1 to 3 month pregnancy के लिए बहुत महत्वपूर्ण समय होता है जब केवल आपकी देखभाल ही नहीं बल्कि आपके शिशु के स्वस्थ विकास के लिए भी आपका स्वास्थ्य अच्छा रहना जरूरी है। शुरू के तीन महीने, जिन्हें हम1 to 3 month pregnancy कहते हैं इस दौरान आपके और शिशु के लिए जरूरी पोषण की आवश्यकता होती है।
1 to 3 month pregnancy diet chart in hindi
इस लेख में हम आपको इन तीन महीनों के दौरान एक स्वस्थ और संतुलित diet…
Tumblr सपोर्टर बैज: पित्ज़ाज़ से अपनी वफ़ादारी दिखाएँ
आप में से कई लोगों ने Tumblr को सपोर्ट करने के एक ऐसे तरीके की माँग की है जो नियमित डोनेशन की तरह काम करता हो. तो, ये वही चीज़ है, बस हमने इसमें थोड़ी सी सनक अलग से जोड़ दी है. ज़रा सोचिए. एक ऐसा बैज जो आपके लगातार सपोर्ट से चमकदार से और चमकदार होता जाता है—और Tumblr को Tumblr बने रहने में मदद करता है.
तो पेश है Tumblr सपोर्टर बैज. यह उपयोगकर्ता-संचालित बिज़नेस मॉडल की तरफ़ बढ़ते कदम का एक हिस्सा है. यह एक नया ऑटो-रिन्यूएबल सब्सक्रिप्शन है जो आपको Tumblr के लिए अपने सपोर्ट को स्टाइल से पहनने देता है.
यह कैसे काम करता है:
Tumblr सपोर्टर बैज एक ख़ास बैज है जो रिकरिंग डोनेशन सब्सक्रिप्शन सर्��िस की तरह काम करता है. सपोर्टर के तौर पर आपको एक ख़ास तरीके से डिज़ाइन किया गया बैज मिलता है जो इस पर निर्भर करता है कि आप कितने समय से इस तरीके से Tumblr को सपोर्ट करते रहे हैं. आपका सपोर्टर बैज स्टील से शुरू करते हुए कॉपर, गोल्ड, प्लैटिनम और आखिर में ऑइल स्लिक में बदल जाएगा. आपका सपोर्ट जारी रहने के दौरान आप हर माइलस्टोन पर ये बैज इकट्ठा करते रहेंगे जिन्हें आप अपने किसी भी ब्लॉग पर अपनी पसंद के मुताबिक डिसप्ले कर सकते हैं.
इसमें दो सब्सक्रिप्शन हैं, मासिक और वार्षिक:
मासिक: ये स्टील से शुरू होता है और हर माइलस्टोन पर अलग-अलग बैज के साथ आगे बढ़ता रहता है और अंत में लुभावने ऑइल स्लिक तक पहुँच जाता है.
वार्षिक: ये प्लैटिनम से शुरू होता है (ये ऐसा है मानो आप एक झटके में एक साल आगे बढ़ गए हों. वाह-वाह, चीटिंग टाइम.) एक साल बाद अपने अगले भुगतान माइलस्टोन पर आप आगे बढ़ते हुए सीधे ऑइल स्लिक पर पहुँच जाएँगे.
प्राइसिंग:
Tumblr सपोर्टर मासिक: $2.99
Tumblr सपोर्टर 3 महीने: $7.99 ($1 की छूट)
Tumblr सपोर्टर 6 महीने: $15.99 ($2 की छूट)
Tumblr सपोर्टर वार्षिक: $29.99 (15% की छूट)
और जानकारी:
ये मासिक या वार्षिक सब्सक्रिप्शन हर अंतराल पर अपने आप रिन्यू हो जाएगा जब तक आप इसे कैंसल नहीं करते.
अगर आप अपना सब्सक्रिप्शन कैंसल करते हैं या भुगतान विफल हो जाता है, तो भी आपका बैज आपके पास रहेगा, लेकिन ये तब तक दिखाई नहीं देगा जब तक आप अपना सब्सक्रिप्शन फिर से शुरू नहीं करते. अगर/जब आप ऐसा करते हैं, तो/तब आप ठीक उसी बैज लेवल से दोबारा शुरू करेंगे जहाँ आप तब थे जब आपने अपना सब्सक्रिप्शन बंद किया था.
फ़िलहाल इसे अंग्रेज़ी में मोबाइल और वेब के लिए पेश किया जा रहा है. आने वाले हफ़्तों में हम इसे दूसरे क्षेत्रों के लिए भी पेश करने वाले हैं.
अभी के लिए बस इतना ही. उम्मीद है कि आप इस नए बैज का उतना ही आनंद लेंगे जितना आनंद हमें इसे आपके लिए लाते हुए आया ताकि हम आपके आनंद के लिए ऐसी अजीब छोटी-छोटी सजावटी चीज़ें बनाते रह सकें. अजीब बने रहें, Tumblr <3
घर में हर छोटी वस्तु का अपना महत्व होता है। कभी-कभी बेकार समझी जाने वाली वस्तु भी घर में अपनी उपयोगिता सिद्ध कर देती है। गृहस्थी में रोजाना काम में आने वाली चीजों से भी शकुन-अप��कुन जुड़े होते हैं, जो जीवन में कई महत्वपूर्ण मोड़ लाते हैं। शकुन शुभ फल देते हैं, वहीं अपशकुन इंसान को आने वाले संकटों से सावधान करते हैं। हम आपको घर से जुड़ी वस्तुओं के शकुनों के बारे में बता रहे हैं।
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1-दूध का शकुन
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सुबह-सुबह दूध को देखना शुभ कहा जाता है। दूध का उबलकर गिरना शुभ माना जाता है। इससे घर में सुख-शांति, संपत्ति, मान व वैभव की उन्नति होती है। दूध का बिखर जाना अपशकुन मानते हैं, जो किसी दुर्घटना का संकेत है। दूध को जान-बूझकर छलकाना अपशकुन माना जाता है , जो घर में कलह का कारण है।
2-दर्पण का शकुन
हर घर में दर्पण का बहुत महत्व है। दर्पण से जुड़े कई शकुन-अपशकुन मनुष्य जीवन को कहीं न कहीं प्रभावित अवश्य करते हैं। दर्पण का हाथ से छूटकर टूट जाना अशुभ माना जाता है। एक वर्ष तक के बच्चे को दर्पण दिखाना अशुभ होता है। यदि कोई नव विवाहिता अपनी शादी का जोड़ा पहन कर श्रृंगार सहित खुद को टूटे दर्पण में देखती है तो भी अपशकुन होता है। तात्पर्य यह है कि दर्पण का टूटना हर दृष्टिकोण से अशुभ ही होता है। इसके लिए यदि दर्पण टूट जाए तो इसके टूटे हुए टुकड़ों को इकटठा करके बहते जल में डाल देने से संकट टल जाते हैं।
3-पैसे का शकुन
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आज के इस युग में पैसे को भगवान माना जाता है। जेब को खाली रखना अपशकुन मानते हैं। कहा जाता है कि पैसे को अपने कपड़ों की हर जेब में रखना चाहिए। कभी भी पर्स खाली नहीं रखना चाहिए।
4-चाकू का शकुन
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चाकू एक ऐसी वस्तु है, जिसके बिना किसी भी घर में काम नहीं चल सकता। इसकी जरूरत हर छोटे-छोटे कार्य में पड़ती है। इससे जुड़े भी अनेक शकुन-अपशकुन होते हैं। डाइन���ंग टेबल पर छुरी-कांटे का क्रास करके रखना अशुभ मानते हैं, इसके कारण घर के सदस्यों में झगड़ा हो जाता है। मेज से चाकू का नीचे गिरना भी अशुभ होता है। नवजात शिशु के तकिए के नीचे चाकू रखना शुभ होता है तथा छोटे बच्चे के गले में छोटा सा चाकू डालना भी अच्छा होता है। इससे बच्चों की बुरी आत्माओं से रक्षा होती है व नींद में बच्चे रोते भी नहीं हैं। यदि कोई व्यक्ति आपको चाकू भेंट करे तो इसके बुरे प्रभाव से बचने के लिए एक सिक्का अवश्य दें।
5-झाडू का शकुन
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घर के एक कोने में पड़े हुए झाडू को घर की लक्ष्मी मानते हैं, क्योंकि यह दरिद्रता को घर से बाहर निकालता है। इससे भी कई शकुन व अपशकुन जुड़े हैं। दीपावली के त्यौहार पर नया झाडू घर में लाना लक्ष्मी जी के आगमन का शुभ शकुन है। नए घर में गृह प्रवेश से पूर्व नए झाडू का घर में लाना शुभ होता है। झाडू के ऊपर पांव रखना गलत समझा जाता है। यह माना जाता है कि व्यक्ति घर आई लक्ष्मी को ठुकरा रहा है। कोई छोटा बच्चा अचानक घर में झाडू लगाने लगे तो समझ लीजिए कि घर में कोई अवांछित मेहमान के आने का संकेत है। सूर्यास्त के बाद घर में झाडू लगाना अपशकुन होता है, क्योंकि यह व्यक्ति के दुर्भाग्य को निमंत्रण देता है।
6-बाल्टी का शकुन
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सुबह के समय यदि पानी या दूध से भरी बाल्टी दिखाई दे तो शुभ होता है। इससे मन में सोचे कार्य पूरे होते हैं। खाली बाल्टी देखना अपशकुन समझा जाता है, जो बने-बनाए कार्यों को बिगाड़ देता है। रात को खाली बाल्टी को प्रायः उल्टा करके रखना चाहिए एवं घर में एक बाल्टी को अवश्य भरकर रखें, ताकि सुबह उठकर घर के सदस्य उसे देख सकें।
7-लोहे का शकुन
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घर में लोहे का होना शुभ कहा जाता है। लोहे में एक शक्ति होती है, जो बुरी आत्माओं को घर से भगा देती है। पुराने व जंग लगे लोहे को घर में रखना अशुभ है। घर में लोहे का सामान साफ करके रखें।
8-हेयरपिन का शकुन
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हेयरपिन एक बहुत ही मामूली सी चीज है, परंतु इसका प्रभाव बड़ा आश्चर्यजनक होता है। यदि किसी व्यक्ति को राह में कोई हेयरपिन पड़ा मिल जाये तो समझो कि उसे कोई नया मित्र मिलने वाला है। वहीं यदि हेयर पिन खो जाये तो व्यक्ति के नए दुश्मन पैदा होने वाले हैं। हेयरपिन को घर में कहीं लटका दिया जाए तो यह अच्छे भाग्य का प्रतीक है।
9-काले वस्त्र का शकुन
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काले वस्त्र बहुत अशुभ माने जाते हैं। किसी व्यक्ति के घर से बाहर जाते समय यदि कोई आदमी काले वस्त्र पहने हुए दिखाई दे तो अपशकुन माना जाता है, जिसके बुरे प्रभाव से जाने वाले व्यक्ति की दुर्घटना हो सकती है। अतः ऐसे व्यक्ति को अपना जाना कुछ मिनट के लिए स्थगित कर देना चाहिए।
10-रुई का शकुन
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रूई का कोई टुकड़ा किसी व्यक्ति के कपड़ों पर चिपका मिले तो यह शुभ शकुन है। यह किसी शुभ समाचार आने का संकेत है या किसी प्रिय व्यक्ति के आने का संकेत है। कहा जाता है कि रूई का यह टुकड़ा व्यक्ति को किसी एक अक्षर के रूप में नजर आता है व यह अक्षर उस व्यक्ति के नाम का प्रथम अक्षर होता है, जहां से उस व्यक्ति के लिए शुभ संदेश या पत्र आ रहा है।
11-चाबियों का शकुन
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चाबियों का गुच्छा गृहिणी की संपूर्णता का प्रतीक है। यदि गृहिणी के पास चाबियों का कोई ऐसा गुच्छा है, जिस पर बार-बार साफ करने के बाद भी जंग चढ़ जाए तो यह एक अच्छा शकुन है। इसके फलस्वरूप घर का कोई रिश्तेदार अपनी जायदाद में से आपको कुछ देना चाहता है या आपके नाम से कुछ धन छोड़कर जाना चाहता है। चाबियों को बच्चे के तकिए के नीचे रखना भी अच्छा होता है, इससे बुरे स्वप्नों एवंबुंरी आत्माओं से बच्चे का बचाव होता है।
12-बटन का शकुन
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कभी-कभी कमीज़, कोट या अन्य कोई कपड़े का बटन गलत लग जाए तो अपशकुन होता है, जिसके अनुसार सीधे काम भी उल्टे पड़ जाएंगे। इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए कपड़े को उतारकर सही बटन लगाने के बाद पहनें। यदि रास्ते चलते आपको कोई बटन पड़ा मिल जाए तो यह आपको किसी नए मित्र से मिलवाएगा।
There are a whole lot of renowned writers who wrote shayari for us. We in shayariforest.in share these shayaris for you.
List of all the renowned famous shayari writer :
1. Mirza Ghalib
2. Faiz Ahmad Faiz
3. Ahmad Faraz
4. Wasim Barelvi
5. Daagh Dehlvi
6. Firaq Gorakhpuri
7. Nida Fazli
8. Meeraji
9. Sahir Ludhianvi
10. Jigar Moradabadi
11. Dr Muhammad Iqbal
12. Bashir Badr
13. Jaun Elia
14. Mir Taqi Mir
15. Qateel Shifai
16. Akhlaq Mohammed Khan
17. Dushyant Kumar
18. Gulzar
19. Akbar Allahabadi
20. Munawwar Rana
21. Rahat Indori
22. Javed Akhtar
Shayari is for revealing the feeling of love. That is why they wrote love shayari, sad shayari for us.
Love Shayari
वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी,
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे माँगते..
वो शहर भी तुम्हारा था वो अदालत भी तुम्हारी थी.
यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता
बेशूमार मोहब्बत होगी उस बारिश की बूँद को इस ज़मीन से,
यूँ ही नहीं कोई मोहब्बत मे इतना गिर जाता है!
आप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है
तुमको ग़म के ज़ज़्बातों से उभरेगा कौन,
ग़र हम भी मुक़र गए तो तुम्हें संभालेगा कौन!
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे एहसान उतारता है कोई
तुम्हे जो याद करता हुँ, मै दुनिया भूल जाता हूँ ।
तेरी चाहत में अक्सर, सभँलना भूल जाता हूँ ।
इश्क़ की तलाश में
क्यों निकलते हो तुम,
इश्क़ खुद तलाश लेता है
जिसे बर्बाद करना होता है।
तुझ से बिछड़ कर
कब ये हुआ कि मर गए,
तेरे दिन भी गुजर गए
और मेरे दिन भी गुजर गए.
आऊं तो सुबह,
जाऊं तो मेरा नाम शबा लिखना,
बर्फ पड़े तो
बर्फ पे मेरा नाम दुआ लिखना
वो शख़्स जो कभी
मेरा था ही नही,
उसने मुझे किसी और का भी
नही होने दिया.
सालों बाद मिले वो
गले लगाकर रोने लगे,
जाते वक्त जिसने कहा था
तुम्हारे जैसे हज़ार मिलेंगे.
जब भी आंखों में अश्क भर आए
लोग कुछ डूबते नजर आए
चांद जितने भी गुम हुए शब के
सब के इल्ज़ाम मेरे सर आए
जिन दिनों आप रहते थे,
आंख में धूप रहती थी
अब तो जाले ही जाले हैं,
ये भी जाने ही वाले हैं.
जबसे तुम्हारे नाम की
मिसरी होंठ लगाई है
मीठा सा गम है,
और मीठी सी तन्हाई है.
वक्त कटता भी नही
वक्त रुकता भी नही
दिल है सजदे में मगर
इश्क झुकता भी नही
एक बार जब तुमको बरसते पानियों के पार देखा था
यूँ लगा था जैसे गुनगुनाता एक आबशार देखा था
तब से मेरी नींद में बसती रहती हो
बोलती बहुत हो और हँसती रहती हो.
होती नही ये मगर
हो जाये ऐसा अगर
तू ही नज़र आए तू
जब भी उठे ये नज़र
मेरा ख्याल है अभी, झुकी हुई निगाह में
खिली हुई हँसी भी है, दबी हुई सी चाह में
मैं जानता हूं, मेरा नाम गुनगुना रही है वो
यही ख्याल है मुझे, के साथ आ रही है वो
तुम्हें जिंदगी के उजाले मुबारक
अंधेरे हमें आज रास आ गए हैं
तुम्हें पा के हम खुद से दूर हो गए थे
तुम्हें छोड़कर अपने पास आ गए हैं
उतर रही हो या
चढ़ रही हो ?
क्या मेरी मुश्किलों को
पढ़ रही हो ?
सुरमे से लिखे तेरे वादे
आँखों की जबानी आते हैं
मेरे रुमालों पे लब तेरे
बाँध के निशानी जाते हैं
तेरे इश्क़ में तू क्या जाने
कितने ख्वाब पिरोता हूं
एक सदी तक जागता हूं मैं
एक सदी तक सोता हूं
गुल पोश कभी इतराये कहीं
महके तो नज़र आ जाये कहीं
तावीज़ बनाके पहनूं उसे
आयत की तरह मिल जाये कहीं
पता चल गया है के मंज़िल कहां है
चलो दिल के लंबे सफ़र पे चलेंगे
सफ़र ख़त्म कर देंगे हम तो वहीं पर
जहाँ तक तुम्हारे कदम ले चलेंगे
उम्मीद तो नही
फिर भी उम्मीद हो
कोई तो इस तरह
आशिक़ शहीद हो
कोई आहट नही बदन की कहीं
फिर भी लगता है तू यहीं है कहीं
वक्त जाता सुनाई देता है
तेरा साया दिखाई देता है
तू समझता क्यूं नही है
दिल बड़ा गहरा कुआँ है
आग जलती है हमेशा
हर तरफ धुआँ धुआँ है
टकरा के सर को जान न दे दूं तो क्या करूं
कब तक फ़िराक-ए-यार के सदमे सहा करूं
मै तो हज़ार चाहूँ की बोलूँ न यार से
काबू में अपने दिल को न पाऊं तो क्या करूं
एक बीते हुए रिश्ते की
एक बीती घड़ी से लगते हो
तुम भी अब अजनबी से लगते हो
प्यार में अज़ीब ये रिवाज़ है,
रोग भी वही है जो इलाज है.
जाने क��से बीतेंगी
ये बरसातें
माँगें हुए दिन हैं,
माँगी हुई रातें.
ऐसा कोई ज़िंदगी से वादा तो नही था
तेरे बिना जीने का इरादा तो नही था.
वो बेपनाह प्यार करता था मुझे
गया तो मेरी जान साथ ले गया
झुकी हुई निगाह में, कहीं मेरा ख्याल था
दबी दबी हँसी में इक, हसीन सा गुलाल था
मै सोचता था, मेरा नाम गुनगुना रही है वो
न जाने क्यूं लगा मुझे, के मुस्कुरा रही है वो
इस दिल में बस कर देखो तो
ये शहर बड़ा पुराना है
हर साँस में कहानी है
हर साँस में अफ़साना है
कोई वादा नही किया लेकिन
क्यों तेरा इंतज़ार रहता है
बेवजह जब क़रार मिल जाए
दिल बड़ा बेकरार रहता है
धीरे-धीरे ज़रा दम लेना
प्यार से जो मिले गम लेना
दिल पे ज़रा वो कम लेना
दबी-दबी साँसों में सुना था मैंने
बोले बिना मेरा नाम आया
पलकें झुकी और उठने लगीं तो
हौले से उसका सलाम आया
खून निकले तो ज़ख्म लगती है
वरना हर चोट नज़्म लगती है.
उड़ते पैरों के तले जब बहती है जमीं
मुड़के हमने कोई मंज़िल देखी तो नही
रात दिन हम राहों पर शामो सहर करते हैं
राह पे रहते हैं यादों पे बसर करते हैं
Chandrayaan-3: ISRO ने दी जानकारी, आज इस समय लैंड की Chandrayaan-3:
Q.Chandrayaan-3 के बारे में जानने से पहले जाने चांद के बारे में
• चाँद धरती का एक चंद्रमा है जो हमारे ग्रह, सूर्य के चारों ओर घूमता है। यह पृथ्वी से करीब 384,400 किलोमीटर की दूरी पर है और इसका आकार धरती के आकार का करीब 1/4 है। चाँद की सतह पर गाड़े गए खदान और गाड़ी गई खुदाई विज्ञानियों को इसकी गहराई, संरचना और भौतिकी के बारे में बहुत सी जानकारी प्राप्त करने में मदद करती है। Reed More
मान लो आप धूप में कही जा रहे हो, पसीने से तर-बतर , बहुत प्यासे , पर कहीं भी पानी नहीं मिल रहा। ऐसे में आप एक वृक्ष की छाया में थकान मिटाने के लिए खड़े हो जाते हो!
तभी आपकी निगाह सामने चार मंजिला मकान पर जाती है।मन मे ख्याल आता है ..
(1) साले ..लोगों को लूटकर करोड़पति हो रहे हैं ।
तभी अचानक इमारत की चौथी मंजिल की खिड़की खुलती है और आपकी उस व्यक्ति से आँखे मिलती है। आपकी स्थिति देखकर, वह व्यक्ति हाथ के इशारे से आपको पानी के लिए पूछता है।
आपने तत्काल उस व्यक्ति पर एक राय बनाई। (2) कितना सहृदय व्यक्ति है।। उस व्यक्ति के लिये यह आपकी दूसरी राय है!
आदमी नीचे आने का इशारा करता है और खिड़की बंद कर देता है।आप पानी लेने तेज़ कदमों से उसके दरवाज़े पर पहुंचते है।।लेकिन नीचे का दरवाजा 15 मिनट बाद भी नहीं खुलता ।
अब उस व्यक्ति के बारे में आपकी क्या राय है? आप उसे मन ही मन गालियां देते है। (3) धोखेबाज़ , बेवकूफ, उल्लू का पट्ठा, ढीला, आलसी, कही का।
यह आपकी तीसरी राय है!
थोड़ी देर बाद दरवाजा खुलता है और आदमी कहता है:
'मुझे देरी के लिए खेद है, लेकिन आपकी हालत देखकर, मैंने आपको पानी के बजाय नींबू पानी देना सबसे अच्छा समझा! इसलिए थोड़ा लंबा समय लगा!
सोचिये उस व्यक्ति के बारे में अब आपकी क्या राय है? (4) कितना नेक इंसान है���
अब जैसे ही आप शर्बत को अपनी जीभ पर लगाते हैं, आपको पता चलता है कि इसमें चीनी नहीं है।
अब सोचिये उस व्यक्ति के बारे में क्या राय है । (5)बेवकूफ, नालायक, कंजूस कही का ?
आपके चेहरे को खट्टेपन से भरा हुआ देखकर, व्यक्ति धीरे से चीनी का एक पाऊच निकालता है और कहता है, माफ कीजिये, मुझे पता नहीं था आप कितनी चीनी लेंगे,इसलिए अलग से चीनी ले आया। आप जितनी चाहें उतना डाल लें।
अब उसी व्यक्ति के बारे में आपकी क्या राय होगी ? (6)
अब आप मनन कीजिये
एक सामान्य सी स्थिति में भी, अगर हमारी राय इतनी खोखली है और लगातार बदलती जा रही है, तो क्या हम किसी भी बारे में राय देने के लायक है या नहीं ।
इसलिए किसी के बारे में
जल्दी राय ना बनाइए।
कौन किस परिस्थिति या स्थिति में क्या कर रहा है , ये वो ही बेहतर जानता है।। हो सकता है अपनी अपनी स्थिति से आप भी ठीक हो , और दूसरा भी ठीक हो।
वास्तव में, दुनिया में हम सभी को इतना समझ में आया है कि अगर कोई व्यक्ति हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप व्यवहार करता है तो अच्छा है अन्यथा वह बुरा है।
जो अर्जुन के संशय का समाधान करें वहीं कृष्ण है । हम किसी न किसी के लिए कृष्ण हैं और कोई हमारा कृष्ण है । मतलब हम किसी को राह दिखा रहें है और कोई हमे राह दिखा रहा है । जितने भी महान लोग है वो सभी अच्छे लीडर भी हैं। एक अच्छा नेतृव समाज का उत्थान ही करता है । चलिए लीडरशिप के महत्व को समझते हैं । आज कल AI का चलन बढ़ गया हैं । लोगो को लगता है AI सारे jobs को सीमित कर देगा । एक नई दुनिया जहां मशीनें वो सभी काम करेंगी जो पहले केवल इन्सान ही कर सकता था । अब लोगो को एक फुल प्रूफ करियर ऑप्शन चाहिए जो सही भी है । चलिए मैं आपको बताता हूं जैसे घोड़ागाड़ी की जगह मोटरगाड़ी ने ले लिया वैसे जाहिर सी बात है AI अभी वर्तमान जॉब को सीमित करेगा और कुछ नए जॉब उत्पन्न करेगा । पर एक क्षेत्र है जहां कोई टेक्नोलॉजी का उपयोग बहुत कम है और वह है लीडरशिप । मनुष्य का लीडर कभी AI या टेक्नोलॉजी तो नहीं हो सकता। मनुष्य का लीडर मनुष्य ही होगा हमेशा यह अखण्ड सत्य है । AI का अर्थ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस होता है लेकिन अब आप समझ गए होंगे की ज्यादा इंटेलिजेंस मनुष्य के पास है तो अब से इस आर्टिकल के लिए AI हमारे लिए ऑल्टरनेटिव इंटेलिजेंस है । एक अच्छा लीडर उसके अंदर के व्यतित्व से बनता है ना की ऑल्टरनेटिव इंटेलिजेंस से । Human resource management आज के समय एक कला है और इसके लिए एक विशेष वर्ग के लोग काम कर रहें हैं जिन्हें हम HR कहते है क्या सच में यह इतना जटिल काम जिसके लिए हमे निपुण लोगों को काम पर रखना पड़ता है । लीडरशिप केवल विशेष लोगो की जागीर नहीं है इसको सब को सीखना चाहिए क्यों की " हम किसी न किसी के लिए कृष्ण हैं और कोई हमारा कृष्ण है " , लीडरशिप एक कला है समय के साथ इंसान निपुण होता जाता है पर आज के दुनिया में धैर्य कहा उनको आत्मज्ञान को 30 सेकंड की वीडियो से प्राप्त करना है और लीडरशिप के गुण एक लेख से । इसलिए मुझे इस लेख पर ज्यादा ध्यान देना आवश्यक हो गया है । लेकिन फिर भी एक अच्छा लीडर एक दिन में नही बनता । समय के साथ बनता है और जन्म से कोई लीडर नही होता है । इसलिए कोई भी बन सकता है । मैं इकोनॉमिक्स का विद्यार्थी हूं और अभी तक इकोनॉमिक्स में ज्यादातर शॉर्टेजेस और डिमांड और सप्लाई के बारे में ही बात की जाती है जैसे oil , technology, money इत्यादि । पर मुझे लगता है केवल लीडरशिप के कमी के कारण सभी अधिकांश शॉर्टेज उत्पन्न होते है । कहने का अर्थ है एक अच्छा लीडर अर्थवस्था को स्थिर कर सकता है । एक अच्छा लीडर आजादी दिला सकता है जैसे बापू । अच्छे लीडर के उदाहरण समाज में कई है इसलिए सारे उदाहरण पे ध्यान देने का काम आप पर छोड़ता हूं । मेरे लिए अच्छा लीडर एक दूरदर्शी नागरिक है और देश के उत्थान की नींव है । मेरे बातों से यह ना समझें की लीडर मतलब केवल पॉलिटिकल लीडर । लीडर की जरूरत हर क्षेत्र में है जैसे पॉलिटिकल, एडमिनिस्ट्रेटिव, एजुकेशन , स्पोर्ट्स, लॉ एंड आर्डर इत्यादि | यहां पे मैं एक Palindrome से आपको बताना चाहता हूं " A Man a Plan a Canal Panama " इस लाइन की दो खासियत है 1. आगे और पीछे दोनो तरफ से पढ़ने पर यह एक ही जैसा साउंड करती है । 2. यह एक प्रेरक लाइन है जिसका मतलब है एक मैन था , उसके पास एक प्लान था , और वह प्लान एक canal का था । उसका नाम है आज पनामा है । मै अब आप से पूछता हूं वह एक मैन कौन है , एक लीडर । हां एक लीडर उसने दुनिया को पनामा दिया और आज इस नहर का दुनिया में कितना महत्व है मुझे बताने की आवश्यकता नहीं है यह जग जाहिर है । एक अच्छा लीडर मानवता के लिए वरदान है ।
चलिए देखते है लीडरशिप के गुण [ Attributes ]
1. पेशेवर ज्ञान और क्षमता
एक अच्छा नेता बनने के लिए व्यक्ति को अपने क्षेत्र के बारे में ज्ञान होना चाहिए। ज्ञान निरंतर अध्ययन और कड़ी मेहनत से आता है। जितना अधिक आप जानते हैं आप उतने अधिक सक्षम बनते हैं। ज्ञात तथ्यों के आधार पर सही निर्णय लेने के लिए ज्ञान आवश्यक है।
2. निर्णय लेने की क्षमता
एक अच्छे नेता में निर्णय लेने की क्षमता होती है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उसने जो निर्णय लिया है उसके लिए पूरी जिम्मेदारी स्वीकार करता है।
3. पूर्ण न्याय और निष्पक्षता
किसी भी व्यक्ति को पदावनत होना पसंद नहीं है और फिर भी यदि निष्पक्ष रूप से किया जाए तो वे इसे स्वीकार करते हैं। एक अच्छा नेता प्रत्येक अधीनस्थ के साथ उचित व्यवहार करता है। एक अच्छा नेता यह सुनिश्चित करता है कि वह न केवल सीखने और विकास के समान अवसर प्रदान करे बल्कि उसी गलती के लिए समान सजा भी प्रदान करे।
4. नैतिक और शारीरिक साहस
नैतिक साहस: यह सही और गलत के बीच अंतर करने की क्षमता है। एक अच्छा नेता दूसरों की परवाह किए बिना अपने विचारों और विश्वासों को सामने रखने में सक्षम होता है।
शारीरिक साहस: डरना और यह दिखाना कि आपको डर है, दो अलग-अलग चीजें हैं। एक अच्छा नेता दिखाता है कि वह सबसे कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए काफी साहसी है क्योंकि वह जानता है कि वह जो कुछ भी करता है या जैसा व्यवहार करता है उसका उसके अधीनस्थों पर बहुत प्रभाव पड़ता है।
5. निष्ठा
शीर्षक से ही काफी समझ में आता है। यदि आप दूसरों से वफादारी की उम्मीद करते हैं तो आपको पहले उनके प्रति वफादार हो��ा होगा।
6. मानव संसाधन प्रबंधन
अपने अधीनस्थों को संभालना सीखना एक ऐसी कौशल जो नेता होने के लिए सबसे अधिक आवश्यक है। एक नेता दृढ़ होना चाहिए लेकिन उसमें एक अच्छी sence of humor होनी चाहिए ताकि आप अपने लोगों को उनकी निराशा से बाहर निकाल सकें। आप कभी नहीं जानते कि दूसरे किस समस्या से जूझ रहे हैं, इसलिए एक अच्छा नेता हमारें साथी के भावनाओं को समझने में सक्षम होना चाहिए।
चाहे आप नेता हों या नेता बनने जा रहे हों या फिर यदि आप अनुयायी हों, दो सबसे मौलिक पहलू जो अधिकांश लोगों में कमी होती हैं और कोई भी नेतृत्व इसे ठीक नहीं कर सकता हैं वो हैं अनुशासन (समय पर आना महत्वपूर्ण है) और चरित्र (जानना कि आप कौन हो वास्तव में)।
इनके अलावा भी कई गुण हैं लेकिन महत्वपूर्ण गुण यही हैं । एक लीडर को राह कौन दिखाएगा यह सवाल भी आता है उसका जवाब है आपकी अपनी अंतरात्मा जो पवित्र होती है उसको सुनिए साथ में यह 6 गुण को आत्मसात करिए आप अच्छे लीडर अवश्य बनेंगे । किस के लिए लीडर बने , मतलब कोई विशेष कारण। उसका जवाब है "Be the change you wish to see in the world. इस वाक्य को ध्यान में रखें । मुझे उम्मीद है आप अच्छे लीडर बनेंगे और अपना और अपनो के साथ समाज का उत्थान करेगें । जय हो ।
करवा चौथ व्रत से नहीं सतभक्ति से जीवन रक्षा होती है,
सामवेद संख्या न. 822 अध्याय 3 खंड न. 5 श्लोक न. 8 में प्रमाण है कि वह पूर्ण परमात्मा सच्चे भक्त की यदि मृत्यु निकट है तो उसकी आयु में वृद्धि कर उसकी उम्र बढ़ा देता है।
🌕करवा चौथ के व्रत से कोई लाभ नहीं, इसलिए शास्त्रों में इसे व्यर्थ बताया है। (गीता जी अध्याय 6 श्लोक 16) व्रत को मना किया है।
🌕 संत गरीबदास जी की वाणी है:-
कहे जो करवा चौथ कहानी, तास गधेहरी निश्चय जानी। करें एकादशी संजम सोई, करवा चौथ गदहरी होई ।
अर्थात करवा चौथ व्रत करने वाली अगले जन्म में गधी बनेगी।
🌕 करवा चौथ का व्रत करना मनमानी पूजा है, शास्त्र अनुसार नहीं है।
श्रीमद्भगवत् गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में व्रत करना मना किया है।
🌕 करवा चौथ के व्रत का ज़िक्र वेदों और गीता में नहीं है। ये हमारे शास्त्र विरुद्ध साधना है, इसी कारण बहुत सी बहनों के पति करवा चौथ के दिन ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं।
🌕 करवा चौथ का व्रत करने से कोई लाभ नहीं मिलता है । सिर्फ पूर्ण परमात्मा ही मृत्यु को टाल सकते हैं । कबीर साहेब की वाणी है:-
मासा घटे ना तिल बधे, विधना लिखे जो लेख। साचा सतगुरु मेटकर उपर मार दे मेख।।
🌕मान्यता : करवा चौथ व्रत की मान्यता है कि इससे पति की आयु बढ़ जाती है।
सच्चाई : इस मान्यता के अनुसार फिर तो हिन्दू बहन बेटियां विधवा नहीं होनी चाहिए। करवा चौथ व्रत शास्त्र विरुद्ध है जिससे किसी की आयु नहीं बढ़ती।
बल्कि ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में प्रमाण दिया है कि परमात्मा सतभक्ति करने वाले साधक की आयु भी बढ़ा देता है।
🌕मान्यता : पत्नी अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है।
सच्चाई : श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 6 श्लोक 16 के अनुसार व्रत करना शास्त्र विरुद्ध है और अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार शास्त्र विरुद्ध साधना व्यर्थ प्रयत्न है इससे कोई लाभ नहीं होता।
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Tumblr डोमेन: वो चीज़ जिसे आप उस जगह करते हैं जिसके बारे में उन्हें मालूम है
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart90
।। पाण्डवों की यज्ञ में सुपच सुदर्शन द्वारा शंख बजाना।।
जैसा कि सर्व विदित है कि महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने युद्ध करने से मना कर दिया था तथा शस्त्र त्याग कर युद्ध के मैदान में दोनों सेनाओं के बीच में खड़े रथ के पिछले हिस्से में आंखों से आँसू बहाता हुआ बैठ गया था। तब भगवान कृष्ण के अन्दर प्रवेश काल शक्ति (ब्रह्म) अर्जुन को युद्ध करने की राय देने लगा था। तब अर्जुन ने कहा था कि भगवान यह घोर पाप मैं नहीं करूंगा। इससे अच्छा तो भिक्षा का अन्न भी खा कर गुजारा कर लेंगे। तब भगवान काल श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके बोला था कि अर्जुन युद्ध कर। तुझे कोई पाप नहीं लगेगा। देखें गीता जी के अध्याय 11 के श्लोक 33, अध्याय 2 के श्लोक 37, 38 में।
महाभारत में लेख (प्रकरण) आता है कि कृष्ण जी के कहने से अर्जुन ने युद्ध करना स्वीकार कर लिया। घमासान युद्ध हुआ। करोड़ों व्यक्ति व ��र्व कौरव युद्ध में मारे गए और पाण्डव विजयी हुए। तब पाण्डव प्रमुख युधिष्ठिर को राज्य सिंहासन पर बैठाने के लिए स्वयं भगवान कृष्ण ने कहा तो युधिष्ठिर ने यह कहते हुए गद्दी पर बैठने से मना कर दिया कि मैं ऐसे पाप युक्त राज्य को नहीं करूंगा। जिसमें करोड़ों व्यक्ति मारे गए थे। उनकी पत्नियाँ विधवा हो गई, करोड़ों बच्चे अनाथ हो गए, अभी तक उनके आँसू भी नहीं सूखे हैं। किसी प्रकार भी बात बनती न देख कर श्री कृष्ण जी ने कहा कि आप भीष्म जी से राय लो। क्योंकि जब व्यक्ति स्वयं फैसला लेने में असफल रहे तब किसी स्वजन से विचार कर लेना चाहिए। युधिष्ठिर ने यह बात स्वीकार कर ली। तब श्री कृष्ण जी युधिष्ठिर को साथ लेकर वहाँ पहुँचे जहाँ पर श्री भीष्म शर (तीरों की) शैय्या (चारपाई) पर अंतिम स्वांस गिन रहे थे, वहाँ जा कर श्री कृष्ण जी ने भीष्म से कहा कि युधिष्ठिर राज्य
गद्दी पर बैठने से मना कर रहे हैं। कृपा आप इन्हें राजनीति की शिक्षा दें। भीष्म जी ने बहुत समझाया परंतु युधिष्ठिर अपने उद्देश्य से विचलित नहीं हुआ। यही कहता रहा कि इस पाप से युक्त रूधिर से सने राज्य को भोग कर मैं नरक प्राप्ति नहीं चाहूँगा। श्री कृष्ण जी ने कहा कि आप एक धर्म यज्ञ करो। जिससे आपको युद्ध में हुई हत्याओं का पाप नहीं लगेगा। इस बात पर युधिष्ठिर सहमत हो गया और एक धर्म यज्ञ की। फिर राज गद्दी पर बैठ गया। हस्तिनापुर का राजा बन गया।
प्रमाण सुखसागर के पहले स्कन्ध के आठवें तथा नौवें अध्याय से सहाभार पृष्ठ नं. 48 से 53)
कुछ वर्षों पर्यन्त युधिष्ठिर को भयानक स्वपन आने शुरु हो गए। जैसे बहुत सी औरतें रोती-बिलखती हुई अपनी चूड़ियाँ तोड़ रहीं हैं तथा उनके मासूम बच्चे अपनी माँ के पास खड़े कुछ बैठे पिता-पिता कह कर रो रहे हैं मानों कह रहे हो हे राजन् ! हमें भी मरवा दे, भेज दे हमारे पिता के पास। कई बार बिना शीश के धड़ दिखाई देते है। किसी की गर्दन कहीं पड़ी है, धड़ कहीं पड़ा है, हा हा कार मची हुई है। युधिष्ठिर की नींद उचट जाती, घबरा कर बिस्तर पर बैठ कर हाँफने लग जाता। सारी-2 रात बैठ कर या महल में घूम कर व्यतीत करता है। एक दिन द्रौपदी ने बड़े पति की यह दशा देखी और परेशानी का कारण पूछा तो युधिष्ठिर कुछ नहीं कुछ नहीं कह कर टाल गए। जब द्रौपदी ने कई रात्रियों में युधिष्ठिर की यह दुर्दशा देखी तो एक दिन चारों (अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव) को बताया कि आपका बड़ा भाई बहुत परेशान है। कारण पूछो। तब चारों भाईयों ने बड़े भईया से प्रार्थना करके पूछा कि कृप्या परेशानी का कारण बताओ। ज्यादा आग्रह करने पर अपनी सर्व कहानी सुनाई। पाँचों भाई इस परेशानी का कारण जानने के लिए भगवान श्रीकृष्णजी के पास गए तथा बताया कि बड़े भईया युधिष्ठिर जी को भयानक स्वपन आ रहे हैं। जिनके कारण उनकी रात्रि की नींद व दिन का चैन व भूख समाप्त हो गई। कृप्या कारण व समाधान बताएँ। सारी बात सुनकर श्री कृष्ण जी बोले युद्ध में किए हुए पाप परेशान कर रहे हैं। इन पापों का निवारण यज्ञ से होता है।
गीता जी के अध्याय 3 के श्लोक 13 का हिन्दी अनुवाद यज्ञ में प्रतिष्ठित ईष्ट (पूर्ण परमात्मा) को भोग लगाने के बाद बने प्रसाद को खाने वाले श्रेष्ठ पुरुष सब पापों से मुक्त हो जाते हैं जो पापी लोग अपना शरीर पोषण करने के लिये ही अन्न पकाते हैं वे तो पाप को ही खाते हैं अर्थात् यज्ञ करके सर्व पापों से मुक्त हो जाते हैं। और कोई चारा न देख कर पाण्डवों ने श्री कृष्ण जी की सलाह स्वीकार कर ली। यज्ञ की तैयारी की गई। सर्व पृथ्वी के मानव, ऋषि, सिद्ध, साधु व स्वर्ग लोक के देव भी आमन्त्रित करने को, श्री कृष्ण जी ने कहा कि जितने अधिक व्यक्ति भोजन पाएंगें उतना ही अधिक पुण्य होगा। परंतु संतों व भक्तों से विशेष लाभ होता है उनमें भी कोई परम शक्ति युक्त संत होगा वह पूर्ण लाभ दे सकता है तथा यज्ञ पूर्ण होने का साक्षी एक पांच मुख वाला (पंचजन्य) शंख एक सुसज्जित ऊँचे आसन पर रख दिया जाएगा तथा जब इस यज्ञ में कोई परम शक्ति युक्त संत भोजन खाएगा तो यह शंख स्वयं आवाज करेगा। इतनी गूँज होगी की पूरी पृथ्वी पर तथा स्वर्ग लोक तक आवाज सुनाई देगी।
यज्ञ की तैयारी हुई। निश्चित दिन को सर्व आदरणीय आमन्त्रित भक्तगण, अठासी हजार ऋषि, तेतीस करोड़ देवता, नौ नाथ, चौरासी सिद्ध, ब्रह्मा, विष्णु, शिव आदि पहुँच गए। यज्ञ कार्य शुरु हुआ। बाद में सब ने यज्ञ का बचा प्रसाद (भण्डारा) सर्व उपस्थित महानुभावों व भक्तों तथा जनसाधारण को बरताया (खिलाया)। स्वयं भगवान कृष्ण जी ने भी भोजन खा लिया। परंतु शंख नहीं बजा। शंख नहीं बजा तो यज्ञ सम्पूर्ण नहीं हुई। उस समय युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण जी से पूछा हे मधुसूदन ! शंख नहीं बजा। सर्व महापुरुषों व आगन्तुकों ने भोजन पा लिया। कारण क्या है? श्री कृष्ण जी ने कहा कि इनमें कोई पूर्ण सन्त (सतनाम व सारनाम उपासक) नहीं है। तब युधिष्ठिर को बड़ा आश्चर्य हुआ कि इतने महा मण्डलेश्वर जिसमें वशिष्ठ मुनि, मार्कण्डेय, लोमष ऋषि, नौ नाथ (गोरखनाथ जैसे), चौरासी सिद्ध आदि-2 व स्वयं भगवान श्री कृष्ण जी ने भी भोजन खा लिया। परंतु शंख नहीं बजा। इस पर कृष्ण जी ने कहा ये सर्व मान बड़ाई के भूखे हैं। परमात्मा चाहने वाला कोई नहीं तथा अपनी मनमुखी साधना करके सिद्धि दिखा कर दुनियाँ को आकर्षित करते हैं। भोले लोग इनकी वाह-2 करते हैं तथा इनके इर्द-गिर्द मण्डरात�� हैं। ये स्वयं भी पशु जूनी में जाएंगे तथा अपने अनुयाईयों को नरक ले जाएंगे।
गरीब, साहिब के दरबार में, गाहक कोटि अनन्त । चार चीज चाहै हैं, रिद्धि सिद्धि मान महंत ।।
गरीब, ब्रह्म रन्द्र के घाट को, खोलत है कोई एक। द्वारे से फिर जाते हैं, ऐसे बहुत अनेक ।।
गरीब, बीजक की बातां कहें, बीजक नाहीं हाथ। पृथ्वी डोबन उतरे, कह-कह मीठी बात ।। गरीब, बीजक की बातां कहैं, बीजक नाहीं पास।
ओरों को प्रमोदही, अपन चले निरास ।।
प्रमाण के लिए गीता जी के कुछ श्लोक ।।
अध्याय 9 का श्लोक 20
त्रैविद्याः, माम्, सोमपाः, पूतपापाः, पूतपापाः, यज्ञैः, इष्टवा, स्वर्गतिम्, प्रार्थयन्ते, ते, पुण्यम्, आसाद्य, सुरेन्द्रलोकम्, अश्नन्ति, दिव्यान्, दिवि, देवभोगान् । ।20 ।। अनुवाद :- (त्रैविद्याः) तीनों वेदों में विधान (सोमपाः) सोमरस को पीने वाले (पूतपापाः) पाप रहित पुरुष (माम्) मुझको (यज्ञैः) यज्ञों के द्वारा (इष्टवा) पूज्य देव के रूप में पूज कर (स्वर्गतिम्) स्वर्ग की प्राप्ति (प्रार्थयन्ते) चाहते हैं (ते) वे पुरुष (पुण्यम्) अपने पुण्यों के फलरूप (सुरेन्द्रलोकम्) स्वर्ग लोक को (आसाद्य) प्राप्त होकर (दिवि) स्वर्ग में (दिव्यान्) दिव्य (देवभोगान्) देवताओं के भोगों को (अश्नन्ति) भोगते हैं।
केवल हिन्दी अनुवाद तीनों वेदों में विधान सोम रस को पीने वाले पाप रहित पुरुष मुझको यज्ञों के द्वारा पूज्य देव के रूप में पूज कर स्वर्ग की प्राप्ति चाहते हैं। वे पुरुष अपने पुण्यों के फलरूप स्वर्ग लोक को प्राप्त होकर स्वर्ग में दिव्य देवताओं के भोगों को भोगते हैं।
एवम्, त्रयीधर्मम्, अनुप्रपन्नाः, गतागतम्, कामकामाः, लभन्ते । ।21 ।। अनुवाद :- (ते) वे (तम्) उस (विशालम्) विशाल (स्वर्गलोकम्) स्वर्गलोकको (भुक्त्त्वा) भोगकर (पुण्ये) पुण्य (क्षीणे) क्षीण होनेपर (मर्त्यलोकम्) मृत्युलोकको (विशन्ति) प्राप्त होते हैं। (एवम्) इस प्रकार (त्रयीधर्मम्) तीनों वेदों में कहे हुए पूजा कर्मों का (अनुप्रपन्नाः) आश्रय लेने वाले और (कामकामाः) भोगों की कामनावस (गतागतम्) बार-बार आवागमन को (लभन्ते) प्राप्त होते हैं।
केवल हिन्दी अनुवाद वे उस विशाल स्वर्ग लोक को भोगकर पुण्य क्षीण होने पर मृत्युलोक को प्राप्त होते हैं। इस प्रकार तीनों वेदों में कहे हुए पूजा कर्मों का आश्रय लेने वाले और भोगों की कामनावश बार-बार आवागमन को प्राप्त होते हैं।
अनुवाद :- (ते) वे (आत्मसम्भाविताः) अपने आपको ही श्रेष्ठ मानने वाले (स्तब्धाः) घमण्डी पुरुष (धनमानमदान्विताः) धन और मान के मद से युक्त होकर (नामयज्ञैः) केवल नाममात्र के यज्ञों द्वारा (दम्भेन) पाखण्ड से (अविधिपूर्वकम्) शास्त्रविधि रहित पूजन करते हैं।
केवल हिन्दी अनुवाद वे अपने आपको ही श्रेष्ठ मानने वाले घमण्डी
पुरुष धन और मान के मद से युक्त होकर केवल नाममात्र के यज्ञों द्वारा पाखण्ड से शास्त्रविधि रहित पूजन करते हैं।
अनुवाद :- (अहंकारम्) अहंकार (बलम्) बल (दर्पम्) घमण्ड (कामम्) कामना और (क्रोधम) क्रोधादि के (संश्रिताः) परायण (च) और (अभ्यसूयकाः) दूसरों की निन्दा करने वाले पुरुष (आत्मपरदेहेषु) प्रत्येक शरीर में परमात्मा आत्मा सहित तथा (माम्) मुझसे (प्रद्विषन्तः) द्वेष करने वाले होते हैं।
केवल हिन्दी अनुवाद: अहंकार बल घमण्ड कामना और क्रोधादि के परायण और दूसरों की निन्दा करने वाले पुरुष प्रत्येक शरीर में परमात्मा आत्मा सहित तथा मुझसे द्वेष करने वाले होते हैं। अध्याय 16 का श्लोक 19
अनुवाद :- (तान्) उन (द्विषतः) द्वेष करने वाले (अशुभान्) पापाचारी और (क्रूरान्) क्रूरकर्मी (नराधमान) नराधमों को (अहम्) मैं (संसारेषु) संसार में (अजस्त्रम्) बार-बार (आसुरीषु) आसुरी (योनिषु) योनियों में (एव) ही (क्षिपामि) डालता हूँ।
केवल हिन्दी अनुवाद उन द्वेष करने वाले पापाचारी और क्रूरकर्मी नराधमों को मैं संसार में बार-बार आसुरी योनियों में ही डालता हूँ।
अनुवाद :- (कौन्तेय) हे अर्जुन ! (मूढाः) वे मूर्ख (माम्) मुझको (अप्राप्य) न प्राप्त होकर (एव) ही (जन्मनि) जन्म (जन्मनि) जन्म में (आसुरीम्) आसुरी (योनिम्) योनि को (आपन्नाः) प्राप्त होते हैं फिर (ततः) उससे भी (अधमाम्) अति नीच (गतिम्) गति को (यान्ति) प्राप्त होते हैं अर्थात् घोर नरकों में पड़ते हैं।
केवल हिन्दी अनुवाद हे अर्जुन! वे मूर्ख मुझको न प्राप्त होकर ही जन्म जन्म में आसुरी योनि को प्राप्त होते हैं फिर उससे भी अति नीच गति को प्राप्त होते हैं अर्थात् घोर नरकों में पड़ते हैं।
अनुवाद (यः) जो पुरुष (शास्त्रविधिम्) शास्त्र विधि को (उत्सृज्य) त्यागकर (कामकारतः) अपनी इच्छा से मनमाना (वर्तते) आचरण करता है (सः) वह (न) न (सिद्धिम्) सिद्धि को (अवाप्नोति) प्राप्त होता है (न) न (पराम्) परम (गतिम्) गति को और (न) न (सुखम्) सुख को ही।
केवल हिन्दी अनुवाद: जो पुरुष शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है, वह न सिद्धि को प्राप्त होता है, न परम गति को और न सुख को ही।
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।