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#ह्यूमन पैपिलोमा वायरस
msdindia · 2 years
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एचपीवी यानी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस के बारे में विस्तार से जानिए
एचपीवी एक वायरस जनित बीमारी है। इस आर्टिकल में आपको एचपीवी के बारे में तथा इसके लक्षण और उपचार के बारे में जानकारी मिलेगी।
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dayaramalok · 11 months
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yogenderthakur · 2 years
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Current Affairs Daily Quiz: 25 December 2022 Current Affairs in Hindi
Current Affairs Daily Quiz: 25 December 2022 Current Affairs in Hindi
Current Affairs Daily Quiz: 25 December 2022 Current Affairs in Hindi 25 December 2022 Current Affairs in Hindi, Current Affairs Daily Quiz, Daily Current Affairs in Hindi, Today Current Affairs, Current Affairs GK Q. ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण किस प्रकार का कैंसर होता है?सर्वाइकल कैंसरब्रेस्ट कैंसरओरल कैंसरप्रोस्टेट कैंसरउत्तर: सरवाइकल कैंसर – अधिकांश सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपिलोमा…
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curastexmedihealth · 2 years
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navabharat · 2 years
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गर्भाशय ग्रीवा कैंसर का टीका कुछ महीनों में किफायती दाम पर उपलब्ध होगा: पूनावाला
गर्भाशय ग्रीवा कैंसर का टीका कुछ महीनों में किफायती दाम पर उपलब्ध होगा: पूनावाला
नयी दिल्ली. सीरम इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया (एसआईआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने बृहस्पतिवार को कहा कि गर्भाशय ग्रीवा (र्सिवकल) कैंसर की रोकथाम के लिए पहला स्वदेश विकसित ‘क्वाड्रीवैलेंट’ ह्यूमन पैपिलोमा वायरस’ (एचपीवी) टीका जल्द ही 200 से 400 रुपये के किफायती दाम पर ��ोगों के लिए उपलब्ध हो जाएगा. केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह टीकों की वैज्ञानिक प्रक्रिया पूरी…
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bharatalert · 2 years
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सर्वाइकल कैंसर: बीमारी से बचाव के लिए जीवनशैली में 6 बदलाव
सर्वाइकल कैंसर: बीमारी से बचाव के लिए जीवनशैली में 6 बदलाव
ग्रीवा कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में होता है – गर्भाशय का निचला हिस्सा जो योनि से जुड़ता है। यह आमतौर पर मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के लंबे समय तक संक्रमण के कारण होता है, जो एक यौन संचारित संक्रमण है। हालाँकि, यह भी एक प्रकार का कैंसर है जिसे अत्यधिक रोका जा सकता है। आप नियमित जांच परीक्षणों और एचपीवी संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करने वाले टीके प्राप्त करके सर्वाइकल…
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kisansatta · 4 years
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सेक्सुअली ट्रांसमेटेड डिजीज क्या है, ,जानें इस बीमारी के लक्षण
सेक्‍सुअल एक्टिविटी से आप अच्‍छा महसूस करती है लेकिन अन्‍य बहुत सी चीजों की तरह अपने साथ जोखिम लेकर आता है। जी हां बहुत सी मजेदार चीजें जैसे साहसी खेल और जंक फूड मजेदार होने के बावजूद जोखिम से भरपूर होते हैं। ठीक वैसे ही प्रेग्‍नेंसी सेक्‍स का परिणाम है, जो आप पर निर्भर करता है कि आप उसका स्‍वागत करती है या नहीं। लेकिन क्‍या आप जानती हैं कि इसके साथ यौन संचारित बीमारियां भी (एसटीडी) एक तरह का प्रभाव है जिसके बारे में शायद ही आप कभी बात करती हो। एसटीडी एक आम बीमारी है जो यौन संबंधों के दौरान होने वाले संक्रमण से होती है।
यानी की शारीरिक संबंध बनाने के दौरान यौन रोग, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलते हैं। हालांकि इसका मतलब यह भी नहीं है कि स्त्री और पुरुष के बीच बनने वाले यौन संबंधों से एसटीडी की ही बीमारियां फैलती हैं। लेकिन अगर एक व्यक्ति को एसडीटी की बीमारी है तो दूसरे को वो संक्रमित हो सकती है। एसटीडी को कभी-कभी यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) के रूप में संदर्भित किया जाता है क्योंकि वे यौन गतिविधि के दौरान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बीमारी पैदा करने वाले जीव के संचरण को शामिल करते हैं। लेकिन यहां ये जानना महत्वपूर्ण है कि यौन संपर्क में केवल सेक्स ही नहीं आता, बल्कि किस, ओरल-जेनिटल कॉन्टैक्ट, सेक्सुअल खिलौने जैसे वाइब्रेटर का इस्तेमाल आदि से भी होता है।
महिलाओं में होने वाले ज्यादातर यौन संचारित रोग कोई खास लक्षण पैदा नहीं करते हैं।इसके अलावा, असुरक्षित यौन संबंध और अशिक्षा का अभाव यौन रोगों की सबसे बड़ी वजह बनते हैं। स्त्रियों और पुरुषों में सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज़ यानी यौन रोगों के लक्षण अलग-अलग होते हैं। यौन संचारित रोगों में सबसे आम और खतरनाक एचआईवी(HIV) है। जहां ज्यादातर यौन संचारित रोगों का इलाज संभव है वहीं एचआईवी का संभव होने के बावजूद पूरी तरह स्वस्थ्य और ठीक होने का रेशियो कम है।आइए जानते हैं यौन रोग किस तरह से हमारी जीवनशैली को प्रभावित करते हैं-
1.यह नीसेरिया गानोरिआ नाम के जीवाणु के कारण होता है। पुरुष और महिलाएं दोनों ही इससे संक्रमित हो सकते हैं। ये जीवाणु महिलाओं या पुरुषों के प्रजनन मार्ग या गीले क्षेत्र में आसानी से बढ़ता है। इसके जीवाणु मुंह, गला, आंख और गुदा में भी बढ़ते हैं। यह एक गर्भवती महिला से उसके बच्चे में भी ट्रांसफर हो सकता है।
2. क्लैमाइडिया एक एसटीडी है जो क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस नामक जीवाणु के कारण होता है। यह जीवाणु केवल मनुष्यों को संक्रमित करता है। क्लैमाइडिया विश्व स्तर पर जननांग और नेत्र रोगों का सबसे आम संक्रामक कारण है। क्लैमाइडिया पीडि़त होने पर महिलाओं में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते। वहीं, इसके लक्षणों में मूत्राशय के संक्रमण, योनि स्राव में परिवर्तन, पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द, दर्दनाक संभोग व पीरियड्स के बीच खून आना आदि शामिल हैं। यह बीमारी जन्म के समय मां से उनके बच्चे को भी लग सकता है। क्लैमाइडिया से ग्रस्त माताओं से उनके बच्चे को नेत्र संक्रमण और निमोनिया हो सकता है।
3. सिफलिस बहुत ही घातक यौन संचारित रोगों में से एक है। यह बीमारी ट्रीपोनीमा पैलिडम नामक जीवाणु के कारण फैलता है। इस यौन संचारित रोग का मुख्य कारण संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाना है। एक सर्वे के अनुसार भारत में सलाना एक लाख लोग सिफलिस से ग्रसित होते हैं।
4. ह्यूमन पैपीलोमावारसइ यानी एचपीवी एक यौन संक्रमित बीमारी है। एचपीवी का सबसे आम लक्षण जननांगों, मुंह या गले पर मस्सा है। एचपीवी संक्रमण होने पर व्यक्ति को मौखिक कैंसर, ग्रीवा कैंसर, वल्वर कैंसर, शिश्न कैंसर व मलाशय का कैंसर हो सकता है। एचपीवी के लिए कोई उपचार नहीं है। हालांकि, एचपीवी संक्रमण अक्सर अपने आप ही साफ हो जाता है। एचपीवी 16 और एचपीवी 18 सहित कुछ सबसे खतरनाक उपभेदों से बचाने के लिए एक वैक्सीन भी उपलब्ध है।
5.जेनिटल हर्पीस बीमारी बैक्टीरियल इन्फेक्शन से होती हैं। इसमें जननांगो के आस-पास बड़े-बड़े फफोले(द्रव-भरे हुए छाले) बनने लगते है। इन फफोलों के बनने के बाद इनमें से जो तरल पदार्थ निकलता है उससे यह और अधिक फैलता है। यह एक संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। हर्पीस सिंप्लेक्स वायर��� (एचएसवी) के कारण जेनाईटल हर्पीस रोग फैलता है।
6. यह सबसे आम यौन संचारित संक्रमण(एसटीआई) है। यह ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण होता है जो यौन संबंध बनाने से फैलता है। हर साल लगभग 3,60,000 लोग जेनाइटल वर्ट्स से पीड़ित होते हैं। एचपीवी गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का मुख्य कारण होता है।
7. गोनोरिया नामक जीवाणु के कारण गोनोरिया नीसेरिया होता है। गोनोरिया एक अन्य आम जीवाणु एसटीडी है। इसे “क्लैप” के रूप में भी जाना जाता है। गोनोरिया के लक्षणों में मुख्य रूप से लिंग या योनि से सफेद, पीला, बेज या हरे रंग का स्त्राव, सेक्स या पेशाब के दौरान दर्द या परेशानी, सामान्य से अधिक लगातार पेशाब, जननांगों के आसपास खुजली होना व गले में खराश आदि हो सकता है। बच्चे के जन्म के दौरान मां से नवजात शिशु में यह बीमारी हो सकती है। जब ऐसा होता है, तो गोनोरिया शिशु में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है। गोनोरिया का आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इलाज किया जा सकता है।
8. स्कैबीज घुन से होने वाली खुजली वाला त्वचा संक्रमण है. इसमें रोगी को दाने या मुंहासे होते हैं. यह बीमारी एक दूसरे के संपर्क में आने से होती है. स्‍कैबीज घुन के काटने से तो फैलती ही है साथ ही यह बीमारी संक्रमित व्‍यक्ति के साथ शारीरिक नजदीकी से भी हो सकती है.
9. यह भी एक यौन संचारित बीमारी है, जो आपके प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर करती है। यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, तो यह स्टेज 3 एचआईवी को जन्म दे सकता है, जिसे एड्स के रूप में जाना जाता है। इसके शुरूआती लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, दर्द एवं पीड़ा, सूजी हुई लसीका ग्रंथियां, गले में खराश, सिरदर्द, जी मिचलाना व चकत्ते आदि हो सकते हैं।
पुरुषों में यौन रोगों के लक्षण:-
पुरुषों में यौन रोगों के लक्षण आम तौर पर पेशाब में संक्रमण। पेशाब के दौरान दर्द होने, लिंग में सूजन, दाने और खुजली के रूप में हो सकते हैं। इसके अलावा अंडकोष में घाव और चकते होना भी एसटीडी के लक्षणों में शामिल हैं। अंडकोष में सूजन भी यौन रोगों के ही लक्षण हैं। इसके अलावा भी यौन रोगों के कई लक्षण हो सकते हैं। असुरक्षित यौन संबंधों की वजह से ही एड्स जैसी जानलेवा बीमारी भी होती है। कई बार यौन सबंधी रोगों के लक्षण कई हफ्ते बाद भी सामने आते हैं। एसटीडी की बीमारी को हम आम तौर पर दो बैक्टीरिया गानरीअ और क्लैमाइडिया के रूप में ही जानते हैं लेकिन सेक्शुअल कॉन्टेक्ट में आने की वजह से कई और तरह की बीमारियां भी हो सकती हैं। इनमें हेपेटाइटिस और एड्स भी शामिल है।
महिलाओं में यौन बीमारियों के लक्षण:-
महिलाओं में यौन बीमारियों के लक्षण दर्द और शारीरिक संबंध बनाने के दौरान असहजता, पेशाब में दर्द, जलन और सूजन के तौर पर दिखाई देते हैं। योनी के आसपास घाव, चकते और दाने भी यौन संक्रमित बीमारियों के लक्षण होते हैं। इसमें योनी के आसपास खुजली ��ी प्रमुख लक्षण है।भारत में सबसे ज्यादा यौन संक्रमण बीमारी एचपीवी है। यह संक्रमण त्वचा से त्वचा के स्पर्श से फैलता है। यह संक्रमण भी सौ से ज्यादा तरह का हो सकता है। जिनमें से 40 तरह का वीएचवी यौन संबंधों के दौरान फैलता हैं|
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gethealthy18-blog · 5 years
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मस्सा के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Warts Symptoms and Treatment in Hindi
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मस्सा के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Warts Symptoms and Treatment in Hindi
मस्सा के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Warts Symptoms and Treatment in Hindi Saral Jain Hyderabd040-395603080 November 29, 2019
गलत खान-पान, दूषित वातावरण और आसपास की गंदगी के कारण कई बैक्टीरिया और वायरस पैदा हो जाते हैं। इन बैक्टीरिया और वायरस की वजह से कई बीमारियां और समस्याएं देखने में आती हैं। उनमें से कुछ तो ठीक हो जाती हैं, लेकिन कुछ लंबे समय के लिए शरीर में घर कर जाती हैं। इन्हीं समस्याओं में से एक है मस्से की समस्या, जो आपकी खूबसूरती पर दाग के समान होते हैं। ये देखने में बेहद भद्दे लगते हैं। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम मस्सों के बारे में ही बात करेंगे। हम जानने की कोशिश करेंगे कि इसके पीछे मुख्य कारण क्या है। साथ ही हम मस्से का इलाज करने के कुछ खास घरेलू नुस्खे भी बताएंगे। इन घरेलू नुस्खों को उपयोग करने से पहले त्वचा विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है, क्योंकि कुछ लोगों की त्वचा संवेदनशील होती है और इनमें से कुछ घरेलू नुस्खों से उन्हें एलर्जी हो सकती है।
आर्टिकल में सबसे पहले हम मस्सा के बारे में कुछ जानकारी जुटा लेते हैं।
विषय सूची
मस्सा क्या है? – What Are Warts in Hindi
मस्सा, आपकी त्वचा की बाहरी परत पर एक मोटी और कठोर गांठ जैसा होता है। ये अपके शरीर पर कहीं भी विकसित हो सकते हैं। हाथ और पैरों की त्वचा पर इनके विकसित होने की आशंका ज्यादा होती हैं। ये आपकी त्वचा पर ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (Human Papillomavirus) यानी एचपीवी संक्रमण के कारण होते हैं। खास बात यह है कि बेशक ये गांठ जैसे होता हैं, लेकिन कैंसर का कारण नहीं बनते हैं (1)।
आइए, अब यह जान लेते हैं कि मस्से कितने प्रकार के होते हैं।
मस्सा के प्रकार – Types of Warts in Hindi
मुख्य रूप से मस्से छह प्रकार के होते हैं, जिनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं (2):
कॉमन मस्सा (Common warts): यह सुई की नोक से लेकर मटर के आकार तक हो सकता है। यह अक्सर हाथों, उंगलि���ों, नाखूनों के आसपास की त्वचा और आपके पैरों पर पाया जाता है।
प्लांटार मस्सा (Plantar warts): यह काफी बड़ा हो सकता है। इस तरह के मस्से का इलाज करना थोड़ा मुश्किल होता है। यह ज्यादातर पैरों की एड़ियों और तलवों पर होता है।
मोजेक मस्सा (Mosaic warts): यह छोटे आकार का सफेद रंग का मस्सा होता है। यह आमतौर पर पैरों की उंगलियों के नीचे पाया जाता है, जो पूरे पैर में फैल सकता है।
फिलीफॉर्म मस्सा (Filiform warts): यह धागे जैसा पतला और आगे से नुकीला होता है। यह मुख्य रूप से चेहरे पर होता है। चेहरे पर होने के कारण यह आपको ज्यादा परेशान कर सकता है।
फ्लैट मस्सा (Flat warts): यह हल्के भूरे रंग का होता है और आमतौर पर चेहरे, माथे व गाल पर पाया जाता है। यह आपके अंडरआर्म्स पर भी हो सकता है।
जेनिटल मस्सा (Genital warts): ये मस्सा जननांग पर बैक्टीरिया के कारण होता है।
मस्सों के प्रकार के बाद हम आगे मस्सा होने के कारण के बारे में बता रहे हैं।
मस्सा के कारण – Causes of Warts in Hindi
मस्से मुख्य रूप से संक्रमण के कारण होते हैं। मस्सा होने के कारण और भी हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं (2):
मस्सा एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) संक्रमण के कारण होता है। यह वायरस 100 से अधिक प्रकार का होता है, जो त्वचा में छोटे-छोटे कट के माध्यम से प्रवेश कर सकता है और अतिरिक्त कोशिकाओं की वृद्धि का कारण बन सकता है। इससे त्वचा की बाहरी परत मोटी और सख्त हो जाती है, जो मस्सा का रूप ले लेता है।
एचपीवी वायरस से प्रभावित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी यह हो सकता है।
दूसराें का तौलिया या फिर रेजर इस्तेमाल करना भी मस्सा होने के कारण बन सकता है।
घाव वाली त्वचा के संक्रमित होने से भी इसके होने की आशंका अधिक हो जाती है।
मस्से होने के कारण जानने के बाद अब हम इसके लक्षणों के बारे में भी जान लेते हैं।
मस्सा के लक्षण – Warts Symptoms in Hindi
आप कुछ खास लक्षणों के जरिए जान सकते हैं कि आपको मस्से हैं या नहीं (2):
त्वचा के ऊपर गांठ जैसा दिखाई देना।
त्वचा के ऊपर गहरे रंग के धब्बे या तिल जैसे निशान बनना।
त्वचा पर अलग-अलग प्रकार के रंग का होना।
मस्से पर काले धब्बों की उपस्थिति, आपकी रक्त वाहिकाओं को बंद कर सकती है।
त्वचा पर बनी हुई गांठ मुलायम या फिर खुरदरी होना भी मस्से के लक्षण हो सकते हैं।
अब आर्टिकल के इस अहम हिस्से में आप जानेगे कि किन घरेलू उपायों की मदद से इस समस्या से निपटा जा सकता है।
मस्सा के लिए कुछ घरेलू उपाय – Home Remedies for Warts in Hindi
आम जिंदगी में मस्से का होना एक परेशानी का विषय बन सकता है। अगर आप भी इससे पीड़ित हैं और मस्सा हटाने के उपाय खोज रहे हैं, तो चिंता न करें। यहां पर हम आपको कुछ आसान से घरेलू उपायों के जरिए मस्से हटाने की विधि बता रहे हैं।
नोट: आप इन मस्सा हटाने के उपाय का उपयोग जेनिटल मस्से के लिए न करें। अगर आपको जेनिटल मस्सा है, तो इसके इलाज के लिए आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
1. लहसुन से मस्से का इलाज
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लहसुन में एंटीवायरल और एंटी कार्सिनोजेनिक गुण पाए जाते हैं। ये गुण वायरल से संक्रमित कोशिकाओं के प्रसार को रोकते हैं। इस प्रकार यह मस्सा का कारण बनने वाले वायरल संक्रमण का इलाज करने में आपकी मदद कर सकता है (3)।
सामग्री:
1-2 लहसुन की कलियां
क्या करें?
लहसुन को कुचल कर एक पेस्ट बना लें।
इस पेस्ट को मस्से से प्रभावित स्थान पर लगाएं।
कब कर सकते हैं उपयोग?
आप इसे दिन में दो से तीन बार उपयोग कर सकते हैं।
2. अरंडी का तेल
अरंडी का तेल मस्से हटाने की दवा के रूप में लाभकारी साबित हो सकता है (4)। इसमें पाया जाने वाला एंटीवायरल गुण मस्से के बैक्टीरिया को रोकने और उसे समाप्त करने में आपकी मदद कर सकता है (5)। एंटीवायलर गुण मस्से और इसके फैलान वाले ह्यूमन पेपिलोमा वायरस को दूर करने के लिए एक कारगर घटक हो सकता है (6)।
सामग्री:
1 चम्मच अरंडी का तेल
2-3 बूंदें एसेंशियल ऑयल
क्या करें?
एक कटोरी में एसेंशियल ऑयल की दो से तीन बूंदों के साथ एक चम्मच अरंडी का तेल मिलाएं।
इसे कॉटन की सहायता से मस्से पर लगाएं।
इसे कुछ देर के लिए ऐसे ही छोड़ दें और फिर पानी से धो लें।
कब कर सकते हैं उपयोग?
आप इसका उपयोग सुबह नहाने से पहले और रात को सोने से पहले कर सकते हैं।
3. टी ट्री का तेल
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टी ट्री का तेल मस्से की समस्या को दूर करने में आपकी मदद कर सकता है। ये एटिऑलॉजिकल माइक्रोबियल (Aetiological Microbial) गुण से भरपूर होता है, जो त्वचा के संक्रमण को दूर करने में आपकी मदद करता है। इसके उपयोग से आप मस्से को फैलाने वाले बैक्टीरिया को समाप्त कर सकते हैं (7)। इसके अलावा, इस तेल में एंटीमाइक्रोबियल गुण होता है, जो बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होने वाले मस्से को दूर कर सकता है (8)।
सामग्री:
टी ट्री ऑयल की 2-3 बूंदें
कॉटन बॉल
क्या करें?
कॉटन बॉल को टी ट्री के तेल में डुबाएं।
इसके बाद कॉटन बॉल को मस्से पर लगाएं।
कब कर सकते हैं उपयोग?
आप ऐसा हफ्ते में रोजाना सुबह और शाम को कर सकते हैं।
4. सिरके से मस्से का इलाज
आप सिरके का उपयोग करके भी मस्से की समस्या को दूर कर सकते हैं। सिरके में मौजूद असेटिक एसिड बैक्टीरिया द्वारा बढ़ने वाले संक्रमण को फैलने नहीं देता। इसे मस्से पर लगाने से आपको जल्दी ही फायदा हो सकता है (9)।
सामग्री:
2 चम्मच सिरका
एक कॉटन बॉल
क्या करेंं?
आप सिरके में कॉटन को भिगोकर प्रभावित स्थान पर लगाएं।
इसे कुछ देर ऐसे ही लगा रहने दें।
कब कर सकते हैं उपयोग?
आप इसका उपयोग दिन में एक बार कभी भी कर सकते हैं।
5. एलोवेरा
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आमतौर पर एलोवेरा के जेल का उपयोग त्वचा को खूबसूरत बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे मस्से हटाने की दवा के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। एक मेडिकल रिसर्च के अनुसार, एलोवेरा में एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं, जो मस्से का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को न सिर्फ रोकते हैं, बल्कि उन्हें समाप्त भी करते हैं (10)।
सामग्री:
1 चम्मच एलोवेरा का गूदा
क्या करें?
एलोवेरा के गूदे को मस्से वाले स्थान पर लगाकर कुछ देर के लिए हल्के-हल्के हाथों से मलें।
मलने के बाद थोड़ी देर तक उसे ऐसा ही छोड़ दें और फिर धो लें।
कब कर सकते हैं उपयोग?
आप इसका उपयोग रोजाना कभी कर सकते हैं।
6. बेकिंग सोडा से मस्से का इलाज
जैसा कि आप ऊपर पढ़ चुके हैं कि मस्सा एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) संक्रमण के कारण होता है (6)। माना जाता है कि बेकिंग सोडा जिसे सोडियम बायकार्बोनेट के भी कहा जाता है, इस समस्या को कम करने में मदद कर सकता है (11)। फिलहाल, इस संबंध में और वैज्ञानिक शोध किए जाने की आवश्यकता है।
सामग्री:
2 चम्मच बेकिंग सोडा
1 चम्मच एसेंशियल ऑयल
क्या करें?
दोनों सामग्रियों को आपस में मिलाकर पेस्ट तैयार करें।
फिर इस पेस्ट को मस्से पर लगाएं।
कुछ देर बाद इसे साफ कर लें।
कब कर सकते  हैं उपयोग?
आप इस विधि का प्रयोग हफ्ते में दो से तीन बार कर सकते हैं।
7. नींबू
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मस्से के मसले को सुलझाने के लिए नींबू बहुत ही काम की चीज हो सकती है। दरअसल, इसमें साइट्रिक एसिड पाया जाता है, जिसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं। यह मस्से को दूर करने में आपकी मदद कर सकता है (12)।
सामग्री:
1 चम्मच नींबू का रस
2 चम्मच पानी
कॉटन बॉल
क्या करें?
नींबू के रस को पानी में मिलाएं।
इस मिश्रण को आप मस्से पर कॉटन के द्वारा लगा सकते हैं।
कुछ देर इसे लगा रहने दें और फिर इसे धो लें।
कब कर सकते हैं उपयोग?
आप इसका उपयोग कभी भी कर सकते हैं। सुबह नहाने से पहले इसका उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है।
8. केला के छिल्के से मस्से का इलाज
केला खाने के बाद आप उसके छिल्के को फेंक देते होंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि केले का छिल्का भी बहुत गुणकारी होता है। इसमें एंटीवायरल और एंटी बैक्टीरियल के साथ ही एंटी माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं। केले के छिल्के में पाए जाने वाले ये गुण मस्से को दूर करने के लिए रामबाण साबित हाे सकते हैं (13)।
सामग्री:
एक पके केले का छिल्का
क्या करें?
आप केले के छिल्के को मस्से पर 5 से 10 मिनट तक रख सकते हैं।
कब कर सकते हैं उपयोग?
आप इसका उपयोग दो दिन में एक बार कर सकते हैं।
9. थूजा का तेल
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मस्से का इलाज करने के लिए होम्योपैथिक चिकित्सा में थूजा के तेल का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। थूजा एक सदाबहार पेड़ हैं और इसकी पत्तियों से तैयार दवा को त्वचा से जुड़ी बीमारियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें एक मस्सा भी है (14)। मस्से को दूर करने वाले गुण के लिए अभी थूजा के तेल पर और रिसर्च किए जाने की जरूरत है।
सामग्री:
2-3 बूंद थूजा का तेल
2-3 बूंद एसेंशियल ऑयल
1 कॉटन बॉल
क्या करें?
थूजा के तेल को एसेंशियल ऑयल के साथ मिला लें।
फिर इसमें कॉटन बॉल के डुबो दें।
इस कॉटन को मस्से से प्रभावित वाले स्थान पर कुछ देर के लिए लगाएं।
बाद में इसे ऐसे ही छोड़ दें।
कब कर सकते हैं उपयोग?
आप इसका उपयोग हफ्ते में दो बार किसी भी दिन कर सकते हैं।
10. हल्दी
हल्दी न सिर्फ हमारा रक्त साफ करती है, बल्कि यह अन्य मामलों में भी गुणकारी होती है। हल्दी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण पाए जाते हैं (15)। हल्दी में पाए जाने वाले ये गुण मस्से का कारण बनने वाले ह्यूमन पैपिलोमा वायरस को समाप्त करने में कारगर होते हैं। इसके अलावा, ये मस्से के प्रभाव को भी समाप्त करने में आपकी मदद कर सकते हैं (6)। फिलहाल, इस संबंध में अभी और शोध की जरूरत है।
सामग्री:
1 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर
1 छोटा चम्मच एसेंशियल ऑयल
क्या करें?
तेल और हल्दी काे मिलाकर पेस्ट बना लें।
इस पेस्ट को प्रभावित स्थान पर लगाएं।
इसे लगाकर ऐसे ही छोड़ दें, ये अपने आप सूख कर झड़ जाएगा।
कब कर सकते हैं उपयोग?
आप इसका उपयोग रोजाना कभी भी कर सकते हैं।
11. बीटल जूस
बीटल जूस जिसे कैंथारिडिन (Cantharidin) के नाम से भी जानते हैं, मस्से के उपचार के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसको पॉडोफिलिन (Podophyllin) और सैलिसिलिक एसिड (Salicylic Acid) के साथ मिलाकर उपयोग करने पर मस्से की समस्या के साथ ही तिल की समस्या को भी दूर करने में कुछ मदद मिल सकती है (16)।
सामग्री:
2-3 बूंदें बीटल जूस
1-2 बूंद पॉडोफिलिन
2 बूंद सैलिसिलिक एसिड
एक बैंडेज
क्या करें?
सब को मिलाकर प्रभावित त्वचा पर लगाएं।
इसके ऊपर से बैंडेज या पट्टी को आराम से बांध लें।
इसे 24 घंटे के लिए बंधा रहने दें।
कब कर सकते हैं उपयोग?
आप रोजाना रात को सोते समय इसका उपयोग कर सकते हैं।
12. नीम का तेल
नीम का नाम और इसके उपयोग के बारे में कौन नहीं जानता। इसमें मौजूद गुण हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। इन्हीं गुणों में से एक गुण है एंटीवायरल गुण, जो मस्से को पैदा करने वाले बैक्टीरिया को न सिर्फ रोकता है, बल्कि इसके संक्रमण को भी समाप्त कर देता है और दोबारा पनपने नहीं देता (17)।
सामग्री:
1 चम्मच नीम का तेल
1 कॉटन बॉल
क्या करें?
कॉटन बॉल को नीम के तेल में भिगाएं।
इसे मस्से वाले स्थान पर आराम-आराम से लगाएं।
कब कर सकते हैं उपयोग?
आप इसका उपयोग दिन में 2 बार कभी भी कर सकते हैं।
13. अजवायन का तेल
छोटी-सी दिखाई देने वाली अजवायन कई बीमारियों को ठीक कर सकती है। इसका तेल मस्से की समस्या को कुछ हद तक दूर कर सकता है। अजवायन का तेल एंटीवायरल गुणों से संपन्न होता है (18)। इसमें पाया जाने वाला यह गुण एचपीवी नामक वायरस को समाप्त करके मस्से की समस्या से आपको निजात दिलाने में मदद कर सकता है (19)। वहीं, सीडीसी (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) की रिसर्च के अनुसार, एचपीवी के उपचार में एंटीवायरस का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है (20)। ऐसे में बेहतर होगा कि इस संबंध में एक बार डॉक्टर की राय जरूर ली जाए।
सामग्री:
4-5 बूंद अजवायन का तेल
1 कॉटन बॉल
क्या करें?
मस्से वाले स्थान को साफ कर लें।
कॉटन बॉल पर अजवायन के तेल को डालें।
इसे मस्से वाली जगह पर लगाए और थोड़ी देर के लिए ऐसे ही छोड़ दें।
कब कर सकते हैं उपयोग?
आप ��हाने से पहले रोजाना इस विधि का उपयोग कर सकते हैं।
14. विटामिन ए
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मस्सों की समस्या को दूर करने के लिए विटामिन-ए को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आपको उन पदार्थों का सेवन करें, जो विटामिन-ए से भरपूर हों। आप डॉक्टर की सलाह पर विटामिन-ए के सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं। विटामिन-ए मस्से का कारण बनने वाले एचपीवी नामक वायरस पर अपना प्रभाव दिखाता है और इसे धीरे-धीरे कम करके समाप्त कर सकता है (21)।
लेख के इस अंतिम हिस्से में हम आपको मस्से की समस्या से बचने के लिए कुछ उपाय बता रहे हैं।
मस्सा से बचाव – Prevention Tips for Warts in Hindi
अगर आपको मस्से नहीं है, तो जरूरी नहीं की भविष्य भी में न हो। अगर आप इससे बचना चाहते हैं, तो नीचे दिए कुछ जरूरी उपाय को फाॅलो करें, जो इस प्रकार हैं:
अपने हाथ और पैरों को नियमित रूप से धोएं।
अपने नाखूनों को जंग लगे या संक्रमित औजारों द्वारा कटने से बचना चाहिए।
ध्यान रखें कि अपनी वस्तुओं जैसे तौलिया व जूते-चप्पल आदि हर किसी के साथ शेयर न करें।
अपनी त्वचा को मॉइस्चराइज रखें।
अपने पैरों को हमेशा सार्वजनिक स्थानों पर ढक कर रखें।
आपने आर्टिकल में पढ़ा की थोड़ी-सी भी लापरवाही कैसे किसी भी वायरस के फैलने का कारण बन सकती है। उन्हीं में से एक मस्से को फैलाने वाला वायरस भी है। इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपसे मस्से के लक्षण और उसको फैलाने वाले वायरस की जानकारी साझा की है। साथ ही मस्से हटाने की विधि और उससे बचने के उपायों को भी बताया है। ये घरेलू नुस्खे मस्से की समस्या को कम कर सकते हैं और मेडिकल ट्रीटमेंट के प्रभाव को बढ़ा सकते हैं। साथ ही इन्हें उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। ये आर्टिकल आपके लिए किस प्रकार से फायदेमंद रहा नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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Saral Jain
सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ से पत्रकारिता में बीए किया है। सरल को इलेक्ट्रानिक मीडिया का लगभग 8 वर्षों का एवं प्रिंट मीडिया का एक साल का अनुभव है। इन्होंने 3 साल तक टीवी चैनल के कई कार्यक्रमों में एंकर की भूमिका भी निभाई है। इन्हें फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, एडवंचर व वाइल्ड लाइफ शूट, कैंपिंग व घूमना पसंद है। सरल जैन संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी व कन्नड़ भाषाओं के जानकार हैं।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/massa-ke-karan-lakshan-gharelu-ilaj-in-hindi/
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rajatgarg79 · 6 years
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जननांग मस्से
जननांग के मस्से क्या होते हैं?
जननांग के मस्से काफी परेशानी जनक होते हैं, लेकिन ये खतरनाक नहीं होते है और इनका ईलाज किया जा सकता है। जननांग के मस्से यौन संचारित संक्रमणों में से एक, सबसे आम प्रकार के संक्रमण होते हैं। ये पुरूषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा विकसित होते हैं। संबंधित वायरस से ग्रसित प्रत्येक व्यक्ति में मस्से विकसित होना जरूरी नहीं होता। ज्यादातर लोगों में, जिनमें स्पष्ट मस्से वाले लोग भी शामिल हैं, उनके शरीर से वायरस समय के साथ निकल जाता है। बहुत ही कम मामलों में जननांग के मस्से किसी दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्या को पैदा करते हैं।  
(और पढ़ें - जननांग दाद का उपचार)
जननांग मस्से मुख्य रूप से जननांग क्षेत्रों के नरम ऊतकों को प्रभावित करते हैं। यह मस्से पुरूषों के अंडकोश की थैली, गुदा या लिंग के आस-पास दिखाई देते हैं और महिलाओं में वल्वा (Vulva),गर्भाशय ग्रीवा, योनि या गुदा के आस पास दिखाई देते हैं।
देखने में जननांग मस्से मांस के रंग के छोटे-छोटे उभार होते हैं, जो उपर से फूलगोभी की तरह दिख सकते हैं। ज्यादातर मामलों में जननांग मस्से दिखाई दने लायक नहीं होते तथा ये काफी छोटे होते हैं।
जननांग मस्से एवं अन्य मस्से जो शरीर पर कहीं भी होते हैं, वे सब ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) के कारण होते हैं। 
(और पढ़ें - मस्से की दवा)
from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख via https://www.myupchar.com/disease/warts-genital
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gethealthy18-blog · 5 years
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गले के कैंसर के कारण, लक्षण और इलाज – Throat Cancer Causes, Symptoms and Treatment in Hindi
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गले के कैंसर के कारण, लक्षण और इलाज – Throat Cancer Causes, Symptoms and Treatment in Hindi
गले के कैंसर के कारण, लक्षण और इलाज – Throat Cancer Causes, Symptoms and Treatment in Hindi Ankit Rastogi Hyderabd040-395603080 October 11, 2019
आमतौर पर लोग कई बीमारियों के कारण परेशान रहते हैं, जिसके पीछे बड़ा कारण गलत खान-पान की आदतें होती हैं। कैंसर भी ऐसी ही बीमारी है, जो नशे के साथ-साथ कई अन्य कारणों से भी लोगों को अपना शिकार बना लेती है। ध्यान रहे, कैंसर किसी एक समस्या का नाम नहीं है, बल्कि कई समस्याओं के संयुक्त रूप को कैंसर के रूप में परिभाषित किया जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि शरीर के अंग और जगह के हिसाब से इसे करीब 100 से अधिक भागों में विभाजित किया गया है। उन्हीं में से एक है गले का कैंसर (1) (2)। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम आपको गले के कैंसर के लक्षण, कारण और इससे बचने के उपाय के बारे में बता रहे हैं।
गले के कैंसर के कारण और लक्षण जानने से पहले बेहतर होगा कि गले का कैंसर क्या है, इस संबंध में थोड़ी जानकारी हासिल कर लें।
विषय सूची
गले का कैंसर क्या है – What is Throat Cancer in Hindi
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गले का कैंसर क्या है? इस सवाल का जवाब पाने के लिए हमें सबसे पहले कैंसर को समझना होगा। दरअसल, हमारा शरीर आवश्यकतानुसार कोशिकाओं का निर्माण करता है और पुरानी कोशिकाओं को अपने आप ही नष्ट करता है। जब यह प्रक्रिया किसी कारणवश प्रभावित हो जाती है, तो नई कोशिकाएं बनने लगती हैं और पुरानी कोशिकाएं नष्ट नहीं होती है। इससे कोशिकाओं का असामान्य विकास शुरू हो जाता है, जिससे शरीर के अंदर एक गांठ का निर्माण होता है। शरीर के अंदर बनने वाली यह गांठ ट्यूमर कहलाती है, जो आगे चलकर कैंसर का रूप ले लेती है (1)।
ध्यान देने वाली बात यह है कि सभी ट्यूमर कैंसर में नहीं बदलते, बल्कि जो ट्यूमर शरीर के ऊतकों (टिश्यू) या अंगों के करीब होते हैं, वो बढ़ने पर उन ऊतकों और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं और कैंसर जैसी गंभीर समस्या को जन्म देते हैं। जब यही प्रक्रिया गले के विभिन्न भागों में होना शुरू होती है, तो इसे गले का कैंसर कहा जाता है (1) (2)।
लेख के अगले भाग में अब हम आपको गले के कैंसर के प्रकार के बारे में बताएंगे।
गले के कैंसर के प्रकार – Types of Throat Cancer In Hindi
गले के कैंसर के प्रकार को गले के अलग-अलग हिस्सों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। आइए, इनके बारे में हम थोड़ा विस्तार से जानते हैं (2)।
ऑरोफरीन्जियल कैंसर- गले के मध्य हिस्से यानी मुंह और जीभ के पीछे का हिस्सा ऑरोफरीनक्स कहलाता है। इस हिस्से में कैंसर होने पर इसे ऑरोफरीन्जियल कैंसर कहा जाता है (3)।
हाइपोफरीन्जियल कैंसर- गले के सबसे निचले हिस्से को हाइपोफरीनक्स कहा जाता है। गले के इस हिस्से में कैंसर की कोशिकाओं का विकास हाइपोफरीन्जियल कैंसर कहलाता है (4)।
नासोफरीन्जियल कैंसर- नाक के पीछे का भाग यानी गले का सबसे ऊपरी हिस्सा नासोफरीनक्स कहलाता है। गले के इस हिस्से में कैंसर होने की स्थिति में इसे नासोफरीन्जियल कैंसर कहा जाता है (5)।
लैरीयंगल कैंसर- जीभ के निचले हिस्से और ट्रेकिया के बीच के भाग को लैरिंक्स (ध्वनि यंत्र) कहा जाता है। गले के इस भाग में जब कैंसर कोशिकाएं पनपती हैं, तो कैंसर का यह प्रकार लैरीयंगल कैंसर कहलाता है। बता दें कि लैरिंक्स के मुख्य तीन भाग होते हैं। उनके हिसाब से लैरीयंगल कैंसर को भी तीन ���ागों (सुपरग्लोटिस, ग्लोटिस और सबग्लोटिस) में बांटा गया है (6)।
गले के कैंसर के प्रकार से संबंधित जानकारी हासिल करने के बाद अब हम गले के कैंसर के कारण जानने की कोशिश करेंगे।
गले के कैंसर के कारण और जोखिम कारक – Causes and Risk Factors of Throat Cancer in Hindi
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गले के कैंसर के कारण समझने के लिए आइए हम निम्न बिंदुओं पर नजर डालते हैं (7)।
तंबाकू चबाना।
सिगरेट पीना।
अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन।
शराब के साथ सिगरेट पीने से गले का कैंसर होने की आशंका प्रबल हो जाती है।
ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) के कारण, जो अप्राकृतिक यौन संबंध के कारण मुख्य रूप से गले के कैंसर का कारण बनता है।
लेख के आगे के भाग में हम गले के कैंसर के लक्षण जानने का प्रयास करेंगे।
गले के कैंसर के लक्षण – Symptoms of Throat Cancer in Hindi
गले के कैंसर के लक्षण निम्न प्रकार से हैं (7)।
असामान्य (तेज आवाज के साथ) सांस लेना।
खांसी आना।
खांसी के साथ खून आना।
खाना निगलने में तकलीफ।
आवाज का भारी होना (गला बैठना), जो तीन से चार सप्ताह के बाद भी ठीक न हो।
गले की खराश, जो दो से तीन सप्ताह बाद भी ठीक न हो।
गले में सूजन या गांठ का होना।
असामान्य तरीके से वजन का कम होना।
गले के कैंसर के लक्षण के बाद अब हम गले के कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है, इस बारे में जानेंगे।
गले के कैंसर का इलाज – Treatment of Throat Cancer in Hindi
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उपचार के कुछ खास तरीके हैं, जिन्हें अपनाकर गले के कैंसर का इलाज किया जाता है। आइए, उनके बारे में जानने के लिए लेख में आगे बढ़ते हैं (7)।
सर्जरी : सर्जरी ऐसा तरीका है, जिसकी सहायता से गले का ऑपरेशन कर उसमें मौजूद कैंसर कोशिकाओं को बाहर निकाल दिया जाता है।
रेडिएशन थेरेपी : इलाज की इस प्रक्रिया को कैंसर की प्रारंभिक स्थिति में अपनाया जाता है, जब ट्यूमर या कैंसर कोशिकाओं का अधिक विकास ��हीं होता है। इसमें रेडिएशन के माध्यम से ��ैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने का प्रयास किया जाता है।
  कीमोथेरेपी : इलाज की इस प्रक्रिया में कुछ खास दवाओं के माध्यम से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने का प्रयास किया जाता है, जो रेडिएशन थेरेपी को अधिक प्रभावी बना देती हैं।
लेरिंजेक्टॉमी : जब कैंसर कोशिकाएं इस हद तक बढ़ जाती हैं, तो उन्हें नष्ट कर पाना मुश्किल हो जाता है। उस स्थिति में स्वर यंत्र को पूरी तरह से निकाल दिया जाता है। उपचार की इस प्रक्रिया को लेरिंजेक्टॉमी कहा जाता है।
गले के कैंसर का इलाज के बाद अब हम इस समस्या में किए जाने वाले परहेज के बारे में जानेंगे।
गले के कैंसर में परहेज – What to Avoid During Throat Cancer in Hindi
गले में कैंसर की स्थिति में आपको निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना होता है (7)।
तंबाकू का सेवन न करें।
धूम्रपान से दूर रहें।
शराब का सेवन न करें।
अप्राकृतिक यौन संबंध से दूरी बनाएं।
परहेज के बाद अब हम आपको गले के कैंसर से बचाव के कुछ अन्य उपाय बताने जा रहे हैं।
गले के कैंसर से बचने के उपाय – Prevention Tips for Throat Cancer in Hindi
गले के कैंसर से बचाव के निम्न उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर आप इस समस्या को खुद से काफी हद तक दूर रख सकते हैं (8)।
संतुलित आहार लें।
आहार में पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियों और फलों को शामिल करें।
वजन कम करने का प्रयास करें।
मुंह की नियमित सफाई करें।
सुपारी के उपयोग से दूर रहें।
नियमित व्यायाम करें।
अब जब आप गले के कैंसर से अच्छी तरह परिचित हो गए हैं, तो जरूरी है कि लेख में सुझाए गए इससे बचाव के तरीकों को ध्यान में रखें, ताकि भविष्य में यह बीमारी आपके पास फटकने न पाए। वहीं, अगर आप दुर्भाग्यवश इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो यही मौका है, इस बीमारी के प्रति सजग होने का। इसके लिए करना बस इतना है कि लेख में बताए गए कारण, लक्षण और सावधानियों को अच्छे से समझें और इस समस्या के मुख्य जोखिम कारकों को खुद पर हावी न होने दें। वहीं, समस्या अगर बढ़ चुकी है, तो बताए गए उपचार के तरीकों में से उचित तरीके को चुने और अपने डॉक्टर से सलाह लें। उम्मीद करते हैं कि गले के कैंसर से जूझ रहे कई परिवारों के लिए यह लेख लाभदायक साबित होगा। इस विषय से संबंधित कोई अन्य सवाल या सुझाव हो, तो उन्हें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम तक जरूर पहुंचाएं।
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अंकित रस्तोगी ने साल 2013 में हिसार यूनिवर्सिटी, हरियाणा से एमए मास कॉम की डिग्री हासिल की है। वहीं, इन्होंने अपने स्नातक के पहले वर्ष में कदम रखते ही टीवी और प्रिंट मीडिया का अनुभव लेना शुरू कर दिया था। वहीं, प्रोफेसनल तौर पर इन्हें इस फील्ड में करीब 6 सालों का अनुभव है। प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में इन्होंने संपादन का काम किया है। कई डिजिटल वेबसाइट पर इनके राजनीतिक, स्वास्थ्य और लाइफस्टाइल से संबंधित कई लेख प्रकाशित हुए हैं। इनकी मुख्य रुचि फीचर लेखन में है। इन्हें गीत सुनने और गाने के साथ-साथ कई तरह के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाने का शौक भी हैं।
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