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rajiv21may · 3 years
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जो लोग बहुत हसीन होते हैं, उनके चेहरे दो तीन होते हैं.
वही लोग सिखाते हैं किसी पर यकीन मत करना, जो लोग सबसे ज्यादा यक़ीन वाले होते हैं ...😊
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rajiv21may · 6 years
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#Sunday... 😎 (at Hyderabad) https://www.instagram.com/p/BngvTjkjFW0/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=1ljtfxho9tbjw
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rajiv21may · 6 years
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rajiv21may · 6 years
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#emptiness ❤️ (at Hyderabad) https://www.instagram.com/p/BnZkWqUDSsY/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=1fovi4qwrwn1j
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rajiv21may · 7 years
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अच्छा लगता है।... (at Ramoji Film City)
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rajiv21may · 7 years
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Random click.... (at New Delhi Kalka Ji)
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rajiv21may · 7 years
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पहला प्यार... और वो एहसास
एक अजनबी हसीना से
यूं मुलाक़ात हो गई
फिर क्या हुआ ये ना पूछो
कुछ ऐसी बात हो गई
फिल्म अजनबी के लिए किशोर दादा ने जब ये गाना गाया होगा... तो उन्होंने ने भी अपनी जवानी के दिन याद किए होंगे... आनंद बख्शी जी... जिन्होंने ये गाना लिखा है उन्हें भी पहली नजरों में प्यार वाला वक्त याद आया होगा... तभी तो इस गाने के बोल हर जवां दिल के हाल को बयां कर देते हैं... बेवफा प्रेमिका से धोखा खाया आशिक गम के समुंद्र में डूब कर भी... इस गाने को सुनते हुए... वो पहला दिन याद कर जरूर मुस्कुरा देगा... आखिर वो वक्त होता ही इतना शानदार है... अचानक एक चेहरा हमारी नजरों के सामने आता है... दिल की धड़कन तेज हो जाती है... आंखों के मोशन सेंसर तो जैसे मानो काम करना बंद कर देते हैं... पलकें झपकना भूल जाती हैं... कान सुनना बंद कर देता है... और दिमाग तो मानों कह रहा हो कि जब सब छुट्टी पर हैं, तो मैं क्यों काम करूं ?...
उफ्फ... उस वक्त को शब्दों में बयां कर पाना बेहद मुश्किल है... मुहब्बत इतनी रहस्यमय न होती तो क्या मिर्जा गालिब 'इस इश्क के कायदे भी अजब हैं गालिब, करो तो बेहाल हैं, न करो तो बेहाल' जैसा शेर लिखते ?  पहले प्यार का एहसास हम कभी भी नहीं भुला सकते, चाहे इसके बाद फिर किसी और से प्यार हो भी जाये..... क्योंकि पहला प्यार बहुत ही नादान, सच्चा और खास होता है जो बिना कुछ सोचे-समझे बस हो जाता है... इन लाइनों को सुनकर फिर वही याद आता है कि ज़िंदगी एक अंजान सफ़र है और उसमें कई पड़ाव आते हैं। इनमें से एक राह, एक डगर मोहब्बत की भी है, जिसमें अजनबी से मुलाक़ात होती है। जब भी यह गाना सुनता हूं तो लगता है जैसे तल्ख़ और हसीन यादों के दरमियान एक सुकून की दुनिया में ले जाने वाले पुल से गुज़र रहा हूं।
अगर मेरी बात पर भरोसा ना हो... तो मेरी ये पोस्ट पढ़ने के बाद एक बार ये गाना जरूर सुनना... आपको भी वो खास दिन जरूर याद आएगा...
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rajiv21may · 7 years
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तेरा पैमाना मेरी नजरों में बहुत छोटा है बेवकूफ...
तेरा पैमाना मेरी नजरों में बहुत छोटा है बेवकूफ...
तू बड़ा आया... मेरे व्यक्तित्व को मापने।।
  मेरी आदतें मुझे अच्छी लगती हैं...
जो मुझे अच्छा लगता है मैं करता हूं...
अपनी मर्जी से... अपनी शर्तों पर जीता हूं...
तू बड़ा आया... मुझे सिखाने।।
  मैं जो भी करता हूं, मैं जैसे भी करता हूं...
मेरी सहजता पर निर्भर होती है...
तू बड़ा आया... मेरा रहन-सहन सुधारने।।
  सुन ले... तेरी दो टकिए बातों का जवाब देना भी मुझे पसंद नहीं...
तू भ्रम में जीता है इसलिए तुझे इस बात का संज्ञान नहीं
तू बड़ा आया... मुझे ब्रह्मज्ञान देने।।
  मत कर तू बेफिजूल की कोशिशें...
तू खुद में मुझे ढाल ले, इतना भी कमजोर मेरा ईमान नहीं...
तू बड़ा आया... मुझे खुद सा बनाने...
 तेरा पैमाना मेरी नजरों में बहुत छोटा है बेवकूफ...
तू बड़ा आया... मेरे व्यक्तित्व को मापने।।
-राजीव कुमार वर्मा
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rajiv21may · 8 years
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मालूम चला है कि...
मालूम चला है कि अब मेरा वक़्त पूरा होने वाला है… मालूम हुआ है कि खुदा ने मुझे याद किया… शायद उसे मेरी मोहब्बत से जलन हो गई है… हैरत में है कि उसके होते हुए मैं तुझे खुदा मान गया हूं…
मालूम चला है कि अब मेरा वक़्त पूरा होने वाला है… क्या मालूम वो मेरा दर्द नहीं सह पा रहा हो… हर पल मुझे घुट-घुट कर मरता ना देख पा रहा हो… शायद वो भी मेरी प्रेम कहानी सुनना चाह रहा हो…
मालूम चला है कि अब मेरा वक़्त पूरा होने वाला है… शायद अब मुलाकात की तारीख़ भी नजदीक आ रही है… सुना है वो सारा हिसाब लिए बैठा है… मुझे भी उससे कुछ हिसाब चुकता करना है… मोहब्बत को बताया था उसने खुदा की रहमत… उसकी रहमत में हुई कंजूसी का जिक्र करना है…
मालूम चला है कि अब मेरा वक़्त पूरा होने वाला है… मैं भी उससे मिलने को बेकरार बैठा हूं… हर पल उस घड़ी का इन्तजार कर रहा हूं… अ�� तो सुना हैं मुलाकात की घड़ियां भी नजदीक है…
मालूम चला है कि अब मेरा वक़्त पूरा होने वाला है… तू फ़िक्र ना कर…इस जहां हर तरफ तू मुझे महसूस  करेगी… मेरी की चिता से उठा धुंआ भी तो तेरी मोहब्बत की ख़ुश्बू का होगा… जो इस हवा घुलकर तेरे आस पास रहने के लिए आजाद होगा…
मालूम चला है कि अब मेरा वक़्त पूरा होने वाला है… बस इतनी सी ख्वाहिश है… जब भी मुझ बेवकूफ का गलती से ख्याल आये… अपने होंठों पर वही मुस्कान बिखेर देना… नर्क में भी मुझे सुकून का एहसास होगा…
राजीव कुमार
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rajiv21may · 8 years
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फिर मरने का भी न अफ़सोस होगा...
उसकी हरकतें बेशक बच्चों जैसी थी...लेकिन पहली बार जब इन आँखों ने महसूस किया था, उन हसरत भरी निगाहों को...ऐसा लगा था जैसे किसी ने देखा हो...इस नाजुक दिल को प्यार भरी आँखों से... न जाने कितनी कोमल और अनकही भावनायें दिल में उमड़ने लगीं थी... पहली बार मैंने एक अनछुये अहसास के आगोश में समाते हुए महसूस किया था... कितना अनमोल था ना वो अहसास... जब मैंने थामा था उसका हाथ... मुझे मालूम है उसने भी दिल की गहराइयों से महसूस किया था मेरा प्यार... नहीं जानता मैं की कब मैंने उसे अपना दिल दे दिया... और अपनी जान बना बैठा... लेकिन न जाने कहा खो गई है वो...क्या सच में वो भूल गई... क्या वो मेरा प्यार भूल गई... या फिर वो मजबूर है... वो दौड़ कर मेरे सीने से लगना चाहती है... लेकिन कुछ बंदिशें हैं... मैं नहीं जानता... बस इतना जानता हूं... वो एक दिन फिर से लौट कर आएगी... वो एक दिन फिर से मुझे उतना ही प्यार करेगी... वो एक बार फिर मेरा हाथ थामेगी... लेकिन इस बार मैं उसे जाने नहीं दूंगा... उसे खुद से जुदा नहीं होने दूंगा... बता दूंगा उसे मैं कितना अकेला हूं... अधूरा छोड़ गई थी तुम मैं आज भी अधूरा हूं... मालूम है मुझे तुम्हें भी मेरे प्यार का एहसास होगा... फिर मेरी जिंदगी सिर्फ एक पल की हो... उस पल बस तुम साथ हो...सच में... मुझे मरने का भी अफ़सोस ��हीं होगा...
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rajiv21may · 8 years
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पता नहीं क्यों...? सूफी संत बन गया हूं मैं!
अक्सर एक लड़की हर रोज मेरे ख्यालों में आती... मुझे सारी रात जगा के रखती थी... हम दोनों एक दूसरे से कभी बात नहीं करते... लेकिन उसकी आँखे बहुत बोलती थीं... बैकग्राउंड में एक म्यूजिक चलता रहता... वो मेरी तरफ देखते हुए गुन गुना रही होती... मासूमियत और सच्चाई से तराशा हुआ उसका चेहरा देखकर मैं अपनी आंखों को एक पल के लिए भी नहीं हटा पाता... जब कभी उसके हाथों को में अपने हाथ में लेता... उसका शर्म से झुकता हुआ चेहरा गुलाब की गुलाबी को भी मात दे जाता.. मेरे दिल में जैसे गंगा और यमुना का संगम हो रहा हो... दोनों नदियों के पानी के जबर्दस्त टकराव के बाद एक शांत धारा बहने लगी हो... दिल करता था कि ये संगम हमेशा के लिए बेजोड़ हो जाये...वो वक़्त भी याद है मुझे... एक शानदार सफर की तरफ रुख किया था हमने... उस दिन भी मैं उसकी मौजूदगी से खुश था... उसका हाथ भी मेरे हाथ में था... वक़्त तेज़ी से बीत गया या वो सफर छोटा हो गया... मालूम ना हुआ... मैंने उसकी आंखों में भी अपने लिए बेहद प्यार देखा था... मैं उसके इंतजार में पागल हुआ जा रहा हूं... उसकी लाजवाब मुस्कुराहट, उसकी बोलती हुईं आंखें, मेरे हाथों का उसके हाथों से स्पर्श का अदभुत एहसास को याद करना... मेरे लिए अब इबादत सा है... वो मेरे लिए खुदा बन गई.... और मैं सूफी संत बन गया हूं!
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rajiv21may · 8 years
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अब देर नहीं...
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rajiv21may · 8 years
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Preface- A story of billions Mister x and Miss x                                         Written by-Rajiv Verma   2016
मुझे नही मालुम के बेईन्तहां मोहब्बत किसे कहते है...इस बात का एहसास शायद उसे हुआ हो जिसने मोहब्बत की ईन्तहां पार कर लिया हो...जिसे मालुम हो गया हो कि बस इससे ज्यादा कोई किसी से इश्क नही कर सकता...जिसे प्यार की हद मालुम हो चुकी हो...जिसको मालुम हो कि मोहब्बत में कब पूर्णं विराम लगाना है...लेकिन जहां भी मैंने इश्क को पढ़ा, किस्से – कहानियां सुनी..., हर जगह, वक्त़ के पन्नों पर बस मोहब्बत को परवान चढ़ते देखा, कभी खत्म होते हुए नही देखा...प्यार की इतिश्री हो, इससे पहले कहानी खत्म होती देखी है...मोहब्बत... जो बस एक बार कायम हुई तो रिवायत बन गई।
लेकिन कुछ लोग इस बात को मान बैठते है कि मोहब्बत भी एक दिन खत्म हो जाती है...जो एक दुसरे के लिए कुछ भी कर सकने को तैयार हों उन्हे एक दुसरे को देखना भी ना-गवारां लगने लगे...जब वो ऐसा मानते है तो कोई तो बूनियाद जरूर होगी....शायद सच हो कि मोहब्बत का भी अंत होता है... मोहब्बत भी बिल्कुल उसी तरह भुलाई जा सकती है जिस तरह शायद अब मुझे याद नहीं कि मैंने आख़री बार कब अपनी मां के हाथों से निवाला खाया था, सच में बिल्कुल याद नहीं... वक्त के बीतने के साथ जैसे उन सब जरूरतों को मैं भुल गया जिनके बिना बेचैन हो जाया करता था...
कितनी अजीब ज़ीन्दगी है ना...घर से दुर...अकेला, ना जाने किस मंजिल की तलाश में हम चले जा रहें है मगर कुछ लोग इस राह पर एक ऐसा हमराही खोज लेते है जिसके साथ चलते-चलते उसकी मंजिल ही अपनी मंजिल मान लेते है... तो वहीं कुछ लोग हमराही तो चुनते है लेकिन अपनी मंजिल नही भूलते और जब रास्ते अलग होते दिखे, अलविदा करने में भी गुरेज नही करते....
वाह क्या ज़िंदगी है ना...
मानो ओलंपिक खेल का आगाज हो गया हो... यहां कुछ महारथी हैं तो कुछ अपनी किस्मत आजमां रहे है...और कुछ अपने खराब प्रदर्शन से निराश हैं। यहां जिंदगी के कुछ नियम भी है जो नियमों पर ना चला वो ना जाने कब विशेष (युनीक) से अजीब बन जाए मालुम नही हो पाता।
जब सब खेल ही है तो यहां प्यार का अस्तीत्व कैसे हो सकता है। बहुत असमंजस है...
बस यही उलझन है जो मुझे परेशान कर रही है, कुछ सवाल हैं मेरे जहन में जिसका जवाब मुझे नही मिल पाया...
 प्यार...अगर प्यार जैसी कोई चीज नही,
तो मिस एक्स से मिस्टर एक्स को प्यार कैसे हो गया ?...
 अगर प्यार जैसी कोइ चीज है
तो मिस एक्स, मिस्टर एक्स को कैसे अकेला छोड़ सकती है ?...
अगर प्यार नही है
तो दिन-रात मिस्टर एक्स का दिल सिर्फ मिस एक्स के लिए कैसे धड़क सकता है ?
अगर प्यार है
तो मिस एक्स, मिस्टर एक्स को ऐसे तड़पता कैसे देख सकती है ?...
 ये एक छोटी सी कहानी है...समझ नही आता कि इसे कहानी कहुँ या मिस्टर एक्स और मिस एक्स की भूल ...क्योंकि हर कहानी एक मंजिल पर जा कर खत्म होती है। लेकिन इस कहानी में दो लोगों ने एक ही रास्ते को चुना जरूर पर वहां कोई मंजिल ना थी...उन्होने जिस राह को चुना वो रास्ता था प्यार का...एक ऐसा वादा जो बिना कहे ले लिया जाता है, हर वक्त...हर परिस्तिथि में एक दुसरे को साथ देने का...ये बंधन था दिल से दिल का...एक ऐसी नेटवर्किंग जो भावनाओं और एहसासों मे बनी होती है...मिस्टर एक्स और मिस एक्स दोनो ही जानते थे कि इस राह की कोइ मंजिल नही है एक दिन हर लव स्टोरी की तरह इसका भी अंत होगा...सुना है प्यार के वायरस से कोई नही कोई नही बच पाया है...
युँ तो मिस्टर एक्स शुरुआत से ही अकेला रहना पसंद करता था। ना किसी से ज्याद बोलना और ना ही किसी से अपने दिल की बात शेयर करना। अकेले रहते हुए भी वो अकेला नही था। हर वक्त उसके दिमाग में बहुत-सी बाते घुमती रहती थी। उसे एक परेशानी थी वो किसी बात को भूल नही पाता था। बहुत ही प्रेक्टिकल जिंदगी जीता था...खुशियों को बहुत ही सधारण तरीकों से अपना लेता था और परेशानियों को अपनी जिंदगी का हिस्सा मान लेता था,अनुभवों ने उसे बहुत ही सख्त बना दिया था। मिस एक्स जब भी मिस एक्स को देखती थी उसकी यही शिकायत रहती थी, “कभी मूस्कुरा भी दिया करो”।
 और मिस्टर एक्स को ना जाने क्यों मिस एक्स इतनी स्पेशल लगने लगी...किसी से भी बिना किसी खास वजह के एक बात भी ना करने वाले मिस्टर एक्स को जैसे कोई बहुत खास मिल गया हो। मिस्टर एक्स का मिस एक्स पर मर-मिटना लाजमी भी था। मिस एक्स थी भी तो इतनी खास...उसकी हर अदा सबसे जुदा थी...उसकी मुस्कान किसी का भी दिल जीत लेने के लिए काफी थी...उसकी हर अदा सबसे निराली थी। उसकी बातें..., उसका गाना..., उसका गुस्सा..., उसकी बेपरवाह गुस्ताखियां..., उसकी सबसे अलग चाल..., बहुत ही प्यारी थी वो....जहां भी वो रहती थी अपनेआप माहौल खुशनुमा हो जाता था।
आखिर काफी सोचने-समझने के बाद, कुछ समझौतों के साथ दोनो इस गंगा में बह चले...एक-दुसरे का साथ इनके लिए इस तरह जरुरत बन गई जैसे कभी एक दुसरे के बिना जिया ही नही हो...जैसे धरती पर जन्म ही तब लिया हो जब वो मिले थे...मिस्टर एक्स तो प्यार में इस तरह डूब गया जैसे मिस एक्स के सिवा कुछ हो ही नही...शायद मिस एक्स की भी यही हालात थी...दोनो का एक दुसरे का ख्यलों मे खोए रहना....एक दुसरे के बारे मे सोचना... एक दुसरे की हर ख़बर रखना...मौका मिलते ही मेसेज करना...फोन पर घण्टों बातें करना...छुप-छुप कर बाहर मिलना...बेशक दोनों प्रोफेशनल थे...काम की वजह से घर से दुर रहते थे फिर भी उन्हे जमाने का ड़र था... हो सकता है लोगों के बीच में पहले से जो उनकी पहचान थी उसे कायम रखना दोनो ज्यादा ज़ायज समझते थे...बज़ाय इसके की उनके इस नए रिश्ते को जमाने के बीच कहानी बनने देने के... क्या फर्क पड़ता है ? दोनो खुश थे और एक दुसरे के साथ थे जमाने से उन्हे क्या लेना... वो एक दुसरे से बेशक छुप-छप कर मिलते थे लेकिन जितना भी वक्त एक दुसरे के साथ बिताते, बहुत लाजवाब बिताते...वो ऐसे लम्हें थे जिन्हे वो कभी नहीं भूल सकते...कभी भी नही...वो बेहद ही रोमानी सफर पर थे...
 नज़रों का आपस में मिलना...मिस एक्स का शर्म से पलकें झुकाना और मिस्टर एक्स के आंखों में प्यार की चमक आना...।।।
वो कायदे से एक दुसरे के बीच दरम्यां कायम रखते हुए करीब आना....मिस एक्स के धड़कनों का बढ़ जाना और मिस्टर एक्स का बहक जाना...।।।
वो कॉफी का बहाना...घण्टों तक एक दुसरे को टकटकी निहारना...मिस्टर और मिस एक्स का एक दुसरे में खो जाना...।।।
वो हाथ में हाथ थामना... पहली बार एक-दुसरे का स्पर्श एहसास करना और दोनों के लिए जैसे पुरी दुनियां का वहीं थम जाना।
 यही तो होता है ना... जिसे प्यार कहते है...जिसे इश्क, मोहब्बत कहते है... हो सकता है आज कल शायद एक और शब्द का जन्म हुआ है...उसे अटरेक्शन कहते है.... एक दुसरे की तरफ सिर्फ आकर्षण...मुझे सच में काफी अजीब लगा...कि अगर मिस्टर एक्स को मिस एक्स से सच्चा प्यार है तो वो कैसे साबित कर सकता है, कि वो अटरेक्शन नही सच्चा प्यार है ?
मुझे सच में इस विषय ने चिंता मे डाल दिया क्योंकि अगर कोइ किसी से आकर्षित नही होता....तो प्यार कैसे हो जाएगा..? मान लिया जाए कि मिस्टर एक्स का मिस एक्स के तरफ सिर्फ अटरेक्शन है तो क्या प्यार वो लोग करें जो एक-दुसरे के तरफ अटरेक्ट नही है अगर ऐसा होगा तो एक-दुसरे से क्या रिश्ता होगा कि मैं तुम्हारी तरफ अटरेक्ट नही हूँ फिर भी में तुम से प्यार करता हुँ।
ये क्या बकवास है यार...मैं 21वीं सदी में जरूर रहता हुँ लेकिन जिंदगी के कुछ नियमों को समझ नही पाता...बिल्कुल नही समझ पाता। मिस्टर एक्स और मिस एक्स के बीच काफी वक्त इसी विषय ने असमंजस की स्तिथि बनाए रखा...आखिरकार दोनो को विश्वास हुआ कि सच में दोनो को एक दुसरे से मोहब्बत है...
मिस्टर एक्स को तो जैसे पंख लग गए...मिस एक्स उसकी जिंदगी में क्या आई जैसे उसका हज शरीफ और चारो धाम एक साथ हो गया हो...इतना दिवाना तो कभी किसी को नही देखा होगा...दिवानी तो मिस एक्स भी हो गई थी...उसका ना ठोर था ना ठिकाना...जब कभी मिस्टर एक्स, मिस एक्स को मिलने बुलाता, मिस एक्स बिना सोचो-समझे वक्त-बे-वक्त मिलने चली जाती...क्योंकि वो भी उतनी ही तड़पती थी मिस्टर एक्स से मिलने के लिए जितना के मिस्टर एक्स उसके प्यार में पागल था....
वक्त कितना भी बदल जाए...जिंदगी के कायदों को हम माने या ना माने...लेकिन प्यार का अंजाम वही होता है जो सालों से हर लव स्टोरी में लिखा आता रहा है...बस फर्क इतना रहता है कि कुछ लोगों का कहानी लम्बी होती है और कुछ लोगों की कहानी छोटी...लेकिन मुकाम किसी को नही मिल पाता...
मिस्टर एक्स और मिस एक्स की कहानी इतनी जल्दी इस मुकाम तक पहुंच गई कि शायद मिस्टर एक्स को भरोसा नही रहा...एक बहुत बुरा सपना...
ये फैसला मिस एक्स का था...वो और आगे साथ नही चल सकती थी...ना ही वो इसके बारे में कुछ सुनना चाहती थी...जैसे एक झटके में सब खत्म हो जाए...एक कंप्युटर प्रोग्राम की तरह सारे ज्ज़बात सारी फीलिंग्स अनइंस्टॉल हो जाए...वो सारी बातें...सारी यादें...वो साथ बिताए सारे लम्हें....मिस्टर एक्स तुरंत भुल जाए...
काश मिस्टर एक्स ऐसा कर पाता...काश जिस तरह मिस एक्स, मिस्टर एक्स को बोल रही थी वैसे ही भूल पाता...लेकिन वो नही कर पाया...वो मिस एक्स के इस फैसले को नाराजगी समझता रहा...वो मनाता रहा...मिन्नतें करता रहा...अपने प्यार को पाने के लिए दिन-रात दुआंए करता रहा...रोता रहा...और मिस एक्स की नजरों में बुरा होता चला गया...
कभी मिस एक्स, मिस्टर एक्स की तारीफ पर तारीफ करती थी अब वो अजीब हो गया था...पहले जिसे बार-बार बोलने के लिए कहती थी आज उसी की बातों से चीढ़न होने लगी थी...अब शक्स इतना सनकी लगने लगा था कि मिस एक्स को अब मिस्टर एक्स सनकी लगने लगा था...जिसे देख कर मिस एक्स की पलकें झुक जाती थी अब उसे देखना भी पसंद नही करती...कभी अपने फोन पर मिस्टर एक्स का मैसेज या कॉल देख कर मिस एक्स के चेहरा खिल जाता था आज एक रिप्लाई करना पहाड़ लगने लगा था...मिस एक्स को मिस्टर एक्स का साथ बहुत ही अच्छा लगता था अब मिस एक्स को पछतावा है कि उसने मिस्टर एक्स से बात ही क्यों किया...
इतनी नफरत...वजह सिर्फ एक थी, मिस्टर एक्स का मिस एक्स के लिए पागलपन...इसलिए क्योंकि मिस्टर एक्स अपने रुठे प्यार को मनाने के लिए कोशिशें करता रहा... मिस एक्स उसे मना करती रही, मिस्टर एक्स को और नजरअंदाज करती रही... मिस्टर एक्स उसके साथ बिताए एक पल को भी भूला ना सका। मिस्टर एक्स को बचपन से एक आदत थी या युँ कहे की परेशानी थी वो किसी चीज को भूल नही पाता जैसे यादें उसका कभी साथ नही छोड़ना चाहती थी... और उससे गलतियां होती रही...लेकिन इसके लिए कोइ छोड़ कर चला जाता है क्या...?
युँ तो मिस्टर एक्स पहले से अकेला खुश था...कभी भी उसे किसी की जरुरत का एहसास नही हुआ था...लेकिन मिस एक्स का साथ छोड़ जाने से मिस्टर एक्स को अकेलापन महसुस होने लगा...रातों तक उससे बात करने की कोशिस...मालुम है फोन नही उठाऐगी मिस एक्स लेकिन एक के बाद एक फोन करते रहना...मिस्टर एक्स का अपनी मिस एक्स के बिना बेचैन होना मिस एक्स के नफरत की वजह बन गई...इतनी नफरत के उसने शहर छोड़ने का फैसला ले लिया लेकिन मिस्टर एक्स को बिना बताए...आखिर वो चली भी गई बहुत दुर...
मिस्टर एक्स से सिर्फ दोस्ती का वादा करके...लेकिन मिस्टर एक्स को अपनी मिस एक्स वापिस चाहिए थी...वो फिर वही गलती कर बैठा...अपने दिल को रोक ना सका...एक बार फिर मिस्टर एक्स अपनी मिस एक्स से वापिस मिन्नते करने लगा...और फिर बात करने के हर रास्ते को खो दिया...
जब किसी का प्यार उसका साथ छोड़ दे तो क्या एहसास होता है शायद मिस्टर एक्स को ही मालुम हो...आज वो उस रास्ते पर अकेला था जिस पर वो मिस एक्स के साथ चलना शुरु हुआ था...अकेला वो पहले भी था लेकिन उसे कभी अकेलेपन का एहसास नही था। आज मिस्टर एक्स इस अकेलपन को झेल नही पाता... हर वक्त उसके ज़हन में बस एक ही ख्याल होता है...मिस एक्स का...
वो कैसी होगी... उसके दिमाग एक-एक मिनट को गिन रही है जब आखिरी बार उसने मिस एक्स की आवाज सुनी थी...एक वक्त था जब मिस्टर एक्स, मिस एक्स से दिन में कई दफा फोन पर बात करता था इसके बावजुद भी उनका दिल नही भरता था और वो शाम होने का इंतजार करते थे और शाम होते ही काफी शॉप पर उनकी मुलाकात होती थी...अब मिस एक्स को मिस्टर एक्स की आवाज सुनना भी पसंद नही। ऐसा नही है कि मिस एक्स के पास वक्त नही है मगर शायद वो वक्त गुजर गया जब मिस एक्स के चेहरे पर मिस्टर एक्स के एक मैसेज से खुशी होती थी... अब तमाम वो बातें जो कभी मिस्टर एक्स को बहुत खुश कर दिया करती थी अब बोझ लगतीं है।
 मुझे नही मालुम यहां गलत कौन था । समझ नही आता की मिस्टर एक्स की प्रोब्लम क्या है ? क्योंकि प्यार कभी मिस एक्स को भी तो था...याद तो वो भी मिस्टर एक्स को करती होगी...तो वो कैसे सिर्फ एक फैसले से कह सकती है कि सब भूल जाओ। अगर प्यार को भूलाया जा सकता है तो मिस्टर एक्स क्यों नही भूल जाता...क्यों फिल्मी हिरो की तरह देवदास बना रहता है जरुर मिस्टर एक्स को कोई बिमारी है क्योंकि मिस एक्स के सिवा उसे कुछ ना दिखाइ देता है ना ही कुछ सुनाई देता है...सारी रात जागा रहता है...खुली आंखों से सपने देखता है। युँही बैठ-बैठे मिस एक्स की चुलबुलीं बातों को याद करता रहता है और एकाएक अपनेआप ही हँस पड़ता है और जब अपने ख्यालों से बाहर निकलता है तो अपने अकेलेपन पर रोने लगता है....
मिस्टर एक्स की हालत देख कर मैं कई बार उसे पागलों से तुलना करने लगता हूँ...आखिर वो भी तो ऐसा ही बर्ताव करते हैं। अब मिस्टर एक्स का मिस एक्स से बिल्कुल बात होना बंद हो गया है... मिस एक्स ने उसे एक भी मैसेज करने के लिए मना कर दिया...मिस्टर एक्स ने उसे परेशान करना बंद कर दिया...लेकिन मिस्टर एक्स के लिए ये बहुत मुश्किल था। वो दिन मे 500 मैसेज लिखता लेकिन जब भी सेंड करने लगता उसे मिस एक्स की कही आखिरी कुछ बातें याद आ जाती है।... “यार तुम मुझे परेशान मत करो...मैं ठीक हूँ, एंड स्टोप सेंडिंग मी मैसेजेस प्लीज”
इस दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी है जो हर दर्द को भूला कर आगे बढ़ना जानते है लेकिन कुछ लोग अपनी दुनिया ही किसी को मान लेते है...मिस्टर एक्स की दुनियां मिस एक्स थी जिसके बिना उसका जीना बेमतलब है...ऐसा नही है कि मिस्टर एक्स ने कोशिश नही की मिस एक्स को भूला देने की लेकिन ऐसा उसके लिए नामुमकिन था...उसे लत लग गई थी मिस एक्स की जो शायद मिस्टर एक्स की आखिरी सांस के साथ ही जाए...
दिन गुजर गए...हफ्तें बीत गए और अब तो गिनती महिनों में होने लगी है मिस्टर एक्स की तड़प भी बढ़ती गई...प्यार इतना मजबूर बना देता है इससे पहले सिर्फ फिल्मों में देखा था या किस्से में पढ़ा और सुना था... अब तो वो नींद की दवांईयों का सहारा लेने को मजबूर हो गया...कम से कम सो तो जाता अब वो...वरना जैसे-जैसे रात ढलती मिस्टर एक्स की त़डप और बढ़ जाती थी... नींद की दवा ने जैसे मिस एक्स की जगह ले ली हो...कभी-कभी दो-दो दिन तक सोता रहता था...और जब निंद खुलती तो फिर वही धुन सवार हो जाती थी... वो उन सभी जगह पर घूमता था जहां कभी मिस्टर एक्स और मिस एक्स एक साथ जाते थे...वो मिस एक्स की अपने साथ कल्पना करने लगा था...कॉफी शॉप पर जा कर आज भी वो दो कॉफी और चिकन पिज्जा ऑर्डर करता है शुरूआत में कॉफी शॉप के लोगों को मिस्टर एक्स का ये बर्ताव बहुत अजीब लगता था लेकिन अब मिस्टर एक्स के वहां पहुँचते ही उनका आर्डर तैयार होने लगता है...
मुझे नही पता मिस्टर एक्स क्यों ऐसा कर रहा है... मिस एक्स तो अब बहुत दूर रहने लगी है उसके साथ तो वो वैसे भी नही रह सकती। लेकिन इतना पता था कि मिस्टर एक्स सिर्फ मिस एक्स का साथ चाहता था...उसने कभी नही कहा के मिस एक्स अगर उसकी नही तो किसी की नही हो सकती। वो कभी नही चाहता था कि मिस एक्स अपने करियर या अपनों से मिस्टर एक्स के लिए कोई समझौता करे।....
मिस्टर एक्स को बस मिस एक्स का साथ चाहिए था...वो नही चाहता था कि कभी उसका प्यार हार मान जाए... किस्मत दोनों को जहां भी ले जाए लेकिन जब भी दोनों जिंदगी के किसी मोड़ पर मिले तो एक दुसरे को देखकर बस प्यार ही झलके... ना कि शर्म या नफरत...
लेकिन ऐसा नही हुआ... मिस एक्स ने तो ये भी कटह दिया के “मुझे तुमसे प्यार ही नही है गलती हो गई मुझ से जो मेने तुम से बात की”... मुझे ये मालुम है कि वो मजबूर थी...मिस एक्स का अपने घर के लिए जिम्मेवारी है...मिस एक्स को में गलत नही कह सकता... लेकिन ये सुन कर मिस्टर एक्स को क्या एहसास हुआ होगा शायद इस दर्द को मिस्टर एक्स भी बयां ना कर पाए...और ना ही मेरे पास कोई शब्द...
इतनी भोली-सी...इतनी प्यारी और मासुम मिस एक्स आज इतनी सख्त कैसे हो गई...कभी मिस एक्स को इस बात की चिंता होती थी कि मिस्टर एक्स ने रात को डिनर करके नही सोते थे...सिर्फ इतनी सी बात पर घण्टों तक सुनना पड़ता था मिस्टर एक्स को...और आज भुखा-प्यासा पागलों की तरह मिस्टर एक्स अपनी मिस एक्स को याद करता है क्या मिस एक्स को अब मिस्टर एक्स की चिंता नही होती...शायद होती होगी...
मुझे याद है जिस दिन मिस एक्स और मिस्टर एक्स ने आखिरी मुलाकात की थी मिस एक्स ने मिस्टर एक्स को कहा था... “यार मैं बेवफा नही हुँ, तुम मुझे बेवफा मत समझना मिस्टर एक्स”... उस वक्त मिस एक्स की आँखों मे जो प्यार था जो तड़प थी कभी नही देखी। मिस्टर एक्स भी कुछ नही कह पाया...
और मैं भी मानता हूँ कि मिस एक्स बेवफा नही है क्योंकि बेवफा तो उन्हे कहते है जो प्यार को भूला दे या बदनाम कर दे... लेकिन मुझे यकीन है कि मिस एक्स आज भी मिस्टर एक्स से बहुत प्यार करती है...
मिस्टर एक्स और मिस एक्स आज अगर इतना परेशान है तो दोनो अपनी हालात का खुद जिम्मेवार है...क्योंकि जब नजरें मिली थी तो मुस्कुराएं तो दोनो थे...
 प्यार इतना बुरा नही होता जितना मिस्टर एक्स और मिस एक्स ने बना लिया...प्यार तो राधा-कृष्णा ने भी किया था...दुनिया में इससे पुरानी और महान कहानी न मैंने सुना है ना ही कभी पढ़ी है...वो कभी एक नही हो पाए लेकिन उनके प्यार में इतनी ताकत थी कि कोई उन्हे अलग नही कर पाया...
आज भी मिस्टर एक्स हर रोज मिस एक्स को याद करता है...उन सभी जगहों पर जाता है जहां कभी दोनो जाते थे...अभी भी उसे मिस एक्स का इंतजार है...पागलों की तरह तडप रहा है मिस एक्स की सिर्फ आवाज सुनने के लिए...
  - राजीव वर्मा
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rajiv21may · 10 years
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आदत
आदत भी बहुत अजीब चीज है ना...जितना आसान शब्द है इसके माईने उतने ही गहरे है। इंसान की सहजता भी अपने आदतों के इर्द-गिर्द हो जाती है...कुछ भी नया अनुभव करना किसी के लिए भी कठिन या अजीब होता है।धीरे-धीरे सब समान्य सा लगने लगता है...बचपन में माँ के आँचल से अपने पैरों पर खड़े होने की आदत...फिर घर की चौखट लाँघ स्कूल जाने की आदत...अपनी जिद्द पूरी कराने के लिए बात-बात पर रोने की आदत...फिर खुद को सही साबित करने के लिए झल्लाने की आदत...अपनी आजादी से जीने की आदत...किसी से हमेशा के लिए जुदा होकर जीने की आदत..किसी के साथ सारी जिंदगी बिताने की आदत...जिम्मेवारियों को निभाने की आदत...अपनी जरूरतों को नजर अंदाज करने की आदत...दुःख में मुस्कराने की आदत...उम्र के साथ-साथ अपनों की सुनने की आदत...अपनी छोटी-2 जरुरतो के लिए दूसरों पर निर्भर होने की आदत.अकेला रहने की आदत...आखिरी समय के इन्तजार में जीने की आदत। -राजीव कुमार
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rajiv21may · 10 years
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MY india...... from angle of camera
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rajiv21may · 10 years
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जज्बात...
मैं साहिल पे लिखा हुआ इबादत नहीं जो लहरों से मिट जाये. मैं बारिश का बरसता बूंद नहीं जो बरस कर थम जाये. मैं ख्वाब नहीं, जिसे देखा और भुला दिया. मैं चांद नहीं, जो रात के बाद ढल गया. मैं हवा का वो झोंका भी नहीं, के आया और गुजर गया. मैं वो रंग भी नहीं, जो तेरे दिल पर चढ़े और उतर जाए. मैं तो वो एहसास हूँ, जो बस महसूस होता हूँ. मैं वो गीत हूँ, जो वादियों में गूंजता हूँ. मैं वो सुकून हूँ जो अपनों में मिलता है.
मुझे ना समझ पाना तेरी गलती नहीं, ये बेईमान मौसम है जो तेरे मन भटकाता है, मुझे शिकायत भी नहीं तुझसे, तेरी बेरुखिओं की.
बस एक तमन्ना है... मेरी मौजूदगी या गैर मौजूदगी में तू एक बार समझ पाये... मेरे जज्बातों को…
—राजीव
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rajiv21may · 10 years
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न जाने क्यों...?
कुछ लोग दूसरों निंदा की करके खुद को मास्टरमाइंड समझते है और साथ में अपेक्षा भी करते है की उन्हें किसी तरह का कटु जवाब भी न मिले...हमेशा धैर्य रखना कभी-कभी बहुत मुश्किल हो जाता है जरुरी नहीं के मजाक के नाम पर किसी को बार-बार जलील किया जाये।मुझे समझ नहीं आता कि वो लोग भी इस अवसर का पूर्ण आनंद उठाते है, जो स्वयं के साथ घटित होने पर झल्ला जाते है...कहते है 'मुझे फालतू का मजाक पसंद नहीं'...जरा इस तरह के लोगों को मैं बतला देना चाहता हूँ "जो हर बात का जवाब देना जरुरी नहीं समझते....ऐसा बिल्कुल नहीं के वो जवाब देना नही जानते...।
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