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विक्रम लैंडर की 'खोज' पर ISRO ने खारिज किया NASA का दावा, कहा- हम पहले ही ढूंढ चुके हैं अपना लैंडर
चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के. सिवन ने दावा किया है कि, उन्होंने पहले ही विक्रम लैंडर को ढूंढ लिया था। उन्होंने कहा कि, 'हमने अपनी वेबसाइट पर इसकी जानकारी पहले ही दे दी थी। आप जाकर जांच कर सकते हैं।' (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
चेन्नई के इंजीनियर ने ढूंढा विक्रम लैंडर बता दें 2 दिन पहले ही नासा के लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (LRO) ने चांद की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा तलाशने का दावा किया था। इसके बाद नासा ने ट्वीटर पर तस्वीर शेयर कर लिखा था कि, 'चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा क्रैश साइट से 750 मीटर दूर मिला है।' साथ ही नासा ने विक्रम लैंडर का मलबा ढूंढने का श्रेय चेन्नई के इंजीनियर शनमुगा सुब्रमण्यम को दिया है। नासा के मुताबिक, शनमुगा सुब्रमण्यम ने खुद लूनर रिकनाइसांस ऑर्बिटल कैमरा (एलआरओसी) से तस्वीरें डाउनलोड कीं। Indian Space Research Organisation (ISRO) Chief K Sivan on NASA finding Vikram Lander: Our own orbiter had located Vikram Lander, we had already declared that on our website, you can go back and see. (3.12.19) pic.twitter.com/zzyQWCDUIm — ANI (@ANI) December 4, 2019 इसरो ने नासा से मांगी रिपोर्ट शनमुगा सुब्रमण्यम ने मलबे की सकारात्मक पहचान के साथ एलआरओ प्रोजेक्ट से संपर्क किया। एलआरओसी एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी (एएसयू) में स्थित है। इसके बाद एलआरओसी की टीम ने पहले और बाद की छवियों की तुलना करके लैंडर साइट की पहचान की पुष्टि की। फिर शनमुगा ने क्रैश साइट के उत्तर-पश्चिम में लगभग 750 मीटर की दूरी पर स्थित मलबे की पहचान की। यह पहले मोजेक (1।3 मीटर पिक्सल, 84 डिग्री घटना कोण) की स्पष्ट तस्वीर थी। विक्रम लैंडर का पता लगने के बाद सोमवार को इसरो ने नासा से उसके मलबे से जुड़ी जानकारी मांगी है। नासा जल्द ही इससे जुड़ी रिपोर्ट सौंपेगा।
7 सितंबर को विक्रम लैंडर से इसरो का संपर्क टूटा 22 जुलाई को इसरो ने चंद्रयान-2 को लॉन्च किया था। चंद्रयान-2 अंतरिक्षयान में तीन हिस्से थे -ऑर्बिटर (2,379 किलोग्राम, आठ पेलोड), विक्रम (1,471 किलोग्राम, चार पेलोड), और प्रज्ञान (27 किलोग्राम, दो पेलोड)। विक्रम लैंडर की 7 सितंबर को चांद की सतह पर हार्ड लैंडिंग हुई थी। चांद को छूने के महज 2.1 किमी पहले ही लैंडर का इसरो से संपर्क टूट गया था। इसके बाद इसरो के वैज्ञानिकों ने कहा था कि, 'लैंडिंग के दौरान विक्रम गिरकर तिरछा हो गया है, लेकिन टूटा नहीं है। वह सिंगल पीस में है और उससे संपर्क साधने की पूरी कोशिशें जारी हैं।' ये भी पढ़े... NASA ने ढूंढ लिया चांद की सतह पर विक्रम लैंडर का मलबा, क्रैश साइट से 750 मीटर दूर मिले 3 टुकड़े चंद्रयान-2 : इसरो ने देशवासियों का किया शुक्रियाअदा, लैंडर विक्रम से संपर्क की उम्मीदें खत्म! इसरो ने चांद पर खोज निकाला विक्रम लैंडर, ऑर्बिटर ने भेजी पहली तस्वीर विक्रम लैंडर के लिए नागपुर पुलिस का ट्वीट, कहा- एक बार तो बोल दो, सिग्नल तोड़ने पर हम तुम्हारा चालान Read the full article
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NASA ने ढूंढ लिया चांद की सतह पर विक्रम लैंडर का मलबा, क्रैश साइट से 750 मीटर दूर मिले 3 टुकड़े
चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने भारत के सबसे महत्वपूर्ण मिशन चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को ढूंढ लिया है। नासा के लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (LRO) ने चांद की सतह पर विक्रम लैंडर का मलबा तलाशा। ��ानकारी के मुताबिक, विक्रम लैंडर का मलबा क्रैश साइट से 750 मीटर दूर मिला है। इसकी जानकारी नासा ने ट्वीटर के जरिए दी है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); The #Chandrayaan2 Vikram lander has been found by our @NASAMoon mission, the Lunar Reconnaissance Orbiter. See the first mosaic of the impact site https://t.co/GA3JspCNuh pic.twitter.com/jaW5a63sAf — NASA (@NASA) December 2, 2019 नासा के मुताबिक, विक्रम लैंडर के मलबे के तीन सबसे बड़े टुकड़े 2x2 पिक्सेल के हैं। सोमवार रात करीब 1:30 बजे नासा ने विक्रम लैंडर के इम्पैक्ट साइट की तस्वीर शेयर और इसकी जानकारी दी। यह तस्वीर लैंडर से एक किलोमीटर की दूरी से ली गई है। तस्वीर में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि चांद की सतह पर जहां विक्रम लैंडर गिरा वहां मिट्टी को नुकसान भी हुआ है। तस्वीर में दिख रहे नीले और हरे डॉट्स विक्रम लैंडर का मलबा है। Nasa high-resolution images captured by its Lunar Reconnaissance Orbiter Camera (LROC) during its flyby of the lunar region and found Vikram Lander had a hard landing. Finally a closure, thanks! #Chandrayaan2 #VikramLander #NASA pic.twitter.com/Xzwyf01XED — Geetika Swami (@SwamiGeetika) December 3, 2019 इसरो ने नासा से संपर्क कर विक्रम लैंडर के इम्पैक्ट साइट की जानकारी मांगी है। बताया जा रहा है कि नासा इसरो को एक पूरी रिपोर्ट सौंपेगा जिसमें विक्रम लैंडर से संबंधित ज्यादा जानकारी मिल सकेगी। बता दें कुछ दिन पहले ही नासा ने विक्रम लैंडर के बारे में सूचना देने की उम्मीद जताई थी। दरअसल नासा का लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (एलआरओ) उसी स्थान के ऊपर से गुजरने वाला था, जहां विक्रम लैंडर के गिरने की संभावना थी।
22 जुलाई को इसरो ने चंद्रयान-2 को लॉन्च किया था। चंद्रयान-2 अंतरिक्षयान में तीन हिस्से थे -ऑर्बिटर (2,379 किलोग्राम, आठ पेलोड), विक्रम (1,471 किलोग्राम, चार पेलोड), और प्रज्ञान (27 किलोग्राम, दो पेलोड)। विक्रम लैंडर की 7 सितंबर को चांद की सतह पर हार्ड लैंडिंग हुई थी। चांद को छूने के महज 2.1 किमी पहले ही लैंडर का इसरो से संपर्क टूट गया था। इसके बाद इसरो के वैज्ञानिकों ने कहा था कि, 'लैंडिंग के दौरान विक्रम गिरकर तिरछा हो गया है, लेकिन टूटा नहीं है। वह सिंगल पीस में है और उससे संपर्क साधने की पूरी कोशिशें जारी हैं।' इसरो ने कई कोशिशें की थी, बावजूद इसके विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं हो पाया था। ये भी पढ़े... चंद्रयान-2 : इसरो ने देशवासियों का किया शुक्रियाअदा, लैंडर विक्रम से संपर्क की उम्मीदें खत्म! इसरो ने चांद पर खोज निकाला विक्रम लैंडर, ऑर्बिटर ने भेजी पहली तस्वीर विक्रम लैंडर के लिए नागपुर पुलिस का ट्वीट, कहा- एक बार तो बोल दो, सिग्नल तोड़ने पर हम तुम्हारा चालान Read the full article
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ISRO चीफ ने किया खुलासा- कैसे रहा 'चंद्रयान-2' 98 फीसदी सफल
चैतन्य भारत न्यूज चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की 'हार्ड लैंडिंग' के बावजूद मिशन को 98 फीसदी सफल बताने पर कई लोगों ने हैरानी जताई थी। अब इसरो चीफ के सिवन ने इस बात का खुलासा किया है कि चंद्रयान-2 की '98% सफलता' की घोषणा मैंने नहीं की थी। यह उस राष्ट्रीय स्तर की कमेटी ने कहा था जो पूरे मिशन का रिव्यू कर रही है। सिवन ने कहा कि कमेटी का मानना है कि शुरुआती आंकड़ों के अनुसार हमारे मिशन में सिर्फ 2 फीसदी की कमी आई है, 98 फीसदी मिशन सफल रहा है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
हालांकि के सिवन का भी मानना है कि, मिशन 98% सफल रहा है। उन्होंने बताया कि, 'हमने पहली बार 4 टन से ज्यादा वजन के किसी सैटेलाइट को जियोस्टेशनरी सैटेलाइट ऑर्बिट में डाला। हमने पहली बार दो सैटेलाइट (लैंडर और ऑर्बिटर) को एकसाथ चांद की कक्षा में पहुंचाया। हमने पहली बार अपने ऑर्बिटर में ऐसे पेलोड्स लगाएं हैं, जो दुनिया में पहली बार उपयोग किए जा रहे हैं। ये पेलोड्स अत्याधुनिक हैं। यही नहीं, लैंडिंग से पहले विक्रम के सभी सब-सिस्टम सही से काम कर रहे थे। ऐसे में ये मिशन काफी हद तक सफल रहा।'
गौरतलब है कि, भारत के चंद्रयान-2 मिशन को उस समय झटका लगा, जब लैंडर विक्रम से चंद्रमा के सतह से महज दो किलोमीटर पहले इसरो का संपर्क टूट गया। इसरो ने कहा था कि विक्रम लैंडर उतर रहा था और लक्ष्य से 2.1 किलोमीटर पहले तक उसका काम सामान्य था। उसके बाद लैंडर का संपर्क जमीन पर स्थित केंद्र से टूट गया। ये भी पढ़े... चंद्रयान-2 : इसरो ने देशवासियों का किया शुक्रियाअदा, लैंडर विक्रम से संपर्क की उम्मीदें खत्म! चंद्रयान 2 : इसरो में निराश वैज्ञानिकों से बोले पीएम मोदी- हौसला कमजोर नहीं पड़ा, मजबूत हुआ चंद्रयान-2 से संपर्क टूटने पर पाकिस्तानी मंत्री ने भारत पर की बेहूदा टिप्पणी Read the full article
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चंद्रयान-2 : इसरो ने देशवासियों का किया शुक्रियाअदा, लैंडर विक्रम से संपर्क की उम्मीदें खत्म!
चैतन्य भारत न्यूज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान- 2 के लिए मिले अपार समर्थन के लिए सबका शुक्रियाअदा किया है। एजेंसी ने मंगलवार रात ट्वीट कर कहा कि, 'साथ खड़े होने के लिए आप सभी का शुक्रिया। हम दुनियाभर में मौजूद भारतीयों की उम्मीद और सपनों के बल पर आगे बढ़ना जारी रखेंगे।' इसरो ने पोस्ट में एक तस्वीर भी शेयर की। इस तस्वीर में चांद के सामने एक व्यक्ति एक चट्टान से दूसरी ऊंची चट्टान पर छलांग लगाता नजर आ रहा है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); Thank you for standing by us. We will continue to keep going forward — propelled by the hopes and dreams of Indians across the world! pic.twitter.com/vPgEWcwvIa — ISRO (@isro) September 17, 2019 गौरतलब है कि 7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर पहुंचने से कुछ ही मिनट पहले इसरो का लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया था। जिसके कारण अभियान को आंशिक असफलता का सामना करना पड़ा था। आंशिक असफलता इसलिए क्योंकि ऑर्बिटर लगातार चंद्रमा के चक्कर काट रहा है और उसकी तस्वीरें भेज रहा है। बता दें 47 दिनों की यात्रा के दौरान चंद्रयान-2 ने कई मुश्किल पड़ाव पार किए थे। आखिर में उसे लैंडर विक्रम के जरिए रोवर प्रज्ञान को चांद की सतह पर उतारना था। इस प्रक्रिया के तहत विक्रम की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई जानी थी लेकिन गति अनियंत्रित होने के कारण उसने हार्ड लैंडिंग की और वैज्ञानिकों का उससे संपर्क टूट गया। ये भी पढ़े... चंद्रयान-2 से संपर्क टूटने पर पाकिस्तानी मंत्री ने भारत पर की बेहूदा टिप्पणी चंद्रयान-2 से संपर्क टूटने पर वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ा रहें बॉलीवुड सितारे, कहा- हम होंगे कामयाब चंद्रयान 2 : इसरो में निराश वैज्ञानिकों से बोले पीएम मोदी- हौसला कमजोर नहीं पड़ा, मजबूत हुआ Read the full article
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चंद्रयान-2 : इसरो ने देशवासियों का किया शुक्रियाअदा, लैंडर विक्रम से संपर्क की उम्मीदें खत्म!
चैतन्य भारत न्यूज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान- 2 के लिए मिले अपार समर्थन के लिए सबका शुक्रियाअदा किया है। एजेंसी ने मंगलवार रात ट्वीट कर कहा कि, 'साथ खड़े होने के लिए आप सभी का शुक्रिया। हम दुनियाभर में मौजूद भारतीयों की उम्मीद और सपनों के बल पर आगे बढ़ना जारी रखेंगे।' इसरो ने पोस्ट में एक तस्वीर भी शेयर की। इस तस्वीर में चांद के सामने एक व्यक्ति एक चट्टान से दूसरी ऊंची चट्टान पर छलांग लगाता नजर आ रहा है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); Thank you for standing by us. We will continue to keep going forward — propelled by the hopes and dreams of Indians across the world! pic.twitter.com/vPgEWcwvIa — ISRO (@isro) September 17, 2019 गौरतलब है कि 7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर पहुंचने से कुछ ही मिनट पहले इसरो का लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया था। जिसके कारण अभियान को आंशिक असफलता का सामना करना पड़ा था। आंशिक असफलता इसलिए क्योंकि ऑर्बिटर लगातार चंद्रमा के चक्कर काट रहा है और उसकी तस्वीरें भेज रहा है। बता दें 47 दिनों की यात्रा के दौरान चंद्रयान-2 ने कई मुश्किल पड़ाव पार किए थे। आखिर में उसे लैंडर विक्रम के जरिए रोवर प्रज्ञान को चांद की सतह पर उतारना था। इस प्रक्रिया के तहत विक्रम की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई जानी थी लेकिन गति अनियंत्रित होने के कारण उसने हार्ड लैंडिंग की और वैज्ञानिकों का उससे संपर्क टूट गया। ये भी पढ़े... चंद्रयान-2 से संपर्क टूटने पर पाकिस्तानी मंत्री ने भारत पर की बेहूदा टिप्पणी चंद्रयान-2 से संपर्क टूटने पर वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ा रहें बॉलीवुड सितारे, कहा- हम होंगे कामयाब चंद्रयान 2 : इसरो में निराश वैज्ञानिकों से बोले पीएम मोदी- हौसला कमजोर नहीं पड़ा, मजबूत हुआ Read the full article
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बड़ी सफलता की ओर चंद्रयान-2, चांद से सिर्फ 35 किलोमीटर दूर लैंडर विक्रम
चैतन्य भारत न्यूज चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से लैंडर विक्रम के अलग होने के एक दिन बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को बताया कि उसने यान को चांद की निचली कक्षा में उतारने का दूसरा चरण भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इसरो के मुताबिक, 7 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग से पहले बुधवार को भारतीय समयानुसार सुबह 3:42 बजे पर निचली कक्षा में पूर्व निर्धारित योजना के तहत उतारा गया। यह प्रक्रिया कुल नौ सेकेंड की रही। कहा जा रहा है कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर चांद की मौजूदा कक्षा में लगातार चक्कर काट रहा है और ऑर्बिटर व लैंडर पूरी तरह से ठीक हैं। इसके साथ ही शनिवार ��ो चांद की सतह पर ऐतिहासिक सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर को कक्षा से नीचे उतारने की एक अंतिम प्रक्रिया ही बची है। इसरो ने कहा कि लैंडर पर लगी प्रणोदक प्रणाली को पहली बार इसे नीचे की कक्षा में लाने के लिए इसे सक्रिय किया गया। इससे पहले इसने स्वतंत्र रूप से चंद्रमा की कक्षा में परिक्रमा शुरू कर दी थी। बता दें इससे पहले, सोमवार को लैंडर विक्रम ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग हुआ था। इसरो के मुताबिक, अगर सब कुछ ठीक रहा तो विक्रम और उसके भीतर मौजूद रोवर ‘प्रज्ञान’ के शनिवार देर रात 1 बजकर 30 मिनट से 2 बजकर 30 मिनट के बीच चांद की सतह पर उतरने की उम्मीद है। ये भी पढ़े... आप भी पीएम मोदी के साथ बैठकर देख सकते हैं चंद्रयान-2 की लैंडिंग, बस करना होगा ये काम, आज आखिरी मौका विक्रम लैंडर सफलतापूर्वक चंद्रयान-2 से हुआ अलग, इस दिन चांद पर कदम रखेगा भारत चंद्रयान-2 ने पहली बार भेजी तस्वीरें, दिखा अंतरिक्ष से धरती का बेहद खूबसूरत नजारा Read the full article
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मिशन चंद्रयान-2 : इतिहास रचने से कुछ कदम दूर भारत, आज ऑर्बिटर से अलग होगा विक्रम लैंडर
चैतन्य भारत न्यूज भारत आज अंतरिक्ष में एक और लंबी छलांग लगाने को तैयार है। 22 जुलाई को लॉन्च हुए चंद्रयान-2 मिशन के तहत चांद की कक्षा में चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर से आज दोपहर में विक्रम लैंडर अलग हो जाएगा। फिर करीब 20 घंटे तक विक्रम लैंडर अपने पिता यानी ऑर्बिटर के पीछे-पीछे 2 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से चक्कर लगाता रहेगा। फिर वो विपरीत दिशा में चांद के चक्कर लगाना शुरू कर देगा। अंत में 7 सितंबर को यह चांद पर उतरकर इतिहास रचेगा। चंद्रयान-1 ने चांद पर खोजा था पानी, जानिए चंद्रयान-2 क्या-क्या पता लगाएगा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 को तीन हिस्सों से मिलाकर बनाया है। इनमें पहला- ऑर्बिटर, दूसरा- विक्रम लैंडर और तीसरा- प्रज्ञान रोवर है। विक्रम लैंडर के अंदर ही प्रज्ञान रोवर है, जो सॉफ्ट लैंडिंग के बाद बाहर निकलेगा। चंद्रयान-2 का कुल वजन 3.8 टन (3,850 किलोग्राम) है। बता दें लैंडर वो है जिसके जरिए चंद्रयान पहुंचेगा और और रोवर का मतलब उस वाहन से है जो चांद पर पहुंचने के बाद वहां की चीजों को समझेगा और उसकी जानकारी धरती ��क पहुंचाएगा। चंद्रयान-2 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पानी के प्रसार और मात्रा के बारे में जानकारी जुटाना है। इसके अलावा यह चंद्रमा के मौसम, खनिजों और उसकी सतह पर फैले रासायनिक तत्वों का भी अध्ययन करेगा। चंद्रयान-2 चांद पर मिट्टी का विश्लेषण करेगा, उसमें मौजूद मिनरल्स के बारे में जानकारी निकालेगा और वहां पर हिलियम-3 गैस की संभावना तलाशेगा जिससे कि भविष्य में ऊर्जा का बड़ा स्रोत हो सकता है। चंद्रयान-2 ने पहली बार भेजी तस्वीरें, दिखा अंतरिक्ष से धरती का बेहद खूबसूरत नजारा इस मिशन पर दुनियाभर की निगाहें इसलिए भी टिकी हुईं हैं क्योंकि भारत का यह यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के उस हिस्से पर उतरेगा जहां अब तक कोई भी देश नहीं पहुंच सका है। 54 दिन की यात्रा पूरी करने के बाद जब 7 सितंबर को लैंडर से निकलकर प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह पर चलेगा तो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। ये भी पढ़े... चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हुआ चंद्रयान-2 पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलकर चांद के सफर की ओर बढ़ा चंद्रयान-2 चांद को छूने के लिए भारत ने बढ़ाएं अपने कदम, सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ चंद्रयान-2, देखें वीडियो Read the full article
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मिशन चंद्रयान-2 : इतिहास रचने से कुछ कदम दूर भारत, आज ऑर्बिटर से अलग होगा विक्रम लैंडर
चैतन्य भारत न्यूज भारत आज अंतरिक्ष में एक और लंबी छलांग लगाने को तैयार है। 22 जुलाई को लॉन्च हुए चंद्रयान-2 मिशन के तहत चांद की कक्षा में चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर से आज दोपहर में विक्रम लैंडर अलग हो जाएगा। फिर करीब 20 घंटे तक विक्रम लैंडर अपने पिता यानी ऑर्बिटर के पीछे-पीछे 2 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से चक्कर लगाता रहेगा। फिर वो विपरीत दिशा में चांद के चक्कर लगाना शुरू कर देगा। अंत में 7 सितंबर को यह चांद पर उतरकर इतिहास रचेगा। चंद्रयान-1 ने चांद पर खोजा था पानी, जानिए चंद्रयान-2 क्या-क्या पता लगाएगा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 को तीन हिस्सों से मिलाकर बनाया है। इनमें पहला- ऑर्बिटर, दूसरा- विक्रम लैंडर और तीसरा- प्रज्ञान रोवर है। विक्रम लैंडर के अंदर ही प्रज्ञान रोवर है, जो सॉफ्ट लैंडिंग के बाद बाहर निकलेगा। चंद्रयान-2 का कुल वजन 3.8 टन (3,850 किलोग्राम) है। बता दें लैंडर वो है जिसके जरिए चंद्रयान पहुंचेगा और और रोवर का मतलब उस वाहन से है जो चांद पर पहुंचने के बाद वहां की चीजों को समझेगा और उसकी जानकारी धरती तक पहुंचाएगा। चंद्रयान-2 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पानी के प्रसार और मात्रा के बारे में जानकारी जुटाना है। इसके अलावा यह चंद्रमा के मौसम, खनिजों और उसकी सतह पर फैले रासायनिक तत्वों का भी अध्ययन करेगा। चंद्रयान-2 चांद पर मिट्टी का विश्लेषण करेगा, उसमें मौजूद मिनरल्स के बारे में जानकारी निकालेगा और वहां पर हिलियम-3 गैस की संभावना तलाशेगा जिससे कि भविष्य में ऊर्जा का बड़ा स्रोत हो सकता है। चंद्रयान-2 ने पहली बार भेजी तस्वीरें, दिखा अंतरिक्ष से धरती का बेहद खूबसूरत नजारा इस मिशन पर दुनियाभर की निगाहें इसलिए भी टिकी हुईं हैं क्योंकि भारत का यह यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के उस हिस्से पर उतरेगा जहां अब तक कोई भी देश नहीं पहुंच सका है। 54 दिन की यात्रा पूरी करने के बाद जब 7 सितंबर को लैंडर से निकलकर प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह पर चलेगा तो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। ये भी पढ़े... चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हुआ चंद्रयान-2 पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलकर चांद के सफर की ओर बढ़ा चंद्रयान-2 चांद को छूने के लिए भारत ने बढ़ाएं अपने कदम, सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ चंद्रयान-2, देखें वीडियो Read the full article
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