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chaitanyabharatnews · 4 years ago
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जल्द ही बच्चों को लगेगी वैक्सीन, जायडस कैडिला का ट्रायल लगभग पूरा
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चैतन्य भारत न्यूज देश में कोरोना के डेल्टा+ वैरिएंट के बढ़ते मामलों और संभावित तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की खबरों के बीच उनके लिए टीके की तैयारियां तेज हो गई हैं। अभी भारत बायोटेक की कोवैक्सिन, फाइजर और जायडस कैडिला की वैक्सीन मंजूरी पाने के सबसे करीब है। कोविड वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. एनके अरोड़ा ने रविवार को बताया कि जायडस कैडिला की वैक्सीन का ट्रायल लगभग पूरा हो चुका है। जुलाई के आखिर तक या अगस्त में हम 12 से 18 साल उम्र के बच्चों को टीका देना शुरू कर सकते हैं। हर दिन एक करोड़ डोज लगाने का लक्ष्य उन्होंने कहा कि ICMR एक स्टडी लेकर आया है। इसमें कहा गया है कि तीसरी लहर देर से आने की संभावना है। हमारे पास देश में हर किसी के वैक्सीनेशन के लिए 6-8 महीने का समय है। आने वाले दिनों में हमारा लक्ष्य हर दिन 1 करोड़ डोज लगाने का है। एम्स चीफ बोले- बच्चों के लिए वैक्सीन आने से स्कूल खोले जा सकेंगे एम्स चीफ डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन आना मील का पत��थर हासिल करने जैसी उपलब्धि होगी। इससे स्कूलों को फिर से खोलने और आउटडोर एक्टिविटी फिर से शुरू करने का रास्ता खुलेगा। गुलेरिया ने यह बात शनिवार को न्यूज एजेंसी PTI से बातचीत में कही। बच्चों के लिए तीन वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवैक्सिन के 2 से 18 साल उम्र के बच्चों पर हुए फेज 2 और 3 के ट्रायल के नतीजे सितंबर तक आने की उम्मीद है। ड्रग रेगुलेटर से मंजूरी के बाद उस समय के आसपास भारत में बच्चों के लिए टीका आ सकता है। अगर इससे पहले फाइजर की वैक्सीन को मंजूरी मिल जाती है, तो यह भी बच्चों के लिए एक विकल्प हो सकता है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक, जायडस कैडिला भी जल्द ही अपनी कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D के इमरजेंसी यूज के अप्रूवल के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के पास अप्लाई कर सकती है। कंपनी का दावा है कि यह टीका वयस्कों और बच्चों दोनों को दिया जा सकता है। Read the full article
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allgyan · 4 years ago
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सीरम इंस्टिट्यूट और स्वदेशी दवा -
कोरोना की दवा बनाने में सीरम इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया बहुत नाम आ रहा है |आये जानते है ये सीरम इंस्‍टीट्यूट आखिर किस बला के नाम है और ये कैसे दवाई बनाता है |यह एक भारतीय संस्थान है जो टीके सहित प्रतिरक्षात्मक दवाओं का एक प्रमुख निर्माता है। इसकी स्थापना 1966 में साइरस पूनावाला ने की थी। कंपनी होल्डिंग कंपनी पूनावाला इन्वेस्टमेंट एंड इंडस्ट्रीज की एक सहायक कंपनी है।यह कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन उत्पादक है|इसके द्वारा विकसित उत्पादों में तपेदिक वैक्सीन  (BCG), पोलियोमाइलाइटिस (poliomyelitis) के लिए पोलियोवैक , और बाल्यावस्था टीकाकरण अनुसूची के लिए अन्य टीकाकरण शामिल हैं।
सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया किसकी साझेदारी से कोरोना वैक्‍सीन बना रही है -
सीरम इंस्टिट्यूट कंपनी ने फार्मा फर्म एस्ट्राजेनेका के साथ करार किया है, जो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ साझेदारी में एक वैक्सीन विकसित कर रही है।यह बताया गया है कि सीरम संस्थान भारत और अन्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों में वैक्सीन की 1 अरब खुराक प्रदान करेगा| यह कहा जाता है कि इसकी कीमत लगभग $ 3 (लगभग ₹225) प्रति खुराक है।न्‍होंने कहा, 'लेकिन आम जनता को वैक्‍सीन के लिए 500 से 600 रुपये चुकाने होंगे।' उन्‍होंने कहा कि यह वैक्‍सीन बाजार में मौजूद कई और वैक्‍सीन के मुकाबले काफी सस्‍ती है। बता दें कि भारत सरकार वैक्‍सीन मुहैया कराने की तैयारियों में लगी हुई है|
फ़ाइज़र और सीरम ने इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति मांगी है-
फ़ाइज़र के बाद सीरम पहली स्वदेशी है जिसने भारत में भारत सरकार इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति मांगी है | जैसा की प्रधानमंत्री जी ने भी कहा था की वैक्‍सीन अगले कुछ हफ़्तों में देश में आ जाएगी | उसका भी असर दिख रहा है | अब देखिये की पहला टिका किसको दिया जाता है |कहा जाता है की जो लोग सीधे इफ्फेक्ट होते है उन्हें ही इसका पहला दोसे डोज़ दिया जायेगा | उसमे डॉक्टर , नर्स , इत्यादि है |
कोरोना वैक्‍सीन की और क्या है जटिलताएं -
कोरोना वैक्‍सीन के रख -रखाओ के बारे में बहुत बातें हो रही है और फ़ाइज़र की वैक्‍सीन तभी काम करेगी जब वो -७० डिग्री सेल्सियस पर ही काम करेगी | और सामान्यतः भारत में इस तरह की फ्रीज़ भी नहीं है जो इतना डिग्री मेन्टेन कर सके |लेकिन फ़ाइज़र  कंपनी ने इसका उपाय ढूंढ लिया है और ऐसा डिब्बा ही बना दिया है जो कम से कम इतना डिग्री 15 ड���ज तक बना के रखती है | दूसरी तरफ सीरम इंस्टिट्यूट के बनी वैक्‍सीन में इसका जयदा इशू नहीं है क्योकि इसको 2  से 8  डिग्री सेल्सियस तापमान चाहिए |
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allgyan · 4 years ago
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सीरम इंस्टिट्यूट: कोरोना की पहली दवा बनाने वाली पहली भारतीय कंपनी ?
सीरम इंस्टिट्यूट और स्वदेशी दवा -
कोरोना की दवा बनाने में सीरम इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया बहुत नाम आ रहा है |आये जानते है ये सीरम इंस्‍टीट्यूट आखिर किस बला के नाम है और ये कैसे दवाई बनाता है |यह एक भारतीय संस्थान है जो टीके सहित प्रतिरक्षात्मक दवाओं का एक प्रमुख निर्माता है। इसकी स्थापना 1966 में साइरस पूनावाला ने की थी। कंपनी होल्डिंग कंपनी पूनावाला इन्वेस्टमेंट एंड इंडस्ट्रीज की एक सहायक कंपनी है।यह कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन उत्पादक है|इसके द्वारा विकसित उत्पादों में तपेदिक वैक्सीन  (BCG), पोलियोमाइलाइटिस (poliomyelitis) के लिए पोलियोवैक , और बाल्यावस्था टीकाकरण अनुसूची के लिए अन्य टीकाकरण शामिल हैं।
सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया किसकी साझेदारी से कोरोना वैक्‍सीन बना रही है -
सीरम इंस्टिट्यूट कंपनी ने फार्मा फर्म एस्ट्राजेनेका के साथ करार किया है, जो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ साझेदारी में एक वैक्सीन विकसित कर रही है।यह बताया गया है कि सीरम संस्थान भारत और अन्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों में वैक्सीन की 1 अरब खुराक प्रदान करेगा| यह कहा जाता है कि इसकी कीमत लगभग $ 3 (लगभग ₹225) प्रति खुराक है।न्‍होंने कहा, 'लेकिन आम जनता को वैक्‍सीन के लिए 500 से 600 रुपये चुकाने होंगे।' उन्‍होंने कहा कि यह वैक्‍सीन बाजार में मौजूद कई और वैक्‍सीन के मुकाबले काफी सस्‍ती है। बता दें कि भारत सरकार वैक्‍सीन मुहैया कराने की तैयारियों में लगी हुई है|
फ़ाइज़र और सीरम ने इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति मांगी है-
फ़ाइज़र के बाद सीरम पहली स्वदेशी है जिसने भारत में भारत सरकार इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति मांगी है | जैसा की प्रधानमंत्री जी ने भी कहा था की वैक्‍सीन अगले कुछ हफ़्तों में देश में आ जाएगी | उसका भी असर दिख रहा है | अब देखिये की पहला टिका किसको दिया जाता है |कहा जाता है की जो लोग सीधे इफ्फेक्ट होते है उन्हें ही इसका पहला दोसे डोज़ दिया जायेगा | उसमे डॉक्टर , नर्स , इत्यादि है |
कोरोना वैक्‍सीन की और क्या है जटिलताएं -
कोरोना वैक्‍सीन के रख -रखाओ के बारे में बहुत बातें हो रही है और फ़ाइज़र की वैक्‍सीन तभी काम करेगी जब वो -७० डिग्री सेल्सियस पर ही काम करेगी | और सामान्यतः भारत में इस तरह की फ्रीज़ भी नहीं है जो इतना डिग्री मेन्टेन कर सके |लेकिन फ़ाइज़र  कंपनी ने इसका उपाय ढूंढ लिया है और ऐसा डिब्बा ही बना दिया है जो कम से कम इतना डिग्री 15 डेज तक बना के रखती है | दूसरी तरफ सीरम इंस्टिट्यूट के बनी वैक्‍सीन में इसका जयदा इशू नहीं है क्योकि इसको 2  से 8  डिग्री सेल्सियस तापमान चाहिए |
पूरा जानने के लिए-https://bit.ly/2Ik9PsM
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chaitanyabharatnews · 4 years ago
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बच्चों के लिए बढ़ी कोरोना वैक्सीन की उम्मीद, जुलाई से Novavax का क्लिनिकल ट्रायल होगा शुरू
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चैतन्य भारत न्यूज सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया बच्चों पर नोवावैक्स वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने की योजना बना रही है। 90.4 फीसदी तक असरदार कोरोना की नोवावैक्स वैक्सीन पर अगले महीने परीक्षण शुरू हो सकता है। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदर पूनावाला ने जुलाई माह में यह परीक्षण शुरू होने की संभावना जताई है। बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल वाली चौथी वैक्सीन हालांकि, बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल में जाने वाली देश की यह कोई पहली वैक्सीन नहीं होगी। इससे पहले 3 और वैक्सीन का बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल हुआ है। देसी कोवैक्सीन के बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल की तैयारी पहले से ही चल रही है और दिल्ली एम्स में इसके लिए स्क्रीनिंग की प्रक्रिया शुरू भी हो चुकी है। अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स ने सीरम से किया है करार अमेरिकी बायोटेक्नॉलजी कंपनी नोवावैक्स ने पिछले साल सितंबर में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया से कोरोना वैक्सीन बनवाने का समझौता किया था। सीरम को उम्मीद है कि सितंबर तक वह देश में नोवावैक्स वैक्सीन को 'कोवावैक्स' के नाम से लॉन्च करने में सफल हो जाएगी। भारत में उसका ब्रीजिंग ट्रायल अंतिम दौर में है। हालांकि, बच्चों पर इसका अलग से क्लीनिकल ट्रायल होगा और उसमें सबकुछ ठीक होने के बाद ही यह बच्चों के लिए उपलब्ध होगी। Read the full article
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chaitanyabharatnews · 4 years ago
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बच्चों के लिए बढ़ी कोरोना वैक्सीन की उम्मीद, जुलाई से Novavax का क्लिनिकल ट्रायल होगा शुरू
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चैतन्य भारत न्यूज सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया बच्चों पर नोवावैक्स वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने की योजना बना रही है। 90.4 फीसदी तक असरदार कोरोना की नोवावैक्स वैक्सीन पर अगले महीने परीक्ष�� शुरू हो सकता है। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदर पूनावाला ने जुलाई माह में यह परीक्षण शुरू होने की संभावना जताई है। बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल वाली चौथी वैक्सीन हालांकि, बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल में जाने वाली देश की यह कोई पहली वैक्सीन नहीं होगी। इससे पहले 3 और वैक्सीन का बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल हुआ है। देसी कोवैक्सीन के बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल की तैयारी पहले से ही चल रही है और दिल्ली एम्स में इसके लिए स्क्रीनिंग की प्रक्रिया शुरू भी हो चुकी है। अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स ने सीरम से किया है करार अमेरिकी बायोटेक्नॉलजी कंपनी नोवावैक्स ने पिछले साल सितंबर में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया से कोरोना वैक्सीन बनवाने का समझौता किया था। सीरम को उम्मीद है कि सितंबर तक वह देश में नोवावैक्स वैक्सीन को 'कोवावैक्स' के नाम से लॉन्च करने में सफल हो जाएगी। भारत में उसका ब्रीजिंग ट्रायल अंतिम दौर में है। हालांकि, बच्चों पर इसका अलग से क्लीनिकल ट्रायल होगा और उसमें सबकुछ ठीक होने के बाद ही यह बच्चों के लिए उपलब्ध होगी। Read the full article
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chaitanyabharatnews · 4 years ago
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इस कंपनी ने उठाया देश के लिए 50 करोड़ कोरोना वैक्सीन डोज बनाने का बीड़ा
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चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. दुनियाभर में कोरोना वायरस ने विकराल रूप धारण कर लिया है। तेज से फैल रहे कोरोना संक्रमण के बीच इस महामारी की वैक्सीन बनने के आसार नजर आने लगे हैं। ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी की कोविड वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) के ह्यूमन ट्रायल के बेहतरीन नतीजे सामने आए हैं। भारत की ही बात करें तो पुणे की सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने पहले ही ऑक्सफोर्ड के प्रोजेक्ट में कौलैबरेशन कर रखा है। यदि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन की कामयाब हो जाती है तो भारत में इसकी उपलब्धता में कोई दिक्कत नहीं आने वाली है। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने AstraZeneca नाम की उस कंपनी के साथ टाई-अप कर रखा है जो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर वैक्सीन तैयार कर रही है। इतना ही नहीं बल्कि भारतीय मीडिया में तो इस ��रह की खबरें भी आ चुकी हैं कि ऑक्सफोर्ड का प्रोजेक्ट सफल होने के साथ सीरम इंस्टिट्यट ऑफ इंडिया वैक्सीन 100 करोड़ डोज तैयार करेगी। इनमें से 50 प्रतिशत हिस्सा भारत के लिए होगा और 50 प्रतिशत गरीब और मध्यम आय वाले देशों के लिए। ये हैं CEO इस समय सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदर पूनावाला है। उनके पिता डॉ. साइरस पूनावाला ने ही सीरम इंस्टिट्यूट की स्थापना साल 1966 में की थी। ये कंपनी पूनावाला ग्रुप का हिस्सा है। अदर ने यूनाइटेड किंगडम की युनिवर्सिटी ऑफ वेस्टमिनिस्टर से अपनी पढ़ाई पूरी की है। अदर पूनावाला अपने पिता की कंपनी में साल 2001 में शामिल हुए थे। सीरम इंस्टिट्यूट को आगे बढ़ाने और इसकी इसकी इंटरनेशनल ग्रोथ में उनका बहुत बड़ा योगदान है। 2011 में वो कंपनी के सीईओ बने। Read the full article
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