#12 ज्योतिर्लिंग
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#हिन्दूसाहेबान_नहीं_समझे गीता वेद पुराण
क्या आप जानते हैं शिव जी ने अमरनाथ तीर्थ स्थल पर पार्वती जी को कौन सी कथा सुनाई थी?
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12 ज्योतिर्लिंग नाम जगह सहित
सौराष्ट्र प्रदेश (काठियावाड��) में श्री सोमनाथ, श्रीशैल पर श्रीमल्लिकार्जुन, उज्जयिनी (उज्जैन) में श्रीमहाकाल, ॐकारेश्वर अथवा ममलेश्वर, परली में वैद्यनाथ, डाकिनी नामक स्थान में श्रीभीमशंकर, सेतुबंध पर श्री रामेश्वर, दारुकावन में श्रीनागेश्वर, वाराणसी (काशी) में श्री विश्वनाथ, गौतमी (गोदावरी) के तट पर श्री त्र्यम्बकेश्वर, हिमाल�� पर केदारखंड में श्रीकेदारनाथ और शिवालय में श्रीघृष्णेश्वर।
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सावन शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !! #HappyShivaratri
🔱 शिवरात्रि - Sawan Shivaratri 📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/shivaratri
🔱 शिवरात्रि विशेष 2024 - Sawan Shivaratri Specials 📲 https://www.bhaktibharat.com/blogs/sawan-shivaratri-specials
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🔱 शिव चालीसा - Shiv Chalisa 📲 https://www.bhaktibharat.com/chalisa/shiv-shiv-chalisa
🔱 शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र - Shiv Panchakshar Stotram Mantra 📲 https://www.bhaktibharat.com/mantra/shri-shiv-panchakshar-stotram
🔱 शिव आरती - Shiv Aarti 📲 https://www.bhaktibharat.com/aarti/shri-shiv-shankar-bholenath
🔱 शिव भजन - Shiv Bhajan 📲 https://www.bhaktibharat.com/bhajan/shiv-shankar-bholenath-ke-bhajan
🔱 भजन - इक दिन वो भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी - Ik Din Vo Bhole Bhandari Banke Braj Ki Nari 📲 https://www.bhaktibharat.com/bhajan/ik-din-vo-bhole-bhandari-banke-braj-ki-nari
🔱 श्री रुद्राष्टकम् - Shri Rudrashtakam 📲 https://www.bhaktibharat.com/amp/mantra/shri-rudrashtakam-goswami-tulasidas-krat
🔱 द्वादश(12) शिव ज्योतिर्लिंग - 12 Jyotirlinga 📲 https://www.bhaktibharat.com/list/12-jyotirlinga
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*श्री सोमनाथ महादेव मंदिर प्रथम ज्योतिर्लिंग - गुजरात (सौराष्ट्र) संध्याकाल श्रृंगार दर्शन दिनांकः 12/09/2023 (मंगलवार)📿🚩*
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Maha Shivratri is one of the most ancient Hindu #festivals celebrated in honour of #lordshiva and Goddess Parvati. Celebrated on the 13th day of the Hindu month of Phalgun (February-March), Maha Shivaratri is a sacred occasion when devotees of Lord Shiva observe fast, chant special prayers and perform certain rituals. It is believed that on this day Lord Shiva and Mata Parvati got married and this ancient occasion marks the wedding anniversary of the #divine couple. It is an occasion to reflect and introspect, to think and meditate on life and its purpose. Maha Shivratri is the #celebration of this cosmic wisdom and victory of good over evil. The festival is a reminder to surrender to the divine and not just to be dutiful but to become devout, to be devoted and to have unconditional faith in the teachings of Lord Shiva.
►12 jyotirlinga darshan भारत के बारह ज्योतिर्लिंग के दर्शन : https://youtu.be/CTuJBJvvq3w
Hanuman Chalisa: https://youtu.be/X4Vm6HjHpCQ
Ganesh Chaturthi: https://youtu.be/tVyIPeUn84s
Navratri: https://youtu.be/fodT65k5W-8
Inviting Divine: https://youtu.be/9P3laKalpSw
Beautiful Moments: https://youtu.be/l1Xoj062HZo
#महाशिवरात्रि , #mahashivratri #mahashivratri2023 #lordshiva #godshiva #jai bholenath #hinduism #hindufestival
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आप ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़े ये खास रहस्य नहीं जानते होंगे?
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: आज हम अपने पाठकों के लिए भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से चौथे ज्योतिर्लिंग की जानकारी लाए हैं, जो कि श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है। यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के बीच मंधाता या शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है। यह ओंकारेश्वर-ज्योतिर्लिंग दो ��्वरूपों में मौजूद है। एक को ममलेश्वर के नाम से और दूसरे को ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है। ममलेश्वर नर्मदा के…
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12 ज्योतिर्लिंग: भक्तों के कल्याण के लिए अद्भुत स्थल और उनके दर्शन से लाभ
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किसने बनवाए शिव के '12 ज्योतिर्लिंग' पर मंदिर? हज़ारों साल पहले बने, आज ...
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Shiv Raksha Kavach Yantra
Explore the Divine Essence of Shiv ji Ke 12 Jyotirling. The twelve Jyotirlingas, or 'lingas of light,' are revered sanctuaries devoted to Lord Shiva that represent his tremendous presence and divine kindness. Each Jyotirlinga represents Lord Shiva in a distinct shape, and pilgrimages to these hallowed spots are said to confer enormous blessings and spiritual upliftment on followers.
These twelve Jyotirlingas are located throughout India, from the icy peaks of Kedarnath in the north to the tranquil coasts of Rameswaram in the south. They are: Somnath, Gujarat Mallikarjuna, Andhra Pradesh
Mahakaleshwar, Madhya Pradesh Omkareshwar, Madhya Pradesh Kedarnath in Uttarakhand. Bhimashankar, Maharashtra Kashi Vishwanath, Uttar Pradesh. Trimbakeshwar, Maharashtra Vaidyanath in Jharkhand. Nageshwar in Gujarat. Rameshwar, Tamil Nadu Grishneshwar, Maharashtra
Each Jyotirlinga has its own meaning and history, which are inextricably linked to Hindu mythology and spirituality as a whole. Pilgrims travel hundreds of kilometers to pay their respects to these ancient sites, seeking consolation, spiritual direction, and blessings from Lord Shiva. Many devotees opt to decorate their homes with objects associated with the twelve Jyotirlingas in order to strengthen their spiritual practice and connection with Lord Shiva. Shivlingas depicting each Jyotirlinga, Lord Shiva Yantras, and Jyotirlinga wall hangings are popular choices, as they are thought to emit divine energy and safeguard the home.
The Shiv Raksha Kavach Yantra is another potent representation of Lord Shiva's protection and blessings. It is worn as an amulet or pendant, thought to protect the person from harmful energy and provide serenity and prosperity. Finally, Lord Shiva's twelve Jyotirlingas are more than simply physical constructions; they represent divine energy and spiritual importance. They inspire millions of devotees around the world to embark on a journey of faith, devotion, and self-discovery while reminding us of Lord Shiva's eternal presence and grace in our lives.
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Mallikarjun Jyotirlinga: दूसरा ज्योतिर्लिंग है मल्लिकार्जुन, जानें मंदिर का पौराणिक महत्वMallikarjun Jyotirlinga: 12 ज्योतिर्लिंगों में दूसरा ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग है। तो आइए इस लेख के जरिए जानते हैं कि मंदिर का क्या पौराणिक महत्व है
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart22 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart23
हिन्दू साहेबान आप शिक्षित हैं, कृपया अब ध्यान दें! : गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में क्या कहा है? अध्याय 7 श्लोक 12-15 तथा 20-23 में क्या कहा है? सुनो! पढो!
गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में कहा है: पित्तरों को पूजने वाले पित्तरों को प्राप्त होते हैं यानि पित्तर बनते हैं। भूत पूजने वाले भूत बनते हैं। देवताओं को पूजने वाले देव लोक में जाते हैं। मेरे भक्त मुझे प्राप्त होते हैं। प्राप्त तो करना है परमात्मा को, आप शिव लोक तथा विष्णु लोक को प्राप्त करके अपने को धन्य मान बैठे हो। गीता के अमृत ज्ञान को फिर से पढ़ो। गीता अध्याय 7 श्लोक 12-15 में तीनों गुणों यानि रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी तथा तमगुण शिव जी की पूजा करते हैं। जिनका ज्ञान इस त्रिगुणमयी माया द्वारा हरा जा चुका है यानि जो इन देवताओं से ऊपर किसी को नहीं मानते। वे राक्षस स्वभाव को धारण किए हुए, मनुष्यों में नीच, दूषित कर्म करने वाले मूर्ख मुझे नहीं भजते। फिर इसी अध्याय 7 श्लोक 20-23 में इन तीन प्रधान देवताओं से अन्य देवताओं की पूजा करने वाल��ं को कहा है कि इन देवताओं को मैंने ही कुछ शक्ति दे रखी है। जो देवताओं को पूजते हैं, उन अल्पबुद्धि (अज्ञानियों) का वह फल नाशवान है। देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं। मेरा भक्त मुझे प्राप्त होता है।
विचारणीय विषय है कि इस पुस्तक हिमालय तीर्थ के इस प्रकरण के अनुसार श्री शिव जी ने ब्रह्मा जी का सिर काट दिया था जो पांचवा था। वह शिव जी के हाथ से चिपक गया। उससे छुटकारा पाने के लिए शिव जी सब जगह गया, परंतु ब्रह्म हत्या का पाप नहीं छूटा। चौदह भुवन घूमे, पाप नहीं कटा। जैसे ही बदरिकाश्रम पहुँचे तो ब्रह्मा का सिर (कपाल) सहसा हाथ से छूट गया। वह ब्रह्मा का सिर बदरिकाश्रम में ब्रह्म शिला के नाम से विख्यात है। इसे ब्रह्म कपाल तीर्थ भी कहते हैं। यह भी तीर्थ बन गया। वहाँ पिंडदान करने का बहुत लाभ बताया है।
सूक्ष्मवेद में कहा है कि :-
गरीब, भूत जूनी तहाँ छूटत हैं, पिंड दान करंत। गरीबदास जिंदा कहै, नहीं मिले भगवंत ।।
अर्थात् संत गरीबदास जी ने कहा है कि पिण्ड दान करने से भूत योनि छूट जाती है। फिर वह जीव गधे की योनि में चला जाता है। क्या मुक्ति हुई? वेदों में इस कर्मकाण्ड को अविद्या यानि मूर्ख साधना कहा है।
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इस प्रकरण से यह सिद्ध किया है कि मूर्ति पूजा, देव पूजा आदि शंकराचार्य जी ने दृढ़ता के साथ प्रारंभ करवा दी। उसी को पूरा हिन्दू समाज घसीट रहा है। सब श्राद्ध करते हैं। सब मूर्ति पूजा, भूत पूजा करते हैं। भूत बने हैं, तभी श्राद्ध करने पड़े। यह सब प्रपंच काल ब्रह्म द्वारा किया गया है। इति सिद्धम् कि :- "हिन्दू साहेबान नहीं समझे गीता व वेदों का ज्ञान।"
"अद्भुत प्रसंग"
पृष्ठ 41 पर पुस्तक हिमालय तीर्थ में लिखा है कि भगवान शंकर व पार्वती कपाल मोचन में सुंदर महल बनवाकर निवास करते थे। उस स्थान की विशेषताओं से मुग्ध होकर उस मकान पर कब्जा करने के उद्देश्य से भगवान विष्णु एक बालक रूप धारण करके ऋषि गंगा के पास बुरी तरह हाथ-पैर मारकर रोने लगे। शिव भगवान व माता पार्वती जी स्नान करने जा रहे थे। पार्वती को दया आई। कहा कि कोई पत्थर हृदय स्त्री बालक को छोड गई। उसे उठाकर अपने मकान में छोड आई। शिव जी ने मना भी किया था कि यह कोई मायावई देव लगता है। पार्वती नहीं मानी। जब स्नान करके शिव जी व पार्वती जी लौटे तो तब तक उस बालक ने चतुर्भुज नारायण रूप धारण करके सारे क्षेत्र पर कब्जा कर लि��ा था। उसकी नारायण रूप में पूजा होती है। शिव जी विवाद से बचकर उसे छोड़कर केदार नाथ चले गए। वहाँ स्थित हो गए। वहाँ शिव का ज्योतिर्लिंग स्थापित कर दिया। विचार करो : इन देवताओं की कहानियों से क्या शिक्षा मिलेगी? क्या
दूसरे के घर पर कब्जा करना नेक व्यक्ति का कार्य है? महादुष्ट व्यक्ति ऐसी हरकत करता है। क्या ऐसे व्यक्ति देवता माने जा सकते हैं? क्या इनकी पूजा करने को मन करेगा? क्या श्री विष्णु जी ऐसी बेहूदी हरकत कर सकते हैं? क्या वे बैकुंठ (Heaven) को छोड़कर इस कपाल मोचन पर रहना चाहेंगे? यह सब पुराणों का बोया बीज है। पाठकजन प्रमाण के लिए लगी फोटोकॉपी भी पढ़ें ताकि आपको भ्रम न रह जाए कि रामपाल ने कुछ मिलाकर लिखा है। सन् 2013 में केदार नाथ पर लाखों श्रद्धालु पूजा के लिए गए थे। तेज बारिश हुई, बाढ आ गई। पर्वत गिर गए। लगभग एक लाख भक्त व भक्तमति बहनें, बच्चे मारे गए, अनर्थ हो गया। यदि भक्ति शास्त्रोक्त है तो भक्त की रक्षा परमात्मा करते हैं। यह सब लोक वेद यानि दंत कथा है जो इस हिमालय तीर्थ पुस्तक में बताई हैं। इस साधना से अनमोल मानव जीवन नष्ट हो जाता है। ये सब प्रपंच यानि षड्यंत्र काल ब्रह्म ने किए हैं जीवों से शास्त्रविधि के विपरीत फिजूल की पूजा करवाने के लिए। उनका मानव जीवन नष्ट करवाने के लिए।नर तथा नारायण ऋषियों ने कठिन तप (घोर तप) किया। घोर तप करने के विषय में गीता क्या कहती है, कृपया पढ़ें निम्न प्रसंग :-
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* विश्व में जितने धर्म (पंथ) प्रचलित हैं, उनमें सनातन धर्म (सनातन पंथ जिसे आदि शंकराचार्य के बाद उनके द्वारा बताई साधना करने वालों के जन-समूह को हिन्दू कहा जाने लगा तथा सनातन पंथ को हिन्दू धर्म के नाम से जाना जाने लगा, यह हिन्दू धर्म) सबसे पुरातन है।
हिन्दू धर्म की रीढ़ पवित्र चारों वेद (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद) तथा पवित्र श्रीमद्भगवत गीता है। सत्ययुग के प्रारंभ में केवल चार वेदों के आधार से विश्व का मानव धर्म-कर्म किया करता था। शास्त्रोक्त साधना लगभग एक लाख वर्ष तक ठीक से चली। ये चारों वेद प्रभुदत्त (God Given) हैं। इन्हीं का सार श्रीमद्भगवत गीता है। इसलिए यह गीता शास्त्र भी प्रभुदत्त (God Given) हुआ ।
ध्यान देने योग्य है कि जो ज्ञान स्वयं परमात्मा ने बताया है, वह ज्ञान पूर्ण सत्य होता है। इसलिए ये दोनों शास्त्र निःसंदेह विश्वसनीय हैं। प्रत्येक मानव को इनके अंदर बताई साधना करनी चाहिए। वह साधना शास्त्रविधि अनुसार कही जाती है। इन शास्त्रों में जो साधना नहीं ��रने को कहा है, उसे जो करता है तो वह शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण कर रहा है जिसके विषय में गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में इस प्रकार कहा है :- ➤ श्लोक नं. 23 जो पुरूष यानि साधक शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है, वह न सिद्धि को प्राप्त होता है, न परम
गति यानि पूर्ण मोक्ष को और न सुख को ही। (गीता अध्याय 16 श्लोक 23) ➤ श्लोक नं. 24: इससे तेरे लिए इस कर्तव्य यानि जो भक्ति कर्म करने योग्य हैं और अकर्तव्य यानि जो भक्ति कर्म न करने योग्य हैं, इस व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण हैं। ऐसा जानकर तू शास्त्रविधि से नियत कर्म यानि जो शास्त्रों में करने को कहा है, वो भक्ति कर्म ही करने योग्य हैं। (गीता अध्याय 16 श्लोक 24)
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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varanasi mein ghume ki jagah
कशी को वाराणसी और बनारस नाम से जाना जाता है ! काशी दुनिया का सबसे पुराना और पवित्र शहर है ! वाराणसी की पहचान होती है गंगा नदी से ! वाराणसी वह जगह है जिसे मोक्ष प्राप्ति का केंद्र कहा जाता है ! इस शहर को लेकर हिंदू धर्म में बड़ी मानता है अगर कोई व्यक्ति यहां आकर मर जाता है या कशी मैं उसका अंतिमसंस्कार होता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है ! वाराणसी शहर हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है वाराणसी में देश से ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग यहां की संस्कृति को समझने के लिए आते हैं काशी विश्वनाथ मंदिर दुनिया के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है ! काशी के बारे में कहा जाता है कि यह नगरी भगवान शिवजी की त्रिशूल पर खड़ी है
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महा शिवरात्रि - Maha Shivaratri
महा शिवरात्रि विशेष…
🔱 महा शिवरात्रि क्यों, कब, कहाँ और कैसे? ❀ महा शिवरात्रि - Maha Shivaratri
महा शिवरात्रि मंत्र: ❀ श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र ❀ लिङ्गाष्टकम् ❀ शिव तांडव स्तोत्रम् ❀ सौराष्ट्रे सोमनाथं - द्वादश ज्योतिर्लिंग ❀ महामृत्युंजय मंत्र, संजीवनी मंत्र ❀ शिवाष्ट्कम् ❀ दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं ❀ शिव स्वर्णमाला स्तुति ❀ कर्पूरगौरं करुणावतारं ❀ बेलपत्र / बिल्वपत्र चढ़ाने का मंत्र
महा शिवरात्रि आरतियाँ: ❀ शिव आरती: जय शिव ओंकारा ❀ शिव आरती: ॐ जय गंगाधर ❀ हर महादेव आरती: सत्य, सनातन, सुंदर ❀ श्री पार्वती माँ की आरती ❀ जय अम्बे गौरी आरती ❀ ॐ जय जगदीश हरे आरती
महा शिवरात्रि भजन: ❀ इक दिन वो भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी ❀ शीश गंग अर्धंग पार्वती ❀ शिव शंकर को ��िसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ ❀ हे शम्भू बाबा मेरे भोले नाथ ❀ ॐ शंकर शिव भोले उमापति महादेव ❀ शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ ❀ चलो शिव शंकर के मंदिर में भक्तो ❀ हे भोले शंकर पधारो ❀ सुबह सुबह ले शिव का नाम ❀ शिव स्तुति: आशुतोष शशाँक शेखर ❀ मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा ❀ शिव भजन
महा शिवरात्रि चालीसा: ❀ शिव चालीसा ❀ पार्वती चालीसा
शिव नामावली: ❀ श्री शिवसहस्रनामावली ❀ श्रीरुद्राष्टकम् ❀ शिव शतनाम-नामावली स्तोत्रम्!
महा शिवरात्रि कथा: ❀ महा शिवरात्रि पूजन कथा ❀ श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा ❀ श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा ❀ श्री त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा ❀ श्री भीमशंकर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा ❀ हिरण्यगर्भ दूधेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा ❀ गोपेश्वर महादेव की लीला
शिव मंदिर: ❀ द्वादश(12) शिव ज्योतिर्लिंग ❀ दिल्ली के प्रसिद्ध शिव मंदिर ❀ सोमनाथ के प्रमुख सिद्ध मंदिर ❀ भुवनेश्वर के विश्व प्रसिद्ध मंदिर
ब्लॉग: ❀ रुद्राभिषेक क्या है? ❀ महाशिवरात्रि को महासिद्धिदात्री क्यों कहा जाता है? ❀ महाशिवरात्रि में क्यों उजागर रहते हैं लोग?
आज की तिथि | आज का विचार | वंदना | प्रेरक कहानियाँ.. 📲 https://www.bhaktibharat.com/blogs/maha-shivaratri-specials
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