#भगवान शिव पूजन
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Maha Mrityunjaya Mantra in Vedas : भगवान शिव का महामंत्र- महामृत्युंजय मंत्र
Maha Mrityunjaya Mantra in Vedas शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आहार-विहार, खानपान, नियमित दिनचर्या आदि बहुत से उपाय बतलाए गए हैं, जिनका पालन करना बहुत आवश्यक है. इस सब नियमों का पालन करने के बाद भी यदि कर्मभोग के कारण शरीर का कोई बड़ा कष्ट ऐसा है, जो बहुत खर्चों के बाद भी कोई डॉक्टर ठीक नहीं कर पा रहा है, तो शरीर के ऐसे कष्ट को दूर करने के लिए कुछ आध्यात्मिक उपाय करने होते हैं, जिनमें से एक है-…
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लखनऊ, 08.03.2024 | महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में “शिव पूजन” कार्यक्रम का आयोजन किया गया I आयोजन के अंतर्गत ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने भगवान शिव शंकर जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनकी आरती की तथा भगवान शिव जी से सभी देशवासियों के ऊपर अपनी कृपा बरसाने हेतु प्रार्थना की |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि,
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ||
"महाशिवरात्रि के इस अद्वितीय दिन पर हमें अपने जीवन को अध्यात्मिकता और संतोष की ओर ले जाना चाहिए । आज के दिन हम अपने अंतर्यामी परमात्मा के प्रति अपने समर्पण और श्रद्धा का उद्गार करते हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं । महाशिवरात्रि के इस महत्वपूर्ण पर्व पर, हमें अपने जीवन में नेक कामों का संकल्प करना चाहिए और अपनी आत्मा को अंतर्मुखी बनाकर अध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ना चाहिए । भगवान शिव की उपासना, ध्यान और प्रार्थना के मा��्यम से हम अपने जीवन को संतुलित, शांत और समृद्ध बना सकते हैं । आज के पवित्र दिन पर, हम सभी को भगवान शिव के प्रति हमारी श्रद्धा और समर्पण का प्रत्येक क्षण मनाने का संकल्प लेना चाहिए, यहां तक कि हमें अपने दिल में विशवास और प्रेम जाग्रत करना चाहिए, जिससे हम देशवासियों के बीच एक भाईचारा और सौहार्दता का वातावरण बना सके ।
देवाधिदेव महादेव भगवान शिव जी और माता पार्वती जी के विवाह के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले पवित्र पर्व महाशिवरात्रि की समस्त शिव भक्तों, देश व प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं | भगवान शिव जी से प्रार्थना है कि सभी के जीवन में ज्ञान, समृद्धि एवं धन-वैभव की वर्षा करें |
ऊँ नमः शिवाय !
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Dev Diwali - Kartik Purnima 2023: देव दिवाली पर शिव योग का होगा निर्माण इसका शिव से है गहरा संबंध होगा हर समस्या का समाधान
Dev Deepawali 2023: कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली मनाई जाती है. ये दिवाली देवताओं को समर्पित है, इसका शिव जी से गहरा संबंध है. इस दिन धरती पर आते हैं देवतागण कार्तिक पूर्णिमा का दिन कार्तिक माह का आखिरी दिन होता है. इसी दिन देशभर में देव देवाली भी मनाई जाती है लेकिन इस बार पंचांग के भेद के कारण देव दिवाली 26 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी और कार्तिक पूर्णिमा का व्रत, स्नान 27 नवंबर 2023 को है. देव दिवाली यानी देवता की दीपावली. इस दिन सुबह गंगा स्नान और शाम को घाट पर दीपदान किया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा पर 'शिव' योग का हो रहा है निर्माण, हर समस्या का होगा समाधान |
देव दिवाली तिथि और समय
पूर्णिमा तिथि आरंभ - 26 नवंबर 2023 - 03:53
पूर्णिमा तिथि समापन - 27 नवंबर, 2023 - 02:45
देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05:08 बजे से शाम 07:47 बजे तक
पूजन अवधि - 02 घण्टे 39 मिनट्स
शिव मंत्र
ॐ नमः शिवाय
ॐ शंकराय नमः
ॐ महादेवाय नमः
ॐ महेश्वराय नमः
ॐ श्री रुद्राय नमः
ॐ नील कंठाय नमः
देव दिवाली का महत्व
देव दिवाली का सनातन धर्म में बेहद महत्व है। इस पर्व को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप मनाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने इस दिन राक्षस त्रिपुरासुर को हराया था। शिव जी की जीत का जश्न मनाने के लिए सभी देवी-देवता तीर्थ स्थल वाराणसी पहुंचे थे, जहां उन्होंने लाखों मिट्टी के दीपक जलाएं, इसलिए इस त्योहार को रोशनी के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है।
इस शुभ दिन पर, गंगा घाटों पर उत्सव मनाया जाता है और बड़ी संख्या में ��ीर्थयात्री देव दिवाली मनाने के लिए इस स्थान पर आते हैं और एक दीया जलाकर गंगा नदी में छोड़ देते हैं। इस दिन प्रदोष काल में देव दीपावली मनाई जाती है. इस दिन वाराणसी में गंगा नदी के घाट और मंदिर दीयों की रोशनी से जगमग होते हैं. काशी में देव दिवाली की रौनक खास होती है.
Dev diwali Katha : देव दिवाली की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव बड़े पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया था. पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए तारकासुर के तीनों बेटे तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने प्रण लिया. इन तीनों को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाता था. तीनों ने कठोर तप कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और उनसे अमरत्व का वरदान मांगा लेकिन ब्रह्म देव ने उन्हें यह वरदान देने से इनकार कर दिया.
ब्रह्मा जी ने त्रिपुरासुर को वरदान दिया कि जब निर्मित तीन पुरियां जब अभिजित नक्षत्र में एक पंक्ति में में होगी और असंभव रथ पर सवार असंभव बाण से मारना चाहे, तब ही उनकी मृत्यु होगी. इसके बाद त्रिपुरासुर का आतंक बढ़ गया. इसके बाद स्वंय शंभू ने त्रिपुरासुर का संहार करने का संकल्प लिया.
काशी से देव दिवाली का संबंध एवं त्रिपुरासुर का वध:
शास्त्रों के अनुसार, एक त्रिपुरासुर नाम के राक्षस ने आतंक मचा रखा था, जिससे ऋषि-मुनियों के साथ देवता भी काफी परेशान हो गए थे। ऐसे में सभी देवतागण भगवान शिव की शरण में पहुंचे और उनसे इस समस्या का हल निकालने के लिए कहा। पृथ्वी को ही भगवान ने रथ बनाया, सूर्य-चंद्रमा पहिए बन गए, सृष्टा सारथी बने, भगवान विष्णु बाण, वासुकी धनुष की डोर और मेरूपर्वत धनुष बने. फिर भगवान शिव उस असंभव रथ पर सवार होकर असंभव धनुष पर बाण चढ़ा लिया त्रिपुरासुर पर आक्रमण कर दिया. इसके बाद भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर का वध कर दिया था और फिर सभी देवी-देवता खुशी होकर काशी पहुंचे थे। तभी से शिव को त्रिपुरारी भी कहा जाता है. जहां जाकर उन्होंने दीप प्रज्वलित करके खुशी मनाई थी। इसकी प्रसन्नता में सभी देवता भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे. फिर गंगा स्नान के बाद दीप दान कर खुशियां मनाई. इसी दिन से पृथ्वी पर देव दिवाली मनाई जाती है.
पूजन विधि
देव दीपावली की शाम को प्रदोष काल में 5, 11, 21, 51 या फिर 108 दीपकों में घी या फिर सरसों के भर दें। इसके बाद नदी के घाट में जाकर देवी-देवताओं का स्मरण करें। फिर दीपक में सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, फूल, मिठाई आदि चढ़ाने के बाद दीपक जला दें। इसके बाद आप चाहे, तो नदी में भी प्रवाहित कर सकते हैं।
देव दीपावली के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। हो सके,तो गंगा स्नान करें। अगर आप गंगा स्नान के ��िए नहीं जा पा रहे हैं, तो स्नान के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें। ऐसा करने से गंगा स्नान करने के बराबर फलों की प्राप्ति होगी। इसके बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे में जल, सिंदूर, अक्षत, लाल फूल डालकर अर्घ्य दें। फिर भगवान शिव के साथ अन्य देवी देवता पूजा करें। भगवान शिव को फूल, माला, सफेद चंदन, धतूरा, आक का फूल, बेलपत्र चढ़ाने के साथ भोग लाएं। अंत में घी का दीपक और धूर जलाकर चालीसा, स्तुत, मंत्र का पाठ करके विधिवत आरती कर लें।
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🐅 शारदीय नवरात्रि : नवमी: माँ सिद्धिदात्री [Monday, 23 October 2023]
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ॥
शक्ति की सर्वोच्च देवी माँ आदि-पराशक्ति, भगवान शिव के बाएं आधे भाग से सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट हुईं। माँ सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करती हैं। यहां तक कि भगवान शिव ने भी देवी सिद्धिदात्री की सहयता से अपनी सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं। माँ सिद्धिदात्री केवल मनुष्यों द्वारा ही नहीं बल्कि देव, गंधर्व, असुर, यक्ष और सिद्धों द्वारा भी पूजी जाती हैं। जब माँ सिद्धिदात्री शिव के बाएं आधे भाग से प्रकट हुईं, तब भगवान शिव को र्ध-नारीश्वर का नाम दिया गया।
तिथि: आश्विन शुक्ल नवमी
आसन: कमल
अत्र-शस्त्र: चार हाथ - दाहिने हाथ में गदा तथा चक्र, बाएं हाथ में कमल का फूल व शंख शोभायमान है।
ग्रह: केतु
शुभ रंग: मोर वाला हरा
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🐅 नवरात्रि में कन्या/कंजक पूजन की विधि - Method of Kanya Pujan in Navratri
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🐅 दुर्गा चालीसा - Durga Chalisa
📲 https://www.bhaktibharat.com/chalisa/shri-durga-chalisa
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बेहटा में हुआ 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का भूमि पूजन
लखीमपुर खीरी, 18 नवंबर (हि.स.)। ईसानगर ब्लॉक के बेहटा गांव में गायत्री परिवार द्वारा 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का भूमि पूजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ गायत्री शक्तिपीठ खमरिया के साधक मुरलीधर मौर्य ने दीप प्रज्वलन के साथ किया। पूजन कार्यक्रम का संचालन शिव भगवान कटियार, वीरेंद्र कुमार मिश्रा और विनय कुमार वर्मा की टोली द्वारा किया गया। देवपूजन गायत्री शक्तिपीठ बेहटा के ट्रस्टी विनोद कटियार ने…
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west singhbhum ckp- चक्रधरपुर में पंडित हाता शिव मंदिर में 501 लीटर दूध से भोले बाबा का होगा महारुद्राभिषेक, संध्या में महाप्रसाद का वितरण
रामगोपाल जेना,चक्रधरपुर: पंडित हाता शिव मंदिर में भगवान भोलेनाथ का श्रावण मास की अंतिम सोमवारी पर 501 लीटर दूध से महारुद्राभिषेक व पूजन कार्य सम्पन्न होगा. जिसको लेकर गिरिराज सेना प्रमुख उमाशंकर गिरि ने प्रेसवार्ता कर जानकारी देते हुए बताया की श्रावण मास की अंतिम सोमवारी पर हर साल की भांति इस साल भी गिरिराज सेना की ओर से बाबा भोलेनाथ का 501 लीटर गाय के दुध से महारुद्राभिषेक होगा,जो सुबह 10 बजे से…
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रक्षाबंधन पर्व 2024 जानिये मुहूर्त एवं महत्व
।। रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त।।
श्रावण शुक्ला पूर्णिमा विक्रम संम्वत् 2081
दिनांक 19.08 2024 सोमवार
अपराह्न 1.32 तक भद्रा काल त्याज्य रहेगा
चंचल वेला अपरा. 2.02 से 3.40 pm तक
लाभ वेला..अपरा. 3.40 से 5.17 pm तक
अमृत वेला.. सायं. 5.17 से 6.55 pm तक
।।राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के समयानुसार।।
___________________________________
।। रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त।।
श्रावण शुक्ला पूर्णिमा विक्रम संम्वत् 2081
दिनांक 19.08 2024 सोमवार
अपराह्न 1.32 तक भद्रा काल त्याज्य रहेगा
चंचल वेला अपरा. 2.12 से 3.48 pm तक
लाभ वेला..अपरा. 3.48 से 5.25 pm तक
अमृत वेला.. सायं. 5.25 से 7.02 pm तक
अजमेर भीलवाड़ा चित्तौड़गढ़ और नीमच के
स्��ानीय समय के अनुसार
___________________________________
हिंदू धर्म के अनुसार, श्रावण पूर्णिमा तिथि को भद्रा रहित शुभ मुहूर्त में रक्षाबंधन मनाना अच्छा होता है. इस समय में बहनों को अपनी भाइयों को राखी बांधनी चाहिए. इस साल 2024 में रक्षाबंधन पर 6 शुभ संयोग बन रहे हैं, लेकिन उस दिन पाताल की भद्रा राखी के त्योहार का मजा किरकिरा कर सकती है। हालांकि कई विद्वानों का मत है कि पाताल की भद्रा का असर धरती पर नहीं होता है परंतु रक्षाबंधन में श्रावणी भद्रा का त्याग बताया गया है। वैसे भी यह त्योहार भाई और बहन की खुशहाली से जुड़ा है।ज्योतिष के अनुसार रक्षाबंधन पर 6 शुभ संयोग बन रहे हैं..? रक्षाबंधन पर राखी बांधने का मुहूर्त क्या है..? रक्षाबंधन के दिन भद्रा कब से लग रही है..? जानते हैं।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस बार 19 अगस्त सोमवार को तड़के 3 बजकर 5 AM से सावन पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी और यह 19 अगस्त को ही रात 11 बजकर 55 मिनट पर खत्म होगी. सूर्योदय की तिथि के आधार पर रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त को मनाया जाएगा।
6 शुभ संयोग में है रक्षाबंधन 2024
इस साल रक्षाबंधन पर 6 शुभ संयोग बन रहे हैं, जिसके कारण राखी का त्योहार अत्यंत शुभ फलदायी होगा. राखी के दिन राज पंचक, सावन सोमवार, सावन पूर्णिमा का व्रत और स्नान है, वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और शोभन योग बन रहे हैं. इन 6 शुभ संयोग के कारण रक्षाबंधन का त्योहार विशेष बन जाएगा।
1. राज पंचक: रक्षाबंधन के दिन राज पंचक शाम 07:00 PM से शुरू हो रहा है, जो अगले दिन 05:53 AM तक है. सोमवार को शुरू होने वाला राज पंचक शुभ होता है. इसके शुभ प्रभाव से प्रॉपर्टी और सरकारी कामों को करने में सफलता मिलती है।
2. सावन सोमवार: सावन सोमवार को बेहद ही शुभ दिन माना जाता है. इस दिन व्रत रखते हैं और शिव जी की पूजा करते हैं. इस बार सावन सोमवार को श्रावण मास का समापन हो रहा है. सावन सोमवार के व्रत और पूजन से मनोकामनाएं पूरी होंगी।
3. सावन पूर्णिमा का व्रत और स्नान: रक्षाबंधन के दिन सावन पूर्णिमा का व्रत और स्नान है. सावन पूर्णिमा को स्नान, दान और व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा का आयोजन करने से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
4. सर्वार्थ सिद्धि योग: सभी कार्यों में सफलता प्रदान करने वाला सर्वार्थ सिद्धि योग भी रक्षाबंधन पर बन रहा है. यह योग 05:53 AM से 08:10 AM तक रहेगा।
5. रवि योग: रक्षाबंधन वाले दिन रवि योग भी 05:53 AM से 08:10 AM तक है. इसमें सूर्य का प्रभाव अधिक होता है और इस योग में सभी दोष मिट जाते हैं।
रक्षाबंधन 2024 भद्रा काल
रक्षाबंधन पर भद्रा सुबह सूर्योदय से दोपहर 01:32 PM तक रहेगी. भद्रा के समय में आपको राखी बांधने से परहेज करना है।
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गुजरात में स्थापित श्री नागेश्वर ज्योर्तिलिंग अनूठा और अद्भुत है
इटारसी। सावन मास (Saavan month) के अवसर पर पूरे भारत (India) में भगवान शिव (Lord Shiva) माता पार्वती (Mata Parvati) और उनके नंदी तथा गणेश (Ganesh), कार्तिकेय (Kartikeya) का पूजन होता है लेकिन अभिषेक भगवान शंकर का होता है। वर्षाकाल के चार मास के चर्तुमास में भगवान शिव प्रसन्न दिखाई देते है। उनके गणों, यक्षों, गंधवों, किन्नरों और मनुष्य को सेवा का विशेष फल मिलता है। उक्त उद्गार पं. विनोद दुबे (Pt.…
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पर्यावरण संरक्षण आज की प्रधान आवश्यकता
बीकानेर। स्थानीय बेनीसर बारी के बाहर, चूना भट्टा के पास चल रहे संगीतमय श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के पंचम दिवस पर कथा वाचक श्री लालजी वैरागी ने भगवान कृष्ण की दिव्य बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए “पूतना, शकटासुर, तृणावर्त उद्धार, योगी शिव का बाल कृष्ण दर्शन, भगवान के नामकरण संस्कार, ऊखल बंधन, यमलार्जुन उद्धार, माखन चोरी तथा गिरिराज गोर्वधन पूजन” का विशद वर्णन करते हुए कहा कि “प्रकृति के…
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Nag Panchami: नाग पंचमी के दिन इस विधि से करें पूजा, जानें सही पूजन विधिNag Panchami: नाग पंचमी के दिन सही विधि से यदि आप पूजा करते हैं, तो आपको कभी भी सांपों का भय नहीं होगा और भगवान शिव की भी कृपा प्राप्त होगी। तो आइए जानते हैं कि नाग पंचमी की सही पूजन विधि क्या है।
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लखनऊ, 18.02.2023 | आज महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में “शिव पूजन”कार्यक्रम का आयोजन किया गया I आयोजन के अंतर्गत ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉक्टर रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने भगवान शिव शंकर जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनकी आरती की तथा भगवान शिव जी से सभी देशवासियों के ऊपर अपनी कृपा बरसाने हेतु प्रार्थना की I
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, “आज, महाशिवरात्रि का पावन महापर्व देश भर में मनाया जा रहा है । भगवान शिव का यह चरित्र मानवीय जीवन के उच्चतम आदर्शों की पराकाष्ठा है । महादेव गृहस्थ भी हैं और वीतरागी, आदियोगी भी, उनका यह गुण संदेश देता है कि योग के मार्ग पर चलने के लिए, ईश्वर की भक्ति के लिए संसार त्याग आवश्यक नहीं है । त्याग तो स्वयं की दुष्प्रवृत्तियों का, आसक्ति व अहंकार का करना चाहिए, ताकि अंतःकरण को योग के अनुकूल बनाया जा सके । कैलाशवासी भगवान शिव एक ओर तो परम पवित्र हिमालय में तपस्या में लीन रहते हैं तो दूसरी ओर भूतगणों के साथ श्मशान में निवास करते भी माने जाते हैं। इसका व्यावहारिक आशय यह है कि पवित्र और श्रेष्ठ के संपर्क में रहना श्रेयस्कर है, किंतु किसी को पापी नहीं समझा जाना चाहिए । सब परमात्मा की ही संतान हैं एवं वे सबको बराबर स्नेह करते हैं । शिव यहां सम्यक दृष्टि व मैत्री की शिक्षा देते हैं । इनके अतिरिक्त अनेकानेक विरोधाभासों का अतिसुंदर समन्वय भगवान शिव के जीवन में देखने को मिलता है । एक ओर वे परम कल्याणकारी, भोले भंडारी हैं तो दूसरी ओर तांडव करने वाले महारुद्र भी, उन्हीं की भाँति मनुष्य को भी श्रेष्ठ का संरक्षक व गलत का संहारक होना चाहिए । शुभ व सत्य के प्रति संवेदनशील व अशुभ के प्रति कठोर होना चाहिए । हर्षवर्धन अग्रवाल ने यह भी बताया कि ट्रस्ट द्वारा जल्द ही एक विशाल रुद्राभिषेक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा ।"
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Shaadi mein aa rahi hai Talaak ki naubat? to Teej ke shubh prabhav se door hogi samasya
तीज का पर्व सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद माना जाता है. धर्म शास्त्रों के अनुसार पौराणिक काल से ही दांपत्य जीवन की समस्याओं को दूर करने के लिए तीज व्रत का पालन एवं इस दिन होने वाले अनुष्ठानों को किया जाता रहा है और आज भी इस पर्व की महत्ता विशेष है. जो विवाह जीवन म���ं आने वाली हर प्रकार की समस्याओं से मुक्ति दिलाने वाली होती है. तीज एक ऎसा मांगलिक उत्सव है जो वैवाहिक जीवन में जोड़ों के मध्य रिश्ते को मजबूत करता है.
विवाह एक ऎसा रिश्ता है जिसे सात जन्मों का साथ माना गया है. लेकिन कई बार जीवन में कुछ ऎसे पड़ाव आते चले जाते हैं जिनके कारण वैवाहिक जीवन में लगातार झगड़े और आपसी अनबन इतनी बढ़ जाती है कि एक छत के नीचे रह पाना दोनों के लिए ही बहुत मुश्किल होता है तब ऎसे में जीवन में आए इस संकट से बचने के लिए अगर कुछ कार्यों को कर लिया जाए तो इस परेशानी से बचाव भी संभव है. इन सभी परेशानियों को दूर करने में तीज का उत्सव सुखद कदमों की आहट को सुनाता है.
कुंडली में तलाक के कारण
समाज में होने वाले बदलावों के साथ हमारे जीवन में भी कई ऎसे बदलाव होते हैं जिसके कारण आज के समय वैवाहिक जीवन में आपसी संबंध भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाए हैं. शादी विवाह में अगर तलाक या अलगाव जैसी परेशानियां जब रिश्ते में आने लगती हैं तो यह एक बेहद ही कठोर और चिंता देने वाला समय बन जाता है. तलाक या शादी में अलगाव की स्थिति किसी भी कारण से उभर सकती है.
इसमें आपसी मतभेद, अपनी-अपनी जीवन शैली, विचार, रहन सहन, परिवार जनों का हस्तक्षेप, पार्ट्नर की गलत आदतें जैसी बातें कई छोटी या बड़ी बातें शामिल हो सकती हैं. यह बातें तलाक और अलगाव के लिए जिम्मेदार हो सकती है. तलाक की वजह चाहे कोई भी हो लेकिन इसका रहस्य जन्म कुंडली में ही छिपा होता है और जिसे सुलझा कर हम इस तरह की समस्या से दूर रहते हुए सुखी वैवाहिक जीवन जी सकते हैं.
वैवाहिक जीवन की समस्याओं को ज्योतिष से पहचानें
विवाह में तलाक जैसी स्थिति आखिर किन कारणों से उभरी इसके लिए जन्म कुंडली की जांच करना जरूरी है. इस के अलावा दोनों लोगों के मध्य एक ऎसे व्यक्ति का होना भी जरु��ी है जो निष्पक्ष रूप से दोनों का साथ देने वाला हो, एक योग्य ज्योतिषी इस भूमिका में सबसे अधिक उपयुक्त व्यक्ति होता है क्योंकि वह जानता है कि कुंडली में वो कौन से योग बने, और कौन सी दशा गोचर की स्थिति ऐसी बन रही है की अलगाव तलाक तक पहुंच सकता है.
इन बातों को जान समझ कर तलाक और अलगाव होने को रोक पाना संभव होता है. लेकिन अगर दोनों लोगों की रजामंदी इस तरह से नहीं मिल पाती है तब उस स्थिति में अकेला साथी भी ज्योतिष द्वारा बताई गई सलाह और उपायों से अपने टूटते घर को बचा सकता है. इसी में विशेष भूमिका आती है हमारे द्वारा किए जाने वाले उन खास उपायों की जो हम स्वयं भी अगर कर लेते हैं तो रिश्ते को तलाक और अलगाव जैसी परिस्थिति से अपने जीवन को बचाया जा सकता है.
सावन तीज के दिन पूजा एवं अनुष्ठान रोक सकते हैं वैवाहिक जीवन का तनाव
तीज का पर्व इसी में एक विशेष उपाय है जो जीवन की इन उलझनों को दूर करने में बहुत सहायक होता है. यह न केवल रिश्ते को टूटने से बचाता है बल्कि ऎसे रिश्ते देता है जो जीवन भर साथ निभाते हैं. इसी कारण कुंवारी कन्याएं जब “योग्य वर” की कामना करती हैं तो उनके लिए तीज का दिन बेहद विशेष होता है.
तीज का पर्व है देवी पार्वती और महादेव के प्रेम विवाह का गवाह
शिव पुराण एवं अन्य कथाओं में इस बात का उल्लेख प्राप्त होता है की जब माता पार्वती ने अपने विवाह के लिए योग्य वर के रूप में भगवान शिव को पति बनाने की कामना रखी तब उनकी तपस्या और उनकी कठोर व्रत साथना में तीज व्रत का दिन भी गवाह बना. सावन माह की तृतीया तिथि के दिन ही महादेव ने देवी पार्वती को अपनी जीवन संगिनी बनने का वचन दिया था. इसी कारण से जो भी कन्या अपने लिए मनपसंद वर की इच्छा रखती है वह तीज के दिन यदि देवी पार्वती और महादेव का विधि विधान के साथ पूजन करती हैं तो उनकी कामना जरूर पूरी होती है.
तीज की पूजा का फल व्यक्ति को तभी प्राप्त होता है जब सभी नियमों का पालन करते हुए पूजन किया जाए. सावन तीज पर अगर सही तरह से उचित रूप में एक योग्य ज्योतिषी के सहयोग द्वारा पूजा अनुष्ठानों के कार्यों को किया जाता है तो वैवाहिक जीवन में आने वाली हर प्रकार की संभावित परेशानियों से बचा जा सकता है.
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*🪷कामिका एकादशी महत्व एवं पूजा विधि और कामिका एकादशी व्रत कथा🪷*
सनातन धर्म में सावन माह कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी मनाई जाती है। इस साल 31 जुलाई बुधवार को कामिका एकादशी है। यह विशेष दिन श्रीहरि विष्णुजी को समर्पित माना जाता है।
इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं होता है और व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलता है। यह चातुर्मास महीने की पहली एकादशी होती है।
कहा जाता है कि कामिका एकादशी का व्रत रखने से साधक पर विष्णुजी की कृपा बनी रहती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
पूजा का शुभ मुहूर्त : इस दिन सुबह 05 बजकर 32 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 32 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है। इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में कामिका एकादशी मनाई जाएगी।
व्रत के दिन स्नानादि के बाद साफ और स्वच्छ कपड़े धारण करें।
विष्णुजी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद छोटी चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। चौकी पर विष्णुजी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। अब मां लक्ष्मी और विष्णुजी के समक्ष दीपक जलाएं। उन्हें फल, फूल, धूप, दीप और नेवैद्य अर्पित करें। विष्णुजी की आरती उतारें और उनके मंत्रों का जाप करें। तत्पश्चात कामिका एकादशी की व्रत कथा पढ़ें। अंत में सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें और पूजा समाप्त करें।
कामिका एकादशी का व्रत हरि विष्णु जी को समर्पित है। कामिका एकादशी का महत्व इसलिए भी अधिक रहता है क्योंकि, यह सावन मास में आती है। कामिका एकादशी सावन मास में आने वाली पहली एकादशी है। इसलिए कामिका एकादशी के दिन पद्म पुराण में बताए गए उपाय अपनाने से व्यक्ति को भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही यह उपाय मोक्ष दिलाने वाले और धन संपत्ति लाभ दिलाने वाले हैं। कामिका एकादशी के यह उपाय मोक्ष दिलाने के साथ ही सुख समृद्धि भी बढ़ाएंगे।
*सावन में कामिका एकादशी पर करें ये 6 उपाय, धन संपत्ति से होंगे मालामाल*
पद्मपुराण के अनुसार, कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा तुलसी की मंजरी से करें ऐसे करने से जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। यमलोक नहीं जाना पड़ता है।
कामिका एकादशी पर पूजा के समय तिल के तेल से या घी का दीपक भगवान विष्णु को दिखाएं। पद्मपुराण के अनुसार, इस उपाय से पितृ लोक में पितृ संतुष्ट होते हैं और पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
*मोक्ष के लिए करें ये उपाय*
इसके अलावा कामिका एकादशी पर आप गौसेवा करें गौमाताओं को भोजन कराएं एवं श्री कृष्ण की लीलाओं का पाठ करें। इसके अलावा विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु चालीसा का पाठ करें ऐसा करने से आपको मोक्ष मिलती है।
एकादशी के दिन तुलसी पीढ़ा को मिट्टी से लेपें। साथ ही तुलसी माता को दीपक दिखाना चाहिए और तुलसी पूजन करना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य पाप मुक्त होता है और उन्हें सुखों समृद्धि की प्राप्ति ��ोती है।
*कामिका एकादशी पर धन संपत्ति के लिए करें ये उपाय*
एकादशी के दिन गौमाताओं के निमित्त कुछ न कुछ दान अवश्य करें गौसेवा करने से धन संपत्ति में वृद्धि होती है। यदि किसी के जीवन में आर्थिक दिक्कतें चल रही हैं तो वह भी समाप्त हो जाती हैं। इसके अतिरिक्त घर मे हल्दी मिलाकर जल का छिड़काव करें और स्वास्तिक बनाएं ऐसे करने से घर मे देवी लक्ष्मी का वास होता है।
*कामिका एकादशी पर आरोग्य प्राप्ति के लिए उपाय*
कामिका एकादशी सावन की पहली एकादशी होती है। भगवान विष्णु के पूजन के साथ ही भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए ऐसे करने से आरोग्य और धन वैभव की प्राप्ति होती है।
*🪷 कामिका एकादशी व्रत कथा 🪷*
एक गाँव में एक वीर क्षत्रिय रहता था। एक दिन किसी कारण वश उसकी ब्राह्मण से हाथापाई हो गई और ब्राह्मण की मृत्य हो गई। अपने हाथों मरे गये ब्राह्मण की क्रिया उस क्षत्रिय ने करनी चाही। परन्तु पंडितों ने उसे क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया। ब्राह्मणों ने बताया कि तुम पर ब्रह्म-हत्या का दोष है। पहले प्रायश्चित कर इस पाप से मुक्त हो तब हम तुम्हारे घर भोजन करेंगे।
इस पर क्षत्रिय ने पूछा कि इस पाप से मुक्त होने के क्या उपाय है। तब ब्राह्मणों ने बताया कि श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भक्तिभाव से भगवान श्रीधर का व्रत एवं पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराके सदश्रिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिलेगी। पंडितों के बताये हुए तरीके पर व्रत कराने वाली रात में भगवान श्रीधर ने क्षत्रिय को दर्शन देकर कहा कि तुम्हें ब्रह्म-हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है।
इस व्रत के करने से ब्रह्म-हत्या आदि के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और इहलोक में सुख भोगकर प्राणी अन्त में विष्णुलोक को जाते हैं। इस कामिका एकादशी के माहात्म्य के श्रवण व पठन से मनुष्य स्वर्गलोक को प्राप्त करते हैं।
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कजरी तीज 2024: तिथि, पूजन विधि और महत्व
कजरी तीज हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, विशेष रूप से महिलाओं के लिए। यह त्योहार भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है।
मान्यता है कि इस दिन देवी पार्वती ने कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। इसीलिए, विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए यह त्योहार मनाती हैं। अविवाहित महिलाएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए कजरी तीज का व्रत रखती हैं।
कजरी तीज की तिथि
कजरी तीज 2024, 22 अगस्त, गुरुवार को मनाई जाएगी।
कजरी तीज की पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और रंगोली बनाएं।
भगवान शिव और देवी पार्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
पूजा की थाली में रोली, चावल, फल, मिठाई, दीपक आदि रखें।
शिव मंत्रों का जाप करते हुए पूजा करें।
व्रत रखने वाली महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को पूजा के बाद व्रत खोलती हैं।
कजरी तीज की परंपराएं
कजरी तीज के दिन महिलाएं विशेष रूप से सज-धज कर मेहंदी रचाती हैं और नए कपड़े पहनती हैं। इस दिन महिलाएं एक-दूसरे को उपहार देती हैं और मिलकर गीत गाती हैं। कजरी गीत इस त्योहार का विशेष आकर्षण होते हैं। ये गीत प्रेम, विरह और मन की भावनाओं को व्यक्त करते हैं।
कजरी तीज का त्योहार भारतीय संस्कृति की समृद्धि का प्रतीक है। यह महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है और उन्हें एक-दूसरे के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करता है।
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