#ganeshkedhumravarnaroopkistory
Explore tagged Tumblr posts
Text
तो इसलिए भगवान गणेश को लेना पड़ा 'धूम्रवर्ण' अवतार, जानें इसका रहस्य
![Tumblr media](https://64.media.tumblr.com/7b368ba0997551aa67c109c70b144e1d/50d93900184f75f0-5d/s540x810/d8a9dd18a5e470285529f49e882c38e4a62162fe.jpg)
चैतन्य भारत न्यूज 22 अगस्त से गणेश उत्सव की शुरुआत हो गई है। आज गणेश विसर्जन का दिन है। बता दें भगवान गणेश के कुल 8 स्वरुप हैं। इनमें से आठवां स्वरुप 'धूम्रवर्ण' है। यह अवतार अभिमानासुर का वध करने वाला है। लेकिन भगवान गणेश को क्यों धूम्रवर्ण कहा जाता है? आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी-
धूम्रवर्ण क्यों बने गणेश? पुराणों में बताया गया कि एक बार श्री ब्रह्मा जी ने सूर्य देव को कर्म अध्यक्ष का पद दिया। सूर्यदेव पद के प्राप्त होते ही अहम भाव में आ गए। एक बार सूर्य देव को छींक आ गई उससे एक विशाल बलशाली दैत्य अहंतासुर प्रकट हुआ। दैत्य होने के कारण वह शुक्राचार्य का शिष्य बना दैत्यगुरु ने अहंतासुर को श्री गणेश के मंत्र की दीक्षा दी। अहंतासुर ने वन में जाकर श्री गणेश की भक्ति भाव से पूर्ण निष्ठा से कठोर तपस्या करने लगा। उसी कठिन तपस्या के बाद भगवान श्री गणेश प्रकट हुए और अहंतासुर से वर मांगने को कहा।
अहंतासुर ने श्री गणेश के सामने ब्रह्माण्ड के राज्य के साथ-साथ सदेव अमरता और अजेय होने का वरदान मांगा। श्री गणेश वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए। कुछ समय बाद अहंतासुर ने एक बार विश्वविजय की योजना बनाई। पृथ्वी अहंतासुर के अधीन हो गई। अहंतासुर ने स्वर्ग पर भी आक्रमण कर दिया। देवता भी उसके समक्ष ज्यादा न टिक पाए। समस्त देवी देवता विस्थापित होकर दर-दर भटकने लगे। अहंतासुर के भय से मुक्ति पाने के लिए देवताओं ने श्री गणेश की उपासना की। कठोर तपस्या के बाद गणेश प्रकट हुए।
सभी देवी देवताओं ने श्री गणेश को समस्त व्यथा सुनाई तब श्री गणेश ने सभी को उनके कष्टों को दूर करने का वचन दिया। इस बीच गणेश ने देवर्षि नारद के माध्यम से अहंतासुर के पास समाचार भेजा कि वह श्री धूमवर्ण गणेश की शरण में आ जाए नही तो उसकी म्रत्यु निश्चित है। लेकिन अहंतासुर नही माना। नारद से समस्त कहानी सुनकर श्री धूम्रवर्ण गणेश क्रोधित हो गए और अपना पाश असुर सेना पर छोड़ दिया। श्री धूम्रवर्ण की अपर शक्तियां देखकर अहंतासुर तुरंत धूम्रवर्ण शरण में जाकर क्षमा याचना करने लगा। दयालु श्री धूम्रवर्ण श्री गणेश प्रसन्न हो गए और अहंतासुर को क्षमा कर दिया। इसके बाद से भगवान गणेश के आठवें अवतार श्री धूम्रवर्ण की जय जयकार होने लगी। ये भी पढ़े... भगवान गणेश क्यों कहलाएं लंबोदर जानिए इस अवतार की महिमा इस देश में भभकते ज्वालामुखी पर पिछले 700 साल से विराजमान हैं भगवान गणेश आखिर क्यों भगवान गणेश को लेना पड़ा था विघ्नराज अवतार? जानिए इसकी महिमा Read the full article
#bhagwanganesh#bhagwanganeshkeroop#dhumravarnaganpati#ganeshchaturthi2020#ganeshkadhumravarnaroop#ganeshkedhumravarnaavtarakimahima#ganeshkedhumravarnaroopkikahani#ganeshkedhumravarnaroopkistory#धूम्रवर्ण
0 notes
Text
तो इसलिए भगवान गणेश को लेना पड़ा 'धूम्रवर्ण' अवतार, जानें इसका रहस्य
![Tumblr media](https://64.media.tumblr.com/7b368ba0997551aa67c109c70b144e1d/03b7d76f8b9dc549-26/s540x810/e3f1d9761a0e01ac6a24198b81874bb4f2248090.jpg)
चैतन्य भारत न्यूज 2 सितंबर से गणेश उत्सव की शुरुआत हो गई है। प्रत्येक घर में गणेश जी के अलग-अलग स्वरूपों की स्थापना की जाती है। बता दें भगवान गणेश के कुल 8 स्वरुप हैं। इनमें से आठवां स्वरुप 'धूम्रवर्ण' है। यह अवतार अभिमानासुर का वध करने वाला है। लेकिन भगवान गणेश को क्यों धूम्रवर्ण कहा जाता है? आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी-
धूम्रवर्ण क्यों बने गणेश? पुराणों में बताया गया कि एक बार श्री ब्रह्मा जी ने सूर्य देव को कर्म अध्यक्ष का पद दिया। सूर्यदेव पद के प्राप्त होते ही अहम भाव में आ गए। एक बार सूर्य देव को छींक आ गई उससे एक विशाल बलशाली दैत्य अहंतासुर प्रकट हुआ। दैत्य होने के कारण वह शुक्राचार्य का शिष्य बना दैत्यगुरु ने अहंतासुर को श्री गणेश के मंत्र की दीक्षा दी। अहंतासुर ने वन में जाकर श्री गणेश की भक्ति भाव से पूर्ण निष्ठा से कठोर तपस्या करने लगा। उसी कठिन तपस्या के बाद भगवान श्री गणेश प्रकट हुए और अहंतासुर से वर मांगने को कहा।
अहंतासुर ने श्री गणेश के सामने ब्रह्माण्ड के राज्य के साथ-साथ सदेव अमरता और अजेय होने का वरदान मांगा। श्री गणेश वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए। कुछ समय बाद अहंतासुर ने एक बार विश्वविजय की योजना बनाई। पृथ्वी अहंतासुर के अधीन हो गई। अहंतासुर ने स्वर्ग पर भी आक्रमण कर दिया। देवता भी उसके समक्ष ज्यादा न टिक पाए। समस्त देवी देवता विस्थापित होकर दर-दर भटकने लगे। अहंतासुर के भय से मुक्ति पाने के लिए देवताओं ने श्री गणेश की उपासना की। कठोर तपस्या के बाद गणेश प्रकट हुए।
सभी देवी देवताओं ने श्री गणेश को समस्त व्यथा सुनाई तब श्री गणेश ने सभी को उनके कष्टों को दूर करने का वचन दिया। इस बीच गणेश ने देवर्षि नारद के माध्यम से अहंतासुर के पास समाचार भेजा कि वह श्री धूमवर्ण गणेश की शरण में आ जाए नही तो उसकी म्रत्यु निश्चित है। लेकिन अहंतासुर नही माना। नारद से समस्त कहानी सुनकर श्री धूम्रवर्ण गणेश क्रोधित हो गए और अपन�� पाश असुर सेना पर छोड़ दिया। श्री धूम्रवर्ण की अपर शक्तियां देखकर अहंतासुर तुरंत धूम्रवर्ण शरण में जाकर क्षमा याचना करने लगा। दयालु श्री धूम्रवर्ण श्री गणेश प्रसन्न हो गए और अहंतासुर को क्षमा कर दिया। इसके बाद से भगवान गणेश के आठवें अवतार श्री धूम्रवर्ण की जय जयकार होने लगी। ये भी पढ़े... भगवान गणेश क्यों कहलाएं लंबोदर जानिए इस अवतार की महिमा इस देश में भभकते ज्वालामुखी पर पिछले 700 साल से विराजमान हैं भगवान गणेश आखिर क्यों भगवान गणेश को लेना पड़ा था विघ्नराज अवतार? जानिए इसकी महिमा Read the full article
#bhagwanganesh#bhagwanganeshkeroop#dhumravarnaganpati#ganeshchaturthi2019#ganeshkadhumravarnaroop#ganeshkedhumravarnaavtarakimahima#ganeshkedhumravarnaroopkikahani#ganeshkedhumravarnaroopkistory
0 notes