#भगवान शिव पूजन
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helputrust · 11 months ago
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लखनऊ, 08.03.2024 | महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में “शिव पूजन” कार्यक्रम का आयोजन किया गया I आयोजन के अंतर्गत ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने भगवान शिव शंकर जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनकी आरती की तथा भगवान शिव जी से सभी देशवासियों के ऊपर अपनी कृपा बरसाने हेतु प्रार्थना की | 
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि,
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ||
"महाशिवरात्रि के इस अद्वितीय दिन पर हमें अपने जीवन को अध्यात्मिकता और संतोष की ओर ले जाना चाहिए । आज के दिन हम अपने अंतर्यामी परमात्मा के प्रति अपने समर्पण और श्रद्धा का उद्गार क��ते हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं । महाशिवरात्रि के इस महत्वपूर्ण पर्व पर, हमें अपने जीवन में नेक कामों का संकल्प करना चाहिए और अपनी आत्मा को अंतर्मुखी बनाकर अध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ना चाहिए । भगवान शिव की उपासना, ध्यान और प्रार्थना के माध्यम से हम अपने जीवन को संतुलित, शांत और समृद्ध बना सकते हैं । आज के पवित्र दिन पर, हम सभी को भगवान शिव के प्रति हमारी श्रद्धा और समर्पण का प्रत्येक क्षण मनाने का संकल्प लेना चाहिए, यहां तक कि हमें अपने दिल में विशवास और प्रेम जाग्रत करना चाहिए, जिससे हम देशवासियों के बीच एक भाईचारा और सौहार्दता का वातावरण बना सके ।
देवाधिदेव महादेव भगवान शिव जी और माता पार्वती जी के विवाह के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले पवित्र पर्व महाशिवरात्रि की समस्त शिव भक्तों, देश व प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं | भगवान शिव जी से प्रार्थना है कि सभी के जीवन में ज्ञान, समृद्धि एवं धन-वैभव की वर्षा करें |
ऊँ नमः शिवाय !
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astrovastukosh · 1 year ago
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Dev Diwali - Kartik Purnima 2023: देव दिवाली पर शिव योग का होगा निर्माण इसका शिव से है गहरा संबंध होगा हर समस्या का समाधान
Dev Deepawali 2023: कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली मनाई जाती है. ये दिवाली देवताओं को समर्पित है, इसका शिव जी से गहरा संबंध है. इस दिन धरती पर आते हैं देवतागण कार्तिक पूर्णिमा का दिन कार्तिक माह का आखिरी दिन होता है. इसी दिन देशभर में देव देवाली भी मनाई जाती है लेकिन इस बार पंचांग के भेद के कारण देव दिवाली 26 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी और कार्तिक पूर्णिमा का व्रत, स्नान 27 नवंबर 2023 को है. देव दिवाली यानी देवता की दीपावली. इस दिन सुबह गंगा स्नान और शाम को घाट पर दीपदान किया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा पर 'शिव' योग का हो रहा है निर्माण, हर समस्या का होगा समाधान |
देव दिवाली तिथि और समय
पूर्णिमा तिथि आरंभ - 26 नवंबर 2023 - 03:53
पूर्णिमा तिथि समापन - 27 नवंबर, 2023 - 02:45
देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05:08 बजे से शाम 07:47 बजे तक
पूजन अवधि - 02 घण्टे 39 मिनट्स
शिव मंत्र
ॐ नमः शिवाय
ॐ शंकराय नमः
ॐ महादेवाय नमः
ॐ महेश्वराय नमः
ॐ श्री ��ुद्राय नमः
ॐ नील कंठाय नमः
देव दिवाली का महत्व
देव दिवाली का सनातन धर्म में बेहद महत्व है। इस पर्व को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप मनाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने इस दिन राक्षस त्रिपुरासुर को हराया था। शिव जी की जीत का जश्न मनाने के लिए सभी देवी-देवता तीर्थ स्थल वाराणसी पहुंचे थे, जहां उन्होंने लाखों मिट्टी के दीपक जलाएं, इसलिए इस त्योहार को रोशनी के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है।
इस शुभ दिन पर, गंगा घाटों पर उत्सव मनाया जाता है और बड़ी संख्या में तीर्थयात्री देव दिवाली मनाने के लिए इस स्थान पर आते हैं और एक दीया जलाकर गंगा नदी में छोड़ देते हैं। इस दिन प्रदोष काल में देव दीपावली मनाई जाती है. इस दिन वाराणसी में गंगा नदी के घाट और मंदिर दीयों की रोशनी से जगमग होते हैं. काशी में देव दिवाली की रौनक खास होती है.
Dev diwali Katha : देव दिवाली की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव बड़े पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया था. पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए तारकासुर के तीनों बेटे तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने प्रण लिया. इन तीनों को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाता था. तीनों ने कठोर तप कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और उनसे अमरत्व का वरदान मांगा लेकिन ब्रह्म देव ने उन्हें यह वरदान देने से इनकार कर दिया.
ब्रह्मा जी ने त्रिपुरासुर को वरदान दिया कि जब निर्मित तीन पुरियां जब अभिजित नक्षत्र में एक पंक्ति में में होगी और असंभव रथ पर सवार असंभव बाण से मारना चाहे, तब ही उनकी मृत्यु होगी. इसके बाद त्रिपुरासुर का आतंक बढ़ गया. इसके बाद स्वंय शंभू ने त्रिपुरासुर का संहार करने का संकल्प लिया.
काशी से देव दिवाली का संबंध एवं त्रिपुरासुर का वध:
शास्त्रों के अनुसार, एक त्रिपुरासुर नाम के राक्षस ने आतंक मचा रखा था, जिससे ऋषि-मुनियों के साथ देवता भी काफी परेशान हो गए थे। ऐसे में सभी देवतागण भगवान शिव की शरण में पहुंचे और उनसे इस समस्या का हल निकालने के लिए कहा। पृथ्वी को ही भगवान ने रथ बनाया, सूर्य-चंद्रमा पहिए बन गए, सृष्टा सारथी बने, भगवान विष्णु बाण, वासुकी धनुष की डोर और मेरूपर्वत धनुष बने. फिर भगवान शिव उस असंभव रथ पर सवार होकर असंभव धनुष पर बाण चढ़ा लिया त्रिपुरासुर पर आक्रमण कर दिया. इसके बाद भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर का वध कर दिया था और फिर सभी देवी-देवता खुशी होकर ��ाशी पहुंचे थे। तभी से शिव को त्रिपुरारी भी कहा जाता है. जहां जाकर उन्होंने दीप प्रज्वलित करके खुशी मनाई थी। इसकी प्रसन्नता में सभी देवता भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे. फिर गंगा स्नान के बाद दीप दान कर खुशियां मनाई. इसी दिन से पृथ्वी पर देव दिवाली मनाई जाती है.
पूजन विधि
देव दीपावली की शाम को प्रदोष काल में 5, 11, 21, 51 या फिर 108 दीपकों में घी या फिर सरसों के भर दें। इसके बाद नदी के घाट में जाकर देवी-देवताओं का स्मरण करें। फिर दीपक में सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, फूल, मिठाई आदि चढ़ाने के बाद दीपक जला दें। इसके बाद आप चाहे, तो नदी में भी प्रवाहित कर सकते हैं।
देव दीपावली के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। हो सके,तो गंगा स्नान करें। अगर आप गंगा स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं, तो स्नान के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें। ऐसा करने से गंगा स्नान करने के बराबर फलों की प्राप्ति होगी। इसके बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे में जल, सिंदूर, अक्षत, लाल फूल डालकर अर्घ्य दें। फिर भगवान शिव के साथ अन्य देवी देवता पूजा करें। भगवान शिव को फूल, माला, सफेद चंदन, धतूरा, आक का फूल, बेलपत्र चढ़ाने के साथ भोग लाएं। अंत में घी का दीपक और धूर जलाकर चालीसा, स्तुत, मंत्र का पाठ करके विधिवत आरती कर लें।
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bhaktibharat · 1 year ago
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🐅 शारदीय नवरात्रि : नवमी: माँ सिद्धिदात्री [Monday, 23 October 2023]
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ॥
शक्ति की सर्वोच्च देवी माँ आदि-पराशक्ति, भगवान शिव के बाएं आधे भाग से सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट हुईं। माँ सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करती हैं। यहां तक ​​कि भगवान शिव ने भी देवी सिद्धिदात्री की सहयता से अपनी सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं। माँ सिद्धिदात्री केवल मनुष्यों द्वारा ही नहीं बल्कि देव, गंधर्व, असुर, यक्ष और सिद्धों द्वारा भी पूजी जाती हैं। जब माँ सिद्धिदात्री शिव के बाएं आधे भाग से प्रकट हुईं, तब भगवान शिव को र्ध-नारीश्वर का नाम दिया गया।
तिथि: आश्विन शुक्ल नवमी
आसन: कमल
अत्र-शस्त्र: चार हाथ - दाहिने हाथ में गदा तथा चक्र, बाएं हाथ में कमल का फूल व शंख शोभायमान है।
ग्रह: केतु
शुभ रंग: मोर वाला हरा
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🖼️ Navratri Wishes Whatsapp, Instagram, Facebook and Twitter Wishes, Images and Messages
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🐅 नवरात्रि में कन्या/कंजक पूजन की विधि - Method of Kanya Pujan in Navratri
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🐅 दुर्गा चालीसा - Durga Chalisa
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praysure · 18 hours ago
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शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग पर अभिषेक एवं पूजन का महत्व
श्रद्धा और विधिपूर्वक शिवलिंग पर जल, दूध, घी, पुष्प आदि अर्पित करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। शिव की उपासना करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं
शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग पर अभिषेक एवं पूजन का महत्व –शिवपुराण में भगवान शिव की पूजा और अभिषेक का बहुत विस्तृत और गूढ़ महत्व बताया गया है। भगवान शिव, जिन्हें संहार और सृजन दोनों का अधिपति माना जाता है, उनकी आराधना विशेष फलदायी मानी गई है। हिंदू धर्म में शिवलिंग पर विभिन्न द्रव्यों और पुष्पों से अभिषेक करने की परंपरा बहुत प्राचीन काल से चली आ रही है। प्रत्येक पदार्थ का अपना विशिष्ट प्रभाव होता…
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astrochakraa · 13 days ago
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मौनी अमावस्या पर घर में ही इस विधि से करें स्नान, अमृत स्नान जैसा मिलेगा लाभ, नोट करें शुभ मुहूर्त
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मौनी अमावस्या 2025 एक अत्यंत शुभ तिथि है, जिसमें मौन व्रत, स्नान और दान करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व होता है, लेकिन यदि आप किसी कारणवश तीर्थस्थलों तक नहीं जा सकते, तो आप घर में ही अमृत स्नान कर सकते हैं और त्रिवेणी संगम गंगाजल का उपयोग कर पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं इस विशेष दिन का महत्व, स्नान की विधि और अमृत स्नान शुभ मुहूर्त।
मौनी अमावस्या 2025 का महत्व
मौनी अमावस्या को आध्यात्मिक जागरण और आत्मशुद्धि का दिन माना जाता है। इस दिन:
गंगा स्नान से जीवन के पापों का नाश होता है।
मौन व्रत धारण करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है।
दान और पूजा करने से कुंडली के दोष समाप्त होते हैं और पुण्य प्राप्त होता है।
पितरों का तर्पण और श्राद्ध करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है।
यह भी पढ़ें: मौनी अमावस्या 2025: जानें तिथि, महत्व, स्नान-दान, तर्पण का समय
मौनी अमावस्या 2025 पर अमृत स्नान का शुभ मुहूर्त
मौनी अमावस्या 2025 पर अमृत स्नान शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा:
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 28 जनवरी 2025, शाम 07:35 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त: 29 जनवरी 2025, शाम 06:05 बजे
अमृत स्नान का श्रेष्ठ समय: पंचांग के अनुसार, इस बार मौनी अमावस्या के दिन श्रवण नक्षत्र और उत्तराषाढा नक्षत्र में गंगा स्नान करना शुभ रहेगा। उत्तराषाढा – 30 जनवरी को सुबह 08 बजकर 20 मिनट तक है।
इस दौरान स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है और सभी पापों का नाश करता है।
घर में अमृत स्नान की विधि
यदि आप किसी कारणवश तीर्थस्थल नहीं जा सकते, तो घर पर ही त्रिवेणी संगम गंगाजल से अमृत स्नान कर सकते हैं।
स्नान की विधि:
गंगाजल, तुलसी पत्र, काले तिल और दूध को स्नान जल में मिलाएं।
गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्नान करें और गंगा मैया का ध्यान करें।
स्नान के बाद पीपल या तुलसी को जल अर्पित करें।
स्नान के बाद पितरों को तर्पण दें और भगवान विष्णु की ��ूजा करें।
साथ ही आप इस दिन पर इन मंत्रों का जप भी कर सकते हैं –
विष्णु जी के मंत्र –
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ नमो नारायणाय
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं, वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्
शिव जी के मंत्र –
ॐ नमः शिवाय
ॐ महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धीमहि तन्नः शिवः प्रचोदयात्
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
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त्रिवेणी संगम गंगाजल का महत्व
त्रिवेणी संगम गंगाजल में स्नान करना मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम होता है, जहां पर किया गया स्नान सौगुना पुण्य देता है। यदि आप वहां नहीं जा सकते, तो घर पर ही त्रिवेणी संगम गंगाजल मंगवाकर स्नान कर सकते हैं।
त्रिवेणी संगम गंगाजल मंगवाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
मौनी अमावस्या पर अन्य शुभ कार्य
दान-पुण्य करें – इस दिन अन्न, वस्त्र, तिल, और घी का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
भगवान शिव और विष्णु की आराधना करें – शिवलिंग पर जल अर्पण करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
पितरों का तर्पण करें – पितरों के निमित्त तर्पण करने से कुल की उन्नति होती है।
गरीबों और साधु-संतों की सेवा करें – इससे विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मंत्र जाप करें – महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र, और विष्णु सहस्रनाम का जाप करें।
अमृत स्नान करने से मिलने वाले लाभ
पितृ दोष से मुक्ति – इस दिन स्नान करने से पितृ दोष और कालसर्प दोष समाप्त होते हैं।
सौभाग्य की प्र��प्ति – महिलाओं के लिए विशेष रूप से यह स्नान सौभाग्यवर्धक होता है।
आध्यात्मिक उन्नति – यह दिन ध्यान और साधना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
ग्रह दोष शांति – इस दिन किए गए उपायों से राहु-केतु और शनि के अशुभ प्रभाव समाप्त होते हैं।
मोक्ष प्राप्ति – त्रिवेणी संगम गंगाजल से स्नान करने से मोक्ष प्राप्ति के मार्ग खुलते हैं।
निष्कर्ष
यदि आप मौनी अमावस्या 2025 पर किसी तीर्थ स्थान पर स्नान नहीं कर सकते, तो घर में ही अमृत स्नान करें और त्रिवेणी संगम गंगाजल का उपयोग कर पुण्य लाभ प्राप्त करें। इस दिन किए गए शुभ कार्य विशेष फलदायी होते हैं।त्रिवेणी संगम गंगाजल और अन्य पूजन सामग्री के लिए यहाँ क्लिक करें।
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astroclasses · 13 days ago
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shivshankartirthyatra01 · 2 months ago
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तीन धाम और 11 ज्योतिर्लिंग तीर्थ यात्रा: आध्यात्मिक यात्रा का अनोखा संगम
तीन धाम और 11 ज्योतिर्लिंग तीर्थ यात्रा भारत की सबसे पवित्र और अद्वितीय तीर्थ यात्राओं में से एक है। यह यात्रा श्रद्धालुओं को भगवान शिव के 11 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों और तीन धामों की दर्शन करने का अवसर प्रदान करती है, जो आध्यात्मिक शांति और आत्मिक उत्थान का अनुभव कराती है।
तीन धामों में केदारनाथ, बद्रीनाथ, और द्वारका या रामेश्वरम शामिल होते हैं। ये तीर्थ स्थान हिमालय की ऊंचाई से लेकर समुद्र के किनारों तक फैले हुए हैं और भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं। वहीं, 11 ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ, महाकालेश्वर, और त्र्यंबकेश्वर जैसे पवित्र स्थल हैं, जो भगवान शिव की अद्वितीय ऊर्जा और अनंतता का प्रतीक माने जाते हैं।
इस यात्रा का धार्मिक महत्व केवल पूजन और दर्शन तक सीमित नहीं है; यह मानसिक और भावनात्मक शांति भी प्रदान करती है। यात्रा ��े दौरान विभिन्न स्थानों की प्राकृतिक सुंदरता और स्थानीय संस्कृति का अनुभव इसे और भी यादगार बनाता है।
तीन धाम और 11 ज्योतिर्लिंग तीर्थ यात्रा उन श्रद्धालुओं के लिए एक पूर्ण आध्यात्मिक यात्रा है, जो अपनी आस्था को मजबूत करना और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं।
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sudhanshujimaharaj · 2 months ago
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गुजरात राज्य में स्थित अत्यन्त प्राचीन और ऐतिहासिक शिव मंदिर "सोमनाथ मंदिर" में आज देश के जाने माने आध्यात्मिक गुरु एवं सन्तों में श्रेष्ठ सन्त परम श्रद्धेय ��दगुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज, पूज्या गुरु मां एवं ध्यान व योग गुरु डॉ आर्चिका दीदी ने सामूहिक रूप से विशेष पूजन अर्चन करके भगवान शिव से सबके कल्याण की कामना की।
सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट ने परम पूज्य गुरुदेव एवं परिवार का बड़े ही सम्मान के साथ स्वागत करते हुए उनका अभिनन्दन किया। पूज्य महाराजश्री ने मंदिर परिसर को देखकर बेहद अभिभूत हुए और देश के जननेता माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को धन्यवाद देते हुए उज्जवल भविष्य की कामना की कि इतनी अच्छी व्यवस्था बनाने के लिए।
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sharpbharat · 6 months ago
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west singhbhum ckp- चक्रधरपुर में पंडित हाता शिव मंदिर में 501 लीटर दूध से भोले बाबा का होगा महारुद्राभिषेक, संध्या में महाप्रसाद का वितरण
रामगोपाल जेना,चक्रधरपुर: पंडित हाता शिव मंदिर में भगवान भोलेनाथ का श्रावण मास की अंतिम सोमवारी पर 501 लीटर दूध से महारुद्राभिषेक व पूजन कार्य सम्पन्न होगा. जिसको लेकर गिरिराज सेना प्रमुख उमाशंकर गिरि ने प्रेसवार्ता कर जानकारी देते हुए बताया की श्रावण मास की अंतिम सोमवारी पर हर साल की भांति इस साल भी गिरिराज सेना की ओर से बाबा भोलेनाथ का 501 लीटर गाय के दुध से महारुद्राभिषेक होगा,जो सुबह 10 बजे से…
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helputrust · 2 years ago
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लखनऊ, 18.02.2023 | आज महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में “शिव पूजन”कार्यक्रम का आयोजन किया गया I आयोजन के अंतर्गत ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉक्टर रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने भगवान शिव शंकर जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनकी आरती की तथा भगवान शिव जी से सभी देशवासियों के ऊपर अपनी कृपा बरसाने हेतु प्रार्थना की I
 हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, “आज, महाशिवरात्रि का पावन महापर्व देश भर में मनाया जा रहा है । भगवान शिव का यह चरित्र मानवीय जीवन के उच्चतम आदर्शों की पराकाष्ठा है । महादेव गृहस्�� भी हैं और वीतरागी, आदियोगी भी, उनका यह गुण संदेश देता है कि योग के मार्ग पर चलने के लिए, ईश्वर की भक्ति के लिए संसार त्याग आवश्यक नहीं है । त्याग तो स्वयं की दुष्प्रवृत्तियों का, आसक्ति व अहंकार का करना चाहिए, ताकि अंतःकरण को योग के अनुकूल बनाया जा सके । कैलाशवासी भगवान शिव एक ओर तो परम पवित्र हिमालय में तपस्या में लीन रहते हैं तो दूसरी ओर भूतगणों के साथ श्मशान में निवास करते भी माने जाते हैं। इसका व्यावहारिक आशय यह है कि पवित्र और श्रेष्ठ के संपर्क में रहना श्रेयस्कर है, किंतु किसी को पापी नहीं समझा जाना चाहिए । सब परमात्मा की ही संतान हैं एवं वे सबको बराबर स्नेह करते हैं । शिव यहां सम्यक दृष्टि व मैत्री की शिक्षा देते हैं । इनके अतिरिक्त अनेकानेक विरोधाभासों का अतिसुंदर समन्वय भगवान शिव के जीवन में देखने को मिलता है । एक ओर वे परम कल्याणकारी, भोले भंडारी हैं तो दूसरी ओर तांडव करने वाले महारुद्र भी, उन्हीं की भाँति मनुष्य को भी श्रेष्ठ का संरक्षक व गलत का संहारक होना चाहिए । शुभ व सत्य के प्रति संवेदनशील व अशुभ के प्रति कठोर होना चाहिए । हर्षवर्धन अग्रवाल ने यह भी बताया कि ट्रस्ट द्वारा जल्द ही एक विशाल रुद्राभिषेक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा ।"
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astrogurujimayanksblog · 6 months ago
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रक्षाबंधन पर्व 2024 जानिये मुहूर्त एवं महत्व
।। रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त।।
श्रावण शुक्ला पूर्णिमा विक्रम संम्वत् 2081
दिनांक 19.08 2024 सोमवार
अपराह्न 1.32 तक भद्रा काल त्याज्य रहेगा
चंचल वेला अपरा. 2.02 से 3.40 pm तक
लाभ वेला..अपरा. 3.40 से 5.17 pm तक
अमृत वेला.. सायं. 5.17 से 6.55 pm तक
।।राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के स���यानुसार।।
___________________________________
।। रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त।।
श्रावण शुक्ला पूर्णिमा विक्रम संम्वत् 2081
दिनांक 19.08 2024 सोमवार
अपराह्न 1.32 तक भद्रा काल त्याज्य रहेगा
चंचल वेला अपरा. 2.12 से 3.48 pm तक
लाभ वेला..अपरा. 3.48 से 5.25 pm तक
अमृत वेला.. सायं. 5.25 से 7.02 pm तक
अजमेर भीलवाड़ा चित्तौड़गढ़ और नीमच के
स्थानीय समय के अनुसार
___________________________________
हिंदू धर्म के अनुसार, श्रावण पूर्णिमा तिथि को भद्रा रहित शुभ मुहूर्त में रक्षाबंधन मनाना अच्छा होता है. इस समय में बहनों को अपनी भाइयों को राखी बांधनी चाहिए. इस साल 2024 में रक्षाबंधन पर 6 शुभ संयोग बन रहे हैं, लेकिन उस दिन पाताल की भद्रा राखी के त्योहार का मजा किरकिरा कर सकती है। हालांकि कई विद्वानों का मत है कि पाताल की भद्रा का असर धरती पर नहीं होता है परंतु रक्षाबंधन में श्रावणी भद्रा का त्याग बताया गया ��ै। वैसे भी यह त्योहार भाई और बहन की खुशहाली से जुड़ा है।ज्योतिष के अनुसार रक्षाबंधन पर 6 शुभ संयोग बन रहे हैं..? रक्षाबंधन पर राखी बांधने का मुहूर्त क्या है..? रक्षाबंधन के दिन भद्रा कब से लग र​ही है..? जानते हैं।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस बार 19 अगस्त सोमवार को तड़के 3 बजकर 5 AM से सावन पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी और यह 19 अगस्त को ही रात 11 बजकर 55 मिनट पर खत्म होगी. सूर्योदय की तिथि के आधार पर रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त को मनाया जाएगा।
6 शुभ संयोग में है रक्षाबंधन 2024
इस साल रक्षाबंधन पर 6 शुभ संयोग बन रहे हैं, जिसके कारण राखी का त्योहार अत्यंत शुभ फलदायी होगा. राखी के दिन राज पंचक, सावन सोमवार, सावन पूर्णिमा का व्रत और स्नान है, वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और शोभन योग बन रहे हैं. इन 6 शुभ संयोग के कारण रक्षाबंधन का त्योहार विशेष बन जाएगा।
1. राज पंचक: रक्षाबंधन के दिन राज पंचक शाम 07:00 PM से शुरू हो रहा है, जो अगले दिन 05:53 AM तक है. सोमवार को शुरू होने वाला राज पंचक शुभ होता है. इसके शुभ प्रभाव से प्रॉपर्टी और सरकारी कामों को करने में सफलता मिलती है।
2. सावन सोमवार: सावन सोमवार को बेहद ही शुभ दिन माना जाता है. इस दिन व्रत रखते हैं और शिव जी की पूजा करते हैं. इस बार सावन सोमवार को श्रावण मास का समापन हो रहा है. सावन सोमवार के व्रत और पूजन से मनोकामनाएं पूरी होंगी।
3. सावन पूर्णिमा का व्रत और स्नान: रक्षाबंधन के दिन सावन पूर्णिमा का व्रत और स्नान है. सावन पूर्णिमा को स्नान, दान और व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा का आयोजन करने से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
4. सर्वार्थ सिद्धि योग: सभी कार्यों में सफलता प्रदान करने वाला सर्वार्थ सिद्धि योग भी रक्षाबंधन पर बन रहा है. यह योग 05:53 AM से 08:10 AM तक रहेगा।
5. रवि योग: रक्षाबंधन वाले दिन रवि योग भी 05:53 AM से 08:10 AM तक है. इसमें सूर्य का प्रभाव अधिक होता है और इस योग में सभी दोष मिट जाते हैं।
रक्षाबंधन 2024 भद्रा काल
रक्षाबंधन पर भद्रा सुबह सूर्योदय से दोपहर 01:32 PM तक रहेगी. भद्रा के समय में आपको राखी बांधने से परहेज करना है।
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narmadanchal · 6 months ago
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गुजरात में स्थापित श्री नागेश्वर ज्योर्तिलिंग अनूठा और अद्भुत है
इटारसी। सावन मास (Saavan month) के अवसर पर पूरे भारत (India) में भगवान शिव (Lord Shiva) माता पार्वती (Mata Parvati) और उनके नंदी तथा गणेश (Ganesh), कार्तिकेय (Kartikeya) का पूजन होता है लेकिन अभिषेक भगवान शंकर का होता है। वर्षाकाल के चार मास के चर्तुम��स में भगवान शिव प्रसन्न दिखाई देते है। उनके गणों, यक्षों, गंधवों, किन्नरों और मनुष्य को सेवा का विशेष फल मिलता है। उक्त उद्गार पं. विनोद दुबे (Pt.…
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bikanerlive · 6 months ago
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पर्यावरण संरक्षण आज की प्रधान आवश्यकता
बीकानेर।  स्थानीय बेनीसर बारी के बाहर, चूना भट्टा के पास चल रहे संगीतमय श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के पंचम दिवस पर कथा वाचक श्री लालजी वैरागी ने भगवान कृष्ण की दिव्य बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए “पूतना, शकटासुर, तृणावर्त उद्धार, योगी शिव का बाल कृष्ण दर्शन, भगवान के नामकरण संस्कार, ऊखल बंधन, यमलार्जुन उद्धार, माखन चोरी तथा गिरिराज गोर्वधन पूजन” का विशद वर्णन करते हुए कहा कि “प्रकृति के…
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praysure · 14 days ago
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मनसा देवी पूजन : बनाये बिगड़े काम, मनोकामना करे पूरी
मनसा देवी का पंथ मुख्यतः भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में केंद्रित है. मनसा देवी मुख्यत: सर्पों से आच्छादित तथा कमल पर विराजित हैं
मनसा देवी पूजन : बनाये बिगड़े काम, मनोकामना करे पूरी -कहा जाता है कि ये भगवान शिव की  मानस पुत्री है. वहीं पुराने ग्रंथो में ये भी कहा गया है कि मनसा देवी का जन्म कश्यप के मस्तिष्क से हुआ है. कुछ ग्रंथो की मानें तो उन्हें नागराज वासुकी की एक बहन पाने की इच्छा को पूर्ण करने के लिए, भगवान शिव ने उन्हें भेंट किया था. वासुकी इनके तेज को संभाल ना सके और इनके पोषण की ज़िम्मेदारी नागलोक के तपस्वी हलाहल…
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jeevanjali · 6 months ago
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Nag Panchami: नाग पंचमी के दिन इस विधि से करें पूजा, जानें सही पूजन विधिNag Panchami: नाग पंचमी के दिन सही विधि से यदि आप पूजा करते हैं, तो आपको कभी भी सांपों का भय नहीं होगा और भगवान शिव की भी कृपा प्राप्त होगी। तो आइए जानते हैं कि नाग पंचमी की सही पूजन विधि क्या है।
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astroclasses · 13 days ago
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