#ॐ शं शनैश्चराय नमः
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"ॐ शं शनैश्चराय नमः"🚩🙏
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❤️🙏 N A M A S T E 🌞𝐺𝑜𝑜𝑑 𝑚𝑜𝑟𝑛𝑖𝑛𝑔 🌈
Everything in your life is a reflection of a choice you have made. If you want a different result make a different choice. Let it be a day when we notice miracles instead of waiting for miracles 🌻🍂
||💥ॐ शं शनैश्चराय नमः 🚩ॐ हनुमते नमः||
Happy weekend🕊
🌼𑜞᭄with ℒℴѵℯ 🌹💞
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शनिदेव मूल मंत्र: ॐ शं शनैश्चराय नमः॥ मंत्र का अर्थ:सर्व कर्म फल देने वा...
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कुंडली में सातवें घर में शनि बैठे हों, तो क्या उपाय करें विवाह के लिए?
ज्योतिष अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सातवें घर में शनि बैठे हैं तो उसे विवाह के मामले में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन शास्त्रों में विवाह के लिए कुछ उपाय भी बताए गए हैं जो इस प्रकार की स्थिति को सुधार सकते हैं। यहां कुछ सामान्य उपाय दिए जा रहे हैं:
शनि की उपासना: शनि की पूजा और उपासना करने से उसकी अनिश्चित ग्रह स्थिति को सुधारा जा सकता है। इसके लिए आप शनि के मंत्र, जैसे "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का जाप कर सकते हैं।
दान करना: शनि की शांति के लिए आप किसी करीतम व्यक्ति को काला वस्त्र, उसके लिए चावल, तिल, घी, और धान्य की दान दे सकते हैं।
शनि शांति पूजा: शनि की शांति के लिए शनि शांति पूजा करवाना भी एक उपाय हो सकता है। इसके लिए आप एक ज्योतिषाचार्य से संपर्क कर सकते हैं जो आपको समायोजन करने में मदद कर सकता है।
कर्म करना: शनि की दशा में कर्म करने, नेक काम करने और अच्छे आदर्शों का पालन करने से भी शनि की दृष्टि में सुधार हो सकता है।
पितृ दोष के उपाय: यदि कुंडली में पितृ दोष हो, तो उसके उपाय करने से शनि की दृष्टि में सुधार हो सकता है, जो विवाह के लिए भी लाभकारी हो सकता है।
यहां बताए गए उपायों को आप कुंडली चक्र प्रोफेशनल २०२२ सॉफ्टवेयर में अपनी कुंडली के आधार पर भी जान सकते है। की किस तरीके से आप उपाए कर सकते है। और आपकी कुंडली में क्या दोष है
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कुंडली में शनि की बिगड़ी दशा कैसे ठीक करें?
कुंडली में शनि की बिगड़ी दशा को ठीक करने के लिए व्यक्तिगत उपायों को अपनाना उपयुक्त होता है। यहां कुछ उपाय दिए जा रहे हैं जो शनि की बिगड़ी दशा को शांत करने में मदद कर सकते हैं:
शनि मंत्र जाप: शनि के विशेष मंत्रों का जाप करना शनि की बिगड़ी दशा को ठीक करने में मदद कर सकता है। "ॐ शं शनैश्चराय नमः" या "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः" जैसे मंत्र जाप किया जा सकता है।
शनि पूजा और हवन: शनि की पूजा और हवन करना भी उपयुक्त होता है। इससे शनि के दशा के कठिन समय में शांति मिल सकती है।
दान और अनुदान: शनि की दशा में दान करना भी फायदेमंद हो सकता है। शनि के उपासनीय वस्त्र, खाद्यान्न, उपयोगी वस्त्र, उपयुक्त धातु, आदि का दान करना शनि की दशा को शांति प्रदान कर सकता है।
व्रत और उपासना: शनि की बिगड़ी दशा में व्रत और उपासना करना भी लाभकारी हो सकता है। शनि की प्रीति के लिए शनिवार को शनि का व्रत रखा जाता है और उसकी पूजा की जाती है।
शनि की शुभ राशि में राजतिलक: शनि की बिगड़ी दशा को ठीक करने के लिए, यदि व्यक्ति की कुंडली में शनि की शुभ राशि में राजतिलक किया जा सकता है। इसके लिए आपको अपने ज्योतिषी से संपर्क करना होगा।
यह सभी उपाय व्यक्तिगत होते हैं और इसे केवल टोना टोटका सॉफ्टवेयर के आधार पर ही अपनाया जाना चाहिए। आपके कुंडली के अनुसार कुंडली चक्र प्रोफेशन २०२२ सॉफ्टवेयर की मदद ले सकते है और उनके द्वारा बताए गए उपायों का पालन करना सबसे अच्छा होगा।
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शनि के दोष को दुर करने के लिए क्या करना चाहिए?
शनि के दोष को दूर करने के लिए कुछ उपाय और उत्तरदायक कार्रवाईयाँ निम्नलिखित हो सकती हैं:
शनि की पूजा और अर्चना: शनि देव की पूजा और अर्चना करना उनके दोष को दूर करने का एक प्रमुख तरीका है। शनि देव को तिल, उड़द की दाल, बिजोरी, काली उड़द की माला आदि से प्रसन्न किया जा सकता है।
शनि मंत्र का जप: "ॐ शं शनैश्चराय नमः" यह मंत्र शनि के दोष को दूर करने के लिए किया जाता है। शनि मंत्र का नियमित जप करने से शनि की शुभ ग्रहण और क्रियाशीलता में सुधार हो सकता है।
दान करना: शनि को शुभ करने के लिए काले रंग के वस्त्र, उपाय, तिल, ऊरद, तेल, लोहे की चीजें, आदि का दान किया जा सकता है।
शनि की शुभ योग्यता को बढ़ाना: शनि की अशुभ दशा को दूर करने के लिए उपायों में से एक यह है कि शनि की शुभ ग्रहण और क्रियाशीलता को बढ़ाया जाए। इसके लिए व्यक्ति को अपने कर्मों को ईमानदारी से करना चाहिए और नियमित रूप से समाज की सेवा करनी चाहिए।
अनुष्ठान और पूजा का आयोजन: शनि के दोष को दूर करने के लिए विशेष अनुष्ठान और पूजा का आयोजन किया जा सकता है, जिसमें अन्य ग्रहों के भी साथी ग्रहों के प्रसाद से पूरे किया जा सकता है।
शनि की शांति के यंत्र और उपाय: शनि की शांति के लिए विशेष यंत्र और उपाय भी किए जा सकते हैं। इनमें शनि के लिए विशेष यंत्रों का उपयोग और वास्तु उपाय शामिल हो सकते हैं।
ध्यान दें कि शनि के दोष को दूर करने के लिए किए जाने वाले उपायों को नियमित और निष्ठा के साथ करना चाहिए। यह उपाय और प्रथाओं का पालन करते समय धैर्य और संयम का भी महत्वपूर्ण रोल होता है। और अधिक जानकारी के लिए आप टोना टोटका सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है।
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24 सितंबर 2023 : आपका जन्मदिन
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे कृष्णा*🌹
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः! उपरोक्त मंत्र शनि बीज मंत्र है शनि देव की क्रूर दृष्टि से बचने के लिए और उनका आशीर्वाद पाने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए. ॐ शं शनैश्चरायै नमः! शनि ग्रह को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।*
सुबह और सूर्यास्त के बाद शनि मंत्र का जाप करना चाहिए। शनिवार के दिन इस मंत्र का जाप शुरू करना सबसे अच्छा होता है। इसे दिन में 108 बार दोहराएं।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
जन्मदिन की शुभकामनाओं के साथ आपका स्वागत है #वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स की विशेष प्रस्तुति में। यह कॉलम नियमित रूप से उन पाठकों के व्यक्तित्व और भविष्य के बारे में जानकारी देगा जिनका उस दिनांक को जन्मदिन होगा। पेश है दिनांक 24 को जन्मे व्यक्तियों के बारे में जानकारी : दिनांक 24 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 6 होगा। आपमें गजब का आत्मविश्वास है। इसी आत्मविश्वास के कारण आप किसी भी परिस्थिति में डगमगाते नहीं है। आपको सुगंध का शौक होगा। इस अंक से प्रभावित व्यक्ति आकर्षक, विनोदी, कलाप्रेमी होते हैं। आप अपनी महत्वाकांक्षा के प्रति गंभीर होते हैं। अग�� आप स्त्री हैं तो पुरुषों के प्रति आपकी दिलचस्पी होगी। लेकिन आप दिल के बुरे नहीं है। 6 मूलांक शुक्र ग्रह द्वारा संचालित होता है। अत: शुक्र से प्रभावित बुराई भी आपमें पाई जा सकती है। जैसे स्त्री जाति के प्रति आपमें सहज झुकाव होगा।
शुभ दिनांक : 6, 15, 24, 27, 29
शुभ अंक : 6, 15, 24, 33, 42, 51, 69, 78
शुभ वर्ष : 2024, 2027, 2029
ईष्टदेव : गणेश, मां सरस्वती, महालक्ष्मी
शुभ रंग : हरा, क्रीम, सफेद,
कैसा रहेगा यह वर्ष
नौकरीपेशा व्यक्ति अपने परिश्रम के बल पर उन्नति के हकदार होंगे। बैक परीक्षाओं में भी सफलता अर्जित करेंगे। दाम्पत्य जीवन में मिली जुली स्थिति रहेगी। आर्थिक मामलों में सभंलकर चलना होगा। लेखन संबंधी मामलों के लिए उत्तम होती है। जो विद्यार्थी सीए की परीक्षा देंगे उनके लिए शुभ रहेगा। व्यापार-व्यवसाय में भी सफलता रहेगी। विवाह के योग भी बनेंगे। स्त्री पक्ष का सहयोग मिलने से प्रसन्नता रहेगी।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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Shanivar Vrat : कैसे रखें शनिवार व्रत, जानिए पूजन विधि और कथा
शनि देव को लोग भयभीत क्यों मानते हैं? इसके कई कारण हैं। प्राचीन हिन्दू पौराणिक कथाओं और ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को गहरे दुःख और पीड़ा का प्रतीक माना जाता है। शनि को न्याय के देवता भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वह कर्मों की न्यायपूर्ण फल देने वाला है। उनका प्रभाव जीवन के विभिन्न पहलुओं पर शास्त्रों में विस्तार से वर्णित किया गया है। शनि देव का रंग काला होता है, जो उनकी पहचान है। काला रंग उनके गहरे और अदृश्य स्वभाव को प्रतिष्ठित करता है। इसलिए, लोग काले रंग को शनि देव के संकेत के रूप में मानते हैं।
शनि देव की ग्रह शास्त्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। शनि के ग्रहण की स्थिति और दशा ��्यक्ति के जीवन पर प्रभाव डालती हैं। उनके प्रभाव के अनुसार, एक उन्हें बड़ी कठिनाइयों, संकटों और परेशानियों का कारण माना जाता है। यह कहा जाता है कि शनि देव की दया और कृपा पाने के लिए मनुष्य को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसलिए उन्हें भय और आपत्ति का प्रतीक माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र में शनि देव का महत्वपूर्ण स्थान है। शनि ग्रह एक ऐसा ग्रह है जिसका प्रभाव जीवन में सामान्यतः दुखों, बाधाओं और कठिनाइयों को बढ़ा देता है। इसलिए, जब कोई व्यक्ति शनि के प्रभाव में होता है, तो उसे विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
शनि देव का प्रभाव व्यक्ति के कर्मों पर भी होता है। शास्त्रों में कहा जाता है कि जो लोग अच्छे कर्म करते हैं, उन्हें शनि देव का प्रभाव शांतिपूर्ण और अनुकूल होता है। वे उनकी दया और कृपा को प्राप्त करते हैं। वहीं, जो लोग बुरे कर्म करते हैं, उनके लिए शनि देव का प्रभाव कठोर और परेशान करने वाला होता है। इसलिए, शनि देव अच्छे कर्मों को प्रोत्साहित करने और बुरे कर्मों को संशोधित करने का संकेत देते हैं।
यद्यपि शनि देव का भय और पीड़ा का संकेत दिया जाता है, लेकिन उनकी पूजा और उपासना भी विशेष महत्वपूर्ण है। शनि देव की उपासना और उनके कृपा को प्राप्त करने से मान्यता है कि व्यक्ति के जीवन में दुःखों का समाधान होता है और उन्हें समृद्धि और सुख मिलता है।
शनि पूजा करने से कई फायदे हो सकते हैं। यह कुछ मुख्य फायदे हैं:
· शनि पूजा करने से शनि देवता की कृपा मिलती है और शनि के दोषों का प्रभाव कम होता है।
· यह पूजा जीवन में खुशहाली, संपत्ति और सफलता लाने में मदद कर सकती है।
· शनि पूजा से भय, चिंता और तनाव कम होते हैं और मानसिक शांति मिलती है।
· यह पूजा न्याय, धार्मिकता और ईमानदारी को बढ़ावा देती है।
· शनि पूजा करने से आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है और व्यापार में वृद्धि हो सकती है।
· यह पूजा शनि की क्रोध से बचाती है और नकारात्मकता को दूर करती है।
· शनि पूजा से स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है और रोगों से बचाव हो सकता है।
यदि आप शनि पूजा करना चाहते हैं, तो प्रभू श्रीराम इंडियाज़ बेस्ट अगरबत्ती एवं धूप आपके लिए लाया है शनि देव पूजा किट जिसकी मदद से नियमनुसार भगवान शनि देव को अति प्रसन्न कर सकते हैं।
विधि (Shani Vrat Vidhi)
याद रखें, शनि पूजा को समर्पित होने के लिए समय, स्थान और नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण होता है। यह पूजा और व्रत शनिदेव को प्रसन्न करने हेतु होता है.
1) काला तिल, तेल, काला वस्त्र, काली उड़द शनि देव को अत्यंत प्रिय है. इनसे ही पूजा होती है. शनि देव का स्त्रोत पाठ करें.
2) शनिवार का व्रत यूं तो आप वर्ष के किसी भी शनिवार के दिन शुरू कर सकते हैं परंतु श्रावण मास में शनिवार का व्रत प्रारम्भ करना अति मंगलकारी है ।
3) इस व्रत का पालन करने वाले को शनिवार के दिन प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके शनिदेव की प्रतिमा की विधि सहित पूजन करनी चाहिए।
4) शनि भक्तों को इस दिन शनि मंदिर में जाकर शनि देव को नीले लाजवन्ती का फूल, तिल, तेल, गुड़ अर्पण करना चाहिए। शनि देव के नाम से दीपोत्सर्ग करना चाहिए।
5) शनि मंत्रों का जाप करें: शनि देवता के मंत्रों का जाप करना शनि के दोषों को शांत करने में मदद कर सकता है। "ॐ शं शनैश्चराय नमः" और "शनैश्चराय नमः" जैसे मंत्रों का नियमित जाप करना शुभ माना जाता है।
6) तिल के तेल का दान करें: शनिवार को तिल के तेल का दान करना शनि देवता को प्रसन्न करने का एक प्रभावी तरीका है। आप तिल के तेल के एक छोटे बोतल को मंदिर में या शनि देवता के सामने रख सकते हैं और इसे दान कर सकते हैं।
7) शनि देवता के व्रत रखें: आप शनि देवता के व्रत रख सकते हैं, जिसमें आपको शनिवार को नौ व्रत रखने होंगे। इस व्रत के दौरान आपको शनि देवता की पूजा करनी होगी, नियमित जाप करना होगा, और सत्विक आहार लेना होगा।
शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा के पश्चात उनसे अपने अपराधों एवं जाने अनजाने जो भी आपसे पाप कर्म हुआ हो उसके लिए क्षमा याचना करनी चाहिए। शनि महाराज ���ी पूजा के पश्चात राहु और केतु की पूजा भी करनी चाहिए। इस दिन शनि भक्तों को पीपल में जल देना चाहिए और पीपल में सूत्र बांधकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। शनिवार के दिन भक्तों को शनि महाराज के नाम से व्रत रखना चाहिए।
शनि व्रत कथा (Shani Vrat katha)
एक समय सभी नवग्रहओं : सूर्य, चंद्र, मंगल, बुद्ध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु में विवाद छिड़ गया, कि इनमें सबसे बड़ा कौन है? सभीआपसं ऎंल ड़ने लगे, और कोई निर्णय ना होने पर देवराज इंद्र के पास निर्णय कराने पहुंचे. इंद्र इससे घबरा गये, और इस निर्णय को देने में अपनी असमर्थता जतायी. परन्तु उन्होंने कहा, कि इस समय पृथ्वी पर राजा विक्रमादित्य हैं, जो कि अति न्यायप्रिय हैं. वे ही इसका निर्णय कर सकते हैं. सभी ग्रह एक साथ राजा विक्रमादित्य के पास पहुंचे, और अपना विवाद बताया। साथ ही निर्णय के लिये कहा। राजा इस समस्या से अति चिंतित हो उठे, क्योंकि वे जानते थे, कि जिस किसी को भी छोटा बताया, वही कुपित हो उठेगा. तब राजा को एक उपाय सूझा. उन्होंने सुवर्ण, रजत, कांस्य, पीतल, सीसा, रांगा, जस्ता, अभ्रक और लौह से नौ सिंहासन बनवाये, और उन्हें इसी क्रम से रख दिय. फ़िर उन सबसे निवेदन किया, कि आप सभी अपने अपने सिंहासन पर स्थान ग्रहण करें. जो अंतिम सिंहासन पर बठेगा, वही सबसे छोटा होगा. इस अनुसार लौह सिंहासन सबसे बाद में होने के कारण, शनिदेव सबसे बाद में बैठे. तो वही सबसे छोटे कहलाये. उन्होंने सोच, कि राजा ने यह जान बूझ कर किया है. उन्होंने कुपित हो कर राजा से कहा “राजा! तू मुझे नहीं जानता. सूर्य एक राशि में एक महीना, चंद्रमा सवा दो महीना दो दिन, मंगल डेड़ महीना, बृहस्पति तेरह महीने, व बुद्ध और शुक्र एक एक महीने विचरण करते हैं. परन्तु मैं ढाई से साढ़े-सात साल तक रहता हुं. बड़े बड़ों का मैंने विनाश किया है. श्री राम की साढ़े साती आने पर उन्हें वनवास हो गया, रावण की आने पर उसकी लंका को बंदरों की सेना से परास्त होना पढ़ा.अब तुम सावधान रहना. ” ऐसा कहकर कुपित होते हुए शनिदेव वहां से चले. अन्य देवता खुशी खुशी चले गये. कुछ समय बाद राजा की साढ़े साती आयी. तब शनि देव घोड़ों के सौदागर बनकर वहां आये. उनके साथ कई बढ़िया घड़े थे. राजा ने यह समाचार सुन अपने अश्वपाल को अच्छे घोड़े खरीदने की अज्ञा दी. उसने कई अच्छे घोड़े खरीदे व एक सर्वोत्तम घोड़े को राजा को सवारी हेतु दिया. राजा ज्यों ही उसपर बैठा, वह घोड़ा सरपट वन की ओर भागा. भषण वन में पहुंच वह अंतर्धान हो गया, और राजा भूखा प्यासा भटकता रहा. तब एक ग्वाले ने उसे पानी पिलाया. राजा ने प्रसन्न हो कर उसे अपनी अंगूठी दी. वह अंगूठी देकर राजा नगर को चल दिया, और वहां अपना नाम उज्जैन निवासी वीका बताया. वहां एक सेठ की दूकान उसने जल इत्यादि पिया. और कुछ विश्राम भी किया. भाग्यवश उस दिन सेठ की बड़ी बिक्री हुई. सेठ उसे खाना इत्यादि कराने खुश होकर अपने साथ घर ले गया. वहां उसने एक खूंटी पर देखा, कि एक हार टंगा है, जिसे खूंटी निगल रही है. थोड्क्षी देर में पूरा हार गायब था। तब सेठ ने आने पर देखा कि हार गायब जहै। उसने समझा कि वीका ने ही उसे चुराया है। उसने वीका को कोतवाल के पास पकड्क्षवा दिया। फिर राजा ने भी उसे चोर समझ कर हाथ पैर कटवा दिये। वह ��ैरंगिया बन गया।और नगर के बहर फिंकवा दिया गया। वहां से एक तेली निकल रहा था, जिसे दया आयी, और उसने एवीका को अपनी गाडी़ में बिठा लिया। वह अपनी जीभ से बैलों को हांकने लगा। उस काल राजा की शनि दशा समाप्त हो गयी। वर्षा काल आने पर वह मल्हार गाने लगा। तब वह जिस नगर में था, वहां की राजकुमारी मनभावनी को वह इतना भाया, कि उसने मन ही मन प्रण कर लिया, कि वह उस राग गाने वाले से ही विवाह करेगी। उसने दासी को ढूंढने भेजा। दासी ने बताया कि वह एक चौरंगिया है। परन्तु राजकुमारी ना मानी। अगले ही दिन से उठते ही वह अनशन पर बैठ गयी, कि बिवाह करेगी तोइ उसी से। उसे बहुतेरा समझाने पर भी जब वह ना मानी, तो राजा ने उस तेली को बुला भेजा, और विवाह की तैयारी करने को कहा।फिर उसका विवाह राजकुमारी से हो गया। तब एक दिन सोते हुए स्वप्न में शनिदेव ने रानजा से कहा: राजन्, देखा तुमने मुझे छोटा बता कर कितना दुःख झेला है। तब राजा नेउससे क्षमा मांगी, और प्रार्थना की , कि हे शनिदेव जैसा दुःख मुझे दिया है, किसी और को ना दें। शनिदेव मान गये, और कहा: जो मेरी कथा और व्रत कहेगा, उसे मेरी दशा में कोई दुःख ना होगा। जो नित्य मेरा ध्यान करेगा, और चींटियों को आटा डालेगा, उसके सारे मनोरथ पूर्ण होंगे। साथ ही राजा को हाथ पैर भी वापस दिये। प्रातः आंख खुलने पर राजकुमारी ने देखा, तो वह आश्चर्यचकित रह गयी। वीका ने उसे बताया, कि वह उज्जैन का राजा विक्रमादित्य है। सभी अत्यंत प्रसन्न हुए। सेतठ ने जब सुना, तो वह पैरों पर गिर्कर क्षमा मांगने लगा। राजा ने कहा, कि वह तो शनिदेव का कोप था। इसमें किसी का कोई दोष नहीं। सेठ ने फिर भी निवेदन किया, कि मुझे शांति तब ही मिलेगी जब आप मेरे घर चलकर भोजन करेंगे। सेठ ने अपने घर नाना प्रकार के व्यंजनों ने राजा का सत्कार किया। साथ ही सबने देखा, कि जो खूंटी हार निगल गयी थी, वही अब उसे उगल रही थी। सेठ ने अनेक मोहरें देकर राजा का धन्यवाद किया, और अपनी कन्या श्रीकंवरी से पाणिग्रहण का निवदन किया। राजा ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। कुछ समय पश्चात राजा अपनी दोनों रानियों मनभावनी और श्रीकंवरी को साभी दहेज सहित लेकर उज्जैन नगरी को चले। वहां पुरवासियों ने सीमा पर ही उनका स्वागत किया। सारे नगर में दीपमाला हुई, व सबने खुशी मनायी। राजा ने घोषणा की , कि मैंने शनि देव को सबसे छोटा बताया थ, जबकि असल में वही सर्वोपरि हैं। तबसे सारे राज्य में शनिदेव की पूजा और कथा नियमित होने लगी। सारी प्रजा ने बहुत समय खुशी और आनंद के साथ बीताया। जो कोई शनि देव की इस कथा को सुनता या पढ़ता है, उसके सारे ��ुःख दूर हो जाते हैं। व्रत के दिन इस कथा को अवश्य पढ़ना चाहिये।
शनिदेव को पसंद है आक का फूल इसे मदार का फूल भी कहा जाता है. आक भी नीले रंग का ही होता है. आक के अलावा आप चाहें तो शनिदेव को नीले रंग के अपराजिता के फूल (Aparajita flower) भी अर्पित कर सकते हैं. शनिवार को शनिदेव के चरणों में नीले रंग के 5 फूल चढ़ाने से शनिदेव जल्दी प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
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शनिवार के दिन शनि देव की पूजा का विधान है. ऐसा कहा जाता है कि शनिवार के दिन शनि देव की उपासना करने से उस शख्स के सभी काल, कष्ट, दुख और दर्द दूर होते हैं. इसके साथ जानिए शनि देव को प्रसन्न रखने के लिए कोन से मंत्रों का जाप करें:-
1) शनि बीज मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। 2) सामान्य मंत्र- ॐ शं शनैश्चराय नमः। 3) शनि महामंत्र- ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥ 4) शनि का वैदिक मंत्र- ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
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शनिवार के दिन शनि देव की पूजा का विधान है. ऐसा कहा जाता है कि शनिवार के दिन शनि देव की उपासना करने से उस शख्स के सभी काल, कष्ट, दुख और दर्द दूर होते हैं. इसके साथ जानिए शनि देव को प्रसन्न रखने के लिए कोन से मंत्रों का जाप करें:-
1) शनि बीज मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। 2) सामान्य मंत्र- ॐ शं शनैश्चराय नमः। 3) शनि महामंत्र- ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥ 4) शनि का वैदिक मंत्र- ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
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🕉 𝐍𝐚𝐦𝐚𝐬𝐭𝐞
𝕲𝖔𝖔𝖉 𝖒𝖔𝖗𝖓𝖎𝖓𝖌
If life makes you laugh understand that you are getting the fruits of your good "KARMAS" And when it makes you cry, understand that now is the time to do Good deeds.(KARMA).
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| ॐ शं शनैश्चराय नमः । । 🙏🏻🕉️
शनि की साढ़ेसाती और ढय्या से मुक्ति के उपाय
शनिवार के दिन शाम के समय पीपल वृक्ष के नीचे तिल के तेल के सात दीपक जलाएं, इसके बाद वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें, ऐसा करने से बाधाएँ दूर होगी और कार्य सफल होगें। यदि कोई असाध्य रोग हो, तो इकतालीस दिन तक पीपल के पेड़ के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
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संध्या भक्ति - शनिदेव व हनुमान जी के भजन - Shanidev Hanuman Ji Ke Bhajan...
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