#सारा की उम्र
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कानपुर वाले घर में मेरी मां, पापा और छोटी बहन रहती थी. मेरी बहन का नाम सुषमा है. उम्र में वो मुझसे तीन साल छोटी है. वो घर में सबकी लाडली है. ये कहानी जो मैं आप लोगों को आज बताने जा रहा हूं, यह करीबन दो साल पुरानी है.
उस वक्त मेरी बहन ने अपनी एमबीए की पढ़ाई पूरी की थी. पढ़ाई में हम दोनों भाई-बहन ही अच्छे थे. एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद मेरी बहन अब जॉब की तलाश में थी.
चूंकि मैं हैदराबाद जैसे बड़े शहर में रह रहा था तो मैंने उससे कहा कि तुम मेरे ही शहर में जॉब ढूंढ लो. मेरी यह बात मेरे माता-पिता को भी ठीक लगी. मेरे शहर में रहने से उनको भी अपनी बेटी की सेफ्टी की चिंता करने की आवश्यकता नहीं थी.
हैदराबाद में पी.जी. रूम लेकर मैं रह रहा था. मगर अब सुषमा भी साथ में रहने वाली थी तो मैंने एक बीएचके वाला फ्लैट ले लिया. कु�� दिन के बाद बहन भी मेरे साथ मेरे फ्लैट में शिफ्ट हो गई.
सुषमा के बारे में आपको बता दूं कि वो काफी खुलकर बात करने वालों में से है. उसकी हाइट 5.6 फीट है और मेरी हाइट 6 फीट के लगभग है. मेरी बहन के बदन की बात करूं तो उसकी गांड काफी उठी हुई है. जब वो अपनी कमर को लचकाते हुए चलती है तो किसी भी मर्द को घायल कर सकती है.
मेरी बहन का फीगर 36-30-38 का है. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उसकी चूचियां भी कितनी बड़ी होंगी. उसकी चूचियां हमेशा उसके कपड़ों से बाहर झांकती रहती थीं. मैंने सुना था कि जवान लड़की की चूत चुदाई होने के बाद उसकी चूचियों का साइज भी बढ़ जाता है.
अपनी बहन की चूचियों को देख कर कई बार मेरे मन में ख्याल आता था कि कहीं यह भी अपनी चूत चुदवा रही होगी. मगर मैं इस बारे में विश्वास के साथ कुछ नहीं कह सकता था. मेरी बहन खुले विचारों वाली थी तो दोनों तरह की बात हो सकती थी.
जब वो मेरे साथ फ्लैट में रहने लगी तो अभी उसके पास जॉब वगैरह तो थी नहीं. वो अपना ज्यादातर समय फ्लैट पर ही बिताती थी. मैं सुबह ही अपने काम पर निकल जाता था. पूरा दिन फ्लैट पर रह कर वो बोर हो जाती थी.
एक रोज वो कहने लगी कि वो सारा दिन फ्लैट पर रह कर बोर हो चुकी है. उसका मन कहीं बाहर घूमने के लिए कर रहा था. उसने मुझसे कहीं बाहर घूमने चलने के लिए कहा.मैंने कह दिया कि हम लोग मेरी छुट्टी वाले दिन चलेंगे.
फिर वीकेंड पर मैंने अपनी बहन के साथ बाहर घूमने का प्लान किया. अभी तक मेरे मन में मेरी बहन के लिए कोई गलत ख्याल नहीं था. हम लोग पास के ही एक मॉल में घूमने के लिए गये. मेरी बहन उस दिन पूरी तैयार होकर बाहर निकली थी.
उसके कुर्ते में उसकी चूचियां पूरे आकार में दिखाई दे रही थीं. हम लोगों ने साथ में घूमते हुए काफी मस्ती की और फिर घर वापस लौटने लगे. मगर रास्ते में बारिश होने लगी. इससे पहले कि हम लोग बारिश से बचने के लिए कहीं रुकते, हम दोनों ऊपर से लेकर नीचे तक पूरे भीग चुके थे.
बारिश काफी तेज थी इसलिए मैंने सोचा कि बारिश रुकने का इंतजार करना ही ठीक रहेगा. हम दोनों बाइक रोक कर एक मकान के छज्जे के नीचे खड़े हो गये. सुषमा के बदन पर मेरी नजर गई तो मैं चाह कर भी खुद को उसे ताड़ने से नहीं रोक पाया.
उसकी मोटी चूचियों की वक्षरेखा, जिस पर पानी की बूंदें बहती हुई अंदर जा रही थी, मेरी नजरों से कुछ ही इंच की दूरी पर थी. उसको देख कर मेरे लौड़े में अजीब सी सनसनी होने लगी. मैंने उसकी सलवार की तरफ देखा तो उसकी भीगी हुई गांड और जांघें देख कर मेरे लंड में और ज्यादा हलचल होने लगी.
मैं बहाने से उसको घूरने लग गया था. ऐसा मेरे साथ पहली बार हो रहा था. फिर कुछ देर के बाद बारिश रुक गयी और हम अपने फ्लैट के लिए निकल गये. उस दिन के बाद से मेरी बहन के लिए मेरा नजरिया बदल गया था.
अपनी बहन की चूचियों को मैं घूरने लगा था. बहन की गांड को ताड़ना अब मेरी आदत बन चुकी थी. मेरी हाइट उससे ज्यादा थी तो जब भी वो मेरे सामने आती थी उसकी चूचियां ऊपर से मुझे दिखाई दे जाती थीं. कई बार हंसी-मजाक में मैं उसको गुदगुदी कर दिया करता था.
इस बहाने से मैं उसकी चूचियों को छेड़ दिया करता था. कभी उसकी गांड को सहला देता था. यह सब हम दोनों के बीच में अब नॉर्मल सी बात हो गई थी. जब भी वो नहा कर बाहर आती थी तो वह तौलिया में होती थी. ऐसे मौके पर मैं जानबूझकर उसके आस-पास मंडराने लगता था.
जब मैं उसके साथ छेड़खानी करता था तो वो मेरी हर हरकत को नोटिस किया करती थी. उसको मेरी हरकतें पसंद आती थीं. इस बात का पता मुझे भी था. जब भी मैं उसको छेड़ता था तो वो मेरी हरकतों को हंसी में टाल दिया करती थी.
वो भी कभी-कभी मुझे यहां-वहां से छूती रहती थी. कई बार तो उसका हाथ मेरे लंड पर भी लग जाता था या फिर यूं समझें कि वो मेरे लंड बहाने से छूने की कोशिश करने लगी थी. अब आग दोनों तरफ शायद बराबर की ही लगी हुई थी.
ऐसे ही मस्ती में दिन कट रहे थे. एक दिन की बात है कि मैं उस दिन ऑफिस से जल्दी आ गया. हम दोनों के पास ही फ्लैट की एक-एक चाबी रहती थी. मैंने बाहर से ही लॉक खोल लिया था.
जब मैं अंदर गया तो उस वक्त सुषमा बाथरूम के अंदर से नहा कर बाहर आ रही थी. मैंने उसे देख लिया था मगर उसकी नजर मुझ पर नहीं पड़ी थी. उसने अपने बदन पर केवल एक टॉवल लपेटा हुआ था.
Nangi Behan
वो सीधी कबॉर्ड की तरफ जा रही थी. मैं भी उसको जाते हुए देख रहा था. अंदर जाकर उसने अलमारी से एक ब्रा और पैंटी को निकाला. उसने अपना टॉवल उतार कर एक तरफ डाल दिया. बहन के नंगे चूतड़ मेरे सामने थे.
मेरे सामने ही वो ब्रा और पैंटी पहनने लगी. उसका मुंह दूसरी तरफ था इसलिए उसकी नंगी चूत और चूचियां मैं नहीं देख पाया. मगर जल्दी ही उसको किसी के होने का आभास हो गया और वो पीछे मुड़ गई.
जैसे ही उसने मुझे देखा वो जोर से चिल्लाई और मैं भी घबरा कर बाहर हॉल में आ गया. कुछ देर के बाद वो कपड़े पहन कर बाहर आई और मुझ पर गुस्सा होते हुए कहने लगी कि भैया आपको नॉक करके आना चाहिए था.
मैंने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा- अगर मैं नॉक करके आता तो क्या तुम मुझे वैसे ही अंदर आने देती?उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया. मैं समझ गया कि उसकी इस खामोशी में उसकी हां छुपी हुई है.
अब मैंने थोड़ी हिम्मत की और उसके करीब आकर उसको अपनी बांहों में भर लिया. वो मेरी तरफ हैरानी से देख रही थी. मैंने उसकी आंखों में देखा और देखते ही देखते हम दोनों के होंठ आपस में मिल गये. मैंने उसके होंठों को चूमना ��ुरू कर दिया.
पहले तो मेरी बहन दिखावटी विरोध करती रही. फिर कुछ पल के बाद ही उसने विरोध करना बंद कर दिया. शायद उसको भी इस बात का अंदाजा था कि आज नहीं तो कल ये सब होने ही वाला है. इसलिए अब वो मेरा पूरा साथ दे रही थी.
दस मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों को पीते रहे. उसके बाद मैंने उसके कपड़ों उतारना शुरू कर दिया. उसका टॉप उतारा और उसको ब्रा में कर दिया. फिर मैंने उसकी जीन्स को खोला और उसकी जांघों को भी नंगी कर दिया.
अब मैंने उसकी ब्रा को खोलते हुए उसकी चूचियों को नंगी कर दिया. उसकी मोटी चूचियां मेरे सामने नंगी हो चुकी थीं. उसकी चूचियों को मैंने अपने हाथों में भर लिया.
उसके नर्म-नर्म गोले अपने हाथ में भर कर मैंने उनको दबा दिया. अब एक हाथ से उसकी एक चूची को दबाते हुए मैं दूसरे हाथ को नीचे ले गया. उसकी पैंटी के अंदर एक उंगली डाल कर मैंने उसकी चूत को कुरेद दिया.
बहन की चूत पानी छोड़ कर गीली हो रही थी. मैंने उसकी चूत को कुरेदना जारी रखा. उसका हाथ अब मेरे लंड पर आ गया था. मेरा लंड भी पूरा तना हुआ था. वो अब मेरे लंड को पैन्ट के ऊपर से ही पकड़ कर सहला रही थी.
मैं भी उत्तेजित हो चुका था और मैंने अपनी पैंट को खोल दिया. पैंट नीचे गिर गयी. सुषमा ने मेरी पैन्ट को मेरी टांगों में से निकलवा दिया. वो अब खुद ही आगे बढ़ रही थी. उसने मेरे अंडरवियर को भी निकाल दिया.
मेरे लंड को पकड़ कर वो उसकी मुठ मारने लगी. मैं तो पागल ही हो उठा. मैं उसकी चूचियों को जोर से भींचने लगा. फिर मैंने झुक कर उसकी चूचियों को मुंह में भर लिया और उसके निप्पलों को काटने लगा.
इतने में ही मेरी बहन ने अपनी पैन्टी को खुद ही नीचे कर लिया. उसकी चूत अब नंगी हो गई थी. मैं उसकी चूचियों को चूस रहा था. उसके निप्पलों को काट रहा था. बीच-बीच में चूचियों के निप्पलों को दो उंगलियों के बीच में लेकर दबा रहा था.
सुषमा अब काफी उत्तेजित हो गई थी. अचानक ही वो मेरे घुटनों के बीच में बैठ गई और अपने घुटनों के बल होकर उसने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया. मेरी बहन मस्ती से मेरे 8 इंची लंड को चूसने लगी. ऐसा लग रहा था जैसे उसको मेरा लंड बहुत पसंद है.
वो जोर से मेरे लंड को चूसती रही और मेरे मुंह से अब उत्तेजना के मारे जोर की आवाजें सिसकारियों के रूप में बाहर आने लगीं. आह्ह … सुषमा, मेरी बहन, मेरे लंड को इतना क्यों तड़पा रही हो!मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपने लंड पर अंदर दबाना और घुसाना शुरू कर दिया.
दो-तीन मिनट तक लंड को चुसवाने के बाद मैं स्खलन के करीब पहुंच गया. मैंने बहन के मुंह में लंड को पूरा घुसेड़ दिया और मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी बहन के मुंह में जाकर गिरने लगी.
मेरी बहन मेरा सारा माल पी गयी. मैंने उसको बेड पर लिटा लिया और उसकी चूत में उंगली करने लगा. वो तड़पने लगी. उसकी चूत पानी छोड़ रही थी. मगर उसकी चूत की चुदाई शायद पहले भी हो चुकी थी. चूत भले ही टाइट थी लेकिन कुंवारी चूत की बात ही अलग होती है. मुझे इस बात का अन्दाजा हो गया था.
मैं उसकी चूत को चाटने लगा. उसकी चूत का सारा रस मैंने चाट लिया.जब उससे बर���दाश्त न हुआ तो वो कहने लगी- भैया, अब चोद दो मुझे… आह्ह … अब और ��हीं रुका जा रहा मुझसे.मैंने उसकी चूत में अन्दर तक जीभ घुसेड़ दी और वो मेरे मुंह को अपनी चूत पर जोर से दबाने लगी.
फिर मैंने मुंह हटा लिया. अब उसकी टांगों को मैंने बेड पर एक दूसरे की विपरीत दिशा में फैला दिया. बहन की चूत पर अपने लंड को रख दिया और रगड़ने लगा. मेरा लंड फिर से तनाव में आ गया. देखते ही देखते मेरा पूरा लंड तन गया.
मैंने अपने तने हुए लंड के सुपाड़े को चूत पर रखा और एक झटका दिया. पहले ही झटके में लंड को आधे से ज्यादा उसकी चूत में घुसा दिया. वो दर्द से चिल्ला उठी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…मगर मैं अब रुकने वाला नहीं था. मैंने लगातार उसकी चूत में झटके देना शुरू कर दिया. बहन की चूत की चुदाई शुरू हो गई.
सुषमा की चूत में अब मेरा पूरा लंड जा रहा था. वो भी अब मजे से मेरे लंड को अंदर तक लेने लगी थी. मैं पूरे लंड को बाहर निकाल कर फिर से पूरा लंड अंदर तक डाल रहा था. दोनों को ही चुदाई का पूरा आनंद मिल रहा था.
अब मैंने उसको बेड पर घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी चूत में लंड को पेलने लगा. उसकी चूत में लंड घुसने की गच-गच आवाज होने लगी. मेरे लंड से भी कामरस निकल रहा था और उसकी चूत भी पानी छोड़ रही थी इसलिए चूत से पच-पच की आवाज हो रही थी.
फिर मैंने उसको सीधी किया और उसके मुंह में लंड दे दिया. मेरे लंड पर उसकी चूत का रस लगा हुआ था. वो फूल चुके लंड को चूसने-चाटने लगी. उसकी लार मेरे लंड पर ऊपर से नीचे तक लग गई.
अब दोबारा से मैंने उसकी टांगों को फैलाया और उसकी चूत में जोर से अपने लंड के धक्के लगाने लगा. पांच मिनट तक इसी पोजीशन में मैंने उसकी चूत को चोदा और वो झड़ गई. अब मेरा वीर्य भी दोबारा से निकलने के कगार पर पहुंच गया था.
मैंने उसकी चूत में तेजी के साथ धक्के लगाना शुरू कर दिया. उसकी चूत मेरे लंड को पूरा का पूरा अंदर ले रही थी. फिर मैंने दो-तीन धक्के पूरी ताकत के साथ लगाये और मैं अपनी बहन की चूत में ही झड़ने लगा. उसकी चूत को मैंने अपने वीर्य से भर दिया.
हम दोनों थक कर शांत हो गये. उस दिन हम दोनों नंगे ही पड़े रहे. शाम को उठे और फिर खाना खाया. उसके बाद रात में एक बार फिर से मैंने अपनी बहन की चूत को जम कर चोदा. उसने भी मेरे लंड को चूत में लेकर पूरा मजा लिया और फिर हम सो गये.
उस दिन के बाद से हम भाई-बहन में अक्सर ही चुदाई होने लगी. अब उसको मेरे साथ रहते हुए काफी समय हो गया है लेकिन हम दोनों अभी भी चुदाई करते हैं. मुझे तो आज भी ये सोच कर विश्वास नहीं होता है कि मैं इतने दिनों से अपनी बहन की चूत की चुदाई कर रहा हूं.
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Website : https://divinebite.co.in/
Website : https://divinebite.co.in/ MERI KAHANI, MERI ZUBANI : EP 1 मेरा जन्म इलाहबाद में हुआ । मेरे पिताजी नैनी T.S.L में कार्य करते थे । नैनी Glass Factory में मेरे बाबा स्वर्गीय श्री कृष्ण बिहारी माथुर काम करते थे । वहीं पर स्टाफ़ क्वॉर्टर में हमारा घर था, वहाँ एक एक बगिया हुआ करती थी बड़ी धुंधली यादे हैं वहाँ के आम के बाग की । ज़मीन तक लटकते हुए आम ऐसे की लेट कर मुँह में आ जाएँ । मेरी उम्र शायद २.५ या ३ साल की रही होगी, सबसे पहली यादें हैं यह मेरी पेड़ में ��गे हुई आम की । बाबा जी मुझे cycle पर बैठा कर स्कूल ले जाते थे इस वक़्त एक ही convent school था नैनि में Bethany convent school. सुबह सुबह रोज़ वहाँ के church में जाना और Father Francis की मज़ेदार बातें सुन ना हमारा रोज़ का नियम था ।
समय बीतता गया कुछ सालों में नैनी के गुरु नानक नगर कॉलोनी में हमारा अपना घर बन गया । एक छोटी सी बगिया भी लगाई गई…और बहुत सारे फलों के पेड़ भी लगाए गए … मुझे याद नही सेब के अलावा हमने कभी कोई फल ख़रीद कर खाया हो ।
मेरी माँ बहुत ही स्वादिष्ट खाना ���नातीं हैं । मेंने हमेशा उन्हें हम लोगों के लिए तरह तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाते देखा । मेरे पापा ख़ानदान में सबसे बड़े थे तो रिश्तेदारों का आना जाना हमेशा से बहुत अधिक था । माँ के हाथ के बने अचार विशेष रूप से सभी को बहुत पसंद आते थे । खाते तो थे ही बांध कर भी ले जाते थे । धीरे धीरे उन्ही के हाथों का स्वाद मेरे बनाए खाने में भी आने लगा । घर के कामों में मदद करने के साथ साथ अनाज, मसालों को सहेजना, अचार बनाना कब सीख लिया पता ही नही चला … पता नहीं माँ के हाथों में क्या जादू था कि कुछ भी दे दो स्वाद hiबने गा ।
गर्मी की छुट्टियों में नानी जी के घर जाते तो सभी मामा मौसी के बच्चे होते थे और हम सब भाई बहनों का प्रिय नाश्ता आम का अचार और पराठा था । दुपहर में जब मेरी नानी सो जाती तब बरनी में से चुरा कर आम की फाँक खाने में जो स्वाद आता था आहाऽऽऽ !!! जैसे सब कुछ मिल गया हो । आज कल के पिज़्ज़ा बर्गर में भी वह स्वाद कहाँ…
अब तो वो खेल मस्ती और ननिहाल का आँगन, आँगन में ढेर सारी गौरयों का स्थायी घर , रोज़ उनका चहकना बस यादों में ही रह गया है ।
हाँ ! साथ बचा है तो उन हाथों का स्वाद जो कब धीरे से सरक के मेरे पास आ गया पता ही नही चला । सच है खाना बनाना सीखना कोई kuch दिन ka crash course नहीं। खाना बनाना आपसे बहुत सारा dedication माँगता है । अपनों के लिए प्यार और समर्पण का भाव माँगता है । किसी recipe से नही बनता । प्यार से फिर भी बन जाए । आज के लिए बस इतना ही । शेष फिर । To read more such stories visit : https://divinebite.co.in/
Ruchi Mathur�� Founder: Divine Bite pickles and food Website : https://divinebite.co.in/ #organic#freefrompreservatives#food#pickle#mangopickle#mustardoil
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जब छोटी-छोटी नदियाँ बड़ी होती हैं,
वो खो देती हैं अपना अस्तित्व।
वो बिसरा देती हैं अपना भूत,
जानी जाती हैं एक नई पहचान से।
ये देती हैं मछलियों, कछुओं और घड़ियालों को खुद में आसरा,
कराती हैं उन्हें विश्व की सैर अपनी पीठ पर बैठा कर।
लेकिन उन नदियों के कंधो पर लाद दिया जाता है
उनकी उम्र से ज्यादा भार।
पर जब इन नदियों की रेती पर बच्चे बनाते हैं घरौंदें,
तब ये नदियां खेलती हैं बच्चों के संग कई खेल,
हो जाती हैं बड़े होते - होते एक बार फिर से छोटी।
पर जब ये उदास होती हैं तो पी जाती हैं अपने सारे आंसू,
सुखा देती हैं अपना सारा जल,
रह जाता है सिर्फ खारापन नदियों की तलहटी में।
और क्रोध में ये खींच लाती हैं आदमी को अपनी तरफ।
जब ये नदियां बड़े होते- होते थक जाती हैं,
तो मिल जा बैठती है समुन्दर में।
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Irrfan Khan: The Bollywood Icon with Royal Roots in Jaipur
Introduction
Irrfan Khan: दिवंगत इरफान खान हिंदी सिनेमा के सबसे बेहतरीन एक्टर्स में से एक थे. 7 जनवरी, 1967 को राजस्थान के टोंक में पैदा हुए इरफान बचपन में एक क्रिकेटर बनने का सपना देखते थे. हालांकि, धीरे-धीरे उनकी दिलचस्पी एक्टिंग की तरफ बढ़ती रही. उनके पिता का नाम यासीन अली खान था जो टायर का बिजनेस करते थे. इरफान खान ने जयपुर से स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई की. फिर साल 1984 में दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लिया और एक्टिंग सीखी.
Table of Content
मिथुन की वजह से एक्टिंग की लत
टीवी से हुई शानदार शुरुआत
नेगेटिव रोल में हिट
अनुराग बासु की फिल्म ने बदली किस्मत
हॉलीवुड में बनाई पहचान
और भी मिले अवॉर्ड
पर्सनल लाइफ
जब छोड़ना चाहते थे एक्टिंग
पिता को कभी नहीं बता पाए ये बात
मां ने भी देखा था सपना
नवाबों के खानदान से हैं इरफान
मिथुन की वजह से एक्टिंग की लत
टीवी से हुई शानदार शुरुआत
दिल्ली के बाद इरफान खान ने मुंबई का रुख किया. उन्होंने ‘चाणक्य’, ‘चंद्रकांता’, ‘बनेगी अपनी बात’, ‘सारा जहां हमारा’ और ‘भारत एक खोज’ जैसे कई टेलिविजन शोज में काम किया और लोगों के दिलों में जगह बनाई. लोगों ने उन्हें ‘चंद्रकांता’ में ‘बद्रीनाथ’ के किरदार में नोटिस किया. उसी दौरान फिल्म मेकर मीरा नायर ने उन्हें अपनी फिल्म ‘सलाम बॉम्बे’ में एक छोटा सा रोल ऑफर किया. हालांकि, जब ये फिल्म रिलीज हुई तब उसमें से इरफान के ज्यादातर सीन काट दिए गए थे. लेकिन कुछ सेंकेड के सीन में इरफान ने सड़क किनारे बैठे एक लड़के का रोल किया जो लोगों की चिट्ठियां लिखता है. उस सीन में इरफ़ान ने एक लाइन बोली- ‘बस-बस 10 लाइन पूरी. आगे लिखने का 50 पैसा लगेगा. मां का नाम-पता बोल’. ये वो सीन था जब लोगों ने इरफान खान को पहली बार सिल्वर स्क्रीन पर देखा था. हालांकि, इससे उनके करियर को खास फायदा नहीं मिला. फिर साल 1991 में फिल्म ‘एक डॉक्टर की मौत’ में शबाना आजमी और पंकज कपूर के साथ उन्हें एक छोटा सा रोल करने का मौका मिला. इस फिल्म में इरफान ने एक न्यूज रिपोर्टर बनकर फैन्स का दिल जीत लिया.
नेगेटिव रोल में हिट
अनुराग बासु की फिल्म ने बदली किस्मत
साल 2007 में रिलीज हुई फिल्म ‘लाइफ इन मेट्रो’ के बाद इरफान खान की वाकई में लाइफ बदल गई. अनुराग बासु के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में शिल्पा शेट्टी, केके मेनन, कंगना रनौत, कोंकणा सेन शर्मा, इरफान खान, नफीसा अली, धर्मेंद्र, शाइनी आहूजा और शरमन जोशी जैसे कलाकार अहम भूमि��ा में थे. इस मल्टी स्टारर फिल्म में इरफान ने ‘मोंटी’ का किरदार निभाकर फैन्स को खूब एंटरटेन किया. इसके बाद इरफान ने ‘पान सिंह तोमर’, ‘हिंदी मीडियम’, ‘द लंच बॉक्स’, ‘सात खून माफ’, ‘करीब करीब सिंगल’, ‘पीकू’, ‘थैंक यू’, ‘न्यूयॉर्क’ और ‘अंग्रेजी मीडियम’ जैसी कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया.
हॉलीवुड में बनाई पहचान
बॉलीवुड के साथ-साथ इरफान खान ने हॉलीवुड में भी अपनी पहचान बनाई. उन्होंने ‘द नेमसेक’, ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’, ‘इन्फर्नो’ और ‘द अमेजिंग स्पाइडर मैन’ जैसी हॉलीवुड फिल्मों में काम कर चुके हैं. साल 2011 में इरफान खान को भारत सरकार की तरफ से पद्मश्री अवॉर्ड दिया गया. अपनी फिल्म ‘हिंदी मीडियम’ के लिए उन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट एक्टर का पुरस्कार मिला. साल 2020 में रिलीज हुई ‘अंग्रेजी मीडियम’ इरफान खान की आखिरी फिल्म थी. 29 अप्रैल, 2020 को 53 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था. दिवंगत एक्टर इरफान खान ने कम उम्र में ही दुनिया को अलविदा कह दिया. वो ऐसे कलाकार थे जो अपनी फिल्मों के जरिए दशकों तक लोगों को एंटरटेन करते रहेंगे.
और भी मिले अवॉर्ड
इरफ़ान खान को अपनी दमदार एक्टिंग के लिए कई अवॉर्ड मिले. साल 2012 में रिलीज हुई उनकी फिल्म ‘पान सिंह तोमर’ के लिए इरफान खान को खूब तारीफ मिली. साथ ही उन्हें बेस्ट एक्टर का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके अलावा ‘हैदर’ और ‘पीकू’ जैसी फिल्मों के लिए उन्हें बेस्ट स्पोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया.
पर्सनल लाइफ
इरफान खान की पर्सनल लाइफ भी काफी दिलचस्प है. उन्होंने सुतापा सिकदर से शादी की. सुतापा और इरफान के दो बेटे हैं बाबिल और अयान खान. इरफान और सुतापा की शादी साल 1995 में हुई थी. दोनों की लव स्टोरी भी काफी फिल्मी है जिसकी शुरुआत दिल्ली के मंडी हाउस में हुई. दरअसल, दोनों दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एक्टिंग करते-करते एक दूसरे को दिल दे बैठे. जब इरफान खान जयपुर से दिल्ली आए तो उन्होंने देखा कि यहां लड़कियां भी दोस्त हो सकती हैं. ऐसी दोस्त जिनसे दिल खोलकर बातें कर सकते हैं. तब इरफान की दोस्ती सुतापा से हुई. उस वक्त दोनों खूब बातें किया करते थे. धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती गहरी होती गई जो जल्द ही प्यार में बदल गई. इसके बाद इरफान और सुतापा लिव-इन में रहने लगे. उस वक्त दोनों अपने करियर पर फोकस कर रहे थे लेकिन तभी सुतापा प्रेग्नेंट हो गईं. तब इरफान और सुतापा एक कमरे के घर में रहते थे. इरफान को लगा कि अब परिवार बढ़ रहा है तो दो कमरों का घर लेना चाहिए. घर ढूंढ़ने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा क्योंकि वो जहां भी जाते लोग पूछते कि आप शादीशुदा हो? बस इन सवालों से परेशान होकर इरफान खान और सुतापा ने 23 फरवरी, 1995 को शादी कर ली. एक इंटरव्यू में इरफान खान ने ये भी बताया था कि उस वक्त वो सुतापा सिकदर से शादी करने के लिए अपना धर्म तक बदलने के लिए तैयार थे, लेकिन उन्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ी.
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जब छोड़ना चाहते थे एक्टिंग
पिता को कभी नहीं बता पाए ये बात
इरफान खान के पिता हमेशा से चाहते थे कि बेटा उनका टायर का बिजनेस संभाले. मगर इरफान का मन एक्टिंग में रम चुका था. एक इंटरव्यू में इरफान खान ने अपने पिता को याद करते हुए कहा था- ‘वो मेरे लिए मुश्किल समय था. मैं जयपुर में नाटक कर रहा था. उस वक्त मैंने एक्टिंग सीखने के लिए दिल्ली जाने का मन बना लिया था. इससे पहले कि मैं अपने पिता को बता पाता उनकी मृत्यु हो गई. मैंने कभी इस तरह का दुख नहीं झेला. उस वक्त मेरा दूसरा दुख ये था कि अब मेरी प्लानिंग का क्या होगा.’ इरफान ने कहा – ‘मुझे लगा कि अब मैं दिल्ली नहीं जा पाऊंगा क्योंकि मैं बड़ा बेटा था तो मुझे परिवार की देखभाल करनी थी. तब मेरे लिए जीने मरने वाली सिचुएशन थी. तब मैं एक दिन भी जयपुर में नहीं रहना चाहता था. मैं सोचता था, अगर मुझे इस साल NSD (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) में एंट्री नहीं मिली, तो मैं पागल हो जाऊंगा’. हालांकि, धीरे-धीरे चीजें ठीक हुईं और इरफान खान अपना सपना पूरा करने के लिए दिल्ली आ गए. इसके बाद इरफान के छोटे भाई ने पिता के टायर बिजनेस को संभाल लिया.
मां ने भी देखा था सपना
जिस तरह से इरफान खान के पिता उन्हें फैमिली बिजनेस चलाते हुए देखना चाहते थे, वैसे ही उनकी मां ने भी बेटे के लिए कुछ सपने देखे थे. इरफान ने बताया था कि उनकी मां चाहती थीं कि वो एक लेक्चरर बनें. दिल्ली जाने के लिए भी इरफान ने मां ��ो बेवकूफ बनाया. एक्टर ने बताया कि जब वो NSD जा रहे थे तो उन्होंने मां से कहा- ‘एक बार यहां से कोर्स करने के बाद इसे मास्टर डिग्री माना जाएगा. हालांकि, ये सच था. उन्होंने मां से कहा कि जयपुर वापस आकर वो ड्रामा टीचर बन सकते हैं.’
नवाबों के खानदान से हैं इरफान
भले ही इरफान खान का शाही परिवार से ताल्लुक है लेकिन उनके परिवार ने हमेशा ही एक मिडिल क्लास जिंदगी जी. दरअसल, इरफान अली खान का जन्म टोंक के साहबजादे के रूप में हुआ. उनकी मां सईदा बेगम खान शाही टोंक हकीम फैमिली से थीं. हालांकि, इरफान के पिता यासीन अली खान ने रॉयल फैमिली से कुछ भी नहीं लिया. यासीन ने सब कुछ अपनी मेहनत से बनाया और कमाया. इरफान ने इस बारे में बात करते हुए एक इंटरव्यू में कहा कि हम अमीर नहीं थे, हम मध्यम वर्ग के लोग थे. मेरे पिता एक बिजनेसमैन थे, लेकिन उन्होंने कभी भी बिजनेस को वैसे नहीं संभाला जैसे बाकी करते हैं. मेरे पिता एक इमोशनल इंसान थे. उन्हें शिकार करना पसंद था, इसलिए वो अक्सर करते थे. इरफान ने बताया था कि एक दिन सुबह मैंने देखा कि बिल्ली डरी हुई थी. मुझे अंदाजा हो गया कि मतलब पिताजी एक तेंदुआ घर लाए हैं. मरे हुए तेंदुए की गंध से भी बिल्ली डर जाती थी.
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माँ और मेरी हमेशा से ख़्वाहिश थी कि घर में बहुत सारे पौधे लगाएंगे, पूरे घरको हरियाली करदेंगे। हम जहां भी रहे, उन्होंने इसके लिए पूरी कोशिश की, लेकिन मैंने नहीं किया। मैं पौधेको उगाने में माँ कि मेहनत और पर्यवेक्षणको देखती और वह खूबस��रती से खिलता। इससे मोहित होकर मैं पौधे के कुछ हिस्से अपने गमले में लगा लेती जो किताबों के बीच रह जाता था।
मुझें कभी नही लगता कि ये वनस्पतियाँ मेरे हैं। ये फूल मेरी माँ के स्वभावको जानते हैं। वे उनके स्पर्श, गंध, मनोदशा और हृदयको जानते हैं। जितनी निर्धक वो यिनके सामने हैं, हामारें सामने नहीं। मैं ज्यादा उनकी भाषा नहीं जानती, इस लिए मैं कभी नहीं पूछ सकी कि मेरी माँ उन्हें क्या कहानियाँ सुनाती हैं। भले ही मैं अपनी पुरी जिंदगी कहानियोंको समर्पित करदूं, यह कहानी मुझसे हमेशा छुट जाएगी। जब भी मैं इन पौधो की देखभाल करने जाती हूँ, मुझे ऐसा लगता है कि वे मेरे कठोर, स्याही लगे, रुखे हाथको पसंद नहीं करते, और मेरे हात इस मौफिल मे मेरी माँ द्वारा रचित आलापको बिखरदेंगे।
माँ कहती थी कि जिस दिन मैं पैदा हुइ, उस दिन उन्होंने खेत में बहूत सारे पौधे बोए थे। उनके हिस्से में हमेशा यही रहा हेैं। बचपन में एक बार मुझे उनकी डायरी मिली थी जिसमें उन्होंने प्रकृति और शोक के बारे में धेंर सारा एकालाप लिखा था। जब मैं बडी हुई, मैले उस डायरीको कभी नहीं देखा। मुझे पता है कि, मेरे प्रभाव से वह चुपके से कलम पकड़कर फूलों और जीवन के बारे में लिखती हैं जैसे में उनकी प्रेरणा से फूलों के नाम याद करके चुपचाप उसे किताबों के बीच छोडदेती हुँ। उनके बगीचे के बहूत सारे फूल मैंने आपने प्रेमी को दिया है, जो यह नहीं समझ पाया कि मेरा प्यार भी माँ ने लगाया हुवा बीज का, फूल होजाना जैसा स्वाभाविक और अपरिहार्य है।
मैं जानती हूँ कि मेरे जाने के बाद माँ मेरी रचनाएँ पढ़ेंगी, पर उन्हें समझ नहीं पाएगी और अपने अन्दर विरोधाभास समेटे हूए, वह यिसी बगीचे में शरण ढूँढ़ेगी।
एक बार जब हम बगीचे म���ं दोपहर की धुप सेख रहे थे, तो उनोनें बताया कि मेरा नाम असल में अफ़साना था, उन्हे नहीं पता कि यह कैसे बिगड गया। उन्हे ऐसा नाम पसंद नहीं जीसका कोई मतलब ना हो।
शायद किसी दिन हम बराबर उम्र और एक ही आयाम के होंगे, जब उनके सारे पौधे सो रहे होंगे और वह डायरी खोलेंगी और लिखेगी -- जब मेरा अपना घर होगा और उधर मैं उसी पौधेको फिर से लगाऊँगी जो माँ ने मेरे पेदा होते ही मेरे सीने मेँ बोया था।
------ माँ की अफ़साना
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कच्ची कली मसल डाली
मेरा नाम दिलदार सिंह है, मैं दिल्ली में किराए के मकान में रहता हूँ. मेरी उम्र 28 साल है. मैं शादीशुदा हूँ और मेरी एक 2 साल की बेटी भी है. ये कहानी मेरी और मेरे पड़ोस में रहने वाली एक जवानी की दहलीज पर कदम रखती हुई 18 साल की कमसिन लड़की के बीच की चुदाई की है.
बात एक साल पुरानी है मेरी बी��ी और बेटी सर्दियों में छह महीने मेरे साथ रहने के लिए गांव से दिल्ली आए हुए थे. मेरी बेटी जब से दिल्ली आयी, तो गली में हमउम्र लोगों से घुलमिल गयी.मेरे किराए के मकान में नीचे का फ्लोर मेरा और ऊपर के फ्लोर में मकान मालिक की फैमिली रहती है. मेरे रूम का दो तरफ को दरवाजा है. पीछे का दरवाजा पीछे की ओर आठ फुट की गली में खुलता है. ये गली लगभग सुनसान ही रहती है, क्योंकि उसके नीचे सीवर की पाइप लाइन डली है, तो लोग उस गली का कम ही यूज करते हैं. आगे की तरफ से 16 फुट की गली से ही सभी का आना जाना होता है.
मेरे मकान मालिक के वहां जो औरत झाड़ू पौंछा लगाने आती थी, उसने भी हमारी ही गली में किराए पर मकान लिया हुआ था. काम करने वाली औरत की 3 बेटियां और एक बेटा था. उसका पति दिन भर रिक्शा चलाता था. वो खुद चार घरों में झाड़ू पौंछा लगाती थी. उसकी दोनों बड़ी लड़कियां कहीं बड़ी कोठियों में घर का काम करती थीं औऱ वहीं पर कोठी के सर्वेंट क्वाटर में रहती थीं. वे हफ्ते में एक बार ही घर माँ बाप से मिलने आती थीं. बाकी अपने लड़के को उसने स्कूल डाला हुआ था.
उसी कामवाली की तीसरी लड़की की मैंने चुदाई की, उसका नाम था सरिता … वो 5वीं के बाद स्कूल गयी ही नहीं, दिन भर माँ के साथ या गली में बच्चों के साथ घूमती रहती थी. माँ बाप को तो पैसे कमाने से ही फुर्सत नहीं थी, तो सरिता आवारा सी हो गयी. वो मेरी बेटी के साथ भी खेलने आती और उसे बहुत पसंद करती थी.
मेरी बीवी भी उसे कभी कभी खाना खिला देती. कुछ दिनों में ही उसका मेरे घर आना जाना बढ़ गया.
एक दिन की बात है. मेरी बीवी छत पर कपड़ा सुखाने गयी थी और मैं बिस्तर पर लेटा टीवी देख रहा था. सरिता और मेरी बेटी फर्श पर नीचे खेल रहे थे. अचानक मैंने सरिता पर ध्यान दिया. वो जवान हो गई थी. उसके छोटे छोटे संतरे उग आए थे. पर मैंने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया था. आज वो स्कर्ट पहन कर आई थी, पता नहीं कैसे खेलते खेलते उसकी स्कर्ट जरा ऊंची हो गयी. जब उसने जरा टांगें फैलाईं, तो मुझे उसकी चूत दिखाई देने लगी. वो तो पेंटी पहन कर ही नहीं आयी थी. चूत छोटी सी थी, दूर से उसमें कोई बाल भी नजर नहीं आ रहे थे. मैं तो उसकी चूत ही देखता रह गया.
वो खेलने में मगन थी औऱ मेरा सारा ध्यान उसके संतरों और चूत में था. मैं सोचने लगा कि इस लड़की की चूत में लंड डालने में कितना मजा आएगा. बस मेरा मन अब उसकी चूत मारने को करने लगा. पर वो चूत देने को पटेगी कैसे, ये मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था.
मैंने उससे पूछा- तुम्हारा क्या नाम है. वो बोली- सरिता. “तुम पढ़ने नहीं जाती हो?” “नहीं.” “��्यों नहीं जाती हो.” “माँ जाने ही नहीं देती है.” “तुम्हें खाने में क्या पसन्द है?” वो बोली- आइसक्रीम. “तुम्हारे आइसक्रीम के लिए पैसे कौन देता है?” “कभी कभी पापा दे देते हैं.” “अच्छा चल मैं भी कभी कभी तुझे आइसक्रीम को पैसे दे दूंगा, पर तू किसी को बताएगी तो नहीं. वरना तेरी मम्मी मुझे डांटेगी. “मैं क्यों किसी को बताने लगी.”
मैंने उसे 10 का नोट दिया, जिसे उसने अपनी स्कर्ट में कहीं छुपा लिया. फिर मेरी बीवी वापस आ गयी, तो मैंने अपना ध्यान उसके संतरों से वापस टीवी पर लगा लिया. अब मैं कभी कभी चुपके से उसे पैसे देने लगा, वो भी ले लेती.
एक दिन मेरी बीवी ऊपर मकान मालकिन से बात कर रही थी. मेरी बेटी और सरिता दोनों खेल रहे थे. तो मैंने अपनी बेटी को अपनी गोद में बैठा लिया और उसके गालों पर किस किया. तो मेरी बेटी ने भी मेरे गालों पर किस किया. फिर मैंने अपनी बेटी को जहाँ जहाँ किस किया, उसने भी मुझे वहां वहां किस किया. वो बड़े गौर से हम दोनों को देख रही थी.
मैंने उससे कहा- तू भी करेगी मुझे किस? वो बोली- नहीं. “तुझे कभी किसी ने किस किया?” वो बोली- नहीं. “तो आ न … बहुत अच्छा लगता है किस करने में.”
वो पास आ गयी. मैंने एक जांघ पर अपनी बेटी को बिठाया औऱ दूसरी जांघ पर उसे बैठा लिया. फिर मैंने उसके माथे पर किस किया और बोला- अब तुम मुझे करो. सरिता बोली- कोई देख लेगा. मैंने कहा- कोई भी तो नहीं है यहां. चल अब जल्दी किस कर … आज भी तुझे पैसे दूंगा.
उसने भी मेरे माथे पर किस किया. फिर मैंने उसके गालों पर किस किया, तो उसने भी मेरे गालों पर किस किया. मैंने कहा- अब मैं तेरे होंठों पर किस करूंगा और मैं उसे चूसूंगा. फिर तुम भी जैसे मैंने किया है, वैसे ही मेरे होंठ चूसना. ठीक है मजा आएगा. उसने हां में सिर हिलाया.
मैंने उसे और करीब खींचा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. पहले एक किस दिया और फिर उसके होंठ चूसने लगा.
पहले तो वो हटने लगी, पर जैसे ही मैंने उसके हाथ पर पैसे रखे, वो मेरा साथ देने लगी. उसने भी वैसे ही मेरे होंठ चूसे. उसके छोटे से नर्म होंठ चूसने में बहुत मजा आ रहा था. मेरा एक हाथ उसके सर के पीछे था, दूसरा हाथ अपने आप ही उसकी जांघों में चला गया. मैं होंठ चूसते चूसते उसकी जांघ सहलाने लगा.
मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैंने जैसे ही हाथ थोड़ा अन्दर डाला, तो आज उसने पैंटी पहनी थी. मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत सहलानी चाही, तो ��सने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- अंकल वहां हाथ क्यों डाल रहे हो. बात तो सिर्फ किस करने ही हुई थी. “सॉरी सरिता … वो गलती से हाथ वहां चला गया था. चल अब हो गया जाओ दोनों नीचे खेलो.” वो दोनों नीचे खेलने लगी.
मैंने उससे कहा- सरिता अच्छा लगा. वो “हां..” बोली. “तो घर पर और आंटी को मत बताना. नहीं तो आगे से पैसे मिलने बन्द.” वो बोली- अंकल मैं नहीं बताऊंगी किसी को भी.
इस तरह कभी कभी मैं उसकी किस ले ही लेता था. अब वो मेरे से पूरी तरह घुल मिल गयी थी. देखते ही देखते मेरी बीवी व बच्ची का गांव वापस जाने का टाइम आ गया. मैं उन्हें गांव वापस छोड़ आया.
एक दिन वो मुझे ��ली में मिली और बोली- अंकल, अब आंटी और बाबू कब वापस आएंगे? मैंने कहा- अभी तो टाइम लगेगा. “तो अंकल फिर मैं किसके साथ खेलूंगी?” मैंने कहा- मेरे साथ खेल लेना. पर छुप छुप कर … मैं पैसे भी दूंगा खेलने के. वो बोली- अच्छा तो कब आऊं अंकल? मैंने उससे कहा- जब तेरे मम्मी पापा काम पर चले जाएं, तब आना. … पर आज नहीं. और हां वो भी पीछे के रास्ते से आगे से नहीं. तीन बार धीरे से दरवाजा खटखटाना, मैं खोल दूंगा पर देख लेना, कोई तुझे देख न रहा हो. वो बोली- ठीक है अंकल मैं कल आती हूं.
मैंने अगले दिन का ऑफ ले लिया और आगे के लिए एक महीने अपनी नाईट ड्यूटी लगा ली. अगले दिन सरिता दिन के करीब 2 बजे पीछे के दरवाजे से आ गयी. “किसी ने तुझे देखा तो नहीं न?” “नहीं कोई नहीं था.”
वैसे भी दिन के समय सभी या तो आराम के लिए सोये होते हैं या डयूटी पर होते हैं. वैसे भी पीछे की गली में कौन आता जाता है. लाइन साफ थी. मैंने उसे अन्दर करने के बाद सभी खिड़की दरवाजे बंद किए और पर्दे लगा लिए. रूम की लाइट जला कर उसे अपने बेड पर ले आया.
मैंने उससे कहा- देख सरिता अब किस वाला खेल बहुत खेल लिया, आज हम दूसरा खेल खेलेंगे. हां और पैसे भी 20 रुपये मिलेंगे. पर शर्त एक ही है, जो भी मैं करूँ, तुम मना नहीं करोगी व तुम कभी किसी को नहीं बताओगी कि तुम अब भी मेरे कमरे में आती हो. बोलो मंजूर है? “ठीक है.” “तो खेल खेलें?” “मुझे सब मंजूर है … पर पैसे मिलेंगे न?” “वो तो तुम पहले ले लो.”
मैंने उसे 20 का नोट पकड़ा दिया. वो खुश हो गयी.
वो बोली- बोलो अंकल क्या करना है? “करना वही है, जैसे मैं करूँ, तुम्हें भी वैसा ही करना है और मना नहीं करना है. ठीक है समझ गयी ना.” “हां अंकल समझ गयी आप शुरू करो.”
मैंने उसे बेड पर आपने सामने बिठाया और पहले उसके होंठ चूसे. उसने भी वही किया. फिर हाथों से उसके गाल सहलाये, वो भी वही करती गयी. फिर मैंने उसकी छाती पर हाथ रख दिया, उसने भी मेरी छाती पर हाथ रख दिए.
मैंने उसके संतरे सहलाने शुरू किए. उसने भी मेरी छाती पर हाथ फेरा. मैंने धीरे धीरे उसके संतरे दबाने शुरू किए. उसने भी मेरे निप्पल पर हाथ फिराया, पर मजा नहीं आ रहा था. मैंने उसकी जांघें सहलाईं, तो उसने भी वही किया.
मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा, तो उसने भी मेरी टांगों के बीच में हाथ डाल दिया. उसका हाथ मेरे खड़े लंड पर चला गया तो हैरानी से बोली- अंकल यहां ये क्या है डंडा जैसा? “सरिता ये वही है, जैसे तेरे भाई का है जिससे वो सुसु करता है.” “पर अंकल वो तो छोटा है. एक बार मैंने उसे नहाते वक्त देखा था.” “अरे अभी वो छोटा है, जब बड़ा होगा तो ऐसा ही होगा.” वो शरमा गयी.
“सरिता ऐसे मजा नहीं आ रहा है ना खेलने में … चल कुछ और करते हैं.” “हां अंकल कुछ और करते हैं.” “चल तू अपनी टॉप उतार दे, मैं भी अपनी टी-शर्ट उतारता हूं.” “नहीं मैं ये नहीं करूंगी.” “अरे तेरे मेरे अलावा और कौन है यहां. मैं भी किसी को कुछ नहीं बताऊँगा … कर ना. मैंने कहा भी था तू मना नहीं करेगी.”
यह सुन कर उसने अपनी टॉप उतार दी. अब वो बिना ब्रा के ऊपर से नंगी हो गयी. उसके छोटे छोटे संतरे बहुत टाइट लग रहे थे. मैंने उन पर हाथ लगा कर हल्के से दबाया औऱ अपनी टी-शर्ट भी उतार डाली. मैंने एक चूची हाथ से सहलाते हुए निपल्स दबाना शुरू किया और दूसरे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. संतरे छोटे छोटे से थे, जो पूरे मुँह में भी नहीं आ रहे थे. मैंने ऐसे ही चाटना जारी रखा और धीरे धीरे उसे दबाता भी रहा.
उसे अभी अब मजा आ रहा था. मैंने उससे पूछा- इस खेल में तो मजा आ रहा है ना. “हां अंकल इस में बहुत मजा आ रहा है.”
उसकी नजर मेरे निक्कर में बने तम्बू में ही थी. जो बार बार अन्दर से ही बाहर आने को उछाल मार रहा था. “क्या देख रही हो सरिता?” “अंकल वहां और फूल गया है. दिखाओ न क्या है वो … और कितना बड़ा है.” “ठीक है दिखाता हूं, पर तुझे भी अपनी दिखानी पड़ेगी.” वो बोली- मैं क्या दिखाऊं … मेरे पास तो कुछ भी नहीं है. मैं बोला- वो जो तेरी स्कर्ट के नीचे है तेरी सुसु वाली जगह. मैं अपना सुसु करने वाला दिखाऊंगा, तू अपनी दिखा दे. “नहीं अंकल मैं नहीं दिखाऊंगी, मुझे बहुत शरम आ रही है.” “अरे कैसा शरमाना … तू और मैं ही तो हैं. मैं भी तो तुझे अपना दिखा रहा हूँ. चल ऐसा करते हैं, दोनों एक साथ अपने कपड़े उतारते हैं. तू अपनी स्कर्ट उतार, मैं अपना निक्कर उतारता हूं.”
वो मान गयी और हम दोनों एक साथ नंगे हो गए. आज फिर एक बार उसकी कुंवारी चूत मेरे आंखों के सामने थी.
मैंने पहली बार उसकी चूत इतनी नजदीक से देखी थी. उसकी बुर पर हल्के हल्के सुनहरे बाल आए हुए थे. उसकी बुर देखकर तो मेरा दिल खुश हो गया. वो मेरा लंड को देखकर बोली- अंकल, ये तो मेरे भाई से बहुत बड़ा है. मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखा और बोला- अब ले … इसे छू कर भी देख और बता कैसा है ये? उसने लंड को अपने हाथ में पकड़ा और बोली- अंकल ये तो बहुत गर्म है. मैं- हां, ऐसे ही तेरी भी तो गर्म है यह देख न.
यह कहकर मैंने उसकी चूत पर हाथ रख दिया. मेरे हाथ का स्पर्श पाकर वो जरा सिहर सी उठी. लेकिन मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया. उसकी चूत के दाने को रगड़ने लगा. उसकी आह निकलने लगी. मैंने उसके हाथ का दबाव अपने लंड पर बनाते हुए कहा- अब ऐसे तुम भी आगे पीछे करो.
वो मेरे लंड की मुठ मारने लगी औऱ मैं उसका दाना सहलाने लगा. धीरे धीरे वो गीली होने लगी. उसकी आंखें लाल होने लगीं. मैंने उससे कहा- मजा आ रहा है ना! वो- हां अंकल बहुत मजा आ रहा है … और करो. मैं- रुक … फिर तुझे और मजा देता हूं … तू बिस्तर पर टांगें फैला कर लेट जा.
वो लेट गयी, अब उसकी चिकनी चूत मेरे सामने थी. मैंने झुक कर अपना चेहरा उसके पास किया तो उसमें से साबुन की खुशबू आ रही थी. मैंने उसे पूछा- अभी नहा कर आई हो? तो उसने कहा- हाँ अंकल, बस नहा कर सीधे आपके पास आई हूँ.
मैंने उसकी अनछुई चूत पर अपनी जीभ लगा दी और उसे चाटने लगा. वो तो उछलने लगी. उसे और ज्यादा मजा देने के लिए मैं उसके संतरे भी निचोड़ने लगा. वो सिसकारी ल���ने लगी- आहह अंकल बहुत मजा आ रहा है … और जोर से चाटिए न. मेरे दूध भी आराम से दबाइए ना … मुझे दर्द हो रहा है … आह हहहह … क्या कर दिया आपने अंकल … बहुत अच्छा लग रहा है.
थोड़ी देर बुर चाटने के बाद ही उसका बुरा हाल था. वो अपनी चूत को बार बार उठाते हुए मेरे मुँह पर दबा रही थी. कुछ ही देर में वो मेरे मुँह में झड़ गयी.
उसका थोड़ा सा ही पानी निकला था जिसे मैं पूरा चाट गया. एक कुंवारी चूत का निकला हुआ पहला अमृत चखकर मन तृप्त हो गया.
वो तो निढाल होकर मेरी बांहों में गिर गई. उसने मुझे जोर से जकड़ रखा था. कुछ देर मैंने उसे वैसे ही रहने दिया उसने भी अपने जीवन का पहले स्खलन का मजा लिया था. मैंने उसके होंठ चूसे, चूचियां दबाईं. तो थोड़ी ही देर में वो शांत हो कर बिस्तर में लेट गई.
मैंने उससे पूछा- कैसा लगा सरिता? सरिता- बहुत ज्यादा मजा आया अंकल. मैं- चल अब तू भी जैसे मजा तुझे आया वैसा ही मजा मुझे भी दिलवा. सरिता- कैसे अंकल मैं आपको मजा दिलवाने के लिए क्या करूं.
मैंने उसे उठाकर अपना लंड उसके मुँह के सामने कर दिया.
मैं- अब तू भी इसे चूस और चाट जैसे मैंने तेरी चाटी थी. सरिता- नहीं मैं नहीं करूंगी, इसमें से सुसु आता है … ये गंदी जगह है. मैं- अरे मैंने तेरी नहीं चाटी क्या? तुझे मजा नहीं आया क्या? चल अब नखरे मत कर … आजा ले ले मुँह में इसे.
उसने एक बार लंड मुँह में लिया और फिर बाहर निकाल लिया.
सरिता- अंकल अजीब सा लग रहा है … मैं नहीं करूंगी.
मैंने सोचा कि अब ये ऐसे नहीं मानेगी. मैंने एक दस का नोट और निकाला और उसे दिया और किचन में से शहद लेकर आया और उसे अच्छे से अपने लंड पर चुपड़ लिया. फिर उसके आगे लंड ले जाकर बोला- ले अब चूस अब मीठा लगेगा … जिस तरह तू आइसक्रीम को मजे से चटखारे लेकर चूसती है इसे भी एक आइसक्रीम ही समझ कर चूस.
फिर उसने लंड अपने हाथ में ले लिया. इस बार अब उसे चूसने में परेशानी नहीं हुई. शहद के स्वाद ने मेरा काम आसान कर दिया.
वो धीरे धीरे लंड को अपने मुँह के अन्दर बाहर करने लगी. अब उसे भी लंड चूसना अच्छा लगने लगा. अब वो बड़े मजे से लंड अन्दर बाहर ले रही थी.
मेरा तो बुरा हाल था एक कमसिन लड़की मेरा लंड चटकारे ले लेकर चूस रही थी. मैं उसके मुँह की गर्मी सहन नहीं कर पाया. मैंने उसका सर पकड़ लिया और उसके मुँह के अन्दर जोर जोर से घस्से लगाने लगा. कुछ ही देर में मैंने अपना माल उसके मुँह में भर दिया.
वो मेरा लंड अपने मुँह से बाहर निकालने की कोशिश करने लगी, पर मैंने भी जब तक उसने मेरा सारा माल नहीं निगल लिया, उसे छोड़ा नहीं.
जब मुझे लगा वो सारा माल पेट के अन्दर ले चुकी है, तभी मैंने लंड बाहर निकाला.
लंड बाहर निकलते ही वो बुरा से मुँह बना कर बोली- अंकल ये आपने क्या कर दिया … आपने तो मेरे मुँह में ही सुसु कर दिया. मैं- अरे मेरी रानी वो सुसु नहीं था … जब तुझे बहुत मजा आया था, तेरा भी तो नीचे से निकला था, जिसे मैंने चाट लिया था. ऐसे ही ये भी इसका घी था. सुसु थोड़े ही था, इसे पीने से ताकतवर होते हैं. जब त��� इसे रोज पीएगी तो तू भी आंटी जैसी ही मस्त हो जाएगी. सरिता- लेकिन बड़ा अजीब सा ��्वाद था. मैं- पहले पहली बार जरा अजीब लगता है, आदत पड़ने के बाद तो तू रोज मेरे इस लंड को चूसने और उसके घी को पीने की जिद करेगी. सरिता- हम्म … मैं- वैसे बता … मजा तो आ रहा है ना इस नए खेल में. सरिता- हां अंकल बहुत मजा आ रहा है. अब तो मैं रोज ये खेल खेलूंगी. मैं- पर एक बात का ध्यान रखना, ये बात किसी को भी पता नहीं लगनी चाहिए और न तुझे मेरे कमरे में आते किसी को दिखना चाहिए. जिस दिन भी किसी को जरा भी खबर लग गयी, उसी दिन से खेल और पैसे मिलने दोनों बंद हो जाएंगे.
उसे मेरे दिए पैसों से रोज आइसक्रीम खाने को मिल रही थी. तो उसने किसी को नहीं बताया. रूम में आते वक्त भी वो खूब ख्याल रखती थी कि कोई उसे देख न ले.
इस तरह मैंने उसे लंड चुसाई के काबिल बना दिया. जिस समय भी मौका मिलता, मैं उसकी चूत चाट कर उसे मजा देता और वो मेरा लंड चूस कर मुझे मजे करवाती. अब तो वो लंड चूसने के मामले में मेरी बीबी को भी फेल करने लगी. अब हम दोनों एक दूसरे को ऐसे ही मजे देने लगे. पर असली मजा तो अभी बाक़ी था.
आगे जब भी उसकी चूत में उंगली डालने की कोशिश करता, तो वो चिंहुक जाती और दर्द होने के बारे में बताती. तो मुझे उसकी चूत चाट कर ही संतोष करना पड़ता. इधर मेरा लंड तो मेरी बात मान ही नहीं रहा था. उसकी चूत देखते ही उसमें घुसने की जिद करता, पर करूँ क्या … लौंडिया सील पैक कमसिन माल थी और अभी पूरी तरह पकी भी नहीं थी. जल्दबाजी मुझे ही महंगी पड़ सकती थी, जो मैं बिल्कुल भी नहीं चाहता था.
सरिता मेरे से अब बिल्कुल खुल चुकी थी. अब जब भी वो मेरे कमरे में आती तो मुझे उसे कपड़े खोलने को भी नहीं कहना पड़ता था. वो खुद ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी ही मेरे बिस्तर पर बैठ जाती थी और मेरे लंड को मजे ले ले कर चूसती थी.
एक दिन मैंने फिर आगे बढ़ने को सोचा और उसे बोला- चल सरिता आज फिर कुछ नया करते हैं. सरिता- अंकल और कुछ भी कर सकते हैं क्या? मैं- अरे अभी तो बहुत कुछ है करने को … अभी तो मुझे बहुत सारे खेल आते हैं. वक्त तो आने दे, मैं तुझे देख कैसे कैसे खेल सिखाता हूं. चल आज का खेल तो सीख ले.
वो झट से राजी हो गई.
पहले थोड़ी देर मैंने उसके शरीर के साथ खेला, होंठ चूसे, निप्पल चूसे व सहलाये. पेट व जांघों पर हाथ फेरा औऱ उसकी चूत के दाने को कुरेद कुरेद कर चाटा. जब वो गर्म हो गयी. थोड़ी देर उसे अपना लंड चुसवाया. फिर मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया.
मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुहाने पर रखा और उसके दाने पर अपना लंड रगड़ने लगा. उसकी चूत गर्म होकर बिल्कुल चिकनी हो गयी थी और गीली हुई पड़ी थी. मेरा लंड भी गीला ही था. पहली बार जब उसकी चूत पर मैंने अपना लंड छुआया, वो एहसास ही अलग था.
मैं धीरे धीरे अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. इस रगड़ाई से ही हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था. मेरी रगड़ाई में कभी लंड उसकी चूत पर जोर से लग जाता, तो वो कराहने लगती. सरिता- अंकल धीरे करो लग रही है. मेरी समझ में आ गया कि इसे पहली चुदाई में बहुत दर्द होना है और ये समय अभी ठीक नहीं था. इसके लिए एकांत की जरूरत थी, जिसके लिए मकान मालिक का घर पर नहीं रहना जरूरी था. मैंने उससे कहा- ठीक है अब मैं ऊपर ऊपर से ही करुंगा. तुम्हें अब नहीं दुखेगा.
मैं अब धीरे धीरे उसकी चूत के ऊपर अपना लंड रगड़ने लगा. अब दोनों को मजा आ रहा था. मैंने ऐसे ही रगड़ रगड़ कर अपना माल उसके पेट पर और चुचियों पर गिरा दिया. वो भी झड़ चुकी थी.
इसी तरह पूरा महीना निकल गया, मैं उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ कर ही पानी निकाल पा रहा था या कभी उसके मुँह में लंड डालकर पानी छुड़ा देता था. पर अब रहा ही नहीं जा रहा था. मैं उसे जल्द से जल्द चोदना चाहता था. पर मौका ही नहीं मिल पा रहा था.
आखिर एक दिन वो दिन भी आ ही गया. जिस दिन उसकी कुंवारी चूत मुझे फाड़नी थी.
मेरे मकान मालिक को कुछ दिन बाद अपने पूरे परिवार के साथ 3 दिन के लिए अपनी बेटी के वहां किसी कार्यक्रम में जाना था. उन्होंने अपने मकान की पूरी देखरेख की जिम्मेदारी मुझे देखने को दी और चले गए. मैंने सरिता को बता दिया कि उस दिन वो 10 बजे अपनी माँ के जाते ही आ जाए.
मैंने उस दिन की छुट्टी ले ली. अब वो समय बिल्कुल नजदीक था, जब मुझे मेरी ही पकाई हुई खीर को खाने का मौका मिलने वाला था. मेरा लंड तो अभी से हिचकोले खाने लगा था. कुंवारी चूत जो मिलने वाली थी उसे.
आखिर वो दिन भी आ ही गया, जिसका मैंने महीनों इंतजार किया था. आज मेरे लंड को उसकी चूत में जाकर सुकून जो मिलने वाला था.
मकान मालिक सुबह ही जा चुके थे. मैंने उसकी चुदाई की सारी तैयारियां पूरी कर ली थीं. बस अब उसके आने का इंतजार था.
सरिता दस बजे ही मेरे रूम में अपनी माँ के जाते ही आ गयी. आते ही वो अपने कपड़े उतारने लगी. मैंने उससे कहा- सरिता जा पहले नहा कर आ. फिर चाहे बिना कपड़ों के ही नंगी अन्दर आ जाना. आज ऊपर कोई नहीं है इसलिए डरने की कोई बात नहीं है, आज हम जो भी करेंगे, खुल कर करेंगे.
वो नहा कर नंगी ही मेरे पास आ गयी. मैंने पहले से ही खाना बना कर रखा था. मैंने उसे और खुद पहले थोड़ा थोड़ा नाश्ता किया. फिर में असली मुद्दे पर आ गया. मैंने उससे कहा- आज हम अलग खेल खेलेंगे और इस खेल के तुम्हें 100 रुपये मिलेंगे. सरिता- क्या कहा अंकल … 100 रुपये? मैं- हां पूरे 100 रुपये, पर इस बार शर्त भी बहुत कठिन होगी. तुझे मंजूर है तो बोल वरना रोज वाला ही खेल शुरू करते हैं. सरिता- अंकल 100 रुपये के लिए तो मैं कोई भी खेल खेल सकती हूं. मुझे आपकी सारी शर्त मंजूर हैं. मैं- तो ठीक है आज जिंदगी के असली मजे लेने के लिए तैयार हो जा. आज तुझे ऐसा खेल सिखाऊंगा कि तू रोज उस खेल को खेलने मेरे पास भागी चली आएगी.
मैंने अपने भी फटाफट कपड़े जिस्म से अलग किए और नंगा उसके सामने आ गया.
मैंने रोज की तरह उसे बुर चाट कर गर्म किया और जैसे ही वो झड़ने को हुई उससे पहले उसकी बुर चाटना छोड़ दिया. वो ��ोली- अंकल जल्दी कुछ करो न … मेरे नीचे कुछ हो रहा है या तो उसे रगड़ो या मेरी उसको चाटो. मैं- एक बात सुन ले, मेरे इसे लंड कहते हैं और तेरी इसे बुर … उसकी बुर पर मैं हाथ घुमाते हुए बोला.
‘और हां आज तुझे मजा मैं नहीं … मेरा ये लंड देगा. देख इसमें बहुत मजा आता है चाटने से भी बहुत ज्यादा मजा. पर पहले दिन थोड़ा सा दर्द भी होता है. तुझे वो दर्द सहन करना पड़ेगा, वो भी सिर्फ आज ही बस … कल से तो तुझे बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा, सिर्फ मजा ही मजा आएगा. सरिता बड़े ध्यान से मेरी बात सुन रही थी.
मैं- एक बात और इस बारे में तो किसी को भी किसी भी हालत में नहीं बताना है. बोल सह लेगी थोड़ा सा दर्द? सरिता- हां सह लूँगी … पर मजा तो दिलवाओ और बताओ आजतक मैंने किसी को नहीं बताया है, जो अब क्यों बताऊंगी? आप चिंता न करो, बस खेल शुरू करो. मैं- तो आज मैं अपने लंड को तेरी इस बुर में घुसाउंगा. सरिता- पर अंकल वहां तो उंगली भी नहीं जा रही थी, इतना बड़ा लंड कैसे जाएगा? मैं- सब चला जाएगा. बस थोड़ा सा दर्द सहन करना और चाहे कुछ भी हो जाए चिल्लाना नहीं. नहीं तो 100 रुपये जैसे ही तू चिल्लाई … नहीं दूंगा. सरिता- नहीं नहीं अंकल मैं नहीं चिल्लाऊंगी, पर जरा आराम से अन्दर डालना. मुझे डर लग रहा है. मैं- आज तक हमने जो भी किया है. तुझे डर लगा क्या? डर मत मैं हूँ न तेरे साथ. बस थोड़ी देर के दर्द के बाद जिंदगी भर मजे ही मजे हैं. तू जरा भी चिंता मत कर. अब जरा इसे चूस दे ये आज तुझे बहुत मजे करवाएगा.
उसने मेरे लंड को चूस कर और सख्त कर दिया. मैंने अपने लंड पर ऊपर तक तेल चुपड़ लिया और उसकी बुर में भी जहां तक तेल जा सकता था, उतना तेल से तर कर लिया. फिर मैंने उसकी कमर के नीचे एक तकिया रखा, जिससे उसकी बुर जरा ऊपर को उठ गई. मैंने उसकी टांगों के बीच एक पुराना तौलिया बिछा दिया, ताकि मेरा बिस्तर खराब न होने पाए. सारी तैयारी करने के बाद मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी कोमल सी बुर के मुहाने पर रखा और उस पर उसे रगड़ने लगा.
बड़ी फिसलन थी, लंड सेंटर पर लग ही नहीं रहा था. मैंने एक हाथ से लंड पकड़ कर उसकी टांगें फैलाकर लंड को निशाने पर रखा और उसके होंठों से होंठ मिलाकर एक हल्का सा झटका मारा तो लंड का टोपा अन्दर घुस गया था, पर वो छटपटाने लगी. मैंने उसके होंठों पर हाथ रखकर कहा- बस यही दर्द है, थोड़ा सा सहन करो बस अभी थोड़ी देर में ही दर्द सही हो जाएगा.
मैंने लंड को वैसे ही फंसे रहने दिया और उसे सहलाने चाटने लगा. उसकी चुचियों को सहलाने से उसका ध्यान दर्द से हटकर उस तरफ हो गया, जिससे थोड़ी ही देर में वो नार्मल हो गयी. मैं- अब दर्द कम है न सरिता? उसने हां में सर हिलाया.
मैंने उसे सहलाते सहलाते ही एक झटका और मारा तो लंड थोड़ा सा अन्दर और घुस गया. उसकी बुर तो बहुत ज्यादा टाइट थी, लंड को उसकी बुर के अन्दर जाने में बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी. मैंने लंड पेलने के बाद जैसे ही उसका मुँह खोला, वो रोने लगी- अंकल नहीं, नि��ाल लो इसे, मैं नहीं सह पाऊंगी. मुझे बहुत दर्द हो रहा है. मैं- तो ठीक है 100 रुपये कैंसिल. दर्द सहने के ही तो 100 रुपये मिल रहे हैं. वो ही तू सहन नहीं कर पा रही है. मैंने कहा भी था कि थोड़ी देर का दर्द है, थोड़ा औऱ दर्द होगा, फिर कभी नहीं होगा अभी मजा आने लगेगा. फिर भी नहीं करना तो ठीक है, मैं निकाल लेता हूं. कल से अब यहां आना भी मत. वो रोने लगी- अंकल मैं क्या करूँ मुझे बहुत दर्द हो रहा है … ऐसा लग रहा है आपका लंड नहीं, चाकू अन्दर गया है. मेरी बुर फट सी रही है.
बात तो उसकी सही थी इतनी छोटी सी बुर में इतना मोटा लंड जाएगा, तो उसने फटना ही था. पर मैंने उसे समझाया- देख आधा दर्द तो तूने सह भी लिया है … बस और थोड़ा सा दर्द होगा फिर 100 रुपये भी तेरे और मजा भी आएगा. थोड़ी देर की बात है.
मैंने उसकी पैंटी को उसके मुँह के अन्दर डाला और उसका मुँह हाथ से दबा लिया. लंड को थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर एक जोरदार झटका मारा लंड उसकी बुर फाड़ता हुआ आधा अन्दर घुस गया. उसकी सील टूट चुकी थी. उसका गर्म गर्म निकलता हुआ खून मुझे लंड पर महसूस हो रहा था. मेरा लंड भी उसकी बुर पर बुरी तरह फंसा हुआ था. उसका तो बुरा हाल था. उसके मुँह में पेंटी डाली होने के कारण गूं गूं की ही आवाज बाहर आ रही थी. उसकी आंखें दर्द की अधिकता से बाहर को आने लगी थीं. वो मुझे अपने ऊपर से हटाने की असफल कोशिश कर रही थी.
करीब 5 मिनट तक मैं उसके ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा, लंड को जरा भी हरकत नहीं दी. जब वो फिर से जरा सा नार्मल सी लगी, तो मैंने उससे कहा- बस हो गया सरिता, अब मजा आएगा.
मैंने उसकी पैंटी उसके मुँह से निकाल दी औऱ फिर उसके होंठ अपने होठों से दबाकर मैंने फिर से एक जोरदार झटके के साथ ही पूरा लंड उसकी बुर में उतार दिया. वो तो बेहोश हो गयी. थोड़ी देर के लिए तो मैं भी डर गया. बुर खुल चुकी थी लंड बाहर निकालते ही उसमें से खून की धार बाहर आने लगी. पर मुझे पता था ये कमसिन लड़की आराम से लंड ले लेगी. क्योंकि बाहर के देशों में इससे भी कम उम्र की लड़कियां लंड का मजा ले चुकी होती हैं.
मैंने पास रखे कपड़े से उसकी बुर से निकल रहे खून और अपने लंड पर लगे खून को साफ किया और फिर उसकी बुर पर आराम से लंड घुसा दिया. इस बार भी लंड टाइट ही अन्दर गया था, पर वो तो बेहोश पड़ी थी. मैं धीरे धीरे लंड अन्दर बाहर करने लगा ताकि उसके होश में आने से पहले लंड उसकी बुर को थोड़ा और खोल सके.
थोड़ी देर बाद वो होश में आने लगी, तो मैंने धक्के लगाने बंद कर दिए. मैंने उसे अपनी गोद में बिठा लिया, पर लंड नहीं निकाला. फिर पास में रखी पानी की बोतल से उसे पानी पिलाया और पहले से ही लाई हुई दर्द निवारक गोली भी खिला दी. क्योंकि असली दर्द तो उसे चुदाई के बाद पता चलने वाला था.
वो रोने लगी- अंकल मैं मर जाऊंगी … निकाल लो अपना लंड मेरी बुर से. सहन नहीं हो रहा है. मेरी बुर फाड़ दी आपने. इतना दर्द होगा पता होता तो कभी नहीं करवाती. अंकल 100 रुपये के लालच ने तो मेरी जान ही ले ली. मैं- सरिता आज तक चुदाई से कोई भी नहीं मरा है … सभी लोग चुदाई करते हैं. इससे ज्यादा मजा किसी ��ेल में नहीं आता है. वैसे भी जो होना था सब हो गया. देख मेरा पूरा लंड तेरी बुर ने निगल लिया है. अब दर्द नहीं सिर्फ मजे ही मजे हैं. इस खेल में तुझे लगता है 100 रुपये में तेरी हालत खराब हो गयी है … तो ये ले 100 रुपये तेरे दर्द सहने के और 100 रुपये और दूंगा खेल खत्म होने के बाद.
अब लालच से उसकी आंखें चमकने लगीं. मैंने भी समझ लिया मेरा काम बन गया. पैसों के लिए तो अब ये मेरा पूरा लंड उछल उछल कर लेगी. मैं- चलो अब दर्द से ध्यान हटाओ औऱ मजे में ध्यान लगाओ, फिर तुम्हें दर्द महसूस नहीं होगा.
मैंने उसकी चूचियां मसलीं और होंठ चूसे तो वो नार्मल होने लगी. मैंने उसे फिर लिटा दिया औऱ लंड को धीरे धीरे उसकी बुर के अन्दर अन्दर बाहर करने लगा. मेरे लंड के हर चोट पर उसकी कराह उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल रही थी. मेरा मजा और बढ़ रहा था. लंड तो खुशी से और बढ़ा हो गया था, जो इस उम्र में भी कमसिन कुंवारी बुर फाड़ रहा था. जिस बुर में अभी अभी बाल आने शुरू ही हुए थे, उसमें मेरा मोटा लंड अन्दर तक घुस कर सवारी कर रहा था.
धीरे धीरे उसकी पूरी बुर गीली हो गयी, शायद उसे भी मजा आने लगा था. अब लंड आराम से अन्दर बाहर हो रहा था. मैंने रफ्तार बढ़ा दी. मेरा पूरा लंड पिस्टन की भांति उसकी बुर में अन्दर बाहर हो रहा था. मेरे हर धक्के में उसकी कराह निकल रही थी, पर आज किसी बात का डर नहीं था. पूरा मकान खाली पड़ा था. मैं उसे पूरी मस्ती में चोद रहा था. कुछ मिनट तक मैंने उसे अलग अलग आसनों में चोदा.
उसका भी बुरा हाल था. न जाने कितनी बार वो झड़ चुकी थी. उसकी मस्त बुर मारते मारते मेरे लंड ने भी अब जवाब दे दिया. मैंने उसकी बुर में लगातार पिचकारी मारनी शुरू कर दी. ऐसा लग रहा था, उसकी बुर मेरे लंड को औऱ अन्दर तक खींच रही थी और मैंने अपनी पूरी जान अपने लंड के रास्ते उसकी बुर में जैसे लबालब भर दी. मैं निढाल होकर उसके ऊपर ढेर हो गया.
थोड़ी देर बाद मैंने जब लंड को उसकी वीर्य से लबालब भरी बुर से बाहर निकाला, तो उसमें से वीर्य और खून की धार बहने लगी. मैंने उसकी ही पैंटी से अपना और उसका मिक्स वीर्य के साथ निकला खून साफ किया. थोड़ी देर बाद मैं उसे बाथरूम ले गया औऱ अच्छे से उसकी बुर गर्म पानी से साफ की ताकि उसकी बुर की अच्छी सिकाई हो सके.
उसकी पूरी बुर फूल चुकी थी. मैंने उसे उठाकर बिस्तर में लिटा दिया औऱ एक दर्दनिवारक गोली और आईपिल उसे खिला दी.
उसे बहुत दर्द हो रहा था, पर पैसों के लालच में पट्ठी अपनी बुर फड़वा ही चुकी थी. मैंने उठाए थोड़ी देर आराम करने को कहा. वो मेरे ही बिस्तर में थोड़ी देर बाद सो गई. शाम को जब वो जागी, तो अब उसका दर्द थोड़ा कम था. पर उसकी चाल लंगड़ा रही थी. आखिर चाल बिगड़ती भी क्यों नहीं, जिस बुर में कभी उंगली तक नहीं गयी थी, आज उसमें वो पूरा का पूरा लंड लेकर बैठी थी.
मैंने उसे रूम पर ही थोड़ी देर चलाया जब उसकी चाल थोड़ा ठीक हुई, तो मैंने उससे कहा- सरिता अगर मम्मी ने पूछ लिया लंगड़ा क्यों रही है, तो बात देना आज गली में फिसल गई थी, पर ये चुदाई की की बात बिल्कुल भी मत बताना. उसने हां में सर हिलाया. मेरा एक बार और उसे चोदने का मन था, पर उसकी ��ालत बहुत खराब थी. उसकी बुर आंसू रो रही थी.
मैंने उसे कपड़े पहनाये और उसकी पैंटी यादगार के रूप में अपने पास रख ली. मैंने उसे 100 रुपये देते हुए घर जाकर आराम करने को बोला. वो लड़खड़ाते हुए अपने रूम में चली गयी.
मैं आज बहुत खुश था. जैसे मैंने आज जन्नत पा ली हो. वो रात मुझे बहुत मस्त नींद आयी. मेरे लंड को भी उसकी बुर फाड़कर बड़ा सुकून मिला था.
अगले पूरे दिन तो वो नजर ही नहीं आयी. तीसरे दिन वो मेरे कमरे में आई. मैं- कैसी है सरिता. अब कैसा है दर्द तेरा? सरिता- अंकल परसों और कल तो बहुत दर्द था. आपने तो मेरी बुर का भुरता ही बना दिया. मेरा लालच मेरी बुर फाड़ गया. पर आज दर्द कम है. मैं- इस दर्द को भी मिटाने का एक ही उपाय है … फिर से चुदाई. अब इस बार बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा, जो है वो भी जाता रहेगा और आज इतना मजा आएगा पूछ मत. कल से तू रोज भाग भाग कर चुदने को आएगी.
वो मेरी तरफ देखने लगी. मैं- चल अब फटाफट कपड़े उतार और लेट जा … मेरा लंड देख तुझे देखते ही खड़ा हो गया.
थोड़ी देर की न नुकर के बाद वो आखिर चुदने को मान ही गई. मैंने आज उसे मजे दे देकर चुदाई की. उसे भी बहुत मजा दिलाया. आज भी अंत में मैंने अपना सारा माल उसकी बुर में भर दिया. जाने के वक्त मैंने उसे दर्द की दवा और गर्भनिरोधक दवा खिलाई और घर भेज दिया. अब तो ये हमारा रोज का नियम हो गया, उसे भी अब चुदाई की लत लग गई थी. हम मौका मिलने पर रोज चुदाई करते.
पूरे छह महीने मैंने उसकी हर तरीके से चुदाई की, उसकी गांड भी मार ली. अब वो फैलने लगी थी. उसकी चूचियां बड़ी होने लगी थीं. गांड चौड़ी होने लगी थी. उसका शरीर भी खिलने लगा, तो उसकी मां को उस पर शक होने लगा था कि शायद उसकी लड़की बिगड़ने लगी है. पर बहुत पूछने पर भी उसने मेरा नाम नहीं बताया.
थक हार कर उसकी माँ ने पता नहीं किधर दूसरी जगह रूम चेंज कर लिया.
इस तरह एक जवानी दहलीज पर कदम रखती कमसिन लौंडिया मेरे हाथ से निकल गयी, पर जाने से पहले वो मुझे मेरी जिंदगी के सारे मजे करा गयी. अब तो उसकी बुर पर काले बाल आने लगे थे. उसके नींबू, संतरे में बदल चुके थे. बुर भी कुछ खुल गयी थी, पर मेरी बीबी से तो बहुत टाइट थी.
जो भी हो ऐसी लड़की सबको चोदने को मिले. उसने कभी मेरा माल बर्बाद नहीं होने दिया. या तो अपने मुँह में लिया या अपनी बुर व गांड के अन्दर भरा लिया था. पता नहीं अब वो किस से चुदवाती होगी क्योंकि मैंने उसे ऐसा चस्का लगा दिया था कि वो बिना चुदे रह ही नहीं सकती थी. चलो जिससे भी चुदती होगी उसके तो मजे ही आ गए.
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कभी करोड़ों की संपत्ति का मालिक था भारत का यह स्टार क्रिकेटर, अब खो चुका है अपना सारा पैसा और...
Home खेल विनोद कांबली नेट वर्थ: कभी करोड़ों की संपत्ति के मालिक थे ��ारत के स्टार क्रिकेटर, अब खो चुके हैं अपनी सारी दौलत और हैं… विनोद कांबली भारतीय क्रिकेट के एक ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत में काफी सफलता हासिल की। बहुत कम उम्र. एक समय था जब उन्हें सचिन तेंदुलकर से भी बेहतर माना जाता था. सचिन तेंदुलकर के साथ विनोद कांबली. (PIC-X) नई दिल्ली: जिंदगी में उतार-चढ़ाव ही जिंदगी को…
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एक बार पढ़ने पर होगा आपको याद, अपनायें ये टिप्स
क्या आपको भी पढ़ा हुआ याद नहीं रहता है ? क्या आप एक बार में पढ़कर याद करना चाहते हैं, तो आजमाएं ये बेहतरीन तरीके:
क्या आप जानते हैं कि हमारा मस्तिष्क एक मेमोरी चिप की तरह है, जिसके डाटा स्टोर करने की क्षमता असीमित है। इसके बावजूद जब हम कुछ पढ़ते हैं, तो याद क्यों नहीं रख पाते ? मुद्दा केवल विद्यार्थियों का नहीं है, यह हर उम्र का सच है। सवाल यही उठता है कि आखि़र हम भूल क्यों जाते हैं ? इसका सीधा-सा जवाब है पढ़ने का तरीक़ा। पढ़ने की आदत में बदलाव करेंगे, तो पढ़ा हुआ याद रखना या याद करना दोनों आसान हो जाएगा।
क्या आपको भी पढ़ा हुआ याद नहीं रहता है ? क्या आप एक बार में पढ़कर याद करना चाहते हैं, तो आजमाएं ये बेहतरीन तरीके:
1. पढ़ाई करने के लिए शान्त माहौल का चुनाव करें:
पढ़ाई करते समय मोबाइल, टीवी, रेडियो या अन्य डिस्टर्ब करने वाले साधन आपके पास नहीं होने चाहिए। याद करने के लिए एकान्त में किसी शान्त जगह पर बैठना चाहिए। याद करते समय दिमाग पूरी तरह से शांत रखें।
2. सोते समय याद न करें:
सोते समय कभी याद नहीं करना चाहिए, सोकर पढने से तुरंत नीद आ जाती है। पढ़ते समय नीद आ रही हो तो सबसे पहले अपना मुहँ पानी से धो लेना चाहिए और कुछ समय टहलना चाहिए फिर इसके बाद पढना चाहिए।
3. वैज्ञानिक विधि से याद करें:
वैज्ञानिक तरीके से याद करने के लिये अपने उत्तर को धीरे-धीरे, रुक-रुक कर, समझ-समझ कर एक बार में शुरू से अन्त तक पूरा एक साथ ही पढ़िए। उसके बाद अपनी नोट-बुक को बन्द कर के ऊपर आसमान में देखते हुए पूरे उत्तर को एक सिरे से दूसरे सिरे तक अपने दिमाग में घुमाइए। इससे पूरे उत्तर की मोटी-मोटी रूप-रेखा पर दिमाग की पकड़ बन जायेगी।
4. र���कर याद न करें:
आपको जिस उत्तर को याद करना है, उसे रटना नहीं चाहिए। रटने से उत्तर दिमाग में गहराई से बैठ नहीं पाता और जल्दी ही भूल जाता है। याद करने की यह परम्परागत पद्धति गलत और अवैज्ञानिक है।
5. पढ़ने की सीमा तय करें:
पढ़ने की सीमा तय करना है लेकिन किताबों की नहीं बल्कि ध्यान से पढ़ने की सीमा तय करें। यदि तय कर लिया है कि एक हफ्ते के अंदर पूरी किताब पढ़नी है, तो आप उसे केवल पढ़ पाएंगे, सीख या याद नहीं रख पाएंगे। इसके बजाय रोज़ पांच या सात पन्ने या भाग पढ़ेंगे, तो ध्यान से पढ़ेंगे। पढ़ने की कोई जल्दी नहीं है। इसलिए हर पंक्ति और शब्द को ध्यान से पढ़ें और समझें। तभी उसे याद रखने में आसानी होगी।
6. नोट्स हमेशा स्वयं बनाऐं:
आप अपने विषय के नोट्स हमेशा पुस्तकों, विभिन्न स्रोतों के माध्यम से स्वयं तैयार करें। यदि आप स्वयं नोट्स बनायेंगे तो नोट्स बनाते समय ही आपको बहुत कुछ याद हो जायेगा। अक्सर देखा जाता है कि समय कम होने पर स्टूडेंट्स अपनी कक्षा के साथियों के नोट्स की फोटोकॉपी करवा लेते हैं, जोकि बहुत गलत तरीका होता है। दूसरों के नोट्स समझने में समय भी अधिक लगता है।
7. नोट्स में छोटे-छोटे प्वाइन्ट्स बनायें:
लंबी पंक्तियों या पैराग्रॉफ में लिखने के बजाय छोटे-छोटे प्वाइंट्स में लिखना है। साथ में चित्र बनाएंगे, तो बेहतर तरीक़े से याद रख पाएंगे क्योंकि शोध के मुताबिक़ चित्र से याद रख पाना ज्यादा आसान होता है।
8. पढ़ाई करते समय हाथ में लकड़ी की पेंसिल या हाईलाइटर अवश्य लें:
जब भी आप पढ़ाई करने बैठें तो अपने हाथ में एक लकड़ी की पेंसिल या हाईलाइटर जरूर लेकर बैठें। इसका फायदा यह होगा कि पढ़ते समय कोई खास टर्म या डेफिनेशन दिखेगी तो आप उसे तुरंत अंडरलाइन कर पाएंगे। इस तरह न केवल आपको सब जल्दी याद होगा, बल्कि ज्यादा दिनों तक भी यकीनन रहेगा रहेगा।
9. पढ़ाई के दौरान ब्रेक लेते रहें:
कभी भी लगातार बैठ कर बहुत सारा न पढ़ें। इससे दिमाग थक जाता है और तनाव भी होने लगता है। इसलिए पढ़ाई के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेते रहना चाहिए। इससे कंसंट्रेशन भी बना रहता है, साथ ही याद रखने की कैपिसिटी भी बढ़ती है।
10. पढ़े हुए चैप्टर के हाइलाइट को पुनः
दोरायें: जो भी पढ़ रहे हैं, उसके हाइलाटल को अन्त में लगातार दोहराते रहें। दोहराने से यह समझ में आ जाता है कि आप जो कुछ भी पढ़ रहे हैं, वह आपको याद हो भी रहा है या फिर नहीं। इसलिए हमेशा पढ़ी हुई चीजों के हाइलाइट को दोहराते रहें।
11. साप्ताहिक रिविजन जरूर करें:
आप जो भी पढ़ रहे हैं, उसका साप्ताहिक रिविजन करना नहीं भूलें। साप्ताहिक रिविजन करने से आप जो पढ़ रहे हैं, वह आपको याद रहेगा। आप जो भी पढ़े, ��सका अगले हफ्ते रिविजन जरूर करें। साप्ताहिक रिविजन बहुत महत्वपूर्ण है, क्यूँकि इससे आपको अपनी रिकॉल करने की क्षमता पता चलेगी।
12. ग्रुप स्टडी करें:
अगर आपको या आपके दोस्तों को एक साथ बैठकर पढ़ाई करने में दिक्कत नहीं है तो ग्रुप डिस्कशन एक बेहतरीन तरीका है। अच्छा पढ़ने और सब कुछ याद रखने के लिए ग्रुप डिस्कशन में जब चर्चा करते समय आपका दूसरा साथी अपने पॉइंट्स रखता है तो डिस्कस की गई बातें ज्यादा याद रहती हैं।
13. गहरी नींद, ध्यान, दिमाग वाले खेल, शारीरिक व्यायाम और मस्तिष्क विकसित करने वाले आहार जरूर लें:
शतरंज, सुडोकू इत्यादि कुछ ऐसे खेल हैं जो आपकी एकाग्रता शक्ति को बढ़ाने में मदद करते हैं। जैसे लगातार व्यायाम करने से व्यक्ति की मांसपेशियां मजबूत बन जाती हैं। इसी प्रकार हम मस्तिष्क को भी मांसपेशी मान सकते है और शतरंज और क्रॉसवर्ड पजल्स जैसी पहेलियों को बारदृ बार खेल कर लंबे समय के लिए उच्च एकाग्रता शक्ति प्राप्त की जा सकती है। एकाग्रता में सुधार लाने के लिए शारीरिक व्यायाम और स्वस्थ आहार बहुत जरूरी है। जंपिंग जैक्स, दौड़ लगाना इत्यादि जैस��� एरोबिक व्यायाम आपके मस्तिष्क में ऑक्सीजन की सांद्रता बढ़ाते हैं। व्यायाम के अलावा स्वस्थ आहार भी एकाग्रता के स्तर में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण है। कुछ ऐसे भोजन हैं जिनका व्यक्ति के मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बेर, ब्रोकली, एवाकाडो कुछ ऐसे भोजनों के उदाहरण हैं। जैसे-जैसे आपकी एकाग्रता शक्ति बढ़ेगी, वैसे-वैसे आपके याद करने की क्षमता बढ़ेगी।
14. विषय को अपनी जिंदगी के साथ जोड़कर समझने का प्रयास करें:
अगर आप इस तरीके से पढ़ाई कर सकते हैं तो ही आप महसूस कर सकते हैं कि याद रखना कितना आसान होगा। इसके साथ ही मज़ेदार हिस्से को याद करने की बजाय बस कल्पनाशील बनने की कोशिश करें और अपने परिवेश के साथ अध्ययन को एक मनोरंजक तरीके से जोड़ने की कोशिश करें। यह विधि बहुत सहायक है क्योंकि दैनिक जीवन के उदाहरणों को याद करना इतना कठिन नहीं है और जो कुछ भी मज़े से सीखा जाता है वह आसानी से और जल्दी याद हो जाता है।
निष्कर्ष: उम्मीद है जल्दी याद करने के ये बेहतरीन तरीके आपको सीखने में मदद करेंगे और आप लंबे समय तक सब कुछ याद रखेंगे। इसी तरह के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए बने रहिए हमारे ब्लाग मेरा स्कूल के साथ।
जयदेव सिंह
बी.एस.सी. (कृषि)
बी.एड., बी़.टी.सी. यू.पी. टी.ई.टी.
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कौन थे जय गुरुदेव पंथ के प्रवर्तक बाबा तुलसी दास | SA News Chhattisgarh
जय गुरुदेव पंथ के प्रवर्तक बाबा तुलसीदास का जन्म वर्ष 1896 में ग्राम किटौरा, जिला इटावा, उत्तर प्रदेश में हुआ था। तुलसीदास जी के माता-पिता का देहांत उनके बचपन में ही हो गया था। तुलसीदास जी का बचपन से ही आध्यात्म की ओर झुकाव था। माता-पिता की मृत्यु के बाद तुलसीदास जी मंदिर के पुजारी के पास रहने लगे। वहाँ रहते हुए उन्होंने कुछ आध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन किया। उन्हें पढ़ने के बाद उन्हें विश्वास हो गया कि ईश्वर तो है, लेकिन वह कहाँ है? और ईश्वर को पाने का तरीका क्या है? इसका उन पुस्तकों में कहीं उल्लेख नहीं था। जय गुरुदेव एक पुण्यात्मा थे। संभवतः वे अपने पिछले मानव जन्मों में कोई ऋषि/महर्षि रहे होंगे। उनके पहले के शुभ कर्म प्रबल थे। उन्हें ईश्वर को पाने की प्रबल इच्छा थी। वे भक्ति के लिए भटकते रहे।
एक दिन किसी ने उसे बताया कि भगवान मस्जिद में आएंगे और नमाज पढ़ेंगे। इसके बाद वह रोज मस्जिद जाने लगा। उसने बताया कि एक दिन उसने लोगों को बकरा काटते देखा, जिससे उसे बहुत दुख हुआ और फिर उसने नमाज पढ़ना बंद कर दिया। उसके बाद किसी ने उसे बताया कि शरीर में 'संख चक्र गदा' का टैटू बनवाने से भगवान की प्राप्ति होती है। उसने अपने शरीर पर टैटू बनवा लिए। उसे ईश्वर की प्राप्ति तो नहीं हुई, लेकिन उसे बहुत शारीरिक पीड़ा सहनी पड़ी।
फिर तुलसीदास जी अपने घर वापस आए जहाँ उनकी मुलाक़ात एक पंडित से हुई जिनका नाम घूरेलाल जी था। तुलसीदास जी ने उनसे दीक्षा ली। घूरेलाल जी ने उन्हें हठ योग (जबरन पूजा) करने को कहा और फिर तुलसीदास जी दिन में 18 घंटे हठ योग करने लगे। बाद में उन्होंने 10 जुलाई 1952 से 1971 तक दीक्षा देना शुरू किया। उनके एक करोड़ अनुयायी थे।
जय गुरुदेव उर्फ़ तुलसीदास जी ने कई भविष्यवाणी की है जो उनके समर्थकों के लिए राज़ बनकर रह गई। उन्होंने एक महान संत के बारे में भविष्यवाणी की है।
संदर्भ: 'शाकाहारी पत्रिका (न्यूज़लैटर) बालसंघ' में 'जय गुरुदेव की अमर वाणी', प्रकाशक दिव्या शर्मा, 88, साकेत कॉलोनी, मथुरा-यूपी, मुद्रक अर्जेंट प्रिंटर्स, पुराना बस स्टैंड, मथुरा-यूपी, पृष्ठ 50, दिनांक: 7 सितम्बर 1971
जय गुरुदेव पंथ के संत तुलसीदास जी ने 1971 में एक और महान संत के बारे में भविष्यवाणी की थी और उन्हें पूर्ण संत कहकर संबोधित किया था। उन्होंने उस संत की उम्र और अन्य विशेषताओं का बहुत अच्छा वर्णन किया था। संत तुलसी दास जी ने 7 सितंबर 1971 को अपने समाचार पत्र जय गुरुदेव की अमरवाणी में इस बारे में विस्तार से लिखा था कि जिस अवतार का पूरी दुनिया बेसब्री से इंतजार कर रही है, वह भारत के एक छोटे से गांव में जन्म ले चुका है। आज उसकी उम्र 20 साल हो गई है। अगर मैं उसका पता बताऊं तो सब उसके पीछे पड़ जाएंगे। आज की तारीख में मुझे इस बात का खुलासा करने की कोई ईश्वरीय अनुमति नहीं है। मैं सही समय का इंतजार कर रहा हूं, जैसा कि सभी महापुरुषों ने किया है। जब समय आएगा, तो सबको सब पता चल जाएगा।'
इसी पुस्तक में गुरुदेव पंथ के संस्थापक ने अपनी पुस्तक 'जय गुरुदेव की भविष्यवाणी' - भाग 2 के पृष्ठ 22 पर कोरोन बीमारी की भी भविष्यवाणी की थी।
जय गुरुदेव ने अपने भविष्यवाणी में अवतारी पुरुष का संकेत दिया था तथा बताया था कि वह मानवता के गिरते स्तर को फिर से ऊपर उठाएगा। वह अवतार नास्तिकता को पूरी तरह से नष्ट कर देगा। इतना ही नहीं वह अवतार स्वर्ण युग लाएगा और विश्व में शांति और भाईचारा स्थापित करेगा। फिर सारा विश्व एक होकर कबीर परमेश्वर जी की सच्ची भक्ति करेगा। वह अवतार इस समय भारत में जन्म ले चुका है और वह अवतार कोई और नहीं संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं। अब वह दिन दूर नहीं जब पूरा विश्व संत रामपाल जी को पहचानेगा और सभी संत रामपाल जी महाराज जी की बताई सतभक्ति करेंगे।
वह अवतार और कोई नहीं संत रामपाल जी महाराज जी है। 7 सितंबर 1971 को संत रामपाल जी महाराज पूरे 20 वर्ष के हो चुके थे। संत रामपाल जी महाराज ही कलयुग में पुनः सतयुग की स्थापना करने जा रहे। 2011 में संत रामपाल जी महाराज जी ने जय गुरुदेव उर्फ़ तुलसीदास जी को अपनी की हुई भविष्यवाणी अर्थात् वह तारणहार कौन है उजागर करने को कहा था, परंतु तब तक उनकी दिव्यदृष्टि काम नहीं कर रही थी। 2012 में 116 वर्ष की आयु में तुलसीदास जी बीमारी के कारण मृत्यु को प्राप्त हुए। अधिक जानकारी के लिए visit करें, SA News YouTube Channel
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अब सुबह की थकान और आलस से छुटकारा पाएं, जानिए इस पक्के इलाज से कैसे!
नींद आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। दिनभर के काम से आपका तन और मन दोनों थके हुए हैं और इस थकान के बाद, आपके शरीर को आराम की जरूरत होती है ताकि वह अगले दिन के लिए तैयार हो सके। इसलिए जब आप आराम करने और सोने की कोशिश करते हैं, तो आपका दिमाग फिर से काम करना शुरू कर देता है और आपको सोने से रोकता है।
आपके दिमाग में तरह-तरह के विचार आने लगते हैं और आप करवटें बदलते रहते हैं । कई बार आप विचारों को थामने के लिए टीवी, मोबाइल या टैब पर अपने पसंदीदा प्रोग्राम देखने लगते हैं। हालांकि कई बार रात में 7-8 घंटे सोने के बाद भी आपको थकान महसूस हो सकती है। यह सामान्य है, लेकिन अगर ऐसा हर दिन होता है, तो आपको अपना अतिरिक्त ध्यान रखने की जरूरत है। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप जल्द ही बीमार पड़ सकते हैं। यहां हम आपको कुछ आसान उपाय बताएँगे, जो आपको सुबह की थकान और आलस से मुक्ति दिलाने में मदद कर सकते हैं।
समय पर सोने और उठने का महत्व
एक अनुसंधान के अनुसार, समय पर सोने और उठने से सेहत को बेहतरीन लाभ मिलते हैं। आपको समय पर सोना चाहिए और एक नियमित रूटीन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। नियमित नींद लेने से आपके शरीर में एक संतुलित व्यवस्था होती है और आपको अधिक ऊर्जा का भंडार मिलता है। इससे आपके मन में शांति मिलती है और आप अधिक फोकस रख पाते हैं। इसलिए, समय पर सोने और उठने से आपकी सेहत बेहतर होती है।
नियमित योग और प्राणायाम है जरूरी
एक अच्छा व्यायाम रूटीन आपकी सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। योग और प्राणायाम आपके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। योग और प्राणायाम करने से आपके शरीर के मुख्य अंगों तक सही मात्रा में रक्त पहुंचाने में मदद मिलती है, जिससे आपके शरीर को बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिलती है।
खूब सारा पानी पिंए
हाइड्रेटेड रहने और पर्याप्त ऊर्जा पाने के लिए खूब पानी पिएं। यदि आप पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते हैं, तो आप थकान महसूस करेंगे और ऊर्जा की कमी महसूस करेंगे। इसलिए पानी खूब पिए ।
हर दिन करें मालिश
यदि आप रात को अच्छी तरह सोने के बाद सुबह उठकर थकान महसूस करते हैं, तो आप हर दिन तेल से मालिश करके अपने शरीर को बेहतर आराम देने में मदद कर सकते हैं। ऐसा करने से आपके पूरे तंत्रिका तंत्र को बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिलेगी और आप पूरे दिन अधिक सक्रिय महसूस करेंगे।
ध्यान करने से बनी रहेगी ताजगी
ध्यान आपके विचारों को शांत करने और पूरे दिन सतर्क और केंद्रित रहने का एक तरीका है। यह एक बेस्ट प्रेक्टिस है जो आपके नर्वस सिस्टम और दिमाग को पूरे दिन के लिए तैयार करने का काम करता है। कुछ लोगों का मानना है कि ध्यान करने से आपका दिमाग मजबूत और उम्र से अप्रभावित रहेगा।
��क अच्छा नियंत्रित आहार
आपको अपनी डाइट में पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करने की जरूरत होती है, जैसे कि फल, सब्जियां, अनाज, दूध आदि। सही मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, फैट्स, विटामिन्स और मिनरल्स का सेवन करना आपके शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। स्वस्थ आहार के लिए, आप खाने की विभिन्न पदार्थों का संतुलित समूह बनाने का प्रयास कर सकते हैं और अधिक तरल पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।
जब हमारा शरीर पूर्ण रुप से पोषण तत्वों को प्राप्त नही कर पाता है, तो हम कमजोर और सुस्त महसूस करते है। कई बार हमारे शरीर को पर्याप्त विटामिन नहीं मिलते इस वजह से भी शरीर हल्के काम में भी अधिक उर्जा को खर्च करने लगता है जिसकी वजह से थक��न व अन्य स्वस्थ समस्याएँ होने लगती है । दिनचर्या में उपरोक्त दिए गए आसान उपायों को अपनी जीवनशैली में सम्मिलित करने के साथ ही Fytika Vita 365 टेबलेट को लेने से आप आप अधिक ऊर्जावान और फिट रह सकते हैं। | यह सप्लीमेंट हमारे शरीर के लिए वो पोषक तत्व है जो हमारे शरीर को स्वस्थ और सही से काम करने में मदद करते है ।हमारे शरीर में त्वचा के बनने और ठीक होने, हड्डियों के बनने और ठीक होने, कोशिकाओं के बनने और ठीक होने में मदद करते है। साथ ही ये हमारे इम्यून सिस्टम को भी बेहतर बनाते है जिससे हमारा शरीर बीमारियों से लड़ पाता है।
Fytika Vita 365 टेबलेट में विटामिन्स, मिनरल्स, बायोटिन ,जिनसेंग, अश्वगंधा ,ग्रेप सीड व प्रोबायोटिक सम्मिलित है ,इसका नियमित कोर्स आपको अपनी ऊर्जा वापस पाने में मदद करता है। साथ ही आपकी इम्युनिटी और स्ट्रेंथ को बूस्ट कर करता हैं।
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"दोस्तो! मैं अजय अहिरवार!
मेरी उम्र 21 साल है।
मैं पुणे में रहता हूँ।
मेरे घर में मेरे मम्मी, पापा, मैं और मेरी छोटी बहन रहते हैं।
मैं आप सब के साथ अपनी कहानी शेयर कर रहा हूँ। यह कहानी मेरी और मेरी बहन के बीच की है।
मेरी बहन का नाम रिया है।
उसकी उम्र 19 साल है।
रिया का फिगर स्लिम है।
उसके त्वचा का रंग गोरा है।
वह बहुत खूबसूरत है।
उसके कॉलेज में भी उसके बहुत सारे दीवाने है।
मेरा Xxx ब्रदर हॉट सेक्स विद वर्जिन सिस्टर कहानी तब शुरू हुई जब मैं अपने होमटाउन में रहता था।
उस समय मैं अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ना शुरू किया था।
धीरे–धीरे मैंने अपनी छोटी बहन की खूबसूरती नोटिस करनी शुरू कर दिया था।
छुप–छुप कर रिया के ब्रा और पैंटी देखा, सूंघा और चाटा करता था।
रिया को देखकर मेरा लंड सख़्त हो जाता था।
मैं और मेरी बहन दोनों एक ही कमरे में रहा करते थे।
एक रात जब रिया सो रही थी।
तब मेरी नींद खुली।
मैंने रिया के चेहरे को देखा।
वाह … कितनी क्यूट है!
इस बीच मेरा लंड भी खड़ा हो गया था।
मैंने धीरे से रिया के कमर पर हाथ रखकर चेक किया कि वह सो रही है या जाग रही है?
कोई हरकत ना होने पर मैं आगे बढ़ा और रिया के चूचे को हल्के से प्रेस किया।
रिया ने टीशर्ट और शॉर्ट स्कर्ट पहन रखा था।
फ़िर रिया के गोरे–गोरे पैरों को छुआ।
कसम से इतने मुलायम थे कि मैंने आज तक नहीं देखा था।
उसके बाद धीरे से मैंने रिया के स्कर्ट को ऊपर उठाया।
रिया ने लाल रंग की पैंटी पहनी थी।
मैंने धीरे से उसकी पैंटी को ऊपर से छुआ।
रिया की चूत बहुत गर्म थी।
इस सब के बीच मेरा 7 इंच का लंड मेरे पजामे से बाहर आ गया था।
रिया को पहली बार ऐसा देख कर मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था।
पर डर भी लग रहा था इसलिए मैंने रिया को देख कर अपने लंड को हिला कर शांत कर लिया और सो गया।
अगले दिन सब नॉर्मल था घर में!
मेरी हिम्मत भी बढ़ गई थी।
मैं अब बस रात होने का इंतजार कर रहा था।
रात में सब जब सो गए।
तब मैंने फ़िर से अपनी खूबसूरत बहन को छूना शुरू कर दिया।
उस रात मैंने अपना अंडरवियर नहीं पहना था।
मैंने धीरे से अपना लंड निकालकर अपनी बहन के हाथ में रख दिया।
रिया के मुलायम–मुलायम हाथ मेरे लंड को छू रहे थे।
फ़िर हिम्मत कर के रिया के टॉप में हाथ डालकर उसके बोबे प्रेस करना शुरु कर दिया।
वह बिल्कुल गहरी नींद में सो रही थी।
फ़िर रिया की टॉप को उसकी चूचियों तक उठा दिया।
अब रिया की चूचियों और मेरे बीच सिर्फ उसका ब्रा था।
मैंने धीरे से रिया की ब्रा को भी ऊपर कर दिया।
रिया की निप्पल एकदम फूल की पंखुड़ियों जैसे गुलाबी थे।
थोड़ी हिम्मत करके मैंने अपने मुंह में निप्पल को लेकर चूसने लगा।
ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत में हूँ।
फ़िर रिया की स्कर्ट को ऊपर उठाया।
रिया की पैंटी में हाथ डालकर उसकी गर्म चूत पर अपना हाथ रख दिया।
मेरी बहन की चूत गीली हो गई थी।
रिया की शरीर में अब हलचल हो रही थी। वह नींद में भी मजा ले रही थी।
उसके बाद मैं उसके हाथ से ही अपना लंड को हिलाना शुरू कर दिया।
मैं एक मिनट में ही अपना सारा माल उसकी जांघ पर निकाल दिया।
यह सब होने के बाद अगले दिन मुझे उसके व्यवहार में कुछ बदलाव दिख रहा था।
वह मेरे साथ ज्यादा बात नहीं कर रही थी।
मैं तो बस रात होने का इंतजार कर रहा था। मैं जब भी रिया को देखता, तब रात की घटना याद आती और मेरा लंड खड़ा हो जाता था।
मुझसे अब एकदम कंट्रोल नहीं हो रहा था।
रात होते ही मैं पलंग पर पहले ही चला गया और रिया का इंतजार करने लगा।
वह कमरे में आई और बिस्तर पर आ कर सो गई।
रात के 1 बजे मैंने अपना काम शुरू किया।
आज मेरा मूड थोड़ा ज्यादा ही गर्म हो रहा था इसलिए मैंने अपने कपड़े उतार दिए और बस अपने शॉर्ट्स में था।
फ़िर मैंने रिया को पीछे से हग किया।
मैं रिया की चूचियों को दबाने लगा।
पिछली रात की तरह ही उसकी चूचियों को चूसा।
फ़िर रिया की स्कर्ट उठाकर उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया।
आज रिया की चूत कल रात से भी ज्यादा गीली लग रही थी।
मुझे शक हुआ कि वह जागी हुई है।
मैंने जब उसकी चूत पर अपनी उंगली करनी शुरू कर दी तो उसकी मुंह से सिसकारियां आनी शुरू हो गई।
मुझे शक हुआ कि वह जागी हुई है।
मैं उसकी चूचियों को ��ूस रहा था और एक हाथ से उसकी चूत मसल रहा था।
तब उसकी आँख खुली और वह सिसकारियां लेते हुए बोली– क्या कर रहे हो भैया? मैं आपकी छोटी बहन हूँ।
मैंने उसकी आँखों में देखकर बोला– आई लव यू रिया!
फ़िर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और पागलों की तरह रिया को चूमने लगा।
वह भी धीरे–धीरे रिस्पॉंस देने लगी।
उसके बाद मैं रिया के ऊपर आ कर उसकी दोनों चूचियों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा।
रिया– आह … औऊ … दर्द हो रहा है भैया!
मैंने कहा– आई लव योर बूब्स रिया!
फ़िर मैंने उसकी पैंटी निकाल ��र उसकी चूत को चूमने लगा।
वह झटके से उछल पड़ी।
उसकी चूत को मैंने अपनी जीभ से चाटना शुरू किया।
वह जोर–जोर से सिसकारियां लेने लगी और औउ … अहह … अऊ … ईई … अह्झ … यू … ययय … आऊओ … ओह्ह … औउ … अम्म्म … ओम्म्म आवाज निकालने लगी।
थोड़ी देर में वह पूरी झड़ गयी।
मैंने उसकी चूत का एक बूंद रस भी जाया नहीं जाने दिया।
मैंने सारा का सारा उसकी चूत का रस पी लिया।
उसके रस का रंग हल्का सफेद था और स्वाद में थोड़ा नमकीन था।
मैंने कहा– अब तुम्हारी बारी है।
फ़िर मैंने अपना 7 का लंड रिया के सामने निकाल कर रखा।
उसने कहा– यह तो बहुत बड़ा है।
मैंने उसे अपना लंड चूसने के लिए बोला।
पहले तो उसने मना कर दिया।
पर फ़िर थोड़ा मानने के बाद वह मान गई।
उसने पहले मेरे लंड पर हल्के से चूमा।
फ़िर धीरे से अपने मुंह में लंड को लेना शुरू किया।
अपना लंड अपनी बहन के मुंह में देख कर मुझसे कंट्रोल नहीं हो पा रहा था।
मैंने रिया का सिर पकड़ कर अपना लंड उसकी मुंह में अंदर–बाहर करना शुरु कर दिया।
वह भी अब मेरे लंड को बहुत मजे से चूस रही थी।
मैंने लंड को उसके मुंह बाहर निकाला और कहा– रिया, थोड़ी देर में यह लंड तुम्हारे अंदर जाने वाला है।
रिया ने कहा– नहीं भैया, आपका बहुत बड़ा है और मैं वर्जिन हूँ।
मैंने कहा– कोई नहीं, मैं प्यार से करूंगा।
मैं फ़िर से उसके मुंह को पकड़ कर उसमें लंड डालकर चोदने लगा। मैं अपने लंड को उसके गले तक उतार दे रहा था।
वह अभी एक नन्ही जान थी पर मैं बेरहम की तरह उस पर कोई दया नहीं दिखा रहा था।
कभी–कभी तो उसे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी।
पर मैं उसके मुंह को चोदे जा रहा था।
लगभग 10 मिनट बाद मैं उसकी मुंह में ही झड़ गया।
मैंने अपना लंड निकाला नहीं और उसे सारा का सारा वीर्य पीने पर मजबूर कर दिया।
कुछ देर हम दोनों आराम से लेटे रहे.
जल्दी ही मेरा लंड खडा होने लगा तो मैं उसके दोनों पैरों के बीच में आ गया।
फ़िर अपने हाथ पर अपना थूक लगाकर उसकी चूत को गीला किया।
उसके बाद अपना लंड अपनी बहन की चूत पर रब करना शुरू किया।
उसकी गीली चूत पर से मेरा लंड फिसल रहा था।
रिया ने कहा– भैया प्लीज, मुझे डर लग रहा है।
मैंने कहा– बस एक मिनट, उसके बाद सिर्फ मजा आएगा तुम्हें!
फ़िर धीरे–धीरे अपने लंड को वर्जिन सिस्टर की चूत में डालना शुरू किया।
क्योंकि वह वर्जिन थी इसलिए उसकी चूत बहुत कसी हुई थी।
मैंने एक जोर का धक्का दिया और मेरा लंड उसकी चूत में आधा चला गया।
वह जोर से चिल्लाने लगी और रोते हुए बोली– भैया प्लीज, बाहर निकालो बहुत दर्द हो रहा है।
वह दर्द के कारण अपने हाथ पैर भी चलाने लगी थी।
पर अब मैं रुकने वाला नहीं था।
मैंने उसके होंठ पर अपना होंठ रखा और जोर से एक धक्का लगा दिया।
इस बार मेरा पूरा लंड मेरी बहन की चूत में था।
उसकी चूत में से खून निकलने लगा था।
वह यह देख कर रोने लगी।
मैंने उसे समझाया– यह नॉर्मल है। मैंने तुम्हारी वर्जिनिटी ली है इसलिए खून निकला है।
उसके बाद मैंने उसे धीरे–धीरे चोदना शुरू किया।
5 मिनट बाद उसे भी मजा आने लगा।
वह भी ‘भैया प्लीज, और जोर से चोदो अपनी बहन को … आई लव यू’ कहने लगी।
मैंने कहा– हाँ यह ले … और जोर से … मेरी जान!
यह बोलते हुए मैं उसे जोर–जोर से चोदना शुरू किया।
उसे मैं मिशनरी पोजीशन में एक बला की खूबसूरत समझ के उसकी चूत को फाड़ के रख देना चाहता था।
मैं उसे हचक के पेल रहा था।
वह मेरे नीचे दबे हुए किसी मेमने की भांति बस सिसकारियां ले रही थी।
एक हाथ से उसकी चूची को दबा रहा था और उसे चूम रहा था।
10 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद रिया ने कहा– भैया, मैं आ रही हूँ।
मैंने कहा– मैं भी आ रहा हूँ।
वह अब छूटने वाली थी।
तो रिया ने मेरी कूल्हों पर हाथ रख कर मुझे और जोर से अपनी ओर चूत में धकेलने लगी।
मैं भी उसी चूची को कस के पकड़ कर मरोड़ने लगा और जोर–जोर से धक्के लगाने लगा।
मैंने उसकी नींबू जैसे चूची को सुर्ख लाल कर दिया था मरोड़–मरोड़ के!
थोड़ी देर में मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में डाल दिया।
वह भी मेरे साथ ही छूट गई थी।
उसकी चूत में से मेरा माल और उसके रस का मिश्रण निकल रहा था।
मैं उसे वीर्य निकलने के बाद भी चोदे जा रहा था।
वीर्य निकलने के कारण अब अंदर–बाहर करना बहुत आसान हो गया था।
दो मिनट में मैं रुक गया और उसके ऊपर ही लेट गया।
उसके बाद हम दोनों ने उस रात दो बार और चुदाई की।
फ़िर एक–दूसरे की बांहों में सो गए।
मैं अपनी बहन को रोज रात को चोदता रहा जब तक कि मुझे पढ़ाई के लिए घर से बाहर नहीं जाना पड़ा।
अब मैं जब भी घर आता हूँ तो हम सेक्स करते हैं।
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"Celebrate by their side, and witness joy beyond words."
रक्षा बंधन की आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं🌺🌺🌺🌺🌺
I am sharing a heart-touching story that goes for every festival and applies to all of us.
You may not realize it, but when you're celebrating a festival, there might be someone you know who has weathered the storms of life. When you stand by their side, the happiness reflected in their eyes is beyond words.
I don't know who wrote this post, but it brought tears to my eyes. One line from the entire post: "A brother said to his sisters, 'The time has come for the pilgrimage to the four holy sites
"मेरी छोटी बुआ...!"
रक्षाबंधन का त्यौहार पास आते ही मुझे सबसे ज्यादा मुंबई वाली बुआ जी की राखी के कूरियर का इन्तेज़ार रहता था.
कितना बड़ा पार्सल भेजती थी बुआ जी.
तरह-तरह के विदेशी ब्रांड वाले चॉकलेट,गेम्स, मेरे लिए कलर फूल ड्रेस , मम्मी के लिए साड़ी, पापाजी के लिए कोई ब्रांडेड शर्ट.
इस बार भी बहुत सारा सामान भेजा था उन्होंने.
पटना और रामगढ़ वाली दोनों बुआ जी ने भी रंग बिरंगी राखीयों के साथ बहुत सारे गिफ्टस भेजे थे.
बस रोहतास वाली जया बुआ ��ी राखी हर साल की तरह एक साधारण से लिफाफे में आयी थी
पांच राखियाँ, कागज के टुकड़े में लपेटे हुए रोली चावल और पचास का एक नोट.
मम्मी ने चारों बुआ जी के पैकेट डायनिंग टेबल पर रख दिए थे ताकि पापा ऑफिस से लौटकर एक नजर अपनी बहनों की भेजी राखियां और तोहफे देख लें...
पापा रोज की तरह आते ही टी टेबल पर लंच बॉक्स का थैला और लैपटॉप की बैग रखकर सोफ़े पर पसर गए थे.
"चारो दीदी की राखियाँ आ गयी है...
मम्मी ने पापा के लिए किचन में चाय चढ़ाते हुए आवाज लगायी थी...
"जया का लिफाफा दिखाना जरा...
पापा जया बुआ की राखी का सबसे ज्यादा इन्तेज़ार करते थे और सबसे पहले उन्हीं की भेजी राखी कलाई में बांधते थे....
जया बुआ सारे भाई बहनो में सबसे छोटी थी पर एक वही थी जिसने विवाह के बाद से शायद कभी सुख नहीं देखा था.
विवाह के तुरंत बाद देवर ने सारा व्यापार हड़प कर घर से बेदखल कर दिया था.
तबसे फ़ूफा जी की मानसिक हालत बहुत अच्छी नहीं थी. मामूली सी नौकरी कर थोड़ा बहुत कमाते थे .
बेहद मुश्किल से बुआ घर चलाती थी.
इकलौते बेटे श्याम को भी मोहल्ले के साधारण से स्कूल में डाल रखा था. बस एक उम्मीद सी लेकर बुआ जी किसी तरह जिये जा रहीं थीं...
जया बुआ के भेजे लिफ़ाफ़े को देखकर पापा कुछ सोचने लगे थे...
'गायत्री इस बार रक्षाबंधन के दिन हम सब सुबह वाली पैसेंजर ट्रेन से जया के घर रोहतास (बिहार )उसे बगैर बताए जाएंगे...
"जया दीदी के घर..!!
मम्मी तो पापा की बात पर एकदम से चौंक गयी थी...
आप को पता है न कि उनके घर मे कितनी तंगी है...
हम तीन लोगों का नास्ता-खाना भी जया दीदी के लिए कितना भारी हो जाएगा....वो कैसे सबकुछ मैनेज कर पाएगी.
पर पापा की खामोशी बता रहीं थीं उन्होंने जया बुआ के घर जाने का मन बना लिया है और घर मे ये सब को पता था कि पापा के निश्चय को बदलना बेहद मुश्किल होता है...
रक्षाबंधन के दिन सुबह वाली धनबाद टू डेहरी ऑन सोन पैसेंजर से हम सब रोहतास पहुँच गए थे.
बुआ घर के बाहर बने बरामदे में लगी नल के नीचे कपड़े धो रहीं थीं....
बुआ उम्र में सबसे छोटी थी पर तंग हाली और रोज की चिंता फिक्र ने उसे सबसे उम्रदराज बना दिया था....
एकदम पतली दुबली कमजोर सी काया. इतनी कम उम्र में चेहरे की त्वचा पर सिलवटें साफ़ दिख रहीं थीं...
बुआ की शादी का फोटो एल्बम मैंने कई बार देखा था. शादी में बुआ की खूबसूरती का कोई ज़वाब नहीं था. शादी के बाद के ग्यारह वर्षो की परेशानियों ने बुआ जी को कितना बदल दिया था.
बेहद पुरानी घिसी सी साड़ी में बुआ को दूर से ही पापा मम्मी कुछ क्षण देखे जा रहे थे...
पापा की आंखे डब डबा सी गयी थी.
हम सब पर नजर पड़ते ही बुआ जी एकदम चौंक गयी थी.
उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे और क्या प्रतिक्रिया दे.
अपने बिखरे बालों को सम्भाले या अस्त व्यस्त पड़े घर को दुरुस्त करे.उसके घर तो बर्षों से कोई मेहमान नहीं आया था...
वो तो जैसे जमाने पहले भूल चुकी थी कि मेहमानों को घर के अंदर आने को कैसे कहा जाता है...
बुआ जी के बारे मे सब बताते है कि बचपन से उन्हें साफ सफ़ाई और सजने सँवरने का बेहद शौक रहा था....
पर आज दिख रहा था कि अभाव और चिंता कैसे इंसान को अंदर से दीमक की तरह खा जाती है...
अक्सर बुआ जी को छोटी मोटी जरुरतों के लिए कभी किसी के सामने तो कभी किसी के सामने हाथ फैलाना होता था...
हालात ये हो गए थे कि ज्यादातर रिश्तेदार उनका फोन उठाना बंद कर चुके थे.....
एक बस पापा ही थे जो अपनी सीमित तनख्वाह के बावजूद कुछ न कुछ बुआ को दिया करते थे...
पापा ने आगे बढ़कर सहम सी गयी अपनी बहन को गले से लगा लिया था.....
"भैया भाभी मन्नू तुम सब अचानक आज ?
सब ठीक है न...?
बुआ ने कांपती सी आवाज में पूछा था...
'आज वर्षों बाद मन हुआ राखी में तुम्हारे घर आने का..
तो बस आ गए हम सब...
पापा ने बुआ को सहज करते हुए कहा था.....
"भाभी आओ न अंदर....
मैं चाय नास्ता लेकर आती हूं...
जया बुआ ने मम्मी के हाथों को अपनी ठण्डी हथेलियों में लेते हुए कहा था
"जया तुम बस बैठो मेरे पास. चाय नास्ता गायत्री देख लेगी."
हमलोग बुआ जी के घर जाते समय रास्ते मे रूककर बहुत सारी मिठाइयाँ और नमकीन ले गए थे......
मम्मी किचन में जाकर सबके लिए प्लेट लगाने लगी थी...
उधर बुआ कमरे में पुरानी फटी चादर बिछे खटिया पर अपने भैया के पास बैठी थीं....
बुआ जी का बेटा श्याम दोड़ कर फ़ूफा जी को बुला लाया था.
राखी बांधने का मुहूर्त शाम सात बजे तक का था.मम्मी अपनी ननद को लेकर मॉल चली गयी थी सबके लिए नए ड्रेसेस खरीदने और बुआ जी के घर के लिए किराने का सामान लेने के लिए....
शाम होते होते पूरे घर का हुलिया बदल गया था
नए पर्दे, बिस्तर पर नई चादर, रंग बिरंगे डोर मेट, और सारा परिवार नए ड्रेसेस पहनकर जंच रहा था.
न जाने कितने सालों बाद आज जया बुआ की रसोई का भंडार घर लबालब भरा हुआ था....
धीरे धीरे एक आत्म विश्वास सा लौटता दिख रहा था बुआ के चेहरे पर....
पर सच तो ये था कि उसे अभी भी सब कुछ स्वप्न सा लग रहा था....
बुआ जी ने थाली में राखियाँ सज़ा ली थी
मिठाई का डब्बा रख लिया था
जैसे ही पापा को तिलक करने लगी पापा ने बुआ को रुकने को कहा
सभी आश्चर्यचकित थे...
" दस मिनट रुक जाओ तुम्हारी दूसरी बहनें भी बस पहुँचने वाली है. "
पापा ने मुस्कुराते हुए कहा तो सभी पापा को देखते रह गए....
तभी बाहर दरवाजे पर गाड़ियां क�� हॉर्न की आवाज सुनकर बुआ ,मम्मी और फ़ूफ़ा जी दोड़ कर बाहर आए तो तीनों बुआ का पूरा परिवार सामने था....
जया बुआ का घर मेहमानों से खचाखच भर गया था.
महराजगंज वाली नीलम बुआ बताने लगी कि कुछ समय पहले उन्होंने पापा को कहा था कि क्यों न सब मिलकर चारो धाम की यात्रा पर निकलते है...
बस पापा ने उस दिन तीनों बहनो को फोन किया कि अब चार धाम की यात्रा का समय आ गया है..
पापा की बात पर तीनों बुआ सहमत थी और सबने तय किया था कि इस बार जया के घर सब जमा होंगे और थोड़े थोड़े पैसे मिलाकर उसकी सहायता करेंगे.
जया बुआ तो बस एकटक अपनी बहनों और भाई के परिवार को देखे जा रहीं थीं....
कितना बड़ा सरप्राइस दिया था आज सबने उसे...
सारी बहनो से वो गले मिलती जा रहीं थीं...
सबने पापा को राखी बांधी....
ऐसा रक्षाबन्धन शायद पहली बार था सबके लिए...
रात एक बड़े रेस्त्रां में हम सभी ने डिनर किया....
फिर गप्पे करते जाने कब काफी रात हो चुकी थी....
अभी भी जया बुआ ज्यादा बोल नहीं रहीं थीं.
वो तो बस बीच बीच में छलक आते अपने आंसू पोंछ लेती थी.
बीच आंगन में ही सब चादर बिछा कर लेट गए थे...
जया बुआ पापा से किसी छोटी बच्ची की तरह चिपकी हुई थी..
मानो इस प्यार और दुलार का उसे वर्षों से इन्तेज़ार था
बातें करते करते अचानक पापा को बुआ का शरीर एकदम ठंडा सा लगा तो पापा घबरा गए थे...
सारे लोग जाग गए पर जया बुआ हमेशा के लिए सो गयी थी....
पापा की गोद में एक बच्ची की तरह लेटे लेटे वो विदा हो चुकी ..
पता नही कितने दिनों से बीमार थीं....
और आज तक किसी से कही भी नही थीं...
आज सबसे मिलने का ही आशा लिये जिन्दा थीं शायद...!!
अपनों का ध्यान रखें।
जो "समर्थ" है वो अपने असमर्थ रिश्तेदारों एवं मित्रों की समय पर "सहायता" अवश्य करें।
#SupportAndCelebrate#SharedJoy#StandByThem#SilentStrength#FestivalKindness#TogetherInJoy#UnspokenHappiness
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एटीट्यूड ने बिगाड़ा सारा खेल, एक्टर रणवीर के हाथ से गया काम, 51 की उम्र में बेरोजगार! http://dlvr.it/TBFlYb
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Raj Kapoor@100: Showman Wanted To Shout Action-Action Even After Death
Introduction
13 December, 2024
Raj Kapoor@100: हिंदी सिनेमा के सबसे बेहतरीन एक्टर्स में से एक राज कपूर ने अपनी पूरी जिंदगी ही सिनेमा को समर्पित कर दी थी. वो पहले ऐसे भारतीय एक्टर थे जिनकी विदेश में भी उतनी ही फैन फॉलोइंग थी जितनी देश में. राज कपूर की बेटी ने अपनी किताब में लिखा है कि वो कहते थे जब मैं मर जाऊं, तब मेरे शव को स्टूडियो ले आना. शायद मैं रोशनी के बीच जागूं और एक्शन…एक्शन चिल्लाऊं. उनके ये शब्द मानो एक फ्रेम में कैद हो गए. ये शब्द ऐसे फिल्म मेकर के जुनून की गवा��ी दे रहे हैं जिन्होंने भारतीय सिनेमा पर अमिट छाप छोड़ी. ऐसे में आज हिंदी सिनेमा के शोमैन यानी राज कपूर के बारे में जानते हैं कुछ दिलचस्प बातें.
Table of Content
राज कपूर के 100 साल
पर्दे पर राज करने वाले शोमैन
एक्टर के रूप में चमके
जब टूट गए थे राज कपूर
आज भी हिट हैं राज कपूर के गाने
पिता की शर्त
जब बने इंडियन चार्ली चैपलिन
आवारा ने क्यों मचाई सनसनी
हिंदी सिनेमा का शोमैन
राज कपूर की पहली बड़ी फिल्म
राज कपूर के 100 साल
पर्दे पर राज करने वाले शोमैन
राज कपूर ने देव आनंद और दिलीप कुमार जैसे दो दिग्गज कलाकारों के साथ बड़े परदे पर सालों तक राज किया. राज कपूर की फिल्मों का संगीत कई दशकों बाद भी लोगों के दिलों को छूता है. उन्होंने अपने करियर में सिर्फ 10 फिल्में ही डायरेक्ट कीं. इनमें कुछ का नाम हिंदी सिनेमा की कल्ट फिल्मों की लिस्ट में शामिल है. राज कपूर की ‘आवारा’ और ‘श्री 420’ इसी लिस्ट का हिस्सा हैं. बाकी ‘बॉबी’ और ‘संगम’ ब्लॉकबस्टर फिल्में रहीं. राज कपूर की फिल्में वक्त से आगे की हुआ करती थीं. यही वजह है कि उन्हें लेकर अक्सर विवाद भी हो जाया करता था.
यह भी पढें: Raj Kapoor’s 100th Birth: कपूर परिवार ने मोदी से की मुलाकात, राज कपूर फिल्म महोत्सव का दिया न्योता
राज कपूर के डायरेक्शन में बनी ‘सत्यम शिवम सुंदरम’, ‘प्रेम रोग’ और ‘राम तेरी गंगा मैली’ ऐसी ही कुछ फिल्में थीं. जब ये फिल्में सिनेमाघरों में रिलीज हुईं तब काफी विवाद भी हुआ. बहुत से लोग राज कपूर की दूरदर्शिता को पचा नहीं पाए. हालांकि, आज इन्हीं फिल्मों को हिंदी सिनेमा की बेहतरीन फिल्मों में शामिल किया जाता है.
एक्टर के रूप में चमके
जब टूट गए थे राज कपूर
राज कपूर के करियर की सबसे बड़ी फिल्मों में नाम आता है ‘मेरा नाम जोकर’ का, जिसे बनाने में राज कपूर ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था. आज भले ही ये हिंदी सिनेमा की कल्ट क्लासिक फिल्मों में शुमार है लेकिन साल 1970 में जब ‘मेरा नाम जोकर’ रिलीज हुई तब बॉक्स ऑफिस पर बड़ी फ्लॉप निकली और राज कपूर कर्ज में डूब गए. इस फिल्म की असफलता ने राज कपूर को पूरी तरह से तोड़ दिया था. हालांकि,
यह भी पढें: PM Modi होंगे कपूर फैमिली के मेहमान, Raj Kapoor की 100वीं बर्थ एनिवर्सरी होगी खास
इसके बावजूद भी ‘शोमैन’ ने हार नहीं मानी और एक खूबसूरत रोमांटिक फिल्म बनाई जिसका नाम था ‘बॉबी’. इस फिल्म से राज कपूर ने अपने बेटे ऋषि कपूर को बॉलीवुड में बतौर हीरो लॉन्च किया. उनके साथ 16 साल की डिंपल कपाड़िया की जोड़ी को लोगों ने इतना पसंद किया कि बॉबी ने बॉक्स ऑफिस पर पैसों की बरसात कर दी. फिल्म ‘बॉबी’ से इतनी कमाई हुई कि राज कपूर का सारा कर्जा उतर गया और बॉलीवुड को ऋषि कपूर के रूप में अपना नया चॉकलेट बॉय मिल गया था.
आज भी हिट हैं राज कपूर के गाने
पिता की शर्त
पृथ्वीराज कपूर इस शर्त पर राजी हुए कि राज कपूर 10 रुपये सैलरी पर उनके असिस्टेंट के तौर पर काम शुरू करेंगे. राज कपूर ने बिना देर लगाए शर्त मानी और सेट पर बाकी सब लोगों की तरह काम करना शुरू कर दिया. साल 1947 में मधुबाला के साथ बनी ‘नील कमल’ समेत राज कपूर ने कुछ फिल्मों में काम किया. इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘आग’ के साथ निर्देशक और निर्माता के रूप में बॉलीवुड में कदम रखने का फैसला किया. उस वक्त राज कपूर की उम्र 24 साल थी. वो उस समय दुनिया के सबसे यंग फिल्म मेकर्स में एक थे. डायरेक्शन में राज कपूर का मन ऐसा रमा कि उन्होंने ‘आग’ के बाद ‘बरसात’ (1949) और ‘सत्यम शिवम सुं��रम’ (1978) जैसी खूबसूरत फिल्में भी बनाईं.
जब बने इंडियन चार्ली चैपलिन
आवारा ने क्यों मचाई सनसनी
राज कपूर ने एक बार बताया था कि उनकी फिल्मों ने फिल्म जगत में इतनी सनसनी क्यों मचाई थी? दरअसल, राज कपूर की फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ में उनके साथ काम करने वालीं एक्ट्रेस सिमी ग्रेवाल के एक न्यूड सीन शूट किया था. इसके बाद हर तरफ हंगामा मच गया था. इसे लेकर राज कपूर ने कहा था- ‘ये कहानी मेरे दिमाग में ठीक उस समय आई जब भारत एक नयी सामाजिक अवधारणा विकसित कर रहा था’. हिंदी सिनेमा में जब हीरोइन एक दो गानों में ही नजर आती थी तब राज कपूर की फिल्मों की एक्ट्रेसेस उनकी फिल्मों में लीड रोल निभाती थीं. राज कपूर की ‘बरसात’, ‘आवारा’, ‘अंदाज’ और ‘चोरी चोरी’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में एक्ट्रेसेस ने बड़ी भूमिकाएं निभाईं.
हिंदी सिनेमा का शोमैन
राज कपूर का जन्म 14 दिसंबर, 1924 को पेशावर में रणबीर राज कपूर के रूप में हुआ था. इसके बाद में उन्होंने चेंबूर में जमीन खरीदी और मुंबई में अपनी जड़ें जमा लीं. यहीं पर उन्होंने RK स्टूडियो की स्थापना की. राज कपूर एख ऐसे फिल्म मेकर थे जो हर तरह के बंधन से मुक्त थे, उनका यही आजाद व्यक्तित्व राज कपूर की फिल्मों में भी झलकता है. फिर चाहे अपनी फिल्म आवारा के सपने वाले सीन को फिल्माने के लिए एक विशाल सेट डिजाइन करना हो या ‘बॉबी’ में महंगी शैंपेन लाना हो या फिर ‘मेरा नाम जोकर’ का सर्कस रिंग.
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राज कपूर की पहली बड़ी फिल्म
Conclusion
2 मई, 1988 को राज कपूर दादा साहब फाल्के पुरस्कार लेने के लिए दिल्ली आए. उस दौरान उन्हें अस्थमा का गंभीर दौरा पड़ा और वो सभागार में ही बेहोश हो गए. इसके बाद राज कपूर को अस्पताल ले जाया गया. इसके एक महीने बाद ही 63 साल की उम्र में राज कपूर का निधन हो गया. आज भले ही राज कपूर हमारे बीच नहीं हैं लेकिन अपनी बेहतरीन फिल्मों के जरिए वो सदियों तक लोगों के दिलों और जेह�� में जिंदा रहेंगे.
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Best 55+ Pyar Bhari Shayari in Hindi | प्रेम शायरी हिंदी में
अपने जीवन को सरल बनाने के लिए हमें प्यार की ज़रूरत होती है और इसे हमारी Pyar Bhari Shayari in Hindi से बेहतर तरीके से व्यक्त नहीं किया जा सकता। ये दिल को छू लेने वाली Shayari बहुत सावधानी से लिखी गई हैं और अपने दोस्तों के साथ शेयर करने के लिए एकदम सही हैं। सच्चे प्यार का मतलब है एक-दूसरे की परवाह करना और उस प्यार को बनाए रखना बहादुरी का काम है। जो लोग प्यार में विश्वास करते हैं वे लगातार अपने प्रिय के बारे में सोचते हैं और चाहे कितनी भी दूरी क्यों न हो, वे हमेशा एक-दूसरे से गहराई से जुड़े रहते हैं। बेहतरीन और सबसे अनोखी प्रेम शायरी के हमारे संग्रह में गोता लगाएँ। अपने खास व्यक्ति को संजोएँ, क्योंकि वे अपूरणीय हैं। एक बार जब कोई प्रिय व्यक्ति खो जाता है, तो उसे फिर से पाना अविश्वसनीय रूप से चुनौतीपूर्ण होता है। हमारी Pyar Bhari Shayari के साथ अपने प्यार की लौ को जलाए रखें।
Best Pyar Bhari Shayari in Hindi
कहावत है के आदमी गलती करके ही सीखता है, ध्यान दीजिए सिर्फ ,आदमी, औरत नही..!!! कहा था ना अपनी पर आ जाऊं, तो ऐसे भूल जाऊंगा जैसे कभी मिले ही नही थे..!!!
प्रेम एक अटूट शक्ति है, ये धर्म है, कर्म है, ईस्ट की भक्ति है…! मुझे आराम चाहिए दर्द से मेरे, यानी कोई दफना दे मुझे..!!!
नया नया तो सब कुछ अच्छा ही लगता है, सच्चाई तो पुराने होने के बाद ही पता चलती है, फिर चाहे वो कोई चीज हो या इंसान..!!! मैं ऐसा लग रहा हु, क्या बताऊं कैसा लग रहा हु, मेरा दिल कहीं नहीं लग रहा, हस्ते हुए भी बुरा लग रहा हु..!!!
रोज रात को यही सोच कर सो जाता हूं, शायद उसे कल मेरे प्यार का एहसास होगा..!!! सिर्फ एक बार परख कर नही छोड़ा तुमको, तुम मेरी जान कई बार बेवफा निकली..!!!
बहुत कुछ बिखरा हुआ है मेरे अंदर ही अंदर, वरना यूं ही बेवजह आसू नही टपकते मेरी आंखो से..!!! कमियाबी हमेशा पसंदीदा चीजों की, कुर्बानी मांगती है..!!!
हमे भी शोक था मुस्कुराने का, जिंदगी ने ऐसा रुलाया की अब खुद पर हँसी आती है..!! मैं ना टूटा, ना बिखरा, बस हार गया, मेरे अपनो को मैं करके दुश्वार गया..!!!
तुमने देखा ही नहीं कभी मुड़कर, तुम्हारे पीछे पीछे कई ख्वाब दम तोड़ते रहे..!!! कौन कहता के हमदर्द देती हैं, ये उम्मीदें तो हमेशा दर्द देती है..!!!
रानी बनने के लिए मर्यादा की जरूरत होती है, मैने खूबसूरत चेहरे, महफिल में नाचते देखे..!!! लगाव कैसा भी दो, अंत में दुख का कारण बनता है..!!!
Pyar Bhari Shayari For Lover in Hindi
ये जिंदगी तभी तक आसान है, जबतक सारा बोझ बाप उठा रहा है..!!! तस्वीरे ले लिया करो दोस्त, क्योंकि आईने गुजरे हुए लम्हे नही दिखाते..!!!
अपनी लाइफ को इतना प्राइवेट कर दूंगा, की लोग सोचेंगे जिंदा भी है या मर गया..!!! कहां कहां नही छुपाया हमने खुद को, एक तेरे इश्क में शर्मिंदा होने के बाद..!!!
हम भी डूबती कश्ती पर सवार हैं, आपसे इश्क बहुत है इसलिए अभी तक सवार है..!!! बीते हुए कुछ लम्हे है, जो हमेशा सताते है, कुछ अपने छोड़कर गए थे, जो अब रात दिन याद आते है..!!!
मैं आज भी इंतजार में हु, वो कहकर गया था के जल्दी लौट आएगा..!!! जान ही तो जानी है, अब और इससे बुरा क्या होगा..!!!
उसे पाने का भी सपना ही रहा, सब पराए हो गए दर्द अपना ही रहा..!!! जिंदगी अपनी ही ना संभाली गई हमसे, यूं तो ना जाने कितनो के काम आए हम..!!!
उम्र भर भटकना ही बेहतर है, किसी गलत जगह बंध जाने से..!!! सिर्फ तुझे खोने के बाद, कुछ भी पाने की इच्छा नहीं रही..!!!
सिर्फ तुझे खोने के बाद, कुछ भी पाने की इच्छा नहीं रही..!!!
इससे अच्छा तो हम सफर ही ना करते, किसी ने साथ दिया भी तो छोड़ के जाने के लिया..!!! वक़्त जब करवट लेता है ना, तो सिर्फ बाजियाँ ही नहीं, जिंदगियां भी बदल जाती हैं.!!!
भुला देंगे तुझे थोड़ा सब्र कर, तेरी तरह बनने में थोड़ा वक्त लगेगा हमको…!!! झूठ भी कितना अजीब है ना खुद बोलो तो अच्छा लगता है, दूसरे बोले तो गुस्सा आता है !
Romantic Pyar Bhari Shayari Hindi Mein
वक्त जब खिलाफ हो तो, बहुत कुछ सहना और सुनना पड़ता है…! अधूरी ख्वाहिशों का कारवां है, “जिंदगी “ मुकम्मल जहां तों “कहानियों” में होते हैं !
इतने बुरे तो सपने भी नहीं आते, जितनी बुरी ये जिंदगी चल रही है…! लोग दीवाने हैं बनावट के, हम कहां जाए अपनी सादगी लेकर.!
हम खुद को संभालना सीख गए हैं, अब दुनियां से रिश्ता कम और खुद से ज्यादा रखेंगे.! ढूंढ लेते तुम्हें हम, शहर में भीड़ इतनी भी न थी …… मगर रोक दी तलाश हमने क्योंकि तुम खोऐ नहीं,,,,,,, बदल गए थे।।
तुम जमाने की बात करते हो, मेरा तो मुझसे ही फासला है बहुत.! जिंदगी अपनी ही ना संभाली गई हमसे, यूं तो ना जाने कितनो के काम आए हम..!!!
आप कैसे भूलाए जा सकते हैं। आपने तो बहुत दिल दुखाया है..! तुम जमाने की बात करते हो, मेरा तो मुझसे ही फासला है बहुत.!
शुरुवात तुमने की है, माहोल हम बनायेंगे, और मारे वो भी जायेंगे, जो तुम्हे बचाने आयेंगे..!!! Read Also Read the full article
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#SantRampalJiMaharaj
परमेश्वर ने नास्त्रोदमस को संत रामपाल जी महाराज के अधेड़ उम्र वाले शरीर का साक्षात्कार करवा कर चलचित्र की भांति सारी घटनाओं को दिखाया और समझाया। श्री नास्त्रोदमस जी ने 16 वीं सदी को प्रथम शतक कहा है इस प्रकार पांचवां शतक 20 वीं सदी हुआ।
नास्त्रोदमस कहता है कि निःसंदेह विश्व में श्रेष्ठ तत्वज्ञाता (ग्रेट शायरन) के विषय में मेरी भविष्यवाणी के शब्दा शब्द को किसी नेताओं पर जोड़ कर तर्क-वितर्क करके देखेगें तो कोई भी खरा नहीं उतरेगा। मैं (नास्त्रोदमस) छाती ठोक कर शब्दा शब्द कह रहा हूँ मेरा शायरन का कर्तृत्व और उसका गूढ़-गहरा ज्ञान (तत्वज्ञान) ही सर्व की खाल उतारेगा, बस 2006 साल आने दो। इस विधान का एक-एक शब्द खरा-खरा समर्थन शायरन ही देगा।
नास्त्रोदमस ने अपनी भविष्यवाणी में कहा है कि 21 वीं सदी के प्रारम्भ में दुनिया के क्षितिज पर ‘शायरन‘ का उदय होगा। जो भी बदलाव होगा वह मेरी (नास्त्रोदमस की) इच्छा से नहीं बल्कि शायरन की आज्ञा से नियती की इच्छा से सारा बदलाव होगा ही होगा। उस में से नया बदलाव मतलब हिन्दुस्तान सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र होगा। कई सदियों से ना देखा ऐसा हिन्दुओं का सुख साम्राज्य दृष्टिगोचर होगा। उस देश में पैदा हुआ धार्मिक संत ही तत्वदृष्टा तथा जग का तारणहार, जगज्जेता होगा। एशिया खण्डों में रामायण, महाभारत आदि का ज्ञान
जो हिन्दुओं में प्रचलित है उससे भी भिन्न आगे का ज्ञान उस तत्वदर्शी संत का
होगा। वह सतपुरुष का अनुयाई होगा। वह एक अद्वितीय संत होगा।
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