#सुबह उठते ही सबसे पहले क्या खाना चाहिए?
Explore tagged Tumblr posts
Text
सुबह उठकर सबसे पहले क्या खाना चाहिए
प्रिय पाठकों अक्सर लोग यह सोचते है, कि हमें सुबह उठकर सबसे पहले क्या खाना चाहिए? रात को सोते समय अक्सर हम सभी के दिमाग में यही रहता है। कि सुबह उठकर सबसे पहले क्या खाना चाहिए। और सुबह के समय में ऐसा क्या खाएं जिससे शरीर को पूरा पोषण मिले। सुबह उठकर सबसे पहले क्या खाना चाहिए
सुबह का समय एक नए दिन की शुरुआत के लिए महत्वपूर्ण है। और सही आहार से शुरुआत करना हमारे स्वास्थ्य और ऊर्जा को पोषण पहुँचाने में मदद कर सकता है। इस लेख में, हम जानेंगे कि सुबह उठते ही कौन से आहार का सेवन करना चाहिए ताकि हम दिनभर ताजगी और सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ सकें।
शरीर की आवश्यकताएं:
सुबह का आहार हमारे शरीर को आवश्यक पोषण प्रदान करता है जिससे हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बना रहता है। सुबह उठने के बाद, हमारे शरीर को ताजगी और ऊर्जा की आवश्यकता होती है ताकि हम दिनभर की चुनौतियों का सामना कर सकें।
हम अक्सर भागदौड़ भरी जिंदगी में अच्छा नाश्ता नहीं कर पाते हैं। यह सीधे हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। अगर आप भी इसी तरह के सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं। तो इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि किन -किन चीजों को सुबह उठकर सबसे पहले खाना चाहिए।
यह चीजें आयुर्वेद में वर्णित है। आयुर्वेद के अनुसार इन चीजों का सेवन आपको सवस्थ रखता है। सुबह उठकर इन्हें खाने से जल्द ही सेहत भी बन जाती हैं। केवल शर्त यह है। कि इन चीजों को अपनी खाली पेट खाना है।
गुड़ (Jaggery)
गुड़ आयुर्वेद के अनुसार खाली पेट गुड़ खाना चाहिए। क्योंकि सुबह उठकर सबसे पहले गुड़ खाना बेहद फायदेमंद माना जाता है। गुड़ के साथ अगर गुनगुना पानी हो तो क्या कहना, इसके अलावा अब गुड के साथ चने भी मिलाकर खा सकते हैं।
इससे शरीर को बहुत अधिक ऊर्जा मिलती है, खून साफ होता है, कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं। इससे दिनभर एसिडिटी भी नहीं होती है।
चने
भीगे हुए काले चने में बादाम की तुलना में अधिक पोषक तत्व है। यह महिलाओं एंव पुरूषों के लिए प्रोटीन, फाइबर, खनीज और विटामिन के लिए सबसे अच्छा स्रोत है। दिन की शुरुआत में इसे खाने से शरीर में दिनभर उर्जा का संचार होत�� है।
एक शोध के अनुसार अगर रोज़ सुबह एक मुट्ठी भीगे हुए चने को शहद या गुड़ के साथ खाया जाए तो यह प्रजनन क्षमता को भी बढ़ाता है।अगर आप बिना नमक डालें रोजाना एक मुट्ठी चना खाते हैं। तो इससे आपकी त्वचा भी साफ और ग्लोइंग हो जाती है।
किशमिश
सुबह उठकर खाली पेट किशमिश खाएं। अगर आप बासी मुँह भीगे हुए किशमिश खाते हैं तो यह ज्यादा फायदेमंद होती है कि इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं।
दूध
एक गिलास दूध में प्रोटीन होता है और एक अध्ययन से यह भी पता चला है, कि रोजाना दूध पीने से याददाश्त भी तेज होती है। दूध एक एनर्जी बूस्टर है। यह त्वचा बालों और हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद है। सुबह उठकर प्रतिदिन एक गिलास दूध पीने वाले लोग अन्य लोगों की तुलना में कम बीमार पड़ते है।
खासतौर पर उन महिलाओं एंव बच्चों के लिए दूध बहुत जरूरी हैं। जो माँ बन चुकी है और उनका बच्चा माँ का दूध पीता है।
लहसुन
लहसुन सुबह खाली पेट लहसुन खाने से कई फायदे होते हैं। सुबह उठकर खाली पेट लहसुन की कली खाएं। यह पाचन के लिए रामबाण औषधि है। अगर आपका पेट फूलने की समस्या है। तो यह बहुत फायदेमंद होगा। सुबह खाली पेट एक गिलास पानी के साथ कच्चा लहसुन खाने से आपकी सेहत को कई तरह के फायदे होते है। लहसुन खाने से खून का जमाव नहीं होता और हार्ट अटैक का खतरा भी कम किया जा सकता है।
पुरुषों के लिए कच्चे लहसुन खाने का लाभ उनकी मर्दाना ताकत को बढ़ाता है। लहसुन को चाहे आप कच्चा खाएं भूनकर खाएं। यह हर तरह से सेहत को लाभ पहुंचाता है।
बादाम
बादाम सुबह उठकर सबसे पहले भीगे हुए बादाम खाएं।
Full Read
0 notes
Text
ToneOp Eats The Buzz Among The Fitness Enthusiasts In Bhopal, Indore & Bangalore!
क्या आप भी हेल्थी, रेडी तो ईट खाने की तलाश में हैं जो न केवल हेल्दी हो बल्कि खाने में भी मज़ेदार हो? अगर हाँ तो ToneOp Eats आपकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए है एकदम बेस्ट! ToneOp Eats एक ऐसा क्लाउड किचन एप्लीकेशन जो आपकी ज़रूरतों और आदतों के अनुसार आपकी मील को प्लान करता है। ToneOp के CEO पार्थ बंसल के द्वारा भोपाल में करीब दो साल पहले शुरू किया गया ये हेल्द किचन आपको प्रदान करता है पूर्ण रूप से हेल्दी और टेस्टी मील वो भी आपके लाइफस्टाइल के अनुसार।
ToneOp Eats आपके डोर स्टेप पे हेल्दी मील्स और बेवरेजेज़ डिलीवर करता है। यहाँ के सारे मील्स, एक्सपर्ट्स के मार्गदर्शन और कैलोरीज़ काउंट के अनुसार बनाए जाते है, जो आपकी हेल्थ के साथ आपके टेस्ट का भी ख्याल रखते हैं। आप यहाँ पा सकते हैं कई विकल्पों के साथ बिल्कुल फ्रेश और आवश्यकतानुसार पर्सनलाइज्ड मील्स।
ToneOp Eats, अब बैंगलोर में भी!
आपको ये जान कर बेहद ख़ुशी होगी की अब ToneOp Eats भोपाल और इंदौर के अलावा अब बैंगलोर में भी अपनी सर्विस शुरू कर चुका है। आप मील से संबंधित सारी जानकारी ToneOp Eats की वेबसाइट से प्राप्त कर सकते हैं। आप Swiggy और Zomato से भी इसे ऑर्डर कर सकते हैं। तो अब, ToneOp Eats आपके स्वास्थ्य का ख्याल रखेगा!
आपको ToneOp Eats क्यों चुनना चाहिए?
क्या आपने कभी ऐसा सोचा की सुबह उठते ही एनर्जी और जोश के साथ पूरे दिन की परेशानियों का सामना करना इतना आसान हो सकता है? आप ऐसा कर सकते हैं अगर आप अपने स्वास्थ्य और मेडिकल कंडीशन के अनुसार अपने डाइट प्लान को कस्टमाइज़ कर लें।
जी हाँ, ToneOp Eats आपको सारी हेल्थ कंडीशन से लड़ने और फिटनेस गोल्स को हासिल करने में आपकी मदद करेगा।
1. कस्टमाइज़्ड मील
अपनी आवश्यकता और डाइटरी आदतों का ख्याल रखते हुए आप यहाँ अपने मील्स को कस्टमाइज़ करवा सकते है। इसका मतलब ये है की आप अपनी पसंद, आदत और ज़रूरतों के अनुसार अपनी मील्स को तैयार करवा सकते हैं। चाहे आपको वेज, वीगन या हाई प्रोटीन मील्स चाहिए, आप पा सकते हैं किसी भी प्रकार के हेल्दी विकल्प।
2. 100% हेल्दी मील्स
ToneOp Eats न ही केवल टेस्टी लेकिन हेल्दी मील्स क�� आवश्यकताओं को भी पूरा करता है। यदि आप फिटनेस प्रेमी है और हेल्दी खाना पसंद करते है. तो यह आपके लिए सबसे उम्दा विकल्प है। यहाँ की हर एक मील कैलोरी कॉउंटेड और नुट्रिशन में प्रचुर होती है।
3. स्वच्छ एवं सर्वोत्तम क्वालिटी
ToneOp Eats ये सुनिश्चित करता है की उनका हर एक मील हेल्दी हो और पूरी स्वच्छता के साथ बनाया जाये। सफाई के साथ-साथ इन्हे एक नियंत्रित तापमान पर पकाया जाता है जिससे इनके पोषक तत्त्व बरक़रार रहें। ToneOp Eats में शेफ और सारे कर्मचारी सफाई और सुरक्षा का पूर्ण ध्यान रखने के लिए PPE किट का इस्तेमाल करते हैं।
4. डायटिशियन सपोर्ट
ToneOp Eats की हर मील की रेसिपी डाइट एक्सपर्ट के मार्गदर्शन से तैयार की जाती। इसके साथ ही ToneOp Eats आपको फ्री डायटिशियन कंसल्टेशन भी उपलब्ध करवाता है जो आपकी सारी जरूरतों को समझकर आपको सबसे फायदेमंद मील का सुझाव देंगे।
5. व्यापक किस्मों में मील्स उपलब्ध
ToneOp Eats के मेन्यू में आपको मिलेंगे आपके टेस्ट के अनुसार बेस्ट मील्स। आप चुन सकते हैं सलाद, ग्रिल्स, जूस और प्रोटीन मील्स के काउंटलेस विकल्प। इसके साथ ही अगर आप चाहते हैं एक हेल्दी चीट मील तो आर्डर करें सैंडविच और बिरयानी।
6. 3 स्वास्थ्य लक्ष्यों पर आधारित गोल-ड्रिवन मील्स
चाहे आप वेट लॉस करना चाहते हैं, मसल बिल्डिंग का लक्ष्य रखते हैं या सिर्फ बैलेंस्ड डाइट चाहते हैं, ToneOp Eats आपके सभी हेल्थ गोल्स के लिए मील्स प्रदान करता है। और साथ ही आपको मिलता है आपके हर हेल्थ गोल के लिए आवश्यकतानुसार अपने मील को कस्टमाइज़ करने का ऑप्शन।
ToneOp Eats क्यों है सबसे बेहतर?
ToneOp Eats सुनिश्चित करता है की आप तक हेल्दी कैलोरी काउंट के साथ और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन पहुंचाया जाए। ये अपने मील्स और अन्य विकल्पों के साथ आपकी आहार संबंधी हर एक ज़रूरत को पूरा करता है -
1. अला-कार्टे प्रिपरेशन (Ala-Carte Preparation)
अपनी क्वालिटी को बरक़रार रखते हुए यहाँ मील्स की कोई भी तयारी रात को नहीं की जाती बल्कि आर्डर के अनुसार सारे मील्स ताज़ा और तुरंत तैयार किये जाते हैं।
2. कोल्ड-प्रेस्ड जूस
आपकी हेल्थ और नुट्रिशन का ध्यान रखते हुए हर जूस मिक्सर ग्राइंडर से नहीं बल्कि कोल्ड प्रेस्ड प्रक्रिया से बनाया जाता है। इसका ख़ास ध्यान रखा जाता है की पोषण के बिना किसी समझौते के आप तक सर्वोत्तम क्वालिटी पहुंचाई जाए।
3. ओट्स- बेस्ड ग्रेवी
पारंपरिक रेसिपी को अनोखे रूप से परिवर्तित करते हुए, ग्रिल्स की ग्रेवी ओट्स के साथ तैयार की जाती है ताकि ��क स्वस्थ और पोषण से भरपूर विकल्प प्रदान किया जा सके।
4. लो फैट लीन मीट
ToneOp Eats मीट से फैट्स को हटाकर केवल लीन मीट का इस्तेमाल करता है ताकि आपका हर ग्रिल, सलाद, और मील बौल फैट फ्री और हेल्दी हो।
5 प्राकृतिक मिठास का उपयोग
कैलोरीज़ का ख्याल रखते हुए स्मूदी में मिठास के लिए चीनी के जगह हनी और खजूर का उपयोग किया जाता है। इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है की किसी भी मील में कोई भी आर्टिफीशीयल मिठास न मिले जाये और कम से कम कैलोरीज़ के साथ टेस्टी मील्स को आप तक पहुंचाया जाए।
6. ऑलिव ऑयल��
आप तक हेल्दी खाना पहुंचाने की कोशिश को बरक़रार रखते हुए यहाँ के शेफ किसी भी मील में ओलिव आयल के अलावा कोई भी और तेल का उपयोग नहीं करते। आपकी किसी भी मील में 5 ग्राम से ज़्यादा ओलिव आयल या जैतून तेल का उपयोग नहीं किया जाता।
7. इको-फ्रेंडली कंटेनर
यहाँ पैकिंग के लिए प्लास्टिक कंटेनर का नहीं बल्कि इको-फ्रेंडली बम्बू कंटेनर और कांच की बॉटल्स का उपयोग किया जाता है जो आपके स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए सम्पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं।
8. इन हाउस डिलीवरी टीम
ToneOP Eats की इन-हाउस डिलीवरी टीम हर मील की सुरक्षा और समय पर डिलीवरी को सुनिश्चित करती है। सभी डिलीवरी एक्सेक्यूटिव के नियमित मेडिकल चेकअप किये जाते हैं और समय से डिलीवरी के लिए इन्हें बराबर मॉनिटर किया जाता है।
9. वीगन, वेज और नॉनवेज मील्स के भरपूर विकल्प
ToneOp Eats ने आपकी विभिन्न पसंद और ज़रूरतों की आवश्यताओं का ख्याल रखते हुए अपने क्लाउड किचन में वेज, नॉनवेज और वीगन मील्स के कई सरे विकल उपलब्ध करवाए हैं।
10. चीट मील भी उपलब्ध
आपके लिए ToneOp Eats कुछ ख़ास मौको पर चीट मील जैसे बिरयानी और सैंडविच भी प्रदान करता है। अगर आप बिना कैलोरी इन्टेक के अपने टेस्ट बड्स को खुश करना चाहते है, तो ये आपके लिए हेल्दी विकल्प उपलब्ध हैं।
ToneOp Eats के मेन्यू में क्या है?
ToneOp Eats वीगन, वेजिटेरियन और नॉन वेजिटेरियन विकल्पों के साथ विस्तृत मेनू प्रदान करता है, सभी सबसे स्वादिष्ट और पौष्टिक सामग्री के साथ तैयार किए जाते हैं
1. सलाद
आपने ये सोचा नहीं होगा की सलाद भी कभी टेस्टी हो सकता है, जो आपके सारे पोषण ज़रूरतों को पूरा करे। वज़न घटाने और संतुलित आहार बनाए रखने के लिए यहाँ आपके लिए हेल्दी लेट्यूस, सुपर सीड्स, और ताज़ी सब्जियों से बने सलाद के विकल्प मौजूद हैं।
2. ग्रिल्स
वेज में पनीर और टोफू ग्रिल तो वही नॉनवेज में चिकन और फिश ग्रिल अपने स्वाद से आपका दिल जीत लेंगे। ये टेस्टी ग्रिल्स आपको 300-400 ग्राम में उपलब्ध हैं जो कस्टमर के आवश्यकतानुसार कस्टमाइज़ हो जाते हैं।
3. मील बाउ��
ToneOp Eats का मानना है कि चावल में सोडियम और फैट्स की मात्रा कम होती है और इसे पचाना आसान होता है। इसलिए आपकी हेल्थ को ध्यान में रखते हुए यहाँ रोटी नहीं बल्कि ब्राउन राइस, वाइट राइस और क्विनोआ के विकल्पों के साथ मील्स उपलब्ध हैं। चाहे आप कभी मलाई पनीर चाहते हो या थाई करी, आपके खाने की हर लालसा को ToneOp Eats समझता है और हेल्दी तरीके से पूरा करता है।
4. स्मूदी
यहाँ स्मूदी कई फ्लेवर और टेस्ट में उपलब्ध हैं। और तो और उन्हें एक्स्ट्रा हेल्दी और टेस्टी बनाने के लिए स्मूदी में सीड्स, ओट्स और एक्सोटिक फलों का भी इस्तेमाल किया जाता है।
5. प्रोटीन
यहाँ कई प्रोटीन मील्स जैसे प्रोटीन 30, 40 और 50 भी उपलब्ध हैं। इसमें प्रोटीन 30 और 40 आपके लिए दोनों (वेज और नॉनवेज) विकल्प में मौजूद हैं और प्रोटीन 50 में नॉनवेज मील्स उपलब्ध हैं। ये आम तौर पर उन लोगों के लिए बनाया गया है जो वर्कआउट करते हैं और अपनी प्रोटीन की ज़रूरतों का खास ख्याल रखते हैं।
6. जूस
हेल्दी और टेस्टी मील्स के साथ-साथ ToneOp Eats आपको फ्रेश बनाए गए जूस भी प्रदान करता है। ये जूस मिक्सर से नहीं बल्कि कोल्ड प्रेस्ड प्रोसेस से बनाये जाते हैं, जिससे इनके पोषण में कोई कमी नहीं आती।
आपकी हेल्दी मील कौन बनाते है?
ToneOp Eats के अनुभवी, सर्टिफाइड और एक्सपर्ट शेफ और डायटिशियन आपके मेडिकल कंडीशन के आवश्यकतानुसार हेल्दी और टेस्टी मील्स प्लान करते हैं। आपके हेल्थ को बिना कम्प्रोमाइज़ किये आपकी हर मील को आपकी हर एक ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए प्लान करते हैं।
आप ऑर्डर कैसे कर सकते हैं?
toneopeats.com पर इनके प्लान को सब्सक्राइब कर के आप यहाँ से कुछ भी आर्डर कर सकते हैं। सबसे पहले आप अपनी आवश्यकतानुसार मील के प्रकार और टाइम को चुन लें। सब्सक्राइब करने के 24 घंटे के अंदर आपका प्लान एक्टिवेट हो जाएगा। इसके अलावा आप Zomato और Swiggy से भी अपनी मील को ऑर्डर कर सकते हैं।
तो, जल्द से जल्द ToneOp Eats का सब्सक्रिप्शन प्लान लें और अपने डाइट को हेल्दी और आसान बनायें।
📞7400989898
Visit- https://toneopeats.com/
0 notes
Text
शहीदे आजम भगत सिंह:एक क्रांतिकारी के आखिर 24 घंटे -
शहीदे आजम भगत सिंह और 23 मार्च 1931 -
शहीदे आजम भगत सिंह एक ऐसा नाम जो बहुत ही आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है।अब के समय के बच्चे जो उस उम्र में कुछ सोच -समझ नहीं पाते उस उम्र भगत सिंह देश के लिए फांसी के फंदे पर झूल गये। लाहौर सेंट्रल जेल में 23 मार्च, 1931 की शुरुआत किसी और दिन की तरह ही हुई थी। फर्क सिर्फ इतना सा था कि सुबह-सुबह जोर की आँधी आई थी। लेकिन जेल के कैदियों को थोड़ा अजीब सा लगा जब चार बजे ही वॉर्डेन चरत सिंह ने उनसे आकर कहा कि वो अपनी-अपनी कोठरियों में चले जाएं।उन्होंने कारण नहीं बताया। उनके मुंह से सिर्फ ये निकला कि आदेश ऊपर से है।अभी कैदी सोच ही रहे थे कि माजरा क्या है,जेल का नाई बरकत हर कमरे के सामने से फुसफुसाते हुए गुजरा कि आज रात भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी जाने वाली है।उस क्षण की निश्चिंतता ने उनको झकझोर कर रख दिया। कैदियों ने बरकत से मनुहार की कि वो फांसी के बाद भगत सिंह की कोई भी चीज जैसे पेन, कंघा या घड़ी उन्हें लाकर दें ताकि वो अपने पोते-पोतियों को बता सकें कि कभी वो भी भगत सिंह के साथ जेल में बंद थे। बरकत भगत सिंह की कोठरी में गया और वहाँ से उनका पेन और कंघा ले आया। सारे कैदियों में होड़ लग गई कि किसका उस पर अधिकार हो।आखिर में ड्रॉ निकाला गया।
भगत सिंह ने क्यों कहा -इन्कलाबियों को मरना ही होता है-
अब सब कैदी चुप हो चले थे। उनकी निगाहें उनकी कोठरी से गुजरने वाले रास्ते पर लगी हुई थी। भगत सिंह और उनके साथी फाँसी पर लटकाए जाने के लिए उसी रास्ते से गुजरने वाले थे।एक बार पहले जब भगत सिंह उसी रास्ते से ले जाए जा रहे थे तो पंजाब कांग्रेस के नेता भीमसेन सच्चर ने आवाज ऊँची कर उनसे पूछा था, "आप और आपके साथियों ने लाहौर कॉन्सपिरेसी केस में अपना बचाव क्यों नहीं किया। " भगत सिंह का जवाब था,"इन्कलाबियों को मरना ही होता है, क्योंकि उनके मरने से ही उनका अभियान मजबूत होता है,अदालत में अप���ल से नहीं।" वॉर्डेन चरत सिंह भगत सिंह के खैरख्वाह थे और अपनी तरफ से जो कुछ बन पड़ता था उनके लिए करते थे। उनकी वजह से ही लाहौर की द्वारकादास लाइब्रेरी से भगत सिंह के लिए किताबें निकल कर जेल के अंदर आ पाती थीं।भगत सिंह को किताबें पढ़ने का इतना शौक था कि एक बार उन्होंने अपने स्कूल के साथी जयदेव कपूर को लिखा था कि वो उनके लिए कार्ल लीबनेख की 'मिलिट्रिजम', लेनिन की 'लेफ्ट विंग कम्युनिजम' और अपटन सिनक्लेयर का उपन्यास 'द स्पाई' कुलबीर के जरिए भिजवा दें।
भगत सिंह अपने जेल की कोठरी में शेर की तरह चक्कर लगा रहे थे-
भगत सिंह जेल की कठिन जिंदगी के आदी हो चले थे। उनकी कोठरी नंबर 14 का फर्श पक्का नहीं था। उस पर घास उगी हुई थी। कोठरी में बस इतनी ही जगह थी कि उनका पाँच फिट, दस इंच का शरीर बमुश्किल उसमें लेट पाए।भगत सिंह को फांसी दिए जाने से दो घंटे पहले उनके वकील प्राण नाथ मेहता उनसे मिलने पहुंचे। मेहता ने बाद में लिखा कि भगत सिंह अपनी छोटी सी कोठरी में पिंजड़े में बंद शेर की तरह चक्कर लगा रहे थे।उन्होंने मुस्करा कर मेहता को स्वागत किया और पूछा कि आप मेरी किताब 'रिवॉल्युशनरी लेनिन' लाए या नहीं? जब मेहता ने उन्हे किताब दी तो वो उसे उसी समय पढ़ने लगे मानो उनके पास अब ज्यादा समय न बचा हो।मेहता ने उनसे पूछा कि क्या आप देश को कोई संदेश देना चाहेंगे?भगत सिंह ने किताब से अपना मुंह हटाए बगैर कहा, "सिर्फ दो संदेश... साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और 'इंकलाब जिदाबाद!" इसके बाद भगत सिंह ने मेहता से कहा कि वो पंडित नेहरू और सुभाष बोस को मेरा धन्यवाद पहुंचा दें,जिन्होंने मेरे केस में गहरी रुचि ली थी।
वक़्त से 12 घंटे पहले ही फांसी दी गयी -
भगत सिंह से मिलने के बाद मेहता राजगुरु से मिलने उनकी कोठरी पहुंचे। राजगुरु के अंतिम शब्द थे, "हम लोग जल्द मिलेंगे।" सुखदेव ने मेहता को याद दिलाया कि वो उनकी मौत के बाद जेलर से वो कैरम बोर्ड ले लें जो उन्होंने उन्हें कुछ महीने पहले दिया था।मेहता के जाने के थोड़ी देर बाद जेल अधिकारियों ने तीनों क्रांतिकारियों को बता दिया कि उनको वक़्त से 12 घंटे पहले ही फांसी दी जा रही है। अगले दिन सुबह छह बजे की बजाय उन्हें उसी शाम सात बजे फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा।भगत सिंह मेहता द्वारा दी गई किताब के कुछ पन्ने ही पढ़ पाए थे। उनके मुंह से निकला, "क्या आप मुझे इस किताब का एक अध्याय भी खत्म नहीं करने देंगे?" भगत सिंह ने जेल के मुस्लिम सफाई कर्मचारी बेबे से अनुरोध किया था कि वो उनके लिए उनको फांसी दिए जाने से एक दिन पहले शाम को अपने घर से खाना लाएं।लेकिन बेबे भगत सिंह की ये इच्छा पूरी नहीं कर सके, क्योंकि भगत सिंह को बारह घंटे पहले फांसी देने का फैसला ले लिया गया ��र बेबे जेल के गेट के अंदर ही नहीं घुस पाया।
तीनों क्रांतिकारियों अंतिम क्षण -
थोड़ी देर बाद तीनों क्रांतिकारियों को फांसी की तैयारी के लिए उनकी कोठरियों से बाहर निकाला गया। भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने अपने हाथ जोड़े और अपना प्रिय आजादी गीत गाने लगे- कभी वो दिन भी आएगा कि जब आजाद हम होंगें ये अपनी ही जमीं होगी ये अपना आसमाँ होगा।
फिर इन तीनों का एक-एक करके वजन लिया गया।सब के वजन बढ़ गए थे। इन सबसे कहा गया कि अपना आखिरी स्नान करें। फिर उनको काले कपड़े पहनाए गए। लेकिन उनके चेहरे खुले रहने दिए गए।चरत सिंह ने भगत सिंह के कान में फुसफुसा कर कहा कि वाहे गुरु को याद करो।
भगत सिंह बोले, "पूरी जिदगी मैंने ईश्वर को याद नहीं किया। असल में मैंने कई बार गरीबों के क्लेश के लिए ईश्वर को कोसा भी है। अगर मैं अब उनसे माफी मांगू तो वो कहेंगे कि इससे बड़ा डरपोक कोई नहीं है। इसका अंत नजदीक आ रहा है। इसलिए ये माफी मांगने आया है।" जैसे ही जेल की घड़ी ने 6 बजाय, कैदियों ने दूर से आती कुछ पदचापें सुनीं।उनके साथ भारी बूटों के जमीन पर पड़ने की आवाजे भी आ रही थीं। साथ में एक गाने का भी दबा स्वर सुनाई दे रहा था, "सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।।।" सभी को अचानक जोर-जोर से 'इंकलाब जिंदाबाद' और 'हिंदुस्तान आजाद हो' के नारे सुनाई देने लगे।फांसी का तख्ता पुराना था लेकिन फांसी देने वाला काफी तंदुरुस्त। फांसी देने के लिए मसीह जल्लाद को लाहौर के पास शाहदरा से बुलवाया गया था।भगत सिंह इन तीनों के बीच में खड़े थे। भगत सिंह अपनी माँ को दिया गया वो वचन पूरा करना चाहते थे कि वो फाँसी के तख्ते से 'इंकलाब जिदाबाद' का नारा लगाएंगे।
भगत सिंह ने अपने माँ से किया वादा निभाया और फांसी के फंदे को चूमकर -इंकलाब जिंदाबाद नारा लगाया -
लाहौर जिला कांग्रेस के सचिव पिंडी दास सोंधी का घर लाहौर सेंट्रल जेल से बिल्कुल लगा हुआ था। भगत सिंह ने इतनी जोर से 'इंकलाब जिंदाबाद' का नारा लगाया कि उनकी आवाज सोंधी के घर तक सुनाई दी। उनकी आवाज सुनते ही जेल के दूसरे कैदी भी नारे लगाने लगे। तीनों युवा क्रांतिकारियों के गले में फांसी की रस्सी डाल दी गई।उनके हाथ और पैर बांध दिए गए। तभी जल्लाद ने पूछा, सबसे पहले कौन जाएगा? सुखदेव ने सबसे पहले फांसी पर लटकने की हामी भरी। जल्लाद ने एक-एक कर रस्सी खींची और उनके पैरों के नीचे लगे तख्तों को पैर मार कर हटा दिया।काफी देर तक उनके शव तख्तों से लटकते रहे।अंत में उन्हें नीचे उतारा गया और वहाँ मौजूद डॉक्टरों लेफ्टिनेंट कर्नल जेजे नेल्सन और लेफ्टिनेंट कर्नल एनएस सोधी ने उन्हें मृत घोषित किया।
क्यों मृतको�� की पहचान करने से एक अधिकारी ने मना किया -
एक जेल अधिकारी पर इस फांसी का इतना असर हुआ कि जब उससे कहा गया कि वो मृतकों की पहचान करें तो उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया। उसे उसी जगह पर निलंबित कर दिया गया। एक जूनियर अफसर ने ये काम अंजाम दिया।पहले योजना थी कि इन सबका अंतिम संस्कार जेल के अंदर ही किया जाएगा, लेकिन फिर ये विचार त्यागना पड़ा जब अधिकारियों को आभास हुआ कि जेल से धुआँ उठते देख बाहर खड़ी भीड़ जेल पर हमला कर सकती है। इसलिए जेल की पिछली दीवार तोड़ी गई।उसी रास्ते से एक ट्रक जेल के अंदर लाया गया और उस पर बहुत अपमानजनक तरीके से उन शवों को एक सामान की तरह डाल दिया गया। पहले तय हुआ था कि उनका अंतिम संस्कार रावी के तट पर किया जाएगा, लेकिन रावी में पानी बहुत ही कम था, इसलिए सतलज के किनारे शवों को जलाने का फैसला लिया गया।उनके पार्थिव शरीर को फिरोजपुर के पास सतलज के किनारे लाया गया। तब तक रात के 10 बज चुके थे। इस बीच उप पुलिस अधीक्षक कसूर सुदर्शन सिंह कसूर गाँव से एक पुजारी जगदीश अचरज को बुला लाए। अभी उनमें आग लगाई ही गई थी कि लोगों को इसके बारे में पता चल गया।जैसे ही ब्रितानी सैनिकों ने लोगों को अपनी तरफ आते देखा, वो शवों को वहीं छोड़ कर अपने वाहनों की तरफ भागे। सारी रात गाँव के लोगों ने उन शवों के चारों ओर पहरा दिया।अगले दिन दोपहर के आसपास जिला मैजिस्ट्रेट के दस्तखत के साथ लाहौर के कई इलाकों में नोटिस चिपकाए गए जिसमें बताया गया कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का सतलज के किनारे हिंदू और सिख रीति से अंतिम संस्कार कर दिया गया।इस खबर पर लोगों की कड़ी प्रतिक्रिया आई और लोगों ने कहा कि इनका अंतिम संस्कार करना तो दूर, उन्हें पूरी तरह जलाया भी नहीं गया। जिला मैजिस्ट्रेट ने इसका खंडन किया लेकिन किसी ने उस पर विश्वास नहीं किया।
वॉर्डेन चरत सिंह फूट-फूट कर रोने लगे -
इस तीनों के सम्मान में तीन मील लंबा शोक जुलूस नीला गुंबद से शुरू हुआ। पुरुषों ने विरोधस्वरूप अपनी बाहों पर काली पट्टियाँ बांध रखी थीं और महिलाओं ने काली साड़ियाँ पहन रखी थीं। लगभग सब लोगों के हाथ में काले झंडे थे।लाहौर के मॉल से गुजरता हुआ जुलूस अनारकली बाजार के बीचोबीच रूका। अचानक पूरी भीड़ में उस समय सन्नाटा छा गया जब घोषणा की गई कि भगत सिंह का परिवार तीनों शहीदों के बचे हुए अवशेषों के साथ फिरोजपुर से वहाँ पहुंच गया है। जैसे ही तीन फूलों से ढ़के ताबूतों में उनके शव वहाँ पहुंचे, भीड़ भावुक हो गई। लोग अपने आँसू नहीं रोक पाए।उधर, वॉर्डेन चरत सिंह सुस्त कदम��ं से अपने कमरे में पहुंचे और फूट-फूट कर रोने लगे। अपने 30 साल के करियर में उन्होंने सैकड़ों फांसियां देखी थीं, लेकिन किसी ने मौत को इतनी बहादुरी से गले नहीं लगाया था जितना भगत सिंह और उनके दो कॉमरेडों ने।किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि16 साल बाद उनकी शहादत भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के अंत का एक कारण साबित होगी और भारत की जमीन से सभी ब्रिटिश सैनिक हमेशा के लिए चले जाएंगे।
शहीद-ए-आजम का भगत सिंह नाम कैसे पड़ा -
भारत माँ के इस महान सपूत का नाम उनकी दादी के मुँह से निकले लफ्जों के आधार पर रखा गया था।जिस दिन भगतसिंह का जन्म हुआ, उसी दिन उनके पिता सरदार किशनसिंह और चाचा अजीतसिंह की जेल से रिहाई हुई थी। इस पर उनकी दादी जय कौर के मुँह से निकला 'ए मुंडा ते बड़ा भागाँवाला ए' (यह लड़का तो बड़ा सौभाग्यशाली है)।शहीद-ए-आजम के पौत्र (भतीजे बाबरसिंह संधु के पुत्र) यादविंदरसिंह संधु ने बताया कि दादी के मुँह से निकले इन अल्फाज के आधार पर घरवालों ने फैसला किया कि भागाँवाला (भाग्यशाली) होने की वजह से लड़के का नाम इन्हीं शब्दों से मिलता-जुलता होना चाहिए, लिहाजा उनका नाम भगतसिंह रख दिया गया।
शहीद-ए-आजम का नाम भगतसिंह रखे जाने के साथ ही नामकरण संस्कार के समय किए गए यज्ञ में उनके दादा सरदार अर्जुनसिंह ने यह संकल्प भी लिया कि वे अपने इस पोते को देश के लिए समर्पित कर देंगे। भगतसिंह का परिवार आर्य समाजी था, इसलिए नामकरण के समय यज्ञ किया गया।यादविंदर ने बताया कि उन्होंने घर के बड़े-बुजुर्गों से सुना है कि भगतसिंह बचपन से ही देशभक्ति और आजादी की बातें किया करते थे। यह गुण उन्हें विरासत में मिला था, क्योंकि उनके घर के सभी सदस्य उन दिनों आजादी की लड़ाई में शामिल थे।हमारा उद्देश्य हमेशा रहता है की अपने इतिहास के चुनिंदा घटनाओं से आपको अवगत कराते रहे है। हमारे आर्टिकल आपको अगर पसंद आते है तो हमे अपना समर्थन दे।
पूरा जानने के लिए -http://bit.ly/319PmN5
#सुभाषबोस#साम्राज्यवादमुर्दाबाद#सुखदेव#सरफरोशीकीतमन्नाअबहमारेदिलमेंहै#शहीदेआजमभगतसिंह#शहीदएआजमकाभगतसिंहनामकैसेपड़ा#वॉर्डेनचरतसिंहफूटफूटकररोनेलगे#वॉर्डेनचरतसिंह#लेफ्टविंगकम्युनिजम#लाहौरसेंट्रलजेल#लाहौरकॉन्सपिरेसीकेस#लाहौरकीद्वारकादासलाइब्रेरी#मुस्लिमसफाईकर्मचारी#राजगुरु#मिलिट्रिजम#भीमसेनसच्चर#भगतसिंहनेअपनेमाँसेकियावादानिभाया#भगतसिंहदेशकेलिएफांसीकेफंदेपरझूल#भगतसिंहकोकिताबेंपढ़नेकाइतनाशौक#भगतसिंहऔर23मार्च1931#भगतसिंह#फिरोजपुरकपाससतलज#पितासरदारकिशनसिंह#पंडितनेहरू#दस्पाई#तीनोंक्रांतिकारियोंअंतिमक्षण#��ाचाअजीतसिंह#एकक्रांतिकारीकेआखिर24घंटे#इन्कलाबियोंकोमरनाहीहोताहै#आजादीगीतगाने
1 note
·
View note
Text
Weight Loss Tips:- वजन घटाने के लिए डाइट चार्ट - Diet Chart For Weight Loss in Hindi
मोटापा किसी के लिए भी परेशानी और शर्मिंदगी का सबब बन जाता है। कोई भी नहीं चाहता की उसका थुलथुल ढीला, भारी भरकम शरीर हो। यह आपके पूरी पर्सनालिटी की रौनक को खत्म कर देता है । ज्यादा मोटापा सिर्फ सुंदरता ही कम नहीं करता बल्कि शरीर को बीमारियों का घर बना देता है। एक अच्छी पर्सनैलिटी की पहचान स्वस्थ शरीर से होती है।
बिज़ी लाइफस्टाइल के चलते, आजकल सभी अपनी फिटनेस का ख़ास ख़्याल नहीं रख पाते। पर आप अपने काम में तभी परफेक्ट हो पाएंगे, जब आपका स्वास्थ्य अच्छा और आप फिट होंगे। ऐसे में लोग वजन घटाने करने के लिए घंटो जिम में पसीना बहाते हैं, डाइटिंग करते हैं, कई बार दवाइयां भी लेते हैं. जबकि
मोटापा कम
करने के लिए इतना कुछ करने की जरुरत नहीं होती है. अपने पेट को कम करने के लिए सबसे जरुरी है की आप सही डाइट चार्ट फॉलो करें।
सब्ज़ियों का सूप
डाइट चार्ट में इस बात का ख्याल रखा गया है कि आपको जरूरी
विटामिन्स
और
मिनरल्स
मिलते रहें। वैसे जरूरी नहीं कि हर शख्स पर यह पूरी तरह से लागू होगा। हालाँकि, आप इसमें थोड़ा फेरबदल भी कर सकते हैं।जब आप वजन कम करना शुरू करते हैं तो शुरू में आमतौर पर सभी लोगों का वजन दो चार किलो कम हो जाता है, मगर बाद में फैट कम नहीं होता। इसलिए हर बार आपको अपना
डाइट चार्ट
पहले के मुकाबले ज्यादा हार्ड बनाना होता है।
वजन घटाने
के लिए इस डाइट चार्ट को आप आजमाकर देखें फर्क जरूर पड़ेगा।
वैसे तो हर व्यक्ति की शारीरिक संरचना और उसके द्वारा की जाने वाली मेहनत के हिसाब से खान-पान की आवश्यकता अलग-अलग होती है। इसके लिए बेहतर होगा बीएमआर निकाला जाए जो यह बताएगा कि शरीर को कम से कम कितनी कैलोरी की आवश्यकता है।
शरीर का वजन कम करने के लिए कम कैलोरी लेनी चाहिए और इसके लिए बैलेंस्ड डाइट चार्ट बनाया जाना जरूरी होता है। दिमाग सुचारू रूप से कम करे और शरीर थके नहीं, इन बातों को ध्यान में रखते हुए 1200 से 1800 कैलोरी की आवश्यकता होती है। इतनी कैलोरी ऊर्जा के रूप में शरीर में बेहतर ढंग से संचरित हो जाती है जो कि फैट के रूप में ��हीं जमती।
तीन मुख्य भोजन, जैसे नाश्ता, दोपहर का खाना और रात का खाना 300 से 350 कैलोरी का रखें।
बाकी बचे 300 कैलोरी में स्नेक्स तथा अन्य चीजों को रखें।
बेवरेज के तौर पर ग्रीन टी अपनाएं। ग्रीन टी वजन कम करने में सहायक है।
जो भी खाना खाएं, सभी गेहूं से बना हो या ब्राउन चावल हो। मैदा या सफेद चावल न खाएं।
वजन घटाने के लिए डाइट चार्ट - Diet Chart For Weight Loss in Hindiआपको नाश्ते, दोपहर के भोजन और रात के खाने को ऐसे डिवाइड करें।
सुबह उठते ही : पानी पिएं, हो सके तो कम से कम दो गिलास और ज्यादा से ज्यादा एक लीटर। पानी हल्का गुनगुना होगा तो अच्छी बात है वरना जैसा आपको ठीक लगे।
अगर हो सके तो कुंज्जल करें : यह एक यौगिग क्रिया है जिसे वमन धौती भी कहा जाता है। इसमें तकरीबन दो लीटर हल्का गर्म पानी पीकर उल्टी की जाती है। अगर बीपी की प्रॉबलम नहीं है तो पानी में हल्का नमक भी मिला लें। यह वैसे तो बहुत आसान है मगर बेहतर होगा शुरू में आप किसी जानकार के सामने यह करें उसके बाद आप खुद कर सकती हैं।
नाश्ता : ओट्स बनायें मगर ये इंस्टेंट ओट्स न हों। सादे ओट्स का पैकेट लाएं और उसमें प्याज, लहसुन, दालचीनी, जरा सी मंगरैल उर्फ कलौंजी डालें, बाकी नमक वगैरा तो डालना ही है। इसमें मौसम के हिसाब से सब्जियां डाल सकती हैं। हो सके तो ब्रोकली जरूर डालें या कॉर्नफ्लेक्स और डबल टोंड दूध या अगर आप नॉन वेजिटेरियन हैं तो तीन या चार उबले अंडे का सफेद हिस्सा। चाहें तो बिना चीनी वाली नींबू की शिकंजी। शिकंजी पहले पियें बाद में अंडे खाएं या कभी कभी आप नाश्ते में दही के साथ उबला आलू भी ले सकती हैं। इसमें हरा धनिया भी डाल लिया करें।
ब्रंच : पांच से दस बादाम, साथ में कॉफी या ग्रीन टी या अदरक, तुलसी, दालचीनी, इलाइची वगैरा की चाय बस इसमें चीनी की बजाए शुगर फ्री हो।
लंच: एक कटोरी ब्राउन राइस, सलाद, दाल, मल्टी ग्रेन आंटे की एक या दो रोटी।
शाम की चाय-शाय: कोई वेज सूप या भुने चने के साथ चाय या कॉफी या ग्रीन टी। चाहें तो स्प्राउट भी ले सकती हैं।
रात का खाना एक कटोरा वेज सूप, एक कटोरा सलाद, या एक बड़ा कटोरा पपीता या एक कटोरा भरकर सब्जियां इसमें लहसुन, प्याज जरूर हो या नॉन वेजेटेरियन हैं तो तीन एग व्हाइट या 150 ग्राम चिकन ब्रेस्ट, या दो लेग पीस।
जरूरी नहीं है कि आप इन्हीं चीजों का सेवन करें। जरूरी ये है कि आप कैलोरी की सही मात्रा लें। इसके साथ ही तरल पदार्थों का अधिक सेवन और व्यायाम को भी अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा।
मोटापे से बचने के लिए क्या खाएं और कैसे खाएं? – Weight Loss Foods in Hindi
मोटापे से खुद को बचाने के लिए निम्नलिखित चीजें खा सकते हैं और मोटापे से छुटकारा पा सकते हैं:
सलाद खाएं
लो कैलोरी फूड लें
मोटे अनाज शामिल करें
चबाकर खांए
शहद और नींबू
डेयरी उत्पाद, जैसे – दही व मक्खन आदि।
नट्स जैसे – मूंगफली व बादाम आदि।
खट्टे फल
सूप पींए
पालक
सेब
दाल
दलिया
अंडा
विनेगर
एवोकैडो
मोटापा से बचने के लिए क्या ना खाएं? – Foods to Avoid in Weight Loss in Hindi
मोटापे से बचने के लिए, आपको नीचे बताई गईं चीज़ों का सेवन नहीं करना चाहिए :
ज़्यादा चीनी वाले खाद्य पदार्थ, जैसे – मिठाई व खीर ।
ज़्यादा चीनी वाले पेय, जैसे – कोल्ड ड्रिंक व शर्बत।
ज़्यादा तेल वाले खाद्य पदार्थ, जैसे – फ़्रेंच फ्राई व चिप्स।
वजन घटाने वाले कुछ व्यायाम और योगासन – Some Exercise and Yoga for Weight Loss in Hindi
वज़न घटाने के लिए हमारे डाइट चार्ट को अपनाने के साथ-साथ आपको नीचे बताए गए
एक्सरसाइज
को भी अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए:
सुबह-शाम टहलें।
रस्सी फांदने का अभ्यास करें।
स्विमिंग करें।
साइकल का प्रयोग करें।
ज़ुम्बा या डांस क्लास से भी वज़न घटा सकते हैं।
व्यायाम के अलावा योगासन से भी वज़न घटाया जा सकता है, योगासन करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें: वजन घटाने के लिए योगासन निम्नलिखित है:
चक्रासन
भुजंगासन
वीर भद्रासन
नवासना
सूर्य नमस्कार
वजन घटाने के लिए कुछ और उपाय – Other Tips for Weight Loss in Hindi
समय पर नास्ता करें - नाश्ता पूरे दिन का सबसे महत्वपूर्णडाइट होता है। बतादें कि, सुबह का नाश्ता हमारे शरीर के मेटाबॉलिज़्म प्रक्रिया को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।
डिप्रेशन से बचें - मोटापे का एक कारण डिप्रेशन भी हो सकता है, इससे बचने के लिए आपको टहलना या घूमना भी चाहिए। ऐसे काम करें जिससे आपको खुशी मिलती है।
पूरी नींद लें - शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि नींद पूरी ना होने से वज़न बढ़ सकता है, क्योंकि नींद की कमी से शरीर की इंसुलीन संवेदनशीलता और ग्लूकोज़ सहिष्णुता में कमी आती है। इससे शरीर में लेप्टिन का स्तर घटता है, और हमारी भूख बढ़ती है।
वजन घटाने के लिए डाइट रेसिपी – Diet Food Recipes for Weight Loss in Hindi
वजन घटाने के लिए डाइट रेसिपी का इस्तेमाल करके आप अपने मोटापा को कम कर सकते हैं और कई तरह की ��िमारियों से बच सकते हैं। यहां हम आपको कुछ आसान रेसिपी के बारे में बता रहें हैं जो निम्नलिखित है:-
1.फलों का सलाद - सामग्री जैसे - आधा पपीता, एक केला, आधे से थोड़ा कम तरबूज़, एक सेब, पांच से छह अंगूर, नींबू, चुटकी भर नमक, चुटकी भर काली मिर्च
कैसे बनाएं
बाउल में सारे फलों के छोटे-छोटे टुकड़े करें। अंत में इन टुकड़ों के साथ अंगूर, नींबू के रस, चुटकी भर नमक और काली मिर्च को भी मिला लें। अब आपके फलों का सलाद तैयार है। सर्व करें।
2.सब्ज़ियों का सूप - सामग्री जैसे - एक पत्तागोभी का थोड़ा-सा भाग, आधा या एक गाजर, पांच बीन्स, नींबू, चुटकी भर काली मिर्च, नमक, थोड़ी-सी अजवाइन या उसके डंठल, एक चुकंदर
कैसे बनाएं
पत्तागोभी, चुकंदर और गाजर के लंबे-लंबे टुकड़े काटें फिर,अजवाइन के डंठल को छोटे टुकड़ों में काटें। उसके बाद बीन्स को भी छोटे टुकड़ों में काट लें। फिर एक पतीले में पानी उबालें और सारी सब्ज़ियों को उसमें डालें। सब्ज़ियों को थोड़ी देर तक पकने दें और फिर उन्हें पानी के साथ कटोरे में निकाल लें। लास्ट में कटोरे में नींबू का रस, नमक और काली मिर्च डालें और अच्छी तरह से सब्ज़ियों को मिला लें।
#weight loss in hindi#Weight Loss Tips#Weight Loss Foods#Weight Loss Recipe#Weight Loss#Weight Loss Diet Chart#vajan kam karne ke upaye#vajan kam karne gharelu upchaar
0 notes
Text
1 दिन में शरीर की सारी गंदगी बाहर निकालकर बॉडी को करें फुल डिटॉक्स, जानें सुबह से लेकर रात तक क्या कैसे खाएं?
डिटॉक्स का मतलब होता है टॉक्सिन्स (गंदगी, अपशिष्ट पदार्थ, मल) को बाहर निकालना। हम जो कुछ भी रोज खाते हैं उसमें से पोषक तत्व तो शरीर पाचन के दौरान ही अलग कर लेता है, बाकी बची गंदगी को मल और मूत्र के रूप में शरीर से बाहर कर देता है। लेकिन कुछ तत्व ऐसे रह जाते हैं, जो शरीर में ही यहां-वहां जमा हो जाते हैं। तुरंत तो इनका पता नहीं चलता है, लेकिन लंबे समय में यही गंदे तत्व (टॉक्सिन्स) गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। इसलिए शरीर को समय-समय पर डिटॉक्स करते रहना जरूरी है। आपको हर 15 दिन में कम से कम 1 बार तो अपनी बॉडी को डिटॉक्स करना ही चाहिए।
अक्सर लोग बॉडी डिटॉक्स 3 कारणों से नहीं करते हैं- पहला यह कि बहुत सारे लोगों को बॉडी डिटॉक्स करने का महत्व और तरीका नहीं पता होता है। दूसरा यह कि जिन्हें पता होता है उन्हें लगता है कि डिटॉक्स करने में भूख बहुत लगती है और उनसे भूख बर्दाश्त नहीं है और तीसरा यह कि उन्हें लगता है बॉडी डिटॉक्स करने में कई दिन का समय लगत है, इसलिए वो इसके लिए समय नहीं निकाल सकते हैं। लेकिन आज हम आपको जो डिटॉक्स का डाइट प्लान बता रहे हैं, वो सिर्फ 1 दिन का है। यानी 24 घंटे में ही आपकी बॉडी पूरी तरह डिटॉक्स हो जाएगी और आपको भूख भी नहीं लगेगी। आइए बताते हैं इस डिटॉक्स के दौरान सुबह से लेकर रात तक आपको क्या कैसे खाना है।
सुबह उठते ही पिएं गर्म पानी और नींबू
आप सुबह जैसे ही उठें, सबसे पहला काम यह करें कि आधा लीटर पानी गुनगुना करें और इसमें 1 नींबू का रस निचोड़ कर डालें। इसके बाद इसे गुनगुना ही पी जाएं। खाली पेट पिया गया ये नींबू पानी आपके शरीर के मेटाबॉलिज्म को तेजी से बढ़ा देगा, पाचन की गति ��ेज कर देगा और शरीर के टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करेगा। आप चाहें तो इसे रोज भी पी सकते हैं। इसे पीने के बाद फ्रेश हों, ब्रश करें और थोड़ी देर वॉक करें या एक्सरसाइज करें। इसके बाद 15 मिनच रेस्ट कर लें ताकि एक्सरसाइज से गर्म हुआ शरीर नॉर्मल हो जाए, इसके बाद नहाएं और फिर ब्रेकफास्ट करें।
ब्रेकफास्ट में लें ग्रीन स्मूदी
डिटॉक्स वाले दिन आपको ब्रेकफास्ट में ग्रीन स्मूदी पीनी है। ग्रीन स्मूदी हरी सब्जियों और पत्ते वाली सब्जियों को मिलाकर बनाई जाती है। इसलिए इस स्मूदी में फाइबर, मिनरल्स, विटामिन्स और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर होते हैं। ये स्मूदी आपको दिनभर एनर्जी से भरपूर रखेगी और आपके पेट को भरा रखेगी। अगर आप सप्ताह में 2-3 दिन इस स्मूदी का रेगुलर सेवन करते रहें तो आपकी त्वचा का ग्लो भी बढ़ जाएगा।
स्मूदी बनाने के लिए ब्लेंडर में 1 कप पालक के पत्ते, 1 कप ब्रोकली, एक छोटा टुकड़ा अदरक, एलोवेरा जेल (ताजा पत्ती से निकला हुआ) 2 चम्मच, और भी जो हरी सब्जियां आप डालना चाहें डाल लें, इसके साथ 2 कप ग्रीन टी डालें और इन्हें ब्लेंड कर लें। इस स्मूदी को ग्लास में निकालें और 1 नींबू का रस तथा थोड़ा सा काला नमक डालें और मिक्स करके पी लें। आप डेढ़ से 2 ग्लास तक स्मूदी पी सकते हैं।
दिन के बीच में ग्रीन टी पिएं
अक्सर लोग नाश्ते और खाने के बीच में कुछ हल्के-फुल्के स्नैक्स खाते हैं या कॉफी-चाय पीते हैं। मगर आपको डिटॉक्स वाले दिन इन सबके बजाय खास तरीके से बनाई गई ग्रीन टी पीनी है। इसे बनाने के लिए एक पैन में पानी उबालें और इसमें थोड़ा सा अदरक कूटकर डाल दें। अदरक के साथ उबाल आ जाने के बाद इसे आंच से उतार लें और थोड़ा तापमान कम होने दें। इसके बाद इसे कप में छानें और ग्रीन टी बैग डाल दें। 3-4 मिनट बाद ग्रीन टी बैग निकाल लें और इसमें आधा नींबू का रस निचोड़ें, 1 चुटकी काली मिर्च पाउडर डालें और पी लें। पीने में समस्या हो तो थोड़ा सा शहद डाल कर घोल लें। ये चाय आपके शरीर में जमा म्यूकस को तोड़ेगी और बैक्टीरिया आदि के साथ टॉक्सिन्स को बाहर निकाल देगी।
लंच में सिर्फ सलाद खाएं
आपको लंच में कच्ची सब्जियों से बना सलाद खाना है, जिसमें ज्यादातर हरी पत्तेदार सब्जियां, खीरा, ककड़ी, टमाटर, मूली, ब्रोकली, पत्ता गोभी आदि जो कुछ भी आप मिलाना चाहें, मिलाकर खाएं। सभी सब्जियां हेल्दी और पौष्टिक होती हैं।
शाम को फल
लंच और डिनर के बीच भी अक्सर लोगों को भूख लगती है। इसलिए इस दौरान शाम को आप 1 बाउल फ्रूट्स और वेजिटेबल्स को मिक्स करके या सिर्फ फ्रूट्स खा सकते हैं। ये हेल्दी स्नैक आपको एनर्जी से भरा रखेगा और आपका मूड भी अच्छा रखेगा।
रात का खाना
रात का खाना सोने से 2 घंटे पहले जरूर खा लें। डिटॉक्स वाले दिन आप रात के खाने में उबल�� हुई सब्जियां (बिना फ्राई की हुई) या फिर सूप आदि ले सकते हैं। ध्यान रखें इस दौरान मीट या ऑयली चीज न खाएं।
इन बातों का रखें ध्यान
डिटॉक्स के लिए अक्सर लोग छुट्टी का दिन चुनते हैं, जबकि इसके लिए सबसे अच्छा दिन वो है जब आप बिजी होते हैं, यानी काम वाला दिन। इसका कारण यह है कि काम के दिन काम के कारण आपका ध्यान बार-बार टेस्टी फूड्स और भूख के बारे में नहीं सोचता है, जबकि छुट्टी के दिन आपको बार-बार इन चीजों की याद सताएगी इसलिए डिटॉक्स करना मुश्किल हो सकता है।
पूरे दिन पानी पीते रहें। आप चाहें तो बॉटल में पानी भरकर इसमें 1 नींबू का टुकड़ा, कुछ पुदीने की पत्तियां और खीरे के टुकड़े डाल लें और इस पानी को दिनभर पिएं।
रात में कम से कम 7 से 9 घंटे की नींद जरूर लें।
इस डाइट को फॉलो करने के बाद अगले दिन आप बिल्कुल हल्का और रिलैक्स महसूस करेंगे क्योंकि आपकी बॉडी के सभी टॉक्सिन्स बाहर निकल चुके होंगे।
0 notes
Text
Patiently Awaiting for Right Time 🤨😐😔😔😔😔😔😔
सभी दोस्तों को मेरा प्रणाम,
दोस्तों मैंने देखा है कि पहले (कोरोना काल के पहले) नौकरी पेशा के लोग शुक्रवार को ही छुट्टी के मूड में आ जाते थे। और उनके चेहरे की ख़ुशी शुक्रवार को अलग ही होती थी। अजब सा उत्साह, और उमंग के साथ काम करते थे। इस चाह में की आने वाले दो दिन उनको छुट्टी मिलेगी तो वे लोग कही घूमने के लिए बाहर निकल जायेंगे। लेकिन मैंने उस समय को भी देखा है जब वह इंसान छुट्टी के मूड में होता है और अचानक उनके साहब बोलते है की शनिवार और रविवार को उनको कार्यालय में आना होगा। तब उस बेचारे का हाव भाव देखने से ऐसा नहीं लगता था की वह खुश है। लेकिन मरता क्या न करता उसे काम तो करना ही है। आखिर सवाल जीवन व्यापन का जो है।
लेकिन दोस्तों कभी आपने यह सोचा है कि मेरे जैसा किसान जिसके पास कोई नौकरी नहीं है। बस अपनी ही खेती पर निर्भर रहता है। उसका क्या हाल होगा इस को��ोना काल में। अब मेरे पास ही फिलहाल कुछ काम ही नहीं है। बैठे है। अब दोस्तों इस बात का अंदाजा लगाइये की ४० की उम्र में आकर भी कोई इंसान अगर खाली बैठा हो। तो सोचने की बात होती है। कुछ दिन पहले एक मेरे मित्र मुझसे मिले और बोले की कुछ काम क्यों नहीं करते। मैंने बोलै क्या करू कोई रखता ही नहीं तो काम कैसे करेंगे। जब कहीं जाओं तो उनको अंग्रेजी चाहिए और मुझे अंग्रेजी आती नहीं। अब उसमे मेरी भी एक कठिनाई है की अंग्रेजी का पूरा शब्द मिला ले तो मेरे ख्याल से ज्यादा से ज्यादा ४००० शब्दों की भाषा है। उतना शब्द तो हमारे एक गाँव में बोली जाती है।
आपको पता ही होगा की हमारी सिर्फ मराठी भाषा में ही १ लाख से ज्यादा शब्द है। हिंदी भाषा में डेढ़ लाख से ज्यादा शब्द है। और संस्कृत में तो समंदर की गहराई भी कम पड़ जाएगी इतने शब्द है। और बाकी भाषाओँ को तो आप छोड़ दीजिये।सबका बताने जाऊंगा तो आप बोलेगे ये क्या बोल रहा है। लेकिन हम आज के पीढ़ी के लोग है। हम सिर्फ अंग्रेजी को ही तवज्जो देते है ऐसा क्यों। हमारे देश की संस्कृति में इतने भाषाओँ का संगम है की मैं बता नहीं सकता। मेरे शब्द भी कम पड़ जायेंगे।
तो वे बोले की अरे बहुत काम है बाजार में। तुमको इतना अनुभव है बाजार का कोई भी विषय हो तो ऐसा नहीं लगता की तुमसे कुछ छूट रहा है। और इतना अनुभव और उसमे सबसे बड़ी बात १५ साल का सेल्स अनुभव होना बहुत बड़ी बात होती है। तो मैंने बोला की काम तो बहुत है। लेकिन मुझे जिसमे ख़ुशी मिले वह काम ना के बराबर है।
या जहा है वहा के लोग मुझे रखने से कतरातें है। तो उन्होंने बोले की एक ऑनलाइन कपडे की दूकान खोल लो। और अपने सोशल मीडिया के द्वारा उसे फैला दो। शायद कुछ काम हो जाये। यह शब्द मुझे बहुत अच्छा लगा। और मैंने बस छण भर में ही उसपर काम शुरूकर दिय। हालांकि उनको मेरे दूसरे काम के बारे में पता नहीं था। लेकिन कुछ भी हो उन्होंने मुझे फिलहाल एक अच्छा सुझाव दिया। और मैंने उसे तत्काल अमल में ला दिया।
और शायद आप सब इसका भरपूर लाभ उठा रहे होंगे।
चलिए हम आज अपनी दिनचर्या की ओर प्रस्थान करते है।
मैं सोने चला गया और मैं सोने की बहुत कोशिश करने लगा। लेकिन रात भर मैं सिर्फ यह सोचकर खुश हो रहा था कि कल मेरी सारी मुसीबतों का समाधान हो जाएगा। और मैं कल ही अपने गांव के लिए प्रस्थान कर जाऊंगा।
और यही सोच कर मुझे ��ींद आ गयी और मैं सो गया। भोर में मैं उठते ही अपनी धरती माँ को प्रणाम किया और अपने प्रभु को याद करने के बाद अपनी दिनचर्या में लग गया।
मैंने अपने साहब को उठाने के लिए उनके दरवाजे पर लगी कड़ी को बजाने लगा। और साहब उठ गए उन्होंने बोले चलो जल्दी से तैयार हो जाओ हमको निकलना है। मैंने बोला ठीक है। हमलोगों ने नाश्ता किया और अपनी मंजिल की ओर निकल पड़े। अब तकरीबन २ घंटे बाद हमलोग एक बड़े से बंगलो में पहुंचे और हमलोग बड़े साहब ( जो शायद पैसा देनेवाले थे) उनका इंतजार करने लगे। दोपहर हो गयी। फिर शाम हो गयी। अभी तक आये नहीं बड़े साहब। अब मैं तो बहुत परेशान हो गया। कि ये हो क्या रहा है। ये साहब भी गायब हो गए।
अचानक उनके केयरटेकर को फ़ोन आया की आज वो बड़े साहब नहीं आने वाले है। वे कहीं मीटिंग में फसे हुए है। और उन्होंने ४ दिन बाद आने बोला है। अब मैं बहुत ही ज्यादा परेशान हो गया। अरे जो मिलने वाला है पैसे वो भी अब लटकते जा रहा है। अब तो ऐसा लग रहा था कि मानों मेरे आँखों के सामने पूरा अँधेरा छा गया हो। न ही मेरी समझ में कुछ आ रहा था और ना ही शायद मेरे साहब की समझ में। हम दोनों सुबह से लेकर शाम तक बैठे उनका इंतज़ार करने में भूखे रहे और काम भी नहीं हुआ। फिर से मेरे कल के कुछ सोचे हुए सपने टूट गए।
हर एक दिन मुझे कुछ सीखा रहा था। और मैं भी अपने उस समय से दृढ़ता के साथ सीखते चला जा रहा था। और मेरे पास चारा ही क्या था सिखने के सिवाय। मैं अपने जीवन के उस प्रवाह में बहते जा रहा था शायद जिसका कोई किनारा मिलना उस समय तो मुश्किल दिख रहा था। अब हम सब अपने घर के लिए निकल पड़े। और फिर २ घंटे में अपने घर पहुंचे।
मेरी उस स्थिति का अंदाजा लगा पाना बहुत ही मुश्किल भरा था। और ऐसी स्थितियां सबके साथ आती है।
फिर वही हम खाना खाये और मैं पैसे की चाह में आँख में आंसू लिए सोने चला गया। मैं बहुत ही उदास । और मेरे पिताजी का फ़ोन भी नहीं उठा रहा था। सवाल तो यही था की मैं क्या उठाता और क्या बोलता। फिर से वह निराशा भरी रात का दर्शन करते हुए मैं सोने चला गया।
दोस्तों माफ़ करना थोड़ा अपने वेब पेज का काम चल रहा है असुविधा के लिए मैं आपसे छमाप्रार्थी हू। इसलिए मैं ज्यादा नहीं लिख पा रहा हू। कुछ दिन तक यह हाल होगा उसके बाद मुझे यकीन है कि आपको कोई असुविधा नहीं होगी।
(Incase story as per your interest Please do comments, message, Like & follow me for Regular updates)
___________
___________________________________________________________________________________
English Translation:-
My greetings to all friends,
Friends, I have noticed that earlier (before the Corona era), people of job occupation used to get into the mood of holiday on Friday itself. And the happiness of his face was different on Friday. Worked with a bit of zeal and enthusiasm. In the wish that they will be discharged for the next two days, then they will go out to roam somewhere. But I have also seen the time when that person is in a holiday mood and suddenly their Boss says that they have to come to office on Saturday and Sunday. At that time, the poor fellow did not think that he was happy. But what does not die, he has to work. After all, the question of life is business.
But friends, have you ever thought that a farmer like me who has no job. Just depends on our own farming. How will it happen to live in this corona period? Now I do not have any work at the moment. Is sitting Now friends, guess that if a person is sitting empty at the age of 40. So it is a matter of thinking. A few days ago a friend of mine met me and said why not do some work. I said what should anyone do, how will they work? Whenever I go, they need English and I do not know English. Now I have a problem in it that if I mix the whole words in English, I think there is a language of more than 4000 words. That much word is spoken in one of our villages.
You must know that our Marathi language alone has more than 1 lakh words. Hindi language has more than one and a half million words. And in Sanskrit, the depth of the sea will also be reduced. If you leave the rest of the languages, then I will tell you what you are saying. But we are the people of today's generation. Why do we only pay attention to English? There is a confluence of so many languages in the culture of our country that I cannot tell. My words will fall short.
So they said that there is a lot of work in the market. You have so much experience, if there is any issue in the market, then it does not seem that you are missing anything. And with so much experience and the biggest thing in it is 15 years of sales experience. So I said that there is a lot of work. But the one I get happiness in is negligible.
Or where people are reluctant to keep me. So he said open an online clothes shop. And spread it through your social media. Maybe some work will be done. I liked this word very much. And I started working on it just within a minute. Although he was not aware of my other work. But whatever, he gave me a good suggestion right now. And I immediately put it into practice. And maybe you all are taking full advantage of it.
Let us move towards our routine today.
I went to sleep and I started trying hard to sleep. But overnight I was happy just thinking that tomorrow all my troubles will be resolved. And I will leave tomorrow for my village.
And thinking this made me sleepy and I fell asleep. As soon as I woke up in the morning, I bowed to my mother earth and after remembering my lord I got into my daily routine.
I started ringing the link on his door to lift my boss. And sir got up, he said, let's get ready quickly, we have to leave. I said ok We had breakfast and headed towards our destination. Now about 2 hours later we reached a big bungalow and we waited for the elder brother (who was probably going to pay). It is noon. Then it was evening. Haven't come yet, sir. Now I got very upset. What is happening These men also disappeared.
Suddenly, his caretaker got a call that today he is not going to come. They are stuck in a meeting somewhere. And they have spoken after 7 days. Now I got very upset. Hey, the money that is going to be received is also hanging. Now it seemed as if the whole darkness was covered before my eyes. Neither was I able to understand, nor could I possibly understand. We both sat in the morning waiting till the evening and were hungry waiting for them. Again some of my morbid dreams broke.
I was learning something every single day. And I was also learning strongly from that time. And I had only choice but to learn. I was drifting in the flow of my life, it was difficult to find any edge at that time. Now we all left for our house. And then reached his home in 2 hours.
It was very difficult to get an idea of my situation. And such situations come with everyone.
Then we ate the same food and I went to sleep with tears in my eyes, wanting money. I am very sad. And my father's phone was not even picking up. The question was what did I raise and say. Seeing that frustrating night again, I went to sleep.
दोस्तों माफ़ करना थोड़ा अपने वेब पेज का काम चल रहा है असुविधा के लिए मैं आपसे छमाप्रार्थी हू। इसलिए मैं ज्यादा नहीं लिख पा रहा हू। कुछ दिन तक यह हाल होगा उसके बाद मुझे यकीन है कि आपको कोई असुविधा नहीं होगी।
(Incase story as per your interest Please do comments, message, Like & follow me for Regular updates)
___________
via Blogger https://ift.tt/2BQI4VE
0 notes
Text
skincare tips 4 Things You Should Apply On Your Face Before Sleeping for fairness and beautiful skin: सोने से पहले जरूर करें ये चार काम, चेहरा हमेशा रहेगा खिला खिला
skincare tips 4 Things You Should Apply On Your Face Before Sleeping for fairness and beautiful skin: सोने से पहले जरूर करें ये चार काम, चेहरा हमेशा रहेगा खिला खिला
[ad_1]
छवि स्रोत: INSTAGRAM / KLASSYMISSYBD सोने से पहले जरूर करें ये चार काम, चेहरा हमेशा रहेगा खिला खिला
हम इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि सुबह उठते ही सबसे पहले क्या करना चाहिए। नहाना, अपना चेहरा साफ करते हैं, हाइड्रेटेड होते हैं और कपड़े पहनते हैं। लेकिन जब बात रात की आती है कि तो स्किन का जरा सा भी ध्यान नहीं देते हैं। दिनभर की थकान के कारण बस हम खाना खाते हैं और…
View On WordPress
#Moisturise#skin care tips in hindi#चमकती त्वचा के लिए घरेलू उपचार#टैनिंग#त्वचा का उपचार#त्वचा की देखभाल दिनचर्या#त्वचा को सफ़ेदी प्रदान करने वाला#फैशन और ब्यूटी टिप्स हिंदी समाचार#मलाई#शीर्ष 4 त्वचा देखभाल युक्तियाँ#सनस्क्रीन#सोने से पहले आपको अपने चेहरे पर चीजों को लगाना चाहिए
0 notes
Text
शरीर के हर दर्द के इलाज के बारे में जानिए
शरीर के हर दर्द के इलाज के बारे में जानिए सबकुछ : कोई गर्दन दर्द से परेशान है तो कोई कमर दर्द से तो कोई घुटने के दर्द से। एक्सपर्ट्स से पूछकर अलग-अलग तरह के दर्द के कारण, बचाव और उनके इलाज के बारे में पूरी जानकारी दे रही हैं प्रियंका सिंह और पूजा मे��रोत्रा ! दर्द कितनी तरह का दर्द चार तरह का होता हैः फिजियोलॉजिकल (चोट लगने या किसी बाहरी दिक्कत की वजह से), न्यूरोपैथिक (नसों में दर्द), इनफ्लेमेटरी (सूजन वाला जैसे कि कमर दर्द, घुटने का दर्द आदि) और डिसफंक्शनल पेन (जिसकी वजह समझ नहीं आती लेकिन दर्द बना रहता है)। डिसफंक्शनल पेन शरीर के किसी भी हिस्से में अचानक उठता है और बहुत तेज होता है। मरीज दर्द की शिकायत करता है लेकिन डॉक्टर को दर्द की वजह का पता नहीं लग पाता। जहां तक मौसम की बात है तो सर्दियों के मौसम में सबसे ज्यादा जोड़ों का दर्द परेशान करता है। जोड़ों के दर्द की वजह - चोट लगना - एक्सरसाइज न करना - वजन बढ़ जाना - विटामिन डी और कैल्शियम की कमी हो जाना - सेडंटरी लाइफस्टाइल यानी दिन भर ज्यादातर वक्त एक ही जगह बैठे रहना - घंटों कंप्यूटर पर काम करना - गलत पॉश्चर यानी झुककर बैठना, गलत तरीके से लेटना या चलना - घंटों ड्राइव करना - बेहद कम तापमान में लंबे समय तक रहना - जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक का ज्यादा सेवन - बहुत ज्यादा तनाव लेना, हमेशा हड़बड़ी में रहना - गर्दन और कान के बीच फोन लगाकर लंबी बात करना - मोटा या सख्त तकिया इस्तेमाल करना - बेहद नर्म गद्दे पर सोना इन्हे भी पढ़े :- भूलकर भी अखबार में न लपेटें खाना समझें दर्द के साइकल को शुरू में दर्द हल्का होता है और हम उसे नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन ऐसा करने से आगे जाकर दर्द क्रॉनिक हो जाता है और धीरे-धीरे उसे सहने की क्षमता भी कम हो जाती है। दर्द आमतौर पर जोड़ों से शुरू होता है यानी शरीर का जो भी अंग आसानी से मुड़ता है या जिसमें अकड़न होती है जैसे कि कोहनी, कलाई, घुटना, गर्दन, कमर, उंगलियां, टखने आदि में दर्द जल्दी होता है। सर्वाइकल यानी गर्दन का दर्द युवाओं में दर्द का बड़ा कारण सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइसिस है। इसमें दर्द सबसे ज्यादा गर्दन को प्रभावित करता है और समय पर इलाज न कराने पर यह दर्द बढ़ता हुआ हाथ और कमर तक पहुंच जाता है। इससे रीढ़ की हड्डी में धीरे-धीरे सूजन आ जाती है या वह अकड़ जाती है। इसे इनक्लोसिंग स्पॉन्डिलाइसिस कहते हैं। कुछ युवाओं की गर्दन पीछे थोड़ी उठी-सी दिखती है। वे डिस्क बल्ज से पीड़ित होते हैं। इनमें गलत पॉश्चर या लगातार बैठने से हड्डी शेप बदलकर नया आकार लेती है। ऐसे लोगों को गर्दन में समय-समय पर तेज दर्द होता है। अगर आप इससे पीड़ित हैं तो गर्दन को आगे की ओर झुकाने से बचें। कमर का दर्द कमर में दर्द दो तरह का होता है - पहला : अचानक हुआ तेज दर्द (एक्यूट पेन) और दूसरा : लंबे वक्त से हो रहा दर्द (क्रॉनिक पेन)। एक्यूट पेन अक्सर ज्यादा वजन उठाने या किसी नस के खिंचने से होता है। इसमें कमर में एक चुभन-सी महसूस होती है। कई बार यह आराम करने, सिकाई करने और बाम आदि लगाने से दो-चार दिन में अपने आप ठीक हो जाता है। क्रॉनिक पेन लंबे समय तक रहता है और उसका पूरा और सही इलाज जरूरी है। कमर दर्द के साथ साइटिका का दर्द भी जुड़ा है। साइटिका सबसे बड़ी नर्व है जोकि कमर से लेकर पंजे तक जाती है। अगर यह कहीं दब जाती है तो तेज दर्द शुरू हो जाता है। हां, दर्द होने के फौरन बाद कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं, मसलन वजन न उठाएं, आगे की ओर न झुकें। झुकना ही हो तो घुटनों के बल बैठें। फिर सामान उठाएं। बिस्तर से उठते हुए पहले करवट लें और फिर उठें। घुटने का दर्द पहले घुटने में दर्द की शिकायत 50 पार के लोग करते थे लेकिन अब 30-35 साल की उम्र में ही लोगों के घुटने जवाब देने लगे हैं। वजन बढ़ने के अलावा ऑटोइम्यून बीमारी भी घुटने के दर्द की वजह बनती हैं। घुटने में दर्द हो जाए तो डॉक्टर की बताई एक्सरसाइज जरूर करें क्योंकि घुटना कमजोर होने से पैरों की मसल्स भी कमजोर होने लग जाती हैं। धीरे-धीरे दर्द कमर तक और फिर स्पाइन तक भी पहुंच सकता है। घुटनों में घिसावट है तो कुछ महीने ग्लूकोसामाइन और कोंड्रोटिन सल्फेट के कैप्सूल ले सकते हैं। यह डाइट सप्लिमेंट है। कब और कितना लेना है, इसके लिए डॉक्टर की सलाह लें। घुटने का दर्द ज्यादा होने पर घुटने में चिकनाई बढ़ाने के लिए इंजेक्शन भी दिए जाते हैं। इंजेक्शन दो तरह के होते हैं: एक स्टेरॉयड वाले और दूसरे प्रोटीन (विस्कस) वाले। स्टेरॉयड वाले इंजेक्शन के साइड इफेक्ट्स होते हैं इसलिए इन्हें लेने से बचना चाहिए। विस्कस वाला एक इंजेक्शन करीब 10-15 हजार रुपये का होता है, जिसका असर कुछ महीने से लेकर कुछ साल तक रह सकता है। इससे भी फायदा न होने पर नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी की जाती है। दर्द के फौरन बाद क्या करें दर्द होने पर डॉक्टर RICE का फॉर्म्युला अपनाने की सलाह देते हैं। राइस यानी रेस्ट, आइस, कंप्रेसन और एलिवेशन। रेस्टः कोई भी दर्द हो, आराम करें। घुटने के दर्द में घुटने को मोड़े नहीं। कमर दर्द में आगे को न झुकें। आइसः जहां दर्द है, वहां बर्फ से सिकाई करें। कंप्रेसनः दर्द वाली जगह को बैंडेज से बांध लें। ज्यादातर घुटने, कोहनी आदि में दर्द के लिए यह इस्तेमाल किया जाता है। ध्यान रखें कि बैंडेज न बहुत टाइट हो और न ही ढीला। एलिवेशनः पैर दर्द में एलिवेशन बहुत कारगर इलाज है। लेटते वक्त पैर के नीचे तकिया रखें जिससे पैर और घुटना थोड़ा ऊंचा ��हे। नोट: सूजन है, दर्द है तो कुछ दिन के लिए एक्सरसाइज बंद कर दें। जब दर्द ठीक हो जाए तो एक्सरसाइज फिर से शुरू करें और कमर व घुटने को फिर से पहले की तरह की मोड़ना शुरू करें क्योंकि अगर हम अपने शरीर के किसी अंग को पूरा इस्तेमाल नहीं करते तो उसमें अकड़न आ जाती है और फिर वह मुड़ नहीं पाता। दर्द है तो सावधानी बरतें - विशेषज्ञ की देखरेख में ही एक्सरसाइज और योग करें। - घुटनों को मोड़ने से बचें। लिफ्ट का इस्तेमाल करें। - पालथी मारकर न बैठें। - जमीन पर बैठने से बचें। जमीन पर बैठने के दौरान घुटनों पर दबाव बढ़ता है। - 15-20 मिनट से ज्यादा एक ही पोजिशन में बैठने से बचें। एक जगह पर खड़े तो 5-10 मिनट से ज्यादा बिल्कुल न हों। - ऑफिस में हर आधे घंटे या एक घंटे में सीट छोड़कर 5-7 मिनट के लिए घूमे-फिरें। बॉडी को स्ट्रेच करें। - महिलाएं ऊंची हील की सैंडिल पहनने से बचें। इससे एड़ी़, घुटने और पिंडलियों के साथ कमर पर भी असर पड़ता है। - जिन्हें सर्दियों में दर्द परेशान करता हो, वे सर्दियों में या ठंडी जगहों पर खुद को अच्छी तरह ढककर रखें। पेनकिलर लें या नहीं आमतौर पर किसी भी दर्द को खत्म करने के लिए हम पेनिकलर ले लेते हैं लेकिन यह सही तरीका नहीं है। ऐसा करने से दर्द सिर्फ दब जाता है, खत्म नहीं होता। बहुत दर्द हो तो पैरासिटामॉल 500 एमजी (क्रोसिन, पैरासिटामोल आदि) ले सकते हैं क्योंकि यह सेफ है। जरूरत लगने पर छह घंटे में दोबारा ले सकते हैं। एक दिन में 2 ग्राम तक लेना सेफ है लेकिन 2-3 दिन तक आराम न आए तो डॉक्टर को दिखाएं। दूसरी कोई पेनकिलर लेने से बचें क्योंकि उनका साइड इफेक्ट होता है। वैसे साल में 12 से ज्यादा पेनकिलर न लें, वरना किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है। पेन-किलर क्रीम या जेल: कितने असरदार पेन-किलर क्रीम: ये ऑयल बेस्ड होती हैं और ज्यादा सफेद रंग में आती हैं। ये ज्यादा जज्ब नहीं होती इसलिए इन्हें लगाकर हल्का रगड़ना होता है। पेन-किलर जेल: ये वॉटर बेस्ड होते हैं और ट्रांसपैरंट होते हैं। ये आसानी से जज्ब हो जाते हैं और इन्हें लगाकर ज्यादा रगड़ना नहीं होता। पेन-किलर स्प्रे: ये स्प्रे के रूप में होते हैं और इन्हें लगाकर मसाज नहीं करनी होती। ये फौरन राहत के लिए होते हैं। दर्दनाशक तेल: ये ज्यादा आयुर्वेदिक होते हैं। आयुर्वेद के एक्सपर्ट दावा करते हैं कि इनमें कई तरह की जड़ी-बूटियां होती हैं, जोकि दर्द में राहत देती हैं। कितने फायदेमंद: जानकारों का मानना है कि फौरी राहत के लिए पेनकिलर जेल (वॉलिनी, मूव, डीएफओ आदि) लगाकर हल्की मसाज कर सकते हैं। ज्यादा नहीं रगड़ें, वरना जलन बढ़ जाएगी। जेल या क्रीम लगाकर किसी कपड़े से ढक दें ताकि गर्मी मिले। इनसे फौरी राहत जरूर महसूस होती है लेकिन ये परमानेंट ��लाज के लिए नहीं हैं। वैसे भी मसाज करने से उस हिस्से की नसें रिलैक्स होती हैं। ऐसे में किसी भी आम तेल से हल्के हाथ से मालिश कर सकते हैं। कब करें ठंडी सिकाई, कब गर्म ठंडी सिकाई: दर्द में सिकाई से राहत मिलती है। अगर चोट ताजा है, प्रभावित जगह लाल और सूजी हुई है तो बर्फ से सिकाई करें। गर्म सिकाई: अगर चोट पुरानी है, चोटिल जगह में अकड़न है तो गर्म पानी से सिकाईं करें। वह जगह नरम पड़ जाएगी और आराम मिलेगा। गर्म-ठंडी, दोनों सिकाई: अगर किसी जगह पर ब्लड सप्लाई बढ़ाने की जरूरत है तो गर्म और ठंडी सिकाई बारी-बारी से करने की सलाह दी जाती है। आमतौर पर सुबह उठकर एड़ी में होने वाले दर्द में यह सिकाई की जाती है। गर्म से शुरू करें और गर्म पर ही खत्म करें। कुल 6 बार गर्म और 5 बार ठंडा करें। हर बार 30 सेकंड के लिए सिकाई करें। कितनी बार, कितनी देर: सिकाई दिन में दो बार, करीब 15-15 मिनट के लिए करें। किससे करें: सिकाई वॉटर बॉटल, कपड़ा या सिंपल हॉट जेल पैक से कर सकते हैं। हॉट जेल पैक केमिस्ट के पास मिल जाएंगे। बिजली से चलनेवाले हॉट पैक न यूज करें। इनसे जल जाने का खतरा है। कब दिखाएं ऑर्थोपीडिक डॉक्टर को अगर दर्द फ्रेक्चर की वजह से है या दर्द के साथ सूजन है, लालिमा है या गर्माहट है, या फिर दर्द के साथ बुखार है और वजन कम हो रहा है या रात में तेज दर्द होता है तो फौरन ऑर्थोपीडिक डॉक्टर को दिखाएं। फिजियोथेरपिस्ट के पास कब जाएं अगर कोई भी दर्द मूवमेंट यानी चलने-फिरने या हिलने-डुलने पर बढ़े, सॉफ्ट टिश्यू इंजरी जैसे कि चलते हुए पैर मुड़ जाना, सोते हुए कमर या गर्दन मुड़ जाना आदि हो तो फिजियोथेरपिस्ट के पास जाना चाहिए। फिजियोथेरपिस्ट जितने दिन की थेरपी और एक्सरसाइज बताए, जरूर करें। बीच में थेरपी बंद न करें क्योंकि दर्द जल्दी चला जाता है लेकिन बीमारी को पूरी तरह ठीक होने में महीनों लग जाते हैं। आयुर्वेद में दर्द का इलाज आयुर्वेद में दर्द के इलाज में खान-पान पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। खाने में कोई भी गरिष्ठ चीज जैसे कि बैंगन, आलू, उड़द दाल सहित सभी साबुत दालें, ठंडी चीजें मना होती हैं। दर्द के हिसाब से पंचकर्म, पोटली मसाज आदि दी जाती है। अगर मरीज सर्वाइकल से पीड़ित है तो उसे ग्रीवा वस्ती थेरपी से ठीक किया जाता है जिसमें उड़द और गेहूं के आटे को गूंथ कर गर्दन में पीछे गोल कर रखा जाता है औऱ फिर गोल घेरे के अंदर दर्दनिवारक गुनगुने तेल से थेरपी दी जाती है। यह काम पूरा एक घंटे का होता है। हर सात दिन पर यह थेरपी दी जाती है। - घुटने और कमर के दर्द के लिए जानू वस्ती और कटि वस्ती थेरपी का इस्तेमाल किया जाता है। लीफ डिटॉक्स थेरपी भी इन दर्द में कारगर साबित होती है। - हर थेरपी के लिए 2000 से 3000 रुपये तक का खर्च आता है। -आयुर्वेद में दवा, मालिश और लेप को मिलाकर विटामिन डी ��ी कमी से होनेवाले दर्द का इलाज किया जाता है। आमतौर पर इलाज का नतीजा सामने आने में 3 महीने लग जाते हैं। - पूरे शरीर पर तेल की धारा डालते हैं। इसके लिए क्षीरबला तेल, धनवंतरम तेल आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इसे 40 मिनट रोजाना और 5 दिन लगातार करते हैं। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं। - महिलाएं सुबह और शाम शतावरी की एक-एक टैब्लेट लें। वैसे तो किसी भी उम्र में ले सकते हैं लेकिन मिनोपॉज के बाद जरूर लें। - रोजाना एक चम्मच मेथी दाना भिगोकर खाएं। मेथी दर्दनिवारक है और हड्डियों के लिए अच्छी है। - एक कप गुनगुने दूध में एक चम्मच हल्दी डालकर पिएं। - रोजाना एक चम्मच बादाम का तेल (बादाम रोगन) एक कप दूध में डालकर पिएं। दर्द भगाए योग - गर्दन, साइटिका और कमर दर्द के लिए भुजंगासन, चक्रासन, शलभासन, धनुरासन कारगर हैं, वहीं ऑफिस में काम के दौरान चलित ताड़ासन यानी हर घंटे बाद 10 कदम आगे और 10 कदम पीछे चलने से बहुत आराम मिलता है। घुटने के दर्द वाले याद रखें कि वज्रासन बिलकुल नहीं करना है। -अनुलोम-विलोम और कपालभाति काफी फायदेमंद हैं। सोने से पहले शवासन भी कई तरह के दर्द से आराम दिलाता है। इन्हे भी पढ़े :- गद्दारो के जाने से पार्टी में जुड़ने लगे सामाजिक और राजनीतिक लोग : अभय घरेलू नुस्खे अपनाएं - किसी भी तरह के दर्द से निपटने के लिए एक गिलास गाय के गुनगुने दूध में एक छोटी चम्मच हल्दी और गाय के घी की पांच बूंदे रात में नियमित पीने से फायदा होता है। - सोयाबीन, अंडे का पीला हिस्सा, फ्लैक्स सीड्स, सफेद तिल और आवंले का सेवन लाभकारी है। - रात में खाना खाने के करीब आधे घंटे बाद करीब आधा गिलास गुनगुना पानी पीने से भी लाभ होता है। - माइग्रेन में गाय के घी को गुनगुना कर दो-दो बूंदें नाक में डालने से बहुत आराम मिलता है। यह सर्वाइकल के दर्द में भी मदद करता है। - गाय के घी में सेंधा नमक डाल कर दर्द वाली जगह पर मसाज करने से भी काफी फायदा होता है। दर्द से ऐसे बचें 1. ऐक्टिव रहें, एक्सरसाइज करें - हमारा शरीर इस तरह से बना है कि सारे जोड़ चलते रहें। जरूरी है कि हम नियमित एक्सरसाइज करें और जितना मुमकिन हो, चलें। एक्सरसाइज में कार्डियोवस्क्युलर, स्ट्रेंथनिंग और स्ट्रेचिंग को मिलाकर करें। कार्डियो के लिए साइकलिंग, स्वीमिंग या डांस, स्ट्रेंथनिंग के लिए वेट लिफ्टिंग और स्ट्रेचिंग के लिए योग करें। वैसे, वॉक अपनेआप में संपूर्ण एक्सरसाइज है। - अगर घुटने की समस्या नहीं है तो ब्रिस्क वॉक करें। ब्रिस्क वॉक में मोटेतौर पर 1 मिनट में 40-50 कदम चलते हैं। वैसे नॉर्मल वॉक (1 मिनट में लगभग 80 कदम) करना सबसे सेफ है। इससे घुटनों पर असर नहीं पड़ता। रोजाना कम-से-कम 3 किम�� जरूर चलें। - बीच-बीच में कलाइयों, घुटनों आदि को स्ट्रेच करते रहें। कमर को भी घुमाएं। साथ ही, जितना मुमकिन हो, अपना काम खुद करें और वजन कंट्रोल में रखें। - जिन्हें पुराने दर्द परेशान करते हैं या सर्दियों में दर्द बढ़ जाता है, उन्हें तो एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए। कसरत से हमारे शरीर में मसल्स ऐक्टिव होती हैं, खून का दौरा बढ़ता है और इससे शरीर कुदरती तौर पर गर्म रहता है। ये लोग खासतौर पर पीटी जैसी एक्सरसाइज करें। ठंड की वजह से सुबह बाहर नहीं निकलना चाहते तो शाम को घूमने जाएं। शरीर के हर दर्द के इलाज के बारे में जानिए सबकुछ स्त्रोत : navbharattimes छायाचित्र भिन्न हो सकता है Read the full article
0 notes
Link
अमित साध कई टीवी सीरियल और फिल्मों का हिस्सा रह चुके हैं। ब्रीद के पहले कामयाब सीजन के बाद अमित ब्रीदः इंटू द शैडोज में फिर से नजर आए हैं। दैनिक भास्कर से खास बातचीत के तहत उन्होंने लॉकडाउन, नेपोटिज्म आदि विषयों पर खुलकर बातचीत की।
आपका किरदार ब्रीद के दूसरे सीजन में क्या नया मोड लाएगा
मेरा जो पहले सीजन में किरदार था एक पुलिस ऑफिसर और शराबी का था, जिसकी खुद बहुत सारी प्रॉब्लम थीं। इस सीजन में मेरी पर्सनालिटी के कई शेड्स दिखाए जाएंगे। सीजन 2 में मेरा रोल बेहतर है। राइटर्स ने मेरे रोल को और भी दमदार और अच्छा लिखा है। मैं अपने रोल को लेकर एक्साइटेड हूं ।
सीजन 2 में आपके लिए सबसे अच्छा चैलेंजिंग पार्ट कौन सा था?
ब्रीद से पहले मेरा कैरियर डगमगा रहा था लेकिन पहले सीजन के बाद ऑडियंस से जो मुझे प्यार मिला है वह बहुत स्पेशल था। मैंने उनके सामने जो बेंचमार्क सेट कर दिया था उसे फिर से छू पाना और सबकी उम्मीदों पर खरा उतरना ही सबसे बड़ा चैलेंज था। इस सीजन में कुछ नया करने की और मेरे रोल के साथ एक्सपेरिमेंट करने कि कोशिश की गई है।
अभिषेक के साथ काम करने का एक्सपीरियंस कैसा रहा?
अभिषेक के साथ काम करना बहुत आसान और मजेदार था क्योंकि वह बेहद ही प्यारे इंसान है, बहुत हंबल भी हैं। फिल्मों की बहुत समझ है उन्हें ,बहुत टैलेंटेड है अपना किरदार बखूबी निभात��� हैं। वे एक्सपीरियंस में मुझसे काफी बड़े हैं लेकिन उन्होंने कभी ऐसा कुछ जाहिर नहीं किया। मेरे साथ एक दोस्त, एक बड़े भाई की तरह सेट पर रहते थे। सेट पर हमने साथ में क्रिकेट खेला साथ खाना खाया। मुझे जब भी अच्छी कॉफी पीनी होती थी मैं उनके पास चला जाता था।
लॉकडाउन ने आपकी जिंदगी को किस तरह बदला है
मैं लॉकडाउन अपने परिवार के साथ नहीं बिता पाया क्योंकि मैं मुक्तेश्वर में था। वहां पहाड़ों में, जंगलों में हर रोज 10 किलोमीटर घूमा करता था। इस लॉकडाउन ने मुझे एक बहुत ही अहम बात सिखा दी है। पहले मेरी जिंदगी में सिर्फ फिल्म्स की ही जगह थी। सुबह-शाम, दिन-रात, खाते-पीते, उठते-बैठते मैं सिर्फ फिल्मों के बारे में ही सोचता था लेकिन इन 3 महीने के अंतराल ने मुझे यह एहसास दिलाया है कि फिल्म्स बहुत छोटा हिस्सा है मेरी जिंदगी का और मेरी लाइफ में बहुत सारी ऐसी चीजें हैं जो मैं नजरअंदाज कर देता हूं। लाइफ को कैसा जीना चाहिए यह मैंने इस लॉकडाउन में सीखा। मुक्तेश्वर में मैं सुबह 5:00 बजे उठ जाया करता था पक्षियों की चहचहाट और उसके बाद ट्रैकिंग किया करता था।
जिंदगी में असफलताओं के साथ कैसे डील करते हैं
मैं सिर्फ यही कहूंगा कि मेरी जिंदगी का एक ही मूल मंत्र है। आपके मन का हो तो अच्छा है और अगर आपके मन मुताबिक ना हो तो और भी अच्छा है। मुझे प्यार सम्मान मिल रहा है तो मैं खुश हूं लेकिन अगर असफलताएं भी मेरी जिंदगी के रास्ते में आती है तो मैं कभी भी निराश नहीं होता ।
आउटसाइडर होने के नाते नेपोटिज्म पर क्या कहेंगे
बस यही कहना चाहूंगा कि मैं मानता हूं इंडस्ट्री में चार नालायक हैं लेकिन अगर 4 नालायक लोग हैं तो 40 अच्छे लोग भी है। फेवरेटिस्म तो हर घर में होता है, बच्चों के बीच होता है। मैंने बस यही सोच रखा है कि ईमानदारी से काम करता रहूं अगर काम नहीं मिलेगा तो मैं बर्तन मांज लूंगा, मैं फिल्मी दुनिया में आने से पहले एक होटल में सिक्योरिटी गार्ड था। जब 16 साल की उम्र में मैंने खुद सरवाइव कर लिया इस दुनिया में तो अब तो मैं 41 साल का हूं बहुत कुछ कर सकता हूं।
इस सीरीज ने आपकी जिंदगी को कैसे बदला है?
सबसे पहले तो मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि ब्रीद से मुझे एक एक्टर के तौर पर काफी संतुष्टि मिलती है। मेरे अंदर के आर्टिस्ट को और अच्छा करने का चैलेंज मिला है। मैं रेंट टाइम पर दे पाता हूं, घूमने फिरने का शौक है तो बाहर घूम भी पाता हूं।
कोई ऐसा किरदार जो बड़े पर्दे पर देखा हो और उसे निभाने की इच्छा हो?
मैंने एक फिल्म देखी थी ग्लेडिएटर और अगर मौका मिला तो उस रोल को ��िभाने की पूरी कोशिश करूंगा। गौरतलब है कि ब्रीदः इंटू द शेडोज में अमित एक पुलिस अफसर कबीर सावंत का किरदार निभाया है। इसके अलावा वे विद्युत जामवाल के साथ यारा में भी नजर आने वाले हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Abhishek Bachchan's co-star Amit Sadh said on Nepotism - 'if There are 4 idiot in the industry then there's also 40 good people'
0 notes
Text
ToneOp Eats The Buzz Among The Fitness Enthusiasts In Bhopal, Indore & Bangalore!
क्या आप भी हेल्थी, रेडी तो ईट खाने की तलाश में हैं जो न केवल हेल्दी हो बल्कि खाने में भी मज़ेदार हो? अगर हाँ तो ToneOp Eats आपकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए है एकदम बेस्ट! ToneOp Eats एक ऐसा क्लाउड किचन एप्लीकेशन जो आपकी ज़रूरतों और आदतों के अनुसार आपकी मील को प्लान करता है। ToneOp के CEO पार्थ बंसल के द्वारा भोपाल में करीब दो साल पहले शुरू किया गया ये हेल्द किचन आपको प्रदान करता है पूर्ण रूप से हेल्दी और टेस्टी मील वो भी आपके लाइफस्टाइल के अनुसार।
ToneOp Eats आपके डोर स्टेप पे हेल्दी मील्स और बेवरेजेज़ डिलीवर करता है। यहाँ के सारे मील्स, एक्सपर्ट्स के मार्गदर्शन और कैलोरीज़ काउंट के अनुसार बनाए जाते है, जो आपकी हेल्थ के साथ आपके टेस्ट का भी ख्याल रखते हैं। आप यहाँ पा सकते हैं कई विकल्पों के साथ बिल्कुल फ्रेश और आवश्यकतानुसार पर्सनलाइज्ड मील्स।
ToneOp Eats, अब बैंगलोर में भी!
आपको ये जान कर बेहद ख़ुशी होगी की अब ToneOp Eats भोपाल और इंदौर के अलावा अब बैंगलोर में भी अपनी सर्विस शुरू कर चुका है। आप मील से संबंधित सारी जानकारी ToneOp Eats की वेबसाइट से प्राप्त कर सकते हैं। आप Swiggy और Zomato से भी इसे ऑर्डर कर सकते हैं। तो अब, ToneOp Eats आपके स्वास्थ्य का ख्याल रखेगा!
आपको ToneOp Eats क्यों चुनना चाहिए?
क्या आपने कभी ऐसा सोचा की सुबह उठते ही एनर्जी और जोश के साथ पूरे दिन की परेशानियों का सामना करना इतना आसान हो सकता है? आप ऐसा कर सकते हैं अगर आप अपने स्वास्थ्य और मेडिकल कंडीशन के अनुसार अपने डाइट प्लान को कस्टमाइज़ कर लें।
जी हाँ, ToneOp Eats आपको सारी हेल्थ कंडीशन से लड़ने और फिटनेस गोल्स को हासिल करने में आपकी मदद करेगा।
1. कस्टमाइज़्ड मील
अपनी आवश्यकता और डाइटरी आदतों का ख्याल रखते हुए आप यहाँ अपने मील्स को कस्टमाइज़ करवा सकते है। इसका मतलब ये है की आप अपनी पसंद, आदत और ज़रूरतों के अनुसार अपनी मील्स को तैयार करवा सकते हैं। चाहे आपको वेज, वीगन या हाई प्रोटीन मील्स चाहिए, आप पा सकते हैं किसी भी प्रकार के हेल्दी विकल्प।
2. 100% हेल्दी मील्स
ToneOp Eats न ही केवल टेस्टी लेकिन हेल्दी मील्स की आवश्यकताओं को भी पूरा करता है। यदि आप फिटनेस प्रेमी है और हेल्दी खाना पसंद करते है. तो यह आपके लिए सबसे उम्दा विकल्प है। यहाँ की हर एक मील कैलोरी कॉउंटेड और नुट्रिशन में प्रचुर होती है।
3. स्वच्छ एवं सर्वोत्तम क्वालिटी
ToneOp Eats ये सुनिश्चित करता है की उनका हर एक मील हेल्दी हो और पूरी स्वच्छता के साथ बनाया जाये। सफाई के साथ-साथ इन्हे एक नियंत्रित तापमान पर पकाया जाता है जिससे इनके पोषक तत्त्व बरक़रार रहें। ToneOp Eats में शेफ और सारे कर्मचारी सफाई और सुरक्षा का पूर्ण ध्यान रखने के लिए PPE किट का इस्तेमाल करते हैं।
4. डायटिशियन सपोर्ट
ToneOp Eats की हर मील की रेसिपी डाइट एक्सपर्ट के मार्गदर्शन से तैयार की जाती। इसके साथ ही ToneOp Eats आपको फ्री डायटिशियन कंसल्टेशन भी उपलब्ध करवाता है जो आपकी सारी जरूरतों को समझकर आपको सबसे फायदेमंद मील का सुझाव देंगे।
5. व्यापक किस्मों में मील्स उपलब्ध
ToneOp Eats के मेन्यू में आपको मिलेंगे आपके टेस्ट के अनुसार बेस्ट मील्स। आप चुन सकते हैं सलाद, ग्रिल्स, जूस और प्रोटीन मील्स के काउंटलेस विकल्प। इसके साथ ही अगर आप चाहते हैं एक हेल्दी चीट मील तो आर्डर करें सैंडविच और बिरयानी।
6. 3 स्वास्थ्य लक्ष्यों पर आधारित गोल-ड्रिवन मील्स
चाहे आप वेट लॉस करना चाहते हैं, मसल बिल्डिंग का लक्ष्य रखते हैं या सिर्फ बैलेंस्ड डाइट चाहते हैं, ToneOp Eats आपके सभी हेल्थ गोल्स के लिए मील्स प्रदान करता है। और साथ ही आपको मिलता है आपके हर हेल्थ गोल के लिए आवश्यकतानुसार अपने मील को कस्टमाइज़ करने का ऑप्शन।
ToneOp Eats क्यों है सबसे बेहतर?
ToneOp Eats सुनिश्चित करता है की आप तक हेल्दी कैलोरी काउंट के साथ और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन पहुंचाया जाए। ये अपने मील्स और अन्य विकल्पों के साथ आपकी आहार संबंधी हर एक ज़रूरत को पूरा करता है -
1. अला-कार्टे प्रिपरेशन (Ala-Carte Preparation)
अपनी क्वालिटी को बरक़रार रखते हुए यहाँ मील्स की कोई भी तयारी रात को नहीं की जाती बल्कि आर्डर के अनुसार सारे मील्स ताज़ा और तुरंत तैयार किये जाते हैं।
2. कोल्ड-प्रेस्ड जूस
आपकी हेल्थ और नुट्रिशन का ध्यान रखते हुए हर जूस मिक्सर ग्राइंडर से नहीं बल्कि कोल्ड प्रेस्ड प्रक्रिया से बनाया जाता है। इसका ख़ास ध्यान रखा जाता है की पोषण के बिना किसी समझौते के आप तक सर्वोत्तम क्वालिटी पहुंचाई जाए।
3. ओट्स- बेस्ड ग्रेवी
पारंपरिक रेसिपी को अनोखे रूप से परिवर्तित करते हुए, ग्रिल्स की ग्रेवी ओट्स के साथ तैयार की जाती है ताकि एक स्वस्थ और पोषण से भरपूर विकल्प प्रदान किया जा सके।
4. लो फैट लीन मीट
ToneOp Eats मीट से फैट्स को हटाकर केवल लीन मीट का इस्तेमाल करता है ताकि आपका हर ग्रिल, सलाद, और मील बौल फैट फ्री और हेल्दी हो।
5 प्राकृतिक मिठास का उपयोग
कैलोरीज़ का ख्याल रखते हुए स्मूदी में मिठास के लिए चीनी के जगह हनी और खजूर का उपयोग किया जाता है। इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है की किसी भी मील में कोई भी आर्टिफीशीयल मिठास न मिले जाये और कम से कम कैलोरीज़ के साथ टेस्टी मील्स को आप तक पहुंचाया जाए।
6. ऑलिव ऑयल
आप तक हेल्दी खाना पहुंचाने की कोशिश को बरक़रार रखते हुए यहाँ के शेफ किसी भी मील में ओलिव आयल के अलावा कोई भी और तेल का उपयोग नहीं करते। आपकी किसी भी मील में 5 ग्राम से ज़्यादा ओलिव आयल या जैतून तेल का उपयोग नहीं किया जाता।
7. इको-फ्रेंडली कंटेनर
यहाँ पैकिंग के लिए प्लास्टिक क���टेनर का नहीं बल्कि इको-फ्रेंडली बम्बू कंटेनर और कांच की बॉटल्स का उपयोग किया जाता है जो आपके स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए सम्पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं।
8. इन हाउस डिलीवरी टीम
ToneOP Eats की इन-हाउस डिलीवरी टीम हर मील की सुरक्षा और समय पर डिलीवरी को सुनिश्चित करती है। सभी डिलीवरी एक्सेक्यूटिव के नियमित मेडिकल चेकअप किये जाते हैं और समय से डिलीवरी के लिए इन्हें बराबर मॉनिटर किया जाता है।
9. वीगन, वेज और नॉनवेज मील्स के भरपूर विकल्प
ToneOp Eats ने आपकी विभिन्न पसंद और ज़रूरतों की आवश्यताओं का ख्याल रखते हुए अपने क्लाउड किचन में वेज, नॉनवेज और वीगन मील्स के कई सरे विकल उपलब्ध करवाए हैं।
10. चीट मील भी उपलब्ध
आपके लिए ToneOp Eats कुछ ख़ास मौको पर चीट मील जैसे बिरयानी और सैंडविच भी प्रदान करता है। अगर आप बिना कैलोरी इन्टेक के अपने टेस्ट बड्स को खुश करना चाहते है, तो ये आपके लिए हेल्दी विकल्प उपलब्ध हैं।
ToneOp Eats के मेन्यू में क्या है?
ToneOp Eats वीगन, वेजिटेरियन और नॉन वेजिटेरियन विकल्पों के साथ विस्तृत मेनू प्रदान करता है, सभी सबसे स्वादिष्ट और पौष्टिक सामग्री के साथ तैयार किए जाते हैं
1. सलाद
आपने ये सोचा नहीं होगा की सलाद भी कभी टेस्टी हो सकता है, जो आपके सारे पोषण ज़रूरतों को पूरा करे। वज़न घटाने और संतुलित आहार बनाए रखने के लिए यहाँ आपके लिए हेल्दी लेट्यूस, सुपर सीड्स, और ताज़ी सब्जियों से बने सलाद के विकल्प मौजूद हैं।
2. ग्रिल्स
वेज में पनीर और टोफू ग्रिल तो वही नॉनवेज में चिकन और फिश ग्रिल अपने स्वाद से आपका दिल जीत लेंगे। ये टेस्टी ग्रिल्स आपको 300-400 ग्राम में उपलब्ध हैं जो कस्टमर के आवश्यकतानुसार कस्टमाइज़ हो जाते हैं।
3. मील बाउल
ToneOp Eats का मानना है कि चावल में सोडियम और फैट्स की मात्रा कम होती है और इसे पचाना आसान होता है। इसलिए आपकी हेल्थ को ध्यान में रखते हुए यहाँ रोटी नहीं बल्कि ब्राउन राइस, वाइट राइस और क्विनोआ के विकल्पों के साथ मील्स उपलब्ध हैं। चाहे आप कभी मलाई पनीर चाहते हो या थाई करी, आपके खाने की हर लालसा को ToneOp Eats समझता है और हेल्दी तरीके से पूरा करता है।
4. स्मूदी
यहाँ स्मूदी कई फ्लेवर और टेस्ट में उपलब्ध हैं। और तो और उन्हें एक्स्ट्रा हेल्दी और टेस्टी बनाने के लिए स्मूदी में सीड्स, ओट्स और एक्सोटिक फलों का भी इस्तेमाल किया जाता है।
5. प्रोटीन
यहाँ कई प्रोटीन मील्स जैसे प्रोटीन 30, 40 और 50 भी उपलब्ध हैं। इसमें प्रोटीन 30 और 40 आपके लिए दोनों (वेज और नॉनवेज) विकल्प में मौजूद हैं और प्रोटीन 50 में नॉनवेज मील्स उपलब्ध हैं। ये आम तौर पर उन लोगों के लिए बनाया गया है जो वर्कआउट करते हैं और अपनी प्रोटीन की ज़रूरतों का खास ख्याल रखते हैं।
6. जूस
हेल्दी और टेस्टी मील्स के साथ-साथ ToneOp Eats आपको फ्रेश बनाए गए जूस भी प्रदान करता है। ये जूस मिक्सर से नहीं बल्कि कोल्ड प्रेस्ड प्रोसेस से बनाये जाते हैं, जिससे इनके पोषण में कोई कमी नहीं आती।
आपकी हेल्दी मील कौन बनाते है?
ToneOp Eats के अनुभवी, सर्टिफाइड और एक्सपर्ट शेफ और डायटिशियन आपके मेडिकल कंडीशन के आवश्यकतानुसार हेल्दी और टेस्टी मील्स प्लान करते हैं। आपके हेल्थ को बिना कम्प्रोमाइज़ किये आपकी हर मील को आपकी हर एक ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए प्लान करते हैं।
आप ऑर्डर कैसे कर सकते हैं?
toneopeats.com पर इनके प्लान को सब्सक्राइब कर के आप यहाँ से कुछ भी आर्डर कर सकते हैं। सबसे पहले आप अपनी आवश्यकतानुसार मील के प्रकार और टाइम को चुन लें। सब्सक्राइब करने के 24 घंटे के अंदर आपका प्लान एक्टिवेट हो जाएगा। इसके अलावा आप Zomato और Swiggy से भी अपनी मील को ऑर्डर कर सकते हैं।
तो, जल्द से जल्द ToneOp Eats का सब्सक्रिप्शन प्लान लें और अपने डाइट को हेल्दी और आसान बनायें।
📞7400989898
Visit- https://toneopeats.com/
0 notes
Photo
शहीदे आजम भगत सिंह और 23 मार्च 1931 -
शहीदे आजम भगत सिंह एक ऐसा नाम जो बहुत ही आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है।अब के समय के बच्चे जो उस उम्र में कुछ सोच -समझ नहीं पाते उस उम्र भगत सिंह देश के लिए फांसी के फंदे पर झूल गये। लाहौर सेंट्रल जेल में 23 मार्च, 1931 की शुरुआत किसी और दिन की तरह ही हुई थी। फर्क सिर्फ इतना सा था कि सुबह-सुबह जोर की आँधी आई थी। लेकिन जेल के कैदियों को थोड़ा अजीब सा लगा जब चार बजे ही वॉर्डेन चरत सिंह ने उनसे आकर कहा कि वो अपनी-अपनी कोठरियों में चले जाएं।उन्होंने कारण नहीं बताया। उनके मुंह से सिर्फ ये निकला कि आदेश ऊपर से है।अभी कैदी सोच ही रहे थे कि माजरा क्या है,जेल का नाई बरकत हर कमरे के सामने से फुसफुसाते हुए गुजरा कि आज रात भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी जाने वाली है।उस क्षण की निश्चिंतता ने उनको झकझोर कर रख दिया। कैदियों ने बरकत से मनुहार की कि वो फांसी के बाद भगत सिंह की कोई भी चीज जैसे पेन, कंघा या घड़ी उन्हें लाकर दें ताकि वो अपने पोते-पोतियों को बता सकें कि कभी वो भी भगत सिंह के साथ जेल में बंद थे। बरकत भगत सिंह की कोठरी में गया और वहाँ से उनका पेन और कंघा ले आया। सारे कैदियों में होड़ लग गई कि किसका उस पर अधिकार हो।आखिर में ड्रॉ निकाला गया।
भगत सिंह ने क्यों कहा -इन्कलाबियों को मरना ही होता है-
अब सब कैदी चुप हो चले थे। उनकी निगाहें उनकी कोठरी से गुजरने वाले रास्ते पर लगी हुई थी। भगत सिंह और उनके साथी फाँसी पर लटकाए जाने के लिए उसी रास्ते से गुजरने वाले थे।एक बार पहले जब भगत सिंह उसी रास्ते से ले जाए जा रहे थे तो पंजाब कांग्रेस के नेता भीमसेन सच्चर ने आवाज ऊँची कर उनसे पूछा था, "आप और आपके साथियों ने लाहौर कॉन्सपिरेसी केस में अपना बचाव क्यों नहीं किया। " भगत सिंह का जवाब था,"इन्कलाबियों को मरना ही होता है, क्योंकि उनके मरने से ही उनका अभियान मजबूत होता है,अदालत में अपील से नहीं।" वॉर्डेन चरत सिंह भगत सिंह के खैरख्वाह थे और अपनी तरफ से जो कुछ बन पड़ता था उनके लिए करते थे। उनकी वजह से ही लाहौर की द्वारकादास लाइब्रेरी से भगत सिंह के लिए किताबें निकल कर जेल के अंदर आ पाती थीं।भगत सिंह को किताबें पढ़ने का इतना शौक था कि एक बार उन्होंने अपने स्कूल के साथी जयदेव कपूर को लिखा था कि वो उनके लिए कार्ल लीबनेख की 'मिलिट्रिजम', लेनिन की 'लेफ्ट विंग कम्युनिजम' और अपटन सिनक्लेयर का उपन्यास 'द स्पाई' कुलबीर के जरिए भिजवा दें।
भगत सिंह अपने जेल की कोठरी में शेर की तरह चक्कर लगा रहे थे-
भगत सिंह जेल की कठिन जिंदगी के आदी हो चले थे। उनकी कोठरी नंबर 14 का फर्श पक्का नहीं था। उस पर घास उगी हुई थी। कोठरी में बस इतनी ही जगह थी कि उनका पाँच फिट, दस इंच का शरीर बमुश्किल उसमें लेट पाए।भगत सिंह को फांसी दिए जाने से दो घंटे पहले उनके वकील प्राण नाथ मेहता उनसे मिलने पहुंचे। मेहता ने बाद में लिखा कि भगत सिंह अपनी छोटी सी कोठरी में पिंजड़े में बंद शेर की तरह चक्कर लगा रहे थे।उन्होंने मुस्करा कर मेहता को स्वागत किया और पूछा कि आप मेरी किताब 'रिवॉल्युशनरी लेनिन' लाए या नहीं? जब मेहता ने उन्हे किताब दी तो वो उसे उसी समय पढ़ने लगे मानो उनके पास अब ज्यादा समय न बचा हो।मेहता ने उनसे पूछा कि क्या आप देश को कोई संदेश देना चाहेंगे?भगत सिंह ने किताब से अपना मुंह हटाए बगैर कहा, "सिर्फ दो संदेश... साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और 'इंकलाब जिदाबाद!" इसके बाद भगत सिंह ने मेहता से कहा कि वो पंडित नेहरू और सुभाष बोस को मेरा धन्यवाद पहुंचा दें,जिन्होंने मेरे केस में गहरी रुचि ली थी।
वक़्त से 12 घंटे पहले ही फांसी दी गयी -
भगत सिंह से मिलने के बाद मेहता राजगुरु से मिलने उनकी कोठरी पहुंचे। राजगुरु के अंतिम शब्द थे, "हम लोग जल्द मिलेंगे।" सुखदेव ने मेहता को याद दिलाया कि वो उनकी मौत के बाद जेलर से वो कैरम बोर्ड ले लें जो उन्होंने उन्हें कुछ महीने पहले दिया था।मेहता के जाने के थोड़ी देर बाद जेल अधिकारियों ने तीनों क्रांतिकारियों को बता दिया कि उनको वक़्त से 12 घंटे पहले ही फांसी दी जा रही है। अगले दिन सुबह छह बजे की बजाय उन्हें उसी शाम सात बजे फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा।भगत सिंह मेहता द्वारा दी गई किताब के कुछ पन्ने ही पढ़ पाए थे। उनके मुंह से निकला, "क्या आप मुझे इस किताब का एक अध्याय भी खत्म नहीं करने देंगे?" भगत सिंह ने जेल के मुस्लिम सफाई कर्मचारी बेबे से अनुरोध किया था कि वो उनके लिए उनको फांसी दिए जाने से एक दिन पहले शाम को अपने घर से खाना लाएं।लेकिन बेबे भगत सिंह की ये इच्छा पूरी नहीं कर सके, क्योंकि भगत सिंह को बारह घंटे पहले फांसी देने का फैसला ले लिया गया और बेबे जेल के गेट के अंदर ही नहीं घुस पाया।
तीनों क्रांतिकारियों अंतिम क्षण -
थोड़ी देर बाद तीनों क्रांतिकारियों को फांसी की तैयारी के लिए उनकी कोठरियों से बाहर निकाला गया। भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने अपने हाथ जोड़े और अपना प्रिय आजादी गीत गाने लगे- कभी वो दिन भी आएगा कि जब आजाद हम होंगें ये अपनी ही जमीं होगी ये अपना आसमाँ होगा।
फिर इन तीनों का एक-एक करके वजन लिया गया।सब के वजन बढ़ गए थे। इन सबसे कहा गया कि अपना आखिरी स्नान करें। फिर उनको काले कपड़े पहनाए गए। लेकिन उनके चेहरे खुले रहने दिए गए।चरत सिंह ने भगत सिंह के कान में फुसफुसा कर कहा कि वाहे गुरु को याद करो।
भगत सिंह बोले, "पूरी जिदगी मैंने ईश्वर को याद नहीं किया। असल में मैंने कई बार गरीबों के क्लेश के लिए ईश्वर को कोसा भी है। अगर मैं अब उनसे माफी मांगू तो वो कहेंगे कि इससे बड़ा डरपोक कोई नहीं है। इसका अंत नजदीक आ रहा है। इसलिए ये माफी मांगने आया है।" जैसे ही जेल की घड़ी ने 6 बजाय, कैदियों ने दूर से आती कुछ पदचापें सुनीं।उनके साथ भारी बूटों के जमीन पर पड़ने की आवाजे भी आ रही थीं। साथ में एक गाने का भी दबा स्वर सुनाई दे रहा था, "सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।।।" सभी को अचानक जोर-जोर से 'इंकलाब जिंदाबाद' और 'हिंदुस्तान आजाद हो' के नारे सुनाई देने लगे।फांसी का तख्ता पुराना था लेकिन फांसी देने वाला काफी तंदुरुस्त। फांसी देने के लिए मसीह जल्लाद को लाहौर के पास शाहदरा से बुलवाया गया था।भगत सिंह इन तीनों के बीच में खड़े थे। भगत सिंह अपनी माँ को दिया गया वो वचन पूरा करना चाहते थे कि वो फाँसी के तख्ते से 'इंकलाब जिदाबाद' का नारा लगाएंगे।
भगत सिंह ने अपने माँ से किया वादा निभाया और फांसी के फंदे को चूमकर -इंकलाब जिंदाबाद नारा लगाया -
लाहौर जिला कांग्रेस के सचिव पिंडी दास सोंधी का घर लाहौर सेंट्रल जेल से बिल्कुल लगा हुआ था। भगत सिंह ने इतनी जोर से 'इंकलाब जिंदाबाद' का नारा लगाया कि उनकी आवाज सोंधी के घर तक सुनाई दी। उनकी आवाज सुनते ही जेल के दूसरे कैदी भी नारे लगाने लगे। तीनों युवा क्रांतिकारियों के गले में फांसी की रस्सी डाल दी गई।उनके हाथ और पैर बांध दिए गए। तभी जल्लाद ने पूछा, सबसे पहले कौन जाएगा? सुखदेव ने सबसे पहले फांसी पर लटकने की हामी भरी। जल्लाद ने एक-एक कर रस्सी खींची और उनके पैरों के नीचे लगे तख्तों को पैर मार कर हटा दिया।काफी देर तक उनके शव तख्तों से लटकते रहे।अंत में उन्हें नीचे उतारा गया और वहाँ मौजूद डॉक्टरों लेफ्टिनेंट कर्नल जेजे नेल्सन और लेफ्टिनेंट कर्नल एनएस सोधी ने उन्हें मृत घोषित किया।
क्यों मृतकों की पहचान करने से एक अधिकारी ने मना किया -
एक जेल अधिकारी पर इस फांसी का इतना असर हुआ कि जब उससे कहा गया कि वो मृतकों की पहचान करें तो उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया। उसे उसी जगह पर निलंबित कर दिया गया। एक जूनियर अफसर ने ये काम अंजाम दिया।पहले योजना थी कि इन सबका अंतिम संस्कार जेल के अंदर ही किया जाएगा, लेकिन फिर ये विचार त्यागना पड़ा जब अधिकारियों को आभास हुआ कि जेल से धुआँ उठते देख बाहर खड़ी भीड़ जेल पर हमला कर सकती है। इसलिए जेल की पिछली दीवार तोड़ी गई।उसी रास्ते से एक ट्रक जेल के अंदर लाया गया और उस पर बहुत अपमानजनक तरीके से उन शवों को एक सामान की तरह डाल दिया गया। पहले तय हुआ था कि उनका अंतिम संस्कार रावी के तट पर किया जाएगा, लेकिन रावी में पानी बहुत ही कम था, इसलिए सतलज के किनारे शवों को जलाने का फैसला लिया गया।उनके पार्थिव शरीर को फिरोजपुर के पास सतलज के किनारे लाया गया। तब तक रात के 10 बज चुके थे। इस बीच उप पुलिस अधीक्षक कसूर सुदर्शन सिंह कसूर गाँव से एक पुजारी जगदीश अचरज को बुला लाए। अभी उनमें आग लगाई ही गई थी कि लोगों को इसके बारे में पता चल गया।जैसे ही ब्रितानी सैनिकों ने लोगों को अपनी तरफ आते देखा, वो शवों को वहीं छोड़ कर अपने वाहनों की तरफ भागे। सारी रात गाँव के लोगों ने उन शवों के चारों ओर पहरा दिया।अगले दिन दोपहर के आसपास जिला मैजिस्ट्रेट के दस्तखत के साथ लाहौर के कई इलाकों में नोटिस चिपकाए गए जिसमें बताया गया कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का सतलज के किनारे हिंदू और सिख रीति से अंतिम संस्कार कर दिया गया।इस खबर पर लोगों की कड़ी प्रतिक्रिया आई और लोगों ने कहा कि इनका अंतिम संस्कार करना तो दूर, उन्हें पूरी तरह जलाया भी नहीं गया। जिला मैजिस्ट्रेट ने इसका खंडन किया लेकिन किसी ने उस पर विश्वास नहीं किया।
वॉर्डेन चरत सिंह फूट-फूट कर रोने लगे -
इस तीनों के सम्मान में तीन मील लंबा शोक जुलूस नीला गुंबद से शुरू हुआ। पुरुषों ने विरोधस्वरूप अपनी बाहों पर काली पट्टियाँ बांध रखी थीं और महिलाओं ने काली साड़ियाँ पहन रखी थीं। लगभग सब लोगों के हाथ में काले झंडे थे।लाहौर के मॉल से गुजरता हुआ जुलूस अनारकली बाजार के बीचोबीच रूका। अचानक पूरी भीड़ में उस समय सन्नाटा छा गया जब घोषणा की गई कि भगत सिंह का परिवार तीनों शहीदों के बचे हुए अवशेषों के साथ फिरोजपुर से वहाँ पहुंच गया है। जैसे ही तीन फूलों से ढ़के ताबूतों में उनके शव वहाँ पहुंचे, भीड़ भावुक हो गई। लोग अपने आँसू नहीं रोक पाए।उधर, वॉर्डेन चरत सिंह सुस्त कदमों से अपने कमरे में पहुंचे और फूट-फूट कर रोने लगे। अपने 30 साल के करियर में उन्होंने सैकड़ों फांसियां देखी थीं, लेकिन किसी ने मौत को इतनी बहादुरी से गले नहीं लगाया था जितना भगत सिंह और उनके दो कॉमरेडों ने।किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि16 साल बाद उनकी शहादत भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के अंत का एक कारण साबित होगी और भारत की जमीन से सभी ब्रिटिश सैनिक हमेशा के लिए चले जाएंगे।
शहीद-ए-आजम का भगत सिंह नाम कैसे पड़ा -
भारत माँ के इस महान सपूत का नाम उनकी दादी के मुँह से निकले लफ्जों के आधार पर रखा गया था।जिस दिन भगतसिंह का जन्म हुआ, उसी दिन उनके पिता सरदार किशनसिंह और चाचा अजीतसिंह की जेल से रिहाई हुई थी। इस पर उनकी दादी जय कौर के मुँह से निकला 'ए मुंडा ते बड़ा भागाँवाला ए' (यह लड़का तो बड़ा सौभाग्यशाली है)।शहीद-ए-आजम के पौत्र (भतीजे बाबरसिंह संधु के पुत्र) यादविंदरसिंह संधु ने बताया कि दादी के मुँह से निकले इन अल्फाज के आधार पर घरवालों ने फैसला किया कि भागाँवाला (भाग्यशाली) होने की वजह से लड़के का नाम इन्हीं शब्दों से मिलता-जुलता होना चाहिए, लिहाजा उनका नाम भगतसिंह रख दिया गया।
शहीद-ए-आजम का नाम भगतसिंह रखे जाने के साथ ही नामकरण संस्कार के समय किए गए यज्ञ में उनके दादा सरदार अर्जुनसिंह ने यह संकल्प भी लिया कि वे अपने इस पोते को देश के लिए समर्पित कर देंगे। भगतसिंह का परिवार आर्य समाजी था, इसलिए नामकरण के समय यज्ञ किया गया।यादविंदर ने बताया कि उन्होंने घर के बड़े-बुजुर्गों से सुना है कि भगतसिंह बचपन से ही देशभक्ति और आजादी की बातें किया करते थे। यह गुण उन्हें विरासत में मिला था, क्योंकि उनके घर के सभी सदस्य उन दिनों आजादी की लड़ाई में शामिल थे।हमारा उद्देश्य हमेशा रहता है की अपने इतिहास के चुनिंदा घटनाओं से आपको अवगत कराते रहे है। हमारे आर्टिकल आपको अगर पसंद आते है तो हमे अपना समर्थन दे।
#इंकलाबजिदाबाद#12घंटेपहलेहीफांसीदीगयी#अपटनसिनक्लेयरकाउपन्यास#आजादीगीतगाने#इन्कलाबियोंकोमरनाहीहोताहै#एकक्रांतिकारीकेआखिर24घंटे#चाचाअजीतसिंह#तीनोंक्रांतिकारियोंअंतिमक्षण#दस्पाई#पंडितनेहरू#पितासरदारकिशनसिंह#फिरोजपुरकपाससतलज#भगतसिंह#भगतसिंहऔर23मार्च1931#भगतसिंहकोकिताबेंपढ़नेकाइतनाशौक#भगतसिंहदेशकेलिएफांसीकेफंदेपरझूल#भगतसिंहनेअपनेमाँसेकियावादानिभाया#भीमसेनसच्चर#मिलिट्रिजम#मुस्लिमसफाईकर्मचारी#राजगुरु#लाहौरकीद्वारकादासलाइब्रेरी#लाहौरकॉन्सपिरेसीकेस#लाहौरसेंट्रलजेल#लेफ्टविंगकम्युनिजम#वॉर्डेनचरतसिंह#वॉर्डेनचरतसिंहफूटफूटकररोनेलगे#शहीदएआजमकाभगतसिंहनामकैसेपड़ा#शहीदेआजमभगतसिंह#सरफरोशीकीतमन्नाअबहमारेदिलमेंहै
1 note
·
View note
Text
पीलिया में क्या खाएं और क्या न खाएं – जॉन्डिस के लिए आहार – Jaundice (Piliya) Diet in Hindi
New Post has been published on http://healingawerness.com/getting-healthy/getting-healthy-women/%e0%a4%aa%e0%a5%80%e0%a4%b2%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%96%e0%a4%be%e0%a4%8f%e0%a4%82-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%8d/
पीलिया में क्या खाएं और क्या न खाएं – जॉन्डिस के लिए आहार – Jaundice (Piliya) Diet in Hindi
Nripendra Balmiki Hyderabd040-395603080 July 17, 2019
पीलिया में क्या-क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, एक गंभीर सवाल हो सकता है। इस बीमारी में खानपान पर विशेष ध्यान देना जरूरी होता है, क्योंकि जॉन्डिस लीवर को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। इससे लीवर डैमेज का खतरा बन सकता है (1)। दरअसल पीलिया, रक्त और शरीर की कोशिकाओं में बिलीरुबिन (पीला रंगद्रव) के बढ़ जाने की वजह से होता है। इससे पीड़ित मरीज की त्वचा और आंखें पीली पड़ जाती हैं (2)। इस लेख में हम जॉन्डिस के लिए सटीक डाइट और खान-पान से जुड़ी सावधानियों को बारे में बताने जा रहे हैं। इसका पालन कर पीलिये से जल्द उबरा जा सकता है। आइए, उससे सबसे पहले जॉन्डिस डाइट के बारे में जान लेते हैं।
विषय सूची
जॉन्डिस डाइट – Jaundice Diet in Hindi
पीलिया की रोकथाम में एक व्यक्ति का आहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लीवर भोजन को पचाने, ऊर्जा को स्टोर करने और विषाक्तता को दूर करने में मदद करता है (3)। एक स्वस्थ शरीर के लिए लीवर की कार्यप्रणाली सही तरीके से चलना बहुत जरूरी है। पीलिया से पीड़ित लोगों को ऐसे खाद्य और पेय पदार्थ लेने की सलाह दी जाती है, जो पाचन और मेटाबॉलिजम को बेहतर बनाने में मदद करें। साथ ही लीवर को ज्यादा नुकसान न पहुंचे।
पीलिया और जॉन्डिस डाइट के बारे में जानने के बाद अब नीचे जानिए पीलिया में क्या खाएं।
पीलिया में क्या खाएं – Food for Jaundice (Piliya) in Hindi
1. नारियल पानी
जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि लीवर से जुड़े रोग की वजह से पीलिया हो सकता है और गंभीर स्थिति में लीवर तक खराब हो सकता है। ऐसे में नारियल पानी आपकी मदद कर सकता है। एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, नारियल पानी से बना विनेगर सूजन को कम कर और एंटीऑक्टीडेंट प्रभाव को बढ़ाकर लीवर डैमेज के जोखिम को कम कर सकता है (4)।
2. गन्ने का जूस
Shutterstock
जॉन्डिस के लिए गन्ने का जूस लाभकारी माना जाता है। गन्ने का रस स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देने के साथ-साथ लीवर की कार्यप्रणाली में मदद करता है। इसके लिए आप एक गिलास गन्ने के जूस में कुछ बूंदे नींबू के रस की मिलाकर पी सकते हैं। बेहतर परिणाम के लिए आप इस उपाय को रोजाना दो बार कर सकते हैं (5)।
3. नींबू पानी
पीलिया के इलाज में नींबू पानी भी कारगर है। नींबू एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से समृद्ध होता है। यह पीलिया के उपचार में मदद कर सकता है। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, नींबू पित्त नलिकाओं को खोलने का काम करता है, जिस वजह से यह पीलिया के लिए प्रभावी घरेलू उपाय बन जाता है (5)।
4. दही और छाछ
पीलिया के मरीज के लिए दही और छाछ भी प्रभावी उपाय हो सकते हैं। इसके लिए आप एक गिलास छाछ में चुकटी भर काली मिर्च के साथ एक चौथाई से भी कम फिटकरी (थोड़ी गर्म की हुई) मिलाकर पी सकते हैं। बेहतर परिणाम के लिए एक दिन में तीन बार इस उपाय को किया जा सकता है (5)। वहीं, दही भी लीवर के लिए फायदेमंद हो सकता है। वैज्ञानिक शोध में इस बात की पुष्टि की गई है कि दही नॉन अल्कोहलिक फैटी एसिड डिजीज के मरीजों में लीवर में जमने वाले फैट (hepatic steatosis) और लीवर एंजाइम में सुधार कर सकता है (6)।
5. हरी सब्जियां
पीलिया के मरीजों को कुछ चुनिंदा साग-सब्जियों का सेवन कराना चाहिए। इसमें गाजर, चुकंदर, ब्रोकली, केल, पत्ता गोभी व स्वीट पोटैटो आदि को शामिल किया जा सकता है। ये सभी सब्जियां लीवर को स्वस्थ रखने का काम करेंगी (7)।
6. मूली का जूस
पीलिया के लिए मूली का जूस लाभकारी हो सकता है। इसके लिए आप आधा गिलास ताजे मूली के जूस में 10 से 15 तुलसी के पत्तों के पेस्ट को मिलाकर पी सकते हैं। जॉन्डिस के लिए इस उपाय को रोजाना दो से तीन हफ्तों तक किया जा सकता है। इसके अलावा, पीलिया के मरीज को मूली के पत्तों का जूस (आधा लीटर) भी पिलाया जा सकता है। यह उपाय 10 दिन तक लगातार दोहराने से मरीज को आराम मिल सकता है (5)।
7. पपीता
एक चम्मच पपीते के पत्तों के पेस्ट में एक बड़ा चम्मच शहद मिलाएं। इसे नियमित रूप से लगभग एक या दो सप्ताह तक खाएं। यह पीलिया के लिए प्रभावी घरेलू इलाज साबित हो सकता है (5)।
8. टमाटर का जूस
पीलिया के लिए टमाटर फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए आप एक गिलास टमाटर के रस में चुटकी भर नमक और काली मिर्च मिलाकर सुबह खाली पेट पी सकते हैं (5)।
9. तरबूज
पीलिया के लिए तरबूज का सेवन किया जा सकता है और इसका जूस भी पिया जा सकता है। यह प्राकृतिक जूस लीवर को स्वस्थ रखने का काम करता है (7)।
10. क्रेनबेरी
क्रेनबेरी जूस पीलिया के इलाज के लिए कारगर साबित हो सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (मूत्र प्रणाली के किसी भी हिस्से में संक्रमण) का पीलिया के साथ संबंध पाया गया है। यहां क्रेनबेरी जूस की अहम भूमिका देखी जा सकती है, क्योंकि यह यूरिनरी ट्रैक्ट संक्रमण को दूर करने का काम कर सकता है (8), (9)। इस प्रकार क्रेनबेरी जूस के सेवन से पीलिया के जोखिम से बचा जा सकता है।
11. आंवला
पीलिया के लिए आंवला का जूस फायदेमंद हो सकता है। यह विटामिन-सी का अच्छा स्रोत है, जो जॉन्डिस के लक्षणों को दूर करने का काम कर सकता है (5)।
12. ताजे फल
जॉन्डिस से छुटकारा पाने के लिए आप ताजे फल जैसे केला, तरबूज, एवोकाडो, नींबू, पपीता, अंजीर व अनार आदि का सेवन करें। ताजे फल लीवर को स्वस्थ रखने में आपकी मदद करेंगे (7)।
13. हल्दी
जॉन्डिस के लिए हल्दी एक कारगर घरेलू उपचार हो सकती है। इसके लिए आप एक गिलास गर्म पानी में चुटकी भर हल्दी मिलाकर पिएं। बेहतर परिणाम के लिए यह उपाय रोजाना तीन से चार बार किया जा सकता है।
14. केला
पीलिया के लिए आप केले को घरेलू उपचार के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप एक केले को मैश करें और उसमें थोड़ा शहद मिलाकर सेवन करें। बेहतर परिणाम के लिए रोजाना दो बार यह उपचार किया जा सकता है (5)।
15. बीन्स और मसूर की दाल
पीलिया के मरीजों के आहार में बीन्स और मसूर की दाल भ��� शामिल की जा सकती है। ये पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। इनके सेवन से मरीज को जल्द ठीक होने में मदद मिलेगी। ध्यान रहे कि इन्हें बनाने के लिए तेल-मसालों का प्रयोग न करें (5)।
पीलिया में क्या क्या खाना चाहिए जानने के बाद अब नीचे जानिए पीलिया में क्या नहीं खाएं।
पीलिया (जॉन्डिस) में क्या नहीं खाना चाहिए – Foods to Avoid in Jaundice in Hindi
1. अंडे और मांस
पीलिया के मरीजों को अंडे और मांस का सेवन बिना तले और सीमित मात्रा में करना चाहिए। अगर इन्हें तल कर और मसालों के साथ बनाया गया, तो ये लीवर के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं (8)।
2. जंक फूड्स
पीलिया के मरीजों को जंक फूड्स का सेवन करने से बचना चाहिए। इस प्रकार के भोजन में हाइजीन और पोषक तत्वों की कमी होती है, जो आपके स्वास्थ्य को बिगाड़ सकते हैं (5)।
3. फैट फूड्स
एक वैज्ञानिक शोध में लीवर फैटी डिजीज के बारे में बात की गई है। इस बीमारी में लीवर में फैट बढ़ने लगता है (9)। इसलिए, पीलिया के मरीज को हाई फैट युक्त भोजन से भी बचना चाहिए।
4. कैफीन
पीलिया के मरीजों को कॉफी से दूर रहने की सलाह दी जाती है (5), क्योंकि इसमें कैफीन होता है, जो पीलिया के मरीज के लिए घातक हो सकता है।
5. प्रोटीन फूड्स
कुछ प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे फ्राइड अंडे और चिकन का सेवन पीलिया के दौरान नहीं किया जाना चाहिए (8)।
6. तले हुए भोजन
पीलिया के मरीजों को तले हुए भोजन का सेवन न करने की सलाह दी जाती है (8)। इस प्रकार के भोजन पाचन और लीवर के लिए कष्टदायक हो सकते हैं।
7. मीठे खाद्य पदार्थ
पीलिया के मरीजों को केक, चॉकलेट, शहद और क्रीम आदि पदार्थों को सेवन सीमित मात्रा में करने की सलाह दी जाती है(5)।
8. अल्कहोल
जॉन्डिस के मरीज अल्कोहल के सेवन से बचें। अल्कहोल को लीवर के लिए घातक माना गया है और इसका अत्यधिक सेवन लीवर रोगों का कारण बन सकता है (9)।
जॉन्डिस में क्या नहीं खाना चाहिए जानने के बाद चलिए आगे जानते हैं पीलिया के लिए आहर चार्ट के बारे में।
पीलिया के लिए नमूना आहार चार्ट – Sample Diet Chart for Jaundice in Hindi
भोजन पीलिया में क्या खाएं सुबह उठते ही
एक गिलास गन्ने, तरबूज या अनार के जूस का सेवन करें।
साथ में आप वीट ब्रेड में ताजा मक्खन लगाकर खा सकते हैं।
नाश्ता
एक गिलास तरबूज, गन्ने या अनार का जूस पिएं।
दोपहर का खाना
वेजिटेबल सलाद।
गेंहू की रोटी के साथ बिना तेल-मसालों के हरी सब्जी।
भोजन के बाद एक गिलास छाछ पी सकते हैं।
दोपहर के खाने
के बाद
क्रेनबेरी का जूस या नींबू पानी।
शाम का नाश्ता
सब्जियों का सूप या
गन्ने का जूस
रात का खाना
टमाटर का सूप
चावल और हरी सब्जियां मिलाकर खिचड़ी (बिना तेल-मसालों के)।
जॉन्डिस में क्या खाना चाहिए और पीलिया के लिए डाइट चार्ट के बाद अब जानते हैं जॉन्डिस के लिए कुछ अन्य टिप्स।
पीलिया के लिए कुछ और डायट टिप्स – Other Tips for Jaundice (Piliya) in Hindi
मसालेदार भोजन – पीलिया के मरीज तेल और मसालेदार भोजन से दूर रहें। इस प्रकार के भोजन पेट की समस्याओं के साथ लीवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं (5)।
ज्यादा नकम – जॉन्डिस के मरीज भोजन में अत्यधिक नमक का सेवन न करें। नमक में सोडियम होता है, जिसकी अधिक मात्रा मरीज के लिए नुकसानदायक हो सकती है (8)।
स्वच्छ पानी की पर्याप्त मात्रा – पीलिया के मरीज जितना ज्यादा हो सके साफ पानी का सेवन करें। पानी पाचन को बढ़ावा देगा और शरीर को डिटॉक्सीफाई करने का काम करता है (10)।
अत्यधिक भोजन का सेवन – इस बात का भी ध्यान रखें कि पीलिया का मरीज अत्यधिक भोजन का सेवन न करें। ऐसा करने से पाचन तंत्र बिगड़ सकता है (11)।
उम्मीद है कि अब आप जान गए होंगे कि पीलिया में क्या खाना चाहिए और पीलिया में क्या-क्या नहीं खाना चाहिए। यह समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपना शिकार बना सकती है। इसलिए, जरूरी है कि आप इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी अपने पास रखें और दूसरों के साथ भी साझा करें। पीलिया के मरीज का खान-पान बेहद मायने रखता है, इसलिए लेख में बताए गए खाद्य पदार्थों को जॉन्डिस के मरीज के आहार में जरूर शामिल करें। अगर मरीज का स्वास्थ्य ठीक नहीं हो रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। आशा है कि यह लेख आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा। अपने सुझाव और अन्य सवालों के लिए आप हमसे नीचे दिए कमेंट बॉक्स के जरिए ��ंपर्क कर सकते हैं।
The following two tabs change content below.
Latest posts by Nripendra Balmiki (see all)
पीलिया में क्या खाएं और क्या न खाएं – जॉन्डिस के लिए आहार – Jaundice (Piliya) Diet in Hindi – July 17, 2019
कद्दू के बीज के फायदे, उपयोग और नुकसान – Pumpkin Seeds Benefits, Uses and Side Effects in Hindi – July 10, 2019
आलू के 25 फायदे, उपयोग और नुकसान – Potato Benefits, Uses and Side Effects in Hindi – July 5, 2019
अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे और करने का तरीका – Anulom Vilom in Hindi – July 5, 2019
पत्ता गोभी के 12 फायदे, उपयोग और नुकसान – Cabbage (Patta Gobhi) Benefits, Uses and Side Effects in Hindi – July 3, 2019
Nripendra Balmiki
संबंधित आलेख
अंकुरित अनाज (स्प्राउट) के 10 फायदे और नुकसान – Sprouts Benefits and Side Effects in Hindi
नाश्ता दिनभर का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है। यह शरीर को स्वस्थ रखता है और दिनभर ऊर्जावान बना��� रखता है। इसलिए, पौष्टिक नाश्ता बहुत जरूरी है। जब बात आए पौष्टिक नाश्ते की, तो स्प्राउट से बेहतर और क्या हो सकता है। अंकुरित अनाज को नाश्ते में शामिल करना अच्छा विकल्प है। अंकुरित अनाज में कई
जलोदर: कारण, लक्षण, इलाज और घरेलू उपचार – Ascites Symptoms and Home Remedies in Hindi
जलोदर यानी एसाइटिस (पेट में पानी भरना) जैसे बीमारी से छुटकारा पाने के लिए अपनाइए इन घरेलु उपचारो को (Ascites remedies in hindi)। इसके साथ ही जलोदर के कारन, लक्षण, क्या खाना चाहिए इन सब चीज़ो के बारेमे विस्तारित जानने के लिए पढ़े ये लेख…
ग्रीन कॉफी के 15 फायदे, उपयोग और नुकसान – Green Coffee Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
क्या हैं ग्रीन कॉफ़ी के फायदे? (Green Coffee Benefits in Hindi) इस लेख में हम वजन नियंत्रण, सिर दर्द, डायबिटीज जैसे ग्रीन कॉफ़ी के और भी बोहोत सारे अनोखे फायदों के बारेमे बता रहे है। जानने के लिए ज़रूर पढ़े…
दौड़ने के आसान तरीके, फायदे और कुछ जरूरी टिप्स – Running Tips and Benefits in Hindi
रोज़मेरी तेल के 17 फायदे, उपयोग और नुकसान – Rosemary Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
शरीर की विभिन्न समस्याओं के लिए जड़ी-बूटियों को विशेष स्थान दिया गया है। यही वजह से है कि आज पूरा विश्व आयुर्वेदिक इलाज को अपना रहा है।
Source: https://www.stylecraze.com/hindi/piliya-diet-chart-kya-khaye-aur-kya-na-khaye-in-hindi/
0 notes
Text
पेट गैस की समस्या से छुटकारा कैसे पाया जाये?
यदि आप खोज रहे हो कब्ज के लिए आसान और असरदार घरेलु उपाय तो आप बिलकुल सही जगह पर हो क्योंकि यहाँ हम आपको बताएँगे 3 सबसे अच्छे और सबसे आसान घरेलु उपाय जो आपमें एक्यूट कॉन्स्टिपेशन हो या क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन, किसी भी तरह की कब्ज हो उसे जड़ से ख़त्म करने की क्षमता रखते है।
तो चलिए जानते है कॉन्स्टिपेशन या कब्ज होती क्या है, क्यों होती है, कैसे होती है, क्या इसका बचाव है और क्या घरेलु नुस्खे हैं जिनसे हम इसे ट्रीट कर सकते है।
कब्ज के लक्षण: (Symptoms of constipation in Hindi)
कब्ज के कारण: (Cause of constipation in Hindi)
कब्ज की रोकथाम: (Prevention of constipation in Hindi)
कब्ज का घरेलु उपाय: (Treatment of constipation in Hindi)
कब्ज के लिए बचाव: (Tips for constipation in Hindi)
आज के समय में कब्ज (constipation) आमतौर पर सभी में देखने को मिल जाती है क्योंकि आज की (life style) जीवन शैली इतनी (busy) अस्त व्यस्त है की ना तो खाने का पता और ना ही जाने का पता, लोग अपने काम काज में इतने खोये रहते है की ठीक से ना तो सो पाते है और ना ही जग पाते है।
खाने पीने में भी दुनिया इतनी मॉडर्न हो चुकी है जो हर तरह की बिमारी को बुलावा देना जैसा हो गया है। यहाँ हम आपको कुछ (home remedy) घरेलु उपाय बताएँगे जो आपकी कब्ज (constipation) को जड़ से ख़त्म करने की क्षमता रखते है साथ ही कुछ टिप्स है जिनसे आप कब्ज (constipation) की समस्या से हमेशा दूर रह सकते हो।
कब्ज के लक्षण: (Symptoms of constipation in Hindi)
कॉन्स्टिपेशन होने पर अक्सर पेट में ऐंठन होना, ठीक से पेट साफ ना होना, मल का कड़क हो जाना, मल त्यागने में परेशानी होना, खट्टी डकारें आना, मितली आना, मन ख़राब हो जाना, उलटी करने का मन करना, पेट का फूल जाना, जैसी बहुत सारी समस्याओ का सामना करना पड़ता है।
कब्ज के कारण: (Cause of constipation in Hindi)
कॉन्स्टिपेशन के बहुत सारे कारण हो सकते है जैसे की किसी बीमारी या मधुमेह का होना डायबिटीज के रोगियों में कब्ज (contipation) लगभग सभी में पायी जाती है क्योंकि इस कंडीशन में रोगी के ब्लड में शुगर की मात्रा अधिक होती है जिससे रोगी को बार बार यूरिन के लिए जाना पड़ता है इससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है जो की कब्ज का असली कारण है। कब्ज अक्सर उन लोगों में देखने को मिलती है जिनकी डेली लाइफ एक्टिविटीज अस्त व्यस्त होती है. जिनका कोई टाइम टेबल नहीं होता, जो लोग टाइम पर नही सोते और ना ही टाइम पर उठते, उनमें यह कंडीशन जरूर मिलती है।
ज्यादा स्पाइसी खाना खाने वाले लोगों में कॉन्स्टिपेशन की कंडीशन आम समस्या होती है। इन सब के आलावा डेली एक्टिविटी में चेंज की वजह से भी कब्ज हो सकती है। पानी कम पीने से भी इस कंडीशन का सामना करना पड़ता है। हमेशा बैठे रहने वाले लोगों में और ऑफिस वर्क करने वालों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है।
कब्ज का घरेलु उपाय: (Treatment of constipation in Hindi)
कब्ज के घरेलू इलाज के लिए आपको चाहिए होंगे जीरा, हल्दी, अजवाइन, खड़ा धनिया, काला नमक, सोंठ और पुदीना, इस नुस्खे को तैयार करने के लिए सबसे पहले आपको 2 बड़ा चम्मच जीरा और 2 बड़ा चम्मच अजवायन को हल्की आंच पर 1 से 2 मिनट के लिए पकाना है हल्का पकने के बाद इसमें एक बड़ा चम्मच खड़ा धनिया मिक्स करना है और इसे फिर हल्की आंच पर 1 से 2 मिनट के लिए पकाना है जब यह अच्छे से पक जाए तो इसे ठंडा करके मिक्सी में चला लें और बारीक पाउडर तैयार कर लें, इसके बाद इसमें एक चम्मच काला नमक, आधा चम्मच हल्दी, पिसी हुई सोंठ और एक चम्मच पुदीने का पाउडर अच्छे से मिक्स कर लें।
यह आपका रात के समय लिए जाने वाला सबसे बेहतरीन रेमेडी तैयार है इसे लेने के लिए डिनर के एक ��ंटे बाद का समय उचित रहता है क्योंकि इसमें मौजूद जीरा और अजवाइन हमारे द्वारा खाये गए भोजन को अच्छे से डाइजेस्ट करने का काम करती हैं।
पुदीना हमारे पेट को ठंडक पहुंचता है और ये सब एक साथ मिलकर डाइजेस्टिव को सुचारु करती है और जरुरी सभी तत्वों को शरीर के सभी पार्ट्स तक पहुंचती हैं।
इस तैयार पाउडर को लेने के लिए इसमें से एक चम्मच पाउड�� गर्म पानी में डाल कर ठंडा होने के लिए रख दे और जब यह हल्का गुनगुना रह जाये तब इसे पी ले।
इस नुस्खे के इस्तेमाल से आपका पेट खुलकर साफ़ होता है और आप हल्का महसूस करते हो भूख भी खुलकर लगना स्टार्ट हो जाती है, यह इतना इफेक्टिव है की इसके पहले इस्तेमाल से ही आपको पूरा आराम मिलेगा।
त्रिफला: (Triphala) इसके आलावा त्रिफ़ला पाउडर भी इस समस्या का रामबाण इलाज है पुराने समय में त्रिफ़ला को पेट से सम्बंधित सभी तरह रोगो में काम लिया जाता था चाहे ओबेसिटी हो या लिवर पैन सभी में यह एक क्लीनर की तरह वर्क करता है अतः आप त्रिफ़ला पाउडर का भी प्रयोग करके इस कंडीशन से हमेशा के लिए निजात पा सकते हो।
अरंडी का तेल: (Castor oil) इसके आलावा एक और नुस्खा है जिसका प्रयोग सुबह के समय पर ही किया जाता है और वह इतना असरदार है की 15 से 20 मिनट में ही आपको असर दिखना स्टार्ट हो जाता है। इसे बनाने के लिए आपको अरंडी के तेल की जरुरत होगी एक चम्मच अरंडी के तेल में एक चम्मच निम्बू का रस मिला ले और इसे सुबह खाली पेट एक गिलास पानी के साथ पिने से आपका पेट अच्छे से साफ होता है और आप अपने आपको हल्का महसूस करते हो।
यहाँ एक बात का ध्यान रखे बताये गए तीनों नुस्खों में से एक बार में किसी एक का ही इस्तेमाल करें यानि अगर आप पावडर तैयार करते हो तो आपको त्रिफला और कैस्टर आयल की जरुरत नहीं है। और यदि आप और किसी भी बिमारी की मेडिसिन खा रहे हो तो उसके एक से दो घंटे बाद ही इसका प्रयोग करें।
इसके आलावा आप पेट साफ़ करने की किसी भी मेडिसिन का इस्तेमाल कंटिन्यू ना करे इससे आपकी इंटेस्टाइन कमजोर हो जाती है, और शरीर में भी वीकनेस आ जाती है अतः इस बात का विशेष ध्यान रखें।
दोस्तों आर्टिकल अच्छा लगा हो तो लाइक शेयर और कमेंट जरूर करें. आप हमें facebook पे लाइक जरूर करें.
Humor k liye ap हमारी ye पोस्ट पढ़ sakte hai – hindi jokes
The post पेट गैस की समस्या से छुटकारा कैसे पाया जाये? appeared first on Forhindi.in.
from WordPress http://bit.ly/2LCxpll via IFTTT
0 notes
Text
Patiently Awaiting for Right Time 🤨😐😔😔😔😔😔😔
सभी दोस्तों को मेरा प्रणाम,
दोस्तों मैंने देखा है कि पहले (कोरोना काल के पहले) नौकरी पेशा के लोग शुक्रवार को ही छुट्टी के मूड में आ जाते थे। और उनके चेहरे की ख़ुशी शुक्रवार को अलग ही होती थी। अजब सा उत्साह, और उमंग के साथ काम करते थे। इस चाह में की आने वाले दो दिन उनको छुट्टी मिलेगी तो वे लोग कही घूमने के लिए बाहर निकल जायेंगे। लेकिन मैंने उस समय को भी देखा है जब वह इंसान छुट्टी के मूड में होता है और अचानक उनके साहब बोलते है की शनिवार और रविवार को उनको कार्यालय में आना होगा। तब उस बेचारे का हाव भाव देखने से ऐसा नहीं लगता था की वह खुश है। लेकिन मरता क्या न करता उसे काम तो करना ही है। आखिर सवाल जीवन व्यापन का जो है।
लेकिन दोस्तों कभी आपने यह सोचा है कि मेरे जैसा किसान जिसके पास कोई नौकरी नहीं है। बस अपनी ही खेती पर निर्भर रहता है। उसका क्या हाल होगा इस कोरोना काल में। अब मेरे पास ही फिलहाल कुछ काम ही नहीं है। बैठे है। अब दोस्तों इस बात का अंदाजा लगाइये की ४० की उम्र में आकर भी कोई इंसान अगर खाली बैठा हो। तो सोचने की बात होती है। कुछ दिन पहले एक मेरे मित्र मुझसे मिले और बोले की कुछ काम क्यों नहीं करते। मैंने बोलै क्या करू कोई रखता ही नहीं तो काम कैसे करेंगे। जब कहीं जाओं तो उनको अंग्रेजी चाहिए और मुझे अंग्रेजी आती नहीं। अब उसमे मेरी भी एक कठिनाई है की अंग्रेजी का पूरा शब्द मिला ले तो मेरे ख्याल से ज्यादा से ज्यादा ४००० शब्दों की भाषा है। उतना शब्द तो हमारे एक गाँव में बोली जाती है।
आपको पता ही होगा की हमारी सिर्फ मराठी भाषा में ही १ लाख से ज्यादा शब्द है। हिंदी भाषा में डेढ़ लाख से ज्यादा शब्द है। और संस्कृत में तो समंदर की गहराई भी कम पड़ जाएगी इतने शब्द है। और बाकी भाषाओँ को तो आप छोड़ दीजिये।सबका बताने जाऊंगा तो आप बोलेगे ये क्या बोल रहा है। लेकिन हम आज के पीढ़ी के लोग है। हम सिर्फ अंग्रेजी को ही तवज्जो देते है ऐसा क्यों। हमारे देश की संस्कृति में इतने भाषाओँ का संगम है की मैं बता नहीं सकता। मेरे शब्द भी कम पड़ जायेंगे।
तो वे बोले की अरे बहुत काम है बाजार में। तुमको इतना अनुभव है बाजार का कोई भी विषय हो तो ऐसा नहीं लगता की तुमसे कुछ छूट रहा है। और इतना अनुभव और उसमे सबसे बड़ी बात १५ साल का सेल्स अनुभव होना बहुत बड़ी बात होती है। तो मैंने बोला की काम तो बहुत है। लेकिन मुझे जिसमे ख़ुशी मिले वह काम ना के बराबर है।
या जहा है वहा के लोग मुझे रखने से कतरातें है। तो उन्होंने बोले की एक ऑनलाइन कपडे की दूकान खोल लो। और अपने सोशल मीडिया के द्वारा उसे फैला दो। शायद कुछ काम हो जाये। यह शब्द मुझे बहुत अच्छा लगा। और मैंने बस छण भर में ही उसपर काम शुरूकर दिय। हालांकि उनको मेरे दूसरे काम के बारे में पता नहीं था। लेकिन कुछ भी हो उन्होंने मुझे फिलहाल एक अच्छा सुझाव दिया। और मैंने उसे तत्काल अमल में ला दिया।
और शायद आप सब इसका भरपूर लाभ उठा रहे होंगे।
चलिए हम आज अपनी दिनचर्या की ओर प्रस्थान करते है।
मैं सोने चला गया और मैं सोने की बहुत कोशिश करने लगा। लेकिन रात भर मैं सिर्फ यह सोचकर खुश हो रहा था कि कल मेरी सारी मुसीबतों का समाधान हो जाएगा। और मैं कल ही अपने गांव के लिए प्रस्थान कर जाऊंगा।
और यही सोच कर मुझे नींद आ गयी और मैं सो गया। भोर में मैं उठते ही अपनी धरती माँ को प्रणाम किया और अपने प्रभु को याद करने के बाद अपनी दिनचर्या में लग गया।
मैंने अपने साहब को उठाने के लिए उनके दरवाजे पर लगी कड़ी को बजाने लगा। और साहब उठ गए उन्होंने बोले चलो जल्दी से तैयार हो जाओ हमको निकलना है। मैंने बोला ठीक है। हमलोगों ने नाश्ता किया और अपनी मंजिल की ओर निकल पड़े। अब तकरीबन २ घंटे बाद हमलोग एक बड़े से बंगलो में पहुंचे और हमलोग बड़े साहब ( जो शायद पैसा देनेवाले थे) उनका इंतजार करने लगे। दोपहर हो गयी। फिर शाम हो गयी। अभी तक आये नहीं बड़े साहब। अब मैं तो बहुत परेशान हो गया। कि ये हो क्या रहा है। ये साहब भी गायब हो गए।
अचानक उनके केयरटेकर को फ़ोन आया की आज वो बड़े साहब नहीं आने वाले है। वे कहीं मीटिंग में फसे हुए है। और उन्होंने ४ दिन बाद आने बोला है। अब मैं बहुत ही ज्यादा परेशान हो गया। अरे जो मिलने वाला है पैसे वो भी अब लटकते जा रहा है। अब तो ऐसा लग रहा था कि मानों मेरे आँखों के सामने पूरा अँधेरा छा गया हो। न ही मेरी समझ में कुछ आ रहा था और ना ही शायद मेरे साहब की समझ में। हम दोनों सुबह से लेकर शाम तक बैठे उनका इंतज़ार करने में भूखे रहे और काम भी नहीं हुआ। फिर से मेरे कल के कुछ सोचे हुए सपने टूट गए।
हर एक दिन मुझे कुछ सीखा रहा था। और मैं भी अपने उस समय से दृढ़ता के साथ सीखते चला जा रहा था। और मेरे पास चारा ही क्या था सिखने के सिवाय। मैं अपने जीवन के उस प्रवाह में बहते जा रहा था शायद जिसका कोई किनारा मिलना उस समय तो मुश्किल दिख रहा था। अब हम सब अपने घर के लिए निकल पड़े। और फिर २ घंटे में अपने घर पहुंचे।
मेरी उस स्थिति का अंदाजा लगा पाना बहुत ही मुश्किल भरा था। और ऐसी स्थितियां सबके साथ आती है।
फिर वही हम खाना खाये और मैं पैसे की चाह में आँख में आंसू लिए सोने चला गया। मैं बहुत ही उदास । और मेरे पिताजी का फ़ोन भी नहीं उठा रहा था। सवाल तो यही था की मैं क्या उठाता और क्या बोलता। फिर से वह निराशा भरी रात का दर्शन करते हुए मैं सोने चला गया।
दोस्तों माफ़ करना थोड़ा अपने वेब पेज का काम चल रहा है असुविधा के लिए मैं आपसे छमाप्रार्थी हू। इसलिए मैं ज्यादा नहीं लिख पा रहा हू। कुछ दिन तक यह हाल होगा उसके बाद मुझे यकीन है कि आपको कोई असुविधा नहीं होगी।
(Incase story as per your interest Please do comments, message, Like & follow me for Regular updates)
___________
___________________________________________________________________________________
English Translation:-
My greetings to all friends,
Friends, I have noticed that earlier (before the Corona era), people of job occupation used to get into the mood of holiday on Friday itself. And the happiness of his face was different on Friday. Worked with a bit of zeal and enthusiasm. In the wish that they will be discharged for the next two days, then they will go out to roam somewhere. But I have also seen the time when that person is in a holiday mood and suddenly their Boss says that they have to come to office on Saturday and Sunday. At that time, the poor fellow did not think that he was happy. But what does not die, he has to work. After all, the question of life is business.
But friends, have you ever thought that a farmer like me who has no job. Just depends on our own farming. How will it happen to live in this corona period? Now I do not have any work at the moment. Is sitting Now friends, guess that if a person is sitting empty at the age of 40. So it is a matter of thinking. A few days ago a friend of mine met me and said why not do some work. I said what should anyone do, how will they work? Whenever I go, they need English and I do not know English. Now I have a problem in it that if I mix the whole words in English, I think there is a language of more than 4000 words. That much word is spoken in one of our villages.
You must know that our Marathi language alone has more than 1 lakh words. Hindi language has more than one and a half million words. And in Sanskrit, the depth of the sea will also be reduced. If you leave the rest of the languages, then I will tell you what you are saying. But we are the people of today's generation. Why do we only pay attention to English? There is a confluence of so many languages in the culture of our country that I cannot tell. My words will fall short.
So they said that there is a lot of work in the market. You have so much experience, if there is any issue in the market, then it does not seem that you are missing anything. And with so much experience and the biggest thing in it is 15 years of sales experience. So I said that there is a lot of work. But the one I get happiness in is negligible.
Or where people are reluctant to keep me. So he said open an online clothes shop. And spread it through your social media. Maybe some work will be done. I liked this word very much. And I started working on it just within a minute. Although he was not aware of my other work. But whatever, he gave me a good suggestion right now. And I immediately put it into practice. And maybe you all are taking full advantage of it.
Let us move towards our routine today.
I went to sleep and I started trying hard to sleep. But overnight I was happy just thinking that tomorrow all my troubles will be resolved. And I will leave tomorrow for my village.
And thinking this made me sleepy and I fell asleep. As soon as I woke up in the morning, I bowed to my mother earth and after remembering my lord I got into my daily routine.
I started ringing the link on his door to lift my boss. And sir got up, he said, let's get ready quickly, we have to leave. I said ok We had breakfast and headed towards our destination. Now about 2 hours later we reached a big bungalow and we waited for the elder brother (who was probably going to pay). It is noon. Then it was evening. Haven't come yet, sir. Now I got very upset. What is happening These men also disappeared.
Suddenly, his caretaker got a call that today he is not going to come. They are stuck in a meeting somewhere. And they have spoken after 7 days. Now I got very upset. Hey, the money that is going to be received is also hanging. Now it seemed as if the whole darkness was covered before my eyes. Neither was I able to understand, nor could I possibly understand. We both sat in the morning waiting till the evening and were hungry waiting for them. Again some of my morbid dreams broke.
I was learning something every single day. And I was also learning strongly from that time. And I had only choice but to learn. I was drifting in the flow of my life, it was difficult to find any edge at that time. Now we all left for our house. And then reached his home in 2 hours.
It was very difficult to get an idea of my situation. And such situations come with everyone.
Then we ate the same food and I went to sleep with tears in my eyes, wanting money. I am very sad. And my father's phone was not even picking up. The question was what did I raise and say. Seeing that frustrating night again, I went to sleep.
दोस्तों माफ़ करना थोड़ा अपने वेब पेज का काम चल रहा है असुविधा के लिए मैं आपसे छमाप्रार्थी हू। इसलिए मैं ज्यादा नहीं लिख पा रहा हू। कुछ दिन तक यह हाल होगा उसके बाद मुझे यकीन है कि आपको कोई असुविधा नहीं होगी।
(Incase story as per your interest Please do comments, message, Like & follow me for Regular updates)
___________
via Blogger https://ift.tt/2BQI4VE
0 notes
Link
शहीदे आजम भगत सिंह और 23 मार्च 1931 -
शहीदे आजम भगत सिंह एक ऐसा नाम जो बहुत ही आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है।अब के समय के बच्चे जो उस उम्र में कुछ सोच -समझ नहीं पाते उस उम्र भगत सिंह देश के लिए फांसी के फंदे पर झूल गये। लाहौर सेंट्रल जेल में 23 मार्च, 1931 की शुरुआत किसी और दिन की तरह ही हुई थी। फर्क सिर्फ इतना सा था कि सुबह-सुबह जोर की आँधी आई थी। लेकिन जेल के कैदियों को थोड़ा अजीब सा लगा जब चार बजे ही वॉर्डेन चरत सिंह ने उनसे आकर कहा कि वो अपनी-अपनी कोठरियों में चले जाएं।उन्होंने कारण नहीं बताया। उनके मुंह से सिर्फ ये निकला कि आदेश ऊपर से है।अभी कैदी सोच ही रहे थे कि माजरा क्या है,जेल का नाई बरकत हर कमरे के सामने से फुसफुसाते हुए गुजरा कि आज रात भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी जाने वाली है।उस क्षण की निश्चिंतता ने उनको झकझोर कर रख दिया। कैदियों ने बरकत से मनुहार की कि वो फांसी के बाद भगत सिंह की कोई भी चीज जैसे पेन, कंघा या घड़ी उन्हें लाकर दें ताकि वो अपने पोते-पोतियों को बता सकें कि कभी वो भी भगत सिंह के साथ जेल में बंद थे। बरकत भगत सिंह की कोठरी में गया और वहाँ से उनका पेन और कंघा ले आया। सारे कैदियों में होड़ लग गई कि किसका उस पर अधिकार हो।आखिर में ड्रॉ निकाला गया।
भगत सिंह ने क्यों कहा -इन्कलाबियों को मरना ही होता है-
अब सब कैदी चुप हो चले थे। उनकी निगाहें उनकी कोठरी से गुजरने वाले रास्ते पर लगी हुई थी। भगत सिंह और उनके साथी फाँसी पर लटकाए जाने के लिए उसी रास्ते से गुजरने वाले थे।एक बार पहले जब भगत सिंह उसी रास्ते से ले जाए जा रहे थे तो पंजाब कांग्रेस के नेता भीमसेन सच्चर ने आवाज ऊँची कर उनसे पूछा था, "आप और आपके साथियों ने लाहौर कॉन्सपिरेसी केस में अपना बचाव क्यों नहीं किया। " भगत सिंह का जवाब था,"इन्कलाबियों को मरना ही होता है, क्योंकि उनके मरने से ही उनका अभियान मजबूत होता है,अदालत में अपील से नहीं।" वॉर्डेन चरत सिंह भगत सिंह के खैरख्वाह थे और अपनी तरफ से जो कुछ बन पड़ता था उनके लिए करते थे। उनकी वजह से ही लाहौर की द्वारकादास लाइब्रेरी से भगत सिंह के लिए किताबें निकल कर जेल के अंदर आ पाती थीं।भगत सिंह को किताबें पढ़ने का इतना शौक था कि एक बार उन्होंने अपने स्कूल के साथी जयदेव कपूर को लिखा था कि वो उनके लिए कार्ल लीबनेख की 'मिलिट्रिजम', लेनिन की 'लेफ्ट विंग कम्युनिजम' और अपटन सिनक्लेयर का उपन्यास 'द स्पाई' कुलबीर के जरिए भिजवा दें।
भगत सिंह अपने जेल की कोठरी में शेर की तरह चक्कर लगा रहे थे-
भगत सिंह जेल की कठिन जिंदगी के आदी हो चले थे। उनकी कोठरी नंबर 14 का फर्श पक्का नहीं था। उस पर घास उगी हुई थी। कोठरी में बस इतनी ही जगह थी कि उनका पाँच फिट, दस इंच का शरीर बमुश्किल उसमें लेट पाए।भगत सिंह को फांसी दिए जाने से दो घंटे पहले उनके वकील प्राण नाथ मेहता उनसे मिलने पहुंचे। मेहता ने बाद में लिखा कि भगत सिंह अपनी छोटी सी कोठरी में पिंजड़े में बंद शेर की तरह चक्कर लगा रहे थे।उन्होंने मुस्करा कर मेहता को स्वागत किया और पूछा कि आप मेरी किताब 'रिवॉल्युशनरी लेनिन' लाए या नहीं? जब मेहता ने उन्हे किताब दी तो वो उसे उसी समय पढ़ने लगे मानो उनके पास अब ज्यादा समय न बचा हो।मेहता ने उनसे पूछा कि क्या आप देश को कोई संदेश देना चाहेंगे?भगत सिंह ने किताब से अपना मुंह हटाए बगैर कहा, "सिर्फ दो संदेश... साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और 'इंकलाब जिदाबाद!" इसके बाद भगत सिंह ने मेहता से कहा कि वो पंडित नेहरू और सुभाष बोस को मेरा धन्यवाद पहुंचा दें,जिन्होंने मेरे केस में गहरी रुचि ली थी।
वक़्त से 12 घंटे पहले ही फांसी दी गयी -
भगत सिंह से मिलने के बाद मेहता राजगुरु से मिलने उनकी कोठरी पहुंचे। राजगुरु के अंतिम शब्द थे, "हम लोग जल्द मिलेंगे।" सुखदेव ने मेहता को याद दिलाया कि वो उनकी मौत के बाद जेलर से वो कैरम बोर्ड ले लें जो उन्होंने उन्हें कुछ महीने पहले दिया था।मेहता के जाने के थोड़ी देर बाद जेल अधिकारियों ने तीनों क्रांतिकारियों को बता दिया कि उनको वक़्त से 12 घंटे पहले ही फांसी दी जा रही है। अगले दिन सुबह छह बजे की बजाय उन्हें उसी शाम सात बजे फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा।भगत सिंह मेहता द्वारा दी गई किताब के कुछ पन्ने ही पढ़ पाए थे। उनके मुंह से निकला, "क्या आप मुझे इस किताब का एक अध्याय भी खत्म नहीं करने देंगे?" भगत सिंह ने जेल के मुस्लिम सफाई कर्मचारी बेबे से अनुरोध किया था कि वो उनके लिए उनको फांसी दिए जाने से एक दिन पहले शाम को अपने घर से खाना लाएं।लेकिन बेबे भगत सिंह की ये इच्छा पूरी नहीं कर सके, क्योंकि भगत सिंह को बारह घंटे पहले फांसी देने का फैसला ले लिया गया और बेबे जेल के गेट के अंदर ही नहीं घुस पाया।
तीनों क्रांतिकारियों अंतिम क्षण -
थोड़ी देर बाद तीनों क्रांतिकारियों को फांसी की तैयारी के लिए उनकी कोठरियों से बाहर निकाला गया। भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने अपने हाथ जोड़े और अपना प्रिय आजादी गीत गाने लगे- कभी वो दिन भी आएगा कि जब आजाद हम होंगें ये अपनी ही जमीं होगी ये अपना आसमाँ होगा।
फिर इन तीनों का एक-एक करके वजन लिया गया।सब के वजन बढ़ गए थे। इन सबसे कहा गया कि अपना आखिरी स्नान करें। फिर उनको काले कपड़े पहनाए गए। लेकिन उनके चेहरे खुले रहने दिए गए।चरत सिंह ने भगत सिंह के कान में फुसफुसा कर कहा कि वाहे गुरु को याद करो।
भगत सिंह बोले, "पूरी जिदगी मैंने ईश्वर को याद नहीं किया। असल में मैंने कई बार गरीबों के क्लेश के लिए ईश्वर को कोसा भी है। अगर मैं अब उनसे माफी मांगू तो वो कहेंगे कि इससे बड़ा डरपोक कोई नहीं है। इसका अंत नजदीक आ रहा है। इसलिए ये माफी मांगने आया है।" जैसे ही जेल की घड़ी ने 6 बजाय, कैदियों ने दूर से आती कुछ पदचापें सुनीं।उनके साथ भारी बूटों के जमीन पर पड़ने की आवाजे भी आ रही थीं। साथ में एक गाने का भी दबा स्वर सुनाई दे रहा था, "सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।।।" सभी को अचानक जोर-जोर से 'इंकलाब जिंदाबाद' और 'हिंदुस्तान आजाद हो' के नारे सुनाई देने लगे।फांसी का तख्ता पुराना था लेकिन फांसी देने वाला काफी तंदुरुस्त। फांसी देने के लिए मसीह जल्लाद को लाहौर के पास शाहदरा से बुलवाया गया था।भगत सिंह इन तीनों के बीच में खड़े थे। भगत सिंह अपनी माँ को दिया गया वो वचन पूरा करना चाहते थे कि वो फाँसी के तख्ते से 'इंकलाब जिदाबाद' का नारा लगाएंगे।
भगत सिंह ने अपने माँ से किया वादा निभाया और फांसी के फंदे को चूमकर -इंकलाब जिंदाबाद नारा लगाया -
लाहौर जिला कांग्रेस के सचिव पिंडी दास सोंधी का घर लाहौर सेंट्रल जेल से बिल्कुल लगा हुआ था। भगत सिंह ने इतनी जोर से 'इंकलाब जिंदाबाद' का नारा लगाया कि उनकी आवाज सोंधी के घर तक सुनाई दी। उनकी आवाज सुनते ही जेल के दूसरे कैदी भी नारे लगाने लगे। तीनों युवा क्रांतिकारियों के गले में फांसी की रस्सी डाल दी गई।उनके हाथ और पैर बांध दिए गए। तभी जल्लाद ने पूछा, सबसे पहले कौन जाएगा? सुखदेव ने सबसे पहले फांसी पर लटकने की हामी भरी। जल्लाद ने एक-एक कर रस्सी खींची और उनके पैरों के नीचे लगे तख्तों को पैर मार कर हटा दिया।काफी देर तक उनके शव तख्तों से लटकते रहे।अंत में उन्हें नीचे उतारा गया और वहाँ मौजूद डॉक्टरों लेफ्टिनेंट कर्नल जेजे नेल्सन और लेफ्टिनेंट कर्नल एनएस सोधी ने उन्हें मृत घोषित किया।
क्यों मृतकों की पहचान करने से एक अधिकारी ने मना किया -
एक जेल अधिकारी पर इस फांसी का इतना असर हुआ कि जब उससे कहा गया कि वो मृतकों की पहचान करें तो उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया। उसे उसी जगह पर निलंबित कर दिया गया। एक जूनियर अफसर ने ये काम अंजाम दिया।पहले योजना थी कि इन सबका अंतिम संस्कार जेल के अंदर ही किया जाएगा, लेकिन फिर ये विचार त्यागना पड़ा जब अधिकारियों को आभास हुआ कि जेल से धुआँ उठते देख बाहर खड़ी भीड़ जेल पर हमला कर सकती है। इसलिए जेल की पिछली दीवार तोड़ी गई।उसी रास्ते से एक ट्रक जेल के अंदर लाया गया और उस पर बहुत अपमानजनक तरीके से उन शवों को एक सामान की तरह डाल दिया गया। पहले तय हुआ था कि उनका अंतिम संस्कार रावी के तट पर किया जाएगा, लेकिन रावी में पानी बहुत ही कम था, इसलिए सतलज के किनारे शवों को जलाने का फैसला लिया गया।उनके पार्थिव शरीर को फिरोजपुर के पास सतलज के किनारे लाया गया। तब तक रात के 10 बज चुके थे। इस बीच उप पुलिस अधीक्षक कसूर सुदर्शन सिंह कसूर गाँव से एक पुजारी जगदीश अचरज को बुला लाए। अभी उनमें आग लगाई ही गई थी कि लोगों को इसके बारे में पता चल गया।जैसे ही ब्रितानी सैनिकों ने लोगों को अपनी तरफ आते देखा, वो शवों को वहीं छोड़ कर अपने वाहनों की तरफ भागे। सारी रात गाँव के लोगों ने उन शवों के चारों ओर पहरा दिया।अगले दिन दोपहर के आसपास जिला मैजिस्ट्रेट के दस्तखत के साथ लाहौर के कई इलाकों में नोटिस चिपकाए गए जिसमें बताया गया कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का सतलज के किनारे हिंदू और सिख रीति से अंतिम संस्कार कर दिया गया।इस खबर पर लोगों की कड़ी प्रतिक्रिया आई और लोगों ने कहा कि इनका अंतिम संस्कार करना तो दूर, उन्हें पूरी तरह जलाया भी नहीं गया। जिला मैजिस्ट्रेट ने इसका खंडन किया लेकिन किसी ने उस पर विश्वास नहीं किया।
वॉर्डेन चरत सिंह फूट-फूट कर रोने लगे -
इस तीनों के सम्मान में तीन मील लंबा शोक जुलूस नीला गुंबद से शुरू हुआ। पुरुषों ने विरोधस्वरूप अपनी बाहों पर काली पट्टियाँ बांध रखी थीं और महिलाओं ने काली साड़ियाँ पहन रखी थीं। लगभग सब लोगों के हाथ में काले झंडे थे।लाहौर के मॉल से गुजरता हुआ जुलूस अनारकली बाजार के बीचोबीच रूका। अचानक पूरी भीड़ में उस समय सन्नाटा छा गया जब घोषणा की गई कि भगत सिंह का परिवार तीनों शहीदों के बचे हुए अवशेषों के साथ फिरोजपुर से वहाँ पहुंच गया है। जैसे ही तीन फूलों से ढ़के ताबूतों में उनके शव वहाँ पहुंचे, भीड़ भावुक हो गई। लोग अपने आँसू नहीं रोक पाए।उधर, वॉर्डेन चरत सिंह सुस्त कदमों से अपने कमरे में पहुंचे और फूट-फूट कर रोने लगे। अपने 30 साल के करियर में उन्होंने सैकड़ों फांसियां देखी थीं, लेकिन किसी ने मौत को इतनी बहादुरी से गले नहीं लगाया था जितना भगत सिंह और उनके दो कॉमरेडों ने।किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि16 साल बाद उनकी शहादत भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के अंत का एक कारण साबित होगी और भारत की जमीन से सभी ब्रिटिश सैनिक हमेशा के लिए चले जाएंगे।
शहीद-ए-आजम का भगत सिंह नाम कैसे पड़ा -
भारत माँ के इस महान सपूत का नाम उनकी दादी के मुँह से निकले लफ्जों के आधार पर रखा गया था।जिस दिन भगतसिंह का जन्म हुआ, उसी दिन उनके पिता सरदार किशनसिंह और चाचा अजीतसिंह की जेल से रिहाई हुई थी। इस पर उनकी दादी जय कौर के मुँह से निकला 'ए मुंडा ते बड़ा भागाँवाला ए' (यह लड़का तो बड़ा सौभाग्यशाली है)।शहीद-ए-आजम के पौत्र (भतीजे बाबरसिंह संधु के पुत्र) यादविंदरसिंह संधु ने बताया कि दादी के मुँह से निकले इन अल्फाज के आधार पर घरवालों ने फैसला किया कि भागाँवाला (भाग्यशाली) होने की वजह से लड़के का नाम इन्हीं शब्दों से मिलता-जुलता होना चाहिए, लिहाजा उनका नाम भगतसिंह रख दिया गया।
शहीद-ए-आजम का नाम भगतसिंह रखे जाने के साथ ही नामकरण संस्कार के समय किए गए यज्ञ में उनके दादा सरदार अर्जुनसिंह ने यह संकल्प भी लिया कि वे अपने इस पोते को देश के लिए समर्पित कर देंगे। भगतसिंह का परिवार आर्य समाजी था, इसलिए नामकरण के समय यज्ञ किया गया।यादविंदर ने बताया कि उन्होंने घर के बड़े-बुजुर्गों से सुना है कि भगतसिंह बचपन से ही देशभक्ति और आजादी की बातें किया करते थे। यह गुण उन्हें विरासत में मिला था, क्योंकि उनके घर के सभी सदस्य उन दिनों आजादी की लड़ाई में शामिल थे।हमारा उद्देश्य हमेशा रहता है की अपने इतिहास के चुनिंदा घटनाओं से आपको अवगत कराते रहे है। हमारे आर्टिकल आपको अगर पसंद आते है तो हमे अपना समर्थन दे।
#सुभाष बोस#सुखदेव#साम्राज्यवादमुर्दाबाद#सरफरोशीकीतमन्नाअबहमारेदिलमेंहै#शहीदेआजमभगतसिंह#शहीदएआजमकाभगतसिंहनामकैसेपड़ा#वॉर्डेनचरतसिंहफूटफूटकररोनेलगे#वॉर्डेनचरतसिंह#लेफ्टविंगकम्युनिजम#लाहौरसेंट्रलजेल#लाहौरकॉन्सपिरेसीकेस#लाहौरकीद्वारकादासलाइब्रेरी#राजगुरु#मुस्लिमसफाईकर्मचारी#मिलिट्रिजम#भीमसेनसच्चर#भगतसिंहनेअपनेमाँसेकियावादानिभाया#भगतसिंहदेशकेलिएफांसीकेफंदेपरझूल#भगतसिंहकोकिताबेंपढ़नेकाइतनाशौक#इंकलाबजिदाबाद#12घंटेपहलेहीफांसीदीगयी#अपटनसिनक्लेयरकाउपन्यास#आजादीगीतगाने#इन्कलाबियोंकोमरनाहीहोताहै#एकक्रांतिकारीकेआखिर24घंटे#चाचाअजीतसिंह#तीनोंक्रांतिकारियोंअंतिमक्षण#दस्पाई#पंडितनेहरू#पितासरदारकिशनसिंह
1 note
·
View note