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#सुप्रीम कोर्ट न्यूज
todaypostlive · 1 year
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 पटना हाई कोर्ट ने बिहार में जाति गणना पर तत्काल प्रभाव से लगाई रोक
Patna: बिहार में नीतीश सरकार की जाति आधारित गणना पर गुरुवार को पटना हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने आदेश दिया है कि गणना को तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए। इसके पहले हाई कोर्ट में मामले को लेकर दो दिन तक सुनवाई हुई थी। इसके बाद चीफ जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस फैसले के बाद नीतीश सरकार को बड़ा झटका लगा है। दूसरी ओर जातीय गणना पर…
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mwsnewshindi · 2 years
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सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा- देशी नस्ल के सांडों के संरक्षण के लिए जल्लीकट्टू कैसे जरूरी?
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा- देशी नस्ल के सांडों के संरक्षण के लिए जल्लीकट्टू कैसे जरूरी?
छवि स्रोत : पीटीआई/प्रतिनिधि (फाइल)। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा- देशी नस्ल के सांडों के संरक्षण के लिए जल्लीकट्टू कैसे जरूरी? जल्लीकट्टू सुप्रीम कोर्ट: जल्लीकट्टू की अनुमति देने वाले तमिलनाडु के कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहे सर्वोच्च न्यायालय ने आज (1 दिसंबर) राज्य सरकार से पूछा कि सांडों की देशी नस्ल के संरक्षण के लिए सांडों को वश में करने वाला खेल कैसे आवश्यक…
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shivamsrv · 1 month
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भारत बंद के तहत ओबीसी महासभा ने निकाली रैली
भारत बंद के तहत ओबीसी महासभा ने निकाली रैली बांधवभूमि न्यूज, रामाभिलाष मध्यप्रदेश उमरिया मानपुर। क्रीमी लेयर आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के विरोध मे आयोजित भारत बंद के तहत बुधवार को ओबीसी महासभा, भीम आर्मी तथा अन्य दलों द्वारा नगर मे एक रैली निकाली गई। बालक दास पटेल के नेतृत्व मे आयोजित इस प्रदर्शन मे ज्ञान प्रकाश पटेल लखन साहू मुकेश पटेल सहित भारी संख्या में ओबीसी जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।…
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dainiksamachar · 5 months
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10 लाख लोगों में केवल सात...कोविशील्ड से कितना खतरा, क्या डरने की जरूरत है?
नई दिल्ली: एक बार फिर कोरोना की चर्चा शुरू है लेकिन वायरस नहीं बल्कि कोविड वैक्सीन की। पहले कोरोना से डर लगता था तो वहीं अब कोरोना वैक्सीन के नाम से अचानक लोगों को डर लगने लगा है। इस डर की शुरुआत हुई ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के एक खुलासे से। इस खुलासे के बाद कोरोना की वैक्सीन लेने वाले लोगों के मन में कई सवाल पैदा हो गए। वैक्सीन निर्माता ने कोर्ट में माना है कि दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस (TTS) का कारण बन सकता है। इससे खून के थक्के बन सकते हैं और प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के कई गंभीर मामलों में यह स्ट्रोक और हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। इस खुलासे के बाद भारत में भी इसकी चर्चा शुरू हो गई। एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाई। भारत में बड़े पैमाने पर ये वैक्सीन लगाई गई है। लोगों के मन में कई सवाल हैं और इन सवालों के बीच भारत में अधिकांश हेल्थ एक्सपर्ट यह मान रहे हैं कि यह केवल दुर्लभ मामलों में ही हो सकता है। भारत में भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। एक वकील की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट की जां�� के लिए मेडिकल एक्सपर्ट का पैनल बनाया जाए। वैक्सीन के कारण किसी भी रिस्क फैक्टर का परीक्षण करने का निर्देश दिया जाए और यह सब सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में किया जाना चाहिए। हालांकि देखा जाए तो सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने साल 2021 में इस टीके से होने वाले साइड इफेक्ट के बारे में अपनी साइट पर जानकारी दी है। सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी वेबसाइट पर अगस्त 2021 में कोविशील्ड टीका लगाने के बाद होने वाले साइड इफेक्ट की जानकारी दी है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया या प्लेट्सलेट की संख्या कम होने की वजह से ब्लड क्लाटिंग की समस्या हो सकती है। कंपनी ने कहा है कि यह एक लाख में से एक से भी कम लोगों में हो सकती है और कंपनी ने इसे बहुत ही दुर्लभ मामला बताया है। ICMR के पूर्व महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को लेकर कहा कि इसका साइड इफेक्ट टीका लेने के अधिकतम तीन से चार हफ्तों तक ही हो सकता है। वह भी केवल दुर्लभ मामलों में ही। भारत में कोविशील्ड के करोड़ों डोज लगाए गए हैं लेकिन न के बराबर मामलों में ही साइड इफेक्ट देखने को मिला। उनकी ओर से कहा गया है कि वैक्सीन लगवाने के दो-ढाई साल बाद साइड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं है और इससे बेवजह डरने की जरूरत नहीं।ICMR के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि वैक्सीन के लॉन्च होने के 6 महीने के अंदर टीटीएस को एडेनोवायरस वेक्टर वैक्सीन के एक साइड इफेक्ट के रूप में पहचाना गया था। इस वैक्सीन की समझ में कोई नया चेंज नहीं है। उनकी ओर से कहा गया कि यह समझने की जरूरत है कि टीका लगवाने वाले दस लाख लोगों में केवल सात या आठ लोगों को ही खतरा है। मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा कि TTS रक्त वाहिकाओं में थक्का बना सकता है, लेकिन कुछ टीकों के इस्तेमाल के बाद इसका होना बेहद दुर्लभ होता है। जयदेवन केरल में नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) कोविड टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि कोविड वैक्सीन ने कई मौतों को रोकने में मदद की है। न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, 'TTS का मतलब खून के थक्के बनने से है। कम प्लेटलेट काउंट के साथ दिमाग या अन्य रक्त वाहिकाओं में इससे थक्का बन सकता है।' http://dlvr.it/T6Jt7Y
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rightnewshindi · 6 months
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एससी एसटी एक्ट में सुधीर चौधरी की गिरफ्तारी पर लगी रोक, सुप्रीम कोर्ट बोला, अगले आदेशों तक कोई भी कठोर कदम नहीं
एससी एसटी एक्ट में सुधीर चौधरी की गिरफ्तारी पर लगी रोक, सुप्रीम कोर्ट बोला, अगले आदेशों तक कोई भी कठोर कदम नहीं
Sudhir Chaudhary News: सुप्रीम कोर्ट से टीवी न्यूज एंकर सुधीर चौधरी को बड़ी राहत मिल गई है। झारखंड में सुधीर चौधरी के खिलाफ एससी एसटी एक्ट में केस दर्ज किया गया था। चौधरी के खिलाफ राष्ट्रीय आदिवासी संघ से जुड़े युवाओं ने शिकायत दर्ज करायी थी। सुधीर चौधरी पर आदिवासियों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने पत्रकार…
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kknlive · 9 months
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सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के दोषियों की सज़ा में छूट को किया रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के दोषियों की सज़ा में छूट को किया रद्द...
गुजरात की सरकार ने दोषियों की सज़ा में दिया था छूट KKN न्यूज ब्यूरो। बिलकिस बानो मामले के 11 दोषियों को जेल से रिहा करने का गुजरात सरकार के फैसला को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। इस फैसला के बाद गैंगरेप और 7 लोगों की हत्या के सभी दोषी एक बार फिर से कानून के शिकंजे में आ गए है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि गुजरात की सरकार के पास दोषियों की सजा माफ…
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multinews24india · 2 years
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gadgetsforusesblog · 2 years
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Financetime.in ओपीएस को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिद्वंद्वी ईपीएस को एआईएडीएमके प्रमुख बने रहने की अनुमति दी
आज की ताजा खबर ओपीएस को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिद्वंद्वी ईपीएस को एआईएडीएमके प्रमुख बने रहने की अनुमति दी सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, ई पलानीस्वामी को अन्नाद्रमुक प्रमुख बने रहने की अनुमति दी, प्रतिद्वंद्वी ओ पन्नीरसेल्वम की याचिका खारिज यह एक ब्रेकिंग न्यूज है। विवरण जल्द ही जोड़ दिया जाएगा। नवीनतम संस्करण के लिए पृष्ठ को ताज़ा करें।
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mmulnivasi · 2 years
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EVM को लेकर मीडिया की राष्ट्रद्रोही भूमिका – सुप्रीम कोर्ट के द्वारा EVM के विर��ध मे 08अक्टूबर2013 को जो निर्णय दिया, इसकी कोई खबर या कोई जानकारी सारे देश के लोगो को या मतदाताओ को नही है| इसकी कोई जानकारी देश के लोगो को क्यों नही है? EVM के विरोध मे सुप्रीम कोर्ट का यह एक लैण्डमार्क जजमेन्ट और ऐतिहासिक जजमेन्ट है| इसकी खबर अखबार वालो को अपने-अपने अखबार मे फ्रंट पेज पर लीड न्यूज मे छापनी चाहिए थी और इस पर एडिटोरियल लिखना चाहिए था| इस जजमेंट पर एक्सपर्ट्स लोगो के ओपेनियन लिखे जाने चाहिए थे| इस खबर को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मे प्रमुखता से प्रसारित करना चाहिए था, मगर भारत के प्रिन्ट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने इस खबर को ब्लैक आउट किया| इस खबर को ना ही प्रिंट मीडिया ने छापा और न ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने इसे प्रसारित किया| जिस देश मे सुप्रीम कोर्ट के लैण्डमार्क जजमेंट की खबर मीडिया नही छापता है, वह मीडिया कितना एरोगेन्ट हो गया होगा, आप इसकी कल्पना भी नही कर सकते है| लोकतंत्र की हत्या करने का जो षड्यंत्र इस देश मे चल रहा है, भारत की मीडिया उस षड्यंत्र मे संगठित रूप से सहभागी है| यदि भारत का मीडिया लोकतंत्र की हत्या करने के षड्यंत्र मे सहभागी है, तो भारत का मीडिया जनद्रोही और राष्ट्रद्रोही है| संवैधानिक लोकतंत्र के विरोध मे जो षड्यंत्र इस देश मे चल रहा है, उस षड्यंत्र मे भारत की मीडिया सहभागी है| इसलिए संवैधानिक लोकतंत्र की हत्या करने मे अगर भारत की मीडिया सहभागी है तो ये संवैधानिक लोकतंत्र के विरोध मे गद्दारी है| इसीलिए मैं कह रहा हूँ कि भारत का मीडिया राष्ट्रद्रोही कार्य मे लगा हुआ है| मैंने चुनाव आयोग के विरोध मे कानूनी कार्यवाई करने की कोशिश की| मैं इसकी भी तैयारी कर रहा हूँ कि भारत के मीडिया पर क्या कानूनी कार्यवाई की जा सकती है और इसके विरोध मे राष्ट्रव्यापी आन्दोलन करने के लिए क्या किया जा सकता है? इस पर भी मैं अभी विचार कर रहा हूँ| -WamanMeshram #वामनमेश्राम https://www.instagram.com/p/Co4f6pesCre/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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visionias · 2 years
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न्यूज टुडे | दैनिक करेंट अफेयर्स 4 पेज में
3 जनवरी 2023: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के विमुद्रीकरण के निर्णय को सही ठहराया, वर्ष 2022 मैं असम में एक भी गैंडे का शिकार नही हुआ तथा अन्य महत्वपूर्ण सुर्ख़ियाँ।
डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: https://s3-us-west-2.amazonaws.com/visionresources/daily_current_affairs/6cbd7-03-january-2023.pdf
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todaypostlive · 2 years
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झारखंड स्टेट बार काउंसिल का कार्य बहिष्कार असंवैधानिक-महाधिवक्ता
रांची। महाधिवक्ता राजीव रंजन ने झारखंड स्टेट बार काउंसिल के कार्य बहिष्कार को असंवैधानिक बताया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। इसलिए सरकार के अधिवक्ता छह जनवरी को कोर्ट के कार्य में शामिल होंगे। हाई कोर्ट के सभी सरकारी अधिवक्ता न्यायालय में पैरवी करेंगे। गुरूवार को वे एक संवाददाता सम्मेलन में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सात जनवरी…
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mwsnewshindi · 2 years
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सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाईकोर्ट के सात जजों के तबादले की सिफारिश की है
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाईकोर्ट के सात जजों के तबादले की सिफारिश की है
छवि स्रोत : पीटीआई/प्रतिनिधि (फाइल)। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाईकोर्ट के 7 जजों के तबादले की सिफारिश की है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम खबर: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने आज (24 नवंबर) उच्च न्यायालय के सात न्यायाधीशों को देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में स्थानांतरित करने की सिफारिश की। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने सात न्यायाधीशों के स्थानांतरण की सिफारिश…
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trendingwatch · 2 years
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पेनैयार नदी विवाद के लिए तीन महीने में ट्रिब्यूनल का गठन करें: सुप्रीम कोर्ट
पेनैयार नदी विवाद के लिए तीन महीने में ट्रिब्यूनल का गठन करें: सुप्रीम कोर्ट
एक्सप्रेस न्यूज सर्विस नई दिल्ली: तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच पेन्नैयार नदी विवाद को हल करने के लिए एक अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद न्यायाधिकरण गठित करने के लिए केंद्र सरकार को छह महीने का समय देने से इनकार करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तीन महीने के भीतर प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए…
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रिहा करने का आदेश जनरल मुशर्रफ की हत्या की कोशिश करने वाले शख्स को, जेल में बिताए 20 साल
रिहा करने का आदेश जनरल मुशर्रफ की हत्या की कोशिश करने वाले शख्स को, जेल में बिताए 20 साल
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दिया जिसने 2003 में तत्कालीन सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ की हत्या की कोशिश की थी। दोषी ने जेल में 20 साल बिताए थे जबकि उसे 14 साल की सजा सुनाई गई थी। जियो न्यूज ने बताया कि राणा तनवीर को 2003 के रावलपिंडी पंप हमले के मामले में एक सैन्य अदालत ने 2005 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। तनवीर को 31 दिसंबर, 2003 को मुशर्रफ पर…
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dainiksamachar · 9 months
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अयोध्या का फैसला सर्वसम्मति से... 370, समलैंगिक विवाह पर क्या बोले चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, पढ़ें पूरा इंटरव्यू
नई दिल्ली: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि संघर्ष के लंबे इतिहास और अलग-अलग दृष्टिकोणों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में एक स्वर में फैसला सुनाने का निर्णय लिया था। डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अयोध्या केस का फैसला जजों ने सर्वसम्मति से लिया। डीवाई चंद्रचूड़ ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने संबंधी केंद्र के फैसले को SC की ओर से बरकरार रखे जाने के मुद्दे पर किसी भी विवाद से बचने की कोशिश की और सुप्रीम कोर्ट के सर्वसम्मत निर्णय की कुछ हलकों में हो रही आलोचनाओं पर टिप्पणी करने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि जज किसी भी मामले में निर्णय संविधान एवं कानून के अनुसार करते हैं। CJI चंद्रचूड़ ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में सोमवार कहा कि समलैंगिक विवाह को वैध बनाने से इनकार करने वाले पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के फैसले के बारे में भी खुलकर बात की और कहा कि किसी मामले का परिणाम कभी भी न्यायाधीश के लिए व्यक्तिगत नहीं होता है।देश के 50वें प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हालांकि समलैंगिक जोड़ों ने अपने अधिकारों के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया और यह बात उनके ध्यान में थी।सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था लेकिन समलैंगिक लोगों के लिए समान अधिकारों और उनकी सुरक्षा की बात कही थी। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि एक न्यायाधीश के जीवन में महत्वपूर्ण बात कभी भी खुद को किसी मुद्दे से नहीं जोड़ना है। किसी मामले का फैसला करने के बाद, मैं इसे वहीं छोड़ देता हूं। अनुच्छेद 370 पर उच्चतम न्यायालय के फैसले और इसकी आलोचना पर उन्होंने कहा कि न्यायाधीश अपने निर्णय के माध्यम से अपनी बात कहते हैं जो फैसले के बाद सार्वजनिक संपत्ति बन जाती है और एक स्वतंत्र समाज में लोग हमेशा इसके बारे में अपनी राय बना सकते हैं।चीफ जस्टिस ने कहा कि जहां तक हमारा सवाल है तो हम संविधान और कानून के मुताबिक फैसला करते हैं। मुझे नहीं लगता कि मेरे लिए आलोचना का जवाब देना या अपने फैसले का बचाव करना उचित होगा। http://dlvr.it/T0qtYH
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newslobster · 2 years
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5 प्वाइंट न्यूज : EWS के 10 फीसदी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 5 सबसे बड़ी बातें
5 प्वाइंट न्यूज : EWS के 10 फीसदी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 5 सबसे बड़ी बातें
जस्टिस एस रवींद्र भट ने असहमति जताते हुए इसे अंसवैधानिक करार दिया. नई दिल्ली: EWS के दस फीसदी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग गई है संविधान पीठ ने बहुमत से इसे संवैधानिक और वैध करार दिया है. मामले से जुड़ी अहम जानकारियां : सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) को 10 प्रतिशत आरक्षण को बरकरार रखने का फैसला सुनाया है. इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि EWS कोटे से…
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