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दिवाली 2024: कब है त्योहार का प्रमुख दिन?
दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत और दुनिया भर में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह प्रकाश, समृद्धि, और खुशी का प्रतीक है। दिवाली का पर्व हर साल कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है, और 2024 में यह पर्व 11 नवंबर (शनिवार) को मनाया जाएगा। त्योहार की विशेषताएँ दिवाली का पर्व पांच दिनों तक चलता है, जिसमें विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के अनुसार पूजा की जाती है। इन दिनों…
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धनतेरस पूजा विधि, आरती और मंत्र- 2023 | Dhanteras Puja Vidhi
धनतेरस पर माता लक्ष्मी, गणेशजी, कुबेर देवता और धन्वंतरि जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। शास्त्रों मे इस दिन की जाने वाली विधिवत पूजा के लिए प्रदोष काल को अतिशुभ माना जाता है।
मुख पृष्ठ पोस्ट धनतेरस पूजा विधि, आरती और मंत्र धनतेरस पूजा विधि, आरती और मंत्र हमारे देश हिन्दुस्तान में धनतेरस को बहुत श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस शुभ दिन को सभी लोग अपने घरों की साफ सफाई करके इसे जगमग रोशनी से सराबोर कर देते हैं। धनतेरस पर माता लक्ष्मी, गणेशजी, कुबेर देवता और धन्वंतरि जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। शास्त्रों मे इस दिन की जाने वाली विधिवत पूजा के लिए प्रदोष काल…
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धनतेरस की कथा DHANTERAS KI KATHA
धनतेरस से जुड़ी कथा है कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन देवताओं के कार्य में बाधा डालने के कारण भगवान विष्णु ने असुरों के गुरु शुक्राचार्य की एक आंख फोड़ दी थी। कथा के अनुसार , देवताओं को राजा बलि के भय से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंच गए। शुक्राचार्य ने वामन रूप में भी भगवान विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि से आग्रह किया कि वामन कुछ भी…
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धनतेरस के दिन क्यों जलाते हैं यम का दीपक? यहां जानिए विशेष कथा
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धनतेरस के दिन क्यों जलाते हैं यम का दीपक? यहां जानिए विशेष कथा
कहानी : चित्रेश
देश के अधिकांश भागों में ‘यम’ के नाम पर दीपदान की परंपरा है। दीपावली के दो दिन पूर्व धन्वंतरि-त्रयोदशी के सायंकाल मिट्टी का कोरा दीपक लेते हैं। उसमें तिल का तेल डालकर नवीन रूई की बत्ती रखते हैं और फिर उसे प्रकाशित कर, दक्षिण की तरह मुंह करके मृत्यु के देवता यम को समर्पित करते हैं। तत्पश्चात इसे दरवाजे के बगल में अनाज की ढेरी पर रख देते हैं। प्रयास यह रहता है कि यह रातभर जलता रहे, बुझे नहीं। क्यों प्रकाशित करते हैं यह दीपक? क्या है इसका रहस्य? इस संबंध में एक रोचक और सुन्दर पुराण कथा मिलती है।
कहते हैं, बहुत पहले हंसराज नामक एक प्रतापी राजा था। एक बार वह अपने मित्रों, सैनिकों और अंगरक्षकों के साथ जंगल में शिकार खेलने गया। संयोग से राजा सबसे बिछुड़कर अकेला रह गया और भटकते हुए एक अन्य राजा हेमराज के राज्य में पहुंच गया।
हेमराज ने थके-हारे हंसराज का भव्य स्वागत किया। उसी रात हेमराज के यहां पुत्र जन्म हुआ। इस खुशी के अवसर पर हेमराज ने राजकीय उत्सव में सम्मिलित होने के लिए आग्रह के साथ हंसराज को कुछ दिनों के लिए अपने यहां रोक लिया। बच्चे के छठवीं के दिन एक विचित्र घटना घटी। पूजा के समय देवी प्रकट हुई और बोली- आज इस शिशु की जो इतनी खुशियां मनाई जा रही हैं, यह अपने विवाह के चौथे दिन मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा।
इस भविष्यवाणी से सारे राज्य में शोक छा गया। हेमराज और उसके परिजनों पर तो वज्रपात ही हो गया। सबके सब स्तब्ध रह गए। इस शोक के समय हंसराज ने राजा हेमराज और उसके परिवार को ढांढस दिया- मित्र, आप तनिक भी विचलित न हों। इस बालक की मैं रक्षा करूंगा। संसार की कोई भी शक्ति इसका बाल बांका नहीं कर सकेगी।
हंसराज ने यमुना के किनारे एक भूमिगत किला बनवाया और उसी के अंदर राजकुमार के पालन-पोषण की व्यवस्था कराई। इसके अतिरिक्त राजकुमार की प्राणरक्षा के लिए हंसराज ने सुयोग्य ब्राह्मणों से अनेक तांत्रिक अनुष्ठान, यज्ञ, मंत्रजाप आदि की भी व्यवस्था करा रखी थी। धीर-धीरे राजकुमार युवा हुआ। उसकी सुंदरता एवं तेजस्विता की चर्चा सर्वत्र फैल गई। राजा हंसराज के कहने से हेमराज ने राजकुमार का विवाह भी कर दिया। जिस राजकुमारी से युवराज का विवाह हुआ था, वह साक्षात लक्ष्मी लगती थी। ऐसी सुंदर वर-वधू की जोड़ी जीवन में किसी ने �� देखी थी।
विधि का विधान… विवाह के ठीक चौथे दिन यम के दूत राजकुमार के प्राण हरण करने आ पहुंचे। अभी राज्य में मांगलिक समारोह ही चल रहा था। राजपरिवार और प्रजाजन खुशियां मनाने में मग्न थे। राजकुमार और राजकुमारी की छवि देखकर यमदूत भी विचलित हो उठे, किंतु राजकुमार के प्राणहरण का अप्रिय कार्य उन्हें करना ही पड़ा।
यमदूत जिस समय राजकुमार के प्राण लेकर चले, उस समय ऐसा हाहाकार मचा और दारुण दृश्य उपस्थित हुआ जिससे द्रवित होकर दूत भी स्वयं रोने लगे।
इस घटना के कुछ समय पश्चात एक दिन यमराज ने प्रसन्न मुद्रा में अपने दूतों से पूछा- दूतों! तुम सब अनंत काल से पृथ्वी के जीवों का प्राणहरण करते आ रहे हो, क्या तुम्हें कभी किसी जीव पर दया आई है और मन में यह विचार उठा है कि इसे छोड़ देना चाहिए?
यम के दूत एक-दूसरे का मुंह देखने लगे। यमराज ने उनके संकोच को भांपकर उन्हें उत्साहित किया- झिझको मत, अगर ऐसा प्रसंग आया हो, तो निर्भय होकर बताओ।
इस पर एक दूत ने सिर झुकाकर निवेदन किया- मृत्युदेव, ऐसे प्रसंग तो कम ही आए हैं किंतु एक घटना अवश्य हुई है जिसकी स्मृति मुझे आज भी विह्वल कर देती है। यह कहते हुए दूत ने हेमराज के पुत्र के प्राणहरण की घटना सुना दी। इस दु:खद प्रसंग से यमराज भी विचलित हो उठे। इसे लक्ष्य करके दूत बोला- नाथ! क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे इस प्रकार की अकाल मृत्यु से प्राणियों को छुटकारा मिल जाए?
इस पर यमराज ने कहा- जीवन और मृत्यु सृष्टि का अटल नियम है तथा इसे बदला नहीं जा सकता किंतु धनतेरस को पूरे दिन का व्रत और यमुना में स्नान कर धन्वंतरि और यम का पूजन-दर्शन अकाल मृत्यु से बचाव कर सकता है। यदि यह संभव न हो तो भी संध्या के समय घर के प्रवेश द्वार पर यम के नाम का एक दीपक प्रज्वलित करना चाहिए। इससे असामयिक मृत्यु और रोग से मुक्त जीवन प्राप्त किया जा सकता है।
इसके पश्चात से ही धनतेरस के दिन धन्वंतरि के पूजन और प्रवेश द्वार पर यम दीपक प्रज्वलित करने की परंपरा है।
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(via Dhanteras Ki Katha in Hindi, Dhanteras 2018 Puja Timing)
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धनतेरस की पौराणिक कथा- 1 | Dhanteras ki katha
कहते है प्रकृति जब स्वयं चाहती है तब ही कुछ घटनाऐ घटती है। और तब ही आप कुछ नया ज्ञान आपको सीखने को भी मिलता है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था आज से लगभग 22 से 25 बर्ष पहले। जब मै घनघोर अन्धेरे और विजली की गड़गड़ाहट के बीच अपने दादा के साथ चारपाई पर बैठा..
मुख पृष्ठ पोस्ट धनतेरस की पौराणिक कथा- 1 ।हिन्दी।।English। धनतेरस की पौराणिक कथा नमस्कार मित्रों! वैसे धनतेरस की अनेको कथाऐ प्रचलित है। परन्तु आज मै अपने दादा जी द्वारा सुनाई गई कथा आज आप तक पहुँचा रहा हूँ। कहते है प्रकृति जब स्वयं चाहती है तब ही कुछ घटनाऐ घटती है। और तब ही आप कुछ नया ज्ञान आपको सीखने को भी मिलता है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था आज से लगभग 22 से 25 बर्ष पहले। जब मै घनघोर…
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धनतेरस पूजा विधि, आरती और मंत्र- 2022 | Dhanteras Puja Vidhi
धनतेरस पर माता लक्ष्मी, गणेशजी, कुबेर देवता और धन्वंतरि जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। शास्त्रों मे इस दिन की जाने वाली विधिवत पूजा के लिए प्रदोष काल को अतिशुभ माना जाता है।
।मुख पृष्ठ।।पोस्ट।।धनतेरस पूजा विधि, आरती और मंत्र। धनतेरस पूजा विधि, आरती और मंत्र हमारे देश हिन्दुस्तान में धनतेरस को बहुत श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस शुभ दिन को सभी लोग अपने घरों की साफ सफाई करके इसे जगमग रोशनी से सराबोर कर देते हैं। धनतेरस पर माता लक्ष्मी, गणेशजी, कुबेर देवता और धन्वंतरि जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। शास्त्रों मे इस दिन की जाने वाली विधिवत पूजा के लिए प्रदोष काल…
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धनतेरस की पौराणिक कथा- 1 | Dhanteras ki katha
कहते है प्रकृति जब स्वयं चाहती है तब ही कुछ घटनाऐ घटती है। और तब ही आप कुछ नया ज्ञान आपको सीखने को भी मिलता है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था आज से लगभग 22 से 25 बर्ष पहले। जब मै घनघोर अन्धेरे और विजली की गड़गड़ाहट के बीच अपने दादा के साथ चारपाई पर बैठा..
धनतेरस की पौराणिक कथा नमस्कार मित्रों! वैसे धनतेरस की अनेको कथाऐ प्रचलित है। परन्तु आज मै अपने दादा जी द्वारा सुनाई गई कथा आज आप तक पहुँचा रहा हूँ। कहते है प्रकृति जब स्वयं चाहती है तब ही कुछ घटनाऐ घटती है। और तब ही आप कुछ नया ज्ञान आपको सीखने को भी मिलता है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था आज से लगभग 22 से 25 बर्ष पहले। जब मै घनघोर अन्धेरे और विजली की गड़गड़ाहट के बीच अपने दादा के साथ एक चारपाई…
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Vedic Astrology : Story of Dhanteras (Dhanteras ki Katha)
Vedic Astrology : Story of Dhanteras (Dhanteras ki Katha)
धनतेरस की कथा एक समय भगवान विष्णु मृत्युलोक में विचरण करने के लिए आ रहे थे, लक्ष्मी जी ने भी साथ चलने का आग्रह किया। विष्णु जी बोले- ‘यदि मैं जो बात कहूं, वैसे ही मानो, तो चलो।’ लक्ष्मी जी ने स्वीकार किया और भगवान विष्णु, लक्ष्मी जी सहित भूमण्डल पर आए। कुछ देर बाद एक स्थान पर भगवान विष्णु लक्ष्मी से बोले-‘जब तक मैं न आऊं, तुम यहाँ ठहरो। मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूं, तुम उधर मत देखना।’…
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