#सीधे साधे लोग
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bazmeshayari · 1 month ago
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सीधे साधे लोग थे पहले घर भी सादा होता था
सीधे साधे लोग थे पहले घर भी सादा होता था कमरे कम होते थे और दालान कुशादा होता था, देख के वो घर गाँव वाले सोग मनाया करते थे सहन में जो दीवार उठा कर आधा आधा होता था, मुस्तक़बिल और हाल के आज़ारों के साथ निमटने को चौपालों में माज़ी की यादों का इआदा होता था, दुख चाहे जिसका भी हो वो मिल कर बाँटा जाता था ग़म तो आज के जैसे थे एहसास ज़ियादा होता था, लड़के बाले मीलों पैदल पढ़ने जाया करते थे पास है जो स्कूल…
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masculineshowerthoughts · 1 year ago
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कुछ लोगो केलिए जीवन अत्यधिक कठिन होता है। विशेष रूप से सीधे–साधे, भोले–भाले लोगो के लिए। यदि भोले लोगो को कोई धूर्त साथी मिल जाए जो उनसे असत्य कहने में कोई भी संकोच न करे तो जीवन और भी कठिन लगता है। लोग तरह तरह के मानसिक स्थितियों से गुजरते है रोजान��। अजीब आनंद भी है जीवन, कभी हंसती है और जब रुलाती है तो एक नरक में डाल देती है।
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hindinewsmanch · 1 year ago
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ग्रेटर नोएडा वेस्ट की गौड सिटी में एक पिता पुत्र की “दबंगई” से परेशान हैं नागरिक, मारपीट का वीडियो वायरल
Greater Noida News:  ग्रेटर नोएडा शहर के एक कोने पर विकसिज हो रहे ग्रेटर नोएडा वेस्ट के लोग गुंडागर्दी की घटनाओं से परेशान हैं। यहां स्थित गौड सिटी प्रथम में रहने वाले नागरिकों का आरोप है कि एक पिता-पुत्र अपनी “दबंगई” दिखााने के चक्कर में रोज मारपीट करते हैं।ग्रेटर नोएडा वेस्ट की गौड सिटी प्रथम सोसायटी में रहने वाले विकास त्यागी ने बिसरख थाने की पुलिस को एक लिखित तहरीर दी है। तहरीर में आरोप लगाया गया है कि एक पिता-पुत्र सोसायटी के सीधे-साधे लोगों के साथ रोज मारपीट करके आतंक मचाते रहते हैं
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abhinews1 · 1 year ago
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आज जिला धौलपुर में न्याय विभाग दिल्ली द्वारा मीटिंग का हुआ आयोजन
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आज जिला धौलपुर में न्याय विभाग दिल्ली द्वारा मीटिंग का हुआ आयोजन
आज जिला धौलपुर में न्याय विभाग दिल्ली द्वारा एनजीओ द्वारा मीटिंग का हुआ आयोजन विधिक साक्षरता एवं जागरूक अभियान के की अध्यक्षता आलोक व्यास एवं गोविंद विजयवर्गीय उपनिदेशक राकेश परमार पत्रकार की अध्यक्षता में आयोजित हुई इस मीटिंग में धौलपुर जिले में गरीब लोगों की सहायता करना विधवाओं की सहायता करना अनपढ़ लोगों की सहायता करना मुख्य उद्देश्य रहा आलोक व्यास जी ने कहा धौलपुर में अभी जागरूकता की कमी है इसलिए सीधे-साधे लोग अपने अधिकारों के लिए भटकते रहते हैं हम उनकी मदद करेंगे उन्होंने 3 महीने से धौलपुर जिले में दर्जनों पंचायतों का विजिट किया है सरपंचों के साथ मीटिंग की है और कई लोगों को उनकी योजनाओं को लाभ दिलवाया है राकेश परमार ने बोला कि मैं भी इस अभियान में साथ हूं गोविंद विजयवर्गीय उपनिदेशक ने कहा धौलपुर जिले के इंसान बहुत अच्छे हैं मुझे इनको मिलकर बहुत अच्छा लगा बंटी परमार रतनपुर ने कहा प्रत्येक व्यक्ति अपने काम के लिए जीता है कोई व्यक्ति दूसरों के काम के लिए जीता है उसको यह दुनिया हमेशा याद करती है इस मौके पर दर्जनों मीडिया कर्मी धौलपुर एवं गणमान्य लोग उपस्थित रहे
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nidarchhattisgarh · 1 year ago
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कलेक्टर कार्यालय में चिटफंड कंपनियों की 15 हजार से ज्यादा शिकायतें पेंडिंग
NCG NEWS DESK इंदौर ।   कम समय लोगों को पैसा डबल करने का लालच देकर ठगी करने वाली चिटफंड कंपनियों के खिलाफ लोग लगातार शिकायतें कर रहे हैं, लेकिन कलेक्टोरेट के कर्मचारी-अधिकारियों द्वारा इन आवेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसे में 15 हजार से भी अधिक शिकायतें पेंडिंग हो गई है। कार्रवाई नहीं होने से चिटफंड कंपनियों के हौसलें बुलंद हैं और वे लगातार सीधे-साधे लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं।…
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unstoppablemadhuri · 2 years ago
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सीधे साधे है जनाब
ऐतबार कर लेते है थोडा प्यार पाकर,
पर क्या पता था लोग यूं ही दिल तोड़ देंगे
अपना मतलब निकाल कर...।
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zagareet11 · 2 years ago
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रंग रसिया
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कुछ भी अच्छा देखती हूं या होता है तो एक खयाल आता है कि घर आकर लिखूंगी लेकिन बाद में भूल जाती हूं। जिसके कारण बहुत से अच्छे अनुभव बांट नहीं पाती मैं और कई दिन बीत जाते हैं तो उसका एसेंस भी खो जाता है।
मैने कैसा महसूस किया था यह ठीक से नहीं लिख पाती। हाल ही में मैं एक प्ले देखने गई थी।
पहले मैं एक डायरेक्टर कुमार नीरज के ऑफिस में गई थी जिन्होंने एक रोल के लिए मेरी दोस्त को साइन किया है। मेरी दोस्त ने कहा कि उनकी फिल्म में और भी किरदार हैं तो चलो तुम ऑडिशन दे आओ।
मैं भी उसके साथ गई। उन्होंने मुझे स्क्रिप्ट दी जो मैने तुरंत याद कर ली और जब टेक ले रहे थे तब उन्होंने जैसे जैसे ब्रीफ दिया मैं अच्छा करती गई। लेकिन जब डायरेक्टर से मिलने ऑफिस में गई तो उन्होंने बोला कि अभी ये सीख रही है शायद। डायलॉग फ्लैट जा रहे थे। मैंने कहा हां जी अभी सीख ही रही हूं।
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तो उन्होंने मुझे काम नहीं दिया। फिर तब तक मेरे एक दोस्त का मैसेज आया कि वेदा फैक्ट्री में दो प्ले हैं बैक टू बैक बस 99 rs में। देखने आओगी??
मैने कहा हां! फिर मैं उधर से वेदा ��ली गई। पहला प्ले था कपास के फूल जो मैने पहले भी देख रखा था। आज़ादी के बारे में और उस समय के ऊपर लिखे हुए नाटक बड़े भारी लगते हैं मुझे और मेरा दिमाग बोझिल हो जाता है।
बचपन से ही हर पंद्रह अगस्त और छब्बीस जनवरी को मैं इस बारे में नाटक, गीत, संगीत, सुनते देखते आ रही हूं और थिएटर वालों ने तो हद ही कर दी है। जब कोई दिवस नहीं भी होता है तब भी वे आज़ादी के उपर ही नाटक करते हैं। ठीक है यार समझ गई अब मैं कि बहुत दुख उठाने पड़े सबको।
मुझे कुछ हल्का फुल्का देखना पसंद है और दुख दिखाओ भी तो ऐसा कि रिलेट कर पाएं। हालांकि मंटो के किस्से मुझे बहुत पसंद आए जबकि उन्होंने भी बटवारे के समय कि कई कहानियां लिखी हैं पर उनकी कहानियां दिल को छूती हैं क्योंकि उनमें नंगी सच्चाई है।
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मुस्लिम भी कैसे अच्छे थे और हिंदू भी कैसे हरामी थे इनका ज़िक्र हुआ है। इंसानियत के बारे में कहानियां लिखी हैं मंटो ने.. हिंदू और मुसलमान के बारे में नहीं।
बड़े बड़े शूरवीरों के बारे में आंदोलकों और शहीदों के बारे में भी नाटक देखती हूं तो जब उनके घर की कहानी, परिवार के साथ उनका प्यार या उनकी कोई प्रेम कहानी का ज़िक्र आता है, वह नाटक में मेरा सबसे पसंदीदा पार्ट होता है।
आज़ादी के ऊपर एक और ड्रामा मुझे काफी अच्छा लगा। पाकिस्तान में बनी हुई कहानी दास्तान। इसमें बटवारें के बारे में पाकिस्तानियों का पर्सपेक्टिव और उनका स्ट्रगल दिखाया गया है और सबसे खूबसूरत बात यह थी कि उन्होंने हिंदुस्तानियों को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया है।
नाटक का अंत मुझे बहुत अच्छा लगा जिसमें यह था कि बटवारें से कुछ पाकिस्तानी लोग जो चाहते थे वह हा��िल नहीं हुआ। उन्हे लगता था ऐसा होगा पर वो हुआ ही नहीं।
दुसरा प्ले था रंग रसिया.. जिसमें थोड़ा समय था तो हम समंदर के किनारे चले गए। वहां जाकर कुछ देर बैठे, इमली, कच्ची कैरी, चूरन आदि खाया और बातें की। करन अपनी दोस्त के बारे में बता रहा था जिसे वह बहुत प्यार करता है और उसे छोड़कर चली गई है।
करन उसकी अच्छी यादें अपने साथ रखने की कोशिश में लगा हुआ है। वापस आकर जब प्ले शुरू हुआ। शुरू से ही मज़ा आने लगा। प्ले था एक सीधे साधे लड़के के बारे में.. जो गांव से पत्रकारिता पढ़ने दिल्ली यूनिवर्सिटी जाता है। जिसके मां बाप की फूलों की दुकान है पर लड़का अपनी लाइफ में कुछ नाम कमाना चाहता है। एक अच्छा पत्रकार बनना चाहता है।
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लड़का न सिगरेट पीता है न शराब और न ही गंदी पत्रिकाएं पढ़ता है। लड़कियों से तो बात तक नहीं करता है पर एक दिन जब वैदेही को देखता है तो उसके प्यार में गिर जाता है।
कहानी बहुत ही हंसाने, गुदगुदाने वाली थी और अंत में रुलाने वाली भी थी। जो सपना लेकर वह दिल्ली यूनिवर्सिटी आता है वह सपना तो पूरा नहीं हो पाता है और न ही अपने प्यार का इज़हार उससे हो पाता है लेकिन घर वापस जाकर वह जीवन में ठीक ठाक काम कर लेता है।
साहेब नितीश के द्वारा लिखती और निर्देशित यह नाटक सीधा आपको अपने कॉलेज के दिनों में ले जाता है। जिसमें सपने हैं, हसी मज़ाक है, दोस्ती है, लड़कियां हैं। नौकरी पाने की तड़प है और अपने प्यार का इज़हार न कर पाने का अफसोस।
ऐसे कई लड़के मैने अपने स्कूल और कॉलेज में देखे हैं जिस वजह से मैं मुख्य किरदार के बहुत रिलेट कर पाई। बीच बीच में फिल्मी गानों और रोमांस का तड़का भी देखने के लिए मिलता है जो आपको अंत तक अपनी सीट पर बन�� रहने के लिए मजबूर करता है।
यह नाटक देख कर मुझे बहुत मज़ा आया । ऐसा कुछ नया और रिफ्रेशिंग बहुत ही कम देखने के लिए मिलता है। विजुअल्स भी बहुत रंग बिरंगे और बेहतरीन डिज़ाइन किए गए हैं जिसे जिन्हे देख कर मन को खुशी मिलती है।
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hamariadhurikahanii · 2 years ago
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उन्हें तो पसन्द थे बनावटी लोग
फिर भला हम जैसे सीधे साधे उन्हें कैसे पसन्द आते ।।
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writerss-blog · 3 years ago
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ज्ञान का प्रसाद
बिना ज्ञान के ज्ञान बांटते हैं लोग कैसे कैसे मूर्ख बनाते हैं लोग, अपने झूठ के आडंबर में उलझा सीधे साधे लोगों को मूर्ख बनाते हैं लोग । इस दुनिया में अपने गम से परेशान पहुंच जाते हैं ज्ञान बांटने वालों के पास इन झूठे आडंबर वाले लोगों के छलावे में बहक जाते हैं लोग ।
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bestbuddiesstoriestv · 3 years ago
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बलरामपुर गांव के लोग बहुत ही सीधे साधे थे । कोई भी शुभ कार्य या पूजा करना हो गांव के लोग पंडित राम स्वरुप के पास ही पूछने के लिए जाते थे, रामस्वरूप थोड़ी बहुत पोथी पत्रिका  पढ़ कर ज्योतिष की विद्या ले ली थी, गांव के लोगो के लिए फिर भी रामस्वरूप की कही बात पत्थर की लकीर मानी जाती थी।              ------ आगे की कहानी सुनने के लिए वीडियो लिंक पर क्लिक करे।
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thesahitya5 · 4 years ago
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लिबास
पहचानते है लोग यंहा बस, बदन के एक चमकदार लिबास से. चाँद में भी चमक ढूँढेंते खूबसूरती,  अपने अपनी जरूरत के हिसाब से. लिखा हैं इन्होने अंतर देखकर, जाने किस खूबसूरती कि किताब से. सहज सीधे साधे लगे इन्हें, अनपढ जाहिल निरक्षर मूूढ खराब से. मिलने को मिल जाते हैं ,अक्सर काँटे भी सुंदर से गुलाब में . खाक ही होना है आखिर, रक्खा क्या है झूठे बनावटी रुबाब में कोशिश की बदले खुद को, ढूँढें कुछ अच्छा गैर  नजर…
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karanaram · 4 years ago
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🚩वेलेंटाइन डे को प्रमोट कौन करता है? षडयंत्र का पर्दाफाश, आप बच के रहना-10 फरवरी 2021
🚩भारत देश की युवा पीढ़ी को बर्बाद करने और भारत में व्यापार बढ़ाने के लिए बॉलीवुड, टीवी सीरियल, अखबार, न्यूज चैनल, FM रेडियो , वामपंथी, महिलावादी बुद्धिजीवी वेलेंटाइन डे का प्रचार-प्रसार करते हैं।
🚩कमाई किसकी होती है...?
★शुरू में...
🚩विदेशों की गिफ्ट कम्पनियों की, विदेशी चाकलेट, बेकरी कम्पनियों की, विदेशी precaution ( कॉन्डोम / गर्भनिरोधक गोलियों ) की, पोर्न इंडस्ट्रीज की, बॉलीवुड/फिल्मों आदि की...।
★बाद में...
🚩गर्भपात करने वाले डॉक्टर्स की, अजन्मे बच्चों को बेचकर, बाझपन/कैंसर/गुप्त रोग के डॉक्टर्स और स्त्री रोग विशेषज्ञों की, सोशल नेट्वर्किंग एप्प और पोर्न साईट की, सच्ची घटनाओ पर आधारित टीवी सीरियल/शोर्ट मूवी की, ट्रैफिकिंग के बाद अंग व्यापार और जू प्रोडक्ट इंडस्ट्रीज की, महिला सुरक्षा के खोखले वादों पर वोट बनाने वाले और फर्जी योजनाएं चलाने वाले नेताओं...और भी कई हैं...बड़े छोटे... जिनकी कमाई होती है।
🚩इसमें फंसती/मरती कौन हैं...?
🚩छोटे शहरों के मध्यमवर्गीय और निचले तबके की ज्यादातर पढ़ी लिखी लड़कियां जिनके परिवार का कोई राजनैतिक और क़ानूनी पकड़ नहीं होती...सीधे साधे और दुनियादारी से अनजान भोले और चालबाज टाइप के लोग...
🚩इसमें ऐसा कुछ भी नहीं जो आप नहीं जानते...आप सबकुछ जानते हों...
🚩दिसम्बर से फरवरी तक...एक मास्टर लेवल की स्क्रिप्ट रची जाती है...फिर बड़ी सफाई से प्यार / मोहब्बत / आशिकी के नाम पर बड़े स्तर पर लड़कियों को फसाकर / मारकर अरबो रूपये का देशी विदेशी व्यापार होता है।
🚩वैलेंटाइन कोई त्यौहार नहीं है...यह बड़े लेवल का बिजनेस इवेंट है
🚩फरवरी लडकियों के लिए सबसे खतरनाक महीना होता है...अपनी बच्ची का विशेष ध्यान रखें...क्योंकि जो दूसरी लडकियों के साथ हो रहा है....वो आपकी बेटी के साथ ��ही होगा...उसकी कोई गारंटी नहीं।
🚩कुछ भी अचानक से नहीं होता उसके पीछे कारण होता है, वो कारण है, पैसा औऱ भारतीय संस्कृति को खत्म करने का षडयंत्र है।
🚩भारत के युवक-युवतियां अगर पाश्चात्य संस्कृति की ओर अग्रसर हुए तो परिणाम भयंकर आने वाला है ।
🚩अब युवक-युवतियों का यह कहना होगा कि “क्या हम प्यार न करें?", तो उनको एक सलाह है कि दुनिया में आपको सबसे पहले प्यार किया था आपके माँ-बाप ने । आप दुनिया में आने वाले थे, तबसे लेकर आज तक आपको वो प्यार करते रहे लेकिन उनका प्यार तो आप भूल गये उनको ठुकरा दिया ।
🚩 जब आप बोलना भी नहीं जानते थे तब उन्होंने आपका भरण पोषण किया। आपको ऊंचे से ऊँचे स्थान पर पहुँचाने के लिए खुद भूखे रहकर भी आपको उच्च शिक्षा दिलाई । उनका केवल एक ही सपना रहा कि मेरा बेटा या बेटी सबसे अधिक तेजस्वी, ओजस्वी और महान बने ।
🚩ऐसा अनमोल उनका प्यार आप भुलाकर किसी लड़के-लड़की के चक्कर में आकर अपने माँ-बाप को कितना दुःख दे रहे हैं, उसका अंदाजा भी आप नहीं लगा सकते इसलिए आप यदि स्वयं को बर्बादी से बचाना चाहते हैं, माँ-बाप के प्यार का बदला चुकाना चाहते हैं, तो आपको एक ही सलाह है कि आप मीडिया, टीवी, अखबार पढ़कर वैलेंटाइन डे नहीं मनाकर उस दिन अपने माता-पिता का पूजन करें ।
🚩मनुस्मृति में लिखा है कि 'जो माता-पिता और गुरुजनों को प्रणाम करता है और उनकी सेवा करता है, उसकी आयु, विद्या, यश और बल चारों बढ़ते हैं ।'
🚩अतः हे देश के कर्णधार युवक-युवतियों आप भी वैलेंटाइन डे का त्याग करके उस दिन मातृ-पितृ पूजन मनाकर स्वयं को उन्नत बनाएं । माँ-बाप का भी कर्तव्य है कि अपने बच्चों को भारतीय संस्कृति के संस्कार दें और उनका ध्यान रखें।
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news150com · 4 years ago
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बच्‍चों में गाली देने की आदत को कैसे दूर करें?
बच्‍चों में गाली देने की आदत को कैसे दूर करें?
बच्‍चों का मन बहुत ही चंचल होता है। अधिकांश बच्‍चों का मन हमेशा कोई न कोई खुराफात करने में रहता है। कई बार सीधे-साधे बच्‍चे भी बुरी संगत में आकर बिगड़ जाते हैं। यहां तक कि कुछ बच्‍चे बुरी संगत पाकर गाली देना तक सीख जाते हैं। बच्‍चों के गाली देने का सबसे ज्‍यादा असर उनके माता-पिता की परवरिश पर सवालिया निशान खड़े करते हैं। घर में आए मेहमानों पर इसका बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। सभ्‍य समाज के लोग…
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lokkesari · 4 years ago
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ऋषिकेश पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, किया लूटपाट करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, तीन शातिर अभियुक्त गिरफ्तार। चोरी किया गया एवं लूटा हुआ माल बरामद।
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ऋषिकेश पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, किया लूटपाट करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, तीन शातिर अभियुक्त गिरफ्तार। चोरी किया गया एवं लूटा हुआ माल बरामद।
ऋषिकेश दिनांक 15 जनवरी 2021_ कोतवाली ऋषिकेश में शिकायतकर्ता अरविंद जैन पुत्र स्वर्गीय प्रेमचंद्र जैन निवासी 75 जीवनीमाई मार्ग निकट मॉडर्न स्कूल ऋषिकेश ने एक शिकायत पत्र दिया था कि 6 जनवरी 2021 की शाम मेरी पत्नी बाजार सामान लेने गई थी तो रेलवे रोड भगवान भवन के सामने दो अज्ञात व्यक्तियों ने मेरी पत्नी को बातों में उलझा कर कुछ आभूषण ठग लिए और वहां से फरार हो गए। शिकायतकर्ता की उक्त शिकायत पर कोतवाली ऋषिकेश में मुकदमा अपराध संख्या 08/2021 धारा 420 आईपीसी पंजीकृत कर विवेचना प्रारंभ की गई। उक्त मामले में दो पुलिस टीम वर्दी में एक टीम सादे वस्त्रों में नियुक्त की गई। तथा घटना स्थल व उसके आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे का बारीकी से जांच की गई। कल दिनांक 14 जनवरी 2020 की सायं समय 17:10 बजे मुखबिर की सूचना पर गठित पुलिस टीम द्वारा नेपाली तिराहे के पास चेकिंग के दौरान दो अलग-अलग यूनिकॉर्न मोटरसाइकिल पर तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया। जिनके पास से उपरोक्त घटना से संबंधित माल बरामद हुआ है।
पुलिस पूछताछ में अभियुक्तो के नाम व पता मिसकिन पुत्र मंसूर अली निवासी हुसेनी कालोनी, छिदरी रोड़, थाना गांधीगंज, जिला बीदर कर्नाटका मौसीन खान पुत्र फिरोज खान निवासी मूल पता चिनचाला लाल बाड़ा थाना लालबाग जिला बुरहान मध्य प्रदेश तथा शेख अबू तोराब पुत्र अख्तर अली निवासी हुसेनी कालोनी, छिदरी रोड़, थाना गांधीगंज, जिला बीदर कर्नाटका है इसके साथ ही अभियुक्त(मिसकीन) के पास से सोने की चूड़ी, 300 रूपये व नकली ज्वैलरी एक बैग में, होण्डा यूनिकार्न मो0सा0 फर्जी नम्बर लगी हुई, अभियुक्त (मौसीन खान) से सोने की अंगूठी व 210 रूपये तथा अभियुक्त (शेख अबू तोराब से) चांदी का बिछवा व 250 रूपये व फर्जी नं0 लगी होण्डा यूनिकार्न मो0सा0* बरामद की गई! पूछताछ में अभियुक्तों ने बताया की यह लोग बैंक में सीधे- साधे ग्राहकों को नोट गिनने के बहाने या असली-नकली नोट की पहचान कराने के नाम पर ठगी करते थे एवं पुलिस अधिकारी बनकर आम जनता को भय दिखाकर पैसे ऐठते या फिर ज्वैलर्स की दुकान पर ग्राहक बनकर दुकानदार को बातो में उलझाकर स्वर्ण आभूषण चोरी कर लेते थे।
पूछताछ में पता चला कि यह लोग आज देहरादून घटना करने जा रहे थे कि पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए। इनमें अभियुक्त मिस्किन पर कर्नाटका में चोरी एवं धोखाधड़ी के 6 से अधिक मुकदमा पंजीकृत हैं। एवं अभियुक्त अब्दुल त���ाब पर कर्नाटका मैं धोखाधड़ी एवं महाराष्ट्र में आर्म्स एक्ट में मुकदमा पंजीकृत है। अन्य जगहों से भी अपराधिक इतिहास की जानकारी की जा रही है। अभियुक्तों को समय से माननीय न्यायालय के समक्ष पेश किया जाएगा। पुलिस टीम में 1- निरीक्षक रितेश साह 2- व0उ0नि0 ओमकान्त भूषण 3- उ0नि0 आशीष गुसांई 4- का0 1344 प्रवीण सिन्धू 5- का0 1185 नवनीत सिंह नेगी 6- का0 823 मनोज कुमार 7- का0 886 सन्दीप छाबड़ी 8- का0 1161 अनित कुमार शामिल हैं ।
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sabkuchgyan · 4 years ago
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S नाम के लोग प्यार के मामले में होते है कुछ ऐसे, आपके करीबी है तो जरूर जान ले
S नाम के लोग प्यार के मामले में होते है कुछ ऐसे, आपके करीबी है तो जरूर जान ले #Astrology #Amount #S name guys in terms of love
प्रत्येक व्यक्ति का स्वभाव, आचरण और व्यवहार उसकी राशि के अनुसार अलग-अलग होता है। कुछ लोग भोले-भाले और सीधे-साधे होते है। इन्हें कभी गुस्सा नहीं आता है जबकि कुछ लोग बहुत गुस्सैल स्वभाव के होते है। जिनको छोटी-छोटी बातों पर ही गुस्सा आ जाता है। S नाम के लोग प्यार के मामले में • S नाम के लोग बहुत सीधे-साधे और भोले-भाले होते है। ये लड़कियों से बहुत ज्यादा शर्माते है। और किसी पर भी आसानी से विश्वास कर…
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its-axplore · 4 years ago
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गांजा व अफीम नक्सलियों के लिए कैश क्रॉप है। उन्हें अपने कामों के लिए पैसा चाहिए, जो उन्हें प्रतिबंधित अफीम और गांजा की खेती मिलती है। कम मेहनत में पैसा कमाने की लालच ने इस क्षेत्र के लोगों को भी इस अवैध धंधा में उतार दिया है। इससे सालों से बाराचट्टी इलाका अफीम की अवैध खेती के लिए जाना जाने लगा है।
शेरघाटी अनुमंडल के बाराचट्टी थाना क्षेत्र के दूर-दराज के इलाकों और माओवादियों की मांद कहे जाने वाले घने जंगलों में गांजे की खेती लहलहा रही है। जबकि कुछ इलाकों में अफीम की बुआई की जा रही है, तो कहीं कहीं अफीम की फसल लगाने के लिए खेत तैयार किए जा रहे हैं। इसके लिए अधिकांश वन विभाग की भूमि का उपयोग किया जाता है, हालांकि यह ��ाम चोरी छिपे ही किया जा रहा है।
सूत्र बताते हैं कि झारखंड से सटे सीमावर्ती इलाका व घने जंगल होने के कारण इन इलाकों में पुलिस की गतिविधि काफी कम होती है। यहीं कारण है कि यह इलाका माफियाओं के लिए सेफ जोन बनता जा रहा है। बताया जाता है कि तस्करों और बिचौलियों के द्वारा गांजे और अफीम के खेतों में मेहनत और उसकी सुरक्षा के लिए कई किसानों को मोटी रकम भी दी जाती है। इधर डीएसपी प्रवेन्द्र भारती ने बताया कि इस संबंध में वन विभाग के अधिकारियों से बात हो रही है, आगे की कार्रवाई के लिए सूचना एकत्रित की जा रही है।
कम मेहनत में ज्यादा कमाई के लालच में जुड़े कई लोग
सोर्स बताते हैं कि अब भी इस इलाके में दर्जनों एकड़ भूमि पर गांजे और अफीम की फसल अवैध रूप से उगायी जा रही है। जबकि पहले झारखंड के चतरा जिले में इसकी खेती होती थी। लेकिन तस्करों की नजर इस इलाके के सीधे साधे लोगों पर पड़ी और उन्हें समझाया कि कम मेहनत में ज्यादा कमाई होगी। आपलोगों को बेचने के झंझट में भी नहीं फंसना है। इसके बाद आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीण दो पैसे की चाहत में खेती करने लगे।
पिछले साल 400 एकड़ में लगी अफीम की गई थी नष्ट
बीतेे चार-पांच सालों से इस इलाके में नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी और सुरक्षाबल अफीम और गांजे की खेती के खिलाफ जोरदार कार्रवाई कर रहे हैं। पिछले साल करीब 400 एकड़ में तैयार अफीम की फसल को नष्ट की गई और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज की गई थी। कई लोग जेल भी भेजे गए थे। लेकिन एक बार फिर इस इलाके में जोरदार तरीके से गांजे और अफीम की खेती की जा रही है।
इन इलाकों में हो रही खेती
प्रखंड क्षेत्र के पिपराही, नारे, शंखवा, मंथर, बड़की चापी, छोटकी चापी और झारखंड से सटे इलाका व घने जंगल माओवादियों की शरणस्थली रहे इन इलाकों में गांजे और अफीम की अत्यधिक खेती के कारण धंधेबाजों के लिए स्वर्ग बनने की राह पर है।
इस प्रकार प्राकृतिक संपदाओं से भरूपर और नक्सलियों की शरणस्थली बना यह इलाका एक बार फिर गांजे और अफीम की खेती के लिए सुर्खियों में हैं। विकास से पिछड़ा जंगली इलाका का अफीम और गांजे की खेती से पुराना रिश्ता रहा है। इस इलाके में पिछले कई सालों से अफीम और गांजे की खेती हो रही है।
सक्रिय हुए धंधेबाज
झारखंड से सटा यह इलाका बेहद संवेदनशील माने जाते हैं। झारखंड के चतरा जिले के देखा देखी इस क्षेत्र में भी अफीम और गांजे की खेती के लिए धंधेबाज सक्रिय हो गए। कम मेहनत में अत्यधिक लाभ होने के कारण धीरे धीरे यह विकराल रूप लेता गया। वर्तमान में यह स्थिति हो गई है कि दर्जनों एकड़ जमीन में यहां अफीम और गांजे की खेती की जा रही हैै।
आमलोग हैं चिंतित
कुछ साल पहले तक बाराचट्टी के कुछ इलाके में अफीम और गांजे की खेती होती थी। लेकिन नक्सलियों के बढते वर्चस्व के कारण इसका दायरा भी बढ़ता गया। तेज�� से फैल रही इस खेती ने जहां पुलिस प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा दी है, वहीं आम लोग भी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि मादक पदार्थों की खेती और तस्करी इसी प्रकार जारी रही तो न जाने आने वाली पीढ़ी का क्या हाल होगा।
कार्रवाई के लिए टीम गठित की जा रही
सूचना एकत्रित की जा रही है। इसके लिए टीम गठित की जा रही है। वरीय अधिकारियों के निर्देश प्राप्त होने के बाद गांजे और अफीम की खेती करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मो. अफसार, रेंजर, वन विभाग, बाराचट्टी
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बाराचट्टी थाना के बाॅर्डर इलाके में लगी गांजे की फसल।
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