#��ीजल की दर
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rightnewshindi · 10 days ago
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हिमाचल में लोगों को मिलने वाला है तीन महीनों का पानी का बिल, लोगों को ढीली करनी होगी अपनी जेब
#News हिमाचल में लोगों को मिलने वाला है तीन महीनों का पानी का बिल, लोगों को ढीली करनी होगी अपनी जेब
Himachal News: हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को एक साथ तीन महीने का पानी बिल आएगा। प्रदेश सरकार ने 100 रुपये प्रतिमाह प्रति कनेक्शन की दर से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए पानी की दरें तय की हैं। एक अक्तूबर 2024 से यह दरें लागू की गई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के बिल जारी करने से पहले जल शक्ति विभाग ने कनेक्शनों के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रदेश के ग्रामीण…
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chemwhatin · 26 days ago
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jyotis-things · 5 months ago
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart80 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart81
पराण संगली (पंजाबी लीपी में) संपादक: डाॅ. जगजीत सिह खानपुरी पब्लिकेशन ब्यूरो पंजाबी युनिवर्सिटी, पटियाला।
प्रकाशित सन् 1961 के पृष्ठ न. 399 से सहाभार
गोष्टी बाबे नानक और कबीर जी की (कबीर जी)उह गुरु जी चरनि लागि करवै, बीनती को पुन करीअहु देवा।अगम अपार अभै पद कहिए, सो पाईए कित सेवा।।मुहि समझाई कहहु गुरु पूरे, भिन्न-भिन्न अर्थ दिखावहु।जिह बिधि परम अभै पद पाईये, सा विधि मोहि बतावहु।मन बच करम कृपा करि दीजै, दीजै शब्द उचारं।।कहै कबीर सुनहु गुरु नानक, मैं दीजै शब्द बीचारं।।1।।(नानक जी)नानक कह सुनों कबीर जी, सिखिया एक हमारी।तन मन जीव ठौर कह ऐकै, सुंन लागवहु तारी।।करम अकरम दोऊँ तियागह, सहज कला विधि खेलहु।जागत कला रहु तुम निसदिन, सतगुरु कल मन मेलहु।।तजि माया र्निमायल होवहु, मन के तजहु विकारा।नानक कह सुनहु कबीर जी, इह विधि मिलहु अपारा।।2।।(कबीर जी)गुरु जी माया सबल निरबल जन तेरा, क्युं अस्थिर मन होई।काम क्रोध व्यापे मोकु, निस दिन सुरति निरत बुध खोई।।मन राखऊ तवु पवण सिधारे, पवण राख मन जाही।मन तन पवण जीवैं होई एकै, सा विधि देहु बुझााई।।3।।(नानक जी) दिृढ करि आसन बैठहु वाले, उनमनि ध्यान लगावहु।अलप-अहार खण्ड कर निन्द्रा, काम क्रोध उजावहु।।नौव दर पकड़ि सहज घट राखो, सुरति निरति रस उपजै।गुरु प्रसादी जुगति जीवु राखहु, इत मंथत साच निपजै।।4।।(कबीर जी) (कबीर कवन सुखम कवन स्थूल कवन डाल कवन है मूल)गुरु जी किया लै बैसऊ, किआ लेहहु उदासी।कवन अग्नि की धुणी तापऊ कवन मड़ी महि बासी।।5।।(नानक जी) (नानक ब्रह्म सुखम सुंन असथुल, मन है पवन डाल है मूल)करम लै सोवहु सुरति लै जागहु, ब्रह्म अग्नि ले तापहु।निस बासर तुम खोज खुजावहु, संुन मण्डल ले डूम बापहु।।6।।(सतगुरु कहै सुनहे रे चेला, ईह लछन परकासे)(गुरु प्रसादि सरब मैं पेखहु, सुंन मण्डल ��रि वासे)(कबीर जी) सुआमी जी जाई को कहै, ना जाई वहाँ क्या अचरज होई ��ाई।मन भै चक्र रहऊ मन पूरे, सा विध देहु बताई।।7।।(अपना अनभऊ कहऊ गुरु जी, परम ज्योति किऊं पाई।)(नानक जी) ससी अर चड़त देख तुम लागे, ऊहाँ कीटी भिरणा होता।नानक कह सुनहु कबीरा, इत बिध मिल परम तत जोता।।8।।(कबीर जी) धन धन धन गुरु नानक, जिन मोसो पतित उधारो।निर्मल जल बतलाइया मो कऊ, राम मिलावन हारो।।9।।(नानक जी) जब हम भक्त भए सुखदेवा, जनक विदेह किया गुरुदेवा।कलि महि जुलाहा नाम कबीरा, ढूंड थे चित भईआ न थीरा।।बहुत भांति कर सिमरन कीना, इहै मन चंचल तबहु न भिना।जब करि ज्ञान भए उदासी, तब न काटि कालहि फांसी।।जब हम हार परे सतिगुरु दुआरे, दे गुरु नाम दान लीए उधारे।।10।।(कबीर जी) सतगुरु पुरुख सतिगुरु पाईया, सतिनाम लै रिदै बसाईआ।जात कमीना जुलाहा अपराधि, गुरु कृपा ते भगति समाधी।।मुक्ति भइआ गुरु सतिगुरु बचनी, गईया सु सहसा पीरा।जुग नानक सतिगुरु जपीअ, कीट मुरीद कबीरा।।11।।सुनि उपदेश सम्पूर्ण सतगुरु का, मन महि भया अनंद।मुक्ति का दाता बाबा नानक, रिंचक रामानन्द।।12।
ऊपर लिखी वाणी ‘प्राण संगली‘ नामक पुस्तक से लिखी हैं। इसमें स्पष्ट लिखा है कि वाणी संख्या 9 तक दोहों में पूरी पंक्ति के अंतिम अक्षर मेल खाते हैं। परन्तु वाणी संख्या 10 की पाँच पंक्तियां तथा वाणी संख्या 11 की पहली दो पक्तियां चैपाई रूप में हैं तथा फिर दो पंक्तियां दोहा रूप में है तथा फिर वाणी संख्या 12 में केवल दो पंक्तियां हैं जो फिर दोहा रूप में है। इससे सिद्ध है कि वास्तविक वाणी को निकाला गया है जो वाणी कबीर साहेब जी के विषय में ��्री नानक जी ने सतगुरु रूप में स्वीकार किया होगा। नहीं तो दोहों में चलती आ रही वाणी फिर चैपाईयों में नहीं लिखी जाती। फिर बाद में दोहों में लिखी है। यह सब जान-बूझ कर प्रमाण मिटाने के लिए किया है। वाणी संख्या 10 की पहली पंक्ति ‘जब हम भक्त भए सुखदेवा, जनक विदेही किया गुरुदेवा‘ स्पष्ट करती है कि श्री नानक जी कह रहे हैं कि मैं जनक रूप में था उस समय मेरा शिष्य (भक्त) श्री सुखदेव ऋषि हुए थे। इस वाणी संख्या 10 को नानक जी की ओर से कही मानी जानी चाहिए तो स्पष्ट है कि नानक जी कह रहे है कि मैं हार कर गुरू कबीर के चरणों में गिर गया उन्होंने नाम दान करके उद्धार किया। वास्तव में यह 10 नं. वाणी कही अन्य वाणी से है। यह पंक्ति भी परमेश्वर कबीर साहेब जी की ओर से वार्ता में लिख दिया है। क्योंकि परमेश्वर कबीर साहेब जी ने अपनी शक्ति से श्री नानक जी को पिछले जन्म की चेतना प्रदान की थी। तब नानक जी ने स्वीकार किया था ��ि वास्तव में मैं जनक था तथा उस समय सुखदेव मेरा भक्त हुआ था।
वाणी संख्या 11 में चार पंक्तियां हैं जबकि वाणी संख्या 10 में पाँच पंक्तियां लिखी हैं। वास्तव में प्रथम पंक्ति ‘जब हम भक्त भए सुखदेवा ... ‘ वाली में अन्य तीन पंक्तियां थी, जिनमें कबीर परमेश्वर को श्री नानक जी ने गुरु स्वीकार किया होगा। उन्हें जान बूझ कर निकाला गया लगता है।
वाणी संख्या 1 व 2 में 6.6 पंक्तियाँ है, वाणी संख्या 3 व 4 में 4.4 पंक्तियाँ, वाणी संख्या 5 व 6 में 3.3 पंक्तियाँ है, वाणी संख्या 7 में 4 पंक्तियाँ हैं, वाणी संख्या 8 में 3 पंक्तियाँ है, वाणी संख्या 9 में 2 पंक्तियाँ है, वाणी संख्या 10 में 5 पंक्तियाँ हैं, वाणी संख्या 11 में 4 पंक्तियाँ है तथा वाणी संख्या 12 में 2 पंक्तियाँ है। यदि ये वाणी पूरी होती तो सर्व वाणीयों (कलियों) में एक जैसी वाणी संख्या होती।
श्री नानक जी ने दोनों की वार्ता जो प्रभु कबीर जी से हुई थी, लिखी थी। परन्तु बाद में प्राण संगली तथा गुरु ग्रन्थ साहिब में उन वाणियों को छोड़ दिया गया जो कबीर परमेश्वर जी को श्री नानक जी का गुरुदेव सिद्ध करती थी। इसी का प्रमाण कृप्या निम्न देखें। दो शब्दों में प्रत्यक्ष प्रमाण है(श्री गुरू ग्रन्थ साहेब पृष्ठ 1189, 929, 930 पर)।
आगे श्री गुरु ग्रन्थ पृष्ठ नं. 1189
राग बसंत महला 1
चंचल चित न पावै पारा, आवत जात न लागै बारा।
दुख घणों मरीअै करतारा, बिन प्रीतम के कटै न सारा।।1।।
सब उत्तम किस आखवु हीना, हरि भक्ति सचनाम पतिना(रहावु)।
औखद कर थाकी बहुतेरे, किव दुख चुकै बिन गुरु मेरे।।
बिन हर भक्ति दुःख घणोरे, दुख सुख दाते ठाकुर मेरे।।2।।
रोग वडो किंवु बांधवु धिरा, रोग बुझै से काटै पीरा।
मैं अवगुण मन माहि सरीरा, ढुडत खोजत गुरिू मेले बीरा।।3।।
नोट:-- यहाँ पर स्पष्ट है कि अक्षर कबीरा की जगह ‘गुरु मेले बीरा‘ लिखा है। जबकि लिखना था ‘ढुंडत खोजत गुरि मेले कबीरा‘
गुरु का शब्द दास हर नावु, जिवै तू राखहि तिवै रहावु।
जग रोगी कह देखि दिखाऊ, हरि निमाईल निर्मल नावु।।4।।
घट में घर जो देख दिखावै, गुरु महली सो महलि बुलावै।
मन में मनुवा चित्त में चीता, अैसे हर के लोग अतीता।।5।।
हरख सोग ते रहैहि निरासा, अमृत चाख हरि नामि निवासा।।
आप पीछाणे रह लिव लागा, जनम जीति गुरुमति दुख भागा।।6।।
गुरु दिया सच अमृत पिवैऊ, सहज मखु जीवत ही जीवऊ।
अपणे करि राखहु गुरु भावै, तुमरो होई सु तुझहि समावै।।8।।
भोगी कऊ दुःख रोग बिआपै, घटि-घटि रवि रहिया प्रभु आपै।
सुख दुःख ही तै गुरु शब्द अतीता, नानक राम रमै हरि चीता।।9(4)।।
इस ऊपर के शब्द में प्रत्यक्ष प्रमाण है कि श्री नानक जी का कोई आकार रूप में गुरु था जिसने सच्चनाम (सतनाम) दिया तथा उस गुरुदेव को ढूंडते-खोजते का��ी में कबीर गुरु मिला तथा वह सतनाम प्राणियों को कर्म-कष्ट रहित करता है तथा हरदम गुरु के वचन में रह कर गुरुदेव द्वारा दिए सत्यनाम (सच्चनाम) का जाप करते रहना चाहिए।
राग रामकली महला 1 दखणी आंैकार
गुरु ग्रन्थ पृष्ठ नं. 929.30
औंकार ब्रह्मा उत्पति। औंकार किया जिन चित।।
औंकार सैल जुग भए। औंकार वेद निरमए।।
औंकार शब्द उधरे। औंकार गुरु मुख तरे।।
ओंम अखर सुन हुँ विचार। ओम अखर त्रिभूवण सार।।
सुण पाण्डे किया लिखहु जंजाला, लिख राम नाम गुरु मुख गोपाला।।1।।रहाऊ।।
ससै सभ जग सहज उपाइया, तीन भवन इक जोती।
गुरु मुख वस्तु परापत होवै, चुण लै मानक मोती।।
समझै सुझै पड़ि-पड़ि बुझै अति निरंतर साचा।
गुरु मुख देखै साच समाले, बिन साचे जग काचा।।2।।
धधै धरम धरे धरमा पुरि गुण करी मन धीरा। {ग्रन्थ साहेब मंे एक ही पंक्ति है।}
यहाँ पंक्ति अधूरी(अपूर्ण) छोड़ रखी है। प्रत्येक पंक्ति में अंतिम अक्षर दो एक जैसे है। जैसे ऊपर लिखी वाणी में ‘‘ज्योति‘‘ फिर दूसरी में ‘‘मोती‘‘। फिर ‘‘साचा‘‘ दूसरी में ‘‘काचा‘‘। यहाँ पर ‘‘धीरा‘‘ अंतिम अक्षर वाली एक ही पंक्ति है। इसमें साहेब कबीर का नाम प्रत्यक्ष था जो कि मान वस होकर ग्रन्थ की छपाई करते समय निकाल दी गई है(छापाकारों ने काटा होगा, संत कभी ऐसी गलती नहीं करते) क्योंकि कबीर साहेब जुलाहा जाति में माने जाते हैं जो उस समय अछूत जानी जाती थी। कहीं गुरु नानक जी का अपमान न हो जाए कि एक जुलाहा नानक जी का पूज्य गुरु व भगवान था।
फिर प्रमाण है ‘‘राग बसंत महला पहला‘‘ पौड़ी नं. 3 आदि ग्रन्थ(पंजाबी) पृष्ठ नं. 1188
नानक हवमों शब्द जलाईया, सतगुरु साचे दरस दिखाईया।।
इस वाणी से भी अति स्पष्ट है कि नानक जी कह रहे हैं कि सत्यनाम (सत्यशब्द) से विकार-अहम्(अभिमान) जल गया तथा मुझे सच्चे सतगुरु ने दर्शन दिए अर्थात् मेरे गुरुदेव के दर्शन हुए। स्पष्ट है कि नानक जी को कोई सतगुरु आकार रूप में अवश्य मिला था। वह ऊपर तथा नीचे पूर्ण प्रमाणित है। स्वयं कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा(अकाल मूर्त) स्वयं सच्चखण्ड से तथा दूसरे रूप में काशी बनारस से आकर प्रत्यक्ष दर्शन देकर सच्चखण्ड (सत्यलोक) भ्रमण करवा के सच्चा नाम उपदेश काशी (बनारस) में प्रदान किया।
आदरणीय गरीबदास जी महाराज {गाँव-छुड़ानी, जिला-झज्जर(हरियाणा)} को भी परमेश्वर कबीर जिन्दा महात्मा के रूप में जंगल में मिले थे। इसी प्रकार सतलोक दिखा कर वापिस छोड़ा था। परमेश्वर ने बताया कि मैंने ही श्री नानक जी तथा श्री दादू जी को पा�� किया था। जब श्री नानक जी ने पूर्ण परमात्मा को सतलोक में भी देखा तथा फिर बनारस (काशी) में जुलाहे का कार्य करते देखा तब उमंग में भरकर कहा था ‘‘वाहेगुरु सत्यनाम‘‘ वाहेगुरु-वाहेगुरु तथा इसी उपरोक्त वाक्य का उच्चारण करते हुए काशी से वापिस आए। जिसको श्री नानक जी के अनुयाईयों ने जाप मंत्र रूप में जाप करना शुरु कर दिया कि यह पवित्र मंत्र श्री नानक जी के मुख कमल से निकला था, परन्तु वास्तविकता को न समझ सके। अब उन से कौन छुटाए, इस नाम के जाप को जो सही नहीं है। क्योंकि वास्तविक मंत्र को बोलकर नहीं सुनाया जाता। उसका सांकेतिक मंत्र ‘सत्यनाम‘ है तथा वाहे गुरु कबीर परमेश्वर को कहा है। इसी का प्रमाण संत गरीबदास साहेब ने अपने सतग्रन्थ साहेब में फुटकर साखी का अंग पृष्ठ न. 386 पर दिया है।
गरीब - झांखी देख कबीर की, नानक कीती वाह।
वाह सिक्खों के गल पड़ी, कौन छुटावै ताह।।
गरीब - हम सुलतानी नानक तारे, दादू कुं उपदेश दिया।
जाति जुलाहा भेद ना पाया, कांशी माहे कबीर हुआ।।
प्रमाण के लिए ‘‘जीवन दस गुरु साहिबान‘‘ पृष्ठ न. 42 से 44 तक (लेखक - सोढी तेजा सिंघ जी) - (प्रकाशक - चतर सिंघ जीवन सिंघ)
बेई नदी में प्रवेश
”जीवन दस गुरु साहेब से ज्यों का त्यों सहाभार“
गुरु जी प्रत्येक प्रातः बेई नदी में जो कि शहर सुलतानपुर के पास ही बहती है, स्नान करने के लिए जाते थे। एक दिन जब आपने पानी में डुबकी लगाई तो फिर बाहर न आए। कुछ समय ऊपरान्त आप जी के सेवक ने, जो कपड़े पकड़ कर नदी के किनारे बैठा था, घर जाकर जै राम जी को खबर सुनाई कि नानक जी डूब गए हैं तो जै राम जी तैराकों को साथ लेकर नदी पर गए। आप जी को बहुत ढूंढा किन्तु आप नहीं मिले। बहुत देखने के पश्चात् सब लोग अपने अपने घर चले गए।
भाई जैराम जी के घर बहुत चिन्ता और दुःख प्रकट किया जा रहा था कि तीसरे दिन सवेरे ही एक स्नान करने वाले भक्त ने घर आकर बहिन जी को बताया कि आपका भाई नदी के किनारे बैठा है। यह सुनकर भाईआ जैराम जी बेई की तरफ दौड़ पड़े और जब जब पता चलता गया और बहुत से लोग भी वहाँ पहुँच गए। जब इस तरह आपके चारों तरफ लोगों की भीड़ लग गई आप जी चुपचाप अपनी दुकान पहुँच गए। आप जी के साथ स्त्राी और पुरूषों की भीड़ दुकान पर आने लगी। लोगों की भीड़ देख कर गुरु जी ने मोदीखाने का दरवाजा खोल दिया और कहा जिसको जिस चीज की जरूरत है वह उसे ले जाए। मोदीखाना लुटाने के पश्चात् गुरु जी फकीरी चोला पहन कर शमशानघाट में जा बैठे। मोदीखाना लुटाने और गुरु जी के चले जाने की खबर जब नवाब क�� लगी तो उसने मुंशी द्वारा मोदीखाने की किताबों का हिसाब जैराम को बुलाकर पड़ताल करवाया। हिसाब देखने के पश्चात् मुंशी ने बताया कि गुरु जी के सात सौ साठ रूपये सरकार की तरफ अधिक हैं। इस बात को सुनकर नवाब बहुत खुश हुआ। उसने गुरु जी को बुलाकर कहा कि उदास न हो। अपना फालतू पैसा और मेरे पास से ले कर मोदीखाने का काम जारी रखें। पर गुरु जी ने कहा अब हमने यह काम नहीं करना हमें कुछ और काम करने का भगवान् की तरफ से आदेश हुआ है। नवाब ने पूछा क्या आदेश हुआ है ? तब गुरु जी ने मूल-मंत्र उच्चारण किया।
1 ओंकार सतिनामु करता पुरखु निरभउ निरवैरू अकाल मूरति अजूनी सब गुरप्रसादि।
नवाब ने पूछा कि यह आदेश आपके भगवान् ने कब दिया ? गुरु जी ने बताया कि जब हम बेई में स्नान करने गए थे तो वहाँ से हम सच्चखण्ड अपने स्वामी के पास चले गए थे वहाँ हमें आदेश हुआ कि नानक जी यह मंत्र आप जपो और बाकियों को जपा कर कलयुग के लोगों को पार लगाओ। इसलिए अब हमें अपने मालिक के इस हुक्म की पालना करनी है। इस सन्दर्भ को भाई गुरदास जी वार 1 पउड़ी 24 में लिखते हैं--
बाबा पैधा सचखण्ड नउनिधि नाम गरीबी पाई।।
अर्थात्--बाबा नानक जी सचखण्ड गए। वहाँ आप को नौनिधियों का खजाना नाम और निर्भयता प्राप्त हुई। यहाँ बेई किनारे जहाँ गुरु जी बेई से बाहर निकल कर प्रकट हुए थे, गुरु द्वारा संत घाट अथवा गुरुद्वारा बेर साहिब, बहुत सुन्दर बना हुआ है। इस स्थान पर ही गुरु जी प्रातः स्नान करके कुछ समय के लिए भगवान् की तरफ ध्यान करके बैठते थे।
जीवन दस गुरु साहेब नामक पुस्तक से लेख समाप्त
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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pradeep-chauhan · 5 months ago
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart80 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart81
पराण संगली (पंजाबी लीपी में) संपादक: डाॅ. जगजीत सिह खानपुरी पब्लिकेशन ब्यूरो पंजाबी युनिवर्सिटी, पटियाला।
प्रकाशित सन् 1961 के पृष्ठ न. 399 से सहाभार
गोष्टी बाबे नानक और कबीर जी की (कबीर जी)उह गुरु जी चरनि लागि करवै, बीनती को पुन करीअहु देवा।अगम अपार अभै पद कहिए, सो पाईए कित सेवा।।मुहि समझाई कहहु गुरु पूरे, भिन्न-भिन्न अर्थ दिखावहु।जिह बिधि परम अभै पद पाईये, सा विधि मोहि बतावहु।मन बच करम कृपा करि दीजै, दीजै शब्द उचारं।।कहै कबीर सुनहु गुरु नानक, मैं दीजै शब्द बीचारं।।1।।(नानक जी)नानक कह सुनों कबीर जी, सिखिया एक हमारी।तन मन जीव ठौर कह ऐकै, सुंन लागवहु तारी।।करम अकरम दोऊँ तियागह, सहज कला विधि खेलहु।जागत कला रहु तुम निसदिन, सतगुरु कल मन मेलहु।।तजि माया र्निमायल होवहु, मन के तजहु विकारा।नानक कह सुनहु कबीर जी, इह विधि मिलहु अपारा।।2।।(कबीर जी)गुरु जी माया सबल निरबल जन तेरा, क्युं अस्थिर मन होई।काम क्रोध व्यापे मोकु, निस दिन सुरति निरत बुध खोई।।मन राखऊ तवु पवण सिधारे, पवण राख मन जाही।मन तन पवण जीवैं होई एकै, सा विधि देहु बुझााई।।3।।(नानक जी) दिृढ करि आसन बैठहु वाले, उनमनि ध्यान लगावहु।अलप-अहार खण्ड कर निन्द्रा, काम क्रोध उजावहु।।नौव दर पकड़ि सहज घट राखो, सुरति निरति रस उपजै।गुरु प्रसादी जुगति जीवु राखहु, इत मंथत साच निपजै।।4।।(कबीर जी) (कबीर कवन सुखम कवन स्थूल कवन डाल कवन है मूल)गुरु जी किया लै बैसऊ, किआ लेहहु उदासी।कवन अग्नि की धुणी तापऊ कवन मड़ी महि बासी।।5।।(नानक जी) (नानक ब्रह्म सुखम सुंन असथुल, मन है पवन डाल है मूल)करम लै सोवहु सुरति लै जागहु, ब्रह्म अग्नि ले तापहु।निस बासर तुम खोज खुजावहु, संुन मण्डल ले डूम बापहु।।6।।(सतगुरु कहै सुनहे रे चेला, ईह लछन परकासे)(गुरु प्रसादि सरब मैं पेखहु, सुंन मण्डल करि वासे)(कबीर जी) सुआमी जी जाई को कहै, ना जाई वहाँ क्या अचरज होई जाई।मन भै चक्र रहऊ मन पूरे, सा विध देहु बताई।।7।।(अपना अनभऊ कहऊ गुरु जी, परम ज्योति किऊं पाई।)(नानक जी) ससी अर चड़त देख तुम लागे, ऊहाँ कीटी भिरणा होता।नानक कह सुनहु कबीरा, इत बिध मिल परम तत जोता।।8।।(कबीर जी) धन धन धन गुरु नानक, जिन मोसो पतित उधारो।निर्मल जल बतलाइया मो कऊ, राम मिलावन हारो।।9।।(नानक जी) जब हम भक्त भए सुखदेवा, जनक विदेह किया गुरुदेवा।कलि महि जुलाहा नाम कबीरा, ढूंड थे चित भईआ न थीरा।।बहुत भांति कर सिमरन कीना, इहै मन चंचल तबहु न भिना।जब करि ज्ञान भए उदासी, तब न काटि कालहि फांसी।।जब हम हार परे सतिगुरु दुआरे, दे गुरु नाम दान लीए उधारे।।10।।(कबीर जी) सतगुरु पुरुख सतिगुरु पाईया, सतिनाम लै रिदै बसाईआ।जात कमीना जुलाहा अपराधि, गुरु कृपा ते भगति समाधी।।मुक्ति भइआ गुरु सतिगुरु बचनी, गईया सु सहसा पीरा।जुग नानक सतिगुरु जपीअ, कीट मुरीद कबीरा।।11।।सुनि उपदेश सम्पूर्ण सतगुरु का, मन महि भया अनंद।मुक्ति का दाता बाबा नानक, रिंचक रामानन्द।।12।
ऊपर लिखी वाणी ‘प्राण संगली‘ नामक पुस्तक से लिखी हैं। इसमें स्पष्ट लिखा है कि वाणी संख्या 9 तक दोहों में पूरी पंक्ति के अंतिम अक्षर मेल खाते हैं। परन्तु वाणी संख्या 10 की पाँच पंक्तियां तथा वाणी संख्या 11 की पहली दो पक्तियां चैपाई रूप में हैं तथा फिर दो पंक्तियां दोहा रूप में है तथा फिर वाणी संख्या 12 में केवल दो पंक्तियां हैं जो फिर दोहा रूप में है। इससे सिद्ध है कि वास्तविक वाणी को निकाला गया है जो वाणी कबीर साहेब जी के विषय में श्री नानक जी ने सतगुरु रूप में स्वीकार किया होगा। नहीं तो दोहों में चलती आ रही वाणी फिर चैपाईयों में नहीं लिखी जाती। फिर बाद में दोहों में लिखी है। यह सब जान-बूझ कर प्रमाण मिटाने के लिए किया है। वाणी संख्या 10 की पहली पंक्ति ‘जब हम भक्त भए सुखदेवा, जनक विदेही किया गुरुदेवा‘ स्पष्ट करती है कि श्री नानक जी कह रहे हैं कि मैं जनक रूप में था उस समय मेरा शिष्य (भक्त) श्री सुखदेव ऋषि हुए थे। इस वाणी संख्या 10 को नानक जी की ओर से कही मानी जानी चाहिए तो स्पष्ट है कि नानक जी कह रहे है कि मैं हार कर गुरू कबीर के चरणों में गिर गया उन्होंने नाम दान करके उद्धार किया। वास्तव में यह 10 नं. वाणी कही अन्य वाणी से है। यह पंक्ति भी परमेश्वर कबीर साहेब जी की ओर से वार्ता में लिख दिया है। क्योंकि परमेश्वर कबीर साहेब जी ने अपनी शक्ति से श्री नानक जी को पिछले जन्म की चेतना प्रदान की थी। तब नानक जी ने स्वीकार किया था कि वास्तव में मैं जनक था तथा उस समय सुखदेव मेरा भक्त हुआ था।
वाणी संख्या 11 में चार पंक्तियां हैं जबकि वाणी संख्या 10 में पाँच पंक्तियां लिखी हैं। वास्तव में प्रथम पंक्ति ‘जब हम भक्त भए सुखदेवा ... ‘ वाली में अन्य तीन पंक्तियां थी, जिनमें कबीर परमेश्वर को श्री नानक जी ने गुरु स्वीकार किया होगा। उन्हें जान बूझ कर निकाला गया लगता है।
वाणी संख्या 1 व 2 में 6.6 पंक्तियाँ है, वाणी संख्या 3 व 4 में 4.4 पंक्तियाँ, वाणी संख्या 5 व 6 में 3.3 पंक्तियाँ है, वाणी संख्या 7 में 4 पंक्तियाँ हैं, वाणी संख्या 8 में 3 पंक्तियाँ है, वाणी संख्या 9 में 2 पंक्तियाँ है, वाणी संख्या 10 में 5 पंक्तियाँ हैं, वाणी संख्या 11 में 4 पंक्तियाँ है तथा वाणी संख्या 12 में 2 पंक्तियाँ है। यदि ये वाणी पूरी होती तो सर्व वाणीयों (कलियों) में एक जैसी वाणी संख्या होती।
श्री नानक जी ने दोनों की वार्ता जो प्रभु कबीर जी से हुई थी, लिखी थी। परन्तु बाद में प्राण संगली तथा गुरु ग्रन्थ साहिब में उन वाणियों को छोड़ दिया गया जो कबीर परमेश्वर जी को श्री नानक जी का गुरुदेव सिद्ध करती थी। इसी का प्रमाण कृप्या निम्न देखें। दो शब्दों में प्रत्यक्ष प्रमाण है(श्री गुरू ग्रन्थ साहेब पृष्ठ 1189, 929, 930 पर)।
आगे श्री गुरु ग्रन्थ पृष्ठ नं. 1189
राग बसंत महला 1
चंचल चित न पावै पारा, आवत जात न लागै बारा।
दुख घणों मरीअै करतारा, बिन प्रीतम के कटै न सारा।।1।।
सब उत्तम किस आखवु हीना, हरि भक्ति सचनाम पतिना(रहावु)।
औखद कर थाकी बहुतेरे, किव दुख चुकै बिन गुरु मेरे।।
बिन हर भक्ति दुःख घणोरे, दुख सुख दाते ठाकुर मेरे।।2।।
रोग वडो किंवु बांधवु धिरा, रोग बुझै से काटै पीरा।
मैं अवगुण मन माहि सरीरा, ढुडत खोजत गुरिू मेले बीरा।।3।।
नोट:-- यहाँ पर स्पष्ट है कि अक्षर कबीरा की जगह ‘गुरु मेले बीरा‘ लिखा है। जबकि लिखना था ‘ढुंडत खोजत गुरि मेले कबीरा‘
गुरु का शब्द दास हर नावु, जिवै तू राखहि तिवै रहावु।
जग रोगी कह देखि दिखाऊ, हरि निमाईल निर्मल नावु।।4।।
घट में घर जो देख दिखावै, गुरु महली सो महलि बुलावै।
मन में मनुवा चित्त में चीता, अैसे हर के लोग अतीता।।5।।
हरख सोग ते रहैहि निरासा, अमृत चाख हरि नामि निवासा।।
आप पीछाणे रह लिव लागा, जनम जीति गुरुमति दुख भागा।।6।।
गुरु दिया सच अमृत पिवैऊ, सहज मखु जीवत ही जीवऊ।
अपणे करि राखहु गुरु भावै, तुमरो होई सु तुझहि समावै।।8।।
भोगी कऊ दुःख रोग बिआपै, घटि-घटि रवि रहिया प्रभु आपै।
सुख दुःख ही तै गुरु शब्द अतीता, नानक राम रमै हरि चीता।।9(4)।।
इस ऊपर के शब्द में प्रत्यक्ष प्रमाण है कि श्री नानक जी का कोई आकार रूप में गुरु था जिसने सच्चनाम (सतनाम) दिया तथा उस गुरुदेव को ढूंडते-खोजते काशी में कबीर गुरु मिला तथा वह सतनाम प्राणियों को कर्म-कष्ट रहित करता है तथा हरदम गुरु के वचन में रह कर गुरुदेव द्वारा दिए सत्यनाम (सच्चनाम) का जाप करते रहना चाहिए।
राग रामकली महला 1 दखणी आंैकार
गुरु ग्रन्थ पृष्ठ नं. 929.30
औंकार ब्रह्मा उत्पति। औंकार किया जिन चित।।
औंकार सैल जुग भए। औंकार वेद निरमए।।
औंकार शब्द उधरे। औंकार गुरु मुख तरे।।
ओंम अखर सुन हुँ विचार। ओम अखर त्रिभूवण सार।।
सुण पाण्डे किया लिखहु जंजाला, लिख राम नाम गुरु मुख गोपाला।।1।।रहाऊ।।
ससै सभ जग सहज उपाइया, तीन भवन इक जोती।
गुरु मुख वस्तु परापत होवै, चुण लै मानक मोती।।
समझै सुझै पड़ि-पड़ि बुझै अति निरंतर साचा।
गुरु मुख देखै साच समाले, बिन साचे जग काचा।।2।।
धधै धरम धरे धरमा पुरि गुण करी मन धीरा। {ग्रन्थ साहेब मंे एक ही पंक्ति है।}
यहाँ पंक्ति अधूरी(अपूर्ण) छोड़ रखी है। प्रत्येक पंक्ति में अंतिम अक्षर दो एक जैसे है। जैसे ऊपर लिखी वाणी में ‘‘ज्योति‘‘ फिर दूसरी में ‘‘मोती‘‘। फिर ‘‘साचा‘‘ दूसरी में ‘‘काचा‘‘। यहाँ पर ‘‘धीरा‘‘ अंतिम अक्षर वाली एक ही पंक्ति है। इसमें साहेब कबीर का नाम प्रत्यक्ष था जो कि मान वस होकर ग्रन्थ की छपाई करते समय निकाल दी गई है(छापाकारों ने काटा होगा, संत कभी ऐसी गलती नहीं करते) क्योंकि कबीर साहेब जुलाहा जाति में माने जाते हैं जो उस समय अछूत जानी जाती थी। कहीं गुरु नानक जी का अपमान न हो जाए कि एक जुलाहा नानक जी का पूज्य गुरु व भगवान था।
फिर प्रमाण है ‘‘राग बसंत महला पहला‘‘ पौड़ी नं. 3 आदि ग्रन्थ(पंजाबी) पृष्ठ नं. 1188
नानक हवमों शब्द जलाईया, सतगुरु साचे दरस दिखाईया।।
इस वाणी से भी अति स्पष्ट है कि नानक जी कह रहे हैं कि सत्यनाम (सत्यशब्द) से विकार-अहम्(अभिमान) जल गया तथा मुझे सच्चे सतगुरु ने दर्शन दिए अर्थात् मेरे गुरुदेव के दर्शन हुए। स्पष्ट है कि नानक जी को कोई सतगुरु आकार रूप में अवश्य मिला था। वह ऊपर तथा नीचे पूर्ण प्रमाणित है। स्वयं कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा(अकाल मूर्त) स्वयं सच्चखण्ड से तथा दूसरे रूप में काशी बनारस से आकर प्रत्यक्ष दर्शन देकर सच्चखण्ड (सत्यलोक) भ्रमण करवा के सच्चा नाम उपदेश काशी (बना���स) में प्रदान किया।
आदरणीय गरीबदास जी महाराज {गाँव-छुड़ानी, जिला-झज्जर(हरियाणा)} को भी परमेश्वर कबीर जिन्दा महात्मा के रूप में जंगल में मिले थे। इसी प्रकार सतलोक दिखा कर वापिस छोड़ा था। परमेश्वर ने बताया कि मैंने ही श्री नानक जी तथा श्री दादू जी को पार किया था। जब श्री नानक जी ने पूर्ण परमात्मा को सतलोक में भी देखा तथा फिर बनारस (काशी) में जुलाहे का कार्य करते देखा तब उमंग में भरकर कहा था ‘‘वाहेगुरु सत्यनाम‘‘ वाहेगुरु-वाहेगुरु तथा इसी उपरोक्त वाक्य का उच्चारण करते हुए काशी से वापिस आए। जिसको श्री नानक जी के अनुयाईयों ने जाप मंत्र रूप में जाप करना शुरु कर दिया कि यह पवित्र मंत्र श्री नानक जी के मुख कमल से निकला था, परन्तु वास्तविकता को न समझ सके। अब उन से कौन छुटाए, इस नाम के जाप को जो सही नहीं है। क्योंकि वास्तविक मंत्र को बोलकर नहीं सुनाया जाता। उसका सांकेतिक मंत्र ‘सत्यनाम‘ है तथा वाहे गुरु कबीर परमेश्वर को कहा है। इसी का प्रमाण संत गरीबदास साहेब ने अपने सतग्रन्थ साहेब में फुटकर साखी का अंग पृष्ठ न. 386 पर दिया है।
गरीब - झांखी देख कबीर की, नानक कीती वाह।
वाह सिक्खों के गल पड़ी, कौन छुटावै ताह।।
गरीब - हम सुलतानी नानक तारे, दादू कुं उपदेश दिया।
जाति जुलाहा भेद ना पाया, कांशी माहे कबीर हुआ।।
प्रमाण के लिए ‘‘जीवन दस गुरु साहिबान‘‘ पृष्ठ न. 42 से 44 तक (लेखक - सोढी तेजा सिंघ जी) - (प्रकाशक - चतर सिंघ जीवन सिंघ)
बेई नदी में प्रवेश
”जीवन दस गुरु साहेब से ज्यों का त्यों सहाभार“
गुरु जी प्रत्येक प्रातः बेई नदी में जो कि शहर सुलतानपुर के पास ही बहती है, स्नान करने के लिए जाते थे। एक दिन जब आपने पानी में डुबकी लगाई तो फिर बाहर न आए। कुछ समय ऊपरान्त आप जी के सेवक ने, जो कपड़े पकड़ कर नदी के किनारे बैठा था, घर जाकर जै राम जी को खबर सुनाई कि नानक जी डूब गए हैं तो जै राम जी तैराकों को साथ लेकर नदी पर गए। आप जी को बहुत ढूंढा किन्तु आप नहीं मिले। बहुत देखने के पश्चात् सब लोग अपने अपने घर चले गए।
भाई जैराम जी के घर बहुत चिन्ता और दुःख प्रकट किया जा रहा था कि तीसरे दिन सवेरे ही एक स्नान करने वाले भक्त ने घर आकर बहिन जी को बताया कि आपका भाई नदी के किनारे बैठा है। यह सुनकर भाईआ जैराम जी बेई की तरफ दौड़ पड़े और जब जब पता चलता गया और बहुत से लोग भी वहाँ पहुँच गए। जब इस तरह आपके चारों तरफ लोगों की भीड़ लग गई आप जी चुपचाप अपनी दुकान पहुँच गए। आप जी के साथ स्त्राी और पुरूषों की भीड़ दुकान पर आने लगी। लोगों की भीड़ देख कर गुरु जी ने मोदीखाने का दरवाजा खोल दिया और कहा जिसको जिस चीज की जरूरत है वह उसे ले जाए। मोदीखाना लुटाने के पश्चात् गुरु जी फकीरी चोला पहन कर शमशानघाट में जा बैठे। मोदीखाना लुटाने और गुरु जी के चले जाने की खबर जब नवाब को लगी तो उसने मुंशी द्वारा मोदीखाने की किताबों का हिसाब जैराम को बुलाकर पड़ताल करवाया। हिसाब देखने के पश्चात् मुंशी ने बताया कि गुरु जी के सात सौ साठ रूपये सरकार की तरफ अधिक हैं। इस बात को सुनकर नवाब बहुत खुश हुआ। उसने गुरु जी को बुलाकर कहा कि उदास न हो। अपना फालतू पैसा और मेरे पास से ले कर मोदीखाने का काम जारी रखें। पर गुरु जी ने कहा अब हमने यह काम नहीं करना हमें कुछ और काम करने का भगवान् की तरफ से आदेश हुआ है। नवाब ने पूछा क्या आदेश हुआ है ? तब गुरु जी ने मूल-मंत्र उच्चारण किया।
1 ओंकार सतिनामु करता पुरखु निरभउ निरवैरू अकाल मूरति अजूनी सब गुरप्रसादि।
नवाब ने पूछा कि यह आदेश आपके भगवान् ने कब दिया ? गुरु जी ने बताया कि जब हम बेई में स्नान करने गए थे तो वहाँ से हम सच्चखण्ड अपने स्वामी के पास चले गए थे वहाँ हमें आदेश हुआ कि नानक जी यह मंत्र आप जपो और बाकियों को जपा कर कलयुग के लोगों को पार लगाओ। इसलिए अब हमें अपने मालिक के इस हुक्म की पालना करनी है। इस सन्दर्भ को भाई गुरदास जी वार 1 पउड़ी 24 में लिखते हैं--
बाबा पैधा सचखण्ड नउनिधि नाम गरीबी पाई।।
अर्थात्--बाबा नानक जी सचखण्ड गए। वहाँ आप को नौनिधियों का खजाना नाम और निर्भयता प्राप्त हुई। यहाँ बेई किनारे जहाँ गुरु जी बेई से बाहर निकल कर प्रकट हुए थे, गुरु द्वारा संत घाट अथवा गुरुद्वारा बेर साहिब, बहुत सुन्दर बना हुआ है। इस स्थान पर ही गुरु जी प्रातः स्नान करके कुछ समय के लिए भगवान् की तरफ ध्यान करके बैठते थे।
जीवन दस गुरु साहेब नामक पुस्तक से लेख समाप्त
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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sohanrawatt · 10 months ago
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जैतून के पेड़ों की खेती से क्या लाभ होता है? इसे जानने के लिए उत्पादन तकनीक और वर्तमान बाजार का मूल्यांकन करें
राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्रों में, जहाँ जलवायु की कठिनाइयों के कारण पारंपरिक फसलों की खेती मुश्किल होती है, वहाँ जैतून की खेती किसानों के लिए एक बड़ी संभावना बन रही है। इसका कारण है कि यह फसल बंजर भूमि में भी अच्छी पैदावार कर रही है, जिससे किसानों को लाभ हो रहा है।
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जैतून, जिसे अंग्रेजी में ऑलिव कहा जाता है, राजस्थान के किसानों के लिए एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। यह फल विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में उपयोग किया जाता है, लेकिन जैतून का प्रमुख उपयोग तेल के रूप में होता है। इससे कुकिंग ऑयल और शिशुओं की मालिश के तेल के अलावा, यह ब्यूटी उत्पादों और दवाइयों में भी उपयोग होता है। इसलिए, इसकी बाजार में हमेशा मांग रहती है। जैतून का तेल महंगा होता है, इसलिए किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं जब वे इसे महंगे दर पर बेचते हैं।
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जैतून की खेती को बढ़ावा
जैतून की खेती से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार संभव है। इसलिए सरकार ने जैतून की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को केवल प्रेरित ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि पौधों की देखभाल और रखरखाव के लिए सब्सिडी भी प्रदान की जा रही है। हमारे देश में सबसे ज़्यादा जैतून राजस्थान में ही उगाया जाता है, क्योंकि यहां की जलवायु इसकी खेती के लिए उपयुक्त है। राजस्थान के बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू और जैसलमेर जिलों में इसकी खेती की जा रही है। जैतून का पौधा 3-10 मीटर या इससे अधिक ऊंचा भी हो सकता है।
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जैतून की खेती के लिए किस तरह की मिट्टी चाहिए?
जैतून की खेती के लिए वहाँ किसी ऐसी ज़मीन का चयन करें जहाँ पानी की निकासी अच्छी हो। यदि खेत पथरीला या छोटे-छोटे कंकड़ वाला हो, तो यह और भी अच्छा होगा। खेत की गहराई में कम से कम एक मीटर ऊंची चट्टान होनी चाहिए। इसकी खेती के लिए नरम और मजबूत मिट्टी का चयन करें। पौधों को रोपाई करते समय, 2 फीट ऊँचे और 2 फीट चौड़े मेड़ बनाएं।
मेड़ बनाने के लिए ट्रैक्टर की मदद ले सकते हैं। पौधों को रोपाई करने से पहले, एक गड्ढा खोदकर उसमें गोबर की खाद और दीमकरोधी दवा डालें और 3-4 दिनों के लिए छोड़ दें। इसके बाद, सवा फुट का एक और गड्ढा खोदें और उसमें जैतून का पौधा लगाएं। रोपाई के बाद, तुरंत सिंचाई करें और फिर खेत को ड्रिप आईरिगेशन सिस्टम से जोड़ें ताकि पौधों को नियमित जल प्राप्त हो सके। पौधों के बीच की दूरी को 4 मीटर और पंक्ति के बीच की दूरी को 7 मीटर रखें।
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rimaakter45 · 1 year ago
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नैतिक शाकाहारी भोजन: एक स्वस्थ, दयालु और अधिक टिकाऊ जीवन शैली
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परिचय:
हाल के वर्षों में, नैतिक शाकाहार ने महत्वपूर्ण आकर्षण प्राप्त किया है, और अच्छे कारण से। पशु कल्याण, मानव स्वास्थ्य और पर्यावरणीय स्थिरता के बारे में बढ़ती चिंताओं के साथ, बढ़ती संख्या में लोग नैतिक शाकाहारी जीवन शैली का विकल्प चुन रहे हैं। यह लेख की अवधारणा पर प्रकाश डालता हैनैतिक शाकाहारी भोजन, आम गलतफहमियों को दूर करते हुए जा��वरों, मानव स्वास्थ्य और ग्रह के लिए इसके लाभों की खोज करना।
पशु कल्याण
नैतिक शाकाहार के पीछे प्राथमिक प्रेरणा जानवरों को होने वाले नुकसान को कम करने की इच्छा है। नैतिक शाकाहारी मांस, डेयरी, अंडे और शहद सहित किसी भी पशु उत्पाद का सेवन करने से बचते हैं। इस जीवनशैली को अपनाकर, व्यक्तियों ने सक्रिय रूप से खाद्य उद्योग में जानवरों के शोषण को समाप्त कर दिया।
फैक्ट्री फार्मिंग, जहां जानवरों को भीड़भाड़, कैद और क्रूर प्रथाओं का शिकार बनाया जाता है, एक बड़ी चिंता का विषय है। नैतिक शाकाहारी इन उद्योगों से अपना समर्थन वापस लेने का विकल्प चुनते हैं, सक्रिय रूप से एक दयालु विकल्प को बढ़ावा देते हैं। पशु उत्पादों का बहिष्कार करके, नैतिक शाकाहारी लोग जानवरों की पीड़ा को कम करने में योगदान देते हैं, एक ऐसी दुनिया की वकालत करते हैं जो सभी संवेदनशील प्राणियों का सम्मान और महत्व करती है।
स्वास्थ्य सुविधाएं
आम धारणा के विपरीत, नैतिक शाकाहार कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने वाला सिद्ध हुआ है। एक सुनियोजित शाकाहारी आहार इष्टतम स्वास्थ्य के लिए आवश्यक सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान कर सकता है। शाकाहार व्यक्तियों को फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, नट्स और बीजों का सेवन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिसके परिणामस्वरूप पोषक तत्वों से भरपूर आहार मिलता है जिसमें संतृप्त वसा और कोलेस्ट्रॉल कम होता है।
अध्ययनों से लगातार पता चला है कि शाकाहारी लोगों में हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मोटापा और कुछ कैंसर की दर कम होती है। पौधे-आधारित आहार पाचन तंत्र पर भी हल्का होता है, जिससे ऊर्जा का स्तर बढ़ता है और समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है। इसके अलावा, पशु उत्पादों को खत्म करने से मांस और डेयरी उपभोग से जुड़ी खाद्य जनित बीमारियों का खतरा काफी कम हो जाता है।
पर्यावरणीय प्रभाव
पशु कृषि के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता। पशुधन खेती को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, वनों की कटाई, भूमि क्षरण, जल प्रदूषण और प्रजातियों के विलुप्त होने में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता के रूप में पहचाना गया है। नैतिक शाकाहारी जीवनशैली अपनाकर, व्यक्ति जलवायु परिवर्तन से निपटने और भावी पीढ़ियों के लिए ग्रह को संरक्षित करने में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं।
यह सिद्ध हो चुका है कि पशु उत्पादों से भरपूर आहार ��ी तुलना में पौधे आधारित आहार में कार्बन फुटप्रिंट कम होता है। कृषि पशुओं को खिलाने के लिए आवश्यक फसलों के लिए बड़ी मात्रा में भूमि और जल संसाधनों की आवश्यकता होती है, जिससे अंततः वनों की कटाई और पानी की कमी होती है। पौधों के स्रोतों से सीधे उपभोग करके, नैतिक शाकाहारी पानी के संरक्षण, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जैव विविधता की रक्षा करने में मदद करते हैं।
गलतफहमियों को दूर करना
नैतिक शाकाहार के पक्ष में ढेर सारे सबूत होने के बावजूद, कई गलतफहमियाँ बनी हुई हैं। शाकाहार के खिलाफ सबसे आम तर्कों में से एक यह धारणा है कि पौधे-आधारित आहार में आवश्यक पोषक तत्वों, विशेष रूप से प्रोटीन और विटामिन बी 12 की कमी होती है। हालाँकि, उचित योजना और ज्ञान के साथ, शाकाहारी लोग विभिन्न प्रकार के पौधों पर आधारित खाद्य पदार्थों को शामिल करके अपनी सभी पोषण संबंधी आवश्यकताओं को आसानी से पूरा कर सकते हैं।
यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि नैतिक शाकाहार प्रतिबंधात्मक भोजन या अभाव का पर्याय नहीं है। शाकाहार की बढ़ती लोकप्रियता के साथ, कई स्वादिष्ट पौधे-आधारित विकल्प सामने आए हैं, जो नैतिक शाकाहारियों को उनके मूल्यों से समझौता किए बिना, उन स्वादों और बनावटों का आनंद लेने की अनुमति देते हैं जो उन्हें हमेशा से पसंद रहे हैं।
निष्कर्ष:
नैतिक शाकाहार केवल एक आहार विकल्प से कहीं अधिक है; यह एक ऐसी जीवनशैली है जो करुणा, स्वास्थ्य और स्थिरता को बढ़ावा देती है। पशु कल्याण की रक्षा करके, व्यक्तिगत स्वास्थ्य में सुधार करके और पर्यावरणीय क्षति को कम करके, नैतिक शाकाहारी सक्रिय रूप से एक दयालु, स्वस्थ और अधिक टिकाऊ दुनिया के निर्माण में योगदान करते हैं। नैतिक शाकाहारी भोजन को अपनाने से न केवल व्यक्तियों बल्कि हमारे ग्रह के सामूहिक भविष्य की भी सेवा होती है।
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anjalibuildestate · 1 year ago
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6 तरीके जो आपको 2023 में जयपुर में अपना मनचाहा फ्लैट पाने में मदद कर सकते हैं
अधिकांश लोग जयपुर में उपयुक्त फ्लैट ढूंढने में असफल क्यों हो जाते हैं? भारत में सबसे तेजी से जनसंख्या वृद्धि देखने वाले प्रमुख शहरों में से एक जयपुर है, जिसे अक्सर "गुलाबी शहर" के रूप में जाना जाता है। यह शहर पहले से ही उत्तर भारत में रहने के लिए सबसे पसंदीदा स्थलों में से एक के रूप में स्थापित हो चुका है। साथ ही यह शहर देश के अन्य मुख्य महानगरीय केंद्रों की तुलना में कहीं अधिक सुरक्षित और कम अराजक है। स्मार्ट सिटी के रूप में पहचाने जाने के बाद, जयपुर ने स्थानीय रियल एस्टेट बाजार में महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित किया। इसके अलावा, स्टार्ट-अप इंडिया मिशन के लॉन्च के परिणामस्वरूप यह आईटी और आईटी से संबंधित सेवा फर्मों के लिए एक केंद्र बन गया है। इस तथ्य के कारण, जयपुर में सही लक्जरी अपार्टमेंट या किसी की व्यक्तिगत मांगों के आधार पर फ्लैट चुनना मुश्किल है।
इससे पहले कि आप जयपुर में एक फ्लैट/अपार्टमेंट खरीदने का निर्णय लें, हमने आपके लिए आवश्यक आवश्यक जानकारी की एक चेकलिस्ट तैयार की है: -
1. किसी प्रतिष्ठित बिल्डर्स से संपत्ति खरीदना
अधिकांश समय, सम्मानित रियल एस्टेट डेवलपर्स के पास अनुभव का एक लंबा इतिहास और साथ ही सफलता की निरंतर दर होती है। आपको निर्माण की गुणवत्ता के बारे में चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है, और हम वादा करते हैं कि आपको अपना नया घर समय पर मिले��ा। इसके अलावा, अच्छी तरह से स्थापित रियल एस्टेट फर्मों के घरों के खरीदारों को अपनी खरीदारी करते समय आधुनिक सुविधाओं जैसे अतिरिक्त लाभों तक पहुंच प्राप्त होती है।
2. स्थान
आपका जीवन स्तर न केवल घर के स्थान से बल्कि उसके वर्तमान बाजार मूल्य से भी प्रभावित होता है। बाजार की अप्रत्याशितता के संदर्भ में, समृद्ध आवासीय क्षेत्रों में स्थित फ्लैट बेहतर कनेक्शन और उच्च स्तर की सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसके अलावा, संपत्ति के करीब स्थित स्थानीय बुनियादी ढांचे का इसके वर्तमान बाजार मूल्य और इसके संभावित भविष्य के बाजार मूल्य दोनों पर पर्याप्त प्रभाव पड़ता है। इसलिए, किसी संपत्ति के निवेश पर रिटर्न पर विचार करते समय स्थान सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है।
3. कानूनी जांच
सुनिश्चित करें कि आपके अपार्टमेंट/फ़्लैट को ज़मीन पर खड़ा होने के लिए अधिकृत किया गया है और उसके पास ऐसा करने के लिए उचित अनुमति है। यानी, क्या डेवलपर के पास जल आपूर्ति, सीवेज बोर्ड, बिजली बोर्ड आदि के लिए नगर निगम के साथ-साथ अन्य स्थानीय विकास संगठनों से आवश्यक अनुमोदन और अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) हैं।
4. सुपर बिल्ट-अप एरिया को जानें
सुपर बिल्ट-अप क्षेत्र, जिसे अक्सर ब्रोशर में शामिल किया जाता है, में सीढ़ियां, दीवार की मोटाई, लिफ्ट में जगह, लॉबी में जगह इत्यादि शामिल हैं। परिणामस्वरूप, अपार्टमेंट का सुपर बिल्ट-अप क्षेत्र इकाई के वास्तविक कालीन वाले स्थान से लगभग 30 प्रतिशत बड़ा है। अपने सपनों का घर खरीदने से पहले, सुनिश्चित करें कि आप आस-पड़ोस के बारे में अच्छी तरह से जांच-पड़ताल कर लें।
5. जयपुर में फ्लैटों की निर्माण गुणवत्ता
आप यह सुनिश्चित करने के लिए बिल्डर से संरचनात्मक इंजीनियर द्वारा दिए गए संरचनात्मक स्थिरता प्रमाणपत्र की एक प्रति मांग सकते हैं कि इमारत की योजना बनाई गई थी और उसका निर्माण अनुमानित भार के अनुसार किया गया था। भूमि की प्रकृति, जिसमें पहुंच मार्ग के ऊपर भूमि की ऊंचाई, समुद्र तल या नदी स्तर से ऊपर भूमि की ऊंचाई और उच्चतम बाढ़ स्तर से भूमि की ऊंचाई शामिल है, का मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
6. संपत्ति के मूल्य में वृद्धि
रियल एस्टेट जयपुर के कुछ निवेशों में से एक है जो मुद्रास्फीति की दर से अधिक रिटर्न प्रदान कर सकता है। इस संबंध में मूल्य वृद्धि में बुनियादी ढांचे का विकास एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोई भी नया कनेक्शन, परिवहन, सड़क या पारगमन केंद्र एक विकास चालक के रूप में काम करेगा, क्योंकि यह अनुमान है कि वे अधिक लोगों को आकर्षित करेंगे और बदले में मांग में वृद्धि करेंगे। किसी आवासीय संपत्ति का आसपास और साइट पर बुनियादी ढांचा इसके वर्तमान और भविष्य के मूल्य ��ो निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पूछे जाने वाले प्रश्न
1. क्या अब जयपुर में अपार्टमेंट खरीदने का अच्छा समय है?
मेट्रो द्वारा प्रदान की गई निर्बाध कनेक्टिविटी, तेजी से बढ़ते विशेष आर्थिक क्षेत्र, और पर्यटन से संबंधित व्यवसायों, जैसे गेस्ट हाउस, किराए के अपार्टमेंट, बिस्तर और नाश्ता, आदि की विशाल विकास क्षमता, सभी संकेत देते हैं कि वर्तमान क्षण आदर्श है जयपुर में संपत्ति या लक्जरी फ्लैट खरीदने का समय आ गया है। इसके अलावा, जयपुर में कई रियल एस्टेट डेवलपर्स घर खरीदारों को जयपुर में अपार्टमेंट पर आकर्षक सौदे प्रदान कर रहे हैं; इसलिए, यह एक मौका है जिसे चूकना नहीं चाहिए।
2. क्या जयपुर में संपत्ति की कीमतें बढ़ने वाली हैं?
कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर कंस्ट्रक्शन कंपनियों के प्रॉफिट मार्जिन पर पड़ा है. ऐसी संभावना है कि बिल्डरों को निर्माण खर्च में 12% की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। साथ ही श्रम लागत में भी लगभग 20% की वृद्धि हुई।
3. जयपुर फ्लैट खरीदने के लिए अधिक लोकप्रिय क्यों हो रहा है?
स्मार्ट सिटी के रूप में पहचाने जाने के बाद, जयपुर ने स्थानीय रियल एस्टेट बाजार में महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित किया। इसके साथ में शहर के उच्च-स्तरीय वाणिज्यिक और अवकाश केंद्र, सूचना प्रौद्योगिकी पार्क, स्कूल, विश्वविद्यालय, किराना दुकानें, अस्पताल, मॉल, पार्क, थिएटर और अन्य सार्वजनिक स्थान सभी शहर के उत्कृष्ट जीवन स्तर में योगदान करते हैं।इसलिए, यह शहर पहले से ही उत्तर भारत में रहने के लिए सबसे वांछित स्थलों में से एक और जयपुर में फ्लैट खरीदने के लिए एक आदर्श स्थान के रूप में स्थापित हो चुका है।
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bihar-teacher · 2 years ago
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airnews-arngbad · 2 years ago
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Regional Marathi Text Bulletin, Aurangabad
Date – 09 June 2023
Time 7.10 AM to 7.25 AM
Language Marathi
आकाशवाणी औरंगाबाद
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक ०९ जून २०२३ सकाळी ७.१० मि.****
प्राथमिक कृषी पतसंस्थांना प्रधानमंत्री किसान समृद्धी केंद्राच्या कक्षेत आणण्याचा केंद्र सरकारचा निर्णय   
रिजर्व्ह बँकेकडून व्याजदर जैसे थे;दोन हजाराच्या पन्नास टक्के नोटा बँकांमध्ये जमा
राज्यातल्या सर्व शासकीय वसतिगृहांच्या सुरक्षेचा आढावा घेण्यासाठी, उच्चस्तरीय समिती स्थापन
मराठवाडा मुक्तिसंग्रामाच्या अमृत महोत्सवी वर्षानिमित्त औरंगाबाद इथं स्मृती स्मारक उभारण्यात येणार
जालन्यात दोन कृषीसेवा केंद्राचे परवाने रद्द तर ३७ केंद्रांना विक्री बंद ठेवण्याचे आदेश
मराठवाड्यातल्या मोठ्या अकरा जल प्रकल्पांत सुमारे ३९ टक्के पाणी शिल्लक
आणि
नैऋत्य मोसमी पाऊस केरळमध्ये दाखल
****
प्राथमिक कृषी पतसंस्थांना प्रधानमंत्री किसान समृद्धी केंद्राच्या कक्षेत आणण्याचा निर्णय केंद्र सरकारनं घेतला आहे. नवी दिल्ली इथं केंद्रीय सहकार मंत्री अमित शहा आणि रसायने आणि खते मंत्री मनसुख मांडविया यांच्यासोबत झालेल्या बैठकीत सहकार मंत्रालयानं हा निर्णय घेतला.
देशभरातल्या सुमारे एक लाख प्राथमिक कृषी पतसंस्थांना, सेंद्रिय खतांच्या विपणनाशी जोडण्याचा निर्णयही, यावेळी घेण्यात आला. खत विभागाच्या बाजार विकास सहाय्य योजनेंतर्गत, खत कंपन्या अंतिम उत्पादनाची विक्री कर��्यासाठी, लहान जैव-सेंद्रिय उत्पादकांसाठी एकत्रितरित्या काम करतील. प्राथमिक कृषी पतसंस्था खते आणि कीटकनाशकांच्या फवारणीसाठी ड्रोन उद्योजक म्हणूनही काम करू शकतील. या निर्णयांमुळे प्राथमिक कृषी पतसंस्थांचे उत्पन्न वाढेल, तसंच ग्रामीण भागात रोजगाराच्या संधी वाढतील असंही मंत्रालयानं सांगितलं आहे.
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देशात महिलांच्या सुरक्षेसाठी आणखी ३०० वनस्टॉप केंद्र स्थापन करण्यासाठी केंद्र सरकारनं मंजुरी दिली आहे. केंद्रीय मंत्री स्मृती इराणी यांनी काल नवी दिल्ली इथं वार्ताहर परिषदेत ही माहिती दिली. या वनस्टॉप केंद्रात हिंसेशी संबंधित प्रकरणात महिलांना उपचारात मदत, कायदेशीर सहकार्य, इतर मार्गदर्शन आणि तात्पुरता आसरा देण्याची सोय आहे. यासंदर्भात अधिक माहिती देताना इराणी म्हणाल्या:
‘‘प्रधानमंत्रीजी ने आदेश दिया की देश के हर जिले मे महिला संरक्षण के लिये वन स्टॉप सेंटर बने। आठ सौ एक सेंटर्स भारत सरकार ने अप्रुव्ह किये। वर्तमान मे सात सौ पैंतीस सेंटर्स देश मे फंक्शनल है। प्रदेशो से मांग आई की जहां जहां जिस जिले की आबादी ज्यादा है या जहां पर महिला के खिलाफ वारदातें ज्यादा है वहां पर वन स्टॉप सेंटर की संख्या बढाई जायें। तो अब तीन सौ और सेंटर्स खोलने का बजट भारत सरकार ने सुनिश्चित कर दिया है।’’
गेल्या नऊ वर्षात केंद्र सरकारने महिलांसाठी केलेल्या विविध योजनांची माहितीही इराणी यांनी यावेळी दिली. देशात ३४ हून अधिक महिला हेल्पलाईन कार्यरत असल्याचं त्यांनी सांगितलं. अंगणवाड्यांमध्येही अनेक सुधारणा करण्यात आल्या असून, तंत्रज्ञानाचा वापर मोठ्या प्रमाणात होत असल्याचं त्या म्हणाल्या. अंगणवाड्यांमध्ये पोषण ट्रॅकर बसवण्यात आले असून, या माध्यमातून सहा कोटीहून अधिक मुलांची माहिती संकलित झाल्याचं त्यांनी सांगितलं. देशात तीन कोटी ३२ लाख महिलांनी प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजनेचा लाभ घेतला असल्याची माहिती इराणी यांनी दिली.
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भारतीय रिझर्व्ह बँकेनं रेपो दर सहा पूर्णांक पाच टक्के कायम ठेवला आहे. बँकेच्या मुंबईत झालेल्या पतधोरण समितीच्या बैठकीनंतर गव्हर्नर शक्तिकांत दास यांनी, द्वैमासिक आर्थिक पतधोरण जाहीर केलं. व्याज दरात कोणताही बदल करण्यात आलेला नसल्याची माहिती, दास यांनी दिली.
दरम्यान, देशभरातून नागरिकांनी दोन हजार रुपयांच्या सुमारे ५० टक्के नोटा जमा केल्या, तसंच अन्य चलनात बदलून घेतल्या असल्याचं, गव्हर्नर शक्तिकांत दास यांनी सांगितलं. सुमारे तीन लाख ६२ हजार कोटी रुपये मुल्याच��या दोन हजार रुपयांच्या नोटा वापरात होत्या, त्यापैकी एक लाख ८० हजार कोटी रुपशे मुल्याच्या नोटा जमा करण्यात आल्या, तसंच बदलण्यात आल्या आहेत.
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अवसायनात गेलेल्या वसंतदादा शेतकरी सहकारी बँकेतल्या ठेवीदारांना त्यांच्या ठेवी प्राधान्यानं द्याव्यात, असे निर्देश, सहकार मंत्री अतुल सावे यांनी दिले आहेत. काल मुंबईत यासंदर्भातल्या बैठकीत ते बोलत होते. एक लाख ते पाच लाख रुपयांपर्यंतच्या ठेव रकमांची निश्चिती करुन, त्या तत्काळ परत करण्याचं प्रमाण निश्चित करावं, असंही त्यांनी सांगितलं. सहकार आयुक्त स्तरावर दरमहा बँकेच्या कर्ज वसुली आणि ठेवी परत करण्याबाबत बैठक घेऊन कार्यवाही करावी, आणि याबाबत कृती आराखडा तयार करून एक रकमी परतफेड योजनेला मान्यता देऊन कर्जवसुली करावी, अशा सूचनाही सावे यांनी केल्या आहेत.
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मुंबईच्या सावित्री देवी फुले शासकिय वसतिगृहात १८ वर्षीय विद्यार्थीनीवर झालेल्या कथित लैगिंक अत्याचार आणि हत्या प्रकरणाच्या पार्श्वभूमीवर, उच्च आणि तंत्र शिक्षण विभागाच्या अखत्यारितल्या राज्यातल्या सर्व शासकिय वसतिगृहांच्या सुरक्षेचा आढावा घेण्यासाठी, उच्चस्तरीय समितीची स्थापना करण्यात आली आहे. यासंदर्भातलं परिपत्रक राज्य शासनानं काल जारी केलं. शासकीय वसतीगृहांचा आढावा संबंधित प्राचार्य, वसतीगृह प्रमुख अधिक्षक यांच्याकडून घेऊन, सूचवलेल्या मुद्द्यांवर उपाययोजना करणं, आणि त्यासंदर्भात कालबद्ध कार्यक्रम तयार करण्याचं काम ही समिती करेल. या समितीला त्यांचा अहवाल १४ जून पर्यंत शासनाला सादर करायचा आहे.
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औरंगाबादच्या डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विद्यापीठाच्या पदवी अभ्यासक्रमांच्या परीक्षांचे निकाल काल जाहीर झाले. विद्यापीठाच्या परीक्षा आणि मूल्यमापन मंडळाच्या संचालक डॉ. भारती गवळी यांनी ही माहिती दिली. मार्च- एप्रिलमध्ये घेण्यात आलेल्या बी.ए, बी.एस्सी, बी.कॉम अभ्यासक्रमांसह, उर्वरित अभ्यासक्रमांचे निकालही काल घोषित करण्यात आले.
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नाशिक इथून पंढरपूरला जाण्यासाठी आज सायकल वारी निघणार आहे. राज्यातून पाच हजार सायकलपटू या वारीत सहभागी होतील, असं नाशिक जिल्हा सायकल संघटनेनं म्हटलं आहे. हे सायकलपटू आपल्या वारी मार्गात पर्यावरणाच्या दृष्टीनं संदेश देणार असून, पथनाट्य सादर करणार आहेत. पंढरपूर इथं सायकलपटू पंढरपूर नगरीची प्रदक्षिणा करुन रेल्वे मैदानावर रिंगण करतील. याच ठिकाणी त्यांचं संमेलन देखील होणार आहे. सायकल संघटनेच्या महासंघाची यावेळी स्थापना करण्यात येईल, असं संघटनेनं कळवलं आहे.
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श्री ज्ञानेश्वर महाराज पालखी सोहळा येत्या १८ ते २३ जून या कालावधीत सातारा जिल्ह्यातून पंढरपूरकडे मार्गस्थ होणार आहे. महसूलमंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील यांनी काल जिल्ह्यात लोणंद पालखीतळ आणि फलटण पालखी तळाची पाहणी केली. या कालावधीत जिल्हा प्रशासनानं वारकरी आणि भाविकांना आवश्यक त्या सोयी सुविधा उपलब्ध करून देण्याची सूचना विखे पाटील यांनी केली. 
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केंद्र सरकारच्या नऊ वर्षपूर्ती निमित्त भारतीय जनता पक्षाच्या वतीनं राबवण्यात येत असलेल्या “संवाद से संपर्क” अभियानाअंतर्गत, केंद्रीय अर्थ राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड यांनी काल औरंगाबाद इथं, समाजातल्या विविध घटकांशी संवाद साधला. केंद्र सरकारनं गेल्या नऊ वर्षाच्या कालावधीत केलेल्या लोक कल्याणकारी योजनांची, तसंच भारतीय अर्थव्यवस्था, गरीब कल्याण योजनांची माहितीही कराड यांनी यावेळी दिली.
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मराठवाडा मुक्तिसंग्रामाच्या अमृत महोत्सवी वर्षानिमित्त औरंगाबाद शहरात मध्यवर्ती ठिकाणी भव्य स्मृती स्मारक उभारण्यात येणार असल्याचं, पालकमंत्री संदिपान भुमरे यांनी सांगितलं आहे. औरंगाबाद इथं मराठवाडा मुक्तीसंग्राम अमृत महोत्सवी वर्षानिमित्त मंत्रीमंडळ उप समितीच्या बैठकीत ते काल बोलत होते. अंदाजे शंभर कोटी रूपये खर्चून उभारण्यात येणाऱ्या या स्मारकाचं काम दोन वर्षात पूर्ण होईल, असं त्यांनी सांगितलं. यामध्ये सांस्कृतिक सभागृह, प्रदर्शन हॉल, ग्रामीण कला, मराठवाडा ���ुक्ती संग्रामातल्या आठवणी, इतिहास, ग्रंथालय यासह सर्वच सुविधा असतील, अशी माहिती त्यांनी दिली.
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उद्योगमंत्री उदय सामंत यांनी काल नांदेड विमानतळाच्या सोयी सुविधांचा आढावा घेतला. या विमानतळाच्या सोयी-सुविधांबाबत गेल्या अनेक महिन्यांपासून सर्व स्तरातून तक्रारी येत आहेत. मोठ्या संख्येने विमान प्रवासी असूनही विमानतळाच्या कुशल व्यवस्थापना अभावी प्रवासी विमान सुविधा बंद पडल्याचं सामंत यावेळी म्हणाले. हे विमानतळ चालवणाऱ्या एजन्सीने यात तात्काळ सुधारणा केल्या नाहीत तर इतर विमानतळाच्या धर्तीवर नांदेड विमानतळ उद्योग विभागातर्फे येत्या तीन महिन्यात सुरु करू, अशी घोषणा सामंत यांनी यावेळी केली.
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शिवसेना शिंदे गटाचे आमदार संजय शिरसाट यांना अब्रुनुकसानीच्या दाव्याप्रकरणी पुण्यातल्या शिवाजीनगर न्यायालयानं समन्स बजावलं आहे. याअंतर्गत त्यांना येत्या १३ जुलैला न्यायालयात हजर राहण्याचे आदेश देण्यात आले आहेत. शिवसेना ठाकरे गटाच्या नेत्या सुषमा अंधारे यांनी शिरसाट यांच्याविरुद्ध शिवाजीनगर जिल्हा सत्र न्यायालयात दिवाणी आणि फौजदारी स्वरुपाचा दावा दाखल केला होता. अंधारे यांच्याबद्दल वादग्रस्त वक्तव्य केल्या प्रकरणाच्या आरोपात शिरसाट यांची पोलीस उपायुक्त दर्जाच्या अधिकाऱ्यांकडून चौकशी करण्यात आली होती. त्यात त्यांना निर्दोष ठरवण्यात आल��� होतं.
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शिवसेनेच्या औरंगाबाद शाखेचा ३८ वा वर्धापन दिन काल विविध उपक्रमांनी साजरा झाला. पक्षाच्या शिवसेना उद्धव बाळासाहेब ठाकरे गटाच्या वतीनं, काल खासदार संजय राऊत यांच्या प्रमुख उपस्थितीत, औरंगाबाद इथं मेळावा घेण्यात आला. विधान परिषदेचे विरोधी पक्ष नेते अंबादास दानवे, माजी खासदार चंद्रकांत खैरे यावेळी उपस्थित होते.
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जालना जिल्हा कृषी विभागानं दोन कृषीसेवा केंद्राचे परवाने रद्द केले असून, ३७ कृषीसेवा केंद्र चालकांना तात्पुरती विक्री बंद ठेवण्याचे आदेश दिले आहेत. कापसाच्या बियाणांच्या विशिष्ट वाणांची चढ्या दरानं होत असलेली विक्री आणि खरेदी-विक्रीच्या नोंदीत तफावत आढळल्यानं ही कारवाई करण्यात आल्याची माहिती, जिल्हा कृषी अधिकारी गुणवंत कापसे यांनी दिली. तक्रारी प्राप्त झाल्यानंतर आता जिल्ह्यात कापसाच्या वाणांची विक्री कृषी विभागातल्या कर्मचाऱ्यांच्या उपस्थितीत करण्यात येत आहे. शेतकऱ्यांनी कापसाच्या बियाणांच्या विशिष्ट वाणाचा आग्रह धरू नये, असं आवाहन जिल्हा कृषी विभागानं केलं आहे.
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औरंगाबाद शहरातल्या बाजारपेठ, हॉटेल्स, बार रात्री साडे बारा वाजेपर्यंत सुरू ठेऊ द्यावेत, अशी मागणी जिल्हा व्यापारी महासंघ आणि हॉटेल व्यावसायिक संघटनेच्या पदाधिकाऱ्यांनी केली आहे. यासंदर्भात त्यांनी काल पोलिस आयुक्त मनोज लोहिया यांनी भेट घेतली. पर्यटन नगरी असणाऱ्या औरंगाबाद शहरामध्ये पर्यटकांची गैरसोय होऊ नये यासाठी हा बदल करण्याची मागणी व्यापाऱ्यांनी केली आहे.
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मराठवाड्यातल्या मोठ्या अकरा जल प्रकल्पांची एकूण पाणी पातळी ३८ पूर्णांक ९६ टक्के इतकी आहे. जलसंपदा विभागाच्या गोदावरी मराठवाडा पाटबंधारे महामंडळानं, काल ही माहिती दिली. जायकवाडी धरणात सध्या ३४ पूर्णांक ५६ टक्के पाणीसाठा आहे. निम्न दुधना धरणात २९ पूर्णांक ७६ टक्के, येलदरी ५७ टक्के, माजलगाव २३ पूर्णांक २३ टक्के, मांजरा २४ पूर्णांक ३३ टक्के, पैनगंगा ४७ पूर्णांक १८ टक्के आणि विष्णुपूरी धरणात, ५१ पूर्णांक ४९ टक्के पाणीसाठी शिल्लक असल्याचं महामंडळानं सांगितलं आहे.
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नैऋत्य मोसमी पावसाचं केरळमध्ये आगमन झालं आहे. भारतीय हवामान खात्यानं काल याबाबत अधिकृत घोषणा केली. केरळच्या बहुतांश भागात काल सकाळपासून पावसाला सुरुवात झाली. मोसमी पावसाला यंदा केरळमध्ये पोहोचण्यास तब्बल सात दिवस उशीर झाला आहे. तळकोकणात १६ जून किंवा त्यानंतरच पाऊस दाखल होईल, असा अंदाज हवामान खात्यानं वर्तवला आहे. दरम्यान, अरबी समुद्रात बिपरजॉय चक्रीवादळ काल अजून तीव्र झालं आहे. येत्या तीन दिवसांत ते उत्तरकडे सरकणार आहे. मराठवाड्यासह कोकण, मध्य महाराष्ट्र आणि विदर्भात तुरळक ठिकाणी उद्यापासून तीन दिवस वादळी वाऱ्यासह ��ध्यम ते हलका पाऊस पडण्याचा इशारा हवामान विभागानं दिला आहे.
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हिंगोली जिल्ह्यात अनेक भागात काल पूर्वमोसमी पाऊस झाला. कळमनुरी तालुक्यातल्या वरूड, वारंगा फाटा, सुकळीवीर, जवळा पांचाळ, डोंगरकडा या भागात सायंकाळी चार वाजण्याच्या सुमारास वादळी वाऱ्यासह पाऊस झाला. हिंगोली तालुक्यातल्या राहोली परिसरात वीज पडून एक बैल जोडी दगावली.
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इंग्लंड इथं सुरु असलेल्या क्रिकेट विश्वचषक कसोटी स्पर्धेच्या अंतिम सामन्यात कालच्या दुसऱ्या दिवस अखेर भारताच्या पहिल्या डावात पाच बाद १५१ धावा झाल्या. अजिंक्य रहाणे २९, तर के एस भरत पाच धावांवर खेळत आहे. तत्पूर्वी ऑस्ट्रेलियाचा पहिला डाव ४६९ धावांवर संपुष्टात आला. मोहम्मद सिराजनं चार, शार्दुल ठाकूर आणि मोहम्मद शमीनं प्रत्येकी दोन गडी बाद केले. भारत सध्या ३१८ धावांनी पिछाडीवर आहे.
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औरंगाबाद शहरात गरवारे स्टेडियम इथल्या सुमारे २७ एकर जागेवर आंतरराष्ट्रीय दर्जाचं क्रिकेट स्टेडियम उभारण्याचा महानगरपालिकेचा मानस असल्याचं, महानगरपालिका आयुक्त तथा प्रशासक जी श्रीकांत यांनी सांगितलं. आम्हाला खेळू द्या, या संकल्पनेतून लहान मुलांसाठी खुल्या जागा आणि मैदानं, लोकसहभागातून विकसित करण्यात येणार आहे, यासंदर्भात काल झालेल्या बैठकीत ते बोलत होते. शहरातल्या खुल्या जागा नागरिकांना दत्तक देण्यासाठी महानगरपालिका एक धोरण तयार करणार असल्याचं आयुक्तांनी सांगितलं.
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उस्मानाबाद जिल्हा परिषदेचे मुख्य कार्यकारी अधिकारी राहुल गुप्ता यांनी काल बालविवाह निर्मुलन जिल्हा कृती दलाची बैठक घेतली. जिल्ह्यातले बालविवाह रोखण्यासाठी पोलीस विभाग, बाल संरक्षण विभाग तसंच शिक्षण विभागाने सजग राहणं आवश्यक असल्याचं ते म्हणाले. प्रधानमंत्री मातृवंदन योजनेसाठी अल्पवयीन लाभार्थीची नोंद झाल्यास बालविवाह प्रतिबंधक अधिनियमाअंतर्गत गुन्हा नोंद करावा, अशा सूचनाही त्यांनी दिली.
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परभणी जिल्ह्यात अंमली पदार्थ तसंच अवैध मद्य विक्री करणाऱ्यांविरोधात दंडात्मक कारवाई करण्याची सूचना पोलिस अधीक्षक रागसुधा आर. यांनी केली आहे. जिल्हास्तरीय अंमली पदार्थ विरोधी समितीच्या बैठकीत त्या काल बोलत होत्या. जिल्ह्यात काही ठिकाणी प्रतिबंधित अंमली पदार्थ आणि गुटखा, अवैध मद्यविक्री होत असल्याचं निदर्शनास आल्याच्या पार्श्वभूमीवर त्यांनी हे निर्देश दिले.
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nidarchhattisgarh · 2 years ago
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फूड इंस्पेक्टर को नोटिस, जमा करनी होगी 53,092 की राशि..
NCG NEWS DESK  कांकेर : डैम में गिरे मोबाइल को निकलने के लिए लाखों लीटर पानी बहाने वाले फूड इंस्पेक्टर राजेश विश्वास को रिकवरी का नोटिस जारी किया गया है. बिना अनुमति 4104 घन मीटर पानी निकाला गया था. विभागीय जल दर के अनुसार ये रिकवरी 53,092 रुपये की होगी. नोटिस में 10 दिन के भीतर राशि जमा करनी होगी. जल संसाधन उप संभाग कापसी ने जारी किया है रिकवरी का नोटिस जारी किया है| आपको बता दें कि पंखाजूर फूड…
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dainiksamachar · 2 years ago
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भारत से लेकर अफ्रीका तक जानलेवा हुआ मौसम, 2 करोड़ लोग भुखमरी के शिकार, 80 लाख बेघर
सीमा जावेद, लंदन: द स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022 नाम की विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन का कहर थम नहीं रहा है। चाहे वह पहाड़ की ऊंची ऊंची चोटियां हो या समुद्र की गहराइयां, कुछ भी इससे अनछुआ नहीं बचा है। अफ्रीका में इसकी वजह से भूखमरी की स्थिति है तो वहीं कई लोग बेघर तक हो गए हैं। पाकिस्‍तान में भी विनाशकारी बाढ़ ने देश के अस्तित्‍व पर संकट पैदा कर दिया है। भारत से लेकर यूरोप और अमेरिका तक अब ग्‍लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन का व्‍यापक असर देखने को मिल रहा है। ऐसे में विशेषज्ञों की तरफ से अब कई तरह की चिंताएं तो जताई जा ही रहीं हैं साथ ही साथ चेतावनी भी दी गई है। भुखमरी के हालात सूखे ने पूर्वी अफ्रीका को पिछले पांच सालों से जकड़ लिया है। इसके चलते वहां के 20 मिलियन से ज्‍यादा लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। पिछले साल जुलाई और अगस्त में रिकॉर्ड तोड़ बारिश ने पाकिस्तान में बाढ़ ला दी और 1,700 से अधिक मौतें हुईं। इसके चलते आठ मिलियन लोग बेघर हो गए। जून के मध्य से अगस्त के अंत तक चीन में रिकॉर्ड तोड़ सबसे व्यापक और लंबे समय तक चलने वाली हीटवेव रही। वहीं गर्मियों के दौरान रिकॉर्ड तोड़ लू ने यूरोप को प्रभावित किया। यूरोप में 15000 से ज्‍यादा लोग गर्मी से की वजह से मारे गए। इनमें स्पेन, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस और पुर्तगाल के लोग शामिल थे। इसकी वजह से भारत में फिलहाल हीटवेव अपनी आवृत्ति, तीव्रता, और घातकता में बढ़ रही है जो हमारे सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि, और सामाजिक-आर्थिक प्रणालियों पर बोझ डाल रही है। भारत पर भी असर डालेगी गर्मी पीएलओएस क्लाइमेट में प्रकाशित, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के रमित देबनाथ और उनके सहयोगियों द्वारा किए एक अध्ययन से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से गंभीर होती यह हीट वेव भारत के ससटेनेबल डेव्लपमेंट गोल्स (SDG) को हासिल करने की दिशा में भारत की प्रगति को बाधित कर सकती हैं। गौरतलब है कि भारत सत्रह स��युक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें गरीबी उन्मूलन, अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण, बेहतर जलवायु, और आर्थिक विकास आदि शामिल हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि हीटवेव ने एसडीजी प्रगति को पहले के अनुमान से अधिक कमजोर कर दिया है।पिघलने लगे ग्‍लेशियर साल 2022 में वैश्विक औसत तापमान 1850-1900 के औसत से 1.15 [1.02 से 1.28] डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। सन् 1850 के बाद से अब तक साल 2015 से 2022 तक रिकॉर्ड में आठ सबसे गर्म साल रहे हैं। तीन मुख्य ग्रीनहाउस गैसों - कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड की सांद्रता 2021 में रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई, नवीनतम वर्ष जिसके लिए समेकित वैश्विक मूल्य उपलब्ध हैं (1984-2021)। साल 2020 से 2021 तक मीथेन सांद्रता में वार्षिक वृद्धि रिकॉर्ड पर सबसे अधिक थी।यूरोपीय आल्प्स ग्लेशियर ने मार्च 2022 में पिघलने के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। IPCC की रिपोर्ट के मुताबिक़ वैश्विक स्तर पर ग्लेशियरों ने 1993-2019 की अवधि में 6000 गिगा टन (Gt) से अधिक बर्फ खो दी। अंटार्कटिका में समुद्री बर्फ 25 फरवरी, 2022 को 1.92 मिलियन किमी2 तक गिर गई, जो रिकॉर्ड पर सबसे निचला स्तर है और दीर्घावधि (1991-2020) औसत से लगभग 1 मिलियन वर्ग किमी नीचे है।गायब होते समुद्री संसाधन ग्रीनहाउस गैसों द्वारा पृथ्वी के ऊपरी सतह में फंसी ऊर्जा ( ग्लोबल वार्मिंग) का लगभग 90% समुद्र अपने में सोख लेता है। इसके चलते समुद्र की सतह के 58% हिस्से ने 2022 के दौरान कम से कम एक समुद्री हीटवेव का अनुभव किया। वहीं ग्लोबल मीन सी लेवल यानी समुद्र एसटीआर का बढ़ना (GMSL) 2022 में बढ़ना जारी रहा, सैटेलाइट अल्टीमीटर रिकॉर्ड (1993-2022) के लिए एक उच्च स्तर पर पहुंच गया। उपग्रह रिकॉर्ड के अनुसार 1993-2002 के बीच में 2.27 मिमी प्रति वर्ष और 2013-2022 के बीच में 4.62 मिमी प्रति वर्ष के हिसाब से ग्लोबल औसत समुद्र स्तर वृद्धि दर दोगुनी हो गई है।CO2 समुद्री जल के साथ प्रतिक्रिया करता है जिसके परिणामस्वरूप pH में कमी आती है जिसे 'समुद्र अम्लीकरण' कहा जाता है। आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट के अनुसार समुद्र की सतह का पीएच अब पिछले कम से कम 26 हजार साल में सबसे कम है। जिससे साफ जाहिर है की इसका कितना ख़तरनाक असर समुद्री जीव जनतुओं पर होगा। वैसे भी अब अधिकांश समुद्र तटों की रेत से सीपियां, शंख आदि ग़ायब हो चुके ��ैं।लेखिका वरिष्‍ठ स्‍तंभकार हैं और पर्यावरण से जुड़े मुद्दे पर लिखती रहती हैं। http://dlvr.it/SnNrRJ
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prabudhajanata · 2 years ago
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वनाधिकार पट्टेधारकों को मनरेगा MNREGA के हितग्राहीमूलक कार्यों से लाभान्वित करने संबंधी दी जानकारी कोण्डागांव (वीएनएस)। जिले के जनपद पंचायत फरसगांव अंतर्गत ग्राम पंचायत बड़ेडोंगर में मनरेगा योजना से अमृत सरोवर यथा समुदाय के लिए जल संचयन तालाबों का नवीनीकरण तालाब कार्य किया जा रहा है। इस ओर ग्रामीणों को जलसंरक्षण एवं संवर्धन के प्रति जागरूक करने के साथ ही विगत दिवस बड़ेडोंगर में रोजगार दिवस का आयोजन का आयोजन किया गया, जिसमें अमृत सरोवर के महत्व ,मजदूरी दर, वन अधिकार हितग्राहियों को मनरेगा के हितग्राहीमूलक कार्यों भूमि समतलीकरण, डबरी निर्माण, कूप निर्माण, गौपालन शेड, कुक्कुटपालन शेड, सूकरपालन शेड निर्माण इत्यादि से लाभान्वित करने हेतु चिन्हाकन,निजी जमीन पर एवं सामुदायिक कार्य,जॉब कार्ड आदि पर विस्तृत चर्चा की गयी। वहीं इस दौरान पंचायत पदाधिकारियों और ग्रामीणों ने मिलकर सौहार्दपूर्ण ढंग से होली मनाया तथा जल संचयन एवं जल संवर्धन के लिए सक्रिय सहभागिता निभाने का संकल्प लिया। बता दें कि भारत सरकार के द्वारा देश की आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में प्रत्येक जिले में अमृत सरोवर का निर्माण कार्य किया जा रहा है ताकि मनरेगा योजना से ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ ग्राम पंचायत स्तर पर जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण कर जल स्तर को बढ़ाया जा सके साथ ही वर्षा की हर एक बूंद का संचय कर उसका सदुपयोग किया जा सके स जनपद पंचायत फरसगांव अंतर्गत कुल 15 अमृत सरोवर का निर्माण किया जाना है, जिसमें से अब तक 6 अमृत सरोवर का निर्माण एवं जीर्णोद्धार कार्य पूर्ण किया जा चुका है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर शहीदों के परिवार एवं जनप्रतिनिधियों के द्वारा अमृत सरोवर में ध्वजारोहण का कार्य किया गया स देश की अखंडता एवं एकता के लिए शहीद हुए ग्रामीणों के नाम पर ग्राम पंचायत में अमृत सरोवर का निर्माण एवं जीर्णोद्धार कार्य किया जा रहा है, ताकि ग्राम पंचायत में रहने वाली नागरिकों के बीच उनके प्रति सम्मान एवं आधार की भावना सदा बनी रहे। इस तरह ग्रामीण जलसंरक्षण एवं जल संवर्धन के साथ ही समुचित उपयोग की ओर अपनी व्यापक सहभागिता निभा रहे हैं।
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pradeep-chauhan · 5 months ago
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart80 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart81
पराण संगली (पंजाबी लीपी में) संपादक: डाॅ. जगजीत सिह खानपुरी पब्लिकेशन ब्यूरो पंजाबी युनिवर्सिटी, पटियाला।
प्रकाशित सन् 1961 के पृष्ठ न. 399 से सहाभार
गोष्टी बाबे नानक और कबीर जी की (कबीर जी)उह गुरु जी चरनि लागि करवै, बीनती को पुन करीअहु देवा।अगम अपार अभै पद कहिए, सो पाईए कित सेवा।।मुहि समझाई कहहु गुरु पूरे, भिन्न-भिन्न अर्थ दिखावहु।जिह बिधि परम अभै पद पाईये, सा विधि मोहि बतावहु।मन बच करम कृपा करि दीजै, दीजै शब्द उचारं।।कहै कबीर सुनहु गुरु नानक, मैं दीजै शब्द बीचारं।।1।।(नानक जी)नानक कह सुनों कबीर जी, सिखिया एक हमारी।तन मन जीव ठौर कह ऐकै, सुंन लागवहु तारी।।करम अकरम दोऊँ तियागह, सहज कला विधि खेलहु।जागत कला रहु तुम निसदिन, सतगुरु कल मन मेलहु।।तजि माया र्निमायल होवहु, मन के तजहु विकारा।नानक कह सुनहु कबीर जी, इह विधि मिलहु अपारा।।2।।(कबीर जी)गुरु जी माया सबल निरबल जन तेरा, क्युं अस्थिर मन होई।काम क्रोध व्यापे मोकु, निस दिन सुरति निरत बुध खोई।।मन राखऊ तवु पवण सिधारे, पवण राख मन जाही।मन तन पवण जीवैं होई एकै, सा विधि देहु बुझााई।���3।।(नानक जी) दिृढ करि आसन बैठहु वाले, उनमनि ध्यान लगावहु।अलप-अहार खण्ड कर निन्द्रा, काम क्रोध उजावहु।।नौव दर पकड़ि सहज घट राखो, सुरति निरति रस उपजै।गुरु प्रसादी जुगति जीवु राखहु, इत मंथत साच निपजै।।4।।(कबीर जी) (कबीर कवन सुखम कवन स्थूल कवन डाल कवन है मूल)गुरु जी किया लै बैसऊ, किआ लेहहु उदासी।कवन अग्नि की धुणी तापऊ कवन मड़ी महि बासी।।5।।(नानक जी) (नानक ब्रह्म सुखम सुंन असथुल, मन है पवन डाल है मूल)करम लै सोवहु सुरति लै जागहु, ब्रह्म अग्नि ले तापहु।निस बासर तुम खोज खुजावहु, संुन मण्डल ले डूम बापहु।।6।।(सतगुरु कहै सुनहे रे चेला, ईह लछन परकासे)(गुरु प्रसादि सरब मैं पेखहु, सुंन मण्डल करि वासे)(कबीर जी) सुआमी जी जाई को कहै, ना जाई वहाँ क्या अचरज होई जाई।मन भै चक्र रहऊ मन पूरे, सा विध देहु बताई।।7।।(अपना अनभऊ कहऊ गुरु जी, परम ज्योति किऊं पाई।)(नानक जी) ससी अर चड़त देख तुम लागे, ऊहाँ कीटी भिरणा होता।नानक कह सुनहु कबीरा, इत बिध मिल परम तत जोता।।8।।(कबीर जी) धन धन धन गुरु नानक, जिन मोसो पतित उधारो।निर्मल जल बतलाइया मो कऊ, राम मिलावन हारो।।9।।(नानक जी) जब हम भक्त भए सुखदेवा, जनक विदेह किया गुरुदेवा।कलि महि जुलाहा नाम कबीरा, ढूंड थे चित भईआ न थीरा।।बहुत भांति कर सिमरन कीना, इहै मन चंचल तबहु न भिना।जब करि ज्ञान भए उदासी, तब न काटि कालहि फांसी।।जब हम हार परे सतिगुरु दुआरे, दे गुरु नाम दान लीए उधारे।।10।।(कबीर जी) सतगुरु पुरुख सतिगुरु पाईया, सतिनाम लै रिदै बसाईआ।जात कमीना जुलाहा अपराधि, गुरु कृपा ते भगति समाधी।।मुक्ति भइआ गुरु सतिगुरु बचनी, गईया सु सहसा पीरा।जुग नानक सतिगुरु जपीअ, कीट मुरीद कबीरा।।11।।सुनि उपदेश सम्पूर्ण सतगुरु का, मन महि भया अनंद।मुक्ति का दाता बाबा नानक, रिंचक रामानन्द।।12।
ऊपर लिखी वाणी ‘प्राण संगली‘ नामक पुस्तक से लिखी हैं। इसमें स्पष्ट लिखा है कि वाणी संख्या 9 तक दोहों में पूरी पंक्ति के अंतिम अक्षर मेल खाते हैं। परन्तु वाणी संख्या 10 की पाँच पंक्तियां तथा वाणी संख्या 11 की पहली दो पक्तियां चैपाई रूप में हैं तथा फिर दो पंक्तियां दोहा रूप में है तथा फिर वाणी संख्या 12 में केवल दो पंक्तियां हैं जो फिर दोहा रूप में है। इससे सिद्ध है कि वास्तविक वाणी को निकाला गया है जो वाणी कबीर साहेब जी के विषय में श्री नानक जी ने सतगुरु रूप में स्वीकार किया होगा। नहीं तो दोहों में चलती आ रही वाणी फिर चैपाईयों में नहीं लिखी जाती। फिर बाद में दोहों में लिखी है। यह सब जान-बूझ कर प्रमाण मिटाने के लिए किया है। वाणी संख्या 10 की पहली पंक्ति ‘जब हम भक्त भए सुखदेवा, जनक विदेही किया गुरुदेवा‘ स्पष्ट करती है कि श्री नानक जी कह रहे हैं कि मैं जनक रूप में था उस समय मेरा शिष्य (भक्त) श्री सुखदेव ऋषि हुए थे। इस वाणी संख्या 10 को नानक जी की ओर से कही मानी जानी चाहिए तो स्पष्ट है कि नानक जी कह रहे है कि मैं हार कर गुरू कबीर के चरणों में गिर गया उन्होंने नाम दान करके उद्धार किया। वास्तव में यह 10 नं. वाणी कही अन्य वाणी से है। यह पंक्ति भी परमेश्वर कबीर साहेब जी की ओर से वार्ता में लिख दिया है। क्योंकि परमेश्वर कबीर साहेब जी ने अपनी शक्ति से श्री नानक जी को पिछले जन्म की चेतना प्रदान की थी। तब नानक जी ने स्वीकार किया था कि वास्तव में मैं जनक था तथा उस समय सुखदेव मेरा भक्त हुआ था।
वाणी संख्या 11 में चार पंक्तियां हैं जबकि वाणी संख्या 10 में पाँच पंक्तियां लिखी हैं। वास्तव में प्रथम पंक्ति ‘जब हम भक्त भए सुखदेवा ... ‘ वाली में अन्य तीन पंक्तियां थी, जिनमें कबीर परमेश्वर को श्री नानक जी ने गुरु स्वीकार किया होगा। उन्हें जान बूझ कर निकाला गया लगता है।
वाणी संख्या 1 व 2 में 6.6 पंक्तियाँ है, वाणी संख्या 3 व 4 में 4.4 पंक्तियाँ, वाणी संख्या 5 व 6 में 3.3 पंक्तियाँ है, वाणी संख्या 7 में 4 पंक्तियाँ हैं, वाणी संख्या 8 में 3 पंक्तियाँ है, वाणी संख्या 9 में 2 पंक्तियाँ है, वाणी संख्या 10 में 5 पंक्तियाँ हैं, वाणी संख्या 11 में 4 पंक्तियाँ है तथा वाणी संख्या 12 में 2 पंक्तियाँ है। यदि ये वाणी पूरी होती तो सर्व वाणीयों (कलियों) में एक जैसी वाणी संख्या होती।
श्री नानक जी ने दोनों की वार्ता जो प्रभु कबीर जी से हुई थी, लिखी थी। परन्तु बाद में प्राण संगली तथा गुरु ग्रन्थ साहिब में उन वाणियों को छोड़ दिया गया जो कबीर परमेश्वर जी को श्री नानक जी का गुरुदेव सिद्ध करती थी। इसी का प्रमाण कृप्या निम्न देखें। दो शब्दों में प्रत्यक्ष प्रमाण है(श्री गुरू ग्रन्थ साहेब पृष्ठ 1189, 929, 930 पर)।
आगे श्री गुरु ग्रन्थ पृष्ठ नं. 1189
राग बसंत महला 1
चंचल चित न पावै पारा, आवत जात न लागै बारा।
दुख घणों मरीअै करतारा, बिन प्रीतम के कटै न सारा।।1।।
सब उत्तम किस आखवु हीना, हरि भक्ति सचनाम पतिना(रहावु)।
औखद कर थाकी बहुतेरे, किव दुख चुकै बिन गुरु मेरे।।
बिन हर भक्ति दुःख घणोरे, दुख सुख दाते ठाकुर मेरे।।2।।
रोग वडो किंवु बांधवु धिरा, रोग बुझै से काटै पीरा।
मैं अवगुण मन माहि सरीरा, ढुडत खोजत गुरिू मेले बीरा।।3।।
नोट:-- यहाँ पर स्पष्ट है कि अक्षर कबीरा की जगह ‘गुरु मेले बीरा‘ लिखा है। जबकि लिखना था ‘ढुंडत खोजत गुरि मेले कबीरा‘
गुरु का शब्द दास हर नावु, जिवै तू राखहि तिवै रहावु।
जग रोगी कह देखि दिखाऊ, हरि निमाईल निर्मल नावु।।4।।
घट में घर जो देख दिखावै, गुरु महली सो महलि बुलावै।
मन में मनुवा चित्त में चीता, अैसे हर के लोग अतीता।।5।।
हरख सोग ते रहैहि निरासा, अमृत चाख हरि नामि निवासा।।
आप पीछाणे रह लिव लागा, जनम जीति गुरुमति दुख भागा।।6।।
गुरु दिया सच अमृत पिवैऊ, सहज मखु जीवत ही जीवऊ।
अपणे करि राखहु गुरु भावै, तुमरो होई सु तुझहि समावै।।8।।
भोगी कऊ दुःख रोग बिआपै, घटि-घटि रवि रहिया प्रभु आपै।
सुख दुःख ही तै गुरु शब्द अतीता, नानक राम रमै हरि चीता।।9(4)।।
इस ऊपर के शब्द में प्रत्यक्ष प्रमाण है कि श्री नानक जी का कोई आकार रूप में गुरु था जिसने सच्चनाम (सतनाम) दिया तथा उस गुरुदेव को ढूंडते-खोजते काशी में कबीर गुरु मिला तथा वह सतनाम प्राणियों को कर्म-कष्ट रहित करता है तथा हरदम गुरु के वचन में रह कर गुरुदेव द्वारा दिए सत्यनाम (सच्चनाम) का जाप करते रहना चाहिए।
राग रामकली महला 1 दखणी आंैकार
गुरु ग्रन्थ पृष्ठ नं. 929.30
औंकार ब्रह्मा उत्पति। औंकार किया जिन चित।।
औंकार सैल जुग भए। औंकार वेद निरमए।।
औंकार शब्द उधरे। औंकार गुरु मुख तरे।।
ओंम अखर सुन हुँ विचार। ओम अखर त्रिभूवण सार।।
सुण पाण्डे किया लिखहु जंजाला, लिख राम नाम गुरु मुख गोपाला।।1।।रहाऊ।।
ससै सभ जग सहज उपाइया, तीन भवन इक जोती।
गुरु मुख वस्तु परापत होवै, चुण लै मानक मोती।।
समझै सुझै पड़ि-पड़ि बुझै अति निरंतर साचा।
गुरु मुख देखै साच समाले, बिन साचे जग काचा।।2।।
धधै धरम धरे धरमा पुरि गुण करी मन धीरा। {ग्रन्थ साहेब मंे एक ही पंक्ति है।}
यहाँ पंक्ति अधूरी(अपूर्ण) छोड़ रखी है। प्रत्येक पंक्ति में अंतिम अक्षर दो एक जैसे है। जैसे ऊपर लिखी वाणी में ‘‘ज्योति‘‘ फिर दूसरी में ‘‘मोती‘‘। फिर ‘‘साचा‘‘ दूसरी में ‘‘काचा‘‘। यहाँ पर ‘‘धीरा‘‘ अंतिम अक्षर वाली एक ही पंक्ति है। इसमें साहेब कबीर का नाम प्रत्यक्ष था ज�� कि मान वस होकर ग्रन्थ की छपाई करते समय निकाल दी गई है(छापाकारों ने काटा होगा, संत कभी ऐसी गलती नहीं करते) क्योंकि कबीर साहेब जुलाहा जाति में माने जाते हैं जो उस समय अछूत जानी जाती थी। कहीं गुरु नानक जी का अपमान न हो जाए कि एक जुलाहा नानक जी का पूज्य गुरु व भगवान था।
फिर प्रमाण है ‘‘राग बसंत महला पहला‘‘ पौड़ी नं. 3 आदि ग्रन्थ(पंजाबी) पृष्ठ नं. 1188
नानक हवमों शब्द जलाईया, सतगुरु साचे दरस दिखाईया।।
इस वाणी से भी अति स्पष्ट है कि नानक जी कह रहे हैं कि सत्यनाम (सत्यशब्द) से विकार-अहम्(अभिमान) जल गया तथा मुझे सच्चे सतगुरु ने दर्शन दिए अर्थात् मेरे गुरुदेव के दर्शन हुए। स्पष्ट है कि नानक जी को कोई सतगुरु आकार रूप में अवश्य मिला था। वह ऊपर तथा नीचे पूर्ण प्रमाणित है। स्वयं कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा(अकाल मूर्त) स्वयं सच्चखण्ड से तथा दूसरे रूप में काशी बनारस से आकर प्रत्यक्ष दर्शन देकर सच्चखण्ड (सत्यलोक) भ्रमण करवा के सच्चा नाम उपदेश काशी (बनारस) में प्रदान किया।
आदरणीय गरीबदास जी महाराज {गाँव-छुड़ानी, जिला-झज्जर(हरियाणा)} को भी परमेश्वर कबीर जिन्दा महात्मा के रूप में जंगल में मिले थे। इसी प्रकार सतलोक दिखा कर वापिस छोड़ा था। परमेश्वर ने बताया कि मैंने ही श्री नानक जी तथा श्री दादू जी को पार किया था। जब श्री नानक जी ने पूर्ण परमात्मा को सतलोक में भी देखा तथा फिर बनारस (काशी) में जुलाहे का कार्य करते देखा तब उमंग में भरकर कहा था ‘‘वाहेगुरु सत्यनाम‘‘ वाहेगुरु-वाहेगुरु तथा इसी उपरोक्त वाक्य का उच्चारण करते हुए काशी से वापिस आए। जिसको श्री नानक जी के अनुयाईयों ने जाप मंत्र रूप में जाप करना शुरु कर दिया कि यह पवित्र मंत्र श्री नानक जी के मुख कमल से निकला था, परन्तु वास्तविकता को न समझ सके। अब उन से कौन छुटाए, इस नाम के जाप को जो सही नहीं है। क्योंकि वास्तविक मंत्र को बोलकर नहीं सुनाया जाता। उसका सांकेतिक मंत्र ‘सत्यनाम‘ है तथा वाहे गुरु कबीर परमेश्वर को कहा है। इसी का प्रमाण संत गरीबदास साहेब ने अपने सतग्रन्थ साहेब में फुटकर साखी का अंग पृष्ठ न. 386 पर दिया है।
गरीब - झांखी देख कबीर की, नानक कीती वाह।
वाह सिक्खों के गल पड़ी, कौन छुटावै ताह।।
गरीब - हम सुलतानी नानक तारे, दादू कुं उपदेश दिया।
जाति जुलाहा भेद ना पाया, कांशी माहे कबीर हुआ।।
प्रमाण के लिए ‘‘जीवन दस गुरु साहिबान‘‘ पृष्ठ न. 42 से 44 तक (लेखक - सोढी तेजा सिंघ जी) - (प्रकाशक - चतर सिंघ जीवन सिंघ)
बेई नदी में प्रवेश
”जीवन दस गुरु साहेब से ज्यों का त्यों सहाभार“
गुरु जी प्रत्येक प्रातः बेई नदी में जो कि शहर सुलतानपुर के पास ही बहती है, स्नान करने के लिए जाते थे। एक दिन जब आपने पानी में डुबकी लगाई तो फिर बाहर न आए। कुछ समय ऊपरान्त आप जी के सेवक ने, जो कपड़े पकड़ कर नदी के किनारे बैठा था, घर जाकर जै राम जी को खबर सुनाई कि नानक जी डूब गए हैं तो जै राम जी तैराकों को साथ लेकर नदी पर गए। आप जी को बहुत ढूंढा किन्तु आप नहीं मिले। बहुत देखने के पश्चात् सब लोग अपने अपने घर चले गए।
भाई जैराम जी के घर बहुत चिन्ता और दुःख प्रकट किया जा रहा था कि तीसरे दिन सवेरे ही एक स्नान करने वाले भक्त ने घर आकर बहिन जी को बताया कि आपका भाई नदी के किनारे बैठा है। यह सुनकर भाईआ जैराम जी बेई की तरफ दौड़ पड़े और जब जब पता चलता गया और बहुत से लोग भी वहाँ पहुँच गए। जब इस तरह आपके चारों तरफ लोगों की भीड़ लग गई आप जी चुपचाप अपनी दुकान पहुँच गए। आप जी के साथ स्त्राी और पुरूषों की भीड़ दुकान पर आने लगी। लोगों की भीड़ देख कर गुरु जी ने मोदीखाने का दरवाजा खोल दिया और कहा जिसको जिस चीज की जरूरत है वह उसे ले जाए। मोदीखाना लुटाने के पश्चात् गुरु जी फकीरी चोला पहन कर शमशानघाट में जा बैठे। मोदीखाना लुटाने और गुरु जी के चले जाने की खबर जब नवाब को लगी तो उसने मुंशी द्वारा मोदीखाने की किताबों का हिसाब जैराम को बुलाकर पड़ताल करवाया। हिसाब देखने के पश्चात् मुंशी ने बताया कि गुरु जी के सात सौ साठ रूपये सरकार की तरफ अधिक हैं। इस बात को सुनकर नवाब बहुत खुश हुआ। उसने गुरु जी को बुलाकर कहा कि उदास न हो। अपना फालतू पैसा और मेरे पास से ले कर मोदीखाने का काम जारी रखें। पर गुरु जी ने कहा अब हमने यह काम नहीं करना हमें कुछ और काम करने का भगवान् की तरफ से आदेश हुआ है। नवाब ने पूछा क्या आदेश हुआ है ? तब गुरु जी ने मूल-मंत्र उच्चारण किया।
1 ओंकार सतिनामु करता पुरखु निरभउ निरवैरू अकाल मूरति अजूनी सब गुरप्रसादि।
नवाब ने पूछा कि यह आदेश आपके भगवान् ने कब दिया ? गुरु जी ने बताया कि जब हम बेई में स्नान करने गए थे तो वहाँ से हम सच्चखण्ड अपने स्वामी के पास चले गए थे वहाँ हमें आदेश हुआ कि नानक जी यह मंत्र आप जपो और बाकियों को जपा कर कलयुग के लोगों को पार लगाओ। इसलिए अब हमें अपने मालिक के इस हुक्म की पालना करनी है। इस सन्दर्भ को भाई गुरदास जी वार 1 पउड़ी 24 में लिखते हैं--
बाबा पैधा सचखण्ड नउनिधि नाम गरीबी पाई।।
अर्थात्--बाबा नानक जी सचखण्ड गए। वहाँ आप को नौनिधियों का खजाना नाम और निर्भयता प्राप्त हुई। यहाँ बेई किनारे जहाँ गुरु जी बेई से बाहर निकल कर प्रकट हुए थे, गुरु द्वारा संत घाट अथवा गुरुद्वारा बेर साहिब, बहुत सुन्दर बना हुआ है। इस स्थान पर ही गुरु जी प्रातः स्नान करके कुछ समय के लिए भगवान् की तरफ ध्यान करके बैठते थे।
जीवन दस गुरु साहेब नामक पुस्तक से लेख समाप्त
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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webvartanewsagency · 2 years ago
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UP Budget 2023: यूपी बजट में किसानों के लिए योगी सरकार ने खोला खजाना, की गईं ये घोषणाएं
लखनऊ, 22 फरवरी (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बुधवार को विधानसभा में बजट पेश किया। वित्त मंत्री ने बजट में किसानों,युवाओं,अधिवक्ताओं व महिलाओं का विशेष ध्यान रखा है। सुबह मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक हुई है। कैबिनेट बैठक में बजट को अनुमोदन मिला है। उसके बाद सुरेश खन्ना ने विधानसभा में बजट पेश किया है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। यूपी के विकास दर में वृद्धि हुई है। बेरोजगारी दर घटकर 4.2 प्रतिशत हुई है। वहीं कानून व्यवस्था में भी सुधार हुआ है। बजट भाषण करते हुए सुरेश खन्ना ने कहा कि उत्तर प्रदेश आज देश के कई राज्यों से आगे है। कोविड वैक्सीनेशन में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर रहा है। विकास की ठोस नीति तैयार कर जमीन पर उतारने का काम हुआ है। उत्तर प्रदेश में निवेश बढ़ा है। तीन महिला पीएसी बटालियन का गठन किया गया है। सुरेश खन्ना ने कहा कि दुग्ध उत्पादन, गन्ना एवं चीनी उत्पादन तथा एथेनॉल की आपूर्ति में उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। कृषि निवेशों पर किसानों को देय अनुदान डीबीटी के माध्यम से भुगतान करने वाला देश में उत्तर प्रदेश पहला राज्य बना। कोरोना के बचाव हेतु वैक्सीनेशन के 39.20 करोड़ से अधिक डोज लगाने वाला देश में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है तथा चिकित्सा शिक्षण संस्थान स्थापित कर सं��ालित करने वाला देश का अग्रणी राज्य बन गया है। वहीं भारत सरकार द्वारा स्टार्टअप रैकिंग के तहत उत्तर प्रदेश को इनस्पायरिंग लीडर के रूप में सम्मानित किया गया है। उत्तर प्रदेश कौशल विकास नीति को लागू करने वाला देश का प्रथम राज्य बन गया है। अटल पेंशन योजना के अन्तर्गत पंजीकरण करने में उत्तर प्रदेश का देश में प्रथम स्थान पर है। आज हमारा प्रदेश न केवल देश के अन्दर बल्कि वैश्विक समुदाय के मध्य भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रहा है। यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के निरन्तर कठोर परिश्रम एवं अनुशासन से सम्भव हो सका है। वित्तमंत्री सुरेश खन्ना ने सायराना अंदाज में कहा योगी जी का बजट बना है यूपी की खुशहाली है, ये रंगीन करेगा आने वाली होली का।'' सुधर गई कानून व्यवस्था, उद्योगों की अलख जगी यूपी बना ग्रोथ इंजन,इस सब पहली दफा समझ, फकत किनारे बैठे-बैठे,लहरों से मत सवाल कर डूब के खुद गहरे पानी में पानी का फलसफा समझ दुग्ध, गन्ना एवं चीनी उत्पादन में प्रथम स्थान पर यूपी वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि दुग्ध उत्पादन, गन्ना एवं चीनी उत्पादन तथा एथेनॉल की आपूर्ति में उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। कृषि निवेशों पर किसानों को देय अनुदान डीबीटी के माध्यम से भुगतान करने वाला देश में उत्तर प्रदेश पहला राज्य बना। भारत सरकार द्वारा स्टार्टअप रैकिंग के तहत उत्तर प्रदेश को इनस्पायरिंग लीडर के रूप में सम्मानित किया गया है। उत्तर प्रदेश कौशल विकास नीति को लागू करने वाला देश का प्रथम राज्य बन गया है। अटल पेंशन योजना के अन्तर्गत पंजीकरण करने में उत्तर प्रदेश का देश में प्रथम स्थान पर है। खन्ना ने कहा कि आज हमारा प्रदेश न केवल देश के अन्दर बल्कि वैश्विक समुदाय के मध्य भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रहा है। यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निरन्तर कठोर परिश्रम एवं अनुशासन से सम्भव हो सका है। श्रम के जल से राह सदा सिंचती है गति मशाल आंधी में ही हंसती है छालों से ही श्रृंगार पथिक का होता है वो विपरीत परिस्थितियों में चलने के आदी हैं मंजिल की मांग लहू से ही सजती है। वित्त मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार द्वारा अपने पिछले कार्यकाल तथा वर्तमान कार्यकाल में प्रदेश के सर्वांगीण विकास की ठोस नीतियां तैयार कर उन्हें घरातल पर प्रभावी रूप से मूर्त रूप प्रदान किया गया हैं । हमने न केवल प्रदेश में अवस्थापना विस्तार, निवेशानुकूल वातावरण तैयार करने और उद्योग स्थापित करने पर बल दिया अपितु समाज के विभिन्न समूहों, विशेषकर किसान, महिला, युवा, श्रमिक तथा आर्थिक एवं सामाजिक रूप से दुर्बल वर्ग के सशक्तिकरण एवं स्वावलम्बन की दिशा में निरन्तर कार्य किया। उत्तर प्रदेश ने की जी-20 सम्मेलन की बैठकों की मेजबानी वित्त मंत्री ने बताया कि विश्व के सबसे शक्तिशाली 20 देशों के समूह जी -20 के सम्मेलन की मेजबानी का गौरव भारत सरकार को प्राप्त हुआ है। इस सम्मेलन के अन्तर्गत भारत सरकार की अध्यक्षता में 200 से अधिक बैठकें होंगी, जिसमें उत्तर प्रदेश के 04 शहरों- लखनऊ, आगरा, वाराणसी एवं ग्रेटर नोएडा में 11 बैठकों का आयोजन किया जायेगा। जी-20 सम्मेलन की बैठकों की मेजबानी उत्तर प्रदेश के लिये बुनियादी ढांचे सांस्कृतिक विरासत तथा विकास के स्तर और सम्भावनाओं को दुनिया के सम्मुख प्रदर्शित करने का एक वृहद एवं व्यापक अवसर होगा जिसका लाभ प्रदेश की अर्थव्यवस्था एवं जनता को प्राप्त होगा। Read the full article
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ashokgehlotofficial · 2 years ago
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राजस्थान विधानसभा में बजट पर चर्चा के दौरान दिए गए जवाब में कहा कि राज्य सरकार के कुशल वित्तीय प्रबंधन से बजट 2023-24 में युवा, शिक्षा, चिकित्सा, कृषि, सड़क, सामाजिक सुरक्षा, पेंशनधारियों सहित हर क्षेत्र के सर्वोंगीण विकास के लिए घोषणाएं की गई हैं। बजट की पूरे देश में चर्चा और सराहना हो रही है। सभी घोषणाएं निश्चित रूप से धरातल पर उतरेगी। इस बजट डॉक्यूमेंट को हर राज्य के मुख्यमंत्री को भेजा जा रहा है, ताकि वे इसे आधार मानकर आमजन को लाभ पहु��चा सके। हमारे वित्तीय प्रबंधन से ही राजस्थान देश में जीडीपी की विकास दर में भी दूसरे स्थान पर आ गया है। बजट चर्चा का जवाब देते हुए आगामी वर्ष में 1 लाख भर्तियों की भी घोषणा की।
राज्य सरकार समावेशी बजट, कुशल वित्तीय प्रबंधन और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के बढ़ते दायरे के कारण प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी हुई है। प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाने के लिए सतत प्रयास कर रहे हैं। बताया कि वर्ष 2022-23 में राज्य की प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 56 हजार 149 रही, जो कि गत वर्ष से 14.85 प्रतिशत अधिक है। पिछले 11 वर्षों में प्रति व्यक्ति आय में सर्वाधिक वृद्धि गत वर्ष 18.10 प्रतिशत और इस वर्ष 14.85 प्रतिशत रही है। राजस्थान की प्रति व्यक्ति आय में पिछले 4 वर्षाें में 10.01 प्रतिशत की औसत वृद्धि हुई है, जबकि अखिल भारतीय स्तर पर यह वृद्धि 7.89 प्रतिशत ही रही है।
गत 3 वर्षों में राजस्थान अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक प्रति व्यक्ति आय वाले पिछडे़ राज्यों से निकलकर अग्रणी राज्यों में खड़ा हो गया है। सांख्यिकी कार्यक्रम इम्प्लीमेंटेशन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अगस्त, 2022 में जारी विभिन्न राज्यों की जीएसडीपी के अनुसार विभिन्न राज्यों में गत 10 वर्षों में रही वृद्धि दर के विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि सर्वाधिक प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि वाले राज्यों में राजस्थान का स्थान अग्रणी रहा है।
पिछली सरकार के समय में वर्ष 2016-17 में 21वें, वर्ष 2017-18 में 30वें और वर्ष 2018-19 में 19वें स्थान पर रहा था। वहीं, राज्य सरकार की कुशल आर्थिक नीतियों के कारण सर्वाधिक प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों में राजस्थान वर्ष 2019-20 में 12वें, वर्ष 2020-21 में 10वें और वर्ष 2021-22 में 9वें स्थान पर रहा है। पूर्ववर्ती सरकार द्वारा 5 साल के कार्यकाल में शिक्षा, खेल, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, जल एवं स्वच्छता, सामाजिक सुरक्षा एवं सेवाएं, सड़क एवं पुल आदि क्षेत्रों में कुल 3,06,479.23 करोड़ रुपए खर्च किए। वहीं, वर्तमान सरकार द्वारा 2,26,280 करोड़ रुपए अधिक खर्च किए गए है।
13 जिलों की जनता के लिए पानी उपलब्धता के लिए ईआरसीपी में 13 हजार 500 करोड़ रुपए का बजट आवंटन किया गया है। प्रधानमंत्री ने हाल ही ईआरसीपी में राजस्थान-मध्यप्रदेश को शामिल कर नया विषय खड़ा कर दिया गया है। कर्नाटक में 21 हजार 450 करोड़ रुपए के ऊपरी भद्रा प्रोजेक्ट को हालांकि राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा तो नहीं दिया, लेकिन केंद्र द्वारा 5300 करोड़ रुपए देने का प्रावधान किया गया है। वहीं, राजस्थान को इस संबंध में राहत प्रदान नहीं की गई। वहीं, केंद्र सरकार की प्रस्तावित योजना में 2 लाख हैक्टेयर जमीन की सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलेगा।
मानवीय दृष्टिकोण से पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू की। इस बजट में बोर्ड, निगम सहित सभी के लिए ओपीएस की घोषणा की गई है। इससे कार्मिकों का भविष्य सुरक्षित होगा और उनकी चिंताएं ��ूर होंगी। राज्य सरकार द्वारा बजट में लम्पी रोग में अकाल मृत्यु प्राप्त गायों के परिवारों को 40 हजार रुपए प्रति गाय दिए जाने का प्रावधान किया गया है। साथ ही प्रति परिवार 2-2 दुधारू पशुओं का बीमा किया है। गत सरकार द्वारा 4 साल में 143 करोड़ रुपए का अनुदान दिया गया, जबकि वर्तमान में 2313 करोड़ रुपए का अनुदान दिया जा रहा है।
केंद्र सरकार ने हर क्षेत्र के बजट में कटौती की है। पर्यावरण वानिकी में 40 प्रतिशत, सीमा क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम में 71.73 प्रतिशत, राष्ट्रीय शिक्षा मिशन में 17.54 प्रतिशत, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण में 30.47 प्रतिशत, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में 32.90 प्रतिशत, पशुधन सहायक और रोग नियंत्रण कार्यक्रम में 30 प्रतिशत, प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य मिशन में 71.19 प्रतिशत, महात्मा गांधी नरेगा योजना में 32.88 प्रतिशत की लगभग कटौती की गई। इसके साथ ही मिड-डे मील में लगभग 10 प्रतिशत, यूरिया सब्सिडी में 14 प्रतिशत, अनुसंधान में 13 प्रतिशत, आईसीडीएफ में 38 प्रतिशत, एनएफएसए में 17 प्रतिशत, इलेक्ट्रोनिक एवं आईटी हार्डवेयर में 41 प्रतिशत, अटल पेंशन योजना में 28 प्रतिशत, पवन ऊर्जा में 14 प्रतिशत, आत्म निर्भर भारत रोजगार योजना में 7 प्रतिशत की लगभग कटौती की गई है।
केंद्र का सकल कर 33 लाख 52 हजार 79 करोड़ रुपए है। इसका राज्यों को देय 41 प्रतिशत यानी 13 लाख 74 हजार 352 करोड़ रुपए होता है। यह राज्यों में वितरित होना चाहिए, जबकि केंद्र द्वारा 30 से 33 प्रतिशत हिस्सा ही राज्यों को हस्तांतरित किया जाता है। इसमें राजस्थान का हिस्सा लगभग 6.026 प्रतिशत है, जिसमें 82 हजार 818 करोड़ रुपए राजस्थान को मिलने चाहिए। केंद्रीय बजट वित्तीय वर्ष 2023-24 में राजस्थान के लिए 61 हजार 552 करोड़ रुपए रखा गया। इसमें राजस्थान को 21 हजार 266 करोड़ रुपए कम मिलेंगे। इसके लिए पक्ष-विपक्ष को मिलकर राजस्थान के हित में केंद्र सरकार से मांग करनी चाहिए।
15वें वित्त आयोग ने राज्यों का हिस्सा 32 प्रतिशत से 42 प्रतिशत बढ़ाया, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा राज्यों का हिस्सा कम दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पहले राष्ट्रीय खाद सुरक्षा मिशन में केंद्र का शेयर 100 प्रतिशत था, जिसे अब राज्य का 40 और केंद्र का 60 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी प्रकार, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में केंद्र पर 100 प्रतिशत शेयर को अब 40ः60, समेकित बाल विकास सेवाएं में 10ः90 को अब 40ः60, प्रोजेक्ट टाइगर में 15ः85 को 40ः60, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में 25ः75 को 40ः60, मरूस्थलीय क्षेत्रों में सिंचाई निर्माण में 10ः90 को अब 40ः60, इंदिरा गांधी नहर परियोजना में 25ः75 को अब 50ः50, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में 25ः75 को अब 40ः60, समेकित महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम में 0ः100 को अब 40ः60 और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 0ः100 शेयर पैटर्न को अब 40ः60 प्रतिशत कर दिया गया है।
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worldinyourpalm · 2 years ago
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आर्थिक सर्वेक्षण ने मोदी सरकार के आकांक्षी जिला कार्यक्रम - 'सुशासन' टेम्पलेट की सराहना की | Economic report praises the Modi administration's Aspirational Districts Program as a model of "excellent governance";
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Source: static.theprint.in
वित्तीय समावेशन के परिणाम
117 सबसे कम विकसित जिलों में जीवन स्तर में सुधार के ��िए 2018 में शुरू किए गए सर्वेक्षण में कहा गया है कि स्वास्थ्य, वित्तीय समावेशन के परिणाम कई गैर-आकांक्षी जिलों की तुलना में बेहतर हैं।
नई दिल्ली: भारत भर में सबसे कम विकसित 117 जिलों में जीवन स्तर में सुधार के लिए 2018 में लॉन्च किया गया, मोदी सरकार का एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स प्रोग्राम (ADP) "सुशासन के लिए एक टेम्पलेट" के रूप में उभरा है, विशेष रूप से देश के दूरस्थ और कठिन क्षेत्रों में देश, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को पेश की गई आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है।
सर्वेक्षण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि कैसे कार्यक्रम शुरू होने के चार वर्षों में, कई चिन्हित आकांक्षी जिलों ने न केवल स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा जैसे कई संकेतकों में औसत राज्य मूल्यों को पार कर लिया है, बल्कि वित्तीय समावेशन परिणामों पर भी उनमें से कई ने औसत राज्य मूल्यों को पार कर लिया है। एक ही राज्य में गैर-आकांक्षी जिलों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया।
28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 117 आकांक्षी जिलों की पहचान संघीय थिंक टैंक नीति आयोग द्वारा की गई थी, जो स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि और जल संसाधन, वित्तीय समावेशन और कौशल विकास, और बुनियादी ढांचे से लेकर समग्र संकेतकों पर आधारित थी, जिसमें मानव विकास सूचकांक पर प्रभाव
वार्षिक दस्तावेज में उल्लेख
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए वार्षिक दस्तावेज में उल्लेख किया गया है कि देश में सबसे कम विकसित ब्लॉकों को बेहतर बनाने के लिए पिछड़े ब्लॉकों की पहचान करने और समान डेटा निगरानी और प्रतिस्पर्धा-आधारित कार्यक्रमों का उपयोग करने के लिए अब केंद्र सरकार और राज्यों द्वारा टेम्पलेट का उपयोग किया जा रहा है। संसद।
उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य के 10 संकेतकों में, 73 आकांक्षी जिलों ने राज्य के औसत को पार कर लिया है, जैसा कि सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है। सभी जिलों ने विभिन्न संकेतकों में उल्लेखनीय सुधार किया है।
“…स्वास्थ्य और पोषण के तहत, 46 जिलों में 45% तक सुधार हुआ है, और 23 जिलों में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित महत्वपूर्ण संकेतकों में 69% तक सुधार हुआ है, जिसका प्रभाव मातृ और शिशु मृत्यु दर जैसे आवृत्ति पर पड��ता है। और प्रसव पूर्व देखभाल जांच का कवरेज; गर्भवती महिलाओं द्वारा पूरक पोषण सेवन की नियमितता, और समय पर एनीमिया का पता लगाने और उपचार की दर, “आर्थिक सर्वेक्षण पर प्रकाश डाला गया।
शिक्षा के तहत, 46 जिलों में 34 प्रतिशत तक सुधार हुआ है और 29 जिलों में महत्वपूर्ण संकेतकों में 49 प्रतिशत तक सुधार हुआ है, जो छात्रों द्वारा प्राप्त सीखने के परिणामों को प्रभावित करते हैं - जैसे छात्र-शिक्षक अनुपात का अनुपालन करने वाले प्राथमिक विद्यालयों का प्रतिशत शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 द्वारा निर्दिष्ट, कार्यात्मक पेयजल सुविधा वाले स्कूलों का प्रतिशत और कार्यात्मक लड़कियों के शौचालयों वाले स्कूलों का प्रतिशत।
जब वित्तीय समावेशन की बात आती है तो कई आकांक्षी जिलों ने गैर-आकांक्षी जिलों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। सर्वेक्षण में कहा गया है, "इसका मतलब है कि अधिक लोगों की बैंक खातों तक पहुंच है, अधिक लोगों को सरकारी बीमा योजनाओं के तहत कवर किया गया है और अधिक लोग आकांक्षी जिलों में (केंद्र के) मुद्रा ऋण सुरक्षित कर सकते हैं।....
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