैसे।
सेठ जी मुक्ति पाओ कैसे।।
◆ धर्मदास वचन
हम हैं भक्ति के भूखे।
गुरू बताए मार्ग कभी नहीं चुके।।
हम का जाने गलत और ठीका।
अब वह ज्ञान लगत है फीका।।
तोरा ज्ञान महा बल जोरा।
अज्ञान अंधेरा मिटै है मोरा।।
हे जिन्दा तुम मोरे राम समाना।
और विचार कुछ सुनाओ ज्ञाना।।
क्रमशः_______________
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हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 227-228
वाणी नं. 134.141 :-
गरीब, कर्म लगे शिब बिष्णु कै, भरमें तीनौं देव।
ब्रह्मा जुग छतीस लग, कछू न पाया भेव।।134।।
गरीब, शिब कूं ऐसा बर दिया, अपनेही परि आय।
भागि फिरे तिहूं लोक में, भस्मागिर लिये ताय।।135।।
गरीब, बिष्णु रूप धरि छल किया, मारे भसमां भूत।
रूप मोहिनी धरि लिया, बेगि सिंहारे दूत।।136।।
गरीब, शिब कूं बिंदु जराईयां, कंदर्प कीया नांस।
फेरि बौहरि प्रकाशियां, ऐसी मनकी बांस।।137।।
गरीब, लाख लाख जुग तप किया, शिब कंदर्प कै हेत।
काया माया छाडिकरि, ध्यान कंवल शिब श्वेत।।138।।
गरीब, फूक्या बिंदु बिधान सैं, बौहर न ऊगै बीज।
कला बिश्वंभर नाथ की, कहां छिपाऊं रीझ।।139।।
गरीब, पारबती पत्नी पलक परि, त्रिलोकी का रूप।
ऐसी पत्नी छाडिकरि, कहां चले शिब भूप।।140।।
गरीब, रूप मोहनी मोहिया, शिब से सुमरथ देव।
नारद मुनि से को गिनै, मरकट रूप धरेव।।141।।
◆ वाणी नं. 134-136 का सरलार्थ :- सुक्ष्म मन की मार सर्व जीवों पर गिरती है। सब एक समान सुक्ष्म मन के सामने विवश हैं। जब तक पूर्ण सतगुरू नहीं मिलता, तब तक सुक्ष्म मन के सामने विवेक कार्य नहीं करता। हिन्दु धर्म के श्रद्धालु श्री शिव जी को तो सक्षम मानते हैं। सब देवों का देव यानि महादेव कहते हैं। सुक्ष्म मन के कारण वे भी मार खा गए।
◆ प्रमाण :- जिस समय भस्मासुर ने तप करके भस्मकण्डा श्री शिव जी से वचनबद्ध करके ले लिया था। तब भस्मासुर ने शिव से कहा कि मैं तेरे को भस्म करूँगा। तेरे को मारकर तेरी पत्नी पार्वती को अपनी पत्नी बनाऊँगा। तब भय के कारण श्री शिव जी भाग लिए। भस्मासुर में भी सिद्धियां थी। वह भी साथ दौड़ा। शिवजी भय के कारण अधिक गति
से दौड़ा तथा एक मोड़ पर मुड़ गया। उसी मोड़ पर एक सुंदर स्त्री खड़ी थी। उसने भस्मासुर की ओर अश्लील दृष्टि से देखा और बोली कि शिव तो आसपास रूकेगा नहीं, जाने दे। आजा मेरे साथ मौज-मस्ती कर ले। मैं तेरा ही इंतजार कर रही हूँ। तुम पूर्ण मर्द हो, शक्तिशाली हो। भस्मासुर पर काम वासना का भूत सवार था ही, उसे और क्या चाहिए था? उसी समय रूक ग���ा। युवती ने उसका हाथ पकड़कर नचाया। गंडहथ नृत्य करते समय हाथ सिर पर करना होता है। भस्मासुर का भस्मकण्डे वाला हाथ भस्मासुर के सिर पर करने को युवती ने कहा कि इस नृत्य में दांया हाथ सिर पर करते हैं। यह नृत्य पूरा करके मिलन करेंगे। ज्यों ही भस्मासुर ने भस्मकण्डे वाला हाथ सिर पर किया तो युवती ने बोला भस्म। उसी समय भस्मासुर जलकर नष्ट हो गया। वह युवती भगवान स्वयं ही शिव शंकर की जान की रक्षा के लिए बने थे।, परंतु महिमा विष्णु को दी। विष्णु रूप में प्रकट होकर परमात्मा उस भस्मकण्डे को लेकर श्री शिव के सामने खडे़ हो गए तथा शिव से कहा हे शिव!
इतने तेज क्यों दौड़ रहे हो? शिव ने सब बात बताई कि आप भी दौड़ जाओ। भस्मासुर मुझे मारने को मेरे पीछे लगा है। तब विष्णु रूपधारी परमात्मा ने कहा कि देख! आपका
भस्मकण्डा मेरे पास है। शिव ने तुरंत ��हचान लिया और रूककर पूछा कि यह आपको कैसे मिला? विश्वास नहीं हो रहा है। भगवान ने कहा यह न पूछ। अपना कण्डा लो और घर को जाओ। परंतु शिव को विश्वास नहीं हो रहा था कि उग्र रूप धारण किए भस्मासुर से कैसे ये भस्मकण्डा लिया। जिद कर ली। तब परमात्मा ने कहा कि फिर बताऊँगा। इतना कहकर अंतर्ध्यान (अदृश्य) हो गए। शिव कुछ आगे गया तो देखा कि एक अति सुंदर युवती
अर्धनग्न शरीर में मस्ती से एक बाग में टहल रही थी। दूर तक कोई व्यक्ति दिखाई नहीं दे रहा था। शिवजी ने इधर-उधर देखा और लड़की की ओर मिलन के उद्देश्य से चले। लड़की शिव को देखकर मुस्कुराकर आगे को कुछ तेज चाल से चटक-मटककर चल पड़ी।
शिव ने मुस्कट के बाद लड़की का हाथ पकड़ा। तब तक शिव का वीर्यपतन हो चुका था। उसी समय विष्णु रूप में परमात्मा खड़े थे और कहा कि मैंने भस्मासुर को इस प्रकार वश में करके गंडहथ नाच नचाकर भस्म किया है।
संत गरीबदास जी ने सुक्ष्म मन की शक्ति बताई है कि शिवजी की पत्नी पार्वती तीन लोक में अति सुंदर स्त्रियों में से एक थी। अपनी पत्नी को छोड़कर शिवजी ने चंचल माया
यानि बद नारी से मिलन (sex) करने के लिए उसे पकड़ लिया। यह सुक्ष्म मन की उत्पत्ति का उत्पात है।
◆ वाणी नं. 137-141 का सरलार्थ :-
◆ इन्हीं काल प्रेरित आत्माओं (देवियों) ने ब्रह्मादिक (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) को भी मोहित कर लिया यानि अपने जाल में फँसा रखा है। शेष यानि अन्य बचे हुए गणेश जी भी स्त्री से संग में रहे। गणेश जी के दो पुत्र थे। एक का नाम शुभम्=शुभ, दूसरे लाभम्=लाभ था। शंकर (शिव जी) की अडिग
(विचलित न होने वाली) समाधि
(आंतरिक ध्यान) लगी थी जो हमेशा (सदा) ध्यान में रहते हैं। उनको भी मोहिनी अप्सरा (स्वर्ग की देवी) ने मोहित करके डगमग कर दिया था।
क्रमशः_________
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INDIAN YOUTH
जब बात अपने भविष्य की आती है तो भारत में नाबालिगों को, हर जगह के नाबालिगों की तरह, विभिन्न चुनौतियों और अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ सकता है। सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने और बेहतर भविष्य की दिशा में काम करने के लिए, वे यहां कुछ महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं: शिक्षा: अपनी शिक्षा पर ध्यान दें। शिक्षा को अक्सर उज्जवल भविष्य की कुंजी के रूप में देखा जाता है। नियमित रूप से स्कूल जाएँ, अपनी पढ़ाई में व्यस्त रहें, और यदि आप किसी भी विषय में संघर्ष कर रहे हैं तो मदद लें। लक्ष्य निर्धारित करें: स्पष्ट लक्ष्य और आकांक्षाएँ रखें। लक्ष्य निर्धारित करने से आपको उद्देश्य और दिशा का एहसास हो सकता है। चाहे वह शैक्षणिक, करियर, या व्यक्तिगत लक्ष्य हों, किसी चीज़ की दिशा में काम करना प्रेरक हो सकता है। मार्गदर्शन लें: अपनी महत्वाकांक्षाओं और चिंताओं के बारे में अपने माता-पिता, शिक्षकों या गुरुओं से बात करें। वे मार्गदर्शन और सहायता प्रदान कर सकते हैं, जिससे आपको अपने भविष्य के बारे में सूचित निर्णय लेने में मदद मिल सकती है। स्वस्थ रहें: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है। सुनिश्चित करें कि आप अच्छा खाएं, नियमित व्यायाम करें और पर्याप्त नींद लें। माइंडफुलनेस और तनाव प्रबंधन तकनीकों का अभ्यास करने से आपको अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी मदद मिल सकती है। सूचित रहें: कैरियर के अवसरों और शैक्षिक विकल्पों के बारे में स्वयं को सूचित रखें। अपनी रुचियों का पता लगाने के लिए किताबें पढ़ें, इंटरनेट ब्राउज़ करें और करियर परामर्श सत्र में भाग लें। कौशल का निर्माण करें: उन कौशलों की पहचान करें जिनकी नौकरी बाजार में मांग है और उन्हें हासिल करने पर काम करें। इसमें तकनीकी कौशल, संचार कौशल, या टीम वर्क और समस्या-समाधान जैसे सॉफ्ट कौशल शामिल हो सकते हैं। नेटवर्क: अपने चुने हुए क्षेत्र में साथियों, सलाहकारों और पेशेवरों का एक नेटवर्क बनाएं। नेटवर्किंग आपको बहुमूल्य अंतर्दृष्टि, सलाह और अ���सर प्रदान कर सकती है। सकारात्मक रहें: सकारात्मक मानसिकता विकसित करें। समझें कि असफलताएँ और चुनौतियाँ जीवन का हिस्सा हैं। अपनी असफलताओं से सीखें और उन्हें सफलता की सीढ़ी के रूप में उपयोग करें। वित्तीय साक्षरता: वित्तीय प्रबंधन और बजट के बारे में जानें। पैसे का प्रबंधन कैसे करें, यह समझने से आपको अपने भविष्य की योजना बनाने और अपने लक्ष्य हासिल करने में मदद मिल सकती है। पाठ्येतर गतिविधियों में भाग लें: खेल, कला या सामुदायिक सेवा जैसी पाठ्येतर गतिविधियों में संलग्न हों। ये गतिविधियाँ आपको एक सर्वांगीण व्यक्तित्व और नेतृत्व कौशल विकसित करने में मदद कर सकती हैं। समय प्रबंधन: जानें कि अपना समय प्रभावी ढंग से कैसे प्रबंधित करें। अपने शैक्षणिक और व्यक्तिगत जीवन को संतुलित करने से तनाव कम हो सकता है और अपने लक्ष्यों की दिशा में काम करना आसान हो सकता है।
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1404.
बोलते हुए फ़ोटोग्राफ़
और देखती नज़र
-© कामिनी मोहन पाण्डेय।
फ़ोटोग्राफ़ी शब्द ग्रीक शब्द "फ़ोटो" और "ग्राफोज़" से बना है, जिसका अर्थ है प्रकाश और ड्राइंग। दुनिया का पहला कैमरा "कैमरा ऑब्स्कुरा" था, जो 16वीं शताब्दी में आविष्कार के बाद सामने आया। पहला कैमरा बनाने का श्रेय जोहान्न ज़हन को जाता है। कैमरे का अस्तित्व, 1816 से माना जाता है। इसी कैमरे से फ्रांस के इंजीनियर जोसेफ नाइसफोन निप्से ने साल 1816 में पहली फ़ोटोग्राफ़ निकाली थी।
भारत में भी फ़ोटोग्राफ़ी की शुरुआत 16 वीं सदी से होती है तब अनुमानित छवियों के लिए एक तंत्र के रूप में कार्य शुरु हुआ था। फ़ोटोग्राफ़ी में कल्पनाशीलता, ग्लैमर, सादगी की भावनाएँ, पुरज़ोर कशिश यानी वह सब कुछ होता है, जो देखने वाले से बावस्ता हो। देखने के बाद उन्हें अमेजिंग कहने पर विवश कर दे। फ़ोटोग्राफ़ी की ख़ासियत होती है कि वह बोलती नज़र आती है। फ़ोटोग्राफ़र को यह पता होना चाहिए कि वह किसी शख़्स से किस समय पर क्या बात करते हुए फ़ोटोशूट करें, ताकि चेहरे को पढ़ा जा सके।
चेहरा पढ़ने की क़ाबिलियत होना बेहद ज़रूरी है। जिसे हम फ़ोटो की दुनिया में पीपुल (Pupil) फ़ोटोग्राफ़ी, फैसियल (Facial) एक्सप्रेशन फ़ोटोग्राफ़ी भी कहते हैं। समाज में यह दोनों बहुतायात में उपलब्ध है। फ़ोटोग्राफ़ी के मार्फ़त घरेलू हिंसा, बाल अपराध, अव्यवस्था, आक्रोश, दर्द, ख़ुशी को महसूस कराया जा सकता है।
एक कला के रूप में फ़ोटोग्राफ़ी दुनिया को एक अलग तरीके से देखने के बारे में है। एक कलाकार ही दुनिया को अलग ढंग से देखने की चाहत रखता हैं। कलाकार को अपने अस्तित्व को प्रकट करने के लिए आंतरिक संतुलन को अभिव्यक्त करने की लालसा रहती हैं, क्योंकि, कला अपने आप में एक उपकरण है, जो कलाकार को आंतरिक और वाह्य दुनिया के दो पलड़ों के बीच संतुलन महसूस करने में मदद करती है।
ऑनलाइन मीडिया साइटों और माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म पर एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है। फ़ोटोग्राफ़िक कला में पहला रेखा, दूसरा आकार, तीसरा रूप, चौथा बनावट, पाँचवा रंग, छठवाँ आकार और सातवा गहराई कुल सात बुनियादी तत्व शामिल होते हैं। एक तस्वीर को प्रकाश, रंग, रचना और विषय पूरा दृश्य प्रदान करता है। ईमानदार भावना और कलात्मक स्पष्टता के साथ उत्तम शिल्प कौशल एक कलाकार को जीवन का दृष्टिकोण प्रदान करती है।
एडवरटाइजिंग और फ़ैशन की दुनिया में फ़ोटोग्राफ़ी एक नया आयाम जोड़ता है। ऑफबीट कॉंसेप्ट को अपना थीम बनाकर भी आकर्षक ढंग से सजीवता को दर्शाया जाता है। बड़े-बड़े सेलिब्रिटी में ब्रांड्स को आधार बनाकर की गई फ़ोटोग्राफ़ी, फ़ोटोग्राफ़र की क्रिएटिविटी को गहराई तक सोचने को मज़बूर करती है। कैमरे की क्लिक और डार्क रूम से निकली तस्वीर पलभर में यादगार लम्हों को बयां करने लगती है।
एक छवि में पीले, नारंगी और लाल टोन के स्पेक्ट्रम तस्वीर के मूड को दर्शाते हैं। एक कलाकार की मौलिकता या ऐसे कहे कि हमारी स्वयं के होने का हस्ताक्षर अद्वितीय होता है। यह हमारी पहचान है। हमारी व्यक्तिगत शैली है। मौलिक अभिव्यक्ति हमेशा से ही जीवन को समृद्ध करती है। इसकी अपनी गुणवत्ता होती है और अपने में विशेषताओं को समेटे रहती है। इस विशेषता के कारण ही इसकी अलग पहचान होती है।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय।
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junghaesin ने पूछा:
क्या लिगेसी एडिटर को विकल्प के तौर पर रखे जाने की कोई संभावना है? हम कंटेंट क्रिएटर के लिए, ये नया एडिटर हमारे gif/बदलावों/कला की क्वालिटी को पूरी तरह बर्बाद कर देता है. हम अपनी रचनाओं को बेहतरीन बनाने के लिए अपना कीमती वक्त लगाते हैं. लेकिन हमें एक ऐसे एडिटर का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया जा रहा है जो हमारी इन्हीं रचनाओं की क्वालिटी को ख़राब कर देता है. इससे वाकई परेशानी हो रही है.
जवाब: नमस्ते, @junghaesin!
हमें लिखने के लिए धन्यवाद. और उन सभी को भी धन्यवाद जिन्होंने हमारे साथ इसी तरह का फ़ीडबैक शेयर किया है.
तो, tl;dr—दरअसल ये ब्लॉग थीम से जुड़ी समस्या है. आपकी थीम आपको नए एडिटर में बनाई गई पोस्ट में इमेज उस ढंग से नहीं दिखा रही है जैसा आप उम्मीद करते हैं.
लिगेसी एडिटर या नए एडिटर के ज़रिये अपलोड किए गए GIF को दरअसल एक जैसे तरीके से प्रोसेस किया जाता है. इनके बीच ना तो बिट डेप्थ के और ना ही रेज़ल्युशन के लिहाज़ से कोई फ़र्क रहता है. आप Tumblr डैशबोर्ड में अपनी पोस्ट पर नज़र डालकर ये चीज़ देख सकते हैं (उदा. yourblog.tumblr.com/post/id के बजाय tumblr.com/yourblog/id पर जाएँ).
आपको क्वालिटी में अंतर इसलिए दिखाई पड़ता है क्योंकि पुरानी ब्लॉग थीम, नए एडिटर से बनाई गई पोस्ट को टेक्स्ट पोस्ट मानती हैं. ये थीम अक्सर टेक्स्ट पोस्ट के पूरे कंटेंट के साथ-साथ उसमें दिखने वाली इमेज के चारों तरफ़ भी एक पैडिंग जोड़ देती हैं. अगर आपकी थीम आपकी पोस्ट को 540px चौड़ी पोस्ट के तौर पर पेश करती है, तो उस अतिरिक्त पैडिंग के साथ टेक्स्ट पोस्ट में आपकी इमेज के लिए दरअसल 540px से कम जगह उपलब्ध होती है. और नतीजा ये होता है कि ब्राउज़र आपकी इमेज को फ़िट करने के लिए उसे छोटा कर देता है और ऐसा होने पर इमेज की क्वालिटी पर बुरा असर पड़ता है.
यह इमेज नए एडिटर से पोस्ट की गई है और पुरानी थीम पर डिस्प्ले हो रही है. यहाँ ब्राउज़र ने इमेज को छोटा कर दिया है, क्योंकि यह एक "टेक्स्ट पोस्ट" है और इस थीम में टेक्स्ट पोस्ट के लिए पैडिंग है, जिसके चलते कंटेंट के लिए मौजूद चौड़ाई कम हो जा रही है.
यह इमेज नए एडिटर से पोस्ट की गई है और एक नई थीम (Vision) पर डिस्प्ले हो रही है. यह थीम सिर्फ़ टेक्स्ट पर पैडिंग करती है, इसलिए इमेज पोस्ट की पूरी चौड़ाई में दिखती है.
इसका हल ये है—आप किसी और आधुनिक, सबसे नई थीम पर अपडेट करें, जैसे कि विज़न या स्टीरियो. थीम डेवलपर @eggdesign ने एक थीम टेम्पलेट भी बनाया जो नई पोस्ट के साथ काम करता है जिन्हें आप बड़ी आसानी से बना सकते हैं. ये आधुनिक थीम पूरी पोस्ट के बजाय सिर्फ़ टेक्स्ट ब्लॉक पर पैडिंग लगाती हैं, इसलिए इमेज ब्लॉक पर कोई पैडिंग नहीं होती और उन्हें उनकी पूरे 540px चौड़ाई के साथ सर्व किया जाता है, बिल्कुल डैशबोर्ड की तरह. जहाँ तक हमने देखा है, इससे ब्लॉग पर जो GIF की क्वालिटी से जुड़ी समस्याएँ दिखाई देती हैं, वो सभी ठीक हो जाती हैं.
हमें पता है. अपनी थीम बदलने में बहुत मेहनत लगती है. आने वाले समय में, हम इस बदलाव को आसान बनाने के तरीके ढूँढने वाले हैं—उदाहरण के लिए, आपको उन थीम की पहचान करने में मदद करना जो थीम समूह में नई पोस्ट के साथ बढ़िया काम करती हैं. लेकिन आगे बढ़ने के लिए नई पोस्ट के साथ काम करना होगा—नई पोस्ट जिस फ़ॉर्मेट का इस्तेमाल करती हैं वो भविष्य में बहुत सारे अवसर खोलने वाला है.
आप नए एडिटर से पोस्ट में पोस्ट प्रकार क्यों नहीं जोड़ सकते? क्यों ना नई पोस्ट को टेक्स्ट पोस्ट के बजाय फ़ोटो पोस्ट के तौर पर सर्व किया जाए?
नया पोस्ट एडिटर एक नए पोस्ट फ़ॉर्मेट का इस्तेमाल करता है जिसे Neue पोस्ट फ़ॉर्मेट (NPF) कहते हैं. पोस्ट में कौन सा कंटेंट हो सकता है, इस बारे में लचीलेपन के मामले में NPF ने हमें काफ़ी बढ़ावा दिया है—आपको वो समय याद है जब आप रीब्लॉग में इमेज तक अपलोड नहीं कर पाते थे? या किस तरह पुराने चैट और विचार पोस्ट जादूई ढंग से लेखक बदल देते हैं? NPF ने इन चीज़ों को ठीक करने में हमारी मदद की. इसने सीमाएँ हटा दीं—पोस्ट प्रकारों से जुड़ी सीमा भी, जो हर पोस्ट को एक ख़ास प्रकार के कंटेंट तक सीमित कर देती है.
लेकिन अब भी मौजूदा ब्लॉग थीम के पास इन पोस्ट को डिसप्ले करने की ताकत होनी ज़रूरी है. NPF पोस्ट कहीं भी मीडिया शामिल कर सकती हैं (जबकि ज़्यादातर पुराने पोस्ट प्रकारों में मीडिया के लिए एक कठोर ढांचा होता है), इसलिए हमारे लिए सबसे सुरक्षित तरीका यही था कि NPF पोस्ट को सबसे कम सीमित पोस्ट प्रकार यानी टेक्स्ट प्रकार के तौर पर श्रेणीबद्ध किया जाए. इन पोस्ट को मौजूदा ब्लॉग थीम के साथ उल्टा-संगत बनाने के लिए हमारे पास बस यही सबसे बढ़िया तरीका है.
पोस्ट प्रकारों की जगह हमने हर पोस्ट के लिए एक {NPF} थीम वेरिएबल जोड़ दिया है जिनका कस्टम थीम फ़ायदा उठा सकती हैं. इस नए डेटा का फ़ायदा उठाने के लिए थीम डेवलपर को अपनी थीम अपडेट करनी होंगी ताकि वो पोस्ट के HTML आउटपुट पर पूरा नियंत्रण बनाए रख सकें.
आप इन फ़ैसलों और Neue पोस्ट फ़ॉर्मेट विनिर्देशों के बारे में ज़्यादा यहाँ और यहाँ पढ़ सकते हैं.
आपके फ़ीडबैक के लिए धन्यवाद और इन्हें भेजते रहें!
सप्रेम,
—Tumblr WIP टीम
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उम्मीद!
गर्मियों में लू के थपेड़ों में एक शीतल पवन के झोके के लिए हम तरसते हैं यह जानते हुए भी कि वो झोंके तो बस कुछ पल के ही मेहमान होंगे और बाद में तो वही गर्म हवाओं को बर्दाश्त करना पड़ेगा!
सर्दियों की बर्फीली हवाओं के चलते हम सूरज की मीठी गरमाहट देती हुई धूप का इंतज़ार करते हैं जबकि जानते हैं जहां धूप हटी तभी फिर वही बर्फीली हवाओं के थपेड़े पड़ेंगे!
ऐसी ही समरूपता जीवन के कई और भी पहलुओं में देखने को मिलती है।सादृश्य के तौर पर अगर मूवी देखने या शराब के जामों के साथ में बिताए कुछ पल का उदाहरण लें तब एहसास होता है कि सुख के कुछ ही पलों के लिए हम इंतज़ार में कितना तरसते हैं !
जब हम कोई मूवी देखते हैं तो सिनेमाघर में स्क्रीन के सामने बिताये उन कुछ लम्हों में हम अपना गम, दर्द या मानसिक परेशानियों को भूलकर अपने जीवन का आनंद लेते हैं और कभी कभी तो मूवी के किसी किरदार के साथ हम अपने आप को ही जोड़ लेते हैं या उसे इस कदर उसमें अपनी पहचान ढूँढने लगते हैं जैसे कि वो किरदार कोई और नहीं वो हम ही हैं या समझने लगते हैं कि वो किरदार पर्दे पर हमारा ही प्रतिबिंब है यह सब जानते हुए भी कि फ़िल्म ख़त्म होते ही हमारी ज़िन्दगी का संघर्ष और भागदौड़ फिर से पहले की तरह शुरू हो जाएगी!
कुछ ऐसा ही शराब के कुछ जाम लेते हुए मदहोशी में महसूस होता है जब कुछ पल के लिए हम सब ग़म और परेशानियाँ भूल जाते हैं और उसका सरूर उतर जाने के बाद में होश आते ही ज़िन्दगी की हक़ीक़त के पथरीले धरातल पर हम खुद को फिर से खड़ा पाते हैं!
वो कुछ पल जो ज़िन्दगी में थोड़ा सा सुकून, ख़ुशियाँ, मीठी सी प्यार भरी गरमाहट या कोई उम्मीद लाते हैं चाहे वो कितने ही छोटे क्यों न हों उनका हमें इंतज़ार रहता है यह सब जानते हुए भी कि उन लम्हों के गुजर जाने के बाद ज़िन्दगी फिर उसी पुरानी कश्मकश और जीने के लिए रोज़मर्रा की जद्दोजहद में उलझी पड़ी मिलेगी!
सच में ख़ुशियों और सुखों के पलों का दौर कितना छोटा होता है ��गर उन्हीं की चाहत में या उन्हें खोजते हुए या उनकी आस में जीवन निकल जाता है! या यूँ कहूँ कोई सराब या मृगतृष्णा ज़िन्दगी में चाहे कितनी छोटी सी ही सही मगर एक बेशक़ीमती उम्मीद बनकर आती है और चाहे वो मिथ्या ही सही मगर फिर भी उसी उम्मीद को हासिल करने की इच्छा या उन पलों को जीने की चाहत रोज़मर्रा ज़िन्दगी की कश्मकश से जूझने का कितना बड़ा सहारा बनती है और लड़ने का बेशुमार हौसला देती है जिसका अन्दाज़ा लगना भी मुमकिन नहीं!
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Best 100+ Bura Waqt Shayari | बुरा वक्त शायरी
Bura Waqt Shayari - समय एक बहती नदी है, जो निरंतर चलती रहती है, किसी के लिए भी एक जैसी नहीं होती। यह अपने साथ खुशी और गम, सफलता और कठिनाई के पल लेकर आती है। जिस तरह दिन रात में बदल जाता है, उसी तरह जीवन में भी चक्र चलते रहते हैं - कुछ दिन सौभाग्य से उज्ज्वल होते हैं, जबकि अन्य कठिनाई से घिरे होते हैं।
जब समय अच्छा होता है, तो सब कुछ ठीक लगता है। लेकिन जब बुरा Samay आता है, तो यह व्यक्ति की हिम्मत की परीक्षा लेता है। कठिनाई के ये पल अकेलेपन का कारण बन सकते हैं, यहाँ तक कि करीबी दोस्त और प्रियजन भी दूर लगने लगते हैं। इन कठिन समयों के दौरान ही कई लोग अपने दर्द को शब्दों, विचारों या दूसरों के साथ अपने संघर्षों को साझा करने के माध्यम से व्यक्त करते हैं।
जो लोग मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं, उनके लिए 'Bura Waqt Shayari' एक आवाज़ का काम करती है, जो उनके दर्द को व्यक्त करने का एक तरीका है, लेकिन वे इसे पूरी तरह से व्यक्त नहीं कर पाते हैं। यह शायरी कठिन समय के भावनात्मक भार को दर्शाती है, जो उन लोगों के साथ प्रतिध्वनित होती है जिन्हें लगता है कि कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। यह हमें याद दिलाता है कि, हालांकि बुरा समय दुखद हो सकता है, लेकिन यह जीवन की लय का हिस्सा है और अंततः, जैसे मौसम बदलते हैं, वैसे ही हमारी परिस्थितियां भी बदलेंगी।
Bura Waqt Shayari
वक्त को बुरा ना कहो ,
लोगो की असलियत यही दिखाता है।
बुरे वक्त में भी जो
तुमसे जुदा ना हो,
गौर से देखना
कहीं खुदा ना हो..!!
कौन अपना कौन पराया
बुरे वक्त ने सब बताया😓
कितना अधूरा लगता है जब
बादल हो और बारिश ना हो
ज़िन्दगी हो पर प्यार न हो
आँखें हो पर ख्वाब न हो
कोई अपना हो और वो पास न हो।
अपना पन तो सब दिखाते है
पर कौन अपना है ये वक्त ही
बताता है🖤🥀🖤
मत रोना किसी के
छोड़ के जाने से
वक़्त ऐसा ला देना कि वो
खुद मिलने आये
नए नए बहाने से .
मेरे बुरे वक्त मे
साथ खड़े रहने वालो,
वादा रहा मेरा अच्छा वक्त केवल तुम्हारे
लिए होगा
बुरा वक्त पूछ के नहीं आता साहब
कई बार जजो को भी
वकील करने पड़ जाते…!!!👌
टूटे ख़्वाब ले कर हालातों से
जंग जारी है ,
लगा ले ज़ोर
बुरे वक़्त तू भी तुझसे
तो मैदान ए जंग की तैयारी है !!
बदलता वक़्त देखा है मैंने,
अपने ही हमदर्द को
अपना दर्द बनते देखा है मैंने 💔
Bure Waqt Status
इस दुनिया में अच्छे सभी होते हैं
बस पहचान बुरे वक्त में होती है.!!
🖤🖤
एक वक्त के बाद सबका मन भर
जाएगा तुमसे !!
सपना कुछ और ही देखा था
और वक्त ने कुछ और ही
दिखा दिया🖤🥀🖤
गैरमुकम्मल सी जिंदगी, वक्त
की बेतहाशा रफ्तार..
रात इकाई, नींद दहाई , ख्वाब सैंकडा,
दर्द हजार. !
बुरा वक्त और हालात इंसान को
उम्र से पहले ही
जिम्मेदार और समझदार दोनों बना देता है।
चेहरों को बेनकाब करने में,
ए बुरे वक़्त तेरा हजार बार
शुक्रिया !!
आजमाया तो नहीं मैंने उन्हें कभी
पर हाँ बेहिसाब झगड़ो के बाद भी
अपने बुरे वक़्त में मैने उन्हें अपने
साथ पाया है. !!
बदनशीवी ही ऐसी है,
दिन में किसी न किसी वक्त
रोना आ ही जाता है…😢
वक्त बदलेगा शायरी
वक्त का काम तो है गुजरना,
बुरा है तो सब्र करो,
अच्छा है तो शुक्र करो।
रात नहीं सपने बदलते हैं,
मंजिल नहीं कारवां बदलता है,
जज़्बा रखो हमेशा जीतने का,
क्यूंकि नसीब बदले न बदले,
लेकिन वक्त ज़रूर बदलता है
वक़्त का सितम तो देखिए,
खुद गुज़र जाता है
हमे वही छोड़ कर …!
बहुत कुछ छोड़ा है
तेरे भरोसे ए वक्त
बस तू दगाबाज ना निकलना. !!
कभी कभी वक्त के साथ
सब कुछ ठीक नहीं,
बल्कि सब कुछ खत्म हो जाता है,,💔🥀✍
उम्र का एक एक साल
बीत रहा है,
और हम वक्त के साथ
खाक हो रहे हैं।
Bura Waqt Shayari 2 lines
मुझे सब्र करना और तुम्हें
कद्र करना अब वक़्त ही सिखाएगा .!!
अदब से की थी शुरुआत जिसने…
बिछड़ते वक्त उसने ज़लील बहुत किया …😌
वो कहती हैं
बहुत मजबूरियाँ हैं वक़्त की
वो साफ़ लफ़्ज़ों में ख़ुद को
बेवफ़ा नहीं कहती।
बुरे वक्त में कंधे पर रखा गया 👉 हाथ…..
कामयाबी की तालियों से
ज्यादा मूल्यवान होता है
कल बुरा था आज अच्छा आएगा
वक्त ही तो है रुक थोड़ी जाएगा🌺
मुझे ज्ञान मत दो
मेरा वक्त ख़राब है
दिमाग नही. !!
जीवन में अगर बुरा वक्त
नहीं आता तो
अपनों में छुपे हुए गैर
और गैरों में छुपे हुए अपने
कभी नजर नहीं आते
कोई ऐसा चाहिए
जो हाथ थाम कर कहे,
वक़्त ही तो है,
आज बुरा है तो कल बेहतरीन होगा!!
इस भीड़ पर भरोसा नहीं मुझे
ये लोग बुरे वक्त में पराए हो जाते हैं 💔
बुरा वक्त कभी भी
बता कर नहीं आता
मगर कुछ सीखा समझा कर
बहुत कुछ जाता हैं..!
“आपका वक्त चाहें कितना भी बुरा चल रहा हो,
आप अपनी यादों के सहारे
उस बुरे वक्त को
आसानी से झेल जाएंगे।”
जिसे शायरी नहीं आती वो ग़ज़ल
सुना रहा है
जब से हुआ हूं मैं
मरीज़ ए इश्क़
खुदा तबसे मेरा वक्त चल
बुरा रहा है।
बुरा वक्त तो बदल ही जाएगा,
मगर बदले हुए लोग याद रहेगें।
मुझसे कल वक़्त पूछा किसी ने
केह दिया के
बुरा चल रहा है 😞🙁
दो लाइन शायरी वक्त
हर वक्त हमे बुरा कहता रहा वो शख्स
जिसने कभी अपने लिबास में झांक कर नही देखा।
वक्त बुरा हो तब मेहनत करना और
अच्छा हो तब मदद करना …….!
समय बदलता है
आज आपका समय ठीक नहीं है
बुरा वक्त चल रहा है
कोई आपको सपोर्ट नहीं कर रहा है
सब आपका मजाक बना रहे हैं तो यार धैर्य के साथ
मेहनत करते रहना एक दिन
आपको सफलता जरूर मिलेगी😊
मैं इस वक्त कहा मिलूंगा
मुझे ख़ुद से एक ज़रूरी बात करनी है।
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मातृभाषा हिंदी l
नमस्ते हिंदी l
हिंदी भाषा की परिभाषा यह है कि व्यक्ति अपनी भावनाएं, इच्छाएं, समस्याएं और अपनी बातों को व्यक्त करते हैं और अपनी वक्तव्य को दूसरों तक पहुंचाता है और भाषा के द्वारा ही व्यक्ति अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढता है, या दूसरों की समस्याओं का समाधान करता है l
यदि एक भाषा दूसरी भाषा को दबाता है तो इंसान खुद ब खुद दबता चला जाता है l
आइए हम सब मिलकर हिंदी को प्रोत्साहित करें, हिंदी को महत्व दें और हिंदी को आगे बढ़ावा देl
अपना एक ही अभियान हिंदी सर्वोपरि है l
हिंदी महान है…l.
हिंदी हम सब का सम्मान है..l
हिंदी, अभिव्यक्तित्व की निखार है l
हिंदी, अंतरात्मा की एक पुकार है..l
अपनों से अच्छा व्यवहार है l
हिंदी और संस्कृत भाषा में अपने पूर्वजों का संस्कार हैं l
अपनी भाषा हिंदी है तो समृद्धि है, उत्थान है और…
मानवता को विश्व स्तर पर पहुंचाने का एक बहुत बड़ा योगदान है l
हिंदी भाषा हिंदुस्तान की संपत्ति है l
हिंदी भाषा में स्वाबलंबन है, समरसता है, संभावना है, समर्पण है l
हिंदी है तो खुशियां और समृद्धि है l
हिंदी है तो सब सुख संपन्न है l
हिंदी भाषा में दूरदर्शिता है l
हिंदी भाषा अविष्कारों की जननी हैl
हिंदी भाषा हिंदुस्तान की एक पहचान हैl
हिंदी महान है...l
हिंदी है तो बौद्धिक संस्कृति है
हिंदी है तो कवि और कलाकार है
हिंदी है तो बुद्धिजीवी अपार है l
हिंदी है तो ज्ञान का भंडार है l
हिंदी और संस्कृत है तो ..
लोगों को शास्त्र का ज्ञान है l
उपनिषद और वैदिक विज्ञान है ll
हिंदी है तो राष्ट्रभक्ति है,
नारी की शक्ति है l
हिंदी है तो युवा शक्ति है l
हिंदी है तो हिंदुस्तान शक्तिशाली है l
हिंदी एक साधना है l
हिंदी आराधना है l
अंतर्मन की पूजा है हिंदी l
अपनों की आदर और सत्कार है हिंदी l
हिंदी एक विचारधारा l
जो बहती गंगा सी धारा है ll
हिंदी कामधेनु गो है l
कल्पतरू है हिंदी ll
रिधि सिद्धि है हिंदी l
शुभ लाभ है हिंदी ll
सर्वे भवंतू सुखिना: है l
वसुदेव कुटुंबकम है ll
हिंदी है तो निस्वार्थ भावना है l
एक सहयोग है l
हिंदी एक योग है ll
कवि की कल्पना है हिंदी l
हिंदी है तो परिपक्वता है l
हिंदी, भाषा में एक विश्वास है l
हिंदी, विश्व गुरु बनने का ब्रह्मास्त्र हैl
हिंदी और संस्कृत है तो मानवता है l
ललाट पर लगी भगवा रोड़ी की टीका है हिंदी l
हम सभी के लिए वरदान है हिंदी l
राष्ट्र की मान और सम्मान है हिंदी l
आन, बान और शान हिंदी l
हिंदुत्व की जान है हिंदी l
हिंदी हमारी जुबान है l
हिंदी है तो हम जवान हैं l
उर्दू और फारसी के साथ भाईचारा निभाता आया है हिंदी l
उनके कुछ अनमोल शब्द खरीद रखे हैं हिंदी l
जय हिंद का नारा दिया है हिंदी ने l
राष्ट्रीयता पूरी निभाया है हिंदी ने l
स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर लड़ाई लड़ी है हिंदी ने l
हिंदुस्तान को आजादी दिलाई है हिंदी ने l
हिंदी है तो हम शक्तिमान हैं l
पत्रकारिता की लाठी है हिंदी l
लेखकों की साथी है हिंदी l
छात्रों का सहपाठी हिंदी l
रंगमंच की पहचान है हिंदी l
फिल्म जगत की जान है हिंदी l
गीत संगीत की आत्मा है हिंदी l
14 सितंबर की वार्षिक उत्सव तक ही सीमित नहीं है हिंदी l
साल के 365 दिनों तक साथ निभाता है हिंदी l
कार्यालय में भी बढ़-चढ़कर कार्य करता है हिंदी l
लाखों लेखकों का लेख -निबंध है हिंदी l
अनपढ़ों पर लगाती प्रतिबंध है हिंदी
हिंदी है तो स्वच्छता अभियान है l
हिंदी हमारे देश का अभिमान है l
हिंदी है तो पर्यावरण में गतिविधियां...है ,
प्रकृति के साथ जीने की अनेक विधियां है l
हिंदी है तो अनेकता में एकता हैl
हिंदी है तो अभिव्यक्ति की आजादी हैl
हिंदी भाषा का सकारात्मक दिशा में एक बहुत बड़ा योगदान है l
हिंदी हैं तो...
अनेकों व्यापार है..l
अच्छा व्यवहार है..l
आपस में प्यार और शिष्टाचार है l
हिंदी है तो न्यायालय में न्याय है l
जीने का अधिकार हैl
हिंदी में ही तो...
हीतो पदेस की कहानियां है l
हिंदी में तो विदुर नीति है l
हिंदी है तो चाणक्य नीति है l
जिस पर हिंदुस्तान टिकी है l
हिंदी में लिखी पंचतंत्र है l
राजनीति का एक मूल मंत्र है ll
हिंदी है तो लोकतंत्र है l
हिंदी है तो हम स्वतंत्र है l
हिंदी है तो...
पूजा-अर्चना है l
आशा है, अभिलाषा हैl
हिंदी, हिंदुत्व की परिभाषा है l
हिंदी है तो जीने की इच्छा है l
हिंदी अपने आप में एक उच्च शिक्षा है l
हिंदी में दिखाई देती भविष्य की तस्वीर है l
हिंदी ने कलम से लिखी लाखों लोगों की तकदीर है ll
हिंदी बदलती दशा के साथ दिखाती एक नई दिशा हैl
हिंदी है तो अपनों से रिश्ता है
अनजान भी फरिश्ता है l
हिंदी हिंदुत्व की एकत्रीकरण है
हिंदी इतिहास का स्मरण है l
दिनकर की दिनचर्या थी हिंदी.......l
कबीरदास, सूरदास और मीरा की वंदना थी हिंदी l
संस्कृत-हिंदी है तो तुलसीदास की रामचरित��ानस है l हनुमान चालीसा है हिंदी l
सुंदरकांड का पाठ और गीता है हिंदीl
हिंदी है तो दुश्मन भी अपने सामने नतमस्तक है l
हिंदी है तो दुनिया हिंदुस्तान के सामने नतमस्तक है l
जय हिंद l
जय हिंदी ll
जय हिंदुस्तान lll
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं!
संभार :
मधुसूदन लाल
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2024 : आराध्या | डॉ प्राची श्रीवास्तव, एसोशिएट प्रोफेसर, एमिटी यूनिवर्सिटी
14 मार्च 2024, लखनऊ | एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ के आशा क्लब व हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2024 के उपलक्ष्य में "आराध्या" कार्यक्रम का आयोजन एमिटी यूनिवर्सिटी, लखनऊ कैंपस, मल्हौर मे हुआ | "आराध्या" कार्यक्रम के अंतर्गत महिला सम्मान, पैनल चर्चा, आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित हुई | आराध्या कार्यक्रम का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण, अधिकारों तथा महिला के जीवन मे आने वाली चुनौतियों को उजागर करना था | मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमती बी. चंद्रकला (आई.ए.एस), सचिव, महिला कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार की गरिमापूर्ण उपस्थिति रही | कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं गणेश वंदना से हुआ | मुख्य अतिथि, वूमेन अचीवर अवार्ड से सम्मानित समस्त महिला विभूतियों, पैनल चर्चा के विद्वान वक्तागण, महिला सम्मान चयन समिति के सदस्य, एमिटी यूनिवर्सिटी के उप कुलपति, डीन, स्वयंसेवकों आदि को प्रतीक चिन्न और प्रमाण पत्र प्रदान करके सम्मानित किया गया |
इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्रीमती बी. चन्द्रकला ने कहा कि, “मैं आराध्या कार्यक्रम से बहुत प्रभावित हूं और मुझे जो सम्मान मिला है उसके लिए मैं बहुत आभारी हूं | मैं डॉ रूपल अग्रवाल को अपनी बहन समान मानते हुए अपना आभार व्यक्त करती हूं जिन्होंने मुझे इस कार्यक्रम में आमंत्रित कर सहभागिता का अवसर दिया | आज हमारे बीच समाज के विभिन्न क्षेत्रों से महिला सशक्तिकरण की अभूतपूर्व मिसाल सशक्त महिलाएं उपस्थित है, जिन्होंने अपनी मेहनत और अथक प्रयासों से समाज में अपनी अलग पहचान बनाई है | आज उन सबको सम्मानित करना हम सबके लिए अत्यंत गर्व की बात है और मैं महिला सशक्तिकरण को समर्पित कार्यक्रम आराध्या का हिस्सा बनकर बहुत खुश हूँ | आज महिलाएं समाज में डबल रोल निभा रही है तथा घर के साथ-साथ अपने कार्य स्थल पर भी कामयाबी का परचम लहरा रही है | मैं आप सभी को हार्दिक बधाई देती हूँ तथा आप सभी के उज्जवल भविष्य की कामना करती हूँ |”
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि, “हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा महिला सशक्तिकरण हेतु समय-समय पर नुक्कड़ नाटकों, रैली, परिचर्चा, सम्मान समारोह का आयोजन किया जा रहा है |" यहाँ उपस्थित सभी नारी शक्ति से तथा जहां तक मेरी बात पहुंचे मैं आपको गारंटी देती हूँ कि जीवन मे कभी निराश मत होना चाहे कुछ भी हो जाए, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट हमेशा आपके साथ है | कभी भी कोई भी समस्या हो, एक बार बात कर लीजिएगा, हम मिलकर समाधान अवश्य निकाल लेंगे |
आराध्या कार्यक्रम में 30 सशक्त महिलाओं को उनके उत्कृष्ट और प्रेरणादायक कार्यों हेतु सम्मानित किया गया जिनमे डॉ. रिचा आर्य, डॉ. दया दीक्षित, श्रीमती दिव्या रावत, श्रीमती अंजली ताज, डॉ. ज्योत्सना सिंह, डॉ. ज्ञानवती दीक्षित, डॉ. रिंकी रविकांत, श्रीमती मंजू श्रीवास्तव, श्रीमती नीमा पंत, डॉ. प्रभा श्रीवास्तव, श्रीमती रजनी गुप्ता, श्रीमती गुंजन वर्मा, श्रीमती लता कादम्बरी गोयल, श्रीमती नीलिमा कपूर, श्रीमती रोली शंकर श्रीवास्तव, श्रीमती मंजू श्रीवास्तव (पत्रकार), श्रीमती त्रिप्ती कौर पाहवा, श्रीमती पल्लवी आशीष, श्रीमती रचना मिश्रा, श्रीमती राज स्मृति, श्रीमती वैष्णवी अवस्थी, सुश्री पंखुड़ी गिडवानी, सुश्री मिथिका द्विवेदी, डॉ. (श्रीमती) अनिता भटनागर जैन (IAS), प्रोफेसर (डॉ.) निधि बाला, डॉ. रंजना बाजपेई, श्रीमती संध्या सिंह, डॉ. अंकिता सिंह, डॉ. राधा बिष्ट और डॉ. स्मिता रस्तोगी शामिल है |
कार्यक्रम के अंतर्गत पैनल परिचर्चा विषयक "Empowering Women: Breaking Barriers, Creating Opportunities" में डॉ. अनिल कुमार तिवारी, डॉ मनुका खन्ना, श्रीमती अनीता अग्रवाल, डॉ पियाली भट्टाचार्य, सी. ए. प्रियंका गर्ग, श्री प्रत्यूश श्रीवास्तव, सुश्री पंखुड़ी गिडवानी, डॉ रूपल अग्रवाल एवं प्रो. मंजू अग्रवाल ने भाग लिया | परिचर्चा में सभी ने अपने विचारों को व्यक्त किया जिसका सारांश था कि लैंगिक समानता की पहल माता-पिता को करनी होगी, महिलाओं को अपने अधिकार जानने होंगे और उन्हे मनवाने के लिए प्रयास करने होंगे, सशक्त महिलाओं को अन्य शोषित एवं वंचित महिलाओं को भी आगे बढ़ाना होगा तथा अपने कौशल में निरंतर वृद्धि करनी होगी तथा स्वस्थ रहने के साथ साथ जीवन को संतुलित भी करना होगा |
कार्यक्रम में 6 मेधावी छात्रों को Young Achiever's Award से पुरस्कृत किया गया जिसमें कार्तिक दुबे, संजना मिश्रा, श्रुति माथुर, अनम वकार , प्रेक्षी गर्ग तथा वेयाज नकवी शामिल है |
वूमेन अचीवर अवार्ड 2024 की चयन समिति सदस्य डॉ. सत्या सिंह, श्री विनय त्रिपाठी, श्री ए.के. जयसवाल, डॉ. प्राची श्रीवास्तव और डॉ. नेहा माथुर को भी प्रतीक चिन्ह एवं आभार पत्र से सम्मानित किया गया |
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अपने मामले के लिए सही वकील कैसे चुनें - Advocate Nirvikar Singh से मुख्य जानकारी
भारत में कानूनी लड़ाई लड़ना महाभारत के समान है, जहां आपके पास एक अनुभवी सारथी होना चाहिए, जो आपको कानूनी उलझनों से निकालकर, आपकी रक्षा करता है, हर कदम पर आपको सलाह देता है, उलझनों से बाहर खींचता है, और अंततः आपको जीत की ओर ले जाता है।
कानूनी लड़ाई के किनारे खड़े होकर, अक्सर भय और भ्रम आपको घेर लेते हैं। कानूनों और प्रक्रियाओं का यह जटिल तंत्र इतना डरावना हो सकता है, और सही वकील चुनना प्राचीन रहस्यों को समझने जैसा लगता है।
भारतीय बार काउंसिल (BCI) के अनुसार, लगभग 1.3 मिलियन (लगभग) लोग कानून का अभ्यास करते हैं, और यह संख्या हर साल बढ़ती रहती है। हालांकि, आपके मामले के लिए सही व्यक्ति चुनना कोई आसान काम नहीं है। निरविकार सिंह एडवोकेट के अनुसार, यह कार्य भारत के विविध कानूनी परिदृश्य में और भी जटिल हो जाता है। लेकिन इस धुंध के बीच उम्मीद की किरणें भी हैं — वकील जो इस यात्रा में आपके अटल साथी बन सकते हैं।
लेकिन आप उन्हें कैसे ढूंढते हैं? रेगिस्तान में मृगतृष्णा के बीच सच्चे योद्धा की पहचान कैसे करते हैं? यह ब्लॉग आपका मार्गदर्शक है, जो आपको भारत में आदर्श वकील की खोज में भावनात्मक और व्यावहारिक पहलुओं के बारे में बताएगा।
सबसे पहले, अपनी भावनाओं को स्वीकार करें। यह कोई व्यापारिक लेन-देन नहीं है; यह आपकी ज़िंदगी और आपका भविष्य दांव पर है। अपने अंदर के भय, गुस्से और असुरक्षा को महसूस करने दें। यह भावनाएं ही आपकी खोज को प्रेरित करेंगी और आपको ऐसे वकील से जुड़ने में मदद करेंगी, जो आपकी ज़रूरतों को समझे।
इसके बाद, अपने मामले को समझें। इसे श्रेणीबद्ध करें — क्या यह दीवानी, आपराधिक, पारिवारिक, या कॉर्पोरेट मामला है? यह प्रारंभिक मानचित्रण आपको आपकी कानूनी आवश्यकता के अनुसार विशेषज्ञ वकील खोजने में मदद करेगा। ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग करें, दोस्तों और परिवार से सिफारिशें मांगें, और रेफरल के लिए बार एसोसिएशन को कॉल करने से न हिचकें।
अब इंटरव्यू के अहम चरण पर आगे बढ़ें। ऐसे सवालों की सूची तैयार करें जो योग्यता और फीस से परे जाएं। उनसे पूछें कि उनके पास ऐसे मामलों का कितना अनुभव है, उनका संवाद शैली क्या है, और उनके मुकदमेबाजी के तरीके कैसे हैं। क्या वे ध्यानपूर्वक सुनते हैं? क्या वे जटिल अवधारणाओं को सरलता से समझाते हैं? क्या वे आत्मविश्वास और भरोसा जगाते हैं? निरविकार सिंह एडवोकेट के अनुसार, वकील चुनने का महत्वपूर्ण पहलू उसकी पहुंच है। वह कानूनी सहायता न केवल कानूनी बल्कि भावनात्मक समर्थन के लिए भी उपलब्ध होनी चाहिए।
याद रखें, वकील आपका साथी है, जादूगर नहीं। बड़े-बड़े वादों या अहंकार से प्रभावित न हों। किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश करें जो नैतिक, पारदर्शी, और आपके मामले की चुनौतियों और संभावित परिणामों के बारे में यथार्थवादी हो। ऐसे व्यक्ति की तलाश करें जो खुलकर संवाद करे, आपको हर कदम पर जानकारी दे, और आपके निर्णयों का सम्मान करे, भले ही वे उनसे अलग हों।
सहजता की शक्ति को कम मत आंकिए। जानकारी के बवंडर में, अपने अंतर्मन की सुनें। क्या यह वकील आपको आरामदायक महसूस कराता है? क्या वे सहानुभूति जताते हैं और आपके हालात की भावनात्मक थकान को समझते हैं? एक वकील जो वास्तव में आपकी परवाह करता है और आपके मामले को महत्व देता है, वह आपके लिए अनमोल साबित होगा।
एक वकील का तार्किक दृष्टिकोण बहुत कुछ कहता है। सीमित जानकारी से तार्किक निष्कर्ष निकालने की क्षमता ही एक वकील को भीड़ से अलग करती है। वह आपके कमजोर मामले को मजबूत बना सकता है।
ध्यान रखें, कीमत महत्वपूर्ण है, लेकिन यह निर्णय का एकमात्र कारक नहीं होना चाहिए। एक कुशल वकील अधिक शुल्क ले सकता है, लेकिन उनकी विशेषज्ञता आपको लंबे समय में समय, पैसा और दुख से बचा सकती है। वकील के अनुभव, प्रतिष्ठा और आपकी वित्तीय सीमाओं के साथ-साथ फीस का मूल्यांकन करें।
अंत में, अपने निर्णय पर विश्वास करें। आपने अपना शोध किया है, उम्मीदवारों का साक्षात्कार लिया है, और अपनी आंतरिक आवाज सुनी है। विश्वास रखें कि आपने सही वकील चुना है, जो इस जटिल कानूनी क्षेत्र में आपका मार्गदर्शन करेगा। संचार महत्वपूर्ण है, इसलिए अपने वकील के साथ खुलकर संवाद करें, अपनी चिंताओं को व्यक्त करें, और टीम के रूप में काम करें।
वकील चुनना केवल कानूनी विशेषज्ञता के बारे में नहीं है, यह उस व्यक्ति को ढूंढने के बारे में है जो आपकी स्थिति को समझता है और आपके कारण के प्रति समर्पित है। कानूनी क्षेत्र में अनुभव महत्वपूर्ण है, लेकिन एक वकील की प्रभावी ढंग से संवाद करने की क्षमता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। एक वकील जो जटिल कानूनी शब्दजाल को सरल बना सके और आपके मामले की प्रगति के बारे में आपको जानकारी देता रहे, वह अ��मोल है। किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश करें जो आपके निर्णयों का सम्मान करे और आपको निर्णय प्रक्रिया में शामिल रखे।
वकील चुनते समय, उनके कानूनी समुदाय में प्रतिष्ठा पर विचार करें। सहकर्मियों और न्यायाधीशों के बीच एक वकील की प्रतिष्ठा आपके मामले के परिणाम को प्रभावित कर सकती है। इसके अतिरिक्त, ग्राहक की प्रशंसाओं और समीक्षाओं को पढ़ें, ताकि आप उनके पिछले मामलों और ग्राहकों के साथ उनके अनुभव का आकलन कर सकें।
कानूनी शुल्क और बिलिंग के बारे में स्पष्ट संवाद स्थापित करना आवश्यक है। सुनिश्चित करें कि आप शुल्क संरचना को स्पष्ट रूप से समझते हैं, जिसमें रिटेनर शुल्क, प्रति घंटा दरें और अन्य संभावित खर्च शामिल हैं। अपने वित्तीय प्रतिबंधों पर चर्चा करें और एक पारस्परिक रूप से स्वीकार्य व्यवस्था की ओर काम करें।
याद रखें, कानूनी प्रणाली को नेविगेट करना कठिन हो सकता है, इसलिए अपने वकील के साथ एक स्वस्थ और खुला संबंध बनाए रखना महत्वपूर्ण है। अपने कानूनी सलाहकार के साथ विश्वास और तालमेल स्थापित करना कानूनी प्रक्रिया की जटिलताओं से गुजरने में आपके लिए सहायक सिद्ध होगा।
अंत में, भारत में सही वकील खोजना सावधानीपूर्वक विचार, शोध और सहज ज्ञान की मांग करता है। एक ऐसे कानूनी योद्धा की तलाश करें जो न केवल कानून की जटिलताओं को समझता हो बल्कि आपकी ज़रूरतों के साथ मेल खाता हो। सही वकील के साथ, आप कानूनी उलझनों को आत्मविश्वास के साथ पार कर सकते हैं, यह जानते हुए कि आपके पास एक समर्पित साथी है जो आपकी लड़ाई लड़ेगा और आपको अनुकूल समाधान की ओर ले जाएगा।
भारत में सही वकील खोजना आसान नहीं है, लेकिन यह आवश्यक है। यह ऐसे व्यक्ति को ढूंढने के बारे में है जो कानून को समझता हो, आपको समझता हो, और आपके अधिकारों के लिए निस्वार्थ रूप से लड़ता हो। खुले मन, सावधानीपूर्वक शोध और सहज ज्ञान के साथ, आप अपने कानूनी योद्धा को ढूंढ सकते हैं जो आपको अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाएगा। निरविकार सिंह एडवोकेट हमेशा मानते हैं कि न्याय प्रतीक्षा करता है, और सही वकील के साथ, आप इस उलझन से निकलकर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart88
"पूर्ण परमात्मा कबीर जी का द्वापर युग में प्रकट होना"
प्रश्न 54 :- हे परमेश्वर ! अपने दास धर्मदास पर कृपा करके द्वापर युग में प्रकट होने की कथा सुनाऐं जिस से तत्त्वज्ञान प्राप्त हो?
उत्तर :- कबीर परमेश्वर (कबिर्देव) ने कहा हे धर्मदास! द्वापर युग में भी मैं रामनगर नामक नगरी में एक सरोवर में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुआ। एक निःसन्तान वाल्मिकी (कालू तथा गोदावरी) दम्पति अपने घर ले गया। एक ऋषि से मेरा नामकरण करवाया। उसने भगवान विष्णु की कृपा से प्राप्त होने के आधार से मेरा नाम करूणामय रखा। मैंने 25 दिन तक कोई आहार नहीं किया मेरी पालक माता अति दुःखी हुई। पिता जी भी कई साधु सन्तों के पास गए मेरे ऊपर झाड़-फूंक भी कराई। वे विष्णु के पुजारी थे। उनको अति दुःखी देखकर मैंने विष्णु को प्रेरणा दी। विष्णु भगवान एक ऋषि रूप में वहाँ आए तथा पिता कालू से कुशल मंगल पूछा। पिता कालू तथा माता गोदावरी (कलयुग में सम्मन तथा नेकी रूप में दिल्ली में जन्में थे) ने अपना दुःख ऋषि जी को बताया कि हमें वृद्ध अवस्था में एक पुत्र रत्न भगवान विष्णु की कृपा से सरोवर में कमल के फूल पर प्राप्त हुआ है। यह बच्चा 25 दिन से भूखा है कुछ भी नहीं खाया है। अब इसका अन्त निकट है। परमात्मा विष्णु ने हमें अपार खुशी प्रदान की है। अब उसे छीन रहे हैं। हम प्रार्थना करते हैं कि हे विष्णु भगवान यह खिलौना दे कर मत छीनों। हम अपराधियों से ऐसा क्या अपराध हो गया? इस बच्चे में हमारा इतना मोह हो गया है कि यदि इसकी मृत्यु हो गई तो हम दोनों उसी सरोवर में डूब कर मरेंगे जहाँ पर यह बालक रत्न हमें मिला था।
हे धर्मदास ! ऋषि रूप में उपस्थित विष्णु भगवान ने मेरी ओर देखा। मैं पालने में झूल रहा था। मेरे अति स्वस्थ शरीर को देखकर विष्णु भगवान आश्चर्य चकित हुए तथा बोले हे कालू भक्त! यह बच्चा तो पूर्ण रूप से स्वस्थ है। आप कह रहे हो यह कुछ भी आहार नहीं करता। यह बालक तो ऐसा स्वस्थ है जैसे एक सेर दूध प्रतिदिन पीता हो। यह नहीं मरने वाला। इतना कह कर विष्णु मेरे पास आया। मैंने विष्णु से बात की तथा कहा हे विष्णु भगवान! आप मेरे माता पिता से कहो एक कुँवारी गाय लाऐं उस गाय को आप आशीर्वाद देना व कंवारी गाय दूध देने लगेगी उस गाय का दूध मैं पीऊंगा। मेरे द्वारा अपना परिचय जान कर विष्णु भगवान समझ गए यह कोई सिद्ध आत्मा है जिसने मुझे पहचान लिया है। मुझे ऋषि के साथ बातें करते हुए मेरे पालक माता-पिता हैरान रह गए। अन्दर ही अन्दर खुशी की लहर दौड़ गई। ऋषि ने कहा कालू एक कुंवारी गाय लाओ। वह दूध देगी उस दूध को यह होनहार बच्चा पीएगा। कालू पिता तुरन्त एक गाय ले आया। भगवान विष्णु ने मेरी प्रार्थना पर उस कुंवारी गाय की कमर पर हाथ रख दिया।
उसी समय उस गाय की बछिया के थनों से दूध की धार बहने लगी तथा वह तीन सेर का पात्र भरने के पश्चात् रूक गई। वह दूध मैंने पीया।
मेरी तथा विष्णु जी की वार्ता की भाषा को कालू व गोदावरी समझ नही सके। वे मुझ पच्चीस दिन के बालक को बोलते देखकर उस ऋषि रूप विष्णु का ही चमत्कार मान रहे थे तथा कुंवारी गाय द्वारा दूध देना भी उस ऋषि की कृपा जानकर दोनों ऋषि के चरणों में लिपट गए। मेरी पालक माता ने मुझे पालने से उठाया तथा उस ऋषि रूप में विराजमान विष्णु के चरणों में डालना चाहा लेकिन मैं जमीन पर नहीं गिरा। माता के हाथों से निकल कर जमीन से चार फुट ऊपर हवा में पालने की तरह स्थित हो गया। जब गोदावरी ने मुझे ऋषि के चरणों की ओर किया भगवान विष्णु तीन कदम पीछे हट गए तथा बोले माई! यह बालक परम शक्ति युक्त है, बड़ा होकर जनता का उपकार करेगा। इतना कह कर ऋषि रूप ध��री विष्णु अपने लोक को चल दिए। मैं पुनः पालने में विराजमान हो गया।
उस वाल्मीकि दम्पति (कालू तथा गोदावरी) ने मेरा हवा में स्थित होना भी ऋषि का ही करिश्मा जाना इस कारण से मुझे कोई अवतारी पुरूष नहीं समझ सके मैं भी यही चाहता था, कि ये मुझे एक साधारण बालक ही समझें जिससे इनकी वृद्ध अवस्था का समय मेरे लालन-पालन में बीत जाए। मैं शिशु काल में ही तत्त्वज्ञान की वाणी उच्चारण करने लगा। उस नगरी में अकाल गिर गया। मेरे माता पिता मुझे लेकर बनारस (काशी) आए तथा वहाँ रहने लगे। कलयुग में कालू का जन्म सम्मन रूप में तथा गोदावरी का जन्म नेकी रूप में दिल्ली में हुआ जो कबीर जी की शरण में आए। उनका एक पुत्र सेऊ (शिव) भी परमात्मा की शरण में आया था।
काशी नगर में एक सुदर्शन नाम का वाल्मिीकि जाति का पुण्यात्मा मेरी वाणी सुनकर बहुत प्रभावित हुआ। मैंने सुदर्शन भक्त को सृष्टि रचना सुनाई। सुदर्शन मेरी हम उमर था। उस समय मेरी लीलामय आयु 12 वर्ष थी। जब काशी के विद्वानों से ज्ञान चर्चा होती थी, सुदर्शन भी मेरे साथ जाता था। एक दिन सुदर्शन ने कहा हे करूणामय! आप जो ज्ञान सुनाते हो इसका समर्थन कोई भी ऋषि नहीं करता। आप के ज्ञान पर कैसे विश्वास हो? हे करूणामय! आप ऐसी कृपा करो जिससे मेरा भ्रम दूर हो जाए। हे धर्मदास मैंने उस प्यासी आत्मा सुदर्शन को सत्यलोक के दर्शन कराए आप की तरह उसको भी तीन दिन तक ऊपर के सर्व लोकों में ले गया। सुदर्शन का पंच भौतिक शरीर अचेत हो गया। सुदर्शन भी अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र था। अपने इकलौते पुत्र को मृत तुल्य देखकर उसके माता-पिता विलाप करने लगे तथा हमारे घर आकर मेरे मात-पिता से झगड़ा करने लगे। कहा कि तुम्हारे करूण ने हमारे बच्चे को जादू-जन्त्र कर दिया। वह सेवड़ा है। हमारा पुत्र मर गया तो हम आप के विरूद्ध राजा को शिकायत करेगें। मेरे माता-पिता ने मेरे से उन्ही के सामने पूछा हे करूण ! सच बता तूने क्या कर दिया उस सुदर्शन को। मैंने कहा वह सतलोक देखना चाहता था। इसलिए उसे सतलोक दर्शन के लिए भेजा है। शीघ्र ही लौट आएगा। कई वैद्य बुलाएं कई झाड़-फूंक करने वाले बुलाए कोई लाभ नहीं हुआ। तीसरे दिन सुदर्शन के मात-पिता रोते हुए मेरे पास आए बोले बेटा करूण ! हमारे पुत्र को ठीक कर दे हम तेरे आगे हाथ जोड़ते हैं। मैंने कहा माई तुम्हारा पुत्र नहीं मरेगा।
मेरे (परमेश्वर कबीर साहेब) को अपने साथ अपने घर ले गए। मेरे माता-पिता भी साथ गए आस-पास के व्यक्ति भी वहाँ उपस्थित थे। मैंने सुदर्शन के शीश को पकड़ कर हिलाया तथा कहा हे सुदर्शन ! वापिस आ जा तेरे माता-पिता बहुत व्याकुल हैं। इतना कहते ही सुदर्शन ने आँखें खोली चारों ओर देखा, अपने सिर की ओर मुझे नहीं देख सका। उठ-बैठकर बोला परमेश्वर करूणामय कहाँ हैं? रोने लगा-कहाँ गए परमेश्वर करूणामय। उपस्थित व्यक्तियों ने पूछा, क्या करूण को ढूँढ़ रहा है? देख यह बैठा तेरे पीछे। मुझे देखते ही चरणों में शीश रख कर विलाप करने लगा तथा रोता हुआ बोला हे काशी के रहने वालों। यह पूर्ण परमात्मा है। यह सर्व सृष्टि रचनहार अपने शहर में विराजमान है। आप इसे नहीं पहचान सके। यह मेरे साथ ऊपर के लोक में गया। ऊपर के लोक में यह पूर्ण परमात्मा के रूप में एक सफेद गुबन्द में विराजमान है। यही दोनों रूपों में लीला कर रहा है। सर्व व्यक्ति कहने लगे इस कालू के पुत्र ने भीखू के पुत्र पर जादू जन्त्र किया है। जिस कारण से इसका दिमाग चल गया है। इस करूण को ही परमात्मा कह रहा है। भला हो भगवान का भीखू का बेटा जीवित हो गया नहीं तो बेचारों का कोई और बूढ़ापे का सहारा भी नहीं था। यह कह कर सर्व अपने-2 घर चले गए।
भीखू तथा उसकी पत्नी सुखी (सुखवन्ती) अपने पुत्र को जीवित देखकर अति प्रसन्न हुए भगवान विष्णु का प्रसाद बनाया पूरे मौहल्ले (कॉलोनी) में प्रसाद बांटा। सुदर्शन ने मुझसे उपदेश लिया। अपने माता-पिता भीखू तथा सुखी को भी मेरे से उपदेश लेने को कहा। दोनों ने बहुत विरोध किया तथा कहा यह कालू का पुत्र पूर्ण परमात्मा नहीं है बेटा! इसने तेरे ऊपर जादू-जन्त्र करके मूर्ख बनाया हुआ है। भगवान विष्णु से बड़ा कोई नहीं है। सुदर्शन ने मुझ से कहा हे प्रभु! कृप्या मुझे अपनी शरण में रखना। मेरे माता-पिता का कोई दोष नहीं है सर्व मानव समाज इसी ज्ञान पर अटका है। जिस पर आपकी कृपा होगी केवल वही आप को जान व मान सकता है। इस काल-ब्रह्म ने तो पूरे विश्व (ब्रह्मा-विष्णु-शिव सहित) को भ्रमित ��िया हुआ है। हे धर्मदास ! सुदर्शन भक्त ने काल के जाल को स��झ कर सच्चे मन से मेरी भक्ति की तथा मेरा साक्षी बना कि पूर्ण परमात्मा कोई अन्य है जो ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव से भिन्न तथा अधिक शक्तिशाली है। हे धर्मदास ! पाण्डवों की अश्वमेघ यज्ञ को जिस सुदर्शन द्वारा सम्पूर्ण की गई आप सुनते हो यह वही सुदर्शन वाल्मिीकि मेरा शिष्य था। द्वापर युग में मैं 404 वर्ष तक करूणामय शरीर में लीला करता रहा तथा सशरीर सतलोक चला गया।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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"पूर्ण परमात्मा कबीर जी का द्वापर युग में प्रकट होना"
प्रश्न 54 :- हे परमेश्वर ! अपने दास धर्मदास पर कृपा करके द्वापर युग में प्रकट होने की कथा सुनाऐं जिस से तत्त्वज्ञान प्राप्त हो?
उत्तर :- कबीर परमेश्वर (कबिर्देव) ने कहा हे धर्मदास! द्वापर युग में भी मैं रामनगर नामक नगरी में एक सरोवर में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुआ। एक निःसन्तान वाल्मिकी (कालू तथा गोदावरी) दम्पति अपने घर ले गया। एक ऋषि से मेरा नामकरण करवाया। उसने भगवान विष्णु ��ी कृपा से प्राप्त होने के आधार से मेरा नाम करूणामय रखा। मैंने 25 दिन तक कोई आहार नहीं किया मेरी पालक माता अति दुःखी हुई। पिता जी भी कई साधु सन्तों के पास गए मेरे ऊपर झाड़-फूंक भी कराई। वे विष्णु के पुजारी थे। उनको अति दुःखी देखकर मैंने विष्णु को प्रेरणा दी। विष्णु भगवान एक ऋषि रूप में वहाँ आए तथा पिता कालू से कुशल मंगल पूछा। पिता कालू तथा माता गोदावरी (कलयुग में सम्मन तथा नेकी रूप में दिल्ली में जन्में थे) ने अपना दुःख ऋषि जी को बताया कि हमें वृद्ध अवस्था में एक पुत्र रत्न भगवान विष्णु की कृपा से सरोवर में कमल के फूल पर प्राप्त हुआ है। यह बच्चा 25 दिन से भूखा है कुछ भी नहीं खाया है। अब इसका अन्त निकट है। परमात्मा विष्णु ने हमें अपार खुशी प्रदान की है। अब उसे छीन रहे हैं। हम प्रार्थना करते हैं कि हे विष्णु भगवान यह खिलौना दे कर मत छीनों। हम अपराधियों से ऐसा क्या अपराध हो गया? इस बच्चे में हमारा इतना मोह हो गया है कि यदि इसकी मृत्यु हो गई तो हम दोनों उसी सरोवर में डूब कर मरेंगे जहाँ पर यह बालक रत्न हमें मिला था।
हे धर्मदास ! ऋषि रूप में उपस्थित विष्णु भगवान ने मेरी ओर देखा। मैं पालने में झूल रहा था। मेरे अति स्वस्थ शरीर को देखकर विष्णु भगवान आश्चर्य चकित हुए तथा बोले हे कालू भक्त! यह बच्चा तो पूर्ण रूप से स्वस्थ है। आप कह रहे हो यह कुछ भी आहार नहीं करता। यह बालक तो ऐसा स्वस्थ है जैसे एक सेर दूध प्रतिदिन पीता हो। यह नहीं मरने वाला। इतना कह कर विष्णु मेरे पास आया। मैंने विष्णु से बात की तथा कहा हे विष्णु भगवान! आप मेरे माता पिता से कहो एक कुँवारी गाय लाऐं उस गाय को आप आशीर्वाद देना व कंवारी गाय दूध देने लगेगी उस गाय का दूध मैं पीऊंगा। मेरे द्वारा अपना परिचय जान कर विष्णु भगवान समझ गए यह कोई सिद्ध आत्मा है जिसने मुझे पहचान लिया है। मुझे ऋषि के साथ बातें करते हुए मेरे पालक माता-पिता हैरान रह गए। अन्दर ही अन्दर खुशी की लहर दौड़ गई। ऋषि ने कहा कालू एक कुंवारी गाय लाओ। वह दूध देगी उस दूध को यह होनहार बच्चा पीएगा। कालू पिता तुरन्त एक गाय ले आया। भगवान विष्णु ने मेरी प्रार्थना पर उस कुंवारी गाय की कमर पर हाथ रख दिया।
उसी समय उस गाय की बछिया के थनों से दूध की धार बहने लगी तथा वह तीन सेर का पात्र भरने के पश्चात् रूक गई। वह दूध मैंने पीया।
मेरी तथा विष्णु जी की वार्ता की भाषा को कालू व गोदावरी समझ नही सके। वे मुझ पच्चीस दिन के बालक को बोलते देखकर उस ऋषि रूप विष्णु का ही चमत्कार मान रहे थे तथा कुंवारी गाय द्वारा दूध देना भी उस ऋषि की कृपा जानकर दोनों ऋषि के चरणों में लिपट गए। मेरी पालक माता ने मुझे पालने से उठाया तथा उस ऋषि रूप में विराजमान विष्णु के चरणों में डालना चाहा लेकिन मैं जमीन पर नहीं गिरा। माता के हाथों से निकल कर जमीन से चार फुट ऊपर हवा में पालने की तरह स्थित हो गया। जब गोदावरी ने मुझे ऋषि के चरणों की ओर किया भगवान विष्णु तीन कदम पीछे हट गए तथा बोले माई! यह बालक परम शक्ति युक्त है, बड़ा होकर जनता का उपकार करेगा। इतना कह कर ऋषि रूप धारी विष्णु अपने लोक को चल दिए। मैं पुनः पालने में विराजमान हो गया।
उस वाल्मीकि दम्पति (कालू तथा गोदावरी) ने मेरा हवा में स्थित होना भी ऋषि का ही करिश्मा जाना इस कारण से मुझे कोई अवतारी पुरूष नहीं समझ सके मैं भी यही चाहता था, कि ये मुझे एक साधारण बालक ही समझें जिससे इनकी वृद्ध अवस्था का समय मेरे लालन-पालन में बीत जाए। मैं शिशु काल में ही तत्त्वज्ञान की वाणी उच्चारण करने लगा। उस नगरी में अकाल गिर गया। मेरे माता पिता मुझे लेकर बनारस (काशी) आए तथा वहाँ रहने लगे। कलयुग में कालू का जन्म सम्मन रूप में तथा गोदावरी का जन्म नेकी रूप में दिल्ली में हुआ जो कबीर जी की शरण में आए। उनका एक पुत्र सेऊ (शिव) भी परमात्मा की शरण में आया था।
काशी नगर में एक सुदर्शन नाम का वाल्मिीकि जाति का पुण्यात्मा मेरी वाणी सुनकर बहुत प्रभावित हुआ। मैंने सुदर्शन भक्त को सृष्टि रचना सुनाई। सुदर्शन मेरी हम उमर था। उस समय मेरी लीलामय आयु 12 वर्ष थी। जब काशी के विद्वानों से ज्ञान चर्चा होती थी, सुदर्शन भी मेरे साथ जाता था। एक दिन सुदर्शन ने कहा हे करूणामय! आप जो ज्ञान सुनाते हो इसका समर्थन कोई भी ऋषि नहीं करता। आप के ज्ञान पर कैसे विश्वास हो? हे करूणामय! आप ऐसी कृपा करो जिससे मेरा भ्रम दूर हो जाए। हे धर्मदास मैंने उस प्यासी आत्मा सुदर्शन को सत्यलोक के दर्शन कराए आप की तरह उसको भी तीन दिन तक ऊपर के सर्व लोकों में ले गया। सुदर्शन का पंच भौतिक शरीर अचेत हो गया। सुदर्शन भी अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र था। अपने इकलौते पुत्र को मृत तुल्य देखकर उसके माता-पिता विलाप करने लगे तथा हमारे घर आकर मेरे मात-पिता से झगड़ा करने लगे। कहा कि तुम्हारे करूण ने हमारे बच्चे को जादू-जन्त्र कर दिया। वह सेवड़ा है। हमारा पुत्र मर गया तो हम आप के विरूद्ध राजा को शिकायत करेगें। मेरे माता-पिता ने मेरे से उन्ही के सामने पूछा हे करूण ! सच बता तूने क्या कर दिया उस सुदर्शन को। मैंने कहा वह सतलोक देखना चाहता था। इसलिए उसे सतलोक दर्शन के लिए भेजा है। शीघ्र ही लौट आएगा। कई वैद्य बुलाएं कई झाड़-फूंक करने वाले बुलाए कोई लाभ नहीं हुआ। तीसरे दिन सुदर्शन के मात-पिता रोते हुए मेरे पास आए बोले बेटा करूण ! हमारे पुत्र को ठीक कर दे हम तेरे आगे हाथ जोड़ते हैं। मैंने कहा माई तुम्हारा पुत्र नहीं मरेगा।
मेरे (परमेश्वर कबीर साहेब) को अपने साथ अपने घर ले गए। मेरे माता-पिता भी साथ गए आस-पास के व्यक्ति भी वहाँ उपस्थित थे। मैंने सुदर्शन के शीश को पकड़ कर हिलाया तथा कहा हे सुदर्शन ! वापिस आ जा तेरे माता-पिता बहुत व्याकुल हैं। इतना कहते ही सुदर्शन ने आँखें खोली चारों ओर देखा, अपने सिर की ओर मुझे नहीं देख सका। उठ-बैठकर बोला परमेश्वर करूणामय कहाँ हैं? रोने लगा-कहाँ गए परमेश्वर करूणामय। उपस्थित व्यक्तियों ने पूछा, क्या करूण को ढूँढ़ रहा है? देख यह बैठा तेरे पीछे। मुझे देखते ही चरणों में शीश रख कर विलाप करने लगा तथा रोता हुआ बोला हे काशी के रहने वालों। यह पूर्ण परमात्मा है। यह सर्व सृष्टि रचनहार अपने शहर में विराजमान है। आप इसे नहीं पहचान सके। यह मेरे साथ ऊपर के लोक में गया। ऊपर के लोक में यह पूर्ण परमात्मा के रूप में एक सफेद गुबन्द में विराजमान है। यही दोनों रूपों में लीला कर रहा है। सर्व व्यक्ति कहने लगे इस कालू के पुत्र ने भीखू के पुत्र पर जादू जन्त्र किया है। जिस कारण से इसका दिमाग चल गया है। इस करूण को ही परमात्मा कह रहा है। भला हो भगवान का भीखू का बेटा जीवित हो गया नहीं तो बेचारों का कोई और बूढ़ापे का सहारा भी नहीं था। यह कह कर सर्व अपने-2 घर चले गए।
भीखू तथा उसकी पत्नी सुखी (सुखवन्ती) अपने पुत्र को जीवित देखकर अति प्रसन्न हुए भगवान विष्णु का प्रसाद बनाया पूरे मौहल्ले (कॉलोनी) में प्रसाद बांटा। सुदर्शन ने मुझसे उपदेश लिया। अपने माता-पिता भीखू तथा सुखी को भी मेरे से उपदेश लेने को कहा। दोनों ने बहुत विरोध किया तथा कहा यह कालू का पुत्र पूर्ण परमात्मा नहीं है बेटा! इसने तेरे ऊपर जादू-जन्त्र करके मूर्ख बनाया हुआ है। भगवान विष्णु से बड़ा कोई नहीं है। सुदर्शन ने मुझ से कहा हे प्रभु! कृप्या मुझे अपनी शरण में रखना। मेरे माता-पिता का कोई दोष नहीं है सर्व मानव समाज इसी ज्ञान पर अटका है। जिस पर आपकी कृपा होगी केवल वही आप को जान व मान सकता है। इस काल-ब्रह्म ने तो पूरे विश्व (ब्रह्मा-विष्णु-शिव सहित) को भ्रमित किया हुआ ���ै। हे धर्मदास ! सुदर्शन भक्त ने काल के जाल को समझ कर सच्चे मन से मेरी भक्ति की तथा मेरा साक्षी बना कि पूर्ण परमात्मा कोई अन्य है जो ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव से भिन्न तथा अधिक शक्तिशाली है। हे धर्मदास ! पाण्डवों की अश्वमेघ यज्ञ को जिस सुदर्शन द्वारा सम्पूर्ण की गई आप सुनते हो यह वही सुदर्शन वाल्मिीकि मेरा शिष्य था। द्वापर युग में मैं 404 वर्ष तक करूणामय शरीर में लीला करता रहा तथा सशरीर सतलोक चला गया।
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