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chaitanyabharatnews · 5 years
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45 करोड़ के घाटे में यूनिवर्सिटी, छात्रों पर 2.79 करोड़ रुपए बकाया, फीस बढ़ाने काे लेकर झूठा अभियान : JNU
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चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. हॉस्टल की फीस में वृद्धि और कुछ नियमों में बदलाव को लेकर जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्रों का विरोध जारी है। गुरुवार को यूनिवर्सिटी ने स्पष्ट किया है कि, संस्थान 45 करोड़ रुपए के घाटे में है। ठेका श्रमिकों के वेतन, बिजली और पानी के बिलों का बोझ बढ़ गया है। इसलिए हॉस्टल के लिए सर्विस चार्ज लगाना जरूरी हो गया है। साथ ही यूनिवर्सिटी ने इस मामले पर झूठ फैलाने का अभियान चलाने का भी आरोप लगाया है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); चार दशकों से नहीं बढ़ाई एडमिशन फीस  जेएनयू प्रशासन ने इस बारे में कहा कि, 'हॉस्टल फीस में इजाफे को लेकर गलत सूचना देने का अभियान चलाया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि इससे काफी संख्या में गरीब छात्र प्रभावित होंगे। जबकि वास्तविकता यह है कि पहले सर्विस चार्ज नहीं लिया जाता था। नुकसान को देखते हुए अब चार्ज लेने का निर्णय लिया गया है। जेएनयू में अभी भी अन्य केंद्रीय यूनिवर्सिटी से कम पैसे लिए जा रहे हैं। यहां छात्रों से डेवलपमेंट फीस नहीं ली जाती। चार दशकों से एडमिशन फीस में भी वृद्धि नहीं की गई।' JNU: There is misinformation campaign which says that there is massive hostel fee hike. In reality, service charges are being levied, which have been zero so far. For sustainability of budget which has run into huge deficit, it's necessary to levy service charges in hostel. https://t.co/1SXWexaliU — ANI (@ANI) November 22, 2019 ठेका श्रमिकों को अपने संसाधन से देना होगा वेतन: यूजीसी  इस विवाद को लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ठेका श्रमिकों का वेतन संस्थान के बजट से देने की अनुमति नहीं दे रहा। यूनिवर्सिटी ने बताया कि, ‘यूजीसी ने विश्वविद्यालय को साफ निर्देश दिया है कि गैर वेतन खर्चे की व्यवस्था आंतरिक स्रोतों से की जाए। ऐसे में छात्रों से सुविधा शुल्क वसूलने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।’ छात्रों पर 2.79 करोड़ रुपए बकाया यूनिवर्सिटी प्रशासन ने हॉस्टल के उन छात्रों की सूची भी जारी की है जिनपर करीब 2.79 करोड़ रुपए का बकाया है। जानकारी के मुताबिक, सामान्य वर्ग के छात्रों को करीब 4,500 रुपए महीने का भुगतान करना होगा। गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) श्रेणी वाले विद्यार्थियों को भोजन शुल्क छोड़कर बाकी बची 2,200 रुपए में 50% की छूट दी जाएगी। इस प्रकार गरीबी रेखा से नीचे के छात्रों को हर महीने करीब 3,400 रुपए देना होगा। बता दें जेएनयू हॉस्टल में करीब 6000 छात्र रहते हैं। ये भी पढ़े... जेएनयू : छात्रों के प्रदर्शन के आगे झुकी सरकार, जानें पहले क्या थी और अब कितनी बढ़ी फीस? दिल्लीः जेएनयू से बाहर आया फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन, गुस्साए छात्रों ने किया जमकर हंगामा JNU : दृष्टिहीन छात्र ने कहा- ‘मैं अंधा हूं मुझे मत मारो’ फिर भी लाठियों से पीटते रहे पुलिसवाले, बोले- अंधे हो तो प्रोटेस्ट में आए क्यों? Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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JNU : दृष्टिहीन छात्र ने कहा- ‘मैं अंधा हूं मुझे मत मारो’ फिर भी लाठियों से पीटते रहे पुलिसवाले, बोले- अंधे हो तो प्रोटेस्ट में आए क्यों?
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चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. राजधानी दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में हॉस्टल फीस में हुई बढ़ोतरी और नए हॉस्टल नियमों को लेकर हो रहा विवाद अब भी जारी है। पहले सड़क पर प्रदर्शन, फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस में जेएनयू प्रशासन पर बरसने के बाद छात्र अब भी अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। बता दें जब छात्र दिल्ली की सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे थे, तब दिल्ली पुलिस ने उनपर लाठीचार्ज किया। इस दौरान एक दृष्टिहीन छात्र शशिभूषण पांडे भी घायल हुए। बताया जा रहा है कि पुलिस ने उस छात्र को लाठियों से इतना पीटा कि उसे एम्स (AIIMS) के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराना पड़ा। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); This is a video of Shashi Bhushan Pandey, the visually challenged JNUSU Councillor who beaten up, from the protest yesterday. He can be seen removing his glasses to show the police he can't see. But they still drag him on. pic.twitter.com/6iNjRRYkwQ — Anya Shankar (@AnyaShankar) November 19, 2019 जानकारी के मुताबिक, इतिहास विभाग में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे शशिभूषण ने पुलिस को बताया भी था कि वह देख नहीं सकते हैं और उन्हें न मारें, बावजूद इसके उन्हें मारा गया। जब उन्होंने वहां से भागने की कोशिश की तो पुलिस ने उनके पैरों पर लाठियां मारी। शशिभूषण के मुताबिक, 'जिस युवक ने मेरी मदद की और मुझे अस्पताल तक लाया उसे भी पीटा गया।' इसके बाद जेएनयू के दिव्यांग छात्रों ने बुधवार को इस घटना के विरोध में दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करने की बात कही है।
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  'जो सबको शिक्षा दे न सके जो वो सरकार निकम्मी है' शशि ने मीडिया को बताया कि, 'जब मैंने पुलिसकर्मियों को जानकारी दी कि मैं देख नहीं सकता तो उनमें से एक ने कहा कि अंधा है तो प्रोटेस्ट करने क्यों आता है?' उन्होंने आगे कहा कि, 'देशभर की कई यूनिवर्सिटी अब जेएनयू के साथ इस लड़ाई में खड़ी हैं। हम शिक्षा का निजीकरण नहीं होने देंगे। जेएनयू में पढ़ने वाले छात्र दिल्ली के नहीं हैं। वे यूपी, बिहार, झारखंड और देश के अन्य इलाकों से यहां आते हैं। क्या आप यह कहना चाहते हैं कि यह जगह देशद्रोही बनना सिखाती है?' उन्होंने यह भी कहा कि, 'हम अपनी लड़ाई लड़ते रहेंगे और हमारा नारा है- 'सबको शिक्षा दे न सके जो वो सरकार निकम्मी है, जो सरकार निक्कमी है वो सरकार बदलनी है।''
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विजुअली चैलेंज्ड स्टूडेंट्स फोरम ने की पुलिस की निंदा जानकारी के मुताबिक, जेएनयू के विजुअली चैलेंज्ड स्टूडेंट्स फोरम ने छात्रों के साथ कथित तौर पर हुई मारपीट के बाद दिल्ली पुलिस की निंदा की। साथ ही उन्होंने इस बात पर दुख जताया है कि, 'किस तरह से पुलिसकर्मियों ने शशि की छाती और पेट पर लात मारी और उसके बाद उसे सड़क पर छोड़ दिया। उनको किसी भी पुलिसकर्मी ने अस्पताल पहुंचाने के बारे में भी नहीं सोचा।'
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नहीं हुई शिकायत दर्ज जब इस पूरे घटनाक्रम के बारे में दिल्ली पुलिस के डीसीपी (सेंट्रल) मंदीप सिंह रंधावा से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि, 'दिल्ली पुलिस ने ‌किसी भी प्रकार का बल प्रयोग नहीं किया है। उन्होंने कहा कि, 'यदि इस संबंध में ��ोई शिकायत दर्ज की गई होगी तो वे इस मामले को जरूर देखेंगे।'
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छात्रों की हुंकार- नहीं झुकेंगे गौरतलब है कि हॉस्टल फीस की बढ़ोतरी को वापस लेने पर छात्र पिछले कई दिनों से अड़े हुए हैं। छात्र संघ ने ऐलान भी कर दिया है कि, जबतक बढ़ी हुई फीस पूरी तरह वापस नहीं होती है, तबतक आंदोलन जारी रहेगा और वह प्रदर्शन करते रहेंगे। ये भी पढ़े... JNU विवाद : हजारों छात्रों का संसद तक पैदल मार्च शुरू, तोड़ी पुलिस बैरिकेडिंग, संसद के आसपास धारा-144 लागू जेएनयू : छात्रों के प्रदर्शन के आगे झुकी सरकार, जानें पहले क्या थी और अब कितनी बढ़ी फीस? दिल्लीः जेएनयू से बाहर आया फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन, गुस्साए छात्रों ने किया जमकर हंगामा Read the full article
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