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Send from Sansgreet Android App. Sanskrit greetings app from team @livesanskrit . It's the first Android app for sending @sanskrit greetings. Download app from https://livesanskrit.com/sansgreet Rajendra Singh. Rajendra Singh (29 January 1922 – 14 July 2003 ), popularly called Rajju Bhaiya, He joined Allahabad University after majoring in Physics to teach Spectroscopy. He taught at the university for several years, where later he was appointed head of the Physics Department. He was also considered an expert in nuclear physics which was very rare those days in India. He was a very popular teacher of the subject, using simplicity and clear concepts. He was the fourth Sarsanghchalak of the Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS). He was chief of that organisation between 1994 and 2000. Rajendra Singh was the first non-Maharashtrian Sarsanghchalak of the RSS. #sansgreet #sanskritgreetings #greetingsinsanskrit #sanskritquotes #sanskritthoughts #emergingsanskrit #sanskrittrends #trendsinsanskrit #livesanskrit #sanskritlanguage #sanskritlove #sanskritdailyquotes #sanskritdailythoughts #sanskrit #resanskrit #rajendrasingh #sarsanghachalak #rss #rashtriyaswayamsevaksangh #maharashtra #bulandshahr #pune #allahabaduniversity #physics #professor #uttarpradesh #celebratingsanskrit #modernschool #nainital #spectroscopy https://www.instagram.com/p/Cn979XWPw8B/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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Here’s why Rajendra Singh, the Waterman of India, must stop maligning Sadhguru’s initiatives for our rivers
Here’s why Rajendra Singh, the Waterman of India, must stop maligning Sadhguru’s initiatives for our rivers
In the past few years, news of Sadhguru’s rally for rivers campaign has reached out to millions in India, and the campaign is a household name. Soon after, Isha Foundation and Sadhguru launched Cauvery Calling, a campaign focused at planting millions of trees to rejuvenate our rivers and replenish forests.
Another person, who has dedicated years of his life to solving water related problems is Dr…
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To our guru who inspires us and is our source of guidence.
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मप्र: पानी गंदा करने वालों को होगी 18 महीने की जेल और 1 लाख तक का जुर्माना, राइट टू वाटर एक्ट का ड्राफ्ट तैयार
चैतन्य भारत न्यूज भोपाल. पानी के संरक्षण को लेकर देश भर में कई तरह की मुहिम चलाई जा रही है। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार भी अब पानी बचाने और स्वच्छ रखने के लिए एक नया कानून लाने जा रही है। इस कानून के तहत नदी-तालाब, कुएं, बावड़ी के पानी को प्रदूषित करने वालों को जेल की हवा खानी पड़ सकती है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); 1 लाख तक लगेगा जुर्माना मध्यप्रदेश सरकार जल्द ही राइट टू वाटर एक्ट लाने का विचार कर रही है। इस कानून का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। कानून लागू होने के बाद पानी को गंदा करने वाले लोगों के खिलाफ सरकार सख्त कदम उठाएगी। एक्ट के ड्राफ्ट में लिखा गया है कि, 'यदि कोई सार्वजनिक जलस्रोतों को किसी भी प्रकार से प्रदूषित करता है या उसे गंदा करता है तो उसे 18 महीने की जेल और 1 लाख रुपए तक जुर्माना भी लग सकता है।' नगर निगम पर भी लगेगा जुर्माना बता दें इस कानून के तहत ऐसी संस्थाएं जो आपके घरों तक शुद्ध जल पहुंचाने के लिए जिम्मेदार हैं जैसे की नगर निगम या ग्राम पंचायत, उनपर भी जुर्माने का प्रावधान है। यदि आपके घर में साफ पानी नहीं आ रहा है, या फिर स्वच्छ पेयजल के निर्धारित मानकों को पूरा नहीं किया जा रहा है तो ऐसी संस्थाओं को भी 5 हजार रुपए जुर्माना चुकाना पड़ेगा। उसी तरह घर में वाटर हार्वेस्टिंग यूनिट नहीं लगाने वालों पर 5 हजार रुपए पेनल्टी का प्रावधान रखा गया है। जल शिकायत निवारण अधिकारी होगा नियुक्त राइट टू वाटर एक्ट के ड्राफ्ट को जलपुरुष राजेंद्र सिंह की अध्यक्षता में तैयार किया गया है। इस एक्ट के मुताबिक, पानी के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में राज्य जल प्रबंधन प्राधिकरण (एसडब्ल्यूएमए) का गठन किया जाएगा। इसके अलावा पानी से संबंधित शिकायतों के तुरंत हल के लिए शहर में हर नगरीय निकाय में एक जल शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त होगा। ग्रामीण क्षेत्र में ब्लॉक स्तर पर एक जल शिकायत निवारण अधिकारी होगा। इनकी नियुक्ति 5 साल के लिए होगी। केस दर्ज होते ही होगी गिरफ्तारी इस कानून की खास बात यह है कि इसमें पानी दूषित करने वाले को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। यानी ऐसा करने वाले व्यक्ति की केस दर्ज होते ही गिरफ्तारी हो जाएगी और बिना कोर्ट से जमानत के उसकी रिहाई नहीं हो सकेगी। इस तरह के मामले में प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट स्तर का कोई भी न्यायाधिकारी स्वत: संज्ञान लेकर भी पानी को गंदा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दे सकेगा। Read the full article
#Cleandrinkingwater#KamalNath#madhyapradesh#mprighttowateract#rajendrasingh#RighttoWaterAct#waterlaw#पानी#पानीकोलेकरकानून#प्रदूषितपानी#भोपाल#मध्यप्रदेश#राइटटूवाटरएक्ट#राइटटूवाटरएक्टक्याहै#राजेंद्रसिंह
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परम पूजनीय रज्जू भैया जी की जयंती पर विनम्र अभिवादन....!!!! #rajendrasingh #sandeepchouhan (at BJP Madhya Pradesh) https://www.instagram.com/p/B75S8C7JkWu/?igshid=pbcu8241y7x8
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Wishing hearty congratulations and endless greetings to the Bharatiya Janata Party's national spokesperson Mr. @sambitswaraj ji for making Lok Sabha candidates from Lord Jagannath's Dham Puri. #Sambitpatra #RajendraSingh (at India) https://www.instagram.com/p/BvbdnSMBrKx/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=1otex5k3juor3
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बेपानी हुए क्षेत्र को जिन्होंने पानीदार बनाया
विश्व जल दिवस पर विशेष: जल पुरूष राजेन्द्र सिंह से बातचीत नवनीत कुमार गुप्ता न्यूजवेव @ नईदिल्ली आज देश के कुछ राज्यों में पानी की कमी वाले गांवों में लड़कों की शादियां नहीं हो रही है। कोई बेटी देना पसंद नहीं करता। क्योंकि ‘जल बिन सब सून’ आज एक चुनौती है। लेकिन ऐसे विपरीत हालात में भी कुछ शख्स ऐसे है जो जल संरक्षण के लिये जागरूकता पैदा करने के लिये अनवरत संघर्षरत हैं। ऐसे ही अग्रणी जल पुरूष राजेन्द्र सिंह से एक बातचीत-
आपने चिकित्सक जैसे क्षेत्र को छोड़कर जल संरक्षण के क्षेत्र में कैसे काम आरंभ किया ? जब मैंने देखा कि बादल तो आते है लेकिन मेरे गांव में बरसते नहीं है। तो तय किया कि बादलों को बरसाना है मेरे गांव में। इसके लिए पानी का विज्ञान मुझे किसी विद्वान ने नहीं मेरे ही आसपास के लोगों ने समझाया। जिनसे समझा कि सूर्य की गर्मी से समुद्र के पानी से बने बादल गांव से होकर गुजर जाते हैं लेकिन बरसते नहीं। बादल वहां बरसते है, जहां हरियाली होती है। क्योंकि वहां हवा का दबाव कम होता है। ��िर हमनें बांध बनाए। ��ूरे समाज ने मिलकर 11800 बांध बनाए। इनके बनने से हरियाली बढ़ने लगी। बेपानी हुए क्षेत्र को किस तरह पानीदार बनाया यदि हम पानी का उत्पादन समझना चाहते हैं तो पहले पानी की ताकत समझनी बारिश के बाद मिट्टी से अंकुर फुटने लगते हैं। पानी जब मिट्टी से मिलता है तो जीवन उत्पन्न होता है। जो मिट्टी निर्जीव है उसमें पानी मिलने से छोटी-छोटी वनस्पतियां उत्पन्न होने लगती हैं। हमारा क्षेत्र रेन शेडो क्षेत्र था। बादल तो आते थे हर साल मेरे गांव में, पर रूठकर चले जाते थे, मुझे ना मालुम था वो जाते थे कहां। हमनें विचार किया कि हम वाष्पोर्जन को कैसे रोक सकते हैं। हम कैसे बेपानी से पानी कृपानी हो सकते हैं। बादल जब आए और बरसने लगे तो वह दौड़कर न चले उसे चलना सीखा दो। हमने सोचा कि हम सूर्य की नजर हमारे पानी भंडारों को नहीं लगने देंगे। हमनें ढलान पर बांध बनाए जहां से पानी रिचार्च होने लगा। लेकिन हमने परंपरागत ज्ञान से छोटेकृछोटे बांध बनाए। बांधों में बारिश का पानी आने लगा और उस पानी से भूमिगत जल स्तर में भी वृद्धि होने लगी। हमारे आसपास के 12 सौ गांवों में ढाई लाख कुओं में पानी आ गया। अगर दो-तीन साल बारिश कम भी हो तो इनमें पानी रहता है। इसके अलावा हमनें अपनी फसल पैटर्न को रेन पैटर्न से जोड़ने की कोशिश की। कम पानी से ज्यादा फसल लेने का प्रयास किया। समाज के प्रयासों से बेपानी हुआ क्षेत्र जिसे पहले डार्क जोन कहते थे अब पानीदार यानी व्हाईट जोन में बदला। इस बदलाव से वहां की जलवायु पर क्या प्रभाव पड़ा पानी की उपस्थिति खुशहाली लाती है। जब हमने 1980 के दशक में काम आरंभ किया था तो हमारे क्षेत्र में केवल दो प्रतिशत हरियाली थी लेकिन अब हमारे यहां 48 प्रतिशत हरियाली है। 48 प्रतिशत जमीन पर पेड़-पौधे हैं। पानी आने से जो हरियाली बढ़ी उससे कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ग्रीन हाउस गैसों का भी बड़ी मात्रा में अवशोषण हुआ। हमारे इलाके में जहां मई में तापमान 49 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता था। अब तापमान 46 डिग्री सेल्सियस तक ही जाता है। धरती पर हरियाली बड़ी तो हमारी आमदनी भी बड़ी। पहले हमारे गांव के लोग जयपुर आदि शहरों में काम करते थे आज वो खेतों में सब्जियां उगा कर शहरों के लोगों को रोजगार दे रहे हैं। बेपानी हुए क्षेत्रों से जब लोग दिल्ली गए थे तो उनके जीवन में लाचारी, गरीबी और ब��मारी थी लेकिन जब पानी आने से ऐसे लोग वापिस गांव आए तो उनके जीवन में खुशहाली आई। जो सूरत, दिल्ली और मुम्बई गए थे वो वापिस आए। लगभग ढाई लाख वापस गांवों में आए। उन्हें गांव में स्वच्छ हवा मिलने लगी। तरूण भारत संघ के प्रणेता- जल पुरूष राजेंद्र सिंह ‘पानी के लिए नोबेल‘ के नाम से विख्यात स्टॉकहोम जल पुरस्कार और मेगसेसे पुरस्कार से सम्मानित डा. राजेन्द्र सिंह देश में जल संरक्षण से जुड़ी मुहिम के अगुआ हैं। आज उनकी पहचान जल पुरूष एवं पर्यावरण कार्यकर्ता के रूप में हैं। आज पूरी दुनिया उन्हें जल संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनिय कार्य के लिए जानती है। उन्हें सामुदायिक नेतृत्व के लिए 2011 में रेमन मैगसेसे पुरस्कार दिया गया था। राजेन्द्र सिंह का जन्म 6 अगस्त 1959 को, उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के डौला गाँव में हुआ। हाई स्कूल पास करने के बाद उन्होंने भारतीय ऋषिकुल आयुर्वेदिक महाविद्यालय से आयुर्विज्ञान में डिग्री हासिल की। फिर उन्होंने जनता की सेवा के भाव से गाँव में प्रेक्टिस करने का इरादा किया। कुछ महीनों बाद वह जयप्रकाश नारायण की पुकार पर छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के साथ जुड़ गए। इसके लिए उन्होंने छात्र बनने के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय से सम्बद्ध एक कॉलेज में एम.ए. हिन्दी में प्रवेश ले लिया। 1981 में उनका विवाह हुए बस डेढ़ बरस हुआ था, उन्होंने नौकरी छोड़ी, घर का सारा सामान बेचा। कुल 2300 रुपए की पूँजी लेकर अपने कार्यक्षेत्र में उतर गए। उन्होंने ठान लिया कि वह पानी की समस्या का कुछ हल निकलेंगे। 8000 रुपये बैंक में डालकर शेष पैसा उनके हाथ में इस काम के लिए था।राजेन्द्र सिंह के साथ चार और साथी आ जुटे थे, यह थे नरेन्द्र, सतेन्द्र, केदार तथा हनुमान। इन पाँचों लोगों ने तरुण भारत संघ के नाम से एक संस्था बनाई जिसे एक गैर-सरकारी संगठन का रूप दिया। दरअसल यह संस्था 1978 में जयपुर यूनिवर्सिटी द्वारा बनाई गई थी। राजेन्द्र सिंह ने उसे जिन्दा किया और अपना लिया। इस तरह तरुण भारत संघ उनकी संस्था हो गई। Read the full article
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Drowsiness and Alcohol Detection for Accident Prevention using Machine Learning
by Shruti Chandrakant Zarekar | Priyanka Dattatray Desai | Manjusha Prabhakar Randhave| Surajsingh Rajendrasingh Chauhan | Dr. Shyam Gupta "Drowsiness and Alcohol Detection for Accident Prevention using Machine Learning"
Published in International Journal of Trend in Scientific Research and Development (ijtsrd), ISSN: 2456-6470, Volume-4 | Issue-6 , October 2020,
URL: https://www.ijtsrd.com/papers/ijtsrd33587.pdf
Paper Url: https://www.ijtsrd.com/engineering/computer-engineering/33587/drowsiness-and-alcohol-detection-for-accident-prevention-using-machine-learning/shruti-chandrakant-zarekar
callforpaperlifesciences, lifesciencesjournal, researchpapers
A Drowsy Driver Detection System has been created, utilizing a non meddling machine Vision based absolutely ideas. The framework utilizes a touch monochrome surveillance camera that focuses Directly towards the drivers face and screens the drivers eyes along these lines on watch weakness. In Such a case once exhaustion is identified, an alarm is given to caution the main impetus. This Report depicts the gratitude to see the eyes, and together the gratitude to check if the eyes zone unit open or Closed. The algorithmic standard created is restrictive to any directly unconcealed papers, that was a Primary goal of the venture. The framework manages exploitation data acquired for the Binary form of the picture to go glancing out the edges of the face, that limits the domain of where the Eyes may exist. When the face region is discovered, the eyes zone unit found by registering the flat Averages at stretches the region. Taking into thought the data that eye locales at stretches the face blessing decent power changes, the eyes zone unit put by finding the various force changes at spans the face. When the eyes zone unit set, live the separations between the force changes at spans the consideration zone confirm whether or not the eyes region unit open or shut. AN outsized separation relates to Eye conclusion. On the off chance that the eyes region unit discovered shut for 5 back to back edges, the framework draws in the Conclusion that the main impetus is nodding off and gives an alarm. The framework is likewise ready to watch once the eyes can not be found, and works beneath modest lighting Conditions. here we will in general also track client live area on the off chance that any crisis shows up, at that point framework precisely send area to closest emergency clinic, police central command comparatively its individuals from the family. right now we will in general also notice client square measure alcoholic or not by abuse liquor police work sensors. Here we will say that our framework is extra affordable that current frameworks.
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Rajendra Singh
Rajendra Singh (29 January 1922 – 14 July 2003 ), popularly called Rajju Bhaiya, He joined Allahabad University after majoring in Physics to teach Spectroscopy. He taught at the university for several years, where later he was appointed head of the Physics Department. He was also considered an expert in nuclear physics which was very rare those days in India. He was a very popular teacher of the subject, using simplicity and clear concepts.
He was the fourth Sarsanghchalak of the Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS). He was chief of that organisation between 1994 and 2000. Rajendra Singh was the first non-Maharashtrian Sarsanghchalak of the RSS.
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Gandaberunda
The Gandaberunda or Berunda (Sanskrit: गण्डभेरुण्ड gaṇḍabheruṇḍa), is a two-headed mythological bird outside of main Hindu mythology thought to possess magical strength. It is used as the official emblem by the Karnataka government because of its immense strength, capable of dealing with ultimate forces of destruction, and it is seen as an intricately sculptured motif in a Hindu temple.
Depiction
The bird is generally depicted as clutching elephants in its talons and beaks demonstrating its immense strength. In a coin (kasu) found in Madurai, it is shown holding a snake in its beak. All 2-dimensional depictions show a symmetrical image similar to the double-headed eagle other images show the long tail feathers resembling a peacock which is the national bird of India. In the Chennakeshava temple of Belur (1113), Karnataka, Gandaberunda (2-faced bird identified with Vishnu) depiction is a carved scene of "chain of destruction". Initially, a deer is prey to a large python, followed by being lifted by an elephant and a lion attacking the elephant, and the lion shown as devoured by Sharabha. The last scene depicted is of Gandaberunda destroying Sharabha. The Gandaberunda was a physical form displayed by Narasimha, Man-Lion incarnation of Vishnu.
After Narasimha had slain demon Hiranyakashipu, through the taste of blood, Narasimha did not let go of his dreadful form. Demigods were even more afraid of the supreme lord now, than before of the demon. Shiva, the best friend of Vishnu, thus shiva incarnated as Veerabhadra, Rudra and kala bhairava and narasimha slain all " forms of shiva and thus incarnated himself as Sharabha, a part-lion and part-bird beast which was the terror of the lion. Gandaberunda, having two heads, fearful rows of teeth, black in complexion and with wide blazing wings fought with Shiva-Sharabha for eighteen days and finally held it between his two beaks and killed Sharabha but also exploded and got killed in the process.
Usage
A roof sculpture depicting a Gandaberunda is found on the roof of the Rameshwara temple in the temple town of Keladi in Shimoga District, which was the capital of the Keladi Nayakas. The Gandaberunda was also used by the Wodeyar dynasty of Mysore as the royal emblem. The Karnataka Government adopted this symbol as the state symbol and can be found on bus terminals and tickets issued by Karnataka State Road Transport Corporation. Coins (gold pagoda or gadyana) from the rule of Achyuta Deva Raya are thought to be the first to use the Gandaberunda on currency. The crest of the Indian navy ship INS Mysore (D60) features a Gandaberunda.
In media
Ganda Berunda is a Kannada film directed by S.V. Rajendrasingh Babu and produced by Vajramuni. The film was released in the year 1984. The music was composed by Sathyam. Bollywood actor Amrish Puri played the antagonist in the film.
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Full video In Facebook #Save Water! Save Life ! #Put A Stop To The Drop. #Save Water, It Will Save You Later! #Stop The Drip To Save The Drop. #water #rajkot #savewater #gujrat #rajendrasingh #waterman #hgcreations (at Rajkot, Gujarat) https://www.instagram.com/p/BqNFGpPF9W7/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=1kjpxcswvlycb
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Police Nab Four in Mahashtra For Illegally Hoarding Sanitisers Worth Rs 6 Lakh Amid Coronavirus
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The shop owners couldn’t produce bills for sanitisers that were kept in the shop’s storage unit, inspector Rajendrasingh Gaur said. PTI
Updated:March 21, 2020, 10:17 AM IST
Representative image. Aurangabad: Four persons were arrested for allegedly hoarding hand sanitisers worth over Rs 6 lakh in Maharashtra’s Jalna city, police said on Saturday.
Acting on a tip-off,…
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माननीय डॉ. #प्रमोद_सावंत जी को गोवा राज्य का मुख्यमंत्री बनाये जाने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं । #pramodsawant #RajendraSingh (at Madhya Pradesh) https://www.instagram.com/p/BvLIxuZhknf/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=73yze575otjq
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