#स्कूली छात्रों को हुआ कोरोना
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मुंबई में 31 दिसंबर तक नहीं खुलेंगे स्कूल, जानिए क्या है आपके राज्य का हाल?
मुंबई में 31 दिसंबर तक नहीं खुलेंगे स्कूल, जानिए क्या है आपके राज्य का हाल?
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हाइलाइट्स:
हरियाणा के तीन जिलों में 150 से अधिक छात्र कोरोना संक्रमित, कुछ दिन तक बंद रहेंगे स्कूल
गुजरात में महामारी के नए केस में इजाफा होने के बाद स्कूल खोलने के फैसले को टाल दिया गया
हिमाचल, मिजोरम और उत्तराखंड में भी कोरोना संक्रमण के कारण स्कूलों को बंद कर दिया गया
मुंबई/चंडीगढ़ अनलॉक की प्रक्रिया के तहत छूट मिली तो कई राज्यों ने कोरोना गाइडलाइन के पालन और सतर्कता के दावे के साथ…
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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दलाई लामा को दी 86वें जन्मदिन की शुभकामनाएं Divya Sandesh
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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दलाई लामा को दी 86वें जन्मदिन की शुभकामनाएं
नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तिब्बत के चौदहवें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो को उनके 86वें जन्मदिन के अवसर पर शुभकामनाएं दी है।
मुख्यमंत्री ने अपने ऑफिशियल ट्विटर से सन्देश जारी करते हुए लिखा कि ”मेरे सभी भारतीय साथियों की ओर से, परमपावन 14वें दलाई लामा को उनके 86वें जन्मदिन पर बधाई। हम अपने आपको सौभाग्यशाली मानते हैं कि हैप्पीनेस करिकुलम के माध्यम से हमारे दिल्ली सरकार के स्कूली छात्रों में आपके मूल्यों को शामिल किया जा रहा है।”
यह खबर भी पढ़ें: अजीबोगरीब मामला/ कोरोना वैक्सीनेशन के बाद महिला के शरीर में चिपकने लगे हैं सिक्के और स्टील के बर्तन !
चौदहवें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो तिब्बत के राष्ट्राध्यक्ष और आध्यात्मिक गुरू हैं। उनका जन्म 6 जुलाई 1935 को उत्तर-पूर्वी तिब्बत के ताकस्तेर क्षेत्र में रहने वाले ये ओमान परिवार में हुआ था। दलाई लामा एक मंगोलियाई पदवी है। जिसका मतलब होता है ज्ञान का महासागर। दलाई लामा के वंशज करूणा, अवलोकेतेश्वर के बुद्ध के गुणों के साक्षात रूप माने जाते हैं। बोधिसत्व ऐसे ज्ञानी लोग होते हैं जिन्होंने अपने निर्वाण को टाल दिया हो और मानवता की रक्षा के लिए पुनर्जन्म लेने का निर्णय लिया हो। उन्हें सम्मान से परमपावन भी कहा जाता है।
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नयी दिल्ली : कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण बीते 6 महीने से बंद स्कूल को सरकार फिर से खोलने की तैयारी कर रही है. सरकार 1 सितंबर से स्कूल खोलने को लेकर काम शुरू कर दिया है. वहीं अमेरिका में स्कूल खोलने से पहले एक रिपोर्ट जारी हुआ है, जिसमें कहा गया है कि देश में तकरीबन 97000 बच्चे कोरोना से संक्रमित हुए हैं. ऐसे में भारत में स्कूल खोलने के फैसले पर सवालिया निशान उठ गया है.
अमेरिका स्थित अमेरिकन अकेडमी ऑफ पीडीऐट्रिक्स ने एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के अनुसार अब तक अमेरिका में 97000 बच्चे कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं. रिपोर्ट के बाद अमेरिका में स्कूल खोलने वाला प्रस्ताव अभी रोक दिया गया है. वहीं भारत में भी स्कूली बच्चों को लेकर सर्वे कार्य किया जा सकता है.
सोशल मीडिया रिएक्शन- स्कूल खोलने की सूचना के बीच छात्रों के परिजनों ने विरोध दर्ज कराना शुरू कर दिया है. गाजियाबाद पैरेंट्स एसोसिएशन ने ट्विटर पर स्कूल खोलने के विरोध में ट्वीट किया है. पैरेंट्स एसोसिएशन ने ट्वीट कर लिखा है, 'क्या सरकार द्वारा देश मे कोरोना के बढ़ते संक्रमण की अनदेखी कर सितंबर में स्कूल खोलने पर विचार करना जल्दबाजी नहीं? क्या सरकार और निजी स्कूल हमारे बच्चों के जीवन की सुरक्षा की गारंटी लेगे?'
सरकार की ये है प्लानिंग- शिक्षा मंत्रालय स्कूल खोलने को लेकर तैयारी कर रही है. मंत्रालय सीनियर छात्रों को दो शिफ्ट में स्कूल बुलाने पर विचार कर रही है. बताया जा रहा है कि कक्षा 5 से ऊपर के बच्चों को ही स्कूल बुलाया जा सकता है. हालांकि स्कूल कब खुलेगी? इसको लेकर कोई तिथि तय नहीं है.
गौरतलब है कि देश में कोरोना के संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 15 लाख हो गई है. अब तक 22.14 लाख कोरोना केस आ चुके हैं. देश के मात्र 10 राज्यों में कोरोना का कहर सबसे अधिक है. इन राज्यों में ��ी कुल मामलों का 80 फीसदी मामले हैं. बता दें कि बिहार और झारखंड भी कोरोना रफ्तार पकड़ चुकी है.
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बॉयज लॉकर रूम मामले पर भड़की मीरा राजपूत, कहा- अपने बेटों को 'ना' का मतलब सिखाओ
कोरोना वायरस के बाद इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना हुआ वो है बॉयज लॉकर रूम मामला । इस मामले ने हर माता-पिता की चिंता को बढ़ा दिया है। बॉयज लॉकर रूम के नाम से बने एक यंग बच्चों के ग्रुप को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दिल्ली के कुछ स्कूली लड़कों ने इंस्टाग्राम पर ‘बॉयज लॉकर रूम’ नाम का एक अश्लील ग्रुप बनाया था जहां यौन शोषण और गैंग रेप जैसे अपराध को बढ़ावा देने की बातें की जाती थी। इस ग्रुप के कुछ स्क्रीनशॉट्स सोशल मीडिया पर लीक हुए जिसके बाद इस पूरे ग्रुप की सच्चाई लोगों के सामने आई। इस ग्रुप में नाबालिग बच्चे लड़कियों की अश्लील फोटोज और गंदे जोक्स शेयर किया करते थे। इसे लेकर इंटरनेट पर काफी बवाल मचा है और बॉलीवुड सेलिब्रिटीज भी इसे लेकर अपना क्रोध प्रकट कर रहे हैं। हाल ही में शाहिद कपूर की पत्नी मीरा राजपूत ने इस मामले पर गुस्सा और चिंता दोनों जाहिर की है|
मीरा ने अपनी इंस्टा स्टोरी पर एक पोस्ट शेयर किया है। ये पोस्ट माता-पिता अपने बेटों की परवरिश कैसे करें, इस बारे में है। इस पोस्ट में लिखा है कि अगर आप अपने बेटे की परवरिश भारत में कर रहे हैं तो इसे एक अनुरोध मानें। हमारी जिंदगी आपके हाथों में है। हमें सावधान रहने की सीख देने के बजाए अपने बेटों को कंस��ंट के बारे में सिखाएं। हमें डर कर रहने के बजाए अपने बेटों को इज्जत करना सिखाएं। अपने बेटों को सिखाएं लैंगिक समानता। सिखाएं की ‘ना’ का मतलब क्या हुआ है।
उन्होंने पोस्ट का दूसरा भाग शेयर किया, जिसमें लिखा है- अपने बेटों को सिखाएं कि उनका महिलाओं के शरीर, अटेंशन और समय पर कोई हक नहीं। हमें नम्रता सिखाने के बजाए अपने बेटों को पर्सनल स्पेस के बारे सिखाएं। अपने बेटों को सिखाएं ना घूरना। उन्हें हेल्थी मर्दानगी, रोमांस और सेक्सुअल रिलेशनशिप के बारे में सिखाएं।
उन्होंने पोस्ट का दूसरा भाग शेयर किया, जिसमें लिखा है, ‘अपने बेटों को सिखाएं कि उनका महिलाओं के शरीर, अटेंशन और समय पर कोई हक नहीं। हमें नम्रता सिखाने के बजाए अपने बेटों को पर्सनल स्पेस के बारे सिखाएं। अपने बेटों को सिखाएं ना घूरना। उन्हें हेल्थी मर्दानगी, रोमांस और सेक्सुअल रिलेशनशिप के बारे में सिखाएं’। मीरा ने इस पोस्ट के कुछ भागों को अपनी इंस्टा स्टोरी पर शेयर किया है। इस मामले पर मीरा से पहले कई सेलेब्स नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।पहले सोनम कपूर, सिद्धांत चतुर्वेदी और स्वरा भास्कर ने भी बॉयज लॉकर रूम के बारे में अपनी राय रखी थी। इन सभी ने ऐसी बात की निंदा करते हुए पोस्ट किए थे।
इंस्टाग्राम पर बने ‘बॉयज लॉकर रूम’ नाम के ग्रुप के मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने ग्रुप के जिस एडमिन को गिरफ्तार किया है। बॉयज लॉकर रूम’ नाम से दिल्ली के कुछ छात्रों ने इंस्टाग्राम पर एक ग्रुप बनाया था। ये ग्रुप पिछले कुछ दिनों से इंस्टाग्राम पर एक्टिव था। इसमें दिल्ली के नामी स्कूल के छात्र थे। 11वीं और 12वीं के बताए जा रहे है। ये छात्र ‘बॉयज लॉकर रूम’ नाम के इस ग्रुप में लड़कियों की फोटो डाल कर उस पर गंदी टिप्पणी कर रहे थे। फिलहाल दिल्ली पुलिस की साइबर सेल की टीम इस मामले की जांच कर रही है।सोशल मीडिया पर इस ग्रुप को लेकर कई लोगों ने आपत्ति जताई। दिल्ली में रेप कल्चर और लड़कियों को लेकर लोगों की सोच पर कई सवाल उठे। इसके साथ ही इस ग्रुप के लड़कों पर कार्यवाही की मांग भी हुई।
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केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह से फोन पर बात कर प्रस्ताव दिया है कि लॉकडाउन के चलते राजस्थान में अटके प्रवासियों और विभिन्न प्रदेशों में रह रहे राजस्थानियों को एक बार अपने घर जाने का मौका दिया जाए। गृह मंत्री ने इस पर मंत्रालय के अधिकारियों से बात कर सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन दिया है। साथ ही, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वार्तालाप कर कोटा में कोचिंग के लिए रह रहे छात्रों को गृह राज्य पहुंचाने के योजना पर काम किया जा रहा है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, आसाम और गुजरात के मुख्यमंत्रियों ने इस पर सहमति दे दी है। जल्द ही इन राज्यों के छात्र अपने घर के लिए रवाना होंगे। निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीडिया प्रतिनिधियों के साथ वार्ता के दौरान कहा कि पूरे देश में लोग फंसे हुए हैं और उनकी घर जाने की मांग पर संवेदशीलता के साथ निर्णय करने की जरूरत है। केन्द्र सरकार से इस विषय पर कई बार चर्चा की गई है और अब सोमवार को केन्द्रीय गृह मंत्री से भी फोन पर गंभीर विमर्श हुआ है। राजस्थान के प्रवासी अपने गृह राज्य से गहरा लगाव रखते हैं और सुख-दुख में हमेशा आते-जाते रहते हैं। इसीलिए देशभर में जो प्रवासी राजस्थानी हैं, राज्य सरकार उन्हें भी एक बार अपने गांव आने का अवसर देने के लिए प्रयासरत है। राजस्थान के विभिन्न जिलों से आकर कोटा में कोचिंग कर रहे 4,000 बच्चों को भी जल्द ही उनके जिलों में भेजा जाएगा। एक सवाल क��� जवाब में कहा कि लॉकडाउन की अवधि मेें राशन सामग्री की मांग अधिक बढ़ गई है, क्योंकि बड़ी संख्या में परिवार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से वितरित होने वाले गेहूं की मांग कर रहे हैं। राज्य सरकार ने केन्द्र से राशन का अधिक गेंहूं जारी करने का प्रस्ताव दिया है, ताकि इस संकट काल में कोई भी व्यक्ति भूख से पीड़ित ना रहे। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के भण्डार गेहूं से भरे पड़े हैं और नई फसल भी आने वाली है। ऐसे में, मुझे उम्मीद है कि केन्द्र सरकार इस मांग पर भी जल्द ही सकारात्मक निर्णय लेकर राज्यों को राशन के लिए अधिक गेहूं जारी करेगी। एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद 16 अप्रैल से शुरू हो चुकी है। इस बार राज्य सरकार ने एफसीआई के खरीद केन्द्रों की संख्या 204 से बढ़ाकर 300 की है, जिनके माध्यम से भारत सरकार 17 लाख टन गेहूं खरीदेगी। राजस्थान सरकार विशेष प्रयास कर रही है कि मण्डियों में किसानों को उनकी फसल का पूरा दाम मिले और एमएसपी से नीचे खरीद नहीं हो। रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट इंडियन कॉउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के दिशा-निर्देशों के तहत ही किए जा रहे हैं। इसके लिए टेस्ट किट की खरीद भी आईसीएमआर की स्वीकृति के बाद ही की गई है। अब इस टेस्ट किट की गुणवत्ता के विषय में एसएमएस अस्पताल तथा स्वास्थ्य वि��्ञान विश्वविद्यालय में शोध किया जा रहा है। आईसीएमआर को भी इसके बारे में पत्र लिखा गया है। वहां से जो भी दिशा निर्देश मिलेंगे उसके अनुसार इन टेस्ट किट का इस्तेमाल किया जाएगा। एक सवाल के जवाब में कहा कि जब तक अर्थव्यवस्था की गाड़ी पटरी पर नहीं आएगी तब तक राजस्थान सरकार वंचितों की हर संभव सहायता करेगी। बेसहारा और किसी भी सामाजिक सुरक्षा योजना से वंचित व्यक्ति हमारा ‘टारगेट ग्रुप‘ है और इनकी मदद करना हमारा संकल्प है। मध्यम वर्ग की समस्याएं अलग हैं, निम्न मध्यम वर्ग की समस्याएं अलग हैं। राज्य सरकार सभी वर्गों की बेहतरी के प्रयास कर रही है, लेकिन अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में केन्द्र सरकार की भूमिका बड़ी है। विभिन्न राज्यों ने केन्द्र सरकार को मदद के लिए कई पत्र लिखे हैं और राहत पैकेज की मांग की है। मुझे उम्मीद है कि भारत सरकार इस पर काम कर रही होगी और जल्द ही राज्यों को आर्थिक सहायता के लिए घोषणा की जाएगी। कोरोना महामारी से लड़ने के लिए राज्य सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में आधारभूत ढांचे के विस्तार पर पूरा फोकस कर रही है। हमने पूर्व में भी निशुल्क दवा योजना, निशुल्क जांच और निरोगी राजस्थान जैसे अभियानों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता बढ़ाने पर काम किया है। अब कोरोना संकट के चुनौतीपूर्ण दौर में भी हर जिले में विशेष जांच प्रयोगशाला और आईसीयू बेड की सुविधाएं बढ़ाने पर काम किया जा रहा है। इसके लिए स्थानीय विधायक कोष की क्षेत्रीय विकास निधि का भी उपयोग किया जा सकता है। यह संकट कब तक खत्म होगा, इसका कोई अंदाजा इस समय नहीं लगाया जा सकता, लेकिन इससे जूझने के लिए पूरे देश, दुनिया और प्रदेश में आपसी सहयोग की एक भावना विकसित हुई है। राजस्थान ने दूरदर्शन के माध्यम से राज्य में स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम से जुड़े कार्यक्रमों का प्रसारण करने की मांग की है। दूरदर्शन के नेटवर्क की दूरदराज तक पहुंच होने के कारण लॉकडाउन की स्थिति में विद्यार्थियों के लिए उपयोगी कार्यक्रमों का प्रसारण एक अभिनव पहल होगी। निजी स्कूलों को जून माह तक अभिभावकों से फीस वसूली स्थगित करने का निर्णय किया गया है और इस अवधि में विद्यार्थियों को स्कूल से नहीं निकालने के लिए निर्देशित किया है। फीस माफ करने के विषय में अभी कोई प्रस्ताव नहीं है। आगे की योजना पर फिर विचार करेंगे, क्योंकि सरकार को यह भी सुनिश्चित करना है कि फीस की कमी के चलते निजी स्कूलों के बंद होने की नौबत नहीं आए। एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि राज्य सरकार ने स्कूलों में रखी पोषाहार की सामग्री को लॉकडाउन के दौरान वंचितों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए इस्तेमाल करने के आदेश जिला कलक्टर को जारी कर दिए थे। कुछ जिलों में इस पोषाहार को उपयोग में भी ले लिया गया है।
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Coronavirus Efect / गुजरात के स्कूली छात्र बगैर दिए परीक्षाओं के अगली कक्षा में जाएंगे, मुख्यमंत्री ने जारी किया आदेश
अहमदाबाद:HN/ कोरोना वायरस के कोहराम के चलते देश में कोहराम मचा हुआ है. जहां देश में 513 लोग इस जानलेवा वायरस की चपेट में आ गए हैं तो 11 लोग अब तक इसके कारण मारे जा चुके हैं. इस वायरस के चलते गुजरात सरकार ने स्कूली छात्रों को बिना परीक्षा के पास कर ��गली कक्षा में भेजने का फ़ैसला किया है. गौरलतब है कि गुजरात में कोरोना के 29 मामले सामने आ चुके हैं.
1 से 9 और 11वीं के छात्र बिना परीक्षा होंगे पास
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12th Board Exam होंगे या नहीं? राज्यों के साथ केंद्र की बैठक आज Divya Sandesh
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12th Board Exam होंगे या नहीं? राज्यों के साथ केंद्र की बैठक आज
नई दिल्ली। ���क्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आज राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा मंत्रियों व सचिवों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक होगी जिसमें 12वीं बोर्ड की लंबित परीक्षाओं एवं पेशेवर पाठ्यक्रमों की प्रवेश परीक्षाओं को लेकर चर्चा होगी। शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शनिवार को यह जानकारी दी थी। कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के मद्देनजर 12वीं बोर्ड की परीक्षा स्थगित कर दी गई थी।
निशंक ने कल ट्वीट किया कि 23 मई 2021 को पूर्वाह्न 11 बजकर 30 मिनट पर यह बैठक डिजिटल माध्यम से होगी जिसमें उनके (निशंक के) अलावा केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, प्रकाश जावड़ेकर भी शामिल होंगे। इस बैठक में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा मंत्री, सचिव हिस्सा लेंगे। शिक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, इस बैठक में 12वीं बोर्ड की लंबित परीक्षाओं एवं पेशेवर पाठ्यक्रमों की प्रवेश परीक्षाओं को लेकर चर्चा होगी और इसमें परीक्षा आयोजित करने के विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जायेगा।
वहीं, सीबीएसई के सूत्रों के अनुसार, इसके तहत जिन संभावित विकल्पों पर विचार किया जा सकता है, उनमें कागज-कलम आधारित लिखित प्रारूप में केवल मुख्य विषयों की परीक्षा लेना, विभिन्न राज्यों एवं जिलों में कोविड-19 की स्थिति के अनुरूप दो चरणों में परीक्षा आयोजित करना अथवा परीक्षा रद्द करना एवं वैकल्पिक मूल्यांकन योजना के तहत परिणाम घोषित करना शामिल है। बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हालांकि कहा है कि अभी कुछ भी अंतिम रूप से तय नहीं हुआ है और सभी पक्षकारों के सुझावों पर विचार करने के बाद शिक्षा मंत्रालय अंतिम फैसला करेगा।
वहीं, राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेश को लिखे पत्र में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय तथा सीबीएसई छात्रों एवं शिक्षकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए परीक्षा आयोजित करने के विकल्पों पर विचार कर रहा है। इसमें कहा गया है कि उच्च शिक्षा विभाग भी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिये परीक्षा की तिथियों को अंतिम रूप देने के लिये विचार विमर्श कर रहा है । कोविड-19 महामारी के कारण शिक्षा क्षेत्र पर काफी प्रभाव पड़ा है खास तौर पर परीक्षा और प्रवेश परीक्षाओं पर इसका असर पड़ा है। पत्र में कहा गया है कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए, लगभग सभी राज्य शिक्षा बोर्डों, सीबीएसई और आईसीएसई ने अपनी बारहवीं कक्षा की परीक्षा, 2021 को स्थगित कर दिया है।
इसी तरह, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) और अन्य राष्ट्रीय परीक्षा आयोजित करने वाले संस्थानों ने भी व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अपनी प्रवेश परीक्षाओं को स्थगित कर दिया है। निशंक ने राज्यों को लिखे पत्र में कहा कि ��ारहवीं कक्षा की परीक्षाओं के आयोजन से पूरे देश में राज्य बोर्ड परीक्षाओं और अन्य प्रवेश परीक्षाओं पर प्रभाव पड़ता है। ऐसे में छात्रों के बीच उत्पन्न अनिश्चितता को कम करने के लिए यह आवश्यक है कि विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों के सुझावों के आधार पर देश भर के सभी छात्रों के हित में बारहवीं कक्षा की सीबीएसई परीक्षा के बारे में विचार किया जाए।
निशंक ने ट्विटर के माध्यम से सभी हितधारकों- छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और अन्य लोगों से भी सुझाव मांगे हैं। गौरतलब है कि 14 अप्रैल को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं स्थगित और 10वीं बोर्ड की परीक्षा को रद्द कर दिया गया था। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई बैठक में किया गया था। ये परीक्षाएं 4 मई से 14 जून के बीच होनी थीं। कोविड-19 की मौजूदा स्थिति को देखते हुए, लगभग सभी राज्य शिक्षा बोर्डों, सीबीएसई और आईसीएसई ने अपनी बारहवीं कक्षा की परीक्षा, 2021 को स्थगित कर दिया है। छात्रों एवं अभिभावकों का एक बड़ा वर्ग बोर्ड परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहा है हालांकि स्कूलों के प्रचार्यो की परीक्षा के विकल्पों को लेकर अलग अलग राय है। इसके अलावा राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने मेडिकल कालेजों में दाखिले के लिये नीट प्रवेश परीक्षा एवं कुछ अन्य परीक्षा स्थगित की।
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राज्यों ने कहा, मिलकर हो बोर्ड परीक्षाओं का निर्णय, छात्रों को मिले टेबलेट और इंटरनेट Divya Sandesh
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राज्यों ने कहा, मिलकर हो बोर्ड परीक्षाओं का निर्णय, छात्रों को मिले टेबलेट और इंटरनेट
नई दिल्ली| बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं की डेटशीट घोषित किया जाना अभी बाकी है। इस बीच देशभर के अधिकांश राज्यों का कहना है कि बोर्ड परीक्षाओं के निर्णय में राज्य सरकारों को भी साथ लिया जाए। दरअसल कोविड की दूसरी लहर के कारण देशभर में सीबीएसई 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं स्थगित करनी पड़ी हैं। वहीं ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखने के लिए विभिन्न राज्यों ने सुझाव दिया है कि सभी छात्रों को टेबलेट और इंटरनेट का कनेक्शन उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने सोमवार को सभी राज्यों के शिक्षा सचिवों के साथ एक वीडियो ���ॉन्फ्रेंसिंग मीटिंग की। इस मीटिंग में कोरोना जैसी महामारी से निपटने एवं इस महामारी के दौरान की गई पहल पर विस्तृत चर्चा की गई। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक राज्यों की तरफ से सुझाव दिया गया कि सभी छात्रों को टैबलेट एवं नेट कनेक्शन उपलब्ध करवाए जाने चाहिए। यह भी सुझाव आया कि बोर्ड परीक्षाएं करवाने के लिए राज्यों के साथ निर्णय लिए जाने चाहिए। अधिकारियों ने छात्रों को मनोवैज्ञानिक सहयोग देने के लिए मनोदर्पण एप के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल पर जोर दिया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, “कोविड-19 की दूसरी लहर ने हमें लंबी अवधि के लिए स्कूलों को बंद करने हेतु मजबूर कर दिया है। हालांकि हम सबने पाठ्यपुस्तकों, असाइनमेंट, डिजिटल एक्सेस आदि के माध्यम से बच्चों की घर पर ही शिक्षा सुनिश्चित की है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि छात्रों को पाठ्यपुस्तकें, असाइनमेंट, वर्कशीट आदि उपलब्ध होते रहें। हमें आकांक्षी जिलों और दूरदराज के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जहां प्राय: डिजिटल मोड या शिक्षक सुलभ नहीं हैं। इसलिए हमें स्थानीय स्वयंसेवकों और माता-पिता को ई-सामग्री की व्याख्या करने और बच्चों को आगे मार्गदर्शन करने के लिए प्रशिक्षित करना चाहिए।” निशंक ने कहा कि डिजिटल शिक्षा सूचना का एकतरफा प्रवाह है, इसलिए हमें प्रत्येक कक्षा के लिए एक आकर्षक डिजिटल सामग्री बनाने की दिशा में काम करना चाहिए ताकि छात्रों का जुड़ाव ��िजिटल शिक्षा से बना रहे। उन्होनें सभी अधिकारियों से आग्रह किया कि वे एक ऐसी व्यवस्था बनाएं, जिसमें इस महामारी के दौरान राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के मध्य स्कूली शिक्षा की उत्तम पद्धतियों का समय-समय पर मिलान, तुलना और प्रसार हो सके।
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निशंक ने कहा कि निरंतर प्रयासों के कारण, हमने अपने स्कूलों में नामांकित देश के 240 मिलियन बच्चों को शिक्षा प्रदान की है। यह केवल हमारी कड़ी मेहनत और सुनियोजित ²ष्टिकोण के कारण ही संभव हुआ है कि हमने घरों को कक्षाओं में बदला और नियमित रूप से ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए समग्र शिक्षा के तहत कुल 5784.05 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है। डॉ. निशंक ने सभी अधिकारियों को कोरोना योद्धा बताते हुए उनसे आग्रह किया कि वे सभी एनईपी-2020 के कार्यान्वयन पर और विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल लनिर्ंग फ्रेमवर्क के संबंध में अपने बहुमूल्य सुझाव साझा करें। उन्होनें कहा कि सभी शिक्षा अधिकारियों को कोविड-19 के कारण आने वाली बाधाओं को कम करने वाले समाधानों की पहचान करनी चाहिए।–आईएएनएस
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