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#सेब का सिरका कैसे लें
mwsnewshindi · 2 years
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क्या सेब का सिरका वसायुक्त यकृत के प्रबंधन के लिए सुरक्षित है - बरते जाने वाली सावधानियों की जाँच करें
क्या सेब का सिरका वसायुक्त यकृत के प्रबंधन के लिए सुरक्षित है – बरते जाने वाली सावधानियों की जाँच करें
वसायुक्त यकृत रोग: लिवर में वसा की एक निश्चित मात्रा सामान्य होती है लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, जब लीवर के वजन का 5-10 प्रतिशत से अधिक वसा के कारण होता है, तो इसे फैटी लीवर के रूप में जाना जाता है। अगर समय पर इलाज न किया जाए तो फैटी लिवर लंबे समय में कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। लिवर इन्सुलिन पैदा करता है, लिवर में पित्त और वसा का जमाव इसके कामकाज को धीमा कर सकता है। गंभीर मामलों…
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newslobster · 2 years
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Apple Cider Vinegar: घर पर कैसे बनाएं सेब का सिरका, यहां जानें सबसे आसान तरीका
Apple Cider Vinegar: घर पर कैसे बनाएं सेब का सिरका, यहां जानें सबसे आसान तरीका
भले ही उन्हें लंबे समय तक फर्मेंटेड होने के लिए छोड़ दिया गया हो, आपके द्वारा चुने गए सेब आपके तैयार सिरके के स्वाद को बेहतर बना सकते हैं. अंत में सबसे अच्छा सेब साइडर सिरका प्राप्त करने के लिए आपके लिए उपलब्ध बेस्ट क्वालिटी वाले सेब चुनें. घर पर झटपट बनाएं हेल्दी नो-फ्राई बेसन के पकौड़े-Recipe Inside अपने सेब को ठंडे पानी में धो लें. अपने सेब को अच्छी तरह से साफ करें. सेब को छोटे क्यूब्स में काट…
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बवासीर का घरेलू उपचार
रोजमर्रा के जीवन में हमें कोई ना कोई शारीरिक परेशानी घेरे रहती है। कभी-कभी तो हमारी परेशानी दवाइयों से ठीक हो जाती है तो कभी लंबे इलाज का सहारा लेना पड़ता है। इन शारीरिक परेशानियों से मानसिक  अवचेतन,  चिड़चिड़ापन आसानी से देखा जा सकता है। आपने आज तक बहुत सारे ऐसे रोगों के बारे में सुना होगा जो हमें मानसिक परेशानी के साथ साथ शारिरीक परेशानी भी देते हैं। आज हम ऐसे रोगों की बात करेंगे जिन्हे घरेलू उपाय से ही आप ठीक हो सकते हैं और वह रोग है बवासीर का। आप आसानी से बवासीर को अलविदा कह सकते हैं। यहाँ बवासीर के लिए घरेलू उपचार की सूची दी गई है जिससे आप अपने पाइल्स का इलाज कर सकते हैं।
बवासीर क्या है | Bawasir Kya Hai
यह बहुत ही दर्द युक्त रोग है, जो शुरुआत में ही पहचान लिया जाए तो इलाज करने में बेहतरीन होती है। इस रोग में मलाशय या गुदा में कुछ छोटे-छोटे मस्से होने लगते हैं। यह मस्से दर्द युक्त और चुभन युक्त होते हैं। यदि इसका सही इलाज नहीं किया जाए तो यह बड़े होकर मटर या चने के आकार या उससे भी बड़े हो जाते हैं जिनमें दर्द और भी बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में मल विसर्जन करने में बहुत ज्यादा पीड़ा होने लगती है क्योंकि बढ़े हुए मस्से मल विसर्जन में अवरोध उत्पन्न करने लगते हैं।
बवासीर के प्रकार |Bawasir ke prakar
बवासीर चार प्रकार के होते ह���ं1) अंदरूनी बवासीर
यह सामान्य प्रकार का बवासीर है, जो सामान्यतः मलाशय के अंदरूनी भागों में होता है। अगर इस बवासीर  के होने का पता लग जाए तो दवाइयों के माध्यम से भी ठीक किया जा सकता है।
2) बाहरी बवासीर
यह ठीक उसी जगह पर होता है जहां पर मल त्याग का द्वार होता है। शुरुआत में तो इसके बारे में सही पहचान नहीं की जा सकती पर समस्या बढ़ने पर बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
3) खूनी बवासीर
यह बवासीर का सबसे खतरनाक रूप कहा जा सकता है जिसमें मल त्याग के समय रक्तस्राव होने लगता है और बहुत ही पीड़ा होने लगती है। इस बवासीर के होने से व्यक्ति कमजोर होने लगता है और उसे उठने बैठने व दैनिक क्रिया करने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
4)  प्रोलेप्सड बवासीर
जब अंदरूनी भाग में सूजन आने लगे और गुदा द्वार के बाहर की ओर निकलने लगे ऐसे में यह बवासीर प्रोलेप्सड बवासीर कहलाता है। इस बवासीर में एक गांठ भी दिखाई देती है, जो बहुत पीड़ादायक हो जाती है।
कैसे होता है बवासीर | Bawasir Kya Hota Hai
बवासीर होने के कई प्रकार के कारण देखे गए हैं। जिनमें व्यायाम न करना, लंबे समय तक खड़े होना, लगातार काम करना, कब्ज की शिकायत बने रहना, मोटापा, नियमित रूप से शौच न होना इसके मुख्य कारण है। समय रहते यदि समस्या का समाधान किया जाए तो बेहतर होता है।
बवासीर का घरेलू उपचार | bawaseer ka gharelu upchar
बवासीर का नाम सुनते ही मन में डर सताने लगता है और लोग परेशान होने लगते हैं। ऐसे में अगर आप घरेलू उपचार अपनाएं तो आपको फायदा हो सकता है
1) एलोवेरा जेल
बवासीर का मुख्य कारण कब्ज  का होना है। ऐसे में अगर आप एलोवेरा का उपयोग खाने में करें तो यह बवासीर को कम करता है। अगर आप एलोवेरा जेल को गुदाद्वार में लगाएं तो इससे भी आपको निश्चित रूप से आराम मिलेगा।
2) सेब का सिरका
बवासीर में रक्त वाहिनी का आकार बढ़ जाता है जिसके कारण भी बहुत दिक्कत होती है। ऐसे में अगर आप सेव के सिरके को पानी में डालकर उसका सेवन करें तो उससे आपको आराम ही मिलेगा।
3) जैतून का तेल
अगर आप जैतून के तेल को अपने दर्द वाले मस्सों में लगाएं तो कुछ ही दिनों में आपको आराम  होने लगेगा।
4) नारियल का तेल
अगर आप बवासीर से कुछ ज्यादा ही परेशान हो गए हो तो नारियल की जटाओं को जला ले। जब वह जलकर राख बन जाए तो उसे ताजे मट्ठे में डालकर पिए तो पेट में ठंडक मिलेगी और बवासीर में भी लाभ होगा।
5) अंजीर
बवासीर में मेवों का खास योगदान है। खासतौर से अंजीर का। अगर आप अंजीर को रोजाना पानी में भिगोकर रखें और सुबह उसको खाली पेट खाएं तो इससे भी बवासीर को खत्म करने में फायदा होगा
6) पपीता
पपीता हमारे लिए बहुत ही गुणकारी है। अगर आप पपीते का सेवन रात के भोजन के रूप में करें तो इससे सुबह आपको कब्ज की शिकायत नहीं रहेगी और धीरे-धीरे कुछ दिनों में बवासीर में भी राहत महसूस होगी।
7) अजवाइन और मट्ठा
अगर आप रोजाना ठंडे-ठंडे मट्ठे में अजवाइन पाउडर और काला नमक डालकर पिए तो निश्चित रूप से आप को राहत मिलेगी।
8) जामुन
बवासीर को ठीक करने में जामुन का भी महत्वपूर्ण योगदान है। अगर आप जामुन की गुठली को धूप में सुखाकर रख लें। जब यह अच्छे से सूख जाए तो उसका पाउडर बना लें। इस पाउडर को रोज गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से निश्चित रूप से बवासीर में राहत महसूस होगी। खूनी बवासीर के लिए बहुत ही कारगर उपाय है।
9)  मूली
बवासीर के इलाज है मूली का भी योगदान है। अगर मूली के रस में एक चुटकी नमक डालें और इसका सेवन रोजाना दो बार किया जाए तो इससे भी बहुत ही फायदा होता है। अगर इसमें  ऊपर से  शहद मिलाया जाए तो इससे भी बहुत ही फायदा होता है।
10) हल्दी
हल्दी में ऐसे गुण होते हैं जिससे किसी सूजन या घाव को भरने में आसानी होती है। हल्दी को एलोवेरा, देसी घी के साथ मिलाकर पेस्ट बनाया जाए और उसे गुदाद्वार के आसपास लगाया जाए तो इससे भी आपको बहुत ही जल्द फायदा होगा।
11) गरम पानी
बवासीर का दर्द कभी भी असहनीय हो जाता है। ऐसे में अगर आप गर्म पानी को टब में रखें और उसमें कुछ देर बैठे रहे तो आपको इससे भी फायदा होगा। इससे बवासीर के सूजन में भी राहत महसूस होती है।
गर्भवती महिलाओं को हो सकती है बवासीर की समस्या
मां बनना भगवान का दिया हुआ तोहफा माना जाता है। इस दौरान कई सारी समस्याएं भी देखी जाती हैं जिनमें से एक समस्या बवासीर की है। ऐसा देखा जाता है कि गर्भवती महिलाओं में बवासीर की शिकायत होती है। ऐसे समय में महिलाओं में हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, तो कई बार ऐसे में महिलाओं  को आयरन की गोलियां भी दी जाती हैं इस कारण भी बवासीर की समस्या उत्पन्न होती है। ऐसे समय में डाइजेशन सही नहीं रहता और यह भी मुख्य कारण हैं जब बवासीर की समस्या उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को अपना खान-पान सही रखने की सलाह दी जाती है ताकि इस समस्या से बचा जा सके। समानता ऐसा भी होता है कि बच्चे के जन्म के समय स्वतः ही यह समस्या समाप्त हो जाती है।
कैसा आहार ले बवासीर के मरीज | Kaise Ahar Le Bawasir Ke Mareez
अगर आप बवासीर से ग्रसित हैं, तो ऐसे में आपको अपने खान-पान और आहार पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। हम आपको बताएंगे कि बवासीर से बचाव के लिए कैसा आहार लेना उचित होगा।
1) इस रोग से बचाव के लिए आप अनाज के रूप में के रूप में गेंहू, जौ और थोड़ी मात्रा में चावल लेना उचित है।
2) सब्जी के रूप में आप टिंडा, परवल,  लहसुन,  आंवला, पपीता, मूली, गाजर, बींस ले सकते हैं।
3) ज्यादा पानी पिए एवं हल्का खाना खाए।
4) इसके अलावा जीरा, अजवाइन, सौंफ, पुदी��ा, हींग का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें।
गर्भावस्था के दौरान बवासीर का घरेलू इलाज
कैसा आहार ना ले बवासीर के मरीज | Kaise Ahar Na Le Bawasir Ke Mareez
1) अगर आप लगातार बवासीर  से परेशान हैं, तो मैदा, छोले, मटर, चना, उड़द दाल का सेवन नहीं करें।
2)  सब्जियों में आप भिंडी, बैंगन, अरबी, आलू ,शिमला, मिर्च एवं फलों के रूप में कच्चा आम, आडू का उपयोग नहीं करें तो बेहतर है।
3) इसके अलावा बहुत ज्यादा तेल एवं मसाले वाला व्यंजन लेने से बचें।
4) जंक फूड एवं डिब्बाबंद भोजन से दूर ही रहे।
बवासीर के मरीजों के लिए जीवन शैली में बदलाव है अनिवार्य
अगर आप बवासीर में जल्द से जल्द राहत चाहते हैं तो इसके लिए आपको अपने जीवन शैली में बदलाव लाना होगा।
1) ज्यादा से ज्यादा पानी पिए।
2) जंक फूड से दूर रहें।
3) तला हुआ और ज्यादा मिर्च मसाले युक्त भोजन का उपयोग ना करें।
4) नियमित रूप से योग या  व्यायाम करें।
बवासीर के उपचार के लिए घरेलू आसान | Bawasir Ke Upchar Ke Liya Gharelu Upay
कई बार ऐसा होता है कि लाख कोशिश के बाद भी बवासीर में आराम नहीं मिल पाता है। ऐसे में कुछ घरेलू आसन के माध्यम से भी आराम प्राप्त किया जा सकता है।
आप चाहे तो कपालभाति, अनुलोम विलोम ,प्रणव जप, गोमुखासन, मर्कटासन, सर्वांगासन, ब्राह्मणी प्राणायाम के माध्यम से बवासीर से छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं। शुरुआत में आपको थोड़ा समय लगेगा पर धीरे-धीरे आपको राहत महसूस होने लगेगी।
बवासीर के लिए आवश्यक नहीं है सर्जरी
लोगों का ऐसा मानना रहता है कि बवासीर के लिए सर्जरी की आखिरी रास्ता है जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। आप अगर बवासीर से परेशान है, तो घरेलू उपायों के माध्यम से भी अपने इस रोगों को ठीक कर सकते हैं। आपको इन उपायों को नियमित रूप से करना होगा तभी आपके लिए फायदेमंद होगा। आप इन उपायों को आजमाएं और फिर से खुद को इस रोग से दूर रखें।
बवासीर के मस्सों को सुखाने के प्रमुख उपाय | Bawasir Ke Masse Ko Sukhane Ki Pramukh Upay
बवासीर के मस्से दर्द वाले होते हैं, जो कभी-कभी यह असहनीय दर्द भी देते हैं। बवासीर के मस्सों को सुखाया जाए तो इससे परेशानी कम हो जाती है।
1) अगर लौकी को पीसकर गुड़ के साथ लेप बनाकर उसे मस्सों में लगाया जाए तो इससे मस्से जल्द ही ठीक हो जाते हैं।
2) नीम के पत्तों को अगर आप  घी में भुने और उसमे कपूर मिला ले। ऐसा रोजाना करने पर बवासीर के मस्सों में फायदा होगा और आपको जल्द ही राहत मिलेगी।
3) अगर आपने घर के आसपास आक का पेड़ हो, तो उसके पत्तों का लेप बनाकर भी मस्सों में लगाना फायदेमंद होता है।
4) इसके अलावा तोरई के रस में हल्दी का लेप बनाकर मस्सों में लगाने तो इससे भी दर्द से छुटकारा मिल सकता है।
5) इसके अलावा आप मस्सों में एलोवेरा जेल को लगाएं तो इससे भी आपको बहुत जल्दी ही फायदा मिलेगा।
सतर्क रहें बवासीर के रोग से
कभी-भी बवासीर रोग को छिपाने की कोशिश ना करें। जब इस रोग की शुरूआत हो तो उसी समय उपायों के माध्यम से बवासीर को बढ़ने से रोका जा सकता है। हमेशा अपने स्वास्थ्य के लिए सचेत रहना चाहिए ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की दिक्कतों का सामना ना करना पड़े। उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा सुझाए गए उपाय आपको पसंद आएंगे और आपके लिए फायदेमंद होंगे
Source : बवासीर का घरेलू उपचार
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indianjadibuti · 5 years
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बालों में मेथी लगाने के फायदे और तरीका –
मेथी दाना के फायदे स्वास्थ्य लाभ के लिए सभी लोग उपयोग करते हैं। लेकिन बालों में मेथी लगाने के फायदे भी होते हैं। बालों में मेथी लगाने के तरीके बहुत से हैं जो कि बहुत ही आसान और प्रभावी हैं। आप अपने बालों की समस्याओं को दूर करने के लिए दही और मेथी दाने का हेयर मास्क उपयोग कर सकते हैं। बालों में मेथी दाना उपयोग करने के फायदे बालों को स्वस्थ, सुंदर और मजबूत बनाते हैं। इसके अलावा बालों में मेथी लगाने के फायदे बालों को जड़ से मजबूत करने, डैंड्रफ का इलाज करने, बालों की चमक बढ़ाने, बालों को झड़ने से रोकने, बालों में वृद्धि करने आदि में मदद करते हैं। आज इस लेख में आप मेथी दाना के फायदे बालों के लिए क्या हैं और बालों में मेथी लगाने का तरीका की जानकारी प्राप्त करेगें।
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मेथी दाना के पोषक तत्व –
बालों को स्वस्थ और हेल्दी बनाए रखने के लिए हमें उचित पोषण आवश्यक होता है। लेकिन शरीर में कुछ पोषक तत्वों की कमी के कारण बालों का कमजोर हो कर गिरना या अन्य समस्याएं स्वाभाविक हैं। बालों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रोटीन, स्वस्थ वसा, जस्ता, और आयरन जैसे पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है जो बालों की वृद्धि करने में सहायक होते हैं। ये सभी पोषक तत्व मेथी के दानों में पर्याप्त मात्रा में होते हैं। इस कारण बालों में हेयर मास्क के रूप में आप मेथी दाना का इस्तेमाल कर सकते हैं।
मेथी दाना बालों के लिए – मेथी दाना हेयर मास्क या मेथी दाना, बालों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है जो बालों को पर्याप्त पोषण देता है। चूंकि मेथी दाना में विटामिन और खनिज पदार्थ उच्च मात्रा में होते हैं जिसके कारण यह बालों संबंधी समस्या को प्रभावी रूप से दूर कर सकता है। मेथी के बीज में पर्याप्त एसिड भी होते हैं जो बालों को झड़ने से बचाते हैं। मेथी के दाने में विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन K, और विटामिन सी भी होते हैं। इन घटकों के अलावा पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन, आदि घटक बालों को नया और लंबा जीवन दिलाते हैं जो कि क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। आप भी मेथी दाना का उपयोग अपने बालों को स्वस्थ और हेल्दी बनाने के लिए कर सकते हैं।
हम सभी अपने बालों की अलग-अलग समस्या के लिए कई अलग-अलग रसायनिक उत्पादों का उपयोग करते हैं। लेकिन जरा रुकें क्योंकि मेथी दाना एक ऐसा उत्पाद है जो प्राकृतिक रूप से आपके बालों की सभी समस्याओं को दूर कर सकता है। आपको आश्चर्य होगा की मेथी अकेले ही बालों की सभी समस्याओं को कैसे दूर कर सकती है। लेकिन बालों में मेथी लगाने के फायदे बालों को उगने से लेकर बालों के झड़ने के बीच होने वाली सभी समस्याओं का हल हो सकता है। बालों में मेथी दाना लगाने के लाभ, डैंड्रफ, सिर की खुजली, बालों की चमक, बालों का असमय भूरा या सफेद होना, बालों का कमजोर होना, बालों झड़ना और बालों में कम हेयर ग्रोथ आदि का प्रभावी उपचार के लिए होते हैं।
मेथी दाना के लाभ बाल झड़ने से रोकने के लिए – बाल झड़ने की समस्या से परेशान लोगों के लिए मेथी दाना के लाभ होते हैं। मेथी के दानों में मौजदू पोषक तत्व आपके बालों को जड़ों को पोषण देने और उन्हें मजबूत करने में सहायक होते हैं। बहुत से लोग बालों के झड़ने की समस्या के दौरान रासायनिक उत्पादों का उपयोग करते हैं। जबकि बालों को झड़ने से रोकने के लिए प्राकृतिक उपचार के रूप में मेथी दाना हेयर मास्क का उपयोग किया जा सकता है।
आप बालों को झड़ने से बचाने के लिए आप कुछ मेथी दाना को रात भर पानी में भीगने दें। इसके बाद अगली सुबह फूले हुए मेथी के दानो में कुछ नींबू का रस मिलाएं और पीस कर एक पेस्ट तैयार करें। इस मिश्रण को हेयर मास्क के रूप में अपने बालों में लगाएं और सूखने दें। जब हेयर मास्क पूरी तरह से सूख जाए तब सामान्य पानी से अपने बालों को धो लें। आप चाहें तो बाद में किसी कंडीशनर का उपयोग कर सकते हैं। नियमित रूप से कुछ दिनों तक सप्ताह में 2-3 बार बालों में मेथी का उपयोग करने पर आपके बालों का गिरना कम हो सकता है।
नारियल तेल मेथी फॉर हेयर ग्रोथ – उम्र बढ़ने के साथ बालों में वृद्धि होना कम हो जाता है जो कि सामान्य है। लेकिन पोषक तत्वों की कमी के कारण भी यह समस्या हो सकती है। लेकिन यदि आप अपने बालों की वृद्धि को बढ़ाना चाहते हैं तो बालों में मेथी दाना का उपयोग करें। बालों में मेथी लगाने के फायदे बालों की वृद्धि को उत्तेजित करने और उनके विकास को बढ़ाने में सहायक होते हैं। आप नारियल के तेल में कुछ मेथी के बीजों को मिलाएं और तब तक गर्म करें जब तक कि मेथी के बीज लाल न हो जाएं। फिर इस तेल से मेथी के दानों को निकाल कर अलग कर लें। इस तेल को आप आगे भी उपयोग करने के लिए किसी बोतल में रख सकते हैं। लेकिन गुनगुना तेल को बालों के लिए अच्छा होता है।
आप भी नारियल तेल में मेथी का उपयोग कर आप हेयर ग्रोथ को बढ़ावा दे सकते हैं।
बालों में मेथी लगाने के फायदे स्कैल्प के तेल को कम करें – बालों की समस्याओं का प्रमुख बैक्टीरिया होता है। सिर की ऊपरी सतह (Scalp) में अधिक तेल उत्पादन और गंदगी के जमाव के कारण बैक्टीरिया हो सकते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए आप मेथी के बीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं। मेथी दाना के फायदे स्कैल्प में अतिरिक्त तेल की मात्रा को कम करने में सहायक होते हैं।
इसके लिए आप मेथी के बीज का पेस्ट बना लें और इसमें 2 चम्मच सेब का सिरका मिलाएं। इन दोनों को अच्छी तरह से मिलाने के बाद इसे पूरी रात के छोड़ दें। अगले दिन इस मिश्रण को अपने बालों और जड़ों में लगाएं। इस पेस्ट को लगाने के साथ ही बालों की हल्की मालिश भी करें और फिर कुछ देर के लिए इस मिश्रण को बालों में लगे रहने दें। जब हेयर मास्क सूखने लगे तब आप इसे सामान्य पानी से धो लें। आप अपने बालों को धोने के लिए हल्के शैम्पू का भी उपयोग कर सकते हैं। मेथी दाना हेयर मास्क का उपयोग करने पर सिर में मौजूद गंदगी, बैक्टीरिया और अतिरिक्त तेल को कम करने में मदद मिल सकती है।
मेथी दाना बालों के लिए सिर की खुजली दूर करे – जिन लोगों के सिर की त्वचा शुष्क होती है उन्हें सिर में खुजली होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लेकिन इस समस्या से छुटकारा पाने में मेथी के दाने आपकी सहायता कर सकते हैं। यदि आप भी स्कैल्प की शुष्कता और खुजली से परेशान हैं तो सिर और बालों में मेथी के दाने का उपयोग करें। इसके लिए आप मेथी दाना को पीसकर पाउडर बनाएं। इस पाउडर को अंडे की जर्दी में मिलाएं और एक अच्छा पेस्ट तैयार करें। इस पेस्ट को आप अपने बालों में लगाएं और लगभग 30 मिनिट के लिए छोड़ दें। जब मेथी दाना हेयर मॉस्क सूखने लगे तब शैम्पू का उपयोग करते हुए अपने बालों को धो लें। ऐसा करने से आपके सिर की ऊपरी त्वचा में प्राकृतिक नमी को बनाए रखने में मदद कर सकता है। जिससे सिर की खुजली और डैंड्रफ जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।
दही और मेथी दाने का हेयर मास्क डैंड्रफ दूर करे – आज अधिकांश महिला और पुरुष डैंड्रफ की समस्या से परेशान हैं जिसका इलाज दही और मेथी दने का हेयर मॉस्क कर सकता है। डैंड्रफ होने पर सिर की खुजली, बालों का कमजोर होना और बालों के समय से पहले भूरा या सफेद होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। क्योंकि डैंड्रफ होने के दो प्रमुख कारण होते हैं। पहला शुष्क त्वचा के कारण बैक्टीरिया और दूसरा पोषक तत्वों की कमी। लेकिन मेथी दाना का उपयोग करने से आप इन दोनों लक्षणों को कम कर सकते हैं। क्योंकि मेथी में जीवाणुरोधी और एंटीफंगल दोनों ही गुण होते हैं जो खुजली पैदा करने वाले बैक्टीरिया और डैंड्रफ को रोकने में सहायक होते हैं।
डैंड्रफ दूर करने के लिए बस मेथी के पेस्ट को दही के साथ मिलाएं और अपने बालों में लगाएं। डैंड्रफ के स्थाई इलाज के लिए आप इसे सप्ताह में 3 बार उपयोग कर सकते हैं। हेयर मास्क को लगाने के बाद बाल धोने के लिए आप हल्के शैम्पू का उपयोग कर सकते हैं।
बालों में मेथी लगाने के फायदे चमकदार बालों के लिए – सभी लोग चाहते हैं कि उनके बाल सुंदर और चमकदार हों। पर्याप्त पोषक तत्वों की कमी आपकी इस इच्छा को पूरा करने में बाधक हो सकती है। लेकिन मेथी का उपयोग कर आप रेशमी और चमकदार बाल प्राप्त कर सकते हैं। बालों को स्वस्थ रखने के लिए आप ½ कप मेथी के बीज, ½ कप दही, नींबू का रस और पानी को एक साथ मिलाकर पीसे और एक पेस्ट तैयार करें। इस मिश्रण को अपने बालों में लगाएं और इसे सूखने दें। जब बाल सूख जाएं तब आप अपने बालों को हल्के शैम्पू का उपयोग कर धो लें। विकल्प के रूप में आप मेथी के बीजों को रात भर पानी में भीगने दें और अगली सुबह इस पानी को अपने बालों में लगाएं। ऐसा करने से भी आपके बाल स्वस्थ, सुंदर और चमकदार बन सकते हैं।
बालों में मेथी दाना का उपयोग बाल भूरे होने से बचाए – मेथी दाना का प्रयोग बाल भूरे या सफेद होने से बचा सकता है। समय बढ़ने के साथ ही बालों का भूरा होना या सफेद होना स्वाभाविक है। लेकिन यदि यह समस्या 20 वर्ष के युवा महिला या पुरुषों को हो तो यह एक गंभीर समस्या मानी जाती है। हालांकि ग्रे बाल आजकल एक फैशन बन चुका है फिर भी आप्राकृतिक रूप से भूरे होने वाले बाल कमजोर माने जाते हैं। लेकिन ऐसे लक्षणों को दूर करने के लिए मेथी का उपयोग किया जा सकता है। मेथी में पोटेशियम की उच्च मात्रा होती है जो बालों को समय से पहले सफेद होने से रोकता है।
इसके लिए आप मेथी के दानों को पानी में भिगोएं और अगली सुबह इसका पेस्ट तैयार करें। इस पेस्ट में आप आंवले के रस को मिलाएं और अपने बालों में लगाएं। मिश्रण को बालों में लगाने के लगभग 1 घंटे के बाद आप अपने बालों को हल्के शैम्पू से धो लें। नियमित रूप से बालों में मेथी हेयर मॉस्क का उपयोग करने पर यह बालों को सफेद होने से बचा सकता है।
मेथी दाना का इस्तेमाल क्षतिग्रस्त बालों के लिए – क्षतिग्रस्त बालों का उपचार करने में मेथी के दाने बहुत ही प्रभावी होते हैं। मेथी के दानों का नियमित रूप से उपयोग करने पर यह बालों के झड़ने, भूरे होने और डैंड्रफ आदि होने वाले नुकसान को कम कर सकता है। आप अपने बालों की लगभग सभी प्रकार की समस्याओं को दूर करने के लिए मेथी के पेस्ट को नारियल के दूध के साथ मिलाएं और अपने बालों में लगाएं। इस मिश्रण को बालों में लगाने के लगभग 30 मिनिट के बाद हल्के शैम्पू से अपने बालों को साफ कर लें। कुछ दिनों तक नियमित रूप से उपयोग करने पर यह आपके क्षतिग्रस्त बालों को पुनर्जीवित करने में सहायक होता है।
मेथी बालों में लगाने के फायदे कंडीशनर के लिए – मेथी दाना का उपयोग हेयर कंडीशनर के रूप में किया जा सकता है। क्योंकि आपके बालों को केवल शैम्पू करना पर्याप्त नहीं है। इसके लिए आपको कुछ विशेष प्रकार के कंडीशनर की आवश्यकता होती है। चूंकि शैम्पू सिर में मौजूद प्राकृतिक तेल को साफ करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसलिए कंडीशनर प्राकृतिक तेलों की उचित मात्रा को बनाए रखने में सहायक होता है। इसके लिए आप कुछ मेथी के बीज लें और इसे रात भर पानी में भीगने दें। अगली सुबह इन मेथी के बीजों को पीस कर एक पेस्ट तैयार करें और अपने बालों में लगाएं। मेथी के पेस्ट को बालों में लगभग 30 मिनिट तक लगे रहने दें और फिर हल्के शैम्पू से अपने बालों को धो लें। सप्ताह में 2 से 3 बार ऐसा करना आपके बालों के लिए लाभकारी होता है।
बालों में मेथी लगाने के फायदे शुष्क बालों के लिए – बालों के कमजोर होने और सिर में डैंड्रफ होने का एक आम कारण शुष्क बाल भी हो सकते हैं। लेकिन बालों में प्राकृतिक नमी दिलाने के लिए मेथी के बीज फायदेमंद होते हैं। आप मुट्ठी भर मेथी के बीज लें और इसे रात भर पानी में भीगने दें। अगली सबुह इन भीगे बीजों का पेस्ट बना लें। इस पेस्ट में आप शहद और जैतून के तेल की बराबर मात्रा के साथ थोड़ा दही मिलाएं और अपने बालों में लगाएं। (रात में सोते समय इस मिश्रण का उपयोग करना बालों को अतिरिक्त लाभ दिलाता है।) लगभग 45 मिनिट के बाद आप अपने बालों को हल्के शैम्पू से धो लें। यह मिश्रण प्राकृतिक रूप से आपके बालों को स्वस्थ और मॉइस्चराइज रखने का सबसे अच्छा तरीका है।
बालों में मेथी लगाने के फायदे बाल मजबूत बनाये – यदि आपके बाल बहुत पतले हैं तो इनका कमजोर होना स्वाभाविक है। लेकिन बालों को प्राकृतिक रूप से मोटा और मजबूत बनाने में मेथी के बीज उपयोगी होते हैं। आप घने और मजबूत बाल प्राप्त करने के लिए मेथी के बीज और नारियल तेल के मिश्रण को नियमित रूप से अपने बालों में लगा सकते हैं। आप रात में सोने से पहले भी इस तेल को पूरी रात के लिए अपने बालों में लगा सकते हैं। ऐसा करना आपके बालों प्राकृतिक रूप से मजबूत करता है।
बालों में मेथी लगाने का तरीका – बालों संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए घरेलू उपाय के रूप में मेथी दाना बहुत ही लोकप्रिय औषधी है। आप अपनी बालों संबंधी लगभग सभी समस्याओं को दूर करने के लिए मेथी दाना का प्रयोग बालों में कर सकते हैं। हालांकि बालों में मेथी लगाने के तरीके बहुत से हैं। जिनमें मेथी हेयर मॉस्क, मेथी का तेल, मेथी का पानी आदि शामिल हैं। जिन्हें आप अपनी सुविधा और आवश्यकता के अनुसार उपयोग कर सकते हैं। हालांकि घरेलू उपचार के रूप में मेथी का उपयोग करना बालों को अन्य उत्पादों की तुलना में अधिक लाभ दिलाता है। आइए जाने मेथी दाना का प्रयोग बालों में लगाने के लिए किस प्रकार किया जाता है।
बालों में मेथी लगाने के तरीका मेथी हेयर मास्क – आप अपने बालों को चमकदार, सुंदर और मजबूत बनाने के लिए मेथी के दानों का इस्तेमाल कर सकते हैं। बालों का उपचार करने के लिए मेथी के दानों से बना हेयर मास्क अच्छा होता है। बालों को स्वस्थ रखने के लिए उपयोग किये जाने वाले रासायनिक उत्पादों के स्थान पर मेथी हेयर मॉस्क का प्रयोग बेहतर माना जाता है। मेथी के भीगे हुए बीजों में लेसिथिन (lecithin) की अच्छी मात्रा होती है जो बालों को चमकदार बनाने में सहायक होता है।
मेथी हेयर मॉस्क बनाने के लिए आपको 1 चम्मच मेथी दाना और 1 कप पानी की आवश्यकता होती है।
मेथी दाना ��ेयर मॉस्क बनाने की विधि – मेथी दाना हेयर मॉस्क बनाना बहुत ही आसान है। इसके लिए आप मेथी दाना को रात भर 1 कप पानी में भीगने दें या फिर 1 कप पानी में अच्छी तरह से उबाल लें। इसके बाद मेथी के दानों को पानी से अलग करके एक पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को आप हेयर मॉस्क के रूप में अपने बालों में लगाएं। लगभग 30 मिनिट के बाद आप अपने बालों को हल्के शैम्पू से धो लें।
बालों में मेथी कैसे लगाएं में लगाएं मेथी का तेल – बालों में मेथी दाना लगाने का एक और आसान तरीका मेथी का तेल है। मेथी का तेल बालों को मेथी के पूरे पोषक तत्व और खनिज पदार्थ उपलब्ध कराता है। इसके लिए आपको अलग से कुछ विशेष करने की आवश्यकता नहीं है।
बालों में मेथी का तेल लगाने के लिए आपको 1 कप नारियल का तेल, 4 से 5 करी पत्ता और 1 चम्मच मेथी दाना की आवश्यकता होती है।
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पीसीओएस (पीसीओडी) के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Polycystic Ovary Syndrome (PCOS/PCOD) in hindi
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पीसीओएस (पीसीओडी) के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Polycystic Ovary Syndrome (PCOS/PCOD) in hindi
महिलाओं के हार्मोनल स्तर में बदलाव होना सामान्य है। ऐसे में हार्मोनल परिवर्तन से संबंधित कई जोखिम भी उत्पन्न हो सकते हैं। उनमें से एक पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) भी है। इसे पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज (पीसीओडी) के नाम से भी जाना जाता है। एक मेडिकल रिसर्च की माने, तो महिला जनसंख्या में से 6-10 प्रतिशत महिलाएं इस समस्या का शिकार होती हैं (1)। अगर किसी महिला को यह समस्या है, तो उन्हें बिना किसी झिझक के इस बारे में डॉक्टर से बात करनी चाहिए। स्टाइलक्रेज का यह आर्टिकल आपको पीसीओएस से जुड़ी हर तरह की जानकारी देगा। हम बताएंगे कि पीसीओडी के कारण क्या हो सकते हैं और पीसीओएस के लक्षण किस तरह से नजर आ सकते हैं। इसके अलावा, पीसीओएस के लिए घरेलू उपाय पर विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे।
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इस आर्टिकल में सबसे पहले पीसीओएस क्या है, इसकी जानकारी दी जा रही हैं।
विषय सूची
पीसीओएस क्या है? – What is PCOS in Hindi
यह स्थिति तब उत्पन्न हो��ी है, जब हार्मोंस असंतुलित हो जाएं व मेटाबॉलिज्म की समस्या होने लगे। हार्मोंस असंतुलित होने से मासिक धर्म चक्र पर असर पड़ता है। आमतौर पर प्रति माह मासिक धर्म चक्र में ओवरी (अंडाशय) में अंडाणु बनते हैं और बाहर निकलते हैं, लेकिन पीसीओएस होने पर अंडाणु विकसित नहीं हो पाते हैं। साथ ही बाहर नहीं निकल पाते हैं (2)।
इसके अलावा, महिलाओं के शरीर में पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) का विकास होने पर भी पीसीओएस की समस्या उत्पन्न हो सकती है। महिलाओं में इस हार्मोन की वृद्धि के परिणामस्वरूप कई समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं, जिनमें मासिक धर्म की अनियमितता, बांझपन (Infertility) और त्वचा की समस्याएं जैसे मुंहासे और बालों का बढ़ना शामिल हैं (3)। आगे हम आपको बताएंगे कि महिलाओं के शरीर में किन कारणों से पीसीओएस को बढ़ावा मिल सकता है।
पीसीओएस क्या है, यह जानने के बाद अब पीसीओएस के कारण पर चर्चा करते हैं।
पीसीओएस के कारण – Causes of PCOS in Hindi
पीसीओएस का मुख्य कारण हार्मोन के स्तर में परिवर्तन होना है, जिस कारण ओवरी में अंडाणु पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते और उनका ओवरी से बाहर निकलना भी कठिन हो जाता है। हालांकि, वैज्ञानिक तौर पर सटीक रूप से यह कहना मुश्किल है कि पीसीओएस किस कारण से होता है, लेकिन इसे लेकर आम धारणाएं इस प्रकार हैं (3):
आनुवंशिक कारण: कुछ महिलाओं में पीसीओएस की समस्या आनुवंशिक हो सकती है। यह समस्या एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी की महिला को हो सकती है। हालांकि, इस संबंध में वैज्ञानिक शोध का अभाव है, लेकिन जिनकी मां को यह समस्या रही हो, उन्हें अधिक सावधानी बरतनी चाहिए (4)।
पुरुष हार्मोन की वृद्धि: कई बार महिलाओं की ओवरी अधिक मात्रा में पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) का उत्पादन करने लगती है। पुरुष हार्मोन के ज्यादा मात्रा में उत्पादन होने पर ओव्यूलेशन प्रक्रिया के समय अंडाणु को बाहर निकलने में मुश्किल होती है। इस अवस्था को मेडिकल भाषा में हाइपरएंड्रोजनिसम कहा जाता है (5)।
इंसुलिन असंतुलन: शरीर में पाया जाने वाला इंसुलिन हार्मोन भी पीसीओएस कारण बन सकता है। दरअसल, हार्मोन आहार में पाए जाने वाले शुगर और स्टार्च को ऊर्जा में बदलने का काम करते हैं। वहीं, जब इंसुलिन का संतुलन बिगड़ जाता है, तो एंड्रोजन हार्मोन की वृद्धि होने लगती है। इससे ओव्यूलेशन प्रक्रिया पर प्रभाव पढ़ने लगता है और महिलाओं में पीसीओएस की समस्या उत्पन्न हो जाती है (6)।
खराब जीवनशैली : खराब जीवनशैली के कारण भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। जंक फूड का सेवन ज्यादा करने से शरीर को पर्याप्त पौष्टिक तत्व नहीं मिल पाते हैं। साथ ही नशीले पदार्थों और सिगरेट का सेवन करना भी इस बीमारी का एक कारण है।
ऊपर आपने पीसीओएस के कारण पढ़े, आगे हम पीसीओएस के लक्षण बता रहे हैं।
पीसीओएस के लक्षण – Symptoms of PCOS in Hindi
पीसीओएस का सबसे प्रमुख लक्षण मासिक धर्म चक्र में परिवर्तन शामिल है, इसके अलावा अन्य लक्षण इस प्रकार हैं (3):
युवावस्था के दौरान सामान्य रूप से पीरियड शुरू होने के बाद उनका बंद हो जाना। इसे सेकंडरी एमेनोरिया कहा जाता है।
अनियमित पीरियड का आना और बंद हो जाना।
पीसीओएस के अन्य लक्षणों में शामिल हैं:
शरीर के कई हिस्सों में बालों का उगना, जैसे छाती, पेट, चेहरे व निपल्स।
चेहरे, छाती या पीठ पर मुंहासे होना।
त्वचा में परिवर्तन, जैसे कि त्वचा पर काले निशान नजर आना। खासकर बगल, कमर, गर्दन और स्तनों के आसपास।
पीसीओएस के कारण और लक्षण की जानकारी देने के बाद, अब हम पीसीओएस के लिए घरेलू उपाय बता रहे हैं।
पॉलीसायस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) in Hindi
पॉलीसायस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक ऐसी समस्या है, जिसे घरेलू उपचार के मदद से दूर करना पूरी तरह संभव नहीं है, लेकिन घरेलू उपचार की मदद से इसके लक्षणों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। आइए, इन घरेलू उपचारों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
1. विटामिन डी
सामग्री:
विटामिन-डी कैप्सूल
उपयोग करने का तरीका:
इसे सीधे सेवन किया जा सकता है।
इसे डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए।
कैप्सूल की जगह विटामिन-डी से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे टूना, सैल्मन, मैकेरल मछली, पनीर, अंडे का पीला भाग और मशरूम भी लिए जा सकते हैं (7)।
कैसे है लाभदायक:
एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में बताया गया है कि विटामिन डी का उपयोग पीसीओएस से राहत पाने में सहायक हो सकता है। इस शोध के मुताबिक विटामिन-डी असामान्य रूप से बढ़ रहे सीरम एंटी-मुलरियन हार्मोन (एएमएच) के स्तर को कम करने का काम कर सकता है। एएमएच एक तरह का हार्मोन है, जिसके बढ़ने पर पीसीओएस की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, पीसीओएस वाली महिलाओं में मेटफार्मिन थेरेपी (मधुमेह के इलाज लिए अपनाई जाने वाली थेरेपी) के साथ-साथ विटामिन-डी और कैल्शियम की खुराक देने पर मासिक धर्म को नियमित करना और ओव्यूलेशन प्रक्रिया को सही करने में मदद मिलती है। ऐसे में कहा जा सकता है कि विटामिन-डी के सेवन से पीसीओएस के लक्षणों को दूर किया जा सकता है (8)।
2. सेब का सिरका
सामग्री:
दो चम्मच सेब का सिरका
एक गिलास पानी
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी को हल्का गर्म कर लें।
फिर उसमें सेब के सिरके डाल लें और अच्छे से मिक्स करें।
फिर इसे पी लें।
कैसे है लाभदायक:
सेब के सिरके का सेवन पीसीओएस से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। इस विषय पर एक शोध किया गया है। शोध के तहत पीसीओएस में हार्मोनल और ओव्यूलेटरी फंक्शन पर सिरके के प्रभाव जानने के लिए सात रोगियों को 90-110 दिन तक रोजाना 15 ग्राम सेब के सिरका दिया गया। इससे यह साबित हुआ कि सेब के सिरके के सेवन से इस समस्या के इलाज में कुछ हद मदद मिल सकती हैं। शोध के अनुसार ऐसा इसलिए संभव है, क्योंकि सिरके के सेवन से पीसीओएस से प्रभावित रोगी में इंसुलिन संवेदनशीलता बेहतर होती है (9)।
3. नारियल ���ेल
सामग्री:
एक चम्मच नारियल तेल
उपयोग करने का तरीका:
नारियल तेल का सीधे सेवन किया जा सकता है या इसे स्मूदी में मिलाकर पिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
नारियल के तेल का उपयोग करने पर पीसीओएस के उपचार में मदद मिल सकती है। इस संबंध में किए गए एक वैज्ञानिक शोध से पता चलता है कि डेकोनिक एसिड युक्त आहार के सेवन से एंड्रोजन के उत्पादन को कम करके पीसीओएस की समस्या को कुछ कम किया जा सकता है। डेकोनिक एसिड एक तरह का नॉन-टॉक्सिक फैटी एसिड होता है, जिसमें 10 कार्बन अणु होते हैं। वहीं, नारियल तेल में डेकोनिक एसिड प्राकृतिक रूप से पाया जाता है (10)। फिलहाल, इस पर और शोध किए जाने की जरूरत है, ताकि पता चल सके कि यह किस तरह काम करता है।
4. इवनिंग प्रिमरोज ऑयल
सामग्री:
ईवनिंग प्रिमरोज ऑयल कैप्सूल
उपयोग करने का तरीका:
इस कैप्सूल को सीधे सेवन किया जा सकता है।
प्रतिदिन एक कैप्सूल लिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
एनसीबीआई में पब्लिश एक शोध के मुताबिक ईवनिंग प्रिमरोज ऑयल के उपयोग से पीसीओएस के इलाज में मदद मिल सकती है। इस शोध में कुछ महिलाओं को 12 हफ्ते तक विटामिन-डी और ईवनिंग प्रिमरोज ऑयल दिया गया। इससे उनमें ट्राइग्लीसेराइड (एक तरह का फैट), वेरी लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (वीएलडीएल) के स्तर में सुधार पाया गया। साथ ही ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस में भी कमी आई, जिस कारण मरीज को पीसीओएस के लक्षणों से कुछ राहत मिली (11)।
5. ग्रीन टी
सामग्री:
एक चम्मच ग्रीन टी पाउडर
एक कप पानी
एक चम्मच शहद
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी में ग्रीन टी पाउडर को मिलाएं और कुछ देर तक गर्म करें।
कुछ मिनट गर्म होने के बाद इस चाय को छान कर कप में डाल लें।
फिर ऊपर से शहद डाल लें और चाय के स्वाद का आनंद लें।
इसे दिन में दो से तीन बार तक पी सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
एक अध्ययन के अनुसार, ग्रीन टी के सेवन से शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को कम किया जा सकता है, जिससे पीसीओएस के लक्षण को दूर किया जा सकता है। यह इंसुलिन को भी कम करने में मदद कर सकता है। जैसा कि ऊपर लेख में बताया गया है कि इंसुलिन की असंतुलित मात्रा पीसीओएस का कारण बन सकती है। ऐसे में कहा जा सकता है कि पीसीओएस में ग्रीन टी का उपयोग सहायक हो सकता है। यह जानकारी एनसीबीआई की वेबसाइट में प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध में दी गई है (12)।
6. रॉयल जेली
सामग्री:
दो चम्मच रॉयल जेली
उपयोग करने का तरीका:
इसे सामान्य तरीके से सेवन किया जाता है।
प्रतिदिन सुबह कुछ मात्रा में लिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
रॉयल जेली एक तरह का शहद होती है। वहीं, पीसीओएस एक हार्मोन से संबंधित समस्या होती है, जिसके इलाज में रॉयल जेली के सेवन की सलाह दी जा सकती है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर रॉयल जेली के 200 से 400 मिलीग्राम के सेवन से सीरम एस्ट्राडियोल (फीमेल हार्मोन) के स्तर में वृद्धि हो सकती है। यह मासिक धर्म चक्र को रेगुलेट करने का काम करता है। साथ ही रॉयल जेली सीरम प्रोजेस्टेरोन (महिलाओं से संबंधित एक तरह का हार्मोन) के स्तर में वृद्धि कर सकता है। प्रोजेस्टेरोन में वृद्धि होने से मासिक धर्म चक्र नियमित हो सकता है, जिससे पीसीओएस के उपचार में मदद मिल सकती है। यह सब रॉयल जेली में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट और एस्ट्रोजेनिक प्रभाव के कारण होता है, जिसका प्रभाव प्रजनन प्रणाली (रिप्रोडक्टिव सिस्टम) पर होता है (13)।
7. एलोवेरा जूस
सामग्री:
एक गिलास एलोवेरा जूस
उपयोग करने का तरीका:
ताजा एलोवेरा जूस को सुबह खाली पेट पिएं।
इसे प्रत्येक सुबह पिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
पीसीओएस के इलाज में एलोवेरा जूस का उपयोग किया जा सकता है। एक वैज्ञानिक शोध से पता चलता है कि एलोवेरा जेल में पीसीओएस से बचाने की क्षमता होती है। इस अध्ययन के अनुसार, एलोवेरा जेल पीसीओएस से जूझ रही महिलाओं में हाइपरग्लाइसेमिक (उच्च रक्त शुगर) स्थिति को सामान्य करने में मदद कर सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि एलोवेरा जेल में हाइपोग्लाइसेमिक यानी रक्तचाप को कम करने का प्रभाव होता है। साथ ही एलोवेरा में फाइटोस्टेरॉल (एक तरह का प्लांट स्टेरॉल) और फाइटो-फिनोल होता है। यह जानकारी एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद है (14)।
8. आंवला जूस
सामग्री:
एक चम्मच आंवले का रस
एक कप पानी
उपयोग करने का तरीका:
आंवले के रस को पानी में अच्छे से घोल लें।
फिर इस मिश्रण को पी लें।
इसे दिन में एक बार पी सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
पीसीओएस के मरीज को कई खाद्य पदार्थ से दूर रखा जाता है और कई खाद्य पदार्थ उनके आहार में शामिल करने की सलाह दी जाती है। जिन खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल किया जाता है, वो पीसीओएस के लक्षण को कम करने में मदद कर सकते हैं। ऐसे में जिन खाद्य पदार्थ को पीसीओएस के मरीज की दिनचर्या में शामिल किया जा सकता है, उनमें आंवला का जूस भी शामिल है (15)। अभी इस संबंध में और वैज्ञानिक शोध की आवश्यकता है कि यह किस गुण के कारण पीसीओएस में लाभदायक होता है।
9. जीरा पानी
सामग्री:
आधा चम्मच जीरा पाउडर
एक कप पानी
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी को हल्का गर्म करें।
फिर उसमें जीरा पाउडर को मिलाएं और कुछ देर तक गुनगुना होने दें।
पानी के गुनगुना होने पर इसे कप में निकाल कर पिएं।
इसे दिन में दो बार पिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
कई समस्याओं से निपटने के लिए हर्बल उपचारों का सहारा लिया जाता है। वैसे ही पीसीओएस के इलाज में जीरा का उपयोग किया जा सकता है। यह शरीर में हार्मोन के स्तर को सामान्य बनाने का काम कर सकता है और वजन कम करने में भी सहायता कर सकता है। इससे मासिक चक्र के अनियमित होने की समस्या कम हो सकती है। इसके अलावा, जीरे में हाइपोग्लाइसेमिक और एंटी-ओबेसिटी गतिविधि भी होती हैं, ज��� ब्लड शुगर और मोटापे को सामान्य करने का काम कर सकती है (16)। ध्यान रहे कि कम रक्त शुगर वाले इसका अधिक मात्रा में सेवन न करें, इसमें हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव होता है, जो रक्त में शुगर की मात्रा को जरूरत से ज्याद कम कर सकता है।
10. सीड्स
कलौंजी के बीज
सामग्री:
एक चम्मच कलौंजी के बीज
एक चम्मच शहद
उपयोग करने का तरीका:
दोनों सामग्रियों को मिलाएं और इस मिश्रण का सेवन करें।
इसे प्रतिदिन सुबह खाया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
एनसीबीआई की ओर से प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, कलौंजी के अर्क का उपयोग टाइप-2 मधुमेह रोगियों पर हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव के लिए किया जाता है। इसमें एंटी-डायबिटिक गतिविधि होती है। इसके अलावा, यह प्रजनन प्रणाली (रिप्रोडक्टिव सिस्टम) पर भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। साथ ही कलौंजी में थाइमोक्विनोन (एक तरह का यौगिक) पाया जाता है, जो पीसीओएस से संबंधित लक्षणों को रोकने के साथ-साथ कम करने और ओव्यूलेशन प्रक्रिया को बेहतर करने का काम कर सकता है (17)।
चिया बीज
सामग्री:
आधा चम्मच चिया बीज
एक गिलास दूध
उपयोग करने का तरीका:
दूध को हल्का गर्म करें और उसमें चिया बीज को मिलाएं।
फिर इस मिश्रण का सेवन कर लें।
कैसे है लाभदायक:
चिया बीज के सेवन से पीसीओएस की समस्या को दूर रखा जा सकता है। दरअसल, यह हार्मोन को संतुलित रखने का काम कर सकता है। साथ ही इसके इस्तेमाल से वजन भी घट सकता है, जिससे मासिक चक्र को सामान्य बनाए रखने में मदद मिल सकती है। इससे पीसीओएस की समस्या कुछ कम हो सकती है (16)। अभी इस संबंध में और वैज्ञानिक शोध की जरूरत है, जिससे कि पीसीओएस पर इसका असर पूरी तरह से स्पष्ट हो सके।
मेथी के बीज
सामग्री:
दो चम्मच मेथी बीज
आधा कप पानी
एक चम्मच शहद
उपयोग करने का तरीका:
मेथी के बीज को रात भर पानी में भिगोकर रखें।
फिर भीगे हुए मेथी के बीज को शहद में मिलाकर खाएं।
इसका सेवन रोज सुबह किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
मेथी के बीज को लेकर एक वैज्ञानिक शोध किया गया, जिसका उद्देश्य पीसीओएस पर मेथी का प्रभाव जानना था। इस शोध में 50 पूर्व-रजोनिवृत्त (प्रीमीनोपॉज) महिलाओं को लिया गया है, जिनकी उम्र 18 से 45 वर्ष थी। इनमें से 42 महिलाओं को पीसीओएस की समस्या थी। शोध से प्राप्त हुए परिणामों से पता चला है कि मेथी के बीज का अर्क ओवेरियन वॉल्यूम यानी साइज में कमी ला सकता है। कुछ हद तक डॉक्टर पीसीओएस का निदान ओवेरियन वॉल्यूम से ही करते हैं। इसके अलावा, यह लुटेइनीजिंग हार्मोन और फॉलिकल-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (महिलाओं से संबंधित हार्मोन) के स्तर को भी बढ़ा सकता है। साथ ही मेथी के बीज का अर्क पीसीओएस के लक्षणों को कम करने के लिए प्रभावी हो सकता है (18) (19)।
सामग्री:
एक चम्मच तिल
एक गिलास पानी
गुड़ का छोटा टुकड़ा
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी में तिल के बीज को मिलाएं और कुछ देर तक उबालें।
फिर इसमें स्वाद के लिए गुड़ को मिलाएं और कप में निकाल लें।
अब इस काढ़े का सेवन कर लें।
इसे प्रतिदिन एक से दो कप तक पी सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
तिल के बीज के सेवन से पीसीओएस को दूर रख सकता है। दरअसल, तिल के बीज के उपयोग से ओलिगोमेनोरिया का इलाज किया जा सकता है। ओलिगोमेनोरिया ऐसी स्थिति है, जिसमें मासिक धर्म प्रवाह में कमी आ जाती है (20)। इसलिए, ओलिगोमेनोरिया की समस्या में अक्सर पीसीओएस का जोखिम उत्पन्न हो जाता है (21)। ऐसे में ओलिगोमेनोरिया का इलाज होने पर पीसीओएस के जोखिम से बचा जा सकता है।
सौंफ
सामग्री:
दो चम्मच सौंफ
एक गिलास पानी
उपयोग करने का तरीका:
सौंफ को रातभर आधा गिलास पानी में भिगोकर रखें।
फिर सुबह इसमें आधा गिलास पानी और डालें।
उसके बाद इसे लगभग 5 मिनट के लिए गर्म करें।
फिर इसे छानकर पी लें।
इसे प्रतिदिन सुबह खाली पेट पिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
सौंफ के उपयोग से पीसीओएस की समस्या में कुछ हद तक सुधार हो सकता है। दरअसल, सौंफ में रीनोप्रोटेक्टिव प्रभाव पाए जाते हैं, जो पीसीओएस के इलाज में मदद कर सकते हैं। पीसीओएस की समस्या को कम करने के लिए सौंफ का सेवन करने से इस समस्या में कुछ हद तक सुधार हो सकता है (18)।
कद्दू के बीज
सामग्री:
5 से 10 कद्दू के बीज
उपयोग करने का तरीका:
कद्दू के बीज को छिल लें और इसका सेवन कर लें।
इसे कुछ ड्राई फ्रूट के साथ मिलाकर भी खाया जा सकता है।
प्रतिदिन कद्दू के कुछ बीज लिए जा सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
कद्दू के बीज में एसेंशियल फैटी एसिड (EFA) पाया जाता है, जो शरीर के लिए जरूरी होते हैं। ईएफए हार्मोन की प्रक्रिया को संतुलित करने में मदद कर सकता है। साथ ही यह इंसुलिन के नियंत्रित करके रक्त शर्करा को संतुलित करता है और पीरियड्स को नियमित कर सकता है (22)। इससे पीसीओएस जैसी समस्या को दूर रखा जा सकता है।
11. दालचीनी
सामग्री:
एक चम्मच दालचीनी पाउडर
एक चम्मच शहद
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले दोनों सामग्रिया को आपस में अच्छी तरह से मिला लें।
फिर इसका सेवन कर लें।
इसका दिन में एक बार सेवन किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
एक वैज्ञानिक रिसर्च के मुताबिक दालचीनी के उपयोग से शरीर में इंसुलिन के स्तर को कम किया जा सकता है। वहीं, 40 दिन तक दालचीनी का प्रतिदिन सेवन करने पर मधुमेह के रोगियों में रक्त शर्करा के स्तर को भी कम किया जा सकता है। दालचीनी को 8 हफ्ते तक रोज उपयोग करने से पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में इंसुलिन प्रतिरोध कम हो जाता है। साथ ही पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में पीरियड्स को नियमित रूप से बनाए रखने में भी मदद मिल सकती है (23)।
12. मुलेठी की जड़
सामग्री:
एक चम्मच मुलेठी की जड़ का पाउडर
एक कप पानी
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी को गर्म करें और उसमें मुलेठी पाउडर को डालें।
कुछ देर तक पानी को गर्म होने दें।
फिर इसे छान कर एक कप में डाल लें।
इसे ताजा ही पिएं।
इसे दिन में दो बार पी सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
मुलेठी के उपयोग से भी पीसीओएस की समस्या को कम किया जा सकता है। इस संबंध में प्रकाशित एक मेडिकल शोध में बताया गया है कि मुलेठी के अर्क असंतुलित हार्मोनल स्तर और अनियमित ओवेरियन फॉलिकल को रेगुलेट करते हैं, जिससे पीसीओएस के लक्षणों को दूर किया जा सकता है (24)। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि पीसीओडी के लिए घरेलू उपाय में मुलेठी को भी शामिल किया जा सकता है।
13. चेस्टबेरी
सामग्री:
चेस्टबेरी सप्लीमेंट
उपयोग करने का तरीका:
डॉक्टर की सलाह पर इसका सेवन करें।
कैसे है लाभदायक:
एक क्लिनिकल शोध में बताया गया है कि चेस्टबेरी के इस्तेमाल से प्रोलैक्टिन (एक तरह का हार्मोन) कम हो सकता है। प्रोलैक्टिन का स्तर ज्यादा होने से मासिक धर्म व प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। इसके अलावा, चेस्टबेरी से मासिक धर्म की अनियमितता और बांझपन में भी सुधार हो सकता है (25)। इससे पीसीओएस की समस्या को पनपने से रोका जा सकता है।
और जानकारी के लिए लेख को पढ़ते रहें
चलिए, अब जानते हैं कि पीसीओएस का इलाज कैसे किया जा सकता है।
पीसीओएस का इलाज – Treatment of PCOS in Hindi
पीसीओएस का संपूर्ण इलाज संभव नहीं है। दवाइयों के माध्यम से सिर्फ इसके लक्षणों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। इसके लक्षणों को दूर करने के लिए डॉक्टर नीचे बताए जा रही दवाइयां दे सकते हैं (2): 
हार्मोनल बर्थ कंट्रोल (जो गर्भवती नहीं होना चाहती):
यह मासिक धर्म को नियमित कर सकता है।
एंडोमेट्रियल कैंसर के जोखिम को कम करने में मददगार हो सकता है।
मुंहासे में सुधार कर सकता है और चेहरे व शरीर के अन्य अंगों पर आए अतिरिक्त बालों को कम करने में मदद कर सकता है।
एंटी-एंड्रोजन दवाई: यह दवाई एंड्रोजन के प्रभाव को कम करती है, जिससे सिर के बाल झड़ने की समस्या कम हो सकती है और चेहरे व शरीर के बालों के विकास में कमी आ सकती है। साथ ही मुंहासे को कम करने में भी मदद मिल सकती हैं। फिलहाल, फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने दवा को अनुमति नहीं दी है, क्योंकि यह दवाई गर्भावस्था के दौरान समस्या पैदा कर सकती हैं।
मेटफॉर्मिन: इस दवाई का उपयोग टाइप 2 मधुमेह के इलाज और कुछ महिलाओं में पीसीओएस के लक्षणों को दूर करने में किया जाता है। यह दवाई इंसुलिन में सुधार कर रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) को कम कर सकती है। साथ ही यह इंसुलिन और एंड्रोजन दोनों के स्तर को भी कम कर सकती है, जिससे पीसीओएस की समस्या दूर हो सकती है।
अन्य जानकारी के लिए पढ़ें नीचे
इस लेख के अगले भाग में हम पीसीओएस से बचने के उपाय बता रहे हैं।
पीसीओएस से बचने के उपाय – Prevention Tips for PCOS in Hindi
पीसीओएस की समस्या आनुवंशिक भी हो सकती है। ऐसे में इस समस्या से बचना आसान नहीं है, लेकिन इन सावधानियों को ध्यान में रखने से इस समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है।
नियमित रूप से योग व्यायाम करने पर शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखा जा सकता है, जिससे कई समस्याएं दूर रह सकती हैं।
नियमित रूप से डॉक्टरी चेकअप कराएं, ताकि किसी भी समस्या का समय रहते पता चल सके और उसका इलाज किया जा सके। इससे पीसीओएस की समस्या को उत्पन्न होने से रोकने में मदद मिल सकती है।
कई बार वजन का अधिक बढ़ना या कम होने पर कुछ समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। ऐसे में वजन को नियंत्रित रख कर उन समस्याओं को उत्पन्न होने से रोका जा सकता है।
अगर किसी के पीरियड्स लंबे समय से नियमित समय पर नहीं आ रहे हैं, तो ऐसे में उन्हें इस बारे में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
अगर किसी को अधिक तनाव की समस्या है, तो इससे भी पीसीओएस की समस्या हो सकती है। ऐसे में तनाव मुक्त रहने पर कई समस्याओं से बचा जा सकता है।
यह बात भलीभांती समझ आ गई कि पीसीओएस किस तरह की समस्या है। अगर किसी महिला में ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो वो एक बार इस बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर करें। इसके लक्षण को अनदेखा करना गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। आप इस आर्टिकल को अपने परिवार व अन्य महिलाओं के साथ शेयर कर सकते हैं, ताकि वो भी इस बीमारी के प्रति जागरूक हो सकें। हम उम्मीद करते हैं कि इस आर्टिकल में दिए गए जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
लंबे समय तक अनुपचारित पीसीओएस का प्रभाव?
लंबे समय तक पीसीओएस का इलाज नहीं करने पर एंडोमेट्रियल कैंसर का जोखिम उत्पन्न हो सकता है (26)।
अगर मुझे पीसीओएस है, तो मुझे क्या खाना चाहिए?
अगर आपको पीसीओएस की समस्या है, तो आप इन्हें आहार में शामिल कर सकती हैं (15):
कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले अनाज
कम कैलोरी वाले भोजन
साबुत अनाज
फलियां (legumes)
पीसीओएस गर्भावस्था क्या है और पीसीओएस गर्भावस्था को कैसे प्रभावित करता है?
पीसीओएस के कारण महिलाओं के शरीर में कई बदलाव हाेते हैं। इस कारण गर्भधारण करने में समस्या आती है, लेकिन कुछ उपचार की मदद से गर्भधारण किया जा सकता है। इसके बावजूद पीसीओएस के चलते गर्भावस्था में कई समस्याएं हो सकती है, जिनमें गर्भपात, गर्भावधि मधुमेह और गर्भवस्था में उच्च रक्तचाप (pre-eclampsia) आदि शामिल है। यहां तक कि इसके कारण सी-सेक्शन यानी सिजेरियन डिलीवरी की आशंका पैदा हो सकती है (2)।
क्या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम खतरनाक है?
वैसे तो पीसीओएस सामान्य स्थिति में खतरनाक नहीं होता है, लंबे समय तक इलाज न करवाने पर गंभीर रूप जरूर ले सकता है।
आप कैसे जान सकते हैं कि आपको पीसीओएस है या नहीं?
पीसीओएस की समस्या को जानना आसान हो सकता है। इसके लिए आपको इसके लक्षण का पता होना जरूरी है। हमने ऊपर लेख में इसके लक्षण बताए हैं, जो पीसीओएस के बारे में अंदाजा लगाने में मदद कर सकते हैं।
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भूपेंद्र वर्मा ने सेंट थॉमस कॉलेज से बीजेएमसी और एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी से एमजेएमसी किया है। भूपेंद्र को लेखक के तौर पर फ्रीलांसिंग में काम करते 2 साल हो गए हैं। इनकी लिखी हुई कविताएं, गाने और रैप हर किसी को पसंद आते हैं। यह अपने लेखन और रैप करने के अनोखे स्टाइल की वजह से जाने जाते हैं। इन्होंने कुछ डॉक्यूमेंट्री फिल्म की स्टोरी और डायलॉग्स भी लिखे हैं। इन्हें संगीत सुनना, फिल्में देखना और घूमना पसंद है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/pcos-ke-karan-lakshan-aur-ilaj-in-hindi/
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rajatgarg79 · 6 years
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सिर्फ 2 दिनों में करें डार्क सर्कल्स दूर
क्या आप अपने डार्क सर्कल से परेशान हैं तो इस लेख में हमने आपको डार्क सर्कल कम करने के कुछ घरेलू उपाय बताएं हैं जिनके इस्तेमाल से आपके डार्क सर्कल महज दो दिनों में कम लगने लगेंगे।
(और पढ़ें - आंखों के काले घेरे हटाने के उपाय)
तो चलिए आपको बताते हैं डार्क सर्कल दो दिन में कैसे कम करें –
1. बादाम का तेल -
सामग्री -
एक बड़ा चम्मच बादाम तेल।
बनाने व लगाने का तरीका -
सबसे पहले एक बड़े चम्मच पर बादाम तेल लें।
अब तेल को रात को सोने से पहले आंखों के आसपास लगाएं।
लगाने के बाद तेल को ऐसे ही लगा हुआ छोड़ दें।
फिर सुबह में त्वचा को पानी से धो लें।  
(और पढ़ें - आँखों के काले घेरे हटाने की क्रीम)
2. सेब का सिरका –
सामग्री -
एक बड़ा चम्मच सेब का सिरका।
बनाने व लगाने का तरीका -
सबसे पहले सेब के सिरके को एक बड़े चम्मच में लें।
अब उसमें रूई डुबोएं और रूई को फिर डार्क सर्कल पर लगाएं।
लगाने के बाद उसे सूखने दें और फिर त्वचा को पानी से धो दें।
अच्छा परिणाम पाने के लिए पूरे दिन में दो बार सेब के सिरके का इस्तेमाल करें।
(और पढ़ें - डार्क सर्कल्स हटाने के लिए खाएं​)
3. खीरा -
सामग्री -
एक खीरा।
बनाने व लगाने का तरीका -
सबसे पहले खीरे को छील लें और फिर गोल आकार में खीरे को काट लें।
फिर खीरे के टुकड़ों को 15 से 20 के लिए फ्रिज में रखा हुआ छोड़ दें।
अब टुकड़ों को निकालें और फिर उन्हें आंखों पर रखें। कम से कम 15 से 20 के लिए खीरे को ऐसे ही आंखों पर रखें।
डार्क सर्कल को दो से पांच दिनों में हल्का करने के लिए पूरे दिन में दो बार इस उपाय को दोहराएं।
आप खीरे के जूस में नींबू का जूस भी मिला सकते हैं और फिर रूई से इस मिश्रण को लगाएं।
(और पढ़ें - सूजी हुई आंखें से छुटकारा पाने का सरल उपाय​)
4. शहद –
सामग्री -
एक बड़ा चम्मच शहद।
बनाने व लगाने का तरीका -
सबसे पहले शहद में रूई डुबोएं और फिर रूई को डार्क सर्कल पर लगाएं।
लगाने के बाद कुछ मिनट तक एक उंगली से प्रभावित क्षेत्र पर मसाज करें।
फिर 20 मिनट के बाद त्वचा को पानी से धो लें।
अच्छा परिणाम पाने के लिए इस उपाय को पूरे दिन में दो बार दोहराएं।
(और पढ़ें - आँखों के काले घेरे का इलाज​)
5. अरंडी का तेल –
सामग्री -
एक बड़ा चम्मच अरंडी का तेल।
बनाने व लगाने का तरीका -
सबसे पहले एक बड़ा चम्मच अरंडी का तेल लें।
अब इसमें रूई डुबोएं और फिर प्रभावित क्षेत्र पर इसे लगाएं।
लगाने के बाद 15 मिनट के लिए तेल को त्वचा पर ऐसे ही लगा हुआ छोड़ दें।
अच्छा परिणाम पाने के लिए पूरे दिन में दो बार इस उपाय को दोहराएं।
(और पढ़ें - शहनाज हुसैन ब्यूटी टिप्स)
6. टमाटर -
सामग्री -
एक बड़ा चम्मच टमाटर का जूस।
आधा चम्मच नींबू का जूस।
बनाने व लगाने का तरीका -
सबसे पहले टमाटर के जूस और नींबू के जूस को एक साथ मिला लें।
अब इस मिश्रण में रूई डुबोएं और रूई को फिर प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।
लगाने के बाद दस मिनट के लिए मिश्रण को ऐसे ही लगा हुआ छोड़ दें।
अब चेहरे को पानी से धो लें।
अच्छा परिणाम पाने के लिए इस मिश्रण को पूरे दिन दो बार लगाएं।
(और पढ़ें - ये क्रीम्स करेंगी आँखो की सभी परेशानियों को दूर) 
from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख via https://www.myupchar.com/beauty/dark-circles/sirf-2-dino-me-kare-dark-circles-door
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hindi-samachar-blog · 7 years
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बाल बढ़ाने का ये तरीका पहले नहीं सुना होगा: जानिए हम सभी चाहते हैं के हमारे बाल घने और लम्बे हों अगर हमारे बाल घने और लम्बे होंगे तो ख़ूबसूरती की बात ही अलग होती है। हम सभी मार्केट्स से अपने बालो के लिए प्रोडक्ट्स ले ले कर परेशान तो हो ही गए हैं लेकिन कोई भी चीज़ काम नहीं कर रही है और उन प्रोडक्ट्स में केमिकल भी होता है जो हमारे बालो को बहुत नुक्सान पहुंचाता है। तो चलिए आपको बताते हैं कैसे आप अपने घर में ही बना सकते हैं अपने बालो को लम्बा और खूबसूरत। आप एक प्याज़ ले लीजिये और उसका रस निकाल लीजिये प्याज़ के टुकड़े करके उसका रस निकालने के बाद इसके रस को अपने बालो पर अच्छी तरह से लगायें और 20 मिनट तक लगायें रखें इसके बाद अपने बालो को किसी अच्छे शैम्पू से धो लें। अगर आप प्याज़ का रस नहीं निकाल पाएं तो सेब (apple) का सिरका ले लें उसे हलके गरम पानी में मिलाकर अपने बालो को उस पानी से धोएं या फिर आप अंडे का मास्क बनाकर भी अपने बालो पर लगा सकते हैं इससे आपके बाल जल्दी घने और लम्बे होंगे।
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वजन कम करने का तरीका
आज के भागती दौड़ती जिंदगी में खुद का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी हो जाता है। अगर आपका आज अच्छा है, तो कल को सही तरीके से बेहतर कर पाएंगे। आज के समय में शरीर को बीमारियों का घर कहा जा सकता है, तो ऐसे में सतर्क रहकर कार्य करें।
कई बीमारियों की वजह बढ़ता वजन  है। डॉक्टर के मुताबिक वजन कम कर लेने से भी कुछ हद तक समस्याओं से बचा जा सकता है। वजन कम करना आसान (wazan kam karne ka tarika) तो नहीं पर कोशिश जरूर की जा सकती है।
वजन कम करना क्यों है जरूरी
ऐसा माना जाता है कि बढ़ता हुआ वजन कई बीमारियों को बुलावा देता है। जिसमें मोटापा, शुगर ,हार्ट प्रॉब्लम मुख्य है। अगर आप के वजन पर कंट्रोल नहीं रखा गया तो कहीं ना कहीं यह सारी बीमारियां अपने विकराल रूप में आ जाती हैं। वजन कम करने से हमारी दैनिक, शारीरिक गतिविधि सही तरीके से सही दिशा में अग्रसर होती है। वजन नियंत्रित रखने से मेटाबॉलिज्म रेट सही रहता है इसलिए वजन पर पूरा ध्यान दें।
अगर आप अपने बढ़ते वजन से परेशान हैं, तो हम आपको वजन कम करने के कारगर उपाय बताने जा रहे हैं आप जरूर उन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल कर लाभ लें।
कैसे करें वजन कम घरेलू तरीके से
अगर आप बढ़ते वजन से बहुत ज्यादा परेशान हैं, तो घरेलू रूप से उपाय किए जा सकते हैं। wazan kam karne ka tarika in hindi
1) नींबू और शहद
वजन कम करने (wazan kam karne) में इन दो सामग्री का मुख्य योगदान माना गया है। अगर आप सुबह खाली पेट गर्म नींबू पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर रोज पिएं इससे आपको जल्द ही फर्क महसूस होगा।
2) सेब का सिरका
फलों में सेब फायदेमंद है लेकिन अगर आप सेब के सिरके में थोड़ा सा शहद मिला कर पिए तो वजन घटाने में मदद मिल सकती है। सेब में पेपरिन फाइबर वजन घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
3) पत्ता गोभी
पत्तागोभी को ज्यादा से ज्यादा सब्जियों और सलाद के रूप में उपयोग किया जाता है ऐसा इसलिए क्योंकि पत्ता गोभी में उपस्थित टेरिटरिक एसिड कार्बोहाइड्रेट को वसा में परिवर्तित होने से रोक देता है। ऐसे में पत्ता गोभी को बहुत ज्यादा फ्राई नहीं करें तो बेहतर होगा।
4) अजवाइन पाउडर
अगर आप अजवाइन पाउडर को गर्म पानी में डालकर पिए तो इससे फायदा होगा। साथ में अगर शहद मिला लिया जाए तो और भी अच्छा होगा।
5) इलायची
अगर आप वजन कम करना चाहे तो रोजाना इलायची का सेवन करें। अगर रात में सोने से पहले इसे लिया जाए तो और भी फायदेमंद होगा। इलायची जमे हुए फैट को कम करती है और पाचन में सहायता करती है।
6) त्रिफला चूर्ण
इसमें त्रिफला चूर्ण आपके लिए फायदेमंद है। अगर आप  त्रिफला चूर्ण को रात में ही भीगा कर रख दे और सुबह तब तक उबालें जब तक वह आधा ना हो जाए। साथ ही इसमें एक चम्मच शहद भी मिलाएं। नियमित रूप से सेवन करने से वजन कम किया जा सकते हैं।
7) पुदीना
यह हमारी पाचन संबंधी समस्या को खत्म करती है। यदि पुदीना के रस  को पानी में घोलकर पिया जाए तो निश्चित रूप से ही आपको सफलता होगी।
8) आंवला
आंवला में विटामिन सी पाया जाता है और यह एंटी ऑक्सीडेंट भी है। यह मेटाबॉलिज्म को सही कर वजन कम करने में भी सहायक है। ऐसे में अगर आप रोजाना आंवले का सेवन करें तो आपके लिए फायदेमंद है।
9) हल्दी
हल्दी में बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर को मजबूती प्रदान करते हैं। यह पोषक तत्व आयरन, ओमेगा 3 फैटी एसिड, फाइबर होते हैं, जो शरीर से चर्बी को भी कम करते हैं।
10) सौफ
अगर आप सौफ हो बारीक पीस लें और उसे गुनगुने पानी के साथ पिए तो इससे बहुत ही ज्यादा फायदा होगा इसका उपयोग जरूर करें।
11) ग्रीन टी
अगर सोने से पहले ग्रीन टी पिया जाए तो इससे मेटाबॉलिज्म सही रहता है और वजन नियंत्रित रहता है लेकिन इसे बहुत ज्यादा सेवन करने से बचें।
वजन घटाने के बेहतरीन घरेलु नुस्खे
वजन कम करने के लिए खानपान का रखें ख्याल
अगर आप वजन कम करना (wazan kam karne) चाहते हैं, तो अपने खान-पान को व्यवस्थित रखें। कई सारे ऐसे आहार हैं, जो वजन बढ़ाने में सहायक हैं उन्हें पूरी तरह से त्याग दें।
1)  वजन कम करने के लिए यदि आप जौ, बाजरा ,रागी ,मसूर,  आंवला, अंकुरित अनाज, उबली हुई सब्जियों का उपयोग करें तो फायदेमंद होता है।
2) इसके अलावा ककड़ी, गाजर, सेब, चुकंदर आवश्यक रूप से ले।
3) हमेशा मौसमी फलों का सेवन करें इसमें आपको ऊर्जा मिलेगी।
4) हमेशा दूध का सेवन करें दूध में कैल्शियम हैं, जो वजन को कम करने में सहायक है।
5) जब भी रात्रि का भोजन करें तो वह हल्का ही करें। हल्का भोजन जल्दी पचता है और इससे पाचन शक्ति भी मजबूत होती है।
6) रात में भोजन के बाद तुरंत नहीं सोना चाहिए। कम से कम 2 घंटे का अंतराल जरूर रखें।
7) भोजन कभी भी जल्दबाजी में ना करें अच्छे से चबा चबा कर ही भोजन करें।
अपने जीवन शैली में करें बदलाव
अगर आप वजन कम करना (wazan kam karne) चाहते हैं, तो निरंतर रूप से खानपान के अलावा अपनी जीवनशैली में भी बड़ा बदलाव करें।
1) सुबह उठे, आलस त्यागे और सैर पर जाएं।
2) अगर आप सुबह सुबह योग का अभ्यास करें इससे निश्चित रूप से ही आपको फायदा होगा।
3) वजन घटाने के लिए वसा युक्त पदार्थों से दूरी बना ले।
4) ज्यादा से ज्यादा भोजन में हरी सब्जियां, दही, दाल का उपयोग करें।
5) गुनगुने पानी का सेवन करें।
6) अगर आप सप्ताह में 1 दिन उपवास करें तो इससे भी फायदा होगा।
7) आपके लिए अंकुरित अनाज का सेवन करना फायदेमंद होगा।
8) नींद हमेशा 6 से 8 घंटे की ही लें।
7 दिन में पेट की चर्बी कम करने के तरीके
खाना खाना ना छोड़े
कई बार लोग गलतियां कर बैठते हैं वह यह कि वजन कम करने के चक्कर में खाना खाना ही छोड़ देते हैं। शरीर को ऊर्जा की आवश्यकता होती है ऐसे में आप खाना छोड़ कर खुद को मुसीबत में डाल रहे हैं। आप खाना जरूर खाएं। आपको यह याद रखना है कि आप को संपूर्ण पोषक तत्वों से युक्त भोजन ही करना है। भले ही आप थोड़ा कम खाएं पर खाना छोड़ देना सही नहीं है।
अगर आप खाना छोड़ते हैं, तो शरीर में कमजोरी आ जाएगी। यह भी ध्यान रखने योग्य है खाना भरपेट न खाए बल्कि पेट से थोड़ा कम ही खाएं तब बेहतर फायदा देखा जा सकेगा।
वजन कम करने के लिए बनाए बेहतरीन जूस
अगर आप वजन कम करना चाह रहे हैं लेकिन अपने खानपान में नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं तो ऐसे में आप इस जूस से भी अपना वजन कम कर सकते हैं। इसे बनाना बेहद ही आसान है और सारी सामग्री घर में ही मिल जाती है।
जूस बनाने के लिए आवश्यक सामग्री
खीरा — एक, धनिया पत्ती — आधी कटोरी, नींबू का रस — एक चम्मच, एलोवेरा रस — 1 बड़ा चम्मच ,अदरक — कीसा हुआ, पानी — एक गिलास
आप सारी सामग्री को मिक्सी में पीस लें और उसे छानकर पी लें। इस बात का ध्यान रहे कि इसमें नमक ना मिला हो।
लौकी का जूस
इसी प्रकार लौकी के रस से भी आप अपना वजन कम कर सकते हैं। आयुर्वेदिक में भी लौकी के जूस को फायदेमंद बताया गया है।
सबसे पहले आप लोकी को छीलकर किस लें। एक गिलास पानी के साथ उसे मिक्सी में पीस लें।  अब उसे छान ले। आप चाहे तो उसमें सें���ा नमक डाला जा सकता है। इस जूस को रोजाना ��ीने से बहुत ही जल्द फायदा होता है इसे आप जरूर आजमाएं।
वजन कम करने के लिए महत्वपूर्ण डाइट
जब भी वजन कम करने की सोचते हैं, तो एक डाइट चार्ट का होना जरूरी है जो आपकी मदद कर सके।
1) सुबह का ड्रिंक — अगर आप सुबह-सुबह गुनगुना पानी पिए तो निश्चित रूप से फायदेमंद होगा।
2) नाश्ता — नाश्ता वजन कम करने के लिए कम कैलोरी का करें। जिसमें ओट्स, दलिया, ब्राउन ब्रेड, आमलेट लिया ���ा सकता है।
3) स्नैक्स — ऐसा भी होता है कि आपको स्नेक्स लेने का मन करें। ऐसे में आप दो बिस्किट और ग्रीन टी ले सकते हैं। वजन कम करने के लिए से तरबूज, केला, संतरा भी लिया जा सकता है।
4) लंच — दोपहर के खाने में भी कैलोरी का विशेष ध्यान रखना होगा। ऐसे में आप ब्राउन राइस, फिश, दाल ,ब्रोकली, उबली सब्जी, रोटी ले सकते हैं। साथ ही साथ रायता ,सलाद, हरी सब्जी और दाल लेना भी अनिवार्य है। ऐसे में आप व्हाइट ब्रेड ना ले और कम से कम तेल का उपयोग करें।
5) शाम का नाश्ता — कभी-कभी शाम को भी जोरों की भूख लग जाती है तो आप थोड़े ड्राई फ्रूट्स, उबले अंडे, ग्रिल्ड सेंडविच, फल ले सकते हैं।
6) डिनर — एक बात याद रखें कि डिनर  हल्का ही ले। इसके लिए आप चावल, चपाती, चिकन, राजमा ले सकते हैं।
7) सोने से पहले — अगर आप सोने से पहले ऐसा ड्रिंक ले जो वजन कम करने में सहायक हो तो अच्छा होगा।
उम्र के हिसाब से क्या हो सही डाइट चार्ट
वजन कम करने के लिए डाइट चार्ट का पालन करना जरूरी है लेकिन यदि उम्र के हिसाब से नया डाइट चार्ट बनाया जाए तो और भी फायदेमंद होगा।
1) 20 – 30  वर्ष — यह उम्र नाजुक उम्र है जिसमें सभी प्रकार का आहार लेना अनिवार्य है। इसमें कैल्शियम, आयरन, फालेट होना बहुत जरूरी है। अगर आप दूध, दही, पालक, दाल, मूंगफली, बींस को अपने आहार में शामिल करें, तो बहुत ही फायदेमंद होगा।
2) 30 – 40 वर्ष —  इस उम्र में थोड़ी शारीरिक परेशानी आ जाती है और अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो मैग्नीशियम की मात्रा का जरूर समावेश करें। आप बादाम, पालक, काजू, दही और सभी सब्जियों का उपयोग जरूर करें।
3) 40 — 50 वर्ष — बढ़ती उम्र में वजन करने में बहुत मुश्किल हो सकती हैं। ऐसे में आप विटामिन सी, विटामिन ई युक्त आहार के साथ सब फल, ब्रोकली,  टमाटर ,पीनट बटर, सनफ्लावर तेल, हरी सब्जी ,बादाम, गाजर ले तो बहुत ही फायदेमंद होगा।
4) 50 से ज्यादा वर्ष — इस उम्र में हड्डियां कमजोर हो जाती है इसलिए कैल्शियम और विटामिन डी आहार में जरूर शामिल करें। हड्डियों को मजबूत करने के लिए मछली, चिकन, लो फैट मिल्क, दही, चीज़ का भरपूर उपयोग करें। इस उम्र में वजन कम करने के बारे में गंभीरता से सोचते हुए निर्णय ले।
निष्कर्ष
वजन कम करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन अगर धैर्य और लगन के साथ इसे किया जाए तो निश्चित रूप से आपको सफलता मिलेगी। वजन कम करने में कुछ समय लग सकता है ऐसे में आप कोशिश करते रहिए।
हमारे बताएं सुझावों को अमल में लाकर आपको फायदा होगा। जीवन में आने वाली हर परेशानियों का सामना दृढ़ता से करें और आगे बढ़े। साथ ही अपने परिवार का पूरा ख्याल रखें।
Source : https://www.ghareluayurvedicupay.com/wazan-kam-karne-ka-tarika/
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घुटने का दर्द दूर करने का घरेलू उपाय
हमारे इस लंबे जीवन में कई प्रकार की समस्याएं बनी रहती हैं। अगर हम इस विषय के बारे में सोचना शुरू करें तो ना जाने कौन सी समस्याएं याद आने लगती है जो कभी हमारे साथ घटित हुई थी। कुछ समस्याएं तो शारीरिक होती हैं, जो लंबे समय से चलती रहती हैं और हम उन से परेशान हो जाते हैं। उनमें से एक शारीरिक समस्या है घुटने के दर्द की समस्या।  सामान्य तौर पर यह समस्या बुजुर्गों में देखी जाती है।
घुटने के दर्द के कारण | ghutno ke dard ke lakshan
घुटने में दर्द के कई कारण हैं। शुरू में हम इस और बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते और दर्द बढ़ते ही जाता है। सबसे पहले तो आपको घुटने के दर्द का कारण पता होना चाहिए।
1) कई बार बुजुर्ग होने पर घुटनों में हमेशा दर्द बना ही रहता है, जो ऑस्टियोपोरोसिस कहलाता है।
2) कई बार किसी प्रकार की चोट लगने के कारण ही घुटने में दर्द हो जाता है।
3) कभी-कभी ऐसा भी देखा गया है कि घुटने में पाया जाने वाला लिक्विड जिसे सिनोवियल लिक्विड कहते हैं, वह कम हो जाता है और घुटने के दर्द का कारण बनता है।
4) किसी बड़े एक्सीडेंट के कारण घुटने के लिगामेंट टूट जाते हैं और उनमें बहुत दर्द होने लगता है।
5) हड्डियों में ट्यूमर का होना भी जबरदस्त घुटने दर्द का कारण होता है इसे ओस्टियोसार्कोमा भी कहा जाता है। इससे भी बहुत ज्यादा दर्द होता है।
6) कई बार गलत तरीके से घुटने के  व्यायाम करने पर दर्द होने लगता है।
7) किसी कारणवश घुटने में खिंचाव या मोच का आना भी घुटने दर्द का कारण बनता है।
घुटने दर्द दूर करने के घरेलू उपाय | ghutno ka dard ka gharelu upay in hindi
ghutno ka dard kaise dur kare gharelu upay se
ऐसा कई बार होता है कि दर्द से परेशान होकर आप लगातार इलाज करवाते हैं लेकिन यह दर्द खत्म ही नहीं होता और हो भी जाए तो कुछ दिन बाद वापस आ जाता है। ऐसे में हम कुछ घरेलू उपायों के माध्यम से आपकी मदद करने की कोशिश कर रहे हैं इन्हें आप जरूर आजमाएं।
1) अगर आप घुटने दर्द से परेशान हैं, तो घुटने में तिल के तेल की मालिश जरूर करें। ऐसा करने पर कुछ दिनों में दर्द गायब हो जाएगा। तेल को गर्म करने की जरूरत नहीं है। ज्यादा दर्द होने पर इसे दिन में दो बार लगाएं।
2) दूध पीना तो हम सभी को पसंद आता है लेकिन यदि गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पिए तो इससे भी बहुत फायदा होगा। हल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व है, जो दर्द को जल्द ठीक करने में मददगार होगा।
3) आज तक मेथी दाने के कई उपाय बताए जा चुके हैं। ऐसे में यदि आप रात में मेथीदाने को भिगोकर रख दें और सुबह उस पानी को पी जाएं तो बहुत फायदा होगा। उस बचे हुए मेथी दाने को अगर आप पीसकर घुटनों में लगाएं तो निश्चित रूप से ही फायदा होगा।
4) अगर सरसों के तेल को गर्म कर उसमें लहसुन की कलियों को पीसा जाए और उसस�� घुटनों में मालिश करें तो इससे बहुत फर्क पड़ेगा।
5) इसके अलावा आप जैतून के तेल और नारियल के तेल से भी मालिश कर सकते हैं। जैतून तेल में हाइड्रोक्सीटायरोसॉल और टायरोसोल जैसे तत्व है, जो किसी भी दर्द को खत्म करने का काम करते हैं। उसी तरह से नारियल तेल में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो घुटने दर्द से राहत दिलाते हैं।
6) इसके अलावा यदि आप घुटने की गर्म व  ठंडे पानी से सिकाई करें तो इससे भी फायदा होगा। इसे दिन में दो-तीन बार जरूर करें।
7) ज्यादा से ज्यादा अपने आहार में विटामिन डी युक्त आहार में। विटामिन डी घुटने के दर्द को कम करने का काम करते हैं।
8) सेब का सिरका कई प्रकार से फायदेमंद है। ऐसे में आप इसे पानी के साथ मिला दें और  रोजाना उसका सेवन करें तो इससे बहुत फायदा होगा। इसे भी आजमा कर देखें।
कैसे करें घुटने के दर्द से बचाव | kaise kare ghutno ke dard se bachav
अगर आपको ऐसा महसूस हो कि आपकी समस्या बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में आप बचाव के तरीके अपनाएं जिससे यह समस्या बढ़ ही नहीं पाए।
1)  संतुलित आहार –– हमेशा अपने आहार को संतुलित बनाए रखें। जिसमें सभी पोषक तत्व कैल्शियम, प्रोटीन ले जिससे हड्डियों में मजबूती बनी रहे और इस दर्द से छुटकारा मिले।
2) एक्टिव बने — एक जगह पर बैठे रहने से भी दर्द बढ़ने लगता है। ऐसे में आप थोड़ा चलने फिरने का काम करें। जिससे घुटने की हड्डियां सही तरीके से कार्य कर सकें।
3) संतुलित वजन — अपनी उम्र के हिसाब से वजन को संतुलित रखें। ज्यादा वजन होने पर दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है जिसमें घुटने का दर्द मुख्य है।
4) सही फुटवियर ले — हमेशा ऐसा फुटवियर चुने जिससे आपको आराम मिल सके। इससे अपने घुटने और पैरों पर जोर नहीं पड़ेगा इसीलिए जब भी बाजार जाए तो आरामदायक फुटवियर का ही चुनाव करें।
5) साइकिलिंग करना — अगर आप दिन में 15 मिनट की साइकिलिंग करेंगे तो इससे भी फायदा होगा या यह कह सकते हैं कि इससे भी आपका दर्द से बचाव होगा।
घुटने के दर्द को दूर करने के कुछ व्यायाम | ghutno ke dard ke liye exercise
अगर आपको कई कोशिशों के बाद भी आराम ना मिल रहा हो, तो ऐसे में व्यायाम करके भी आराम प्राप्त कर सकते हैं। इन्हें आप अपनी सहूलियत के हिसाब से कर सकते हैं।
1) भुजंगासन | bhujangasana
इस आसन को करना आसान है और बात अगर आपके फायदे की हो तो करना जरूरी भी है। इसके लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं। अब अपने दोनों हाथों को सिर के पास ले जाकर दोनों और रखें और सिर को जमीन से लगा दे। पैरों को बिल्कुल सीधा रखें जिनके बीच में थोड़ी दूरी हो।
इसके बाद हाथों को कंधे के बराबर लाते हुए सीधे करें। अब सांस लें और शरीर को ऊपर की ओर उठाने की कोशिश करें ऊपर उठाते हुए थोड़ी देर रुके रहे। इस अवस्था में सांस सामान्य रूप से ले। सांस छोड़ते हुए नीचे की ओर आए।
2) पश्चिमोत्तानासन | paschimottanasana
इसके लिए लेट जाएं। अब पैरों को बिल्कुल सीधे करते हुए बैठ जाएं। जब यह व्यायाम करें तो सिर, गर्दन, कमर को बिल्कुल सीधा ही रखें। अब सांस भरे और हाथों को ऊपर उठाएं।
जैसे ही सांस छोड़े, तो झुकते हुए माथे को घुटने से लगाते हुए पैरों के अंगूठे को पकड़ने की कोशिश करें। इस समय घुटने बिल्कुल सीधे ही होना चाहिए।अब इस स्थिति को दोहराएं इससे आपको निश्चित रूप से फायदा होगा।
दर्द के दौरान कैसा आहार लेना है आवश्यक
घुटने के दर्द को कम करने के लिए अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो बहुत हद तक कारगर होता है।
1) विटामिन युक्त आहार — ज्यादा से ज्यादा ऐसे आहार ले जिनमें विटामिन उपलब्ध हो।  विटामिन शरीर की हड्डियों को मजबूत करने का भी काम करते हैं, तो इनका सेवन जरूर करें ।  इसके लिए आप पनीर, दूध, दही का सेवन कर सकते हैं।
2) जैतून का तेल — आज का ज्यादातर जैतून के तेल का उपयोग खाने में करने की सलाह दी जाती है। आप भी जैतून के तेल को आहार के रूप में ले सकते हैं। इनमें एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण है, जो दर्द को कम करने में सहायक है।
3) मछली — अगर आप नॉनवेज खाना पसंद करते हैं तो मछलियों का सेवन जरूर करें। इनमें ओमेगा 3 फैटी एसिड होते हैं, जो किसी भी दर्द को कम करने का काम करते हैं।
4) मेवे-– मेवे जैसे काजू, बादाम, अखरोट जिनमे विटामिन, प्रोटीन है जो शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने का भी काम करते हैं। इनका सेवन जरूर करें।
लेप भी हो सकता है फायदेमंद
1) घुटने के दर्द को कम करने में कुछ हद तक लेप भी फायदेमंद हो सकते हैं। यह बहुत ही कारगर होते हैं। एक छोटी चम्मच शहद, दालचीनी का पाउडर, खाने के चूने का पेस्ट बना लें। उसे दर्द वाले जगह पर लगाकर पट्टी बांध ले। इससे आपको फायदा ही होगा इसे तो कुछ घंटों तक लगा रहने दें। इसे नियमित रूप से  लगाना आपके लिए कारगर है।
2) इसके अलावा आप सौठ का लेप  लगा कर आराम प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए सौठ को अच्छे से कूट कर पाउडर बना लें। उस पाउडर में थोड़ा सा तिल का तेल मिलाकर लेप तैयार कर ले। इसे नियमित रूप से लगाने से फायदा होगा। इसे कम से कम 4 घंटे लगा रहने दें और पानी से धो लें। तिल और सौठ के  औषधीय गुण दर्द को ठीक करने में सहायक होंगे।
वजन कम करने का तरीका
ऐसी गलत आदतें जिनकी वजह से हो सकता है घुटनों का दर्द | ghutno me dard
घुटनों का दर्द कभी-कभी बहुत बढ़ जाता है इसका कारण हमारी आदतें भी हो सकती है, जो गलत है। इन्हें समझ कर कुछ सुधार किया जा सकता है।
1) मोटापा — ऐसा देखा जाता है कि लोगों का मोटापा ज्यादा होना भी घुटने दर्द का कारण होता है। जब व्यक्ति मोटा होता है, तो पूरा शरीर का वजन घुटनों पर ही आता है, जो दर्द का कारण है। कोशिश करें अपने मोटापे को दूर करे।
2) हाई हील्स पहनना — कई बार महिलाएं फैशन की दौड़ में शामिल होकर बहुत ज्यादा हाई हील्स पहनती हैं। जिससे घुटने, पीठ, कमर में दर्द हो सकता है। हील पहनना तो  उस समय तो अच्छा लगता है पर बाद में परेशानी उठानी पड़ती है। ऐसे में अपनी इस आदत को बदल ले।
3) एक ही जगह में बैठना — लोग एक ही जगह पर बैठकर ऑफिस के या घर  के काम करते हैं जिससे भी ब्लड सरकुलेशन सही नहीं हो पाता और शरीर में दर्द बना रहता है। ऐसे में अपने काम से थोड़ा ब्रेक जरूर ले।
4) पानी की कमी — हमेशा ज्यादा पानी पीने की सलाह दी जाती है। सर्वे के मुताबिक पानी की कमी से घुटनों में यूरिक एसिड जमा हो जाता है, जो दर्द का कारण बनता है। ऐसे में 1 दिन में 7/8 गिलास पानी जरूर पिएं और स्वस्थ रहें।
निष्कर्ष
इस प्रकार हमने देखा कि घुटने का दर्द को बढ़ाने से बेहतर होगा कि उसे बढ़ने से रोका जाए। कई बार हम उपायों को करने में आलस कर बैठते हैं। ऐसे में आलस से बचें और अपना पूरा ध्यान दें। बहुत ज्यादा समस्या होने पर डॉक्टर से भी परामर्श लिया जा सकता है अन्यथा घरेलू उपाय भी कारगर होंगे। आप इन घरेलू उपायों को जरूर अपनाएं और स्वस्थ रहें।
Source : https://www.ghareluayurvedicupay.com/ghutno-ka-dard-ka-gharelu-upay-in-hindi/
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पिंपल हटाने का घरेलू उपाय | Pimple Hatane Ka Gharelu Upay
इस बदलती जीवन शैली में हमने बहुत से बदलाव महसूस किए हैं, जो हमारे लिए सही भी है और जरूरी भी। लेकिन आप ने यह महसूस किया होगा कि बदलते दौर में हमें कई नुकसान भी उठाने पड़ जाते हैं जो स���वास्थ्य संबंधी भी हो सकते हैं।
बदलते हुए परिवेश की एक मुख्य समस्या बार-बार पिंपल का आना है। इनकी वजह से मन में हीन भावना भी आ जाती है। ऐसे में हम आपका मार्गदर्शन करेंगे ताकि ऐसी समस्याओं को दूर कर सके और खुद को स्वस्थ रख सके।
कैसे होता है पिंपल | pimple kaise hote hai
1). पिंपल होना त्वचा की तैलीय ग्रंथियों पर निर्भर करता है। इन तैलीय ग्रंथियों के बहुत ज्यादा विकसित होने पर पिंपल होते हैं इन्हें स्वाभाविक माना जाता है। कई बार इन्हें ठीक होने में काफी समय भी लग जाता है।
2). पिंपल होने का मुख्य कारण मसालेदार, तैलीय पदार्थों का सेवन भी है।
3). अगर आप जंक फूड का ज्यादा ही सेवन करते हैं तो पिंपल होने की संभावना बढ़ जाती है।
4). अगर व्यक्ति ज्यादातर धूल के संपर्क में आए तो पूरी संभावना रहती है कि पिंपल हो जाए। धूल हमेशा त्वचा को नुकसान पहुंचाने का काम करती है।
5). बहुत ज्यादा चाय, कॉफी लेना भी पिंपल को जन्म देता है। इसमें कैफीन की अत्यधिक मात्रा है, जो पिंपल के लिए सही नहीं है।
6). कभी कभी इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट हमारे त्वचा के लिए सही नहीं होते और पिंपल होने लगते हैं।
7). कुछ हेवी डोज की दवाइयां लेने से कई बार डिंपल का सामना करना ही पड़ता है।
8). एक उम्र के बाद हार्मोन परिवर्तन होने के कारण ही पिंपल हो जाते हैं।
9). अगर आप बहुत ज्यादा तनाव लेते हैं तो इससे भी आपको पिंपल की समस्या हो सकती है।
पिंपल ठीक करने के आसान उपचार | pimple ko thik karne ke aasan upchar
अगर आप लगातार पिंपल (pimple) से परेशान हो रहे हो, तो कुछ आसान से घरेलू उपाय के माध्यम से ही आप अपने पिंपल की समस्या को दूर कर सकते हैं।
1). एलोवेरा
एलोवेरा औषधि गुणों के कारण हमारे लिए बहुत ही उपयोगी है। इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण है, जो किसी भी बैक्टीरिया को आक्रमण करने से रोकता है। ऐसे में पिंपल वाली त्वचा में एलोवेरा को कुछ देर तक लगाकर छोड़ दिया जाए तो इससे फायदा भी होगा।
2). नारियल तेल
नारियल तेल को बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। किसी भी जीवाणु को खत्म करने की ताकत नारियल तेल में है। ऐसे में यदि आप नारियल तेल को रुई के माध्यम से अपने पिंपल में लगाते है, तो इससे फायदा साफ नजर आएगा और चेहरे में चमक भी आ जाएगी।
3). लहसुन
यह हमारे लिए कई मायनों में फायदेमंद है। इनमें एलीसीन नामक पदार्थ है, जो किसी भी बैक्टीरिया से लड़ने में सहायता करता है। ऐसे में यह पिंपल के लिए भी फायदेमंद है। लहसुन को कूटकर या पीसकर उसे पिंपल पर कुछ देर के लिए लगा रहने दें और फिर उसे धो लें तो कुछ ही दिनों में पिंपल की समस्या कम होती नजर आएगी।
4). हल्दी और शहद
हल्दी में करक्यूमिन नामक पदार्थ पाया जाता है, जो एंटीसेप्टिक और एंटी इन्फ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है। ऐसे में हल्दी और शहद को मिलाकर उपयोग किया जाए तो इससे बहुत ही फायदा होगा। इसे कुछ देर के लिए लगा रहने दें और फिर इसे धो लें। इससे आपके पिंपल कम हो जाएंगे।
5). नींबू
नींबू में विटामिन सी होता है, जो किसी भी रोग से लड़ने में हमारी मदद करता है। नींबू में एंटीबैक्टीरियल गुण भी हैं, जो पिंपल को खत्म कर देते हैं। आप अगर रोजाना नींबू के रस को पिंपल में लगाएं तो इससे काफी हद तक आपको आराम मिलेगा।
6). मुल्तानी मिट्टी
पिंपल होने का कारण हमारी तैलीय त्वचा है। ऐसे में अगर आप मुल्तानी मिट्टी में चंदन पाउडर और गुलाब जल डालकर अपने पिंपल में लगाएं तो इससे निश्चित रूप से आप को फायदा होगा। इसके साथ ही त्वचा भी चमकीली हो जाती है।
7). दालचीनी और शहद
शहद और दालचीनी दोनों ही हमारी त्वचा के लिए फायदेमंद है, जो किसी भी जीवाणु से लड़ने में हमारी मदद करते हैं। इसके लिए दालचीनी को बारीक पीस लें और उसमें शहद मिला लें। उसे पिंपल पर लगाए आपको बहुत ही जल्दी फर्क महसूस होने लगेगा।
8). सेंधा नमक
आज तक सेंधा नमक का उपयोग खाने के रूप में किया गया है लेकिन इसमें मैग्नीशियम की अधिकता के कारण यह हमारी त्वचा के लिए भी फायदेमंद है। इसके लिए सेंधा नमक को गुनगुने पानी में डालकर मिलाएं उसे रूई की मदद से पिंपल वाले स्थानों में लगाएं। इससे आपको बहुत ही फायदा होगा। इसे कम से कम आधा घंटे तक करें धीरे-धीरे आपको लाभ मिलने लगेगा।
9). टूथपेस्ट
पिंपल को ठीक करने में टूथपेस्ट का भी योगदान रहता है। इसमें पाया जाने वाला रसायन पिंपल को ठीक करने (pimple ko thik karne) में फायदेमंद होता है। पिंपल में यदि कुछ देर के लिए टूथपेस्ट लगा ले, तो इसमें आपको फायदा होगा।
10).नीम
नीम को प्राचीन काल से ही त्वचा के लिए फायदेमंद बताया गया है। नीम में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण पाया जाता है, जो त्वचा को फायदा पहुंचाते हैं इसलिए नीम को औषधि के रूप में जाना जाता है। ऐसे में नीम को पीसकर अपने पिंपल पर लगाए तो ठंडक के साथ-साथ पिंपल को ठीक (pimple ko thik) भी किया जा सकता है। आप चाहे तो साथ में तुलसी को पीसकर ही लगाया जा सकता है।
11). सेब का सिरका
सेब के सिरके में विटामिन ए है, साथ ही एंटीबैक्टीरियल गुण भी। ऐसे में यदि पिंपल में सेब के सिरके को लगा लिया जाए तो इससे बहुत ही फायदा होगा इसे जरूर आजमाएं।
प्रेगनेंसी में पिंपल | pregnancy mein pimple
ऐसा होता है कि प्रेगनेंसी में महिलाओं को पिंपल होने लगते हैं। ऐसा जरूरी नहीं है कि हर महिला में यह लक्षण दिखाई दें। पिंपल होने का मुख्य कारण है (pimple hone ke mukhya karan) , एस्ट्रोजन हार्मोन की अधिकता जो पहले 3 महीने में देखे जाते हैं। ऐसे में आप परेशान ना हो। कुछ ही दिनों के बाद पिंपल स्वयं खत्म भी हो जाते हैं।
पिंपल मे इन आहारों से रहे दूर | pimple main in aahar se rahe dur
पिंपल का होना सामान्य सी होने वाली समस्या है लेकिन अगर आप खानपान में थोड़ी सावधानी रखें तो निश्चित रूप से ही पिंपल दूर हो जाएंगे।
1). नॉनवेज से रहे दूर
आप में से बहुत लोगों को नॉन वेज खाना पसंद आता है। ऐसे में अगर आपको पिंपल है, तो नॉनवेज से दूरी बना ले। नॉनवेज अत्यधिक मात्रा में अम्लीय है, जो पीएच लेवल को असंतुलित कर देता है। साथ ही साथ नॉन वेज मे प्रोटीन अधिक होता है। ऐसे में नॉनवेज से दूर रहने में ही भलाई है।
2). दूध से बनी चीजों से रहें दूर
पिंपल के होने पर दूध से बनी चीजों का सेवन बंद कर दें। ऐसा माना गया है कि गाय, भैंस के दूध को पीने से तेलीय ग्रंथि जल्दी ही सक्रिय हो जाती हैं। ऐसे में अपना ध्यान रखें और दूध से दूरी बना ले।
3). मसालेदार खाने से रहें दूर
पिंपल के होने पर मसालेदार खाने से दूर रहने की सलाह दी जाती है, जो सही भी है। मसालेदार खाने में अत्यधिक मात्रा में तेल होता है, जो तेलीय ग्रंथि को जल्दी सक्रिय करता है। साथ ही साथ पाचन को भी कमजोर बनाता है। ऐसे में ऐसे आहार से दूर ही रहे।
4). चीनी से बनी चीजों से रहे दूर
अगर आपको मीठा खाना पसंद है, तो कुछ दिनों के लिए इसे खाना छोड़ना होगा। ज्यादा चीनी युक्त भोजन लेने से त्वचा में पिंपल में सूजन आने लगती हैं। ऐसे में मीठा खाना कम करें।
यह चीजें होंगी आपके लिए फायदेमंद
पिंपल के होने पर कुछ खास चीजों को खाने पर आपको फायदा होगा, इन्हें जरूर आजमाए।
1). हरी सब्जियों का करें सेवन
आपको ऐसी सब्जियां बहुतायत से लेनी होगी, जो हरी होने के साथ-साथ विटामिन बी, विटामिन ई भरपूर मात्रा में हो। जैसे लौकी, पालक, आंवला, गाजर, चुकंदर, तोरई आदि।
2). फलों का करें भरपूर उपयोग
पिंपल के होने पर मौसमी फलों का सेवन करें जिसमें संतरा, अनार, मौसंबी, पपीता, सेब, टमाटर, केला, नींबू हो। इसमें उपस्थित विटामिन ए और विटामिन डी पिंपल को कम करने में फायदेमंद है।
कुछ जरूरी बदलाव
अगर आप पिंपल की समस्या से जूझ रहे हैं, तो ऐसे में अपने जीवन शैली में आवश्यक बदलाव करके पिंपल की समस्या को दूर कर सकते हैं, इन्हें जरूर आजमाएं।
1). ज्यादा से ज्यादा पानी पिए। अच्छा होगा अगर ऐसे में गुनगुने पानी का सेवन करे।
2). हमेशा हल्का भोजन करें जैसे दलिया, खिचड़ी, ओट्स, मूंग की दाल आदि।
3). ज्यादा से ज्यादा जंक फूड से दूर ही रहे। आप चाहे तो उन चीजों को घर में ही बना कर खाएं।
4). रात को खाना खाने के बाद टहलना चाहिए ताकि पाचन संबंधी समस्या ना होने पाए।
5). अपनी त्वचा का ध्यान रखें साफ सफाई का पूरा ध्यान दें।
मेकअप से जुड़े जरूरी बदलाव | makeup se judi jaruri badlav
अक्सर जब मेकअप किया जाता है, तो ध्यान नहीं रखा जाता है और हर प्रकार के प्रोडक्ट का उपयोग कर लिया जाता है। एक बात हमेशा याद रखें कि जब भी आप मेकअप करें, तो ऐसे प्रोडक्ट का उपयोग ना करें जिससे त्वचा तैलीय हो जाती है। ऐसे में त्वचा में कभी भी बादाम के तेल का उपयोग ना करें। इससे आपकी त्वचा के रोम छिद्र बंद हो जाते हैं और पिंपल होने लगते हैं। हमेशा मॉइस्चराइजर का उपयोग करें और त्वचा को पिंपल से दूर रखें।
निष्कर्ष
इस लेख मे हमने पूरी कोशिश की है कि आपको पिंपल संबंधित जानकारी दे सकें। युवा वर्ग इस समस्या से ग्रसित नजर आते हैं। ऐसे में उन्हें भी परेशान होने या तनाव लेने की जरूरत नहीं है। हार्मोन का संतुलन थोड़े दिन में ठीक हो जाता है और यह समस्या भी ठीक हो जाती है।
आप ऐसे में घरेलू उपाय (gharelu upay) अपनाएं और खुद को पिंपल (Pimple) मुक्त रखें। हमारे इतने बड़े जीवन में यह छोटी समस्या है इससे घबराए नहीं बस खुद का ध्यान रखें और साफ-सफाई बनाए रखें। जल्द ही आपकी पिंपल की समस्या दूर हो जाएगी।
Source: http://www.ghareluayurvedicupay.com/pimple-hatane-ka-gharelu-upay/
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gethealthy18-blog · 5 years
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सफेद जीभ के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – White Tongue Causes, Symptoms and Home Remedies in Hindi
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सफेद जीभ के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – White Tongue Causes, Symptoms and Home Remedies in Hindi
जब मुंह के स्वास्थ्य की बात होती है तो लोगों का ध्यान सीधे दांतों की सफाई पर ही जाता है। लोग भूल जाते हैं कि जीभ भी मुंह का एक अभिन्न हिस्सा है। जीभ सिर्फ स्वाद का एहसास ही नहीं कराती, बल्कि पाचन प्रक्रिया में भी अहम भूमिका निभाती है। जर सोचिए, किसी रोज जीभ सुर्ख सफेद दिखाई दे तो! भय पैदा होना स्वाभाविक है। ऐसा नहीं है कि सफेद जीभ हर स्थिति में हानिकारक हो, लेकिन कभी-कभी यह कुछ गंभीर समस्याओं का इशारा जरूर हो सकती है। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम आपको सफेद जीभ के कारण, लक्षण, घरेलू उपाय और इलाज से जुड़ी कई जरूरी जानकारियां देने जा रहे हैं। साथ ही लेख में आगे बढ़ने से पहले ध्यान रखना जरूरी है कि घरेलू उपाय समस्या से कुछ हद तक राहत तो दिला सकते हैं, लेकिन पूर्ण उपचार डॉक्टरी सलाह पर ही निर्भर करता है।
तो आइए सबसे पहले हम सफेद जीभ क्या है, इस बारे में जान लेते हैं। बाद में हम इससे जुड़े अन्य पहलुओं पर भी बात करेंगे।
विषय सूची
सफेद जीभ क्या है – What is White Tongue in Hindi
पूरी जीभ पर छोटे-छोटे दानों के समान कुछ उभार पाए जाते हैं। यह उभार पैपिली कहलाते हैं, जो खाने के आकार के साथ ही स्वाद का अनुभव कराते हैं। जब कुछ भी हम खाते या पीते हैं तो उस पदार्थ का कुछ अंश लार के साथ मिलकर पैपिली के मध्य में फंस जाता है। नियमित रूप से जीभ की सफाई न होने की स्थिति में यह जमाव धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और सड़न का कारण बनता है। इससे मुंह में हानिकारक बैक्टीरिया का प्रभाव बढ़ जाता है और जीभ पर एक सफेद परत बनने लगती है। इसी परत के कारण जीभ सफेद दिखाई देती है (1)।
लेख के अगले भाग में अब हम सफेद जीभ के कारण के बारे में बताएंगे।
सफेद जीभ के कारण – Causes of White Tongue in Hindi
सफेद जीभ के कारण कई हैं, जिनमें सामान्य के साथ ही कुछ गंभीर स्थितियां भी शामिल हैं। आइए निम्न बिंदुओं के माध्यम से इनके बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।
सफेद जीभ के सामान्य कारण
 दूध, पनीर और मछली जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का अधिक प्रयोग (1)।
 जीभ की सही से सफाई न होना (1)।
 सिगरेट व शराब का सेवन करने के कारण (2)। अन्य कारण
ओरल थ्रश- इस समस्या को कैंडिडिआसिस (Candidiasis) के नाम से भी जाता जाता है। यह एक प्रकार का फंगल इन्फेक्शन है, जो कैंडीडा (Candida) नाम के यीस्ट के कारण होता है। इसमें गाल, तालू और गले के साथ जीभ पर सफेद रंग के धब्बे नजर आते हैं (3)।
ल्यूकोप्लाकिया- यह एक ऐसी समस्या है, जो मुंह में नमी व लार की कमी के कारण पैदा होती है। इसमें जीभ, मुंह और गाल के अंदर सफेद रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। अधिक सिगरेट, शराब और तंबाकू का सेवन करने वालों लोगों में यह समस्या आमतौर पर देखी जा सकती है (4)।
ओरल लाइकेन प्लेनस- यह एलर्जी या प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ा एक विकार है। इसमें मुंह के साथ जीभ पर सफेद रंग की धारियां या चकत्ते दिखाई देते हैं (5)।
सिफलिस- यह एक प्रकार का यौन संक्रामक रोग है। इसके अधिक बढ़ जाने पर जीभ पर सफेद रंग के चकत्ते नजर आ सकते हैं (6)।
सफेद जीभ के कारण के बाद अब हम आपको सफेद जीभ के लक्षण बताएंगे।
सफेद जीभ के लक्षण – Symptoms of White Tongue in Hindi
मुंह से बदबू आना सफेद जीभ का एक आम लक्षण है। ऐसा जीभ पर जमा खाद्य पदार्थों के अंश के सड़ने की वजह से होता है (1)। इसके अलावा, सफेद जीभ के लक्षण निम्न प्रकार से भी हो सकते हैं (3) (4)।
��ुंह में छाले और लाली।
मुंह में रुई रखने जैसा महसूस होना।
स्वाद महसूस न होना।
खाना खाने और निगलने में दर्द।
मुंह के किनारों पर लाली और चिटकन।
सफेद हुए हिस्से पर जीभ का कठोर महसूस होना।
मसालेदार या खट्टे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से दर्द होना।
सफेद जीभ के लक्षण के बाद लेख के अगले भाग में अब हम सफेद जीभ के लिए घरेलू उपाय बताएंगे।
सफेद जीभ के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for White Tongue in Hindi
1. बेकिंग सोडा
सामग्री
 एक चुटकी बेकिंग सोडा
 दो से चार बूंद नींबू का रस
कैसे इस्तेमाल करें
सबसे पहले बेकिंग सोडा में नींबू का रस मिलाकर पेस्ट बना लें।
अब इस पेस्ट को लगाकर जीभ को ब्रश से साफ करें।
बाद में साफ पानी से कुल्ला कर लें।
जीभ को पूरी तरह से साफ करने के लिए इस प्रक्रिया करीब चार से पांच दिन तक नियमित इस्तेमाल किया जा सकता है।
कैसे है फायदेमंद
सफेद जीभ के घरेलू उपचार के लिए बेकिंग सोडा का इस्तेमाल किया जा सकता है। दरअसल, इसमें एंटीबैक्टीरियल प्रभाव पाए जाते हैं, जो मुंह को बैक्टीरिया से बचाकर मुंह के स्वास्थ्य को बरकरार रखने में मदद कर सकते हैं (7)। वहीं, दूसरी ओर एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) के एक शोध में जीवाणुओं पर सिट्रस फ्रूट के प्रभाव से जुड़ी जानकारी मिलती है। इससे पता चलता है कि हानिकारक जीवाणुओं के प्रभाव को कम करने में नींबू (सिट्रस फ्रूट) भी सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है (8)।
जीभ पर जमें खाद्य पदार्थों के अवशेषों का सड़ना और बैक्टीरियल प्रभाव सफेद जीभ का मुख्य कारण हैं (1)। इस आधार पर यह कह सकते हैं कि नींबू के रस के साथ मिलकर बेकिंग सोडा सफेद जीभ की समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।
2. एलोवेरा जूस
सामग्री
एक कप एलोवेरा जूस
कैसे इस्तेमाल करें
एलोवेरा जूस से कुल्ला करें और फिर 15 से 20 मिनट तक रुकें।
समय पूरा होने के बाद साफ पानी से कुल्ला कर लें।
बेहतर प्रभाव के लिए इस प्रक्रिया को 15 दिनों तक नियमित इस्तेमाल किया जा सकता है।
कैसे है फायदेमंद
एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एलोवेरा से संबंधित एक शोध में इसके कई औषधीय गुणों के बारे में बताया गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि एलोवेरा में एंटीबैक्टीरियल, एंटीहीलिंग (घाव भरने वाला), एंटीअल्सर (छालों को ठीक करने वाला), एंटीप्लाक (मुंह की गंदगी साफ करने वाला) और एंटी हेलिटोसिस (मौखिक दुर्गंध हटाने वाला) गुण पाया जाता है। एलोवेरा के ये सभी गुण संयुक्त रूप से संपूर्ण मौखिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं (9)। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि हानिकारक बैक्टीरिया के कारण जीभ पर जमने वाली सफेद परत को हटाने में एलोवेरा जूस के फायदे देखे जा सकते हैं।
3. हल्दी
सामग्री
एक चुटकी हल्दी पाउडर
दो से चार बूंद नींबू का रस
एक कप गर्म पानी
कैसे इस्तेमाल करें
सबसे पहले हल्दी पाउडर में नींबू का रस मिलाकर इसका पेस्ट बना लें।
अब इस पेस्ट को पूरी जीभ पर लगाएं और पांच से दस मिनट के लिए छोड़ दें।
समय पूरा होने के बाद गर्म पानी से कुल्ला कर लें।
जीभ पूरी तरह से साफ होने तक इस प्रक्रिया को नियमित इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
कैसे है फायदेमंद
विशेषज्ञों के मुताबिक हल्दी में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जिनमें एंटीमाइक्रोबियल (सूक्ष्म जीवाणु नष्ट करने वाला) और एंटीप्लाक (प्लाक दूर करने वाला) प्रभाव भी शामिल है। इन दोनों प्रभाव के कारण यह मौखिक स्वास्थ्य के लिए माउथ वाश के तौर पर भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है (10)। ऐसे में यह माना जा सकता है कि हल्दी पाउडर सफेद जीभ की समस्या में राहत दिलाने में लाभकारी साबित हो सकता है।
4. ग्लिसरीन
सामग्री
एक चम्मच ग्लिसरीन
एक कप गर्म पानी
कैसे इस्तेमाल करें
एक गर्म पानी में ग्लिसरीन डालकर मिला लें।
अब ग्लिसरीन युक्त इस पानी से कुल्ला करें।
इस प्रक्रिया को समस्या खत्म होने तक नियमित इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
कैसे है फायदेमंद
सफेद जीभ के लिए घरेलू उपाय में ग्लिसरीन और पानी के घोल को भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक ग्लिसरीन सोल्युशन (Glycerin Solution) एंटीबैक्टीरियल प्रभाव प्रदर्शित करते हैं (11)। वहीं, हम लेख में पहले भी बता चुके हैं कि मुंह में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म कर इस समस्या से राहत मिल सकती है। इस कारण कह सकते हैं कि ग्लिसरीन और पानी का घोल सफेद जीभ से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।
5. नमक
सामग्री
आधा चम्मच नमक
एक कप गर्म पानी
कैसे इस्तेमाल करें
सबसे पहले एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच नामक मिलाएं।
अब इस घोल से अच्छी तरह कुल्ला करें।
बेहतर प्रभाव के लिए इस प्रक्रिया को नियमित रूप से सुबह शाम इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
कैसे है फायदेमंद
मौखिक स्वास्थ्य पर नमक-पानी घोल के प्रभाव को जानने के लिए तमिलनाडु के डेंटल मेडिकल कॉलेज द्वारा एक शोध किया गया। इस शोध में पाया गया कि नमक-पानी का घोल दांतों पर जमा प्लाक (बैक्टीरियल प्रभाव के कारण जमी गंदगी) को हटाने में मदद कर सकता है। साथ ही यह मुंह व लार में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने में भी सहायक साबित हो सकता है। इस आधार पर निष्कर्ष निकाला गया कि नमक पानी के घोल से कुल्ला कर मुंह से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में मदद मिल सकती है (12)। ऐसे में यह माना जा सकता है कि बैक्टीरियल प्रभाव के कारण जीभ पर जमी सफेद परत को दूर करने में भी यह मिश्रण सहायक सिद्ध हो सकता है।
6. सेब का सिरका
सामग्री
एक चम्मच सेब का सिरका
एक कप पानी
कैसे इस्तेमाल करें
एक कप पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाएं।
इस मिश्रण को कुल्ला करने के लिए इस्तेमाल करें और 10 से 15 मिनट तक रुकें।
समय पूरा होने पर साफ पानी से कुल्ला कर लें।
कैसे हैं फायदेमंद
विशेषज्ञों के मुताबिक सेब का सिरका का उपयोग मुंह में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया के प्रभाव को कम कर मौखिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है। साथ ही यह मुंह की दुर्गंध को रोकने और दांतों पर जमी गंदगी को हटाने में भी मदद कर सकता है (13)। वहीं, लेख की शुरुआत में हम बता चुके हैं कि बैक्टीरियल प्रभाव के कारण जीभ पर जमे खाद्य पदार्थों के सड़ने से सफेद जीभ की समस्या होती है। यही सफेद जीभ की समस्या मुंह की दुर्गंध का भी मुख्य कारण है (1)। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि सेब के सिरके को इस समस्या से राहत पाने के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
सफेद जीभ के लिए घरेलू उपाय जानने के बाद अब हम सफेद जीभ का इलाज बताएंगे।
सफेद जीभ का इलाज – Treatment of White Tongue in Hindi
सामान्य अवस्था में सफेद जीभ का इलाज करने के लिए डॉक्टर इस समस्या में ब्रश करने के साथ टंग स्क्रेपर (जीभी) का प्रयोग करने की सलाह दे सकता है। साथ ही मुंह में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करने वाले माउथवाश या माउथजेल का इस्तेमाल का सुझाव भी दे सकता है। दरअसल, यह दोनों प्रक्रिया मौखिक स्वास्थ्य में सुधार कर सफेद जीभ की समस्या से राहत दिलाने में मदद सकती हैं (14) (15)।
वहीं, जांच में अगर सफेद जीभ के अन्य कारण नजर आते हैं तो डॉक्टर उन कारणों का इलाज कर इस समस्या को ठीक करने का प्रयास कर सकता है। तो आइए, अब हम उन कारणों के आधार पर सफेद जीभ के इलाज के बारे में जानकारी हासिल कर लेते हैं, जिन कारणों के विषय में लेख में पहले ही बताया जा चुका है।
ओरल थ्रश – ओरल थ्रश के इलाज के लिए डॉक्टर समस्या की स्थिति के आधार पर क्लोट्रिमाजोल (Clotrimazole), माइकोनाजोल (Miconazole) या निस्टैटिन (Nystatin) जैसी दवाओं को उपयोग में लाने की सलाह दे सकता है। वहीं, समस्या गंभीर होने पर फ्लूकोनाजोल की टैबलेट या इंजेक्शन देने पर विचार किया जाता है (3)।
ल्यूकोप्लाकिया – इस समस्या के इलाज के लिए डॉक्टर कुछ एंटीवायरल दवाओं को लेने की सलाह दे सकता है। साथ ही शराब व सिगरेट से दूर रहने के लिए भी कह सकता है। इन उपायों के बावजूद भी लाभ नहीं मिलता है तो जीभ पर बने सफेद धब्बों को हटाने के लिए सर्जरी पर विचार किया जा सकता है (4)।
ओरल लाइकेन प्लेनस – इस समस्या के इलाज के लिए बिगड़ी प्रतिरोधक प्रणाली को ठीक करने वाली कुछ दवाओं को उपयोग में लाया जाता है। साथ ही डॉक्टर विटामिन ए की क्रीम प्रभावित स्थान पर लगाने की सलाह दे सकता है। वहीं, कुछ गंभीर स्थितियों में डॉक्टर कोर्टिकोस्टेरॉयड (Corticosteroid) के इंजेक्शन सीधे जीभ के सफेद हिस्से में दे सकता है। इन उपायों को अपनाने के बाद भी फायदा न हो तो आखिरी विकल्प के तौर पर लेजर के माध्यम से इस समस्या को ठीक करने का प्रयास किया जाता है (5)।
सिफलिस – सफेद जीभ की समस्या अगर सिफलिस के कारण है तो इस स्थिति में डॉक्टर दवा के रूप में कोर्टिकोस्टेरॉयड (Corticosteroid) का इस्तेमाल करने की सलाह देता है (6)। बाजार में कोर्टिकोस्टेरॉयड टैबलेट, क्रीम और इंजेक्शन तीनो ही रूप में उपलब्ध हैं। इसलिए, डॉक्टर समस्या की स्थिति के आधार पर यह सुनिश्चित कर सकता है कि इनमें से किस रूप में इस दवा को उपयोग में लाना चाहिए।
सफेद जीभ का इलाज जानने के बाद अब हम सफेद जीभ से बचाव के कुछ उपाय बताएंगे।
सफेद जीभ से बचाव – Prevention Tips for White Tongue in Hindi
निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से सफेद जीभ से बचाव की जानकारी हासिल की जा सकती है।
नियमित रूप से दांतों के साथ जीभ की भी सफाई करें।
खाना खाने के बाद पानी से कुल्ला करने की आदत डालें, ताकि जीभ पर खाद्य पदार्थ के ��माव की आशंका कम रहे।
संतुलित आहार लें, ताकि प्रतिरोधक क्षमता ठीक से काम करे और मुंह में हानिकारक जीवाणुओं की संख्या नियंत्रित रहे।
सिगरेट, शराब और तंबाकू के सेवन से दूर रहें।
सफेद जीभ और उससे जुड़े कारणों को जानने के बाद, मुमकिन है कि अब इस समस्या को लेकर आपके मन में कोई संशय नहीं बचा होगा। वहीं, आपने जाना कि लेख में शामिल सफेद जीभ के घरेलू उपाय किस प्रकार इस समस्या में लाभ पहुंचा सकते हैं। फिर सोचना क्या, एक बार लेख में दिए सभी बिंदुओं को अच्छे से पढ़ें और फिर उन्हें अमल में लाएं। ऐसा कर न केवल इस समस्या से पीड़ित लोग ही लाभ उठा पाएंगे, बल्कि स्वस्थ व्यक्ति भी सफेद जीभ से बचाव की दिशा में एक बेहतर कदम उठा पाएंगे।
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अंकित रस्तोगी ने साल 2013 में हिसार यूनिवर्सिटी, हरियाणा से एमए मास कॉम की डिग्री हासिल की है। वहीं, इन्होंने अपने स्नातक के पहले वर्ष में कदम रखते ही टीवी और प्रिंट मीडिया का अनुभव लेना शुरू कर दिया था। वहीं, प्रोफेसनल तौर पर इन्हें इस फील्ड में करीब 6 सालों का अनुभव है। प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में इन्होंने संपादन का काम किया है। कई डिजिटल वेबसाइट पर इनके राजनीतिक, स्वास्थ्य और लाइफस्टाइल से संबंधित कई लेख प्रकाशित हुए हैं। इनकी मुख्य रुचि फीचर लेखन में है। इन्हें गीत सुनने और गाने के साथ-साथ कई तरह के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाने का शौक भी हैं।
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पेचिश के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Dysentery Causes, Symptoms and Home Remedies in Hindi
पेट से जुड़ी समस्याएं सामान्य से लेकर गंभीर रूप में भी सामने आ सकती हैं, जिसमें एक नाम पेचिश का भी शामिल है। देखा गया है कि जानकारी के अभाव में कई लोग इसे सामान्य दस्त ही समझ लेते हैं।
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पेचिश के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Dysentery Causes, Symptoms and Home Remedies in Hindi
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पेचिश के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Dysentery Causes, Symptoms and Home Remedies in Hindi
पेचिश के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Dysentery Causes, Symptoms and Home Remedies in Hindi Bhupendra Verma Hyderabd040-395603080 January 29, 2020
पेट से जुड़ी समस्याएं सामान्य से लेकर गंभीर रूप में भी सामने आ सकती हैं, जिसमें एक नाम पेचिश का भी शामिल है। देखा गया है कि जानकारी के अभाव में कई लोग इसे सामान्य दस्त ही समझ लेते हैं। यही वजह है कि इस लेख में हमने पेचिश से जुड़ी जरूरी जानकारी आपके साथ साझा की है। स्टाइलक्रेज के इस लेख से जरिए आप पेचिश के कारण के साथ-साथ पेचिश के लक्षण को वैज्ञानिक प्रमाण सहित समझ पाएंगे। साथ ही इस लेख में पेचिश का इलाज कैसे किया जा सकता है, इस संबंध में भी बताया गया है। लेख में कुछ पेचिश के घरेलू उपचार भी शामिल किए गए हैं, जो इसके प्रभाव व लक्षणों को कम करने में सहायक भूमिका निभा सकते हैं।
लेख के पहले भाग में जानते हैं कि पेचिश क्या है?
विषय सूची
पेचिश क्या है? What is Dysentery in Hindi
दस्त के गंभीर रूप को पेचिश कहा जाता है। यह बैक्टीरिया और पैरासाइट इन्फेक्शन के कारण होता है। इससे पीड़ित व्यक्ति का मल पानी की तरह निकलता है और मल के साथ खून भी आता है। इसके होने के पीछे शिगेला नामक बैक्टीरिया और एटामोइबा हिस्टोलिटिका नामक पैरासाइट जिम्मेदार होते हैं (1)। अगर समय रहते इसका उपचार न किया जाए, तो इसके कई घातक परिणाम सामने आ सकते हैं। लेख में आगे इसके लक्षण, प्रकार व कारण के साथ-साथ इसके इलाज के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है।
आइए, अब जानते हैं कि पेचिश के कितने प्रकार होते हैं।
पेचिश के प्रकार – Types of Dysentery in Hindi
आमतौर पर पेचिश के दो प्रकार के होते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है:
बैसीलरी पेचिश – यह पेचिश शिगेल��� (Shigella) नामक बैक्टीरिया के कारण होता है, जो दूषित खाद्य पदार्थ, पानी और संक्रमित व्यक्ति के जरिए फैलता है (2)।
अमीबिक पेचिश – यह पेचिश का दूसरा प्रकार है, जो एटामोइबा हिस्टोलिटिका (Entamoeba histolytica) नामक पैरासाइट की वजह से होता है। यह पेचिश ज्यादातर स्वच्छता की कमी वाले क्षेत्रों में होता है। यह पैरासाइट दूषित खाद्य पदार्थ और दूषित पानी के जरिए फैलता है। ऐसे क्षेत्रों में दस्त वाले लगभग 40% लोगों को अमीबिक पेचिश की शिकायत होती है (3)।
ऊपर आपने पेचिश के प्रकार पढ़ें, आगे पेचिश के कारण जानिए।
पेचिश के कारण – Causes of Dysentery in Hindi
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि पेचिश होने का मुख्य कारण बैक्टीरिया (शिगेला) और एटामोइबा हिस्टोलिटिका नामक पैरासाइट होता है। ये बैक्टीरिया और पैरासाइट निम्नलिखित कारणों से फैलते हैं, जिन्हें पेचिश होने की वजहों में गिना जा सकता है – (2), (3) :
दूषित पानी
दूषित आहार
संक्रमित मल
संक्रमित व्यक्ति से संपर्क
चलिए, अब जानते हैं कि पेचिश के लक्षण किस तरह के हो सकते हैं।
पेचिश के लक्षण – Symptoms of Dysentery in Hindi
पेचिश के लक्षण इसके प्रकार के आधार पर एक जैसे और अलग-अलग हो सकते हैं, जिन्हें नीचे बताया गया है – (2),(3):
बैसीलरी पेचिश के लक्षण :
दस्त
बुखार
पेट में दर्द
मल के साथ रक्त
अमीबिक पेचिश के लक्षण :
बुखार
ठंड लगना
मल के साथ रक्त
पेट में दर्द या अन्य समस्या (Abdominal Discomfort)
ऊपर पेचिश के लक्षण जानने के बाद, अब जानिए पेचिश के घरेलू उपाय।
पेचिश के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Dysentery in Hindi
पेचिश को घरेलू उपचार की मदद से कुछ हद तक कम किया जा सकता है। इसके लिए नीचे बताए जा रहे घरेलू नुस्खों को अपनाया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि ये घरेलू उपचार इस समस्या का संपूर्ण इलाज नहीं हैं। इस गंभीर अवस्था में डॉक्टर से जांच करवाना भी जरूरी है।
1. बटरमिल्क (छाछ)
सामग्री:
एक गिलास बटरमिल्क
उपयोग की विधि:
बटरमिल्क को ताजा पी लीजिए।
पेचिश की स्थिति में प्रतिदिन दो से तीन गिलास बटरमिल्क पी सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद:
बटरमिल्क को पेचिश के लिए घरेलू उपाय के रूप में इस्तेमाल में लाया जा सकता है। एक वैज्ञानिक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि छाछ का सेवन पेचिश में आराम दिलाने में मददगार साबित हो सकता है (4)। हालांकि, यह किस प्रकार पेचिश में फायदा पहुंचाता है, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
2. कच्चा पपीता
सामग्री:
आधा कच्चा पपीता
तीन कप पानी
उपयोग की विधि:
पपीते को छिलकर कद्दूकस कर लें।
फिर पानी में डालकर लगभग 15 मिनट के लिए उबालें।
इसके बाद इसे छानकर थोड़ी देर के लिए गुनगना होने के लिए रख दें।
पानी के गुनगुना होने पर इसका सेवन करें।
इसे प्रतिदिन दो से तीन बार पी सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद:
पेट संबंधी समस्याओं के इलाज में पपीता मददगार साबित हो सकता है। इसके सेवन से अपच, पेचिश और कब्ज से छुटकारा पाया जा सकता है। दरअसल, पपीते में पपैन (Papain) और काइमोपपैन (Chymopapain) जैसे प्रोटियोलिटिक एंजाइम (Proteolytic Enzymes) पाए जाते हैं, जो एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुणों से समृद्ध होते हैं। यहां एंटीबैक्टीरियल गुण पेचिश से बचाव व कुछ हद तक रोकथाम में एक अहम भूमिका निभा सकता है (5)। ऐसे में माना जा सकता है कि पपीता, पेचिश के लिए घरेलू उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
3. हरीतकी
सामग्री:
आधा चम्मच हरीतकी पाउडर
एक गिलास पानी
उपयोग की विधि:
सबसे पहले पानी को हल्का गर्म कर लें।
फिर इसमें हरीतकी पाउडर को मिलाकर पी लीजिए।
जब तक पेचिश से राहत नहीं मिलती, तब तक रात में सोने से पहले इसे पिएं।
कैसे है फायदेमंद:
हरीतकी का उपयोग पेचिश से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, यह दस्त और पेट में गैस की समस्या (Flatulence) में कारगर हो सकता है। पेचिश के लिए इसमें पाए जाने वाले एंटीबैक्टीरियल गुण मददगार हो सकते हैं (6)। इसलिए, कहा जा सकता है कि हरीतकी को पेचिश और डायरिया के घरेलू इलाज में शामिल किया जा सकता है।
नोट – गर्भवती, पतले व्यक्ति, कमजोरी से ग्रस्त व्यक्ति और डिप्रेशन के शिकार लोग डॉक्टरी परामर्श पर ही इसका इस्तेमाल करें।
4. मेथी बीज
सामग्री:
एक चम्मच मेथी बीज
एक गिलास छाछ (बटरमिल्क)
उपयोग की विधि:
सबसे पहले मेथी के बीज को अच्छे से पीस लें।
फिर इसे छाछ में अच्छे से मिलाकर पी लें।
प्रतिदिन दो बार इसका सेवन किया जा सकता है।
कैसे है फायदेमंद:
मेथी के बीज को पेचिश के लिए घरेलू उपाय में शामिल किया जा सकता है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि दक्षिण भारत में भुने हुए मेथी के बीज को पेचिश के उपचार में उपयोग किया जाता है, जो इस समस्या को दूर करने में मदद कर सकता है। मेथी के बीज में एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जो बैक्टीरिया की वजह से होने वाले पेचिश से बचाने में मदद कर सकते हैं (7)। फिलहाल, इस संबंध में और शोध की आवश्यकता है।
5. नींबू
सामग्री:
आधा नींबू
एक गिलास पानी
उ���योग की विधि:
पानी को हल्का गर्म करें।
फिर इसमें नींबू को निचोड़कर पी लें।
दिन में दो से तीन बार पी सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद:
पेचिश के घरेलू इलाज में नींबू का इस्तेमाल किया जा सकता है। एक अध्ययन में बताया गया है कि नींबू डायरिया का कारण बनने वाले बैक्टीरिया से बचाव का काम कर सकता है, इसके पीछे इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण प्रभावी होते हैं (8)। पेचिश की स्थिति में नींबू सीधे तौर से कैसे काम करता है, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
6. सेब का सिरका
सामग्री:
एक चम्मच सेब का सिरका
एक गिलास पानी
उपयोग की विधि:
सबसे पहले पानी को हल्का गर्म कर लें।
फिर इसमें सेब के सिरके को अच्छे से मिलाकर पी लीजिए।
इसे प्रतिदिन एक से दो बार ले सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद:
सेब के सिरके का उपयोग पेचिश की स्थिति में सुधार का काम कर सकता है। दरअसल, इसमें एंटीमाइक्रोबियल प्रभाव पाए जाते हैं, जो बैक्टीरिया को दूर रखने और इनसे लड़ने में सहायक होते हैं (9)। जैसा कि हमने ऊपर बताया कि पेचिश का एक कारण बैक्टीरिया भी है। इसलिए, कहा जा सकता है कि सेब का सिरका पेचिश में कुछ हद तक लाभदायक हो सकता है।
7. ब्लैक टी
सामग्री:
एक चौथाई चम्मच काली चाय की पत्ती
एक कप पानी
दो से चार बूंद नींबू का रस (वैकल्पिक)
उपयोग की विधि:
पानी में चाय की पत्ती को डालकर उबाल लें।
फिर इसमें स्वाद के लिए नींबू का रस डालकर पिएं।
इसे दिन में दो बार पी सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद:
बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय (पश्चिम बंगाल) द्वारा किए गए एक शोध के मुताबिक, ब्लैक टी का उपयोग पेचिश में मददगार साबित हो सकता है। दरअसल, ब्लैक टी में एंटी बैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीसेप्टिक और डिटॉक्सिफाइंग गुण होते हैं, जो संक्रामक पेचिश के इलाज में मदद कर सकते हैं (10)।
8. ग्रीन बनाना पल्प
सामग्री:
एक हरा केला
आधा कप छाछ
उपयोग की विधि:
केले को छिलकर मैश करें और छाछ के साथ अच्छी तरह से मिलाएं।
फिर इस मिश्रण का सेवन कर लें।
दिन में एक बार सेवन करें।
कैसे है फायदेमंद:
केले के फायदे पेचिश की स्थिति में लाभदायक साबित हो सकते हैं। दरअसल, इस विषय से जुड़े एक जर्नल में इस बात का जिक्र मिलता है कि केला दस्त और पेचिश में मददगार साबित हो सकता है। जर्नल में इस बात को भी कहा गया है कि केले में नॉन डाइजेस्टिबल फाइबर मौजूद होते हैं, जो दस्त और कब्ज, दोनों स्थितियों में फायदेमंद साबित हो सकते हैं (11)। फिलहाल, पेचिश पर केले के सकारात्मक प्रभाव जानने के लिए अभी और शोध की आवश्यकता है।
9. कैमोमाइल टी
सामग्री:
एक चम्मच कैमोमाइल के सूखे फूल
एक कप पानी
उपयोग की विधि:
पानी में सूखे कैमोमाइल फूल को डालकर उबाल लें।
लगभग 10 मिनट उबलने के बाद इसे छानकर पी लें।
स्वाद के लिए इसमें शहद भी डाल सकते हैं।
दिन में दो से तीन बार इस चाय को पी सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद:
कैमोलाइल के फायदे पेचिश की स्थिति में ही देखे जा सकते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध के मुताबिक, कैमोमाइल का अर्क पेट से जुड़ी कई समस्याओं, जैसे – दस्त, उल्टी, मतली और अपच में लाभकारी हो सकता है (12)। वहीं, एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक अन्य शोध में कैमोमाइल के एंटीपैरासिटिक (परजीवी संक्रमण से बचाव), एंटीबैक्टीरियल और एंटी डायरियल (दस्त से बचाव करने वाला) गुणों के बारे में पता चलता है (13)। ये सभी गुण संयुक्त रूप से पेचिश से बचाव में मदद कर सकते हैं। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
10. गाजर
सामग्री:
दो मध्यम आकार के गाजर
एक छोटा बीटरूट
उपयोग की विधि:
दोनों सामग्रियों को छिलकर टुकड़ों में काट लें।
फिर जूसर की मदद से गाजर और बीटरूट का रस निकाल लें।
फिर इसे ताजा ही पी लें।
दिनभर में एक बार इस जूस को पी सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद:
गाजर का इस्तेमाल कुछ हद तक पेचिश की स्थिति में लाभदायक हो सकता है। दरअसल, एक अध्ययन में इस बात का पता चलता है कि बीटरूट के साथ गाजर का सेवन दस्त से आराम दिलाने में मदद कर सकता है। हालांकि, पेचिश की स्थिति में यह कितना फायदेमंद होगा, इस पर सटीक वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है (14)। वहीं, एक अन्य शोध में गाजर के एंटीमाइक्रोबियल गुण के बारे में पता चलता है, जो कुछ हद तक पेचिश से बचाव में मददगार साबित हो सकता है (15)। फिलहाल, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
11. बेल का फल
सामग्री:
एक चम्मच बेल फल का गूदा
पानी
उपयोग की विधि:
सबसे पहले बेल के गूदे को पानी में अच्छे से मिला लें।
फिर इस मिश्रण का सेवन कर लें।
कैसे है फायदेमंद:
बेल एक तरह का पेड़ होता है। इसके फल को खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। माना जाता है कि बेल का फल डायरिया और पेचिश, दोनों स्थितियों में फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, यह किस प्रकार काम करता है, इस पर अभी और शोध किए जाने की जरूरत है (16)। अब आगे जानिए पेचिश का डॉक्टरी इलाज क्या हो सकता है।
पेचिश का इलाज – Dysentery Treatment in Hindi
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) द्वारा पेचिश और दस्त के लक्षण को कम करने के लिए कुछ एंटीबायोटिक दवाई के बारे में बताया गया है। इनमें सिप्रोफ्लोक्सासिन (Ciprofloxacin), सीफ्रीअक्सोन (Ceftriaxone) और पिवमेसिलिनम (Pivmecillinam) के नाम शामिल हैं। ये दवाइयां पेचिश के बैक्टीरियोलॉजिकल लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं (17)। पेचिश के इलाज से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
लेख के अंतिम में जानिए कि पेचिश से बचाव किस प्रकार किया जा सकता है।
पेचिश से बचाव – Prevention Tips for Dysentery in Hindi
निम्नलिखित बिंदुओं का पालन कर पेचिश से बचाव किया जा सकता है –
साफ पानी और भोजन ग्रहण करें।
खाना खाने से पहले हाथों को अच्छे से धोएं।
अपने आसपास की जगह को साफ रखें।
बाहर से आने के बाद अच्छी तरह से हाथ-पैर धोएं।
गंदगी वाले स्थानों पर जाने से बचें।
फाइबर युक्त आहार का सेवन करें।
बीच-बीच में मेडिकल टेस्ट जरूर कराएं।
स्वास्थ्य को लेकर हमेशा जागरूक रहें।
उम्मीद करते हैं कि अब आपको समझ आ गया होगा कि पेचिश किस तरह की समस्या है। साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया होगा कि इस समस्या से बचाव और इससे निजात पाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा सकते हैं। इससे बचे रहने के लिए आप लेख में बताई गईं सावधानियों का पालन अवश्य करें। पेचिश का इलाज करने के लिए बताए गए पेचिश के घरेलू उपाय वैकल्पिक रूप से मदद कर सकते हैं, लेकिन इसके सटीक उपचार के लिए डॉक्टर से पास जरूर जाएं। हम आशा करते हैं कि यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा। इसके अलावा, लेख से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए आप नीचे दिए कमेंट बॉक्स की मदद जरूर लें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या पेचिश संक्रामक है?
जी हां, जैसा कि हमने ऊपर बताया कि पेचिश बैक्टीरिया और परजीवी के कारण होता है। ये बैक्टीरिया और परजीवी दूषित मल के साथ संक्रमित व्यक्ति के जरिए एक स्वस्थ इंसान के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं (1)।
क्या पेचिश के कारण जान जा सकती है?
जी हां, सही उपचार का अभाव और पेचिश की गंभीर स्थिति मौत की वजह बन सकती है (18)। इसलिए, जरूरी है कि वक्त रहते इसका इलाज कराया जाए।
दस्त और पेचिश के बीच अंतर क्या है?
दस्त में मल पानी की तरह निकलता है और वहीं पेचिश में मल के साथ खून भी निकलता है (19)।
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झुर्रियों के लिए नारियल के तेल के फायदे और उपयोग – Coconut Oil for Wrinkles in Hindi
झुर्रियों के लिए नारियल के तेल के फायदे और उपयोग – Coconut Oil for Wrinkles in Hindi Auli Tyagi Hyderabd040-395603080 January 29, 2020
व्यस्त दिनचर्या में त्वचा की सही देखभाल कर पाना मुश्किल काम है। त्वचा को लगातार पोषण नहीं मिलने से चेहरे पर झुर्रियां दिखाई देने लगती है। चेहरे पर झुर्रियां होने के और भी कई कारण हो सकते हैं, जैसे सूरज की तेज किरणें और बढ़ती उम्र इत्यादि (1)। हालांकि, झुर्रियां से निजात पाने के लिए बाजार में कई एंटी एजिंग और एंटी रिंकल्स क्रीम मौजूद हैं, लेकिन अगर आपको इनसे कोई खास फायदा नहीं हो रहा है, तो नारियल के तेल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। अब समय से पहले आने वाली झुर्रियों से बचने के लिए नारियल तेल कितना असरदार है, स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम इसी बारे में पढ़ेंगे। झुर्रियों के लिए नारियल के तेल के फायदे जानने के साथ-साथ हम इसे लगाने का तरीका भी जानेंगे।
विषय सूची
झुर्रियों के लिए नारियल का तेल क्यों फायदेमंद है?
एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) में प्रकाशित एक अध्ययन में वर्जिन नारियल तेल को त्वचा के लिए लाभकारी माना गया है। इसमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा को कई प्रकार के नुकसान से बचा सकते हैं, जिनमें से एक रूखापन है (2)। नारियल तेल त्वचा में नमी को लंबे समय तक बनाए रखने में मदद कर सकता हैं, जिस कारण चेहरे पर झुर्रियां होने की आशंका कम हो सकती है। नारियल तेल त्वचा के बाहरी कैरोटीन को बनाए रखने में सहायक हो सकता है, जिससे त्वचा कोमल रहती है (3)। झुर्रियों के होने का कारण त्वचा के अंदर कोलेजन और इलास्टिन का टूट जाना है (4)। वहीं, नारियल से बने उत्पाद कोलोजन बनाते हैं (5)। खासतौर पर, जब बढ़ती उम्र में त्वचा अपनी नमी खोने लगती है, तब नारियल के सभी उत्पाद झुर्रियों के असर को कम करने में मदद कर सकते हैं (6)।
आइए, अब जानते हैं कि झुर्रियों के लिए नारियल का तेल कैसे प्रयोग में लाया जा सकता है।
झुर्रियों के लिए नारियल के तेल का उपयोग – How to Use Coconut Oil for Wrinkles in Hindi
 झुर्रियों के लिए नारियल के तेल का उपयोग कई तरीकों से किया जा सकता है। इसके लिए नारियल के तेल को अकेले या कुछ अन्य तत्वों के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं, कुछ लोगों की त्वचा संवेदनशील होती है। इसलिए, उन्हें कुछ घरेलू नुस्खों से एलर्जी हो सकती है। इसलिए, संवेदनशील लोगों को चाहिए कि इन्हें इस्तेमाल करने से पहले पैच टेस्ट जरूर करें। आइए, अब विस्तार से जानते हैं कि झुर्रियों से निजात पाने के लिए नारियल के तेल को कैसे उपयोग किया जा सकता है।
1. झुर्रियों के लिए नारियल तेल
सामग्री :
वर्जिन कोकोनट ऑयल (शुद्ध नारियल तेल)
कैसे इस्तेमाल करें?
रात को सोने से पहले अपने चेहरे को साफ पानी से धोएं और तौलिये से सुखा लें।
फिर उंगलियों पर थोड़ा-सा नारियल तेल लगाकर इसे पूरे चेहरे पर लगाएं।
इसके बाद हल्के-हल्के हाथों से पूरे चेहरे की मालिश करें।
तेल को रात भर लगा रहने दें और सुबह ताजे पानी से मुंह धो लें।
झुर्रियों के लिए नारियल के तेल के लाभ पाने के लिए ये नुस्खा रोजाना अपनाएं।
कैसे मदद करता है?
नारियल के तेल में त्वचा को नमी देने वाले गुण मौजूद हैं। साथ ही यह तेल त्वचा में पीएच के स्तर को बनाए रखने में भी मदद कर सकता है। नारियल के तेल को मॉइस्चराइजर का भी बेहतरीन विकल्प माना गया है। यह रूखी व सूखी त्वचा यानी जेरोसिस (xerosis) को ठीक कर सकता है (7)। नारियल का तेल यूवी रेडिएशन के प्रभाव से त्वचा को सुरक्षा प्रदान कर सकता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा को हानिकारक बैक्टीरिया से बचा सकते हैं (8)। झुर्रियों से बचने के लिए नारियल के तेल के फायदे आप रोजाना ले सकते हैं।
2. सेब का सिरका और नारियल तेल
सामग्री :
एक चम्मच एप्पल साइडर विनेगर
एक बड़ा चम्मच पानी
नारियल तेल की चार से पांच बूंदें
लगाने के लिए रूई (कॉटन बॉल)
कैसे इस्तेमाल करें?
एप्पल साइडर विनेगर यानी सेब के सिरके को पानी के साथ मिला लें।
कॉटन बॉल की मदद से इसे अपने पूरे चेहरे पर लगाएं।
चेहरे पर लगाने के बाद इसे प्राकृतिक रूप से सूखने दें।
इसके बाद नारियल के तेल से चेहरे की मालिश करें।
रात भर चेहरे पर नारियल का तेल लगा रहने दें और अगली सुबह चेहरा धो लें।
झुर्रियों के लिए नारियल के तेल के लाभ पाने और त्वचा को कोमल रखने के लिए आप रोज रात को सोने से पहले यह प्रयोग कर सकते हैं।
कैसे मदद करता है?
सेब का सिरका त्वचा के लिए बेहतरीन टोनर का काम कर सकता है। साथ ही यह त्वचा के पीएच स्तर को बनाए रखने में भी मदद कर सकता है (9)। पीएच का स्तर संतुलित रहने से झुर्रियों की समस्या से कुछ हद तक बचा जा सकता है। फिलहाल, इस संबंध में अधिक वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। इसके साथ झुर्रियों के लिए नारियल के तेल का प्रयोग किया जा सकता है, क्योंकि यह तेल स्किन पर एंटी एजिंग प्रभाव डाल सकता है। एंटी एजिंग प्रभाव के चलते झुर्रियों के होने का डर काफी हद तक कम हो सकता है (10) ।
3. अरंडी का तेल और नारियल का तेल
सामग्री:
एक चम्मच अरंडी का तेल
एक चम्मच शुद्ध नारियल तेल
कैसे इस्तेमाल करें?
दोनों तेलों को मिलाएं और अपने चेहरे पर धीरे से मालिश करें।
इसे रात भर के लिए छोड़ दें और अगली सुबह मुंह धो लें।
झुर्रियों के लिए नारियल के तेल के फायदे पाने के लिए आप इस नुस्खे का रोज प्रयोग कर सकते हैं।
कैसे मदद करता है?
अरंडी के तेल में त्वचा को नमी देने वाले गुण पाए जाते हैं और ये त्वचा को साफ करने में मददगार साबित हो सकते हैं। त्वचा के लिए अरंडी के तेल के फायदे इतने हैं कि इसे कई कॉस्मेटिक उत्पादों में शामिल किया जाता है (11)। फिलहाल, त्वचा के संबंध में अरंडी के तेल पर और वैज्ञानिक शोध की जरूरत है। वहीं, नारियल का तेल झुर्रियों के लिए कितना फायदेमंद है, यह बात आप जान चुके हैं। इस प्रकार इन दोनों तेल के इस्तेमाल से आप स्वस्थ त्वचा प्राप्त कर सकते हैं।
4. विटामिन-ई और नारियल का तेल
सामग्री :
विटामिन-ई का एक कैप्सूल
एक चम्मच नारियल का तेल
कैसे इस्तेमाल करें?
विटामिन-ई के कैप्सूल को सावधानी से खोलकर नारियल के तेल में मिलाएं।
फिर चेहरे को धोकर तौलिये से अच्छी तरह पोंछ लें।
चेहरे पर इस मिश्रण को लगाकर पांच मिनट तक हल्के हाथों से मालिश करें।
कुछ देर इस मिश्रण को लगे रहने दें और फिर ताजे पानी से चेहरा साफ कर लें।
आप इसका इस्तेमाल रोज रात को सोने से पहले कर सकते हैं।
कैसे मदद करता है?
एनसीबीआई में प्रकाशित एक अध्ययन में त्वचा के लिए  विटामिन-ई के लाभ देखे गए हैं (12)। वहीं, एक अन्य शोध में विटामिन-ई को आंख के नीचे आने वाले काले घेरों और झुर्रियों पर असरकारी पाया गया है। इस अध्ययन में पाया गया है कि विटामिन-ई के प्रयोग से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम किया जा सकता है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण झुर्रियों सहित त्वचा की कई बीमारियां हो सकती हैं (13)।
5. नारियल का तेल और शहद
सामग्री :
एक चम्मच शुद्ध नारियल तेल
एक चम्मच शुद्ध शहद
कैसे इस्तेमाल करें?
नारियल तेल और शहद को मिलाकर मिश्रण तैयार करें।
अब इस मिश्रण को झुर्रियों वाले स्थान पर लगाएं।
सूखने पर चेहरे को ठंडे पानी से धो लें।
आप यह नुस्खा हर दिन अपना सकते हैं।
कैसे मदद करता है?
शहद को त्वचा के लिए बहुत अच्छा माना गया है, क्योंकि इसमें नमी बनाए रखने की क्षमता होती है। इसमें पाए जाने वाले मिनरल्स और एंजाइम त्वचा रोग के लक्षणों को कुछ हद तक ठीक कर सकते हैं। त्वचा के लिए शहद के फायदे होने के कारण शहद का प्रयोग कई कॉस्मेटिक उत्पादों में किया जाता है। यह त्वचा को जवां बनाए रखता है और झुर्रियां पड़ने से रोकता है (14)।  शहद के साथ नारियल तेल का प्रयोग करना झुर्रियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि हम पहले ही जिक्र कर चुके हैं कि नारियल तेल झुर्रियों के लिए फायदेमंद है।
6. नारियल तेल और नींबू का रस
सामग्री :
एक चम्मच नारियल का तेल
नींबू के रस की कुछ बूंदें
एक चम्मच कच्चा दूध
कैसे इस्तेमाल करें?
दूध में नींबू का रस मिलाएं और तब तक मिक्स करें, जब तक दूध फट न जाए।
अब इसमें नारियल का तेल डालें और अच्छी तरह मिलाएं।
फिर इस मिश्रण को अपने चेहरे पर लगाएं और 2-3 मिनट तक मालिश करें।
इसे 15 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर चेहरा धो लें।
आप इस नुस्खे को हर दिन दोहरा सकते हैं।
कैसे मदद करता है?
नींबू को साइट्रस फलों की श्रेणी में रखा गया है, क्योंकि इसमें विटामिन-सी की मात्रा पाई जाती है (15)। नींबू के गुण त्वचा की इलास्टिसिटी को बढ़ाते हैं और झुर्रियों को कम करते हैं (16)। इस नुस्खे में प्रयोग किया गया दूध त्वचा को नमी दे सकता है।
7. नारियल का तेल और हल्दी
सामग्री :
एक चम्मच शुद्ध नारियल तेल
एक चुटकी हल्दी
कैसे इस्तेमाल करें?
सबसे पहले नारियल के तेल में हल्दी पाउडर डालें और अच्छी तरह मिलाएं।
अब इस पेस्ट को झुर्रियों पर लगाएं और 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें।
इसके बाद चेहरे को ताजे पानी से धो लें।
आप इस घरेलू नुस्खे का प्रयोग प्रतिदिन कर सकते हैं।
कैसे मदद करता है?
हल्दी में करक्यूमिन नाम का यौगिक पाया जाता है, जो फ्री रेडिकल्स से लड़कर त्वचा को नुकसान होने से बचा सकता है (17)। हल्दी त्वचा को सूरज की पराबैंगनी किरणों से बचा सकती है। लंबे समय तक धूप में रहने से त्वचा बेजान नजर आने लगती है और झुर्रियां होने का डर बना रहता है, ऐसे में हल्दी गुणकारी साबित हो सकती है। साथ ही हल्दी त्वचा की इलास्टिसिटी में सुधार करती है और पिगमेंटेशन से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकती है (18)।
नारियल तेल के घरेलू नुस्खे जानने के बाद अब हम उन तरीकों के बारे में भी जान लेते हैं, जो झुर्रियों को होने से राेकते हैं।
बचाव – Caution
ऊपर दिए गए सारे नुस्खे चेहरे के लिए काफी फायदेमंद हैं, लेकिन कुछ बातों को ध्यान में रखकर आप असमय झुर्रियां होने की आशंका से बच सकते हैं। ये काम की बातें कुछ इस प्रकार हैं :
सूरज की पराबैंगनी किरणों से बचकर रहें। धूप में जाते से सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल करें।
विटामिन-ई युक्त खाद्य पदार्थों का भरपूर सेवन करें।
त्वचा में नमी बनाए रखने के लिए मॉइस्चराइजर का प्रयोग करें।
धूम्रपान जैसी गलत आदतों से दूर रहें।
भरपूर मात्रा में पानी पिएं।
सात से आठ घंटे की नींद जरूर लें।
इस आर्टिकल में आपने जाना कि झुर्रियों के लिए नारियल के तेल का उपयोग कितना फायदेमंद है। असमय आने वाली झुर्रियों से निजात पाने के लिए किसी केमिकल युक्त कॉस्मेटिक से बेहतर है कि प्राकृतिक तत्वों का इस्तेमाल किया जाए। ये सभी तत्व किफायती हैं और इनसे त्वचा को नुकसान पहुंचने का खतरा भी नहीं रहता। अगर आप झुर्रियों को कम करने वाले किसी और घरेलू नुस्खे के बारे में जानते हैं, तो उसे नीचे दिए कमेंट बॉक्स के जरिए हमारे साथ शेयर कर सकते हैं।
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Auli Tyagi
औली त्यागी उभरती लेखिका हैं, जिन्होंने हरिद्वार (उत्तराखंड) से पत्रकारिता और जनसंचार में एम.ए. की डिग्री हासिल की है। औली को लेखन के क्षेत्र में दो साल का अनुभव है। औली प्रतिष्ठित दैनिक अखबार और कम्युनिटी रेडियो स्टेशन से ट्रेनिंग ले चुकी हैं। औली सामाजिक मुद्दों पर लिखना पसंद करती हैं। लेखन के अलावा इन्हें वीडियो एडिटिंग और फोटोग्राफी का तकनीकी ज्ञान भी हैं। इन्हें हिंदी और उर्दू साहित्य में विशेष रुचि है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/jhurriyon-ke-liye-nariyal-ke-tel-ke-fayde-in-hindi/
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तैलीय बालों (ऑयली हेयर) के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Oily Hair in Hindi
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तैलीय बालों (ऑयली हेयर) के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Oily Hair in Hindi
तैलीय बालों (ऑयली हेयर) के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Oily Hair in Hindi Soumya Vyas Hyderabd040-395603080 January 8, 2020
तैलीय और चिपचिपे बाल किसी को पसंद नहीं होते। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय भी करते हैं, लेकिन परिणाम सकारात्मक रूप से सामने नहीं आते हैं। देखा जाए तो यह समस्या वर्तमान में आम बन चुकी है और इससे निजात कैसे पाया जाए, एक महत्वपूर्ण सवाल हो सकता है। विषय की गंभीरता देखते हुए स्टाइलक्रेज के इस लेख में ऑयली बालों के लिए घरेलू उपाय बताए गए हैं। ये उपाय सीधे तौर पर कितने कारगर होंगे, इसपर वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। लेकिन ये घरेलू नुस्खे ऑयली बालों को दूर करने में कुछ हद तक मदद कर सकते हैं और साथ ही बालों से जुड़ी अन्य कई समस्याओं से बचाव भी कर सकते हैं।
आइये, सबसे पहले आपको बता दें कि तैलीय बालों के कारण क्या-क्या हो सकते हैं।
विषय सूची
तैलीय बाल होने के कारण – Causes of Oily Hair in Hindi
तैलीय बालों का मुख्य कारण होता है, स्कैल्प में मौजूद सिबेशॅस (ऑयल ग्लैंड्स) से अत्यधिक तेल का निकलना (1)। इस तेल को सीबम कहा जाता है और इसके अत्यधिक निकलने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। नीचे जानिए तैलीय बालों के कारण (2) :
महिलाओं की तुलना में पुरुषों में सीबम का उत्पादन अधिक होता है।
ओव्यूलेशन (महीने का वो समय जब ओवरी से एग्स निकलते हैं) के दौरान सीबम का उत्पादन महिलाओं में ज्यादा होता है।
वसंत या गर्मी के मौसम में।
वातावरण में नमी (ह्यूमिडिटी)
एण्ड्रोजन (पुरुष हार्मोन) के बढ़ने से।
तैलीय बालों के कारण बताने के बाद, लेख के अगले भाग में कुछ उपाय बताए गए हैं, जो ऑयली हेयर को दूर करने में कुछ हद तक मदद कर सकते हैं।
तैलीय बालों के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies For Oily Hair in Hindi
लेख के इस भाग में कुछ ऐसे घरेलू नुस्खों के बारे में बताया गया है, जो बालों को स्वस्थ रखने और उन्हें ब���ने में मदद कर सकते हैं। इन सभी का उपयोग तैलीय बालों के लिए किया जा सकता है। लेकिन इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है कि ये उपचार ऑयली हेयर के लिए उपाय के रूप में कितने कारगर होंगे।
1. नारियल का तेल
सामग्री :
आवश्यकतानुसार नारियल का तेल  
विधि :
एक कटोरी में नारियल तेल लें और उसे गुनगुना कर लें।
अब इस तेल से लगभग 15-20 मिनट तक सिर की अच्छे से मसाज करें।
फिर एक घंटे के लिए तेल को बालों में ही लगे रहने दें।
आखिर में बालों को शैम्पू से धो लें।
कैसे काम करता है :
नारियल तेल की चम्पी तैलीय बालों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ट्रिकोलॉजी द्वारा किए गए एक शोध में पाया गया है कि सूरजमुखी और मिनरल ऑयल की तुलना में नारियल का तेल हल्का होता है, जो आसानी से स्कैल्प में समा जाता है। शोध के अनुसार इन तीनों तेलों में सिर्फ नारियल तेल बालों में प्रोटीन को बनाए रखने में मदद कर सकता है और इस प्रकार यह बालों के लिए गुणकारी हो सकता है (3)।
2. सेब का सिरका
सामग्री :
दो से तीन चम्मच सेब का सिरका
एक कप पानी
विधि :
एक कप पानी में दो से तीन चम्मच सेब का सिरका मिला लें।
बालों को शैम्पू से धोने के बाद, बालों को सेब के सिरके से धोएं।
इसे कुछ देर छोड़ने के बाद, बालों को साफ पानी से धो लें।
कैसे काम करता है :
सेब के सिरके के फायदों की मदद से स्कैल्प और बालों को स्वस्थ रखा जा सकता है। यह अपने एंटीमाइक्रोबियल गुणों के लिए जाना जाता है, जिसकी वजह से यह बालों और त्वचा में संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद कर सकता है (4)। शैम्पू करने से बाद, बालों को सेब के सिरके के पानी से धोने से बालों की चमक और उनकी सेहत बनाए रखने में मदद मिल सकती है (5)। इन फायदों की वजह से सेब के सिरके का उपयोग ऑयली बालों के लिए घरेलू उपाय के रूप में किया जा सकता है।
3. टी ट्री ऑयल
सामग्री :
टी ट्री ऑयल की 10-12 बूंदे
लगभग 30 मिली नारियल या जोजोबा ऑयल
विधि :
एक बोतल में दोनों तेलों को अच्छी तरह मिला कर भर लें।
अब इस तेल को बालों की जड़ों से लेकर सिरे तक लगाएं और कुछ देर रहने दें।
लगभग एक घंटे के बाद बालों को शैम्पू से धो लें।
कैसे काम करता है :
तैलीय बालों के कारण रूसी की समस्या हो सकती है (6)। टी ट्री ऑयल का बालों में उपयोग करने से रूसी की समस्या से आराम पाया जा सकता है। इसमें मौजूद एंटीफंगल गुण रूसी फैलाने वाले फंगस को खत्म कर सकते हैं, जिससे इस समस्या से राहत पाने में मदद मिल सकती है (7)।
4. एलो वेरा जेल
सामग्री :
एक-दो चम्मच एलो वेरा जेल
एक चम्मच नींबू का रस
एक कप पानी
विधि :
एक बाउल में एलो वेरा जेल और नींबू का रस मिला लें।
 इस घोल में एक कप पानी डालकर अच्छे से मिलाएं।
शैम्पू से बाल धोने के बाद इस घोल से सिर की मसाज करें।
कुछ देर बाद बालों को ठंडे पानी से धो लें।
कैसे काम करता है:
तैलीय बालों के लिए घरेलू उपाय के रूप में एलो वेरा कई तरीके से बालों के लिए फायदेमंद हो सकता है। यह बालों को झड़ने से रोकने के साथ, उन्हें क्षति से बचाने में मदद कर सकता है। इसके साथ, यह रूसी की समस्या से भी आराम दिला सकता है और बालों को कंडीशन करके उनकी चमक और स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है (8)।
5. एप्सम साल्ट
सामग्री :
आवश्यकानुसार एप्सम साल्ट
विधि :
अपने शैम्पू में थोड़ा सा एप्सम साल्ट मिला लें।
अच्छी तरह मिल जाने के बाद, इस शैम्पू से बालों को धोएं।
कैसे काम करता है:
एप्सम साल्ट का उपयोग शरीर के लिए अलग अलग प्रकार से किया जाता है, जैसे मांसपेशियों के दर्द या सूजन से आराम के लिए। इसके अलावा, खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ इसका उपयोग ऑयली बालों के लिए उपाय के रूप में भी किया जा सकता है। यह बालों को घना बनाए रखने में मदद कर सकता है और बालों को बढ़ने में भी मदद करता है (9)।
6. बेकिंग सोडा
सामग्री :
बेकिंग सोडा (आवश्यकतानुसार)
विधि :
थोड़ा सा बेकिंग सोडा लेकर उसे शैम्पू के साथ बालों की जड़ों से लेकर सिरों तक लगाएं।
इसके बाद, कंघी की मदद से बेकिंग सोडा को पूरे बालो में फैलाएं।
आप चाहे तो, बेकिंग सोडा में पानी मिलाकर बालों में उपयोग कर सकते है।
आखिर में बालों में साफ पानी से धो लें।
कैसे काम करता है:
ऑयली हेयर के लिए घरेलू उपाय के रूप में, बेकिंग सोडा का उपयोग शैम्पू के साथ किया जा सकता है। शैम्पू के साथ इस्तेमाल करने से यह बालों में उपयोग किए गए स्टाइलिंग उत्पाद (जैसे जेल या हेयर स्प्रे) के ��वशेष को पूरी तरह निकाल कर बालों को अच्छी तरह साफ करने में मदद कर सकता है। इसके साथ, इसके उपयोग से बालों को संभालने में आसानी होती है (10)। इस फायदे की वजह से बेकिंग सोडा का उपयोग ऑयली हेयर के लिए घरेलू उपाय के रूप में किया जा सकता है।
7. ग्रीन टी
सामग्री :
आधा कप ग्रीन टी की पत्तियां
एक कप पानी
विधि :
एक पैन में एक कप पानी उबालने रख दें।
जब पानी उबलने लगे तो उसमे ग्रीन टी की पत्तियां डाल दें।
लगभग पांच मिनट तक उबलने के बाद तैयार ग्रीन टी को छान लें।
अब ग्रीन टी को थोड़ा ठंडा कर लें और फिर इसे स्कैल्प और बालों में लगाएं।
30 से 35 मिनट के बाद बालों को धो लें।
कैसे काम करता है:
बालों को बढ़ने और स्वस्थ रखने में डर्मल पेपिला नाम के सेल्स मदद करते हैं (11)। बालों पर ग्रीन टी का उपयोग इन सेल्स के लिए फायदेमंद हो सकता है। ग्रीन टी में प्रोलिफेरेटिव गुण होते हैं, जो सेल्स को बढ़ने में मदद कर सकते हैं (12)। इसके साथ, ग्रीन टी त्वचा में सीबम के उत्पादन को कम करती है, जिससे ऑयली बालों को दूर करने में मदद मिल सकती है (13)।
8. आर्गन ऑयल
सामग्री :
शुद्ध आर्गन ऑयल (आवश्यकतानुसार)
एक टॉवल
विधि :
आर्गन ऑयल लेकर बालों की अच्छे से मसाज करें।
अब बालों को तौलिए से लपेट लें और लगभग आधे से एक घंटे के लिए छोड़ दें।
आखिर में शैम्पू और गुनगुने पानी की मदद से बालों को धो लें।
कैसे काम करता है:
त्वचा से जुड़ी समस्याओं जैसे मुंहासे, झुर्रियों और रूखी त्वचा के लिए सदियों से आर्गन ऑयल का उपयोग किया जा रहा है। त्वचा के साथ, यह बालों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है। माना जाता है कि आर्गन ऑयल बालों का झड़ना कम करने के साथ-साथ बालों को रूखेपन से भी बचा सकता है (14)। साथ ही आर्गन ऑयल बालों को डाई (Hair Color) से होने वाली क्षति से बचाने में भी मदद कर सकता है (15)। आर्गन ऑयल के इन फायदों की वजह से इसका इस्तेमाल ऑयली बालों के लिए भी किया जा सकता है। फिलहाल इस संबंध में कोई वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है।
9. कोको पाउडर
सामग्री :
एक चम्मच कोको पाउडर
विधि :
एक चम्मच कोको पाउडर को अपने बालों और स्कैल्प पर लगाएं।
अब एक कंघे की मदद से उसे बालों में अच्छी से फैला दें।
कुछ देर रखने के बाद बालों को शैम्पू से धो लें।
कैसे काम करता है:
माना जाता है कि कोको पाउडर को बालों में लगाने से यह स्कैल्प में मौजूद अतिरिक्त तेल को सोखने में मदद कर सकता है। लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है। आप चाहें तो इसका पेस्ट बना कर भी उपयोग कर सकते हैं। इसके साथ, कोको पाउडर में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं, जो स्कैल्प में हुई किसी प्रकार की सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं (16)। ऑयली हेयर के लिए घरेलू उपाय के रूप में यह किस तरह काम करेगा, इसपर अभी शोध होना बाकी है।
10. अंडा
सामग्री :
एक अंडा
एक चम्मच नींबू का रस
विधि :
एक बाउल में अंडा फेंट लें और फिर उसमें नींबू का रस मिला लें।
अब इस घोल को बालों में लगाएं और 30 से 35 मिनट के लिए छोड़ दें।
आखिर में बालों को शैम्पू और ठंडे पानी की मदद से धो लें।
नोट: अंडा लगाने के बाद बालों को गुनगुने पानी से न धोएं। ऐसा करने से उसकी दुर्गंध हटाने में मुश्किल हो सकती है।
कैसे काम करता है:
बालों और स्कैल्प से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने और बालों को स्वस्थ रखने में अंडा लाभदायक साबित हो सकता है। यह बालों का झड़ना कम करने के साथ, क्षतिग्रस्त बालों को ठीक करने में भी मदद कर सकता है। इसके अलावा, यह रूसी को कम करने और बालों को कंडीशन करने में मदद कर सकता है (8)। इस प्रकार बालों में अंडा लगाने के फायदे, ऑयली हेयर को दूर करने में भी मिल सकते हैं।
11. नींबू का रस
सामग्री :
दो नींबू का रस
दो कप पानी
विधि :
एक बाउल में दोनों सामग्री को अच्छी तरह मिला लें।
अब इस बाउल को कुछ देर के लिए फ्रिज में रख दें।
अब बालों को श���म्पू से धोएं और बालों को सुखाकर बनाए गए घोल से सिर की मसाज करें।
लगभग 10 मिनट मसाज करने के बाद, बालों को पानी से धो लें।
कैसे काम करता है:
तैलीय बालों के लिए घरेलू उपाय के रूप में नींबू के रस का उपयोग किया जा सकता है। नींबू के रस में एंटीफंगल गुण होते हैं, जो रूसी को कम करने में मदद कर सकते हैं। ये मालासेजिया (Malassezia species) नामक फंगस को खत्म करने का काम करते हैं, जो बालों में रूसी का कारण बनते हैं। हालांकि, ऑयली हेयर के लिए घरेलू उपचार के रूप में नींबू का रस कितना कारगर होगा, इसपर अभी और शोध की आवश्यकता है (17)।
12. जोजोबा ऑयल
सामग्री :
जोजोबा ऑयल (आवश्यकतानुसार)
विधि :
इस तेल से बालों की जड़ों से लेकर सिरे तक अच्छे से मसाज करें।
आधा या एक घंटे बाद बालों को शैम्पू और गुनगुने पानी से धो लें।
कैसे काम करता है:
रूसी से आराम पाने के लिए प्रभावी एंटीफंगल गुणों की जरूरत होती है। ऐसे में, जोजोबा के तेल में पाए जाने वाले एंटीफंगल गुण काम कर सकते हैं (18)। इसके साथ, जोजोबा ऑयल बालों को बढ़ने और घने होने में मदद कर सकता है (19)। आप चाहें तो जोजोबा ऑयल को नारियल के तेल में मिलाकर सिर की मसाज कर सकते हैं। लेकिन यह ऑयली हेयर के लिए घरेलू उपाय के रूप में किस तरह काम कर सकता है, इस बारे में फिलहाल ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है।
13. ओटमील
सामग्री :
आधा कप ओटमील (पके हुए)
विधि :
थोड़े से ओटमील को उंगलियों की मदद से स्कैल्प पर लगाएं।
ओटमील लगाने के 15 से 20 मिनट बाद बालों को शैम्पू की मदद से धो लें।
कैसे काम करता है:
ओटमील को एक प्राकृतिक क्लेंसेर के रूप में उपयोग किया जा सकता है (20)। माना जाता है कि यह स्कैल्प और बालों से गंदगी निकालकर, उन्हें साफ करने में मदद कर सकता है, जिससे स्कैल्प से अतिरिक्त ऑयल निकलने की समस्या और ऑयली हेयर को दूर करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, यह इसमें कितना प्रभावशाली साबित होगा, इस पर कोई शोध उपलब्ध नहीं है।
14. विटामिन
सामग्री :
विटामिन-ए
कैसे काम करता है:
ऑयली हेयर के लिए उपाय में अपने आहार में कुछ परिवर्तन लाने से इस समस्या से आराम मिल सकता है। माना जाता है कि आहार में विटामिन-ए को शामिल करने से त्वचा और स्कैल्प में मौजूद अतिरिक्त ऑयल से राहत मिल सकती है। जैसा कि तैलीय बालों के कारण में हम आपको बता चुके हैं कि इसकी सबसे मुख्य वजह सीबम का उत्पादन अधिक होना है। ऐसे में, आहार में विटामिन-ए शामिल करने से फायदा हो सकता है, क्योंकि यह सीबम उत्पादन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जिससे ऑयली स्कैल्प और ऑयली बालों से निजात पाया जा सकता है (2)।
15. दही
सामग्री :
आधा कप दही
विधि :
दही को उंगलियों की मदद से स्कैल्प पर लगाएं।
15 से 20 मिनट रखने के बाद, बालों को शैम्पू और गुनगुने पानी की मदद से धो लें।
कैसे काम करता है:
जैसा कि हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि अत्यधिक सीबम की वजह से रूसी की समस्या हो सकती है (6)। ऐसे में, बालों में दही लगाने से रूसी की समस्या से आराम मिल सकता है। इसके साथ ही दही बालों का झड़ना कम कर उन्हें बढ़ने में मदद करता है। इसके अलावा, यह बालों की चमक बरकरार रखने और बालों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है (8)।
16. मेहंदी
सामग्री :
आधा कप मेहंदी
एक अंडे का सफेद भाग
दो चम्मच नारियल तेल
विधि :
एक बाउल में सभी सामग्री को अच्छी तरह मिला लें।
इसे ब्रश की मदद से बालों में लगाएं और सूखने के लिए छोड़ दें।
अंत में बालों को ठंडे पानी से धो लें।
कैसे काम करता है:
अंडे और नारियल के तेल के साथ, बालों में मेहंदी का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। जहां नारियल और अंडा, बालों को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं, वहीं मेहंदी में एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं, जो बालों से रूसी हटाने में मदद कर सकते हैं (17)। लोगों का यह भी मानना है कि मेहंदी लगाने से बालों की चमक बरकरार रहती है और यह सफेद बालों को काला करने में भी मदद कर सकती है। लेकिन इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
लेख के इस भाग में जानिए तैलीय बालों से बचने के उपाय के बारे में।
तैलीय बालों से बचने के उपाय – Prevention Tips for Oily Hair in Hindi
अगर आपके बाल ऑयली हैं, तो नीचे बताई गईं कुछ बातों को ध्यान में रखने से मदद मिल सकती है:
ये न करें :
अपने बालों पर ज्यादा हाथ न फेरें।
कंडीशनर को स्कैल्प पर न लगाएं।
अपने बालों को गरम पानी से न धोएं।
तनाव मुक्त रहने की कोशिश करें।
तैलीय खाना और फास्ट फूड खाने से बचें।
 ये करें :
बालों को हर दो से तीन दिन में शैम्पू से धोएं।
भरपूर नींद लें।
भरपूर पानी पिएं।
बालों को ठंडे या गुनगुने पानी से धोएं।
अपने तकिए का कवर लगभग हर हफ्ते बदलें और उसे साफ रखें।
दोस्तों, इस लेख के माध्यम से आप समझ गए होंगे कि बालों को स्वस्थ रखने के लिए बताए गए उपाय किस प्रकार काम कर सकते हैं। इसके अलावा, आप यह भी समझ गए होंगे कि बालों से जुड़ी समस्याओं के साथ ऑयली बालों को दूर करने में इनकी क्या भूमिका हो सकती है। ये उपचार ऑयली बालों के लिए घरेलू उपाय के रूप में कितने कारगर होंगे, इस पर वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है, लेकिन बालों को स्वस्थ रखने के लिए इनका प्रयोग किया जा सकता है। साथ ही ऑयली बालों को दूर करने के लिए लेख में बताई गई जरूरी बातों का भी ध्यान रखें। उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा। लेख से जुड़े सवाल या सुझाव के लिए आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स की मदद ले सकते हैं।
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Soumya Vyas
सौम्या व्यास ने माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, भोपाल से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बीएससी किया है और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ जर्नलिज्म एंड न्यू मीडिया, बेंगलुरु से टेलीविजन मीडिया में पीजी किया है। सौम्या एक प्रशिक्षित डांसर हैं। साथ ही इन्हें कविताएं लिखने का भी शौक है। इनके सबसे पसंदीदा कवि फैज़ अहमद फैज़, गुलज़ार और रूमी हैं। साथ ही ये हैरी पॉटर की भी बड़ी प्रशंसक हैं। अपने खाली समय में सौम्या पढ़ना और फिल्मे देखना पसंद करती हैं।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/oily-hair-ke-liye-gharelu-upay-in-hindi/
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क्या कीटो डाइट आसानी से वजन घटाने में मदद करती है? – Keto Diet in Hindi
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क्या कीटो डाइट आसानी से वजन घटाने में मदद करती है? – Keto Diet in Hindi
क्या कीटो डाइट आसानी से वजन घटाने में मदद करती है? – Keto Diet in Hindi Arpita Biswas Hyderabd040-395603080 December 30, 2019
आजकल लोग वजन घटाने या खुद को फिट रखने के लिए कई तरीके आजमाते हैं। कोई जिम जाता है, कोई योग करता है, तो कोई डाइट पर ध्यान देता है। लगभग हर व्यक्ति खुद को स्वस्थ रखने के लिए अपने आहार पर ध्यान देता है। अगर डाइट प्लान की बात करें, तो अभी के जमाने में कई तरह की डाइटिंग चलन में हैं। उन्हीं में से एक है कीटो डाइट, जिसे कीटोजेनिक डाइट भी कहा जाता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम कीटो डाइट संबंधी सभी जरूरी जानकारी जैसे – कीटो डाइट प्लान क्या है, कीटो डाइट चार्ट में कौन सी चीजें हो सकती है, कीटो डाइट के फायदे क्या-क्या हो सकते हैं आदि के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। इतना ही नहीं अगर कीटो डाइट के नुकसान हैं, तो हम उस बारे में भी बात करेंगे। इसलिए, कीटो डाइट प्लान से संबंधित सभी जानकारियों के लिए इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें।
सबसे पहले जानते हैं कि कीटो डाइट क्या है।
विषय सूची
कीटो डाइट प्लान क्या है? – What Is Keto Diet In Hindi
कीटोजेनिक आहार में लोग प्रतिदिन कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, एक मध्यम मात्रा में प्रोटीन और उच्च मात्रा में वसायुक्त आहार का सेवन करते हैं। इसका मतलब यह है कि शरीर एनर्जी के लिए फैट को अधिक बर्न करता है। फिर केटोसिस नामक एक प्रक्रिया में इसे ‘कीटोन बॉडीज’ या कीटोन में तोड़ता है। कीटोजेनिक आहार में लोग आमतौर पर प्रतिदिन केवल 20 से 50 ग्राम कार्बोहाइड्रेट खाते हैं। उदाहरण के रूप में ब्रेड के 2 स्लाइस और एक केले का सेवन मतलब 50 ग्राम कार्बोहाइड्रेट लेना है (1)।
कीटोजेनिक डाइट 4 प्रकार के होते हैं (2): 
स्टैंडर्ड कीटोजेनिक डाइट (Standard ketogenic diet-SKD)- इसमें कम कार्बोहाइड्रेट, मध्यम मात्रा में प्रोटीन और उच्च मात्रा में फैट लिया जाता है। इसमें आमतौर पर 70 प्रतिशत वसा, 20 प्रतिशत प्रोटीन और केवल 10 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट लिया जाता है।
साइक्लिकल कीटोजेनिक डाइट (Cyclical ketogenic diet-CKD) – इसमें कीटोजेनिक डाइट साइकिल के बीच उच्च कार्बोहाइड्रेट का सेवन भी शामिल है। उदाहरण के लिए हफ्ते में 5 दिन कीटोजेनिक डाइट और दो दिन उच्च कार्बोहाइड्रेट डाइट।
टार्गेटेड कीटोजेनिक डाइट (Targeted ketogenic diet -TKD)- इसमें एक्सरसाइज के साथ-साथ अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट का सेवन किया जा सकता है।
हाई प्रोटीन कीटोजेनिक डाइट (High-protein ketogenic diet-HPKD)- इसमें प्रोटीन का सेवन अधिक किया जाता है। लगभग 60 प्रतिशत फैट, 35 प्रतिशत प्रोटीन और 5 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट शामिल हैं। इसके बावजूद यह अधिक फैट वाली डाइट है।
नोट : स्टैंडर्ड कीटोजेनिक डाइट (SKD) और हाई प्रोटीन कीटोजेनिक डाइट (HPKD) का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। साइक्लिकल कीटोजेनिक डाइट (CKD) और टार्गेटेड कीटोजेनिक डाइट (TKD) हाल ही में चर्चा में आई हैं। इन्हें ज्यादातर बॉडीबिल्डर या फिर एथलीट अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं।
अब बारी आती है कीटो डाइट के फायदे जानने की।
कीटो डाइट प्लान के फायदे – Keto Diet Benefits In Hindi
लेख के इस भाग में हम कीटो डाइट के फायदे के बारे में जानकारी दे रहे हैं। नीचे पढ़ें कीटो डाइट प्लान के फायदे क्या-क्या हो सकते हैं (1) (2) (3) (4)।
वजन कम करने में मददगार हो सकती है।
टाइप 2 डायबिटीज के लिए लाभकारी हो सकती है।
कोलेस्ट्रॉल में सुधार करने में सहायक हो सकती है।
कैंसर के जोखिम को कम करने या कैंसर के उपचार के लिए लाभकारी हो सकती है।
अल्जाइमर से बचाव के लिए मददगार हो सकती है।
मिर्गी के जोखिम को कम करने में मददगार हो सकती है।
लेख के आगे के भाग में जानिए कीटो डाइट फॉर वेट लॉस के लिए कीटो डाइट प्लान।
4 हफ्ते का नमूना कीटो डाइट प्लान – Sample Keto Diet Plan in Hindi 
ध्यान रहे कि यहां कीटो डाइट चार्ट को एक नमूने के तौर पर तैयार किया गया है। इसमें मौजूद सामग्रियों व उसकी मात्रा में आहार विशेषज्ञ की सलाह और व्यक्ति के उम्र, जरूरत व स्वास्थ्य के अनुसार बदलाव किया जा सकता है। हर व्यक्ति का शरीर और खाने की पसंद एक जैसी नहीं होती है, इसलिए इन कीटो डाइट चार्ट में बदलाव संभव है।
पहला सप्ताह:
समय डाइट सुबह 7 बजे ●     गर्म या गुनगुने पानी के साथ नींबू
या फिर
●     गर्म या गुनगुने पानी के साथ एक चम्मच त्रिफला चूर्ण
नाश्ता सुबह 8:30 बजे ●     1 उबला अंडा + केल स्मूदी
या फिर
●     नारियल का दूध, चिया हलवा या पुडिंग थोड़े से नारियल और अखरोट के साथ
या फिर
●     बादाम दूध, हरी सब्जियां, बादाम मक्खन के साथ बनाई गई स्मूदी
दोपहर का भोजन 12:30 बजे ●     सब्जियों का सूप
या फिर
●     मशरूम और सलाद पत्तों का सलाद उच्च वसा के ड्रेसिंग के साथ
या फिर
●     हाई फैट ड्रेसिंग के साथ चिकन, गाजर, शिमला मिर्च और हरी बीन्स की सलाद
दोपहर के भोजन के बाद 2:30 बजे ●     1 कप ग्रीक योगर्ट और 2 बादाम शाम के स्नैक्स 5:00 बजे ●      1 कप ग्रीन टी में थोड़ा नींबू का रस रात का खाना 7:30 बजे ●     झींगा और जूड्ल्स (एक प्रकार का नूडल्स)
या फिर
●     एवोकैडो और उबली हुई ब्रोकली साथ में थोड़ा ओलिव ऑयल
या फिर
●     मशरूम और क्रीम सूप
कैसे लाभकारी हो सकती है?
कीटो डाइट प्लान के पहले हफ्ते में वजन में ज्यादा कमी हो सकती है, क्योंकि कम कार्ब वाला आहार खाने से शरीर से अतिरिक्त पानी बाहर निकल जाता है। इतना ही नहीं लिवर से अतिरिक्त सोडियम भी निकलता है। इससे तेजी से वजन कम होने में मदद मिल सकती है। शरीर में उत्पादित अतिरिक्त कीटोन्स जमा नहीं होते हैं, बल्कि मूत्र के जरिए बाहर निकल जाते हैं। चयापचय को बढ़ावा देने और फैट को बर्न करने के लिए हर रोज खूब सारा प्रोटीन युक्त और अच्छे फैट वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करें। पूरे दिन में 6 मील लें। जैसे कि इस डाइट में कम कार्ब वाले खाद्य पदार्थों के बारे में बताया गया है। शरीर को पोषण देने के लिए आहार में हरी सब्जियां, फल और नट्स को शामिल किया जा सकता है। एक हफ्ते के लिए तैयार किए गए इस कीटो डाइट प्लान फॉर वेट लॉस से शरीर को ऊर्जा मिल सकती है।
दूसरा सप्ताह:
समय  डाइट प्रातः सुबह 7 बजे गुनगुने या गर्म पानी के साथ एक चम्मच सेब का सिरका नाश्ता सुबह 8:30 बजे ●     गुनगुने या गर्म पानी के साथ एक चम्मच सेब का सिरका
या फिर
●     कार्बनिक मेपल सिरप के साथ 1 कप हर्बल टी + 1 क्रीम चीज़ पैनकेक
या फिर
●     एक पूरा उबला हुआ अंडा और एक गिलास दूध या सोया दूध
या फिर
●     1 कप बुलेटप्रूफ कॉफी + क्रिस्पी फूलगोभी के पकौड़े
दोपहर का भोजन 12:30 बजे ●     एवोकैडो और टमाटर के साथ सलाद पत्तों का टैको (मकई या गेहूं से बनी एक प्रकार की रोटी, जिसमें वेज या नॉन-वेज की फिलिंग हो सकती है)
या फिर
●     भूना हुआ चिकन और सब्जियां
या फिर
●     ब्रोकली और हरी बीन्स के साथ ग्रील्ड चिकन के साथ अच्छा उच्च फैट सॉस
दोपहर के भोजन के बाद 2:30 बजे ●     1 छोटी कटोरी फ्लेवर्ड दही शाम के स्नैक्स 5:00 बजे ●     2 अलसी की कूकीज + 1 कप मसालेदार चाय या हर्बल टी रात का खाना 7:30 बजे ●     गाजर और हरी सब्जियों के साथ ग्रील्ड मछली
या फिर
●     ताजा क्रीम के साथ बटरनट (अखरोट) स्क्वैश सूप
●     लौकी और फूलगोभी के साथ दाल का सूप
कैसे फायदेमंद हो सकती है?
पहले हफ्ते की तरह ही दूसरे हफ्ते में भी 6 मील खाने की आवश्यकता है। साथ ही दिन में दो बार हर्बल टी का सेवन करें। ध्यान रहे कि सही मात्रा में प्रोटीन का भी सेवन किया जाना चाहिए। कार्बोहाइड्रेट की न्यूनतम मात्रा भी आवश्यक है, इसलिए सब्जियों का सेवन भी सही तरीके से करना जरूरी है। हर्बल टी के बजाय बुलेटप्रूफ कॉफी (मक्खन वाली कॉफी) भी ली जा सकती है। सामान्य ब्लैक कॉफी में मक्खन, नारियल तेल और क्रीम को मिलाकर बुलेटप्रूफ कॉफी बनाई जाती है। इससे शरीर को ऊर्जा प्राप्त हो सकती है।
तीसरा सप्ताह:
प्रातः सुबह 7 बजे ●     नींबू और आर्गेनिक शहद के 1 बड़े चम्मच के साथ गर्म या गुनगुना पानी नाश्ता सुबह 8:30 बजे ●     1 कप ग्रीन टी + 1 उबला अंडा + पालक की स्मूदी
या फिर
●     1 मध्यम कटोरे में क्विनोआ घी में पकाई गई सब्जियां
दोपहर का भोजन 12:30 बजे ●     2 बादाम या 1 कप ग्रीक योगर्ट शाम के स्नैक्स 5:00 बजे ●     1 कप ग्रीन ��ी रात का खाना 7 बजे ●     ग्रील्ड चिकन सलाद अच्छी उच्च वसा ड्रेसिंग के साथ
●     सोया चंक रैप (गेहूं के फ्लैट ब्रेड का उपयोग करें)
कैसे फायदेमंद हो सकती है?
तीसरा हफ्ता पहले दो हफ्ते के ही समान होता है, लेकिन सेवन की जाने वाली कैलोरी की संख्या के आधार पर यह काफी अलग होता है। इस हफ्ते में दोपहर के खाने के बाद छोटे मील को हटाया जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि शरीर भारी नाश्ते से मिली ऊर्जा का उपयोग करे और खाने को पचने में भी आसानी हो। इसके बाद प्रोटीन युक्त डिनर से शरीर को फिर से एनर्जी मिल सकती है।
चौथा सप्ताह:
प्रातः सुबह 7 बजे ●     नींबू पानी के साथ अलसी बीज का चूर्ण नाश्ता सुबह 8:30 बजे ●     1 कप ग्रीन टी या ब्लैक कॉफी दोपहर का भोजन 12:30 बजे ●     1 सेब या 1 गिलास छाछ रात का खाना 7 बजे ●     चिकन सूप + फ्रूट कस्टर्ड
या फिर
●     पालक, लहसुन, खट्टा क्रीम और पारमेसन चीज़ + फ्लेवर्ड दही के साथ मसली हुई गोभी
या फिर
●     स्मोक्ड चिकन + हरी सब्जियां + 1 मध्यम आकार की चॉकलेट ब्राउनी
कैसे फायदेमंद हो सकती है?
कीटो डाइट प्लान के चौथे सप्ताह में हाई फैट, उच्च प्रोटीन और कम कार्ब वाले खाद्य पदार्थ खाने की आवश्यकता होती है। इस हफ्ते में काफी हद तक वजन कम हो सकता है, क्योंकि किटोसिस फैट को बर्न करने में मदद कर सकता है। यह वह सप्ताह है, जब कीटो डाइट प्लान के साथ नियमित व्यायाम करने वालों को सबसे अधिक फायदा हो सकता है।
ये तो थे हफ्ते के अनुसार कीटो डाइट चार्ट के नमूने। अब बारी आती है यह जानने की कि कीटो डाइट में और क्‍या-क्या खा सकते हैं।
कीटो डाइट में क्‍या खाएं – Foods to Eat on the Keto Diet In Hindi
नीचे हम कीटो डाइट प्लान में खाए जाने वाले कुछ खाद्य पदार्थों की सूची शेयर कर रहे हैं (2) (5) (6)।
हरी सब्जियां जैसे – पालक, खीरा, ब्रोकली, स्प्राउट्स, शिमला मिर्च, मशरूम, गोभी
चिकन
साबुत अनाज
नट्स जैसे – बादाम, अखरोट
बीज
जैतून का तेल
तरह-तरह के फल
खूब सारा पानी
लेख के अगले भाग में जानिए कि कीटो डाइट प्लान में किन खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
कीटो डाइट में क्‍या न खाएं – Foods to Avoid on the Keto Diet In Hindi
कीटो डाइट फॉर वेट लॉस के लिए नीचे बताए गए खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें (7)।
शराब का सेवन न करें।
सॉफ्ट ड्रिंक या सोडायुक्त पेय पदार्थों से दूर रहें।
तले-भुने खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें।
बाहर का खाना या जंक फूड का सेवन न करें।
ज्यादा मसाले वाले खाद्य पदार्थों से दूर रहें।
ज्यादा सोडियम युक्त खाद्य पदार्थों से दूर रहें।
प्रोसेस्ड मीट का सेवन न करें।
नोट : अगर कीटो डाइट चार्ट में मौजूद किसी खाद्य पदार्थ से किसी व्यक्ति को एलर्जी है, तो उसका सेवन न करें। कीटो डाइट प्लान के बारे में आहार विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें। कीटो डाइट प्लान की कई चीजें व्यक्ति के उम्र और स्वास्थ्य पर भी निर्भर करती है। इसलिए, बेहतर है कि कीटो डाइट प्लान शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
लेख के आगे के भाग में जानिए कीटो डाइट फॉर वेट लॉस के लिए किस तरह की एक्सरसाइज और योग फायदेमंद हो सकते हैं।
वजन घटाने के लिए कीटो डाइट के साथ कुछ व्यायाम और योगासन
कीटो डाइट प्लान फॉर वेट लॉस में अगर व्यायाम या योग को शामिल कर लिया जाए, तो उसका प्रभाव और जल्दी दिख सकता है। साथ ही इन्हें सही प्रकार से करना भी जरूरी है। व्यायाम या योग न सिर्फ मोटापे को कम करने में मदद कर सकते हैं, बल्कि अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी बचाव करने में मदद कर सकते हैं (8) (9) (10) (11) (12)।
नीचे हम चार हफ्तों में किए जाने वाले कुछ आसान व्यायाम व योग के बारे में जानकारी दे रहे हैं। पहले तीन हफ्ते मुश्किल व्यायाम किए जा सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि चौथे सप्ताह में हल्के-फुल्के स्ट्रेचिंग योगासन का सहारा लें, क्योंकि चौथे सप्ताह में व्यक्ति लिक्विड डाइट पर रहता है।
पहला हफ्ता – वॉर्मअप + जॉगिंग + रनिंग + जंपिंग जैक + रस्सी कूदना
दूसरा हफ्ता – वॉर्मअप + रस्सी कूदना + स्क्वाट + पुश अप + एरोबिक्स
तीसरा हफ्ता – वॉर्मअप + सीढ़ी चढ़ना + पुश अप + कार्डियो
चौथा हफ्ता – वॉर्मअप + योग + चलना + ध्यान लगाना या मेडिटेट करना
नोट : कोई भी एक्सरसाइज या योगासन करने से पहले किसी विशेषज्ञ द्वारा राय जरूर लें। साथ ही किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें। साथ ही व्यक्ति अपने उम्र और स्वास्थ्य के अनुसार व्यायाम या योग के बारे में विशेषज्ञ की सलाह ले सकता है।
कीटो डाइट प्लान फॉर वेट लॉस कुछ लोगों के लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इसलिए, लेख के इस भाग में हम कीटो डाइट प्लान से संबंधित कुछ टिप्स दे रहे हैं।
कीटो डाइट के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips for Keto Diet in Hindi
कीटो डाइट प्लान के शुरुआत में कुछ परेशानियां हो सकती है। पसंद की चीजें खाने का मन हो सकता है। ऐसे में इधर-उधर की चीजों में मन लगाकर ध्यान भटकाने का प्रयास करें।
कीटो डाइट प्लान का प्रभाव और अच्छा हो, उसके लिए नियमित व्यायाम व योग करें। चाहें तो जिम या योग सेंटर भी जॉइन कर सकते हैं।
नियमित रूप से पानी पिएं।
कीटो डाइट प्लान के साथ शरीर को आराम भी दें।
कीटो डाइट प्लान के साथ जीवनशैली में भी बदलाव किया जा सकता है। बाहर खाने की जगह बेहतर है कि घर में ही बना खाना खाएं।
एक कप कॉफी और सैंडविच के लिए कॉफी शॉप जाने की जगह घर में ही कॉफी बनाए और साथ में अंडे या हरी सब्जियों का सैंडविच बनाकर खाएं।
सही वक्त पर खाना खाएं।
कीटो डाइट प्लान फॉर वेट लॉस के शुरुआत से ही हर दिन या हर हफ्ते वजन चेक करें और उसे लिखते जाएं। इससे पता चलेगा कि कीटो डाइट फॉर वेट लॉस का कितना असर हो रहा है।
सही वक्त पर सोएं और सुबह उठें। ध्यान रहे कि नींद पूरी करें।
कीटो डाइट प्लान हर किसी के लिए आसान नहीं है, क्योंकि इसमें कई चीजों को खाने में रोक लगी होती है। ऐसे में इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, जिसके बारे में लेख के इस भाग में जानकारी दी जा रही है।
कीटो डाइट प्लान के नुकसान – Keto Diet Plan Side Effect In Hindi
हर चीज के दो पहलू होते हैं एक फायदा और एक नुकसान। उसी तरह कीटो डाइट के फायदे हैं, तो कुछ नुकसान भी हैं। नीचे पढ़ें कीटो डाइट के नुकसान (6) (7)।
पोषक तत्वों की कमी
मतली या उल्टी
सिरदर्द
थकान
मूड स्विंग्स या चिड़चड़ापन
चक्कर आना
थकान
कब्ज
अनिद्रा
कीटो डाइट के फायदे जानने के बाद कई लोग इसे फॉलो करना चाहेंगे। उससे पहले कीटो डाइट प्लान को आजमाने के लिए कीटो डाइट चार्ट के बारे में आहार विशेषज्ञ से सलाह लें। साथ ही कीटो डाइट प्लान फॉर वेट लॉस को अगर सही तरीके से किया जाए, तो इसका असर शरीर पर कुछ ही वक्त में दिख सकता है। ध्यान रहे कि कीटो डाइट के साथ सावधानी जरूरी है, क्योंकि कीटो डाइट के नुकसान भी हैं। इसलिए, डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार कीटो डाइट प्लान को फॉलो करें। अगर डाइट के दौरान कोई भी असुविधा महसूस हो, तो तुरंत विशेषज्ञ से इस बारे में बात करें। कीटो डाइट प्लान को फॉलो कर आप अपने अनुभव नीचे दिए कमेंट बॉक्स की मदद से हमारे साथ जरूर शेयर करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या कीटो डाइट सुरक्षित है?
हां, कीटो डाइट सुरक्षित है (5)। हालांकि, यह व्यक्ति के उम्र और स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है कि उसके लिए कीटो डाइट सुरक्षित है या नहीं। इसलिए, बेहतर है कि इस बारे में अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
कीटो डाइट का पालन कर मैं कितना वजन कम कर सकता हूं?
अगर कीटो डाइट प्लान को सही तरीके से फॉलो किया जाए और साथ में व्यायाम किया जाए, तो पहले दो हफ्ते में 4.5 किलो तक वजन कम हो सकता है (7)।
मैं तीन सप्ताह के लिए कीटो डाइट पर हूं, लेकिन मेरा वजन कम नहीं हुआ है । कृपया मदद करे।
कम कार्ब आहार पर वजन कम न होने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे एक दिन में कम कार्ब के खाद्य पदार्थों का सेवन करना, बहुत से फल खाना, पर्याप्त व्यायाम न करना, बहुत अधिक या बहुत कम प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ खाना, हर हफ्ते बहुत से चीटमील खाना, बहुत ज्यादा फैट युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन। इतना ही नहीं तनाव, हार्मोनल असंतुलन और पर्याप्त नींद नहीं लेना भी कारण हो सकता है। इसलिए, कम से कम तीन दिन तक आप अपनी दिनचर्या, पूरे दिन किन खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं और ऐसी ही अन्य छोटी-छोटी लेकिन महत्वपूर्ण बातों को एक जगह नोट करते जाएं। इसके अलावा, आप अपने डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ से इस बारे में बात कर सकते हैं।
क्या मिर्गी रोगी कीटो डाइट कर सकते हैं ?
कभी-कभी जब अन्य उपचार विफल हो जाते हैं, तो मिर्गी रोग से ग्रस्त बच्चों को डॉक्टर कीटो डाइट की सलाह देते हैं (7)। अगर किसी भी व्यक्ति के घर में कोई मिर्गी रोगी है, तो उसे कीटो डाइट का पालन कराने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें ।
बॉडी बिल्डिंग के लिए एक सही किटोजेनिक डाइट प्लान क्या है?
अगर कोई व्यक्ति बॉडी बिल्डिंग में रुचि रखता है, तो सबसे पहले उसे शरीर से फैट कम करना होगा। ऊपर बताए गए कीटो डाइट प्लान में कम कार्ब, उच्च फैट और मध्यम मात्रा में प्रोटीन लेने की सलाह दी गई है। फैट को कम करने के लिए व्यक्ति को सबसे पहले 5-सप्ताह केटोजेनिक आहार योजना से शुरुआत करनी होगी। एक बार जब शरीर का फैट बर्न होने लगता है और काफी फैट कम हो चुका होता है, तब बारी आती है विटामिन, खनिज और प्रोटीन सप्लीमेंट (यदि आवश्यक हो) के साथ उच्च प्रोटीन आहार लेने की। फिर भी हम यही सुझाव देंगे कि पहले अपने डॉक्टर, डायटीशियन या जिम ट्रेनर से मिलकर इस बारे में बात की जाए। वो व्यक्ति के स्वास्थ्य के अनुसार बेहतर जानकारी दे सकते हैं।
क्या मैं बच्चे के जन्म के बाद वजन कम करने के लिए कीटो डाइट प्लान को फॉलो कर सकती हूं?
नहीं, डिलीवरी के ठीक बाद आपके बच्चे को पोषण की आवश्यकता होगी। आप जो पौष्टिक और पूर्ण आहार लेंगी वही आपके शिशु को मिलेगा। ऐसे में अगर आप सही और पोषक तत्व युक्त आहार नहीं लेंगी, तो उसका प्रभाव आपके बच्चे पर हो सकता है। इसलिए, पर्याप्त प्रोटीन, वसा और कार्ब्स खाएं, ताकि आपका शिशु स्वस्थ रहे। डिलवरी के कुछ महीनों बाद आप डॉक्टर से परामर्श लें कि कीटोजेनिक डाइट आपके लिए सही है या नहीं। फिर डॉक्टर के कहे अनुसार ही डाइट का चुनाव करें।
क्या ज्यादा फैट युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने से फैट बर्न हो सकता है?
हां, कीटो डाइट प्लान में अच्छे वसा शामिल हैं। इसमें ऐसे फैट शामिल हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं, जैसे – मोनोअनसैचुरेटेड फैट (1) (2)। इसके अलावा, दैनिक आहार में ओमेगा-3 फैटी एसिड को शामिल करें। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है (13)।
क्या कीटो डाइट प्लान के दौरान शराब का सेवन किया जा सकता है ?
सप्ताह में सिर्फ एक बार एक छोटा गिलास वाइन का सेवन कर सकते हैं, लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इसलिए, बेहतर है कि आहार विशेषज्ञ या डॉक्टर से इस बारे में सलाह लें। स्टाइलक्रेज अल्कोहल सेवन को बढ़ावा नहीं देता है।
क्या मुझे सप्लीमेंट लेने की भी जरूरत है?
यदि आप पहली बार कीटो डाइट कर रहे हैं या कम कार्ब आहार के लिए नए हैं, तो आप कमजोरी महसूस कर सकते हैं। आपके मांसपेशियों में ऐंठन महसूस हो सकती है। ऐसे में आपको सप्लीमेंट की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन सप्लीमेंट के सेवन से पहले न्यूट्रिशनिस्ट या डॉक्टर से बात जरूर करें (1)।
मुझे कब्ज की शिकायत हो रही है। कृपया मदद करें।
आपको अधिक तरल पदार्थ (पानी, ताजे फलों जैसे – बेरीज) का सेवन करना चाहिए (5) (6)। ज्यादा से ज्यादा फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। फाइबर न सिर्फ पाचन क्रिया में सुधार करने में मदद कर सकता है, बल्कि कब्ज की परेशानी से भी राहत दिला सकता है (14) (15)। अगर समस्या ज्यादा बढ़े या ज्यादा दिन से है, तो डॉक्टर से सलाह लें।
कीटोन्स को कैसे मापा जा सकता है?
कीटोन्स को मापने के लिए बाजार में कई उपकरण हैं, जैसे कि कीटोस्टिक्स (Ketostix)। आप उन्हें ऑनलाइन या मेडिकल स्टोर से खरीद सकते हैं। इसका उपयोग करने से पहले पैकेट पर दिए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें।
कीटोसिस चरण में प्रवेश करने में कितने दिन लगेंगे?
कम कार्ब वाले आहार के सेवन के साथ अगर रोज व्यायाम भी किया जाए, तो कुछ ही दिनों में आप कीटोसिस चरण में प्रवेश कर जाएंगे। कीटो डाइट प्लान को अगर सही तरीके से फॉलो किया जाए, तो पहले ही दो हफ्तों में 4.5 (10 lbs) किलो वजन कम किया जा सकता है (7)। यह काफी हद तक व्यक्ति की दिनचर्या और वो किन चीजों का सेवन कर रहा है, उस पर भी निर्भर करता है। जब शरीर में जमा वसा ऊर्जा में परिवर्तित होने लगती है, तो कीटोन निकलने शुरू हो जाते हैं। इसे ही कीटोसिस चरण कहा जाता है।
मुझे घर में खाना बनाने का वक्त नहीं मिलता है। ऐसे में लो कार्ब डाइट को कैसे फॉलो किया जा सकता है?
आप नीचे बताए गए तरीकों को फॉलो कर सकते हैं (16) (17):
हाई कार्ब फूड्स जैसे कूकीज, केक, पेस्ट्री, पास्ता व ब्रेड से दूर रहें।
डिब्बा बंद व सोडा युक्त पेय पदार्थों का सेवन न करें।
अगर आप कहीं बाहर खाने जा रहे हैं, तो वेटर या शेफ से बात करें और अपने खाने की जरूरतों को समझाएं।
सहकर्मियों या दोस्तों के साथ डिनर या लंच के लिए बाहर जाते समय, कम कार्ब वाले खाद्य पदार्थों जैसे – चिकन, हरी सब्जियां व फलों के रस आदि को ऑर्डर करें।
ज्यादा मसाले वाले आहार से दूर रहें।
अंत में हमारा सुझाव है कि आप हरी सब्जियां, फल खरीदें। हर दिन बाहर या ऑफिस जाने से पहले उन्हें धोएं और काटकर जिपलॉक बैग में रख लें। बाहर के खाने से दूरी बनाएं और भूख लगने पर हरी सब्जियों की सलाद या फलों का सेवन करें। इसके अलावा, आप फ्रीज में भी एक दिन के लिए सब्जियां काटकर रख सकते हैं और जब आप घर आएं, तो उन पर जैतून का तेल और नींबू का रस मिलाकर उनका सेवन कर सकते हैं। आप अंडे उबालकर भी रख सकते हैं। इन चीजों से आप अपना काम आसान कर सकते हैं।
क्या कीटो डाइट प्लान में अच्छी मात्रा में प्रोटीन का सेवन किया जा सकता है?
कीटो डाइट प्लान में सीमित मात्रा में प्रोटीन के सेवन की सलाह दी जाती है (1)। उच्च प्रोटीन वाले आहार से बचें, क्योंकि प्रोटीन का अधिक सेवन शरीर को कीटोसिस स्टेट में जाने से बाधित कर सकता है (18)।
क्या कीटो डाइट प्लान फॉर वेट लॉस के दौरान बहुत अधिक पेशाब आना सामान्य है?
हां, कीटो डाइट के दौरान यह सामान्य बात है। इसमें ड्यूरेटिक यानी मूत्रवर्धक गुण होता है। इस डाइट में पहले हफ्ते में पेशाब बार-बार आता है, जिससे वजन कम हो सकता है (7)। बार-बार पेशाब जाना केटोसिस का संकेत हो सकता है, मतलब कि आपका शरीर केटोसिस स्टेट में प्रवेश कर चुका है। इसलिए, ध्यान रहे कि आप खूब पानी या अन्य पेय पदार्थों का सेवन करें, ताकि आपके शरीर में पानी की कमी न हो।
कीटो डाइट फॉर वेट लॉस के दौरान इलेक्ट्रोलाइट्स की भरपाई कैसे करें?
कीटो डाइट के दौरान व्यक्ति के शरीर से पानी और इलेक्ट्रोलाइट निकलते हैं, तो ऐसे में उनकी भरपाई भी जरूरी है। इस स्थिति में व्यक्ति मैग्नीशियम और पोटैशियम की खुराक व मल्टीविटामिन की खुराक ले सकता हैं। रोजाना दो कप सूप पिएं, अपने पीने के पानी या डिटॉक्स ड्रिंक में एक चुटकीभर नमक मिलाएं। ध्यान रहे कि अगर कोई व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारी या डायबिटीज से पीड़ित हैं, तो नमक का उपयोग न करें। इसके अलावा, बाजार में उपलब्ध लो-सोडियम साल्ट जैसे लाइट साल्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं।
कीटो फ्लू क्या है?
कीटो फ्लू शरीर में कीटोसिस का एक विशेष संकेत है। कीटो फ्लू कीटो डाइट प्लान शुरू करने के दो से सात दिन बाद दिखाई दे सकता है। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार है (19):
सिरदर्द
नींद न आना
कब्ज
थकान
उल्टी या मतली
चिड़चिड़ापन
ऐसा अचानक डाइट में होने वाले परिवर्तन के कारण हो सकता है।
भोजन में कार्ब्स की गणना कैसे कर सकते हैं?
आप न्यूट्रीशन डेटा वेबसाइट पर ऑनलाइन जांच कर सकते हैं या ऑनलाइन टूल जैसे फिटनेस पाल टू कैलकुलेट दी टोटल कार्ब्स (fitness pal to calculate the total carbs) का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, विकल्प के तौर पर आप कम कार्ब वाले खाद्य पदार्थों के बारे में जानकर अपनी डाइट में कम कार्ब वाली सामग्रियों का चुनाव कर सकते हैं।
कीटो डाइट प्लान के लिए स्वस्थ फैट क्या है?
नीचे हम कुछ स्वस्थ फैट युक्त खाद्य पदार्थों की जानकारी दे रहे हैं, जिनका सेवन आप कर सकते हैं। स्वस्थ फैट में मोनो-अनसैचुरेटेड और पोलीअनसैचुरेटेड फैट मौजूद है। इसका सेवन हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकता है (20) (21)।
जैतून का तेल
अलसी के बीज
सूरजमुखी के बीज का तेल
सोया
मकई
मछली
एवोकैडो
नट्स
कीटो डाइट प्लान में वजन घटाने के चरण क्या हैं?
अगर बात करें कीटो डाइट प्लान में वजन घटाने के चरण की, तो लोगों के अनुभव के अनुसार आमतौर पर कीटो डाइट प्लान में वजन घटाने के तीन चरण होते हैं। ध्यान रहे कि इनके बारे में कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है। इसलिए, हम लोगों के अनुभव के आधार पर इस बारे में बता रहे हैं।
तीन स्टेजेस कुछ इस प्रकार हैं :
रैपिड वेट लॉस स्टेज (Rapid weight loss stage) – इस चरण में व्यक्ति के शरीर से अधिक से अधिक पानी का वजन कम होगा। इसे कीटो डाइट प्लान का पहला चरण कहा जा सकता है।
कीटो अडैप्शन स्टेज (Keto-adaptation stage) – इस चरण में व्यक्ति का वजन घटना स्थिर हो सकता है। हालांकि, इस स्टेज में व्यक्ति का वजन बढ़ भी सकता है। इस स्टेज में शरीर नए ऊर्जा स्रोत और ऊर्जा के रूप में शुगर की कमी का अनुभव कर सकता है। यह लगभग एक सप्ताह तक चल सकता है।
कम्पलीट कीटो अडैप्शन स्टेज (Complete keto-adaptation stage) – इस स्टेज में शरीर मुख्य ऊर्जा स्रोत के रूप में कीटोन्स का उपयोग करना सीख जाता है। इस स्टेज में शरीर ज्यादा फैट बर्न कर सकता है। यह स्टेज तीसरे सप्ताह के मध्य से शुरू हो सकता है और चौथे सप्ताह तक रह सकता है। इस दौरान कुछ लोग वजन बढ़ने का या वजन न घटने का भी अनुभव कर सकते हैं, लेकिन इसमें क���ई चिंता की बात नहीं है। यह वजन बढ़ाने या वजन कम न करने की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। ध्यान रहे कि आप सही तरीके से डाइट का पालन करें और नियमित रूप से व्यायाम या योग करते रहें, ताकि वजन संतुलित रहे।
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Arpita Biswas
अर्पिता ने पटना विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में स्नातक किया है। इन्होंने 2014 से अपने लेखन करियर की शुरुआत की थी। इनके अभी तक 1000 से भी ज्यादा आर्टिकल पब्लिश हो चुके हैं। अर्पिता को विभिन्न विषयों पर लिखना पसंद है, लेकिन उनकी विशेष रूचि हेल्थ और घरेलू उपचारों पर लिखना है। उन्हें अपने काम के साथ एक्सपेरिमेंट करना और मल्टी-टास्किंग काम करना पसंद है। इन्हें लेखन के अलावा डांसिंग का भी शौक है। इन्हें खाली समय में मूवी व कार्टून देखना और गाने सुनना पसंद है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/vajan-ghatane-ke-liye-keto-diet-in-hindi/
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हिप्स कम करने के उपाय और एक्सरसाइज – How to Reduce Hips In Hindi
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हिप्स कम करने के उपाय और एक्सरसाइज – How to Reduce Hips In Hindi
हिप्स कम करने के उपाय और एक्सरसाइज – How to Reduce Hips In Hindi Soumya Vyas Hyderabd040-395603080 December 23, 2019
सुंदर और सुडौल शरीर की चाहत हर किसी को होती है, लेकिन शारीरिक गतिविधियों के अभाव और अनियंत्रित जीवनशैली के कारण ऐसा नहीं हो पाता। ये स्थितियां शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे पेट, कमर और जांघ के साथ हिप्स के आसपास फैट जमा होने का कारण बन सकती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि कम वेस्ट-टू-हिप (कमर से हिप्स का क्षेत्र) रेश्यो वाली महिलाओं को अन्य की तुलना में शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ माना गया है (1)। स्टाइलक्रेज के इस लेख हम हिप्स कम करने के लिए एक्सरसाइज और इसके घरेलू उपाय के बारे में बात करेंगे। हिप्स कम करने के लिए घरेलू उपाय के साथ-साथ संतुलित आहार और नियमित रूप से एक्सरसाइज करना भी जरूरी है। लेख के पहले भाग में जानिए कि हिप्स की चर्बी कम करने के लिए घरेलू उपायों का उपयोग किस तरह किया जा सकता है।
विषय सूची
हिप्स कम करने के लिए घरेलू उपाय- Remedies For Reducing Hips In Hindi
घरेलू नुस्खों का उपयोग पूरे शरीर की चर्बी कम करने के लिए किया जाता है, जिससे हिप्स पर मौजूद अनावश्यक फैट से राहत पाने में भी मदद मिल सकती है।
1. नारियल का तेल
विधि :
खाना बनाने में नारियल के तेल का उपयोग कर सकते हैं।
कैसे काम करता है :
नारियल तेल एक प्रकार का मीडियम चैन फैटी एसिड होता है। यह फैट को पचाने में मदद करता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिल सकती है (2)। शोध में पाया गया है कि डाइटरी नारियल तेल का सेवन, खासकर पेट और उसके आसपास के क्षेत्रों के फैट को कम करने में मदद कर सकता है। यह अच्छे और बुरे कोलेस्ट्रोल की मात्रा को नियंत्रित कर फैट को कम करने में मदद कर सकता है (3)। यह तेल खासकर हिप्स की चर्बी कम करने के लिए घरेलू उपाय के रूप में कितना लाभदायक है, फिलहाल यह कहना मुश्किल है।
2. नींबू पानी से करें दिन की शुरुआत
विधि :
एक गिलास गुनगुने पानी में आधे नींबू का रस मिला कर रोज सुबह पिएं।
कैसे काम करता है :
नींबू पानी हिप्स कम करने के घरेलू उपाय के रूप में काम कर सकता है। नींबू शरीर को डिटॉक्सीफाई करता है और अ��ावश्यक फैट को निकालने में मदद कर सकता है। साथ ही कैलोरी को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिल सकती है। वजन नियंत्रित करने के साथ-साथ यह हृदय रोग का खतरा कम करने में भी मदद कर सकता है (4)।
3. सेब का सिरका करे मदद
विधि :
हिप्स कम करने के घरेलू उपाय के रूप में सेब के सिरके का सेवन दो तरीके से किया जा सकता है:
एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिला कर पिएं। आप चाहें तो इसमें एक चम्मच शहद भी मिला सकते हैं।
दो चम्मच मेथी दाने को रात भर के लिए एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह पानी को छान लें और उसमें एक चम्मच सेब का सिरका मिला कर पिएं।
कैसे काम करता है :
वजन कम करने में सेब का सिरका मददगार साबित हो सकता है। माना जाता है कि सेब का सिरका मधुमेह व हाई कोलेस्ट्रोल जैसी शारीरिक समस्याओं के साथ वजन को कम करने में भी मदद कर सकता है (5)। हालांकि, यह किस तरह लाभदायक होगा, इस पर अभी कोई वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है।
4. कॉफी से फायदा
विधि :
हिप्स की चर्बी कम करने के लिए घरेलू उपाय के रूप में खाना खाने से आधे घंटे पहले ब्लैक कॉफी का सेवन कर सकते हैं।
कैसे काम करता है :
कैफीन थर्मोजेनेसिस और फैट ऑक्सीडेशन (फैट बर्न करने की प्रक्रिया) की मदद से शरीर में मौजूद अतिरिक्त फैट को कम करने में मदद मिल सकती है। कैफीन का सेवन बॉडी वेट, टोटल फैट और खासकर कमर के आसपास का फैट कम करने में मदद कर सकता है (6)। अगर किसी को ब्लैक कॉफी का स्वाद पसंद नहीं है, तो हिप्स की चर्बी कम करने के लिए घरेलू उपाय के रूप में बिना शक्कर और कम दूध वाली कॉफी का सेवन किया जा सकता है। नोट: ध्यान रखें कि कॉफी का सेवन संतुलित मात्रा में ही करें, नहीं तो इसके नुकसान भी हो सकते हैं।
5. ग्रीन टी पिएं
विधि :
हिप्स कम करने के घरेलू उपाय के लिए एक कप पीने योग्य गर्म पानी में एक ग्रीन टी बैग को डालें और उसका सेवन करें।
कैसे काम करता है :
ग्रीन टी एक्सट्रैक्ट मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के घरेलू उपाय में शामिल है। यह फैट ऑक्सीडेशन में मदद कर सकता है, जिससे टोटल बॉडी वेट कम करने में मदद मिल सकती है। वहीं, मनुष्यों पर इसके वजन से संबंधित प्रभाव को लेकर शोध का अभाव है (7)।
इससे अतिरिक्त, ब्लैक कॉफी की तरह ग्रीन टी भी थर्मोजेनेसिस और फैट ऑक्सीडेशन (फैट बर्न करने की प्रक्रिया) की मदद से फैट बर्न और पूरे शरीर का वजन नियंत्रित करने में मदद कर सकती है (6)। हालांकि, हिप्स कम करने के घरेलू उपाय के रूप में यह कितनी उपयोगी साबित होगी, यह कहना मुश्किल है।
हिप्स की चर्बी कम करने के लिए घरेलू उपाय के साथ, कुछ अन्य टिप्स को भी ध्यान में रखने से फायदा मिल सकता है।
हिप्स कम करने के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips For Hip Loss in Hindi
1. भरपूर पानी पिएं
विधि :
एक दिन में लगभग दो से तीन लीटर पानी पिएं (8)।
कैसे काम करता है :
अधिक पानी पीने को भी हिप्स कम करने के घरेलू उपाय में शामिल किया जा सकता है। ज्यादा पानी पीने से शरीर में पानी की मात्रा बढ़ती है, जिससे मूत्रस्त्राव की दर बढ़ती है (Increased Urine Output)। ऐसा होने से मूत्र के माध्यम से शरीर में मौजूद अतिरिक्त यूरिया बाहर निकल जाता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिल सकती है। शरीर में पानी की मात्रा अधिक होने से मेटाबॉलिज्म दर भी बढ़ती है, जिससे वजन नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है, लेकिन यह किस तरह से काम करता है, इस बारे में अभी साफ तौर पर बताना मुश्किल है (9) (10)।
2. आराम करने से
विधि :
आठ घंटे की भरपूर नींद लें।
कैसे फायदा होता हैं :
वजन कम करने के लिए जितना जरूरी एक्सरसाइज करना है, उतना ही जरूरी आराम करना भी है। शोध से पता चला है कि नींद की कमी से खाने की इच्छा बढ़ती है, जिस वजह से व्यक्ति ज्यादा और अनियमित रूप से खाता है। यह वजन बढ़ने का एक कारण हो सकता है। साथ ही नींद की कमी उन सभी हॉर्मोन्स को प्रभावित करती है, जो शरीर में भूख को नियंत्रित करने का काम करते हैं (11)। इस शोध की वजह से यह कहा जा सकता है कि भरपूर और सही समय पर नींद लेने से वजन कम करने में मदद मिल सकती है, लेकिन खासतौर पर हिप्स की चर्बी कम करने के लिए घरेलू उपाय में यह किस तरह काम करेगा, यह कहना मुश्किल है।
3. तनाव और चिंता से रहें दूर
विधि :
वो सब कुछ करें, जो आपको तनाव से दूर रहने में मदद करें। आप अपना कोई भी मनपसंद काम कर सकते हैं, जैसे गाने सुनना, किताब पढ़ना, व्यायाम करना या दोस्तों से मिलना (12)।
कैसे काम करता है :
क्या आप जानते हैं कि तनाव भी वजन बढ़ने का एक कारण बन सकता है। तनाव का प्रभाव खाने की आदतों पर भी पड़ता है, जिसमें व्यक्ति अनियंत्रित रूप से खाना खाता है और शरीर का वजन बढ़ सकता है। अगर तनाव पर नियंत्रण पा लिया जाए, तो स्ट्रेस की वजह से बढ़ने वाले वजन पर काबू पाया जा सकता है। दरअसल, तनाव को मैनेज करने से बॉडी मास इंडेक्स को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। इस वजह से यह कहा जा सकता है कि स्ट्रेस मैनेजमेंट वजन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है (13) (14)।
यहां आपने जाना कि हिप्स कम करने के घरेलू उपाय की मदद से उन्हें आकार में कैसे लाया जा सकता है। शरीर को स्वस्थ और सुडौल रखने के लिए सही खाने और सही आदतों के साथ कुछ एक्सरसाइज करना भी जरूरी है। लेख के अगले भाग में जानिए हिप्स कम करने की एक्सरसाइज के बारे में।
हिप्स कम करने के लिए एक्सरसाइज – Hip Loss Exercises At Home In Hindi
हिप्स कम करने की एक्सरसाइज बहुत आसान हैं और उन्हें घर में ही किया जा सकता है। किसी भी प्रकार की मोच या चोट से बचने के लिए इन एक्सरसाइज को करने से पहले वार्मअप करना न भूलें।
1. स्क्वाट्स
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हिप्स कम करने की एक्सरसाइज में सबसे पहला नाम स्क्वाट्स का आता है। स्क्वाट्स एक्सरसाइज क्वाड्रिसेप्स, हैमस्ट्रिंग (जांघ की मांसपेशियों) और ग्लूट्स (हिप्स की मांसपेशियां) को मजबूत बनाने का काम करती है। इससे हिप्स की मांसपेशियों को भी मजबूती म���लती है, उन्हें आकर में लाने में मदद मिलती है और शरीर का संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। स्क्वाट्स को नीचे बताए गए तरीके से किया जा सकता है (15):
दोनों पैरों को कंधों के बराबर चौड़ाई में रख कर सीधे खड़े हो जाएं।
अपने हाथों को बिना मोड़े कंधे के समानांतर सामने की ओर सीधा कर लें।
अब अपने घुटनों को मोड़कर कुर्सी पर बैठने जैसी पोजीशन बनाएं और इस दौरान सांस अंदर लें।
लगभग 10 डिग्री तक सामने की ओर झुकें और हिप्स को पीछे की ओर ले आएं।
ध्यान रखें कि आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी और शरीर टाइट रहना चाहिए।
लगभग 10-15 सेकंड इस पोजीशन में रहने के बाद सीधे खड़े हो जाएं।
इस प्रक्रिया को लगभग 10 मिनट तक दोहराएं।
2. साइड लंजेस
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साइड लंजेस एक्सरसाइज से पेल्विक और हिप्स की मांसपेशियों को मजबूत बनाए में मदद मिलती है। ये ग्लूटिअस मेडिअस (Gluteus Medius) नाम की मांसपेशी को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती हैं, जिसके कमजोर होने से कमर दर्द और निचले शरीर से जुड़ी अन्य समस्याएं हो सकती है (16)। हिप्स कम करने के लिए एक्सरसाइज में साइड लंजेस को इस प्रकार किया जा सकता है :
सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं।
दोनों पैरों को कंधों की चौड़ाई के बराबर रखें और तलवों को जमीन से चिपका कर रखें।
हाथों को जोड़ कर सामने की ओर करें।
अब ऊपर दी गई फोटो की तरह दाहिने पैर को दाहिनी तरफ फैलाएं और उस ओर झुकें।
इस दौरान बाएं पैर को सीधा रखें और अपनी जगह से न उठाएं।
इस पोजीशन में लगभग 10 सेकंड के लिए ठहरे और फिर प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
अब इस प्रक्रिया को बाएं पैर से दोहराएं।
3. स्टेयर क्लाइम्बिंग
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हिप्स कम करने के लिए एक्सरसाइज में लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। इससे हिप्स की मांसपेशियों का मूवमेंट बढ़ता है और फैट कम करने में मदद मिल सकती है। फिलहाल, इस पर कोई वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है। इसे एक्सरसाइज की तरह भी उपयोग किया जा सकता है। आप दिन में दो बार सीढ़ियों के लगभग तीन से चार चक्कर लगा सकते हैं। हिप्स कम करने की एक्सरसाइज के साथ-साथ आहार में सही खाद्य पदार्थों का सेवन करना भी जरूरी है, जो फैट कम करने में मदद कर सकते हैं। लेख के अगले भाग में जानिए कि हिप्स कम करने के लिए डाइट में किस तरह के बदलाव करना जरूरी है।
हिप्स कम करने के लिए डाइट में करें बदलाव – Change Your Diet For Reducing Hips In Hindi
हिप्स को कम करने के लिए कोई विशेष डाइट प्लान नहीं है, लेकिन नीचे बताए गई बातों को ध्यान में रखकर वजन को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है (17)।
अपने आहार में हरी सब्जियों, फल और साबुत अनाज को शामिल करें।
फाइबर से भरे खाद्य पदार्थों का सेवन करें। ये वजन कम करने में मदद करते हैं।
कैलोरी और फैट से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे जंक फूड व डीप फ्राई आहार आदि का सेवन न करें।
कैंडी, कूकीज, केक और अन्य शक्कर वाले खाद्य पदार्थ खाने से बचें।
कोल्ड ड्रिंक या कोई भी अन्य अप्राकृतिक एनर्जी ड्रिंक आदि पीने से बचें। ये शक्कर से भरपूर होती हैं।
एक साथ बहुत सारा खाने की जगह हर दो घंटे में थोड़ा-थोड़ा खाएं।
किसी भी समय का खाना न छोड़ें।हिप्स के आसपास चर्बी का जमा होना एक स्वस्थ शरीर का संकेत नहीं हैं। ऐसे में हिप्स की चर्बी कम करने के लिए घरेलू उपाय, एक्सरसाइज और सही आहार का सेवन करने से मदद मिल सकती है। लेख में बताई गईं हिप्स कम करने के लिए एक्सरसाइज आपको इस अवांछित फैट से छुटकारा पाने में मदद कर सकती हैं। ध्यान रखें कि एक्सरसाइज के साथ संतुलित आहार भी बहुत जरूरी है। तो आज से ही लेख में बताए गए उपायों का पालन करना शुरू करें और स्वस्थ-सुडौल शरीर की तरफ अपने कदम बढ़ाएं।
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Soumya Vyas
सौम्या व्यास ने माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, भोपाल से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बीएससी किया है और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ जर्नलिज्म एंड न्यू मीडिया, बेंगलुरु से टेलीविजन मीडिया में पीजी किया है। सौम्या एक प्रशिक्षित डांसर हैं। साथ ही इन्हें कविताएं लिखने का भी शौक है। इनके सबसे पसंदीदा कवि फैज़ अहमद फैज़, गुलज़ार और रूमी हैं। साथ ही ये हैरी पॉटर की भी बड़ी प्रशंसक हैं। अपने खाली समय में सौम्या पढ़ना और फिल्मे देखना पसंद करती हैं।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/hips-kam-karne-ke-upay-aur-exercise-in-hindi/
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