Boat Tragedy in Gujarat: वडोदरा में छात्रों से भरी नाव झील में पलटी, दो शिक्षक समेत नौ बच्चों की दर्दनाक मौत हुई
Boat Tragedy in Gujarat: गुजरात के वडोदरा में गुरुवार के दिन स्कूली छात्रों से भरी नाव झील में पलट गई। नाव में छात्र समेत 27 लोग सवार थे। जानकारी के अनुसार हरणी की मोटनाथ झील में स्कूली छात्र नौका विहार कर रहे थे तभी अचानक नाव झील में पलट गई। इस हादसे के बाद बच्चों को खोजने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
गुजरात के वडोदरा में छात्रों से भरी नाव झील में पलटी।
Boat Tragedy in Gujarat: गुजरात के वडोदरा में गुरुवार को स्कूली छात्रों से भरी नाव एक झील में पलट गई। नाव में छात्र समेत 27 लोग सवार थे। ये सभी हरणी की मोटनाथ झील में नौका विहार कर रहे थे, तभी हादसा हो ग
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By Khalil Ansari
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किसी का इकलौता चिराग बुझा, तो कहीं आंगन सूना, 54 बच्चों का काल बना मोरबी पुल
मोरबी: 'हम मोरबी पुल के गिरने से बचे लोगों की तलाश कर रहे थे। एक छोटा सा हाथ नजर आया, उस हाथ में खिलौना था। हम उस और तेजी से लपके, खिलौना पकड़े वह हाथ गंदे पानी में में डूब गया। मेरा दिल जम गया। यह 9 साल की बच्ची का शव था। हमने उसे अपनी बचाव नाव पर खींच लिया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मैंने अपने जीवन में इस तरह का ऑपरेशन कभी नहीं संभाला। 10. 30 बजे तक, हमने कई बच्चों के शव निकाले। शुरू में शवों की गिनती की लेकिन एक के बाद एक निकली लाशों को देख गिनती भूल गए। सबसे ज्यादा शव मासूम बच्चों के निकल रहे थे।' यह कहना था क्षेत्रीय अग्निशमन अधिकारी अनिल मारू का। जो रेस्क्यू ऑपरेशन की आंखों देखी बताते हुए रोने लगते हैं। उन्होंने कहा कि आज तक उन्होंने कितने ही रेस्क्यू ऑपरेशन किए लेकिन इस तरह मन को विचलित करने वाला कोई रेस्क्यू ऑपरेशन नहीं रहा।
इस आपदा में 135 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 54 बच्चे थे। जिन 54 मासूम बच्चों के शव बरामद हुए, उनमें से 33 की उम्र 10 साल या उससे कम थी। मोरबी पुल हादसा गुजरात के इतिहास में सबसे बड़ी नागरिक आपदा के रूप में दर्ज की जाएगी, जिसने इतनी बड़ी संख्या में बच्चों का जीवन लील लिया। इस त्रासदी में मारे गए 48 लड़के थे जबकि 16 लड़कियां शामिल हैं।
2 साल का दुरुक झाला, सबसे कम उम्र का मृतक
मोरबी पुल हादसे में जिस सबसे कम उम्र का जो बच्चा मारा गया, उसकी उम्र 2 साल थी और उसका नाम दुरुक झाला था। उसके पिता सतीश ने बताया, 'दुरुक मुश्किल से बोल पाता था, लेकिन वह नई चीजों को देखने के लिए उत्सुक था। उसे बाहर जाना पसंद था। इसलिए, जब मेरी बहनें, चंद्रिका, संगीता और मेरे बहनोई सस्पेंशन ब्रिज पर घूमने जा रहे थे तो वह भी जाने की जिद करने लगा। उसने नए कपड़े पहने और उनके साथ चला गया। मैं दिवाली पर उसके लिए दो खिलौने लाया था, वह उन्हें भी साथ लेकर गया था।'
16 साल के बेटे और 19 साल की बेटी को खोया
मोरबी निवासी विनोद सोढिया ने अपने 16 वर्षीय बेटे भौतिक और 19 वर्षीय बेटी भूमिक�� को इस हादसे में खो दिया। विनोद ने बताया, 'उनकी छुट्टी थी और वे अपनी मौसी के यहां गए थे। दोनों ने अपने मौसी के बेटों के साथ पुल पर पिकनिक पर जाने का फैसला किया। वहां यह हादसा हो गया। त्रासदी के बारे में सुनने के बाद से मेरी पत्नी रह्यका ने बात नहीं की है। उन्हें बहुत ज्यादा मानसिक अघात लगा है।'
सबसे बड़ी त्रासदी
पिछले दो दशकों में नागरिक लापरवाही के कारण हुई केवल दो अन्य घटनाओं ने इतने बच्चों के जीवन का दावा किया है। 24 मई, 2019 को सरथाना के तक्षशिला आर्केड में अवैध रूप से निर्मित चौथी मंजिल पर एक कोचिंग संस्थान में आग लग गई। हादसे में एक बच्चे समेत 22 बच्चों की मौत हो गई। दूसरा मामला अगस्त 2003 का दमनगंगा पुल ढहने का है, जिसमें 30 लोगों की जान चली गई थी, जिनमें से 28 स्कूली छात्र थे।
कीचड़ में दबे से बच्चों के शव
रविवार रात बचाव अभियान में शामिल एक अन्य अधिकारी ने बताया, 'बच्चों के शव नीचे कीचड़ में फंस गए। हमें शवों को निकालने के लिए हुक का इस्तेमाल करना पड़ा। जब वह काम नहीं किया, तो दो लोगों ने गोता लगाया और शवों को बाहर निकाला।'
रविवार शाम को, मच्छू नदी में सस्पेंशन पुल गिर गया, जिससे सैकड़ों लोग नदी में गिर गए और कम से कम 135 लोगों की मौत हो गई। इस पुल को अंग्रेजों ने बनाया था। 143 साल पुराने पुल को राज्य की पर्यटन वेबसाइट कलात्मक और तकनीकी चमत्कार के रूप में बताती है। इसे लगभग सात महीने पहले मरम्मत के लिए बंद कर दिया गया था और 26 अक्टूबर को फिर से खोल दिया गया था, जो गुजराती नव वर्ष का पहला दिन था। http://dlvr.it/Sc54ss
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हर शनिवार को स्कूलों में मनाए जाने वाले नो बेग डे के दिन इससे जुड़ी जानकारी बच्चों को पढ़ाई जाएगी
कोटा में गुरुवार रात की रिपोर्ट में पॉजिटिव आया एक मरीज गायब हो गया, उसे न मेडिकल टीमें ढूंढ पाईं, न पुलिस
दैनिक भास्कर
Jul 04, 2020, 09:15 PM IST
जयपुर. राजस्थान में शनिवार को सबसे ज्यादा 480 नए पॉजिटिव केस सामने आए। इनमें अलवर में 54, बीकानेर में 46, बाड़मेर में 43, जालौर में 42, जयपुर में 40, धौलपुर में 39, भरतपुर में 30, जोधपुर में 29, नागौर में 26, पाली में 22, उदयपुर में 20, सीकर में 16, कोटा में 14, डूंगरपुर में 13, झुंझुनू में 11, सिरोही में 8, अजमेर में 7, दौसा में 4, करौली में 3, टोंक और राजसमंद में 2-2, हनुमानगढ़, गंगानगर, भीलवाड़ा, सवाई माधोपुर और बीएसएफ में 1-1, दूसरे राज्य से आए 4 लोग संक्रमित मिले। जिसके बाद कुल संक्रमितों का आंकड़ा 19532 पहुंच गया। वहीं, सात लोगों की मौत भी हो गई। इनमें धौलपुर में 3, सीकर, भरतपुर, झुंझुनू और दूसरे राज्य से आए 1-1 व्यक्ति शामिल है। जिसके बाद कुल मृतकों की संख्या 447 पहुंच गई।
कोरोना महामारी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल
राजस्थान के स्कूली पाठ्यक्रम में इसी सत्र से विद्यार्थी कोरोना के बारे में पढ़ सकेंगे। हर शनिवार को स्कूलों में मनाए जाने वाले नो बेग डे के दिन इससे जुड़ी जानकारी बच्चों को पढ़ाई जाएगी। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग के अफसरों ने तैयारी शुरू कर दी है। डोटासरा ने कहा कि पहली से 12वीं तक के बच्चों के लिए कक्षा के स्तर के हिसाब से कोरोना को लेकर पाठ्य सामग्री तैयार की जाएगी। इसमें बच्चों को कोरोना महामारी से बचाव, लक्षण और प्रभावों के बारे में पढ़ाया जाएगा।
उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज में नर्सेज ने तीन माह से वेतन नहीं मिलने के कारण प्रदर्शन किया।
अजमेर में कोरोना चेन बनने का खतरा, बढ़ सकते हैं मरीज
अजमेर जेएलएन के दो चिकित्सक, पांच नर्सिंगकर्मी, सिपाही और नगर निगम कर्मी कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। ये सभी आमजन से सीधे जुड़े थे। चिकित्सा विभाग ने इन सभी को सूपर स्प्रेडर माना है। विभाग द्वारा इन सभी के संपर्क में आए लोगों की लिस्ट तैयार की जा रही है। वहीं, कोरोना चेन बनने की स्थिति में शहर में अचानक से मरीजों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
कोटा में कोरोना रोगी 2 दिन से लापता, ढूंढने में पुलिस भी ��ाकाम हुई
कोटा में गुरुवार रात की रिपोर्ट में पॉजिटिव आया एक मरीज गायब हो गया है। उसे न मेडिकल टीमें ढूंढ पाई, न पुलिस। इस मामले से पूरे चिकित्सा विभाग में हड़कंप मचा है। दरअसल, रात की रिपोर्ट में 10 मरीज पॉजिटिव आए थे। इसी में एक 35 साल का युवक भी था, जिसने सैंपल देते वक्त सोगरिया का एड्रेस लिखाया था। रात को जैसे ही रिपोर्ट पॉजिटिव मिली तो हमेशा की तरह मेडिकल कॉलेज की रैपिड रेस्पोंस टीमों ने मरीजों को कोविड वार्ड में शिफ्ट करने के लिए एंबुलेंस भेजना शुरू कर दिया। लेकिन उक्त युवक का मोबाइल स्विच ऑफ मिला। उसके एड्रेस पर ढूंढवाने का प्रयास किया, लेकिन वहां भी नहीं मिला।
उदयपुर में आज बंद रहा काेर्ट परिसर स्थित नया भवन
न्यायालय में शुक्रवार को भी रैंडम सैंपलिंग की गई। 40 अधिवक्ताओं समेत 62 लोगों के सैंपल लिए गए। रिपाेर्ट आने तक काेर्ट परिसर स्थित नया भवन बंद रखने का निर्णय लिया। इसमें संचालित करीब 14 काेर्ट प्रभावित रहेगी।
भरतपुर में एक 4 माह की बच्ची भी पॉजिटिव पाई गई।
राजस्थान: जयपुर में हुईं सबसे ज्यादा मौतें
प्रदेश में संक्रमण के सबसे ज्यादा केस जयपुर में हैं। यहां 3481 (2 इटली के नागरिक) संक्रमित हैं। इसके अलावा जोधपुर में 2995 (इनमें 47 ईरान से आए), भरतपुर में 1735, पाली में 1168, उदयपुर में 772, धौलपुर में 740, कोटा में 728, नागौर में 696, डूंगरपुर में 461, अजमेर में 568, झालावाड़ में 375, सीकर में 613, चित्तौड़गढ़ में 211, सिरोही में 554, टोंक में 204, जालौर में 351, भीलवाड़ा में 265, राजसमंद में 276, झुंझुनूं में 386, चूरू में 331, बीकानेर में 435, जैसलमेर में 129 (इनमें 14 ईरान से आए), बांसवाड़ा में 99, बाड़मेर में 435 मरीज मिले हैं।
अलवर में 656, दौसा में 170, बारां में 67, सवाई माधोपुर में 109, करौली में 108, हनुमानगढ़ में 81, प्रतापगढ़ में 74 कोरोना मरीज मिल चुके हैं। श्रीगंगानगर में 60, बूंदी में 15 पॉजिटिव मिला। जोधपुर में बीएसएफ के 53 जवान भी पॉजिटिव मिल चुके हैं। वहीं दूसरे राज्यों से आए 131 लोग पॉजिटिव मिले।
राजस्थान में कोरोना से अब तक 447 लोगों की मौत हुई है। इनमें जयपुर में सबसे ज्यादा 163 की मौत हुई। इसके अलावा, जोधपुर में 53, भरतपुर में 39, कोटा में 23, अजमेर में 19, बीकानेर में 16, नागौर में 12, धौलपुर में 10, पाली में 9, सिरोही, सीकर और सवाई माधोपुर में 7-7, अलवर, चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा में 6-6, बाड़मेर, करौली और बारां में 4-4, झुंझुनू, गंगानगर, दौसा और उदयपुर में 3-3, चूरू, बांसवाड़ा और जालौर में 2-2, डूंगरपुर, राजसमंद, प्रतापगढ़ और टोंक में 1-1 की मौत हो चुकी है। वहीं, दूसरे राज्य से आए 30 व्यक्ति की भी मौत हुई है।
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