#सामाजिक अन्याय
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helputrust · 2 months ago
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लखनऊ, 25.10.2024 l माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त  तत्वावधान में लखनऊ बार एसोसिएशन, केसर बाग, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें 101 महिला अधिवक्ताओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना | 
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा जिला अधिकारी, लखनऊ, श्री सूर्य पाल गंगवार, लखनऊ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, एडवोकेट श्री रमेश प्रसाद तिवारी, लखनऊ बार एसोसिएशन के महामंत्री, एडवोकेट श्री ब्रजभान सिंह 'भानू', हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी, श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, लखनऊ जिला प्रशासन के अधिकारीगणों तथा लखनऊ बार एसोसिएशन के वरिष्ठ एवं कनिष्ठ कार्यकारिणी के सदस्यों ने दीप प्रज्वलित किया |
लखनऊ बार एसोसिएशन के महामंत्री, एडवोकेट श्री ब्रजभान सिंह 'भानू' ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के उत्कृष्ट सामाजिक कार्यों की सराहना करते हुए  कहा कि, "हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने आत्मनिर्भर भारत और महिला सशक्तिकरण को लेकर जो ठोस पहल की है, वह वास्तव में सराहनीय है ।महिला सशक्तिकरण की बात करना मात्र एक नारा नहीं है, बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम महिलाओं को वह शक्ति, साहस और स्वाभिमान दें, जिससे वे अपने जीवन में हर चुनौती का सामना कर सकें । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट इस दिशा में अनुकरणीय कार्य कर रहा है, विशेषकर आत्मरक्षा के क्षेत्र में, जो वर्तमान समय की मांग है । जब एक महिला आत्मनिर्भर होती है, तो न केवल वह स्वयं को सुरक्षित महसूस करती है, बल्कि समाज की प्रगति में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है ।महिलाओं के लिए आत्मरक्षा कार्यशाला का आयोजन, और उसमें शामिल 101 महिला अधिवक्ताओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाना—यह न केवल उन्��ें सशक्त बनाता है, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है । यह कार्यशाला उन सभी महिलाओं के लिए एक सशक्त मंच है, जो अपनी सुरक्षा को लेकर आशंकित होती हैं । आज की दुनिया में आत्मरक्षा का ज्ञान और आत्मसम्मान का भाव हर महिला के लिए अनिवार्य है, और इस दिशा में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का प्रयास वास्तव में प्रशंसनीय है । इस अवसर पर मैं सभी महिला अधिवक्ताओं को भी बधाई देना चाहता हूँ, जिन्होंने इस कार्यशाला में पूरे समर्पण और उत्साह के साथ भाग लिया । आप सभी के लिए आज का यह प्रशिक्षण न केवल आपके लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक मिसाल बनकर काम करेगा ।मैं विशेष रूप से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, जो अपने समर्पित और असाधारण कार्यों से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में निरंतर प्रयासरत है । लखनऊ बार एसोसिएशन और हम सभी का सहयोग और समर्थन सदैव हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के साथ रहेगा | 
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने महिला अधिवक्ताओं  को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं l महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के  कुचक्र से छूट नहीं पाया है l आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है l महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है l आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुदकरना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी l आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं l फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह��विचारणीय हैं l हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा l आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके l"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर एवं यास्मीन बानो ने महिला अधिवक्ताओं  को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत  कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया l
कार्यशाला के अंत में सभी प्रशिक्षण प्राप्त महिला अधिवक्ताओं को लखनऊ बार  एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट श्री रमेश प्रसाद तिवारी, महामंत्री एडवोकेट श्री ब्रजभान सिंह भानू, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल द्वारा प्रशिक्षण प्रमाण पत्र एवं उपहार प्रदान किया गया |
कार्यशाला में जिलाधिकारी, लखनऊ, श्री सूर्य पाल गंगवार, लखनऊ जिला प्रशासन के अधिकारीगण, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, लखनऊ बार एसोसिएशन, लखनऊ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, एडवोकेट श्री भूपेन्द्र मणि सिंह, उपाध्यक्ष (मध्य), एडवोकेट श्री सौरभ शुक्ला, एडवोकेट श्री सुरेन्द्र सिंह यादव, उपाध्यक्ष (कनिष्ठ), एडवोकेट श्री अजय कुमार यादव, संयुक्तमंत्री, एडवोकेट श्री नरेन्द्र कुमार शुक्ला, एडवोकेट श्री आशीष राय, एडवोकेट श्री जितेन्द्र सिंह यादव 'जीतू', कोषाध्यक्ष, एडवोकेट श्री अभिनेश कुमार यादव, वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य  एडवोकेट श्री शशेन्द्र प्रताप सिंह, एडवोकेट श्री खड़ग बहादुर सिंह, एडवोकेट श्री प्रशान्त कुमार मिश्र, एडवोकेट श्री अखिलेश कुमार दीक्षित, एडवोकेट श्री विनोद कुमार शुक्ला, एडवोकेट अंजली कटियार एवं कनिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य, एडवोकेट श्री अभिषेक सिंह यादव, एडवोकेट आरती देवी, एडवोकेट जूली कुमारी 'जूली रावत', एडवोकेट मैना रावत, एडवोकेट श्री विश्वास कुमार, एडवोकेट श्री कुलदीप वर्मा, पूर्व उपाध्यक्ष, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर, यास्मीन बानो, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य एडवोकेट श्री कुलदीप पांडे, एडवोकेट श्री पंकज अवस्थी तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही  l
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lavkusdasrajpt · 1 year ago
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#SpiritualMessageOnDussehra
दशहरा मनाने से समाज को क्या सीख मिलती है?
दशहरा के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण जैसे राक्षसों के पुतले जलाने से अच्छा भ्रष्टाचार, दहेज, छुआछूत, धार्मिक बंटवारा, क्रोध, वासना, अभिमान, लालच, ईर्ष्या, अन्याय, क्रूरता और अहंकार जैसे व्यक्तिगत दोषों और सामाजिक बुराइयों को हमेशा के लिए जला देना चाहिए।
Sant Rampal Ji Maharaj
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kaminimohan · 2 years ago
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1383.
अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति से विचलित थे भारतेंदु हरिश्चंद्र
- ��ामिनी मोहन पाण्डेय। 
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मुंशी प्रेमचंद ने लिखा है कि जिन्��ोंने राष्ट्र का ��िर्माण किया है उनकी कृति अमर हो गई है। त्याग तपस्या और बलिदान 1857 की क्रांति के रणबांकुरों ने ही नहीं किया बल्कि उससे प्रभावित होकर कई लेखकों, साहित्यकारों, पत्रकारों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उसी त्याग की भावना व संघर्ष की प्रेरणा को जगाने में भारतेंदु हरिश्चंद्र ने महती भूमिका निभाई। 
भारतेंदु ने भारत की स्वाधीनता, राष्ट्र उन्नति और सर्वोदय भावना का विकास किया। आज के संदर्भ में बात करें तो भारतेंदु ने हीं देश के सभी पत्रकारों, संपादकों व लेखकों को देश की दुर्दशा यानी देश की दशा और दिशा को समझने का मंत्र दिया। अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति की हुंकार की गूंज के बाद इस संबंध पर बेतहाशा लेखन और पठन-पाठन हुआ। उस समय क्रांति के असफल होने के बाद जब  निराशा का बीज व्याप्त हो गया था, तब समाज की दुर्दशा देखकर भारतेंदु का हृदय काफी व्यथित हुआ। देश की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक गिरावट देखकर वह तिलमिला उठे थे। देश की दशा पर उनकी अभिव्यक्ति थी- "हां हां भारत दुर्दशा न देखी जाई।" उनके इस प्रलाप पर भारत आरत, भारत सौभाग्य, वर्तमान-दशा, देश-दशा, भारत दुर्दिन जैसे नवजागरण की पोषक रचनाएँ प्रकाशित हुई। 
इनमें देश के प्राचीन गौरव के स्मरण, समाज में व्याप्त आलस्य तथा देश की दीनता का वर्णन होता था। क्रांति के समय एवं उसके बाद स्वदेशाभिमानी पत्रकारों ने अपनी विवेचना शक्ति के बल पर जनमानस को सशक्त अभिव्यक्ति दी। उस समय हिंदी अपने विकास के नए आयाम गढ़ रही थी। सारे प्रतिरोधों के बीच पत्रकारिता की पैनी नज़र खुल चुकी थी। ऐसे में स्वाभिमान के संचार व स्वदेश प्रेम के उदय तथा आंग्ल शासन के प्रबल प्रतिरोध पत्रों में प्रकाशित तत्वों में दिखता था। पत्र और पत्रकार ख़ुद स्वतंत्रता आंदोलन के सक्षम सेनानी बन गए थे। अन्याय, अज्ञान, प्रपीड़न व प्रव॔चना के संहारक समाचार पत्रों ने ही हिंदी पत्रकारिता की आधारशिला रखी थी।
राष्ट्र उत्थान की दृष्टि से इतिहास एवं पत्रकारिता दोनों संश्लिष्ट हैं। राष्ट्रीय अस्मिता को समर्पित भारतेंदु की रचनाओं का मूलाधार गौरव की वृद्धि रहा है। नौ सितंबर 1850 को काशी में जन्मे भारतेंदु को हिंदी पत्रकारिता का आधार स्तं�� कहा जाता है। भारतेंदु द्वारा पत्रकारिता में देश प्रेम के लिए जलाई गई अलख काशी में अब भी दिखती है। इसका कारण यह है कि यहाँ जो पैदा हुआ वह भी गुरु जो मर गया वह भी गुरु होता है। यहाँ किसी बात के लिए कोई हाय-हाय नहीं है। 
काशी की हिंदी पत्रकारिता की नींव 1845 में बनारस अखबार के रूप में पड़ी। इसके बारह साल बाद देश का पहला स्वतंत्रता संग्राम आम लोगों को गहरे तक प्रभावित कर गया था। क्रांति का बिगुल काशी में भी सुनाई दिया। क्रांति के दौर में देश की आज़ादी के लिए यहाँ कई अख़बार प्रकाशित होते रहे। स्वाभिमान के साथ उठ खड़े होने को आमजन और क्रांतिकारियों को जो उसे से भरते रहे।
प्रमुख प्रकाशनों में कवि वचन सुधा (1867) हरिश्चंद्र मैगजीन (1875), हरिश्चंद्र चंद्रिका (1879) में भारतेंदु का मूल मंत्र सामाजिक और राष्ट्रीय उन्नति जगाना तथा सभी जातियों के अंदर स्वाभिमान का भाव भरना था। वे मानते थे कि "जिस देश में और जिस समाज में उसी समाज और उसी देश की भाषा में समाचार पत्रों का जब तक प्रचार नहीं होता, तब तक उसे देश और समाज की उन्नति नहीं हो सकती। समाचार पत्र राजा और प्रजा के वकील है। समाचार पत्र दोनों की ख़बर दोनों को पहुँचा सकता है जहाँ सभ्यता है, वहीं स्वाधीन समाचार पत्र है"।
देश में लकड़ी बीनने वाले से लेकर लकड़ी का तमाशा दिखाने वाले तक सभी ने क्रांति के जयकारे में लकड़ी बजाते हुए आहुति दी थी। यह वह दौर था, जिस पर क्रांति ने अपना असर गहरे तक छोड़ा था। इसी का परिणाम रहा कि देश के हर नौजवान ने अपनी छाती अंग्रेजों की गोलियाँ खाने के लिए चौड़ी कर ली थी। अल्पायु में ही भारतेंदु अपने युग का प्रतिनिधित्व करने लगे थे  रचनात्मक लेखन, पत्रकारिता के माध्यम से भारतेंदु ने देश की राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक विसंगतियों पर अपने आक्रामक तेवर के साथ संवेदन पूर्ण विचारों से सार्थक हस्तक्षेप किया था। साहित्य को उन्होंने जनसामान्य के बीच लाकर खड़ा कर दिया था।
घोर उथल-पुथल के बावजूद उनके काल में साहित्यिक विचारों के कारण आत्ममंथन शुरू हो गया था। वे ब्रिटिश राज की कार्यप्रणाली पर जमकर बरसते थे। हर समस्या के प्रति भारतेंदु का दृष्टिकोण दूरगामी होता था। वे वैचारिक क्रांति लाने के लिए हर घड़ी प्रतिबद्ध दिखते थे। भारतेंदु चाहते थे कि भारतवासी स्वयं आत्मोत्थान और देशोत्थान में सक्रिय हो। यह बात आज भी प्रासंगिक है कि आर्थिक उत्थान से ही देश का भला हो सकता है। 
आर्थिक लूट पर वे लिखते हैं- 
भीतर-भीतर सब रस चूसै, बाहर से तन-मन-धन मूसै। 
जाहिर बातन में अति तेज, क्यों सखि सज्जन नहिं अंग्रेज अंग्रेजों।। 
अंग्रेजों को अपना भाग्य विधाता मानने वालों को भारतेंदु ने झकझोरा था। कविवचन सुधा में वे लिखते हैं- "देशवासियों तुम इस निद्रा से चौको, इन अंग्रेजों के न्याय के भरोसे मत फूले रहो।... अंग्रेजों ने हम लोगों को विद्यामृत पिलाया और उससे हमारे देश बांधवों को बहुत लाभ हुए, इसे हम लोग अमान्य नहीं करते, परंतु उन्हीं के कहने के अनुसार हिंदुस्तान की वृद्धि का समय आने वाला हो, सो तो, एक तरफ रहा, पर प्रतिदिन मूर्खता दुर्भिक्षता और दैन्य प्राप्त होता जाता है।... अख़बार इतना भूंकते हैं, कोई नहीं सुनता। अंधेर नगरी है। व्यर्थ न्याय और आज़ादी देने का दावा है।"
गांधीजी की कई नीतियों व योजनाओं के बीज भारतेंदु साहित्य में पहले ही आ चुके थे। भारतीय धर्मनिरपेक्षता, जाति निरपेक्षता, जो भारतीय संविधान के मूलाधार है, उन पर भारतेंदु के चिंतन में तात्कालिकता ही नहीं, भविष्योन्मुखता भी थी। वे हिंदू व मुसलमानों के प्रति भाईचारे का भाव रखने को प्रेरित करते थे। कहना ही पड़ता है कि देश के विकास उसकी उन्नति के लिए भारतेंदु स��वदेशी और राष्ट्रीयता के संदर्भ में दूरगामी अंतर्दृष्टि रखते थे। 
समय बदल गया, हम आज़ाद हैं। भारत वही है। संविधान वही है। भारत में रहने वाले जीव-जंतु, पशु-पक्षी और मनुष्य भी वही है। विभिन्न धर्मों, मज़हबों,पंथों को मानने वाले मुसलमानों के सभी फ़िरक़ों, बौद्ध, सिख, जैन, ईसाईयों तथा सनातन धर्म की गहराई में उतरने वाले हिन्दू क्रांति के बीज को आज भी वृक्ष बनते देखते हैं। उन विचारों की जो भारतेंदु के समय लोगों तक पत्रकारिता के माध्यम से पहुंचे थे, वे विचार आज भी प्रासंगिक हैं। देश के लोगों को इसकी परम आवश्यकता है। 
- © Image art by Chandramalika 
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kuldeep83shewale · 3 days ago
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संत रामपाल के बेटे ने बदली दान की परंपरा, जाट महासभा को दिया ऐतिहासिक यो...
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*संत रामपाल जी महाराज जी का समाज सुधार में योगदान* (इसके संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदु नीचे दिए गए हैं, कृपया इन बिंदुओं के अनुसार टिप्पणियां अवश्य करें।)
• नशा मुक्त भारत बनाना :- संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग सुनने मात्र से ही आत्मा निर्मल हो जाती है और उनसे नामदिक्षा लेने से मन के सभी विकार दूर हो जाते हैं। इसीलिए उनसे जुड़ने के उपरांत आज लाखों लोगों ने नशा छोड़ा है और सुखमय जीवन व्यतीत कर रहें हैं।
• समाज से दहेज जैसी कुप्रथा को जड़ से खत्म करना:- संत रामपाल जी के अनुयाई मात्र 17 मिनट में दहेज मुक्त विवाह (रमैनी) करते हैं जिसमें दोनों पक्षों की तरफ से किसी भी चीज का लेन देन नहीं किया जाता । इसी मुहिम के तहत आज हजारों शादियां हो चुकी हैं जिससे लड़कियों को न तो समाज में बोझ समझा जाता है और कन्या भ्रूण हत्या भी खत्म होती जा रही है।
• युवाओं में नैतिक और आध्यात्मिक जागृति लाना :- युवा पीढ़ी जो आज गलत दिशा में जाती जा रही है और अपने मूल उद्देश्य से वंचित रह जाती हैं तो वहीं दूसरी ओर संत रामपाल जी से जुड़े युवा अध्यात्म से जुड़कर सभी विकारों से दूर अपने उद्देश्य को सफल बना रहें हैं।
• भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करना :- संत रामपाल जी महाराज का कोई भी शिष्य रिश्वतखोरी और चोरी नहीं करते जिससे कि समाज में भ्रष्टाचार खत्म हो रहा है।
• समय समय पर रक्तदान और देहदान जैसे कार्यक्रम आयोजित करना :- संत रामपाल जी के अनुयाई रक्तदान और देहदान कर मानव समाज की मदद कर रहे हैं।
• सतभक्ति प्रदान करके विश्व को मोक्ष प्रदान करना: ऐसे समाज सुधार के कार्य करने वाले महान तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज वर्तमान में लगभग 11 सतलोक आश्रमों में 3 दिवसीय विशाल भंडारा साल में 6 बार करवाते है।
• भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान: भ्रूण हत्या, विशेषकर कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रम चलाना।
• अंतरधार्मिक सद्भावना: विभिन्न धर्मों के बीच सद्भावना और एकता को बढ़ावा देना। संत जी ने सभी धर्मग्रंथों के आधार पर एक परमात्मा की ओर ध्यान केंद्रित कर धार्मिक एकता का संदेश दिया।
• प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्य
COVID-19 महा��ारी के दौरान सहायता: कोविड-19 महामारी के दौरान लॉकडाउन के चलते हरियाणा राज्य के कई शहरों में मजदूर फंस गए थे। स्थानीय प्रशासन स्थिति को संभालने में असमर्थ हो गया था। तब संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों ने उन मजदूरों के रहने, भोजन, पानी और अन्य ज़रूरतों का इंतज़ाम संत जी के आश्रम में ही किया। प्रशासन को भी राहत मिली और मजदूरों को उनके घरों तक पहुँचाया गया। रास्ते के लिए भोजन और पानी की बोतलें भी संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों ने निःशुल्क उपलब्ध करवाईं।
• बाढ़ पीड़ितों को सहायता: 2023 में हरियाणा के 12 जिलों में भयंकर बाढ़ आई थी, जहाँ संत रामपाल जी के शिष्यों ने बाढ़ पीड़ितों को भोजन और अन्य आवश्यक सामग्री ट्रैक्टरों में ले जाकर प्रदान की। संत जी के शिष्य जहां कहीं भी समाज सेवा का मौका देखते हैं, तुरंत आगे आकर सेवा कार्य में लग जाते हैं।
• रेल हादसे में सहायता: 2 जून 2023 को ओडिशा में भीषण रेल हादसा हुआ, जिसमें करीब 300 लोगों की मौत हो गई और करीब 1000 लोग घायल हो गए। इस दुख की घड़ी में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी मसीहा बनकर आगे आए। 16 जून को ओडिशा के संबलपुर में संत रामपाल जी के अनुयायियों ने 278 यूनिट रक्तदान किया और घायलों की मदद की।
• पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़े पैमाने पर पौधारोपण अभियान चलाना जैसे कि पंजाब और मध्यप्रदेश में लाखों पौधे रोपना। इन अभियानों का उद्देश्य पर्यावरण को हरा-भरा रखना और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना है।
• स्वच्छता अभियान: संत रामपाल जी के अनुयायियों द्वारा नियमित रूप से स्वच्छता अभियानों का आयोजन किया जाता है। इन अभियानों का उद्देश्य समाज को स्वच्छ और स्वास्थ्यप्रद वातावरण प्रदान करना है।
• सामाजिक समानता और न्याय
– सामाजिक न्याय का प्रसार: संत रामपाल जी ने समाज में व्याप्त असमानताओं और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों को अपने अनुयायियों के बीच फैलाया।
• गरीबों और बेसहारा लोगों की सहायता:
संत रामपाल जी के अनुयायी नियमित रूप से गरीबों और बेसहारा लोगों की सहायता करते हैं। वे भोजन, वस्त्र, और शिक्षा जैसी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए काम करते हैं।
• वृद्धों और अनाथों की देखभाल: संत रामपाल जी के अनुयायियों द्वारा वृद्धों और अनाथ बच्चों की देखभाल के लिए विशेष प्रयास किए जाते हैं, जिससे वे भी समाज में सम्मान और सुरक्षा के साथ जीवन व्यतीत कर सकें।
• आध्यात्मिकता के प्रति जागरूक करना: संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संगों में शास्त्रों से प्रमाणित ज्ञान और पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की वाणियों से शिक्षा ��ेते हैं, जो व्यक्ति के भीतर बदलाव ला देती है और बुराइयों के प्रति घृणा उत्पन्न करती है।
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drrupal-helputrust · 27 days ago
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आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला : शशि भूषण बालिका महाविद्यालय, लाल कुआं, लखनऊ
लखनऊ, 03.02.2024 | माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु ग�� कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में शशि भूषण बालिका महाविद्यालय, लाल कुआं, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला" आयोजित की गई जिसमें 30 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना |
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा शशि भूषण बालिका महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो0 अंजुम इस्लाम एवं रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के श्री अजय पटेल ने दीप प्रज्वलन किया |
शशि भूषण बालिका महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो0 अंजुम इस्लाम ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का आभार प्रकट करते हुए कहा, "भारत में वर्तमान समय में नारी उत्पीड़न के प्रति घंटे के अनुरूप लगभग 49 मामले दर्ज होते है । इस तरह यह स्थिति भयावह है । हमारे देश की आधी आबादी, जो पूरी तरह से अब भी सामाजिक सम्मान, शक्ति, संपन्नता, सम्पत्ति की समान अधिकारिणी व आर्थिक रूप से स्वतंत्रता, राजनैतिक दृष्टि से सुदृढ़ता, भौगोलिक परिवेश को लेकर उदारता की भागीदार नहीं बन पाई है इसलिए नारी उत्पीड़न के समाधान हम सबको मिलकर घरेलू स्तर से प्रारंभ करते हुए, सामाजिक व राष्ट्रीय स्तर पर करते रहने होंगे । जहाँ बेटी के जन्म को बोझ समझते हुए लिंग परीक्षण को पूरी तरह रोकना होगा, घरेलू स्तर से ही बालक-बालिका में भेद पर अंकुश लगाना होगा, बालिकाओं हेतु रोजगान्मुखी शिक्षा को जरूरी बनाना होगा| साथ ही विद्यालय स्तर से ही समान प्रायोगिक, व्यवहारिक, खेलकूद, कसरत, योगाभ्यास आदि का समान प्रशिक्षण देना होगा | बालिकाओं को आत्मरक्षा कौशल भी सिखाना उतना ही जरूरी है जितना घरेलू कार्य क्योंकि इससे उनकी मानसिक सोच मजबूत होगी तथा वे समाज में फैले अत्याचार के खिलाफ मजबूत कदम उठा सकेंगी |"
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला में शशि भूषण बालिका महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो0 अंजुम इस्लाम, शिक्षिकाओं, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
#Selfdefenseforwomen #Womenempowerment #Selfdefensetraining #Selfdefence #FemaleEmpowerment #EmpowerWomen #EmpoweredWomen #EmpoweredWomenEmpowerWomen #EmpoweringWomen #WomenEmpoweringWomen #ServeHumanity #Selfdefencewarrior #FairFight
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helputrust-drrupal · 27 days ago
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आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला : शशि भूषण बालिका महाविद्यालय, लाल कुआं, लखनऊ
लखनऊ, 03.02.2024 | माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में शशि भूषण बालिका महाविद्यालय, लाल कुआं, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला" आयोजित की गई जिसमें 30 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना |
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा शशि भूषण बालिका महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो0 अंजुम इस्लाम एवं रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के श्री अजय पटेल ने दीप प्रज्वलन किया |
शशि भूषण बालिका महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो0 अंजुम इस्लाम ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का आभार प्रकट करते हुए कहा, "भारत में वर्तमान समय में नारी उत्पीड़न के प्रति घंटे के अनुरूप लगभग 49 मामले दर्ज होते है । इस तरह यह स्थिति भयावह है । हमारे देश की आधी आबादी, जो पूरी तरह से अब भी सामाजिक सम्मान, शक्ति, संपन्नता, सम्पत्ति की समान अधिकारिणी व आर्थिक रूप से स्वतंत्रता, राजनैतिक दृष्टि से सुदृढ़ता, भौगोलिक परिवेश को लेकर उदारता की भागीदार नहीं बन पाई है इसलिए नारी उत्पीड़न के समाधान हम सबको मिलकर घरेलू स्तर से प्रारंभ करते हुए, सामाजिक व राष्ट्रीय स्तर पर करते रहने होंगे । जहाँ बेटी के जन्म को बोझ समझते हुए लिंग परीक्षण को पूरी तरह रोकना होगा, घरेलू स्तर से ही बालक-बालिका में भेद पर अंकुश लगाना होगा, बालिकाओं हेतु रोजगान्मुखी शिक्षा को जरूरी बनाना होगा| साथ ही विद्यालय स्तर से ही समान प्रायोगिक, व्यवहारिक, खेलकूद, कसरत, योगाभ्यास आदि का समान प्रशिक्षण देना होगा | बालिकाओं को आत्मरक्षा कौशल भी सिखाना उतना ही जरूरी है जितना घरेलू कार्य क्योंकि इससे उनकी मानसिक सोच मजबूत होगी तथा वे समाज में फैले अत्याचार के खिलाफ मजबूत कदम उठा सकेंगी |"
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला में शशि भूषण बालिका महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो0 अंजुम इस्लाम, शिक्षिकाओं, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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helpukiranagarwal · 27 days ago
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लखनऊ, 03.02.2024 | माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में शशि भूषण बालिका महाविद्यालय, लाल कुआं, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला" आयोजित की गई जिसमें 30 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना |
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा शशि भूषण बालिका महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो0 अंजुम इस्लाम एवं रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के श्री अजय पटेल ने दीप प्रज्वलन किया |
शशि भूषण बालिका महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो0 अंजुम इस्लाम ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का आभार प्रकट करते हुए कहा, "भारत में वर्तमान समय में नारी उत्पीड़न के प्रति घंटे के अनुरूप लगभग 49 मामले दर्ज होते है । इस तरह यह स्थिति भयावह है । हमारे देश की आधी आबादी, जो पूरी तरह से अब भी सामाजिक सम्मान, शक्ति, संपन्नता, सम्पत्ति की समान अधिकारिणी व आर्थिक रूप से स्वतंत्रता, राजनैतिक दृष्टि से सुदृढ़ता, भौगोलिक परिवेश को लेकर उदारता की भागीदार नहीं बन पाई है इसलिए नारी उत्पीड़न के समाधान हम सबको मिलकर घरेलू स्तर से प्रारंभ करते हुए, सामाजिक व राष्ट्रीय स्तर पर करते रहने होंगे । जहाँ बेटी के जन्म को बोझ समझते हुए लिंग परीक्षण को पूरी तरह रोकना होगा, घरेलू स्तर से ही बालक-बालिका में भेद पर अंकुश लगाना होगा, बालिकाओं हेतु रोजगान्मुखी शिक्षा को जरूरी बनाना होगा| साथ ही विद्यालय स्तर से ही समान प्रायोगिक, व्यवहारिक, खेलकूद, कसरत, योगाभ्यास आदि का समान प्रशिक्षण देना होगा | बालिकाओं को आत्मरक्षा कौशल भी सिखाना उतना ही जरूरी है जितना घरेलू कार्य क्योंकि इससे उनकी मानसिक सोच मजबूत होगी तथा वे समाज में फैले अत्याचार के खिलाफ मजबूत कदम उठा सकेंगी |"
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला में शशि भूषण बालिका महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो0 अंजुम इस्लाम, शिक्षिकाओं, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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helputrust-harsh · 27 days ago
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आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला : शशि भूषण बालिका महाविद्यालय, लाल कुआं, लखनऊ
लखनऊ, 03.02.2024 | माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में शशि भूषण बालिका महाविद्यालय, लाल कुआं, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला" आयोजित की गई जिसमें 30 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना |
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा शशि भूषण बालिका महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो0 अंजुम इस्लाम एवं रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के श्री अजय पटेल ने दीप प्रज्वलन किया |
शशि भूषण बालिका महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो0 अंजुम इस्लाम ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का आभार प्रकट करते हुए कहा, "भारत में वर्तमान समय में नारी उत्पीड़न के प्रति घंटे के अनुरूप लगभग 49 मामले दर्ज होते है । इस तरह यह स्थिति भयावह है । हमारे देश की आधी आबादी, जो पूरी तरह से अब भी सामाजिक सम्मान, शक्ति, संपन्नता, सम्पत्ति की समान अधिकारिणी व आर्थिक रूप से स्वतंत्रता, राजनैतिक दृष्टि से सुदृढ़ता, भौगोलिक परिवेश को लेकर उदारता की भागीदार नहीं बन पाई है इसलिए नारी उत्पीड़न के समाधान हम सबको मिलकर घरेलू स्तर से प्रारंभ करते हुए, सामाजिक व राष्ट्रीय स्तर पर करते रहने होंगे । जहाँ बेटी के जन्म को बोझ समझते हुए लिंग परीक्षण को पूरी तरह रोकना होगा, घरेलू स्तर से ही बालक-बालिका में भेद पर अंकुश लगाना होगा, बालिकाओं हेतु रोजगान्मुखी शिक्षा को जरूरी बनाना होगा| साथ ही विद्यालय स्तर से ही समान प्रायोगिक, व्यवहारिक, खेलकूद, कसरत, योगाभ्यास आदि का समान प्रशिक्षण देना होगा | बालिकाओं को आत्मरक्षा कौशल भी सिखाना उतना ही जरूरी है जितना घरेलू कार्य क्योंकि इससे उनकी मानसिक सोच मजबूत होगी तथा वे समाज में फैले अत्याचार के खिलाफ मजबूत कदम उठा सकेंगी |"
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला में शशि भूषण बालिका महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो0 अंजुम इस्लाम, शिक्षिकाओं, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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gitaacharaninhindi · 2 months ago
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63. मिथ्या और दम्भ
यदि हम कर्म के कर्ता नहीं हैं, तो कर्ता कौन है? श्रीकृष्ण जवाब देते हैं कि, कोई भी कर्म किए बिना एक पल भी नहीं रह सकता है क्योंकि सभी को कर्म करने के लिए प्रकृति से पैदा हुए गुणों द्वारा मजबूर किया जाता है (3.5)।
तीन परमाणु कण, अर्थात् ‘इलेक्ट्रॉन’, ‘प्रोटॉन’ और ‘न्यूट्रॉन’ पूरे भौतिक संसार की रचना करते हैं। इसी प्रकार, तीन गुण अर्थात सत्व गुण, तमो गुण और रजो गुण  हमें कर्म करने के लिए प्रेरित करते हैं। इस अर्थ में वे ही वास्तविक कर्ता हैं।
श्रीकृष्ण आगे कहते हैं, ‘‘जो मूढ़बुद्धि मनुष्य समस्त इन्द्रियों को हठपूर्वक ऊपर से रोककर मन से उन इन्द्रियों के विषयों का चिंतन करता रहता है, वह मिथ्याचारी अर्थात दम्भी कहा जाता है’’ (3.6)।
हम पारिवारिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर अच्छे व्यवहार के लिए पुरस्कार और बुरे व्यवहार के लिए दंड की एक प्रणाली द्वारा पाले और शासित होते हैं। इसका परिणाम एक विभाजित व्यक्तित्व में होता है जिसमें हमारे आंतरिक और बाहरी दुनिया के बीच कोई समन्वय नहीं होता है।
उदाहरण के लिए, जब कोई हमें आहत करता है, तो हम अच्छे व्यवहार के लिए खुद को संयमित करते हैं, लेकिन मन घृणा, पछतावा और अन्याय की भावना से भर जाता है जो एक प्रकार से नर्क में जीने जैसा है।
श्रीकृष्ण कभी भी दमन या स्तब्धता के पक्ष में नहीं हैं, जिसे वे मिथ्या कहते हैं। इसके बजाय वे समत्व प्राप्त करने की प्रेरणा देते हैं, जहां प्रशंसा और आलोचना को समान माना जाता है और जहाँ द्वैत खत्म हो जाता है।
वास्तव में, कोई भी इस नर्क में नहीं रहना चाहता, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इससे बाहर कैसे निकला जाए। इसलिए श्रीकृष्ण अनासक्त होकर  कर्मयोग में अपने कर्म अंगों को संलग्न करने के लिए तुरंत एक समाधान देते हैं (3.7)।
अनासक्ति समाधान है जो न आसक्ति है और न विरक्ति है। यह कर्ता से लगाव के बिना कर्म करना है इस अहसास के साथ कि गुण ही वास्तविक कर्ता हैं; कर्मफल में आसक्त हुए बिना कर्म करना। यह इन्द्रिय विषयों से इन्द्रियों (नियंत्रक भाग) को अलग रखना है। अनासक्ति के साथ साथ सच्चा प्यार जो निस्वार्थ होता है, प्रकट होता है।
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arunpangarkar2 · 3 months ago
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आदर्श आर्थिक वितरण प्रणाली आंदोलन उर्फ गरीबी हटाओ आंदोलन
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helputrust · 3 months ago
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लखनऊ, 04.10.2024 l माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में लाल बहादुर शास्त्री गर्ल्स कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट, बजरंग विहार, कुर्सी रोड, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें 71 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना l
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा लाल बहादुर शास्त्री गर्ल्स कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट के डीन डॉ. शिवा मनोज, विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योति जोशी, समन्वयक श्री शाश्वत द्विवेदी एवं रेड ब्रिगेड से तंजीम अख्तर ने दीप प्रज्वलित किया l
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं l महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है l आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है l महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है l आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी l आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं l फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं l हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा l आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके l"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया l
कार्यशाला में लाल बहादुर शास्त्री गर्ल्स कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट के प्राचार्य डॉ. अनुराग श्रीवास्तव, डीन डॉ. शिवा मनोज, विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योति जोशी, समन्वयक श्री शाश्वत द्विवेदी, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर व लखनऊ विश्वविद्यालय के सामाजिक कार्य विभाग से छात्र-छात्राओं सुश्री आकृति कुमारी, सुश्री विनीता सिंह, सुश्री रनवीत कालरा, खुसरू निजामी, अब्दुल अहद तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही  l
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countryinsidenews · 3 months ago
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पटना /दलित समुदाय पर अन्याय बर्दाश्त नहीं, दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए : जनक राम
पटना, 19 सितंबर। बिहार के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री सह भाजपा के मुख्य प्रवक्ता जनक राम ने नवादा जिले में दलित बस्ती में हुई आगजनी की घटना को दुखद बताते हुए इस घटना की निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह घटना मानवता और सामाजिक सद्भाव पर गंभीर हमला है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से दलित समुदाय को इस अमानवीय कृत्य का शिकार बनाया गया है, वह न केवल समाज की नैतिकता पर सवाल खड़ा करता है,…
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deshbandhu · 3 months ago
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Rambhadra ka Jeevan Darshan: Ek Preranaadaayak Gaatha
रामभद्र का जीवन दर्शन भारतीय संस्कृति और धर्म में एक ऐसा अनमोल रत्न है, जो अनंत काल से हर युग और पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" इस मंत्र के माध्यम से हम उस दिव्य चेतना की ओर आकर्षित होते हैं, जो धर्म, सत्य, और न्याय की प्रतिमूर्ति मानी जाती है। यह दर्शन न केवल एक व्यक्ति के जीवन को सुधारने का माध्यम है, बल्कि यह एक समाज, एक राष्ट्र, और समग्र मानवता के कल्याण की अवधारणा को भी समेटे हुए है।
धर्म और कर्तव्य के प्रतीक
रामभद्र के जीवन का सबसे प्रमुख पहलू धर्म और कर्तव्य के प्रति उनकी अटूट निष्ठा है। उन्होंने हमेशा धर्म और न्याय के मार्ग पर चलते हुए कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना किया। उनके जीवन में आए अनेक संघर्ष और चुनौतियाँ यह दिखाते हैं कि चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, धर्म का पालन करना ही मानव जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य होना चाहिए। यह जीवन दर्शन हमें सिखाता है कि व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन बिना किसी भेदभाव, भय, या पक्षपात के करना चाहिए।
यह संदेश विशेष रूप से उन लोगों के लिए प्रासंगिक है जो अपने जीवन में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। जब हम रामभद्र के जीवन को देखते हैं, तो हमें यह समझ में आता है कि कठिनाइयाँ और संघर्ष केवल बाहरी नहीं होते, बल्कि आंतरिक भी होते हैं। अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पण ही इन संघर्षों को सुलझाने का मार्ग है। "रामाय रामभद्राय रा���चंद्राय वेधसे" मंत्र इस दिव्यता का स्मरण कराता है, जो हमें कर्तव्य पथ पर अडिग बनाए रखता है।
मर्यादा और संयम का महत्व
रामभद्र का जीवन मर्यादा और संयम का प्रतीक है। उन्होंने जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने आचरण और व्यवहार में सदैव मर्यादा बनाए रखी। चाहे वह व्यक्तिगत संबंधों की बात हो, सामाजिक दायित्वों की बात हो, या राज्य के प्रति उत्तरदायित्व की, उन्होंने कभी भी अपनी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। उनके जीवन से यह सीख मिलती है कि व्यक्ति को अपने जीवन में अनुशासन और संयम का पालन करना चाहिए, क्योंकि ये ही वो गुण हैं जो एक समाज को स्थिरता और शांति प्रदान करते हैं।
मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में रामभद्र का आदर्श जीवन यह दर्शाता है कि मर्यादा का पालन करना न केवल एक व्यक्तिगत आदर्श है, बल्कि यह सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने का आधार भी है। एक व्यक्ति का संयम और अनुशासन उसके चारों ओर के लोगों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है, और यही रामभद्र का जीवन हमें सिखाता है। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" मंत्र में संचित यह संदेश हमें यह बताता है कि मर्यादा और संयम किसी भी व्यक्ति या समाज के जीवन को आदर्श बना सकते हैं।
सत्य और न्याय की स्थापना
रामभद्र का जीवन सत्य और न्याय की स्थापना के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके द्वारा लिए गए प्रत्येक निर्णय में सत्य और न्याय को सर्वोच्च स्थान दिया गया। उन्होंने कभी भी व्यक्तिगत हितों को धर्म और न्याय के ऊपर नहीं रखा। यह जीवन दर्शन हमें यह सिखाता है कि सत्य और न्याय की स्थापना किसी भी समाज के विकास और कल्याण का आधार है। सत्य को पहचानने और उसे आत्मसात करने की जो शक्ति रामभद्र के जीवन में दिखती है, वही शक्ति आज के समाज में भी आवश्यक है।
समाज में अन्याय और अधर्म के विरुद्ध खड़े होने का साहस भी रामभद्र से सीखा जा सकता है। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" मंत्र हमें याद दिलाता है कि सत्य और न्याय की रक्षा के लिए हमें सदैव तैयार रहना चाहिए। यह जीवन दर्शन न केवल एक व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि समाज के सामूहिक स्तर पर भी सत्य और न्याय की स्थापन का संदेश देता है।
त्याग और समर्पण का महत्व
रामभद्र का जीवन त्याग और समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत सुखों और इच्छाओं को हमेशा समाज और परिवार के हितों के लिए त्याग दिया। उनके इस त्याग और समर्पण ने उन्हें एक आदर्श के रूप में स्थापित किया, जिसे हर युग में प्रेरणा के रूप में देखा जाता है। यह दर्शन हमें यह सिखाता है कि कभी-कभी व्यक्तिगत इच्छाओं को त्यागकर समाज और परिवार के कल्याण के लिए समर्पण करना आवश्यक होता है।
त्याग और समर्पण का यह गुण व्यक्ति को आत्म-नियंत्रण और आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाता है। यह गुण न केवल आत्म-संतोष प्रदान करता है, बल्कि दूसरों के जीवन को भी प्रभावित करता है। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" इस मंत्र में निहित यह संदेश हमें त्याग और समर्पण के महत्व को समझने और उसे अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
भक्ति और आदर्श जीवन की प्रेरणा
रामभद्र का जीवन भक्ति और आदर्श जीवन की प्रेरणा देता है। उन्होंने अपने जीवन में भगवान के प्रति अटूट भक्ति और श्रद्धा को बनाए रखा, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों। उनका जीवन इस बात का प्रतीक है कि भक्ति के मार्ग पर चलकर ही व्यक्ति अपने जीवन के सभी कष्टों और बाधाओं को पार कर सकता है। भक्ति का यह मार्ग व्यक्ति को मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है, जो जीवन की हर चुनौती का सामना करने में सहायक होता है।
रामभद्र के जीवन दर्शन से यह स्पष्ट होता है कि आदर्श जीवन वही है, जो न केवल धर्म और सत्य के मार्ग पर चले, बल्कि भक्ति और समर्पण के साथ जिए। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" मंत्र में यह संदेश निहित है कि भक्ति और आस्था के बिना जीवन अधूरा है, और यही आस्था व्यक्ति को आत्मिक संतोष और जीवन की पूर्णता प्रदान करती है।
निष्कर्ष
रामभद्र का जीवन दर्शन एक ऐसी प्रेरणादायक ��ाथा है, जो हर व्यक्ति के जीवन को सही दिशा में ले जाने का मार्गदर्शन करती है। धर्म, सत्य, न्याय, मर्यादा, संयम, त्याग, समर्पण, और भक्ति के गुण उनके जीवन में प्रत्यक्ष रूप से दिखते हैं, जो हमें यह सिखाते हैं कि एक आदर्श जीवन कैसा होना चाहिए। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" यह मंत्र हमें रामभद्र के जीवन दर्शन की उस दिव्यता का स्मरण कराता है, जो हमारे जीवन को बेहतर, अधिक संतुलित, और आध्यात्मिक रूप से संपन्न बना सकता है।
रामभद्र के जीवन दर्शन का यह संदेश न केवल हमारे व्यक्तिगत जीवन को सुधारने के लिए है, बल्कि यह पूरे समाज और मानवता के कल्याण के लिए एक प्रकाश स्तंभ है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा सुख और शांति केवल धर्म, सत्य, और भक्ति के मार्ग पर चलकर ही प्राप्त किया जा सकता है।
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shabdforwriting · 4 months ago
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क्या कभी ये हालात बदलेंगे ? by Prem
किताब के बारे में... इस किताब में लेखक ने हमारे समाज के वर्तमान हालातों, राजनीतिक परिवर्तनों, और सामाजिक असमानताओं पर गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। पुस्तक में सवाल उठाए गए हैं कि क्या समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, गरीबी और अन्याय के खिलाफ हम कभी सशक्त कदम उठा पाएंगे? लेखक ने विचार किया है कि कैसे सामूहिक प्रयासों और जागरूकता के माध्यम से हम इन जटिल मुद्दों का समाधान खोज सकते हैं।
यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
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airnews-arngbad · 5 months ago
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Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar
Date – 03 August 2024
Time 7.10 AM to 7.20 AM
Language Marathi
आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक ०३ ऑगस्ट २०२४ सकाळी ७.१० मि.****
Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar
Date – 03 August 2024
Time 7.10 AM to 7.20 AM
Language Marathi
आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक ०३ ऑगस्ट २०२४ सकाळी ७.१० मि.
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रक्षाबंधनापूर्वी मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण योजनेत महिलांच्या खात्यात दोन महिन्यांचे पैसे जमा होणार-सिल्लोड इथल्या कार्यक्रमात मुख्यमंत्र्यांची घोषणा
छत्रपती संभाजीनगर तसंच धाराशिव नामांतराला आव्हान देणारी याचिका सर्वोच्च न्यायालयाने फेटाळली
जानेवारी ते मे दरम्यान अवकाळी पावसामुळे झालेल्या शेतीपिकांच्या नुकसानापोटी ५९६ कोटी रुपये मदत मंजूर
पॅरीस ऑलिम्पिक स्पर्धेत २५ मीटर पिस्तुल रॅपीड प्रकारात नेमबाज मनू भाकर अंतिम फेरीत, तर बॅडमिंटनच्या पुरुष एकेरीत लक्ष्य सेनची उपांत्य फेरीत धडक
आणि
भारत श्रीलंका एकदिवसीय सामन्यांच्या मालिकेत पहिला सामना अनिर्णित
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रक्षाबंधनाच्या सणापूर्वी मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण योजनेत महिलांच्या खात्यात दोन महिन्यांचे पैसे जमा होणार असल्याची घोषणा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांनी केली आहे. काल सिल्लोड इथं या योजनेच्या लाभार्थी महिलांना प्रमाणपत्रांचं प्रातिनिधिक स्वरुपात वाटप मुख्यमंत्र्यांच्या हस्ते झालं, त्यावेळी ते बोलत होते. दिव्या रामदास सपकाळ या महिलेचा अर्ज स्वतः मुख्यमंत्र्यांनी भरला आणि त्यावर तिची स्वाक्षरी घेऊन तो अर्ज त्यांनी जिल्हाधिकारी दिलीप स्वामी यांच्याकडे पुढील प्रक्रियेसाठी सुपूर्�� केला. पणनमंत्री तथा छत्रपती संभाजीनगरचे पालकमंत्री अब्दुल सत्तार यांच्यासह अनेक मान्यवर यावेळी उपस्थित होते. विरोधकांनी या योजनेच्या अंमलबजावणीत अडथळे आणण्याचे प्रयत्न केले तरी, न्यायालय माझ्या बहिणींना न्याय देईल, असा विश्वास मुख्यमंत्र्यांनी व्यक्त केला, ते म्हणाले...
“ही योजना आम्ही निवडणुकीसाठी आणलेली नाही. माझ्या बहिणींना आधार देण्यासाठी आणलेली आहे. आणि म्हणून ही योजना कायमस्वरूपी सुरू राहणार हा या मुख्यमंत्री भावाचा शब्द आहे. विरोधकांच्या पोटात दुखतंय. त्यांचा पराभव दिसू लागलाय. म्हणून कोर्टामध्ये कोणाला तरी पा��वलं त्यांनी. पण मला विश्वास आहे, माझ्‍या लाडक्‍या बहिणींवर कोर्ट, न्यायालय देखील अन्याय करणार नाही. तो देखील न्याय देईल.’’
राज्यातल्या महिलांना आर्थिक, सामाजिक, राजकीय, शैक्षणिकदृष्ट्या सक्षम करणं हे सरकारचं ध्येय्य असून, ही योजना म्हणजे सरकारकडून बहिणींना माहेरचा आहेर असल्याची भावना व्यक्त करत, ही योजना कायम सुरू राहणार असल्याचं आश्वासन मुख्यमंत्र्यांनी दिलं. मुख्यमंत्री युवा अप्रेंटिंसशीप योजना, मराठवाड्याचा दुष्काळ निवारणासाठी नदीजोड प्रकल्पाचा प्रस्ताव तसंच वॉटरग्रीड प्रकल्पाचं पुनरुज्जीवन, विविध उद्योगांची उभारणी, आदी विषयांवरही मुख्यमंत्र्यांनी भाष्य केलं.
या कार्यक्रमापूर्वी सिल्लोड शहरातून मुख्यमंत्र्यांची मिरवणूक काढण्यात आली. अनेक महिलांनी यावेळी मुख्यमंत्र्यांना ओवाळून राख्या बांधल्या.
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माजी खासदार इम्तियाज जलील यांनी, आदर्श नागरी पतसंस्थेच्या शिष्टमंडळासोबत विमानतळावर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांची भेट घेतली, तसंच ठेवीदारांच्या ठेवी परत मिळण्यासंदर्भात त्यांच्याशी चर्चा केली. सोमवारपासून या ठेवीदारांना पैसे परत करण्याचे निर्देश मुख्यमंत्र्यांनी दिल्याचं, याबाबतच्या वृत्तात म्हटलं आहे.
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मुख्यमंत्री- माझी लाडकी बहीण’ योजनेसाठी मराठी भाषेत केलेले अर्ज स्वीकारले जातील, पुन्हा इंग्रजीतून अर्ज करण्याची गरज नाही, असं महिला आणि बालविकास मंत्री आदिती तटकरे यांनी स्पष्ट केलं आहे. यासंदर्भात कोणत्याही अपप्रचाराला अर्जदारांनी बळी पडू नये, असं आवाहन तटकरे यांनी केलं आहे.
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छत्रपती संभाजीनगर आणि धाराशिव जिल्ह्यांच्या नामांतराच्या निर्णयात हस्तक्षेप करण्यास सर्वोच्च न्यायालयानं नकार दिला आहे. शहरांच्या नामांतराचा अधिकार कायद्यानं राज्य सरकारला दिलेला आहे, तसंच या प्रकरणी मुंबई उच्च न्यायालयानं याचिकाकर्त्यांचं म्हणणं ऐकून घेत सविस्तर आदेश दिले असल्याचं निरीक्षण न्यायालयानं नोंदवलं.
दरम्यान, या प्रकरणी याचिकाकर्ते मोहंमद हिशाम उस्मानी यांनी अजून हे प्रकरण न्यायालयात असल्याने याबद्दल भाष्य करण्यास नकार दिल्याचं, याबाबतच्या वृत्तात म्हटलं आहे.
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राज्यातील विविध भागात जानेवारी ते मे या कालावधीतील अवकाळी पावसामुळे झालेल्या शेतीपिकांच्या नुकसानीपोटी शेतकऱ्यांना ५९६ कोटी २१ लाख ९५ हजार रुपयांचा मदतनिधी वितरीत करण्यास राज्य सरकारनं मंजूरी दिली आहे. नुकसान भरपाईची रक्कम संबंधितांच्या बँक खात्यात थेट जमा केली जाणार आहे.
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पॅरीस इथं सुरू असलेल्या ऑलिम्पिक स्पर्धेत भारताची नेमबाज मनू भाकर २५ मीटर पिस्तुल रॅपीड प्रकाराच्या अंतिम फेरीत पोहोचली आहे. पात्रता फेरीत तिने ५९० गुण मिळवत दुसरं स्थान गाठलं आहे. मनूने या स्पर्धेत आतापर्यंत दोन कांस्यपदकं मिळवली आहेत.
बॅडमिंटनच्या पुरुष एकेरीत उपांत्यपूर्व फेरीत काल लक्ष्य सेनने चीनी तैपेईच्या प्रतिस्पर्ध्याला पराभूत करत उपांत्य फेरी गाठली. पहिला गेम १९-२१ असा गमावल्यावर लक्ष्यने जोरदार खेळ करत पुढचे दोन्ही गेम्स २१-१५, २१-१२ असे जिंकत उपांत्य फेरीत धडक मारली.
ऑलिम्पिक स्पर्धेत अशी कामगिरी करणारे हे दोघेही पहिलेच भारतीय खेळाडू ठरले आहेत.
हॉकीत काल भारतीय संघाने ऑस्ट्रेलियाचा तीन दोनने पराभव केला. कर्णधार हरमनप्रीतसिंहने दोन तर अभिषेकने एक गोल केला.
आज या स्पर्धेत नेमबाजी, तीरंदाजी, गोल्फ, नौकानयन, आदी प्रकारात भारतीय खेळाडूंचे सामने होणार आहेत.
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भारत आणि श्रीलंका यांच्यातल्या तीन एकदिवसीय क्रिकेट सामन्यांच्या मालिकेतल्या पहिला सामना काल अनिर्णित राहिला. श्रीलंकेनं नाणेफेक जिंकून प्रथम फलंदाजी करत ५० षटकांत आठ बाद २३० धावा केल्या. भारतीय संघही ४८ व्या षटकांत २३० धावांवर सर्वबाद झाला. मालिकेत पुढचा सामना उद्या होणार आहे.
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५५ व्या गोवा आंतरराष्ट्रीय चित्रपट महोत्सवात निवडक मराठी चित्रपटांना सहभागी होण्याची संधी मिळणार आहे. निर्मात्यांनी विहित नमुन्यातील प्रवेश अर्ज १६ ऑगस्ट पर्यंत चित्रपट, रंगभूमी आणि सांस्कृतिक विकास महामंडळाकडे जमा करण्याचं आवाहन करण्यात आलं आहे.
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हिंगोली जिल्ह्यात काल दोन दुचाकीस्वारांचा कालव्यात पडून मृत्यू झाला. आखाडा बाळापूर इथं घडलेल्या या घटनेत दुचाकीवरचं नियंत्रण सुटल्याने ती कालव्याच्या कठड्यावर आदळून त्यावरील दोघे कालव्यात पडल्याचं आमच्या वार्ताहरानं कळवलं आहे.
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धाराशिव जिल्हा स्त्री रुग्णालयात स्तनपान सप्ताहाला परवापासून प्रारंभ झाला. स्त्री रुग्णालयामधील सर्व वैद्यकीय अधिकारी, कर्मचारी, रुग्ण तसंच रुग्णांचे नातेवाईक या कार्यक्रमाला उपस्थित होते.
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मुख्यमंत्री-माझी लाडकी बहीण योजनेअंतर्गत परभणी जिल्ह्यात आतापर्यंत २ लाख ४७ हजार ८४६ ऑनलाईन अर्ज प्राप्त झाले आहेत. प्रत्येक गावात आणि शहरी भागात अर्ज स्वीकृती केंद्र सुरु करण्यात आल्यानं महिलांना या योजनेसाठी अर्ज करणं अधिक सुलभ झालं आहे.
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शेती विकास योजनांचे लाभ सुलभतेने मिळावे यासाठी पात्र शेतकऱ्यांनी आपल्या मोबाईल ॲपमध्ये पिकांची अचूक नोंद करावी, असं आवाहन नांदेड जिल्हा प्रशासनाच्या वतीनं करण्यात आलं आहे. सर्व शेतकऱ्यांनी या सुविधेचा लाभ घेण्याचं आवाहन प्रशासनाद्वारे करण्यात येत आहे.
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बीड काल स्वयंरोजगार मेळावा घेण्यात आल��. राष्ट्रवादी काँग्रेस पक्षाचे बीड जिल्ह्याचे विधानसभा अध्यक्ष योगेश क्षीरसागर या मेळाव्याच्या अध्यक्षस्थानी होते. या मेळाव्यातून बीड मतदारसंघात शेकडो तरुणांना रोजगार उपलब्ध करून देण्याचा प्रयत्न असल्याचं, क्षीरसागर यांनी सांगितलं.
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छत्रपती संभाजीनगर महानगरपालिकेच्या वतीने काल शहरातील विविध शैक्षणिक संस्थांच्या परिसरात या अभियानाअंतर्गत स्वच्छता मोहीम राबवण्यात आली. या मोहिमेत विद्यार्थांचा लक्षणीय सहभाग होता.
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लातूर महानगरपालिकेनं मालमत्ता करात ऑगस्ट महिन्यासाठी ५% सुट योजना लागू केली आहे. संबंधित सर्व मालमत्ताधारकांनी या योजनेचा लाभ घेऊन कराचा भरणा करावा, असं आवाहन महापालिकेच्यावतीनं करण्यात आलं आहे.
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छत्रपती संभाजीनगर इथं काल कोविड संसर्ग झालेले नवे पाच रुग्ण आढळले. सध्या शहरात कोविडचे १३ सक्रीय रुग्ण आहेत, यापैकी केवळ एका रुग्णाला गृहविलगीकरणात ठेवलं आहे.
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अंबाजोगाई तालुक्यातील साकुड इथले रावसाहेब रामचंद्र चाटे यांचा, स्वाईन फ्ल्यूची लागण होऊन मृत्यू झाल्याचं स्पष्ट झालं आहे. पंढरपूरच्या आषाढी वारीदरम्यान, १७ जुलैला त्यांचा मृत्यू झाला होता,
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drrupal-helputrust · 30 days ago
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आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला : शक्ति मोंटेसरी हाई स्कूल, इंद्रलोक कॉलोनी, लखनऊ
लखनऊ, 12.02.2024 | माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में शक्ति मोंटेसरी हाई स्कूल, इंद्रलोक कॉलोनी, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें 126 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना |
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा शक्ति मोंटसरी हाई स्कूल, इंद्रलोक कॉलोनी के प्रधानाध्यापक श्री हरिनाम सिंह तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के अजय पटेल ने दीप प्रज्वलन किया |
शक्ति मोंटसरी हाई स्कूल, इंद्रलोक कॉलोनी के प्रधानाध्यापक श्री हरिनाम सिंह ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का आभार प्रकट करते हुए कहा आज के समाज में जहां महिलाएं आबादी का 50% हिस्सा है वहां पर महिलाओं का सशक्त एवं आत्मनिर्भर होना अत्यंत आवश्यक है | भारतवर्ष विकासशील से विकसित राष्ट्र की तरफ बढ़ रहा है लेकिन फिर भी देश के कई हिस्सों में कन्या भ्रूण हत्या, घरेलू हिंसा, सामाजिक हिंसा, यहां तक कि बलात्कार के मामले भी सामने आते रहते हैं जो कि कहीं से भी उचित नहीं है | समाज के एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य है कि हम कन्या भ्रूण हत्या होने से रोके, बालिकाओं को शिक्षित एवं आत्मनिर्भर बनाएं जिसके लिए आज हमारे बीच हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट से प्रशिक्षकों की टीम आई है जो आप सभी को अपनी रक्षा स्वयं करना सिखाएंगे| मेरा यह मानना है कि इस कार्यशाला से न सिर्फ आपका मानसिक विकास होगा बल्कि आप कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपनी रक्षा स्वयं करने में सक्षम होगी |
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, “किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानी स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है| आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव दिया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है| आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर  उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं| फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा |आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |”
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका यासमीन  बानो  ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला में शक्ति मोंटसरी हाई स्कूल, इंद्रलोक कॉलोनी के प्रधानाध्यापक श्री हरिनाम सिंह, शिक्षिकाओं, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, यास्मीन बानो तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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