#2021 की परीक्षा रद्द हो सकती है
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हक की बात : नाम नहीं पसंद, तो क्या बदलवा सकते हैं? क्या है आपका अधिकार, जानिए हर एक बात
नई दिल्ली : लोग अलग-अलग कारणों से कई बार अपना नाम बदलते हैं। जैसे अगर किसी ने धर्म परिवर्तन कर लिया या फिर कोई शख्स यूं ही अपना नाम अपनी पसंद का रखना चाहता है। कभी-कभी कुछ लोग शादी के बाद भी नाम बदलवाते हैं जैसे कोई लड़की शादी के बाद अपने पति का सरनेम अपनाना चाहती है। नाम बदलने की वजह कुछ भी हो सकती है। इसके बाद सारे डॉक्यूमेंट्स में नया नाम दर्ज कराना होता है। लेकिन अगर अथॉरिटी नए नाम से डॉक्यूमेंट जारी करने से इनकार कर दे तो? अगर ऐसा हो तो आप कानूनी रास्ता अपना सकते हैं क्योंकि नाम बदलना आपका मौलिक अधिकार है। 'हक की बात' (Haq Ki Baat) सीरीज के इस अंक में जानते हैं नाम बदलने के अधिकार और इस पर समय-समय पर आए बड़े अदालती फैसलों के बारे में।इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने एक हालिया आदेश में साफ कहा कि नाम बदलना मौलिक अधिकार है। नाम को बरकरार रखना या अपनी पंसद के हिसाब से उसे बदलना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है जो संविधान के तहत उसे मिला हुआ है। 25 मई 2023 को दिए अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि अपनी पसंद का नाम रखना अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत मौलिक अधिकार है। क्या था मामलाशाहनवाज नाम के एक शख्स ने तय कानूनी प्रक्रिया अपनाकर अपना नाम बदल मोहम्मद समीर राव कर लिया। उसने इसके बारे में सितंबर-अक्टूबर 2020 में अखबार में विज्ञापन के जरिए बताया कि उसे अब मोहम्मद समीर राव नाम से जाना जाए। इसके बाद अपने एजुकेशनल डॉक्युमेंट में बदलाव के लिए यूपी बोर्ड में आवेदन दिया। उसने यूपी बोर्ड से 2013 में हाई स्कूल और 2015 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी। लेकिन माध्यमिक शिक्षा परिषद (उत्तर प्रदेश) के बरेली स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के क्षेत्रीय सचिव ने 24 दिसंबर 2020 को उसके आवेदन को खारिज कर दिया। बोर्ड ने नए नाम से हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के सर्टिफिकेट जारी करने से इनकार कर दिया। इसके खिलाफ मोहम्मद समीर राव इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचे जिस पर फैसला देते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि है।इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ये व्यक्ति के ऊपर है कि वह अपना नाम बरकरार रखना चाहता है या बदलना चाहता है। ये संविधान के आर्टिकल 19 (1) (अभियव्यक्ति की स्वतंत्रता), आर्टिकल 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) और आर्टिकल 14 (समानता का अधिकार) के तहत मूल अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि यूपी बोर्ड ने याचिकाकर्ता के इन मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है। हाई कोर्ट ने 24 दिसंबर 2020 के यूपी बोर्ड के फैसले को रद्द करते हुए उसे आदेश दिया कि वह बदले हुए नाम के साथ याचिकाकर्ता को हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के सर्टिफिकेट जारी करे। जिग्या यादव बनाम सीबीएसई और अन्य केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला3 जून 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम आदेश में कहा कि रिजल्ट घोषित करने के बाद सीबीएसई नाम बदलने से इनकार नहीं कर सकता। शीर्ष अदालत ने कहा कि बोर्ड रिजल्ट घोषित करने के बाद स्टूडेंट्स, पैरेंट्स और अन्य विवरणों में बदलाव पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगा सकता। जस्टिस एएम खानविलकर, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी की बेंच ने सीबीएसई के सर्टिफिकेट में नाम/उपनाम या जन्मतिथि में बदलाव या माता-पिता के नाम में बदलाव से जुड़ीं 22 याचिकाओं पर फैसला सुनाया था। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नाम को बदलने का अधिकार अपनी पहचान की अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का हिस्सा है। रश्मि श्रीवास्तव बनाम यूपी केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसलाजुलाई 2022 में भी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अन्य मामले में आदेश दिया था कि नाम बदलने का अधिकार मौलिक अधिकार का ही एक पहलू है। कोर्ट ने कबीर जायसवाल और जिग्या यादव मामलों का हवाला देते हुए कहा कि नाम बदलने का अधिकार संविधान के आर्टिकल 19 (1) के तहत मिले मौलिक अधिकार का पहलू है। इस मामले में रजनी श्रीवास्तव नाम की महिला ने अपना नाम बदलकर रश्मि श्रीवास्तव कर लिया था। बाद में उसने डॉक्यूमेंट्स में नाम बदलने का आवेदन किया। पैन कार्ड में तो नाम बदल गया लेकिन आधार कार्ड में नाम नहीं बदला। इसे लेकर वह अदालत पहुंची जहां उनके पक्ष में फैसला हुआ।'हक की बात' सीरीज के कुछ अन्य आर्टिकल http://dlvr.it/Sq2K3V
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बोर्ड परीक्षा 2021 समाचार अपडेट: राज्य स्थगित या रद्द बोर्ड परीक्षा, यहां जानें - कोरोना का कहर: उत्तर प्रदेश, राजस्थान, राजस्थान, मध्य प्रदेश, इन राज्यों सहित
बोर्ड परीक्षा 2021 समाचार अपडेट: राज्य स्थगित या रद्द बोर्ड परीक्षा, यहां जानें – कोरोना का कहर: उत्तर प्रदेश, राजस्थान, राजस्थान, मध्य प्रदेश, इन राज्यों सहित
एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला द्वारा प्रकाशित: देवेश शर्मा अपडेटेड थू, 15 अप्रैल 2021 02:20 PM IST देशभर में वैश्विक संक्रामक महामारी को विभाजित -19 के संक्रमण के मामले बड़े तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। इससे अधिकांश राज्यों में न केवल स्कूल, कॉलेज जैसे सभी शैक्षणिक संस्थान फिर से बंद करने वाले हैं बल्कि परीक्षाओं का आयोजन भी चिंताजनक बन गया है। ऐसे में बीते दो दिन में केंद्र सरकार सहित कई राज्य सरकारों…
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NEET मामले में DMK की दोहरी भूमिका.... अन्नामलाई ने की कड़ी निंदा.... DMK's double role in NEET affair .... Annamalai has strongly condemned ....
तमिलनाडु भाजपा के उपाध्यक्ष अन्नामलाई ने NEET मामले में DMK की दोहरी भूमिका की कड़ी निंदा करते हुए कहा, "इनमें से कोई भी व्यक्ति छात्रों को पढ़ने की अनुमति नहीं देता है"।
आज जारी एक बयान में:
"कांग्रेस शासन के तहत, मेडिकल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने 2013 में देश भर में एनईईटी परीक्षाएं शुरू कीं। जब 2016 में नीड स���ाधान के माध्यम से पूरे भारत में मेडिकल कॉलेज में प्रवेश हुआ, तो ��्रधान मंत्री मोदी ने हस्तक्षेप किया और देखा कि केवल तमिलनाडु को इससे छूट दी गई थी। परीक्षा की आवश्यकता है।
नीट चुनाव की जासूसी कांग्रेस शासित राज्यों और कम्युनिस्ट शासित राज्य ने की थी। तमिलनाडु कोई अपवाद नहीं है और नीट की पुष्टि तब हुई है जब सभी जानते हैं कि किसने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया कि नीट का चयन रद्द नहीं किया जाना चाहिए। खिंचाव पर अदालत द्वारा मुकदमा नहीं किया जा सकता है। नीट परीक्षा के जरिए साल दर साल छात्रों का प्रदर्शन बढ़ता जा रहा है। तमिलनाडु में, वर्ष 2019 और 2020 में, राज्य सरकार ने पाठ्यक्रम को संशोधित किया है और स्कूलों में नीड परीक्षा के समकक्ष पाठ्यक्रम पेश किया है।
नतीजतन, तमिलनाडु में पास प्रतिशत 2019 में 48.57% से बढ़कर 2020 में 5744% हो गया है। तमिल में लिखने वाले NEET उम्मीदवारों की संख्या 2019 में 1,071 से बढ़कर 2020 में 17,101 हो गई है। तमिलनाडु में श्री एडप्पादी पलानीसामी की सरकार द्वारा लाया गया 7.5% आंतरिक आरक्षण 334 ग्रामीण सरकारी स्कूल के छात्रों के चिकित्सा सपने की याद दिलाता है, जिससे यह समझना आसान है कि तमिलनाडु के लोगों ने NEET को स्वीकार कर लिया है।
नीट चयन को अदालत या संघीय सरकार द्वारा नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। DMK ने यह भी कहा कि वे सत्ता में आते ही NEET चुनाव रद्द कर देंगे। अब जब वे सत्ता में आ गए हैं, तो वे भारत के प्रधान मंत्री से मिल रहे हैं और उनसे नीट को परीक्षा से छूट देने के लिए कह रहे हैं। यह 2016 में पहले ही दिया जा चुका है। स्वास्थ्य मंत्री श्री एम. सुब्रमण्यम कहते रहे हैं कि भले ही तमिलनाडु सरकार नीड परीक्षा के लिए प्रशिक्षण कक्षाएं संचालित कर रही हो, लेकिन नीड परीक्षा जल्द ही रद्द कर दी जाएगी। यह आगे-पीछे बात करके छात्रों को भ्रमित करने का एक प्रयास है और इनमें से कोई भी छात्रों को पढ़ने नहीं जा रहा है। तमिलनाडु के छात्रों और अभिभावकों को यह समझने की जरूरत है कि सत्तारूढ़ राज्य सरकार द्वारा NEET परीक्षा रद्द नहीं की जा सकती है।
यह कुछ ऐसा है जिसकी पुष्टि सुप्रीम कोर्ट ने की है। सामान्य सूची में एनईईटी चयन को एक प्रस्ताव द्वारा रद्द नहीं किया जा सकता है। तो शिक्षा मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री श्री मा सुब्रमण्यम या मुख्यमंत्री जी को चाहिए कि वे लोगों और छात्रों को भ्रमित करना बंद करें और इस साल पूरे मन से स्कूलों में बेहतर प्रशिक्षण कक्षाएं संचालित करें और छात्रों को अच्छी तरह से पढ़ने और पास होने का अवसर दें। नीड परीक्षा दें और मेडिकल कॉलेज जाएं। द्रमुक को राजनीतिक फायदे के लिए लोगों और छात्रों को भ्रमित करना बंद कर���ा चाहिए।"
NEET Exam - Confusing students & parents to hide their wanton lies has become the habit of @arivalayam @BJP4TamilNadu pic.twitter.com/DBhRRRs4Sm
— K.Annamalai (@annamalai_k) June 18, 2021
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राजस्थान में हो सकती है दसवीं की बोर्ड परीक्षा, जानिए ताजा जानकारी हो सकती है महत्वपूर्ण विषय, बोर्ड परीक्षा, जानिए डिटेल्स
राजस्थान में हो सकती है दसवीं की बोर्ड परीक्षा, जानिए ताजा जानकारी हो सकती है महत्वपूर्ण विषय, बोर्ड परीक्षा, जानिए डिटेल्स
राजस्थान आरबीएसई परीक्षा 2021: केंद्रीय विषय बोर्ड की परीक्षाएं राजस्थान में हो सकती हैं। राजस्थान आरबीएसई परीक्षा 2021: राजस्थान में कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा हो सकती है। राज्य बोर्ड की परीक्षाएं जून या जुलाई में हो सकती हैं। नई दिल्ली। राजस्थान बोर्ड के लाखों छात्र परीक्षा तिथियों का इंतजार कर रहे हैं। राज्य सरकार और शिक्षा बोर्ड ने कोरोना के कारण रद्द हुई बोर्ड परीक्षाओं की नई तारीख की घोषणा…
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CBSC बोर्ड परीक्षा 2021 कोरोना की वजह से रद्द हो सकती है 12वीं की बोर्ड परीक्षा
CBSC बोर्ड परीक्षा 2021 कोरोना की वजह से रद्द हो सकती है 12वीं की बोर्ड परीक्षा
पीटीएन – केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड बारहवीं कक्षा की परीक्षा को रद्द कर सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिक्षा मंत्रालय कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुई वर्तमान स्थिति की समीक्षा कर रहा है और बोर्ड परीक्षा को रद्द करने पर विचार कर रहा है। बताया जा रहा है कि सीबीएसई द्वारा अगले दो सप्ताह के भीतर बोर्ड परीक्षा रद्द करने की घोषणा की जा सकती है। इसे लेकर समीक्षा की जा रही है। शिक्षा…
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#Alternative evaluation plan#CBSC Board#Corona Virus#Media reports#Ministry of Education#Senior officer#uttar pradesh news
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Board Exam 2021 Cancelled: गुजरात बोर्ड SSC एग्जाम रद्द, बिना परीक्षा होंगे प्रमोट Divya Sandesh
#Divyasandesh
Board Exam 2021 Cancelled: गुजरात बोर्ड SSC एग्जाम रद्द, बिना परीक्षा होंगे प्रमोट
Gujarat Board GSEB 10th Exam 2021: गुजरात सरकार (Gujarat government) ने राज्य में कोरोना वायरस () महामारी के कारण बोर्ड एग्जाम (Gujarat Board) को लेकर बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार ने रद्द कर दिए हैं और 10वीं (SSC) क्लास के स्टूडेंट्स को बिना परीक्षा अगली क्लास में प्रमोट करने की घोषणी की है।
मुख्यमंत्री की बैठक में हुआ फैसला गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) 10वीं बोर्ड परीक्षा को रद्द करने का निर्णय गुरुवार को गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी (CM ) द्वारा आयोजित एक कोर कमेटी की बैठक में लिया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य सरकार 10वीं कक्षा के छात्रों को मास प्रमोशन देगी। इससे पहले, बोर्ड ने कहा था कि कोविड -19 स्थिति की समीक्षा बैठक 15 मई को होगी और उसके बाद बोर्ड परीक्षा के बारे में फैसला लिया जाएगा।
इन छात्रों की हो सकती है 10वीं बोर्ड परीक्षा सीएम ने कोविड-19 हालात के मद्देनजर स्टूडेंट्स, टीचर्स और पेरेंट्स को बचाने और वायरस को फैलने से रोकने के लिए यह फैसला लिया है। हालांकि, पिछले साल फेल हुए छात्रों (रिपीटर्स) की परीक्षा का आयोजन covid-19 स्थिति ठीक होने पर किया जा सकता है।
सीएम विजय रूपानी ने दी ये सूचना गुजरात के सीएम ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल के जरिए यह सूचना दी है। उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘राज्य के कक्षा-10 एसएससी के छात्रों के व्यापक हित में आज एक जरूरी फैसला लिया गया। कोरोना के संक्रमण की वर्तमान स्थिति को देखते हुए आज हुई कोर कमेटी की बैठक में इस साल 10वीं क्लास SSC के रेगुलर स्टूडेंट्स मास प्रमोशन देने का निर्णय लिया गया।’ इस बीच, ने कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने पर किसी निर्णय की घोषणा नहीं की है।
GSEB Class 10 Exam Date शेड्यूल के मुताबिक, इस साल जीएसईबी (GSEB) 10वीं क्लास के एग्जाम 10 मई से 25 मई के बीच ऑफलाइन मोड में आयोजित होने वाले थे। जबकि गुजरात बोर्ड (जीएसईबी) ने पिछले महीने कक्षा 1 से 9वीं और 11वीं के छात्रों को बिना परीक्षाओं अगली क्लासेस में प्रमोट करने का ऐलान किया था।
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NTA ने बढ़ाई आवेदन करने की अंतिम दिनांक, जानिए अब कब तक कर सकेंगे अप्लाई #news4
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने JIPMAT 2021 के पंजीकरण के लिए आखिरी दिनांक बढ़ा दी है। इतना ही नहीं ऑफिशियल पोर्टल पर ये भी कहा गया है कि कोरोना संकट कि वजह से JIPMAT 2021 परीक्षा की दिनांक भी रद्द हो सकती हैं। अब NTA ने पंजीकरण की आखिरी दिनांक 31 मई तक के लिए बढ़ा दी है। जो अभ्यर्थी अप्लाई करना चाहते हैं, वे ऑफिशियल पोर्टल यानी, jipmat.ac.in पर जाकर कर सकते हैं। दरअसल, कोरोना के प्रकोप कि वजह से…
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CBSE UPDATE : 12वी की परीक्षा के बारे सरकार की क्या है राय क्या रद्द हो सकती है परीक्षा...
CBSE UPDATE : 12वी की परीक्षा के बारे सरकार की क्या है राय क्या रद्द हो सकती है परीक्षा…
���्या रद्द हो सकती है CBSE कक्षा 12वीं की परीक्षाएं CBSE कक्षा 12 वीं के बोर्ड परीक्षा के अंतिम निर्णय के लिए 1 जून 2021 को होगी सरकार व शिक्षा विभाग की होगी बैठक । कोरोना महामारी के चलते और कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए कक्षा दसवीं की परीक्षा रद्द कर दी गई थी और कक्षा बारहवीं की परीक्षा स्थगित कर दी गई थी l लेकिन अभी भी करो ना संक्रमण कम नहीं हुआ है। जिस वजह से 12वीं कक्षा के बच्चे…
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2019 मप्र लोकसेवा आयोग परीक्षा अग्निपरीक्षा:-
5 साल का अज्ञातवास काट चुकें मप्र2019 परीक्षा की नियुक्तिया हो चुकी हैं और इस पर सैकड़ो बार हाईकोर्ट में बिगत वर्षों में हुई टालमटोली के बाद अंततः माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। कहानी काफी बड़ी हैं इसलिए संक्षिप्त में मुद्दा रखने की कोशिश करुंगी।बात शुरू होती है 14 नवंबर2019 को जारी हुए mppsc नोटिफिकेशन से जिसकी प्राम्भिक परीक्षा 12 जनवरी2020 को सम्पन्न हुई। इसी बीच सरकार बदली और मप्र लोकसेवा आयोग पर नया नियम2020 जारी हुआ।जैसा कि परिणाम भूतलक्षी प्रभाव से आना चाहिए था किंतु आयोग ने विज्ञप्ति के अनुसार नियम2015 न लगाकर ,2020 नियम लगा दिया।मामला कोर्ट पहुँच गया। कोरोना काल में कई दफा यह मामला टलता गया। मार्च 2021 में मुख्य परीक्षा का आयोजन हुआ। पूरी न्यायलयीन समीक्षा लिखना संभव नही इसलिए संक्षेप में यह स्पष्ट कर दू की कुल 3-4 बार परिणाम बदले गए। क्योंकि आरक्षण संबंधित त्रुटि के सुधरने से नए बच्चो को शामिल किया गया।साथ ही पुरानी मुख्य परीक्षा को रद्द करके सबके रिमेंस का निर्णय हाईकोर्ट की डबल बेंच ने दिया। इसके बाद एकल बेंच ने डबल बेंच का फैसला बदल कर नए बच्चो का रिमेंस कराने का फैसला किया( कमाल है डबल बेंच में 2 साल चले मुकदमे को सिंगल बेंच ने एक दिन में बदल दिया, इसे सिंगल बेंच की अवमानना नही माना गया उल्टे इसे लागू कर द���या गया)। जब परिणाम आये तो दो मुख्य परीक्षा को normalisation के नाम जारी किया गया जिसमें कुछ बच्चे बाहर हो गए जो कि इंटरव्यू दे रहे थे।
अब आती हूँ मुख्य मुद्दे पर।
1)2015 रूल के अनुसार normalisation का कोई प्रावधान नही।अब समझिए कि normalisation गलत क्यो हैं। पिछले हफ्ते माननीय एक्सपर्ट महोदय जो कुशल वक्ता भी थे उन्होंने कहा कि मैकाले के जमाने का1939 का कोई फार्मूला लगाकर ,उन्होंने इस ऐतिहासिक रिजल्ट का निर्माण किया है। माननीय पाठकगण ,आपने सुना होगा कि सरकार अग्रेजो के जमाने के कानून को वर्तमान में नए कानून से प्रतिस्थापित कर रही हैं।ऐसे में हम100 साल पुराने उस फार्मूला को पहली बार मुख्य परीक्षा में लगा रहे हैं जो कभी मुख्य परीक्षा के 6 पेपर(कुल मिलाकर12 पेपर) में लागू इसलिए नही किया जा सकता क्योंकि प्रत्येक पेपर के कुल 45 प्रश्न लगभग 250 प्रश्न(दोनो परीक्षा को मिलाकर लगभग 500 प्रश्न) की विभिन्न प्रकृति पर लागू नही की जा सकती।
2) मानीनय एक्सपर्ट ने बड़ी आसानी से कह दिया कि सभी फार्मूला से लगभग यही रिजल्ट आ रहा। अरे साहब 2+2=4 होता है और(1+1+1+1) भी 4 ही होगा मतलब कान इधर से पकड़े या उधर से, बात एक ही है।
3) एक्सपर्ट महोदय के फॉर्मूला से किसी के 20 नंबर घटे तो किसी के बढ़ गए। एक नंबर से डिप्टी कलेक्टर बनने और उसी 1 नंबर से 4 साल का इंतेजार मेरे जैसे लोगो को पता है और आपने बड़ी आसानी से मुख्य परीक्षा जो ज्ञान के साथ मानसिक परीक्षण हैं उसमें अलग अलग प्रकृति के 500प्रश्नों पर गणित लगा दी।साहब ये कोई ऑप्शनल पेपर नही बल्कि 6 विषयों का पेपर था।
3) अब एक और महत्त्वपूर्ण पहलू है 2021 कोरोना काल में पहली मुख्य परीक्षा और 2 साल बाद 2023 में हुए कुछ बच्चो के लिए उसी एग्जाम के लिए अलग मुख्य परीक्षा की। दोनो ही पेपर में तीसरे विज्ञान के पेपर में जमीन आसमान का अंतर था।जहाँ पहला mains का विज्ञान पेपर त्रुटियों और गणित से भरा था वही स्पेशल mains में बहुत ही आसान और संतुलित पेपर था।याद दिला दू हमारी मुख्य परीक्षा के बाद उसी के लिए2 साल बाद इनकी स्पेशल परीक्षा हुई।साहब आप लोगो मे llb में आपको रोक दिया जाए फिर आपका स्कूल जूनियर को पास होने के लिए 2 साल दिए जाएं तो क्या ये कोई परीक्षा हैं जिसका रिजल्ट तो एक ही है पर परीक्षा दो।
4) अबकी बार म���ख्य परीक्षा ऑनलाइन चेक हुई अर्थात गणित का कोई फॉर्मूला लगाकर आसानी से प्रायकत्ता के आधार पर किसी को भी दा��ं बाएं किया जा सकता है। ये प्रोबेबिलिटी ही तो है कि पास हुए बच्चे फैल हो गए। एक नंबर से पूरा रिजल्ट बदल जाने वाली परीक्षा के 500 प्रश्नों पर आप stats का वो फॉर्मूला लगा रहे है जो अंग्रेजो को ICS में पास करने और भारतीयों को बाहर करने के लिए बनाया गया था।
5) अंतिम बात ये 5 साल तक केस को क्यो खिंचा गया।डबल बेंच के निर्णय को सिंगल बेंच ने क्यो बदला। 3 साल तक विधिक सलाह लेने वाले आयोग ने सिंगल बेंच को एक हफ्ते में कैसे लागू कर दिया और सबसे बड़ी बात, अगर 3 साल डबल बेंच और आयोग को एक मुद्दा समझने में इतना वक्त लगा तो सिंगल बेंच को एक ही दिन में कैसे समझ आया और लागू भी हो गया। अगर विधिक सलाह में 3 साल लगे तो remains कराने की जगह ,स्पेशल mains के लिए एक ही दिन क्यो लगा। गणित का फार्मूला होगा सत्यापित, तो क्या कहि का फार्मूला कही भी लग जायेगा। 2 अलग अलग परीक्षा और परिणाम एक,कैसे संभव है। जब प्रकृति ही अलग है।अंतिम शब्दो बस यही कहूंगी की आप हिमालय और हवा/पानी को एक ही तराजू में(same unit for diffrent variants) कैसे नाप सकते हैं। ये फार्मूला अलग परीक्षा में लागू होता होगा पर यहाँ तो 3 साल में 2 पेपर एक रिजल्ट और कुल 500 प्रश्नों की विभिन्न प्रकृति का सवाल है।हालांकि अभी सवाल ही नहीं तर्क भी और हैं पर क्या फायदा जब"मेरा मुंसिफ ही मेरा कातिल हैं क्या मेरे हक़ में फैसले देगा"।ireena
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गुजरात दसवीं बोर्ड की परीक्षाएं हो सकती हैं रद्द, अभिभावकों ने उच्च न्यायालय में दायर की याचिका [Source: Patrika : India's Leading Hindi News Portal]
गुजरात दसवीं बोर्ड की परीक्षाएं हो सकती हैं रद्द, अभिभावकों ने उच्च न्यायालय में दायर की याचिका [Source: Patrika : India’s Leading Hindi News Portal]
GSEB Exam 2021 Latest Update: गुजरात बोर्ड द्वारा आयोजित की जाने वाली कक्षा 10 और 12वीं की परीक्षाओं को अगली सूचना आने तक स्थगित कर दिया गया है। राज्य सरकार ने कोरोना महामारी पर नियंत्रण की स्थिति में समीक्षा के बाद 15 मई को संशोधित परीक्षा की तिथियां घोषित की जाएगी। लेकिन कोरोना के चलते हालात बदतर होते जा रहे हैं। ऐसे में ऑल गुजरात पेरेंटस एसोसिएशन ने कक्षा 10वीं की परीक्षा को रद्द करने के लिए…
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UGC NET 2021 Postpone: यूजीसी नेट परीक्षा हो सकती है स्थगित, नीट पीजी और जेईई मेन के बाद इस परीक्षा पर भी फैसला जल्द
UGC NET 2021 Postpone: कोरोना संक्रमण के मामलों में वृद्धि के चलते केंद्र और राज्य सरकारें एहतियात के तौर पर हरसंभव कोशिश कर रही है। सीबीएसई और अन्य राज्यों के शिक्षा बोर्ड भी परीक्षाएं रद्द और स्थगित करने के फैसले ले चुके हैं। हाल ही में नीट पीजी और जेईई मेन परीक्षा को स्थगित कर दिया गया है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि स्थगित की जा रही है। NTA UGC NET 2021 Postponed हो सकती है। परीक्षार्थियों के सामने परीक्षा केंद्र तक पहुँचने की चुनौती भी होगी। यूजीसी नेट परीक्षा के एडमिट कार्ड जारी किए जाने या स्थगित करने पर फैसला जल्द ही लिया जाएगा। राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के लिए सफलतापूर्वक आवेदन करने वाले उम्मीदवार परीक्षा से संबंधित लेटेस्ट अपडेट के लिए एनटीए की आधिकारिक वेबसाइट को समय-समय से चेक करते रहें।
Read More: ओडिशा ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू, यहां से करें आवेदन
UGC NET 2021 Exam Schedule यूजीसी नेट/जेआरएफ के लिए परीक्षा 2, 3, 4, 5, 6, 7, 10, 11, 12, 14 और 17 मई 2021 को ली जाएगी। परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवार एडमिट कार्ड जारी होने के बाद परीक्षा की तिथि और समय की जानकारी ले सकेंगे। परीक्षा दो शिफ्टों में आयोजित की जाएगी। उच्च शिक्षण संस्थानों में जूनियर रिसर्च फेलोशिप और असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए राष्ट्रिय पात्रता परीक्षा आयोजित की जाती है। इस परीक्षा का आयोजन वर्ष में दो बार में किया जाता है। इस बार यह परीक्षा दिसंबर 2020 और मई 2021 के लिए एक ही बार आयोजित की जा रही है।
Read More: अप्रैल सेशन के लिए आयोजित होने वाली जेईई मेन परीक्षा स्थगित, इसमें से पढ़ें डिटेल
UGC NET 2021 Eligibility यूजीसी नेट परीक्षा के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार का न्यूनतम 55 प्रतिशत अंकों के साथ पीजी डिग्री उत्तीर्ण होना जरुरी है। इस वर्ष जेआरएफ के लिए 31 वर्ष तक के उम्मीदवार आवेदन के पात्र माने गए हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं है।
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UGC NET 2021 Exam Pattern यूजीसी नेट परीक्षा में दो प्रश्न पत्र लिए जाएंगे। यूजीसी नेट परीक्षा की अवधि तीन घंटे की होगी। पेपर 1 में 'टीचिंग एंड रिसर्च एप्टीट��यूड' पर कुल 100 अंकों के 50 प्रश्न होंगे। पेपर 2 में संबंधित विषय से 100 प्रश्न होंगे। प्रत्येक प्रश्न में दो अंक होंगे।
NTA UGC NET May 2021 Important Instructions
COVID-19 महामारी को देखते हुए, परीक्षा के दिन उम्मीदवारों को एडमिट कार्ड के साथ में दिए गए स्व-घोषणा पत्र को भरकर लाना होगा। पारदर्शी बॉल पॉइंट पेन परीक्षा केंद्र पर ही दिया जाएगा। उम्मीदवार को अपने साथ वैद्य फोटो पहचान पत्र और एक फोटोग्राफ साथ में ले जाना होगा। परीक्षा केंद्र पर उम्मीदवार को मास्क पहनना जरुरी है, साथ ही 50 मिलीलीटर की बोतल हैंड सैनिटाइज़र, और पारदर्शी पानी की बोतल भी ले जाने की अनुमति होगी।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://www.patrika.com/jobs/nta-ugc-net-2021-exam-might-get-postponed-6805970/
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JEE Main 2021: विद्यार्थी हो जाएं तैयार, इस महीने के अंत तक हो सकती है तिथियों की घोषणा -Hindi News
JEE Main 2021: विद्यार्थी हो जाएं तैयार, इस महीने के अंत तक हो सकती है तिथियों की घोषणा -Hindi News
Hindi News – नई दिल्ली | CBSE के साथ ही राज्यों के STATE BOARD द्वारा भी 10वीं और 12वीं परीक्षाएं रद्द कर दी गई थी. अब कोरोना के मामलो में कमी आन के बाद से ये कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले कुछ दिनों में संयुक्त प्रवेश परीक्षा, जेईई मेन 2021 (JEE Main 2021) की परीक्षा तिथियों की घोषणा की जा सकती है. इस परीक्षा का इंतजार कर रहे विद्यार्थियों के लिए भी ये राहत वाली खबर है. बता दें कि राष्ट्रीय…
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यूपी बोर्ड परीक्षा मई 2021 में आयोजित नहीं की जाएगी। शिक्षा मंत्री सहित कई बोर्ड अधिकारियों ने कोरोना के लिए सकारात्मक परीक्षण किया। उनकी दसवीं की परीक्षा रद्द हो सकती है। जून में बारहवीं की परीक्षा की तैयारी कोरोना से शिक्षा मंत्री सहित कई बोर्ड के अधिकारी प्रभावित हुए। दसवीं की परीक्षा रद्द, जून में 12 वीं की परीक्षा की तैयारी
यूपी बोर्ड परीक्षा मई 2021 में आयोजित नहीं की जाएगी। शिक्षा मंत्री सहित कई बोर्ड अधिकारियों ने कोरोना के लिए सकारात्मक परीक्षण किया। उनकी दसवीं की परीक्षा रद्द हो सकती है। जून में बारहवीं की परीक्षा की तैयारी कोरोना से शिक्षा मंत्री सहित कई बोर्ड के अधिकारी प्रभावित हुए। दसवीं की परीक्षा रद्द, जून में 12 वीं की परीक्षा की तैयारी
हिंदी समाचार स्थानीय उत्तर प्रदेश यूपी बोर्ड परीक्षा मई 2021 में आयोजित नहीं की जाएगी। शिक्षा मंत्री सहित कई बोर्ड अधिकारियों ने सकारात्मक परीक्षण किया। उनकी दसवीं की परीक्षा रद्द हो सकती है। जून में 12 वीं परीक्षा की तैयारी विज्ञापनों के साथ फेड। विज्ञापनों के बिना समाचार के लिए डायनाक भास्कर ऐप इंस्टॉल करें ل نکھ25 मिनट पहले प्रतिरूप जोड़ना यूपी बोर्ड के छात्रों के लिए यह महत्वपूर्ण खबर है।…
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अब बस भी करो सरकार, तुमसे न हो पाएगा !
आखिर ट्विटर पर क्यों ट्रेंड हो रहा है #ThankYouModiSir? जानिये क्या है माजरा! सोशल मीडिया में छवि सुधारने के लिए कैसे धमकाया जा रहा है बच्चो को? क्या है इसका पूरा सच? सरकार अपनी छवि चमकाने के लिए आंकड़ों से क्यों खेल रही है? जहाँ एक तरफ आंकड़ों को जारी होने से रोका जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सरकारी संवाद आंकड़ों पर आधारित हो रहा है। सरकार और सोशल मीडिया के बीच चल रही तकरार के साथ ही शुक्रवार शाम से एक नए बवाल की शुरुआत हो गयी। दरअसल, देश के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में मंगलवार को सीबीएसई 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने का फैसला लिया गया। इस फैसले के बाद देशभर के छात्रों ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इस फैसले पर खुशी और संतोष व्यक्त किया। छात्रों के साथ ही अभिभावकों ने भी इस फैसले को उचित ठहराया। छात्रों का कहना है कि वे बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर चुके थे, लेकिन कोविड संक्रमण के इस दौर में परीक्षा केंद्रों तक जाकर नियमित रूप से परीक्षाएं देना अभी भी खतरे से खाली नहीं है। गौरतलब है कि इस बार सीबीएसई की 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 14,30,247 स्टूडेंट्स को शामिल होना था। सभी राज्यों ने बिना कुछ कहे प्रधानमन्त्री के इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे लागू कर दिया। बात यहीं आकर खतम नहीं हुई बल्कि यहाँ से सुरू होती है... बात करते हैं 4 जून शाम 4 बजे से ट्विटर पर ट्रेंड करते #ThankYouModiSir की। जिसे केन्द्रीय विद्यालय के अलग-अलग ब्रांचो के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया। जिसमें एक विद्यालय से चार बच्चों का धन्यवाद मोदी सर का वीडियो पोस्ट किया गया। जिसे प्रतीक सिन्हा, जुबेक आदि ने एक्सपोज करते हुए ट्विटर पर पोस्ट किया है। जिसे देखकर कोई भी यही कहेगा की कोई भी सरकार इतना कैसे गिर सकती है? सरकार तो कीर्तिमान स्थापित करती है। ट्विटर पर ट्रेंड चलाया बीजेपी के आईटी सेल ने और ये निकल गया पूरा का पूरा टूलकि��। टूलकिट जब एक्सपोज हुआ तो चौकाने वाला खुलासा सामने आया है। केन्द्रीय विद्यालय के जो अलग-अलग स्कूल है, अलग-अलग जिलों की शाखाएँ है, जो केन्द्र की मोदी सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती हैं। वहाँ के प्रधानाचार्य, शिक्षकों ने बच्चों पर दबाव बनाया व्हाट्सप्प ग्रुप के अन्दर मोदी जी की तरीफे करने की कुछ विडियों बनाने का। जिनकी चैट लीक होने से इस मामले का खुलासा हुआ और पूरी की पूरी बीजेपी सरकार बैकफूट पर आ गयी है। उस चैट में आप देख सकते है कि टीचर धमकी तक दे रहे हैं बच्चों को कि आपने विडियों बनाकर ट्वीट नहीं किया तो फिर अच्छा नहीं होगा। बच्चों को धमकाने का ये अधिकार इन्हे किसने दिया? हैरत होती है कि कोई अपनी पीआर एक्ससाइज़ में इतना नीचे कैसे जा सकता है। “राहुल गाँधी जी ने कुछ दिन पहले अपने एक बयान में कहा था कि मोदी जी के लिए सबसे पहले अपनी छवि है बांकी चीजें बाद में।” जो बातें आज इस मोड़ पर सच साबित होती नजर आ रही है। प्रतीक सिन्हा ने एक ट्वीट कर बताया है कि मोदी टूलकिट केन्द्रीय विद्यालय के माध्यम से पूरे देश में सबके सामने आ गयी है। आप इस बात से नदाजा लगा सकते है कि देश में क्या चल रहा है, जो देश की जनता को दिखाया जा रहा है वो आखिर कितना सच है। सारे ट्वीट एक ही फॉर्मेट में किये गये है। मोदी जी को टैग भी किया गया है, सारी पोस्टों में एक जैसा ही संदेश का उपयोग किया गया है। The teachers of KV are threatening students of dire consequences lest they post/send their videos. Here's WhatsApp chat of one such bhakt teacher: cc @zoo_bear @TeamSaath @brajeshlive https://t.co/IlZ2Ff4AMl pic.twitter.com/EEY91ITWm0 — Vipul Kapoor (@MrCamphor) June 4, 2021 विपुल कपूर ने एक पोस्ट करते हुए कहा है कि देखिये कैसे केन्द्रीय विद्यालय के शिक्षक बच्चों पर अनावश्यक दवाब बनाकर धमका रहे हैं कि वीडियो बनाकर पोस्ट करें वर्ना अंजाम ठीक नहीं होगा। वहीं शिक्षक लिखता है कि आज आप हमारी नहीं सुनोगे तो कलको हम आपकी नहीं सुनेंगे। अपनी राजनीति के लिए कैसे बच्चों को धमकाया जा रहा है आप अंदाजा लगा सकते हैं। आंखिर क्यूँ ये सब करने की नौमत सरकार को आन पड़ी है। सरकार में बैठे मन्त्री बस ट्वीट या पोस्ट को रीट्वीट व शेयर करते नजर आ रहे हैं। पिछले कुछ सालों से देश की जनता देख रही है कि मंत्रालय किसी का भी हो चर्चा व घोषणा मोदी जी ही करेंगे। बीजेपी की कथनी और कथनी का अन्तर जनता के सामने आ गयी है। जिसका भुगतान पूरे देश की जनता को करना पद रहा है। आज तक किसी भी सरकार ने ऐसा नहीं किया, क��ी करने के बारे में सोचा भी नहीं होगा। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जो सरकार अपनी छवि बचाने के लिए बच्चों का उपयोग करने से पीछे नहीं है तो सोच सकते है इनकी हालत क्या होगी। यहाँ तक कि शिक्षा मन्त्री निशंक इस पर कार्यवाही करने के बजाए रीट्वीट करते हुए इस पर मोदी जी का धन्यवाद लिखते नजर आ रहे हैं। चुनाव के लिए सब संभव है पर बच्चों की शिक्षा को आखिरी मौके पर निरस्त करना कितना सही है? जब राजधानी अनलॉक होने की तैयारी में, तो परीक्षाएं क्यूँ नहीं अब बात करते है देश की राजधानी दिल्ली की जहा परीक्षा निरस्त होने के बाद मुख्यमन्त्री केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में धीरे-धीरे कोरोना की स्तिथि बेहतर हो रही है जिसे देखते हुए हमने अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की है। 7 जून को सुबह 5 बजे तक लॉकडाउन जारी रहेगा। इसके बाद काफी सारी एक्टिविटी में रियायत दी जा रही है। पिछले हफ्ते फैक्ट्री और कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी खोली थीं और उसके बावजूद स्तिथि कंट्रोल में है। क्या बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए 50 फीसदी क्षमता के साथ परीक्षा संचालित नहीं की जानी चाहिए थी? हम आंकड़ों में बड़ी रुकावट का सामना कर रहे हैं। हमें आंकड़े प्रपट होते है, वे सभी नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) जैसी सरकारी एजेंसियों द्वारा जारी किये जाते हैं। एनएसएसओ का अब तक एक भी सर्वेक्षण ऐसा नहीं आया जिस पर विवाद न हुआ हो। इसका सबसे ताजा उदाहरण है बेरोजगारी के आंकड़ा जो पहले मीडिया में लीक हो गये और बाद में कुछ महीनों की देरी के बाद आधिकारिक रूप से जारी कर दिए गये। सरकर लगातार भ्रम की स्थिति बना रही है। लोग घरों में कैद होने को मजबूर है सरकार का ध्यान चुनाओ की तैयारियों पर है। देश किस ओर बाद रहा है आपको अंदाजा भी नहीं है। “राहुल गाँधी ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई भाषा को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि मोदी सरकार घमंडी है, वास्तविकता की बजाय पर धारणा पर ध्यान केंद्रित करती है। कोरोना वायरस से केवल विनम्रता अपनाकर लड़ा जा सकता है। भारत अब विश्व में कोराना वायरस का केंद्र है, हम जो अपने देश में देख रहे हैं उससे पूरी दुनिया विचलित हो गयी है। कोविड-19 पूर्ण तबाही लाया है, यह लहर नहीं है, यह सुनामी है, जिसने सब कुछ तबाह कर दिया है। उन्होने कहा कि प्रधानमन्त्री खुद की छवि बनाने में पूरी तरह से और ठोस तरीके से लगे हुए हैं और उनका पूरा ध्यान असल बात की बजाय अपनी छवि पर केंद्रित है। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी, गृह मन्त्री अमित शाह ने कोराना वायरस फैलाने वाले कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया और उन कार्यक्रमों की प्रशंसा भी की। “ वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका को सुनने से इनकार कर दिया जिसमें इस साल 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षा फीस माफ किये जाने का आग्रह किया गया था। दलील दी गयी थी कि कई परिवार लॉकडाउन के चलते आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। जस्टिस अशोक भूषण, आर. सुभाष रेड्डी और एम.आर. शाह की खंडपीठ ने कहा कि वो कैसे सरकार को इस बारे में दिशा निर्देश जारी कर सकते हैं। छात्रों और अभिभावकों की ओर से एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका लगाई थी। इससे पहले इसी मुद्दे पर हाई कोर्ट ने कहा था कि कानून का पालन करते हुए और सरकार की नीतियों को देखते हुए ही कोई फैसला लिया जाए। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक छोटी सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि लॉकडाउन के चलते लोगों की आमदनी कम हो गयी है। वो बहुत मुश्किल से दो वक्त का खाना जुटा पा रहे हैं। याचिका में सलाह दी गयी थी कि पीएम केयर फंड से बच्चों की फीस दी जाय। इस पर सरकार ने अब तक कोई अमल नहीं किया बल्कि बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करते हुये परीक्षा ही रद्द कर दी गयी। अभी तक किसी को भी यह नहीं मालूम कि भविष्य में होने वाली प्रतियोगिता परीक्षाओं में इस बार प्रमोट हुए बच्चे प्रतिभाग कर भी पाएंगे या नहीं? उदाहरण के तौर पर कह सकते हैं कि आज भी टीवी चैनल पर हमेशा की तरह मतदाताओं के चमकते चेहरे दिख रहे होते हैं जो उनके खुश होने का एहसास कराते हैं। कुतर्क इस सीमा तक पहुंच गया है कि भारत की विकास दर की तुलना अमेरिका से की जा रही है। टेलीविजन कभी जनता को यह नहीं बताते कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था का आकार क्या है और विकसित देशों में कम विकास दर भी विकासशील देशों की ऊंची विकास दर से अधिक महत्व रखती है। इस तरह की व्याख्या कल्या��कारी होने का भ्रम पैदा करती है। विश्वसनीय आंकड़ों की कमी के कारण इस तरह का दुष्प्रचार बहुत-सी खाली जगह घेर लेता है। और हम खुशी-खुशी इस दुष्प्रचार भरोसा भी कर लेते हैं। Read the full article
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20 जून तक 10वीं बोर्ड का रिजल्ट, सीबीएसई ने तय किया अंक देने का फार्मूला Divya Sandesh
#Divyasandesh
20 जून तक 10वीं बोर्ड का रिजल्ट, सीबीएसई ने तय किया अंक देने का फार्मूला
20 जून तक 10वीं बोर्ड का रिजल्ट, सीबीएसई ने तय किया अंक देने का फार्मूला 10th board results by June 20, CBSE decides marking formula
10वीं बोर्ड परीक्षा में शामिल न हो सके छात्रों को किस आधार पर अंक दिए जाएंगे सीबीएसई ने इसका फामूर्ला तैयार कर लिया है।
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सीबीएसई ने तय किया है कि 10वीं बोर्ड परीक्षा का परिणाम 20 जून तक घोषित किया जाएगा।
नई दिल्ली। 10वीं बोर्ड परीक्षा में शामिल न हो सके छात्रों को किस आधार पर अंक दिए जाएंगे सीबीएसई ने इसका फामूर्ला तैयार कर लिया है। सीबीएसई ने तय किया है कि 10वीं बोर्ड परीक्षा का परिणाम 20 जून तक घोषित किया जाएगा। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने नोटिफिकेशन जारी किया है। इस नोटिफिकेशन में 10वीं बोर्ड के लिए अंक तय करने नीति घोषित की गई है। नोटिफिकेशन के मुताबिक प्रत्येक विषय में 20 अंक आंतरिक मूल्यांकन के लिए होंगे। शेष 80 अंक वर्षभर की विभिन्न परीक्षाओं में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर दिए जाएंगे।
सीबीएसई परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने नोटिफिकेशन के माध्यम से बताया कि वर्ष 2021 के लिए अधिकतम 20 अंक आंतरिक मूल्यांकन से, 10 अंक यूनिट टेस्ट, 30 अंक मिड टर्म एग्जाम और 40 अंक प्री-बोर्ड परीक्षा के आधार पर मिलेंगे।
बोर्ड ने स्कूलों को परिणाम को अंतिम रूप देने के लिए प्रिंसिपल और सात शिक्षकों वाली एक परिणाम समिति भी बनाने को भी कहा है। इस समिति में गणित, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान और दो भाषाओं के शिक्षक होने चाहिए। साथ पड़ोसी स्कूलों के दो शिक्षकों को समिति के बाहरी सदस्यों के रूप में चुना जाएगा।
अंक देने में पक्षपात पूर्ण रवैया की शिकायत मिलने पर सीबीएसई स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। इसके तहत स्कूलों पर जुमार्ना लगाया जा सकता है या फिर उनकी मान्यता भी रद्द की जा सकती है। सीबीएसई के मुताबिक सभी स्कूलों को अपने रिजल्ट से जुड़ी पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन अपलोड करनी होगी। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि रिजल्ट प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी रखा जा सके। वहीं जो छात्र इस माध्यम से मिले नंबरों से खुश नहीं होंगे, उन्हें एग्जाम देकर अंक हासिल करने का मौका दिया जा सकता है।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए इस वर्ष 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द की जा चुकी हैं। वहीं 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा यह फैसला छात्रों एवं शिक्षकों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए लिया गया है।
इससे पहले सीबीएसई ने दसवीं बोर्ड के रिजल्ट के लिए अपने सभी स्कूलों को एक फार्मेट भेजा था। इस फार्मेट में स्कूल में हुए सालभर के प्रोजेक्ट वर्क, असाइनमेंट आदि की जानकारी मांगी गयी थी। इसके आधार पर ही अब फाइनल रिजल्ट तैयारी किया जाएगा।
–आईएएनएस
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Uttarakhand Board Exam 2021- तो उत्तराखण्ड में भी रद्द होंगी परीक्षायें
Uttarakhand Board Exam 2021- तो उत्तराखण्ड में भी रद्द होंगी परीक्षायें
विगत दिवस केंद्र सरकार द्वारा ने सीबीएसई और सीआईएससीई बोर्ड की इंटर की परीक्षाएं रद्द करने का फैसला लिया है। इसके बाद Uttarakhand Board Exam 2021 की 12 वी की परीक्षा को लेकर अटकलो का बाजार गर्म हो गया है। सभांवना है कि केंद्र की तरह ही राज्य सरकार भी उत्तराखण्ड बोर्ड की 12 वी कक्षा की परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला ले सकती है। विगत दिवस केंद्र सरकार द्वारा ने सीबीएसई और सीआईएससीई बोर्ड क��� इंटर…
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