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बच्चों की शिक्षाप्रद कहानियां: सीखें मजेदार किस्सों के साथ
कहानी सुनते बच्चे बच्चों की शिक्षाप्रद कहानियां पढ़ें जो मनोरंजन के साथ-साथ नैतिक शिक्षा भी देती हैं। इन कहानियों से बच्चे सीखेंगे अच्छे संस्कार, नैतिक मूल्य और जीवन के महत्वपूर्ण सबक।बच्चों की कहानियां न सिर्फ उनका मनोरंजन करती हैं, बल्कि उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाती हैं। इन शिक्षाप्रद कहानियों के माध्यम से बच्चे खेल-खेल में नैतिक मूल्य, अच्छे संस्कार और सही व्यवहार सीख सकते हैं। ये…
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युग परिवर्तन निकट है
अमेरिका के श्री एण्डरसन की भविष्यवाणी जो संत रामपाल जी महाराज पर खरी उतरती है।
20 वी सदी के अन्त से पहले या 21 वी सदी के प्रथम दशक में विश्व में असभ्यता का नंगा तांडव होगा। इस बीच भारत के एक देहात का एक धार्मिक व्यक्ति, एक मानव, एक भाषा और झण्डा की रूपरेखा का संविधान बनाकर संसार को सदाचार, उदारता, मानवीय सेवा व प्यार का सबक देगा।
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#युग_परिवर्तन_निकट_है
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🏇युग परिवर्तन निकट है!
अमेरिका के भविष्यवक्ता ‘‘श्री एण्डरसन’’ के अनुसार, 'भारत के देहात का एक धार्मिक व्यक्ति, एक मानव, एक भाषा और झण्डा की रूपरेखा का संविधान बनाकर संसार को सदाचार, उदारता, मानवीय सेवा व प्यार का सबक देगा। यह मसीहा विश्व में आगे आने वाले हजारों वर्षों के लिए धर्म व सुख-शांति भर देगा।'
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अमेरिका के भविष्यवक्ता ‘‘श्री एण्डरसन’’ के अनुसार, 'भारत के देहात का एक धार्मिक व्यक्ति, एक मानव, एक भाषा और झण्डा की रूपरेखा का संविधान बनाकर संसार को सदाचार, उदारता, मानवीय सेवा व प्यार का सबक देगा।
#Prophecy_About_SantRampalJi
Savior Of The World
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*#Prophecy_About_SantRampalJi*
*Savior Of The World*🏇अमेरिका के भविष्यवक्ता ‘‘श्री एण्डरसन’’ के अनुसार, 'भारत के देहात का एक धार्मिक व्यक्ति, एक मानव, एक भाषा और झण्डा की रूपरेखा का संविधान बनाकर संसार को सदाचार, उदारता, मानवीय सेवा व प्यार का सबक देगा। यह मसीहा विश्व में आगे आने वाले हजारों वर्षों के लिए धर्म व सुख-शांति भर देगा।'
और संत रामपाल जी महाराज की शिक्षाओं से उनके समर्थकों में सदाचार, मानवता देखने को मिलती है। जिससे उनका जीवन सुखी हो रहा है।
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#Prophecy_About_SantRampalJi
Savior Of The World
अमेरिका के भविष्यवक्ता ‘‘श्री एण्डरसन’’ के अनुसार, 'भारत के देहात का एक धार्मिक व्यक्ति, एक मानव, एक भाषा और झण्डा की रूपरेखा का संविधान बनाकर संसार को सदाचार, उदारता, मानवीय सेवा व प्यार का सबक देगा। यह मसीहा विश्व में'
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आवाज़-ए-दोस्त
कर्बला से सबक – 5
एक मआशरे में किसी से जाने-अनजाने में गलती का हो जाना कोई बड़ी बात नहीं है। दिक्कत वह खड़ी हो जाती है जब गलती जान बूझकर की जाये और गलत को भी सही साबित करने की कोशिश की जाये। ये गलती किसी से इन्फरादी भी हो सकती है और इज्तिमाई भी और ��ाकिम और महकूम सब इसमें बराबर शामिल हो सकते है।
हमारे रब ने जो ज़िन्दगी गुज़ारने का तरीका हमे बताया है, उसमे हर ईमान वाले पर ये फर्ज़ है कि, वो अपने दायरे और इख़्तियार में, सही बात को फ़ैलाने के लिये “अम्र बिल मार्रूफ़” यानी भलाई का हुक्म करे और गलती को दुरूस्त करने के लिये, “नह्य अनिल मुन्कर” यानी बुराई से रोके। कुरआन में अल्लाह ने फरमाया,
“तुम सब से बेहतर उम्मत हो जो लोगो के लिये भेजी गयी हो कि नेक काम करने का कहते हो और बुरे कामो से मना करते हो और अल्लाह पर ईमान रखते हो.” (सूर: आले इमरान : आयत 110)
तारीख गवाह है कि, इस्लाम के सुनहरी दौर में अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली ने अपनी ही ज़िरह को हासिल करने के लिये तानाशाही का तर्ज़ नहीं बल्कि दारुल क़ज़ा में खुद को पेश किया और मुस्तनद गवाह ना होने के सबब क़ाज़ी शुरअ के, अपने खिलाफ फैसले को कबूल किया।
मगर बनू उमय्या के दौर में लोगो के ज़मीर पर नकेल दाल दी गयी। भलाई का हुक्म देना और बुराई से रोकने के हक को छीन लिया गया। अब दौर वो था कि, ज़ुबान खोलो तो बादशाह की तारीफ़ में, वर्ना खामोश रहो।
आज भी तानाशाह हुकूमत अपनी गलती को ज़ाहिर ना होने देने के लिये, आज़ादी ए इज़हारे राय (freedom of speech) पर पाबन्दी लगा कर रखती है। मगर अपने नाना हज़रत मुहम्मद (सल्ल०) की आगोश के रोशन चिराग सय्यदना इमाम हुसैन ने गलत को गलत कहने से परहेज़ नहीं किया और यज़ीद को बेअत देने से इन्कार कर दिया।
जब भी कभी ज़मीर के सोदे की बात हो
डट जाओ तुम हुसैन के इंकार की तरह।
“अम्र बिल मार्रूफ़” और “नह्य अनिल मुन्कर” के फर्ज़ को अदा करने के लिये, आज़ादी ए इज़हारे राय एक ज़िन्दा ज़मीर की ज़रुरत है. ये अहम सबक हमें वाकिया ए कर्बला से मिलता है।
https://youtu.be/wZK7l13WQlk?si=fbxhCPC8EwdcyXFC
(वक्त 2 मिनट 23 सेकंड)
वस्सलाम
आवाज़-ए-दोस्त
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बच्चों की शिक्षाप्रद कहानियां: सीखें मजेदार किस्सों के साथ
कहानी सुनते बच्चे बच्चों की शिक्षाप्रद कहानियां पढ़ें जो मनोरंजन के साथ-साथ नैतिक शिक्षा भी देती हैं। इन कहानियों से बच्चे सीखेंगे अच्छे संस्कार, नैतिक मूल्य और जीवन के महत्वपूर्ण सबक।बच्चों की कहानियां न सिर्फ उनका मनोरंजन करती हैं, बल्कि उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाती हैं। इन शिक्षाप्रद कहानियों के माध्यम से बच्चे खेल-खेल में नैतिक मूल्य, अच्छे संस्कार और सही व्यवहार सीख सकते हैं। ये…
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हमारा मानना है कि हर इंसान जो आपकी जिंदगी में मुकद्दर बनके आता है,वो शायद आपकी जिंदगी का मुक़द्दर ना हो हर कोई इंसान आपकी जिंदगी में एक प्रयोजन या उद्देश्य से आता है,
कुछ आपको एक सबक या शिक्षा सिखाने के लिये आते हैं और कुछ आपसे सीख कर जाते हैं ।
Gyaan ki baatein ft me guyz
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🇮🇳 Shah Rukh Khan than Amitabh Bachchan.. Says.. For lust of power & money, Contemporary GODI-MEDIA has reduced itself to becoming the mouth piece of the govt while it has been spreading the poison of HATRED, Communalism and Fake-News. It has now come to that point where boycott of Godi anchors is not about teaching them a lesson but saving the country from their Dangerous and VILE PROPAGANDA
#Boycott Godi Media "INDIA"
सत्ता और पैसे की लालसा के लिए, समकालीन गोदी-मीडिया ने खुद को सरकार का मुखपत्र बनने तक सीमित कर दिया है, जबकि यह नफरत, सांप्रदायिकता और फेक-न्यूज का जहर फैला रहा है। अब यह उस बिंदु पर आ गया है जहां गोदी एंकरों का बहिष्कार उन्हें सबक सिखाने के बारे में नहीं है बल्कि देश को उनके खतरनाक और वीभत्स प्रचार से बचाने के बारे में है।
#गोदी मीडिया का बहिष्कार करें ~ "इंडिया"
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#2DaysLeft_For_AvataranDiwas
अमेरिका के श्री एण्डरसन की भविष्यवाणी अवतार संत रामपाल महाराज जी के बारे में भारत के एक देहात का एक धार्मिक व्यक्ति, एक मानव एक भाषा और एक झण्डा की रूपरेखा का संविधान बनकर संसार को सदाचार उदारता मानवीय सेवा में प्यार का सबक देगा।
#SantRampaljiQuotes
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"अनुभव एक कठिन शिक्षक है वह पहले परीक्षा देती है और बाद में सबक देती है।"
मानवता को सर्वोपरि रखने वाले महान संत, करुणा और स्नेह की प्रतिमूर्ति तथा स्वामी विवेकानंद के आध्यात्मिक गुरु पूज्य स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि ।
आध्यात्मिक जीवन के लिए आपकी शिक्षाएं, विचार एवं मानव कल्याण का संदेश स��ैव युवाओं को प्रेरणा देगी ।
#RamKrishnaParamHans
#DrRupalAgarwal
#HelpUTrust
#HelpUEducationalandCharitableTrust
www.helputrust.org
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1400.
कुटिल सोच और हित साधती वर्जनाएँ
-© कामिनी मोहन।
संस्कार, सभ्यता, अनुशासन, परंपरा, मानवता इनके आवरण की परतों में ढके मनुष्य के गिरेबान में झाँक कर देखा जाए तो उसमें कहाँ खाज है, नज़र नहीं आता है। धर्म संस्कार और सभ्यता ने मनुष्य को विचार दिए हैं।हमारी सारी वर्जनाएँ व्यवस्था के हित के साथ जुड़ी है। कुटिलता इसे रीति बनाकर मनुष्यता से जोड़कर प्रचारित करती है। लेकिन यह कहना मुश्किल है कि यह सब विचार-विमर्श आख़िर है क्या।
दूसरों के सामने निर्विचार से दिखने वाले दरअसल मानवीयता के दर्पण की तरह होते हैं। धर्म परंपरा और मान्यता की कवच से लैस स्वतंत्र तथा सतत् मंत्रमुग्�� बने रहते हैं। उनमें होता है उड़ने का हौसला। उड़ने में ख़तरे तो बहुत है, उन ख़तरों से बच गए तो ठीक है, न बचे तो हँसी में टालकर फिर से उड़ने का दम भरते हैं।
स्नेह का अभाव हर शख़्स को खटकता है। जो शीतलता, ममता या मधुरता के दुलार से निशब्द-सी शांति मिलती है। वह अभिमान के छलावे से नहीं मिलती। अंधकार में किसी मैदान, जंगल, आकाश में अर्धवृत्त, आनंद नीलिमा और सवेरा होने से पहले प्रकृति के क्षण-क्षण बदलते रूप के दर्शन होते हैं। यह दर्शन न तो घनी अंधेरी रात में और न तो दिन के उजाले में संभव है। लोगों की सांस्कृतिक मान्यताओं और पहचान के विपरीत जाना वर्जनाओं को तोड़ना है। क्योंकि यह मान्यताओं परंपराओं और संस्कृति का पर्याय होती है। अनुभव सबसे अच्छा शिक्षक है, और सबसे ख़राब अनुभव हमें सबसे अच्छा सबक सिखाते हैं।
जीवन में सबसे अच्छी बात किसी ऐसे व्यक्ति को ढूँढ़ना है जो ख़ामियों, ग़लतियों और कमज़ोरियों को जानता है और वो व्यक्ति हम ख़ुद हो, तो यह पूरी तरह से अद्भुत है। जब भी सपनों के सच होने की संभावना बढ़ती है तो जीवन दिलचस्प बनता जाता है। इसलिए अंधेरे को दूर करने के लिए स्वयं की बेहतरी प्रकाशयुक्त होनी चाहिए। अजीब से लगने वाले शब्द विश्वास की सतह पर सच होने चाहिए।
हम, तुम सब अजीब है। इस दुनिया में हर कोई अजीब है, हमारी पीढ़ी सोचती है कि परवाह नहीं करना अच्छा है। लेकिन हम सब जानते हैं यह ग़लत है, यह अजीब है। देखभाल करना, परवाह करना अच्छा है। अपने कर्तव्य कर्म के प्रति वफ़ादार रहना अच्छा है। ऊँचे पेड़ छोटे बीजों से बनने में सक्षम होते हैं। बीज को वृक्ष बनने के पहले एक पूरी की पूरी देखभाल की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है।
एक रहस्य की कई परतें होती हैं। रहस्य को जानने समझने के बावजूद उनमें बहुत सारे ऐसे रहस्य होंगे, जिनका उद्देश्य हमें पता ही नहीं चल पाता है। ऐसे में आत्म-मूल्य महत्वपूर्ण हो जाता है। यदि आप अपने बारे में अच्छा महसूस नहीं करते हैं, तो किसी और चीज़ के बारे में अच्छा महसूस होना कठिन है।
फिर तो कुटिल सोच का फ़ायदा कोई न कोई वर्जना उठाने की पूरी कोशिश करेगी। तो एक ही तरीका है कि लोग जो सोचते हैं उसे दरकिनार कर समाज संस्कार सभ्यता और संस्कृति को केंद्र में रखकर निरंतर आगे बढ़ते रहा जाए���
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CRN-45
जिस हिसाब से दुनिया में बेतहाशा भीड़ बढ़ रही है... कार्बन उत्सर्जन बढ़ रहा है... लोग प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध उपभोग करके उन्हें खत्म कर रहे हैं... और लगातार अपने लिये स्पेस बढ़ाते हुए बाकी सभी क्रीचर्स के लिये जगह और मौके सीमित करते जा रहे हैं, जिनसे हमारा इको सिस्टम प्रभावित हो सकता है... तो ऐसे में एक दिन कुदरत भी कोई मौका निकाल कर बदला लेने पर उतर आये तो? अपने देश को देखिये... देश के लोगों को देखिये... क्या इन्हें एक नागरिक के तौर पर अपनी भूमिका की समझ है? क्या एक इंसान के तौर पर अपनी प्राथमिकताओं का पता है इन्हें? आपको व्यवस्था वैसी ही मिलती है जैसे आप होते हैं और अगर आप खुद ही समझदार और जागरूक नहीं हैं— तो यह तय है कि आपको सिस्टम भी वैसा ही लापरवाह मिलेगा। ऐसी हालत में कोई डेडली वायरस इनवेशन हो तो? फिर वह वायरस नेचुरल हो या बायोवेपन... उससे ज्यादा बड़ा सवाल यह है कि क्या हमारी व्यवस्था उस अटैक को संभाल पायेगी? क्या हमारे द्वारा चुनी गयी सरकारों ने हमें वह सिस्टम दिया है जो किसी मेडिकल इमर्जेंसी को संभाल सके? शायद नहीं... कल्पना कीजिये कि ऐसे ही किसी विश्वव्यापी वायरस संक्रमण के सामने हमारी व्यवस्था कैसी लचर साबित होगी और करोड़ों लोग अकाल मृत्यु को प्राप्त होंगे। सीआरएन फोर्टी फाईव ऐसे ही एक विश्वव्यापी संक्रमण की कहानी है— जिसका शिकार हो कर दुनिया की तीन चौथाई आबादी खत्म हो गयी थी और गिने-चुने विकसित देशों को छोड़ कर सभी देशों की व्यवस्थायें इस त्रासदी के आगे दम तोड़ गयी थीं और त्रासदी से उबरने के बाद भी सभी सिस्टम कोलैप्स हो जाने की वजह से ऐसी अराजकता फैली थी कि लाखों सर्वाइव करने वाले लोग फिर भी मारे गये थे... और बचे खुचे लोगों में करोड़ों की भीड़ तो वह थी जो इस संक्रमण का शिकार हो कर अपनी मेमोरी पूरी तरह खो चुकी थी और ताजे पैदा हुए बच्चे जैसी हो गयी थी। यह वह मौका था जिसने उन सभी दबंग, बाहुबली और ताकतवर लोगों के लिये संभावनाओं के द्वार खोल दिये थे जो इस त्रासदी के बाद भी अपनी ताकत सहेजे रखने में कामयाब रहे थे। उन्होंने व्यवस्थाओं को अपने हाथ में लेकर उनकी सूरत बदल दी... देशों के बजाय ढेरों टैरेट्रीज खड़ी हो गयीं और उन्होंने बची खुची आबादियों को नियंत्रित कर लिया। लेकिन क्या यह व्यवस्थायें भी हमेशा कायम रह सकती थीं... एक न एक दिन तो कहीं न कहीं बगावत का बिगुल फूंका जाना तय था और यह कहानी एक ऐसी ही बगावत की है, जो दुनिया को वापस पहले जैसा बना देने की कूवत तो रखती है... लेकिन सभी पिछली गलतियों से सबक लेकर एकदम नये रूप में... उस रूप में जो प्रकृति के साथ संतुलन बना कर चल सके और बाकी सभी क्रीचर्स के सह-अस्तित्व को पूरा सम्मान देते हुए उन्हें उनके हिस्से का स्पेस और मौके उपलब्ध करा सके और एक नया एडवांस डेमोक्रेटिक सिस्टम स्थापित कर सके। amazon kindle flipkart
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