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जन्मदिन विशेष: बाइक राइडिंग के बेहद शौकीन हैं 47वें मुख्य न्यायाधीश बोबडे, अयोध्या समेत इन बड़े फैसलों में हो चुके हैं शामिल
चैतन्य भारत न्यूज भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शरद अरविंद बोबडे का आज 64वां जन्मदिन है। उनका जन्म 24 अप्रैल, 1956 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था। जस्टिस बोबडे ने 17 नवंबर 2019 को सेवानिवृत्त हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की जगह ली है। उनके जन्मदिन के खास मौके पर आइए जानते हैं चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के बारे में कुछ खास बातें-
जस्टिस बोबडे ने नागपुर यूनिवर्सिटी से ही बी.ए. और एल.एल.बी की डिग्री ली है। जस्टिस बोबडे ने साल 1978 में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र को ज्वाइन किया था। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में लॉ की प्रैक्टिस भी की है और साल 1998 में वह वरिष्ठ वकील बने। जस्टिस बोबडे ने साल 2000 में बॉम्बे हाइकोर्ट में बतौर एडिशनल जज का पदभार संभाला। साल 2012 में वह मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। इसके एक साल बाद ही उन्होंने अप्रैल 2013 में सुप्रीम कोर्ट में जज की कमान संभाली। जस्टिस बोबडे बड़े ही खुशमिजाज और मृदुभाषी हैं। उन्हें बाइक राइडिंग और डॉग्स पालने का बहुत पसंद हैं। खाली समय में वह हमेशा किताबें पढ़ना पसंद करते हैं। घर पर भी वे बेहद सादगी से रहते हैं और यही सादगी उनकी हर जगह देखने को मिलती है। वह 17 महीने के लिए 23 अप्रैल 2021 तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर बने रहेंगे।
इन बड़े फैसलों में शामिल रहे हैं जस्टिस बोबडे सुप्रीम कोर्ट द्वारा आधार कार्ड को लेकर लिए गए फैसले में जस्टिस बोबडे भी शामिल थे। बता दें कोर्ट ने एक आदेश देते हुए कहा था कि, आधार कार्ड के बिना कोई भी भारतीय मूल सुविधाओं से वंचित नहीं रह सकता है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ जब यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था, तो उस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों को सौंपी थी। इन तीन जजों में जस्टिस बोबडे, एन वी रमन और इंदिरा बनर्जी शामिल थे। साल 2016 नवंबर में तीन बच्चों की याचिका पर सुनव��ई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई थी। कोर्ट के इस फैसले में भी जस्टिस बोबडे शामिल थे। उनके अलावा इस पीठ में तत्कालीन चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर और जस्टिस एके सीकरी भी शामिल थे। 9 नवंबर को आए अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर पांच जजों की पीठ ने अपना फैसला सुनाया। इन पांच जजों में जस्टिस बोबडे भी शामिल थे। उनके अलावा पीठ में पूर्व चीफ जस्टिस गोगोई, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नजीर शामिल थे। ये भी पढ़े... जस्टिस बोबडे ने ली भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ हैदराबाद एनकाउंटर पर CJI बोबडे का बड़ा बयान, कहा- बदले की भावना से किया गया न्याय, इंसाफ नहीं निर्भया केस: सीजेआई बोबडे ने केस से खुद को किया अलग बजट से पहले CJI बोबडे का बड़ा बयान, कहा- नागरिकों पर अधिक टैक्स का बोझ डालना सामाजिक अन्याय Read the full article
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सुप्रीम कोर्ट के 47वें मुख्य न्यायाधीश होंगे जस्टिस बोबडे, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी
चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. जस्टिस शरद अरविंद बोबडे भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनके नाम पर मुहर लगा दी है और जल्द ही एक औपचारिक अधिसूचना जारी की जा सकती है। बता दें 17 नवंबर को मौजूदा चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ��िटायर हो रहे हैं। इसके बाद 18 नवंबर को 63 वर्षीय जस्टिस बोबडे बतौर चीफ जस्टिस शपथ लेंगे। वह 17 महीने के लिए 23 अप्रैल 2021 तक इस पद पर बने रहेंगे। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); कौन हैं जस्टिस बोबडे बता दें जस्टिस शरद अरविंद बोबडे का जन्म 24 अप्रैल, 1956 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था। उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से ही बी.ए. और एल.एल.बी की डिग्री ली है। जस्टिस बोबडे ने साल 1978 में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र को ज्वाइन किया था। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में लॉ की प्रैक्टिस भी की है और साल 1998 में वह वरिष्ठ वकील बने। जस्टिस बोबडे ने साल 2000 में बॉम्बे हाइकोर्ट में बतौर एडिशनल जज का पदभार संभाला। साल 2012 में वह मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। इसके एक साल बाद ही उन्होंने अप्रैल 2013 में सुप्रीम कोर्ट में जज की कमान संभाली। बोबड़े चीफ जस्टिस के बाद सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज हैं। इन बड़े फैसलों में शामिल रहे हैं जस्टिस बोबडे सुप्रीम कोर्ट द्वारा आधार कार्ड को लेकर लिए गए फैसले में जस्टिस बोबडे भी शामिल थे। बता दें कोर्ट ने एक आदेश देते हुए कहा था कि, आधार कार्ड के बिना कोई भी भारतीय मूल सुविधाओं से वंचित नहीं रह सकता है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ जब यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था, तो उस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों को सौंपी थी। इन तीन जजों में जस्टिस बोबडे, एन वी रमन और इंदिरा बनर्जी शामिल थे। साल 2016 नवंबर में तीन बच्चों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई थी। कोर्ट के इस फैसले में भी जस्टिस बोबडे शामिल थे। उनके अलावा इस पीठ में तत्कालीन चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर और जस्टिस एके सीकरी भी शामिल थे। पिछले कई दिनों से रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई पांच जजों की पीठ कर रही है। इन पांच जजों में चीफ जस्टिस गोगोई, जस्टिस बोबडे, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नजीर शामिल हैं। इस मामले का फैसला आना अभी बाकि है। यह भी पढ़े... सुप्रीम कोर्ट के अगले मुख्य न्यायाधीश बन सकते हैं जस्टिस बोबडे, इन बड़े फैसले में हो चुके हैं शामिल यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरे जस्टिस गोगोई को सुप्रीम कोर्ट ने दी क्लीन चिट 12 पक्षदार, 14 अपील यहां जानें अयोध्या विवाद से जुड़ी अहम जानकारी Read the full article
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सुप्रीम कोर्ट के अगले मुख्य न्यायाधीश बन सकते हैं जस्टिस बोबडे, इन बड़े फैसले में हो चुके हैं शामिल
चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. 17 नवंबर को मौजूदा चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो रहे हैं, ऐसे में उन्होंने केंद्र सरकार को अगले चीफ जस्टिस का नाम सुझाया है। सुप्रीम कोर्ट की परंपरा के मुताबिक, गोगोई ने अपने रिटायरमेंट से एक महीने पहले कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर अगले चीफ जस्टिस के लिए जस्टिस शरद अरविंद बोबडे (63 साल) के नाम की सिफारिश की है। बता दें जस्टिस बोबडे सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज हैं और वे 23 अप्रैल 2021 को रिटायर होंगे। जस्टिस बोबडे इन दिनों रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई कर रही पीठ में शामिल हैं। साथ ही वह देश के और भी कई बड़े फैसलों में शामिल रहे हैं। आइए जानते हैं जस्टिस बोबडे से जुड़ी कुछ बातें- (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); जस्टिस शरद अरविंद बोबडे का जन्म 24 अप्रैल, 1956 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था। उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से ही बी.ए. और एल.एल.बी की डिग्री ली है। जस्टिस बोबडे ने साल 1978 में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र को ज्वाइन किया था। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में लॉ की प्रैक्टिस भी की है और साल 1998 में वह वरिष्ठ वकील बने। जस्टिस बोबडे ने साल 2000 में बॉम्बे हाइकोर्ट में बतौर एडिशनल जज का पदभार संभाला। साल 2012 में वह मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। इसके एक साल बाद ही उन्होंने अप्रैल 2013 में सुप्रीम कोर्ट में जज की कमान संभाली। अब वे 18 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के 47 वें चीफ जस्टिस पद की शपथ ले सकते हैं। इन बड़े फैसलों में शामिल रहे हैं जस्टिस बोबडे सुप्रीम कोर्ट द्वारा आधार कार्ड को लेकर लिए गए फैसले में जस्टिस बोबडे भी शामिल थे। बता दें कोर्ट ने एक आदेश देते हुए कहा था कि, आधार कार्ड के बिना कोई भी भारतीय मूल सुविधाओं से वंचित नहीं रह सकता है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ जब यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था, तो उस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों को सौंपी थी। इन तीन जजों में जस्टिस बोबडे, एन वी रमन और इंदिरा बनर्जी शामिल थे। साल 2016 नवंबर में तीन बच्चों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई थी। कोर्ट के इस फैसले में भी जस्टिस बोबडे शामिल थे। उनके अलावा इस पीठ में तत्कालीन चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर और जस्टिस एके सीकरी भी शामिल थे। पिछले कई दिनों से रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई पांच जजों की पीठ कर रही है। इन पांच जजों में चीफ जस्टिस गोगोई, जस्टिस बोबडे, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नजीर शामिल हैं। इस मामले का फैसला आना अभी बाकि है। ये भी पढ़े... रामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में पूरी हुई सुनवाई, 17 नवंबर से पहले आ सकता है बड़ा फैसला गलती इंसानों से होती है, कोई जज यह दावा नहीं कर सकता कि उसने कभी गलत फैसला नहीं सुनाया : सुप्रीम कोर्ट शादी में अनिश्चितता के बावजूद शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार नहीं : सुप्रीम कोर्ट Read the full article
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जन्मदिन विशेष: बाइक राइडिंग के बेहद शौकीन हैं 47वें मुख्य न्यायाधीश बोबडे, अयोध्या समेत इन बड़े फैसलों में हो चुके हैं शामिल
चैतन्य भारत न्यूज भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शरद अरविंद बोबडे का आज 64वां जन्मदिन है। उनका जन्म 24 अप्रैल, 1956 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था। जस्टिस बोबडे ने 17 नवंबर 2019 को सेवानिवृत्त हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की जगह ली है। उनके जन्मदिन के खास मौके पर आइए जानते हैं चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के बारे में कुछ खास बातें-
जस्टिस बोबडे ने नागपुर यूनिवर्सिटी से ही बी.ए. और एल.एल.बी की डिग्री ली है। जस्टिस बोबडे ने साल 1978 में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र को ज्वाइन किया था। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में लॉ की प्रैक्टिस भी की है और साल 1998 में वह वरिष्ठ वकील बने। जस्टिस बोबडे ने साल 2000 में बॉम्बे हाइकोर्ट में बतौर एडिशनल जज का पदभार संभाला। साल 2012 में वह मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। इसके एक साल बाद ही उन्होंने अप्रैल 2013 में सुप्रीम कोर्ट में जज की कमान संभाली। जस्टिस बोबडे बड़े ही खुशमिजाज और मृदुभाषी हैं। उन्हें बाइक राइडिंग और डॉग्स पालने का बहुत पसंद हैं। खाली समय में वह हमेशा किताबें पढ़ना पसंद करते हैं। घर पर भी वे बेहद सादगी से रहते हैं और यही सादगी उनकी हर जगह देखने को मिलती है। वह 17 महीने के लिए 23 अप्रैल 2021 तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर बने रहेंगे।
इन बड़े फैसलों में शामिल रहे हैं जस्टिस बोबडे सुप्रीम कोर्ट द्वारा आधार कार्ड को लेकर लिए गए फैसले में जस्टिस बोबडे भी शामिल थे। बता दें कोर्ट ने एक आदेश देते हुए कहा था कि, आधार कार्ड के बिना कोई भी भारतीय मूल सुविधाओं से वंचित नहीं रह सकता है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ जब यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था, तो उस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों को सौंपी थी। इन तीन जजों में जस्टिस बोबडे, एन वी रमन और इंदिरा बनर्जी शामिल थे। साल 2016 नवंबर में तीन बच्चों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई थी। कोर्ट के इस फैसले में भी जस्टिस बोबडे शामिल थे। उनके अलावा इस पीठ में तत्कालीन चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर और जस्टिस एके सीकरी भी शामिल थे। 9 नवंबर को आए अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर पांच जजों की पीठ ने अपना फैसला सुनाया। इन पांच जजों में जस्टिस बोबडे भी शामिल थे। उनके अलावा पीठ में पूर्व चीफ जस्टिस गोगोई, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नजीर शामिल थे। ये भी पढ़े... जस्टिस बोबडे ने ली भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ हैदराबाद एनकाउंटर पर CJI बोबडे का बड़ा बयान, कहा- बदले की भावना से किया गया न्याय, इंसाफ नहीं निर्भया केस: सीजेआई बोबडे ने केस से खुद को किया अलग बजट से पहले CJI बोबडे का बड़ा बयान, कहा- नागरिकों पर अधिक टैक्स का बोझ डालना सामाजिक अन्याय Read the full article
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