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पत्रकारिता के अनमोल रत्न गोविंदलाल वोरा
सात से अधिक दशको तक पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय रहे श्री गोविंदलाल वोरा जी ने अनेक पत्रकार, संपादक और राजनेताओ की बड़ी पीढ़ी तैयार की जो आज देश प्रदेश में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाये हुए हैं। स्मृतिशेष गोविंदलाल वोरा संभवतः पहले पत्रकार /संपादक थे जिन्होने देश में देश के एक काला अध्याय का पर्याय बने आपातकाल का उसकी मुनादी के पहले दिन ही खुला प्रतिकार कर अपने अदम्य साहस का परिचय दिया था। स्मृतिशेष गोविंदलाल वोरा की स्मृतियों को चिरस्थायी करने के लिए हमारा यह प्रयास है की रीवा में शी��्र ही "स्मृतिशेष गोविंदलाल वोरा व्याख्यान माला" प्रारंभ की जाए। इसके प्रयास प्रारम्भ कर दिए गए हैं।लोकतंत्र के अमर सेनानी एवं पत्रकारिता के खुद्दार को शत शत नमन।अविभक्त मध्यप्रदेश की आधुनिक हिंदी पत्रकारिता के आधारस्तम्भ स्मृतिशेष गोविंदलाल वोरा पत्रकारिता के अनमोल रत्न ही नही बल्कि उसके खुद्दार भी थे। भारत महादेश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों जब देश मे आपातकाल का विरोध करने वालो को सलाम किया तो स्मृतिशेष गोविंदलाल वोरा की आपातकाल से जुड़ी एक बड़ी याद ताजा हो गयी।
स्मृतिशेष गोविंदलाल वोरा से जुड़ा हुआ एक रोमांचक घटनाक्रम यह है कि 25, जून 1975 की मध्य रात्रि को देश मे आपातकाल की कीगई मुनादी के दूसरे दिन छत्तीसगढ़ के रायपुर में देश के प्रखर समाजवादी नेता श्री मधुलिमये का रायपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत करने का पूर्व निर्धारित कार्यक्रम था, लेकिन आपातकाल की घोषणा हो जाने के बाद पूरे देश मे एक अकल्पित तनाव का वातावरण निर्मित हो गया था। कांग्रेस विरोधी बड़े-बड़े नेताओं की गिरफ्तारी का सिलसिला आपातकाल घोषित होते ही तेज होने लगा था। समाजवादी नेता श्री मधुलिमये जब रायपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे तभी पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने प्रेस क्लब आ धमकी और श्री मधुलिमये को गिरफ्तार करने की जद्दोजहद करने लगी। श्री गोविंदलाल वोरा छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार मधुकर खेर के साथ श्री मधुलिमये की पत्रकारवार्ता में शामिल थे। श्री वोरा और श्री खेर ने आपातकाल के काले दौर की पहली दस्तक के दिन ही अदम्य साहस का परिचय द���ते हुए पुलिस को दो टूक शब्दों में कहा कि हमारे रहते हुए प्रेस क्लब में आप समाजवादी नेता श्री मधुलिमये को गिरफ्तार नहीं कर सकते है। उनसे पहले आप हम सब पत्रकारों को बंदी बनाइये और फिर उन्हें हिरासत में लीजिये।
13, अप्रैल 2018 को पंचतत्व में विलीन हो गए स्मृतिशेष गोविंदलाल वोरा सचमुच एक बड़े खुद्दार पत्रकार और पत्रकारिता के अनमोल रत्न थे। कांग्रेस के एक बड़े राजनेता श्री मोतीलाल वोरा जी के अनुज होने के बावजूद उनके संबंध देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी, महान समाजवादी चिंतक डॉ. राममनोहर लोहिया और भाजपा के संस्थापक पितृपुरुष कुशाभाऊ ठाकरे सहित देश के कई बड़े दिग्गज नेताओं से थे और सभी के संबंधों का उन्होंने निष्ठा पूर्वक निर्वहन किया।
सात से अधिक दशको तक पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय रहे श्री गोविंदलाल वोरा जी ने अनेक पत्रकार, संपादक और राजनेताओ की बड़ी पीढ़ी तैयार की जो आज देश प्रदेश में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाये हुए हैं।
स्मृतिशेष गोविंदलाल वोरा संभवतः पहले पत्रकार /संपादक थे जिन्होने देश में देश के एक काला अध्याय का पर्याय बने आपातकाल का उसकी मुनादी के पहले दिन ही खुला प्रतिकार कर अपने अदम्य साहस का परिचय दिया था। स्मृतिशेष गोविंदलाल वोरा की स्मृतियों को चिरस्थायी करने के लिए हमारा यह प्रयास है की रीवा में शीघ्र ही "स्मृतिशेष गोविंदलाल वोरा व्याख्यान माला" प्रारंभ की जाए। इसके प्रयास प्रारम्भ कर दिए गए हैं।
लोकतंत्र के अमर सेनानी एवं पत्रकारिता के खुद्दार को शत शत नमन।
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