#सोमवार व्रत का फल
Explore tagged Tumblr posts
indlivebulletin · 3 days ago
Text
Somvar Vrat Niyam: सोमवार के व्रत में इन 5 नियमों का रखें खास ध्यान, महादेव की बनी रहेगी कृपा!
Somvar Vrat Ke Niyam and Mahatva: हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी देवी-देवता को समर्पित होता है. माना जाता है कि सोमवार का दिन भगवान भोलेनाथ का होता है. इस दिन भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में आने वाले कष्टों से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि सोमवार के दिन भगवान शिव की अराधना करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है. यदि संभव हो तो इस दिन…
0 notes
tgop123 · 1 month ago
Text
Karwa Chauth 2024: Puja Timings, Moonrise, and Fasting Rituals
Tumblr media
करवा चौथ एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है जिसे मुख्य रूप से विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के लिए मनाती हैं। यह त्योहार उत्तर भारत में विशेष रूप से लोकप्रिय है और सुहागिन स्त्रियों के लिए विशेष महत्व रखता है। 2024 में करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर, रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएँ पूरे दिन उपवास रखती हैं और रात में चंद्रमा के free kundali matching दर्शन के बाद अपना व्रत खोलती हैं।
करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ का पर्व नारी शक्ति, त्याग और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएँ न केवल अपने पति की लंबी उम्र और सफलता के लिए व्रत रखती हैं, बल्कि यह पर्व पति-पत्नी के रिश्ते को और भी गहरा और मजबूत बनाने Karwa Chauth 2024 का अवसर भी प्रदान करता है। करवा चौथ पर महिलाएँ सोलह श्रृंगार करती हैं और विधिपूर्वक पूजा करती हैं। यह त्योहार उत्तर भारत के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी मनाया जाता है, और इसके पीछे की मान्यता यह है कि यह पर्व दांपत्य जीवन में खुशहाली और सुख-समृद्धि लाता है।
करवा चौथ व्रत का समय और मुहूर्त (2024)
करवा चौथ व्रत का समय और चंद्रमा उदय का मुहूर्त व्रत को विशेष रूप से महत्वपूर्ण बनाते हैं। व्रत का प्रारंभ सूर्योदय से होता है और इसका समापन चंद्रमा के दर्शन के बाद किया जाता है। इस वर्ष करवा चौथ 20 अक्टूबर को है और चंद्रमा के shubh muhurat today उदय का समय इस दिन की पूजा के लिए महत्वपूर्ण है।
Advertisement
करवा चौथ 2024 का प्रमुख मुहूर्त इस प्रकार है:
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 20 अक्टूबर 2024, रविवार को सुबह 09:30 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर 2024, सोमवार को सुबह 06:36 बजे
चंद्र दर्शन का समय: 20 अक्टूबर 2024 को रात 08:15 बजे (स्थान के अनुसार समय में थोड़ा बदलाव हो सकता है)
Tumblr media
पूजा विधि
करवा चौथ के दिन महिलाएँ Karwa Chauth पूरे दिन निर्जला उपवास रखती ���ैं। इस दिन महिलाएँ सूर्योदय से पहले उठकर सरगी खाती हैं, जो कि उनकी सास द्वारा दी जाती है। सरगी में मिठाई, फल, और अन्य पौष्टिक आहार होते हैं जो दिन भर के व्रत में ऊर्जा बनाए रखने में मदद करते हैं। सरगी खाने के बाद महिलाएँ पूरे दिन जल और अन्न का त्याग करती हैं और शाम को भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा करती हैं। पूजा में करवा, दीपक, फल और मिठाई चढ़ाई जाती है।
पूजा के बाद महिलाएँ चंद्रमा का इंतजार करती हैं। चंद्रमा के उदय होने के बाद वे उसे अर्घ्य देकर पूजा करती हैं। इसके बाद उनके numerology matching for marriage पति उनके व्रत को तुड़वाते हैं और जल ग्रहण कराते हैं।
करवा चौथ का धार्मिक और सामाजिक महत्व
करवा चौथ एक धार्मिक अनुष्ठान के रूप में ही नहीं, बल्कि पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को मजबूत करने का अवसर भी है। इस दिन महिलाएँ अपने सोलह श्रृंगार के साथ सजधज कर पूजा करती हैं, जिससे यह त्योहार सौंदर्य, शक्ति और नारीत्व का भी प्रतीक बन जाता है। यह व्रत पति-पत्नी के बीच के रिश्ते को और भी प्रगाढ़ बनाता है।
करवा चौथ का पर्व आज के आधुनिक युग में भी Karwa Chauth festival अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है, जहाँ पति-पत्नी एक दूसरे के प्रति सम्मान और प्रेम का इज़हार इस व्रत के माध्यम से करते हैं।
0 notes
astrovastukosh · 2 months ago
Text
Tumblr media
*🌞~ आज दिनांक - 23 सितम्बर 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग, सटीक गणना के साथ और कलह, धन-हानि व रोग-बाधा से परेशान हों तो...~🌞*
🙏Akshay Jamdagni ✍️🌹
*⛅दिनांक - 23 सितम्बर 2024*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - षष्ठी दोपहर 01:50 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - रोहिणी रात्रि 10:07 तक तत्पश्चात मृगशिरा*
*⛅योग - सिद्धि रात्रि 03:10 सितम्बर 24 तक तत्पश्चात व्यतिपात*
*⛅राहु काल - प्रातः 07:59 से प्रातः 09:30 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:32*
*⛅सूर्यास्त - 06:31*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:54 से 05:41 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:07 से दोपहर 12:56 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:08 सितम्बर 24 से रात्रि 12:56 सितम्बर 24 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - षष्ठी श्राद्ध, रोहिणी व्रत, सर्वार्थ सिद्धि योग (अहोरात्रि), अमृत सिद्धि योग (रात्रि 10:07 से प्रातः 06:29 सितम्बर 24 तक)*
*⛅विशेष - षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹 कलह, धन-हानि व रोग-बाधा से परेशान हों तो...🔹*
*🔸 घर में कलहपूर्ण वातावरण, धन-हानि एवं रोग-बाधा से परेशानी होती हो तो आप अपने घर में मोरपंख कि झाड़ू या मोरपंख पूजा-स्थल में रखें ।*
*🔸 नित्य नियम के बाद मन-ही-मन भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप करते हुए इस पंख या झाड़ू को प्रत्येक कमरे में एवं रोग-पीड़ित के चारों तरफ गोल-गोल घुमाये ।*
*🔸 कुछ देर ‘ॐकार ‘ का कीर्तन करें-करायें । ऐसा करने से समस्त प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है तथा ऊपरी एवं बुरी शक्तियों का प्रभाव भी दूर हो जाता है ।*
*🔹 होमियो तुलसी गोलियाँ🔹*
*🔸आज की दौड़-धूपभरी जिंदगी जीनेवालों के पास इतना समय कहाँ है कि वे शास्त्रों में वर्णित विधि-विधान से पतितपावनी तुलसी का स���वन कर सकें । यह ध्यान में रख���े हुए आश्रम के पवित्र वातावरण में उपजी सर्वरोगहारी तुलसी से होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति द्वारा छोटी-छोटी मीठी गोलियों के रूप में बनायी गयी हैं ।*
*🔹इनके नियमित सेवन से -*
*🔸 स्मरणशक्ति व पाचनशक्ति में वृद्धि ।*
*🔸 हृदयरोग, दमा, टी.बी., हिचकी, विष-विकार, ऋतु परिवर्तनजन्य सर्दी-जुकाम, श्वास-खाँसी, खून की - कमी, दंत रोग, त्वचासंबंधी रोग, सिरदर्द, प्रजनन व मूत्रवाही संस्थान के रोगों में लाभकारी ।*
*🔸 कुष्ठरोग, मूत्र व रक्त विकार आदि में लाभदायी । हृदय, यकृत (लीवर), प्लीहा व आमाशय हेतु बलवर्धक ।*
*🔸 बच्चों का चिड़चिड़ापन, जीर्णज्वर, सुस्ती, दाह आदि में उपयोगी ।*
*🔸 संधिवात, मधुमेह (डायबिटीज), यौन दुर्बलता, नजला, सिरदर्द, मिर्गी, कृमि रोग एवं गले के रोगों में - लाभदायी ।*
*🔸 भारी व्यक्ति का वजन घटता है एवं दुबले-पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है ।*
*🔸 हर आयुवर्ग के रोगी तथा निरोगी, सभीके लिए लाभदायी ।*
*🔸 कफ व वायु की विशेष रूप से नाशक । पित्त प्रकृतिवालों को सेवन करनी हो तो २-२ गोली सुबह-शाम आधा कप पानी में घोल के लें ।*
🙏Akshay Jamdagni ✍️🌹
#akshayjamdagni #astrovastukosh #astroakshay #hindu
0 notes
hindunidhi · 5 months ago
Text
महादेव को रिझाने वाले सावन सोमवार व्रत विधि, पूजा सामग्री, व्रत का फल
सावन सोमवार भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित एक विशेष व्रत है। यह व्रत श्रावण मास के सभी सोमवारों को रखा जाता है। इस मास में भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, इसलिए इन सोमवारों का व्रत रखना अत्यंत शुभ माना जाता है।
सावन सोमवार व्रत भगवान शिव की भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक उत्तम अवसर है। यदि आप इस व्रत को पूरे विधि-विधान से रखते हैं तो निश्चित रूप से आपको भगवान शिव की कृपा प्राप्त होगी और आपके सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
Tumblr media
सावन सोमवार व्रत विधि:
प्रातःकाल: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
पूजा: घर के मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित करें।
शिवलिंग को गंगाजल, दूध, ��र पुष्पों से स्नान कराएं।
बेलपत्र, धतूरा, भांग, आंकड़े, फल, मिठाई आदि अर्पित करें।
घी का दीपक जलाएं और धूप करें।
"ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
शिव चालीसा का पाठ करें।
दिन भर फलाहार करें।
शाम को सूर्यास्त के बाद फिर से पूजा करें।
रात में भोजन ग्रहण करने से पहले शिव आरती करें।
सावन सोमवार पूजा सामग्री:
शिवलिंग या भगवान शिव की प्रतिमा
गंगाजल
दूध
बेलपत्र
धतूरा
भांग
आंकड़े
फल
मिठाई
घी
दीपक
धूप
अगरबत्ती
फूल
शिव चालीसा
सावन सोमवार व्रत का फल:
सावन सोमवार व्रत रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पापों का नाश होता है।
रोगों से मुक्ति मिलती है।
ग्रहदशाएं अनुकूल होती हैं।
वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
संतान प्राप्ति में सफलता मिलती है।
मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सावन सोमवार विशेष बातें:
व्रत के दौरान नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
ब्रह्मचर्य का पालन करें।
झूठ बोलने और किसी को भी कष्ट पहुंचाने से बचें।
दान-पुण्य करें।
गरीबों और असहायों की मदद करें।
0 notes
jeevanjali · 5 months ago
Text
Mangala Gauri Vrat: कब रखा जाएगा सावन का पहला मंगला गौरी व्रत? जानिए तिथि, और महत्वMangala Gauri Vrat: देवों के देव महादेव को सावन का महीना बहुत प्रिय है इस महीने में हर दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है साथ ही महादेव के लिए सोमवार का व्रत भी रखा जाता है इस व्रत को रखने से मनचाहा फल मिलता है
0 notes
ragbuveer · 1 year ago
Text
*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
🌺 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌺
🔔 *आज का पंचांग, चौघड़िया, व राशिफल (पूर्णिमा तिथि)*🔔
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*मुगल आक्रांताओं से देश और संस्कृति की रक्षार्थ सिख धर्म की स्थापना करने वाले प्रथम गुरुदेव गुरुनानक जी के जन्मोत्सव(प्रकाशपर्व) तथा कार्तिक पूर्णिमा(देव दीपावली) की आपको और आपके परिवार को अनन्त कोटिशः शुभकामनायें।*
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_जी
#bageshwardhamsarkardivyadarbar
#kedarnath
#badrinath
#JaiShriRam
#yogi
#jodhpur
#udaipur
#RSS
#rajasthan
#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक :-27-नवम्बर-2023
वार:------सोमवार
तिथी:----15पूर्णिमा:-14:46
माह:------कार्तिक
पक्ष:-------शुक्लपक्ष
नक्षत्र:-----कृतिका:-13:36
योग :------शिव:-23:39
करण:-----बव:-14:46
चन्द्रमा:-----वृषभ
सुर्योदय:----07:09
सुर्यास्त:----17:41
दिशा शुल-----पूर्व
निवारण उपाय:---दर्पण देखकर यात्रा करें
ऋतु:----------हेमन्त ऋतु
गुलिक काल:---13:48से 15:08
राहू काल:------08:28से 09:48
अभीजित-------11:50से12:34
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
.युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:-------पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
अमृत:-07:09से08:29तक
शुभ:-09:49से11:09तक
चंचल:-13:41से15:01तक
लाभ:-15:01से16:21तक
अमृत:-16:21से17:41तक
🌗चोघङिया रात🌓
चंचल:-17:41से19:21तक
लाभ:-22:41से00:21तक
शुभ:-02:10से03:50तक
अमृत:-03:50से05:30तक
चंचल:-05:30से07:10तक
आज के विशेष योग
वर्ष का 250वा दिन, देव दीपावली, सिद्बियोग 13:36से 31:06तक, भीष्मपंचक व्रत समाप्त, पूर्णिमा व्रत पुण्य, तुलसी विवाह समाप्त, कार्तिक स्नान समाप्त, अन्वाधान, मन्वादि, धात्री पूजन, कार्तिक स्वामी दर्शन 13:35 तक, पुष्कर मेला (अजमेर), गुरु नानक जयंती, केदार व्रत,(उड़ीसा), कुमारयोग 14:46से, जैन अठ्ठाई पूर्ण, मेला पुष्कर पूर्ण (अजमेर,राज.), निम्बार्काचार्य जयंती, रथयात्रा व हेचन्द्रसूरिश्वर जयंती, गोपद्मव्रत समाप्त, चातुर्मास समाप्त (जैन),
👉वास्तु टिप्स👈
देव दीपावली के दिन आटे का दिपक जरुर जलाएं।
सुविचार
मनुष्य शरीर की महिमा विवेक को लेकर है, क्रिया को लेकर नहीं।👍🏻 राधे राधे...
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
*नेत्र ज्योति बढ़ाने के लिएः*
1. इन्द्रवरणा (बड़ी इन्द्रफला) के फल को काटकर अंदर से बीज निकाल दें। इन्द्रवरणा की फाँक को रात्रि में सोते समय लेटकर (उतान) ललाट पर बाँध दें। आँख में उसका पानी न जाये,यह सावधानी रखें। इस प्रयोग से नेत्रज्योति बढ़ती है।
2. त्रिफला चूर्ण को रात्रि में पानी में भीगोकर,सुबह छानकर उस पानी से आँखें धोने से नेत्रज्योति बढ़ती है।
3. जलनेति करने से नेत्रज्योति बढ़ती है। इससे आँख, नाक, कान के समस्त रोग मिट जाते हैं।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
*🐑मेष :~ अ, ल, इ*
नई योजना का श्रीगणेश हो सकेगा। व्यवसाय में उन्नति होगी। प्रतिष्ठित व्यक्तियों से मेल-जोल बढ़ेगा। नवीन योजनाओं से लाभ होगा।
*🐂वृषभ :~ ब, व, उ*
धर्म में रुचि बढ़ेगी। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रह सकती है। जायदाद संबंधी समस्या का समाधान हो सकेगा।
*💑मिथुन :~ क, छ, घ*
कार्य की प्रगति होगी। आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी। कानूनी विवादों का निपटारा हो सकेगा। व्यापार लाभदायी रहेगा। प्रवास शुभ।
*🦀कर्क :~ ड, ह*
आवास की समस्या रह सकती है। विवाद से दूर रहें। अधीनस्थों से उपयोगी सलाह मिलेगी। व्यावसायिक संतोष, प्रसन्नता रहेगी।
*🦁सिंह :~ म, ट*
नवीन व्यापार के प्रस्ताव मिलेंगे। व्यापार लाभदायी रहेगा। अपनी वस्तुएं संभालकर रखें। नवीन कार्यों पर विशेष प्रयास की आवश्यकता है।
*👸🏼कन्या :~ प, ठ, ण*
संतान पर विशेष ध्यान देना होगा। मित्रों के सहयोग से कुटुंब की समस्याएं हल होंगी। मानसिक सुख-शांति रहेगी। विरोधी समझौता करेंगे।
*⚖तुला :~ र, त*
संतान के कार्यों से चिंता में वृद्धि हो सकती है। स्थायी संपत्ति क्रय करने में जल्दबाजी न करें। क्रोध, उत्तेजना पर संयम रखें।
*🦂वृश्चिक :~ न, य*
कार्यसिद्धि से अर्थक्षेत्र में आशाजनक परिणाम आएंगे। रुका पैसा प्राप्त होगा। रचनात्मक कार्यों का प्रतिफल मिलेगा। योजनाएं क्रियान्वित हो सकेंगी।
*🏹धनु :~ भ, ध,फ*
व्यापार में इच्छित सफलता मिलेगी। कार्यक्षेत्र का विस्तार होगा। विचारों में सकारात्मकता व आशाजनक प्रवृत्ति रखें। रुका धन मिलेगा।
*🐏मकर :~ ख, ज*
अच्छे लोगों से भेंट होगी, जो आपके हितचिंतक रहेंगे। भूमि, जायदाद के सौदों में लाभ होगा। आपकी बुद्धिमानी की समाज में सराहना होगी।
*⚱कुंभ :~ ग, स, श, ष*
जीवनसाथी के व्यवहार में अनुकूलता रहेगी। व्यापार में अधिक लाभ प्राप्ति के योग हैं। पुराने संबंधों में यश की वृद्धि होगी। योजनाएं फलीभूत होंगी।
*🐠मीन :~ द, च*
यात्रा सुखद, सुफलदायक रहेगी। स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही न करें। किसी विशेष कार्य के बन जाने से हर्ष होगा। रचनात्मक कार्यों से श्रीवृद्धि होगी।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media
0 notes
bdbhargav · 1 year ago
Text
🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
⛅ दिनांक - ३० अक्टूबर २०२३
⛅ दिन - सोमवार
⛅ विक्रम संवत् - २०८० (गुजरात २०७९)
⛅ शक संवत् - १९४५
⛅ अयन - रविदक्षिणायने (दक्षिणगोले)
⛅ ऋतु - हेमन्त ऋतु
⛅ मास - कार्तिक मास
⛅ पक्ष - कृष्ण पक्ष
⛅ तिथि - द्वितीया २२/२२ तक
तत्पश्चात तृतीया
⛅ नक्षत्र - कृतिका २८/०० तक
तत्पश्चात रोहिणी
⛅ योग - व्यतिपात १७/३२ तक
तत्पश्चात वरियान
⛅ राहुकाल - ७/३० से ९/०० तक
⛅ सूर्योदय - ०६/३६
⛅ सूर्यास्त - १७/३४
🌤️ दिनमान- २७/२५
🌘 रात्रिमान- ३२/३५
👉 *चन्दमा १०/३१, उफायां शुक्र: २५/०५, रेवती ४ मीन में राहु:, चित्रा में केतु: १४/२०, गुरु रामदास जयन्ती, स.सि.योग २८/०० से ।*
⛅ दिशा शूल - पूर्व दिशा में
व्यतिपात योग
⛅ *विशेष-* द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है ।
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः २७.२९-३८)*
✳️ *~ वैदिक पंचांग ~* ✳️
🌷 *व्यतिपात योग*🌷
👉 समय अवधि : २९ अक्टूबर रात्रि ७/५९ से ३० अक्टूबर शाम ५/३२ तक।
👉 व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल १ लाख गुना होता है । *वराह पुराण*
🌷 *कार्तिक मास की महिमा एवं नियम पालन*
👉 कार्तिक मास व्रत : २८ अक्टूबर से २७ नवम्बर २०२३।
🌷 *कार्तिक मास में वर्जित*
👉 ब्रह्माजी ने नारद जी को कहा:- कार्तिक मास में चावल, दालें, गाजर, बैंगन, लौकी और बासी अन्न नहीं खाना चाहिए । जिन फलों में बहुत सारे बीज (जैसे - अमरूद, सीताफल) हों उनका भी त्याग करना चाहिए और संसार – व्यवहार न करें ।
👉 कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी प्रात: स्नान, दान, जप, व्रत, मौन, देव – दर्शन, गुरु – दर्शन, पूजन का अमिट पुण्य होता है । सवेरे तुलसी का दर्शन भी समस्त पाप नाशक है । भूमि पर शयन, ब्रह्मचर्य का पालन, दीपदान, तुलसी वन अथवा तुलसी के पौधे लगाना हितकारी है ।
👉 भगवदगीता का पाठ करना तथा उसके अर्थ में अपने मन को लगाना चाहिए । ब्रह्माजी नारद जी को कहते हैं कि ‘ऐसे व्यक्ति के पुण्यों का वर्णन महिनों तक भी नहीं किया जा सकता ।’
👉 श्रीविष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करना भी विशेष लाभदायी है । *ॐ नमो नारायणाय ।* इस महा मन्त्र का जो जितना अधिक जप करें, उसका उतना अधिक मंगल होता है । कम – से – कम १०८ बार तो जप करना ही चाहिए ।
👉 प्रात: उठकर करदर्शन करें । पुरुषार्थ से लक्ष्मी, यश, सफलता तो मिलती है पर परम पुरुषार्थ मेरे नारायण की प्राप्ति में सहायक हो’ – इस भावना से हाथ देखें तो कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी होता है ।
👉 सूर्योदय के पूर्व स्नान अवश्य करें।
👉 जो कार्तिक मास में सूर्योदय के बाद स्नान करता है वह अपने पुण्य क्षय करता है और जो सूर्योदय के पहले स्नान करता है वह अपने रोग और पापों को नष्ट करने वाला हो जाता है । पूरे कार्तिक मास के स्नान से पाप शमन होता है तथा प्रभु शवप्रीति और सुख – दुःख व अनुकूलता – प्रतिकूलता में सम रहने के सदगुण विकसित होते हैं ।
✳️ *~ वैदिक पंचांग ~* ✳️
🌷 *३दिन में पूरे कार्तिक मास के पुण्यों की प्राप्ति*
👉 कार्तिक मास के सभी दिन अगर कोई प्रात: स्नान नहीं कर पाये तो उसे कार्तिक मास के अंतिम ३ दिन – त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को 'ॐकार' का जप करते हुए सुबह सूर्योदय से तनिक पहले स्नान कर लेने से महिने भर के कार्तिक मास के स्नान के पुण्यों की प्राप्ति कही गयी है ।
👉 कार्तिक मास में दीपदान का महत्व है।
👉 जो मनुष्य कार्तिक मास में संध्या के समय भगवान श्रीहरि के नाम से तिल के तेल का दीप जलाता है वह अतुल लक्ष्मी, रूप, सौभाग्य एवं संपत्ति को प्राप्त करता है ।
👉 तुलसी वन अथवा तुलसी के पौधे लगाना हितकारी है । तुलसी के पौधे को सुबह आधा-एक गिलास पानी देना सवा मासा (लगभग सवा ग्राम) स्वर्णदान करने का फल देता है ।
👉 भूमि पर अथवा तो गद्दा हटाकर कड़क तख्ते पर सादा कम्बल बिछाकर शयन, ब्रह्मचर्य का पालन – ये कार्तिक मास में करणीय नियम बताये गये हैं, जिससे जीवात्मा का उद्धार होता है ।।
1 note · View note
jolilk · 1 year ago
Text
सोमवार व्रत कथा (Somvar Vrat Katha)
Somvar Vrat Katha
किसी नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। दूर-दूर तक उसका व्यापार फैला हुआ था। नगर के सभी लोग उस व्यापारी का सम्मान करते थे। इतना सब कुछ संपन्न होने के बाद भी वह व्यापारी बहुत दुःखी था, क्योंकि उसका कोई पुत्र नहीं था। जिस कारण अपने मृत्यु के पश्चात् व्यापार के उत्तराधिकारी की चिंता उसे हमेशा सताती रहती थी।
पुत्र प्राप्ति की इच्छा से व्यापरी प्रत्येक सोमवार भगवान् शिव की व्रत-पूजा किया करता था और शाम के समय शिव मंदिर में जाकर शिवजी के सामने घी का दीपक जलाया करता था। उसकी भक्ति देखकर माँ पार्वती प्रसन्न हो गई और भगवान शिव से उस व्यापारी की मनोकामना पूर्ण करने का निवेदन किया���
भगवान शिव बोले: इस संसार में सबको उसके कर्म के अनुसार फल की प्राप्ति होती है। जो प्राणी जैसा कर्म करते हैं, उन्हें वैसा ही फल प्राप्त होता है।
शिवजी द्वारा समझाने के बावजूद माँ पार्वती नहीं मानी और उस व्यापारी की मनोकामना पूर्ति हेतु वे शिवजी से बार-बार अनुरोध करती रही। अंततः माता के आग्रह को देखकर भगवान भोलेनाथ को उस व्यापारी को पुत्र प्राप्ति का वरदान देना पड़ा।
वरदान देने के पश्चात् भोलेनाथ माँ पार्वती से बोले: आपके आग्रह पर मैंने पुत्र प्राप्ति का वरदान तो दे दिया परन्तु इसका यह पुत्र 16 वर्ष से अधिक समय तक जीवित नहीं रहेगा। उसी रात भगवान शिव उस व्यापारी के स्वप्न में आए और उसे पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया और उसके पुत्र के 16 वर्ष तक जीवित रहने की भी बात बताई।
भगवान के वरदान से व्यापारी को खुशी तो हुई, लेकिन पुत्र की अल्पायु की चिंता ने उस खुशी को नष्ट कर दिया। व्यापारी पहले की तरह सोमवार के दिन भगवान शिव का विधिवत व्रत करता रहा। कुछ महीनों के बाद उसके घर एक अति सुन्दर बालक ने जन्म लिया, और घर में खुशियां ही खुशियां भर गई।
बहुत धूमधाम से पुत्र जन्म का समारोह मनाया गया परन्तु व्यापारी को पुत्र-जन्म की अधिक खुशी नहीं हुई क्योंकि उसे पुत्र की अल्प-आयु के रहस्य का पता था। जब पुत्र 12 वर्ष का हुआ तो व्यापारी ने उसे उसके मामा के साथ पढ़ने के लिए वाराणसी भेज दिया। लड़का अपने मामा के साथ शिक्षा प्राप्ति हेतु चल दिया। रास्ते में जहाँ भी मामा-भांजे विश्राम हेतु रुकते, वहीं यज्ञ करते और ब्राह्मणों को भोजन कराते।
लम्बी यात्रा के बाद मामा-भांजे एक नगर में पहुंचे। उस दिन नगर के राजा की कन्या का विवाह था, जिस कारण पूरे नगर को सजाया गया था। निश्चित समय पर बारात आ गई लेकिन वर का पिता अपने बेटे के एक आंख से काने होने के कारण बहुत चिंतित था। उसे भय था कि इस बात का पता चलने पर कहीं राजा विवाह से इ���कार न कर दे।
इससे उसकी बदनामी भी होगी। जब वर के पिता ने व्यापारी के पुत्र को देखा तो उसके मस्तिष्क में एक विचार आया। उसने सोचा क्यों न इस लड़के को दूल्हा बनाकर राजकुमारी से विवाह करा दूँ। विवाह के बाद इसको धन देकर विदा कर दूंगा और राजकुमारी को अपने नगर ले जाऊंगा।
वर के पिता ने लड़के के मामा से इस सम्बन्ध में बात की। मामा ने धन मिलने के लालच में वर के पिता की बात स्वीकार कर ली। लड़के को दूल्हे का वस्त्र पहनाकर राजकुमारी से विवाह कर दिया गया।
राजा ने बहुत सारा धन देकर राजकुमारी को विदा किया। शादी के बाद लड़का जब राजकुमारी से साथ लौट रहा था तो वह सच नहीं छि��ा सका और उसने राजकुमारी के ओढ़नी पर लिख दिया: राजकुमारी, तुम्हारा विवाह मेरे साथ हुआ था, मैं तो वाराणसी पढ़ने के लिए जा रहा हूँ और अब तुम्हें जिस नवयुवक की पत्नी बनना पड़ेगा, वह काना है।
जब राजकुमारी ने अपनी ओढ़नी पर लिखा हुआ पढ़ा तो उसने काने लड़के के साथ जाने से इनकार कर दिया। राजा को जब ये सब बातें पता लगीं, तो उसने राजकुमारी को महल में ही रख लिया।
उधर लड़का अपने मामा के साथ वाराणसी पहुँच गया और गुरुकुल में पढ़ना शुरू कर दिया। जब उसकी आयु 16 वर्ष की हुई तो उसने यज्ञ किया। यज्ञ के समाप्ति पर ब्राह्मणों को भोजन कराया और खूब अन्न, वस्त्र दान किए। रात को वह अपने शयनकक्ष में सो गया। शिव के वरदान के अनुसार शयनावस्था में ही उसके प्राण-पखेड़ू उड़ गए। सूर्योदय पर मामा मृत भांजे को देखकर रोने-पीटने लगा। आसपास के लोग भी एकत्र होकर दुःख प्रकट करने लगे।
लड़के के मामा के रोने, विलाप करने के स्वर समीप से गुजरते हुए भगवान शिव और माता पार्वतीजी ने भी सुने। माता पार्वती ने भगवान से कहा: प्राणनाथ, मुझे इसके रोने के स्वर सहन नहीं हो रहे। आप इस व्यक्ति के कष्ट को अवश्य दूर करें।
भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ अदृश्य रूप में समीप जाकर देखा तो भोलेनाथ, माता पार्वती से बोले: यह तो उसी व्यापारी का पुत्र है, जिसे मैंने 16 वर्ष की आयु का वरदान दिया था। इसकी आयु पूरी हो गई है।
माँ पार्वती ने फिर भगवान शिव से निवेदन कर उस बालक को जीवन देने का आग्रह किया। माता पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव ने उस लड़के को जीवित होने का वरदान दिया और कुछ ही पल में वह जीवित होकर उठ बैठा।
शिक्षा समाप्त करके लड़का मामा के साथ अपने नगर की ओर चल दिया। दोनों चलते हुए उसी नगर में पहुँचे, जहाँ उसका विवाह हुआ था। उस नगर में भी यज्ञ का आयोजन किया। समीप से गुजरते हुए नगर के राजा ने यज्ञ का आयोजन देखा और उसने तुरंत ही लड़के और उसके मामा को पहचान लिया।
यज्ञ के समाप्त होने पर राजा मामा और लड़के को महल में ले गया और कुछ दिन उन्हें महल में रखकर बहुत-सा धन, वस्त्र आदि देकर राजकुमारी के साथ विदा कर दिया।
इधर भूखे-प्यासे रहकर व्यापारी और उसकी पत्नी बेटे की प्रतीक्षा कर रहे थे। उन्होंने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि यदि उन्हें अपने बेटे की मृत्यु का समाचार मिला तो दोनों अपने प्राण त्याग देंगे परन्तु जैसे ही उसने बेटे के जीवित वापस लौटने का समाचार सुना तो वह बहुत प्रसन्न हुआ। वह अपनी पत्नी और मित्रो के साथ नगर के द्वार पर पहुँचा।
अपने बेटे के विवाह का समाचार सुनकर, पुत्रवधू राजकुमारी को देखकर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। उसी रात भगवान शिव ने व्यापारी के स्वप्न में आकर कहा: हे श्रेष्ठी, मैंने तेरे सोमवार के व्रत करने और व्रतकथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र को लम्बी आयु ��्रदान की है। पुत्र की लम्बी आयु जानकार व्यापारी बहुत प्रसन्न हुआ।
शिव भक्त होने तथा सोमवार का व्रत करने से व्यापारी की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हुईं, इसी प्रकार जो भक्त सोमवार का विधिवत व्रत करते हैं और व्रतकथा सुनते हैं उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
पुत्र प्राप्ति की इच्छा से व्यापरी प्रत्येक सोमवार भगवान् शिव की व्रत-पूजा किया करता था और शाम के समय शिव मंदिर में जाकर शिवजी के सामने घी का दीपक जलाया करता था। उसकी भक्ति देखकर माँ पार्वती प्रसन्न हो गई और भगवान शिव से उस व्यापारी की मनोकामना पूर्ण करने का निवेदन किया।
भगवान शिव बोले: इस संसार में सबको उसके कर्म के अनुसार फल की प्राप्ति होती है। जो प्राणी जैसा कर्म करते हैं, उन्हें वैसा ही फल प्राप्त होता है।
शिवजी द्वारा समझाने के बावजूद माँ पार्वती नहीं मानी और उस व्यापारी की मनोकामना पूर्ति हेतु वे शिवजी से बार-बार अनुरोध करती रही। अंततः माता के आग्रह को देखकर भगवान भोलेनाथ को उस व्यापारी को पुत्र प्राप्ति का वरदान देना पड़ा।
वरदान देने के पश्चात् भोलेनाथ माँ पार्वती से बोले: आपके आग्रह पर मैंने पुत्र प्राप्ति का वरदान तो दे दिया परन्तु इसका यह पुत्र 16 वर्ष से अधिक समय तक जीवित नहीं रहेगा। उसी रात भगवान शिव उस व्यापारी के स्वप्न में आए और उसे पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया और उसके पुत्र के 16 वर्ष तक जीवित रहने की भी बात बताई।
भगवान के वरदान से व्यापारी को खुशी तो हुई, लेकिन पुत्र की अल्पायु की चिंता ने उस खुशी को नष्ट कर दिया। व्यापारी पहले की तरह सोमवार के दिन भगवान शिव का विधिवत व्रत करता रहा। कुछ महीनों के बाद उसके घर एक अति सुन्दर बालक ने जन्म लिया, और घर में खुशियां ही खुशियां भर गई।
बहुत धूमधाम से पुत्र जन्म का समारोह मनाया गया परन्तु व्यापारी को पुत्र-जन्म की अधिक खुशी नहीं हुई क्योंकि उसे पुत्र की अल्प-आयु के रहस्य का पता था। जब पुत्र 12 वर्ष का हुआ तो व्यापारी ने उसे उसके मामा के साथ पढ़ने के लिए वाराणसी भेज दिया। लड़का अपने मामा के साथ शिक्षा प्राप्ति हेतु चल दिया। रास्ते में जहाँ भी मामा-भांजे विश्राम हेतु रुकते, वहीं यज्ञ करते और ब्राह्मणों को भोजन कराते।
लम्बी यात्रा के बाद मामा-भांजे एक नगर में पहुंचे। उस दिन नगर के राजा की कन्या का विवाह था, जिस कारण पूरे नगर को सजाया गया था। निश्चित समय पर बारात आ गई लेकिन वर का पिता अपने बेटे के एक आंख से काने होने के कारण बहुत चिंतित था। उसे भय था कि इस बात का पता चलने पर कहीं राजा विवाह से इनकार न कर दे।
इससे उसकी बदनामी भी होगी। जब वर के पिता ने व्यापारी के पुत्र को देखा तो उसके मस्तिष्क में एक विचार आया। उसने सोचा क्यों न इस लड़के को दूल्हा बनाकर राजकुमारी से विवाह करा दूँ। विवाह के बाद इसको धन देकर विदा कर दूंगा और राजकुमारी को अपने नगर ले जाऊंगा।
वर के पिता ने लड़के के मामा से इस सम्बन्ध में बात की। मामा ने धन मिलने के लालच में वर के पिता की बात स्वीकार कर ली। लड़के को दूल्हे का वस्त्र पहनाकर राजकुमारी से विवाह कर दिया गया।
राजा ने बहुत सारा धन देकर राजकुमारी को विदा किया। शादी के बाद लड़का जब राजकुमारी से साथ लौट रहा था तो वह सच नहीं छिपा सका और उसने राजकुमारी के ओढ़नी पर लिख दिया: राजकुमारी, तुम्हारा विवाह मेरे साथ हुआ था, मैं तो वाराणसी पढ़ने के लिए जा रहा हूँ और अब तुम्हें जिस नवयुवक की पत्नी बनना पड़ेगा, वह काना है।
जब राजकुमारी ने अपनी ओढ़नी पर लिखा हुआ पढ़ा तो उसने काने लड़के के साथ जाने से इनकार कर दिया। राजा को जब ये सब बातें पता लगीं, तो उसने राजकुमारी को महल में ही रख लिया।
उधर लड़का अपने म���मा के साथ वाराणसी पहुँच गया और गुरुकुल में पढ़ना शुरू कर दिया। जब उसकी आयु 16 वर्ष की हुई तो उसने यज्ञ किया। यज्ञ के समाप्ति पर ब्राह्मणों को भोजन कराया और खूब अन्न, वस्त्र दान किए। रात को वह अपने शयनकक्ष में सो गया। शिव के वरदान के अनुसार शयनावस्था में ही उसके प्राण-पखेड़ू उड़ गए। सूर्योदय पर मामा मृत भांजे को देखकर रोने-पीटने लगा। आसपास के लोग भी एकत्र होकर दुःख प्रकट करने लगे।
लड़के के मामा के रोने, विलाप करने के स्वर समीप से गुजरते हुए भगवान शिव और माता पार्वतीजी ने भी सुने। माता पार्वती ने भगवान से कहा: प्राणनाथ, मुझे इसके रोने के स्वर सहन नहीं हो रहे। आप इस व्यक्ति के कष्ट को अवश्य दूर करें।
भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ अदृश्य रूप में समीप जाकर देखा तो भोलेनाथ, माता पार्वती से बोले: यह तो उसी व्यापारी का पुत्र है, जिसे मैंने 16 वर्ष की आयु का वरदान दिया था। इसकी आयु पूरी हो गई है।
माँ पार्वती ने फिर भगवान शिव से निवेदन कर उस बालक को जीवन देने का आग्रह किया। माता पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव ने उस लड़के को जीवित होने का वरदान दिया और कुछ ही पल में वह जीवित होकर उठ बैठा।
शिक्षा समाप्त करके लड़का मामा के साथ अपने नगर की ओर चल दिया। दोनों चलते हुए उसी नगर में पहुँचे, जहाँ उसका विवाह हुआ था। उस नगर में भी यज्ञ का आयोजन किया। समीप से गुजरते हुए नगर के राजा ने यज्ञ का आयोजन देखा और उसने तुरंत ही लड़के और उसके मामा को पहचान लिया।
यज्ञ के समाप्त होने पर राजा मामा और लड़के को महल में ले गया और कुछ दिन उन्हें महल में रखकर बहुत-सा धन, वस्त्र आदि देकर राजकुमारी के साथ विदा कर दिया।
इधर भूखे-प्यासे रहकर व्यापारी और उसकी पत्नी बेटे की प्रतीक्षा कर रहे थे। उन्होंने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि यदि उन्हें अपने बेटे की मृत्यु का समाचार मिला तो दोनों अपने प्राण त्याग देंगे परन्तु जैसे ही उसने बेटे के जीवित वापस लौटने का समाचार सुना तो वह बहुत प्रसन्न हुआ। वह अपनी पत्नी और मित्रो के साथ नगर के द्वार पर पहुँचा।
अपने बेटे के विवाह का समाचार सुनकर, पुत्रवधू राजकुमारी को देखकर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। उसी रात भगवान शिव ने व्यापारी के स्वप्न में आकर कहा: हे श्रेष्ठी, मैंने तेरे सोमवार के व्रत करने और व्रतकथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र को लम्बी आयु प्रदान की है। पुत्र की लम्बी आयु जानकार व्यापारी बहुत प्रसन्न हुआ।
शिव भक्त होने तथा सोमवार का व्रत करने से व्यापारी की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हुईं, इसी प्रकार जो भक्त सोमवार का विधिवत व्रत करते हैं और व्रतकथा सुनते हैं उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
0 notes
newswave-kota · 1 year ago
Text
अपने बच्चों को कार नहीं, अच्छे संस्कार दें -पं.प्रदीप मिश्रा
Tumblr media
शिव महापुराण कथा के द्वितीय सोपान में उमड़ा शिव भक्तों का सैलाब न्यूजवेव @कोटा  कुबेरेश्वर धाम, सीहोर के आचार्य पंडित प्रदीप मिश्रा ने सोमवार को शिव महापुराण कथा के दूसरे सोपान में कहा कि आज के समय में माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी कार देने से पहले अच्छे संस्कार देना शुरू करें। क्योंकि जिस भूमि पर पानी की कमी होती है,वहां फसल बिगड़ जाती है, उसी तरह जहां संस्कार की कमी होती है वहां नस्ल बिगड़ जाती है। दशहरा मैदान में श्रद्धालुओं से खचाखच भरे पांडाल में पं.मिश्रा ने कहा कि आज हर मां चाहती है, मेरा बेटा पढ लिखकर डॉक्टर, इंजीनियर, सीए या कलेक्टर जैसा बने लेकिन कोई मां यह नहीं कहती कि मेरा बेटा या बेटी मीरा, कर्माबाई, संत तुकाराम, नरसिंह मेहता या रामकृष्ण परमहंस जैसा बने। अपने बच्चों को ऐसे संस्कार दो कि वे बुढापे में एक गिलास पानी तो अपने हाथ से पिला सके। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं विधायक संदीप शर्मा को बधाई दी कि उन्होंने श्राद्ध पक्ष में कोटा में शिव महापुराण कथा आयोजित कर बहुत पुण्य कमाया है। जीवन में दिखावे की दौड़ से दूर भक्ति के पथ पर चलते रहे तो वास्तविक आनंद मिलेगा। उन्होंने कहा कि व्रत की प्रबलता किसी दिखावे से नहीं होती है। महादेव में अपने भरोसे का पक्का कर लो, फिर एक व्रत भी करोगे तो उसका फल अवश्य मिलेगा। श्राद्ध पक्ष में ‘विष कपि' का विशेष महत्व  आचार्य पं.प्रदीप मिश्रा ने शिवभक्तों से कहा कि श्राद्ध पक्ष में 12 या 13 अक्टूबर को महाशिवरात्रि के दिन एक श्वेत पुष्प और एक लौटा जल महादेव का चढ़ा देना, आपकी मनोकामना अगले तीन माह में पूर्ण हो जायेगी। हनुमानजी के पूर्व अवतार ‘विष कपि’ का प्रसंग सुनाते हुये उन्होंने कहा कि भगवान शंकर और नारायण ने मिलकर एक शरीर के रूप में ‘विष कपि’ बनकर असुर का वध किया था। शिव महापुराण में उल्लेख है कि 16 दिन के श्राद्ध में किसी एक दिन रोटी के साथ गुड़ व खीर रखकर मन में ‘विष कपि’ जपते हुये दरवाजे के बाहर गाय को खिला दें। आपके परिवार में ��न-सम्पदा की कभी कमी नहीं होगी। बच्चों की सफलता के लिये यह उपाय करें  आचार्य मिश्रा ने कहा कि पितृ पक्ष की तीन बेटियां मैना, धन्या व कला थी। उनका स्मरण श्राद्ध पक्ष में करना चाहिये। आजकल बच्चों द्वारा तनाव से प्राण त्याग देना श्रेष्ठता नहीं है। आप पढाई के साथ बाबा पर भी विश्वास रखो। एक लौटा जल हर समस्या का हल है, यह भाव रखकर पक्की मेहनत करें। प्रत्येक मां परीक्षा में अपने बच्चे की सफलता के लिये तीन श्वेत पुष्प व तीन ���ाना चांवल एक कटोरी में लेकर घर के दरवाजे के अंदर रखे फिर इनको पितृों की तीनों बेटियों मैना, धन्या व कला एवं अपने बच्चे का नाम लेकर शिव मंदिर में अशोक सुंदरी पर समर्पित कर दें, बाबा की कृपा से परीक्षा परिणाम आपके पक्ष में ही आयेगा। वीआईपी नहीं, भक्त बनकर कथा सुनें
Tumblr media
कथास्थल पर हजारों श्रद्धाुलओं को हो रही परेशानी पर उन्होंने कहा कि शिव महापुराण कथा में वीआईपी बनने का प्रयास नहीं करें। जो वीआईपी बनकर आते हैं, वे कथा बिगाडने आते हैं। मैदान में व धूप में शांत भाव से बैठे भक्तों को होने वाली परेशानियों को दूर करने का प्रयास करें। दशहरा मैदान के कई मुख्य द्वार बंद रखने पर भी उन्होंने कटाक्ष किया। सोमवार को बार-बार एलईडी एवं माइक खराब हो जाने से पं. मिश्रा को प्रवचन करते समय भी व्यवधान हुआ। महिलाओं ने खडे होकर इन अव्यवस्थाओं पर अपना विरोध जताया। उन्होंने कहा कि आयोजन समिति के कार्यकर्ता व्यवस्थायें छोड वीआईपी बनकर बैठ गये। पुलिस ने पासधारकों को भी प्रवेश नहीं करने दिया। Read the full article
0 notes
astroclasses · 1 year ago
Link
0 notes
abhinews1 · 2 years ago
Text
आचार्य हरिओम त्रिपाठी से जाने चैत्र नवरात्री में घट स्थापना-मुहूर्त एवं पूजन विधि
Tumblr media
आचार्य हरिओम त्रिपाठी से जाने चैत्र नवरात्री में घट स्थापना-मुहूर्त एवं पूजन विधि
प्रतिवर्ष की भांति इसवर्ष भी हिंदुओ के प्रमुख त्योहारो में से एक चैत्र नवरात्रि चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाएगा। इस वर्ष 2023 में चैत्र नवरात्रों का आरंभ 22 मार्च (बुधवार) से होगा और 30 मार्च तक व्रत उपासना का पर्व मनाया जाएगा। इस बार किसी भी तिथि का क्षय नहीं होने से नवरात्र का महोत्सव पूरे नौ दिन का होगा तथा 31 मार्च दशमी के दिन श्रीदुर्गा विसर्जन किया जाएगा। दुर्गा पूजा का आरंभ घट स्थापना से शुरू हो जाता है अत: यह नवरात्र घट स्थापना प्रतिपदा तिथि को 22 मार्च (बुधवार) के दिन की जाएगी।इस बार नवरात्रि महासंयोग लेकर आ रही है। इस बार नवरात्रों में शुभ योग बन रहा है |इस बार मां का आगमन (नौका) नाव पर हो रहा है। देवी भागवत में नवरात्रि के प्रारंभ व समापन के वार अनुसार माताजी के आगमन प्रस्थान के वाहन इस प्रकार बताए गए हैं: आगमन वाहन "शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥" देवीभाग्वत पुराण के इस श्लोक में बताया गया है कि माता का वाहन क्या होगा यह दिन के अनुसार तय होता है। अगर नवरात्र का आरंभ सोमवार या रविवार को हो रहा है तो माता का आगमन हाथी पर होगा। शनिवार और मंगलवार को माता का आगमन होने पर ��नका वाहन घोड़ा होता है। गुरुवार और शुक्रवार को आगमन होने पर माता डोली में आती हैं जबकि बुधवार को नवरात्र का आरंभ होने पर माता का वाहन नाव होता है। माँ के वाहन का फल इन तथ्यों को बाकायदा देवी भागवत के एक श्लोक के जरिए बताया गया है। शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकी‌र्त्तिता ।। अर्थात जब मां हाथी पर सवार होकर धरती पर आती हैं तो ज्यादा पानी बरसता है, घोड़े पर सवार होकर आती हैं तो युद्ध के हालात पैदा होते हैं, नौका पर सवार होकर आती हैं तो सब अच्छा होता है और शुभ फलदायी होता है। अगर मां डोली में बैठकर आती हैं तो महामारी, संहार का अंदेशा होता है। प्रस्थान वाहन देवीभाग्वत पुराण में बताया गया है कि "शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा, शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला। बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा, सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥ इस श्लोक से स्पष्ट है कि इस वर्ष माता (गज) हाथी वाहन पर जा रही हैं। माँ के प्रस्थान वाहन का फल रविवार या सोमवार को देवी मां भैंसे की सवारी से प्रस्थान करती हैं तो देश में रोग और शोक बढ़ता है।शनिवार या मंगलवार को देवी मां मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं तो जनता में दुख और कष्ट बढ़ता है |बुधवार या शुक्रवार को देवी मां हाथी पर सवार होकर विदा लेती हैं तो ज्यादा बारिश ज्यादा होती है।गुरुवार को मां दुर्गा मनुष्य की सवारी से जाती हैं और इसका तात्पर्य ये हुआ कि मनुष्यता बढ़ेगी, सुख शांति बनी रहेगी। साधक भाई बहन जो ब्राह्मण द्वारा पूजन करवाने में असमर्थ है एवं जो सामर्थ्यवान होने पर भी समयाभाव के कारण पूजा नही कर पाते उनके लिये अत्यंत साधरण लौकिन मंत्रो से पंचोपचार विधि द्वारा सम्पूर्ण पूजन विधि बताई जा रही है आशा है आप सभी साधक इसका लाभ उठाकर माता के कृपा पात्र बनेंगे। घट स्थापना एवं माँ दुर्गा पूजन शुभ मुहूर्त नवरात्रि में घट स्थापना का बहुत महत्त्व होता है। कलश को सुख समृद्धि , ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है। कलश के मुख में भगवान विष्णु , गले में रूद्र , मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है। नवरात्री के समय ब्रह्माण्ड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की सभी विपदा दायक तरंगें नष्ट हो जाती है तथा घर में सुख शांति तथा समृद्धि बनी रहती है। नवरात्री की पहली तिथि पर सभी भक्त अपने घर के मंदिर में कलश स्थापना करते हैं। इस कलश स्थापना की भी अपनी एक विधि, एक मुहूर्त होता है। परंतु चैत्र शुक्ल प्रतिपदा स्वयं सिद्ध साढ़े तीन मुहूर्त में से प्रथम है इसलिये इस दिन किसी भी प्रकार के मुहूर्त देखने की ��वश्यकता नही होती फिर भी संभव हो तो इस वर्ष घट स्थापना प्रातः 06 बजकर 23 मिनट से लेकर 07 बजकर 32 मिनट तक कर लें। यह घटस्थापना मुहूर्त, द्वि-स्वभाव मीन लग्न के समय है। इसके पश्चात केवल राहुकाल के समय दिन 12:24 से 01:55 तक के समय को छोड़कर अपनी सुविधानुसार दिन में कभी भी घटस्थापना की जा सकती है। शारदीय नवरात्रि 2023 की महत्वपूर्ण तारीखें 1 22 मार्च बुधवार - प्रतिपदा - पहला दिन, घट या कलश स्थापना। इस दिन माता दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा होगी। 2 23 मार्च गुरुवार- द्वितीया - दूसरा दिन। इस दिन माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। 3 24 मार्च शुक्रवार- तृतीया - तीसरा दिन। इस दिन दुर्गा जी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाएगी। 4 25 मार्च शनिवार- चतुर्थी - चौथा दिन। माता दुर्गा के कुष्मांडा स्वरुप की पूजा-अर्चना होगी। 5 26 मार्च रविवार- पंचमी - पांचवां दिन- इस दिन मां भगवती के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। 6 27 मार्च सोमवार- षष्ठी- छठा दिन- इस दिन माता दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती है। 7 28 मार्च मंगलवार- सप्तमी- सातवां दिन- इस दिन माता दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की आराधना की जाती है। 8 29 मार्च बुधवार- अष्टमी - आठवां दिन- दुर्गा अष्टमी पूजन। इस दिन माता दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है। 9 30 मार्च गुरुवार- नवमी - नौवां दिन- इस दिन माता के सिद्धिदात्री स्वरुप की पूजन तथा नवमी हवन होगा, नवरात्रि पारण। 10 31 मार्च शुक्रवार- दशमी के दिन जिन लोगों ने माता दुर्गा की प्रतिमाओं की स्थापना की होगी, वे विधि विधान से माता का विसर्जन करेंगे। घट स्थापना एवं दुर्गा पूजन की सामग्री जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र। यह वेदी कहलाती है।  जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिटटी जिसमे कंकर आदि ना हो।  पात्र में बोने के लिए जौ ( गेहूं भी ले सकते है )। घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश ( सोने, चांदी या तांबे का कलश भी ले सकते है )।  कलश में भरने के लिए शुद्ध जल।  नर्मदा या गंगाजल या फिर अन्य साफ जल।  रोली,मौली।  इत्र, पूजा में काम आने वाली साबुत सुपारी, दूर्वा, कलश में रखने के लिए सिक्का ( किसी भी प्रकार का कुछ लोग चांदी या सोने का सिक्का भी रखते है )।  पंचरत्न ( हीरा , नीलम , पन्ना , माणक और मोती )।  पीपल , बरगद , जामुन , अशोक और आम के पत्ते ( सभी ना मिल पायें तो कोई भी दो प्रकार के पत्ते ले सकते है )।  कलश ढकने के लिए ढक्कन ( मिट्टी का या तांबे का )।  ढक्कन में रखने के लिए साबुत चावल।  नारियल, लाल कपडा, फूल माला,फल तथा मिठाई, दीपक , धूप , अगरबत्ती। भगवती मंडल स्थापना विधि जिस जगह पुजन करना है उसे एक दिन पहले ही साफ सुथरा कर लें। गौमुत्र गंगाजल का छिड़काव कर पवित्र कर लें। सबसे पहले गौरी-गणेश जी का पुजन करें। भगवती का चित्र बीच में उनके दाहिने ��र हनुमान जी और बायीं ओर बटुक भैरव को स्थापित करें। भैरव जी के सामने शिवलिंग और हनुमान जी के बगल में रामदरबार या लक्ष्मीनारायण को रखें। गौरी गणेश चावल के पुंज पर भगवती के समक्ष स्थ���न दें। मैं एक चित्र बना कर संलग्न किये दे रहा हूं कि कैसे रखना है सारा चीज। मैं एक एक कर विधि दे रहा हूं। आप बिल्कुल आराम से कर सकेंगे। दुर्गा पूजन सामग्री पंचमेवा पंच​मिठाई रूई कलावा, रोली, सिंदूर, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, 5 सुपारी, लौंग,  पान के पत्ते 5 , घी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत ( दूध, दही, घी, शहद, शर्करा ), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी की गांठ , अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, , आरती की थाली. कुशा, रक्त चंदन, श्रीखंड चंदन, जौ, ​तिल, माँ की प्रतिमा, आभूषण व श्रृंगार का सामान, फूल माला। गणपति पूजन विधि किसी भी पूजा में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है.हाथ में पुष्प लेकर गणपति का ध्यान करें। गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्। आवाहन:👉  हाथ में अक्षत लेकर आगच्छ देव देवेश, गौरीपुत्र ​विनायक। तवपूजा करोमद्य, अत्रतिष्ठ परमेश्वर॥ ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः इहागच्छ इह तिष्ठ कहकर अक्षत गणेश जी पर चढा़ दें। हाथ में फूल लेकर ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः आसनं समर्पया​मि, अर्घ्य👉 अर्घा में जल लेकर बोलें ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः अर्घ्यं समर्पया​मि, आचमनीय-स्नानीयं👉  ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः आचमनीयं समर्पया​मि वस्त्र👉  लेकर ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः वस्त्रं समर्पया​मि, यज्ञोपवीत👉 ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः यज्ञोपवीतं समर्पया​मि, पुनराचमनीयम्👉 दोबारा पात्र में जल छोड़ें। ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः  रक्त चंदन लगाएं:👉  इदम रक्त चंदनम् लेपनम्  ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः , इसी प्रकार श्रीखंड चंदन बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं। इसके पश्चात सिन्दूर चढ़ाएं "इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः, दूर्वा और विल्बपत्र भी गणेश जी को चढ़ाएं। पूजन के बाद गणेश जी को प्रसाद अर्पित करें: ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः इदं नानाविधि नैवेद्यानि समर्पयामि, मिष्ठान अर्पित करने के लिए मंत्र👉 शर्करा खण्ड खाद्या​नि द​धि क्षीर घृता​नि च, आहारो भक्ष्य भोज्यं गृह्यतां गणनायक। प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें। इदं आचमनीयं ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः इसके बाद पान सुपारी चढ़ायें👉 ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः ताम्बूलं समर्पयामि। अब फल लेकर गणपति को चढ़ाएं ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः फलं समर्पयामि, अब दक्षिणा चढ़ाये ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः द्रव्य दक्षिणां समर्पया​मि, अब ​विषम संख्या में दीपक जलाकर ​निराजन करें और भगवान की आरती गायें। हाथ में फूल लेकर गणेश जी को अर्पित करें, ​फिर तीन प्रद​क्षिणा करें। इसी प्रकार से अन्य सभी देवताओं की पूजा करें। जिस देवता की पूजा करनी हो गणेश के स्थान पर उस देवता का नाम लें। घट स्थापना एवं दुर्गा पूजन की विधि सबसे पहले जौ बोने के लिए एक ऐसा पात्र लें जिसमे कलश रखने के बाद भी आस पास जगह रहे। यह पात्र मिट्टी की थाली जैसा कुछ हो तो श्रेष्ठ होता है। इस पात्र में जौ उगाने के लिए मिट्टी की एक परत बिछा दें। मिट्टी शुद्ध होनी चाहिए । पात्र के बीच में कलश रखने की जगह छोड़कर बीज डाल दें। फिर एक परत मिटटी की बिछा दें। एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं। अब इस पर जल का छिड़काव करें। कलश तैयार करें। कलश पर स्वस्तिक बनायें। कलश के गले में मौली बांधें। अब कलश को थोड़े गंगा जल और शुद्ध जल से पूरा भर दें। कलश में साबुत सुपारी , फूल और दूर्वा डालें। कलश में इत्र , पंचरत्न तथा सिक्का डालें। अब कलश में पांचों प्रकार के पत्ते डालें। कुछ पत्ते  थोड़े बाहर दिखाई दें इस प्रकार लगाएँ। चारों तरफ पत्ते लगाकर ढ़क्कन लगा दें। इस ढ़क्कन में अक्षत यानि साबुत चावल भर दें। नारियल तैयार करें। नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर मौली बांध दें। इस नारियल को कलश पर रखें। नारियल का मुँह आपकी तरफ होना चाहिए। यदि नारियल का मुँह ऊपर की तरफ हो तो उसे रोग बढ़ाने वाला माना जाता है। नीचे की तरफ हो तो शत्रु बढ़ाने वाला मानते है , पूर्व की और हो तो धन को नष्ट करने वाला मानते है। नारियल का मुंह वह होता है जहाँ से वह पेड़ से जुड़ा होता है। अब यह कलश जौ उगाने के लिए तैयार किये गये पात्र के बीच में रख दें। अब देवी देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि ” हे समस्त देवी देवता आप सभी नौ दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों “। आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवता गण कलश में विराजमान है। कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें , अक्षत चढ़ाएं , फूल माला अर्पित करें , इत्र अर्पित करें , नैवेद्य यानि फल मिठाई आदि अर्पित करें। घट स्थापना या कलश स्थापना के बाद दुर्गा पूजन शुरू करने से पूर्व चौकी को धोकर माता की चौकी सजायें। आसन बिछाकर गणपति एवं दुर्गा माता की मूर्ति के सम्मुख बैठ जाएं. इसके बाद अपने आपको तथा आसन को इस मंत्र से शुद्धि करें  "ॐ अपवित्र : पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि :॥" इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगायें  नीचे दिए मंत्र से आचमन करें - ॐ केशवाय नम: ॐ नारायणाय नम:, ॐ माधवाय नम:, ॐ गो​विन्दाय नम:, फिर हाथ धोएं, पुन: आसन शुद्धि मंत्र बोलें :- ॐ पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥ शुद्धि और आचमन के बाद चंदन लगाना चाहिए. अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए यह मंत्र बोलें- चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा।  दुर्गा पूजन हेतु संकल्प पंचोपचार करने बाद किसी भी पूजन को आरम्भ करने से पहले पूजा की पूर्ण सफलता के लिये संकल्प करना चाहिए. संकल्प में पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प मंत्र बोलें : ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ॐ अद्य  ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2077, तमेऽब्दे प्रमादि नाम संवत्सरे श्रीसूर्य दक्षिणायने दक्षिण गोले शरद ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे आश्विन मासे शुक्ल पक्षे प्र​तिपदायां तिथौ शनि वासरे (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया- श्रुतिस्मृत्योक्तफलप्राप्त्यर्थं मनेप्सित कार्य सिद्धयर्थं श्री दुर्गा पूजनं च अहं क​रिष्ये। तत्पूर्वागंत्वेन ​निर्विघ्नतापूर्वक कार्य ​सिद्धयर्थं यथा​मिलितोपचारे गणप​ति पूजनं क​रिष्ये। दुर्गा पूजन विधि सबसे पहले माता दुर्गा का ध्यान करें- सर्व मंगल मागंल्ये ​शिवे सर्वार्थ सा​धिके । शरण्येत्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥ आवाहन👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। दुर्गादेवीमावाहया​मि॥ आसन👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। आसानार्थे पुष्पाणि समर्पया​मि॥ अर्घ्य👉  श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। हस्तयो: अर्घ्यं समर्पया​मि॥ आचमन👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। आचमनं समर्पया​मि॥ स्नान👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। स्नानार्थं जलं समर्पया​मि॥ स्नानांग आचमन- स्नानान्ते पुनराचमनीयं जलं समर्पया​मि। स्नान कराने के बाद पात्र में आचमन के लिये जल छोड़े। पंचामृत स्नान👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। पंचामृतस्नानं समर्पया​मि॥ पंचामृत स्नान कराने के बाद पात्र में आचमन के लिये जल छोड़े। गन्धोदक-स्नान👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। गन्धोदकस्नानं समर्पया​मि॥ गंधोदक स्नान (रोली Read the full article
0 notes
indlivebulletin · 9 days ago
Text
Dharma Desk: सोमवार के दिन पूजा के दौरान अपनी राशि के अनुसार इन मंत्रों का जाप करें, सभी रुके हुए काम पूरे होंगे
सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को प्रिय है। इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है। साथ ही सोमवार का व्रत भी रखा जाता है. भगवान शिव की पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। शिव पुराण में बताया गया है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को वर के रूप में पाने के लिए सोलह सोमवार का व्रत किया था। इसी व्रत के पुण्य से माता पार्वती का विवाह भगवान शिव से हुआ। इसलिए भक्त…
0 notes
astrovastukosh · 3 months ago
Text
Tumblr media
*🌞~ आज दिनांक - 9 सितम्बर 2024 का वैदिक और सटीक गणना सहित हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 9 सितम्बर 2024*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - षष्ठी रात्रि 09:53 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - विशाखा शाम 06:04 तक तत्पश्चात अनुराधा*
*⛅योग - वैधृति रात्रि 12:33 सितम्बर 10 तक तत्पश्चात विष्कम्भ*
*⛅राहु काल - प्रातः 07:57 से प्रातः 09:31 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:24*
*⛅सूर्यास्त - 06:49*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:38 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 01:01 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:14 सितम्बर 10 से रात्रि 01:00 सितम्बर 10 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - स्कन्द षष्ठी, सर्वार्थ सिद्धि योग (शाम 06:04 से प्रातः 06:25 सितम्बर 10 तक)*
*⛅विशेष - षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
#akshayjamdagni #astrovastukosh #astroakshay #hindu
#ujjain
#panchang
#mahakal
#mahadev #followme #likes #followme
#follow4followback #WhatsApp
0 notes
bnnbharat · 3 years ago
Text
श्रावण / सावन का महीना
श्रावण / सावन का महीना
भोलेनाथ को सबसे प्रिय है यह महीना। महादेव ने स्वयं कहा है— द्वादशस्वपि मासेषु श्रावणो मेऽतिवल्लभ: । श्रवणार्हं यन्माहात्म्यं तेनासौ श्रवणो मत: ।। श्रवणर्क्षं पौर्णमास्यां ततोऽपि श्रावण: स्मृत:। यस्य श्रवणमात्रेण सिद्धिद: श्रावणोऽप्यत: ।। अर्थात मासों में श्रावण मुझे अत्यंत प्रिय है। इसका माहात्म्य सुनने योग्य है अतः इसे श्रावण कहा जाता है। इस मास में श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है इस…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
jeevanjali · 7 months ago
Text
Somwar Ke Upay: पाना चाहते हैं मनचाहा वर तो सोमवार के दिन जरूर करें ये उपायSomwar Ke Upay: सनातन ���र्म में सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल पाने के लिए सोमवार का व्रत भी किया जाता है। इस व्रत के पुण्य से ��िवाहितों के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
0 notes
ragbuveer · 1 year ago
Text
*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (द्वादशी तिथि तिथि, सोम प्रदोष व्रत)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_जी
#bageshwardhamsarkardivyadarbar
#kedarnath
#badrinath
#JaiShriRam
#yogi
#jodhpur
#udaipur
#RSS
#rajasthan
#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*🚩पवित्र श्रावण मास के आठवें सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएं🚩*
दिनांक :-28-अगस्त-2023
वार:-------सोमवार
तिथी:-----12द्वादशी:-18:23
माह:------द्बितीय श्रावण
पक्ष:------शुक्लपक्ष
नक्षत्र:------उत्तराषाढ:-02:43
योग :---------आयुष्मान:-09:56
करण:-----बव:-08:01
चन्द्रमा:------धनु :-10:40/मकर
सुर्योदय:------06:19
सुर्यास्त:------18:58
दिशा शूल------पूर्व
निवारण उपाय:---दर्पण देखकर
ऋतु:-------------वर्षा-शरद ऋतु
गुलिक काल:---14:06से 15:42
राहू काल:------07:42से 09:18
अभीजित-------12:00से12:55
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
.युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:-------पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
अमृत:-06:19से07:52तक
शुभ:-09:28से11:03तक
चंचल:-14:13से15:48तक
लाभ:-15:48से17:24तक
अमृत:-17:24से18:58तक
🌓चोघङिया ��ात🌗
चंचल:-18:58से20:24तक
लाभ:-23:15से00:40तक
शुभ:-02:05से03:30तक
अमृत:-03:30से04:55तक
चंचल:-04:55से06:19तक
आज के विशेष योग
वर्ष का159वा दिन, द्वादशी प्रदोष व्रत,सर्वार्थ सिद्धि योग 02:43से05:52अमृत काल 21:00से22:25, दामोदर धुंध द्वादशी
🙏👉वास्तु टिप्स👈🙏
शिवजी को गंगाजल अर्पित करें।
*सुविचार*
पैसा और शरीर का कभी घमंड ना करना, क्यों की मौत आने से पहले ओ.टी.पी.नही भेजती।👍🏻 राधे राधे...
🐑🐂आज का राशिफल🐊🐬
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन आपके लिए विशेष शुभ रहेगा। धन लाभ के साथ-साथ संबंधों में भी निकटता का अहसास होगा। व्यवसाय क्षेत्र पर भी सहयोगी वातावरण मिलने से निश्चित समय पर कार्य पूर्ण कर लेंगे। पूर्व नियोजित कार्यो के अलावा भी अन्य आय के स्त्रोत्र बनेंगे। आज आपके व्यवहार से कुछ ऐसे संबंध बनेंगे जिनसे लंबे समय तक लाभ प्राप्त किया जा सकेगा। घर मे अविवाहितों के लिए रिश्ते आएंगे लेकिन पक्के होने में संशय रहेगा। मनपसंद भोजन वस्त्र एवं अन्य सुख मिलने से प्रसन्नचित रहेंगे।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन भी आपके लिए लाभदयक रहेगा फिर भी ध्यान रखें आज किसी के गलत मार्गदर्शन अथवा गलतफहमी में पड़ने से लाभ के अवसर किसी अन्य के पास भी जा सकते है। धन लाभ भी आपके परिश्रम की तुलना में अधिक हो सकता है परंतु इसके लिए कार्य क्षेत्र पर अनर्गल बातो को छोड़ लक्ष्य को केंद्रित रकह कार्य करें। दैनिक उपभोग के खर्च आसानी से निकल जाएंगे। आज कोई आपकी भावुकता का गलत फायदा भी उठा सकता है। आंख बंद कर किसी पर विश्वास ना करें। लंबी यात्रा की योजना बनेगी।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आपका आज का दिन भी अशुभ रहने से अधिक सावधानी बरतने की सलाह है। सेहत का आज विशेष ध्यान रखें परिवार में बीमारी का प्रकोप अथवा अन्य आकस्मिक दुर्घटना होने की संभावना है। दवाओं पर भी आज अतिरिक्त खर्च करना पड़ सकता है। भोजन की असंयमितता पेट खराबी का कारण बनेगी। कार्य व्यवसाय से भी आज किसी की खुशामद के बाद ही लाभ के योग बन पाएंगे। पारिवारिक वातावरण आज अस्त-व्यस्त अधिक रहेगा। विद्यार्थी वर्ग पढ़ाई में आना-कानी करेंगे।
��र्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज आप कार्यो में व्यस्त रहने के बाद भी दिन का भरपूर आनंद उठाएंगे। मन इच्छित कार्य होने से हास-परिहास का वातावरण बना रहेगा। कार्य-व्यवसाय में थोड़ा अधिक परिश्रम करना पड़ेगा लेकिन इसका उचित लाभ भी अवश्य मिलेगा। कार्य स्थल पर लोगो को आपकी कार्य शैली पसंद आएगी अधिकारी वर्ग भी आप पर कृपा दृष्टि बनाये रखेंगे। आपकी आवश्यकता लोगो को आज अधिक रहने से सम्मान के साथ धन लाभ के अवसर भी मिलते रहंगे। गृहस्थ में पूर्ण ध्यान नही देने से किसी की नाराजगी देखनी पड़ेगी लेकिन कुछ समय के लिए ही।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन मिश्रित फलदायी रहेगा। दिन के आरंभ में दैनिक कार्यो को पूर्ण करने की जल्दी में कुछ हानि हो सकती है। इसके बाद का समय अधूरे कार्यो को पूर्ण करने में बीतेगा मध्यान तक परिश्रम का फल ना मिलने से निराशा रहेगी परन्तु संध्या के समय धन की आमद होने लगेगी व्यवसाय में आज विस्तार ना करें निवेश भी सोच समझ कर ही करें। नौकरी पेशा जातक कार्यभार बढ़ने से थकान अनुभव करेंगे। घर मे मांगलिक आयोजन हो सकता है। कुछ मतभेद के बाद भी शांति बनी रहेगी।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आप किसी ना किसी उलझन में फंसे रहेंगे। दिन का अधिकांश समय अनर्गल कार्यो में बर्बाद होगा। लोग आपके मन के विपरीत कार्य करवाने को बाध्य करेंगे जिसमें निकट भविष्य में हानि ही होगी। कार्य व्यवसाय में देरी के कारण सौदे निरस्त हो सकते है। आज किसी पारिवारिक सदस्य के गलत आचरण के कारण सम्मान में कमी आने की भी संभावना है। क्रोध पर नियंत्रण अतिआवश्यक है वरना उलझने कम होने की जगह ज्यादा गंभीर बनेंगी। धन लाभ आकस्मिक लेकिन अल्प मात्रा में ही होगा।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन आप कार्य-व्यवसाय में असहयोग की स्थिति बनने पर उग्र हो सकते है। सहयोगी आवश्यक कामो में लापरवाही दिखाएंगे। सभी महत्त्वपूर्ण निर्णय आपको स्वयं ही लेने पड़ेंगे जिससे कुछ समय के लिए असमंजस की स्थिति बनेगी फिर भी इससे किसी वरिष्ठ के सहयोग से बाहर निकल सकेंगे। धन लाभ आज आवश्यकता अनुसार लेकिन प्रयत्न करने पर ही होगा। आज आप पुरानी स्मृतियां ताजा होने से कुछ समय के लिए काल्पनिक दुनिया मे भी खोये रहेंगे। दाम्पत्य जीवन मे अहम के कारण खटास आ सकती है।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आपक�� आर्थिक रूप से सबल बनाने में सहयोग करेगा। व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा आज कुछ कम रहेगी जिसका फायदा अवश्य उठाएंगे। नौकरी पेशा जातको को अधिकारी वर्ग का प्रोत्साहन मिलने से आत्मविश्वास बढ़ेगा। आज आप स्वयं के कार्य के साथ ही परिचितों के कार्यो में भी सहयोग करेंगे। घर एवं बाहर के लोग आपकी प्रसंशा अवश्य करेंगे। सरकारी अथवा पैतृक संबंधित मामलों में विजय के साथ ही भविष्य के लिए लाभ सुनिश्चित होगा। गृहस्थ जीवन मे थोड़ा उतार चढ़ाव लगा रहेगा फिर भी संतोष की अनुभूति होगी।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आप अधिकांश कार्यो में लापरवाही दिखाएंगे जिससे उचित लाभ मिलने में विलंब के साथ ही कमी भी आएगी। स्वयं का काम छोड़ अन्य लोगो के कार्य मे रुचि लेना हानि कराएगा। किसी के झगड़े में टांग ना अड़ाए मान हानि हो सकती है। आर्थिक उलझने किसी के टोकने पर ही परेशान करेंगी अन्य समय इनको लेकर भी बेपरवाह ज्यादा रहेंगे। घर मे किसी सदस्य के मनमाने व्यवहार के कारण माहौल थोड़ा गरम हो सकता है। शारीरिक स्फूर्ति आज कम रहेगी।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन आपकी मनोवृति सुखोपभोग की अधिक रहेगी जिस वजह से कार्य क्षेत्र पर पूर्ण ध्यान नही दे पाएंगे फिर भी आज धन लाभ के अवसर मिलते रहेंगे। जिस भी कार्य को करने का मन बनाएंगे उनके निर्णय आरंभिक व्यवधान के बाद आपके ही पक्ष में रहेंगे। सरकारी कार्यो भी आज किसी के सहयोग मिलने से आगे बढ़ेंगे। सार्वजनिक कार्यो में अरुचि रहेगी। लंबी धार्मिक तीर्थ स्थानों की यात्रा के प्रसंग बन सकते है। पारिवारिक वातावरण लगभग सामान्य ही रहेगा। संतानो के ऊपर खर्च होगा।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आपका आज का दिन भी विषम परिस्थितियों वाला रहेगा। दिन के आरंभ में ही कोई अशुभ समाचार मिलने से मन हताश रहेगा। कार्य व्यवसाय में से भी आज निराशा ही हाथ लगेगी। ध्यान रहे आज धन लाभ के लिए किसी के सहयोग एवं मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ेगी इसलिए रूखे व्यवहार से बचें आज आप केवल व्यवहारिकता के बल पर ही लाभ कमा सकते है। घर मे भी किसी सदस्य के हाथ नुकसान होने की संभावना है इसको अनदेखा करना ही बेहतर रहेगा अन्यथा पहले से ही उग्र वातावरण अधिक गंभीर हो सकता है।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपको आकस्मिक धन लाभ कराएगा। आज जिन कार्यो अथवा व्यवहारों से उम्मीद नही रहेगी उनसे भी आकस्मिक लाभ होने की संभावना है। व्यवहार में थोड़ी चंचलता रहने से आस-पास के लोग असहज अनुभव करेंगे फिर भी मसखरा स्वभाव आपकी उदंडता पर पर्दा डालेगा। पारिवारिक सदस्य तीर्थ स्थल की यात्रा पर जाने की योजना बनाएंगे इसके लिए अधिक खर्च भी करना पड़ेगा। आज सामर्थ्य से अधिक खर्च करने पर आर्थिक उलझनों में पड़ सकते है। कार्य व्यवसाय में शुरुआती मंदी के बाद गति आएगी धन लाभ प्रचुर मात्रा में होगा।
〰️〰️〰️〰️।। राधे राधे।।〰️〰️〰️〰️〰️
Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media
0 notes