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#हरी चाय
hindisoup · 2 years
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Spices and Herbs Vocabulary
मसाला - spice (masculine) जड़ी-बूटी - herb (feminine) खुशबू - fragrance, aroma (feminine), also सुगंध (masculine) वासक - aromatic, flavouring (adjective) सुवास, स्वाद - flavour (masculine) सुवास / स्वाद बनाना - to flavour (transitive) सुवास / स्वाद देना - to give flavor (transitive) रंग देना - to give colour (transitive) स्वादिष्ट बनाना - to make tasty (transitive) मसाले डालना - to add spice (transitive) मिलाना, मिक्स करना - to mix (transitive) अलंकृत करना - to garnish (transitive) सुखाना - to dry (transitive) ऊखल - mortar (masculine) पीसना - to grind (transitive)
Types and Qualities of Spices and Herbs
चूर्ण - powder (masculine), also पाउडर (masculine) बीज - seeds (masculine) पत्तियां - leaves (feminine), also पत्ते (masculine) पेस्ट - paste (masculine) सूखा - dried (adjective) पीसा - ground, crushed, powdered (adjective) दुर्लभ - rare (adjective) आम - common (adjective) स्थानीय - local (adjective) विदेशी - foreign (adjective)
Spices and Herbs
तुलसी - basil (feminine) तेज पत्ता - bay leaf (masculine) इलाइची - cardamom (feminine) * there are two types of cardamom, काली (black) and छोटी (green). दालचीनी - cinnamon (feminine) लौंग - clove (feminine) धनिया - coriander (masculine) जीरा - cumin (masculine) सौंफ - fennel (feminine) मेथी - fenugreek (feminine) अलसी का बीज - flaxseed, linseed (masculine) लहसुन - garlic (masculine) अदरक - ginger (feminine) पुदीना, पौदीना - mint (masculine) सरसों, राइ - mustard seeds (feminine) सरसों का तेल - mustard oil (masculine) जायफल - nutmeg (masculine) खसखस - poppy seeds (masculine) मिर्च - pepper, chili (feminine) * लाल मिर्च - red chili * हरी मिर्च - green chili * लाल शिमला मिर्च - paprika, bell pepper * काली मिर्च - black pepper * सफ़ेद मिर्च - white pepper गुलमेहंदी - rosemary (feminine) केसर, भगवा - saffron (masculine) नमक - salt (masculine) * salt can be for example सेंधा, rock salt or पीसा, fine, powdered. तिल - sesame (masculine) चक्र फूल - star anise (masculine) चाय पत्ती - tea leaf (feminine) हल्दी - turmeric (feminine) खमीर - yeast (masculine) बादाम - almond (masculine) काजू - cashew (masculine) मेवा - dried fruit or nut (masculine) किशमिश - raisin (feminine)
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Diabetes kya hai in Hindi
शुगर की आयुर्वेदिक औषधि ( Sugar ki ayurvedic dawai)
ग्लुकोपॉज़ टैबलेट एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मधुमेह को प्रबंधित करने में मदद करती है। यह प्राकृतिक अवयवों जैसे सलासिया रेटिकुलाटा, जिमनेमा सिल्वेस्ट्रे, मॉमोरडिका चरंटिया और ट्रिगोनेला फोएम से बनी है। ये तत्व रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में सहायक होते हैं। इस टैबलेट को भोजन के बाद दिन में दो बार लिया जाता है। यह किसी भी कृत्रिम रंग, स्वाद या परिरक्षक से मुक्त है, जिससे यह सुरक्षित और प्रभावी बनती है।
ग्लुकोपॉज़ टैबलेट (Glucopause Tablet)
मुख्य सामग्री:
सलासिया रेटिकुलाटा (Salacia reticulata): 150mg
जिमनेमा सिल्वेस्ट्रे (Gymnema sylvestre): 50mg
मॉमोरडिका चरंटिया (Momordica charantia): 200mg
ट्रिगोनेला फोएम (Trigonella foenum): 250mg
लाभ:
रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
समग्र स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार करता है।
प्राकृतिक अवयवों से बना, बिना किसी कृत्रिम रंग, स्वाद या परिरक्षक के।
अधिक जानकारी और खरीद के लिए यहां क्लिक करें। ‘
FAQ
क्या आयुर्वेदिक डायबिटीज  उपचार के लिए  सुरक्षित हैं?
आयुर्वेदिक उपचार आमतौर पर प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और प्रक्रियाओं पर आधारित होते हैं, जो हजारों सालों से उपयोग में हैं। हालांकि, किसी भी चिकित्सा पद्धति की तरह, आयुर्वेदिक उपचार भी तभी सुरक्षित होते हैं जब इन्हें सही तरीके से और एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार लिया जाए।
क्या आयुर्वेद से डायबिटीज   ठीक हो सकता है?
आयुर्वेद में डायबिटीज  को प्रमेह के रूप में वर्णित किया गया है, और यह मूल रूप से एक चयापचय विकार है जो शरीर में ग्लूकोज को तोड़ने में असमर्थता के कारण होता है। भले ही डायबिटीज   का पूर्ण इलाज बहस का विषय है, लेकिन स्वस्थ रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखकर आयुर्वेद में डायबिटीज  का इलाज संभव है। आपको स्वस्थ जीवन शैली जीने और डायबिटीज  को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए विशेषज्ञ आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा आयुर्वेदिक पूरक, समग्र शुद्धिकरण उपचार और उपचारात्मक मालिश दी जाती है।
डायबिटीज  के लिए कौन से खाद्य पदार्थ सुरक्षित हैं?
कुछ सब्जियाँ जैसे गोभी, गाजर, ब्रोकोली, पालक, प्याज, लहसुन, ककड़ी, सलाद, टमाटर, मूली, और चुकंदर, और खट्टे फल डायबिटीज  रोगियों के लिए बहुत अच्छे हैं। रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए आप साबुत अनाज, अंकुरित अनाज, छोले और आंवला, दालचीनी, हल्दी, मेथी, नीम, हरी चाय और एलोवेरा जैसे हर्बल आहार अनुपूरक का भी सेवन कर सकते हैं। फिर भी, विशेषज्ञों से परामर्श करने और आयुर्वेद में डायबिटीज  का उचित और सर्वोत्तम उपचार पाने के लिए आयुर्वेदग्राम में आपका हमेशा स्वागत है।
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healthremedeistips · 5 months
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शरीर को फिट रखना कोई आसान काम नहीं है। घर का बना खाना ,अच्छी नींद लेना और एक्ससाइज करने के अलावा और भी कई चीजें हैं जिन्हें 1 मिनट से भी कम में करके आप खुद पूरी तरह सेहतमंद रख सकते हैं। 
सुबह उठकर पानी पीना 
सुबह उठकर चाय या कॉफी से पहले एक बड़े ग्लास में पानी पिएं पूरी रात सोकर उठने के  बाद शरीर पूरी तरह डिहाइड्रेटेड रहता है। सुबह उठकर पानी पीने से ना सिर्फ बॉडी को एनर्जी मिलती है बल्कि ये दिमाग और किडनी के लिए भी बहुत अच्छा होता है। सुबह एक ग्लास पानी से शरीर बिल्कुल एक्टिव हो जाता है। 
प्रोटीन से भरपूर नाश्ता 
प्रोटीन से भरा नाश्ता करने पर ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है शरीर को एनर्जी मिलती है। जल्दी भूख नहीं लगती है और मूड भी अच्छा रहता है। प्रोटीन से भरा ब्रेकफास्ट वेटलॉस इ लिए भी अच्छा माना जाता है। 
दिन भर में कई एक फल खाना 
पूरे दिन में कोई एक फल या कोई हरी सब्जी स्नैक की तरह खाएं अगर आपके पास समय की कमी है तो इसे रात में ही काटकर फ्रिज में रख लें। हर दिन फल खाने से शरीर को फाइबर ,विटामिन ,मिनरल्स मिलते हैं जिससे पाचन अच्छा होता है। स्किन हेल्दी होती है और ब्लड शुगर भी सही रहता है। 
ग्रीन टी पीना 
ग्रीन टी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। सप्ताह कम से कम तीन बार ग्रीन टी पीने से हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा लगभग 25 फीसद तक कम हो जाता है। इसे भी पढ़े :
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prapatti01 · 6 months
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घर पर Green Tea कैसे बनाएं: लाभ, रेसिपी, और टिप्स
उस देश में जहां चाय का महत्व अत्यधिक है, क्या आपने कभी Green Tea का स्वाद चखा है? Green Tea सामान्य चाय की तुलना में कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है। इस विस्तृत गाइड में, हम घर पर Green Tea कैसे बनाएं, इसके लाभ, और इसे कब पीना चाहिए इसका विवरण करेंगे।
Green Tea क्यों पीना चाहिए:
रेसिपी पर दिखाई गई बातों से पहले, Green Tea क्यों एक स्वस्थ विकल्प है, यह समझना महत्वपूर्ण है। रोजाना 2-3 कप Green Tea पीना, विशेषकर शाम को, एक सक्रिय और स्वस्थ जीवनशैली के लिए सहायक हो सकता है।
Green Tea के लिए सामग्री:
- 2 कप पानी
- 1 इंच कटा हुआ अदरक
- इलायची
- 2-3 पुदीने की पत्तियां
- 2-3 तुलसी की पत्तियां
- 1 चमच नींबू का रस
Green Tea बनाने की विधि:
1. एक पतीले में 2 कप पानी उबालें।
2. उबलने पर, पानी में कटा हुआ अदरक, इलायची, पुदीने की पत्तियां, और तुलसी डालें।
3. उबलने वाले पानी में एक चमच या एक चाय बैग Green Tea डालें।
4. इसे 2-3 मिनट के लिए पकने दें। ज्यादा पकाने से कड़वाहट आ सकती है।
5. पकने के बाद, गैस बंद करें और नींबू का रस डालें।
6. यदि चाय बैग का उपयोग किया गया है, तो इसे पतीले से निकालें। यदि चाय पत्तियों का उपयोग किया गया है, तो मिश्रण को छानें।
7. अच्छी तरह से मिलाएं और मजा करें।
Green Tea के लाभ:
Green Tea वजन घटाने, पाचन को मजबूत करने, कैंसर के खतरे को कम करने, मानसिक तनाव को कम करने और त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखने जैसे विभिन्न लाभ प्रदान करती है।
Green Tea के साइड इफेक्ट्स:
Green Tea का अत्यधिक सेवन नींद की कमी, सिरदर्द, मतली, पाचन संबंधी समस्याएँ, और लिवर क्षति जैसे साइड इफेक्ट्स का कारण बन सकता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हरी चाय का सेवन मात्रित्व में किया जाए और किसी भी गंभीर स्वास्थ्य समस्या के मामले में डॉक्टर से परामर
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infohotspot · 9 months
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महंगे रासायनिक हेयर उत्पादक की बजे प्राकृतिक घरेलू उपचार करे। प्रकृति की पेशकश का सबसे अधिक लाभ उठाने जैसा कुछ भी नहीं है। हमारे बाल केराटिन नामक एक प्रोटीन से बने होते हैं जो बालों के रोम में उत्पन्न होते हैं। चूंकि रोम नए बाल कोशिकाओं का निर्माण करते हैं, इसलिए पुरानी कोशिकाओं को त्वचा की सतह के माध्यम से वर्ष में लगभग छह इंच की दर से बाहर धकेला जाता है। आप जो बाल देख सकते हैं, वह वास्तव में मृत केरातिन कोशिकाओं का एक तार है। अपने बालो से किसे प्यार नही होता, हर कोई को लंबे काले और चमकदार बाल पसंद होते है।महिलाए बहुत ज्यादा इस मामले मे सवेंदनशील होती है ।लेकिन भागदौड़ वाली जिंदगी , प्रदुषण से भरी हवाए,केमिकल युक्त प्रोडक्ट,योग्य आहार की कमी जैसे कई वजह से बालो की हालत खराब हो जाती है। यहाँ बालों के झड़ने के लिए 7 आसान और प्रभावी घरेलू उपचार दिए गए हैं। इन त्वरित सुधारों के लिए अधिकांश सामग्रियां आपके घर मे उपलब्ध होगी बालों के विकास के लिए प्याज का रस इस उपाय को सबसे प्रभावी और सबसे पुराने में से एक माना जाता है। इसके पीछे कारण यह है कि इसमें सल्फर होता है जो ऊतकों में कोलेजन उत्पादन को बढ़ाता है।इसके अलावा आपके सर में जो भी इन्फेक्शन या बेक्टेरिआ होंगे उसे भी ठीक करता है। अपने बालों के लिए प्याज के रस का उपयोग कैसे करें?इस उपाय को आजमाने के लिए, प्याज के कुछ स्लाइस काट लें और इसका रस निचोड़ लें (या तो इसे मसल कर या इसे कद्दूकस करके) और इसे लगभग 10-15 मिनट के लिए अपने स्कैल्प पर लगाएं। इसे अपने जादू का काम करने दें और फिर इसे हल्के शैम्पू से धो लें। 2.बालों के प्राकृतिक विकास के लिए नारियल का दूध प्राकृतिक बालों के विकास के लिए सबसे प्रभावी उपाय नारियल के दूध का उपयोग है क्योंकि यह आयरन, पोटेशियम और आवश्यक वसा से भरपूर होता है। उसका उपाय, "एक ताज़ा नारियल से नारियल का दूध लें (नारियल का दूध न खरीदें - इसे ताज़ा नारियल से निकाल लें)। इसमें नींबू का आधा निचोड़, आवश्यक लैवेंडर तेल की 4 बूंदें मिलाएं। इसे अच्छी तरह से मिलाएं और इसे अपने स्कैल्प पर लगाएं, 4-5 घंटे के लिए छोड़ दें और फिर इसे धोकर साफ़ कर दें। " 3.अंडा मास्क बनाएं - यह घरेलू उपाय त्वरित और प्राकृतिक बालों के विकास के लिए दुनिया भर में उपयोग किया जाता है। जैसा कि हम जानते हैं, अंडे में उच्च स्तर के प्रोटीन होते हैं जो नए बालों के निर्माण में मदद करते हैं। यह सल्फर, जस्ता, लोहा, सेलेनियम, फॉस्फोरस और आयोडीन में भी समृद्ध है। अंडे के मास्क के लिए, एक कटोरी में एक अंडे का सफेद भाग अलग करें और इसमें एक चम्मच जैतून का तेल (आप अंगूर के बीज का तेल या लैवेंडर का तेल भी इस्तेमाल कर सकते हैं) और शहद मिलाएं। इसका पेस्ट बनाएं और इसे अपने बालों और खोपड़ी पर लगभग 20 मिनट के लिए लगाएं। इसे शांत पानी और कुछ शैम्पू के साथ साफ़ कर दें । 4.अम्बला - यह जादुई फल पोषक तत्वों का एक बिजलीघर है। यह विटामिन सी में समृद्ध है और यह बालों के विकास को तेज करता है। आपको बस इतना करना है कि 2 चम्मच आंवला पाउडर या रस को समान मात्रा में चूने के रस के साथ मिलाएं और इसे सूखने दें। कुछ गर्म पानी के साथ इसे कुल्ला। यह बाल रंजकता को भी रोकेगा। 5.ग्रीन टी - अब आपके पास उन उपयोग किए गए टी बैग्स का सही समाधान है जिन्हें आप रोजाना फेंकते हैं। हरी चाय, जैसा कि आप जानते हैं कि एंटीऑक्सिडेंट में सुपर समृद्ध है और यह बालों के विकास को बढ़ाने और बालों के झड़ने को रोकने में मदद करता है। अपने स्कैल्प के ऊपर गर्म ग्रीन टी (इस्तेमाल किए गए टी बैग्स से) लगाकर एक घंटे के लिए छोड़ दें। इसे ठन्डे पानी से धो लें। 6.मेथी- यह जड़ी बूटी भी बालों के विकास की समस्याओं का एक पुराना उपचार है। इसमें प्रोटीन और निकोटिनिक एसिड शामिल हैं; प्रोटीन-समृद्ध आहार को बालों के विकास की उत्तेजना को प्रोत्साहित करने के लिए जाना जाता है। इस जड़ी बूटी का एक बड़ा चमचा और एक ग्राइंडर में पानी डालें जब तक कि यह एक चिकनी पेस्ट न बन जाए। इसमें थोड़ा सा नारियल तेल (या दूध) मिलाएं और अपने बालों और खोपड़ी पर आधे घंटे के लिए लगाएं। इसे माइल्ड शैम्पू से धो लें। यह निश्चित रूप से सर्वश्रेष्ठ बाल विकास युक्तियों में से एक है। 7.चावल का पानी चावल के पानी में इनोसिटोल नाम का कार्बोहाइड्रेट होता है, जो बालों को नुकसान होने से रोकता है चावल के पानी में एमिनो एसिड भी होता है, जो बालों की जड़ों को मज़बूत बनाता है चावल को पानी में भिगो के रख दो 20 मिनट के बाद पानी को छान लो अब उस पानी से आपके बालो और बालो की जड़ो में हलके हलके मालिस करे बाद में अच्छे शैम्पू से अपने बाल धो लीजिये 8.एलोवेरा  एलोवेरा एक बहुत
ही स्वास्थ्यवर्धक पौधा है बालों के लिए भी यह एलोवेरा बहुत ही फायदेमंद होता है एलोवेरा के पत्तो में जो जैल होता है वह बालों को काफी फायदा पहुंचाता है इसके अलावा भी आप एलोवेरा के पाउडर का इस्तेमाल कर सकते है इस पाउडर का पेस्ट बनाकर बालों में लगाने से बाल बहुत ही मजबूत हो जाते है
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more-savi · 11 months
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Darjeeling mai Ghumane ki Jagah
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Darjeeling mai Ghumane ki Jagah
दार्जिलिंग एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और यह अपनी ठंडी जलवायु, सुंदर दृश्यों और कई आकर्षणों के लिए जाना जाता है। दार्जिलिंग के कुछ सबसे लोकप्रिय आकर्षणों में शामिल हैं: Tiger hill , Darjeeling टाइगर हिल भारत के पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग से 13 किलोमीटर दूर है। यह माउंट एवरेस्ट और माउंट कंचनजंगा जैसे मनोरम हिमालय पर्वतों के लिए प्रसिद्ध है। टाइगर हिल में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्यों के लिए बहुत लोग आते हैं। टाइगर हिल की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी, जब आसमान साफ होता है और अच्छी दृश्यता मिलती है। दार्जिलिंग से टाइगर हिल तक पहुंचने के लिए आप जीप या टैक्सी ले सकते हैं। यात्रा लगभग चालीस मिनट लगती है। आप टाइगर हिल तक पैदल भी जा सकते हैं, लेकिन यह एक कठिन ट्रेक है और लगभग तीन घंटे लगेगा।  Japanese peace pagoda , Darjeeling दार्जिलिंग पीस पैगोडा 1992 में बनाया गया था. यह पहाड़ियों  पर स्थित है, जहां से दार्जिलिंग शहर और हिमालय पर्वत दिखाई देते हैं। यह सफेद संगमरमर से बना है और इसके चारों ओर चार बुद्ध की प्रतिमाएँ हैं।शिवालय में बुद्ध के चार अवतारों का मंदिर है; इनमें से एक मैत्रेय बुद्ध है, जो भविष्य का बुद्ध था। यहां शांति पगोडा आंदोलन के इतिहास पर प्रदर्शनियां और बौद्ध कला का संग्रह भी है। दार्जिलिंग पीस पैगोडा दुनिया भर के बौद्धों के लिए एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है। यह भी सभी धर्मों के लोगों के शांति और अहिंसा की प्रार्थना करने का स्थान है।दार्जिलिंग पीस पैगोडा धार्मिक महत्व के अलावा घूमने के लिए एक सुंदर, शांत स्थान भी है। पगोडा के आसपास के बगीचे आराम करने और सोचने के लिए एक सुंदर जगह हैं। मैं जापानी शांति पैगोडा की यात्रा करने की बहुत सलाह देता हूँ अगर आप कभी दार्जिलिंग में होंगे। यह वास्तव में एक खास जगह है, जो आपको उत्साहित और उत्साहपूर्ण महसूस कराएगा। Padmaja naidu himalayan zoological park पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल में है। 1958 में खोला गया यह चिड़ियाघर 7,000 फीट (2,134 मीटर) की औसत ऊंचाई से भारत का सबसे बड़ा है। यह अल्पाइन वनस्पति प्रजनन में माहिर है और हिम तेंदुए, लाल पांडा और लुप्तप्राय हिमालयी भेड़िया के लिए सफल बंदी प्रजनन कार्यक्रम है। चिड़ियाघर हर साल लगभग ३० हजार लोगों को आकर्षित करता है। पार्क का नाम सरोजिनी नायडू की बेटी पद्मजा नायडू (1900–1975) पर है। Batasia loop दार्जिलिंग हिमालय रेलवे स्टेशन भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में है। यह स्टेशन दार्जिलिंग से 15 किलोमीटर (9.3 मील) दूर है और यहाँ से दार्जिलिंग का नजदीकी स्टेशन है। दार्जिलिंग हिमालय रेलवे का सबसे प्रसिद्ध और सुंदर स्टेशन बत्तीसा लूप है। हर साल लाखों लोग बत्तीसा लूप आते हैं, जो एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। स्टेशन के पास एक छोटा सा पार्क है जहाँ लोग आराम करके आसपास के दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। Happy valley tea estate दार्जिलिंग चाय हैप्पी वैली टी एस्टेट बेशकीमती स्वाद और सुगंध के लिए जाना जाता है। estate काली, हरी और सफेद चाय बनाता है। पर्यटक हैप्पी वैली टी एस्टेट का निर्देशित दौरा कर सकते हैं, जहां वे पत्तियों को तोड़ने से लेकर सुखाने और तैयार चाय की ग्रेडिंग तक चाय बनाने की प्रक्रिया जान सकते हैं। आगंतुक ��लग-अलग चाय का नमूना भी ले सकते हैं और घर पर चाय खरीद सकते हैं। Observatory hill ऑब्जर्वेटरी हिल, या चौरास्ता स्क्वायर, पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में एक पहाड़ी है। यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है क्योंकि यह दुनिया के तीसरे सबसे ऊंचे पर्वत माउंट कंचनजंगा के शानदार दृश्यों को प्रदान करता है। यह भी पहाड़ी महाकाल मंदिर है, एक हिंदू भगवान शिव को समर्पित मंदिर। पूरे भारत में हिंदू लोग इस मंदिर को बहुत पसंद करते हैं। Darjeeling ropeway दार्जिलिंग रोपवे पश्चिम बंगाल, भारत में स्थित एक केबल कार सेवा है। यह आसपास के पहाड़ों और घाटियों के शानदार दृश्यों के साथ दार्जिलिंग के सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। रोपवे पांच किमी लंबा है और इसमें 16 कारें शामिल हैं। दार्जिलिंग के ऊपरी स्टेशन से रम्मन नदी के किनारे एक छोटे से गाँव सिंगला में निचले स्टेशन तक जाना लगभग चालीस मिनट लगता है। Famous shopping places in Darjeeling दार्जिलिंग में खरीदारी करने के लिए कई अच्छे स्थान हैं, खासकर पारंपरिक तिब्बती और नेपाली शिल्प में रुचि रखने वालों के लिए। चौरास्था मॉल सबसे प्रसिद्ध शॉपिंग स्थलों में से एक है, जहां रंगीन स्मृति चिन्ह और हस्तशिल्प जैसे चाय, पीतल के बर्तन और पश्मीना शॉल मिलते हैं। स्थानीय उपज के लिए भानु मार्केट जाएँ, जो ताज़े फल, सब्जियाँ, मसाले और कपड़े बेचता है। वास्तव में अद्वितीय खरीदारी अनुभव चाहते हैं तो मॉल रोड पर जाएँ. वहाँ किताबों से लेकर प्राचीन वस्तुओं तक बेचने वाली कई दुकानें हैं। How to reach Darjeeling - दार्जिलिंग पहुंचने के कई रास्ते हैं। दार्जिलिंग से सबसे निकटतम हवाई अड्डा बागडोगरा है, जहां से सबसे अधिक लोग उड़ान भरते हैं। वहां से आप बस या टैक्सी से दार्जिलिंग जा सकते हैं। दूसरा विकल्प है ट्रेन से न्यू जलपाईगुड़ी जाना, जो दार्जिलिंग का निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन है। आप न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग के लिए बस या टैक्सी ले सकते हैं। अंत में, आप या तो बस लेकर या अपने कार से दार्जिलिंग जा सकते हैं।   दार्जिलिंग में खास जगहें क्या हैं? टाइगर हिल, बतासिया लूप, टॉय ट्रेन, जापानी शांति स्तूप और सिंगालीला नेशनल पार्क दार्जिलिंग की कुछ खास जगहें हैं जहां आपको जरूर जाना चाहिए।   दार्जिलिंग ka मौसम कैसा है? दार्जिलिंग ka मौसम अद्भुत है और बारिश जल्दी शुरू हो जाती है। सर्दी के मौसम में ठंडी ठंडी हवाएं आपको घेर लेती हैं।   दार्जिलिंग में क्या खाएं? दार्जिलिंग में सर्दियों के मौसम में मोमोज, थुकपा, ढोकला, सेल रोटी और चाय खाने के लिए सबसे अच्छे विकल्प हैं। इसके अलावा आप ताजी सब्जियों और फलों का भी आनंद ले सकते हैं।   Read the full article
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thestudyofpast · 1 year
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जामुन एक ऐसा वृक्ष जिसके अंग अंग में औषधि है।
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अगर जामुन की मोटी लकड़ी का टुकडा पानी की टंकी में रख दे तो टंकी में शैवाल, हरी काई नहीं जमेगी और पानी सड़ेगा भी नहीं।
जामुन की इस खुबी के कारण इसका इस्तेमाल नाव बनाने में बड़ा पैमाने पर होता है।
पहले के जमाने में गांवो में जब कुंए की खुदाई होती तो उसके तलहटी में जामून की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है जिसे जमोट कहते है।
दिल्ली की निजामुद्दीन बावड़ी का हाल ही में हुए जीर्णोद्धार से ज्ञात हुआ 700 सालों के बाद भी गाद या अन्य अवरोधों की वजह से यहाँ जल के स्तोत्र बंद नहीं हुए हैं।
भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमुख के.एन. श्रीवास्तव के अनुसार इस बावड़ी की अनोखी बात यह है कि आज भी यहाँ लकड़ी की वो तख्ती साबुत है जिसके ऊपर यह बावड़ी बनी थी। श्रीवास्तव जी के अनुसार उत्तर भारत के अधिकतर कुँओं व बावड़ियों की तली में जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल आधार के रूप में किया जाता था।
स्वास्थ्य की दृष्टि से विटामिन सी और आयरन से भरपूर जामुन शरीर में न केवल हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता। पेट दर्द, डायबिटीज, गठिया, पेचिस, पाचन संबंधी कई अन्य समस्याओं को ठीक करने में अत्यंत उपयोगी है।
एक रिसर्च के मुताबिक, जामुन के पत्तियों में एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते हैं, जो रक्त शुगर को नियंत्रित करने करती है। ऐसे में जामुन की पत्तियों से तैयार चाय का सेवन करने से डायबिटीज के मरीजों को काफी लाभ मिलेगा।
सबसे पहले आप एक कप पानी लें। अब इस पानी को तपेली में डालकर अच्छे से उबाल लें। इसके बाद इसमें जामुन की कुछ पत्तियों को धो कर डाल दें। अगर आपके पास जामुन की पत्तियों का पाउडर है, तो आप इस पाउडर को 1 चम्मच पानी में डालकर उबाल सकते हैं। जब पानी अच्छे से उबल जाए, तो इसे कप में छान लें। अब इसमें आप शहद या फिर नींबू के रस की कुछ बूंदे मिक्स करके पी सकते हैं।
जामुन की पत्तियों में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं. इसका सेवन मसूड़ों से निकलने वाले खून को रोकने में और संक्रमण को फैलने से रोकता है। जामुन की पत्तियों को सुखाकर टूथ पाउडर के रूप में प्रयोग कर सकते हैं. इसमें एस्ट्रिंजेंट गुण होते हैं जो मुंह के छालों को ठीक करने में मदद करते हैं। मुंह के छालों में जामुन की छाल के काढ़ा का इस्तेमाल करने से फायदा मिलता है। जामुन में मौजूद आयरन खून को शुद्ध करने में मद��� करता है।
जामुन की लकड़ी न केवल एक अच्छी दातुन है अपितु पानी चखने वाले (जलसूंघा) भी पानी सूंघने के लिए जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल करते।
☘️एक कदम आयुर्वेद की ओर☘️
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yourvloger · 1 year
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श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग और ज्योतिर्लिंग दर्शन पथ एवं सम्पूर्ण जानकारी | Bhakti Saar
परिचयः:
ज्ञानं ओंकारेश्वरम् : दर्शनं और भक्तिसारः - इस ब्लॉग में हम ज्ञानं ओंकारेश्वरम् के बारे में चर्चा करेंगे। उसके अलावा, हम दर्शनं और भक्तिसारः के महत्वपूर्ण तत्वों के बारे में भी चर्चा करेंगे। इसके अलावा, हम ��ह भी देखेंगे कि ज्ञानं ओंकारेश्वरम् से प्राप्त होने वाले मानसिक और शारीरिक लाभ क्या हैं। चलिए, अब हम विस्तार से इस परिचय को शुरू करते हैं।
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ज्ञानं ओंकारेश्वरम्
परमात्मा, ईश्वर, भगवान, ओंकारेश्वरम्। जैसे नाम, वैसी बातें। इन सब का अर्थ एक ही है - सर्व सकल का आदिपुरुष, आत्मा का परमात्मा। ओंकारेश्वरम्, जो कि ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद के माध्यम से प्रकट हुए हैं।
इतिहास के पहले पन्ने से बजी हुई गाँधार ताल की धमकी के बावजूद, भारतीय संस्कृति में ओंकारेश्वरम् का स्थान सदैव अपरिहार्य रहा है। विवादों के बावजूद, इसके अर्थ से जुड़ी मान्यताओं और पूजा के रूप में यह हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
ओंकारेश्वरम्, जो सभी देवी-देवता, ऋषि-मुनियों, आदि लोक जनों के प्रणव रूप में प्रतिष्ठित हुआ है। यह शक्ति का सच्चा प्रतीक है जो हमें अनन्त सृष्टि की ओर ले जाता है।
इससे हमें अद्वैत भाव का अनुभव होता है - हम सब ब्रह्म का हिस्सा हैं, हम सब में ओंकारेश्वरम् निवास करता है। तो फिर चिंता और संकोच से क्यों भरे हैं? दर्शन करें, मन को बहार करें और आत्म-सात की अनुभूति करें।।
दर्शनं और भक्तिसारः
दर्शनं का अर्थ उसे सही तरीके से देखना है। इस दर्शनं के अंतर्गत हम ब्रह्म से जुड़ सकते हैं। यह एक शक्ति है जिसके माध्यम से हम आपत्तियों के पीछे छिपे वास्तविकताओं को देख सकते हैं। ठीक है, ठीक है, दर्शनं एक नेत्री है जो आपको दिखाती है कि ताजमहल वास्तव में इतना सुंदर है या नहीं, जो आपको ग्यारहवीं दिन की रात को एक फिल्म के साथ भरपूर तारों की तस्वीरें दिखाती है। अब इस दर्शनं के प्रकार की बात करते हैं।
दर्शनं के प्रकार विविध होते हैं। पहले हमारे पास राजस्थानी दर्शनं हैं, जो हमें उद्धेश्यों की आपूर्ति करते हैं, वहां हम सोने की अक्षरमणी और पीले घास की तालाबें देख सकते हैं। फिर हमें उत्साही दर्शनं भी हैं, जो हमें अपने स्वप्नों की पूर्ति करते हैं, जैसे कि हम शनिवार की शाम को स्थानीय खेल मैदान पर दिखाई देते हैं। उन लोगों के लिए भी एक दर्शनं है जो केवल वातावरण में रमते हैं, जल्दी निभाने, अस्था के अंधकार को हाथ लगाने में अनवश्यक अधिक कुशल हाथी होते हैं।
और इसके बाद यहां हम पहुंचते हैं भक्तिसारः पर, जो हमारे जीवन की उज्ज्वलता है। भक्तिसारः का अर्थ होता है इतना भगवान का चितान करना कि उन के सामीप्य में हमें आनंद मिलता है। भक्तिसारः के फायदे बहुत हैं। यह हमें संतोष और समय की लालसा से मुक्त करता है और हमें अद्वैत की अनुभूति कराता है।
बच्चा लोग की तरह नहीं सोचिए, ये दर्शनं और भक्तिसारः आपके जीवन में खासा मज़ा लाएंगे। आह, ध्यान दें! अपनी उत्सुकता को नियंत्रित रखें और अपने अस्तित्व के आनंद का ठिकाना चुनें। समर्पण के साथ यह यात्रा अटहल रहेगी।
मानसिक लाभ
मानसिक लाभ पाने के लिए, हमें अपने मन को शांत करना होगा। मानो या ना मानो, दुनिया भर के लोग शांति के लिए छह महीने तक हिमालय जा रहे हैं। वेल, हम नहीं!
मानसिक शांति केवल एक छोटा सा टास्क है, ना? तो यह आसान है! आप प्रारंभिक बाधाओं के बावजूद अपने मन के उच्चतम स्थान पर पहुँचने के लिए घंटों तक ध्यान का अभ्यास करेंगे। हां, शांति के इस पथ पर चलना आसान है जैसे कि बैंक की ATM कार्ड का पिन याद रखना! ज्यादा आदत दालने के बजाय, प्रायः तो दिनभर शांत बैठे रहते हैं, ताकि विश्रांति के लिए अपने मन को एक इकाई में चित्ताकर्षण कर सकें और धियान में संपूर्णता में पूर्ण हों।।
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फिर तो, उठने से पहले अपने मन को नशा में डूबा दीजिए सो सकते हैं। अब कौन कहता है मन का नियंत्रण असंभव है? हमारे मन में ऐसी विलक्षण शक्ति है कि हमें पूर्ण विश्रांति मिलती है जब हमारे मंजर पर सिट-इन बाथटब की तरह आदते होती हैं। अगर हमारा मन पसंद नहीं कर रहा होता है, तो उसे लगातार घुमाते रहें और अपने वश में करें। हमें ध्यान देना चाहिए कि रूस के अधिकांश ढेरों गुरुवे पहले इसी को प्रायोगिक तरीके से सैनिटाइज करने के लिए क्रिस्टैल फील्ड का उपयोग करते थे। वो बताते कह एक टिनकरी खम्भा की ओर अपनी गाड़ी को खिंच ले पर हम उसे नहीं! इतने मन मारो कि मन का नियंत्रण खो जाए।
विचारशक्ति के बारे में बात करें तो ये एक थोड़ी भी आवश्यक नहीं है। कॉफी पीने वालों के मुकाबले तो हम बेहद स्नान करने वाले हरी चाय के बाद काम करते हैं। अपनी योग्यता और सक्षमता को नापने के लिए छात्रों को हमेशा एक साथ खड़े होना चाहिए। विचारों के खेल को खेलें और जानें कि आपके मन कितना जल्दी शांत हो सकता है। यह तो मुर्गे की रगड़ कर बैच पकाने वाले जितना आसान है।
आप तो जानते ही हैं कि हमारे मन कब कहीं घुमा जाता है, बस हमें उसे वापस लाना है। तो, अपने मन को नीचे के मानसिक लाभ खोजने में जुटाएं और विचारशक्ति, धियानावस्था और स्थितप्रज्ञता का एकदिवसीय श्रृंगार करें। आपके मन को साथ लेकर बोलें, "काश तुम मेरे ब्रेन से बात कर सकते!" और देखें यह नौकरी कैसे आपकी शांति की डिमांड पर पूरी उतर आएगी।।
शारीरिक लाभ:
जब बात आती है ज्ञानं ओंकारेश्वरम् के शारीरिक लाभ की, तो यकीनन आपका मन बहुत उत्साहित होता है। इतने आसान ही हो जाता है ये ज्ञान सबसे अच्छा हो जाता है इस वजह से इसे इतना पसंद करने लगते हैं लोग। अब चलिए देखते हैं, इसके शारीरिक लाभों की कुछ विस्तार से जानकारी।
सबसे पहले, स्वास्थ्य लाभ की बात करेंगे। ये एक ऐसा ज्ञान है जो आपकी शरीर को स्वस्थ रखने में बहुत मदद करता है। यहाँ तक की इसमें मधुमेह के नियंत्रण में भी असाधारण प्रभाव होता है। आपकी हृदय सुरक्षित रहती है और आपके शरीर की ताकत भी बढ़ती है। इसके साथ ही आपकी नींद में सुधार भी होता है, जो बहुत ही आवश्यक है आपके सेहत के लिए।
तो ये थे ज्ञानं ओंकारेश्वरम् के शारीरिक लाभ। अब चलिए देखते हैं कि इसके पीछे का यह कैसा रहस्य हो सकता है। थोड़ा रोमांचकारी नहीं है क्या, वो भी जान तो सही? इस रहस्य को जानकर इस ज्ञान का अधिक मजा आएगा।
चलिए, अगली बार दर्शनं और भक्तिसारः की बात करते हैं। क्योंकि इसके लाभ ही नहीं, इनमें तो और खूबसूरत रिश्ते हैं भी। अब से थोड़ा उम्मीद से ज्यादा ध्यान रखिएगा, ताकि किसी लाभ का नुकसान ना हो। वरना हो सकता है सबकी सेहत पर भारी पड़े, और वो तो कोई चाहता नहीं है। तो जान लें इन रिश्तों के सारे राज़, और हमें देंगे अपनी इस उम्मीदीवारी पर एक्सेप्टेशन। Let's go!
निराकार स्वरूप
निराकार स्वरूप में आत्मा का ब्रह्म से सम्बन्ध होता है। यह ब्रह्म ही हमारी अंतिम उद्दिश्य होता है, जबकि हमारी आत्मा ब्रह्म का हिस्सा होती है। यह एक बहुत ही रोचक बात है कि हम और ब्रह्म में एकता होने के कारण हम अस्तित्व में रहते हैं।
और ब्रह्म के गुणों की बारे में बात करें, यहां परमात्मा की बात है, जिनमें नित्यता, सत्यता, ज्ञान और आनंद के गुण शामिल होते हैं। ये गुण हमें एक उच्चतम स्थिति के प्रति प्रेरित करते हैं और हमें सच्चे शुद्ध और परिपूर्ण अस्तित्व की ओर ले जाते हैं।
जगत् में आत्मनिष्ठा होना आत्मस्वरूप का ही विभाग है। यह मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक स्तर पर हो सकता है। जब हम अपने आप को आत्मा में स्थित करते हैं, तो हम ईश्वरीय और व्याकुलता मुक्त हो जाते हैं। ऐसा महसूस करने के लिए यह आवश्यक है कि हम ध्यानपूर्वक मेधावी बनें और अपने उद्दियमय अस्तित्व को अनुसरण करें।
इस प्रकार, निराकार स्वरूप पर आत्मा के ब्रह्म से सम्बन्ध, आत्मस्वरूप के गुण और जगत् में आत्मनिष्ठा संबंधी कुछ महत्वपूर्ण तत्व हैं। जब हम इन तत्वों को गहराते हैं, तो हम अपने मन को अपने लक्ष्य के प्रति संकेत करते हैं और अस्तित्व में एकता को अनुभव करते हैं।
Sarcasm - वाह! क्या बात है! इस ब्रह्मगयान से हम सचमुच सस्य के बीज तक की सम्पूर्ण विश्वव्यापकता जान सकते हैं। ये ग्यानी भगवान वालों को ही ब्रह्मा बनने की इजाजत है, हम साधारण लोग तो ये छोटी-मोटी जगह में भटखते ही रहेंगे।
समापनम्
इस प्रकरण में, विचारशक्ति, धियानावस्था और स्थितप्रज्ञता जैसे मानसिक लाभ ओंकारेश्वरम् के साथ जुड़ते हैं। इसके अलावा, स्वास्थ्य लाभ, हृदय की सुरक्षा, ताकतवर शरीर और नींद में सुधार जैसे शारीरिक लाभ भी हैं। इसे पढ़कर आपको होगा खुशी का एहसास कि ओंकारेश्वरम् असल में बहुत मजेदार है! छोटी खुशी की जगह बहुत सी छोटी खुशियाँ हैं।
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jayantnaiknavare · 1 year
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Post#3
पेशवा पुराना दफ़्तर यानी हमारी स्कूल। उसका नाम था - ‘कृषि मूलोद्योग शाला क्रमांक-१.’ दरवाज़े-खिड़कियों पर लगे काले रंग के चलते यह ‘कालीशाला’ के उपनाम से मशहूर थी। कालीशाला में पहली कक्षा में मेरा नाम दाख़िल कराने के लिए, अर्थात मेरे साथ आए सुरेश मामा ! पूरी हनक के साथ उन्होंने रजिस्टर में मेरा नाम लिखा -‘जयवंत’। उन्हें भान ही नहीं रहा कि सर्व-सम्मति से रखा गया मेरा नाम ‘जयंत’ है। जयवंत नाम इसी तरह बरक़रार रहा और दसवीं के बाद योग्य नामांतरण कराना पडा। स्कूल में अभय परमार, सुधाकर पवार, दशरथ जाधव, संजय वाघ, दो-तीन बोरावके, बहुत से जगताप थे। यह अच्छी तरह याद है कि पहली कक्षामें खलदकर मिस और चौथी में मांडके गुरुजी थे। मांडके गुरुजी को सभी ‘तात्या’ कहते थे। न जाने क्यों लेकिन गुरुजी ने मुझे कुछ दिनों के लिए कक्षा का ग्रुप एडिमन बनाया था।
स्कूल में यदा-कदा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से टीका लगाने ‘दुश्मन’ लोग आ धमकते। ‘आतंकवाद’ का कॉन्सेप्ट मुझे तभी से पता है। ख़ुद को सुई जब लग��� तब लगे लेकिन उससे पहले इंजेक्शन ले रहे बच्चों के रोने से दहशत का माहौल तैयार हो जाता था । ऐचा-बैंचा मुंह बनाकर किसी तरह इंजेक्शन लगवाने के बाद घर जाने पर उसे दिखाते घूमा जाता था। कभी कभार स्कूल की पिकनिक, बोरावके फार्म अथवा कर्‍हा नदी के किनारे संगमेश्वर, सिद्धेश्वर, वटेश्वर अथवा किसी आम के पेडोंके बाग में जाने वाली होती, तो आलू की सूखी सब्जी, गेंहू की रोटी, डालडा और गुड़ डाल कर तैयार किया गया हलवा, चुल्लेदार पीतल के डिब्बे में मिलता। लगे हाथ डिब्बे पर खुदे नाम को ध्यान से देखकर डिब्बा वापस लाने की सख़्त हिदायत भी मिलती थी। घर की गृहणियों के हाथ का सूजी का लड्डू अज्ञात कारणों से कभी नरम नहीं बनता था। सिंहगढ़ की तलहटी में पिकनिक के दौरान भूख लगने पर किसी नारियल फोडने जैसे पत्थर पर तोड़कर खाए गए सूजी के लड्डू की याद आज भी ज़ेहन में ताज़ा है।
ननद का लड़का होने के कारण अंजना मामी मुझे जयवंत और आप करके बुलाती थीं। माँ कचहरी में चली जातीं, तो ‘सत्ते पे सत्ता’ की हेमामालिनी की तरह मुर्गी पकड़ने जैसी, मुझे पकड़कर, पुचकार कर नहलाने का कठिन काम, मामी को करना पड़ता था। इस तरह झाँसा देकर नहलाने का निषेध मैं तिकोने की खिड़की पर बाहर से पत्थर मारकर करता था।
सुबह दो कप चाय मिलती थी। पहला कप बटर या खारी डुबाकर खाने के लिए और दूसरा कप केवल पीने के लिए। बटर-खारी न हो, तो कलेवे में रखी गई बाजरे की रोटी दूध में मीसकर स्वादानुसार नमक या शक्कर मिलाकर या फिर बासे भात को तवे पर हल्दी-नमक का तड़का लगाकर, नाश्ते में दिया जाता था। सूखी आलू, मेथी की सब्जी, अंकुरित मोठ में मसाला मिलाकर बनाई गई तरकारी, चूल्हे पर सेंकी गई बाजरे की हाथपोई रोटी, हरी प्याज़ और मूँगफली डालकर कूटी गई हरी मिर्च का खर्डा मेरे लिए आज भी अलौकिक मेन्यू है। गाँव में सब्जी का मतलब होता था, पत्तेदार ��ब्जी, बाक़ी अन्य का शुमार तरकारी या सालन में होता था। हालाँकि कालांतर में ज्ञात हुआ कि पुणे में सूखी आलू या रसदार आलू को भी ‘आलू की सब्जी’ कहते हैं।
तीज-त्यौहार पर पुरन पोली और कटाची आमटी फ़िक्स मेन्यू होता था। कटाची मतलब पुरन के लिए बनी चना-दाल पकाने के बाद जो पानी बच जाता है, उससे बनी आमटी। श्रीखंड, बासुंदी, गुलाब-जामुन कैसे होते है ये आगे पुणे में कॉलेज पहुँचने पर ठीक-ठाक ज्ञात हुआ। मिठाई का मतलब होता था मुंबई से आते समय खोदादाद सर्कल के ‘दामोदर मिठाईवाला’ के यहाँ से दादा की लायी मिक्स-मिठाई। इसके बॉक्स के चारों ओर रंगीन स्ट्राइप का बैंड लगा होता था। इसके ढक्कन को गांठ-मुक्त करने के बाद, सबसे पहले बटर-पेपर में माहिम के हलवे की गड्डी होती थी, उसके नीचे मैसूर-पाक, बूंदी लड्डू, वर्कदार बर्फ़ी, बादाम हलवा, कंदी पेड़े होते थे। खाने वालों की संख्या के अनुसार माँ इनके छोटे-छोटे हिस्से करतीं और सूखी भेल के साथ सकाल या प्रभात मराठी अखबार के कागजपर रखकर परोसती थी।
बचपन में लाउडस्पीकर और रेडियो पर बजने वाले हिंदी फिल्मों के गानोंसे, हिंदी भाषा से लगाव हो गया। उन दिनों रेडियो के लिए वार्षिक शुल्क भरकर लाइसेंस लेना पड़ता था। शुरुआती दिनों में आकाशवाणी पर हिंदी सिनेमा संगीत पर पाबंदी थी। आकाशवाणी वाले जब कभी लाइसेंस चेक करने के लिए मंडराने लगते, तो जिस तरह नगर निगम की गाड़ी आने के बाद फेरी वाले अपना माल छिपा देते हैं, उसी तरह घर-घर में रेडियो को बंद करके छिपा दिये जाते थे। सासवड़ में दादा का लाया सोनी कंपनी का इंपोर्टेड ट्रांजिस्टर था। ‘इससे आवाज़ कैसे आती है?’ इस बाल-मन की शंका का समाधान सुरेश मामा अपने अंदाज़ में ये कहकर करते कि ̶ ‘ट्रांजिस्टर के अंदर छोटे लोग होते हैं।’
खेलते समय अक्सर मैं अपनी समझ के हिसाबसे दो हिंदी गाने ऊँची आवाज़ में गाया करता था। पहला गाना था – “माँजाईए माँजाईए बात मेरे दिल की माँजाईए” और दूसरा ‘पाकीज़ा’ का “होजी होजी पट्टा मेला।” तब समझ में नहीं आता था कि लोग हँस क्यों रहे हैं। शास्त्रीय संगीत वाणी का प्रसारण होते ही माँ कहतीं, ‘सुरेश, बाबा इसका रेंकना बंद करो।’ रेडियो सुनने की उच्चतर शिक्षा आगे चलकर मैंने परिंचे में काशीनाथ के यहाँ ग्रहण की।
सासवड़ में तीन टॉकीज़ थे ̶ गणेश, मंगला और दौलत। पहली तंबू की टूरिंग टॉकीज़, दूसरी आबासाहेब गढी के हाथीख़ाने की और तीसरी विधिवत निर्मित। अनेक फ़िल्मों में से गणेश टॉकीज़ में बार-बार कट हो जाने वाली रीलों की ‘फूल और पत्थर’, मंगला टॉकीज़ में ‘प्यार का मौसम’ और दौलत में ‘सच्चा-झठा’ देखना याद है। २५-३० प्रतिशत हिंदी समझ में आती थी, बाक़ी सब वॉश-आउट । मेरे मित्र जब कहते कि ‘मेरी प्यारी बहनिया’ गाने में क्लैरीनेट राजेश खन्ना ने नहीं बल्की किसी ओर ने पर्दे के पिछे बजाई है इसपर मुझे यकिन नहीं होता था। ‘प्यार का मौसम’ का ‘नी सुल्ताना रे’ गाना आज भी याद है। तात्पर्य यह है कि सासवड़ में हिंदी भाषा की जानकारी मुख्य रूप से लाउडस्पीकर और हिंदी फ़िल्मों के माध्यम से मिली।
सन १९७१ में, भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय ब्लैक आउट होता था। स्कूल में प्रार्थना के दौरान वेदपाठक मास्टरजी ब्लैक आउट के बारे में जानकारी देते। रात में सासवड़ अंधेरे में डूब जाता था । गली में विजयी जुलूस निकालकर ‘याहिया ख़ान मुर्दाबाद, इंदिरा गांधी ज़िंदाबाद’ का नारा लगाते गली के बच्चोंके साथ मैं भी घूमा हूँ। ‘बांग्लादेश, मुजीबुर्रहमान, मुक्तिवाहिनी, अमेरिका ने पाकिस्तान को पैटन तोपों की आपूर्ति की, लेकिन हमारे जवानों ने उसके परखच्चे उड़ा दिए, महाराष्ट्र में भीषण अकाल, कोयना के भूकंप का विवरण’ जैसी ख़बरें आकाशवाणी से सुधा नरवणे सुनाती थी। बाद में सोनी रेडियो बिगड़ गया और भोर गाँव के माधवमामा लाख कोशिशों के बाद भी उसे दुरुस्त नहीं कर पाए।
एक बार मैं मॉनिटर के रूप में मांडके मास्टरजी की संदूक में सामान सहेजने में मदद कर रहा था तो संदूक में सूतली से बंधा, चाय की डायरी के आकार का आठ-दस पुस्तकों का पुलिंदा मिला। जाने क्यों लेकिन मास्टरजीने वह पुलिंदा मुझे दे दिया। पाठ्य-पुस्तक से अलग ये कहानियों की किताबें थीं। तुकाराम महाराज, ज्ञानेश्वर माऊली, छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा फुले आदि संत और महापुरुषोंके जीवन चरित्र थे। मैंने घर जाकर एक-एक कर के सारी पुस्तकों को पढ़ डाला। मुझे लगता है कि अवांतर पुस्तकों को पढ़ने का सिलसिला यहाँ से शुरू हुआ। किताबों, रेडियो, सिनेमा और सिने-संगीत से लगाव के चलते, मुझे शायद ही कभी अकेलापन महसूस हुआ हो। मुझे लगता है कि किताबों और संगीत में खोया रहने और सपनों की उड़ान भरने वाला, लेकिन अपने बारे में किसी तरह का ‘सेंस ऑफ़ एन्टाईटलमेंट’ न पालने वाला मेरा यही व्यक्तित्व आगे भी बना रहा।
- Jayant Naiknavare IPS
(आनंदयात्री पुलिस अधिकारी की डायरी)
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therecipelab · 1 year
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poha recipe in hindi :फ्रेश एंड ओरिजिनल डिलाइट
Introduction:
एक उत्तम नाश्ते के आनंद के साथ अपने स्वाद कलियों को शामिल करने के लिए तैयार हो जाइए! इस लेख की सीमाओं के भीतर, हम सर्वोत्कृष्ट भारतीय व्यंजन पोहा को तैयार करने की पेचीदगियों में तल्लीन होंगे, जो सार्वभौमिक अपील रखती है। यह व्यापक और सावधानीपूर्वक उल्लिखित मार्गदर्शिका न केवल आपको एक परिष्कृत नुस्खा से लैस करेगी बल्कि इसे एक परिष्कृत, पेशेवर तरीके से भी प्रस्तुत करेगी। तो, आइए हम इस गैस्ट्रोनॉमिक यात्रा को एक साथ शुरू करें, एक पोहा बनाने के लिए विशेषज्ञता प्राप्त करें जो उपन्यास और मास्टर दोनों है।
Section 1: Phoha Recipe banane ki samagri
पाक प्रक्रिया शुरू करने से पहले, पोहा के मोहक स्वाद को आकर्षित करने के लिए आवश्यक सभी आवश्यक घटकों को इकट्ठा करें। एक असाधारण व्यंजन बनाने का सार हाथ में सामग्री की बेहतर गुणवत्ता के भीतर रहता है। यहां उन मदों की व्यापक सूची दी गई है जिनकी आपको आवश्यकता होगी:
1. चपटा चावल (पोहा): 2 कप
2. तेल: 2 बड़े चम्मच
3. सरसों के बीज: 1 छोटा चम्मच
4. जीरा: 1 छोटा चम्मच
5. करी पत्ता : एक टहनी
6. हरी मिर्च: 2 (बारीक कटी हुई)
7. प्याज: 1 मध्यम आकार का (बारीक कटा हुआ)
8. मूंगफली: 1/4 कप
9. हल्दी पाउडर : 1/2 छोटा चम्मच
10. नमक: स्वाद के लिए
11. नींबू का रस: 1 बड़ा चम्मच
12. ताज़ी धनिया पत्ती: गार्निशिंग के लिए
Section 2: Poha recipe ki tayari
हमारी सावधानीपूर्वक तैयार की गई सामग्री तैयार होने के साथ, अब पाक प्रक्रिया शुरू करने का अवसर है! सही पोहा बनाने के लिए इन चरणों का पालन करें:
Step 1: पोहे को धो लें
- चपटे चावल (पोहा) को एक छलनी में लें और इसे कुछ सेकंड के लिए बहते पानी के नीचे धो लें।
- पोहा को धोते समय हाथों से धीरे-धीरे हिलाएं ताकि नमी एक समान रहे।
- पोहे को छलनी में 5 मिनट के लिए रख दें ताकि अतिरिक्त पानी निकल जाए.
Step 2: मसालों को तड़का लगाना
मध्यम आंच पर अच्छी तरह से गर्म किए गए पैन में पर्याप्त मात्रा में तेल गर्म करके शुरू करें।
गर्म तेल में सुगंधित सरसों और जीरा डालें.
प्याज को पारदर्शी और हल्का सुनहरा होने तक भूनें.
मूंगफली डालें और एक और मिनट के लिए भूनें.
Step 3: पोहे को add करणा
आंच धीमी कर दें और धोए हुए पोहा को पैन में डालें.
पोहे के ऊपर हल्दी पाउडर और नमक छिड़कें.
सभी चीजों को अच्छे से मिक्स कर लें, ताकि पोहा पर मसाले अच्छी तरह से लग जाएं।
3-4 मिनट के लिए मिश्रण को उबाल लें, धीरे-धीरे हिलाते रहें, जब तक कि पोहा पूरी तरह से गर्म न हो जाए और स्वाद से भर जाए।
Step 4: फिनिशिंग टच
आंच बंद कर दें और पोहा के ऊपर नींबू का रस छिड़कें.
तीखे स्वाद को शामिल करने के लिए इसे अंतिम बार टॉस करें।
ताजी धनिया पत्ती से गार्निश करें।
Section 3: पोहा रेसिपी की सर्व्हिंग टिप्स
बधाई हो! आपका स्वादिष्ट पोहा अब परोसने के लिए तैयार है। आपके पाक अनुभव को बढ़ाने के लिए यहां कुछ सेवारत सुझाव दिए गए हैं:
गरमा गरम पोहा को प्याले या प्लेट में निकाल कर परोसिये.
इसके साथ ताजा कसा हुआ नारियल या दही डालें।
सर्वोत्कृष्ट भारतीय नाश्ते के लिए इसे गरमा गरम मसाला चाय के कप के साथ पेयर करें।
एक अतिरिक्त बनावट और स्वाद के लिए टॉपिंग के रूप में कुछ कुरकुरे सेव (पतले, कुरकुरे नूडल्स) डालें।
Conclusion:
इस पेशेवर लेकिन संवादात्मक गाइड के साथ, आपने सुगंधित मसालों के मोहक मिश्रण को खोल दिया है, जीवंत रंगों का बहुरूपदर्शक, और स्वादों की एक सिम्फनी निस्संदेह इस उत्तम व्यंजन की एक और मदद के लिए एक अतृप्त इच्छा को प्रज्वलित करेगी। इसलिए, अपने पाक ताज को धारण करें और एक अविस्मरणीय गैस्ट्रोनॉमिक अनुभव तैयार करने की कलात्मकता में डूब जाएं। अपनी सामग्री इकट्ठा करें, और उत्तम पोहा बनाने की इस रमणीय यात्रा पर जाएँ।
FAQs
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gyandutt · 1 year
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महानगर से गांव आये लोग
#Blog महानगर से गांव आये लोग रमाशंकर जी अपनी बहन, बिटिया और अपने जीजा जी से परिचय कराते हैं। बिटिया मेरा लिखा नियमित पढ़ती हैं। बिटिया की मेरे लिखे की प्रशंसा मुझे वैसे ही अच्छी लगती है जैसे लिप्टन की हरी चाय।
गांव का आदमी जब शहराती बनता है तो उसका गांव खोने लगता है। यह समाजशास्त्रीय अध्ययन का विषय हो सकता है कि कितनी पीढ़ियाँ लगती हैं गांव को पूरी तरह भुलाने में। शायद दो पीढ़ियां। पर कुछ समुदाय ऐसे हैं, जो कई कई पीढ़ियोँ बाद भी अपनी जमीन से जुड़े हैं। शेखावाटी-मारवाड़ के कई परिवार अब भी अपने पर्व-संस्कारों के लिये अपने गांव की यात्रा करते हैं। पूर्वांचल के इस इलाके में भी कई परिवार आजीविका के लिये कलकत्ता,…
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cookingexam · 1 year
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यूपी स्टाइल हरा तीखा चटपटा दम आलू | Dum Aloo Recipe आसान आलू की नई रेसिपी सब्जी
आपने बहुत प्रकार की दम आलू खाई होगी, जिसमें से पंजाबी दम आलू, कश्मीरी दम आलू, हरी दम आलू के साथ-साथ कचालू की भी रेसिपी प्रमुख है। आज हम आपके लिए बहुत ही टेस्टी और डिलीशियस आलू की रेसिपी यहां पर लेकर आए हैं। यह बहुत ही टेस्टी और चटपटी होती है। तीखापन ज्यादा होने से यह बहुत ही डिलीशियस लगती है। चाय के साथ इस दम आलू को आप बच्चों के टिफिन या फिर खाने में सर्व कर सकते हैं। रोटी के साथ इसका कंबीनेशन…
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fitnessaddaoffcial · 2 years
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Green Tea से 7 दिन में वजन कम करे -green tea for weight loss
GREEN TEA को WEIGHT LOSS करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।  मोटापा कम करने मे तो ये लाभकारी है ही तथा  BODY से TOXYINS निकालने में भी वहोत हेल्प करती हैं. GREEN TEA (हरी चाय) लो CALORY TEA है जो दिन में लगभग दो बार पी जानी चाहिए. आमतौर पर, GREEN read more
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telnews-in · 2 years
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पोषण: ग्रीन टी के शीर्ष 5 स्वास्थ्य लाभ
पोषण: ग्रीन टी के शीर्ष 5 स्वास्थ्य लाभ
सूचनात्मक लेख लेखक, जो लेविन भूमिका बीबीसी गुड फ़ूड के लिए पंजीकृत पोषण विशेषज्ञ ट्विटर, @@nutri_jo 2 घंटे पहले चित्र का श्रेय देना, गेटी इमेज के जरिए किंगा क्रजेमिंस्का क्या ग्रीन टी काली चाय से ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक है? क्या इसमें कैफीन है? क्या यह बीमारी को रोकने में मदद कर सकता है? पंजीकृत पोषण विशेषज्ञ जो लेविन हरी चाय के स्वास्थ्य लाभों की समीक्षा करते हैं। हरी चाय क्या है? सभी प्रकार…
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radarhindi · 2 years
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अगर शरीर का वज़न बढ़ेगा तो गाल भी मोटे होने लगेंगे, वज़न बढ़ाने के उपाए करने के बाद कुछ लोगो का वज़न तो बढ़ जाता है पर फेस पिचका ही रह जाता है इसलिए जिन लोगो के गाल पिचके और पतले है। उन्हें वज़न बढ़ाने के साथ -साथ उन्हें फेस मोटा करने के तरीके भी अपनाने चाहिए। अच्छी डाइट और हरी सब्जियाँ व फलो का सेवन करना चाहिए और Exercise सही ढंग से करनी चाहिए हो सके तो चाय छोड़ दे या पीना कम कर दे और फेस योग आसान करने से पिचके गालो का इलाज किया जा सकता है।
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infoscope · 2 years
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क्या एक दिन में 4 कप ग्रीन टी पीने से आपका मधुमेह का खतरा कम हो सकता है?
क्या एक दिन में 4 कप ग्रीन टी पीने से आपका मधुमेह का खतरा कम हो सकता है?
चाय दुनिया भर में बहुत से लोगों का मुख्य भोजन है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह सुबह की सही ऊर्जा प्रदान करती है और आपको पूरे दिन ऊर्जावान और तरोताजा रखती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह विकास के जोखिम को कम करने में भी मदद कर सकता है। मधुमेह प्रकार 2? आठ देशों में 10 लाख से अधिक लोगों के एक अध्ययन में पाया गया कि काली, हरी या ऊलोंग चाय का सेवन इन चयापचय स्थितियों के अनुबंध की संभावना को कम कर…
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