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#सतभक्ति_से_ऐसे_सुख_मिलते_हैं
आज से 600 वर्ष पहले कबीर परमात्मा संत की भूमिका में पृथ्वी पर आए और काल जाल में कष्ट भोग रहे प्राणियों को सतभक्ति विधि बताकर अनेकों लाभ दिए। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी संत की भूमिका में आए और ऐसा अद्वितीय ज्ञान दिया कि देखते ही देखते 64 लाख लोग परमात्मा के शिष्य बन गए।
अब फिर कबीर परमात्मा जी संत रामपाल जी महाराज जी के रूप में आए हुए हैं और लाखों दीन दुःखियों को वही भक्ति विधि बताकर दुःखों से छुटकारा दिला रहे हैं।
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#SupremeGodKabir
गुरु ग्रन्थ साहिब, राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1, पृष्ठ 24, शब्द 29
फाही सुरत मलूकी वेस, उह ठगवाड़ा ठगी देस।।
खरा सिआणां बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार।।3।।
मैं कीता न जाता हरामखोर, उह किआ मुह देसा दुष्ट चोर।
नानक नीच कह बिचार, धाणक रूप रहा करतार।।4।।
श्री नानक जी ने कहा कि परमात्मा मनमोहिनी सूरत में तथा जिस देश में जाता है वैसा ही वेश बना लेता है, जैसे जिंदा महात्मा रूप में बेई नदी पर मिले, सतलोक में पूर्ण परमात्मा वाले वेश में तथा उतर प्रदेश में धाणक(जुलाहे) रूप में स्वयं करतार (पूर्ण प्रभु) विराजमान है। यही धाणक(जुलाहे) रूप में सतपुरुष अर्थात् अकाल मूर्त ही है। वह परमात्मा कबीर है।
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#कलयुगमें_सतयुग_कीशुरुआत_भाग1
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है धरती होगी स्वर्ग समान (हर गरीब को मिलेगा रोटी कपड़ा, शिक्षा और मकान)।
अब न होगा गरीब कभी परेशान। संत रामपाल जी महाराज के पास है हर समस्या का समाधान। संत रामपाल जी महाराज जी की अन्नपूर्णा मुहिम है गज़ब की जिसने गरीब परिवारों के जीवन में भर दी खुशियां।
देखिए Factful Debates यूट्यूब चैनल पर विशेष वीडियो "कलयुग में सतयुग की शुरुआत"
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#कलयुगमें_सतयुग_कीशुरुआत_भाग1
संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा चलाई जा रही अन्नपूर्णा मुहिम की चर्चा आज घर घर हो रही है। असहाय परिवा�� कर रहे उनकी जय जयकार। क्योंकि संत रामपाल जी महाराज कर रहे हैं गरीबों पर अनेकों उपकार। संत रामपाल जी महाराज द्वारा की गई सहायता से मुस्कुराने लगे हैं उजड़े परिवार। निःशुल्क दे रहे हैं रोटी कपड़ा, शिक्षा और मकान। कर रही जनता उनके गुणगान। है सतगुरु ऐसा मेहरबान। संत रामपाल जी की अन्नपूर्णा मुहिम से अब कोई नहीं रहेगा भूखा, बेघर या दुखी! कबीर भगवान का आशीर्वाद बन रहा है हर जरूरतमंद का सहारा!
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#मत_ब्याहो_बेटी_दहेज_लालची_के
दहेज न देने पर जहां समाज में बेटी को प्रताड़ित किया जाता है और दहेज के कारण ही मासूम लड़कियों को गर्भ में ही मार दिया जाता है। लेकिन, अब बेटी बोझ नहीं। क्योंकि संत रामपाल जी महाराज दहेज मुक्त भारत बना रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज के शिष्य बिना दहेज के 17 मिनट में रमैनी (शादी) करके, खुशहाल जीवन जी रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज की दी गई शिक्षा से हो रहा है दहेज का खात्मा।
संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान करेगा दहेज मुक्त भारत का निर्माण।


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#शिवजी_की_समर्थता
शिव जी किसका ध्यान लगाते हैं?
जानने के लिए देखिए Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
Gyan Ganga On Shivratri

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#शिवजी_की_सत_साधना_करो
सूक्ष्मवेद में बताया गया है:
गरीब, तीर्थ बाट चलै जो प्राणी।
सोतो जन्म-जन्म उरझानी।।
संत रामपाल जी महाराज जी बताते हैं कि गुड्डा गुड्डी का खेल बंद करो, शिव की सत साधना करो। क्योंकि कांवड़ यात्रा, जिसका न गीता में वर्णन है और न वेद में; इसलिए यह एक शास्त्र विरुद्ध साधना है और गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार शास्त्र विरुद्ध साधना से कोई लाभ नहीं होता। जबकि गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में पूर्ण परमात्मा की भक्ति के संकेतिक मन्त्र ॐ-तत्-सत् का जिक्र है जिसे गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में वर्णित तत्वदर्शी संत से प्राप्त करके जप करना होता है।
#GuddaGuddi_KaKhel_BandKaro #haridwar #sanatan #kanwaryatra2025 #sawan #kawadyatra #kanwaryatra #ganga

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#शिवजी_की_सत_साधना_करो
यह हम सभी जानते हैं कि सावन के महीने में सबसे ज्यादा जीव उत्पन्न होते हैं जो कांवड़ यात्रा में आने जाने में पैरों तले कुचले जाने में मर जाते हैं। जिससे जीव हत्या का भयंकर पाप लगता है।
संत रामपाल जी महाराज जी बताते हैं कि
इस विषय में अमरग्रंथ साहिब (सूक्ष्मवेद) में परमात्मा ने बताया है:
हरी भांति पृथ्वी के रंगा, अंनत कोटि जीव उड़ै पतंगा।
पृथ्वी ऊपर पग जो धारै, कोटि जीव एक दिन में मारै।
संत रामपाल जी महाराज जी बताते हैं कि गुड्डा गुड्डी का खेल बंद करो, शिव की सत साधना करो। क्योंकि कांवड़ यात्रा, जिसका न गीता में वर्णन है और न वेद में; इसलिए यह एक शास्त्र विरुद्ध साधना है और गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार शास्त्र विरुद्ध साधना से कोई लाभ नहीं होता। जबकि गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में पूर्ण परमात्मा की भक्ति के संकेतिक मन्त्र ॐ-तत्-सत् का जिक्र है जिसे गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में वर्णित तत्वदर्शी संत से प्राप्त करके जप करना होता है।
#GuddaGuddi_KaKhel_BandKaro #haridwar #sanatan #kanwaryatra2025 #sawan #kawadyatra #kanwaryatra #ganga




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#kabirissupremegod
पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 में कहा है कि (कविर मनिषी) जिस परमेश्वर की सर्व प्राणियों को चाह है, वह कविर अर्थात कबीर परमेश्वर पूर्ण विद्वान है। उसका शरीर बिना नाड़ी (अस्नाविरम) का है, (शुक्रम अकायम) वीर्य से बनी पांच तत्व से बनी भौतिक काया रहित है। वह सर्व का मालिक सर्वोपरि सत्यलोक में विराजमान है। उस परमेश्वर का तेजपुंज का (स्वर्ज्योति) स्वयं प्रकाशित शरीर है। जो शब्द रूप अर्थात अविनाशी है। वही कविर्देव (कबीर परमेश्वर) है जो सर्व ब्रह्मण्डों की रचना करने वाला (व्यदधाता) सर्व ब्रह्मण्डों का रचनहार (स्वयम्भूः) स्वयं प्रकट होने वाला (यथा तथ्यः अर्थान्) वास्तव में (शाश्वतिभः) अविनाशी है जिसके विषय में वेद वाणी द्वारा भी जाना जाता है कि परमात्मा साकार है तथा उसका नाम कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु है(गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में भी प्रमाण है।) भावार्थ है कि पूर्ण ब्रह्म का नाम कबीर (कविर देव) है तथा उस परमेश्वर का शरीर नूर तत्व से बना है।
इससे शिद्ध होता है कि परमात्मा साकार है।

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#गुड्डागुड्डी_काखेल_बंदकरो_ढंगकी_पूजाकरो
गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में कहा गया है कि उत्तम पुरुष तो कोई और ही है, जिसे परमात्मा कहा जाता है। वह तीनों लोकों में व्याप्त है और सबका धारण-पोषण करता है। यह अविनाशी परमेश्वर कबीर साहेब हैं।
इसका अर्थ है कि गीता में जिस उत्तम पुरुष या पुरुषोत्तम की बात की गई है, वह क्षर पुरुष (ब्रह्म) और अक्षर पुरुष (परब्रह्म) से परे है। यह पूर्ण परमात्मा है, जो तीनों लोकों में व्याप्त है और सभी का पालन-पोषण करता है। संत रामपाल जी महाराज इसे कबीर साहेब बताते हैं, जो अविनाशी और सर्वव्यापी है।
#sawan #kawadyatra #kanwaryatra #ganga #gangaarti #lordshiva #ujjain

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#गुड्डागुड्डी_काखेल_बंदकरो_ढंगकी_पूजाकरो
सावन के महीने में सबसे ज्यादा जीव उत्पन्न होते हैं जिससे कांवड़ यात्रा में आने जाने में पैरों तले सबसे ज्यादा जीव मरते हैं। जिस वजह से पुण्य के स्थान पर अत्यधिक पाप होते हैं।
गुड्डा गुड्डी का खेल बंद करो, ढंग की पूजा करो।
संत रामपाल जी महाराज जी बताते हैं कि
सूक्ष्मवेद में बताया गया है:
गरीब, तीर्थ बाट चलै जो प्राणी।
सोतो जन्म-जन्म उरझानी।।
क्योंकि कांवड़ यात्रा, जिसका न गीता में वर्णन है और न वेद में; इसलिए यह एक शास्त्र विरुद्ध साधना है और गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार शास्त्र विरुद्ध साधना से कोई लाभ नहीं होता। जबकि गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में पूर्ण परमात्मा की भक्ति के संकेतिक मन्त्र ॐ-तत्-सत् का जिक्र है जिसे गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में वर्णित तत्वदर्शी संत से प्राप्त करके जप करना होता है।
#sawan #kawadyatra #kanwaryatra #ganga #gangaarti #lordshiva #ujjain

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#गुड्डा_गुड्डी_का_खेल_बंद_करो ढंग की पूजा करो
कबीर, तीर्थ कर कर जग मुवा, ऊड़ै पानी न्हाय।
रामहि राम ना जपा, काल घसीटें जाय।।
गुड्डा गुड्डी का खेल बंद करो, ढंग की पूजा करो।
यह हम सभी जानते हैं कि सावन के महीने में सबसे ज्यादा जीव उत्पन्न होते हैं जो कांवड़ यात्रा में आने जाने में पैरों तले कुचले जाने में मर जाते हैं। जिससे जीव हत्या का भयंकर पाप लगता है।
कांवड़ यात्रा, जिसका न गीता में वर्णन है और न वेद में; इसलिए यह एक शास्त्र विरुद्ध साधना है और गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार शास्त्र विरुद्ध साधना से कोई लाभ नहीं होता। बल्कि इससे पाप ही होता है।
संत रामपाल जी महाराज जी बताते हैं कि अमरग्रंथ साहिब (सूक्ष्मवेद) में बताया गया है:
गरीब, तीर्थ बाट चलै जो प्राणी।
सोतो जन्म-जन्म उरझानी।।




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#पूर्णगुरु_संतरामपालजीमहाराज
आज कलियुग में भक्त समाज के सामने पूर्ण गुरु की पहचान करना सबसे जटिल प्रश्न बना हुआ है। लेकिन इसका बहुत ही लघु और साधारण–सा उत्तर है कि जो गुरु शास्त्रो के अनुसार भक्ति करता है और अपने अनुयाईयों अर्थात शिष्यों द्वारा करवाता है वही पूर्ण संत है।
जब तक गुरु मिले ना सांचा। तब तक करो गुरु दस पांचा।।
जब तक सच्चे गुरु (सतगुरू) की प्राप्ति नहीं होती है तब तक गुरु बदलते रहना चाहिए।
श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 15 श्लोक 1 - 4, 16, 17 में कहा गया है जो संत इस संसार रूपी उल्टे लटके हुए वृक्ष के सभी विभाग बता देगा वह पूर्ण गुरु/सच्चा सद्गुरु है।
यह तत्वज्ञान केवल संत रामपाल जी महाराज ही बता रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र सच्चे सतगुरु हैं जो शास्त्रों के बताए अनुसार तीन समय की भक्ति एवं तीन प्रकार के मंत्र जाप अपने साधकों को देते हैं जिससे उन्हें सर्व सुख मिलता है तथा उनका मोक्ष का मार्ग भी आसान हो जाता है।
#GloryOf_TrueGuru
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#GuruPurnima


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#मांसपराया_खाकर_गला_न_कटाओकोई
एक तरफ तो आप भक्ति करते हो, और दूसरी तरफ आप बेजुबान निर्दोष जानवरों की हत्या कर उनका मांस खाते हो। सभी जीव परमात्मा की प्यारी आत्मा है, तो फिर मांस खाने से परमात्मा प्राप्ति कैसे होगी?
गरीब, जीव हिंसा जो करते हैं, या आगे क्या पाप। कंटक जुनी जिहान में, सिंह भेड़िया और सांप।।
जो जीव हिंसा करते हैं उससे बड़ा पाप नहीं है। जीव हत्या करने वाले वे करोड़ो जन्म शेर, भेड़िया और साँप के पाते हैं।
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#मांसपराया_खाकर_गला_न_कटाओकोई
एक तरफ तो आप भक्ति करते हो, और दूसरी तरफ आप बेजुबान निर्दोष जानवरों की हत्या कर उनका मांस खाते हो। सभी जीव परमात्मा की प्यारी आत्मा है, तो फिर मांस खाने से परमात्मा प्राप्ति कैसे होगी?
अगर मांस खाने से परमात्मा प्राप्ति होती, तो सबसे पहले मांसाहारी जानवरों को होती, जो केवल मांस ही खाते हैं।
कबीर, तिलभर मछली खायके, कोटि गऊ दे दान। काशी करौंत ले मरे, तो भी नरक निदान।।
तिल के समान भी मछली खाने वाले चाहे करोड़ो गाय दान कर लें, चाहे काशी कारोंत में सिर कटा ले वे नरक में अवश्य जाएंगे।
मांस खाकर आप परमात्मा के बनाए विधान को तोड़कर परमात्मा के दोषी बन रहे हो। करने वाले को नर्क में डाला जाता है।
परमात्मा ने हम मनुष्यों के खाने के लिए फलदार वृक्ष तथा बीजदार पौधे दिए हैं, मांस खाने का आदेश नहीं दिया।
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#सबसे_बड़ा_अल्लाह
जिस अल्लाह का ज़िक्र कुरआन-ए-पाक में आता है। वह कोई और नहीं बल्कि आज से करीब 600 वर्ष पूर्व काशी में जुलाहे की भूमिका करने वाले कबीर साहिब हैं। उनके विषय में संत गरीबदास जी ने कहा है:
यौह कबीर अल्लाह है, उतरे काशी धाम।
गरीबदास शाह यौं कहै, झगड़ मरे बेकाम।।
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#सबसे_बड़ा_अल्लाह
जिस अल्लाह कबीर का ज़िक्र कुरआन-ए-पाक में आता है। वह कोई और नहीं बल्कि आज से करीब 600 वर्ष पूर्व काशी में जुलाहे की भूमिका करने वाले कबीर साहिब हैं। उनके विषय में संत गरीबदास जी ने कहा है:
यौह कबीर अल्लाह है, उतरे काशी धाम।
गरीबदास शाह यौं कहै, झगड़ मरे बेकाम।।
अल्लाह कबीर जी ने इस कायनात को 6 दिन में बनाकर 7वें दिन तख़्त पर विराजमान होकर विश्राम किया - प्रमाण कुरआन शरीफ़, सूरत फुर्कानी 25 आयत 52-59 तथा बाइबल, उत्पत्ति 1:26 - 2:3 में है।
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