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chaitanyabharatnews · 4 years ago
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करवा चौथ की पूजा के ये हैं कुछ जरूरी नियम, जानिए व्रत की पूजा-विधि और चांद निकलने का समय
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चैतन्य भारत न्यूज सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण होता है और उन्हें इस व्रत का साल भर इंतजार रहता है। इस साल करवा चौथ व्रत 4 नवंबर को पड़ रहा है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और शाम के समय शिव परिवार की पूजा करती हैं। लेकिन इस व्रत का पारण चांद देखने के बाद किया जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत के नियम, सामग्री, पूजा-विधि और चांद निकलने का समय। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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करवा चौथ व्रत के नियम इस व्रत को सूर्योदय से पहले शुरू कर चांद निकलने तक रखा जाता है। इस व्रत में चंद्रमा के दर्शन कर उसे अर्घ्य देना जरूरी होता है। इस व्रत में सांस अपनी बहू को सरगी देती है, जिससे व्रत वाले दिन बहुएं अपने व्रत की शुरुआत करती हैं। इस दिन शाम के समय शुभ मुहूर्त में चांद निकलने से पहले पूरे शिव परिवार की पूजा की जाती है। फिर चांद निकलने के बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं।
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करवा चौथ व्रत पूजन सामग्री पीतल या मिट्टी का करवा, दीपक, कपूर, हल्दी, पानी का लोटा, गेहूं, लकड़ी का आसन, चलनी, कांस की 9 या 11 तीलियां, कच्चा दूध, अगरबत्ती, फूल, चंदन, शहद, शक्कर, फल, मिठाई, दही, गंगाजल, चावल, सिंदूर, महावर, मेहंदी, चूड़ी, कंघी, बिंदी, चुनरी, प्रसाद के हलुआ पूड़ी व मिठाई और दक्षिणा के लिए रुपए।
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करवा चौथ व्रत पूजा-विधि सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करें और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें। पूजन के लिए संध्या के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें। इसमें 10 से 13 करवे रखें। एक थाली में धूप, दीप, चंदन, रोली, सिंदूर आदि रखे��� और घी का दीपक जलाएं। चंद्र-दर्शन के बाद पति के हाथ से जल और मीठा ग्रहण कर व्रत खोले।
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करवा चौथ पूजा मुहूर्त संध्या पूजा का शुभ मुहूर्त 4 नवंबर (बुधवार)- शाम 05 बजकर 34 मिनट से शाम 06 बजकर 52 मिनट तक। कहा जा रहा है कि चंद्रोदय शाम 7 बजकर 57 मिनट पर होगा। ये भी पढ़े... जानिए कब है शरद पूर्णिमा? इसका महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि त्योहारों से भरा है अक्टूबर का महीना, जानें किस दिन है दशहरा-दिवाली समेत कई महत्वपूर्ण तीज-त्योहार Read the full article
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chaitanyabharatnews · 4 years ago
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करवा चौथ की पूजा के ये हैं कुछ जरूरी नियम, जानिए व्रत की पूजा-विधि और चांद निकलने का समय
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चैतन्य भारत न्यूज सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण होता है और उन्हें इस व्रत का साल भर इंतजार रहता है। इस साल करवा चौथ व्रत 4 नवंबर को पड़ रहा है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और शाम के समय शिव परिवार की पूजा करती हैं। लेकिन इस व्रत का पारण चांद देखने के बाद किया जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत के नियम, सामग्री, पूजा-विधि और चांद निकलने का समय। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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करवा चौथ व्रत के नियम इस व्रत को सूर्योदय से पहले शुरू कर चांद निकलने तक रखा जाता है। इस व्रत में चंद्रमा के दर्शन कर उसे अर्घ्य देना जरूरी होता है। इस व्रत में सांस अपनी बहू को सरगी देती है, जिससे व्रत वाले दिन बहुएं अपने व्रत की शुरुआत करती हैं। इस दिन शाम के समय शुभ मुहूर्त में चांद निकलने से पहले पूरे शिव परिवार की पूजा की जाती है। फिर चांद निकलने के बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं।
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करवा चौथ व्रत पूजन सामग्री पीतल या मिट्टी का करवा, दीपक, कपूर, हल्दी, पानी का लोटा, गेहूं, लकड़ी का आसन, चलनी, कांस की 9 या 11 तीलियां, कच्चा दूध, अगरबत्ती, फूल, चंदन, शहद, शक्कर, फल, मिठाई, दही, गंगाजल, चावल, सिंदूर, महावर, मेहंदी, चूड़ी, कंघी, बिंदी, चुनरी, प्रसाद के हलुआ पूड़ी व मिठाई और दक्षिणा के लिए रुपए।
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करवा चौथ व्रत पूजा-विधि सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करें और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें। पूजन के लिए संध्या के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें। इसमें 10 से 13 करवे रखें। एक थाली में धूप, दीप, चंदन, रोली, सिंदूर आदि रखें और घी का दीपक जलाएं। चंद्र-दर्शन के बाद पति के हाथ से जल और मीठा ग्रहण कर व्रत खोले।
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करवा चौथ पूजा मुहूर्त संध्या पूजा का शुभ मुहूर्त 4 नवंबर (बुधवार)- शाम 05 बजकर 34 मिनट से शाम 06 बजकर 52 मिनट तक। कहा जा रहा है कि चंद्रोदय शाम 7 बजकर 57 मिनट पर होगा। ये भी पढ़े... जानिए कब है शरद पूर्णिमा? इसका महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि त्योहारों से भरा है अक्टूबर का महीना, जानें किस दिन है दशहरा-दिवाली समेत कई महत्वपूर्ण तीज-त्योहार Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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आज है करवा चौथ व्रत, जानें करवा और छलनी समेत इन 5 चीजों का महत्व
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चैतन्य भारत न्यूज करवा चौथ के त्‍योहार में पूजा पाठ की बहुत ही अहम भूमिका होती है। महिलाएं सारे दिन निर्जला व्रत रखकर शाम को चांद की पूजा कर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलती हैं। मान्यता है कि करवा चौथ के व्रत की पूजा के दौरान 16 श्रृंगार से सजना शुभ होता है। इसके अलावा भी करवाचौथ की पूजा में इन 5 जरूरी चीजों का बहुत महत्‍व होता है। आइए जानते हैं कौन सी वे चीजें। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); करवा माता की तस्वीर
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करवा माता की तस्वीर अन्य देवियों की तुलना में बहुत अलग होती है। इनकी तस्वीर में ही भारतीय पुरातन संस्कृति और जीवन की झलक मिलती है। चंद्रमा और सूरज की उपस्थिति उनके महत्व का वर्णन करती है। करवा माता की पूजा करने और कथा सुनने के बाद ही व्रत का फल प्राप्त होता है। छलनी का महत्व
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हिंदू धर्म के मुताबिक, चांद को ब्रह्मा का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि चांद के वरदान से इंसान को लंबी आयु मिलती है। चांद को सुंदरता, शीतलता, प्यार, सिद्धी और प्रसिद्धी के लिए पूजा जाता है। इसलिए करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं छलनी से पहले चांद देखती हैं फिर अपने पति का चेहरा। वह चांद को देखकर यह कामना करती हैं कि उनके पति में भी चांद जैसे सारे गुण आ जाएं। लोटे का महत्व
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लोटा करवा चौथ व्रत में चंद्रदेव ���ो अर्घ्य देने के लिए जरूरी होता है। पूजा के दौरान लोटे में जल भरकर रखते हैं। यह जल चंद्रमा को हमारे भाव समर्पित करने का एक माध्यम है। दीपक का महत्व
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हिंदू धर्म में कोई भी पूजा दीपक के बिना पूरी नहीं होती। वहीं करवा चौथ की इस पूजा में दीपक की लौ, जीवन ज्योति का प्रतीक होती है। पूजा थाली में दीपक इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह हमारे ध्यान को केंद्रित कर एकाग्रता बढ़ाता है। करवे का महत्व
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करवा चौथ में इस्तेमाल किया जाने वाला करवा काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मिट्टी का बना टोंटीदार बर्तन होता है। दरअसल मिट्टी को पंच तत्व का प्रतीक माना गया है। करवे को मिट्टी को पानी में गला कर बनाते हैं जो भूमि तत्व और जल तत्व का प्रतीक है। उसे बनाकर धूप और हवा से सुखाया जाता है जो आकाश तत्व और वायु तत्व के प्रतीक हैं फिर आग में तपाकर बनाया जाता है। इस तरह करवा पांच तत्व का प्रतीक माना गया है। करवा चौथ व्रत की पूजा इसके बगैर अधूरी मानी जाती है क्योंकि इसी करवे से पत्नी, पति के हाथों पानी पीकर व्रत खोलती है। ये भी पढ़े... आखिर क्यों करवा चौथ पर चंद्रमा को दिया जाता है अर्घ्य? जानिए इसके मंत्र और लाभ सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास है इस बार का करवा चौथ, 70 साल बाद बन रहा है यह अद्भुत संयोग सुहागिन महिलाएं करवा चौथ पर भूलकर भी न करें ये गलतियां कब है करवा चौथ? जानिए व्रत की पूजा-विधि और चांद निकलने का समय Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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इसलिए करवा चौथ पर चांद को छलनी से निहारती हैं सुहागिन महिलाएं
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चैतन्य भारत न्यूज करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस बार करवा चौथ व्रत 17 अक्टूबर को पड़ रहा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं ना सिर्फ व्रत करती है बल्कि पूरे साज और 16 श्रृंगार के साथ चांद की पूजा भी करती हैं। चांद को अर्घ्य देने के बाद वो छलनी से चांद को देखती हैं और फिर उसी छलनी से अपने पति की सूरत निहारती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि करवा चौथ पर चांद को छलनी से क्यों देखा जाता है? अगर नही तो चलिए जानते हैं इसके पीछे की वजह। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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इसलिए देखा जाता छलनी से चांद हिंदू धर्म के मुताबिक, चांद को ब्रह्मा का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि चांद के वरदान से इंसान को लंबी आयु मिलती है। चांद को सुंदरता, शीतलता, प्यार, सिद्धी और प्रसिद्धी के लिए पूजा जाता है। इसलिए करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं छलनी से पहले चांद देखती हैं फिर अपने पति का चेहरा। वह चांद को देखकर यह कामना करती हैं कि उनके पति में भी चांद जैसे सारे गुण आ जाएं।
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पौराणिक कथा पौराणिक कथा के मुताबिक, प्राचीन काल में एक साहूकार था जिसके सात पुत्र और एक पुत्री थी। बड़े होने पर साहूकार ने अपनी पुत्री का विवाह कर दिया। विवाह के बाद उसकी पुत्री ने अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा। रात में जब उसके सभी भाई भोजन करने बैठे तब उन्होंने अपनी बहन से भी साथ बैठकर भोजन करने के लिए कहा। तब बहन ने कहा कि, चांद निकलने पर उसे अर्घ्य देकर मैं भोजन करुंगी।
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भाइयों से बहन की ऐसी हालत देखी नहीं गई तो उन्होंने चांद के निकलने से पहले ही एक पेड़ पर चढ़कर छलनी के पीछे एक जलता हुआ दीपक रखकर बहन से कहा कि, चांद निकल आया है। बहन ने भाइयों की बात मान ली और दीपक को चांद समझकर अपना व्रत खोल लिया और व्रत खोलने के बाद उनके पति की मुत्यु हो गई और ऐसा कहा जाने लगा कि असली चांद को देखे बिना व्रत खोलने की वजह से ही उनके पति की मृत्यु हुई थी। ऐसा छल किसी और सुहागिन के साथ ना हो इसलिए छलनी से दीया रखकर चांद देखने की प्रथा शुरू हुई। ये भी पढ़े... आखिर क्यों करवा चौथ पर चंद्रमा को दिया जाता है अर्घ्य? जानिए इसके मंत्र और लाभ सुहागिन महिलाएं करवा चौथ पर भूलकर भी न करें ये गलतियां सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास है इस बार का करवा चौथ, 70 साल बाद बन रहा है यह अद्भुत संयोग   Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास है इस बार का करवा चौथ, 70 साल बाद बन रहा है यह अद्भुत संयोग
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चैतन्य भारत न्यूज करवा चौथ सुहागिन महिलाओं का सबसे बड़ा पर्व है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चांद देखने के बाद अपना व्रत खोलती हैं। इस बार करवा चौथ व्रत 17 अक्टूबर (गुरुवार) को पड़ रहा है। कहा जा रहा है कि इस करवा चौथ बेहद ही शुभ संयोग बन रहा है जिसके चलते सुहागिन महिलाओं को विशेष लाभ प्राप्त होगा। आइए जानते हैं करवा चौथ व्रत के इस दुर्लभ संयोग के बारे में। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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करवा चौथ का शुभ संयोग इस बार करवा चौथ पर पूरे 70 साल बाद मंगल योग बन रहा है। ज्‍योतिषियों का कहना है कि साल 2019 के करवा चौथ में रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का योग है, जिसे बेहद फलदाई माना जाता है। रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहिणी का योग होने से मार्कण्डेय और सत्याभामा योग इस करवा चौथ पर बन रहा है।
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खास बात यह है कि पहली बार करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए ये व्रत बहुत अच्छा है। ज्‍योतिषियों के मुताबिक, यह योग चंद्रमा की 27 पत्नियों में सबसे प्रिय पत्नी रोहिणी के साथ होने से बन रहा है। जिसके चलते पति के लिए व्रत रखने वाली सुहागिनों के लिए यह फलदायी होगा। ऐसा योग भगवान श्री कृष्ण और सत्यभामा के मिलन के समय ही बना था।
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करवा चौथ पूजन सामग्री  करवा चौथ के व्रत की पूजन सामग्री में पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्‍चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी,  हल्‍दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के पैसे शामिल करना जरुरी है। ये भी पढ़े... सुहागिन महिलाएं करवा चौथ पर भूलकर भी न करें ये गलतियां कब है करवा चौथ? जानिए व्रत की पूजा-विधि और चांद निकलने का समय Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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सुहागिन महिलाएं करवा चौथ पर भूलकर भी न करें ये गलतियां
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चैतन्य भारत न्यूज करवा चौथ व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। करवा चौथ में हर पत्नी अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती है। इस बार चांद को पूजने का ये व्रत 17 अक्टूबर को पड़ रहा है। इस दौरान सुहागिन महिलाओं को कई सारी बातों का भी ध्यान रखना पड़ता है। आइए जानते हैं वो चीजें जो करवा चौथ के दिन महिलाओं को भूलकर भी नहीं करना चाहिए। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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सफेद साड़ी पहनने से बचें हिंदू धर्म के मुताबिक, विवाहित महिलाओं के लिए सफेद रंग अशुभ माना जाता है। इसलिए करवा चौथ के दिन सफेद रंग के किसी भी कपड़े को न पहनें। इस दिन आप लाल रंग के कपड़ों को पहन सकती हैं। दरअसल लाल रंग सुहाग की निशानी होता है जिसे शुभ माना जाता है।
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न पहनें काली चूड़ियां भूलकर भी करवाचौथ पर आप काले रंग की चूड़ियां न पहनें। ऐसा करना आपके लिए अशुभ भी हो सकता है। दरअसल काले रंग को अशुभ का प्रतीक माना जाता है इसलिए किसी शुभ कार्य के दौरान काले रंग की चीजों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
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पैरों में न पहने सोना हिंदू मान्यताओं में सोने की बेहद मान्यता है। कहा जाता है कि, सोने को कभी पैरों में नहीं पहना जाता है। दरअसल सोने को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। इसलिए करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं पैरों में किसी भी रूप में सोना धारण न करें। ये भी पढ़े... कब है करवा चौथ? जानिए व्रत की पूजा-विधि और चांद निकलने का समय त्योहारों से भरा है अक्टूबर का महीना, जानें किस दिन है दशहरा-दिवाली समेत कई महत्वपूर्ण तीज-त्योहार साप्ताहिक राशिफल : इन पांच राशियों लिए बेहद खास है यह सप्‍ताह, जानिए अपना भाग्य Read the full article
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