#स्वामी शिव पूजा विधी
Explore tagged Tumblr posts
Text
सोमवार व्रत: जानें कहां कौन सी गलती कर रहे हैं हम? मिल नहीं पूरा आशीर्वाद पाता है
सोमवार व्रत: जानें कहां कौन सी गलती कर रहे हैं हम? मिल नहीं पूरा आशीर्वाद पाता है
सोमवार का दिन हिन्दू धर्म परंपराओं में भगवान शिव की भक्ति को समर्पित है। वैसे तो शिव भक्ति हर रोज, हर पल ही शुभ होती है, लेकिन सोमवार के दिन ही शिव पूजा का विशेष महत्व माना गया है। मान्यता के अनुसार सोमवार के दिन भगवान शिव जी की आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। नारद पुराण के अनुसार सोमवार व्रत में व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए। अगर संभव हो तो व्रत वाले दिन शिव…
View On WordPress
0 notes
Text
सोमवार व्रत के बारे में जानकारी चाहिए? सोमवार व्रत की विधि
जानिए सोमवार व्रत के नियम, पूजा विधि और कथा, कैसे करें शिव को प्रसन्न? यह भी जानिए की कैसी की जाती है इसकी पूजा विधान और मंत्र के बारे में। सप्ताह का एक दिन सोमवार भगवान शिवजी के लिए मान्य है, इस दिन भगवान शिव जी की पूजा की जाती है।
Somvar Varat Katha aur Aarti Hindi Me इस व्रत को कोई भी कर सकता है महिला या पुरुष। भगवान शिव जो देवो का देव महादेव भी कहलाते है, वह इस और सभी संसार के करता धर्ता हैं। सोमवार व्रत मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं: साधारण सोमवार सौम्य प्रदोष सोलह सोमवार लेकिन इन सभी की पूजा का तरीका एक ही है। यह मेरा अपना अनुभव है कि अच्छे कर्म करने और शिव की पूजा करने से व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों से छुटकारा मिलता है और मन की शांति प्राप्त होती है। अगर आप भी शिव के प्रति दयालु होना चाहते हैं, तो हमेशा दो बातों का ध्यान रखें। हमेशा कर्म पर ध्यान दें और तन और मन से महादेव शिव जी की आराधना करें। तो आइए जानते हैं सोमवार व्रत की पूजा कैसे करें, इसकी पूजा की विधि, जो व्रत का भोजन है, और इसकी कथा विस्तार से:
सोमवार व्रत कब और कैसे करें?
यदि आप व्यक्तिगत रूप से सोमवार व्रत में पूजा करना चाहते हैं, तो यह एक आसान पूजा है, जिसे करने से अंदर से शांति मिलती है। तो आइए जानते हैं सोमवार व्रत के बारे में जानकारी चाहिए? सोमवार व्रत की विधि कैसे करें: इस व्रत को शुरू करने का सबसे अच्छा समय श्रावण मास है, आप इसे चैत, वैशाख, श्रावण या कार्तिक माह में भी कर सकते हैं। पूजा करने वालों को सुबह काले तिल का तेल लगाना चाहिए और सोमवार को स्नान करना चाहिए। आप अपने नजदीकी मंदिर में जाकर शिव की पूजा कर सकते हैं। सबसे पहले भगवान शिव की प्रतिमा को जल से स्नान कराएं, फिर चंदन आदि लगाएं और पूर्णा��ुति करें। अब एक दीपक जलाएं और शिव की पूजा करें, पूजा के क्रम में शिव के स���्वशक्तिमान मंत्र " नमः शिवाय" का जाप करें। इस मंत्र में "ॐ" का उपयोग न करें, क्योंकि मंत्र में छह अक्षर बन जाते हैं। पूजा करने के बाद हाथ में पूर्ण या फल लेकर शिव की कथा सुनें। कथा के बाद आरती करें और फिर सभी को प्रसाद वितरित करें। इसके अलावा आप यहां विस्तार से पढ़ सकते हैं कि भगवान शिव की पूजा कैसे करें। भारत का सबसे बड़ा मंदिर कहां पर है? उत्तर प्रदेश में कितने जिले है? यूपी के जिलों की सूची करवा चौथ की पूजन सामग्री - Karwa Chauth Puja Samagri सोमवार के व्रत के लिए भोजन उपासक को इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि इस दिन उसे दिन में केवल एक बार भोजन करना चाहिए। सोमवार को, पूजा करने वाले सुबह पूजा करने के बाद फल खा सकते हैं, और शाम को वे मीठा भोजन कर सकते हैं। जैसे - केला, सेव या कोई फल। रात को मीठा भोजन में चावल या साबूदाना का खीर, हलवा, या दूध और रोटी खा सकते हैं। इस विशेष दिन उपासक को तन और मन से स्वच्छ रहना चाहिए और प्रभु शिव के प्रति समर्पित होना चाहिए। उपवास के कई लाभ हैं, अगर हम वैज्ञानिक रूप से उपवास के लाभों के बारे में बात करते हैं, तो यह हमारे पाचन तंत्र और पेट को सही रखता है। सोमवार व्रत की कहानी (Hindi) अगर आप अकेले हैं तो आप सोमवार व्रत कथा को पढ़ कर के सुन सकते है, और अगर आपका कोई पड़ोसी या दोस्त है, तो आप उन्हें आमंत्रित कर सकते हैं और सोमवार पूजा की कहानी बता सकते हैं। इसे पढ़ने और सुनाने वाले दोनों को ही लाभ मिलता है: प्राचीन काल की बात है, किसी शहर में एक बहुत बड़ा साहूकार रहता है। उसके घर में किसी प्रकार की किसी की भी चीज की कमी नहीं थी। सभी चीजो से परिपूर्ण होने के बावजूद साहूकार का एक भी पुत्र न होने के कारण बहुत दुखी था, साहूकार पुत्र की कामना हेतु प्रत्येक सोमवार को मंदिर जाता है और शिवजी का व्रत को बड़े श्रद्धा के साथ करता था, और साथ ही सायंकाल को मंदिर में दीपक प्रज्वलित करता था। साहूकार के इस श्रद्धा और भक्तिभाव को देखकर माता पार्वती अति प्रसन्न हुईं। और वे शिवजी से कहे, "हे प्रभु! यह साहूकार आपका सबसे बड़ा भक्त है, और ये इतनी श्रद्धा से आपकी भक्ति करता है। आपको इसकी सभी मनोकामना को पूर्ण करना चाहिए। यदि आप एसा नहीं करते हैं, तो मनुष्य आपपर विश्वास करना छोड़ देंगे और कोई भी आपकी पूजा नहीं करेगा।" माता पार्वती के इस आग्रह पर शिवजी कहने लगे, “हे पार्वती! इसके भाग्�� में पुत्र न होने पर भी मै इसको पुत्र की प्राप्ति का वर देता हूँ। लेकिन वह 12 साल तक केवल जीवित रहेगा।" भगवान शिव और माता पार्वती का यह संवाद साहूकार सुन रहा था। इससे उसको न तो प्रसन्नता हुई और न ही दुख हुआ | वह पहले के तरह ही शिव जी का व्रत करता रहा। कुछ समय के बाद साहूकार के घर अति सुंदर पुत्र का जन्म हुआ। साहूकार के घर में बहुत खुशिया मनाई गई और जश्न भी गया। साहूकार को मूलतःता पता होने के कारण वह न तो अधिक प्रसन्नता प्रकट की और न ही किसी को यह भेद ही बतलाया। सोमवार व्रत की आरती ऐसा माना जाता है कि इस महीने भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं। सावन के महीने के दौरान, सोमवार का भी बहुत महत्व है। इस दिन, भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं। विधी विधान पूजा होती है। किसी भी पूजा में आरती सबसे महत्वपूर्ण होती है। ऐसा माना जाता है कि आरती किए बिना पूजा पूरी नहीं होती है। यहां आप जानेंगे भगवान शिव को प्रसन्न करने वाली आरती के बारे में: ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ Read the full article
0 notes
Text
महाशिवरात्रि 2021: महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक और राशि अनुसार करें अराधना
महाशिवरात्रि 2021: महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक और राशि अनुसार करें अराधना
सनातन धर्म के आदि पंच देवों में से एक महादेव को त्रिदेवों में भी स्थान प्राप्त है। ऐसे में संहार के देवता भगवान महाकाल यानि शिव के प्रमुख पर्वों में से एक महाशिवरात्रि इस बार 11 मार्च 2021 को पड़ रही है। यूं तो शिवरात्रि पर महादेव की पूजा का विधान हर कोई जानता ही है, एक ओर जहां वे आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं, वहीं उनका रौद्र रूप भी किसी से छिपा नहीं है। ऐसे में महाशिवरात्रि व्रत के दिन भारत में…
View On WordPress
#भगवान शिव#भगवान शिव अवतार#भगवान शिव की आराधना करें#भगवान शिव की पूजा करें#भगवान शिव की पूजा का महीना#भगवान शिव की पूजा कैसे करें#भगवान शिव पूजन#भगवान शिव शंकर#महाशिवरात्रि 2021#महाशिवरात्रि पूजा#राशि - चक्र चिन्ह#राशि चक्र के अनुसार महाशिवरात्रि पूजा#शिवरात्रि#सनातन धर्म#सनातन धर्म उत्सव#स्वच्छता पर्व#स्वामी शिव पूजा विधी#हिंदू त्योहार#हिन्दू उत्सव समाचार#हिन्दू त्यौहार
0 notes
Text
सोमवार व्रत के बारे में जानकारी चाहिए? सोमवार व्रत की विधि
जानिए सोमवार व्रत के नियम, पूजा विधि और कथा, कैसे करें शिव को प्रसन्न? यह भी जानिए की कैसी की जाती है इसकी पूजा विधान और मंत्र के बारे में। सप्ताह का एक दिन सोमवार भगवान शिवजी के लिए मान्य है, इस दिन भगवान शिव जी की पूजा की जाती है।
Somvar Varat Katha aur Aarti Hindi Me इस व्रत को कोई भी कर सकता है महिला या पुरुष। भगवान शिव जो देवो का देव महादेव भी कहलाते है, वह इस और सभी संसार के करता धर्ता हैं। सोमवार व्रत मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं: साधारण सोमवार सौम्य प्रदोष सोलह सोमवार लेकिन इन सभी की पूजा का तरीका एक ही है। यह मेरा अपना अनुभव है कि अच्छे कर्म करने और शिव की पूजा करने से व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों से छुटकारा मिलता है और मन की शांति प्राप्त होती है। अगर आप भी शिव के प्रति दयालु होना चाहते हैं, तो हमेशा दो बातों का ध्यान रखें। हमेशा कर्म पर ध्यान दें और तन और मन से महादेव शिव जी की आराधना करें। तो आइए जानते हैं सोमवार व्रत की पूजा कैसे करें, इसकी पूजा की विधि, जो व्रत का भोजन है, और इसकी कथा विस्तार से:
सोमवार व्रत कब और कैसे करें?
यदि आप व्यक्तिगत रूप से सोमवार व्रत में पूजा करना चाहते हैं, तो यह एक आसान पूजा है, जिसे करने से अंदर से शांति मिलती है। तो आइए जानते हैं सोमवार व्रत के बारे में जानकारी चाहिए? सोमवार व्रत की विधि कैसे करें: इस व्रत को शुरू करने का सबसे अच्छा समय श्रावण मास है, आप इसे चैत, वैशाख, श्रावण या कार्तिक माह में भी कर सकते हैं। पूजा करने वालों को सुबह काले तिल का तेल लगाना चाहिए और सोमवार को स्नान करना चाहिए। आप अपने नजदीकी मंदिर में जाकर शिव की पूजा कर सकते हैं। सबसे पहले भगवान शिव की प्रतिमा को जल से स्नान कराएं, फिर चंदन आदि लगाएं और पूर्णाहुति करें। अब एक दीपक जलाएं और शिव की पूजा करें, पूजा के क्रम में शिव के सर्वशक्तिमान मंत्र " नमः शिवाय" का जाप करें। इस मंत्र में "ॐ" का उपयोग न करें, क्योंकि मंत्र में छह अक्षर बन जाते हैं। पूजा करने के बाद हाथ में पूर्ण या फल लेकर शिव की कथा सुनें। कथा के बाद आरती करें और फिर सभी को प्रसाद वितरित करें। इसके अलावा आप यहां विस्तार से पढ़ सकते हैं कि भगवान शिव की पूजा कैसे करें। भारत का सबसे बड़ा मंदिर कहां पर है? उत्तर प्रदेश में कितने जिले है? यूपी के जिलों की सूची करवा चौथ की पूजन सामग्री - Karwa Chauth Puja Samagri सोमवार के व्रत के लिए भोजन उपासक को इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि इस दिन उसे दिन में केवल एक बार भोजन करना चाहिए। सोमवार को, पूजा करने वाले सुबह पूजा करने के बाद फल खा सकते हैं, और शाम को वे मीठा भोजन कर सकते हैं। जैसे - केला, सेव या कोई फल। रात को मीठा भोजन में चावल या साबूदाना का खीर, हलवा, या दूध और रोटी खा सकते हैं। इस विशेष दिन उपासक को तन और मन से स्वच्छ रहना चाहिए और प्रभु शिव के प्रति समर्पित होना चाहिए। उपवास के कई लाभ हैं, अगर हम वैज्ञानिक रूप से उपवास के लाभों के बारे में बात करते हैं, तो यह हमारे पाचन तंत्र और पेट को सही रखता है। सोमवार व्रत की कहानी (Hindi) अगर आप अकेले हैं तो आप सोमवार व्रत कथा को पढ़ कर के सुन सकते है, और अगर आपका कोई पड़ोसी या दोस्त है, तो आप उन्हें आमंत्रित कर सकते हैं और सोमवार पूजा की कहानी बता सकते हैं। इसे पढ़ने और सुनाने वाले दोनों को ही लाभ मिलता है: प्राचीन काल की बात है, किसी शहर में एक बहुत बड़ा साहूकार रहता है। उसके घर में किसी प्रकार की किसी की भी चीज की कमी नहीं थी। सभी चीजो से परिपूर्ण होने के बावजूद साहूकार का एक भी पुत्र न होने के कारण बहुत दुखी था, साहूकार पुत्र की कामना हेतु प्रत्येक सोमवार को मंदिर जाता है और शिवजी का व्रत को बड़े श्रद्धा के साथ करता था, और साथ ही सायंकाल को मंदिर में दीपक प्रज्वलित करता था। साहूकार के इस श्रद्धा और भक्तिभाव को देखकर माता पार्वती अति प्रसन्न हुईं। और वे शिवजी से कहे, "हे प्रभु! यह साहूकार आपका सबसे बड़ा भक्त है, और ये इतनी श्रद्धा से आपकी भक्ति करता है। आपको इसकी सभी मनोकामना को पूर्ण करना चाहिए। यदि आप एसा नहीं करते हैं, तो मनुष्य आपपर विश्वास करना छोड़ देंगे और कोई भी आपकी पूजा नहीं करेगा।" माता पार्वती के इस आग्रह पर शिवजी कहने लगे, “हे पार्वती! इसके भाग्य में पुत्र न होने पर भी मै इसको पुत्र की प्राप्ति का वर देता हूँ। लेकिन वह 12 साल तक केवल जीवित रहेगा।" भगवान शिव और माता पार्वती का यह संवाद साहूकार सुन रहा था। इससे उसको न तो प्रसन्नता हुई और न ही दुख हुआ | वह पहले के तरह ही शिव जी का व्रत करता रहा। कुछ समय के बाद साहूकार के घर अति सुंदर पुत्र का जन्म हुआ। साहूकार के घर में बहुत खुशिया मनाई गई और जश्न भी गया। साहूकार को मूलतःता पता होने के कारण वह न तो अधिक प्रसन्नता प्रकट की और न ही किसी को यह भेद ही बतलाया। सोमवार व्रत की आरती ऐसा माना जाता है कि इस महीने भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं। सावन के महीने के दौरान, सोमवार का भी बहुत महत्व है। इस दिन, भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं। विधी विधान पूजा होती है। किसी भी पूजा में आरती सबसे महत्वपूर्ण होती है। ऐसा माना जाता है कि आरती किए बिना पूजा पूरी नहीं होती है। यहां आप जानेंगे भगवान शिव को प्रसन्न करने वाली आरती के बारे में: ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ Read the full article
0 notes