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#सामाजिक अन्याय
helputrust · 5 months
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लखनऊ, 17.05.2024 । माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में महात्मा गांधी इंटर कॉलेज, मलिहाबाद, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमे 43 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी ज़िम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना ।
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा महात्मा गांधी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ रवीन्द्र कुमार त्रिपाठी शिक्षकों एवं रेड ब्रिगेड से तंजीम अख्तर ने दीप प्रज्वलित किया ।
महात्मा गांधी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ रवीन्द्र कुमार त्रिपाठी ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि, "महिलाओं के योगदान के बिना किसी भी समाज की समृद्धि संभव नहीं है । आज का समय नारी सशक्तिकरण का है जहां हर एक महिला को अपने सपनों को पूरा करने का अधिकार है । हमें देश के युवा वर्ग को सिखाना चाहिए कि महिलाओं का सम्मान करना केवल एक उत्कृष्टता का प्रतीक नहीं है बल्कि यह समाज के संगठन में एक अहम अंग है । हमारे समाज में अनेक महिलाएं हैं जो अपनी क्षमताओं और ताकत को पहचान चुकी हैं । हमें उनका उचित समर्थन करना चाहिए ताकि वे अपने सपनों को पूरा कर सकें और समाज हित में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें । हमें समाज में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में महिलाओं के साथ समानता और न्याय का संवाद बढ़ाना होगा । इसी उत्साह और जागरूकता के साथ हम सभी को महिलाओं के प्रति समर्थन का संकल्प लेना चाहिए । यह हमारे समाज की निरंतर प्रगति और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा ।"
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
कार्यशाला में महात्मा गांधी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ रवीन्द्र कुमार त्रिपाठी, शिक्षकों श्री अरुन कुमार वर्मा, श्री पप्पू कुमार, चमन आरा जी, श्रीमती वैशाली गुप्ता, फौजिया वसी जी, सुश्री सरला देवी, सुश्री समा कौसर, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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lavkusdasrajpt · 11 months
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#SpiritualMessageOnDussehra
दशहरा मनाने से समाज को क्या सीख मिलती है?
दशहरा के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण जैसे राक्षसों के पुतले जलाने से अच्छा भ्रष्टाचार, दहेज, छुआछूत, धार्मिक बंटवारा, क्रोध, वासना, अभिमान, लालच, ईर्ष्या, अन्याय, क्रूरता और अहंकार जैसे व्यक्तिगत दोषों और सामाजिक बुराइयों को हमेशा के लिए जला देना चाहिए।
Sant Rampal Ji Maharaj
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kaminimohan · 1 year
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1383.
अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति से विचलित थे भारतेंदु हरिश्चंद्र
- कामिनी मोहन पाण्डेय। 
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मुंशी प्रेमचंद ने लिखा है कि जिन्होंने राष्ट्र का निर्माण किया है उनकी कृति अमर हो गई है। त्याग तपस्या और बलिदान 1857 की क्रांति के रणबांकुरों ने ही नहीं किया बल्कि उससे प्रभावित होकर कई लेखकों, साहित्यकारों, पत्रकारों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उसी त्याग की भावना व संघर्ष की प्रेरणा को जगाने में भारतेंदु हरिश्चंद्र ने महती भूमिका निभाई। 
भारतेंदु ने भारत की स्वाधीनता, राष्ट्र उन्नति और सर्वोदय भावना का विकास किया। आज के संदर्भ में बात करें तो भारतेंदु ने हीं देश के सभी पत्रकारों, संपादकों व लेखकों को देश की दुर्दशा यानी देश की दशा और दिशा को समझने का मंत्र दिया। अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति की हुंकार की गूंज के बाद इस संबंध पर बेतहाशा लेखन और पठन-पाठन हुआ। उस समय क्रांति के असफल होने के बाद जब  निराशा का बीज व्याप्त हो गया था, तब समाज की दुर्दशा देखकर भारतेंदु का हृदय काफी व्यथित हुआ। देश की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक गिरावट देखकर वह तिलमिला उठे थे। देश की दशा पर उनकी अभिव्यक्ति थी- "हां हां भारत दुर्दशा न देखी जाई।" उनके इस प्रलाप पर भारत आरत, भारत सौभाग्य, वर्तमान-दशा, देश-दशा, भारत दुर्दिन जैसे नवजागरण की पोषक रचनाएँ प्रकाशित हुई। 
इनमें देश के प्राचीन गौरव के स्मरण, समाज में व्याप्त आलस्य तथा देश की दीनता का वर्णन होता था। क्रांति के समय एवं उसके बाद स्वदेशाभिमानी पत्रकारों ने अपनी विवेचना शक्ति के बल पर जनमानस को सशक्त अभिव्यक्ति दी। उस समय हिंदी अपने विकास के नए आयाम गढ़ रही थी। सारे प्रतिरोधों के बीच पत्रकारिता की पैनी नज़र खुल चुकी थी। ऐसे में स्वाभिमान के संचार व स्वदेश प्रेम के उदय तथा आंग्ल शासन के प्रबल प्रतिरोध पत्रों में प्रकाशित तत्वों में दिखता था। पत्र और पत्रकार ख़ुद स्वतंत्रता आंदोलन के सक्षम सेनानी बन गए थे। अन्याय, अज्ञान, प्रपीड़न व प्रव॔चना के संहारक समाचार पत्रों ने ही हिंदी पत्रकारिता की आधारशिला रखी थी।
राष्ट्र उत्थान की दृष्टि से इतिहास एवं पत्रकारिता दोनों संश्लिष्ट हैं। राष्ट्रीय अस्मिता को समर्पित भारतेंदु की रचनाओं का मूलाधार गौरव की वृद्धि रहा है। नौ सितंबर 1850 को काशी में जन्मे भारतेंदु को हिंदी पत्रकारिता का आधार स्तंभ कहा जाता है। भारतेंदु द्वारा पत्रकारिता में देश प्रेम के लिए जलाई गई अलख काशी में अब भी दिखती है। इसका कारण यह है कि यहाँ जो पैदा हुआ वह भी गुरु जो मर गया वह भी गुरु होता है। यहाँ किसी बात के लिए कोई हाय-हाय नहीं है। 
काशी की हिंदी पत्रकारिता की नींव 1845 में बनारस अखबार के रूप में पड़ी। इसके बारह साल बाद देश का पहला स्वतंत्रता संग्राम आम लोगों को गहरे तक प्रभावित कर गया था। क्रांति का बिगुल काशी में भी सुनाई दिया। क्रांति के दौर में देश की आज़ादी के लिए यहाँ कई अख़बार प्रकाशित होते रहे। स्वाभिमान के साथ उठ खड़े होने को आमजन और क्रांतिकारियों को जो उसे से भरते रहे।
प्रमुख प्रकाशनों में कवि वचन सुधा (1867) हरिश्चंद्र मैगजीन (1875), हरिश्चंद्र चंद्रिका (1879) में भारतेंदु का मूल मंत्र सामाजिक और राष्ट्रीय उन्नति जगाना तथा सभी जातियों के अंदर स्वाभिमान का भाव भरना था। वे मानते थे कि "जिस देश में और जिस समाज में उसी समाज और उसी देश की भाषा में समाचार पत्रों का जब तक प्रचार नहीं होता, तब तक उसे देश और समाज की उन्नति नहीं हो सकती। समाचार पत्र राजा और प्रजा के वकील है। समाचार पत्र दोनों की ख़बर दोनों को पहुँचा सकता है जहाँ सभ्यता है, वहीं स्वाधीन समाचार पत्र है"।
देश में लकड़ी बीनने वाले से लेकर लकड़ी का तमाशा दिखाने वाले तक सभी ने क्रांति के जयकारे में लकड़ी बजाते हुए आहुति दी थी। यह वह दौर था, जिस पर क्रांति ने अपना असर गहरे तक छोड़ा था। इसी का परिणाम रहा कि देश के हर नौजवान ने अपनी छाती अंग्रेजों की गोलियाँ खाने के लिए चौड़ी कर ली थी। अल्पायु में ही भारतेंदु अपने युग का प्रतिनिधित्व करने लगे थे  रचनात्मक लेखन, पत्रकारिता के माध्यम से भारतेंदु ने देश की राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक विसंगतियों पर अपने आक्रामक तेवर के साथ संवेदन पूर्ण विचारों से सार्थक हस्तक्षेप किया था। साहित्य को उन्होंने जनसामान्य के बीच लाकर खड़ा कर दिया था।
घोर उथल-पुथल के बावजूद उनके काल में साहित्यिक विचारों के कारण आत्ममंथन शुरू हो गया था। वे ब्रिटिश राज की कार्यप्रणाली पर जमकर बरसते थे। हर समस्या के प्रति भारतेंदु का दृष्टिकोण दूरगामी होता था। वे वैचारिक क्रांति लाने के लिए हर घड़ी प्रतिबद्ध दिखते थे। भारतेंदु चाहते थे कि भारतवासी स्वयं आत्मोत्थान और देशोत्थान में सक्रिय हो। यह बात आज भी प्रासंगिक है कि आर्थिक उत्थान से ही देश का भला हो सकता है। 
आर्थिक लूट पर वे लिखते हैं- 
भीतर-भीतर सब रस चूसै, बाहर से तन-मन-धन मूसै। 
जाहिर बातन में अति तेज, क्यों सखि सज्जन नहिं अंग्रेज अंग्रेजों।। 
अंग्रेजों को अपना भाग्य विधाता मानने वालों को भारतेंदु ने झकझोरा था। कविवचन सुधा में वे लिखते हैं- "देशवासियों तुम इस निद्रा से चौको, इन अंग्रेजों के न्याय के भरोसे मत फूले रहो।... अंग्रेजों ने हम लोगों को विद्यामृत पिलाया और उससे हमारे देश बांधवों को बहुत लाभ हुए, इसे हम लोग अमान्य नहीं करते, परंतु उन्हीं के कहने के अनुसार हिंदुस्तान की वृद्धि का समय आने वाला हो, सो तो, एक तरफ रहा, पर प्रतिदिन मूर्खता दुर्भिक्षता और दैन्य प्राप्त होता जाता है।... अख़बार इतना भूंकते हैं, कोई नहीं सुनता। अंधेर नगरी है। व्यर्थ न्याय और आज़ादी देने का दावा है।"
गांधीजी की कई नीतियों व योजनाओं के बीज भारतेंदु साहित्य में पहले ही आ चुके थे। भारतीय धर्मनिरपेक्षता, जाति निरपेक्षता, जो भारतीय संविधान के मूलाधार है, उन पर भारतेंदु के चिंतन में तात्कालिकता ही नहीं, भविष्योन्मुखता भी थी। वे हिंदू व मुसलमानों के प्रति भाईचारे का भाव रखने को प्रेरित करते थे। कहना ही पड़ता है कि देश के विकास उसकी उन्नति के लिए भारतेंदु स्वदेशी और राष्ट्रीयता के संदर्भ में दूरगामी अंतर्दृष्टि रखते थे। 
समय बदल गया, हम आज़ाद हैं। भारत वही है। संविधान वही है। भारत में रहने वाले जीव-जंतु, पशु-पक्षी और मनुष्य भी वही है। विभिन्न धर्मों, मज़हबों,पंथों को मानने वाले मुसलमानों के सभी फ़िरक़ों, बौद्ध, सिख, जैन, ईसाईयों तथा सनातन धर्म की गहराई में उतरने वाले हिन्दू क्रांति के बीज को आज भी वृक्ष बनते देखते हैं। उन विचारों की जो भारतेंदु के समय लोगों तक पत्रकारिता के माध्यम से पहुंचे थे, वे विचार आज भी प्रासंगिक हैं। देश के लोगों को इसकी परम आवश्यकता है। 
- © Image art by Chandramalika 
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arunpangarkar2 · 11 days
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आदर्श आर्थिक वितरण प्रणाली आंदोलन उर्फ गरीबी हटाओ आंदोलन
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countryinsidenews · 11 days
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पटना /दलित समुदाय पर अन्याय बर्दाश्त नहीं, दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए : जनक राम
पटना, 19 सितंबर। बिहार के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री सह भाजपा के मुख्य प्रवक्ता जनक राम ने नवादा जिले में दलित बस्ती में हुई आगजनी की घटना को दुखद बताते हुए इस घटना की निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह घटना मानवता और सामाजिक सद्भाव पर गंभीर हमला है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से दलित समुदाय को इस अमानवीय कृत्य का शिकार बनाया गया है, वह न केवल समाज की नैतिकता पर सवाल खड़ा करता है,…
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deshbandhu · 14 days
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Rambhadra ka Jeevan Darshan: Ek Preranaadaayak Gaatha
रामभद्र का जीवन दर्शन भारतीय संस्कृति और धर्म में एक ऐसा अनमोल रत्न है, जो अनंत काल से हर युग और पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" इस मंत्र के माध्यम से हम उस दिव्य चेतना की ओर आकर्षित होते हैं, जो धर्म, सत्य, और न्याय की प्रतिमूर्ति मानी जाती है। यह दर्शन न केवल एक व्यक्ति के जीवन को सुधारने का माध्यम है, बल्कि यह एक समाज, एक राष्ट्र, और समग्र मानवता के कल्याण की अवधारणा को भी समेटे हुए है।
धर्म और कर्तव्य के प्रतीक
रामभद्र के जीवन का सबसे प्रमुख पहलू धर्म और कर्तव्य के प्रति उनकी अटूट निष्ठा है। उन्होंने हमेशा धर्म और न्याय के मार्ग पर चलते हुए कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना किया। उनके जीवन में आए अनेक संघर्ष और चुनौतियाँ यह दिखाते हैं कि चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, धर्म का पालन करना ही मानव जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य होना चाहिए। यह जीवन दर्शन हमें सिखाता है कि व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन बिना किसी भेदभाव, भय, या पक्षपात के करना चाहिए।
यह संदेश विशेष रूप से उन लोगों के लिए प्रासंगिक है जो अपने जीवन में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। जब हम रामभद्र के जीवन को देखते हैं, तो हमें यह समझ में आता है कि कठिनाइयाँ और संघर्ष केवल बाहरी नहीं होते, बल्कि आंतरिक भी होते हैं। अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पण ही इन संघर्षों को सुलझाने का मार्ग है। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" मंत्र इस दिव्यता का स्मरण कराता है, जो हमें कर्तव्य पथ पर अडिग बनाए रखता है।
मर्यादा और संयम का महत्व
रामभद्र का जीवन मर्यादा और संयम का प्रतीक है। उन्होंने जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने आचरण और व्यवहार में सदैव मर्यादा बनाए रखी। चाहे वह व्यक्तिगत संबंधों की बात हो, सामाजिक दायित्वों की बात हो, या राज्य के प्रति उत्तरदायित्व की, उन्होंने कभी भी अपनी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। उनके जीवन से यह सीख मिलती है कि व्यक्ति को अपने जीवन में अनुशासन और संयम का पालन करना चाहिए, क्योंकि ये ही वो गुण हैं जो एक समाज को स्थिरता और शांति प्रदान करते हैं।
मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में रामभद्र का आदर्श जीवन यह दर्शाता है कि मर्यादा का पालन करना न केवल एक व्यक्तिगत आदर्श है, बल्कि यह सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने का आधार भी है। एक व्यक्ति का संयम और अनुशासन उसके चारों ओर के लोगों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है, और यही रामभद्र का जीवन हमें सिखाता है। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" मंत्र में संचित यह संदेश हमें यह बताता है कि मर्यादा और संयम किसी भी व्यक्ति या समाज के जीवन को आदर्श बना सकते हैं।
सत्य और न्याय की स्थापना
रामभद्र का जीवन सत्य और न्याय की स्थापना के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके द्वारा लिए गए प्रत्येक निर्णय में सत्य और न्याय को सर्वोच्च स्थान दिया गया। उन्होंने कभी भी व्यक्तिगत हितों को धर्म और न्याय के ऊपर नहीं रखा। यह जीवन दर्शन हमें यह सिखाता है कि सत्य और न्याय की स्थापना किसी भी समाज के विकास और कल्याण का आधार है। सत्य को पहचानने और उसे आत्मसात करने की जो शक्ति रामभद्र के जीवन में दिखती है, वही शक्ति आज के समाज में भी आवश्यक है।
समाज में अन्याय और अधर्म के विरुद्ध खड़े होने का साहस भी रामभद्र से सीखा जा सकता है। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" मंत्र हमें याद दिलाता है कि सत्य और न्याय की रक्षा के लिए हमें सदैव ��ैयार रहना चाहिए। यह जीवन दर्शन न केवल एक व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि समाज के सामूहिक स्तर पर भी सत्य और न्याय की स्थापन का संदेश देता है।
त्याग और समर्पण का महत्व
रामभद्र का जीवन त्याग और समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत सुखों और इच्छाओं को हमेशा समाज और परिवार के हितों के लिए त्याग दिया। उनके इस त्याग और समर्पण ने उन्हें एक आदर्श के रूप में स्थापित किया, जिसे हर युग में प्रेरणा के रूप में देखा जाता है। यह दर्शन हमें यह सिखाता है कि कभी-कभी व्यक्तिगत इच्छाओं को त्यागकर समाज और परिवार के कल्याण के लिए समर्पण करना आवश्यक होता है।
त्याग और समर्पण का यह गुण व्यक्ति को आत्म-नियंत्रण और आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाता है। यह गुण न केवल आत्म-संतोष प्रदान करता है, बल्कि दूसरों के जीवन को भी प्रभावित करता है। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" इस मंत्र में निहित यह संदेश हमें त्याग और समर्पण के महत्व को समझने और उसे अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
भक्ति और आदर्श जीवन की प्रेरणा
रामभद्र का जीवन भक्ति और आदर्श जीवन की प्रेरणा देता है। उन्होंने अपने जीवन में भगवान के प्रति अटूट भक्ति और श्रद्धा को बनाए रखा, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों। उनका जीवन इस बात का प्रतीक है कि भक्ति के मार्ग पर चलकर ही व्यक्ति अपने जीवन के सभी कष्टों और बाधाओं को पार कर सकता है। भक्ति का यह मार्ग व्यक्ति को मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है, जो जीवन की हर चुनौती का सामना करने में सहायक होता है।
रामभद्र के जीवन दर्शन से यह स्पष्ट होता है कि आदर्श जीवन वही है, जो न केवल धर्म और सत्य के मार्ग पर चले, बल्कि भक्ति और समर्पण के साथ जिए। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" मंत्र में यह संदेश निहित है कि भक्ति और आस्था के बिना जीवन अधूरा है, और यही आस्था व्यक्ति को आत्मिक संतोष और जीवन की पूर्णता प्रदान करती है।
निष्कर्ष
रामभद्र का जीवन दर्शन एक ऐसी प्रेरणादायक गाथा है, जो हर व्यक्ति के जीवन को सही दिशा में ले जाने का मार्गदर्शन करती है। धर्म, सत्य, न्याय, मर्यादा, संयम, त्याग, समर्पण, और भक्ति के गुण उनके जीवन में प्रत्यक्ष रूप से दिखते हैं, जो हमें यह सिखाते हैं कि एक आदर्श जीवन कैसा होना चाहिए। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" यह मंत्र हमें रामभद्र के जीवन दर्शन की उस दिव्यता का स्मरण कराता है, जो हमारे जीवन को बेहतर, अधिक संतुलित, और आध्यात्मिक रूप से संपन्न बना सकता है।
रामभद्र के जीवन दर्शन का यह संदेश न केवल हमारे व्यक्तिगत जीवन को सुधारने के लिए है, बल्कि यह पूरे समाज और मानवता के कल्याण के लिए एक प्रकाश स्तंभ है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा सुख और शांति केवल धर्म, सत्य, और भक्ति के मार्ग पर चलकर ही प्राप्त किया जा सकता है।
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shabdforwriting · 20 days
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क्या कभी ये हालात बदलेंगे ? by Prem
किताब के बारे में... इस किताब में लेखक ने हमारे समाज के वर्तमान हालातों, राजनीतिक परिवर्तनों, और सामाजिक असमानताओं पर गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। पुस्तक में सवाल उठाए गए हैं कि क्या समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, गरीबी और अन्याय के खिलाफ हम कभी सशक्त कदम उठा पाएंगे? लेखक ने विचार किया है कि कैसे सामूहिक प्रयासों और जागरूकता के माध्यम से हम इन जटिल मुद्दों का समाधान खोज सकते हैं।
यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
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airnews-arngbad · 2 months
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Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar
Date – 03 August 2024
Time 7.10 AM to 7.20 AM
Language Marathi
आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक ०३ ऑगस्ट २०२४ सकाळी ७.१० मि.****
Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar
Date – 03 August 2024
Time 7.10 AM to 7.20 AM
Language Marathi
आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक ०३ ऑगस्ट २०२४ सकाळी ७.१० मि.
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रक्षाबंधनापूर्वी मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण योजनेत महिलांच्या खात्यात दोन महिन्यांचे पैसे जमा होणार-सिल्लोड इथल्या कार्यक्रमात मुख्यमंत्र्यांची घोषणा
छत्रपती संभाजीनगर तसंच धाराशिव नामांतराला आव्हान देणारी याचिका सर्वोच्च न्यायालयाने फेटाळली
जानेवारी ते मे दरम्यान अवकाळी पावसामुळे झालेल्या शेतीपिकांच्या नुकसानापोटी ५९६ कोटी रुपये मदत मंजूर
पॅरीस ऑलिम्पिक स्पर्धेत २५ मीटर पिस्तुल रॅपीड प्रकारात नेमबाज मनू भाकर अंतिम फेरीत, तर बॅडमिंटनच्या पुरुष एकेरीत लक्ष्य सेनची उपांत्य फेरीत धडक
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भारत श्रीलंका एकदिवसीय सामन्यांच्या मालिकेत पहिला सामना अनिर्णित
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रक्षाबंधनाच्या सणापूर्वी मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण योजनेत महिलांच्या खात्यात दोन महिन्यांचे पैसे जमा होणार असल्याची घोषणा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांनी केली आहे. काल सिल्लोड इथं या योजनेच्या लाभार्थी महिलांना प्रमाणपत्रांचं प्रातिनिधिक स्वरुपात वाटप मुख्यमंत्र्यांच्या हस्ते झालं, त्यावेळी ते बोलत होते. दिव्या रामदास सपकाळ या महिलेचा अर्ज स्वतः मुख्यमंत्र्यांनी भरला आणि त्यावर तिची स्वाक्षरी घेऊन तो अर्ज त्यांनी जिल्हाधिकारी दिलीप स्वामी यांच्याकडे पुढील प्रक्रियेसाठी सुपूर्द केला. पणनमंत्री तथा छत्रपती संभाजीनगरचे पालकमंत्री अब्दुल सत्तार यांच्यासह अनेक मान्यवर यावेळी उपस्थित होते. विरोधकांनी या योजनेच्या अंमलबजावणीत अडथळे आणण्याचे प्रयत्न केले तरी, न्यायालय माझ्या बहिणींना न्याय देईल, असा विश्वास मुख्यमंत्र्यांनी व्यक्त केला, ते म्हणाले...
“ही योजना आम्ही निवडणुकीसाठी आणलेली नाही. माझ्या बहिणींना आधार देण्यासाठी आणलेली आहे. आणि म्हणून ही योजना कायमस्वरूपी सुरू राहणार हा या मुख्यमंत्री भावाचा शब्द आहे. विरोधकांच्या पोटात दुखतंय. त्यांचा पराभव दिसू लागलाय. म्हणून कोर्टामध्ये कोणाला तरी पाठवलं त्यांनी. पण मला विश्वास आहे, माझ्‍या लाडक्‍या बहिणींवर कोर्ट, न्यायालय देखील अन्याय करणार नाही. तो देखील न्याय देईल.’’
राज्यातल्या महिलांना आर्थिक, सामाजिक, राजकीय, शैक्षणिकदृष्ट्या सक्षम करणं हे सरकारचं ध्येय्य असून, ही योजना म्हणजे सरकारकडून बहिणींना माहेरचा आहेर असल्याची भावना व्यक्त करत, ही योजना कायम सुरू राहणार असल्याचं आश्वासन मुख्यमंत्र्यांनी दिलं. मुख्यमंत्री युवा अप्रेंटिंसशीप योजना, मराठवाड्याचा दुष्काळ निवारणासाठी नदीजोड प्रकल्पाचा प्रस्ताव तसंच वॉटरग्रीड प्रकल्पाचं पुनरुज्जीवन, विविध उद्योगांची उभारणी, आदी विषयांवरही मुख्यमंत्र्यांनी भाष्य केलं.
या कार्यक्रमापूर्वी सिल्लोड शहरातून मुख्यमंत्र्यांची मिरवणूक काढण्यात आली. अनेक महिलांनी यावेळी मुख्यमंत्र्यांना ओवाळून राख्या बांधल्या.
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माजी खासदार इम्तियाज जलील यांनी, आदर्श नागरी पतसंस्थेच्या शिष्टमंडळासोबत विमानतळावर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांची भेट घेतली, तसंच ठेवीदारांच्या ठेवी परत मिळण्यासंदर्भात त्यांच्याशी चर्चा केली. सोमवारपासून या ठेवीदारांना पैसे परत करण्याचे निर्देश मुख्यमंत्र्यांनी दिल्याचं, याबाबतच्या वृत्तात म्हटलं आहे.
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मुख्यमंत्री- माझी लाडकी बहीण’ योजनेसाठी मराठी भाषेत केलेले अर्ज स्वीकारले जातील, पुन्हा इंग्रजीतून अर्ज करण्याची गरज नाही, असं महिला आणि बालविकास मंत्री आदिती तटकरे यांनी स्पष्ट केलं आहे. यासंदर्भात कोणत्याही अपप्रचाराला अर्जदारांनी बळी पडू नये, असं आवाहन तटकरे यांनी केलं आहे.
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छत्रपती संभाजीनगर आणि धाराशिव जिल्ह्यांच्या नामांतराच्या निर्णयात हस्तक्षेप करण्यास सर्वोच्च न्यायालयानं नकार दिला आहे. शहरांच्या नामांतराचा अधिकार कायद्यानं राज्य सरकारला दिलेला आहे, तसंच या प्रकरणी मुंबई उच्च न्यायालयानं याचिकाकर्त्यांचं म्हणणं ऐकून घेत सविस्तर आदेश दिले असल्याचं निरीक्षण न्यायालयानं नोंदवलं.
दरम्यान, या प्रकरणी याचिकाकर्ते मोहंमद हिशाम उस्मानी यांनी अजून हे प्रकरण न्यायालयात असल्याने याबद्दल भाष्य करण्यास नकार दिल्याचं, याबाबतच्या वृत्तात म्हटलं आहे.
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राज्यातील विविध भागात जानेवारी ते मे या कालावधीतील अवकाळी पावसामुळे झालेल्या शेतीपिकांच्या नुकसानीपोटी शेतकऱ्यांना ५९६ कोटी २१ लाख ९५ हजार रुपयांचा मदतनिधी वितरीत करण्यास राज्य सरकारनं मंजूरी दिली आहे. नुकसान भरपाईची रक्कम संबंधितांच्या बँक खात्यात थेट जमा केली जाणार आहे.
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पॅरीस इथं सुरू असलेल्या ऑलिम्पिक स्पर्धेत भारताची नेमबाज मनू भाकर २५ मीटर पिस्तुल रॅपीड प्रकाराच्या अंतिम फेरीत पोहोचली आहे. पात्रता फेरीत तिने ५९० गुण मिळवत दुसरं स्थान गाठलं आहे. मनूने या स्पर्धेत आतापर्यंत दोन कांस्यपदकं मिळवली आहेत.
बॅडमिंटनच्या पुरुष एकेरीत उपांत्यपूर्व फेरीत काल लक्ष्य सेनने चीनी तैपेईच्या प्रतिस्पर्ध्याला पराभूत करत उपांत्य फेरी गाठली. पहिला गेम १९-२१ असा गमावल्यावर लक्ष्यने जोरदार खेळ करत पुढचे दोन्ही गेम्स २१-१५, २१-१२ असे जिंकत उपांत्य फेरीत धडक मारली.
ऑलिम्पिक स्पर्धेत अशी कामगिरी करणारे हे दोघेही पहिलेच भारतीय खेळाडू ठरले आहेत.
हॉकीत काल भारतीय संघाने ऑस्ट्रेलियाचा तीन दोनने पराभव केला. कर्णधार हरमनप्रीतसिंहने दोन तर अभिषेकने एक गोल केला.
आज या स्पर्धेत नेमबाजी, तीरंदाजी, गोल्फ, नौकानयन, आदी प्रकारात भारतीय खेळाडूंचे सामने होणार आहेत.
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भारत आणि श्रीलंका यांच्यातल्या तीन एकदिवसीय क्रिकेट सामन्यांच्या मालिकेतल्या पहिला सामना काल अनिर्णित राहिला. श्रीलंकेनं नाणेफेक जिंकून प्रथम फलंदाजी करत ५० षटकांत आठ बाद २३० धावा केल्या. भारतीय संघही ४८ व्या षटकांत २३० धावांवर सर्वबाद झाला. मालिकेत पुढचा सामना उद्या होणार आहे.
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५५ व्या गोवा आंतरराष्ट्रीय चित्रपट महोत्सवात निवडक मराठी चित्रपटांना सहभागी होण्याची संधी मिळणार आहे. निर्मात्यांनी विहित नमुन्यातील प्रवेश अर्ज १६ ऑगस्ट पर्यंत चित्रपट, रंगभूमी आणि सांस्कृतिक विकास महामंडळाकडे जमा करण्याचं आवाहन करण्यात आलं आहे.
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हिंगोली जिल्ह्यात काल दोन दुचाकीस्वारांचा कालव्यात पडून मृत्यू झाला. आखाडा बाळापूर इथं घडलेल्या या घटनेत दुचाकीवरचं नियंत्रण सुटल्याने ती कालव्याच्या कठड्यावर आदळून त्यावरील दोघे कालव्यात पडल्याचं आमच्या वार्ताहरानं कळवलं आहे.
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धाराशिव जिल्हा स्त्री रुग्णालयात स्तनपान सप्ताहाला परवापासून प्रारंभ झाला. स्त्री रुग्णालयामधील सर्व वैद्यकीय अधिकारी, कर्मचारी, रुग्ण तसंच रुग्णांचे नातेवाईक या कार्यक्रमाला उपस्थित होते.
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मुख्यमंत्री-माझी लाडकी बहीण योजनेअंतर्गत परभणी जिल्ह्यात आतापर्यंत २ लाख ४७ हजार ८४६ ऑनलाईन अर्ज प्राप्त झाले आहेत. प्रत्येक गावात आणि शहरी भागात अर्ज स्वीकृती केंद्र सुरु करण्यात आल्यानं महिलांना या योजनेसाठी अर्ज करणं अधिक सुलभ झालं आहे.
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शेती विकास योजनांचे लाभ सुलभतेने मिळावे यासाठी पात्र शेतकऱ्यांनी आपल्या मोबाईल ॲपमध्ये पिकांची अचूक नोंद करावी, असं आवाहन नांदेड जिल्हा प्रशासनाच्या वतीनं करण्यात आलं आहे. सर्व शेतकऱ्यांनी या सुविधेचा लाभ घेण्याचं आवाहन प्रशासनाद्वारे करण्यात येत आहे.
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बीड काल स्वयंरोजगार मेळावा घेण्यात आला. राष्ट्रवादी काँग्रेस पक्षाचे बीड जिल्ह्याचे विधानसभा अध्यक्ष योगेश क्षीरसागर या मेळाव्याच्या अध्यक्षस्थानी होते. या मेळाव्यातून बीड मतदारसंघात शेकडो तरुणांना रोजगार उपलब्ध करून देण्याचा प्रयत्न असल्याचं, क्षीरसागर यांनी सांगितलं.
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छत्रपती संभाजीनगर महानगरपालिकेच्या वतीने काल शहरातील विविध शैक्षणिक संस्थांच्या परिसरात या अभियानाअंतर्गत स्वच्छता मोहीम राबवण्यात आली. या मोहिमेत विद्यार्थांचा लक्षणीय सहभाग होता.
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लातूर महानगरपालिकेनं मालमत्ता करात ऑगस्ट महिन्यासाठी ५% सुट योजना लागू केली आहे. संबंधित सर्व मालमत्ताधारकांनी या योजनेचा लाभ घेऊन कराचा भरणा करावा, असं आवाहन महापालिकेच्यावतीनं करण्यात आलं आहे.
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छत्रपती संभाजीनगर इथं काल कोविड संसर्ग झालेले नवे पाच रुग्ण आढळले. सध्या शहरात कोविडचे १३ सक्रीय रुग्ण आहेत, यापैकी केवळ एका रुग्णाला गृहविलगीकरणात ठेवलं आहे.
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अंबाजोगाई तालुक्यातील साकुड इथले रावसाहेब रामचंद्र चाटे यांचा, स्वाईन फ्ल्यूची लागण होऊन मृत्यू झाल्याचं स्पष्ट झालं आहे. पंढरपूरच्या आषाढी वारीदरम्यान, १७ जुलैला त्यांचा मृत्यू झाला होता,
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dainiksamachar · 8 months
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'न्याय यात्रा' की झारखंड में एंट्री, सीएम चंपई सोरेन की अगवानी से राहुल गांधी गदगद, बोले- बीजेपी की साजिश विफल
पाकुड़ः झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम)-कांग्रेस गठबंधन सरकार में राज्य के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण लेने के कुछ ही घंटे बाद चंपई सोरेन ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में शामिल होने पाकुड़ पहुंचे। जेएमएम के कद्दावर नेता और ‘झारखंड टाइगर’ के रूप में चर्चित चंपई सोरेन के यात्रा में शामिल होने से गठबंधन में शामिल नेताओं-कार्यकर्ताओं में उत्साह दिखा। इस दौरान ने एक बार फिर केंद्र सरकार और बीजेपी पर हमला बोला। उन्होंने झारखंड में हुए सियासी उठापटक के बहाने बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि झारखंड में लोकतंत्र बच गया। बीजेपी ने बहुमत चोरी करने की कोशिश की राहुल गांधी ने कहा कि झारखंड में जनता की ओर से चुनी हुई सरकार को बीजेपी ने बहुमत चोरी करने और उखाड़ने की कोशिश की। लेकिन इस साजिश के खिलाफ हम सब खड़े गए। उन्होंने कहा- ‘ निर्वाचित होकर यहां आए हैं। लड़ाई विचारधारा की है। उनके पास धन और एजेंसी हैं। जितना दबाव डालने की कोशिश कर सकते हैं करें, हमें फर्क नहीं पड़ता। हम बीजेपी से, आरएसएस से डरने वाले नहीं हैं। झारखंड की जनता को बधाई देना चाहता हूं कि आप डरे नहीं, पीछे नहीं हटे, आपने अपनी सरकार बचाई।’ देश में करोड़ों लोगों के साथ अन्याय हो रहा राहुल गांधी ने कहा कि वे अपने मन की बात कहने यहां नहीं आए हैं। वे युवाओं से, किसानों से, मजदूर���ं से, आदिवासी भाई-बहनों से बहनों की बात सुनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अन्याय के खिलाफ यात्रा की शुरुआत की गई है और न्याय यात्रा जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि देश में करोड़ों लोगों के साथ अन्याय हो रहा है, इसके खिलाफ सभी को एकजुट होने की जरूरत है। दो-चार अरबपति पूरा धन उठाकर ले जाएंगे कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा- ‘आप चाहोगे तो भी आपको नरेंद्र मोदी के भारत में आपको रोजगार नहीं मिल सकता। क्योंकि नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की, गलत जीएसटी लागू की। जो छोटे व्यापारी है उनको नोटबंदी और गलत जीएसटी ने खत्म कर दिया। जो देश में रोजगार की रीढ़ है, उसको नरेंद्र मोदी ने तोड़ दिया। देश में 40 साल की सबसे ज्यादा बेरोजगारी है। नरेंद्र मोदी चाहते है कि युवाओं को रोजगार नहीं मिले। जो दो-चार अरबपति है, वो इस देश का पूरा धन उठाकर ले जाएं। हम आर्थिक अन्याय, सामाजिक अन्याय, आदिवासियों के खिलाफ अन्याय और किसानों के खिलाफ अन्याय के बारे में बात करने आए हैं। इस यात्रा के माध्यम से हम देश के सामने ये रखना चाहते है। हमें नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलनी है। अधीर रंजन चौधरी ने राजेश ठाकुर को सौंपा ध्वज न्याय यात्रा पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के गोकर्ण से प्रारंभ होकर खारग्राम, तारापीठ, रामपुरहाट, बांसलोई, रतनपुर, बीरभूम और राजग्राम होते झारखंड की सीमा नासीपुर मोड़ से झारखंड के पाकुड़ जिले में पहुंची। जहां पश्चिम बंगाल के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी की ओर से झारखंड कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर को ध्वज हस्तांतरण किया गया। इसके बाद झारखंड में न्याय यात्रा की औपचारिक रूप से शुरुआत हुई। नसीपुर मोड़ में राहुल गांधी ने जनसभा को संबोधित किया। जिसके बाद यात्रा हिरणपुर होते हुए लिट्टीपड़ा पहुंचेगी, जहां यात्रा का रात्रि विश्राम होगा। बाबा बैद्यनाथ मंदिर में करेंगे पूजा अर्चना 3 फरवरी को न्याय यात्रा शहीद स्तंभ गोड्डा से प्रारंभ होगी, जो सरकंडा चौक होते हुए सकरी पहुंचेगी। जहां आदिवासी समाज की ओर से राहुल गांधी का स्वागत किया जाएगा। इसके बाद यात्रा कोठिया मोड़ होते हुए शंभुनेश्वर नाथ मोड़ पहुंचेगी। वहां राहुल गांधी सभा को संबोधित करेंगे। इसके बाद मोहनपुर होते हुए यात्र देवघर पहंचेगी। राहुल गांधी बाबा बैद्यनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद देवघर के टावर चौक से बाबू कुंवर सिंह चौक तक पदयात्रा में शामिल होंगे। इसके बाद पुनः यात्रा भीमरात अंबेदकर चौक देवघर से जगदीशपुर बस स्टेंड पहुंचेगी। वहां से चलकर धनबाद जिले के हलकट्टा पहुंचेगी,जहां वे रात्रि विश्राम करेंगे। http://dlvr.it/T2DH1F
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sharpbharat · 10 months
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west singhbhum ckp lohar samiti- लोहार जाति को एसटी का दर्जा दिलाने को लेकर चक्रधरपुर में लोहार जनकल्याण समिति की बैठक आयोजित
रामगोपाल जेना(चक्रधरपुर):मंगलवार को चक्रधरपुर शहर के भारत भवन समीप स्थित वन विश्रामागार परिसर में लोहार जनकल्याण समिति के बैनर तले कोल्हान प्रमंडल की लोहार, लोहरा, कमार जाति की एक सामाजिक बैठक लोहार जन कल्याण सर्व भारतीय के अध्यक्ष अजय शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित की गई. बैठक में समाज के लोगों ने निर्णय लिया कि आने वाले दिनों में लोहार समाज अपने साथ हो रहे अन्याय, भेदभाव एवं उपेक्षा के खिलाफ…
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helputrust · 5 months
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लखनऊ, 25.04.2024 । माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में बख्शी का तालाब इंटर कॉलेज, बख्शी का तालाब, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमे 103 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी ज़िम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना ।
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा बख्शी का तालाब इंटर कॉलेज के शिक्षकों डॉ अनीता  मिश्रा, श्रीमती कविता उपाध्याय, श्री बच्चू लाल भारती एवं रेड ब्रिगेड से तंजीम अख्तर ने दीप प्रज्वलित किया ।
बख्शी का तालाब इंटर कॉलेज की शिक्षिका डॉ अनीता मिश्रा ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि, “महिलाओं को सशक्त बनाने का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है उन्हें शिक्षित करना । शिक्षा के माध्यम से महिलाओं को स्वतंत्र, समझदार और सामाजिक रूप से समर्थ बनाया जा सकता है । हमें समाज में महिलाओं के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करने की जरूरत है । उन्हें अपनी विचारधारा व्यक्त करने का मौका देना चाहिए तथा उन्हें समाज में समानता का अधिकार प्राप्त होना चाहिए । इस युग में महिलाओं को अपनी शक्ति का अनुभव करने की आवश्यकता है । वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं । हम सभी को मिलकर महिलाओं को समर्थ, स्वतंत्र, और समाज में उचित स्थान दिलाने का समर्थन करना चाहिए । यह हमारे समाज की समृद्धि और उत्थान की कुंजी है । महिलाओं को सशक्त बनाने में हम सभी का योगदान आवश्यक है ।“
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
कार्यशाला में बख्शी का तालाब इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ के. के. शुक्ल शिक्षकों डॉ अनीता  मिश्रा, श्रीमती कविता उपाध्याय, श्री बच्चू लाल भारती, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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lavkusdasrajpt · 11 months
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#SpiritualMessageOnDussehra
दशहरा मनाने से समाज को क्या सीख मिलती है?
दशहरा के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण जैसे राक्षसों के पुतले जलाने से अच्छा भ्रष्टाचार, दहेज, छुआछूत, धार्मिक बंटवारा, क्रोध, वासना, अभिमान, लालच, ईर्ष्या, अन्याय, क्रूरता और अहंकार जैसे व्यक्तिगत दोषों और सामाजिक बुराइयों को हमेशा के लिए जला देना चाहिए।
Sant Rampal Ji Maharaj
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ketanthakre · 11 months
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#SpiritualMessageOnDussehra
दशहरा मनाने से समाज को क्या सीख मिलती है?
दशहरा के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण जैसे राक्षसों के पुतले जलाने से अच्छा भ्रष्टाचार, दहेज, छुआछूत, धार्मिक बंटवारा, क्रोध, वासना, अभिमान, लालच, ईर्ष्या, अन्याय, क्रूरता और अहंकार जैसे व्यक्तिगत दोषों और सामाजिक बुराइयों को हमेशा के लिए जला देना चाहिए।
Sant Rampal Ji Maharaj
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लोकनायक जेपी के जन्मदिवस पर “जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी” का विचार क्रांति 2.0
आज लोक नायक जयप्रकाश नारायण का जन्म दिवस है।
#जेपी को सादर नमन 🇮🇳👏❣️
सम्पूर्ण क्रान्ति जयप्रकाश नारायण का विचार व नारा था जिसका आह्वान उन्होने इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड़ फेकने के लिये किया था। लोकनायक नें कहा कि सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल है - राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति।
#जेपी के चरणों में मेरे निम्नलिखित विचार अर्पित है 👇
“ जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी “ : नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, राहुल गांधी और भारतीय राजनीति के सभी पुरोधा जिन्होंने, 21वीं शताब्दी के इस महानतम आविष्कार की खोज की है, उन सबों को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करने का निवेदन करता हूँ 👏❣️
नोबेल पुरस्कार समिति के सदस्यों से यह भी आग्रह है, आगे से , “जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी “ फ़ार्मूला के अनुसार नोबेल पुरस्कार प्रदान किया जाय।
आजकल, इज़रायल और यहूदियों की बड़ी चर्चा हो रही है । क्या आप जानते हैं कि पूरे विश्व में यहूदियों की आबादी का प्रतिशत कितना है ❓महज़, 0.22% ऑफ विश्व की पूरी आबादी 👈❗️और, आपको मालूम है कि शुरू (1901) से 2022 तक 👉यहूदियों को कि��ने इन्डिविजुअल नोबेल पुरस्कार मिले हैं ❓❓2022 तक, पूरे नोबेल पुरस्कार विजेताओं में 👉 22% विजेता #यहूदी हैं ‼️
बहुत बड़ी नाइंसाफ़ी है, आबादी सिर्फ़ 0.22% और इसके बाद भी, नोबेल पुरस्कार विजेता 22% ⁉️⁉️
अन्याय है❗️❗️❗️❗️
[ नोट : जिन्हें इन ऑंकड़ों को सत्यापित करने की इच्छा जागृत हो, वे #Google पर जाकर चेक कर सकते हैं ]
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newsraag · 1 year
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पारितंत्र के प्रकार
पारितंत्र के प्रकार: "पारितंत्र एक सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, या मनोवैज्ञानिक अध्ययन के सन्दर्भ में एक मानवीय प्रकृति की स्थिति का वर्णन करता है, जहां एक व्यक्ति, समूह या संगठन किसी दूसरे के नियंत्रण या प्रभाव के अधीन होता है। पारितंत्र कई प्रकार का हो सकता है, जो निम्नलिखित हो सकते हैं:
राजनीतिक पारितंत्र: राजनीतिक पारितंत्र में, एक शासन या सरकार नगरीय और निरंतर अधिकार और प्रभाव रखती है और लोगों के जीवन पर नियंत्रण रखती है। इस प्रकार के पारितंत्र में, न्यायपालिका, सैन्य, पुलिस और अन्य संगठन राजनीतिक शक्ति का उपयोग करके शक्तिशाली रहते हैं।
सामाजिक पारितंत्र: सामाजिक पारितंत्र में, एक समाज, समुदाय या संगठन दूसरों के साम्राज्य या प्रभाव के अधीन होता है। इस प्रकार के पारितंत्र में, सामाजिक विभाजन, अन्याय, भ्रष्टाचार और संगठनित अपराध सामान्य होते हैं।"
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prabudhajanata · 2 years
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मुंबई : अनिल बेदाग - (Geethasakshiga) ‘पुष्पा ' और 'आरआरआर' जैसी तेलुगु फिल्मों की शानदार सफलता के बाद, मेनस्ट्रीम तेलुगु फिल्मों ने पैन इंडिया दर्शकों के बीच अपनी जगह बनाई है और हिंदी सिनेमा में दिलचस्पी रखने वाले दर्शकों का आकर्षण बन गई है।  उत्तर-दक्षिण फिल्मों की बाधाओं और अंतर को खत्म करते हुए, तेलुगु सिनेमा न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर नए बेंचमार्क बना रहा है, बल्कि उन्हें समान रूप से अच्छी और सार्थक कंटेंट के लिए भी सराहा जा रहा है, जो अब हिंदी सिनेप्रेमियों को नए तरह से रोमांचित कर रहा है।  ऐसे में अब, एक और शक्तिशाली, तीव्र और इमोशन्स से भरपूर तेलुगु फिल्म 'गीतासक्षीगा' हिंदी दर्शकों के बीच रिलीज होने वाली है, जो हमारे समय के सामाजिक रूप से प्रासंगिक विषय पर आधारित है। यह फिल्म सच्ची घटनाओं से प्रेरित है जो महिलाओं के रोज के जीवन में होने वाले उत्पीड़न के बारे में बताएगी। फिल्म की कहानी एक मंत्री के बेटे द्वारा एक लड़की का बलात्कार और फिर हत्या किए जाने की है, लेकिन एक निर्दोष लड़के को उस अपराध के लिए सलाखों के पीछे डाल दिया जाता है, वह भी उस गुनाह के लिए जो उसने नहीं किया है। लेकिन उसे सिर्फ इसलिए पकड़ा जाता है क्योंकि वह रेप और हत्या के समय पर उसी होटल में मौजूद होता है, और इस तरह से मासूम और निर्दोष लड़के को पुलिस और व्यवस्था का खामियाजा भुगतना पड़ता है।  यह फिल्म न सिर्फ महिलाओं की रोजमर्रा की जिंदगी में आने वाली कठिनाइयों और अन्याय के बारे में बात करती है, बल्कि यह फिल्म महिला सशक्तिकरण के बारे में भी है।  फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि कैसे पीड़िता की दोस्त वकील बनती है और फिर वह कड़ी मेहनत करके अपराधी को सज़ा दिलाती है। एंथोनी मातृपल्ली के निर्देशन में बनी 'गीतासक्षीगा' की कहानी को बेहद दमदार तरीके से बताया गया है।  हाल ही में रिलीज हुए फिल्म के ट्रेलर और गानों को बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है और सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है। आदर्श और चित्रा शुक्ला फिल्म में अहम भूमिका निभाते नजर आएंगे जबकि श्रीकांत अयंगर, रूपेश शेट्टी, भरणी शंकर, जयललिता, अनीता चौधरी, राजा रवींद्र जैसे कलाकार भी फिल्म में अहम किरदारों में हैं। 'गीतासक्षीगा' के बारे में निर्देशक एंथोनी मातृपल्ली ने बात करते हुए कहा, "हमने महिलाओं के सामने आने वाली अप्रिय घटनाओं की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने के इरादे से फिल्म बनाई है। हमने दिखाया है कि कैसे एक ऐसे युग में जब हम समान रूप से सही और सम्मान की बात करते हैं  महिलाओं, उन्हें अभी भी वस्तुओं की तरह माना जाता है और हर संभव तरीके से उन्हें परेशान किया जाता है। गुंडों द्वारा लड़कियों का रेप और हत्या कर दी जाती है और पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय भी नहीं मिलता है। फिल्म व्यवस्था और समाज के खिलाफ लड़ाई है  जो पीड़ितों और उनके परिवारों का समर्थन नहीं करता है। हमने फिल्म को बहुत जुनून के साथ बनाया है, जिसे दर्शकों द्वारा स्क्रीन पर महसूस किया जाएगा।" आत्मा को छू लेने वाला फ़िल्म का संगीत गोपी सुंदर द्वारा तैयार किया गया है, सिनेमैटोग्राफर वेंकट हनुमा नारीशेट्टी ने शानदार ढंग से कहानी को सेल्युलाइड पर कैद किया है और फिल्म की एडिटिंग किशोर मददली ने किया है।  'चेतन राज फिल्म्स' के बैनर तले निर्मित, 'गीतासक्षीगा' का ऑरिजिनल तेलुगू वर्जन 22 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज होगा, जबकि फिल्म का हिंदी वर्जन आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ऑरिजिनल रिलीज के दो दिन बाद 24 मार्च को रिलीज होगा।\ https://youtu.be/8X74jRyR9_0
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