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#DFSAR
gkonboard · 1 year
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The Chandrayaan-2 orbiter captured Vikram Lander from space.
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🚀 Get ready for an interstellar selfie! 📸 On September 6, 2023, something truly out-of-this-world happened. The DFSAR (Dual-frequency Synthetic Aperture Radar) aboard Chandrayaan-2 captured an epic snapshot of the Chandrayaan-3 lander, and guess what? DFSAR was chilling up in space on Chandrayaan-2, not on the lander itself. It's like a space selfie from one spaceship to another! 🛰️🌌But that's not all - DFSAR is no ordinary camera. It's a SAR (Synthetic Aperture Radar) tool that shoots out microwaves (think mini radio waves) to "see" things. The coolest part? It can do this even when there's no sunlight around, like a superhero camera with X-ray vision. 🦸‍♂️📷
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blogynews · 1 year
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"Groundbreaking Revelation: Isro Unveils Mind-Blowing Image Captured by Chandrayaan-2, Exposing Chandrayaan-3's Future Secrets!"
The Indian Space Research Organisation (Isro) has unveiled a new image of the Chandrayaan-3 lander Vikram, taken by an instrument on board the Chandrayaan-2 orbiter. Isro shared the image on Twitter, stating that it was captured by the Dual-frequency Synthetic Aperture Radar (DFSAR) instrument on September 6, 2023. The Chandrayaan-2 orbiter is still in orbit around the Moon, and Isro had…
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blogynewz · 1 year
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"Groundbreaking Revelation: Isro Unveils Mind-Blowing Image Captured by Chandrayaan-2, Exposing Chandrayaan-3's Future Secrets!"
The Indian Space Research Organisation (Isro) has unveiled a new image of the Chandrayaan-3 lander Vikram, taken by an instrument on board the Chandrayaan-2 orbiter. Isro shared the image on Twitter, stating that it was captured by the Dual-frequency Synthetic Aperture Radar (DFSAR) instrument on September 6, 2023. The Chandrayaan-2 orbiter is still in orbit around the Moon, and Isro had…
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blogynewsz · 1 year
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"Groundbreaking Revelation: Isro Unveils Mind-Blowing Image Captured by Chandrayaan-2, Exposing Chandrayaan-3's Future Secrets!"
The Indian Space Research Organisation (Isro) has unveiled a new image of the Chandrayaan-3 lander Vikram, taken by an instrument on board the Chandrayaan-2 orbiter. Isro shared the image on Twitter, stating that it was captured by the Dual-frequency Synthetic Aperture Radar (DFSAR) instrument on September 6, 2023. The Chandrayaan-2 orbiter is still in orbit around the Moon, and Isro had…
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chaitanyabharatnews · 5 years
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चंद्रयान-3 : फिर चांद पर जाने की तैयारियों में जुटा ISRO, सरकार से मांगे 75 करोड़
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चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. मिशन 'चंद्रयान-2' के असफल हो जाने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने अगले मिशन 'चंद्रयान-3' पर काम करना शुरू कर दिया है। इसरो ने इस मिशन के लिए केंद्र सरकार से 75 करोड़ रुपए की भी मांग की है। हालांकि केंद्र ने पहले ही इसके लिए 75 करोड़ का बजट रखा है। लेकिन यह राशि इसरो के वर्तमान बजट से अलग है जिससे इसरो अपने तीसरे महत्वकांक्षी मून मिशन को अंजाम देगा। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); जानकारी के मुताबिक, इसरो के अलग-अलग केंद्रों में इस मिशन पर तेजी से काम चल रहा है। इसके लिए नवंबर 2020 तक की समयसीमा तय की गई है। इस मिशन की मदद से इसरो चंद्रयान-2 के दौरान पूर्वनिर्धारित अपनी खोज प्रक्रिया को जारी रखने की कोशिश करेगा। कुल 666 करोड़ का बजट सूत्रों के मुताबिक, 2019-2020 के दौरान इसरो ने सरकार से कुल 666 करोड़ रुपए का बजट मांगा है। इसमें से 11% से ज्यादा सिर्फ चंद्रयान-3 के लिए मांगा गया है। इसके अलावा 666 करोड़ रुपए में से 8.6 करोड़ रुपए साल 2022 के प्रस्तावित ह्यूमन स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम, 12 करोड़ स्मॉल सैटलाइट लॉन्च वीइकल और 120 करोड़ लॉन्चपैड के डिवेलपमेंट के लिए मांगे गए हैं। बता दें इसरो ने सबसे ज्यादा मांग यूआर राव सैटलाइट सेंटर और सतीश धवन स्पेस सेंटर के लिए की है। इन दोनों के लिए संस्थान ने 516 करोड़ रुपए मांगे हैं। नए मिशन में लैंडर और रोवर भेजा जाएगा चंद्रयान-3 के लिए इसरो ने जो धनराशि की की मांग की है इसमें से 60 करोड़ रुपए मशीनरी, उपकरण और अन्य पूंजीगत काम में खर्च होंगे। इसके अलावा शेष 15 करोड़ रुपए राजस्व व्यय के तहत मांगे गए हैं। बता दें मिशन 'चंद्रयान-3' के लिए इसरो ने कई समितियां बनाई हैं। अक्टूबर से लेकर अब तक इन समितियों की तीन उच्च स्तरीय बैठक हो चुकी है। बैठकों में यह तय किया गया कि इस नए मिशन में सिर्फ लैंडर और रोवर को ही भेजा जाएगा। इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा क्योंकि इसरो के वैज्ञानिक इसके लिए चंद्रयान-2 के ही ऑर्बिटर का उपयोग करेंगे। चंद्रयान 2 नहीं कर सका था लैंड गौरतलब है कि इसी साल सितंबर में इसरो ने चंद्रयान-2 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। हार्ड लैंडिंग के कारण अचानक ही विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया था। हालांकि ऑर्बिटर ठीक तरह से काम कर रहा है और वैज्ञानिकों का कहना है कि वह सात सालों तक अपना काम करता रहेगा। ये भी पढ़े....  चांद पर काले दाग क्यों? चंद्रयान-2 ने तस्वीर भेजकर खोला राज चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने भेजी चांद की तस्वीर, इसरो ने बताया- चांद की मिट्टी में मौजूद कणों के बारे में पता लगा ISRO चीफ ने किया खुलासा- कैसे रहा चंद्रयान-2 98 फीसदी सफल Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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चंद्रयान-3 : फिर चांद पर जाने की तैयारियों में जुटा ISRO, सरकार से मांगे 75 करोड़
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चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. मिशन 'चंद्रयान-2' के असफल हो जाने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने अगले मिशन 'चंद्रयान-3' पर काम करना शुरू कर दिया है। इसरो ने इस मिशन के लिए केंद्र सरकार से 75 करोड़ रुपए की भी मांग की है। हालांकि केंद्र ने पहले ही इसके लिए 75 करोड़ का बजट रखा है। लेकिन यह राशि इसरो के वर्तमान बजट से अलग है जिससे इसरो अपने तीसरे महत्वकांक्षी मून मिशन को अंजाम देगा। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); जानकारी के मुताबिक, इसरो के अलग-अलग केंद्रों में इस मिशन पर तेजी से काम चल रहा है। इसके लिए नवंबर 2020 तक की समयसीमा तय की गई है। इस मिशन की मदद से इसरो चंद्रयान-2 के दौरान पूर्वनिर्धारित अपनी खोज प्रक्रिया को जारी रखने की कोशिश करेगा। कुल 666 करोड़ का बजट सूत्रों के मुताबिक, 2019-2020 के दौरान इसरो ने सरकार से कुल 666 करोड़ रुपए का बजट मांगा है। इसमें से 11% से ज्यादा सिर्फ चंद्रयान-3 के लिए मांगा गया है। इसके अलावा 666 करोड़ रुपए में से 8.6 करोड़ रुपए साल 2022 के प्रस्तावित ह्यूमन स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम, 12 करोड़ स्मॉल सैटलाइट लॉन्च वीइकल और 120 करोड़ लॉन्चपैड के डिवेलपमेंट के लिए मांगे गए हैं। बता दें इसरो ने सबसे ज्यादा मांग यूआर राव सैटलाइट सेंटर और सतीश धवन स्पेस सेंटर के लिए की है। इन दोनों के लिए संस्थान ने 516 करोड़ रुपए मांगे हैं। नए मिशन में लैंडर और रोवर भेजा जाएगा चंद्रयान-3 के लिए इसरो ने जो धनराशि की की मांग की है इसमें से 60 करोड़ रुपए मशीनरी, उपकरण और अन्य पूंजीगत काम में खर्च होंगे। इसके अलावा शेष 15 करोड़ रुपए राजस्व व्यय के तहत मांगे गए हैं। बता दें मिशन 'चंद्रयान-3' के लिए इसरो ने कई समितियां बनाई हैं। अक्टूबर से लेकर अब तक इन समितियों की तीन उच्च स्तरीय बैठक हो चुकी है। बैठकों में यह तय किया गया कि इस नए मिशन में सिर्फ लैंडर और रोवर को ही भेजा जाएगा। इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा क्योंकि इसरो के वैज्ञानिक इसके लिए चंद्रयान-2 के ही ऑर्बिटर का उपयोग करेंगे। चंद्रयान 2 नहीं कर सका था लैंड गौरतलब है कि इसी साल सितंबर में इसरो ने चंद्रयान-2 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। हार्ड लैंडिंग के कारण अचानक ही विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया था। हालांकि ऑर्बिटर ठीक तरह से काम कर रहा है और वैज्ञानिकों का कहना है कि वह सात सालों तक अपना काम करता रहेगा। ये भी पढ़े....  चांद पर काले दाग क्यों? चंद्रयान-2 ने तस्वीर भेजकर खोला राज चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने भेजी चांद की तस्वीर, इसरो ने बताया- चांद की मिट्टी में मौजूद कणों के बारे में पता लगा ISRO चीफ ने किया खुलासा- कैसे रहा चंद्रयान-2 98 फीसदी सफल Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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इसरो ने शुरू की मिशन 'चंद्रयान-3' की तैयारियां, अगले साल होगा लॉन्च
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चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. मिशन 'चंद्रयान-2' के असफल हो जाने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने अगले मिशन 'चंद्रयान-3' पर भी काम करना शुरू कर दिया है। इसरो के अलग-अलग केंद्रों में इस मिशन पर तेजी से काम चल रहा है। इसके लिए नवंबर 2020 तक की समयसीमा तय की गई है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); नए मिशन में लैंडर और रोवर ही भेजा जाएगा मिशन 'चंद्रयान-3' के लिए इसरो ने कई समितियां बनाई हैं। अक्टूबर से लेकर अब तक इन समितियों की तीन उच्च स्तरीय बैठक हो चुकी है। बैठकों में यह तय किया गया कि इस नए मिशन में सिर्फ लैंडर और रोवर को ही भेजा जाएगा। इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा क्योंकि इसरो के वैज्ञानिक इसके लिए चंद्रयान-2 के ही ऑर्बिटर का उपयोग करेंगे। अगले सात सालों तक यह ऑर्बिटर काम करेगा। मंगलवार को ओवरव्यू (समीक्षा) कमिटी की बैठक हुई। जिसमें अलग-अलग समितियों की सिफारिशों पर चर्चा की गई। इस दौरान समितियों ने संचालन शक्ति, सेंसर, इंजिनियरिंग और नेविगेशन को लेकर अपने प्रस्ताव दिए हैं। 5 अक्टूबर को जारी किया जाएगा आधिकारिक नोटिस इसरो के एक वैज्ञानिक ने कहा कि, चंद्रयान-3 पर कार्य तेज गति से चल रहा है। अब तक इसरो ने इसके 10 महत्वपूर्ण बिंदुओं का खाका खींच लिया है। इनमें लैंडिंग साइट, नेविगेशन और लोकल नेविगेशन शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि पांच अक्टूबर को एक आधिकारिक नोटिस जारी किया गया है। गौरतलब है कि इसी साल सितंबर में इसरो ने चंद्रयान-2 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। हार्ड लैंडिंग के कारण अचानक ही विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया था। हालांकि ऑर्बिटर ठीक तरह से काम कर रहा है और वैज्ञानिकों का कहना है कि वह सात सालों तक अपना काम करता रहेगा। ये भी पढ़े....  चांद पर काले दाग क्यों? चंद्रयान-2 ने तस्वीर भेजकर खोला राज चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने भेजी चांद की तस्वीर, इसरो ने बताया- चांद की मिट्टी में मौजूद कणों के बारे में पता लगा ISRO चीफ ने किया खुलासा- कैसे रहा चंद्रयान-2 98 फीसदी सफल Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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चांद पर काले दाग क्यों? चंद्रयान-2 ने तस्वीर भेजकर खोला राज
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चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) का चंद्रयान-2 चांद के बारे में लगातार नए-नए खुलासे कर रहा है। भले ही चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर सही से चांद पर लैंडिंग न कर पाया हो लेकिन फिर भी ऑर्बिटर चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है और रोजाना चांद की नई और चौंकाने वाली तस्वीरें सामने ला रहा है। मंगलवार को इसरो ने दो तस्वीरें शेयर की है जिसमें लोग पहली बार चांद का रंगीन रूप देख सकते हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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इन तस्वीरों को देखकर यह पता चल रहा है कि चांद की सतह पर काले दाग क्यों हैं? और उसकी सतह पर कितने गड्ढे (Crater) हैं? इसका खुलासा चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे डुअल फ्रिक्वेंसी सिंथेटिक एपर्चर राडार (DF-SAR) ने किया है। इसने चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह का अध्ययन किया। बता दें डुअल फ्रिक्वेंसी सिंथेटिक एपर्चर राडार के जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि कहां गड्ढे हैं? कहां पहाड़ हैं? कहां समतल जमीन है? और कहां पत्थर पड़े हैं? इसरो के मुताबिक, अपने विकास के समय से ही च��ंद की सतह पर लगातार उल्का पिंडों, क्षुद्र ग्रहों और धूमकेतुओं की जबरदस्त बमबारी हुई। इसके कारण चांद की सतह पर अनगिनत संख्या में विशाल गड्ढे हो गए हैं। ये गड्ढे गोलाकार और विशाल कटोरे की शक्लों में हैं। इनमें से कई छोटे, सामान्य तो कई बडे़ और छल्लेदार भी हैं।
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यह उपकरण चांद की सतह से 2 मीटर ऊंची किसी भी वस्तु की तस्वीर ले सकता है। उपकरण से दो तरह की किरणें निकलती हैं और उन किरणों के सतह से टकराने और उनके वापस लौटने के आंकड़ों को जुटाकर यह पता किया जाता है कि चांद की सतह पर क्या है? यह उपकरण चांद की सतह के ऊपर और नीचे दोनों की ही जानकारी देने में सक्षम है। इतना ही नहीं बल्कि इसके जरिए यह भी पता लगाया जा सकता है कि चांद की सतह पर कौन सा गड्ढा कब बना है? इसरो के मुताबिक, चांद पर मौजूद यह गड्ढे और उनकी परछाइयां ही चांद के चेहरे पर काले धब्बे से दिखाई पड़ते हैं। ये भी पढ़े... चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने भेजी चांद की तस्वीर, इसरो ने बताया- चांद की मिट्टी में मौजूद कणों के बारे में पता लगा ISRO चीफ ने किया खुलासा- कैसे रहा चंद्रयान-2 98 फीसदी सफल चंद्रयान-2 : इसरो ने देशवासियों का किया शुक्रियाअदा, लैंडर विक्रम से संपर्क की उम्मीदें खत्म! Read the full article
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