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हमाम के बाद अब मुबारक मंज़िल पर संकट: आगरा की विरासत खतरे में
मुगलकालीन विरासतों के लिए प्रसिद्ध आगरा शहर एक बार फिर सुर्खियों में है। बेलनगंज स्थित ऐतिहासिक मुबारक मंज़िल, जिसे मुगल बादशाह औरंगज़ेब ने अपनी निजी संपत्ति के रूप में विकसित किया था, अब विध्वंस के कगार पर है। हाल ही में इसे बिल्डरों द्वारा तोड़ा गया, जिससे विरासत प्रेमियों और इतिहासकारों में आक्रोश है। हमाम के बाद मुबारक मंज़िल पर संकट 16वीं शताब्दी में निर्मित छिपीटोला स्थित हमाम को पहले बिल्डरों द्वारा तोड़ा जा रहा था, लेकिन इला��ाबाद हाईकोर्ट के आदेश से इसे बचा लिया गया। अब, इसी तरह की स्थिति बेलनगंज की मुबारक मंज़िल में देखने को मिल रही है। आम आदमी पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष कपिल बाजपेयी का कहना है कि मुबारक मंज़िल का लगभग 70% हिस्सा पहले ही तोड़ा जा चुका है। उन्होंने अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने की घोषणा की है। इतिहास की अनमोल धरोहर इतिहासकार ईबा कोच ने अपनी किताब द कम्पलीट ताजमहल और द रिवरफ्रंट गार्डेंस ऑफ़ आगरा में मुबारक मंज़िल का उल्लेख किया है। यह हवेली, जो कभी जहांगीर और शाहजहां के परिवार का हिस्सा थी, समय-समय पर मुगलों की महत्वपूर्ण गतिविधियों का केंद्र रही। शाहजहां के राज्याभिषेक से पहले वे यहां 12 दिन ठहरे थे। इतिहासकार राजकिशोर शर्मा राजे बताते हैं कि सामूगढ़ की लड़ाई में जीत के बाद औरंगज़ेब ने इस इमारत को "मुबारक मंज़िल" नाम दिया। इसके चार कोनों पर बुर्ज और लाल पत्थर की संरचना इसे विशेष बनाती है। संरक्षण में ढिलाई और गलत अधिसूचना राज्य पुरातत्व विभाग ने 30 सितंबर 2024 को मुबारक मंज़िल को संरक्षित स्मारक घोषित करने की अधिसूचना जारी की थी। लेकिन, इतिहासकारों का दावा है कि गलत इमारत को चिह्नित कर बलकेश्वर स्थित गौशाला के पुराने निर्माण को मुबारक मंज़िल घोषित कर दिया गया। इतिहासकार राजकिशोर शर्मा ने बताया कि बलकेश्वर की इमारत वास्तव में औरंगज़ेब के वज़ीर ज़फ़र ख़ान का मक़बरा और बाग थी, जबकि असली मुबारक मंज़िल बेलनगंज में स्थित थी। संस्कृति विभाग की कार्रवाई संस्कृति विभाग के विशेष सचिव रवींद्र सिंह ने हाल ही में आगरा का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने संबंधित लोगों से मुलाकात की और मुबारक मंज़िल के संरक्षण पर जोर दिया। लेकिन, कार्यवाही की धीमी गति और अधिकारियों की उदासीनता सवाल खड़े कर रही है। जनहित याचिका और आगे की राह विरासत प्रेमियों और सिविल सोसाइटी ने सरकार से मांग की है कि मुबारक मंज़िल को तत्काल संरक्षित किया जाए। कपिल बाजपेयी ने कहा, "अगर जल्द ही कदम नहीं उठाए गए, तो हम एक और ऐतिहासिक धरोहर को खो देंगे।" आगरा की प्राचीन विरासतें लगातार अतिक्रमण और तोड़फोड़ की शिकार हो रही हैं। ऐसे में इन धरोहरों को बचाने के लिए ठोस न��ति और जनता की जागरूकता की आवश्यकता है। Read the full article
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