#VastuDarshan
Explore tagged Tumblr posts
chaitanyabharatnews · 6 years ago
Text
वास्तु दर्शनः जरुर ध्यान रखें ये बातें
Tumblr media
लेखक परिचय पी.पी.एस. चावला ज्योतिष गणनाएं, राशिफल का करीब तीस साल का अनुभव। 80 के दशक से इस विषय में लेखन कर रहे हैं। आपके लेख  ''प्ले
Tumblr media
नेट्स एंड फॉरकास्ट'' पत्रिका में प्रकाशित होते रहे हैं। इसमें प्रकाशित लेख ज्योतिष में परिवर्तन योग और जन्मस्थ शनि पर गोचरस्थ शनि के संचार का प्रभाव ने अच्छी ख्याति अर्जित की थी। प्रकृति में संतुलन कायम रखने के लिए कई प्राकृतिक बलों जैसे जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश के बीच परस्पर क्रिया होती है। इसका व्यापक प्रभाव मनुष्य जाति के अलावा अन्य प्राणियों पर पड़ता है। इन पांच तत्वों के बीच होने वाली परस्पर क्रिया को वास्तु के नाम से जाना जाता है। संतुलन के लिहाज से वास्तु काफी महत्वपूर्ण है और कई बातें ध्यान रखने योग्य हैं। मंदिरः उत्तर पूर्व में ही होना चाहिए, किसी अन्य दिशा में नहीं।मकान मालिक का शयन कक्षः यह दक्षिण पश्चिम में ही होना चाहिए। रसोई घरः दक्षिण पूर्व में ही होना चाहिए। द्वितीय स्थान उत्तर पश्चिम में हो सकता है। बच्चों का कमराः उत्तर पश्चिम या उत्तर पूर्व के आसपास ही होना चाहिए। पानी का भंडार तथा आगमनः उत्तर पूर्व के अलावा उत्तर पश्चिम में भी पानी का भंडारण किया जा सकता है। मकान का प्रवेश द्वारः उत्तर पूर्व दिशा में होना चाहिए, इसके अलावा उत्तर पश्चिम में भी होने से ठीक रह सकता है। खाना खाने की टेबलः खाना खाने की टेबल रसोई घर के नजदीक ही उत्तर पश्चिम दिशा के पास रहने से अच्छा प्रभाव रहता है। टेबल के पास जो कुर्सियां लगी हों उन पर बैठने वाले को या तो उत्तर की तरफ या पूर्व की तरफ मुंह करके खाना खाना चाहिए। क्या कहां नहीं होना चाहिए और उसके संभावित दुष्परिणाम रसोईः उत्तर-पूर्व या दक्षिण पश्चिम में नहीं होना चाहिए। उत्तर पूर्व में होने से घर के मालिक के मन में आक्रामक उद्वि��्नता रह सकती है। मकान में रहने वाले लोगों के मन में अग्नि से जलने के प्रति भय या अग्नि दुर्घटना होने की संभावना रहेगी। मकान मालिक का शयन कक्ष उत्तर-पूर्व में होने से घर के सदस्यों के बीच असंतुलन हो जाएगा और छोटे-बड़े का जो सम्मान होना चाहिए वह शायद न रहे। छोटे सदस्य नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं। दक्षिण- पूर्व में होने से दोनों के मन में उद्विग्नता रहेगी। सुख- शांति कम होगी, अनायास अनचाहे सवाल मन में उठ सकते हैं। पानी का भंडारण तथा आगमन अगर दक्षिण- पूर्व में हो तो घर से अकस्मात् धन के निकलने की आशंका, हानि की आशंका, अकस्मात् खर्च सामने आने की संभावना बन सकती है।अगर दक्षिण- पश्चिम में हो तो बीमारी, रीढ़ की हड्डी में कमजोरी, दर्द, हृदय संबंधी कमजोरी हो सकती है। बच्चों का कमरा- दक्षिण- पश्चिम में होने से बच्चे अपनी मनमानी करने की कोशिश करेंगे और जाने-अनजाने माता- पिता को उनकी बात माननी पड़ेगी। माता-पिता को बच्चों की गलतियां या उनकी कही बातों को बिना सोचे- समझे मान लेने की कमजोरी रह सकती है। मंदिर अगर दक्षिण- पश्चिम में हो तो मकान में रहने वालों का मन पूजा में नहीं लगेगा। कभी नियमानुसार मंदिर में पूजा करेंगे भी तो मन में उद्विग्नता रहेगी, ध्यान कहीं और रहेगा और विचारों में शुद्धता नहीं रहेगी। "मुंह में राम बगल में छुरी वाली" मानसिकता भी रह सकती है। मकान का प्रवेश द्वार, दक्षिण पश्चिम में होने से बीमारी, नुकसान, परस्पर संघर्ष की आशंका रह सकती है। खाना खाने की टेबल- खाना खाने की टेबल रसोईघर के नजदीक ही उत्तर पश्चिम दिशा के पास रहने से ठीक रह सकता है। दक्षिण या पश्चिम की तरफ मुंह करके खाना खाने से अपच या अन्य आमाशय, आंत संबंधी बीमारी हो सकती है। अतः अधिकांश सदस्य उत्तर-पूर्व की तरफ ही मुंह करके खाना खाएं और अच्छा होगा कि दक्षिण पश्चिम की तरफ कोई कुर्सी ही न लगाई जाए। घर के अंदर जंगली जानवरों की तस्वीरें न लगाएं। पूर्व दिशा में हरा रंग, पश्चिम दिशा में पीला रंग, उत्तर दिशा में नीला रंग, दक्षिण दिशा में लाल या गुलाबी रंग शुभ रहता है। यह भी पढ़ें... राहु-केतु का 27 मार्च 2019 को राशि परिवर्तन और उसका प्रभाव Read the full article
0 notes