#अधिक पसीना आना
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healthcareandwellness · 5 months ago
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थायरॉइड के आयुर्वेदिक उपचार: एक पूर्ण जानकारी
थायरॉइड क्या है?
थायरॉइड एक ग्रंथि है जो गर्दन के सामने, गले के नीचे हिस्से में स्थित होती है। यह ग्रंथि थायरॉइड हार्मोन (टी3 और टी4) का उत्पादन करती है, जो शरीर के मेटाबोलिज़्म को नियंत्रित करता है। ये हार्मोन ��रीर की ऊर्जा के उपयोग, तापमान को नियंत्रित करने, और मस्तिष्क, ह��दय, और अन्य अंगों के सामान्य कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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#थायरॉइड के विभिन्न प्रकार होते हैं#थायरॉइड के प्रकार#जिनमें सबसे आम रूप से देखे जाने वाले प्रकार निम्नलिखित हैं:#अत्यधिक थायरॉइड (हाइपरथायरॉइडिज़म)#अत्यंत कम थायरॉइड (हाइपोथायरॉइडिज़म)#ग्रेव्स रोग#गठिया#थायरॉइड के लक्षण#थायरॉइड के विभिन्न प्रकार के लक्षणों में थकान#तेज दिल की धड़कन (टैकीकार्डिया)#अधिक पसीना आना#तनाव#उच्च रक्तचाप#मूड स्विंग्स#बालों का झड़ना#थायरॉइड के कारण#जिससे हार्मोन का अधिक उत्पादन होता है। इसके अलावा#थायरॉइड नोड्यूल्स भी हाइपरथायरॉइडिज़्म का कारण बन सकते हैं#थायरॉइड के आयुर्वेदिक उपचार#आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग#थायरॉइड के लिए जीवनशैली संशोधन#नियमित व्यायाम करना#अपने शरीर को संतुलित रख सकते हैंर सकते हैं।
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health-blog-news · 7 days ago
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लिम्फोसाइटोसिस (Lymphocytes in Hindi): प्रकार, लक्षण, कारण, टेस्ट और इलाज
मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कई कोशिकाओं से बनी होती है, जिनमें से एक महत्वपूर्ण कोशिका लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes) होती है। ये सफेद रक्त कोशिकाएं (WBCs) होती हैं, जो संक्रमण और रोगों से शरीर की रक्षा करने का कार्य करती हैं।
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लिम्फोसाइट्स शरीर के लिए बेहद आवश्यक हैं क्योंकि ये शरीर की प्रतिर���धक क्षमता को बनाए रखते हैं और विभिन्न संक्रमणों से लड़ने में मदद करते हैं। जब शरीर में किसी प्रकार का बाहरी हमला होता है, तो लिम्फोसाइट्स उसे पहचानकर नष्ट करने का कार्य करते हैं।
लिम्फोसाइट्स असामान्य होने के कारण (Causes of Abnormal Lymphocytes)
लिम्फोसाइट्स की संख्या सामान्य से अधिक या कम हो सकती है। इसके कई कारण हो सकते हैं:
संक्रम��� (Infection) – वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण के कारण लिम्फोसाइट्स की संख्या बढ़ सकती है।
ऑटोइम्यूनरोग (Autoimmune Disorders) – शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली खुद अपनी स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करने लगती है।
ल्यूकेमिया (Leukemia) – एक प्रकार का रक्त कैंसर जिससे लिम्फोसाइट्स की संख्या अत्यधिक बढ़ सकती है।
एचआईवी/एड्स (HIV/AIDS) – इस संक्रमण से लिम्फोसाइट्स की संख्या कम हो जाती है।
अन्यरोग (Other Diseases) – तपेदिक (TB), हेपेटाइटिस, मोनोन्यूक्लिओसिस, और अन्य वायरल संक्रमण।
दवाइयोंकाप्रभाव (Effect of Medications) – कुछ दवाएं, विशेष रूप से कीमोथेरेपी और इम्यूनोसप्रेसेंट्स, लिम्फोसाइट्स की संख्या को प्रभावित कर सकती हैं।
लिम्फोसाइट्स असामान्य होने के लक्षण (Symptoms of Abnormal Lymphocytes)
अगर आपके लिम्फोसाइट्स की संख्या असामान्य हो जाती है, तो निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:
बार-बार संक्रमण होना
बुखार और कमजोरी महसूस होना
वजन का अचानक घटना
अत्यधिक थकान
लिम्फ नोड्स में सूजन
रात में पसीना आना
खून की जांच में असामान्य WBC काउंट आना
लिम्फोसाइट्स टेस्ट (Lymphocytes Test in Hindi)
लिम्फोसाइट्स की संख्या की जांच करने के लिए lymphocytes test in hindi किया जाता है। यह ब्लड टेस्ट डॉक्टर द्वारा सलाह दिया जाता है जब किसी व्यक्ति को बार-बार संक्रमण हो रहा हो या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हों।
लिम्फोसाइट्स ब्लड टेस्ट (Lymphocytes Blood Test in Hindi)
lymphocytes blood test in hindi को CBC (Complete Blood Count) टेस्ट कहा जाता है। यह रक्त में सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या का विश्लेषण करता है।
लिम्फोसाइट्स टेस्ट प्रक्रिया (Lymphocytes Test Procedure in Hindi)
डॉक्टर एक सुई से खून निकालते हैं।
यह सैंपल लैब में जांच के लिए भेजा जाता है।
रिपोर्ट में लिम्फोसाइट्स की संख्या सामान्य, अधिक या कम बताई जाती है।
सामान्य लिम्फोसाइट्स रेंज
वयस्कोंमें: 1000 - 4800 लिम्फोसाइट्स प्रति माइक्रोलि��र रक्त
बच्चोंमें: 3000 - 9500 लिम्फोसाइट्स प्रति माइक्रोलिटर रक्त
लिम्फोसाइट्स को संतुलित रखने के घरेलू उपाय (Home remedies to keep lymphocytes balanced in Hindi)
विटामिन सी और ए से भरपूर आहार लें।
प्रोटीन युक्त भोजन करें।
योग और ध्यान करें।
हाइड्रेटेड रहें।
पर्याप्त नींद लें।
प्रोबायोटिक्स जैसे दही और फाइबर युक्त आहार लें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
लिम्फोसाइट्सक्याहोतेहैं? लिम्फोसाइट्स सफेद रक्त कोशिकाओं का एक प्रकार हैं जो शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं।
लिम्फोसाइट्सकीसामान्यसीमाक्याहोतीहै? वयस्कों में 1000-4800 प्रति माइक्रोलिटर और बच्चों में 3000-9500 प्रति माइक्रोलिटर सामान्य सीमा होती है।
लिम्फोसाइट्सकीजांचकैसेकीजातीहै? यह सीबीसी (CBC) ब्लड टेस्ट द्वारा की जाती है।
लिम्फोसाइट्सकीसंख्याबढ़नेकेकारणक्याहैं? वायरल संक्रमण, ऑटोइम्यून रोग, और ल्यूकेमिया इसके प्रमुख कारण हैं।
लिम्फोसाइट्सकीसंख्याकमहोनेकेकारणक्याहैं? एचआईवी/एड्स, कीमोथेरेपी, और इम्यूनोसप्रेसेंट दवाएं इसके कारण हो सकते हैं।
लिम्फोसाइट्सबढ़ानेकेलिएक्याकरें? संतुलित आहार, विटामिन सी, योग, और पर्याप्त नींद लेना सहायक हो सकता है।
क्यालिम्फोसाइट्सकीसंख्याअसंतुलनसेकैंसरहोसकताहै? हां, लिम्फोसाइट्स की अत्यधिक वृद्धि ल्यूकेमिया जैसी बीमारियों से जुड़ी हो सकती है।
क्यालिम्फोसाइट्सअसंतुलनकाइलाजसंभवहै? हां, सही निदान और उपचार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
क्यालिम्फोसाइट्सअसामान्यताघातकहोसकतीहै? यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो यह गंभीर हो सकती है।
लिम्फोसाइट्सकोसंतुलितरखनेकेलिएकौनसेखाद्यपदार्थउपयोगीहैं? हरी सब्जियां, दही, और प्रोटीन युक्त आहार सहायक होते हैं।
निष्कर्ष
लिम्फोसाइट्स शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर इनकी संख्या असामान्य हो जाए तो यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। lymphocytes test in hindi द्वारा समय पर जांच और सही इलाज आवश्यक है। यदि आपको बार-बार संक्रमण हो रहा है या अन्य लक्षण दिख रहे हैं, तो डॉक्टर से परामर्श करें।
Resource: लिम्फोसाइटोसिस (Lymphocytes in Hindi): प्रकार, लक्षण, कारण, टेस्ट और इलाज
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patakareweb · 9 days ago
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Dr. Sushil Sharma
डॉ. सुशील शर्मा (एम.बी.बी.एस. , एम.डी. (मेडीसिन)  डिप्लोमा (डायबिटीज) चैन्नई डायबिटीज , हृदय, शवांस एवं पेट रोग विशेषज्ञ चिकित्सक बिरला हॉस्पिटल, ग्वालियर)
Registration No :- MP-8977
Specialty :- Internal Medicine
Fee :- 300
Mob:- 0751-4034881,8305524755
परामर्श समय प्रतिदिन :-  दोपहर:-1 .00 से 3.00 बजे | शाम 6.30 से 8.00 बजे तक नंबर लगाने हेतु सम्पर्क करें :- 7000514120
डायबिटीज/मधुमेह (शुगर) 
थायरॉयड विकार
मोटापा   
विटामिन डी एवं  कैल्शियम की कमी
कोलस्ट्रोल  की शरीर में ज्यादा मात्रा  होना 
उच्च रक्तचाप या घबराहट, बैचेनी महसूस होना
दमा , अस्थमा, स्वाँस 
पेट रोग, पेट में जलन एवं गैस बनना 
किडनी रोग, पेशाब में जलन होना
एलर्जी एवं सर्दी-जुकाम के कारण सिर में दर्द
मधुमेह- आहार के सामान्य नियम :-  मधुमेही रोगी के लिये आहार नियंत्रण इस बीमारी की चिकित्सा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण हिस्सा है आहार नियंत्रण के निम्नलिखित उद्देश्य है :
इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये निम्न आहार  नियमों का पालन करना चाहिये:-  मधुमेह रोगी को चाहिये कि खाना समय पर लेने का प्रयास करे ,दिन भर के भोजन के चार -पाँच हिस्सों मे ग्रहण करें, लम्बे समय तक भूखे न रहें एवंउपवास से बचें। मधुमेह कोनियंत्रण क रेशे युक्त भोजन पदार्थ ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं हरी पत्तेदार सब्जियाँ,सलाद, छिलके वाली दालें , चोकर युक्त आताअंकुरित अनाज, मैथीदाना, दलिया आदि में रेशा अधिक मात्रा में होता है, अत: इनका सेवन लाभदायाल है। सभी प्रकार के भोजन का सेवन किया जा सकता है। मधुमेह रोगी बताई गई मात्रा में चावल, पोहा आदि खा सकते है, मुख्यत: यह बात है कि कितनी मात्रा में अनाज का सेवन किया जायें।
  निर्देश - Hypoglycemia(Low Blood Sugar)हाईपोग्लाईसीमिया के लक्षण जैसे :-
चक्कर आना, कमजोरी महस् होना
कंपकंपी लगना,
धड़कन तेज होना,
जी मिचलाना,
धुंधला दिखाई देना, पसीना आना,
तेज प्यास और भूख लगना। आदि दिखाई देने रोगी को तुरन्त पानी , शक्कर या ग्लूकोज घोलकर पिलाये और डॉक्टर से सम्पर्क करें।
  मधुमेह के साथ जीवन के लक्ष्य :-   ब्लड शुगर :-   खाने के पहले          <100 mg/dl ग्लायकोसायलेटेड हीमोग्लोबिन   6% से कम  खाने के 2 घंटे बाद.  <140 mg/dl ब्लड प्रेशर                               130/90  लिपिड प्रोफाइल :-   टो��ल कोलेस्ट्रॉल       <200 mg एल डी एल < 100m ट्राईग्लिसराईड <150m एच डी एल > 40mg
Add :- 7 Munshipuri Surya Mandir Road Gole Ka Mandir,  Gwalior,  Madhya Pradesh
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drgagankhullar · 20 days ago
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दिल की बीमारी (Heart Disease) एक सामान्य शब्द है जो विभिन्न प्रकार की हृदय संबंधी समस्याओं को संदर्भित करता है। इसमें कोरोनरी आर्टरी डिजीज, हार्ट अटैक, हृदय विफलता, और हृदय की वाल्व समस्याएं शामिल हैं।
दिल की बीमारी के कारण: ============== धूम्रपान: धूम्रपान करने से रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुँचता है। उच्च रक्तचाप: यह हृदय पर अतिरिक्त दबाव डालता है। कोलेस्ट्रॉल: उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर से रक्त वाहिकाओं में प्लाक जमा होता है। शारीरिक सक्रियता की कमी: नियमित व्यायाम न करने से वजन बढ़ सकता है। आहार: उच्च वसा और शक्कर वाले आहार से हृदय रोग का खतरा बढ़ता है।
लक्षण: ==== सीने में दर्द सांस लेने में कठिनाई थकान पसीना आना दिल की धड़कन में अनियमितता
दिल की बीमारी (Heart Disease) की रोकथाम के लिए कई प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं:
1. स्वस्थ आहार: ========= फलों और सब्जियों का सेवन: अपने आहार में अधिक फल और हरी सब्जियाँ शामिल करें। ये एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर से भरपूर होते हैं। साबुत अनाज: ब्राउन राइस, ओट्स, और पूरे अनाज की ब्रेड का सेवन करें। कम वसा वाले प्रोटीन: मछली, चिकन, और नट्स का सेवन करें, और लाल मांस से बचें। नमक और चीनी की मात्रा कम करें: ज्यादा नमक और चीनी उच्च रक्तचाप और वजन बढ़ने का कारण बन सकते हैं।
2. नियमित व्यायाम: =========== शारीरिक गतिविधि: सप्ताह में कम से कम 150 मिनट का मध्यम व्यायाम (जैसे तेज चलना, साइकिल चलाना) करें। सक्रिय रहना: रोज़ाना काम करते समय सी��़ियों का उपयोग करें और अधिक चलने की कोशिश करें।
3. वजन प्रबंधन: ========= सही वजन बनाए रखें: ओवरवेट या मोटापे से बचें, क्योंकि यह हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाता है। BMI पर ध्यान दें: अपने बॉडी मास इंडेक्स (BMI) को सामान्य स्तर में रखें।
4. धूम्रपान से बचें: ========== धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान करने से रक्त वाहिकाओं को नुकसान होता है और दिल की बीमारी का जोखिम बढ़ता है।
5. तनाव प्रबंधन: ========= मानसिक स्वास्थ्य: ध्यान, योग, और गहरी साँस लेने की तकनीकों का अभ्यास करें। परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएँ: सामाजिक समर्थन से तनाव कम करने में मदद मिलती है।
6. नियमित स्वास्थ्य जांच: ============== रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की निगरानी: नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जांच कराएँ और आवश्यकतानुसार दवाएँ लें। डायबिटीज का नियंत्रण: यदि आपको मधुमेह है, तो अपने ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित रखें।
7. पर्याप्त नींद: ========= नींद का ध्यान रखें: हर रात 7-8 घंटे की नींद लें, क्योंकि अच्छी नींद दिल के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। इन उपायों को अपनाकर आप दिल की बीमारी के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं। हमेशा याद रखें कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाना सबसे महत्वपूर्ण है।
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fitnessclasses · 2 months ago
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फ्लू/Flu को समझना: लक्षण, रोकथाम और प्राकृतिक उपचार
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>>> फ्लू/Flu को समझना: लक्षण, रोकथाम और रिकवरी
फ्लू, जिसे इन्फ्लूएंजा के नाम से भी जाना जाता है, इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होने वाली एक आम श्वसन बीमारी है। यह बीमारी हर साल दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है और इसके समान लक्षणों के कारण इसे अक्सर आम सर्दी समझ लिया जाता है। हालाँकि, अगर फ्लू का ठीक से प्रबंधन न किया जाए तो यह अधिक गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकता है। यह व्या��क ब्लॉग पोस्ट आपको फ्लू, इसके लक्षणों, रोकथाम रणनीतियों और रिकवरी युक्तियों के बारे में जानने के लिए आवश्यक सभी चीज़ों का पता लगाएगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि आप इस आम लेकिन गंभीर बीमारी से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं। ADS.TXT SNIPPET google.com, pub-2620286522581317, DIRECT, f08c47fec0942fa0 META TAG   >> फ्लू क्या है? फ्लू एक संक्रामक श्वसन संक्रमण है जो मुख्य रूप से नाक, गले ��र कभी-कभी फेफड़ों को प्रभावित करता है। आम सर्दी के विपरीत, जो आमतौर पर हल्का होता है, इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियाँ मध्यम से गंभीर लक्षण पैदा कर सकती हैं और निमोनिया जैसी जटिलताओं को जन्म दे सकती हैं, खासकर छोटे बच्चों, बुजुर्गों और पुरानी बीमारियों वाले व्यक्तियों जैसे उच्च जोखिम वाले समूहों में। > फ्लू की मुख्य विशेषताएँ/Key Characteristics of the Flu: - इन्फ्लूएंजा(influenza) वायरस (मुख्य रूप से टाइप ए और टाइप बी) के कारण होता है। - खांसने, छींकने या बात करने से निकलने वाली श्वसन बूंदों के माध्यम से फैलता है। - वर्ष के ठंडे महीनों में इसकी चरम स्थिति होती है, लेकिन यह वर्ष भर भी हो सकता है।   READ MORE.......    आंवला और लिवर स्वास्थ्य: एक आयुर्वेदिक दृष्टिकोण >> फ्लू बनाम सामान्य सर्दी के लक्षण फ्लू और सामान्य सर्दी के बीच अंतर करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि दोनों के लक्षण एक जैसे होते हैं।           यहाँ इसका विस्तृत विवरण दिया गया है: > फ्लू के लक्षण/Flu Symptoms: - अचानक तेज बुखार आना - मांसपेशियों या शरीर में गंभीर दर्द - थकान और कमजोरी - ठंड लगना और पसीना आना - सूखी खाँसी - गला खराब होना - सिरदर्द - बहती या भरी हुई नाक (सर्दी की तुलना में कम आम) > सामान्य सर्दी के लक्षण/Common Cold Symptoms: - लक्षणों का धीरे-धीरे प्रकट होना - हल्की थकान - बहती या भरी हुई नाक - छींकना - गला खराब होना - हल्की खांसी आम सर्दी की तुलना में फ्लू में लक्षणों की गंभीरता और तेजी से शुरुआत मुख्य अंतर है। अगर आपको लगातार तेज बुखार और अत्यधिक थकान हो रही है, तो यह सर्दी के बजाय इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी होने की अधिक संभावना है। READ MORE..... क्या होगा अगर आप रोजाना एक लौंग/CLOVE खाते है तो?   >> फ्लू कैसे फैलता है?/How is the Flu Transmitted? फ्लू या इन्फ्लूएंजा, जिसे आम तौर पर फ्लू के नाम से जाना जाता है, मुख्य रूप से श्वसन बूंदों के माध्यम से फैलता है जो संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बोलने पर निकलती हैं। ये बूंदें सीधे आस-पा�� के लोगों के मुंह या नाक में प्रवेश कर सकती हैं या फेफड़ों में सांस के साथ जा सकती हैं। इसके अलावा, वायरस कई घंटों तक सतहों पर जीवित रह सकता है, जिससे दूषित वस्तुओं के संपर्क में आने और फिर चेहरे को छूने से संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। यह फ्लू के संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए अच्छी स्वच्छता प्रथाओं को बनाए रखने के महत्व पर प्रकाश डालता है। >> इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों की रोकथाम की रणनीतियाँ फ्लू का इलाज करने की तुलना में इसे रोकना आसान है। खुद को और दूसरों को बचाने के लिए यहां कुछ प्रभावी रणनीतियाँ दी गई हैं: 1. > टीका लगवाएं/Get Vaccinated इन्फ्लूएंजा से बचाव के लिए वार्षिक फ्लू वैक्सीन सबसे प्रभावी तरीका है। इसे हर साल प्रसारित होने वाले वायरस के सबसे आम प्रकारों से बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। हालाँकि यह 100% प्रभावी नहीं है, लेकिन यह गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को काफी हद तक कम करता है। 2. > अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करें - अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक धोएं। - जब साबुन उपलब्ध न हो तो अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें। - अपने चेहरे को छूने से बचें, विशेषकर अपनी आंखों, नाक और मुंह को। 3. > निकट संपर्क से बचें - बीमार लोगों से दूर रहें। - अगर आप बीमार हैं, तो वायरस को फैलने से रोकने के लिए दूसरों से संपर्क सीमित रखें। 4. > Boost Your Immune System - फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर संतुलित आहार लें। - हाइड्रेटेड रहें. - पर्याप्त नींद लें और नियमित व्यायाम करें। 5. > सतहों को कीटाणुरहित करें आमतौर पर छुई जाने वाली सतहों जैसे दरवाजे के हैंडल, लाइट स्विच और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को नियमित रूप से साफ और कीटाणुरहित करें। >> फ्लू से उपचार और रिकवरी अगर आपको फ्लू हो गया है, तो बीमारी का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करना सुचारू रूप से ठीक होने के लिए महत्वपूर्ण है। जबकि ज़्यादातर लोग एक या दो हफ़्ते में ठीक हो जाते हैं, कुछ मामलों में चिकित्सा की ज़रूरत पड़ सकती है। > घर पर देखभाल के सुझाव: - आराम और जलयोजन/Hydration: - अपने शरीर को वायरस से लड़ने में मदद करने के लिए भरपूर आराम करें। - हाइड्रेटेड रहने और गले में खराश और जकड़न जैसे लक्षणों को कम करने के लिए पानी, हर्बल चाय और शोरबा जैसे तरल पदार्थ पीएं। - बिना नुस्खे के इलाज़ करना: - बुखार कम करने और मांसपेशियों के दर्द से राहत पाने के लिए एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन का प्रयोग करें। - डिकंजेस्टेंट्स और एंटीहिस्टामिन्स नाक की भीड़ और ��हती नाक को कम करने में मदद कर सकते हैं। - ह्यूमिडिफायर या भाप श्वास/Humidifier or Steam Inhalation: - हवा में नमी लाने से नाक बंद होने और खांसी से राहत मिल सकती है। - अलग-थलग रहें: - बीमारी को फैलने से रोकने के लिए बिना दवा के कम से कम 24 घंटे तक बुखार से मुक्त होने तक दूसरों के संपर्क से बचें। > चिकित्सा सहायता कब लें: - साँस लेने में कठिनाई या साँस फूलना - लगातार तेज बुखार रहना जो दवा से ठीक न हो - सीने में तेज दर्द या दबाव - भ्रम या चक्कर आना - प्रारंभिक सुधार के बाद लक्षण बिगड़ना >> इन्फ्लूएंजा/Flu जैसी बीमारी की संभावित जटिलताएं इन्फ्लूएंजा/flu गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, खासकर उच्च जोखिम वाली आबादी में। आम जटिलताओं में शामिल हैं: - निमोनिया: फेफड़ों का जीवाणु या विषाणुजनित संक्रमण। - ब्रोंकाइटिस: वायुमार्ग की सूजन, जिसके कारण लम्बे समय तक खांसी बनी रहती है। - साइनस और कान में संक्रमण: द्वितीयक जीवाणु संक्रमण के कारण होता है। - दीर्घकालिक रोगों का बिगड़ना: जैसे अस्थमा, मधुमेह, या हृदय रोग। >> फ्लू के लक्षणों को कम करने के लिए प्राकृतिक उपचार यद्यपि प्राकृतिक उपचार चिकित्सा उपचार का हो सकता हैं, और आज के समय में इनका ही उपयोग कम घटक लक्षणों में कर न चाहिए जिससे इस बीमारी के घातक होने के चांस लगभग खत्म हो जाते हैं: - अदरक की चाय: अपने सूजनरोधी गुणों के लिए जानी जाने वाली अदरक की चाय गले की खराश को शांत कर सकती है और मतली से राहत दिला सकती है।
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Elderberry Syrup - for flu - शहद और नींबू: खांसी और गले की जलन के लिए एक प्राकृतिक उपचार। - एल्डरबेरी सिरप: लक्षणों की अवधि और गंभीरता को कम करने में मदद कर सकता है। - लहसुन: प्रतिरक्षा को बढ़ाता है और इसमें ��ंटीवायरल गुण होते हैं। - चिकन सूप: बीमारी के दौरान हाइड्रेशन, ��लेक्ट्रोलाइट्स और आराम प्रदान करता है। >> वार्षिक टीकाकरण का महत्व हर फ्लू सीज़न में वायरस के नए स्ट्रेन आते हैं, जिससे हर साल टीकाकरण ज़रूरी हो जाता है। फ्लू का टीका न केवल आपको बचाता है, बल्कि सामुदायिक प्रतिरक्षा में भी योगदान देता है, जिससे इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों का प्रसार कम होता है। > किसे टीका लगवाना चाहिए? - छह महीने या उससे अधिक आयु के सभी लोग, जब तक कि कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। - उच्च जोखिम वाले समूह, जिनमें गर्भवती महिलाएं, छोटे बच्चे, बुजुर्ग और दीर्घकालिक बीमारियों से पीड़ित लोग शामिल हैं। >> फ्लू बनाम सामान्य सर्दी: यह क्यों मायने रखता है प्रभावी स्वास्थ्य प्रबंधन और उपचार के लिए फ्लू और सामान्य सर्दी के बीच अंतर को समझना आवश्यक है। सामान्य सर्दी आमतौर पर विभिन्न वायरस के कारण होने वाला एक हल्का श्वसन संक्रमण है, और यह अक्सर बहती या भरी हुई नाक, गले में खराश, खाँसी, छींकने और हल्की थकान जैसे लक्षणों के साथ प्रकट होता है। ये लक्षण आमतौर पर चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता के बिना एक या दो सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं। इसके विपरीत, इन्फ्लूएंजा, जिसे आमतौर पर फ्लू के रूप में जाना जाता है, विशेष रूप से इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है और इससे अधिक गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएँ हो सकती हैं। फ्लू के लक्षण अक्सर अधिक तीव्र होते हैं और इसमें तेज बुखार, ठंड लगना, शरीर में दर्द, अत्यधिक थकान और सूखी खांसी या सीने में तकलीफ जैसी श्वसन संबंधी समस्याएं शामिल हो सकती हैं। फ्लू मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियों, जैसे अस्थमा या हृदय रोग को काफी हद तक बढ़ा सकता है, और विशेष रूप से उच्च जोखिम वाली आबादी जैसे कि बुजुर्ग, छोटे बच्चे और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में अधिक तत्काल चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता हो सकती है।  इन अंतरों को देखते हुए, अपने लक्षणों पर बारीकी से नज़र रखना महत्वपूर्ण है। अगर आपको यकीन नहीं है कि आपको सर्दी है या फ्लू, या अगर आपके लक्षण बिगड़ते हैं या बने रहते हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना उचित है। फ्लू के मौसम के दौरान यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जब समुदाय में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियाँ अधिक प्रचलित होती हैं। शुरुआती हस्तक्षेप से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं और फ्लू से जुड़ी जटिलताओं को रोकने में मदद मिल सकती है। अंत में  फ्लू सहित इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियाँ, सिर्फ़ मौसमी उपद्रव नहीं हैं - वे गंभीर स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ हैं जिनके लिए जागरूकता और सक्रिय उपायों की आवश्यकता होती है। लक्षणों को पहचानकर, टीकाकरण और स्वच्छता प्रथाओं जैसे निवारक कदम उठाकर और बीमारी का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करके, आप अपने जीवन पर फ्लू के प्रभाव को काफी हद तक कम कर सकते हैं। याद रखें, फ्लू के कुछ लक्षण आम सर्दी-जुकाम से मिलते-जुलते हो सकते हैं, लेकिन इसकी संभावित गंभीरता इसे ऐसी स्थिति बनाती है जिसे न��़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। जानकारी रखते हुए, अच्छी आदतें अपनाते हुए और ज़रूरत पड़ने पर समय पर डॉक्टर से सलाह लेकर खुद को और अपने प्रियजनों को सुरक्षित रखें। साथ मिलकर, हम फ्लू के मौसम का आत्मविश्वास और तन्यकता के साथ सामना कर सकते हैं।
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vedantbhoomidigital · 2 months ago
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हार्मोन्स बैलेंस में न रहे तो होती हैं कई समस्याएं, इन आदतों से मिलेगा फायदा
हार्मोनल असंतुलन से वजन का कम या अधिक होना, अधिक पसीना आना, दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर में बदलाव आना, ड्राई स्किन, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, अधिक प्यास लगना और बार बार बाथरूम जाना, अनियमित मासिक धर्म जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। कुछ आदतों में बदलाव करके आप इनसे छुटकारा पा सकते हैं।By Shashank Shekhar Bajpai Publish Date: Tue, 24 Dec 2024 09:00:00 AM (IST)Updated Date: Tue, 24 Dec 2024…
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cureclarity-hindi · 4 months ago
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महिलाओं में अधकपारी (Migraine) है ज्यादा कॉमन! जानें इसके रिस्क फैक्टर्स
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माइग्रेन (Migraine) को हिंदी में अधकपारी के नाम से जाना जाता है। यह एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इसमें सिर दर्द एक किनारे से शुरू होकर धीरे-धीरे पूरे सिर में फैल जाता है। आंकड़ों के अनुसार 10 में से एक व्यक्ति में माइग्रेन के लक्षण नजर आते हैं। कभी-कभी 2 घंटे में ही इसके लक्षणों से राहत मिल जाती है, तो कभी काफी दिनों तक व्यक्ति को इस सिरदर्द का सामना करना पड़ता है। हैरानी की बात तो यह है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधकपारी 3 गुणा ज्यादा कॉमन है।
एक नजर डालें अधकपारी के लक्षणों पर (Migraine Symptoms)
सिर के एक हिस्से में तेज दर्द होना और धीरे-धीरे उस दर्द का बढ़ते हुए पूरे मस्तिष्क में फैल जाना।
रौशनी, आवाज या सुगंध के प्रति अतिसंवेदनशीलता
जी घबराना या उल्टी आना
आंखें लाला होना या आंखों से पानी आना
भूख न लगना
सिर चकराना एवं धुंधला नजर आना
बहुत ज्यादा कमजोरी व थकावट का एहसास होना
बहुत पसीना आना या अत्यधिक ठंड लगना
अधकपारी के रिस्क फैक्टर्स (Migraine Risk Factors)
हार्मोनलव बदलाव- पीरियड्स, ओव्यूलेशन, प्रेगनेंसी व अन्य अवस्थाओं में महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल परिवर्तन नजर आते हैं, जो उनमें अधकपारी का खतरा बढ़ा देते हैं।
तनाव- इस फैक्टर को अधकपारी के लिए 80% तक जिम्मेदार माना गया है। आजकल लोगों में मानसिक तनाव बढ़ गया है। काम, घर-परिवार, नौकरी, पढ़ाई व अन्य कई बातों को लेकर लोग दबाव में रहने लगे हैं और यही दबाव उनमें इस बीमारी का खतरा बढ़ाता है।
मौसम में बदलाव- बारिश के बीच में अचानक से तेज गर्मी पड़ना, इस तरह मौसम में आया बदलाव भी अधकपारी के जोखिम को बढ़ा सकता है। 53% मामलों में ऐसा देखने को मिलता है।
खानपान में लापरवाही- समय पर खाना न खाना, भोजन स्किप करना आदि बातें 57% तक माइग्रेन के लिए जिम्मेदार होती हैं।
शराब और धूम्रपान का सेवन- इस बीमारी के लिए शराब को 38% तक और धूम्रपान को 36% तक जिम्मेदार माना गया है।
जरूरत से ज्यादा दवाइयां खाना- हर छोटी-छोटी बीमारी के लिए ओवर द काउंटर दवाइयां लेने की आदत भी अधकपारी का कारण बन सकती है।
इस बारे में कंसल्टेंट फिजिशियन डॉक्टर निखिलेश चतुर्वेदी बताते हैं कि तेज धूप में निकलने से या लंबी दूरी की यात्रा करने से अधकपारी ट्रिगर हो सकता है। इस बीमारी से बचाव करने के लिए जीवनशैली और खान-पान में बदलाव करना जरूरी है।
क्या है अधकपारी का घरेलू इलाज? (Home Remedies for Migraines)
कई बार दवाईयों के बिना नीचे बताये गये 8 घरेलू उपायों की मदद से भी अधकपारी के लक्षणों से राहत पायी जा सकती है-
अपने मस्तिष्क को आराम देने के लिए मेडिटे��न करें या संगीत सुनें
किसी शांत और अंधेरे कमरे में लेट जाएं
अपने माथे पर ठंडा कपड़ा या आइस पैक रखें
अधिक मात्रा में लिक्विड चीजें पियें
कॉफ़ी, चाय या संतरे का जूस न पिएं
टीवी बिल्कुल भी न देखें
कई बार सोने से भी आराम मिल सकता है
डॉक्टर की सलाह पर दर्द निवारक दवाईयां लें
अधकपारी (Migraine) में बरतें ये सावधानियां
सबसे पहले अपने खानपान पर ध्यान दें। बाहर के जंक व प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें। तेल-मसाले वाली चीजें ज्यादा न खाएं। ज्यादा मात्रा में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। ओमेगा 3 फैटी एसिड एवं विटामिन बी युक्त खाने का सेवन ज्यादा करें।
अपने सोने का सही समय निर्धारित करें और उसी पैटर्न को फॉलो करें। रात में ज्यादा देर तक न जागे। कम से कम 7-8 घंटे की नींद जरूर लें। साथ ही सही समय पर सोएं और सही समय पर उठें।
खुद को तनावमुक्त रखने की कोशिश करें। इसके लिए योगा करें, गाने सुनें या फिर मेडिटेशन करें। तनाव से अधकपारी बहुत ज्यादा ट्रिगर हो सकता है, इसीलिए सावधानी बरतें।
एक्सरसाइज को अपने जीवन का अहम हिस्सा बना लें। रोज सुबह उठकर वॉक करें। इसके अलावा आप साइकलिंग व अपनी पसंद के अनुसार शारीरिक गतिविधियां भी कर सकते हैं।
पानी का सेवन ज्यादा मात्रा में करें।
अधकपारी (Migraine) में क्या न करें?
तेज धूप, रौशनी या तेज आवाज से आपका सिरदर्द बहुत ज्यादा गंभीर हो सकता है। इसीलिए ऐसी जगहों पर न जाएं जहाँ बहुत ज्यादा शोर हो। इसके अलावा तेज रौशनी और धूप में जाने से भी परहेज करें, इससे अधकपारी के लक्षण गंभीर हो सकते हैं।
वैसे संतरा, कीवी आदि खट्टे फल शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं लेकिन माइग्रेन के मरीजों को इन चीजों से परहेज करना चाहिये। इससे उनकी परेशानी बढ़ सकती है।
इसके अलावा चाय, कॉफी, सुअर का मांस, चॉकलेट, दूध आदि चीजों से भी अधकपारी के मरीजों को परहेज करना चाहिये। तेज आवाज में अधकपारी से पीड़ित लोगों को नहीं जाना चाहिये, इससे उनकी तकलीफें बढ़ सकती हैं।
अगर जरूरत न हो, तो ज्यादा देर तक मोबाइल, टीवी या लैपटॉप का इस्तेमाल न करें, इससे सिरदर्द की समस्या और भी ज्यादा गंभीर हो सकती है।
ज्यादा देर खाली पेट न रहें। खाने में तेल-मसाले को नजरअंदाज करें और जंक फूड भी न खाएं वरना माइग्रेन ट्रिगर हो सकता है।
ज्यादा भारी एक्सरसाइज बिल्कुल भी न करें। इससे भी सिरदर्द की समस्या बढ़ सकती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
अधकपारी से बचाव करन�� आपके हाथों में है। अगर उपर बताये गये बातों का ध्यान व्यक्ति रखे तो वो काफी ��द तक इस बीमारी को नियंत्रित कर सकता है। इसके अलावा समय-समय पर डॉक्टर से चेकअप कराना और उनके कहे अनुसार दवाइयां लेना भी जरूरी है। इससे माइग्रेन के लक्षणों से काफी हद तक राहत पायी जा सकती है।
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deepikashomeopathygaurcity · 8 months ago
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हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण और कारण हिंदी में
हाइपरथायरायडिज्म एक अवस्था है जिसमें थायरॉयड ग्रंथि ��त्यधिक थायरॉयड हार्मोन का उत्पादन करती है। इसके लक्षणों में वजन घटना, धड़कन की तेजी, घबराहट, पसीना आना, थकान, और नींद में कमी शामिल हैं। इसके मुख्य कारणों में ग्रेव्स रोग, थायरॉयड नोड्यूल्स, और अधिक आयोडीन का सेवन शामिल हैं।
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संपर्क संख्या: 7652005589
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breathclinic · 9 months ago
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स्वस्थ जीवन: टीबी का खतरा कैसे कम करें?
आपके शरीर पर टीबी का प्रभाव
खांसी के साथ खून या थूक (बलगम) आना कमजोरी लगातार खांसी जो दो सप्ताह से अधिक समय तक बनी रहे सीने में दर्द भूख में कमी ठंड लगना बुखार रात को पसीना
टीबी के खतरे को कम करने के लिए नियमित व्यायाम, स्वस्थ आहार, और हाथों की सफाई जैसे उपाय अपनाएं। जाँच और टीकाकरण भी महत्वपूर्ण हैं।
आज ही परामर्श लें: +91-78782 64902
- Dr. Pankaj Gulati: Senior Pulmonologist in Jaipur at Breath clinic
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sharpbharat · 10 months ago
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Jamshedpur weather alert : गर्म हवाओं और लू से बिगड़ सकता है स्वास्थ्य, प्रशासन ने किया सतर्क, डीसी की अपील रहें सजग एवं सावधान
जमशेदपुर : मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक हीटवेव (लू) और गर्म हवा चलने की चेतावनी जारी की है. इस मौसम में बच्चों से लेकर वृद्धजन को बेहोशी, मांसपेशियों में जकड़न, मिर्गी का दौरा, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, अधिक पसीना आना, कमजोरी, चक्कर आना, सांस व दिल की धड़कन तेज होना, उल्टी आना आदि परेशानी हो सकती है. आमजनों को लू से बचने के लिए, खानपान से लेकर आवाजाही में विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है. उपायुक्त…
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felixhealthservice · 11 months ago
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Anxiety Meaning in Hindi - चिंता: कारण, पहचान, प्रकार, और उपचार
चिंता एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जिसमें व्यक्ति को अत्यधिक तनाव और चिंता का सामना करना पड़ता है। यह मात्र तनाव से परे है, जो अक्सर भविष्य के बारे में तर्कहीन विचारों और आशंकाओं के साथ दिमाग में घुसपैठ करता है। आजकल की भागदौड़ भरी जीवनशैली में, ऐसा लगता है कि व्यक्तियों का चिंता से घिरा रहना सामान्य बात हो गई है। अक्सर भूतकाल और भविष्य को लेकर लोगों के मन में चिंता बनी रहती है, थोड़ी चिंता होना सामान्य बात है, लेकिन जब यही चिंता एक गंभीर मानसिक बीमारी का रूप धा��ण कर लेती है तब महत्वपूर्ण हो जाता है कि सही समय पर इसका इलाज किया जाए। चिंता से जूझ रहे व्यक्तियों को बेचैनी, हृदय गति में वृद्धि और तनाव जैसे शारीरिक लक्षणों का अनुभव हो सकता है।  चिंता के लक्षण में मनोबल की कमी, नींद की कमी, तनाव, और शारीरिक कमजोरी शामिल हो सकती हैं। यह मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर सकती है, जैसे कि नौकरी, परिवार, और सामाजिक संबंध। चिंता का सामाधान  उपचार के माध्यम से संभव है। लेकिन उससे पहले यह महत्वपूर्ण है कि लोग इसे गंभीरता से लें और सही समय पर इलाज करवाएँ।
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चिंता विकार मानसिक बीमारी का एक सामान्य उदाहरण है। यह 13 से 18 वर्ष की आयुवर्ग के  31.9%  किशोरों को प्रभावित करता है। हर साल, किशोरों के अलावा अधिक आयुवर्ग के लोग भी इससे प्रभावित होते हैं। आइए, जानते हैं चिंता का अर्थ, इसके लक्षण, प्रकार, कारण, और रोकथाम के बारे में विस्तार से।  
एक्सपर्ट सुझाव के लिए कॉल करें +91 9667064100
चिंता का अर्थ क्या है?
चिंता ( Anxiety Meaning in Hindi): चिंता शब्द का अर्थ डर और बेचैनी से जुड़ा होता है। जब कोई  व्यक्ति किसी  चिंता में डूबा होता है, तो उसे अचानक से पसीना आ सकता है, बेचैनी हो सकती है और तनाव (टेंशन) के साथ दिल की धड़कन भी तेज हो सकती है। चिंता के कारण पसीना आना, बेचैनी, या दिल की धड़कन का तेज होना आदि को सामान्य प्रतिक्रिया माना जाता है। कोई बुरी खबर सुनने पर, परीक्षा या इंटरव्यू से पहले, या जीवन में घटित किसी दुखद घटना को याद कर चिंतित हो जाना, ये सभी सामान्य चिंता के उदाहरण हैं। चिंता एक सामान्य अनुभव हो सकती है, लेकिन जब यह बहुत अधिक और स्थायी हो जाती है, तो इसे मानसिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में जाना जा सकता है, जिसे चिंता विकार कहा जाता है।  
चिंता विकार का क्या अर्थ  है?
चिंता विकार ( Anxiety Meaning in Hindi ) एक मानसिक समस्या है, जिससे प्रभावित व्यक्ति अपनी चिंता से ��ुक्ति पाने में समर्थ नहीं होता। समय के साथ, इस समस्या के लक्षण और भी विकट हो सकते हैं। चिंता विकार मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों की एक श्रेणी को संदर्भित करता है जिसमें लगातार, अत्यधिक चिंता, भय या आशंका होती है जो किसी व्यक्ति के दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण रूप से हस्तक्षेप करती है।
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चिंता और विकार के बीच में अंतर क्या है?
चिंता,  तनाव या कथित खतरे के प्रति डर से जुड़ी एक सामान्य प्रतिक्रिया है। यह मानवीय अनुभव का एक स्वाभाविक हिस्सा है और यह व्यक्ति-दर-व्यक्ति व्यापक रूप से भिन्न हो सकता है। चिंता जब अत्यधिक हो और लगातार बनी रहती हो तो यह एक विकार बन जाती है और दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण रूप से हस्तक्षेप करती है। सामान्य चिंता और चिंता विकार के बीच कुछ प्रमुख अंतर यहां दिए गए हैं:
सामान्य चिंता: कभी-कभी तनाव या चिंता ( Anxiety Meaning in Hindi) की भावनाएँ किसी विशिष्ट स्थिति या समस्या के अनुरूप होती हैं। सामान्य चिंता समस्या हल होने के बाद अपने आप ख़त्म हो जाती है।
चिंता विकार: चिंता विकार ऐसी स्थिति है जिसमें चिंता या भय अत्यधिक और एक विस्तारित अवधि (आमतौर पर छह महीने या अधिक) तक रहता है और किसी विशिष्ट स्थिति से सीधे संबंधित नहीं होता है।
सामान्य चिंता की पहचान :
बिल भुगतान से पहले की चिंता
नौकरी के लिए साक्षात्कार और परीक्षा से पहले की चिंता
स्टेज पर जाने से पहले पेट में दर्द की 
किसी विशिष्ट वस्तु का भय, जैसे सड़क पर आवारा कुत्ते द्वारा काट लिया जाना
किसी करीबी की मौत पर चिंता
किसी बड़े काम से पहले पसीना आना
चिंता विकार ( चिंता रोग - Anxiety Meaning In Hindi) की पहचान :
बेवजह चिंता करना
लोगों के सामने जाने से डरना 
लोगों से बात करने का डर
लिफ्ट में जाने का डर कि वापस नहीं आ पाएंगे 
फुसफुसाना
चीजों को बार-बार सेट करने की आदत
यह विश्वास करना कि आप मरने वाले हैं या कोई आपको मार डालेगा
पुरानी बातों को बार-बार याद करना 
Resource: https://www.felixhospital.com/blogs/anxiety-meaning-in-hindi
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🚨 दिल के दौरे और स्ट्रोक के चेतावनी संकेतों को पहचानना 🚨
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आपके हृदय रोग विशेषज्ञ के रूप में, Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology), सुकून हार्ट केयर के डीएम (कार्डियोलॉजी), दिल के दौरे और स्ट्रोक के लिए चेतावनी संकेतों को पहचानने के महत्व पर जोर देते हैं। ये संकेत आसन्न हृदय संबंधी घटनाओं के सूक्ष्म लेकिन महत्वपूर्ण संकेतक हो सकते हैं।
दिल का दौरा पड़ने की चेतावनी के संकेत:
सीने में बेचैनी या दर्द जो दबाव, निचोड़ने, परिपूर्णता या छाती के केंद्र में दर्द जैसा महसूस हो सकता है। एक या दोनों बांहों, पीठ, गर्दन, जबड़े या पेट सहित ऊपरी शरीर के अन्य क्षेत्रों में असुविधा या दर्द। सीने में तकलीफ के साथ या उसके बिना सांस की तकलीफ। अन्य लक्षण जैसे ठंडा पसीना आना, मतली या चक्कर आना।
स्ट्रोक की चेतावनी के संकेत:
चेहरे, हाथ या पैर में अचानक सुन्नता या कमजोरी, खासकर शरीर के एक तरफ। अचानक भ्रम, बोलने में परेशानी, या बोली को समझने में कठिनाई। एक या दोनों आँखों से देखने में अचानक परेशानी होना। चलने में अचानक परेशानी, चक्कर आना, संतुलन खोना या समन्वय की कमी। बिना किसी ज्ञात कारण के अचानक गंभीर सिरदर्द। यदि आप या आपका कोई परिचित इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करता है, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेने में संकोच न करें। याद रखें, त्वरित कार्रवाई से जान बचाई जा सकती है।
विशेषज्ञ सलाह और हृदय संबंधी देखभाल के लिए, सैनिक मार्केट, मेन रोड, रांची, झारखंड - 834001 पर स्थित सुकून हार्ट केयर में डॉ. फरहान शिकोह से संपर्क करें। उनसे 6200784486 पर संपर्क करें या अधिक जानकारी के लिए drfarhancardiologist.com पर जाएं।
सूचित ��हें, स्वस्थ रहें! 💓
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patakareweb · 10 days ago
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Dr. Rajeev Gupta
डॉ. राजीव गुप्ता एम.बी.बी.एस., एम.डी. (चेस्ट एवं टीबी) एलर्जी, अस्थमा, चेस्ट एवं टीबी रोग विशेषज्ञ विशेषज्ञ :- इन्टरवेन्शनल ब्रोकोस्कोपी एवं क्रिटिकल केयर पूर्व चिकित्सक : - आर.बी.टी.बी. हॉस्पीटल, दिल्ली अपोलो हॉस्पिटल, दिल्ली ग्रेशियन सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, मोहाली, पंजाब मैस्कॉट हॉस्पिटल, ग्वालियर
18 Years Of Experience
Registration No :- MP16592
Specialty :- Chest Physician
मिलने का समय :- प्रातः 10:00 बजे से 4:00 बजे, सायं 5:00 बजे से 8:30 बजे  रविवार 11:00 बजे से 1:00 बजे तक
Mob: 9685603313
Hospital Name :- Pariwar Superspeciality HospitalIn Front Of Mandare Wali Mata Mandir Lashkar Gwalior
विशेषज्ञ  एवं सुविधा :-
जटिल से जटिल टी.बी., श्वाँस एवं एलर्जी के रोगों.का उपचार
कम्प्यूटरीकृत फेंफड़े की जाँच (पी.एफ.टी.) यह जाँच दमा की बीमारी को जानने के लिये करते हैं इस जाँच से हम दमा की स्टेज का पता लगा सकते हैं
दूरबीन द्वारा फेंफड़ों की जाँच (ब्रोन्कोस्कोपी) -यह फेंफड़ों की बीमारी का पता लगाने के लिये बहुत अत्याधुनिक जाँच है।
इस विधि से श्वांस नलियों की दूरबीन से जाँच की जाती है
फेफड़ों से पानी एवं मवाद निकालना 
फेफड़ों के फटने पर छाती में ट्यूब डालना
वेंटिलेटर पर गंभीर रुप से बीमार मरीजों के इलाज में विशेज्ञता 
श्वांस से संबंधित बीमारियों :-
टी.बी या क्षय रोग या ट्यूबरकुलोसिस
दमा या अस्थमा, श्वास रोग
न्यूमोनिया
फेफड़ों का कैंसर
ब्रोन्काईटिस (सी.ओ.पी.डी.)
फेफड़े में मवाद आना, फेफड़े में पानी आना
एलर्जी, ईओसिनोफिलिया
न्यूमोकोनियोसिस..इत्यादि
लक्षण :-
बुखार
खाँसी / बलगम
बलगम का चिपकना
छाती में दर्द
साँस का फूलना, सीटियों की आवाज आना
बलगम में खून आना
भूख ना लगना, वजन कम होना
बार-बार सर्दी जुकाम होना, छीकें आना
शरीर में सुस्ती आना
शरीर की नीला पड़ना
टीबी / क्षय रोग के लक्षण :-
दो हफ्तों से अधिक खाँसी आना
हल्का हल्का बुखार आना
भूख कम लगना / वजन कम हो जाना
बलगम में खूना आना।
छाती में दर्द साँस फूलना
जले में गाठें होना
सिर में दर्द, उल्टियाँ आना, बेहोशी, दौरे पड़ना
पेट में दर्द होना, पेट फूलना, कब्ज इत्यादि
दमा लक्षण और अनुभूतियाँ :-
दमा के लक्षण रोगी से रोगी में भिन्न होते हैं
इसके अलावा, लक्षणों की गंभीरता रोगी-से-रोगी या रोग के रोगविज्ञान की गंभीरता के आधार पर भिन्न हो सकती है।
बहुत से मरीज अपनी सांस को "नली से सांस लेना"बताते हैं।
सीने में दबाव या दर्द
गंभीर ��ाँसी
सांस लेने में कठिनाई
बुखार
सतर्कता में कमी, उनींदापन या भ्रम
नाडी दर तेज
सांस लेने में अत्यधिक कठिनाई
अत्यधिक पसीना आना
रेस्क्यु (बचाव) इन्हेलर का उपयोग :- 
इन्हेलर खोलें
इन्हेलर को अच्छी तरह से हिलाएं
पूरी तरह से सांस बाहर निकालें
इन्हेलर के माध्यम से गहराई से साँस अंदर लें
10 सेकंड के लिए सांस रोककर रखें
सांस बाहर निकालें
पानी से आपका मुंह धो लो
दमा पर नियंत्रण रखना :-
दमा श्वसनमार्ग की बीमारी है
श्वसनमार्ग पाइप / नली जैसी संरचनाएं हैं जिनके माध्यम से आप सांस लेते हैं।
दमा में, श्वसनमार्ग सूज जाते हैं और बलगम नामक एक चिपचिपे पदार्थ का याव करते हैं। इस प्रकार, श्वसनमार्ग संकीर्ण हो जाता है, और आपको सांस लेने में मुश्किल होती है।
दमा आमतौर पर वंशानुगत होता है, जिसका अर्थ है कि यह परिवारों में आगे बढ़ता है।
यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है
दमा उपचार योग्य है, और आप लक्षणों को अच्छी तरह से नियंत्रण में रख सकते हैं।
यह पुस्तिका आपको दमा और इसके प्रबंधन को विस्तार से समझने में मदद करती है।
दमा कारण और उत्प्रेरक कारक  :-
दमा का सटीक कारण ज्ञात नहीं है।
दमा के लक्षण किसी भी उम्र में विकसित हो सकते हैं
दमा के लक्षणों की तकलीफ दमा किस उम्र में विकसित होता है उसके आधार पर भिन्न होती है। 
यदि दमा लंबे समय तक रहता है, तो यह फेफड़ों के कार्य को प्रभावित कर सकता है।
निश्चित दवाएँ (एस्पिरिन, दर्द की दवाएँ)
ठंडी हवा
गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स रोग (जठर में से खुराक का अन्ननली में वापस आना)
वायरस और बैक्टीरिया
पालतू पशु के बाल और रूसी
पराग
धूल कीटाणु और अंडे
एलर्जीक राइनाइटीस (नाक) में एलर्जी के कारण सूजन
एटॉपिक (त्वचा की सूजन)
धूम्रपान, एवं धूम्रपान का धुआ
प्रदूषण
औद्योगिक रसायन
आनुवंशिकता
Add:- Alankar Hotel Road, Beside Geeta Colony, Hospital Road Lashkar Gwalior Madhya Pradesh
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ranchigeneralphysician · 1 year ago
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उच्च रक्तचाप: अगर हैं ये लक्षण, तो न लें हल्के में!
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यह उच्च रक्तचाप है, जो पहले स्ट्रोक का कारण बन सकता है। अगर रक्तचाप नियंत्रित नहीं है, तो दिमाग को कमजोर कर सकता है।
पहला हार्ट अटैक भी उच्च रक्तचाप का परिणाम हो सकता है, जिससे हृदय को नुकसान हो सकता है।
रेनल आर्टरी स्टेनोसिस में भी उच्च रक्तचाप हो सकता है, जो किडनी के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
चेतावनी के लक्षण:
- चिंता होना
- चक्कर आना
- पसीना होना
- सोने में दिक्कत
- सिरदर्द
- नाक से खून आना
- थकान
अगर आपको इन लक्षणों में से कुछ भी महसूस हो रहा है, तो कृपया तुरंत चिकित्सक से मिलें। स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें! अधिक जानकारी के लिए स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में 12 साल से अधिक का अनुभव
डॉ. सोनिका पांडेय
Senior Consultant Medicine
MBBS (Gold Medalist), MD Medicine
अपॉइंटमेंट के लिए कॉल करें: +91-9508253716 नेफ्रो केयर क्लिनिक: इटकी रोड, पिस्का मोड़, रांची, झारखंड समय: सोमवार से शनिवार: 1:30 बजे से 3:00 बजे तक और शाम: 6:00 बजे से 7:30 बजे तक, रविवार का समय: सुबह 11:00 बजे से 2:00 बजे तक रिंची ट्रस्ट हॉस्पिटल: इटकी रोड, कटहल मोड़, रांची, झारखंड - 835005 समय:सोमवार से शनिवार: सुबह 10:00 बजे से 1:00 बजे तक और जानकारी के लिए हमें फॉलो करें: वेबसाइट: https://drsonikapandey.com/
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fitnessclasses · 3 months ago
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मानव शरीर अपना तापमान कैसे सामान्य बनाए रखता है?
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मानव शरीर थर्मोरेग्यूलेशन (Thermoregulation) नामक प्रक्रिया के माध्यम से अपने तापमान को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करता है। मानक शरीर का तापमान लगभग 37°C (98.6°F) होता है, और यह सुनिश्चित करने के लिए कई तरह के तंत्र मौजूद हैं कि यह तापमान स्थिर रहे। आइए इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया की बारीकियों पर गौर करें:
 1. हाइपोथैलेमस का कार्य
- हमारे मस्तिष्क का एक हिस्सा, हाइपोथैलेमस, शरीर का थर्मोस्टेट है। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है और इसे स्थिर बनाए रखने का काम करता है। - जब शरीर का तापमान बढ़ता है या घटता है, तो हाइपोथैलेमस शरीर को तदनुसार प्रतिक्रिया करने के लिए संकेत भेजता है।  
 2. पसीना आना (Sweating)
- जब शरीर का तापमान बढ़ने लगता है (जैसे गर्म मौसम में या शारीरिक मेहनत के दौरान), तो शरीर पसीना निकालता है। - पसीना त्वचा की सतह से वाष्पित होकर ठंडक पहुँचाता है, जिससे शरीर का तापमान नियंत्रित होता है।  
 3. रक्त वाहिकाओं का फैलना और संकुचन (Vasodilation and Vasoconstriction)
- वसोडिलेशन (Vasodilation): जब तापमान बढ़ता है, तो रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं ता��ि त्वचा की सतह पर अधिक रक्त प्रवाहित हो और गर्मी बाहर निकल सके। - वसोकंस्ट्रिक्शन (Vasoconstriction): जब शरीर का तापमान कम हो जाता है (जैसे ठंडे मौसम में), तो रक्त वाहिकाएं संकुचित हो जाती हैं ताकि गर्मी बाहर न निकल सके और शरीर गर्म रहे।  
 4. कंपन (Shivering)
- ठंड में शरीर कंपने लगता है, जिससे मांसपेशियों में संकुचन होता है और गर्मी उत्पन्न होती है। यह शरीर को गर्म रखने में मदद करता है।  
5. मेटाबोलिक क्रियाएं (Metabolic Activities)
- भोजन के पाचन और ऊर्जा के उत्पादन के दौरान शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है। यह गर्मी भी शरीर के तापमान को बनाए रखने में सहायक होती है।  
 6. ब्राउन फैट (Brown Fat) का उपयोग
- ब्राउन फैट, जो मुख्य रूप से शिशुओं में पाया जाता है, गर्मी उत्पन्न करने के लिए वसा को जलाने में मदद करता है, विशेषकर ठंडे मौसम में।  
 7. परिधानों और वातावरण का सहारा लेना
- गर्मियों में हल्के कपड़े पहनना और सर्दियों में गर्म कपड़े पहनना, और पंखा, हीटर आदि का उपयोग करके शरीर का तापमान नियंत्रित करना सामान्य व्यवहार है जो हमें बाहरी तापमान में शरीर के तापमान को बनाए रखने में सहायक होता है। इन प्रक्रियाओं के संयोजन से मानव शरीर अपने तापमान को नियंत्रित करता है और बाहरी मौसम में होने वाले बदलावों के बावजूद शरीर को स्वस्थ और कार्यशील बनाए रखता है। यदि मानव शरीर तापमान बनाए रखने में असमर्थ हो जाए, तो यह स्थिति हाइपोथर्मिया (Hypothermia) या हाइपरथर्मिया (Hyperthermia) में बदल सकती है। ये दोनों ही स्थितियाँ खतरनाक हो सकती हैं और इससे शरीर की विभिन्न क्रियाएं प्रभावित हो सकती हैं। आइए इसके कारण और उपायों को विस्तार से समझें:
 1. शरीर द्वारा तापमान बनाए रखने में असमर्थता के कारण
 (a) हाइपोथर्मिया (Hypothermia) के कारण - अत्यधिक ठंडे वातावरण में लंबे समय तक रहना: जैसे बर्फीले स्थानों पर बिना उचित कपड़ों के रहना, A.C. में लम्बे समय तक रहना । - गीले कपड़े पहनना: ठंडे वातावरण में गीले कपड़े शरीर की गर्मी को तेजी से कम कर देते हैं। - मेटाबोलिज्म की कमी: बुजुर्गों, कुपोषण और कुछ बीमारियों के कारण शरीर के मेटाबोलिज्म में कमी आती है जिससे शरीर में गर्मी नहीं बनती। - शराब का सेवन: शराब शरीर में रक्त वाहिकाओं का विस्तार कर देती है जिससे शरीर की गर्मी बाहरी वातावरण में तेजी से निकल जाती है, इसलिए शराब के सेवन के समय थोड़े देर तक तो गर्मी का अनुभव होता है परन्तु फिर थोड़ी देर में hypothermia की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। - थकावट ��ा कमजोरी: शरीर में ऊर्जा की कमी से गर्मी उत्पन्न करने की क्षमता कम हो जाती है।    (b) हाइपरथर्मिया (Hyperthermia) के कारण - अत्यधिक गर्म वातावरण में रहना: गर्मी में सीधे धूप में रहने से शरीर का तापमान बढ़ सकता है, जिसे हम आम भाषा में लू लगना कहते हैं। - शरीर में पानी की कमी: पसीने के माध्यम से शरीर ठंडा रहता है, लेकिन पानी कम पीने से और डिहाइड्रेशन से पसीना नहीं बन पाता, ���िससे शरीर में गर्मी बढ़ जाती है। - मोटापा: अधिक वजन के कारण शरीर का तापमान नियंत्रण तंत्र सुस्त हो सकता है। - बुखार और संक्रमण: कुछ बीमारियों में शरीर का तापमान सामान्य से अधिक बढ़ सकता है। - तंत्रिका तंत्र की समस्या: हाइपोथैलेमस या अन्य तंत्रिका समस्याओं के कारण तापमान नियंत्रण प्रभावित हो सकता है। ---
 2. तापमान को नियंत्रित रखने के उपाय
> हाइपोथर्मिया से बचने के उपाय: - उपयुक्त कपड़े पहनना : ठंडे मौसम में गर्म और लेयरिंग कपड़े पहनें, ताकि शरीर से गर्मी बाहर न निकल सके। ऊनी और थर्मल कपड़े सबसे अच्छे होते हैं। - गीले कपड़े तुरंत बदलें: गीले कपड़े जल्दी बदलें, विशेषकर ठंडे मौसम में, क्योंकि ये तेजी से शरीर की गर्मी छीन सकते हैं और शरीर को गरम करने की प्रक्रिया को लागु करें। - ऊर्जा बढ़ाएं: गर्म पेय पदार्थ (कॉफ़ी,चाय)और ऊर्जावान भोजन का सेवन करें, जिससे शरीर की गर्मी बनी रहे। कैफीन या शराब से बचें, क्योंकि ये रक्त वाहिकाओं का विस्तार कर गर्मी खोने में सहायक हो सकते हैं। - घर के अंदर रहें: अत्यधिक ठंड में बाहर कम जाएं और घर में हीटर का उपयोग करें। शरीर के तापमान को बनाए रखने के लिए हीटर, गर्म पानी की बोतल या अन्य गर्म स्रोतों का उपयोग करें।    > हाइपरथर्मिया से बचने के उपाय: - ठंडे और हवादार स्थान पर रहें: गर्मी में सीधे धूप से बचें और जितना हो सके छाया में रहें। पंखा, कूलर, और एसी का उपयोग करें। - पानी की मात्रा बढ़ाएं: खूब पानी पिएं ताकि शरीर पसीना बना सके और ठंडा रह सके। नींबू पानी, नारियल पानी, और इलेक्ट्रोलाइट्स लें। - हल्के और ढीले कपड़े पहनें: सूती कपड़े पहनें ताकि पसीना आसानी से वाष्पित हो सके और त्वचा ठंडी रहे। - थकावट से बचें: गर्मियों में अधिक मेहनत न करें और शरीर को पर्याप्त आराम दें। - ठंडी वस्तुओं का उपयोग करें: ठंडे कपड़े या ठंडे पानी से स्नान करें। सिर, गर्दन और कलाई पर ठंडी पट्टी रखें ताकि शरीर की गर्मी कम हो सके।  
अन्य सामान्य उपाय:
- शरीर के तापमान पर नज़र रखें: बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि उनके शरीर का तापमान ��ल्दी प्रभावित हो सकता है। - समय-समय पर ठंडे और गर्म पेय पदार्थों का सेवन करें: मौसम के अनुसार अपने आहार में बदलाव करें तथा अत्यधिक गरम और अत्यधिक ठन्डे आहार के सेवन से भी बचे। - तत्काल चिकित्सा सहायता लें: यदि शरीर का तापमान अत्यधिक बढ़ जाए या कम हो जाए और सामान्य उपाय कारगर न हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।   निष्कर्ष: तापमान संतुलन बनाए रखने के लिए शरीर की प्राकृतिक थर्मोरग्युलेशन प्रणाली महत्वपूर्ण है। इन साधारण उपायों और सावधानियों से शरीर के तापमान को सामान्य बनाए रखा जा सकता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचाव संभव है।
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drsonikapandey · 1 year ago
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कब ली जाये चिकित्सीय सलाह ?
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