#अधिक पसीना आना
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थायरॉइड के आयुर्वेदिक उपचार: एक पूर्ण जानकारी
थायरॉइड क्या है?
थायरॉइड एक ग्रंथि है जो गर्दन के सामने, गले ��े नीचे हिस्से में स्थित होती है। यह ग्रंथि थायरॉइड हार्मोन (टी3 और टी4) का उत्पादन करती है, जो शरीर के मेटाबोलिज़्म को नियंत्रित करता है। ये हार्मोन शरीर की ऊर्जा के उपयोग, तापमान को नियंत्रित करने, और मस्तिष्क, हृदय, और अन्य अंगों के सामान्य कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
#थायरॉइड के विभिन्न प्रकार होते हैं#थायरॉइड के प्रकार#जिनमें सबसे आम रूप से देखे जाने वाले प्रकार निम्नलिखित हैं:#अत्यधिक थायरॉइड (हाइपरथायरॉइडिज़म)#अत्यंत कम थायरॉइड (हाइपोथायरॉइडिज़म)#ग्रेव्स रोग#गठिया#थायरॉइड के लक्षण#थायरॉइड के विभिन्न प्रकार के लक्षणों में थकान#तेज दिल की धड़कन (टैकीकार्डिया)#अधिक पसीना आना#तनाव#उच्च रक्तचाप#मूड स्विंग्स#बालों का झड़ना#थायरॉइड के कारण#जिससे हार्मोन का अधिक उत्पादन होता है। इसके अलावा#थायरॉइड नोड्यूल्स भी हाइपरथायरॉइडिज़्म का कारण बन सकते हैं#थायरॉइड के आयुर्वेदिक उपचार#आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग#थायरॉइड के लिए जीवनशैली संशोधन#नियमित व्यायाम करना#अपने शरीर को संतुलित रख सकते हैंर सकते हैं।
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महिलाओं में अधकपारी (Migraine) है ज्यादा कॉमन! जानें इसके रिस्क फैक्टर्स
माइग्रेन (Migraine) को हिंदी में अधकपारी के नाम से जाना जाता है। यह एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इसमें सिर दर्द एक किनारे से शुरू होकर धीरे-धीरे पूरे सिर में फैल जाता है। आंकड़ों के अनुसार 10 में से एक व्यक्ति में माइग्रेन के लक्षण नजर आते हैं। कभी-कभी 2 घंटे में ही इसके लक्षणों से राहत मिल जाती है, तो कभी काफी दिनों तक व्यक्ति को इस सिरदर्द का सामना करना पड़ता है। हैरानी की बात तो यह है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधकपारी 3 गुणा ज्यादा कॉमन है।
एक नजर डालें अधकपारी के लक्षणों पर (Migraine Symptoms)
सिर के एक हिस्से में तेज दर्द होना और धीरे-धीरे उस दर्द का बढ़ते हुए पूरे मस्तिष्क में फैल जाना।
रौशनी, आवाज या सुगंध के प्रति अतिसंवेदनशीलता
जी घबराना या उल्टी आना
आंखें लाला होना या आंखों से पानी आना
भूख न लगना
सिर चकराना एवं धुंधला नजर आना
बहुत ज्यादा कमजोरी व थकावट का एहसास होना
बहुत पसीना आना या अत्यधिक ठंड लगना
अधकपारी के रिस्क फैक्टर्स (Migraine Risk Factors)
हार्मोनलव बदलाव- पीरियड्स, ओव्यूलेशन, प्रेगनेंसी व अन्य अवस्थाओं में महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल परिवर्तन नजर आते हैं, जो उनमें अधकपारी का खतरा बढ़ा देते हैं।
तनाव- इस फैक्टर को अधकपारी के लिए 80% तक जिम्मेदार माना गया है। आजकल लोगों में मानसिक तनाव बढ़ गया है। काम, घर-परिवार, नौकरी, पढ़ाई व अन्य कई बातों को लेकर लोग दबाव में रहने लगे हैं और यही दबाव उनमें इस बीमारी का खतरा बढ़ाता है।
मौसम में बदलाव- बारिश के बीच में अचानक से तेज गर्मी पड़ना, इस तरह मौसम में आया बदलाव भी अधकपारी के जोखिम को बढ़ा सकता है। 53% मामलों में ऐसा देखने को मिलता है।
खानपान में लापरवाही- समय पर खाना न खाना, भोजन स्किप करना आदि बातें 57% तक माइग्रेन के लिए जिम्मेदार होती हैं।
शराब और धूम्रपान का सेवन- इस बीमारी के लिए शराब को 38% तक और धूम्रपान को 36% तक जिम्मेदार माना गया है।
जरूरत से ज्यादा दवाइयां खाना- हर छोटी-छोटी बीमारी के लिए ओवर द काउंटर दवाइयां लेने की आदत भी अधकपारी का कारण बन सकती है।
इस बारे में कंसल्टेंट फिजिशियन डॉक्टर निखिलेश चतुर्वेदी बताते हैं कि ��ेज धूप में निकलने से या लंबी दूरी की यात्रा करने से अधकपारी ट्रिगर हो सकता है। इस बीमारी से बचाव करने के लिए जीवनशैली और खान-पान में बदलाव करना जरूरी है।
क्या है अधकपारी का घरेलू इलाज? (Home Remedies for Migraines)
कई बार दवाईयों के बिना नीचे बताये गये 8 घरेलू उपायों की मदद से भी अधकपारी के लक्षणों से राहत पायी जा सकती है-
अपने मस्तिष्क को आराम देने के लिए मेडिटेशन करें या संगीत सुनें
किसी शांत और अंधेरे कमरे में लेट जाएं
अपने माथे पर ठंडा कपड़ा या आइस पैक रखें
अधिक मात्रा में लिक्विड चीजें पियें
कॉफ़ी, चाय या संतरे का जूस न पिएं
टीवी बिल्कुल भी न देखें
कई बार सोने से भी आराम मिल सकता है
डॉक्टर की सलाह पर दर्द निवारक दवाईयां लें
अधकपारी (Migraine) में बरतें ये सावधानियां
सबसे पहले अपने खानपान पर ध्यान दें। बाहर के जंक व प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें। तेल-मसाले वाली चीजें ज्यादा न खाएं। ज्यादा मात्रा में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। ओमेगा 3 फैटी एसिड एवं विटामिन बी युक्त खाने का सेवन ज्यादा करें।
अपने सोने का सही समय निर्धारित करें और उसी पैटर्न को फॉलो करें। रात में ज्यादा देर तक न जागे। कम से कम 7-8 घंटे की नींद जरूर लें। साथ ही सही समय पर सोएं और सही समय पर उठें।
खुद को तनावमुक्त रखने की कोशिश करें। इसके लिए योगा करें, गाने सुनें या फिर मेडिटेशन करें। तनाव से अधकपारी बहुत ज्यादा ट्रिगर हो सकता है, इसीलिए सावधानी बरतें।
एक्सरसाइज को अपने जीवन का अहम हिस्सा बना लें। रोज सुबह उठकर वॉक करें। इसके अलावा आप साइकलिंग व अपनी पसंद के अनुसार शारीरिक गतिविधियां भी कर सकते हैं।
पानी का सेवन ज्यादा मात्रा में करें।
अधकपारी (Migraine) में क्या न करें?
तेज धूप, रौशनी या तेज आवाज से आपका सिरदर्द बहुत ज्यादा गंभीर हो सकता है। इसीलिए ऐसी जगहों पर न जाएं जहाँ बहुत ज्यादा शोर हो। इसके अलावा तेज रौशनी और धूप में जाने से भी परहेज करें, इससे अधकपारी के लक्षण गंभीर हो सकते हैं।
वैसे संतरा, कीवी आदि खट्टे फल शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं लेकिन माइग्रेन के मरीजों को इन चीजों से परहेज करना चाहिये। इससे उनकी परेशानी बढ़ सकती है।
इसके अलावा चाय, कॉफी, सुअर का मांस, चॉकलेट, दूध आदि चीजों से भी अधकपारी के मरीजों को परहेज करना चाहिये। तेज आवाज में अधकपारी से पीड़ित लोगों को ��हीं जाना चाहिये, इससे उनकी तकलीफें बढ़ सकती हैं।
अगर जरूरत न हो, तो ज्यादा देर तक मोबाइल, टीवी या लैपटॉप का इस्तेमाल न करें, इससे सिरदर्द की समस्या और भी ज्यादा गंभीर हो सकती है।
ज्यादा देर खाली पेट न रहें। खाने में तेल-मसाले को नजरअंदाज करें और जंक फूड भी न खाएं वरना माइग्रेन ट्रिगर हो सकता है।
ज्यादा भारी एक्सरसाइज बिल्कुल भी न करें। इससे भी सिरदर्द की समस्या बढ़ सकती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
अधकपारी से बचाव करना आपके हाथों में है। अगर उपर बताये गये बातों का ध्यान व्यक्ति रखे तो वो काफी हद तक इस बीमारी को नियंत्रित कर सकता है। इसके अलावा समय-समय पर डॉक्टर से चेकअप कराना और उनके कहे अनुसार दवाइयां लेना भी जरूरी है। इससे माइग्रेन के लक्षणों से काफी हद तक राहत पायी जा सकती है।
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हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण और कारण हिंदी में
हाइपरथायरायडिज्म एक अवस्था है जिसमें थायरॉयड ग्रंथि अत्यधिक थायरॉयड हार्मोन का उत्पादन करती है। इसके लक्षणों में वजन घटना, धड़कन की तेजी, घबराहट, पसीना आना, थकान, और नींद में कमी शामिल हैं। इसके मुख्य कारणों में ग्रेव्स रोग, थायरॉयड नोड्यूल्स, और अधिक आयोडीन का सेवन शामिल हैं।
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संपर्क संख्या: 7652005589
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स्वस्थ जीवन: टीबी का खतरा कैसे कम करें?
आपके शरीर पर टीबी का प्रभाव
खांसी के साथ खून या थूक (बलगम) आना कमजोरी लगातार खांसी जो दो सप्ताह से अधिक समय तक बनी रहे सीने में दर्द भूख में कमी ठंड लगना बुखार रात को पसीना
टीबी के खतरे को कम करने के लिए नियमित व्यायाम, स्वस्थ आहार, और हाथों की सफाई जैसे उपाय अपनाएं। जाँच और टीकाकरण भी महत्वपूर्ण हैं।
आज ही परामर्श लें: +91-78782 64902
- Dr. Pankaj Gulati: Senior Pulmonologist in Jaipur at Breath clinic
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Jamshedpur weather alert : गर्म हवाओं और लू से बिगड़ सकता है स्वास्थ्य, प्रशासन ने किया सतर्क, डीसी की अपील रहें सजग एवं सावधान
जमशेदपुर : मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक हीटवेव (लू) और गर्म हवा चलने की चेतावनी जारी की है. इस मौसम में बच्चों से लेकर ��ृद्धजन को बेहोशी, मांसपेशियों में जकड़न, मिर्गी का दौरा, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, अधिक पसीना आना, कमजोरी, चक्कर आना, सांस व दिल की धड़कन तेज होना, उल्टी आना आदि परेशानी हो सकती है. आमजनों को लू से बचने के लिए, खानपान से लेकर आवाजाही में विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है. उपायुक्त…
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Anxiety Meaning in Hindi - चिंता: कारण, पहचान, प्रकार, और उपचार
चिंता एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जिसमें व्यक्ति को अत्यधिक तनाव और चिंता का सामना करना पड़ता है। यह मात्र तनाव से परे है, जो अक्सर भविष्य के बारे में तर्कहीन विचारों और आशंकाओं के साथ दिमाग में घुसपैठ करता है। आजकल की भागदौड़ भरी जीवनशैली में, ऐसा लगता है कि व्यक्तियों का चिंता से घिरा रहना सामान्य बात हो गई है। अक्सर भूतकाल और भविष्य को लेकर लोगों के मन में चिंता बनी रहती है, थोड़ी चिंता होना सामान्य बात है, लेकिन जब यही चिंता एक गंभीर मानसिक बीमारी का रूप धारण कर लेती है तब महत्वपूर्ण हो जाता है कि सही समय पर इसका इलाज किया जाए। चिंता से जूझ रहे व्यक्तियों को बेचैनी, हृदय गति में वृद्धि और तनाव जैसे शारीरिक लक्षणों का अनुभव हो सकता है। चिंता के लक्षण में मनोबल की कमी, नींद की कमी, तनाव, और शारीरिक कमजोरी शामिल हो सकती हैं। यह मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर सकती है, जैसे कि नौकरी, परिवार, और सामाजिक संबंध। चिंता का सामाधान उपचार के माध्यम से संभव है। लेकिन उससे पहले यह महत्वपूर्ण है कि लोग इसे गंभीरता से लें और सही समय पर इलाज करवाएँ।
चिंता विकार मानसिक बीमारी का एक सामान्य उदाहरण है। यह 13 से 18 वर्ष की आयुवर्ग के 31.9% किशोरों को प्रभावित करता है। हर साल, किशोरों के अलावा अधिक आयुवर्ग के लोग भी इससे प्रभावित होते हैं। आइए, जानते हैं चिंता का अर्थ, इसके लक्षण, प्रकार, कारण, और रोकथाम के बारे में विस्तार से।
एक्सपर्ट सुझाव के लिए कॉल करें +91 9667064100
चिंता का अर्थ क्या है?
चिंता ( Anxiety Meaning in Hindi): चिंता शब्द का अर्थ डर और बेचैनी से जुड़ा होता है। जब कोई व्यक्ति किसी चिंता में डूबा होता है, तो उसे अचानक से पसीना आ सकता है, बेचैनी हो सकती है और तनाव (टेंशन) के साथ दिल की धड़कन भी तेज हो सकती है। चिंता के कारण पसीना आना, बेचैनी, या दिल की धड़कन का तेज होना आदि को सामान्य प्रतिक्रिया माना जाता है। कोई बुरी खबर सुनने पर, परीक्षा या इंटरव्यू से पहले, या जीवन में घटित किसी दुखद घटना को याद कर चिंतित हो जाना, ये सभी सामान्य चिंता के उदाहरण हैं। चिंता एक सामान्य अनुभव हो सकती है, लेकिन जब यह बहुत अधिक और स्थायी हो जाती है, तो इसे मानसिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में जाना जा सकता है, जिसे चिंता विकार कहा जाता है।
चिंता विकार का क्या अर्थ है?
चिंता विकार ( Anxiety Meaning in Hindi ) एक मानसिक समस्या है, जिससे प्रभावित व्यक्ति अपनी चिंता से मुक्ति पाने में समर्थ नहीं होता। समय के साथ, इस समस्या के लक्षण और भी विकट हो सकते हैं। चिंता विकार मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों की एक श्रेणी को संदर्भित करता है जिसमें लगातार, अत्यधिक चिंता, भय या आशंका होती है जो किसी व्यक्ति के दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण रूप से हस्तक्षेप करती है।
चिंता और विकार के बीच में अंतर क्या है?
चिंता, तनाव या कथित खतरे के प्रति डर से जुड़ी एक सामान्य प्रतिक्��िया है। यह मानवीय अनुभव का एक स्वाभाविक हिस्सा है और यह व्यक्ति-दर-व्यक्ति व्यापक रूप से भिन्न हो सकता है। चिंता जब अत्यधिक हो और लगातार बनी रहती हो तो यह एक विकार बन जाती है और दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण रूप से हस्तक्षेप करती है। सामान्य चिंता और चिंता विकार के बीच कुछ प्रमुख अंतर यहां दिए गए हैं:
सामान्य चिंता: कभी-कभी तनाव या चिंता ( Anxiety Meaning in Hindi) की भावनाएँ किसी विशिष्ट स्थिति या समस्या के अनुरूप होती हैं। सामान्य चिंता समस्या हल होने के बाद अपने आप ख़त्म हो जाती है।
चिंता विकार: चिंता विकार ऐसी स्थिति है जिसमें चिंता या भय अत्यधिक और एक विस्तारित अवधि (आमतौर पर छह महीने या अधिक) तक रहता है और किसी विशिष्ट स्थिति से सीधे संबंधित नहीं होता है।
सामान्य चिंता की पहचान :
बिल भुगतान से पहले की चिंता
नौकरी के लिए साक्षात्कार और परीक्षा से पहले की चि��ता
स्टेज पर जाने से पहले पेट में दर्द की
किसी विशिष्ट वस्तु का भय, जैसे सड़क पर आवारा कुत्ते द्वारा काट लिया जाना
किसी करीबी की मौत पर चिंता
किसी बड़े काम से पहले पसीना आना
चिंता विकार ( चिंता रोग - Anxiety Meaning In Hindi) की पहचान :
बेवजह चिंता करना
लोगों के सामने जाने से डरना
लोगों से बात करने का डर
लिफ्ट में जाने का डर कि वापस नहीं आ पाएंगे
फुसफुसाना
चीजों को बार-बार सेट करने की आदत
यह विश्वास करना कि आप मरने वाले हैं या कोई आपको मार डालेगा
पुरानी बातों को बार-बार याद करना
Resource: https://www.felixhospital.com/blogs/anxiety-meaning-in-hindi
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🚨 दिल के दौरे और स्ट्रोक के चेतावनी संकेतों को पहचानना 🚨
आपके हृदय रोग विशेषज्ञ के रूप में, Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology), सुकून हार्ट केयर के डीएम (कार्डियोलॉजी), दिल के दौरे और स्ट्रोक के लिए चेतावनी संकेतों को पहचानने के महत्व पर जोर देते हैं। ये संकेत आ��न्न हृदय संबंधी घटनाओं के सूक्ष्म लेकिन महत्वपूर्ण संकेतक हो सकते हैं।
दिल का दौरा पड़ने की चेतावनी के संकेत:
सीने में बेचैनी या दर्द जो दबाव, निचोड़ने, परिपूर्णता या छाती के केंद्र में दर्द जैसा महसूस हो सकता है। एक या दोनों बांहों, पीठ, गर्दन, जबड़े या पेट सहित ऊपरी शरीर के अन्य क्षेत्रों में असुविधा या दर्द। सीने में तकलीफ के साथ या उसके बिना सांस की तकलीफ। अन्य लक्षण जैसे ठंडा पसीना आना, मतली या चक्कर आना।
स्ट्रोक की चेतावनी के संकेत:
चेहरे, हाथ या पैर में अचानक सुन्नता या कमजोरी, खासकर शरीर के एक तरफ। अचानक भ्रम, बोलने में परेशानी, या बोली को समझने में कठिनाई। एक या दोनों आँखों से देखने में अचानक परेशानी होना। चलने में अचानक परेशानी, चक्कर आना, संतुलन खोना या समन्वय की कमी। बिना किसी ज्ञात कारण के अचानक गंभीर सिरदर्द। यदि आप या आपका कोई परिचित इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करता है, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेने में संकोच न करें। याद रखें, त्वरित कार्रवाई से जान बचाई जा सकती है।
विशेषज्ञ सलाह और हृदय संबंधी देखभाल के लिए, सैनिक मार्केट, मेन रोड, रांची, झारखंड - 834001 पर स्थित सुकून हार्ट केयर में डॉ. फरहान शिकोह से संपर्क करें। उनसे 6200784486 पर संपर्क करें या अधिक जानकारी के लिए drfarhancardiologist.com पर जाएं।
सूचित रहें, स्वस्थ रहें! 💓
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उच्च रक्तचाप: अगर हैं ये लक्षण, तो न लें हल्के में!
यह उच्च रक्तचाप है, जो पहले स्ट्रोक का कारण बन सकता है। अगर रक्तचाप नियंत्रित नहीं है, तो दिमाग को कमजोर कर सकता है।
पहला हार्ट अटैक भी उच्च रक्तचाप का परिणाम हो सकता है, जिससे हृदय को नुकसान हो सकता है।
रेनल आर्टरी स्टेनोसिस में भी उच्च रक्तचाप हो सकता है, जो किडनी के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
चेतावनी के लक्षण:
- चिंता होना
- चक्कर आना
- पसीना होना
- सोने में दिक्कत
- सिरदर्द
- नाक से खून आना
- थकान
अगर आपको इन लक्षणों में से कुछ भी महसूस हो रहा है, तो कृपया तुरंत चिकित्सक से मिलें। स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें! अधिक जानकारी के लिए स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में 12 साल से अधिक का अनुभव
डॉ. सोन��का पांडेय
Senior Consultant Medicine
MBBS (Gold Medalist), MD Medicine
अपॉइंटमेंट के लिए कॉल करें: +91-9508253716 नेफ्रो केयर क्लिनिक: इटकी रोड, पिस्का मोड़, रांची, झारखंड समय: सोमवार से शनिवार: 1:30 बजे से 3:00 बजे तक और शाम: 6:00 बजे से 7:30 बजे तक, रविवार का समय: सुबह 11:00 बजे से 2:00 बजे तक रिंची ट्रस्ट हॉस्पिटल: इटकी रोड, कटहल मोड़, रांची, झारखंड - 835005 समय:सोमवार से शनिवार: सुबह 10:00 बजे से 1:00 बजे तक और जानकारी के लिए हमें फॉलो करें: वेबसाइट: https://drsonikapandey.com/
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कब ली जाये चिकित्सीय सलाह ?
माइग्रेन अक्सर हल्का अथवा कष्टदायक #सिरदर्द होता है जिसमें सिर की एक ओर झनझनाहट वाला तेज #दर्द महसूस होता है।
माइग्रेन के सामान्य लक्षण
• सिर की एक ओर
• तीव्र सिरदर्द
• प्रकाश और ध्वनि के प्रति बढ़ी हुई संवेदनशीलता
• मिचली
• उल्टी
• पसीना आना
माइग्रेन के बारंबार अथवा कष्टदाई लक्षण उत्पन्न हो रहे हैं तो आपको अपने #डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। स्वास्थ्य को सुरक्षित बनाएं।सही समय पर विशेषज्ञ को दिखाएं
12 साल से अधिक का अनुभव-
Visit करे नेफ्रो केयर क्लिनिक
एडवांस पैथोलॉजी, मां दुर्गा मेडिकल, इटकी रोड, पिस्का मोड़, रांची, झारखंड
समय: सुबह 11 बाजे से दुपहर 2 बाजे तक
प्रत्येक दिन शाम को 6:00 PM बाजे से 8:00 PM बाजे तक
रविवार: सुबह 11 बाजे से दुपहर 2 बाजे तक
Visit: रिंची ट्रस्ट अस्पताल: इटकी रोड, कटहल मोड़
रांची, झारखंड 835005
Timing: Mon to Sat: 10:00 AM to 1:00 PM
अधिक जानकारी के लिए फॉलो करे
https://www.instagram.com/seniorconsultantmedicine/
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कुछ Homeopathy medicines और उनके फायदे
1. NUXVOMICA 30 or 200
शराब अधिक पीने से उत्पन आयी नपुंसकता, या शराब पीने की वजह से कोई भी रोग हुआ हो,युवा अवस्था में जो युवा हस्तमैथुन करते हैं, या उनकी वजह से आयी बीमारी,सर दर्द, कमर दर्द, स्वपनदोष और अन्य सेक्स सम्बन्धी बिमारियों में यह दवा बहुत लाभपर्द है और रामबाण की तरह काम करती है।
2. SULPHAR 200
जिस रोगी के हाथ पैर के तलवों में जलन रहती है, जो ठण्ड को सहन तो कर लेता हो लेकिन ठन्डे पानी से नहाने से डरता हो, शरीर से बहुत ज्यादा दुबला पतला हो गया हो, सम्भोग करने की इच्छा ना के बराबर हो गयी हो ,उत्तेजना में कमी, उत्साह में कमी, शारीरिक कमजोरी, पेट में खराबी रहना, लिंग का ढीला पड़ना, वीर्य पानी की तरह पतला होना, सम्भोग के समय लिंग का खड़ा न होना या बहुत देर में खड़ा होना या बहुत देर तक खड़ा ना रहना और उसके बाद ढीला पद जाना, लिंग का योनि में जाते ही या कुछ ही देर में संख्लन हो जाना।
इन सब बिमाइरयों के लिए यह दवा बहुत कारगर है।
3. STAPHYSAGRIA 200
अत्यधिक हस्तमैथुन के परिणाम स्वरोप्प लज्जापन, आखों के निचे कालापन,चिड़चिड़ापन और नपुंसकता की यह एक उत्तम दवा है। जो व्यक्ति मानसिक रूप से हमेशा काम सम्भान्धि चीजें सोचता रहता है, जो अपना अपमान सहन नहीं कर सकता, अंदर ही अंदर बात रख के घुटता रहता है, नए नए लोगों से बात करने को हिमत नहीं जू��ा पाता, या लड़कियों से बात करने की हिमत न जूटा पाता हो, स्वपन दोष की बीमारी ने घेर रखा हो, ऐसे व्यक्तियों के लिए यह दवा बहुत कारगर सिद्ध हुई है।
4. CALCAREA CARB 200
स्वपन दोष के बाद बहुत कमजोरी मालूम पड़ना, वीर्य डिस्चार्ज होने के बाद कमजोरी मालूम पड़ना या हाथों से पसीना आना, सर पर पसीना आना, पैरों के तलुओं पे पसीना आना या ठंडा पड़ना, ठण्ड सहन न होना, मोटापे की प्रकर्ति होने की वजह से सेक्स में कमी आना, सम्भोग की तीव्र इच्छा होना लेकिन शिग्रपतन हो जाना। इन सभी बिमाइरयों के लिए दवा बहुत कारगर है।
5. LYCOPODIUM 200:-
40-45 वर्ष के ऊपर की उम्र वाले व्यक्तियों के लिए यह दवा बहुत कारगर है। जो व्यक्ति 40 की उम्र के बाद अपने आप को सम्भोग के लिए अयोग्य हो जाते हैं उनके लिए विशेष रूप लाभप्रद है और जिनका लिंग छोटा, ठंडा,और सुस्त पड़ा रहे, कोई उत्तेजना न रहे उनके लिए भी सेवन करना बहुत लाभकारी है। #ayurved #ayurveda #homeopathy #premature_ejaculation #night_fall #erectile_dysfucntion
https://ayurved-4us.blogspot.com/2022/11/homeopathy-medicines.html
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Malaria Home Remedy: पपीते के पत्ते से लेकर फिटकरी तक ये 5 चीजें हैं मलेरिया के दुश्मन, बस ऐसे करें सेवन
बारिश के दिनों में पानी जनित बीमारियों की संख्या बढ़ जाती है। इनमें से कुछ बीमारियां ऐसी होती है जिसका समय पर सही उपचार न मिलने पर जानलेवा बन जाती है। इनमें मलेरिया भी शामिल है। 2022 में जारी की गई विश्व मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर पर में लगभग 241 मिलियन मामले और 627000 मौतें दर्ज की गईं हैं। हालांकि, किसी समय मलेरिया के महामारी से जूझ रहे भारत में अब मलेरिया के मामलों में गिरावट दर्ज की गई है। 2001 से 2020 के दौरान मलेरिया के मामले लगातार 2.09 मिलियन से घटकर 0.19 मिलियन हो गए हैं। सुबह खाली पेट Garlic खाने से सेहत को मिलेंगे ये चमत्कारी लाभ, जानें एनसीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में सबसे अधिक मलेरिया के मामले मिलते हैं। इसमें विशेष रूप से उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और ��ारखंड के पूर्वी राज्यों, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के मध्य राज्यों, गुजरात, कर्नाटक और राजस्थान के पश्चिमी राज्य शामिल हैं। कैसे होता है मलेरिया, माना जाता है कि मलेरिया विशेष प्रकार के मच्छर के काटने से होता है। इसमें मरीज को तेज बुखार होता है। यह बुखार 4 प्रकार के होते हैं। जिसमें भारत में दो प्रकार प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम प्लाज्मोडियम वैवाक्स मलेरिया पाया जाता है। दोनों खतरनाक होते हैं। यह मच्छर सूर्यास्त के बाद काटता है। मलेरिया का बुखार दो से तीन दिन तक रहता है। सही समय पर उपचार मिल जाने पर मलेरिया का मरीज 2 हफ्तें में पूरी तरह ठीक हो सकता है। यह जानलेवा बीमारी होती है, फिर भी आप इसके खतरे को घरेलू नुस्खों से कम कर सकते हैं।
मलेरिया की पहचान कैसे करें
- ठंड लगना - तेज बुखार - सिरदर्द - गले में खराश - पसीना आना - थकान - बैचेनी होना - उल्टी आना
अदरक पाउडर+पानी
एक स्टडी के अनुसार, मलेरिया में अदरक का उपयोग फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद जिन्जेरॉल में एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते है, जो मलेरिया के दौरान होने वाले दर्द व मतली से राहत दिलाने का काम करते हैं। इसके अलावा, अदरक में एंटी-मलेरिया गुण भी होते हैं, जिस कारण मलेरिया से बचाव हो सकता है। कैसे करें इस्तेमाल आधा चम्मच सूखे अदरक का पाउडर लें और इसे आधे गिलास पानी में अच्छी तरह से मिला लें। इस तैयार मिश्रण को दिन में तीन बार पिएं।
पपीता का पत्ता+शहद
एक स्टडी के अनुसार, पपीता के पत्तों को मलेरिया के उपचार में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह एंटी-मलेरिया की तरह काम करता है। इसके अलावा मलेरिया में खून की कमी होने पर भी पपीते का सेवन फायदेमंद होता है। कैसे करें इस्तेमाल 4-6 ताजा पत्तियों को तोड़ लें। इसे पानी में 15-20 मिनट तक उबलने के लिए रख दें। फिर इसे छानकर स्वादानुसार शहद मिलाकर दिन में दो से ��ीन बार रोज पिएं।
मेथी बीज+पानी
मेथी के बीजों को लेकर हुए एक स्टडी के अनुसार, मलेरिया में होने वाली कमजोरी से निपटने के लिए मेथी के दाने एक अच्छा प्राकृतिक उपचार साबित हो सकत�� हैं। मेथी के बीजों में एंटी-प्लाज्मोडियल प्रभाव पाया जाता है। जो ये इम्यून सिस्टम को ��ढ़ाकर मलेरिया फैलाने वाले परजीवियों से लड़ने का काम कर सकते हैं। कैसे करें इस्तेमाल थोड़ी मात्रा में मेथी के बीजों को रातभर पानी में भिगोकर रख दें। फिर सुबह पानी को छानकर खाली पेट इसका सेवन करें। इसका सेवन तब तक करें जब तक मलेरिया ठीक न हो जाए।
फिटकरी+चीनी
एक स्टडी के अनुसार, फिटकरी में मॉस्किटो लार्विसाइडल गुण होता है, जो मलेरिया फैलाने वाले मच्छर एनोफीलज के काटने से होने वाले संक्रमण से लड़कर मलेरिया से छुटकारा दिला सकती है। कैसे करें इस्तेमाल एक ग्राम फिटकरी का पाउडर और दो ग्राम चीनी को मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। मलेरिया का बुखार होने पर हर दो घंटे में आधा चम्मच इस मिश्रण का सेवन करें। डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। Read the full article
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Thyroid in Hindi - थायराइड क्या है और जानिए इसके कारण, लक्षण, निदान और घरेलू उपचार?
थायरॉइड क्या है? (What is Thyroid in Hindi?)
Thyroid in Hindi - सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि ये अपने आप में किसी बीमारी का नाम नहीं है, लेकिन ये थायराइड ग्लैंड की कार्यप्रणाली से जुड़ी समस्या है, क्योंकि इसकी वजह से कई और स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती है, इसलिए इसके प्रति सजगता जरूरी है। दरअसल ये ग्लैंड गले के निचले हिस्से में स्थित होता है, इसके निचले हिस्से में खास तरह के हार्मोन टी-3 और टी-4 का स्त्राव होता है। जिसकी मात्रा के असंतुलन का असर सेहत पर भी पड़ता है। बच्चों में थायराइड - Thyroid in Children in Hindi थायराइड जैसी समस्या बड़ों को होने वाली समस्या है, लेकिन आजकल थायराइड (Thyroid in Hindi) बच्चों को भी हो सकता है। पुरुषों और बच्चों की तुलना में महिलाओं को थायराइड की समस्या अधिक होती है। ��च्चों में ये समस्या तब होती है जब आप बच्चों के खानपान की आदतों पर अच्छे से ध्यान नहीं देते हैं। इसमें गले में मौजूद तिलती के आकार की एक ग्रंथि होती है। ये ग्रंथि हार्मोन का निर्माण करती है। ये शरीर की सभी कोशिकाों को ठीक से काम करने के लिए थायराइड हार्मोन की आवश्यकता होती है। थायराइड हार्मोन बॉडी की कई गतिविधियों को कंट्रोल करने का काम करता है, जैसे बॉडी कितनी तेजी से ऊर्जा का इस्तेमाल करती है और दिल कितनी तेजी से धड़कता है। साथ ही ये हार्मोन शरीर के वजन, तापमान, मांसपेशियों और मूड को कंट्रोल करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वहीं थायराइड (Thyroid in Hindi) हार्मोन के अंसतुलित होने पर इसके द्वारा की जाने वाली गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
थायरॉइड रोग के प्रकार (Thyroid Types in Hindi)
थायराइड हार्मोन मेटाबोलिक रेट, भोजन ग्रहण करने और थर्मोजेनेसिस को कंट्रोल करने में अहम भूमिका निभाता है। हाइपरथायराइडिज्म में थायराइड हार्मोन अधिक मात्रा में बनने लगता है। इसमें टी-3 और टी-4 का लेवल बढ़ने और टीएसएच का लेवल घटने लगता है। कभी-कभी थायराइड ग्रंथि की सूजन की वजह से स्थायी तौर पर हाइपोथाइराडिजम हो सकता है। साथ ही थायराइड (Thyroid in Hindi) का दूसरा प्रकार है हाइपरथाइराडिज्म जिसमें थायराइड हार्मोन कम बनने लगता है और टी-3 और टी-4 की सीरम लेवल घटने और टीएसएच का लेवल बढ़ने लगता है। थायराइड से जुड़ी सामान्य समस्याएं - - हाइपोथायरोडिज्म - इसमें थायराइड ग्रंथ के अधिक सक्रिय होने की वजह से थायराइड हार्मोन का अत्यधिक स्त्राव होने लगता है। - हाइपोथायराइ़डि ज्म - इसमें थायराइड ग्रंथि सामान्य से कम मात्रा में थायराइड हार्मोन का स्त्राव करती है। - थायराइड कैंसर - एंडोक्राइन ट्यूमर का सबसे खतरनाक रूप कैंसर ही है। ऊतकों के आधार पर थायराइड कैंसर कुछ इस प्रकार में वर्गीकृत किया जा सकता है।
थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता (Hyperthyrodism)
थायराइड ग्रंथि की अतिसक्रियता की वजह से शरीर में मेटाबोलिज्म बढ़ जाता है, जिसकी वजह से कुछ इस प्रकार की परेशानियां उत्पन्न होने लगती है - घबराहट नींद न आना चिड़चिड़ापन रहना हाथों में कंपन अधिक पसीना आना दिल की धड़कन का बढ़ना वजन अचनाक घटना अत्यधिक भूख लगना मांसपेशियों में कमजोरी और दर्द रहना महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमित रहना बालों का पतला होने या अधिक झड़ना ओस्टियोपोरोसिस से हड्डियों में कैल्शियम तेजी से खत्म होना आदि।
थायरॉइड ग्रंथि की अल्पसक्रियता
थायराइड (Thyroid in Hindi) की अल्पसक्रियता की वजह से हाइपोथायरायडिज्म हो जाता है, जिसकी वजह से कुछ इस प्रकार की परेशानियां होने लगती है - धड़कनो का धीमा होना हमेशा थकावट का अनुभव सर्दी के प्रति अधिक संवेदनशील वजन का बढ़ना पसीना नहीं आना या कम आना स्किन में सूखापन और खुजली होना जोड़ों में दर्द और मांसपेशियों में ऐठन बालों का अधिक झड़ना कब्ज की समस्या नाखुनों का पतला होकर टूटना कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ना मासिक धर्म में अनियमितता आना बार-बार भूलना आंखों में सूजन कब्ज रहना सोचने-समझने में परेशानी होना
थायरॉइड रोग होने के कारण (Thyroid Causes in Hindi)
थायराइड (Thyroid in Hindi) से जुड़े रोग होने के काफी कारण है, जिन्हें ध्यान में रखकर इस बीमारी से शुरुआती दौर में ही बचा जा सकता है और इसके कारण है - जरूरत से ज्यादा सोया प्रोटीन, कैप्सूल और पाउड का सेवन करना अधिक स्ट्रेस लेना दवाओं के साइड इफेक्ट की वजह से भी थायराइड हो सकता है धूम्रपान करना आयोडिन की कमी या अधिकता ये अनुवांशिक हो सकता है यदि आपके परिवार में किसी को थायराइड की बीमारी है तो आपको भी समस्या के होने के अधिक होने चांसेस है। हाशिमोटो रोग, ग्रेव्स रोग, ग्वाइटर जैसे कुछ खास रोग भी इस बीमारी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। प्रेग्नेंसी के समय औरत के शरीर में बड़े पैमाने पर हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसकी वजह से थायराइड (Thyroid in Hindi) हार्मोन प्रभावित हो सकते हैं। अन्य कारण 1. हाशिमोटो रोग (Hashimoto’s disease) ये डिजीज थायराइड ग्रंथि के किसी एक भाग को निक्रिय बना दें है। 2. थायरॉइड ग्रंथि में सूजन (Thyroiditis) ये थायराइड (Thyroid in Hindi) ग्रंथि में सूजन आने की वजह से होती है। इसकी शुरूआत में इसमे थायराइड हार्मोन का अधिक उत्पादन होता है और बाद में इसमें कमी आ जाती है। इस कारण हाइपोथायरायडिज्म होता है। कई बार ये महिलाओं में गर्भावस्था के बाद देखा जाता है। 3. ग्रेव्स रोग (Graves–disease) ग्रेव्स रोग व्यस्क व्यक्तियों में हाइपोथायरायडिज्म होने का मुख्य वजह है। इस बीमारी में शरीर की रोग प्रतिक्षा प्रणाली ऐसे एंटीबायोडिट्स का उत्पादन करने लगती है जो TSH को बढ़ाती है। ये अनुवांशिक बीमारी है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है। 4. गण्डमाला रोग (Goitre) ये रोग घेंघा डिजीज की वजह से भी हो सकता है। 5. विटामिन बी12 (Vitamin B12) विटामिन बी 12 की वजह से हाइपोथारायडिज्म हो सकता है।
थायराइड को कैसे करें कंट्रोल - Tips to control Thyroid
थायराइड ग्लैंड में हार्मोन का बैलेंस बिगड़ने की वजह से ये समस्या होती है। थायराइड (Thyroid in Hindi) को कंट्रोल करने के लिए एक्सरसाइज और दवा ये तो लाभ मिलते है। साथ ही ऐसी डाइट भी बेहद मायने रखती है जो थायराइड को कंट्रोल करें और वह कुछ इस प्रकार है - 1. जंक फूड दूर रहे (stay away from junk food) जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड को अपने जीवन से हटा दें। प्रोसेस्ड फूड ने हमारे दैनिक जीवन में ऐसी पैठ बना ली है कि, यह एक गंभीर परीक्षा की तरह लग सकता है, लेकिन एक बार जब आप अपने जीवन से सही चीजों की पहचानना और हटाना सीख जाते हैं, तो आप अपने स्वास्थ्य में एक स्पष्ट सुधार देखेंगे। 2. नियमित व्यायाम (Regular Exercise) हमारा जीवन हमारे पूर्वजों की तुलना में बहुत अधिक गतिहीन है और यही कारण है कि हमें बहुत अधिक स्वास्थ्य समस्याएं हैं। उस शरीर को हिलाएं चाहे वह तेज चलना, नृत्य, योग या अपनी पसंद की कोई अन्य गतिविधि हो। इसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा कैलोरी बर्न करना है। 3. धीरे खाओ (Eat Slow) यह सुनने में भले ही अच्छा लगे, लेकिन अपने भोजन में जल्दबाजी करने से आपके शरीर को तृप्त होने का मौका नहीं मिलता। सोच-समझकर खाना खान��� और जानबूझकर चबाकर खाने से थायराइड (Thyroid in Hindi) और दिमाग के बीच संबंध बन जाता है जिससे आप अपने भोजन से अधिक संतुष्ट हो जाते हैं। चूंकि थायरॉयड ग्रंथि चयापचय के लिए जिम्मेदार है, इसलिए धीमी गति से खाने से चयापचय प्रक्रियाओं को बढ़ाने में मदद मिलती है। 4. योग (Yoga) योग आसनों के चमत्कारों से दुनिया जाग रही है। योग के अभ्यास से कई लोगों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। संपूर्ण अंतःस्रावी तंत्र योग के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया देता है। विशेष रूप से फायदेमंद है शोल्डर स्टैंड थायराइड स्वास्थ्य के लिए। 5. कुक योर ग्रीन्स (Cook Your Greens) कुछ क्रूस वाली सब्जियां अपने प्राकृतिक रूप में खाने से थायरॉयड ग्रंथि (Thyroid in Hindi) के इष्टतम कामकाज में बाधा आती है। तो गोभी, गोभी, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, ब्रोकोली और फूलगोभी के अपने हिस्से को स्मूदी और सलाद में नहीं बल्कि उनके पके हुए संस्करणों में लें। अपने कच्चे रूप में इन सब्जियों में गोइट्रोजेन होते हैं जो थायरॉइड ग्रंथि के संतुलन को बिगाड़ देते हैं। 6. वसा खाएं (Eat the Fat) थायरॉइड ग्रंथि बेहतर ढंग से काम करती है जब इसे मक्खन और घी जैसे पर्याप्त स्नेहक प्रदान किए जाते हैं। इसलिए यदि आप डेयरी-मुक्त जा रहे हैं या यदि आप कम वसा वाले आहार को पसंद करते हैं, तो आप बदलना चाह सकते हैं। 7. प्रोबायोटिक्स खाएं (Eat Probiotics) एक और चीज जो थायरॉयड ग्रंथि को संतुलन की स्थिति तक पहुंचने में मदद करती है, वह है भोजन में पर्याप्त प्रोबायोटिक्स होना। इसलिए दही, एप्पल साइडर विनेगर और टेम्पेह सभी को अपने आहार का हिस्सा बनाना चाहिए। ये गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्वास्थ्य में सुधार करते हैं और थायराइड (Thyroid in Hindi) के मुद्दों से निपटने में मदद करते हैं।
थायरॉइड रोग का घरेलू इलाज करने के उपाय (Home Remedies for Thyroid Disease in Hindi)
आप थायराइड (Thyroid in Hindi) को नीचे दिए हुए घरेलू उपचार की मदद से इसमें सुधार पाया जा सकता है जो कुछ इस प्रकार है - 1. मुलेठी से थायरॉइड का इलाज (Mulethi: Home Remedies for Thyroid Treatment in Hindi) जन्हें थायराइड है और आप इसे ठीक करना चाहते हैं तो मुलेठी का सेवन आपके लिए बहुत लाभदायक होता है। इसमें ऐसे तत्व मौजूद होते हैं, जो थायराइड ग्रंथी को संतुलित करके थकान को एनर्जी में बदल देता है। 2. अश्वगंधा चूर्ण के सेवन से थायरॉइड का इलाज (Ashwagandha Churna: Home Remedy for Thyroid in Hindi) अश्वगंधा थायराइड को कंट्रोल करने में काफी लाभदायक औषधि मानी जाती है, इसके लिए आप चाहें तो इसकी पत्तियों या जड़ों को उबाल कर पी सकते हैं। या फिर 200 से 1100 मिलीग्राम अश्वगंधा चूर्ण लें और इसकी चाय में मिलाकर इस्तेमाल करें। आप चाहें तो इसका टेस्ट बढ़ाने के लिए इसमें तुलसी के पत्ते भी मिलाकर पी सकते हैं। 3. थायरॉइड का घरेलू उपचार तुलसी से (Tulsi: Home Remedies to Treat Thyroid in Hindi) थायराइड की समस्या से छुटकारा पाने के लिए रोजाना सुबह खाली पेट लौकी का जूस पिएं। इसके बाद एक गिलास ताजे पानी में तुलसी की एक दो बून्द और कुछ ना खाएं। रोजाना ऐसा करने से थायराइड की बीमारी (Thyroid in Hindi) जल्दी ठीक हो जाती है। 4. थायरॉइड का घरेलू इलाज हरी धनिया से (Dhaniya: Home Remedy for Thyroid Treatment in Hindi) धनिया में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन का लेवल स्वाभाविक रूप से थायराइड को ठीक करने और थायराइड हार्मोन में उत्पादन को कंट्रोल करने का काम करता है। आप रात भर एक गिलास पानी में 2 चम्मच धनिया के बीज भिगोकर इसका उपाय बना सकते हैं। 5. त्रिफला चूर्ण से थायरॉइड से लाभ (Triphala: Home Remedies to Thyroid Treatment in Hindi) त्रिफला जैसी औषधी से थायराइड हार्मोन (Thyroid in Hindi) को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। थायराइड को कंट्रोल करने के लिए त्रिफला चूर्ण भी काफी प्रभावी होता है। त्रिफला तीन आयुर्वेदिक औषधियों को मिश्रण होता है। रोजाना गर्मी पानी के साथ त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से थायराइड हार्मोन कंट्रोल हो सकता है। 6. हल्दी और दूध से थायरॉइड की बीमारी का इलाज (Turmeric and Milk: Home Remedies for Thyroid Treatment in Hindi) थाइराइड की समस्या में हल्दी दूध का सेवन अधिक लाभदायक होता है। इसके सेवन से आपके शरीर में थाइराइड का स्तर हमेशा कंट्रोलमें रहता है। साथ ही आप चाहे तो थाइराइड की समस्या से छुटकारा पाने के लिए हल्दी को भुनकर भी खा सकते हैं। 7. लौकी के उपयोग से थायरॉइड में फायदा (Gourd: Home Remedy to Treat Thyroid Disease in Hindi) लौकी का जूस थायराइड के लिए फायदेमंद साबित होता है। लौकी के जूस को सुबह खाली पेट लेने थायराइड कम (Thyroid in Hindi) होने लगता है। लौकी का जूस पीने से एनर्जी बूस्ट होती है। इससे शरीर में ताकत ��नी रहती है। 8. काली मिर्च के सेवन से थायरॉइड का उपचार (Black Pepper: Home Remedy for Thyroid Treatment in Hindi) काली मिर्च थायराइड में काफी राहत पहुंच��ती है। आप खड़ी काली मिर्च या पाउडर के रूप में इसका सेवन कर सकते हैं। आप थायराइड की बीमारी कहने को तो बीमारी होती है, लेकिन ये बहुत ही गंभीर साबित भी हो सकती है, इसलिए थायराइड के लक्षणों को ध्यान में रखें और कोई भी लक्षण प्रकट होने पर तुरंत चेकअप करवाएं। 9. थायरॉइड के इलाज में उपयोगी है शिग्रु पत्र, कांचनार और पुनर्नवा का काढ़ा (Shignu Patra, Kanchnar and Punarnva decoction helps in Treatment of Thyroid) आयुर्वोदिक एक्सपर्ट्स के मुताबिक, शिग्रु पत्र और पुनर्नवा इन सभी हर्ब में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो थायराइड की सूजन में आराम देती है, इसलिए यदि आप थायराइड (Thyroid in Hindi) से परेशान है तो कांचनार, शिग्रु पत्र और पुनर्नवा के काढ़े का इस्तेमाल कर सकते है। 10. थायरॉइड की समस्या में आराम पहुंचाता है अलसी का चूर्ण (Benefits of Flaxseed Powder for Thyroid in Hindi) अलसी का बीज सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। इसमें कैलोरी, सोडियम, पोटैशियम, कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, कैल्शियम के अलावा अधिक मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है जो थायराइड के साथ-साथ वजन कम करने में भी मदद करता है। 11. थायरॉइड के इलाज में सहायक है नारियल का तेल (Benefits of Coconut Oil in Treatment of Thyroid in Hindi) जिन लोगोंं के थायराइड के कारण हाथ और पैर ठंडे रहते हैं, उन लोगों के लिए ये तेल बहुत फायदेमंद होता है। आप नारियल तेल को अपनी डाइट में शामिल करने के लिए इसके तेल में सब्जियां भी पका सकते हैं। थायराइड की समस्या को कंट्रोल (Thyroid in Hindi) करने के लिए आप हफ्ते में 3-4 बार नारियल पानी का सेवन भी कर सकते हैं।
थायरॉइड के दौरान आपका खान-पान (Your Diet in Thyroid Disease)
थायराइड की समस्या (Thyroid in Hindi) में खान-पान का बहुत ध्यान रखना पड़ता है जो कुछ स प्रकार है - थायराइड की बीमारी (Thyroid in Hindi) में कम फेट वाले आहार का सेवन करें। अधिक से अधिक फलों और सब्जियों को भोजन में शामिल करें। थायराइड के घरेलू उपचार के अंतर्गत दूध और दही का अधिक सेवन करना चाहिए। थायराइड के घरेलू इलाज के लिए आप विटामिन-ए का एक अधिक सेवन करें। इसके लिए गाजर खा सकते हैं। गेंहू और ज्वार का सेवन करें। मुलेठी मेें मौजूद तत्व थायराइ़ड ग्रंथि को संतुलित बनाते हैं ये थायराइड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है। आयोडिन युक्त आहार का सेवन करें। पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें। मिनरल्स और विटामिन से युक्त भोजन लेने से थायराइड नियंत्रण करने में सहायता करता है। साथ ही हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। इनमें उचित मात्रा में आयरन होता है, जो थायराइड (Thyroid in Hindi) के रोगियों के लिए फायदेमंद है। आप नट्स जैसे बादाम, काजू और सूरजमुखी के बीजों का अधिक सेवन करें। साथ ही इनमें कॉपर की पर्याप्त मात्रा होती है, जो थायराइड (Thyroid in Hindi) में लाभदायक होती है। थायरॉइड के दौरान जीवनशैली (Your Lifestyle for Thyroid Disease) थायराइड के समय जीवनशैली (Thyroid in Hindi) में ये सब बदलाव करना चाहिए - स्ट्रेस मुक्त जीवन जीने की कोशिश करें रोजाना योगासन करें थायरॉइड के लिए परहेज (Avoid These in Thyroid) जंक फूड एवं प्रिजरवेटिव युक्त आहार को नहीं खाएं। धूम्रपान, एल्कोहल आदि नशीले पदार्थों से बचें। योगासन से थायरॉइड का उपचार (Yoga for Thyroid Disease) थायरॉइड (Thyroid in Hindi) का उपचार इन योगासन द्वारा किया जा सकता है जो कुछ इस प्रकार है - सूर्य नमस्कार पवनमुक्तासन सर्वांगासन हलासन उष्ट्रासन मत्स्यासन भुजंगासन निष्कर्ष (conclusion) आप हमारे आर्टिकल के द्वारा थायराइड की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं, लेकिन इससे पहले थायराइड का अच्छे से जांच करवाएं और डॉक्टर सलाह लें। इसे आगे जारी रखने के लिए इस TV Health पर क्लिक करें। Read the full article
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मेनोपॉज के दौरान शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ कैसे रहें - इन टिप्स को अपनाएं
मेनोपॉज के दौरान शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ कैसे रहें – इन टिप्स को अपनाएं
नई दिल्ली: रजोनिवृत्ति से हर महिला एक अनोखे तरीके से प्रभावित होती है। अनियमित पीरियड्स, गर्म चमक, पसीना, नींद न आना, मिजाज, चिड़चिड़ापन, कूल्हे और पीठ दर्द, और अधिक सहित कई लक्षण, कई महिलाओं के लिए इस संक्रमण से जुड़े हैं।“भारतीय महिलाएं आमतौर पर 46.2 साल की औसत उम्र में, पश्चिमी देशों की तुलना में पांच साल पहले रजोनिवृत्ति से गुजरती हैं। हार्मोनल परिवर्तन पेरिमेनोपॉज़ के दौरान या रजोनिवृत्ति के…
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#पेरी#महिला रजोनिवृत्ति#रजोनिवृत्ति की उम्र#रजोनिवृत्ति के लक्षण#रजोनिवृत्ति प्रभाव#रजोनिवृत्ति स्वास्थ्य युक्तियाँ
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7 Reasons to See a Pulmonologist
Oएक पल्मोनोलॉजिस्ट सांस लेने में समस्या और फेफड़ों की बीमारियों वाले लोगों की देखभाल करने में माहिर है। वे श्वासनली, नाक और गले सहित पूरे श्वसन पथ के स्वास्थ्य का भी आकलन करते हैं। अधिकांश लोग एक पल्मोनोलॉजिस्ट को देखते हैं, जिसे फेफड़े के डॉक्टर के रूप में भी जाना जाता है, जब उनका प्राथमिक देखभाल चिकित्सक उन्हें मूल्यांकन या उपचार के लिए संदर्भित करता है। हालाँकि, आप इस डॉक्टर को देख सकते हैं यदि आप फेफड़ों की गंभीर स्थिति के लिए अस्पताल में हैं। यहां कुछ सामान्य कारणों पर एक नज़र डालें, जिनकी आपको पल्मोनोलॉजिस्ट के पास जाने की आवश्यकता हो सकती है।
Pulmonologist in Jaipur
दमा अस्थमा एक पुरानी, सूजन संबंधी फेफड़ों की बीमारी है। यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है, लेकिन ज्यादातर बच्चों में होता है। अस्थमा से पीड़ित लोगों के पास प्रतिक्रियाशील वायुमार्ग होते हैं - उनके वायुमार्ग संकीर्ण, कसते हैं और कुछ ट्रिगर्स, जैसे पालतू जानवरों की रूसी, पराग, सिगरेट के धुएं और शारीरिक गतिविधि के जवाब में सूजन करते हैं:
अस्थमा के दौरे के लक्षणों में खांसी, घरघराहट, सांस की तकलीफ और सीने में जकड़न शामिल हैं। उपचार में रोग का प्रबंधन करने के लिए दीर्घकालिक नियंत्रण दवाएं और भड़कने के इलाज के लिए त्वरित राहत या बचाव दवाएं शामिल हैं।
सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) सीओपीडी में क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और वातस्फीति दोनों शामिल हैं। यह आमतौर पर उन लोगों को प्रभावित करता है जिन्होंने कई वर्षों से भारी धूम्रपान किया है। सीओपीडी एक प्रगतिशील बीमारी है और विकलांगता का एक प्रमुख कारण है। सीओपीडी के साथ, फेफड़ों और वायुमार्ग में पुराने परिवर्तनों के कारण लोगों को सांस लेने में कठिनाई होती है। लक्षणों में सांस की तकलीफ, घरघराहट, सीने में जकड़न और एक पुरानी खांसी शामिल है, जो अक्सर बहुत अधिक बलगम पैदा करती है।
सीओपीडी के प्रबंधन के लिए धूम्रपान बंद करना महत्वपूर्ण है। दवाएं लक्षणों को नियंत्रण में रखने में मदद करती हैं। कुछ लोगों को दैनिक गतिविधियों को करने के लिए या सोते समय पूरक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
सिस्टिक फाइब्रोसिस सिस्टिक फाइब्रोसिस - या सीएफ - शरीर की स्रावी ग्रंथियों को प्रभावित करता है, जो बलगम या पसीना बनाती हैं। इसमें फेफड़े, ऊपरी श्वसन पथ, पाचन तंत्र, यौन अंग और त्वचा में ग्रंथियां शामिल हैं। यह एक अनुवांशिक बीमारी है- बच्चों को अपने माता-पिता से दोषपूर्ण जीन विरासत में मिलते हैं। श्वसन पथ में, लक्षण गाढ़ा, चिपचिपा बलगम होने के परिणामस्वरूप ��ोते हैं। लक्षणों में बार-बार खांसी आना शामिल है जो गाढ़ा बलगम और आवर्तक श्वसन संक्रमण लाता है, जो समय के साथ फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। चूंकि फेफड़े की बीमारी गंभीर और जानलेवा हो सकती है, इसलिए एक पल्मोनोलॉजिस्ट को सीएफ का इलाज करना चाहिए।
फेफड़ों का कैंसर फेफड़ों का कैंसर पुरुषों और महिलाओं दोनों में तीसरा सबसे आम कैंसर है। धूम्रपान इसे विकसित करने के लिए नंबर एक जोखिम कारक है। वास्तव में, फेफड़ों के कैंसर के 90% मामले सिगरेट, सिगार या पाइप पीने के कारण होते हैं।
फेफड़े के कैंसर के ट्यूमर बिना दर्द या परेशानी के बढ़ सकते हैं। फेफड़े का कैंसर आमतौर पर काफी उन्नत होता है जब लक्षण ध्यान देने योग्य होते हैं। उनमें शामिल हो सकते हैं:
एक खांसी जो दूर नहीं होती है या खराब हो जाती है, या पुरानी खांसी में परिवर्तन होता है
सीने में दर्द जो गहरी सांस लेने, खांसने या हंसने से बढ़ जाता है
खूनी खाँसी
स्वर बैठना
सांस लेने में कठिनाई
एक पल्मोनोलॉजिस्ट और ऑन्कोलॉजिस्ट कैंसर के उपचार के दौरान और बाद में फेफड़ों के लक्षणों का प्रबंधन करने के लिए रोगियों के साथ मिलकर काम करते हैं।
फेफड़ों में संक्रमण आपका प्राथमिक देखभाल चिकित्सक आमतौर पर ब्रोंकाइटिस जैसे साधारण संक्रमणों को संभाल सकता है। हालांकि, जटिल फेफड़ों के संक्रमण के लिए अक्सर पल्मोनोलॉजिस्ट की विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। इसमें तपेदिक और निमोनिया जैसे संक्रमण शामिल हैं। इसमें ब्रोंकाइटिस भी शामिल है यदि इसका इलाज करना मुश्किल है या आपको अन्य पुरानी बीमारियां हैं, जैसे सीओपीडी या हृदय रोग।
फुफ्फुसीय अंतःशल्यता पल्मोनरी एम्बोलिज्म (पीई) तब होता है जब रक्त का थक्का फेफड़ों में धमनी को अवरुद्ध कर देता है। आमतौर पर, रक्त का थक्का पैर की नस में विकसित होता है। यह टूट जाता है और रक्त प्रवाह के माध्यम से फेफड़ों तक जाता है, जहां यह दर्ज हो जाता है। लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और खांसी शामिल हो सकते हैं, जिससे खून आ सकता है। पीई आपातकालीन उपचार के बिना घातक हो सकता है। पीई वाले लोगों को छह महीने या उससे अधिक समय तक दवाएं और अन्य उपचार जारी रखने की आवश्यकता हो सकती है। पल्मोनोलॉजिस्ट पीई के बाद किसी भी सांस लेने की समस्या का आकलन और प्रबंधन करने के लिए सबसे योग्य हैं।
स्लीप एप्निया अगर आपको स्लीप एपनिया है, तो रात में आपकी सांस कई बार रुक जाती है। विराम सेकंड से लेकर मिनटों तक रह सकते हैं। श्वास आमतौर पर एक खर्राटे या घुटन की आवाज के साथ फिर से शुरू होता है। यह एक सामान्य नींद विकार है, लेकिन ज्यादातर लोग इसे नहीं जानते हैं। स्लीप एपनिया के कई कारण होते हैं। वे सभी आपके फेफड़ों में और फिर आपके रक्त में कम ऑक्सीजन प्राप्त करते हैं। अधिकांश लोग स्लीप एपनिया को विशेष माउथपीस और श्वास उपकरणों के साथ प्रबंधित कर सकते हैं। कुछ लोगों को ��र्जरी से फायदा हो सकता है।
डॉक्टर आपके लक्षण इतिहास, एक शारीरिक परीक्षा और संभवतः एक नींद मूल्यांकन के आधार पर स्लीप एपनिया का निदान करते हैं।
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प्रेगनेंसी शॉपिंग
'सावी, ओ सावी' सासुजी बुला रही थी| कूरियर से बड़ा पार्सल आया था दरवाजे पर| वो देखकर उनकी चिड़चिड़ाहट शुरू हो गयी| सावी की प्रेगनेंसी टेस्ट का रिपोर्ट पिछले हफ्ते ही पॉजिटिव मिला था| उसने प्रेगनेंसी से सम्बंधित चीजोंका शॉपिंग बड़े धड़ल्ले से शुरू कर दिया था| कई चीजे घर��े आ गयी थी| मजे की बात तो ये थी की सावी खुद नहीं जानती थी की उनमे से कई चीजोंका उपयोग क्या है अथवा कैसे किया जाता है?
सावी जैसी कई लडकियां देखनेमें आती हैं| उन सबके लिए आजका ये लेख|
आप सभी जानते हो, की प्रेगनेंसी के कई स्टेजेस होते हैं| और हर चीज का अपना समय होता है| इसी तरह, प्रेगनेंसी शॉपिंग का भी अपना समय होता है|
पहली शॉपिंग तब करना, जब गर्भके हार्ट बीट्स सोनोग्राफी में सुनाई दें| इससे ये मालूम हो जाता है की गर्भ जीवित है (इसे LIVE PREGNANCY कहते हैं|
इस स्टेज पर कौनसी चीजें खरीदनी चाहिए?
१. सूती और आरामदेह कपडे- प्रेगनेंसी ये एक HYPERMETABOLIC अवस्था है| इसका मतलब प्रेगनेंसी में चयापचय क्रिया की गति बढ़ जाती है| जिसकी वजह से गर्माहट महसूस होना और अधिक पसीना आना स्वाभाविक है| इसीलिए गर्भावस्था में पहनावा सूती और आरामदेह हो इसका खास ख्याल रखें| जैसे जैसे पेट का आकार बढ़ता है, उसके साथ साथ कपडोंका साइज भी बदलना चाहिए|
२. ब्रा- गर्भावस्था में शुरू से ही स्तनोंका आकार और वजन बढ़ता जाता है| इसलिए स्तनोंको ठीक से सपोर्ट करे ऐसी ब्रा इस्तेमाल करना जरुरी है| वरना प्रसूति पश्चात् स्तन का आकार बिगड़ सकता है (SAGGING OF BREAST) | ऐसी SUPPORTIVE ब्रा खरीदें|
३ पैंटी- योग्य साइज की हों और दिन में कमसे कम दो बार चेंज करें| जैसे पेट बढ़ता है, तो प्रेगनेंसी की स्पेशल पैंटी मिलती है जो TUMMY को सपोर्ट करती हैं उन्हें इस्तेमाल करें|
४. सपाट चप्पल (FLAT FOOTWEAR) गर्भावस्था में सारा समय सपाट चप्पल ही इस्तेमाल करें| हिल वाले चप्पल प्रेगनेंसी में अत्यंत धोकादायक होते हैं| उनकी वजह से पीठ में दर्द, बैलेंस खोकर गिर जाना ऐसी परेशानियां हो सकती हैं| इसी लिए गर्भावस्था में और बच्चेको गोद में लेकर चलते समय सपाट चप्पल ही इस्तेमाल करें| इन्हे शुरुवाती लिस्ट में ही ले आये|
५. बॉडी पिलो - सोते वक़्त शरीर को आधार मिले और निद्रा आरामदेह हो इस लिए ये बहुत उपयोगी हैं|
६. डेओडोरैंट्स- जैसा हमने पहले देखा है, प्रेगनेंसी में पसीना ज्यादा निकलता है| इस लिए दुर्गंधी से बचने के लिए डेओडोरैंट्स योग्य मात्रा में अवश्य इस्तेमाल करें|
७. पानी की बोतल- प्रेगनेंसी में बाहरका पानी न पियें| एक बड़ी बोतल ख़रीदे और उसे घरके पानी से भर कर हमेशा साथ रखें| उसीका इस्तेमाल करें|
८. सूखे मेवे- ये हमेशा पर्स में अपने साथ रखें| अच्छे क्वालिटी का खरीदें और इसे दिनभर जब भी मन करें, खाते रहिये|
९. संगीत- गर्भावस्था में मन प्रसन्न और रिलैक्स्ड रहने के लिए संगीत बहुत मददगार होता है| मन को शांत रखनेवाला, खुश रखनेवाला संगीत अवश्य सुनें|
१०. ऑफिस पिलो- ऑफिस में यदि सारा समय बैठ कर काम करना होता है तो पीठ और लोअर बैक को सपोर्ट करने वाली पिलो खरीदें| जब भी आप कुर्सीपर बैठी हों, उसे इस्तेमाल करें| ऐसीही पिलो कार में सफर के वक़्त भी साथ ले सकते हैं|
ये सभी चीजें गर्भावस्था के प्रथम चरण में (FIRST STAGE) आवश्यक हैं|
अब अगले चरण की सोचते हैं
दूसरा चरण शुरू होता है २० हफ़्तोंके बाद, अर्थात ५वे महीने की सोनोग्राफी के बाद| क्योंकि इस सोनोग्राफी में गर्भ के अव्यंग और निरोगी होने की पुष्टि हो जाती है| इस लिए शिशु के लिए और डिलीवरी के लिए लगने वाली आवश्यक चीजें अब खरीद सकते हैं|
अपने समाज में आज भी बड़े बुजुर्ग यही मानते है की बच्चेके लिए खरीदारी उस के जन्म के बाद की जाए| परन्तु अपने समाज की परिस्थिति भी पाश्चात्य देशोंकी तरह होती जा रही है| हर बार कोई बुजुर्ग साथ में होंगे ये मुश्किल होता जा रहा है| इस लिए कई लोग आजकल ये खरीदारी भी पहले ही कर लेते हैं|
शिशु के लिए आवश्यक वस्तु
१. शिशु के सारे आवश्यक कपडे, लंगोट, तेल, साबुन, पाउडर तथा चद्दर| कॉटन की साडी और दुपट्टेसे शिशु के लिए ���हुत अच्छी आरामदेह चादर बन सकती है| ये बहुत मुलायम होने से शिशु की नाजुक त्वचा भी सुरक्षित रहती है| बाजारू चादर की तुलना में इस चादर में अपनेपन का गंध होता है| आजकल ऐसी चादर पुरानी साडियोंसे सिलकर मिलती हैं|
२. शिशु के नहाने के लिए टब- ये अत्यंत उपयोगी और आवश्यक वस्तु है| नवजात शिशु को भी सुरक्षित रूप से नहलाने के लिए विशेष अटैचमेंट मिलती हैं|
३. CARRY COT - इसमें नन्हा शिशु बड़े आरामसे सो सकता है और आप उसे उठाकर कहीं भी ले जा सकते हो|
४. PRAM अथवा STOLLER -शिशु को घर से बाहर ले जाने के लिए बहुत उपयुक्त होता है| बच्चे दो साल की उम्र तक इसमें बैठ सकते हैं और एन्जॉय भी करते हैं| जैसे जैसे शिशु का वजन बढ़ता है, उसे गोद में लेकर घूमना मुश्किल हो जाता है| इसलिए स्टॉलर की आदत पहलेसे ही डालें| सुबह की कच्ची धुप में जब शिशु को ले जाते हैं, तभी से आप स्टॉलर इस्तेमाल कर सकते हो|
५. पालना और उस पर टंगनेवाला गोल घूमता खिलौना- पालने में शिशु सुरक्षित रहता है| आप को यदि काम करना हो तो बच्चेको पालने में रखकर निश्चिन्त होकर काम कर सकते हो| पालने की आदत भी डालनी पड़ती है| पालने पर बांधनेके लिए एक गोल गोल घूमने वाला खिलौना मिलता है| इसका बहुत उपयोगी रोल है पहले कुछ महीनोमे| शिशुकी आँखें साधारणत: दूसरे महीनेसे फोकस होने लगती हैं| इस खिलोनेसे दृष्टी स्थिर होने में मदत होती है| बच्चा भी आँखें घुमाकर उस खिलोनेको आंखोंसे फॉलो करना सीखता है| ये एक महत्वपूर्ण स्टेप है|
६. डायपर- ये आजकल बहुत ही जरुरी हो गए हैं| अच्छे कंपनी के और सॉफ्ट तथा हलके डायपर इस्तेमाल करें| SKIN RASH पर हमेशा ध्यान दें|
अब इस स्टेज पर माँ के लिए क्या खरीदना है ये देखते हैं| डिलीवरी के बाद माँ का एक प्रमुख काम है शिशु को स्तनपान कराना| ये आसान हो इसलिए -
१. फीडिंग गाउन, फीडिंग टीशर्ट , फीडिंग ब्रा आदि चीजें ख़रीदना आवश्यक हैं|
२. फीडिंग पिलो- इस ख़ास पिलो पर शिशु को रखकर स्तनपान कराना आसान हो जाता है| माँ को झुकना नहीं पड़ता और फिर पीठ दर्द आदिकी परेशानी नहीं उठानी पड़ती|
३. सेनेटरी नैपकिन्स- डिलीवरी के बाद हॉस्पिटल में जो नैपकिन्स देते हैं, वो कई बार कम्फर्टेबल नहीं लगते| इसलिए आप हमेशा जो नैपकिन्स इस्तेमाल करते हो, उन्हीको बड़ी संख्यामे लाकर रखें|
जैसा पहले कहा है, कपडे, चप्पल आदि आरामदेह ही होने चाहिए|
यहाँ पर आपने एक बात नोटिस करी होगी की पहले स्टेज में माँ की खरीदारी ज्यादा है और दूसरी स्टेज में शिशु की| यही प्रकृति की खासियत है| नवनिर्माण की तैयारी भी जोरशोर से होती है और स्वागत भी बड़े आनंद के साथ किया जाता है|
इस लेख का मुख्य मक़सद यही है की नए नवेले माता-पिता ठीकसे प्लानिंग कर सके, उन्हें ऐन वक़्त पर भागदौड़ ना करनी पड़े| साथ ही, रिश्तेदार और मित्र परिवार भी ये तय कर सकते हैं की उपहार में क्या दें और क्या ना दें| मैंने लोगोंको नामकरण में या फिर पहले जन्मदिन पर तीन पहिया साइकिल देते हुए देखा है, जो फिर तीन साल तक वैसीही पड़ी रहती है| 'तीन पहिया तीसरे साल' ये तो बहुत आसान है याद रखने को, है ना?
आपके प्रतिसाद की अपेक्षा है|
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गर्मी में होने वाली बीमारियां, लक्षण और उनसे बचने के उपाय : डॉ निखिल चौधरी ,वरिष्ठ चिकित्सक,आईजीआईएमएस
देशभर में इस वक्त मई-जून की प्रचंड गर्मी पड़ रही है। खासकर उत्तर भारत में तो झुलसा देने वाली गर्मी ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। एक तो पहले ही लॉकडाउन की वजह से लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। साथ में अब तेज धूप, गर्म हवाओं और तेजी से बढ़ते तापमान ने भी लोगों को घरों में कैद कर दिया है। पारा लगातार 44-45 डिग्री के आसपास बना हुआ है। इतनी भीषण गर्मी की वजह से घरों के अंदर रहने वाले लोगों की तबीयत भी खराब हो ��ही है। इसी विषय पर डॉ निखिल चौधरी ,वरिष्ठ चिकित्सक ,आईजीआईएमएस ने कहा की
वैसे भी हर मौसम अपने साथ कुछ कॉमन बीमारियां लेकर आता है। सर्दी-जुकाम, खांसी और फ्लू सर्दी के मौसम में और डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी बीमारियां बारिश के मौसम में परेशानी का सबब बनती हैं। ठीक वैसे ही गर्मी के मौसम की भी कुछ कॉमन बीमारियां हैं जिन्हें अगर गंभीरता से न लिया जाए तो कई बार ये जानलेवा भी साबित हो सकती हैं। आप भले ही कितने भी फिट और हेल्दी क्यों न हों आपको बीमारियों से बचने के लिए जरूरी ऐहतियाती कदम जरूर उठाने चाहिए। हम इस आर्टिकल में आपको गर्मी में होने वाली 8 सबसे कॉमन बीमारियों और उनसे बचने के उपाय के बारे में बता रहे हैं।
लू लगना (हीट स्ट्रोक)
गर्मी में लू लगना सबसे कॉमन समस्या लेकिन यह एक गंभीर स्थिति है और अगर समय रहते इसका इलाज न हो तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। लक्षणों की बात करें तो लू लगने पर शरीर का तापमान 104 डिग्री फैरेनहाइट या इससे अधिक हो जाता है, सांस लेने की गति तेज हो जाती है, दिल की धड़कन बढ़ने लगती है, सिर में दर्द होने लगता है, बेहोशी आने लगती है और उल्ट�� आने लगती है।
बचने के उपाय: गर्मी में लू लगने से बचने के लिए ढीले व हल्के कपड़े पहनें, जहां तक संभव हो ठंडी जगहों पर रहें, अधिक मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें, दिन के सबसे गर्म समय यानी दोपहर 12 बजे से 4 बजे के बीच कड़ी धूप में बाहर निकलने से बचें। अगर बाहर निकलना जरूरी हो तो टोपी और छाते का इस्तेमाल करें और खाली पेट घर से बाहर न निकलें।
धूप से त्वचा का जलना (सनबर्न)
गर्मी के मौसम में जब सूरज की किरणें बेहद तेज हों, ऐसे में बार-बार धूप में बाहर जाने से आपकी त्वचा जल सकती है और इसे ही सनबर्न कहते हैं। अगर आपकी स्किन का रंग गुलाबी या लालिमा भरा हो, छूने पर त्वचा पर गर्माहट महसूस हो, दर्द, असहजता या खुजली होने लगे, त्वचा में सूजन हो, साथ में अगर सिरदर्द, बुखार और थकान भी हो तो सनबर्न गंभीर हो सकता है। सूर्य की हानिकारक यूवी किरणों के संपर्क में देर तक रहने के कारण सनबर्न हो जाता है।
बचने के उपाय: इसके लिए जहां तक संभव हो धूप में कम से कम निकलें, सीधे धूप की जगह छाया वाली जगह में बैठें, धूप से ब��ने के लिए टोपी, छाता और सनग्लास का इस्तेमाल करें, पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें, बाहर निकलते वक्त हाथ, पैर और सिर को ढक कर रखें, स्किन को सनबर्न से बचाने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।
घमौरी (हीट रैश)
गर्मी के मौसम में घमौरियां होना भी त्वचा से संबंधित सामान्य समस्या है जो वयस्कों या बच्चों किसी को भी हो सकती है। जब गर्मी के कारण किसी व्यक्ति को बहुत ज्यादा पसीना निकलता है लेकिन वह पसीना कपड़े की वजह से या फिर किसी और कारण से त्वचा में ही दबा रह जाता है और बाहर नहीं निकल पाता तो स्किन पर छाले या छोटे-छोटे गांठ हो जाते हैं, इसे ही घमौरियां कहते हैं। कुछ घमौरियां कांटेदार या अधिक खुजली वाली होती हैं।
बचने के उपाय: घमौरी से बचने के लिए जहां तक संभव हो गर्मी के मौसम में हल्के सूती कपड़े पहनें जिससे आपकी त्वचा सांस ले पाए। ठंडे वातावरण में रहें, गर्मी से बचने के लिए एसी-कूलर का इस्तेमाल करें, ऐसा काम न करें जिससे ज्यादा पसीना निकले, त्वचा को ड्राई यानी सूखा रखने की कोशिश करें, स्किन पर पाउडर भी लगा सकते हैं।
विषाक्तता (फूड पाइजनिंग)
फूड पाइजनिंग भी गर्मियों में होने वाली सबसे कॉमन बीमारियों में से एक जो दूषित खाना या पानी के सेवन के कारण होती है। अगर आप किसी ऐसे भोजन को खा लें जो कई तरह के वायरस, बैक्टीरिया या विषैले तत्वों के संपर्क में आया हो तो फूड पाइजनिंग की समस्या हो जाती है। दूषित खाना या पानी का सेवन करने के 2 से 3 घंटे के अंदर व्यक्ति में उल्टी आना, मतली, पतला दस्त, पेट में दर्द व ऐंठन और बुखार जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। समय पर इलाज न हो तो यह समस्या जानलेवा भी साबित हो सकती है।
बचने के उपाय: फूड पाइजनिंग से बचने के लिए बाहर की खाने-पीने की चीजों से बचें और साथ ही घर पर भी खाना बनाते और खाते वक्त कई जरूरी बातों का ध्यान रखें। अपने हाथ, बर्तन, भोजन बनाने की सतहों को अच्छे से साफ करें, पके हुए भोजन को कच्चे भोजन से दूर रखें, भोजन को अच्छे से सही तापमान पर पकाएं, जल्दी खराब होने वाली चीजों को तुरंत फ्रिज में रखें। गर्मी के मौसम में बचा हुआ और बासी खाना काने से परहेज करें।
दस्त (डायरिया)
चूंकि गर्मी के मौसम खाने-पीने की चीजें अगर ज्यादा देर तक बाहर रखी हों तो वह जल्दी खराब हो जाती हैं और इसी कारण से दस्त या डायरिया की समस्या गर्मियों के मौसम की कॉमन समस्या है। डायरिया, ढीले और पानी के मल के रूप में पहचाने जाते हैं। दिन में अगर 3 बार से ज्यादा पानी के साथ पतला दस्त हो तो यह डायरिया का लक्षण हो सकता है। कई बार डायरिया के साथ पेट दर्द, बुखार, सिरदर्द और कमजोरी भी होने लगती है।
बचने के उपाय: जहां तक संभव हो पानी को उबालकर ही पिएं, फल और सब्जियों को अच्छी तरह से धोकर ही काटें। गर्मी के मौसम में शरीर में पानी की कमी न हो इसके लिए खूब सारा पानी पिंए और आप चाहें तो पानी में नमक और चीनी मिलाकर भी पी सकते हैं ताकि शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन बना रहे।
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